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Romance भंवर (पूर्ण)

nain11ster

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Update:- 112




सुबह के 7.30 बज रहे थे। फ्लैट की बेल जोड़ों से बज रही थी। अपस्यु ने जैसे ही दरवाजा खोला, एसपी के साथ पुलिस की पूरी टीम दरवाजे पर खड़ी थी। अपस्यु पुरा दरवाजा खोलते हुए… "सॉरी मै वो सो रहा था सर, आइये ना अंदर।"


अपस्यु सबको हॉल में बिठाकर, ऐमी को जगा दिया और वापस से उनके बीच चला आया। अपस्यु के आते ही एसपी ने सीधे सवाल करने शुरू कर दिए, मामला था इस अपार्टमेंट में हुए कल रात की वारदात और उसी वारदात का एक लिंक जगदीश राय के घर तक जाता था, क्योंकि चोरी कि गई कार इसी अपार्टमेंट के बाहर से उठाई गई थी और शक था कि जिसने यहां कत्ल किए है वही जगदीश राय के यहां भी गया होगा।


अपस्यु। के चेहरे पर घोर आश्चर्य के भाव थे और वह जिज्ञासावश पूछने लगा कि कल इस अपार्टमेंट में हुआ क्या था, क्योंकि कल शाम शॉपिंग मॉल की घटना से बाद उसकी अभी आंख खुल रही है।


एसपी ने मामले का संज्ञान लेते हुए अपस्यु से उसके साथ हुई कल शाम की घटना के बारे में पूछने लगा। बेहोश होने के पहले तक का अपस्यु ने बता दिया और उसके बाद सीधा उसकी आंख यही खुली।


इतने में ऐमी सबके लिए चाय ले आयी और सबको चाय देने के बाद आगे की घटना का जिक्र करती हुई पूरी बात बताई। कैसे फिर वहां पार्किंग में अजिंक्य और उनके थाने के लोग पहुंचे, सभी हमलावरों को अरेस्ट करने के बाद फिर वहां से अपस्यु को हॉस्पिटल लेकर गए। वहां डॉक्टर ने बताया की घबराने वाली बात नहीं है, बस बेहोश किया गया है, उसी के साथ अजिंक्य सर ने डॉक्टर से अकेले में कुछ बात की और डॉक्टर ने मुझे कुछ दवा लिखकर दी।


अजिंक्य सर खुद यहां आए थे। उनके हवलदार की मदद से हमने अपस्यु को लिटाया और फिर मुझे वो दावा खिलाकर यहां से चले गए। उसके कुछ देर बाद नींद आ गई और अभी जाग रही हूं। एसपी पुरा मामला सुनने के बाद क्रॉस चेक किया और अजिंक्य से पूरे मामले की जानकारी लेकर वहां से चलते बाना।


उनसब के जाते ही अपस्यु ने दरवाजा बंद किया और किचेन में पहुंचकर, ऐमी के कमर में हाथ डालकर उसके गले को चूमने लगा… ऐमी गहरी श्वांस लेती अपने हाथ को किचेन स्लैब से टिका दी और अपनी आखें मूंद ली।


अपस्यु गले को चूमते हुए अपने हाथ धीमे से खिसकाते हुए लोअर के अंदर ले जाने लगा… "अम्मम ! बेबी अभी रुक जाओ ना प्लीज, काम बहुत परे है। खत्म तो कर लेने दो।"….. गले पर हल्के दातों का निशान देते हुए अपस्यु हाथ को धीमे से पैंटी के अंदर खिसकाते उसे चूमने लगा।


श्वांस दोनो की ही चढ़ आयी थी, तभी अपस्यु के फोन की घंटी बज गई। एक पूरी रिंग होकर कट गई लेकिन अपस्यु ने ध्यान नहीं दिया। वो धीरे-धीरे अपने हाथ चलाते, ऐमी की उत्तेजना को बढ़ाने में लगा था। तभी फिर से दोबारा रिंग होना शुरू हुआ।


ऐमी, अपस्यु को धक्का देकर दूर की…. "हद है फोन बज रहा है अपस्यु, उठाओ उसे पहले।"… अपस्यु गुस्से में फोन को घूरा और फोन उठाकर हॉल में चला आया…. "हां बोल भाई"..


आरव:- कहां था, पूरी घंटी हुई फिर भी कॉल नहीं उठाया।


अपस्यु:- कुछ काम कर रहा था। तू सुना कैसी चल रही है छुट्टियां।


आरव:- अरे यार तेरा कल रात का शो हमदोनो ने देखा, अब मैडम को भी इक्छा हो रही है, वैसे ही एक इजहार की।


अपस्यु:- हाहाहाहा.... प्यारी सी ख्वाइश है कर दे पूरी, इसमें इतना सोच क्यों रहा है। वो छोड़ तू आराम से रह और चिंता ना कर, समझा।


आरव:- कामिना, अब कौन मन की भाषा पढ़ रहा?


अपस्यु:- जुड़वा तो मरने के बाद भी जुड़वा होते है, फिर तू सोच कैसे लिया कि तेरी बात मै ना समझूं या तू मेरी ना समझेगा।


आरव:- हम्मम ! सो तो है, बस मन ना लग रहा तुम लोगों के बिना। तू और ऐमी यहां होते तो बात ही कुछ और होती।


अपस्यु:- अभी लावणी को समय दे समझा, और ज्यादा बहस नहीं।


आरव:- ठीक है गुरुजी समझ गया। चल मै फोन रखता हूं।


अपस्यु ने सोचा, "ये फोन बार-बार तंग ना करे इसलिए खुद ही सबको फोन लगा दूं"। अपस्यु ने फिर एक तरफ से सबको कॉल लगाना शुरू कर दिया। जब वो कुंजल को कॉल लगाया तब उसका फोन व्यस्त आ रहा था। अपस्यु किचेन में झांककर देखा तो ऐमी फोन पर लगी थी, वह समझ गया दोनो लगे हैं, इसलिए उससे छोड़ बाकी सबसे बात कर लिया।


कुछ देर बाद उखड़ा सा चेहरा बनाती ऐमी हॉल में आयी और टेढ़े मुंह अपस्यु को फोन देती कहने लगी… "कुंजल है लाइन पर बात कर लो"..


अपस्यु इशारों में अपने दोनो कान पकड़ते सॉरी कहने लगा… ऐमी फोन उसके पास रखकर रूम में चली गई। जबतक अपस्यु कुंजल से बात करता, ऐमी नहाकर, तैयार होकर कमरे से बाहर निकली। ऐमी को देखकर ही समझ में आ गया, आज इसका पारा फिर चढ़ा…. "कहीं बाहर जा रहे है क्या बेबी।".. अपस्यु ऐमी का हाथ पकड़ कर खींचते हुए बाहों में लेकर पूछने लगा।


ऐमी:- खाना ऑर्डर कर दिया है, 12.30 बजे तक आ जाएगा। मै घर का रही हूं।


अपस्यु, ऐमी के कानो के नीचे से बाल को किनारे करते चूमते हुए कहने लगा… "सॉरी बाबा, वो कॉल आ गया था।"


ऐमी:- कोई बात नहीं है अपस्यु, मै जा रहीं हूं तुम खाना खा लेना।


अपस्यु, ऐमी से अलग होकर उसको अपनी ओर घुमाया, और अपने दोनो कान पकड़ कर कहने लगा…. "गलती हो गई बाबा, मुझे मान जाना चाहिए था। तुम जब कही तब हट जाना चाहिए था। अब माफ भी करो और गुस्सा शांत करो।"


ऐमी, अपनी आखें शुकुड़ती…. "अगली बार ऐसे जिद तो नहीं करोगे ना, और कहूंगी अभी नहीं, तो मान जाओगे ना।"..


अपस्यु:- हां बाबा सच में। चलो अब गुस्सा छोड़ो और आराम से बैठ जाओ। आज मै तुम्हे अपने हाथों का बना खिलाऊंगा…


ऐमी:- येस ! यह अच्छा विचार है। वो चीज वाली आलू दम जो तुमने मियामी में खिलाई थी, वहीं बनाओ।


अपस्यु:- ठीक है फिर वो रेस्ट्रो के खाने का आर्डर कैंसल कर दो, और जबतक तुम बाजार से चीज ले आओ, मै बाकी का काम करके रखता हूं।


ऐमी:- प्रदीप को भेज दो ना, अब क्या बाजार भी मै ही जाऊं…


अपस्यु:- नाह ! उन गावरों को रहने दो, मुझे और भी कुछ याद आ गया है, मै खुद बाजार जाता हूं, जबतक तुम आलू छिलकर रखना और 8-10 प्याज काट लेना।


ऐमी:- जी सर जैसा आप कहें।


अपस्यु, ऐमी को काम समझकर निकल गया, वो जबतक किचेन में अपना काम समाप्त करती तबतक अपस्यु भी बाजार से लौट आया था। अपस्यु जब लौटकर आया, ऐमी किचेन में ही थी। अपस्यु किचेन में जाकर सारा समान रख दिया और पीछे से ऐमी को गले लगाते, उसके गाल को चूमते हुए…. "चलो अब तुम जाओ मैं सब रेडी करता हूं।


ऐमी मुस्कुराती वहीं किचेन स्लैब पर बैठती हुई कहने लगी…. "नाह ! तुम पकाओ और मै तुम्हे देखती रहूंगी।…


लगभग 8.30 से 10 बजने को आए थे। श्रेया और उसकी पूरी टीम उन दोनो पर नजर बनाए-बनाए पक से गए थे। रात को इतने बड़े काम की अंजाम देने के बाद भी सुबह उठकर एक शब्द की भी चर्चा नहीं। ना ही पुलिस उनके दरवाजे पर थी तो उनके हाव-भाव में कोई बदलाव।


सब के सब अपना सर पटक रहे थे और दोनो के बीच का रोमांस देखकर बस यही सोच रहे थे… "पागल है क्या दोनो, पूरी दिल्ली में पुलिस प्रशासन हिली हुई है। पूरा अपार्टमेंट पागल बना हुआ है, और इन्हे कोई फर्क ही नहीं पर रहा। आपस में ही लगे है।"


सादिक, श्रेया का साथी और जेन के भाई का किरदार निभाने वाले… "यार या तो ये बहुत ज्यादा होशियार है या लापरवाह। इतने बड़े कांड के बाद कुछ तो चर्चा होती ना।"


श्रेया:- यह भी तो हो सकता है कि उनके अनुसार उन लोगों ने पुरा मैटर रात को हो सॉल्व कर लिया हो, इसलिए कल के इजहार के बाद दोनो बस आपस में ही लगे है।


जेन:- हां लेकिन अब हम क्या करें, उनका रोमांस देखकर तो मुझे अंदर से कुछ रोमांटिक और कुछ एग्जॉटिक सी फीलिंग आने लगी है।


सादिक:- मेरा भी वही हाल है।


श्रेया:- हम्मम ! कहीं ऐसा तो नहीं कि इसने मुझे कल रात जित्तू के पास देख लिया था और शक हो की हम उसके घर में घुसपैठ करके उनपर नजर बनाए हुए हूं।


जेन:- प्वाइंट में दम तो है, लेकिन उनके प्रतिक्रिया इतने नेचुरल है कि कुछ समझ पाना नामुमकिन है। वैसे जिस हिसाब से दोनो के बीच का प्यार और रोमांस है, उसे देखकर तो यही लगता है कि, अगर वो तुम्हे कल सबके साथ देख लेता तो वहां 5 की जगह 6 लाश होती।


श्रेया:- हम्मम ! ठीक है, कुछ देर और वॉच पर रहो, मै कुछ सोचती हूं।


इधर ऐमी किचेन स्लैब पर बैठी अपस्यु को प्यार से खाना बनाते हुए देख रही थी। अपस्यु बड़े ही प्रेम से और पुरा ध्यान खाना पकाने पर दिए हुए था… "कुछ बोलो भी ऐमी, पास हो और इतनी ख़ामोश।"..


ऐमी:- नाह तुम्हे देखने का मज़ा ही कुछ और है। अपनी ये शर्ट क्यों नहीं उतार देते। जरा नजर भर तुम्हारे दिलकश बदन को देख लूं।


अपस्यु अपनी नजर ऐमी पर दिया, आंखों में शरारत और होटों पर कातिलाना हंसी… अपस्यु अपने होंठ आगे बढ़ाकर ऐमी के होठों को चूमते… "अब कौन रिझा रहा है।"..


ऐमी:- हीहीहीही… पहले शर्ट उतारो फिर बताती हूं।


अपस्यु:- तुम खाली बैठी हो, इतनी मेहनत तो तुम भी कर सकती हो।


ऐमी:- नाना, आज मै आलसी हूं, सब तुम्हे ही करना होगा…


"उफ्फ ! मार ही डाला।"… अपस्यु आंख मरते हुए अपनी शर्ट उतार लिया और उसे लपेटकर ऐमी के मुंह पर फेंक दिया। ऐमी, अपस्यु की इस हरकत पर हंसती हुई कहने लगी… "नजर ना लगे, इन्ना सोना। चलो अब अपने पैंट उतारो।"


अपस्यु, आश्चर्य में अपनी आखें बड़ी किए….. "क्या?"


ऐमी:- हीहीहीही.. पैंट उतारो।


अपस्यु:- हट पागल, मै कहता हूं तुम अपने ये जीन्स उतारो।


"पहले ही कहीं मै आज आलसी हूं, बाकी तुम्हारी मर्जी है, मुझे कोई ऐतराज नहीं।"… ऐमी हंसती हुई आंख मारते कहने लगी…


अपस्यु, हंसते हुए अपना सर झुका लिया और अपना काम करने लगा।… "बेबी, शर्ट की तरह पैंट भी फेको ना। प्लीज।"..


"आज पागल हो गई हो तुम।" .. अजीब शर्म सी हंसी हंसते हुए अपस्यु ने अपने पैंट उतरकर भी ऐमी के मुंह पर मरा। … "भिंगे होंठ तेरे, प्यासा दिल मेरा… मेरे इमरान हाशमी, अंदर तो काफी सेक्सी बॉक्सर पहन रखी है, कहीं और परफॉरमेंस तो नहीं देने वाले थे।"..


अपस्यु:- बस भी करो, अब खुश तो हो ना..


ऐमी:- नाह ! वो आखरी वस्त्र, बॉक्सर भी उतार कर दो।


अपस्यु:- पागल, सुंबह-सुबह कोई पोर्न तो नहीं देख ली।


ऐमी:- आय हाय लड़का तो शर्मा गया। अच्छा तुम्हारी लाज्जा को देखते हुए छोड़ती हूं। जाओ नहा लो, सब तो लगभग पक गया है।


अपस्यु:- बस 5 मिनट का रह गया है, जबतक ये पकता है, तबतक मैं तुम्हे भी निर्वस्त्र कर दूं।


ऐमी फाटक से किचेन स्लैब से नीचे उतरती…. "अभी कुछ देर पहले ही ना कान पकड़ कर बोल रहे थे, मै मना कर दूंगी तो मना हो जाओगे। तो चलो अब मना हो जाओ।"


अपस्यु खा जाने वाली नज़रों से घूरा .. "बहुत शरारत सूझ रही है मिस ऐमी, अभी बताता हूं तुम्हे।"… अपस्यु दौड़ा, ऐमी भागी.. भागते दौड़ते, सामान गिराते पीछा चालू था। ऐमी की खिल खिलहट पूरे घर में गूंज रही थी और अपस्यु उसके पीछे दौड़कर पकड़ने कि कोशिश में लगा था….


अंततः अपस्यु ऐमी को पकड़कर कमर से उठाया और तेजी से गोल घूमते हुए उसके कान के नीचे गले पर अपने दांत जोड़ से गड़ाते हुए कहने लगा… "मेरे तो सीधे-सीधे इमोशंस थे, लेकिन ये सुबह से जो तुम मुझे परेशान कर रही हो ना, अभी बताता हूं।"..


एमी:- क्या करोगे नहीं मानूंगी तो, रेप ही करोगे ना, और क्या.. हीहीहीही।


अपस्यु, ऐमी को उठाकर डायनिंग टेबल पर बिठाते हुए… "तुमने वो सुना है"..

ऐमी:- क्या ?


अपस्यु:- बोंडेज एंड डिसिप्लिन (Bondage and Discipline), डमिनेंस एंड सबमिशन (Dominance and Submission) सदोचिज्म एंड मसोचिज्म (Sadochism and Masochism).


ऐमी, अपनी दोनो आखें फाड़े अपस्यु को देखती हुई… "क्या बीडीएसएम (BDSM)"


अपस्यु:- येस । बिल्कुल यही, सही सुन रही हो।


ऐमी, अपस्यु के बालों पर प्यार से हांथ फेरती…. "बेबी ऐसा ना करो ना, प्लीज। एक बार और सोच लो ना बेबी। मूड तो मेरा भी बहुत हो रहा है, लेकिन ये…."

अपस्यु:- ई.. हा.. हा.. हा… अब तो यही फाइनल है।


ऐमी:- ठीक है फिर हंटर खाने तैयार रहना, मेरी तैयारी पूरी है। सबमिसिव और डिसिपिलन बनकर रहना।


इधर श्रेया के घर में….. चल रहे रोमांस को देखकर सभी पागल हुए जा रहे थे। जेन तो पानी-पीते और बाथरूम जाते-जाते परेशान थी, वही हाल बाकियों का भी था। श्रेया से जब रहा नहीं गया तब वो कहने लगी…. "ये तो अपनी रास लीला में लगता है लीन रहेंगे और कुछ बात करने वाले नहीं। इनके रंग में भंग मै ही डालती हूं। जाती हूं अभी दोनो के पास।"
 
Last edited:

kamdev99008

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hahaha
dusman rag main bhag dalne aa raha hain.
kya hoga in dono ka ab:D
in dono ka to jo hoga so hoga hi..............

nainu ka kya hoga...................ab agle update ka intzar hai
 

rgcrazyboy

:dazed:
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in dono ka to jo hoga so hoga hi..............

nainu ka kya hoga...................ab agle update ka intzar hai
nainu ka sar to vese he is story ko leke ghuma huaa hai.
pahale nainu socha tha ye story 100 update main sedhe tarike se nipata dega.
baad main likhane ka nasaha aye sa chada roj updates likhane ke baad apna sar diwar par patak kar apna sar dard kam karata hain :dazed:
 

Nevil singh

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USA Trip…

सुबह सुबह न्यूयॉर्क में फ्लाइट लैंड कर चुकी थी, चारों वहां से बाहर निकले और इन्हे रिसीव करने वीरभद्र पहले से एयरपोर्ट पहुंचा हुआ था। जैसे ही वीरभद्र की नजर में आरव आया, वो दौर कर उसके पास पहुंचा और उसके गले लग गया।

"अबे छोड़ दे वीरे, वरना यहां के लोग कुछ और ही समझ लेंगे।"… आरव ने वीरभद्र के कानो में कहकर उससे अलग हुआ। प्रतीक्षालय में चारो बैठ गए, आरव ने सबको वीरभद्र से मिलवाया और उसके बाद वीरभद्र को अलग ले जाकर कहने लगा….

"सुन वीरे, यूं समझ ले आज तुम्हे मै पहला काम दे रहा हूं।"… आरव ने धीमे आवाज़ में कहा।

वीरभद्र:- हुकुम करो .. अभी किसी को सुला दू क्या?

आरव:- गावर कहीं के आराम से बात करो और कितनी बार कहा है पूरी बात समझ कर रिएक्शन दिया करो।

वीरभद्र, अपने भावनाओ पर काबू रखे… "क्षमा करना गुरुदेव भूल गया था। तुम समझाओ पूरी बात।"

आरव:- ध्यान से सुनो, मै यहां से शिकागो निकल रहा हूं। तीनों की जिम्मेदारी तुमपर सौंप कर जा रहा हूं।

वीरभद्र:- ठीक है आरव। मुझे क्या करना होगा।

आरव:- हर जगह इनके पीछे साए कि तरह रहोगे। जहां जाएंगे घूमने साथ जाओगे और सबसे जरूरी बात दोनों मेरी बहने है, विन्नी और कुंजल।

वीरभद्र:- भाई सा, वो छोड़ा बहन को छू रहा है, अभी मुंह तोड़कर आया मैं…

आरव, अपना सर पीटते…. अबे रुक बावले, वो छुई-मुई नहीं है जो छूने से मुरझा जाएगी। यार तू महीने दिन के ऊपर से यहां है, फिर भी गांव तेरे दिमाग से निकला नहीं। हर बात में मार-पिट और खून-खराबा। तू रहने दे तुझसे ना हो पाएगा।

वीरभद्र:- अरे गुस्सा क्यों कर रहे हो। अब कुछ आदत है जाते जाते जाएगी। तुम सारी बात समझाओ मुझे और निश्चिंत हो जाओ।

तकरीबन आधा घंटे के माथा-पच्ची के बाद आरव को लगा कि ये पूरा समझ चुका है। थोड़ी ही देर में आरव की वहीं से कूनेक्टिंग फ्लाइट थी, आरव वहां से शिकागो निकल गया और बाकी सब सन-डिएगो निकले।

सबके कमरे पहले से तैयार थे, आते ही दोनों लड़कियां अपने कमरे में चली गई और वीरभद्र क्रिश को लेकर उसके कमरे में चला आया।…

विन्नी बाथरूम के दरवाजे पर खड़ी होकर…. "कुंजी की बच्ची जल्दी निकलियो घंटो मत लगाना।"

कुंजल:- दरवाजा खुला है, तू भी आ सकती है।

विन्नी:- तेरे साथ अंदर जाने के लिए आयी हूं क्या, वो है ना मेरा क्रिश उसके साथ बाथरूम शेयर करूंगी।

कुंजल:- अरमान काबू में रख बेटा, कहीं तू गरम तवा की तरह भट्टी में ना जलती रह जाए। मेरे एक भाई ने क्रिश को वहां एयरपोर्ट पर वार्निंग दिया था और दूसरे ने तो एक चिपकू तुम दोनों के बीच में छोड़ रखा है।…

विन्नी:- अरे तू उसकी चिंता क्यों कर रही है… उसे तो मै यूं मैनेज कर लूंगी। वो कोई बड़ी बात नहीं है।

कुंजल:- मै भी यहीं हूं, देख लूंगी तेरी होशियारी भी। वैसे एक बात बता, तुम दोनों के बीच कुछ हुआ भी है या मामला ऊपर-ऊपर ही चल रहा है।

विन्नी:- हुंह ! ये हम दोनों की बीच की बात है, कोई ये सब भी शेयर करता है क्या?

कुंजल, बाथरूम से बाहर निकलती हुई….. "ओह हो तो बेबी अपना सिक्रेट रीलेशन मेनटेन कर रही है। मत बता"....

विन्नी, बाथरूम में घुसती…. हीहीहीहीही… ऐसी बातें कोई पूछता हैं क्या? वैसे अब तक कुछ ना हुआ है। अच्छा सुनना, यहां के हिसाब से कुछ कपड़े खरीदने चलें क्या? छोटी सी शॉपिंग।

कुंजल:- आज रात चलते है ना… शॉपिंग के साथ-साथ यहां के डिस्को का भी मजा लेंगे…

विन्नी:- वु हू….. अब तो बस मस्ती ही मस्ती…. अपनी तो पाठशाला, मस्ती की पाठशाला… वू हू…

इधर आरव शिकागो अपने होटल पहुंचकर, ऐमी के "फॉल बैंक" के मैसेज का रिस्पॉन्ड करते हुए वापस संदेश भेजा और आते ही बिस्तर पर चित लेट गया…. थोड़ा सा मायूस होते खुद से ही कहने लगा… "वक़्त, वक़्त की बात है.. शायद अभी वो वक़्त नहीं आया"….


दिल्ली, अपस्यु के घर सुबह 7.30 बजे के करीब….


नंदनी जबतक सरला (श्रेया की मां) के घर जाकर उसके कार के बारे में पता कर रही थी तबतक अपस्यु ड्राइवर को परखने लगा.. 20 लोगों में से उसने 2 को अलग किया… एक का नाम गुफरान था और दूसरे का प्रदीप… बाकी सबको कुछ पैसे देकर वहां से रवाना किया…

थोड़ी ही देर में नंदनी वापस लौट आयी और उसके पीछे-पीछे श्रेया भी थी। अपस्यु ने एक एक नजर देखा और फिर दोबारा नजर उठा कर देखने पर विवश हो गया…. कुछ छन देखने के बाद अपस्यु अपनी नजरे उसपर से हटा कर नंदनी से बात करते हुए कहने लगा… "मां ये 2 ड्राइवर को मैंने सिलेक्ट किया है, आप इनकी सैलरी वगैरह की बात करके रख लो। मैं आज इंजीनियर को बुलवाकर उस पर्टेशन के आगे वाले हिस्से से 2 कमरे उस हॉल में बनवा देता हूं।"

नंदनी:- एक ही ड्राइवर की जरूरत है, 2 क्यों?

श्रेया:- आंटी मै चलती हूं।

नंदनी:- ओह मैं भी ना…. एक मिनट बेटा.. अपस्यु इसे कॉलेज तक छोड़ दे, मै इनसे बात कर लेती हूं।

अपस्यु:- मां 2 की जरूरत है किसी को निकालना मत, बस सैलरी तय कर लो। चले मैम…

"आप दोनों मां-बेटे कि जोड़ी कमाल की है।"… दोनों चलते-चलते बातें करने लगे…

अपस्यु:- और आप को ऐसा क्यों लगा?

श्रेया:- एक आप की मां हैं, जहां इतनी बड़े अपार्टमेंट में पड़ोसियों कि मुलाकात मात्र लिफ्ट में होती है। कोई पड़ोसी बेल बजा दे, तो गेट के छोटे से छेद से पहले देखते है फिर 20 लॉक खोलने के बाद थोड़ा दरवाजा खोलकर, उसकी आड़ में रहकर पूछते है, क्या काम है.. और आप की मां है, पूरा घर का दरवाजा खोल दिया। ऐसी ही कुछ कहानी आपकी भी है। आप अपनी मां से बहुत प्यार करते है ना।

अपस्यु:- अपनी मां से तो सभी प्यार करते है। केवल मै उनकी बात मान लेता हूं इस वजह से कह देना की बहुत प्यार करता हूं सही है, लेकिन हर बच्चा अपनी मां से उतना ही प्यार करता है, बस हर किसी के जताने का तरीका अलग होता है।

श्रेया:- आप ये उल्टा रास्ता जा रहे है अपस्यु।

अपस्यु:- ओह, आप ने बताया नहीं जाना कहां है?

श्रेया:- लेडी हार्डिंग कॉलेज, कनॉट प्लेस…

अपस्यु ने गाड़ी घुमाई और चल दिया, कुछ देर दोनों के बीच खामोशी रही फिर श्रेया अपस्यु से पूछने लगी… "आज सुबह चोर नजर से क्या ऑब्जर्व कर रहे थे आप।".. श्रेया सवालिया नजरों से देखती हुई पूछने लगी…

अपस्यु:- आप ने पकड़ लिया क्या?

श्रेया:- हां मैंने देखा था।

अपस्यु:- वो आप बहुत खूबसूरत दिख रही थी। पहले एक झलक देखा, दिल ने कहा और देखो, सो दिल के हाथों मजबुर देखने लगा।

श्रेया:- वाह, क्या बात को घुमाया है आपने, जिस नजर की बात आप कर रहे वो आलग होती है, आपके देखने का नजरिया कुछ और ही था।

अपस्यु:- नजरों की इतनी परख, वैसे आप की पारखी नजर क्या विश्लेषण कर रही है मेरे इस प्रकार से देखने को…

श्रेया:- मुझे शक है कि आप मेरे पहनावे को लेकर कुछ सोच रहे थे…

अपस्यु:- हां आप का सोचना सही है। पूरी दिल्ली में आप के उम्र कि बहुत कम लड़कियां होंगी जो एथेनिक पहनती है, वरना तो यहां सबको मैंने शोर्ट्स, जीन्स और वेस्टर्न पोशाक में ही देखता हूं।

श्रेया:- लड़कियों को लेकर आप की सोच बहुत संकीर्ण हैं। पहनावे के साथ नजरों में भटकाव नहीं होना चाहिए। खैर मै एक मेडिकल की छात्रा हूं इसलिए मुझे ऐसे ड्रेस पहनने पड़ते है वरना मै भी अपनी इक्छा अनुसार कपड़े पहनती हूं। माफ़ कीजियेगा गाड़ी यहीं रोक दीजिए, मै यहां से चली जाऊंगी।

अपस्यु ने गाड़ी किनारे खड़ी की और वहां से श्रेया ने ऑटो ले लिया।… "सब लड़कियों को आजकल मेरे कैरेक्टर जज करने में ज्यादा इंट्रेस्ट है… मैं कहां किसी को लड़की को जज किया.. आखिर ये हो क्या रहा है मेरे साथ…."

अपस्यु वहीं से ऐमी को कॉल लगाया…. "क्या कर रही हो?"
ऐमी:- वैभव के साथ खेल रही थी।
अपस्यु:- सिन्हा सर से ऑफिशियल मीटिंग फिक्स करो, पूछो उनसे कब फ्री है?
ऐमी:- ठीक है मै कॉन्फ्रेंस में ही लेती हूं…
सिन्हा जी:- अरे मेरा बेटा इस वक़्त अपने डैड को कैसे याद की।
ऐमी:- डैड एक ऑफिशयल मीटिंग फिक्स करनी है, आप के पास वक़्त है क्या?
सिन्हा जी:- 4 बजे दोनों आ जाओ।
अपस्यु:- ठीक है सर, मुलाकात होती है फिर 4 बजे…..
ऐमी:- मुझे पिक करते हुए चलना…
अपस्यु:- ठीक है।….

घर लौटकर अपस्यु सीधा अपने कमरे में गया और सरा सामान बैग में पैक करने लगा, जिसमे कुछ कपड़े, एक लैपटॉप, कुछ छोटे बड़े डिवाइस और 4 फिट के 2 रॉड डालकर, बैग पैक कर ही रहा था कि पीछे से नंदनी चलीं आयी।

"तुम भी कहीं जा रहे हो क्या?"… बिस्तर पर बैठती हुई नंदनी पूछने लगी।

अपस्यु, अपने बैग को पैक करते…. "नहीं मै कहीं जा नहीं रहा बस खाली बैठे पागल हो रहा हूं, तो सोच काम शुरू कर दूं।"

नंदनी:- अभी पढ़ाई पूरी करेगा या काम करेगा। काम करने के लिए तो पूरी उम्र बची है अपस्यु, पहले पढ़ाई।

अपस्यु, अपने मां के गाल को चूमते… मेरी स्वीट मम्मा... आप बेवजह परेशान हो रही है। मै कौन सा पढ़ाई छोड़ रहा हूं बस पार्ट टाइम जॉब है। मुझे दूर रह कर कुछ लोगों की जासूसी करनी है और उनकी रिपोर्ट सिन्हा सर को देनी है। बस इतना ही।

नंदनी:- अच्छा ! और ये अचानक से ख्याल कैसे आया तेरे मन में?
अपस्यु:- आज सुबह की घटना से…
नंदनी:- और मेरे स्वीट बेटू के साथ घटना क्या हुई?

अपस्यु:- वो है ना सरला आंटी की बेटी श्रेया, जिसे आपने मेरे साथ कॉलेज भेजा था…

नंदनी:- वो तो बड़ी प्यारी बच्ची है.. उसने क्या कर दिया..
अपस्यु:- मुझे कुछ भी बताना ही नहीं है। आप फिर बीच में कूद जाओगी…

"मां जी वो लंबोर्गिनी को शो रूम ले जाऊं या फिर बाहर किसी के पास बनवाना है।"…. नया ड्राइवर गुफरान कमरे के बाहर से पूछा…

अपस्यु अपने मुंह पर हाथ रख कर नंदनी को देखने लगा… नंदनी उसका रिएक्शन देखती हुई हसने लगे।… "गूफी, बेटा उसे का शो रूम ले जा, और वो प्रदीप गया उनकी कार को गराज लेकर।"… गुफरान वहां से "हां मां जी" कहता हुए निकला।

अपस्यु:- मुझे गए आधे घंटे ना हुआ होगा और ये कमरे में ऐसे चला आया जैसे वर्षों से काम कर रहा हो। इसपर कुछ प्रकाश डालेंगी।

नंदनी:- अरे बेचारा गूफी, उसकी बीवी छोड़ कर भाग गई। बहुत बुरा हुआ बेचारे के साथ।

अपस्यु आराम से पल्थी लगाते, वहीं जमीन पर बैठ गया और हथेली को फैलाकर अपने मुंह पर रखते हुए बड़े ध्यान से सुनने की मुद्रा में आते हुए पूछने लगा… "मां इस बेचारे के साथ क्या हुआ आज आप पूरी डिटेल बता ही दो।"

नंदनी, अपस्यु की इस हरकत पर जोड़ से हंसती हुई…. "अच्छा सॉरी, तुम बताओ क्या हुआ तुम्हारे और श्रेया के बीच। ऐसा क्या कह दी उसने जो तुम अब काम करने पर जोर डालने लगे।"

अपस्यु:- कुछ नहीं, जब वो आप के साथ आ रही थी तब मैंने उसे चोर नजरों से देखा और उसने ये पकड़ लिया। मुझ से पूछने लगी कि मै चोर नज़रों से क्या ऑब्जर्व कर रहा था।

नंदनी, अब वो ध्यान से सुनने की मुद्रा में आयी... "हां तो तुमने क्या कहा?"

अपस्यु:- मैंने उसे पहले झूट बोलकर उसकी तारीफ करी, लेकिन उसने मेरे झूट को पकड़ लिया। तब मैंने उसे सच बता दिया…

नंदनी:- मुझे भी वो सच सुनना है…

अपस्यु:- सच क्या मां, मैंने कहा आप की उम्र की बहुत कम लड़कियां होंगी जो एथेनिक पहनती है वरना सबको मैंने वेस्ट्रन ड्रेस में ही देखता हूं।

नंदनी:- हाहाहाहा… पक्का वो भी वेस्टर्न पहनती होगी इसलिए सुना दी होगी तुम्हे कुछ।

अपस्यु:- कुछ गलत बोल दिया क्या मां?

नंदनी:- तुम इकलौते बेटे होगे, जो अपनी मां से ये सब साझा कर रहा होगा। नहीं तुमने कुछ गलत नहीं बोला, बस उसने अपने ऊपर ले लिया, इसलिए उसे बुरा लग गया। अब तुम ज्यादा मत सोचो।

शाम के लगभग 4 बजे…

अपस्यु ऐमी को लेते हुए सिन्हा जी के ऑफिस के ओर निकल रहा था। अपस्यु कुछ खामोश सोच रहा था। ऐमी उसकी खामोशी को भांपते हुए पूछने लगी… "बात क्या है, मुख्य काम को छोड़कर अन्य काम को हाथ डालने का फैसला अचानक से कैसे कर लिए"…

अपस्यु:- बस लगा की एक ही विषय पर सोच-सोच कर कहीं मै अपने सोच को किसी दायरे के अंदर तो नहीं कैद कर रहा, जिसमे मुझे केवल जीत ही नजर आ रहा है…

ऐमी:- हम्मम !! मतलब कुछ केस हाथ में लेकर हम खुद आजमाएंगे…

अपस्यु:- नहीं आज सुबह एक घटना हुई, जिसमें मैंने कुछ गलत नहीं किया लेकिन मुझे उसका सरप्राइज रिएक्शन देखने मिला। मुझे लगा जैसे ये मेरे योजना कि सच्चाई बयां हो गई हो। एकतरफा प्लैनिंग ही बस मैंने किया है लेकिन किस वक़्त कौन सरप्राइज कर जाए किसे पता।

ऐमी:- मतलब ये भी एक तरह से अपनी तैयारियों की मजबूती देना हुआ। कुछ केस के जरिए ये आकने की कोशिश की हम जो प्लैनिंग करते है उसमे और जब वास्तव ने जो परिस्थितियां होती है उनमें कितने फर्क आते है. और लोग हमे कैसे चौंका सकते है।

"बिल्कुल सही आकलन… बस जो अंतर है, वो केवल इतना है कि, यहां हमें दोबारा मौका मिलेगा। एक बार नजरों में किसी के आ गए, तो छिपना आसान होगा। लेकिन वहां किसी की नजरों में आए तो फिर आर या पार वाली कहानी होगी। इसलिए ये जरूरी हो जाता है कि, अब एकतरफा अपनी योजना नहीं बल्कि उनके हिसाब से भी सोचकर देखना चाहिए, कि वो कितने सुनियोजित है और हम कहां-कहां चुक कर सकते है। इसलिए ये जरूरी हो जाता है कि कुछ क्रिमिनल्स को पहले परख कर देख लें कि उनकी क्या सोच रहती है किसी ऐसे दुश्मन से बचाव के लिए जिन्हे वो जानते ही नहीं।"
Suniyojit update hai mitr.
 

Nevil singh

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USA trip ..


सफर की थकान मिटा देने वाली नींद के बाद विन्नी शाम को 6 बजे जागी। जब वो उठी तब सब सो रहे थे। वो उठकर हॉल में आ गई और वहीं सोफे पर बैठकर बाहर का नजारा लेने लगी। उसके चंद मिनट बाद ही क्रिश भी हॉल में पहुंचा। विन्नी को अकेले बैठे देखकर उसे ये अच्छा अवसर लगा और वो विन्नी को अपने बाहों में जकड़ कर, माथे पर आए बाल को हटाते हुए कहने लगा…. "ना जाने कब से मै इस पल का इंतजार कर रहा था"….. "और मै भी"…

दोनों की नजरें एक दूसरे पर, कुछ पल के लिए ठहर गई और फिर बोझिल नजरें बंद होती चली गई। प्यासे होंठ आगे बढ़ते हुए चूमने को बेकरार हो गए। एक लहर सी दोनों के दिल में उठने लगी और एक दूसरे को शिद्दत से चूमने लगे…

दोनों की आखें तो बंद थी लेकिन इनके इस प्यारे से चुम्बन के बीच में, खाचिक-खचिक की आवाज के साथ लगातार फ़्लैश लाइट जल रही थी। दोनों ने आंख खोलकर नजर घुमाई और झटके के साथ दोनों अलग हुए…

फिर वहां उस हॉल में तो शोर गुल का माहौल शुरू हो गया। शोर सुनकर कुंजल भी आधी सोई आधी जागी हॉल में पहुंच गई…. "क्या हुआ किस बात पर शोर मचा रहे हो तुम लोग।" कुंजल जम्हाई लेती हुई पूछने लगी…

विन्नी:- कुंजी देख ना यार इसने हमारी फोटो निकली।

वीरभद्र:- कुंजी.. ताला हो तुम जो उसे कुंजी बुला रही, नाम शॉर्ट करने के चक्कर में तुमलोग कुछ भी बोल दोगे क्या?

विन्नी:- तेरे यहां सब मेंटल है क्या.. जिसे देखो मुंह खोलता है तो पहले शॉर्ट नेम पर ही लैक्चर देता है।

कुंजल:- ओह हो पगलाओ मत, अभी हल्ला क्यों कर रहे थे वो बताओ। तुम दोनों नहीं, वीरे आप बताइए…

वीरभद्र:- कुंजल जी ये दोनों एक दूसरे को चुम्मा ले रहे थे तब मैंने इनकी राश-लीला की तस्वीर निकल ली।

कुंजल:- वीरे

वीरभद्र:- जी कुंजल जी…

कुंजल:- आप ये सब क्या कर रहे है, किसी ने आप को बताया नहीं की ऐसे किसी की तस्वीर नहीं लेनी चाहिए।

वीरभद्र:- कुंजल जी, बस ये तस्वीरे इसलिए लिया हूं ताकि फिर से दोबारा यदि ऐसे करते पाए गए तो इनकी ताबीरें मै सीधा इनके भैया को भेज दूं।

कुंजल:- नहीं ये गलत है आप इनकी तस्वीर अभी डिलीट कीजिए…

वीरभद्र:- ना ये अभी डिलीट ना होगी। जब दोनों इंडिया पहुंच जाएंगे और आरव का सिग्नल मिलेगा तब डिलीट होगा… अभी घूमने आए है तो घूमिए बाकी ये सब हरकत मेरे रहते नहीं चलेगी । इन दोनों को भी समझा दीजिए दोबारा पकड़े गए तो ये तस्वीर इनके भाई तक पहुंच जाएगी।

इतना कहकर वीरभद्र वहां से चला गया और कुंजल बिन्नी को देखते हुए कहने लगी…. "उसे तो मै यूं मैनेज कर लूंगी तू देखती रहना … अब करती रह मैनेज। बिना आरव या अपस्यु के तो ना सुनने वाला ये।"

विन्नी:- अरे यार ये कहां फस गई मै, और तुम तबसे चुपचाप मूर्ति क्यों बने हो।

क्रिश:- मै कुछ सोच रहा हूं?

विन्नी:- और क्या सोच रहे हो?

क्रिश:- जब वो तस्वीर ले ही रहा था तब मुझे पूरे किस्स के बाद ही अलग होना था।

विन्नी:- हुंह ! मै परेशान हूं और तुम्हे मज़ाक सूझ रहा। कुंजी बहना प्लीज उससे बोल ना तस्वीर डिलीट कर दे।

कुंजल:- मै क्या जैपनीज में बोल रही थी। तेरे सामने ही उसे डिलीट करने बोली थी ना।

विन्नी:- तो तू आरव से बात करके देख ना।

कुंजल:- क्या कहूं मै अपने भाई से… मेरी दोस्त को चुम्मा लेने में और देने मै काफी दिक्कत हो रही है, वीरे को बोल दो उनके चुम्मी के बीच ना आए। पागल कहीं की। इतना है तो तू ही अपने भाई से क्यों ना बात कर लेती। वैसे भी तू उसे मैनेज करने वाली थी, जाकर मैनेज कर। मै चली तैयार होने आज शॉपिंग और फिर डिस्को… वूं हू … अपनी तो पाठशाला मस्ती कि पाठशाला…

विन्नी:- भाग यहां से, कमीनी ताने मर रही…

कुंजल के जाते ही विन्नी भी चली वीरभद्र को मैनेज करने। पहले विन्नी ने मिन्नतें की, फिर गुस्सा और फिर लड़ाई, लेकिन वीरभद्र को कोई डरा सकता था क्या… आलम ये रहा, शॉपिंग के वक़्त विन्नी कुंजल के साथ और क्रिश, वीरभद्र के साथ। डिस्को में तो हद ही कर दिया वीरभद्र ने। क्रिश और विन्नी को आधे फिट की दूरी बनाकर रखते हुए डांस करने के लिए कहा और खुद वहीं बैठकर सब देख रहा था।


शाम के 4 बजे.. सिन्हा जी के ऑफिस..


कॉन्फ्रेंस हाल में अपस्यु और ऐमी दोनों एक साथ बैठे और सामने सिन्हा जी थे…

सिन्हा जी:- आज की ऑफिशयल मीटिंग का मुद्दा।

अपस्यु:- हम काम करने के लिए तैयार है।

सिन्हा जी अपने जगह से खड़े होते हुए….. "काम तो है लेकिन ये भरोसा दिलाना होगा कि एक बार काम हाथ में लोगे तो उसे बीच में नहीं छोड़ोगे और ना ही किसी को पता चलना चाहिए कि ये काम किसके लिए कर रहे हो।

अपस्यु:- काम शुरू करने से पहले मुझे काम की पूरी डिटेल चाहिए। अगर अनैतिक काम नहीं हुआ तो ही मैं काम करूंगा। और जिसके लिए भी काम करूंगा मै खुद उससे आमने-सामने बात करना चाहूंगा। वही पहली और आखरी मुलाकात भी होगी उस काम के संबंधित।

सिन्हा जी:- हां ये मै जनता हूं … ठीक है दोनों यहीं बैठो…

तकरीबन 5 मिनट बाद सिन्हा जी होम मिनिस्टर के साथ वापस लौटे। उन्हें आते देख अपस्यु और ऐमी ने खड़े होकर इज्जत दी और फिर सब बैठ गए…

सिन्हा जी…. मंत्री जी के पास तुम लोगों के लिए एक काम है, बाकी डिटेल वही देंगे…

मंत्री जी:- मै जानता हूं तुम्हारा मन में कई सारे सवाल होंगे, लेकिन उन सभी सवालों को जवाब में इतना ही कहूंगा, हर काम कानूनन नहीं किया जा सकता इसलिए हमे प्रोफेशनल हायर करने पड़ता है। तो क्या मै तुम्हे प्रोफेशनल समझ सकता हूं।

अपस्यु:- जी सर आप समझ सकते है। कोई भी काम बताने से पहले सिन्हा सर ने तो मेरे काम करने का तरीका बता ही दिया होगा।

मंत्री जी:- हां पता है, तुम अनैतिक काम अपने हाथ में नहीं लेते, बताया था सिन्हा ने। काम बताऊं उससे पहले मै एक बात साफ कर दूं असफल होने कि स्तिथि में पूरा मामला तुम्हे खुद संभालना होगा।

अपस्यु:- हां ये मै अच्छे से जानता हूं…

मंत्री जी:- आर.डी. केमिकल्स, हेड ऑफिस बंगलौर। इसके बसेमनेट के नीचे एक पूरा हॉल बना है, जिसके अंदर एक सेफ है। उसके अंदर एक रिसर्च के पेपर है। उसे तुम्हे निकलना है।

अपस्यु:- ये तो किसी की मेहनत को चुराना हुआ…

सिन्हा जी:- ऐसा तुम्हारा मानना है। लेकिन हमारा मानना है विज्ञान पर सबका अधिकार है। उस रिसर्च में कैंसर के एक मेडिसिन की डिटेल है। उस मेडिसन का पटेट आर.डी. केमिकल्स के पास थी। पेटेंट खत्म होने के बाद जब दूसरी फर्मा कंपनी ने उस दवा को बनाया तो कीमत जहां पहले 1 टैबलेट की 800 रुपए थी वो सीधा 60 रुपए के आस पास आ गई। मामला यहां फसा है की जो दूसरी कंपनी बनाते है उन टैबलेट्स में वो असर नहीं रहता जो आर.डी. केमिकल्स के दवा में है। हमे शक है कि उसने कोई एक छोटी जानकारी गायब की है।

अपस्यु:- हम्मम !!! ठीक है मै ये काम करूंगा, कीमत क्या होगी…

मंत्री जी:- 2 करोड़ अगर तुम सफलतापूर्वक वो रिसर्च कॉपी को लाने में कामयाब हुए तो।

अपस्यु:- ठीक है सर मुझे ये काम पसंद आया। आप आरडी की पूरी डिटेल हमे दे दीजिए….

पूरी डिटेल लेने के बाद दोनों वहां से निकल गए और वहां से दोनों अपस्यु अपने तीसरे फ्लैट पहुंचा। जहां पर दोनों पूरी फाइल पर रिसर्च करने लगे… तकरीबन 3 घंटे की माथा-पच्ची के बाद दोनों थोड़े रिलैक्स हुए।

ऐमी:- यहां से बैठकर कोई प्लैनिंग नहीं की जा सकती, हमे उनके नेटवर्क को हैक करना होगा।

अपस्यु:- तुम कर पाओगी।

ऐमी:- उसके लिए तो पहले हमे बंगलौर जाना होगा.. रिमोट एसेस हैकिंग तो पॉसिबल नहीं है।

अपस्यु:- ठीक है तुम शेड्यूल करो पूरा। मुझे 3 दिन लगेंगे मैक्रो डिवाइस तैयार करने में।

ऐमी:- ठीक है मै आज रात पूरा शेड्यूल करती हूं। कॉल ऑफ करे अब।

अपस्यु:- हां कॉल ऑफ करते हैं।

ऐमी दोनों के लिए कॉफी बनाकर ले आयी... "बहुत दिनों के बाद एक्शन होने वाला है, मै एक्साइटेड हूं।"

अपस्यु मुस्कुराते हुए…. "पागल कहीं की, एक्शन की दीवानी। अब छोड़ो उसे और आज शाम का तुम्हारा प्रोग्राम क्या है वो बताओ।"

ऐमी:- तुम्हे 3 दिन लगेंगे मैक्रो डिवाइस बनाने में, मुझे अपने सॉफ्टवेर पर काम करना है। पुराना सिस्टम आउटडेटेड हो गया होगा, मुझे शुरू से काम करना पड़ेगा।

अपस्यु:- अच्छा जी ! मतलब मुझे ऐसा क्यों लगा रहा है कि तुम आज का डिस्को का प्रोग्राम कैंसल करने वाली हो।

ऐमी, अपस्यु के गाल खींचती… "यू आर टू गुड, वैसे भी मिसन की सफलता का जश्न तो होगा ही।"..

अपस्यु:- ये भी सही है, ठीक है फिर मिलते है 3 दिन बाद..

ऐमी:- हां ये सही है…

दोनों वहां से जैसे ही निकलने को हुए, ऐमी किस्स करती हुई कहने लगी…. कोई स्लीपलेस नाइट नहीं, और ना ही एक्स्ट्रा लोड, मै सॉफ्टवेर के साथ माइक्रो डिवाइस भी डेवलप कर लूंगी। समझे…

अपस्यु:- येस मिस… नो सलीपलेस नाइट और जितना होगा उतना ही डिवाइस बनाऊंगा।

ऐमी दोबारा उसे किस्स करती… दैट्स माह गुड बॉय.. अब चलें…

अपस्यु घर लौट कर सीधा अपने वर्किंग सेक्शन में गया। ये बालकनी से लगा कमरा था जो केवल काम के वक़्त ही खुलता था। वरना बंद ही रहा करता था। शाम के 8.30 बजे वो अंदर गया, 3 मैक्रो डिवाइस वो अबतक बना चुका था लेकिन एक भी मनचाहा परिणाम नहीं दे रहा था।

अंत में उसने ऐमी को कॉल लगाया और उससे कुछ मदद मांगी। ऐमी उसे वीडियो के जरिए एसिस्ट करती रही और डिवाइस में बुनियादी बदलाव के सुझाव दिए। उसके बाद अपस्यु फिर से कोशिश किया… अभी वो डिवाइस बनाने के बिल्कुल मध्य में था, तभी उसके दरवाजे पर नॉक हुई…. "मां बस थोड़ी देर और"…

"मै हूं श्रेया, 12.00 बज गए है, आंटी आपका नीचे इंतजार कर रही है।"…. "आप बढ़िए मै आ रहा हूं।"..

अपस्यु काम बीच में ही रोककर वहां से निकला, और फ्रेश होकर जल्दी से खाने के टेबल पर पहुंचा…. श्रेया उसके लिए थाली लगा रही थी… "मां कहां गई।"..

श्रेया:- आंटी थकी थी, तो वो खाकर आराम करने चली गई।

अपस्यु:- अरे आप रहने दीजिए मै ले लूंगा। आप भी जाइए, आप को भी आराम करना होगा।

श्रेया:- कोई बात नहीं है मै निकाल रही हूं, आप खाना खाइए।

अपस्यु उसके बाद कुछ नहीं कहा बस अपने खाने पर ध्यान देने लगा। … "स्ट्रेंज हां।"…… "क्या?"

श्रेया:- मुझे लगा आप सुबह के बात को लेकर कुछ बोलेंगे, लेकिन आपका पूरा ध्यान तो खाने पर है।

अपस्यु:- नहीं मै पूछने ही वाला था, वो सुबह आप अचानक से ऐसे गुस्सा क्यों हो गई थी?

श्रेया, खुलकर हसने लगी, और अपस्यु उसे हंसते हुए देखने लगा…. "क्या हुआ मैंने कोई कॉमेडी कि क्या?"

श्रेया, अपनी हंसी रोकती हुई….. सॉरी, वो आप के रिएक्शन ऐसे थे ना, नहीं मै पूछने ही वाला था.. हालांकि ये हम दोनों को पता है कि आप कभी इस बात की चर्चा भी नहीं करने वाले थे..

अपस्यु:- तो आप भी चर्चा छोड़ दीजिए क्यों बात को पकड़े बैठी है।

श्रेया:- मै दिल से आप से माफी मांगती हूं। प्लीज मुझे माफ़ कीजियेगा। और यहां पर एक छोटा सा स्पष्टीकरण (clarification)

अपस्यु:- इसकी जरूरत है क्या?

श्रेया:- है तो नहीं, लेकिन जब तक अपनी फीलिंग बता ना दूं चैन नहीं आएगा। तो आप है अपस्यु, जो सहर के माहौल और यहां के दोहरी नेचर से बिल्कुल दूर रहे है। आप की बात पर अब से ठीक इसी छवि के साथ प्रतिक्रिया भी होगी।

अपस्यु:- सुबह की तरह क्या?

श्रेया:- ताने हां !! अच्छा अब इस स्पष्टीकरण के बाद अपनी भूल के लिए 1 छोटी सी भरपाई…

अपस्यु:- अब इसकी भी जरूरत है क्या?

"जरूरत तो नहीं लेकिन जबतक भरपाई ना हो जाए, मुझे सुकून नहीं मिलेगा… ये लीजिए मेरी ओर से छोटा सी भरपाई"…. श्रेया, भगवान शिव की बहुत ही प्यारी सी प्रतिमा उसे भेंट स्वरूप दी, जिसे वो हॉल में बने रैक पर रखती हुई कहने लगी…. "आप दोनों में विशेष समानताएं है। जैसे महा शिव रूपवान, गुणवान, रौद्र और भोले है आप में भी उन्हीं के गुण हैं।"

अपस्यु:- तो मिसेज नंदनी रघुवंशी ने आज आप की क्लास ली है, इसलिए आप मेरी क्लासिफिकेशन यहां बता रही…

श्रेया:- मै फिर हसुंगी आप फिर कहिएगा मैंने कोई कॉमेडी कि क्या? वैसे आप ने जिस प्रकार से अपनी बात आंटी से कही ना वो ईपिक था। मतलब बिल्कुल ही हटकर। सच ने बहुत ही भोले है। और आंटी ने जितनी बातें आप के बारे में बताई, वो बिल्कुल सही थी।

थोड़े समय तक दोनों के बीच इसी प्रकार बातें होती रही, फिर दोनों एक दूसरे को शुभ रात्रि कहते हुए विदा लिया।
Shabdo ke sondriyekaran se puranta liye hue ek aur update.
 

Nevil singh

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USA Trip….

सन-डिएगो में 6 दिन हो चुके थे और वीरभद्र, विन्नी और क्रिश के बीच सनी कि तरह कुंडली मारे बैठ गया था। वो अपने साथ क्रिश को ऐसे बांधे रखता था कि किस्स तो दूर की बात है, दोनों हाथ में हाथ डालकर साथ चल भी नहीं सकते थे। सभी लोग आज रात सन-डिएगो से कुछ दिन के टूर पर न्यूयॉर्क निकल रहे थे।

विन्नी अपनी किस्मत पर रोती हुई कुंजल से गुस्से में कहने लगी…. "कुंजी, तू बहुत मज़े ले रही है ना मेरी इस हालत पड़। ये तू अच्छा ना कर रही है।"

कुंजल, हंसती हुई कहने लगी…. "किसे कॉन्फिडेंस था, जरा बताएगी।"

विन्नी:- एक ही बात के लिए कितने ताने मारेगी, ले दोनों कान पकड़ कर माफी मांगती हूं। जरा मेरे हालत पर भी तरस खा ले।

कुंजल:- हम्मम ! तेरी हालत तो वाकई पिंजरे में कैद बुलबुल जैसी है… कोई ना सोचती हूं कुछ…

विन्नी, खुश होते…. "पक्का"…

कुंजल:- हां बाबा पक्का, अब ऐसे ही हंसती रहना। और तैयार हो जा… all the way to New York…

विन्नी:- woooooooo hooooooooo….

शिकागो में 6 दिन काटने के बाद आज आरव की मुस्कान भी वापस लौट आयी थी। सुबह ही मिश्रा फैमिली उसी होटल में चेक इन कर चुकी थी जहां अराव पिछले 6 दिनों से था। ये कोई इत्तेफ़ाक नहीं था बल्कि आरव, उन लोगों के ट्रैवल एजेंट से सब पता कर चुका था। केवल दोनों के फ्लोर अलग थे, आरव 8th फ्लोर पर था और मिश्रा परिवार 7th फ्लोर पर।

मनीष मिश्रा भी अपने परिवार को ज्वाइन करने, कुछ दिनों की छुट्टियों पर था, साथ में मनीष और राजीव के बड़े बेटे, नीरज और कबीर भी वहां पहुंचे थे। होटल भी काफी आलीशान था। 7th फ्लोर के हर कमरे में के अंदर 2 सेपरेट कमरे, छोटा सा हॉल और बहुत सारी सुविधाओं से लैस थी।

अभी दोनों बहनों को कमरे में आए 10 मिनट भी नहीं हुए होंगे.. साची बाथरूम में फ्रेश होने गई थी और लावणी कमरे के अपने हिस्से में अपना सामान जमा रही थीं। तभी पीछे से आरव उसके गले लगते, उसके कानों के नीचे, गले पर किस्स किया।

लावणी चौंक कर पीछे मुड़ी और आखों के सामने आरव को देखकर उसकी आखें और भी ज्यादा फैल गई। उसके हैरानी का सबब ऐसा रहा की वो बस बुत (idole) बनी भौचक्की (shocked) होकर, बिना पलकें झपकाए ताकने लगी।..

आरव उसके आखों के सामने चुटकी बजाते….. "क्या हुआ मिस, आप कुछ ज्यादा ही हैरान दिख रही हैं।"

लावणी, अब भी हैरानी से ही देखती हुई…. "क्या ये तुम हो आरव।"

आरव अपना सिर हिलाते…. "हां रे मै ही हूं।"..

लावणी, हैरानी की हालत में ही, आखें फैलाए और बिना पलकें झपकाए…. "किस्स करो फिर"..

आरव उसके होटों को छू कर पीछे हुआ। किस्स होते ही लावणी ने अपनी पलकें झपकाई और खुशी से उछालती हुई…. "ओह माय गॉड .. ओह माय गॉड … ओह माय गॉड.. ओह माय गॉड"… बिल्कुल चहकती हुई वो "ओह माय गॉड" करती आरव को जोड़ से अपने बाहों में जकड़ ली….

"क्या हो गया क्यों इतना शोर मचा रही है।"… साची बाथरूम से आवाज़ लगाई…. "कुछ नहीं दीदी, यूएस पहली बार आयी हूं, ये उसी की एक्साइटमेंट है।"… और कहते हुए आरव के होठों से होंठ को लगा कर उसे चूमने लगी।

कुछ पल डूब कर किस्स करने के बाद आरव लावणी से अलग हुआ और उसकी आखों में देखते हुए कहने लगा… "अब तुम आराम करो, मै बाद में मिलता हूं।"..

आरव, वापस खिड़की से जाने लगा.. लावणी उसे रोकती हुई… "अभी तो मिले है, अभी छोड़कर जा रहे हो।"..

आरव:- तुम्हारे लिए ही तो यहां परा हूं। अब जब हम इतने दिनों बाद मिल रहे है तो फ़िक्र मत करो… अब बस मै और तुम ही होंगे…

लावणी:- रूको.. वहां से कहां जा रहे हो..

आरव:- यहीं से तो अभी अंदर आया हूं… तुम्हारा नीचे कमरा और इसके ठीक ऊपर मेरा कमरा…

लावणी, अपनी आखें दिखाती…. "कोई फिल्म की शूटिंग नहीं चल रही जो तुम बार-बार खिड़की से आओ और जाओ। चुप-चाप दरवाजे से जाओ, कोई हीरो बनने की जरूरत नहीं है… और वापस खिड़की से तुम्हे यहां आने की जरूरत नहीं है।

आरव, थोड़ा मायूस होकर…. "पर यहां तो मै सिर्फ तुम्हारे लिए हूं।"

लावणी, उसके गले लग कर उसके गाल को चूमती कहने लगी…. "तुम्हे आने कि जरूरत नहीं है, मौका देख कर मै ही मिलने आऊंगी। अब सीधे-सीधे दरवाजे से जाओ और आना भी हो तो दरवाजे से आना।

आरव जाते-जाते एक बार फिर लावणी को चूमते हुए दरवाजे तक आया, दरवाजे की आड़ में दाएं-बाएं देखा और तेजी से उस फ्लोर के लॉबी से गायब हो गया।…

"कौन आया था यहां।"… साची बाहर निकलते ही पूछने लगी…

लावणी:- कौन होगा… यहां तो बस मै और मेरी एक्साइटमेंट थी।

साची:- क्या बात है, जितना तू पूरे रास्ते नहीं चहक रही थी, यहां कमरे में आते ही पूरे तेवर बदल गए। किसी गोरे को तो नहीं पसंद कर ली?

लावणी, अपनी आंख मारती…. "तो आप भी एक पसंद कर लो, मैंने थोड़े ना रोका है।"

साची:- ओह हो तो हमारी भुटकी अब बड़ी हो रही है।..

लावणी, साची का हाथ पकड़ कर उसे गोल-गोल घुमाती कहने लगी…. "हां कुछ ऐसा ही समझ लो।"…

साची:- अरे हाथ छोड़, टॉवेल खुल जाएगा… पागल कहीं की बिल्कुल दीवानी हुई जा रही है।….


16 जून 2014… दिल्ली…

अपस्यु और ऐमी दोनों बंगलौर के लिए अपने घर से निकल चुके थे। अपने तैयारियों को देखने के लिए दोनों अपस्यु के तीसरे फ्लैट, कनॉट प्लेस के पास वाले मुक्ता अपार्टमेंट में मिल रहे थे।

ऐमी अपस्यु की पूरी रीडिंग लेती हुई… स्पीड परफेक्ट है 38km/hr.. शॉर्ट रेंज पॉवर पंच 280 पाउंड, ओवरऑल पंच पॉवर 880 पाउंड… हाई और लोग जंप भी परफेक्ट, 360 डिग्री फ्लिप भी परफेक्ट है… फिजिकली कंप्लीट परफेक्शन।

अपस्यु:- तो फिर चले, मेंटली देख ले हम कितने प्रेफेक्ट है।…

दोनों वहां से फ्लाइट बोर्ड करने निकले। दोनों बंगलौर पहुंच चुके थे। दो अलग-अलग होटल में दोनों ने अपना-अपना कमरा लिया। एक होटल आरडी केमिकल के हेड ऑफिस के ठीक सामने था, जहां से उनके ऑफिस का सामने का हिस्सा पूरा दिख रहा था। वहीं ऐमी का होटल उसके ऑफिस के पीछे का पूरा व्यू दे रहा था।

उस दिन दोनों ने कोई काम नहीं किया। बंगलौर पहुंच कर घूमे, सिनेमा देखा, क्लब गए और रात के 10.30 बजे तक अपने अपने होटल पहुंच चुके थे। सुबह के 8 बजे अपस्यु ने ऐमी को कॉल लगाया और फिर दोनों सोने चले गए। 3 बजे के करीब अपस्यु की नींद खुली। आखें खुलते ही उसने ऐमी से कॉन्टैक्ट किया, वो भी कुछ देर पहले ही जागी थी।

6 बजे के आसपास फिर से दोनों बंगलौर घूमने निकले, और रात के 10.30 तक वापस लौटे। आज रात दोनों आते ही सो गए और सुबह के तकरीबन 7.30 बजे उठे। 7.30 बजे सुबह से लेकर रात के 10.30 बजे तक दोनों कहीं निकलें नहीं। रात के 10.45 पर अपस्यु कार लेकर ऐमी के होटल के नीचे उसके आने का इंतजार करने लगा।

ऐमी जब कार के ओर बढ़ रही थी, अपस्यु देख पा रहा था वहां मौजूद लड़कों को, जो पीछे से ऐमी को जाते हुए लगातार घुरे जा रहे थे। और हो भी क्यों ना ऐसा। अपने कमाल के चेहरे पर, वो आज पूरा मेकअप लगाकर क़यामत ढा रही थी। आंखों की हल्की काजल, ऐसे प्रतीत हो रही थी जैसे उसकी आंखे सबकी नजरें अपनी ओर आकर्षित कर रही हो।

उसपर से उसके लहराते खुले बाल, जिसकी कुछ कर्ली लटें चलने के साथ ऐसे बलखाती थी, देखकर रोम-रोम खुश हो जाए। अपस्यु भी उसके रूप को पूरा निहार रहा था। अपस्यु को अपने ओर ऐसे देखते हुए, ऐमी मुस्कुराए बिना नहीं रह पाई।

ऐमी कार में बैठती…. "मुंह तो बंद करो सर"…

अपस्यु:- माहौल बनना है, मैंने ऐसा कहा था, तुम तो बिजलि गिराने के लिए निकली आयी….

ऐमी, अपस्यु को आंख मारती…. "तो चलकर बिजली ही गिराते है।"

शायद अभी अपस्यु ने मात्र ट्रेलर ही देखा था, क्योंकि ऐमी ने अपने ऊपर लंबी सी लैदर जैकेट डाली हुई थी। लेकिन डिस्को में जाने से पहले जब उसने वो जैकेट उतारी…. उफ्फ, उस एसी कार में अपस्यु को पसीने आने लगे।….

लाल रंग की वो छोटी सी पोशाक जिसके आगे से, उसके बड़े गले का अाकर, उसके योबान को पूरा उभार रहा था, और पीछे "वी" अाकर का शेप, जो कमर से ऊपर तक फैलते-फैलते पीछे बैकलेस करता जा रहा था। ऊपर से ऐसा लग रहा था कि पूरे पाऊं और बदन के हर खुले हिस्से में वो मेकअप पोत कर आयी हो। पूरा बदन गोरा और चमकदार नजर आ रहा था। देखने वाले देखकर कंफ्यूज हो जाए, कि बदन के किस हिस्से पर नजर जमानी है और किस हिस्से को छोड़ दे।

दोनों डिस्को के अंदर पहुंचे। यूं तो वहां और भी सेक्सी बालाएं थी, लेकिन जो जादू ऐमी बिखेर रही थी, उसके दीवाने सब की नजरें हुई जा रही थी। दोनों जैसे ही बार काउंटर पर बैठे, दाएं बाएं कई लड़कों की भीड़ लग गई जो अपनी अदा से ऐमी को लुभाने की कोशिश कर रहे थे।

वो कहते है ना जैसा रूप वैसा स्वभाव, और ऐसे रूप पर थोड़ा गुरूर जचता भी था। ऐमी सभी को अपना गुरूर दिखाती वहीं पर तीन टकीला शॉट ली, अपस्यु भी उसका साथ निभाते 3 टकीला शॉट खिंचा।

ऐमी, अपस्यु का हाथ पकड़ते डांस फ्लोर तक ले गई और संगीत की थिरकन पर जो उसने अपना पहला मूव दिया.. देखने वाले हूटिंग करने लगे। वहीं अपस्यु भी रंग जमाते, उसका हाथ पकड़ कर उसे अपने दाएं-बाएं ऐसे उठा कर नाचने लगा जैसे उसके हाथ में कोई खिलौना हो। दोनों अपने पूरे पैशन में एक दूसरे से चिपक कर ऐसे नाच रहे थे, देखने वाले बस आखें फाड़कर, उन्हें ही देखने में लगे थे।

उन दोनों के डांस फ्लोर पर आते ही लगभग वो डांस फ्लोर खाली सा हो गया था। दोनों के हर स्टेप पर सब हूटिंग कर रहे थे। और अंत में जो ही अपस्यु ने उसके कमर से पकड़कर खिंचा और किस्स किया… सब की आखों में वो समा जैसे कैद हो गया हो।

दोनों वहां से हंसते हुए बाहर के ओर आने लगे.. रास्ते में छोटा अंधेरा पैसेज था। वहां अपस्यु ने ऐमी को दीवाल से बिकुल लगाकर, उसके हाथों को अपने हाथों में लेकर उसे ऊपर दीवार से पूरा चिपका दिया। खुद वो उसके ऊपर आकर उसके गर्दन से लेकर सीने पर किस्स करने लगा और कुछ देर के किसिंग के बाद दोनों फिर हंसते हुए वहां से बाहर निकले और कार में बैठ कर अपस्यु ने पूरा पिकअप लिया।

ऐमी अपने ऊपर जैकेट डाल कर सीट बेल्ट बांध ली। कार लगभग 90 के रफ्तार पर थी और उससे भी ज्यादा रफ्तार से पीछे से 2 कार चली आ रही थी। पहली कार उनको क्रॉस की। वो कार राईट से क्रॉस करके उसके लेफ्ट में गई और दूसरी कार क्रॉस करके राईट पर ही चल रही थी। उन दोनों कार के पीछे अपस्यु की कार बिल्कुल मध्य से चल रही थी।

अचानक ही दोनों कार ने अपनी गति को धीमा किया। अपस्यु सब कुछ समझकर, कार को गलत साइड ले गया और वहां से अपनी गति को बढ़ा कर उन दोनों को क्रॉस करते अपनी साइड आ गया। दोनों कार वाले ताकते रह गए और अपस्यु उनसे आगे निकल कर गति को 100 के पार ले गया।

लोकल सड़क पर इतनी गति वो भी एक आम कार के लिए… बहुत ही ज्यादा थी वो गति। उन दोनों पीछा करने वालों को भी ये बात पता थी कि अपस्यु इस गति को और ज्यादा देर तक जारी नहीं रख सकता था।

उन दोनों ने भी एक बार फिर अपनी गति बढ़ाई। अपस्यु को क्रॉस करने के लिए उनको अपनी गति 120 पर लेकर जनी पड़ी। दोनों कार लेकिन इसी गति से चेस करते, एक बार फिर उनके आगे थे। सड़कों पर सायं-सायं के आवाज़ के साथ, धूल उड़ाते तीनों कार चूहे-बिल्ली के खेल में लगे हुए थे।

एक बार फिर उन दोनों कार ने अपस्यु का रास्ता रोकते हुए, उसे गति पर लगाम लगाने के लिए मजबुर कर दिया। कार कि गति धीमी होते बीते 60 पर पहुंच चुकी थी। अपस्यु ने एक बार फिर कार को जैसे ही राईट में मोड़ा, उसके राईट साइड वाली कार पूरा एक्सीलरेटर लेते हुए पूरा राईट गया।

वो तो राईट चला गया लेकिन अपस्यु तुरंत ही अपनी कार सीधी करते एक्सेलेरेटर पर पाऊं दिया और मिडिल फिंगर निकाल कर उन्हें दिखाने लगा… उसका ड्राइवर जबतक उस मिडिल फिंगर को देख रहा था.. जोड़ से टकराने की आवाज़ आयी और कार जाकर सीधा एक सिक्योरिटी वैन को सामने से टक्कर दे मारी। इनके साथ चल रही दूसरी कार ने वहीं ब्रेक लगाया और 4 लड़के दौर कर सड़क के दूसरे ओर चले गए।

इधर अपस्यु और ऐमी ने अपनी कार होटल में पार्क कि और दोनों रूम में जाकर बाहर का नजारा देखने लगे। हर मिनट कैलकुलेट हो रहा था और हर बारीक चीज पर अपस्यु अपनी नजर बनाए हुए था।
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Nevil singh

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इधर अपस्यु और ऐमी ने अपनी कार होटल में पार्क कि और दोनों रूम में जाकर बाहर का नजारा देखने लगे। हर मिनट कैलकुलेट हो रहा था और हर बारीक चीज पर अपस्यु अपनी नजर बनाए हुए था।

ऐक्सिडेंट के ठीक 5 मिनट बाद पुलिस वाहन वहां पहुंच चुकी थी। ऐसा लग रहा था जैसे कोई बड़ा कांड हुआ हो। कुल 22 पुलिसकर्मी वहां पहुंचे थे। जिनमे ज्यादातर 1 या 2 सितारा वाले पुलिस थे। कुछ पुलिसकर्मी ऊपर बिल्डिंग के पास गए। 2-3 उसके चारो ओर चक्कर लगाकर देखने लगे। 5-6 पुलिस वाले वहां के ट्रैफिक को देख रहे थे, हालांकि रात के इस प्रहर में ज्यादा ट्रैफिक तो नहीं थी, लेकिन फिर भी पुलिस पूरी मुस्तैदी से वहां के ट्रैफिक को मेनटेन कर रहे थे।

लगभग आधे घंटे में वहां का पूरा तमाशा खत्म हो चुका था। पुलिस वालों के जाते ही एक सिक्योरिटी गार्ड बाहर आकर खड़ा हुआ। वहीं उसके दाएं ओर सबसे आखरी में बिल्डिंग के पिलर पर एक बॉक्स लगा था। उस बॉक्स के ऊपर लगे दोनों स्विच को बंद करके वहीं कोने में बैठ गया।

"कुछ भी बदलाव नहीं है, अब फिर से वही सब कुछ यहां होगा"… ऐमी भी बाहर के ओर देखती हुई कहने लगा। अपस्यु उसके पीछे अाकर, अपने चेहरे को उसके कंधे पर रख कर, अपने चेहरे को उसके चेहरे से बिल्कुल जोड़ते …. "बस एक बदलाव है, यहां इस कमरे में"….

अपनी बात कहकर अपस्यु उसके जैकेट के बटन को खोलता चला गया। जैकेट के दोनों साइड को पकड़ कर वो धीरे-धीरे पीछे आने लगा… ऐमी अपने दोनो हाथ पीछे की ओर उठा कर अपने पूरे बदन को आगे की ओर झुका ली, और जैकेट हाथों से फिसलते हुए, धीरे-धीरे उसके बदन से अलग हो गया।

अपस्यु तेजी से उसके पीछे पहुंचा और उसके खुले पीठ पर अपने हाथ फेरते हुए, उसके कानों के नीचे गले पर चूमने लगा। पीछे से चूमते हुए, उसने कंधे से स्ट्रिप को खिसकना शुरू किया और धीरे-धीरे ऐमी हाथों से सरकाते हुए उसे बाहर निकाल दिया।

स्ट्रिप के हाथों से निकाल ही ऐमी की छोटी सी पोशाक भी उसके पाऊं में थी और अपस्यु उसके दोनों कंधो के बीच पीठ पर चूमते हुए, उसके स्तनों पर पर अपने हाथ डालते उसे मसलते हुए, उसे पीछे से गर्दन से लेकर पीठ तक चूमने लगा। ऐमी की कसमसाहट, और मस्ती में अपने होटों को दातों तले दबाकर वो तेज-तेज श्वास लेने लगी।

अपस्यु उसके स्तनों को अपने हाथों के बीच पूरा मसलते मज़े ले रहा था। उसके पीठ को चूमते हुए अपस्यु नीचे बैठ गया। अपने हाथों से उसके पैंटी को नीचे खिसकाते, धीरे-धीरे नीचे लाते उसे भी बाहर निकाल फेका। ऐमी आगे के ओर झुकी खिड़की पर लगे पाइप को अपने मुट्ठी में पकड़ी, तेज-तेज चलती श्वासो के साथ, धीमी-धीमी सिसकियां भी ले रही थी।

अपस्यु नीचे बैठ कर पैन्टी को उसके पाऊं से बाहर निकाल कर फेंक दिया। आखों के सामने ऐमी को पीछे पूर्ण नग्न देखने का मादक एहसास। बिल्कुल सफेद शरीर और उभरा वो नितम्ब। अपस्यु उसके जांघ को चूमते हुए ऊपर बढ़ा और अपना चेहरा उसके नितम्बों के बीच पूरा डालकर खेलना शुरू कर दिया..

ऐमी पागल होती अपने होंठ दबाकर तेज सिसकारियां लेने लगी। उसके शरीर में कंपन फैल गया। उसका रोम-रोम सिहर उठा। अपस्यु उसके पीछे अपना पूरा चेहरा लगाकर, अपने हाथ को आगे ले गया और उसके योनि के ऊपर डालकर, योनि को कभी धीमे तो कभी जोर से मसलते जा रहा था। ऐमी की मादक सिसकारियां जोड़ पकड़ने लगी थी। उसके पाऊं मस्ती से हिलने लगे और अब खुद को संभालना भी मुश्किल हो रहा था…

ऐमी तेजी में पलटी, अपस्यु को खड़ा करती उसके होटों को चूमना और काटना शुरू कार दी। फिर खुद नीचे बैठकर अपस्यु के पैंट को पूरे तेजी के साथ खोली। उसके अंडरवीयर को नीचे सरकाती, उसके लिंक को अपने मुट्ठी में जकड़कर, उसे कुछ देर तक आगे पीछे हिलाने के बाद, बॉल को चूमते हुए उसके लिंग पर अपनी जीभ चलाई और अपना मुंह खोल कर अंदर ले ली।

पूरे मस्ती में वो उसके लिंग को चूसती हुई उसके बॉल को अपने हाथों में लेकर उसके साथ खेनलने लगी.. अपस्यु बिल्कुल बेकाबू अपने सिर को ऊपर किए तेज तेज सांस लिए जा रहा था और ऐमी लगातार उसके लिंग को मुंह में लेकर आगे पीछे करती हुई चूस रही थी।

अपस्यु से भी अब बर्दास्त कर पाना मुश्किल हो गया। वो ऐमी को कंधे से पकड़ कर ऊपर उठाया। उसके दोनों स्तनों को अपने दोनो हथेलियों के बीच दबाकर, उसे पूरा अपने हाथों में कैद करके मसले हुए ऐमी के होंठों को चूसने लगा।

ऐमी भी पागल होती उसके होटों को काटती उसके जीभ को चूसने लगी। अपस्यु ने उसके अपने गोद में उठाया और बिस्तर पर पटक कर उसके दोनों पाऊं को फैला दिया। योनि के बीच अपने लिंग को डालते, एक ही झटके में अपने लिंग को पूरा अंदर तक तेज झटका मारा। ऐमी के स्तनों को दोनों हाथों में दबोज कर, उसपर पूरे अपने नाखूनों को धसा दिया। ऐमी तेज तेज "आहहहहहहहहहहहहहहहहह" करती अपने दोनो मुट्ठी में चादर को दबोचकर अपनी छाती ऊपर करने लगी। ऐमी भी लिंग को योनि के पूरा अन्दर मेहसूस करने लिए तेज-तेज ऊपर नीचे कमर को झटकने लगी।

हर झटका पूरे थिरकन के साथ अंदर तक मेहसूस हो रहा था। वासना अपने पूरे चरम पर थी और फिर तेज-तेज झटकों के बीच ऐमी का बदन अकड़ने लगा। इसी के साथ अपस्यु ने भी अपने झटकों कि रफ्तार पूरा बढ़ाते, उसका पूरा साथ साथ देने लगा। और फिर दोनों ही अपने चरम पर पहुंचकर उस सुख को भोगते हुए शांत हो गए।

अपस्यु वहीं उसके पास में लेट कर अपनी श्वास सामान्य करने लगा।… एक मीठी रात दोनों के जहन में कैद हो गई और दोनों निढल पड़े सो गए। सुबह जब ऐमी की नींद खुली तो अपस्यु के नंगे बदन को देखकर उसके अंदर गुदगुदी सी हो गई। वो अपस्यु के होंठ को चूमती हुई बाथरूम में घुसी और जल्दी से फ्रेश होकर बाहर निकल गई।

जबतक वो बाहर आयी अपस्यु भी जाग चुका था… ऐमी के बाहर निकलते ही, वो भी अंदर घुसा। जबतक वो बाहर आया ऐमी खाने का आर्डर कर चुकी थी… दोनों खा पीकर जब निश्चिंत हो चुके थे।

दोनों लैपटॉप खोलकर बैठ गए और कल रात के मैक्रो डिवाइस की सभी फुटेज को देखने लगे। लगभग 2 घंटे तक हर बात को नोट करने के बाद…

अपस्यु:- ऐमी तुम्हे क्या लगता है यहां की सुरक्षा को देखकर…

ऐमी:- ये लोग बहुत ही निश्चिंत है अपने सिक्योरिटी सिस्टम के कारण। ग्राउंड फ्लोर के नीचे बने बेसमेंट में जाने का सिर्फ एक ही रास्ता है, और वहां पर भी इन्होंने लेजर बिम्ब लगा रखा है।

अपस्यु:- 4 ट्रेंड गार्ड जो ग्राउंड फ्लोर पर हमेशा रहते है और एक गार्ड बाहर लगातार चारों ओर चक्कर लगाता है। 15 गार्ड की टीम जो 8 घंटे के हिसाब से 5 की टुकड़ियों में अपनी ड्यूटी निभाते हैं।

ऐमी:- अंदर के चारों गार्ड कभी बाहर नहीं निकलते और बाहर का माहौल जरा भी गड़बड़ हो तो, बाहर वाला गार्ड दोनों स्विच ऑन करके उन्हें खतरे का सिग्नल देता है।

अपस्यु:- खतरे की स्तिथि में 5 मिनट में पुलिस कि टीम भी पहुंच जाती है। पुलिस की टीम को देखकर तो यही लगता है कि ये एक्स्ट्रा सिक्योरिटी है आरडी वालों की, जो खतरे कि स्तिथि में अलर्ट हो जाती है।

ऐमी:- 3 पॉवर बैकअप है और पॉवर जाने की स्थिति में ग्राउंड फ्लोर 4 फिट मोटी स्टील के अंदर कवर, जिसे मिसाईल से भी तोड़ने में परेशानी हो जाए।

अपस्यु:- अब इतनी जानकारी हासिल करने के बाद एक ही सवाल उठता है, ये चोरी कैसे संभव होगी।

ऐमी:- यह असाइनमेंट नहीं है, ये एक ट्रैप है।

अपस्यु:- तो कल की रात फंसते है इस ट्रैप में।

ऐमी:- कैसे….

"जब रात के अंधेरे में घना कोहरा छाएगा… हम शान से, सामने से जाएंगे.. सूट उप एंड गेट रेडी फॉर एक्शन"


18 जून 2014 USA Trip


सब न्यूयॉर्क भी पहुंच गए थे और वहां पहुंचकर मस्ती कि सारी प्लैनिंग भी हो चुकी थी। रात का वक़्त और चारो कैसिनो में जाकर मज़े कर रहे थे। इसी बीच वीरभद्र के पास कुछ प्रायोजित (sponsored) लड़कियां पहुंची। जो वीरभद्र के साथ बहुत ही अभद्र हरकतें शुरू कर चुकी थी। कोई बालों मै हाथ फेर रही थी तो कोई गालों को हाथ लगा रही थी। एक ने तो पैंट के ऊपर हाथ रखकर उसके लिंग को ऊपर-ऊपर से सहलाने लगी।

कोई और मौका होता तो शायद वो पूरा मज़ा भी लेता, लेकिन नजरों के सामने कुंजल थी जो राउंड टेबल पर बैठकर, चकरी घूमने वाले जुए के टेबल पर थोड़ा-थोड़ा पैसा लुटा रही थी। वहीं पास वाली सेक्शन में विन्नी बैठकर, पासे (dice) की संख्या पर पैसे लगा रही थी, और उसके कुछ दूरी पर क्रिश बैठा हुआ अपनी गर्लफ्रेंड को तार रहा था बेचारा।

वीरभद्र उन लोगों को सामने देखकर थोड़ा असहज मेहसूस करने लगा। तभी कुंजल ने वीरभद्र को देखा और चौंकने की झुटी प्रतिक्रिया देती उसने अपना मुंह खोल ली।

कुंजल की ऐसी प्रतिक्रिया देखकर वीरभद्र उन लड़कियों को किनारे करने कि कोशिश में जुट गया। सिर को ना में हिलाकर जताने कि कोशिश करने लगा कि वो कुछ नहीं कर रहा, बल्कि यही लड़कियां पीछे पड़ी है। तभी कुंजल उसके कंफ्यूज से चेहरे को देखकर जोड़ से हसी और बड़ी अदा से चलती हुई उसके पास पहुंची और अाकर सीधा उसके गोद में बैठ गई।

ये तो वीरभद्र के लिए और भी ज्यादा चौंकाने वाला छन था और उसका हैरानी से भड़ा चेहरा देखने लायक था।…. "कुंजल जी"…. "हां वीरे जी"..

वीरभद्र:- कुंजल जी आप ये क्या कर रही है, मेरे प्राण हलख में आ गए है। आप प्लीज ऐसा मत कीजिए। मै पहले ही इन गोरी कन्याओं सें परेशान हूं।

कुंजल:- वीरे जी, ये लड़कियां आप जैसे गबरू देशी नौजवान पर फिदा हो गई है। आप 2 मिनट मुझे दीजिए, इन सबको अभी भागती हूं।

कुंजल ने कुछ देर अंग्रेजी में खिटिर-पिटिर करके समझाने कि कोशिश करने लगी कि वो लोग उसके बॉयफ्रेंड को छेड़ रही है। वीरभद्र बिल्कुल शांत बस वहां चल रहे माहौल को सुनने में लगा हुआ था और बस यही प्रार्थना करने में लगा था कि कुंजल जल्दी यहां से उठ कर जाए…

बात होते-होते अंत में ऐसा हुआ कि, वीरभद्र को कुंजल ने उसके गाल को चूमने के लिए कहने लगी। वीरे अब पूरा फसा। कुंजल ना तो उसके गोद से उठने का नाम ले रही थी और ना ही वहां से वो लड़कियां जाने का नाम ले रही थी। लेकिन वीरभद्र की अभी प्राथमिक समस्या तो कुंजल को वहां से उठाना था और इसी क्रम में वीरभद्र उसके गाल को अपने होंठ से छू कर जल्दी से सीधा हो गया…

कुंजल:- वीरे जी..

वीरभद्र:- जी कुंजल जी…

कुंजल:- किसी बच्चे को चूम रहे है क्या, गर्लफ्रेंड को चूम रहे है। थोड़ा अच्छे से चुमिए वरना ये लड़कियां आप को नहीं छोड़ने वाली।

बेचारा वीरभद्र क्या करता, सांप छूछुंदर जैसी हालत थी। उसने एक बार फिर कुंजल के गाल को चूमा। ये चुम्बन थोड़ा लम्बा चला और वीरभद्र कुंजल को चूमने के बाद फिर से सीधा बैठ गया। उसके इस किस्स के बाद वहां की सारी लड़कियां गायब हो गई और कुंजल भी उठकर बैठ गई।

कुंजल के हटते ही वीरभद्र वहां से कुछ देर के लिए गायब हो गया और इधर कुंजल, विन्नी और क्रिश हंस रहे थे। थोड़ी देर बाद वो वापस आया। कुंजल उससे मज़ाक करती हुई कहने लगी… "बहुत थके हुए लग रहे है, कहां गए थे।"

वीरभद्र, थोड़ा घबराते हुए कहने लगा…. "वो बाथरूम… मै बाथरूम गया हुआ था।"

कुंजल उसे देखकर जोड़ से हंसती हुई कहने लगी…. "हां इतनी सरी लड़कियां जब इधर-उधर हाथ लगाएगी तब तो बाथरूम जाना लाजमी ही है।"

वीरभद्र अपना मुंह छिपाए हुए इधर-उधर देखने लगा…. "वो दोनों कहां गए, मै उसे ढूंढ़ कर लाता हूं।"

कुंजल उसका हाथ पकड़कर रोकती हुई…. "अरे आप कहां जा रहे है। दोनों प्रेम के पंछी उड़ चले, उसे कहां आप ढूंढ़ने जाएंगे।"..

वीरभद्र:- उनकी तो अभी बैंड बज जानी है… अभी आरव को सब बताता हूं मै।

कुंजल:- वैसे क्रिश जाते जाते बोलता गया है.. "यदि वीरभद्र मेरे किस्स वाली फोटो भेजेगा तो वो भी हमारी किस्स वाली तस्वीर आरव को भेज दूंगा।"

वीरभद्र:- आप लोगों ने मिलकर मेरा ही चुटिया काट दिया। ये अच्छा ना किया आप लोगों ने। ये मेरा पहला काम था और मै अपने पहले काम में असफल हो गया।

कुंजल:- वीरे जी..

वीरभद्र:- जी कहिए …

कुंजल:- ऐसे अपसेट नहीं होते। वैसे भी प्रेमियों को मिलने से जब उसके घर के लोग नहीं रोक पाते तो फिर हम कौन है। आप बिल्कुल भी असफल नहीं हुए है। अब मूड ऑफ नहीं कीजिए और चलिए चलकर थोड़ा माल कमाया जाए। मैं 1000 डॉलर हार चुकी हूं।

वीरभद्र, बेचारा मायूस कुंजल के पीछे चल दिया। उसकी जीत पर फीकी मुस्कान देता और और उसके हार पर फिका सा अफसोस….
Khubsurat update hai mitr.
 
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