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Romance भंवर (पूर्ण)

Chutiyadr

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Update:-16


तभी सायलेंसर में दबी गोली चलने की आवाज और आरव हंसता हुआ… "जब जान पर बन आती है तो ऐसे ही कहानियां बनने लगते है। जब उनसब का नंबर भी अा ही रहा है, तो मुझे क्यों इस बात की फ़िक्र की उन्हे शक हुआ या नहीं हुआ। उन्हें पता चला या नहीं चला.. ट्रिगर दबाव खेल खल्लास, अब अगले का नंबर आने दो"

"अबे !!! पूरा कान सुन कर दिया। तू चाहता क्या है"… थोड़ा डर और गुस्से के बीच, निकली उस शूटर की आवाज़।

आरव:- आज मेरा मूड बहुत अच्छा है इसलिए तुझे मारने से पहले सोचा तुझ से कुछ बाते कर लूं। वैसे नाम क्या है तुम्हारा और शूटिंग में कौन से झंडे गाड़े है वो बता।

शूटर:- मेरा नाम वीरभद्र सिंह है, उदयपुर से हूं। मैंने शूटिंग में प्रशिक्षण लिया है और ये मेरा पहला काम था। लेकिन मैं अभी ये सोच कर परेशान हूं की तू वहां भी है और यहां भी, ये कैसे संभव हुआ।

आरव अपना पिस्तौल पीछे कमर में खोंसकर उसेके सिर पर एक हाथ मारते बोला… "अभी मैं बात करना चाह रहा हूं ना, तो मेरे बातों का बस जवाब दे। गोली मार दी हुई होती, तो साले सस्पेंस में ही मर जाता"

मौका अच्छा था, वीरभद्र ने जैसे ही देखा पिस्तौल उसने पीछे रख लिया, फुर्ती दिखाते उसने अपनी पिस्तौल निकाल ली और सर पर तानने की नाकाम कोशिश। जैसे ही वो अपना हाथ घुमाकर आगे के ओर लाया, आरव ट्रिगर में फंसे उंगली को हल्का ऊपर की ओर मोड़ दिया, दूसरे हाथ से एक धारदार खंजर उसके गले पर रखकर…

"अभी मैं अपना हाथ का दवाब थोड़ा और बढ़ा दूं, तो एक तरफ तेरी ट्रिगर दबाने वाली उंगली ऐसे टूट जाएगी की फिर तू नकारा हो जाएगा। और कहीं ये वाले हाथ का दवाब बढ़ा दिया तो तेरे आगे स्वर्गवासी का टाइटल लग जाएगा। जल्दी बता कौन सा ऑप्शन तुझे पसंद आया"

वीरभद्र:- इनमें से कोई नहीं। बात करते हैं ना।

आरव उसके हाथ से पिस्तौल लेकर इतने तेजी के साथ पिस्तौल के एक-एक पुर्जे को अलग किया कि वीरभद्र अपनी आंखें चौड़ी कर बस देखता ही रह गया। उसने अपने दोनो हाथ जोड़ कर उसे नमन करते हुए पूछा… "देखने में लड़के जितने और अंदर ऐसी क्षमता। आज से आप मेरे गुरु और मैं आप का चेला, प्रभु।

आरव:- अब जाकर तूने कुछ ऐसा कहा जो मेरे कानो को पसंद आया है। अब जरा जल्दी-जल्दी में बक की तुझे यहां किसने भेजा और तुझे कौन सा काम सौंपा गया था?

वीरभद्र:- मुझे और मेरे साथ एक और शूटर, जिसे मैं जानता नहीं, उसे विधायक भूषण जी ने भेजा है। मेरा काम बस आप के कमरे में नजर बनाए रखना था और पल-पल की खबर विधायक जी को देनी थी।

आरव:- पल-पल की खबर.. अबे ये बता तू पल-पल की खबर के लिए ये फोन लाइन हमेशा चालू रखेगा, तो तेरी फोन कि बैट्री ना डिस्चार्ज होगी। और क्या वो इतना फुर्सत में है कि पूरा दिन तुझे सुनता रहेगा।

वीरभद्र अपना फोन बाहर निकाला और साथ में बैग खोलकर बैट्री चार्ज करने की व्यवस्था दिखाते हुए कहने लगा.. "भाई 5 पॉवरबैंक अपने साथ लाया हूं और उधर विधायक चाचा थोड़े ना कान लगा कर सुन रहे हैं। वहां एक लड़का है जो हमेशा हमे सुनता रहता है। कोई इमरजेंसी वाली बात हो तो वो विधायक चाचा से बता देता है"।

आरव:- वह !! शाबाश !! क्या उम्दा टेक्नोलॉजी है। वैसे ये विधायक, चाचा कब से हो गए रे।

वीरभद्र:- वो मेरे दूर के रिश्तेदार हैं और उन्होंने ही मेरे प्रशिक्षण का पूरा खर्चा उठाया था।

आरव:- मदर*** हरामि.. मतलब तुझे शूटर बनाया उसने और कुछ पढ़ाई लिखाई भी करवाई है या नहीं।

वीरभद्र:- अरे पढ़ाई लिखाई करके क्या करेंगे गुरुदेव। अंत में तो पैसे ही कमाने है, और देखो, इस काम के लिए उन्होंने मुझे 1 लाख रुपए भी दिए है।

आरव:- हम पंछी एक ही वृक्ष के है बस डाल अलग-अलग। अच्छा सुन तुझे कभी ये नहीं लगा कि तू अपने ज़िन्दगी में कुछ अच्छा भी कर सकता था।

वीरभद्र:- मै इससे भी अच्छा क्या करता?

आरव:- साले पूरा गोबर ही हो। अबे 1 लाख के लिए यहां अा गया और मैंने तुझे गोली मार दी होती तो क्या वो 1 लाख अपने छाती पर लाद कर ले जाता। तुझे इतनी भी समझ नहीं की वो तुझे मारने के लिए यहां भेजा है।

वीरभद्र:- अपने को काम चाहिए बस, इतना नहीं सोचता। आपने धोका दिया वरना मेरे निशाने पर तो पहले आप ही थे। अब बताओ की कौन मरता और कौन मारता।

आरव:- बस बहुत हुआ.. तुझ से बात करूंगा तो मेरा भेजा फ्राई हो जाएगा। ये बता मेरे लिए काम करेगा।

वीरभद्र:- आप मुझे गद्दारी करने के लिए कह रहे है।

आरव:- मैंने गोली चलाई और तू मर गया यानी तेरी पिछली जिंदगी भी उसी के साथ मर गई। अब मैंने तुझे जिंदगी बक्शी तो इस हिसाब से तू किसका वफादार हुआ।

वीरभद्र:- हां ये तो मैंने सोचा ही नहीं। बिल्कुल गुरुदेव अब से मेरी वफादारी आपकी, जबतक की मैं मर ना जाऊं।

आरव:- फ़िक्र मत कर तुझे हम मरने नहीं देंगे। अच्छा ये बता तूने अबतक कोई मज़े किए हैं कि ना किए।

वीरभद्र:- कैसे मज़े..

आरव:- अरे वही छोड़े, लड़कियों के साथ मज़े..

वीरभद्र शर्माते हुए… जी नहीं गुरुदेव अब तक तो मैंने किसी को छुआ तक नहीं

आरव:- पहले तो तू ये गुरुदेव बुलाना बंद कर, मेरा नाम आरव है। और हां आज रात तू तैयार रहना..

वीरभद्र:- किसलिए गुरुदेव.. अरे माफ़ करना. किसलिए आरव.. किसी को मारना है क्या…

आरव:- नहीं रे भोले.. तुझे मज़े के लिए तैयार रहने कह रहा हूं। फिलहाल चल जरा उस दूसरे शूटर से भी हाय-हेल्लो कर आते हैं।

वहां से निकलने से पहले आरव ने वीरभद्र से कॉल लगवाया और बहाने बनवाते हुए कहलवा दिया कि, "बिल्कुल सुदूर इलाका है नेटवर्क आते जाते रहता है, अपने लोकेशन पर हूं और मेरे ठीक सामने टारगेट है"। फिर वहां से निकलकर वो लोग चढ़े उस हल्ट स्टेशन की छत पर।

ये वाला शूटर थोड़ा अनुभवी और ढिट भी था। तकरीबन 22 हत्याएं कर चुका था और जमील का खास पंटर था। आरव ने उसे 10 करोड़ के डील पर सेट किया और 5 करोड़ एडवांस में दे दिए। चूंकि इस शूटर पर यकीन नहीं किया जा सकता था इसलिए आरव ने चुपके से उसके गन में एक छोटा सा जीपीएस यंत्र और साथ में एक माइक्रोफोन चिपकाकर वीरभद्र के साथ वापस लौट आया।

रिजॉर्ट लौटकर वीरभद्र कुछ सोचते हुए आरव से कुछ पूछने कि कोशिश करता है लेकिन आरव उसे चुप रहने का इशारा कर अपने साथ लाए कुछ यंत्र बैग से निकालने लगा। बिल्कुल छोटे और मक्खी के अाकर का माइक्रो डिवाइस जो देखते ही देखते उड़ कर वहां से गायब हो गई और थोड़े देर बाद तकरीबन 50 से ऊपर वैसी ही मक्खियां वापस लौट आई जिसे आरव ने एक छोटे से बॉक्स में पैक करके चार्ज होने के लिए छोड़ दिया।

ये वही डिवाइस थे जो अपस्यु के वीपीएन से कनेक्ट था और पूरे चप्पे चप्पे पर वो इसी से नजर बनाए हुए था। आरव डिस्चार्ज हुए डिवाइस को चार्ज में लगा चुका था और उसकी जगह बैकअप डिवाइस छोड़ चुका था।

आरव:- हां भाई वीरे अब बताइए क्या पूछ रहे थे।

वीरभद्र:- भाई यही सब पूछने कि कोशिश कर रहा था कि आप कर क्या रहे हो।

आरव:- कुछ नहीं बस मक्खियां उड़ाने का शौक है वहीं पूरा कर रहा था। चल अब जरा तफरी कर आया जाए। और हां साथ में वो दूसरा बैग भी लेे लेना।

वीरभद्र:- इसमें क्या है आरव..

आरव:- कुछ और छोटे बड़े कीड़े, इन्हे जरा बाहर इनकी सही जगह छोड़ आऊं।

आरव वीरभद्र के साथ निकाल गया। इधर अपस्यु भी थोड़ा निश्चिंत मेहसूस करते हुए अपने बदन की जांच करके देखने लगा। पसलियां जुड़ना शुरू हो चुकी थी। हाथ की हड्डी भी लगभग जुड़ने को अाई थी। दिक्कत बस पाऊं की हड्डियों में था, शायद पाऊं की हड्डी जुड़ने में अभी कुछ दिन और लगने वाले थे।

लगभग सुबह के 11 बजे होंगे जब सभी न्यूज चैनल के ब्रेकिंग न्यूज में एक ही समाचार अा रहा था… "नागपुर के पूर्व सांसद और केंद्रीय मंत्री त्रिवेणी शंकर का हार्ट अटैक से निधन, पूरे देश में सोक कि लहर"… अपस्यु इस खबर को देख कर मुस्कुराया… "वह रे पैसा तू कुछ भी करवा सकता है".. अपस्यु इस खबर पर मुस्कुरा ही रहा था कि तभी उसके फोन की घंटी बजने लगी… "मुझे उम्मीद ही थी इसकी"

अपस्यु, अपना कॉल उठाते… "जी सर मैंने खबर देख लिया, लेकिन अभी तक वन डाउन ही हुआ है, दूसरे की खबर कब सुना रहे"…

जमील:- दूसरा कोई राह चलता आदमी नहीं है, उदयपुर का सीटिंग एमएलए और राजस्थान का शिक्षा मंत्री है, थोड़ा वक़्त चाहिए होगा इसके लिए।

अपस्यु:- चलो ठीक है दिया वक़्त, लेकिन ये तो बताओ कि उस पूर्व केंद्रीय मंत्री को उड़ाया कैसे।

जमील:- देख छोटे ये धंधे के राज तो मैं अपनी बीवी को नहीं बताता इसलिए इसका जवाब मै नहीं दे सकता। बस तू काम होने से मतलब रख। जो जिस हैसियत का है, उसकी मौत उतने ही सन्नाटे में, बिना किसी शक के होगा।

अपस्यु:- चलो नहीं पूछता मैं धंधे कि बात लेकिन जल्दी से बचा काम कर दो और अपने पैसे लेकर जाओ।

जमील:- देख अब हम पार्टनर हो गए हैं तो एक दूसरे पर भरोसा करते आना चाहिए इसलिए मैं चाहता हूं कि तू वो बाकी के पैसे मुझे देदे।

अपस्यु:- हाम्म, ठीक है कुछ वक़्त दो मै इसपर सोच कर बताता हूं।

अपस्यु उससे बात ख़त्म कर जोर जोर हंसने लगा और फिर पूरी ताकत झोंक दी अपनी आवाज़ में….

व्यापार में फसे या गलत कारोबार में फसे
जहां घिरे वहीं फसे, फसे तो बस फंसते रहे
हर मोड़- मोड़, हर डगर- डगर

भंवर है ये भंवर- भंवर....​
bilkul si-fi wala update :superb:
last line mast thi ,bhawar hi bhawar hai bhawar hai ... :good:
meri taraf se aur kuchh
kahar hai kahar hai kahar hai :makeup:
jahar hai jahar hai jahar hai :lol1:
sucker hai sucker hai sucker hai :yikes:
fucker hai fucker hai fucker hai :sex:
oops ye to romantic tag wali story hai , bhool gaya the :hide2:
 
Last edited:

ajay reddy

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Apsyu khel gaya khel aur triveni ki saase ho gayi fail

Aarav ki chalaki aur kar diya usko uske hi game se khali maza aa gaya padh kar
Yem makkhii ne toh kamal kar diya aaj warna aarav ka kaam tamam bhi ho sakta tha aaj


Aur last ki line bahot sahi thi
Waiting for next
 

nain11ster

Prime
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Update:-17



अपस्यु जमील से बात करने के बाद सीधा आरव से संपर्क किया। दोनों के बीच पूरी योजना पर पुनर्विचार होने लगा, जिसका मुख्य बिंदु था सिटिंग एमएलए और शिक्षा मंत्री भूषण, जिसके कत्ल के बाद भारत की सभी सुरक्षा एजेंसी उनके कातिलों के पीछे लग जाती। फिर चाहे कातिल कितने भी शातिर क्यों ना हो गुत्थी तो वो सुलझा ही लेते। इसी चिंता को दूर करते आरव ने आश्वासन दिया कि "मारना तो उसे होगा ही लेकिन हम तक कोई पहुंच ना पाए इस बात का पूरा इंतजाम हो गया है"। अपस्यु ने उसे अपना ध्यान रखने के लिए बोलकर फोन काट दिया और खुद पर ही नाराजगी जताने लगा।

कुछ देर बाद जमील के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए, अपस्यु ने उसे इंदौर भोपाल के हाईवे के बीच स्थित एक लोकेशन से कल ही अपने पैसे उठवा लेेने के लिए बोल दिया, हालांकि जमील को उस जगह के बारे पहले से सब पता था। सारी बातें तय ही गई और पैसे उठने में लिए अगली सुबह के 10 बजे का मुहूर्त निकला।

तकरीबन 3 बजे साची और लावणी अपने कॉलेज से लौट रही थी। साची बीती रात तो लावणी से बच गई, सुबह भी इतनी जल्दी में निकले की लावणी कुछ पूछ ना पाई, लेकिन अभी वक़्त भी सही था और मौका भी। क्योंकि अभी स्कूटी से भाग कर जाती कहां.. लावणी, साची की छेड़ती हुई पूछने लगी… "क्यों दीदी तो तुम्हे तुम्हारा बॉयफ्रेंड मिल ही गया"

साची:- मुझे तो लगता है मुझे से पहले तूने बाजी मारी है। तुम्हारी बात तो किस तक भी पहुंच गई।

लावणी (हे भगवान, लगता है उस आरव के बच्चे ने दीदी को भी तस्वीरें दिखा दी क्या)… हुंह ! कोई कुछ भी कहेगा और आप मान लोगी क्या?

साची:- अच्छा जी !! किसी के कहने पर मैं क्यों मानु, मुझे तो तुमने ही बताया था..

लावणी (मैंने बताया था, लेकिन कब। कहीं दोबारा तो मैंने 180ml तो नहीं चढ़ा लिया था.. नाना कुछ तो गड़बड़ है)

साची:- क्यों क्या हो गया मेरी भूटकी को, दोबारा से चुम्मिं के ख्यालों में डूब गई क्या? वैसे मैं बता दूं कि चुम्मी का ख्याल भी आए ना तो मत करना क्योंकि आरव अभी दार्जिलिंग गया हुआ है।

लावणी:- दीदी तुम मेरी कसम खाकर कहो तो, मैंने ऐसा भी कुछ तुम्हे बताया था।

साची:- ओह मतलब बताया नहीं लेकिन किया तो है ना।

पूरे रास्ते साची तो स्कूटी से नहीं भागी लेकिन लावणी की छिलाई जरूर चालू रही। इधर साची अंदर से खुश होती खुद से ही कहने लगी.. "मुझे छेड़ने चली थी, ऐसा घुमाया की चक्कर में उलझ कर रह गई"… दोनों बहने घर पहुंची। लावणी तो पूरे रास्ते आरव को ही कोसती अाई क्योंकि उसी के वजह से उसे गलतफहमी हुई और नतीजा पूरे रास्ते उसे साची को झेलना पड़ा, जिसका बदला वो लेना चाहती थी।

वहीं साची जब से पहुंची तब से बस घड़ी ही देख रही थी कि कब आधे घंटे बीते और वो अपस्यु से मिलने चली जाए। खैर उसकी मुराद भी पूरी हुई और अनुपमा खुद सामने से उसे टिफिन देती हुई अपस्यु के पास भेज दी। बड़ी ही उत्सुकता के साथ वो अपस्यु से मिलने पहुंची। लेकिन जब वो पहुंची तब उसका उत्सुकता से खिला चेहरा अपस्यु के मुरझाए चेहरे को देख कर उतर गया।

साची उसके हाथों को अपने हाथ में लेकर उसे धीमे से सहलाती हुई पूछने लगी.. "क्या हुआ"

अपस्यु अपने चेहरे पर झूठी मुस्कान लाते हुए..… "कुछ भी तो नहीं हुआ। तुम सुनाओ कैसा रहा आज कॉलेज'।

साची:- कॉलेज में क्या होना था, वहीं बस पढ़ाई-लिखाई और क्या?

अपस्यु:- कोई नया दोस्त नहीं मिला..

साची:- नया दोस्त, पुराना दोस्त वो सब देख लेना जब तुम कॉलेज आओगे, अभी बस मुझे इतना जानना है कि तुम्हारा ये चेहरा, इत्तु सा क्यों हो गया है?

अपस्यु कुछ पल खामोश रहा फिर कहने लगा… "कुछ नहीं बस ऐसे ही कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा था"।

साची:- ऐसा ही होता है जब पास में कोई ना हो और पूरा दिन अकेले रहो। ऊपर से ये घर में सिनेमा हॉल जितना बड़ा स्क्रीन तो लगा रखा है लेकिन ये नहीं की कोई मूवी ही चला कर देख लो।

अपस्यु गहरी श्वास लेता थोड़ा सा टिक कर बैठा और अपने चिंता से भरे चेहरे के भावनाओ को बदलते हुए, थोड़ा जिंदादिली के साथ कहने लगा…. "माफ़ करना मैं जरा इधर-उधर के ख्यालों में डूबा हुआ था इसलिए थोड़ा चिंतित सा हो गया था लेकिन अब सब ठीक है"..

साची:- ये हुई ना बात.. चलो अब खाना खा लो…

अपस्यु:- ना मै खाना नहीं खाऊंगा। फ्रिज में जूस रखा है वो ही पी लूंगा।

साची:- काहे, इतना बुरा लगा मेरे घर का खाना?

अपस्यु इस बार साची के आखों में आखें डाल कर शरारत भाड़ी नजरों से देखते हुए…. तुम्हारे घर के खाने का टेस्ट, सुनिए मिस यदि आप ने कल खिलाया होता तो ना मैं वो आलू के पराठे टेस्ट करता… सब तो को लावणी बीन कर ले गई।

साची, अपस्यु की इस बात पर उसे धीरे में मारती हुई पूछने लगी…. झूठे, सच-सच बताओ की मेरे जाने के बाद तुमने खाना नहीं खाया था।

अपस्यु:- खाया था साची, मैंने झूठ कहा था और बहुत टेस्टी भी बना था ।

साची:- चलो मुंह खोलो..

एक बार फिर साची निवाला लेकर तैयार थी। साची के हाथ में निवाला देखकर पहले अपस्यु हंसा और फिर उसे देख कर साची भी हसने लगी। फिर साची ने एक-एक करके निवाला उसके मुंह में खिलाती रही। इसबार वो निवाला बड़े ध्यान से उसके मुंह में डाल रही थी और बीच-बीच में उसके चेहरे को भी निहार रही थी।

जब भी दोनों कि नजरें मिलती दोनों एक दूसरे को देखकर मुस्कुरा देते। किंतु अभी 8-10 निवाला ही मुंह में गया होगा की अपस्यु की भावनाएं उसके आखों से बाहर आने लगीं। उसकी मां की यादें हर निवाले के साथ इतनी तेज हो रही थी कि भावनाएं बाहर अा ही गई।

साची, अपने हाथों से उसके आंसू पोछती कहने लगी….. खाते वक़्त रोते नहीं। वरना खाना शरीर में नहीं लगेगा। साची का ये अपनापन देखकर, अपस्यु खुद को रोक नहीं पाया और साची को गले लगाकर वो खुल कर रोया। कुछ देर तक रोने के बाद जब मन का विकार कुछ निकला तो उसे एहसास हुआ कि वो साची के गले लगे है। वो सॉरी कहते हुए उससे अलग हुआ। दोनों के बीच कुछ गुमसुम सी बातें होती रहीं, कुछ दबे से एहसास और खामोशी ही खामोशी चारों ओर। बस हृदय से हृदय के बीच भावनाओ का साझा हो रहा था।

इधर आरव

शाम के 4 बज चुके थे। आरव अपने बैग की सभी डिवाइस अपस्यु के मार्क लोकेशन पर लगा चुका था। काम समाप्त होने के बाद वीरभद्र ने पूछा.. "अब क्या करना है आरव"। इसपर आरव कुटिल मुस्कान देते हुए कहने लगा… "अब चलकर जरा शिकार करते हैं और तेरे लिए कुछ मज़े का प्रबंध भी करते हैं"। वीरभद्र शर्माते हुए उसे कहने लगा… "लगता है आज मेरा जीवन सफल हो जाएगा। वरना जब से उमंगे जगी है अपने हाथ से ही खुद को संतुष्ट करता हूं"… आरव उसकी बात सुन कर हंसने लगा और दोनों चल दिए रिजॉर्ट के पब में।

पब में पहुंचते ही वहां के माहौल को देख वीरभद्र की आखें खुली की खुली रह गई। "आरव ये क्या बवाल है भाई"।

आरव:- इसे ज़िन्दगी जीना कहते हैं मेरे दोस्त। गम भुलाओ, पियो-पिलाओ और टल्ली होकर झुमो नाचो मौज मनाओ।

वीरभद्र:- भाई लेकिन वो मेरे पास पैसे नहीं है।

आरव:- पागल है क्या, उस जमील के शूटर मुन्ना को जब मैं 10 करोड़ दे सकता हूं तो अब तो तू मेरा वफादार है.. पैसे की कोई चिंता नहीं करने का। तू यहां आराम से मौज कर और अपने मस्ती के लिए कोई पार्टनर ढूंढ़ ले।

वीरभद्र:- आरव सारी बातें तो सही है पर किसी लड़की को उस बात के लिए कैसे कहूं.. शुरवात कहां से करूंगा और क्या डायरेक्ट बोल दु।

आरव एक सिगरेट जलते हुए….. ना मुन्ना ना, तुझे कुछ करना नहीं है बस यहां टल्ली हो कर पी, डांस फ्लोर पर जा और अपनी मस्ती में बस पैसे लुटा.. आगे तुझे कुछ करना नहीं है।

आरव अपनी बात ख़त्म कर एक कॉकटेल बनवाया और उसे बड़े इत्मीनान से सिप-सिप में एन्जॉय करते हुए पीने लगा। इधर वीरभद्र विशकी के चार बड़े पेग लगा कर डांस फ्लोर पर चढ़ गया। जैसा आरव ने बताया था, वीरभद्र ठीक वैसे ही पैसे लुटाते हुए डांस करने लगा।

एक सोची समझी रणनीति जिसमें वीरभद्र के हाथों पैसे लूटवाकर, रिजॉर्ट के उन लोगों को यकीन दिला देना जों जमील के लिए काम करता था…., यही वो लड़का है जो पैसों की डील करने आया है और पहले जिसने कमरा बुक किया वो कोई और था जिसे मुआयने के लिए पहले भेजा गया था।

आरव का काम हो चुका था। एक कॉकटेल वो वहीं पी चुका था और 2 पेग अपने कमरे में मंगवा लिया और वहीं बैठकर सिप-सिप में पीते हुए बस कल के बारे में सब प्लान करने लगा। सभी मोहरों की चाल चली जा चुकी थी। इस खेल के सारे प्यादों की मात हो चुकी थी, बचे थे तो सिर्फ महारथी.. जमील और भूषण।

ऐसा नहीं था कि वो लोग केवल इस बात को लेकर चल रहे थे कि उन्हें इंदौर पहुंचना है और बस आरव को मार कर पैसे ले आने है। उनके जहन में 2 बातें थी पहली यह की लड़का सेंट्रल होम मिनिस्टर के संपर्क में है मतलब कोई बड़ा खिलाड़ी है। साथ ही साथ त्रिवेणी शंकर को जो झांसा दे सकता है मतलब चालाकी में लोमड़ी का भी बाप होगा। बस इन्हीं सब बातों पर आकलन करते हुए जमील और भूषण ने यही फैसला लिया की "जो भी हो वो उनके बताए ठिकाने से तो, कभी पैसे लेने नहीं जाने वाला"
 

rgcrazyboy

:dazed:
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hai ye kya lafada hai.
bhut he bhari game chal raha hai yaha to.
ab dheli se indior pocha gaya mamala.
lagata hai aage jake kahani international mod bhi le le gi :)
 

Naina

Nain11ster creation... a monter in me
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idhar romanc k jagah thriller ne le li hai...
Sabhi apne tarike se khel, khel rahe hai.. par jitega wohi joh khiladiyon ka khiladi hai :D
hmm... kyun na saachi ke sabhi gharwalo ko pata chal jaye ki saachi kya gul khila rahin hain aaj kal... :D toh kahani padhne mein aur maja aaye :D
Khair.....
Let's see what happens next
Brilliant update nainu ji..... Great going :applause: :applause:
 
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