आज सुबह से न जाने मम्मी मुझसे कितनी बार मेरे रिजल्ट के बारे में पूछ चुकी थी। आज मेरे 12 क्लास का परिणाम आने वाला था। मम्मी घर के चौक में इधर से उधर चल रही थी। मुझसे से ज्यादा मम्मी मेरे परिणाम को लेकर चिंतित थी हो भी क्यों न में उनका लाडला बेटा जो ठहरा। गर्मी का समय था मम्मी चलने की वजह से काफी पसीने पसीने भी हो गई थी , जो उनके माथे और गर्दन पर बह रहा था। शाम 5 बजे मैंने लैपटॉप पर परिणाम देखने के लिए साइट खोली। पर अभी भी साइट पर not available दिखा रहा था। मम्मी मेरे पास आकर बैठ जाती है। और टेंशन में होने के कारण फिर से रिजल्ट चेक करने को बोलती है। इस बार फिर मैं अपने लैपटॉप को खोलकर परिणाम देखना चाहा। जैसे ही मैंने साइट खोला रिजल्ट avialble दिखा रहा था। मम्मी को बताकर मैंने साइट पर अपना रोल नंबर डाला। इस दौरान मम्मी मेरे बगल में बैठकर अच्छे परिणाम की प्रार्थना कर रही थी। इंटरनेट की धीमी गति चिंता और उत्सुकता और बढ़ा दी थी। जैसे ही रिजल्ट का पेज ओपन हुआ तो बारीकी से अपने रिजल्ट का अवलोकन करने लगा। शीघ्र ही मेरे चेहरे पर चिंता दूर होकर एक बड़ी सी खुशी में बदल गई। मैने 91 प्रतिशत प्रपात किए। मैने जल्दी मम्मी को रिजल्ट के बारे में बताया तो उन्हें अपने कानो पर विश्वास नहीं हुआ। उनकी आखों से खुशी के आशु निकल पड़े उन्होंने मुझे कसकर गले लगाया और मेरे माथे को चूम लिया। जल्द ही हमने सभी लोगो फोन कर रिजल्ट के बारे में बताया। ये दिन मेरे लिए बहुत सबसे खास था मैने कभी भी इतने अधिक मार्क्स प्राप्त नहीं किए थे।
सॉरी मैं आप लोगो को अपने बारे में बताना भूल गया। में रोहित हूं। ग्रामीण पृष्ठभूमि में पला बड़ा एक लड़का हूं। 18 उम्र की दहलीज पर पिछले महीने ही कदम रखा है। मेरे घर में मेरी प्यारी मम्मी , पापा और केवल मैं हूं। मेरे पापा काम के सिलसिले से ज्यादतार घर से बाहर रहते है। मेरी मम्मी और मैं ही घर पर साथ रहते है। मेरी मम्मी का नाम नीलम है। मेरी मम्मी की उम्र 42 है, पर नियमित खानपान और योग पर ध्यान देने के कारण उम्र मैं छोटी लगती है। उनके शरीर पर दूसरी भारतीय नारी जैसे अधिक चर्बी तो नही है पर अल्प मात्रा मैं उनके पेट और कमर पर थोड़ी चर्बी है। मम्मी का रंग भी काफी गोरा है जब भी मम्मी धूप में बाहर जाती थी तो उनकी त्वचा लाल रंग की हो जाती थी।
12 का परिणाम आने के एक सप्ताह बाद मेरा एक अच्छे कॉलेज में एडमिशन हो गया जो मेरे घर से थोड़ा दूर एक सेहर में था। हॉस्टल में रूम काम होने के कारण सच्ची लोगो को रूम नही मिल पाया इसीलिए मैंने घेर से आना जाना शुरुं किया। में शुरू से काफी शर्मिला लड़का था दूसरे लडको के साथ दोस्ती करने में मुझे थोड़ी हिचकीचाहट होती थी इसीलिए स्कूल टाइम में भी मेरे एक दो दोस्त रहे थे। कॉलेज में मेरे पहले दिन में बिना किसी से बात किए पीछे की सीट पर जाकर बैठ गया। पहला दिन काफी संकोच भरा रहा। घर आने पर मम्मी ने मुझसे मेरे दिन के बारे में पूछा था तो मैंने बस अच्छे होने का बहाना बताकर ताल दिया पर मम्मी मुझे अच्छे से जानती थी की मैं उनसे झूट बोल रहा हु।
मम्मी – देखो बेटा मैं जानती हु की तुम दोस्त बनाने में थोड़े संकोची हो पर अब तुम्हे बाहर के लोगो से मिलना जुलना चाहिए। अगर तुम किसी से बात की शुरआत करोगे तो तुम्हे आसानी से दोस्त मिल जायेंगे।
मैने मम्मी को उनकी बात मानने का वादा किया और अपने की में सोने चला गया।