krish3155
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Bhai ab
Bete ko hi maa chodne do jimmi ko nahiमाँ के आने से पहले मैंने कमरे के सारे परदे ठीक से बंद कर दिए थे ताकि कहीं से भी कोई रौशनी ना आ जाये. कमरे में पूरा अँधेरा था.
माँ के आते ही मैंने आगे बढ़ कर उन्हें अपनी बाँहों में भर लिया और उनके होंठों पे अपने होंठ रख कर मम्मी को चूमने लगा। मम्मी मेरी बाँहों में कसमसाती हुई बोली.
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"जिम्मी देखो तुम फिर चालू हो गए. मैं तुम्हे यही तो समझाने आयी हूँ की यह सब गलत है. हमारा रिश्ता ऐसा है कि हमें यह सब नहीं करना चाहिए (अब मम्मी को मैं यह क्या बोलता कि बात तो इस से भी ज्यादा गलत है क्योंकि मैं जिम्मी नहीं बल्कि उनका अपना बेटा था. पर मैं चुप रहा और मम्मी के होंठ चूसता रहा )
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मैंने वही फुसफुसाते हुई कहा
"कुछ भी गलत नहीं है. आप एक सुंदर और जवान औरत हैं और मैं एक जवान लड़का. मेरा लण्ड आपके लिए खड़ा हो गया है तो यह सब ठीक है. मैंने आप की चूत में ऊँगली कर ली है, फिर ऊपर स्टोर रूम में आपको चोद भी लिया है, बस आप एक बार अपनी मर्जी से और चुदवा लो तो मजा हो आ जायेगा. आप ही बताओ कि क्या मेरा आपकी चूत में ऊँगली करना आपको अच्छा नहीं लगा? या मेरे से चुदवाने में आनद नहीं आया? आप विधवा हैं और आप को भी चुदाई करवाए हुए न जाने कितना समय हो गया है. तो आज मौका मिला है तो थोड़ा मजा ले लो. फिर कल तो आप चले ही जाओगे."
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यह कह कर मैंने मम्मी के मम्मे दबा दिए. मम्मी चुप रही. वो कुछ सोच रही थी. मैं समज गया कि उनका मन तो चुदवाने का है.
तो मैंने गर्म लोहे पर चोट करते हुए कहा
"मौसी कुछ भी सोचो मत. बस इस लौड़े का आनंद लो"
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ये ही बोलते-बोलते मैंने मम्मी के हाथ में अपना लण्ड पकड़ा दिया जिसे मम्मी चुपचाप सहलाने लगी. फिर मैंने मम्मी का चेहरा अपने हाथों में पकड़ कर उसके होंठों पर चुंबन किया। फ़िर गालों पर और फ़िर धीरे से मेरे होठों पर अपने होठों को रख कर चूमने लगी।
मैं भी ये सब में इतना मदहोश हो गया कि मैंने भी उन्हें अपनी बाहों में कस लिया और उनका साथ देने लगा। फिर उनके होठों को चूमता रहा चुंबन करते हुए। हम दोनों एक-दूसरे को पीठ पर हाथ घुमा रहे थे, और जिस की वजह से हम दोनों की सांसें भी बहुत तेज चलने लगीं थीं।
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मेरे दोनो हाथ उनके मुलायम-मुलायम सेक्सी बदन पर घूमने लगे थे, और साथ ही माँ भी मेरी कमर, पीठ, और जाँघों पर अपने हाथ घुमाये जा रही थी। साथ ही मेरे लौड़े को भी सेहला रही थी,
माँ के छूने की वजह से मेरा लंड खड़ा हो चुका था। माँ मुझसे लिपट गई। उन्होंने मुझे अपनी बाहों में कस के पकड़ लिया, जिस वजह से उनको दोनों कड़क मम्मे मेरे सीने पर पूरे दबा दिए। अब मैं भी अपने आप पर नियंत्रण नहीं कर पाया, और मेरे हाथ उनकी पीठ और कमर को सहलाने लग गया। मेरा लंड भी उनकी जांघों के बीच जा कर चूत से टकरा रहा था।
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मां अचानक रोने लग गई थी और उनके आंसू बह कर मेरे कंधे को गीला कर रहे थे। ये महसूस करते ही मैं एक-दम से होश में आया और उनसे अलग हो गया और पूछने लगा-
मैं : आप रो क्यों रही हो ?
माँ: नहीं बेटा, मैंने आंसुओं को बहुत देर से रोक के रखा है। आज जी भर के रो लेने दे मुझे. मैं बहुत प्यासी हूं जिम्मी . मैं किसको अपना दुख सुनाऊँ ? सब कुछ है मेरे पास, लेकिन मेरे जिस्म की प्यास को मैं कैसे बुझाऊँ? मैं दिन तो लोगों के साथ निकल लेती हूं। लेकिन रात जल्दी से नहीं बीतती है। मेरे शरीर की भी कुछ जरूरतें हैं उनका क्या करू. आज तुमने जब मेरे साथ स्टोर रूम में जबरदस्ती बलात्कार किया तो मुझे असल में कितना अच्छा लगा कि क्या कहूँ?
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फ़िर मैं कुछ कहूँ उसने पहले वो बोली-
माँ: मैं क्या करूँ बेटा, तुम ही मुझे बताओ? मैं तो कोई पराये मर्द के बारे में सोच भी नहीं सकती। क्योंकि मेरे घर की इज्जत की बात है। एक तुम ही हो जिम्मी बेटा, जो मेरी मदद कर सकते हो। प्लीज मुझे फिर से एक बार एक नारी होने का एहसास करवाओ. मुझे जोर से प्यार करो.
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मैं : अगर आप यही चाहती हो तो मैं तैयार हूँ। क्योंकि मैं आपको हमेशा खुश देखना चाहता हूं।
मेरी बात सुन कर माँ मुझसे लिपट कर बोली-
माँ: मुझे मेरा जिम्मी बहुत पसंद है।
मैं : मैं भी तुमसे प्यार करता हूँ मौसी. आज मैं आप की इतनी जोर से और अच्छे से चुदाई करूंगा कि आप याद रखोगी.
मम्मी मुझे कस कर लिपट गयी और वो मुझे किस करने लग गई, और लिपट जाने की वजह से मेरा लंड उनकी चूत पर रगड़ रहा था।
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तब माँ से बर्दाश्त नहीं हुआ, और वो बोलने लगी-
माँ: प्लीज चलो, अब ज्यादा देर नहीं करो. कभी भी कोई आ सकता है. आखिर यह एक शादी वाला घर है. हमारे पास ज्यादा समय नहीं है. तुम जल्दी से मेरी प्यास बुझा दो, अब मुझसे रहा नहीं जा रहा है बेटा।
अब मैं भी जोश में आ चुका था। मैंने सीधे माँ की कमर में हाथ डाल दिया, और बेड पर लिटा दिया। मैंने माँ को बिस्तर पर लिटा दिया, और साथ ही मैं मेरे सारे कपड़े निकाल नंगा होके उनके ऊपर चढ़ गया। फिर मैं उनको चूमने लगा. उन्होंने भी अपने होठों को मेरे होठों पे रखा, और चूमने लगी।
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माँ जीभ मेरे मुँह में डाल कर चूस रही थी, और मैं मेरी जीभ उनके मुँह में डाल कर। मुझे बहुत ज्यादा मजा आने लगा था। फिर मैंने मेरे हाथों को माँ के कड़क मम्मो पे रख दिया, और उनको ज़ोर से मसलने लगा, सहलाने लग गया। मेरी इस हरकत से माँ के मुँह से मदमस्त सिस्कारियाँ निकलने लगी थी। कुछ देर ये चुम्मा-चाटी होने के बाद माँ बोली-
माँ: बेटा अब मेरी कमीज सलवार ब्रा पैंटी सब निकाल कर नंगी कर दे मुझे तेरे लिए।
मैं भी यही चाहता था, इसलिए उनकी बात सुनते ही मैंने उनकी कमीज सलवार निकाल दी, और साथ ही ब्रा पैंटी भी। सच कहूँ तो क्या मस्त बदन था माँ का। मैं तो बस नशीली निगाहों से उनके मस्त भरे हुए जिस्म को देखता रह गया। वैसे तो कमरे में अँधेरा था पर मैं माँ के नंगे बदन की सुंदरता महसूस कर सकता था.
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मां के कड़क हुए मम्मे, पतली कमर, मुलायम जांघें, और इन सब से भी ज्यादा चिकनी टाँगों के बीच छुपी हुई गुलाबी रंग की चूत एक-दम पूरी तरह से साफ थी। उनकी गुलाबी चूत को देख मैं समझ सकता था कि माँ ने उनकी चूत सुबह ही साफ की होगी।
मैं तो माँ की साफ़ चूत पर हाथ फेर कर ही अपना होश खो बैठा, और बस मसलता ही रह गया, और माँ भी ये समझ गई। इसलिए वो उनकी चूत पे हाथ से सहलते हुए बोली-
माँ: बेटा जिम्मी , सिर्फ मसलते ही रहोगे क्या? अब चलो जल्दी से अपना अंडरवियर निकालो ना।
मैं : नहीं आज तो आप अपने हाथों से ही निकल लो ना ।
माँ उठी और मेरा अंडरवियर निकाला तो मेरा लंड झट से आज़ाद हो गया और फनफनाने लगा। तभी माँ ने मेरा लंड पकड़ा, और सहलने लगी। मेरा पूरा बदन गरम होने लगा और मेरा लंड खड़ा और मोटा लोहे जैसा सख्त हो गया। माँ मेरा लंड हाथो में पकड़ कर सहलाते हुए बोली-
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माँ: जिम्मी तेरा लंड कितना लम्बा और मोटा है. ये तो मेरी चूत फाड़ ही देगा. क्योंकि तेरे मौसा जी का लंड सिर्फ 5 इंच लंबा था और बहुत पतला था तुम्हारे मुकाबले । अब मेरी पुरानी प्यास तो ये मेरे जिम्मी का लंड ही बुझाएगा।
माँ ये बोलते ही मेरे लंड के सुपारे पर अपनी जीभ गोल-गोल करके घुमाने लगी, और धीरे-धीरे मेरा पूरा लंड चूमने लगी। उनकी इस हरकत से मेरे तो पूरे बदन में जैसे करंट दौड़ गया हो। मैंने भी माँ को बिस्तर पर लिटा दिया, और हम दोनो 69 की पोजीशन बनाते हुए मैं उनके ऊपर आ गया।
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माँ की टाँगों को फेला कर मैंने उनकी गुलाबी चूत पर किस किया, तो माँ के मुँह से सिस्कारी निकल गई। वो भी मेरा लंड पकड़ कर मुँह में लेने की कोशिश करने लगी। मगर लंड बड़ा होने के कारण उनके मुँह में पूरा लंड घुस नहीं पा रहा था।
फिर माँ मेरे लंड का सुपारा चूसने लगी, और मुझमें भी जोश भरने लगा ज़्यादा। मैंने थोड़ी कोशिश की, और धक्का दे कर लंड को माँ के मुँह में घुसा डाला, और माँ भी अब मजे ले कर चूमने लगी थी। मैंने भी माँ की चूत पर जीभ घुमानी शुरू कर दी, और उनकी चूत से जो मीठा कामुक रस बह रहा था, उसे चाट कर पी रहा था।
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माँ के मुँह से ज़ोरदार सिस्कारियाँ निकलने लगी थी। माँ को भी जोश चढ़ गया, और मेरा लंड चूसना शुरू कर दिया। मैं भी लंड को उनके गले तक डाल रहा था। हम दोनो को बहुत मजा आने लगा था। फिर मैंने 1 उंगली माँ की चूत में डाल दी तो वो एक-दम सिसक उठी।
माँ: उउफफफ्फ़ आआह्ह्ह्ह जिम्मी आआह्ह्ह्ह.
माँ ऐसी ही वासना भरी सिस्कारियाँ लेने लग गयी थी। जोश में आ कर मैंने एक साथ माँ की चूत में 2 उंगली डाल दी, और अंदर-बाहर करके उंगली से चोदने लगा। माँ की चूत बहुत टाइट थी. ऊँगली से चोदने की वजह से मम्मी की चूत से झरने की तरह रस बहने लगा था। मैं भी माँ की चूत का रस पीते-पीते उनका मुँह चोद रहा था।
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अब मेरे भी लंड का पानी निकलने वाला था, तो लंड एक-दम कड़क और गरम हो गया था। इसलिए मैं बोला-
मैं : मेरा निकलने वाला है.
माँ: जिम्मी बेटा मेरे मुँह में ही निकल दो। मुझे भी तुम्हारा पूरा रस पीना है।
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उनकी ये बात सुन कर मैं मस्त हो गया कि मेरी माँ मेरे लंड का पानी पीना चाहती थी। मैंने भी अपनी जीभ मम्मी की चूत के अन्दर तक डाल कर चूत चूमने शुरू कर दी थी। वो भी अब नीचे से अपनी गांड उठा कर चूत चुसवा रही थी। तब मैंने भी हाथ नीचे डाल कर उनकी गांड को पकड़ लिया, और दबाने लगा।
ये सब के बीच मेरे लंड ने ज़ोर से पिचकारी मार दी, और लंड भी माँ के गले में जा कर फंस गया था। मेरा रस सीधा अंदर गले में जा रहा था, और माँ लंड चूस कर रस पी रही आखिरी बूंद तक। माँ की भी चूत ने अपना अमृत रस छोड़ दिया और माँ भी एक जोर की आवाज से झड़ गयी. जब हम दोनों का रस निकल गया, हम दोनों शांत हुए और वैसे ही 69 में लेते रहे।
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थोड़ी देर बाद माँ फिर से मेरे लंड को सहलाने लगी, और दूसरे हाथ से मेरी पीठ और गांड को सहलाने लगी। मैं भी उनकी चूत पर अपने होठों को रख कर चूमने लगा, तो माँ गरम सिस्कारियाँ भरने लग गई। मेरी इस हरकत से उन्हें अपनी टाँगें फेला दी, इसलिए मैं भी अपनी जीभ उनकी चूत पे नीचे से ऊपर तक घुमा रहा था। मैं उनके दाने को जीभ से कुरेद भी रहा था, और छेड़-छाड़ कर रहा था। इस माँ को भी बहुत जोश चढ़ गया था।
फिर मैंने मेरी उंगलियों से माँ की चूत खोली, और जीभ नुकीली कर पूरी जीभ चूत के अंदर घुसा दी, तो माँ ज़ोर से सिस्कारियाँ लेने लगी, और बोल रही थी-
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माँ: उफफफ्फ़ जिम्मी बेटा आआहा तुम क्या कर रहे हो? अब बस करो उफ्फ्फ और अपना लंड आअहह मेरी चूत में डालो अब अह्ह्ह्ह. अब नहीं रहा जाता आह्ह्ह मुझसे उउफ्फ्फ.
उनकी चूत फिर से रस बहाने लगी थी, और मैं जीभ से चाट रहा था बिना रुके। माँ भी सिस्कारियाँ लेते हुए बहुत ज़ोर से मेरा लंड चूसने लगी। इसलिए अब मुझसे भी रुकना बर्दाश्त नहीं हो रहा था।
माँ: जिम्मी बेटा प्लीज़ डाल दो ना अपना बड़ा लंड मेरी चूत में जल्दी से। और मेरी इतने सालों की प्यास बुझा दे बेटा। चोद ले अपनी मौसी को आज। आज जी भर के चोद ले मुझे.
मैं भी देरी ना करते हुए उनकी टाँगों के बीच बैठ गया, और चूत को खोल कर लंड का सुपारा उनकी चूत के ऊपर से नीचे तक रगड़ने लगा। लंड का सुपारा उनकी चूत के होठों में ऊपर से नीचे सहलाते हुए चूत के दाने पर भी सहलाने लगा। मां अब तिलमिलाए जा रही थी, इसलिए उनके हाथ नीचे डाल कर मेरे लंड को पकड़ लिया और बोली-
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माँ: जिम्मी प्लीज़ जल्दी से इसे डाल दो ना। जल्दी से अंदर कर दे प्लीज, नहीं तो मैं मर जाऊंगी तड़प कर।
मुझसे भी उनकी हालत देखी नहीं जा रही थी, तो मैंने लंड का सुपारा गीली चूत पर रखा, और एक ज़ोर का धक्का चूत में दे दिया। मेरा सिर्फ 2 इंच लंड अंदर घुस गया था,
मगर माँ चिल्ला उठी ज़ोर से, और बोली-
माँ: आआअहह मर गयी मैं. उउउउफफ्फ़ धीरे से आअहह डालो बेटा। तुम्हारा लंड बहुत मोटा है आआह्ह्ह आअह्ह्ह्ह फाड़ डालना है क्या मेरी चूत को उउफफफ्फ़ आआह्ह्ह्ह?
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मैं उनके मुंह पर मुंह रख कर उनके रसीले होठों को चूमने लगा, और साथ ही दोनों हाथों से चूचियां भी मसल रहा था। ये सब करने से वो नॉर्मल हो गई. फिर मैंने एक और ज़ोर से धक्का मार दिया, और अब मेरा आधे से ज़्यादा लंड उनकी चूत में पिल गया।
मैं उनके होंठों को चूम रहा था, इसलिए वो चिल्ला नहीं पाई। पर उनकी आंखों से आंसू निकलने लगे। माँ दर्द से रोने लग गई थी, क्योंकि उनको चूत में दर्द सहन नहीं हो रहा था। मैंने चूमना रोक कर उनसे पूछा-
मैं : क्या हुआ ? आपकी आंखों में आंसू क्यों आ गये?
माँ: मुझे बहुत दर्द हो रहा है. जिम्मी मैंने पहली बार इतना बड़ा और मोटा लंड लिया है चूत में। पर अब दर्द हल्का हो गया है, इसलिए तुम करो।
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अब तक माँ की चूत से भी खूब चुतरस निकल रहा था जिस से मम्मी की चूत गीली और फिसलन भरी हो गयी थी.
मैंने उनके कमर को दोनों हाथों से पकड़ कर लंड को थोड़ा बाहर निकाल कर ज़ोर से धक्का मारा, और पूरा लंड उनकी चूत में छुप गया। मेरी इस हरकत से माँ ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाई। लेकिन उनकी आवाज़ बाहर नहीं आयी मेरे चूमने की वजह से। उनके मुँह से बस ज़ोर की सिस्कारियाँ निकल रही थी।
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वो बोली-
माँ: आह्ह बेटा, तुमने तो आज मेरी चूत ही फाड़ डाली। शायद चूत से खून भी निकल आया है।
जब मैंने नीचे देखा तो माँ की चूत से चूत रस के साथ हल्का सा खून भी बह रहा था।
मैंने माँ से कहा-
मैं : हां , सच में थोड़ा सा खून भी निकल आया है। आपकी चूत न जाने कब से चुदी नहीं थी तो शायद इसीलिए टाइट है, मैंने शाम को भी आपको चोदा था तब तो खून नहीं निकला शायद तब पूरा लण्ड अंदर नहीं गया होगा क्योंकि तब आप काफी हिल रही थी पर अभी पूरा लण्ड घुस गया है. मगर आप घबराओ नहीं, अब कुछ भी दर्द नहीं होगा। बस अब सिर्फ मजा ही मजा.
माँ: जिम्मी मैं सभी दर्द सह लूंगी, क्योंकि आज मैं बहुत खुश हूँ। इतना बड़ा और मोटा लंड मेरी चूत में जा कर मेरे गर्भशाय (बच्चे-दानी) को पूरा छू रहा है। मेरी चूत में इतनी गहराई तक कभी कुछ नहीं गया. आज तुम्हारे लण्ड ने इसकी पूरी गहराई नापी है. मैं तुझे बता नहीं सकती कि मुझे कितना अच्छा लग रहा है और कितना मजा आ रहा है.
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मैं बहुत ही खुश हो गया और जोश में जोर से माँ की चूत में धक्के मरने लगा. जोश में मेरे मन से यह निकल गया कि मैं जिम्मी का रोल कर रहा हूँ। मैं माँ को अपनी बाँहों में कसता हुआ बोला।
"हाँ मुझे भी आपकी चूत मारने में बहुत मजा आ रहा है. आपकी चूत न जाने कब से चुदी नहीं है तो इतनी टाइट है कि जैसे किसी सोलह साल की लड़की की अनचुदी चूत हो, आपकी चूत मार कर तो मै धन्य ही हो गया मम्मी। "
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अचानक मेरे मुंह से मौसी की जगह मम्मी शब्द निकल गया.
मैं तो एकदम से घबरा गया पर जो होना था वो तो हो चूका था. माँ ने भी जब "मम्मी" शब्द सुना तो जैसे एकदम सुन्न हो गयी और उनका शरीर भी एकदम से ठंडा पद गया. उन्होंने एकदम मेरी बाँहों से निकलने की कोशिश करी।
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