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Adultery भाभियों का रहस्य

Chutiyadr

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बहुत ही सुंदर लाजवाब और रमणिय अपडेट है भाई मजा आ गया
निशांत के साथ जो हुआ वह एक सपना है या सच अन्नु से पूछने पर भी पता नहीं चला ये अन्नु तो अभी घूमने आई है सबसे पहले उसके साथ ही सेक्स क्यू निशांत गांव में देखता है किसी के भी बच्चा नहीं है उसके दोस्त की भाभी गुंजन निशांत को गांव की जिम्मेदारी के बारे में बताती हैं और वह अपने दोस्त से गुंजन भाभी का नाम लेता है और अंकित उठ कर चला जाता हैं देखते हैं वह क्या करता है नाराज होता है या उसकी सहायता
dhanywad sanju bhai :)
annu kyo fansi iska jawab to update me hi diya hu , kyoki annu bhi nishant ke sath thi :approve:
 

Chutiyadr

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अध्याय 4
एक अजीब सी हालत थी मेरी , मेरे जैसा शर्मीला लड़का जिसे हमेशा ही अपने महत्वकांक्षाओ से ज्यादा परवाह समाज के नियमो की रही थी , अपने सामाजिक रुतबे और इज्जत की परवाह करने वाला मैं ये क्या कर गया था …
मैं भी वंहा से उठा और अपने पुरे कपडे निकाल कर नग्न ही जाकर झरने के निचे खड़ा हो गया , शराब का नशा झरने के ठन्डे पानी के पड़ने से थोडा कम तो हो रहा था लेकिन साथ ही साथ आँखों में गुंजन भाभी का चहरा झूमता जा रहा था , झरने के पानी की कलकल और जंगल का वो शांत वातावरण मिलकर भी मुझे वो चहरा भुला नहीं पा रहे थे , ठन्डे पानी में कुछ देर तक यु ही खड़े रहने से मेरा मन थोडा शांत होने लगा था , लिंग का कसाव भी धीरे धीरे कम पड़ने लगा था लेकिन अपने लिंग में इतनी कसावट मैंने अपने जीवन में पहली बार महसूस की थी , ऐसी जलन ऐसी आग , वासना का ऐसा तूफान मैंने अब से पहले कभी महसूस ही नहीं किया था ..
पानी का जोर बढ़ता हुआ मालूम होने लगा और मैं शांत होकर वंहा से बाहर आया …मेरे मन में एक अजीब सी हलचल मच चुकी थी , एक तरफ वो आग थी जिसमे जलने से भी मुझे एक गजब का आनंद मिल रहा था , दुसरे तरफ मेरा अंतर्मन था जो कह रहा था की ये सब कुछ गलत है , , मेरी सामाजिक चेतना को ये स्वीकार नही था की मैं इस तरह की हरकत करू , लेकिन ये नैतिकता के सारे बोध मिलकर भी मुझे उस पाप को करने से नहीं रोक पा रहे थे , मन में द्वन्द ऐसा छिड़ा की मैं वही बैठ कर रोने लगा , कुछ भी समझ आना बंद हो चूका था , सही गलत का बोध जी मेरे मन से मिट गया हो …
कुछ देर तक रोने से मेरा मन हल्का हो गया , मैंने पहला फैसला किया की मैं जाकर अंकित से माफ़ी मांग लूँगा , लेकिन इसके लिए मुझे उसके घर जाना होगा ??? और वंहा …
नहीं मैं अगर गुंजन भाभी को फिर से देखू और मेरे मन में फिर से उनके लिए गलत विचार आने लगे तो मैं क्या करूंगा ???
मैंने उसे फोन करने की सोची लेकिन क्या वो मेरा फोन उठाएगा ???
मैंने कपडे पहने और अपनी बुलेट घर की ओर बढ़ा दी ..
मैं कुछ ही दूर गया था की गांव के आखिर में पड़ने वाले चाय की टपरी में बैठा हुआ अंकित मुझे दिखाई दिया , वो हाथो में सिगरेट लिए नीचे सर किये बैठा हुआ था ,मेरे बुलेट की आवाज भी उसको उसके विचार से नहीं जगा पाई , वो अपनी ही सोच में गुम था , मैंने गाड़ी रोकी और और उसके पास पहुच गया ..
“अंकित …अंकित “
उसने एक बार नजर उठा कर मुझे देखा , लेकिन वो कुछ भी नहीं बोला
“भाई माफ़ कर दे मैं बहक गया था ..पता नहीं मुझे क्या हो गया था “
वो अब भी कुछ नहीं बोला , बस वो खड़ा हो चूका था और …
चटाक ..
एक जोरदार झापड़ मेरे गालो में पड़ा , मैं लडखडा गया लेकिन सम्हला , टापरी का मालिक एक अधेड़ उम्र का आदमी था वो भी बाहर आ चूका था और बड़े ही आश्चर्य से हमें देख रहा था , उसे भी पता था की मैं कौन हु और ये भी की मैं और अंकित बचपन के दोस्त है …
मैंने इशारे से उसे जाने को कहा ,
“वो मेरी माँ है … तू उनके बारे में ऐसा कैसे बोल सकता है , तू तो मेरे बचपन का दोस्त है ना “
अंकित की आवाज ऊँची नहीं थी , वो बिलकुल सधे हुए अंदाज में बोल रहा था , आवाज इतनी ही तेज थी की सिर्फ मैं सुन सकू ..
लेकिन गुस्से की आग उसके एक एक शब्द में मौजूद थी ..
“भाई मुझे माफ़ कर दे , पता नही क्या हो गया था , प्लीज् घर चल “
मैंने उसका हाथ पकड़ा तो उसने हाथ झटका दिया , मैंने एक बार फिर से उसका हाथ पकड़ा
“प्लीज भाई …”
उसने एक बार मुझे देखा ..
“आज के बाद कभी मेरे घर मत आना , अब से तू मेरा कोई नहीं है “
इतना बोल कर वो फिर से वंहा से पैदल ही गांव की तरफ बढ़ गया था ….
मैं अपना सर पकड़ कर वही रखी बेंच पर जा बैठा …
कुछ देर हो चुके थे मैं वैसे ही बैठा था , अब हवस का तूफ़ान ख़त्म हो चूका था और उसकी जगह आत्मा की ग्लानी ने ले ली थी , आज मैंने अपनी नैतिकता को ताक में रखकर माँ समतुल्य भाभी पर गन्दी नजर डाली थी , आज मैंने अपना एक दोस्त खो दिया था …
“कुवर जी सिगरेट चाय लेंगे “
वही अधेड़ उम्र का आदमी मेरे पास आ गया
“हा काका एक चाय पिला दो और एक सिगरेट भी दे दो ..”
एक हाथ में सिगरेट और दुसरे में चाय की प्याली , दो गहरे कस ने जैसे मुझे पुरे जन्झावातो से निकाल दिया , मैं उठ कर खड़ा हुआ जैसे मुझे अब पता था की मुझे क्या करना है …
पैसा देने के लिए जैसे ही मैं वंहा पंहुचा
“कैसे है कुवर जी…”
मैंने सर उठा कर देखा … सामने जो चहरा था मैं उसे पहचानने की कोशिस करने लगा ..
“अब्दुल ..??? तुम अब्दुल ही हो ना “
मेरे मुह से निकला , ये अब्दुल था मेरे साथ 10th तक साथ पढ़ा था , उसके बाद मैं शहर चला गया
“हा ये मेरी ही दूकान है , अब कभी कभी यंहा बैठता हु “
उसने मुस्कुराते हुए कहा , तभी पीछे से काका आ गए जो की एक जालीदार बनियाइन और लुंगी में थे ..
“ये मेरा बेटा है कुवर जी , बहुत पढ़ लिया अब सोच रहा हु की इसे भी काम में लगा दू “
उन्होंने आते ही कहा
“बहुत दिन बाद आपको देखा कुवर जी “ अब्दुल बोल उठा
“अरे यार तुम तो मुझे कुवर मत बोलो , आखिर हम एक ही साथ पढ़े है “
मैंने पैसे देते हुए अब्दुल को कहा
“आज अंकित को क्या हो गया वो ऐसा गुस्से में था “ अब्दुल ने मुझे छुट्टा लौटते हुए कहा
“क्या पता ??? और तुम बताओ क्या चल रहा है ….”
“कुछ नहीं बस पास के गांव से कॉलेज कर रहा हु “
अब्दुल के चहरे में एक अजीब सी उदासी थी , मुझे याद आया की वो क्लास का टापर हुआ करता था , मैंने 10 तक की पढाई गांव से की थी उसके बाद शहर चला गया था , जब तक यंहा रहा तब तक मेरे दोस्तों में सिर्फ अंकित ही रहा , बाकि किसी से मुझे कोई मतलब ही नहीं रहा , आज बहुत दिन बाद मुझे पुराना बंदा मिला था …
“अच्छा है …”
मैंने बेतकल्लुफी से कहा था
“क्या अच्छा है कुवर , जन्म से अब तक मैं हर क्लास में टॉप करता रहा , कॉलेज में भी मेरे टीचर कहते है की मैं ब्रिलिएंट स्टूडेंट हु , लेकिन मेरी तक़दीर में तो बस इस छोटे से टपरी को सम्हालना ही लिखा है “
उसके बातो में एक अजीब सा दर्द मैंने महसूस किया …
“अरे तो आगे पढो परेशानी क्या है “ मैं अपनी चिन्ताओ को छोड़ कर अब अब्दुल की बातो को सुनने लगा था ,
तभी उसके पिता सामने आये
“अरे कुवर जी , आप भी कहा इन बातो में आ गए … अरे हमारे पास इतने पैसे नहीं है की इसकी पढाई करवाए , चुप चाप ये धंधे को सम्हाले या कोई और काम करके पैसे कमा ले तो इसकी शादी करवा दे .. और ये साला बोलता है की इसे और पढना है , कलेक्टर बनना है .. अरे साला गरीब आदमी का बेटा कभी कलेक्टर बनता है क्या …इतने बड़े सपने काहे को देखना , समझाओ इसे साला कालेज जाकर बिगड़ रहा है “
उसके पिता झुंझला कर बोल उठे और अब्दुल का चहरा और भी उदास हो गया , उसकी उदासी जैसे मुझे चुभने लगी थी ,
“अरे काका एक काम करते है इसे हवेली भेज दो , मैं इसे काम दिलवा दूंगा , बाकि रही पढाई की बात तो वो हम देख लेंगे “
मेरी बात सुनकर दोनों बाप बेटे की आँखे मेरे तरफ उठ गई , अब्दुल का चहरा तो जैसे खिल कर फुल हो गया हो ..
“कुवर बड़ी महेरबानी “ अब्दुल ने हाथ जोड़ते हुए कहा
“अरे तू फिर से कुवर बोला , अबे नाम भूल गया है क्या …”
अब्दुल बस मुस्कुरा कर रह गया था …….
 

Chutiyadr

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अध्याय 5

हवेली आने के बाद भी मैं थोडा बेचैन था , एक दोस्त मैंने खो दिया था और फिर गुंजन भाभी का नशा अभी तक हल्का हल्का सुरूर लिए मेरे जेहन में मंडरा रहा था ..
मैं अभी अपने कमरे में था की अन्नू वंहा पहुची
“अरे कुवर जी आप तो ईद के चाँद हो गए हो , सुबह से जो निकले अभी आ रहे हो “ उसने तंज कसते हुए कहा ..
मैं अभी अभी बिस्तर में लेटा ही था ..
“यार दिमाग मत खराब कर ऐसे भी आज सुबह से दिमाग का भोस…”
मैं इतना बोलते ही चुप हो गया
अन्नू अजीब निगाहों से मुझे देख रही थी
“क्या बोला तू …” उसने किसी खोजी की तरह सवाल किया
“कुछ भी तो नही .. बस आज अच्छा नहीं लग रहा “
“नही नही तूने गाली दी ..”
वो मेरे और करीब आ गई थी
“पागल है क्या मैं कभी गली देता हु क्या ?? अब अजीब सा लग रहा है “
मैंने बात को बदलते हुए कहा , लेकिन जैसे उसपर इसका कोई भी असर नहीं हुआ हो , वो मेरे पास ही आकर बैठ गई और मेरे सर को छूने लगी
“बुखार तो नहीं है , आखिर हुआ क्या है जो ऐसे खुन्नस में बैठे हो “
मैं थोड़ी देर चुप रहा , लेकिन अन्नू मेरी बहुत अच्छी दोस्त थी और वो मुझे बड़े ही परखी नजरो से देख रही थी , उससे मैं झूठ नहीं बोल सकता था लेकिन सच भी नहीं बोल सकता था ..
मैंने बीच का रास्ता अपनाने का सोचा ,,क्यों ना ऐसा सच बोला जाए की आधी बात ही बताई जाए
“वो यार मेरा अंकित से झगड़ा हो गया बस कुछ और नहीं , इसी बात को लेकर थोडा अजीब लग रहा है “
अन्नू अंकित से मिल चुकी थी , मेरे एकमात्र दोस्त को वो भी अच्छे से जानती थी
“अंकित से झगड़ा ??? इतने सालो से तुम दोनों को देख रही हु आज तक तो तुम कभी नहीं झगड़े .. आज आखिर क्या हो गया “
“कुछ नहीं यार वो गुंजन ….” इतना बोलकर मुझे आभास हुआ की मैं तो पूरा सच बता रहा हु , मैं वही चुप हो गया
“गुंजन क्या ??? गुंजन तो उसकी भाभी का नाम है ना “ उसने फिर डिटेक्टिव बनते हुए कहा
“हा गुंजन भाभी … कुछ नही बस वो शराब के लिए …तुझे तो पता है की मुझे यंहा की देशी शराब कितनी पसंद है , भाभी वो देने से मना कर रही थी तो .. बस यु ही झगड़ा सा हो गया “
मैंने अपने तरफ से बात बनाने की पूरी कोशिस की थी , लेकिन शायद मैं सफल ना हुआ
अन्नू मेरे पास आई और मेरे मुह को हल्का सा सुंघा
“शराब तो तूने पि हुई है … बात क्या है कुवर जी …”
उसकी बातो का मेरे पास जवाब नही था और मैं उसे सच नहीं बताना चाहता था
“कुछ नहीं यार तू भी ना .. चल थक गया हु सोने दे “
उसने मुझे अजीब अंदाज में देखा
“साले कितना सोयेगा तू , कल से सो ही तो रहा है “
“प्लीज यार सोने दे न “
उसने एक बार मुझे देखा और बिना कुछ बोले वंहा से चली गई ….
****************
शाम हो चुकी थी और शरीर में एक अजीब सी थकान महसूस कर रहा था ..फ्रेश होकर निचे आया तो वंहा अब्दुल अम्मा के पास खड़ा हुआ दिखा ,
“जब से आया है बस सोते ही रहता है तबियत तो ठीक है न तेरी “
मुझे देखते ही अम्मा ने कहा
“जी अम्मा ठीक है बस थोडा सुस्ती सी है “
“हम्म्म तुमने इसे काम के लिए कहा था ???”
उन्होंने फिर से सवाल दागा ..
“हा वो यंहा का लेखा जोखा करने के काम में इसे लगा देते हो अच्छा हो जाता , गरीब आदमी है और पढने में भी बहुत तेज है , हिसाब किताब अच्छे से देख लेगा “
अम्मा ने एक बार मुझे देखा और एक बार अब्द्ल को , मैंने आज तक किसी की सिफारिस नहीं की थी , उन्होंने हामी भर दी , अब्दुल की आँखों में कृतज्ञता के भाव थे , इस काम के साथ वो अपनी पढाई भी कर पायेगा , मुझे भी इस बात की ख़ुशी थी ….
कुछ देर बाद ही अनु भी वंहा आ गई ,
हम दोनों हेवली के ही बगीचे में बैठे थे ..
“तुम आज बहुत परेशान थे आखिर हुआ क्या है ..”
अन्नू के चहरे की मासूमियत में एक चिंता की लकीर खिंच गई थी ..
“कुछ भी तो नहीं … “
मैंने उसी बेतकल्लुफी के साथ कह दिया , उसने मेरे हाथो को अपने हाथो में ले लिया और मेरे हाथो पर एक किस कर दिया ..
“तुम्हे ऐसे देखा नहीं जाता , तुम हसते खेलते ही अच्छे लगते हो “
उसकी मासूम सी आँखों में पानी का एक कतरा था , हलके काजल लगी आँखों में वो पानी उसकी उज्जवल आँखों को और भी बढ़ी बना रही थी ..
मैंने भी उसके हाथो को चूमा और उसके आँखों में आये पानी को अपनी उंगली से साफ़ किया
तू पागल है क्या क्यों रो रही है , मैंने उसके गालो को सहलाते हुए कहा था ..
उसने एक बार मुझे देखा और हलके से मेरे होठो को चूम लिया , उसके इस कृत्य से मैं थोडा सा चौका ..
सालो से हम साथ थे और हमारे बीच एक गहरी दोस्ती भी थी , हमने एक दुसरे के साथ बहुत समय अकेले बिताया था , प्यार से एक दुसरे को छुवा था , बाते की थी लेकिन दोस्ती की दिवार को कभी लांघा नहीं था , ना ही कभी इस पवित्र रिश्ते को अपनी वासना से बर्बाद करने की कोशिस की थी ..
अन्नू ने मेरे होठो को चूमा था , अगर कोई दूसरा समय होता तो शायद मैं इसे उसके प्रेम की प्रतिक्रिया के रूप में स्वीकार कर लेता , लेकिन आज उसके चुम्मन में एक अजीब सी बात थी , उसके दिल की धड़कने बहुत ही तेज चल रही थी , उसकी चंचल आँखे आज शांत थी और मुझे ही घुर रही थी , उसके आँखों में मेरे लिए विश्वास और प्रेम के अलावा भी कुछ दिखाई पड़ रहा था , ये वो अन्नू नहीं थी जिसे मैं जानता था , ये थोड़ी बेचैन थी , कुछ तो हुआ था इसे ..
“तुम्हे क्या हुआ है …??”
मैंने थोड़े आश्चर्य में भरकर उसे पूछा …
वो चुप ही रही और मुझे ही देखते रही ..
“कुछ हो रहा है निशांत कुछ अजीब सा ,समझ नहीं आ रहा है की क्या हो रहा है , मैंने एक अजीब सा सपना देखा और ….”
वो चुप हो गयी उसके दिल की धड़कने बहुत तेज थी जो की मुझे बाजु में बैठ कर भी समझ आ रही थी ..
“क्या देखा अन्नू ..”
मैंने हलके से उससे कहा ..
“कैस बताऊ … यंहा की ओरते और उन्होंने मुझे …तुम्हारे साथ … छि नहीं मैं पागल हो गई हु “
उसने तुरंत जैसे खुद को सम्हाला और खड़ी हो कर जाने लगी , लेकिन मैंने उसका हाथ थाम लिया ..
“बताओ की तुमने क्या देखा और कब देखा “
मैंने उसे थोड़े कडक स्वर में कहा
“कल रात ही , सुबह मैंने उसे एक सपना समझ कर ध्यान नही दिया , लेकिन अब अजीब सी बेचैनी हो रही है , मेरे दिमाग में अजीब अजीब से ख्याल आ रहे है , दिन भर आँखों में बस …. छि मैं ये क्या सोच रही हु “
वो जैसे खुद को कंट्रोल करने की कोशिस कर रही थी ..
मुझे जैसे कुछ समझ आया कुछ ऐसा ही तो मेरे साथ भी हो रहा था , गुंजन भाभी को लेकर
“आँखों के सामने मेरा चहरा आ रहा है ???”
मेरी बात सुनकर उसने आश्चर्य से मेरी ओर देखा जैसे मैंने उसके दिल की बात कह दी हो ..
“मेरा हाथ छोडो निशांत हमें अब यंहा अकेले नहीं रहना चाहिए , मैं अपने दोस्ती के इस पावन रिश्ते को गन्दा नहीं कर सकती “
उसकी आवाज लडखडा रही थी वो लगभग रोते हुए बोली थी ,मैं उसकी तकलीफ समझ सकता था , एक तरफ नैतिकता और मेरे लिए उसकी दोस्ती की जंजीरे थी तो दूसरी तरफ मन में उठने वाला वो आकर्षण जो अजीब तरह से इतना ज्यादा था की आज मैं खुद अपना आपा खो चूका था , हमारे साथ कुछ तो गलत हुआ था , अन्नू की बात ही इस बात का जीता जगाता गवाह थी , क्या उसने भी वही देखा जो मैंने देखा ???
मैं उससे पूछना चाहता था लेकिन वो इतनी बेचैन थी की मुझे उसके उपर दया आई और उसके लिए चिंता भी होने लगी , अभी तो वो बहकी थी अगर मेरे अंदर भी वो आग जल जाती तो शायद वो हो जाता जो एक दोस्ती के रिश्ते में नहीं होना चाहिए …
मैंने उसका हाथ छोड़ दिया , लेकिन वो वंहा से गई नहीं , मैंने उसे देखा
“अगर मैं तुम्हारे साथ कुछ कर बैठू तो क्या तुम मुझे माफ़ करोगे “
उसने डबडबाई हुई आँखों से देखते हुए कहा , उसकी ऐसी हालत देख एक बार मेरा दिल भी रो पड़ा था …
“तुम्हारे लिए कुछ भी ..तुम जाकर ठन्डे पानी से नहाओ , ये सपना सिर्फ सपना नहीं है ..” मैं बस इतना बोल पाया ,उसने हां में सर हिलाया . मुस्कुराई और हवेली की ओर भाग गई ….

******************************
मैं बेचैन सा बगीचे में ही बैठा था कि मुझे अब्दुल आते हुए दिखाई दिया ..
“भाई धन्यवाद तुमने मेरी बड़ी मुश्किल हल कर दी “
“कोई नहीं यंहा रहकर पढाई कर और कलेक्टर बन , हमें भी तेरे उपर गर्ब होगा “
मेरी आत सुनकर वो मुस्कुराया
“पूरी कोशिस करूँगा … तुम चिंता में लग रहे हो ,क्या बात है , सुबह भी तुम्हारा अंकित से झगडा हो गया ??”
अब मैं उसे क्या बताता …
“तुम यंहा कब से हो …??” मैंने उससे सवाल किया
“जब मैं बहुत छोटा था तभी से मेरे अब्बू अम्मी यंहा कमाने आ गए थे “
“ओह … कुछ श्राप के बारे में जानते हो ??”
“श्राप …??” वो थोडा चौका फिर कुछ सोचने लगा और फिर बोल उठा
“हा सुना तो है की इस गांव में कोई श्राप है लेकिन वो क्या है ये कोई नहीं जानता , और कोई जानता भी हो तो बताता नहीं “
उसकी बात सुनकर मैं हँस पड़ा
“अगर बताता नहीं तो तुम्हे कैसे पता “ मैंने हँसते हुए कहा
“मेरे एक प्रोफ़ेसर ने मुझे बताया था , मनोविज्ञान और दर्शनशास्त्र के प्रकांड विद्वान , परामनोविज्ञान के ज्ञाता , डॉ चुन्नीलाल तिवारी यरवदा वाले … हमारे ही कालेज में मनोविज्ञान पढ़ाते है , और भुत प्रेतों में बहुत ही दिलचस्पी रखते है , यंहा आकर वो कोई शोध भी करने को कह रहे थे ….”
“डॉ चुन्नीलाल …???” मैं शख्स का नाम सुनकर तो लग ही नही रहा था की कोई विद्वान होगा
“हा लोग उन्हें डॉ चुतिया भी कहते है “
मैं उसका नाम सुनकर जोरो से हँस पड़ा
“अबे ये कैसा नाम है ..”
“भाई नाम में मत जा बहुत पहुची हुई चीज है डॉ चुतिया , और सपनो पर तो विशेष महारत है उनकी “
“सपनो पर …???” मैं एक बार को चौका
“हा मनोविज्ञान में सपनो का बहुत महत्व होता है , कभी कोई परेशानी हो तो बताना “
उसकी बात सुनकर मैं कुछ सोच में पड़ गया ..
“अच्छा मिलवा सकता है इस चुतिया से “
वो हँस पड़ा
“बिलकुल कल ही चल …”
अब्दुल जा चूका था और मैं फिर से अपने सोच में खो गया था , दो लोगो को एक सा सपना नहीं आ सकता , लेकिन अन्नू को क्या सपना आया है ये तो मुझे भी नहीं पता था , लेकिन इन दोनों सपनो में कुछ तो समानता थी और शायद ये सपने ही ना हो ..????
क्या मुझे इस डॉ चुतिया के पास जाना चाहिए …??
इसे कैसे पता की गांव में श्राप है , शायद इसे ये भी पता हो की वो श्राप क्या है ???
मैंने फैसला कर लिया ..
चलो मिल ही लेते है डॉ चूतिया से ………….
 

SultanTipu40

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Prime
14,449
19,064
214
अध्याय 3
आँखे खुली तो मैंने खुद को अपने ही बिस्तर में सोया हुआ पाया , पुरे शरीर में दर्द भरा हुआ था , भोर के सूर्य की किरने खिड़की से छानकर सीधे मेरे चहरे पर पड़ रही थी , मैं हडबडा कर उठा कल मेरे साथ जो हुआ था वो मुझे एक स्वप्न की तरह लग रहा था …
मैंने अपने सर को छुवा जहा कल जोरदार वार किया गया था लेकिन वंहा कोई भी दर्द नहीं था ..
मैंने उठ कर बैठ गया और और अपने ही ख्यालो में खोया हुआ कमरे से बाहर आया , निचे सब कुछ सामान्य चल रहा था , बड़े से सोफे में जो की सिहासन नुमा था ,अम्मा आराम से बैठे हुए नौकरों को हिदायत दे रही थी एक बार उनकी नजर मुझपर पड़ी ..
“आज बड़ी जल्दी उठ गए कुवर जी , कल से सो ही रहे हो ,खाने के लिए भी नहीं उठे , शहर में भी ऐसा ही करते हो क्या ??”
उनकी बातो से मेरा सर घुमा ,मैं जो सीढियों से निचे की ओर उतर रहा था तुरंत फिर से उपर चला गया और सीधे अन्नू के कमरे में पंहुचा जो की मेरे कमरे के बाजु में ही था ..
थोड़े देर दरवाजा खटखटाने पर उसने दरवाजा खोला और खोलकर सीधे बिस्तर में जा गिरी ..
“अन्नू अन्नू उठ न यार ..”
मैंने उसे झकझोरते हुए कहा
“सोने दे ना यार तू तो पूरी नींद ले लिया और मुझे इतने जल्दी उठा रहा है … जब से आया तब से तो सो ही रहा था , अब मुझे सोने दे , अम्मा के साथ बात करते रात हो गयी थी ..”
वो इतने बेफिक्री से ये बात कह गई की मुझे खुद पर अचरज होने लगा …
“कल जो हुआ उसके बाद भी तुम इतनी बेफिक्र कैसे हो सकती हो ??”
उसने एक बार मुझे मुड़कर देखा
“कल क्या हुआ ??? ओह अम्मा ने तुम्हे डाटा था की तुम इतने पैसे के साथ आ रहे हो और मुझे भी ले आये .. अब अम्मा डांटती ही रहती है इतना टेंशन क्यों लेना “
मैं सोच में पढ़ गया था , क्या जो भी कल मैंने देखा वो सिर्फ एक सपना था ???
मैं वही बिस्तर में बैठ गया , और अन्नू भी बाजु मुह करके सो गई
“मतलब कल हम नदी के किनारे घुमने नहीं गए थे “ मैंने कुछ सोचते हुए उससे कहा
वो आँखे खोलकर मुझे गुस्से से देखने लगी
“तू जा ना यार क्यों सुबह सुबह दिमाग ख़राब कर रहा है “
मैंने उससे और कुछ भी पूछना सही नहीं समझा और अपने कमरे में चले आया ,अब दो ही चीजे हो सकती थी , पहली की मैं सपना देख रहा था , लेकिन इतना स्पष्ट सपना जो की बिलकुल हकीकत ही लगे ..
ये थोडा अटपटा था , दूसरी चीज हो सकती थी की ये सब सच ही हो और मेरे बेहोश हो जाने के बाद सभी मुझसे झूठ बोल रहे हो , लेकिन अगर सभी आज झूठ बोल रहे हो तो भी ये अजीब था क्योकि अगर कल की बाते सच है तो फिर मुझे सभी भाभियों के गर्भ को भरना था , और इसलिए ही तो उन्होंने मुझे पकड़ा था , फिर यु छोड़ क्यों दिया …
जब कुछ समझ नहीं आता तो सब छोड़ कर अपना काम करना चाहिए , मैंने भी यही करने की सोची और अपने कमरे में जाकर शावर लेने लगा …
नाश्ता करके मैं अपनी बुलेट में घर से निकल गया थोड़ी दूर चलकर मैं एक घर के सामने रुका
“अंकित …” घर के बाहर से ही मैंने उसे आवज दी
अंकित मेरे ही उम्र का लड़का था मेरे साथ बचपन से खेला था , वो भी अपने नाना जी के घर रहता था , तभी मुझे उसकी भाभी निकलते हुए दिखाई दी ..
“अरे कुवर जी आप “
“नमस्ते गुंजन भाभी “
“आइये न अन्दर “
“नहीं भाभी मैं बस अंकित को लेने आया हु “
“रुकिए बाबु को बुला कर लाती हु “
गुंजन भाभी अंदर चली गई और मैं उन्हें देखता ही रह गया , आज से पहले वो मुझे कभी इतनी सुन्दर नहीं लगी थी , अंकित के मामा के दो लड़के थे दोनों की ही शादी हो चुकी थी लेकिन कोई संतान अभी तक नहीं थी , गुंजन भाभी बड़े भाई की बीवी थी … अचानक से मेरे दिमाग में कल की बात पर चली गई , ये बात तो सच है की यंहा के कई लोगो के बच्चे नहीं है और खासकर लड़के तो नहीं है …..
गुंजन भाभी के चहरे में मुझे देख कर एक अलग ही मुस्कान आई थी , साड़ी के पल्लू से उन्होंने अपना सर ढक रखा था लेकिन उनके लाल रसीले होठ और उसमे आई वो मुस्कान मुझे साफ साफ दिखाई पड़ी थी , आँखों के काजल से जैसे उनकी आंखे कुछ बड़ी हो गई हो , और चंचलता से भरे मासूम आँखों ने अनजाने में ही मेरे अंदर कुछ कर दिया था , एक अजीब सी कसक मेरे मन में हुई थी जैसी की मैंने कभी महसूस नहीं की थी ..
मैं उस अजीब सी संवेदना को समझने की कोशिस ही कर रहा था की अंकित घर से बाहर आ गया
“अरे भाई इतने दिनों के बाद आया तू “
वो सीधे आकार मेरे गले से लग गया
“कल मैं हवेली गया था तो मुझे पता चला की तू आया है लेकिन तू सोया था इसलिए तुझे डिस्टर्ब नहीं किया “
“तू कल हवेली आया था ??”
“हा … क्यों ?”
“कितने समय “
“शाम के समय शायद 6-7 बजे “
उसने अपने सर को खुजलाते हुए कहा
चलो एक और आदमी ने मुझे कह दिया की मैं सोया हुआ था …
“चल बैठ घूम कर आते है, माल रख ले “
वो अंदर गया और कुछ सामान लेकर वापस बाहर आया ..
साथ ही गुंजन भाभी भी आई
“अरे कुवर जी कहा जा रहे हो , यही बैठो आपके लिए मुर्गा बना देती हु “
“नहीं भाभी ठीक है .. ऐसे भी जानते हो ना अम्मा को मेरा ये सब करना पसंद नहीं “
वो हँस पड़ी
“आप अम्मा से बहुत डरते हो , अरे खाओगे नहीं तो बल कैसे आयेगा बहुत काम करने है आपको ,पुरे गांव की जिम्मेदारी आपके ही कंधे पर है “
उनकी बात सुनकर मैं एक बार उनको देखता ही रह गया , अब ये जिम्मेदारी वाली बात तो मैं हमेशा से ही सुनता रहा हु लेकिन भाभी आज कौन सी जिम्मेदारी का कह रही थी इस बात का मुझे संदेह था ..
“फिर कभी भाभी “मैंने अहिस्ता से कहा , भाभी जी बस मुस्कुरा गई
अंकित मेरे पीछे बैठा और मैंने बुलेट बढ़ा दी , हमारा एक अड्डा हुआ करता था पहाड़ी के पास का एक छोटा सा झरना जो की कोई 5 किलोमीटर दूर था , अंकित ने सारी चीजे रख ली थी जो की हम अकसर रखा करते थे ..
हमारे गांव में घर घर ही शराब बनाई जाती थी और यंहा शराब पीना एक आम सी बात थी लेकिन अम्मा के सामने मैंने कभी शराब नहीं पि थी ना ही कभी ज्यादा पि कर उनके सामने ही गया था , अंकित के घर में भी शराब बनती थी , और गांव की शुद्ध शराब की तो महक ही कुछ और होती है , एक बोतल में शराब और कुछ खाने का सामान पकड़ कर हम निकल गए थे ,
शराब की बोतल खुली और मैंने एक बार अच्छे से उसे सुंघा
“वाह क्या सुगंध है “ मैंने बोतल को अपने नाक के पास लाते हुए कहा
“अरे तुम शहरी लोग क्या जानो इसका महत्व , तू तो वो बड़ी बड़ी दारू पीते हो “
अंकित पैक बनाने लगा , ये इस गांव में मेरा इकलौता दोस्त था और जब भी मैं यंहा आता तो हम इस जगह पर जरुर आते ..
“क्या हुआ कुवर जी आज थोडा बेचैन लग रहे हो “
दो पैक अंदर जाते ही अंकित की बकचोदी शुरू हो गई थी ,मैं हलके से हँस पड़ा
“बस यार एक अजीब सा सपना आया था कल , थोडा बेचैन हु , तू बता कैसे चल रहा है सब गांव में “
“बढ़िया है सब , ऐसे अपनी एक सेटिंग के बारे में तुझे बताया था न … अरे वही जिसे इसी झरने में लाकर पेला करता था “
मैं समझ गया था की ये किसके बारे में बात कर रहा है ..
“छि बे तू कभी नहीं सुधरेगा ..”
“अरे कुवर जी इसमें छि वाली क्या बात है , लड़के और लडकियों को तो प्रकृति ने ही ऐसा बनाया है की वो सम्भोग कर सके , समझ नही आता आप क्यों इतना दूर भागते है ,या फिर कही ऐसा तो नही की हमारे सामने ही ये शराफत दिखाते हो और शहर में घपघप करने में डिग्री ले रखी हो “
मैंने पास रखा कंकड़ उसे दे मारा वो हँसने लगा
“इतनी अच्छी पर्सनाल्टी है भाई तेरी , इतना पैसा है तेरे पास , और अम्मा का रुतबा .. इस गांव के लोग तुझे कुवर कहते है , किसी भी लड़की के उपर हाथ रख दे न तू तो कोई ना नहीं बोलेगी और तू है की साधू बना बैठा है “
अंकित मुझपर ऐसे तंज अक्सर कसा करता था , मैं भी उसे कभी सीरियस नहीं लिया लेकिन आज ना जाने उससे दिल की बात कहने का मन कर रहा था ..
आँखों के सामने गुंजन भाभी का चहरा घूम रहा था और मैं अंकित को कहना चाहता था की मैं किसी और को नहीं तेरी प्यारी भाभी के साथ सम्भोग करना चाहता हु ..
क्या सच में मैं ऐसा चाहता था ..??? मुझे सच में ये नहीं पता था की मैं क्या चाहता था लेकिन घूँघट की आड़ से झलकता गुंजन का चहरा मेरे अंदर कुछ हिला रहा था , मैं अब वैसा नहीं था जैसा मैं पहले हुआ करता था , और उपर से देसी शराब का वो हल्का हल्का सुरूर ..
अंकित मेरे चहरे को जैसे पढ़ रहा हो ..
“भाई कुछ तो हुआ है तुझे तू ऐसा तो नहीं था ,”
“कुछ नही हुआ मुझे “ मैंने उसकी बात को टालते हुए कहा
“नहीं कुछ तो बात है , अरे भाई समझ कर बोल दे , आखिर हम बचपन के दोस्त है , भले ही ये बात अलग है की तू कुवर है और मैं एक गरीब लड़का “
उसने मुह बनाया
“चुप बे .. जब देखो नाटक करता रहता है कुछ भी तो नहीं हुआ है मुझे , चल एक पैक और दे “
वो हलके से हँसा
“कुवर जी चहरे से दर्द छिपा लोगे , दिल में दर्द दबा लोगो लेकिन नीचे का क्या करोगे …तुम्हारा दर्द खड़ा हो गया है , ना जाने किसके बारे में सोच रहे हो हा हा हा “
वो जोरो से हँस पड़ा , मैं सकपका कर नीचे देखा तो मैंने महसूस किया की मेरा लिंग तना हुआ मेरे पेंट में तम्बू बनाये हुए है ..
गुंजन भाभी के बारे में सोचने मात्र से मेरा ये हाल हो गया था , मैं बचपन से ही शराफत की मूरत की तरह जिया था , इस उमंग को स्वीकार करना भी मेरे लिए बहुत भारी था ..
मुझे संकोच में सकुचाते हुए देखकर अंकित थोडा गंभीर हो गया .
“भाई तू मेरा दोस्त है , मेरे भाई जैसा है तुझे ऐसा देखकर दुःख लगता है , माना तू शराफत की मूरत है लेकिन अब तो तू जवान हो गया है , यार अपने अंदर की आग को स्वीकार कर वरना ये तुझे जला जाएगी …”
अंकित को इतना गंभीर होकर बात करते मैंने कभी नहीं देखा था , मैं उससे थोडा खुलना चाहता था ताकि मेरा भी बोझ थोडा हल्का हो जाए ..
“पता नहीं यार मुझे ये क्या हो गया ..”
मेरा सर शर्म से झुक गया था , वो हँस पड़ा
“अबे तू लड़की है क्या जो इतना शर्मा रहा है , इतना तो मेरी वाली भी नहीं शर्माती , और लौड़ो का खड़ा नहीं होगा तो क्या होगा , लेकिन मुझे एक बात सच सच बता की आखिर किसके बारे में सोच रहा था जो ऐसा बम्बू बन गया “
“अबे छोड़ ना “
“अच्छा हमारे गांव की है क्या ??” उसने बड़े ही उत्सुकता से पूछा
मैंने हां में सर हिला दिया ..
“साले तू तो बड़ा हरामी निकला , ऐसी कौन सी लड़की है जिसे देख कर कुवर का खड़ा हो रहा है ?? शादी शुदा की कुवारी ???”
वो मुझे जांचने की निगाहों से ही देख रहा था
“अबे छोड़ ना पैक बना ..”
“ओ साला यानि की शादीशुदा है , सच में कुवर जी आप तो पहुचे हुए निकले …कौन हो सकती है ,समझ गया जरुर कामिनी भाभी होगी , उसे देखकर तो मेरा भी खड़ा हो जाता है , वही है ना “
अंकित की उत्सुकता बहुत बढ़ गई थी
“अबे छोड़ न “
“भाई बता ना … जो भी तू बोल एक बार उसे यही झरने में लाना मेरा काम है तुझे दिलवा कर रहूँगा “
मैं सोच में पड़ गया था की आखिर इस गांडू को कैसे बताऊ की वो कोई और नहीं उसके ही घर की ओरत है जिसे ये माँ की तरह मानता है , अंकित जैसा भी हो लेकिन वो अपने भाइयो का बेहद आदर करता था आखिर जन्म से ही वो उनके घर में रहता था , वही वो अपनी भाभियों को अपनी माँ की तरह इज्जत करता था , ये बात उसने कई बार मेरे सामने कही भी थी … एक तरफ वो मुझे बार बार जोर दे रहा था , दूसरी तरफ मैं एक दुविधा में फंस चूका था ..
उसने मेरे सामने एक पैक बढ़ा दिया
“ये गटक जा तुझे हिम्मत आ जाएगी , चल मैं कसम खाता हु की तू जिस भी ओरत के कारन खड़ा करके बैठा है उसकी मैं तुझे दिलाऊंगा “
मैंने एक ही साँस में वो पैक पि गया , मेरे आँखों में खुमार चढ़ चूका था और साथ ही सामने गुंजन भाभी का चहरा भी घूम रहा था , नशा और हवास दोनों का काकटेल बहुत ही खतरनाक होता है , वही हालत मेरी भी थी , दिल जोरो से धडकने लगा था , दूसरा अंकित की बाते ..
“यही उसे चोदना , इसी पत्थर में झरने की आवाज और उस लड़की की चीख वाह भाई मजा ही आ जायेगा और वो भी कोई गदराई हुई भाभी हो गई तब तो मजा दुगुना ही हो जायेगा , अब बता भी दे की वो खुशनसीब कौन है जिसे कुवर जी का मिलने वाला है “
मैंने एक बार आंखे बंद की और मेरे मुह से निकल गया
“गुंजन भाभी …”
माहोल में एक शांति छा गई थी , अंकित का मुह खुला का खुला रह गया था , मैंने अपने लिंग पर अपना हाथ रखा और उसे जोरो से मसल दिया ..
“आह ..सुनना चाहता था ना , तो सुन अब , हा जब से उसे देखा हु तब से बेहाल हो रहा हु , अब बता दिलवाएगा ,लायेगा उसे यंहा “
मैं हवस और शराब के नशे में डूबा जा रहा था
वही अंकित सकते में था, वो कुछ भी बोलने को असमर्थ था, उसका चहरा पीला पड़ चूका था , गुस्से से ज्यादा आश्चर्य उसके चहरे पर झलक रहा था , वो झटके से खड़ा हो गया और बिना कुछ कहे ही पीछे मुड़कर जाने लगा , मुझे एक बार को होश आया की मैंने क्या कह दिया है लेकिन अब देर हो चुकी थी …
शायद मैंने अपने बचपन का दोस्त खो दिया था ,...
Super shandaar Update bhaiya jii

Lagta hai sabhi ne mil kar Nishant ko burbak bana diya jo ab Nishant ko bhi yekin hone lagta hai

Ye sale ankit ko chul machi thi janne ke liye achha kiya Nishant ne bata diya ab dekhte hai Ankit kya karta hai kya wah apni maa jaisi bhabhi ko Nishant ko chodne data hai ki nahi
 

Chutiyadr

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Super shandaar Update bhaiya jii

Lagta hai sabhi ne mil kar Nishant ko burbak bana diya jo ab Nishant ko bhi yekin hone lagta hai

Ye sale ankit ko chul machi thi janne ke liye achha kiya Nishant ne bata diya ab dekhte hai Ankit kya karta hai kya wah apni maa jaisi bhabhi ko Nishant ko chodne data hai ki nahi
dhanywad md bhai ...:)
update 4-5 bhi daal diya hu lage hatho padh lo use bhi :approve:
 
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