कॉलेज में इसी तरह 3 महीने बीत गए। एक दिन कॉलेज के कैंटीन में हम दोनो बैठकर खाना खा रहे थे तभी मुझे पीछे से किसी ने पुकारा। रोहित ,रोहित .....। मैने पीछे मुडकर देखा तो मेरी मम्मी मुझसे मिलने कॉलेज आई थी। मम्मी को ऐसे अचानक देख मुझे बहुत खुशी हुई। मैने जाकर मम्मी के गले लग गया।
मम्मी आप यहां अचानक कैसे आई।
मम्मी – बेटा तुम्हारी काफी याद आ रही थी इसीलिए मिलने चली आई।
मैं – अच्छा किया मम्मी मुझे भी आपकी याद आ रही थी। मम्मी यह मेरा दोस्त है, सूरज। जिसके बारे में मैने आपको बताया था।
सूरज – नमस्ते आंटी।
मम्मी – नमस्ते बेटा। रोहित ने तुम्हारे बारे में बताया था। तुम भी रोहित की तरह काफी होशियार हो। इसी तरह दोनो साथ पढ़कर जिंदगी में सफल होना।
सूरज– थैंक्स आंटी।
मम्मी ने मुझे बताया कि वह शहर में कुछ काम के लिए आई है और काम खतम होने के बाद सोचा की मुझसे मिलती हुई चली जाए।
एक दो घंटे बाद मम्मी वापस घर के लिए निकल गई।
कॉलेज से कमरे पर आने के बाद हम रात में सोने से पहले ऐसे ही थोड़ा मनोरंजन के लिए कभी मूवी देखते या कभी कभी सूरज अपना कोई नोवेल पढ़ता। सूरज को पढ़ने का काफी शौक था। वह इंटरनेट पर भी ब्लॉग रीडिंग करता था। एक रात जब हम सो रहे थे तब रात में मुझे काफी प्यास लगी थी। मैं पानी पीकर जैसे ही सोने लगा मुझे सूरज के मुंह से हल्की आँह सुनी, कमरे की हल्की रोशनी में मैने जब उसको देखा तो दंग रह गया उसके पैंट में उसका लन्ड सीधा खड़ा होकर तंबू बना रहा था। उसका हाथ उसके लन्ड पर था जिसे वह धीरे धीरे दबा रहा था। कुछ देर बाद उसकी सिसकियां तेज होकर बंद हो गई। उसके पजामा आगे से काफी गीला हो गया जो उसके वीर्य का नतीजा था। मैने सोचा कि मुझे इसपर ज्यादा ध्यान नहीं देना चाहिए। ये सब प्राकृतिक है। वैसे भी इतने दिनो में आज पहली बार उसे ऐसे हालत में देखा है उसने कभी मेरे सामने ऐसे हरकत नही की। पर मेरे दिमाग से उसके पजामे में फूले मोटे लन्ड की तस्वीर जा नही रही थी। मेरे मन में ये सवाल कोंधने लगा की आखिर सूरज किसके सपने देख रहा है जिससे उसका लन्ड काफी सख्त हो गया। यही सब सोचते हुए कुछ ही देर में मैं भी नींद की आगोश में चला गया।
सुबह जब मैं उठा , सूरज का बिल्कुल नॉर्मल तरीके से व्यवहार कर रहा था। शायद उसे पता नही की मैने रात को उसे देखा था। या फिर जो भी हो रहा था वो सिर्फ अपने सपने में हुआ समझ रहा था। ऐसे ही एक सप्ताह बीत गया। एक दिन सोने से पहले में मेरे लैपटॉप में कोई मूवी देखने के लिए फोल्डर में सर्च कर रहा था, पर कौनसी मूवी देखे ये समझ नही आ रहा था तो मैंने सूरज से पूछा। सूरज ने मेरे लैपटॉप में फोल्डर में चेक करने लगा । उसमे एक फैमिली फोल्डर के नाम से एक फोल्डर था। सूरज ने मुझसे पूछा की इसमें क्या है। मैने उसे बताया कि उसमे मेरे घर के फंक्शन के फोटो और वीडियो है। सूरज उस समय एक दुविधा में दिखाई दिया कि वह उस फोल्डर को खोले या नहीं। मैने उसे कहा कि अगर तुम देखना चाहते हो तो देख सकते हो , पर सूरज ने न बोलकर दूसरे फोल्डर देखने लगा। उसने मुझे कहा कि तुम हमेशा मूवी देखते हो आज मेरी पसंद का कुछ ब्लॉग पढ़ते है। मुझे कई ब्लॉग और नोवेल पढ़ना पसंद है ऐसे नेट पर तुम्हे भी पसंद आएगा। मैने भी हां कहा क्योंकि मेरे लैपटॉप में कोई मूवी बची ही नही थी जो मैने न देखी हो। हम रूम की लाइट हल्का कर बेड पर पास पास पैर फैलाकर और पीछे बेड का सहारा लेकर लेट गए। सूरज ब्लॉग सर्च करने लगा सूरज ने कोई फैमिली ब्लॉग ओपन किया। हम दोनो ब्लॉग पढ़ने लगे लगभग आधे घंटे बाद एक ब्लॉग खतम हुआ। मुझे भी अच्छा लगने लगा। फिर मैंने कोई दूसरा ब्लॉग सर्च करने के लिया लैपटॉप लिया। मुझे इस बारे ज्यादा कोई अनुभव नहीं था की ब्लॉग किस साइट पर मिलते है। इसीलिए मैंने ऐसे ही कोई फैमिली ब्लॉग सर्च कर दिया। दूसरा ब्लॉग ओपन कर हम दोनो वैसे ही पढ़ने लगे। ब्लॉग के इंट्रोडक्शन में बताया गया था की यह किसी परिवार के बारे में था। बेटा अपने परिवार में सबका लाडला होता है खासकर अपनी मां का। हम दोनो चुपचाप पढ़ना शुरू करते है सूरज तेजी से पढ़ लेता था क्योंकि उसको इसकी आदत था। मैने ब्लॉग पढ़ते समय एक बात नोटिस की ब्लॉग में लड़के ने अपनी मम्मी की सुंदरता के बारे में कुछ ज्यादा ही बारीकी से लिखा था। जैसे की वह क्या पहनती है , उनका श्रृंगार और यह तक की उनके शरीर एक एक अंग के बारे में। ये सब पढ़ मुझे थोड़ा अजीब लगा। मैने सूरज के चेहरे पर भी थोड़ा संकोच देखा। उस ब्लॉग में जिस तरह उसने अपनी मम्मी के बारे में लिखा था उससे मेरे मन में मेरी मम्मी की छवि बन गई। जैसे जैसे ब्लॉग आगे बढ़ता गया उसमे मां बेटे के बीच काफी करीबी बढ़ रही थी और ये करीबियों सामान्य नही थी। ये सब पढ़ते हुए मेरा गला सुख रहा था मुझे काफी प्यास लग रही थी। यह सब पढ़ते हुए मेरी पेंट में लन्ड काफी सख्त हो गया था। मेरी इसी बीच मध्यम रोशनी में सूरज की पजामे की और देखा तो में दंभ रह गया उसका भी यही हाल था। जैसे ही पहला पेज खतम हुआ मैं सोच पड़ गया कि दूसरा पेज खोलू या नहीं। मैने सूरज की तरफ देखा तो वह समझ गया कि मैं क्या पूछना चाहता हुं। उसने धीरे से गर्दन हिलाकर आगे बढ़ने का इशारा किया। मैने अगला पेज खोला और हम मन में कहानी पढ़ने लगे। उस कहानी में बेटा अपनी मम्मी को उसके होंटो पर चुंबन करता है। वह अपनी मम्मी को किसी प्रेमी की तरह चुंबन और आलिंगन कर रहा था। धीरे धीरे दोनो मम्मी बेटा अपने कपड़े निकल कर एक दूसरे को काफी चूमते है और संभोग का आनंद लेने लगते है। ये सब पढ़ मेरा लन्ड काफी कठोर होकर पजामे से निकलने को बेताब हो रहा था। कहानी पढ़ते समय न चाहते हुए भी में अपनी मम्मी की ही कल्पना करने लगा था अपनी मम्मी की कल्पना से मेरे शरीर में एक अलग रोमांच और सिरहन पैदा हो रही थी जिसे मैं अपने लन्ड में महसूस कर रहा था। मुझसे रहा नही जा रहा था। मैने पजामे के अपर से अपना लन्ड पकड़ उसे मुट्ठी में भींचने लगा। मैने सूरज की और देखा तो वह भी यही कर रहा था। इसके साथ ही मेरे दिमाग में फिर वही सवाल आया की सूरज अपने मन में किसकी कल्पना कर रहा है। कहानी में वो बेटा अपनी मम्मी को बेड पर चोदना शुरू कर देता है। यह पढ़ मेरे अंदर अचानक उत्तेजना का ऐसा संचार हुआ की मैने अपना लन्ड पजामे से बाहर निकाल उसे धीरे धीरे सहलाने लगा मुझे देख सूरज ने भी ऐसा ही किया। मैं पहली बार सूरज का नंगा लन्ड देखा। तीन से चार इंच मोटा और छे इंच लंबा और सुडौल। सूरज का लन्ड पूर्वस्राव के कारण चिकना और लिसलिसा होकर हल्की रोशनी में चमक रहा था। अब हाल यह था की हम दोनो बिना किसी शर्म के अपना लन्ड सहला रहे थे। कहानी पढ़ते पढ़ते मेरी सिसकारियां निकलने लगी। मैं अपने उपर पूरा नियंत्रण करने की कोशिश कर रहा था की मै अपने मुंह से मम्मी मम्मी न बोलूं पर मेरा नियंत्रण टूट गया और कुछ ही देर में मैं अपने लन्ड को सहलाते हुए कराहने लगा आह...मम्मी आ...मम्मी। में अपने चरम पर पहुंच गया था और में अपने लन्ड से बहुत सारा गाढ़ा सफेद वीर्य की पिचकारियां निकलने लगा। मेरा हाथ पूरा वीर्य से भर गया। मैने सूरज की और देखा तो वह भी अपने चरम के करीब था। उसने मुंह से अचानक जो शब्द निकाले उन्हें सुनकर मैं दंग रह गया। वो शब्द थे आह.. नीलम आंटी आह... नीलम ....। सूरज ने मेरी मम्मी का नाम लेते हुए अपने लन्ड से काफी भारी मात्रा में वीर्य की धार निकाली। उसने मुझसे करीब दोगुना मात्रा में वीर्य निकाला। इसके बाद वह तेज सांसें लेकर बेड पर लेट गया। कुछ देर बाद मैं गहरी नींद में चला गया। जब सुबह उठा तो तब तक सूरज मुझसे पहले अकेले ही कॉलेज जा चुका था। जब तैयार होकर मैं कॉलेज पहुंचा तो आज क्लास में भी सूरज आगे की सीट पर बैठा हुआ था जबकि हम हमेशा क्लास में पीछे की सीट पर साथ बैठते थे। क्लास मै भी में अपना ध्यान पढ़ाई पर नही लगा सका। मैं सूरज के अलग बर्ताव से परेशान था मै समझ गया शायद सूरज को डर लग रहा है कि मैं उससे कल के बारे मै बात करूंगा। मेरा दिमाग यही सोच रहा था कि क्या सूरज मेरी मम्मी को पसंद करता है। एक बार मेरे अंदर से आवाज आई की ये में क्या सोच रहा हूं। पर अगर वह पसंद नहीं करता तो आखिर में झड़ते समय मेरी मम्मी का नाम क्यों लेता। यह तो सच है कि जब भी हम मैथुन क्रिया के चरम पर पहुंचते है तो अपनी प्रेमिका को याद करते हुए झड़ते है। ये सब बातें के कारण, मुझे सूरज पर गुस्सा आने की बजाय मेरे शरीर में अलग रोमांच पैदा कर रही थी।
कॉलेज खतम होने के बाद जब हम दोनो फ्लैट पर पहुंचे तो सूरज मुझसे आंख बचाकर अपने काम में लगा हुआ था। ऐसे ही दो तीन दिन बीत गए। कुछ दिन बाद सब सामान्य होने लगा सूरज भी मुझसे बात करने लगा। मैने उस विषय पर बात करने के लिए सही समय का इंतजार करना बेहतर समझा। एक दिन हम रात में सोने जाने से पहले बात कर रहे थे। मैने सोचा यही सही समय है सूरज के मन की भावनाओ को जाने का। मैने हिम्मत करके सूरज से कहा सूरज तुमसे एक बात पूछना था। सूरज समझ गया कि मैं क्या पूछना चाहता हूं इसीलिए उसने डरते हुए पूछने की सहमति दी। मैने पूछा, सूरज क्या तुम्हे मेरी मम्मी पसंद है। सूरज थोड़ी देर चुप रहा फिर बोला। हां रोहित मुझे तुम्हारी मम्मी बहुत पसंद हैं। सॉरी यार मुझे पता है कि यह गलत है। लेकिन जिस दिन मैने तुम्हारी मम्मी को कॉलेज में देखा मै उन पर मोहित हो गया था। मैं उन्हे मन ही मन पसंद करने लगा हुं। उसकी बातो से मेरे लन्ड मे एक हलचल सी हुई। अंत में सूरज मुझसे रुहासा होकर माफी मांगने लगा। मैं उसे यह दिखाना नही चाहता था कि मुझे यह अच्छा लगा पर वो मेरा बहुत अच्छा दोस्त था और उसे खोना भी नही चाहता था। इसीलिए मैंने उसके हाथ को पकड़ उससे कहने लगा देखो सूरज में समझ सकता हु इस उम्र में किसी ने किसी की ओर आकर्षण होने लगता है। मुझे इस बात से कोई दुख नहीं है की तुम्हे मेरी मम्मी पसंद है। वैसे भी उस दिन मैं भी उत्तेजना में अपने आपको अपनी मम्मी की कल्पना कर झड़ने से रोक नही पाया था। एक तरह से तो हम दोनो ही एक दूसरे की नजरो में दोषी है और मैं नहीं चाहता कि तुम उस दिन की बात को अपने उपर बोझ बनाकर रखो। इसीलिए मैंने तुमसे बात करना जरूरी समझा। मुझे इस बात की खुशी है कि हम दोनो की पसंद एक ही है। पर कुछ दिनों तुमने जब मुझसे बात नही की तो मैं काफी दुखी हो गया था प्लीज सूरज मेरा कोई और दोस्त नहीं है मैं तुम्हे खोना नही चाहता। इसके बाद में उसके गले लगकर रोने लगा। इस तरह हम दोनो के बीच की सभी शंका दूर हो गई और हम और भी गहरे दोस्त बन गए।