• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Romance भंवर (पूर्ण)

nain11ster

Prime
23,618
80,604
259
Update:-93




दोनों की खट्टी मीठी नोक झोंक जारी रही। स्वस्तिका को जिस परिवार का ना होना खलता रहा उसे वो मेहसूस कर रही थी, और अपने अरमान भी साझा कर रही थी।….


अगली सुबह कुंजल सोई हुई थी और ऐसा लगा जैसे उसका दम घुट रहा है। आंख बड़ी होकर खुल गई। पूरा मुंह प्लास्टिक के बैग के अंदर घुसा हुआ था। कुंजल छटपटा कर पूरा जोड़ लगा रही थी, लेकिन वो कुछ भी करने में असमर्थ थी, हाथ पाऊं वो पूरी ताकत से पटक रही थी लेकिन वो खुद की छुड़ाने में विफल थी।


स्वास्तिक उसके पास बैठकर यह सब कर रही थी और कुंजल उसे मारती और पिटती रही लेकिन स्वस्तिका ने तबतक नहीं छोड़ा जबतक वो खुद छोड़ना नहीं चाहती थी। जैसे ही स्वस्तिका ने उसे छोड़ा, कुंजल अपने चेहरे से पलास्टिक हटाकर खांसती हुई खुद की श्वांस की सामान्य करने लगी।


काफी देर तक हांफती हुई वो श्वांस सामान्य करती रही। जैसे ही कुंजल में थोड़ी जान आयी वो रोते हुए अपने दोनो हाथ पटककर स्वस्तिका को मारने लगी… "सुबह सुबह ऐसा कौन करता है… जरा भी दया या रहम है कि नहीं"…


स्वास्तिका:- रोना धोना हो गया हो गया हो तो 10 मिनट में ट्रेनिंग एरिया में।


स्वास्तिका के जाते ही कुंजल नाकी धुनते उसे 2-4 गालियां दी और मन मारकर ट्रेनिंग एरिया में पहुंच गई। सुबह के 4.30 बजे से 8.30 बजे तक के कड़े अभ्यास के बाद कुंजल के लिए विश्राम की स्तिथि हुई और वो वापस आकर हॉट शॉवर लेकर फ्रेश होने के बाद बिछ गई अपने बिस्तर पर और सोने लगी।


स्वास्तिका भी कॉलेज जाने के लिए जल्दी से तैयार हुई और जाने के क्रम में जब कुंजल को सोती हुई पाई, तब उसके पास जाकर प्यार से उसके सर पर हाथ फेरती वहां से निकल गई।


कॉलेज में वो जैसे ही पहुंची उसके फ्रेंड योगेश और शाहीन ने उसे घेर लिया… "तुम दोनों ने मेरा रास्ता क्यों रोका है।"


योगेश:- बिना बताए जाओ तुम और वो डॉक्टर का बच्चा मेरा रास्ता रोक..


शाहीन:- साला एक दिन तो मेरे हॉस्टल भी पहुंच गया था।


स्वास्तिका को रोककर दोनों ने मिलकर 10 मिनट तक कम से कम सुनाया होगा। स्वास्तिका दोनों को काफी देर तक झेलने के बाद…. "बस, फ़्री पीरियड में चलते है आज उसकी खैर नहीं।"


शाहीन और योगेश एक दूसरे को ताली देते हुए "येस" कहे, वहीं से तीनों चल दिए क्लास। आज एक्स्ट्रा क्लास की वजह से कोई फ्री पीरियड ना मिल पाने की स्तिथि में तीनों 4 बजे क्लास खत्म करके मिले और तीनों ही निकले डॉक्टर से मिलने। तीनों को एक साथ ब्वॉयज हॉस्टल के ओर आते देख डॉक्टर का एक दोस्त निर्मल तेजी से डॉक्टर के रूम में पहुंचा, और जोड़-जोड़ से दरवाजा खटखटाया… "क्या हुआ निर्मल, ऐसे पागलों कि तरह दरवाजा क्यों खटखटाया"…


निर्मल:- डॉक्टर माना किया था ना उसके फ्रेंड्स को मत कुछ करना आ रही है इधर ही, और हां उसके हाथ में रॉड भी है।


निर्मल तो अपनी बात हड़बड़ी में डॉक्टर से बोल दिया लेकिन उन दोनों की बात हॉस्टल के एक अन्य छात्र ने सुनी और वो इन दोनों के भागने से पहले ही, हॉस्टल के हर दरवाजे को पीटकर सब की आगाह करते हुए सुना दिया… "स्वास्तिका आ रही है रॉड के साथ।"


इधर डॉक्टर जबतक अपने ऊपर कपड़े डालकर वहां से निर्मल के साथ रफूचक्कर होने कि फिराक में था, इतने में हॉस्टल के बाकी छात्रों ने उसका रास्ता ही रोक लिया… "अरे सालों रास्ता छोड़ दो, वरना मुझ से अच्छा कोई ना होगा".. डॉक्टर जोर से चिल्लाते हुए कहा।


भीड़ में से एक लड़का…. "डॉक्टर अपने लफड़े खुद ही संभालो, तुम्हारे चक्कर में हम क्यों पीटें।"


निर्मल:- कमिने सालों, एक साथ इतने लड़के होकर एक लड़की से पिट जाते हो, शर्म नहीं आती।


भीड़ से दूसरा लड़का:- भोसडीके तो तुम दोनों कहां भाग रहे थे। साले हमरे माथे पर चूतिया लिखा है क्या? दोस्तों दोनों को किधर भी नहीं निकलने देना है। और इस साले निर्मल के कहने पर डॉक्टर ने स्वास्तिका के दोस्तों को परेशान किया था यह भी बताना है।"


"यहां आप सीनियर्स कि कोई मीटिंग चल रही है क्या सर।"… बॉयज हॉस्टल की छोटी सी आने जाने वाली गाली के सबसे पीछे खड़ी होकर स्वास्तिका न बड़े ही प्रेम से आवाज़ लगाई… सभी छात्र बीच का रास्ता खाली करते… "माते दोनों भागने के इरादे से थे इसलिए हमने इन्हे रोके रखा है।"..


स्वास्तिका:- हम खुश हुए… इसके बदले मै आप सबका कोई 1 छोटा सा काम कर दूंगी…


सभी छात्र एक साथ…. "बस हमारा 1 टॉपिक संभाल देना बहुत समझने की कोशिश कर रहे है लेकिन क्लेरिटी नहीं मिल पाई है।"…


स्वास्तिका:- ठीक है आज शाम जरा मै डॉक्टर से हिसाब किताब समेट लूं, फिर आप सभी सर लोग कल ऑडिटोरियम में मिल लीजिएगा.. किसी को कोई आपत्ती..


छात्र:- आप से कैसी आपत्ति..


स्वास्तिका:- तो ठीक है आप सब अपने अपने कमरे में चले जाइए, मै जरा डॉक्टर और उसके इस निकम्मे दोस्त से मिल लूं।


छात्र:- माते आप के लिए छोटी सी सूचना भी है, शाहीन और योगेश के टॉर्चर के पीछे निर्मल का हाथ है।


निर्मल:- देखो स्वास्तिका मुझे जाने दो वरना मैं यहां से कूद जाऊंगा…


तभी उन छात्रों में से 2 छात्र ने उस निर्मल को पकड़ा और पकड़ कर डॉक्टर के साथ कमरे में डाला.. बीच का रास्ता खाली था स्वास्तिका और उसके दोस्त सीधा पहुंचे उसके कमरे में… "निर्मल ज्यादा विरोध नहीं करोगे तो सस्ते में छूट जाओगे वरना मजबूरन मुझे वो पिछली बार वाली पिछ्वाड़ा लाल थेरेपी देनी होगी।"..


स्वास्तिका ने आते ही अपना प्रस्ताव रखा और निर्मल मान गया। शाहीन ने हरी मिर्च का थैला आगे बढ़ाते… "चल बेटा ये मिर्ची खा ले"..


निर्मल:- स्वास्तिका, देखो डॉक्टर बहुत मायूस था और तुम्हारा कोई पता नहीं था इस चक्कर में हम बस इन दोनों से तुम्हारे बारे में पूछने गए थे।


योगेश:- साले ये भी बता ना शाहीन को क्या बोला था। यदि कल तक स्वास्तिका का पता ना चला तो हमारी प्रेम कहानी इसके खड़ूस बाप को बता देगा।


शाहीन:- योगेश जुबान कुछ ज्यादा लंबी नहीं हो गई तुम्हारी। अब्बू के बारे में तुमने उल्टा बोला ना… बाद में मै तुमसे निपटती हूं।


योगेश:- "अरे वो फ्लो में निकल गया था शाहीन, तुम भी ना"… कहते हुए योगेश, शाहीन को गले से लगाया और शाहीन उसे झटकती हुई… "तुम तो दूर ही रहो फिलहाल योगेश मुझसे।"..


स्वास्तिका:- जी तो कर रहा है तुम दोनों को ही पहले हौंक दूं। जब देखो तब पागलों कि तरह दोनों कहीं भी लड़ाई तो कहीं भी रोमांस करने लग जाते हो। अब जरा शांत होकर खड़े रहो, और दोनों से हिसाब किताब करनें दो।


डॉक्टर:- कम से कम तुमसे तो अच्छे है। रोमांस और लड़ाई का बैलेंस तो बनाए है। तुम्हारी तरह बात-बात पर रोड तो नहीं निकाल लेते। लड़ाकू विमान..


स्वास्तिका:- डॉक्टर तुमसे जरा मै बाद ने निपटती हूं, पहले इस कंजर निर्मल से निपट लूं, जो तुम्हे उल्टे-सीधे सलाह देते रहता है।


डॉक्टर:- वो भी मेरा दोस्त है और इसने मुझे कोई भी सजेशन नहीं दिया, बल्कि मै खुद गया था शाहीन और योगेश के पास। मै दोषी हूं, मुझे मारो.. हट तू निर्मल, बहुत हो गई इसकी हिटलर गिरी..


स्वास्तिका:- ठीक है डॉक्टर चूंकि तुम गुस्से में हो, इसलिए अपने दोस्त से कहो कि हमारी सुकून के लिए ये 10 मिर्ची एक साथ चबा जाए। वरना अभी तुम्हारे लिए छोड़ तो दूंगी, लेकिन क्या हर वक़्त तुम इसके साथ होगे।


निर्मल:- डॉक्टर रहने दे, सिर्फ 10 ही मिर्ची तो है।


बेचारा 10 मिर्ची एक साथ मुंह में डाला तो, लेकिन ऐसा लग रहा था जैसे आंख कान, नाक हर जगह से धुआं निकल रहा हो। मिर्ची खाते ही स्वस्तिका ने सबको यह कहकर वापस भेज दिया कि अब वो, वन टू वन डॉक्टर के साथ मैटर सॉल्व करेगी।


सबके जाते ही… "क्या है डॉक्टर ये सब हरकतें"..


डॉक्टर:- क्या है यार बिना बताए ऐसे कैसे जा सकती हो?


स्वास्तिका:- तो इसके लिए तुम उन दोनों को परेशान करोगे।


डॉक्टर:- सॉरी, पर मुझे कुछ अच्छा नहीं लग रहा था। बताकर तो जाना था, तुम्हे कुछ अंदाजा भी है मेरी हालत का?


स्वास्तिका:- लो बाबा कान पकड़ती हूं, दिल को सुकून मिला या अब भी मुंह लटकाए रहोगे। ओ भारद्वाज सर, सुनिए तो.. ओ दीपेश भारद्वाज... अब मान भी जाओ।


डॉक्टर:- तुम्हे पता है कैसे काटे है मैंने ये 20-21 दिन, पागल सा हो गया था मै। तुमने मुझे एहसास दिलाया कि किसी को इतना ना चाहो की ज़िंदगी मुश्किल लगने लगे…


स्वास्तिका:- मतलब अब तुम इस सीख के बाद अपनी चाहत कम करने वाले हो। ठीक है डॉक्टर कोई बात नहीं।


दीपेश स्वास्तिका के दोनों गाल खिंचते… "इसे कहते है बात को अपने हिसाब से घूमना, बहुत ही कठोर दिल की हो तुम स्वास्तिका।"


स्वास्तिका:- अच्छा गर्लफ्रेंड इतने दिनों बाद लौटी है और तुम उसे दूरी बनाए हो, अब कठोर कौन है।


दीपेश:- सभी साले दरवाजे पर ही नजर डाले होंगे की हम दोनों क्या कर रहे है। कल का गॉसिप मसाला जो होगा इनका। शाम को मिलते है ना, आज सिर्फ मै और तुम।


स्वास्तिका:- नाह। अच्छे से तैयार होकर जल्दी से घर आओ, किसी से मिलवाना है।


दीपेश:- किससे..

"वो जब आओगे तब खुद ही देख लेना।"… स्वास्तिका जाते-जाते अपनी बात कहती चली और दीपेश सस्पेंस में उलझकर रह गया। इधर स्वस्तिका जब लौटी तब भी कुंजल सोई हुई थी। स्वास्तिका उसे जागती हुई चली गई चेंज करने, जबतक स्वास्तिका लौटी, कुंजल टेबल पर खाना लगाकर उसका इंतजार कर रही थी। "


"तुमने अभी तक खाया नहीं था।"… स्वास्तिका बैठती हुई पूछने लगी..


कुंजल:- बदन पूरा टूट रहा है दीदी, इतनी मेहनत तो भाइयों ने भी नहीं करवाई थी।


स्वस्तिका:- हम्मम ! कोई नहीं तुम्हे एक अच्छी मसाज की जरूरत है।


कुंजल:- मुझमें बाहर जाने की भी हिम्मत नहीं बची।


स्वास्तिका:- कोई नहीं थोड़ा सा खा ले, फिर मै चलती हूं तुम्हे एक मसाज देने।


कुंजल:- नहीं रहने दो दीदी, मै मैनेज कर लूंगी।


दोनों बहने थोड़ा सा खाकर उठ गई। स्वास्तिका उसे बिठाकर पहले तो उसके सर को अच्छे से मसाज की, फिर लगभग डेढ़ घंटे तक उसे बॉडी मसाज देती रही और साथ में एक्यूपंक्चर थेरेपी भी दी। मसाज के बाद तो कुंजल को मज़ा टाइप आ गया। कुंजल एक बार फिर स्टीम बाथ लेकर वापस आयी और स्वास्तिका के पास बैठती हुई…. "अब मै समझी की मेरे भाई मुझे सस्ती ट्रेनिंग क्यों दे रहे थे।"


स्वास्तिका, मुस्कुराती हुई… "अब कैसा लग रहा है।"..


कुंजल:- आह मज़ा आ गया दी, आपके हाथों में तो जादू है। वैसे मेरा काम हुआ या नहीं..


स्वास्तिका:- कौन सा काम कुंजल..


कुंजल:- मेरे जीजू से आज मुझे मिलवा रही हो ना आप..


स्वास्तिका:- धत तेरे की मै तो भूल ही गई।


कुंजल:- ओ भूल गई.. झुटी, जानबुझ कर नहीं कहा होगा। लेकिन कोई बात नहीं मुझे पीजी कर रहे स्टूडेंट दीपेश भारद्वाज का हॉस्टल पता है।


स्वास्तिका:- चोर कहीं की, मेरा पूरा डेटा चोरी कर गई।


कुंजल:- हीहीहीही… या तो आप फोन करके उनको यहां बुलाओ या फिर मै खुद ही मिल लूंगी…


इतने में ही दरवाजे कि घंटी भी बजने लगी…. "जाकर दरवाजा खोल और मिल ले अपने होने वाले जीजू से।"…


कुंजल ने जैसे ही दरवाजा खोला थोड़े कंफ्यूज होते पूछने लगी… "दीदी यहां तो जीजू के साथ तुम्हारी सौतन भी है।"..


शाहीन:- हेय तुम कुंजल हो राईट, हमारी स्वास्तिका की बहन..


कुंजल:- दीदी अब तो और भी कन्फ्यूजन बढ़ गया है.. ये तुम तीनों के बीच चल क्या रहा है? यहां एक हॉट सी मॉडल "हमारी स्वास्तिका" कह रही है।


तभी पीछे से स्वास्तिका उसे एक हाथ मारती.. "झल्ली कहीं की.. ये दोनों तो मेरे दोस्त है। ये हैं शाहीन और ये है योगेश। पर तुम दोनों यूं अचानक.. आओ अंदर आओ।


शाहीन:- मुझे डाक्टर का फोन आया था उसने कहा तुम्हारी तबीयत खराब है।


"बहुत ही चालक हो गया डॉक्टर।" .. स्वस्तिका अपनी जगह से उठी और दरवाजे के खोल कर पैसेज में निकली… बाएं साइड में ही दीपेश खड़ा था… "यू डॉक्टर, बहुत ही चालक हो गए हां।"


दीपेश:- अब तुम जैसी खरनाक गर्लफ्रेंड मेनटेन करना है तो कदम फूंक-फूंक कर रखना ही परता है।


"हट पागल, आओ अंदर।"… दोनों हंसते हुए अंदर चले। अंदर हॉल में जबतक कुंजल स्वास्तिका के दोस्तों से बात करना शुरू ही की थी। जैसे ही स्वास्तिका के चेहरे की हंसी और साथ ने दीपेश दिखा, कुंजल को समझते देर न लगी।


वो भागकर दीपेश के पास पहुंची और उसका हाथ थाम कर कहने लगी…. "दीदी आज के शाम इन्हे मैंने बुक कर लिया है, आप लोग आपस में बातें करो, और आप चलिए मेरे साथ।"


दीपेश कुंजल के साथ चलते हुए स्वास्तिका से इशारों में पूछने लगा… "ये कौन है।"… स्वास्तिका भी उसे हाथों के इशारे में समझते हुई बताने लगी "छोटी बहन है।".. स्वास्तिका अाकर अपने दोस्तों के पास बैठ गई और कुंजल दीपेश के साथ।


कुंजल अपना हाथ आगे बढ़ाती हुई… "हेल्लो मिस्टर होने वाले जीजू, मै आपकी इकलौती साली, कुंजल।"..


दीपेश भी हाथ मिलाते…. "बहुत खुशी हुई तुमसे मिलकर कुंजल"


कुंजल:- तो दीपेश सर जरा, हमे भी अपनी प्रेम कहानी सुनाएं कि दोनों में आखिर प्यार कैसे हुआ..


दीपेश:- क्यों स्वास्तिका ने तुम्हे नहीं बताया क्या?


कुंजल:- दीदी से बातें करने के लिए मेरे पास हजार बातें है सर, कुछ तो आपसे भी बात करने के लिए टॉपिक चाहिए ना। तो बिना देर किए शुरू हो जाइए।


कुंजल:- दीदी से बातें करने के लिए मेरे पास हजार बातें है सर, कुछ तो आपसे भी बात करने के लिए टॉपिक चाहिए ना। तो बिना देर किए शुरू हो जाइए।
 
Last edited:

nain11ster

Prime
23,618
80,604
259
Update:-94




दीपेश:- "हम दोनों में से कोई भी ये नहीं बता सकता कि हमारे बीच लगाव कैसे हो गया। हमे पता ही नहीं चला कि कब हम करीब आ गए। हमारी पहली मुलाकात तकरीबन 4 साल पहले हुई थी। तब मै एमबीबीएस थर्ड ईयर में था और स्वास्तिका न्यू एडमिशन थी।"

"बिलो एवरेज सी दिखने वाली एक लड़की जो खुद में ही खुश रहती थी। उसपर बहुत ज्यादा किसी का ध्यान नहीं जाता था, लेकिन हमने उसके पूरे बैच को बहुत परेशान किया था। खासकर उसकी दोस्त शाहीन को, पूरे बैच कि टॉप मॉडल थी वो।"

"वैसे हम तो बस सामान्य रैगिंग और शाहीन के लिए हल्के-फुल्के कमेंट पास करते थे। उसी बीच एक दिन फाइनल ईयर के हमारे सीनियर्स ने शाहीन को बुरी तरह छेड़ दिया था। एक्सप्लेन नहीं किया जा सकता, वो कितना बुरा था। शाहीन तो जैसे पूरी तरह से सदमे में चली गई थी और एकमात्र लड़का योगेश बीच बचाव में आया, जिसकी टांगे सीनियर्स ने तोड़ डाली। और उसी शाम की बात की है, एक कहर बरसा था पूरे हॉस्टल में।"

"स्वास्तिका के साथ तुम्हारा भाई आरव भी था। केवल यही 2 लोग थे और हाथ में रॉड लिए पहले हमारे सीनियर के हॉस्टल में घुसे। हर एक कमरे में घुसकर जो ही पिटाई कि उनकी। जो शामिल थे उन्हें उसके कर्मो के लिए पिटाई परी थी और जो नहीं शामिल थे उन्हें चुपचाप खड़े होकर तमशा देखने के लिए।"

"उनकी पिटाई के बाद ये लोग थर्ड ईयर के हॉस्टल में घुसे, फिर वहां एक तरफ से सबको हौकना शुरू किया। आज भी वो मंजर पूरे हॉस्टल को याद है। इनकी बेरहम पिटाई देखकर कई लड़के तो फर्स्ट फ्लोर से कूद गए। तुम्हारी बहन और भाई ने पुलिस स्टेशन में भी खूब पैसे खिला आए थे, इसलिए नहीं कि उन्हें कोई पकड़कर ना ले जाए, बल्कि इसलिए कि जबतक ये दोनों भाई-बहन पिटाई कर रहे हो, तबतक उन्हें कोई परेशान ना करे।"

"3 घंटे तक दोनों का कहर बरसा था। फर्स्ट ईयर, थर्ड ईयर और फाइनल ईयर के हॉस्टल में घुसे थे दोनों। क्या लड़का, क्या लड़की, हर तमाशा देखने वालो को पीटा था। 5 मुख्य लड़के जो इस मामले को अंजाम दिए थे, उन पांचों को पीटने के बाद कैंपस के बीचों बीच टांग कर सख्त वार्निंग देते गए थे.. "कल जबतक पूरा कॉलेज इनका जुलुश ना देख ले, उससे पहले यदि किसी ने इनको उतरा तो उनसे ये दोनों प्रिसनली मिलेंगे।"

"पुलिस आयी इनको लेकर भी गई। सबको लगा था कि इतने बड़े-बड़े लोगों के बच्चों पर हाथ डाला है, दोनों तो अच्छे से लपेट लिए जाएंगे। लेकिन अगले दिन स्वास्तिका फिर से कॉलेज में दिख गई। 400 लोगों पर खौफ बरसा था तुम्हारी बहन और भाई का, केवल मै और मेरा दोस्त निर्मल बच गए थे।"

"कुछ दिन बाद जब मै लौटा और स्वास्तिका के बारे में सुना तब मुझे यकीन नहीं हुआ। यहां से शुरवात हुई थी स्वास्तिका को जानने की मेरी जिज्ञासा। मै अक्सर उसके आसपास मंडराता रहता, लेकिन उसने मुझपर कभी ध्यान नहीं दिया, ऐसा मुझे लगता था।"

"स्वास्तिका पहले ईयर से ही लेडी डॉन के नाम से मशहूर हो गई। साल दर साल निकलते चले गए। जिसे जानने की जिज्ञासा थी, अब उसे देखे बिना दिल नहीं लगता था। मेरा दोस्त निर्मल जो मेरे साथ रहता था, वह अक्सर मुझे कहता भी था कहां उस थकेली के पीछे परा है जबकि एक से बढ़कर एक लड़कियां है कॉलेज में। लेकिन मुझे तो वहीं चेहरा पसंद था, फिर और कभी कोई अच्छी लगी ही नहीं।"

"मज़े की बात जानती हो कुंजल, स्वास्तिका सेकंड ईयर के आखरी में थी, जब हमारा कॉलेज फंक्शन था। तब वो पहली बार बन सवर कर आयी थी। आज से पहले वो अपने चेहरे कर क्या पोत कर आया करती थी पता नहीं, लेकिन जब वो अपने चेहरे से वो पुराने स्वास्तिका के मास्क उतार कर आयी, कॉलेज में उसे कोई पहचान नहीं पाया।"

"लेडी डॉन को कोई भी पहचान नहीं पाया था और ऐसा लग रहा था पूरा कॉलेज ही उसके पीछे पड़ा हुआ है। उस दिन मुझे कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा था। मै योगेश और शाहीन का पीछा कर करके पूरा मायूस हो चुका था, लेकिन स्वास्तिका की एक झलक नहीं मिली।"

"ऑडिटोरियम में भी मै निर्मल के पास चुपचाप ही बैठा रहा। तभी स्वास्तिका वहां पहुंची और अपने ही अंदाज़ में निर्मल को उठकर कहीं और जाने बोली। वो ठीक मेरे पास बैठी थी, और आसपास के लोग नई स्वास्तिका से बात करने में लगे थे और मेरी नजर अपनी स्वास्तिका को पूरे ऑडिटोरियम में ढूंढ रही थी। 2 साल हो गए थे लेकिन मै कभी उससे बात करने की हिम्मत नहीं जुटा पाया था। मैं मायूस और उदास बैठा था तभी मेरे कानो में वो सब्द पड़े… "क्यों डॉक्टर आज थोड़े मायूस दिख रहे, बात क्या है?"

"उसकी आवाज़ जब कानो में पड़ी, मेरे चेहरे पर मुस्कान वापस आ गई, और मुड़कर जब देखा तो होश उड़े थे। आखों की यकीन नहीं हो रहा था, यह वही बीलो एवरेज लड़की है, जिसका मै दीवाना हूं। उसे देखने के बाद एक बार फिर मायूसी आ गई मेरे चेहरे पर, शायद यह बात स्वास्तिका ने भांप लिया और मुझसे कहने लगी…. "क्यों डॉक्टर हिम्मत नहीं जुटा पा रहे क्या परपोज करनें की।"..

"क्या ही बताऊं मेरा क्या हाल था उस वक़्त। कहना तो बहुत कुछ चाहता था उसे, लेकिन मेरे जुबान ने साथ नहीं दिया, लेकिन हाल-ए-दिल उसे सब पता था, और उसके दिल का हाल भी कुछ अपने जैसा ही था। अब तो बस एक ही फीलिंग रहती है, एक बस वो मिल गई अब भगवान से और कुछ नहीं चाहिए।"


कुंजल:- वाउ .. मतलब दोनों के दूसरे को पूरे शिद्दत से चाहते हो। तो बताओ आप कब आ रहे हो मां से शादी की बात करने।


दीपेश:- मै तो कब से तैयार ही हूं, लेकिन तुम्हारी बहन यह कहकर टाल जाती है कि अभी जल्दी क्या है?


कुंजल:- ठीक है आज से हम दोनों एक टीम में, आओ मेरे साथ बाहर..


दीपेश:- लेकिन तुम करने क्या वाली हो…


"आप चलो तो सही, इतना घबरा क्यों रहे हो।"… कुंजल दीपेश का हाथ खींचकर बाहर ले जाने लगी… जैसी ही कुंजल हॉल में पहुंची…. "दीदी ये क्या नाटक लगा रखा है।"..


स्वास्तिका:- कुंजल अंदर से तू जो भी सोचकर आयी है, उसपर हम अकेले में बात करेंगे ठीक है।


कुंजल:- ठीक है दीदी… पक्का ना, बात को टाल तो नहीं दोगी ना।


स्वास्तिका:- हां बाबा पक्का। अब आजा इधर दीपेश से ही केवल मिलेगी क्या, इनसे भी तो मिल लेे थोड़ा, और डॉक्टर साहब थोड़ा सी सफाई देंगे की आपने इन दोनों की एक शाम क्यों बिगड़ दी?


दीपेश:- मुझे लगा तुमने कहीं कोई खतरनाक सरप्राइज प्लान ना की हो, इसलिए बतौर सेफ्टी मै इन दोनों को मनाकर पहले यहां भेज दिया।


स्वास्तिका:- डॉक्टर आज भी तुम और तुम्हारे दोस्त केवल मेरी बहन की वजह से बच गए। ये मेरे पास है, तो लगता है कि क्यों झगड़ा करके मै अपना मूड खराब करू। फिर मै छोटी के पास खराब मूड से पहुंचूं। वरना खैर नहीं थी तुम्हारी..


कुंजल पहली बार स्वास्तिका के माहौल को भी देख रही थी। स्वास्तिका पूरी खुशमिजाज थी, जिसकी झलक वो दिल्ली में तो देख ही चुकी थी, यहां मुंबई में तो उस मिजाज में और भी निखार आ गए थे। खाते-पीते और खट्टे-मीठे नोक झोंक के साथ कब शाम बीती, पता भी नहीं चला।


अगली सुबह फिर से वही सब कुंजल के साथ दोहरा रहा था। एक बार फिर कुंजल वैसे ही छटपटाई और जब दम घुटने लगा तब स्वास्तिका ने कुंजल को छोड़ दिया। आज भी उसके चेहरे पर वहीं गुस्सा था लेकिन श्वांस सामान्य होने के बाद कुंजल ने खुद के गुस्से पर काबू किया और शांति से पूछने लगी… "उपाय बताइए"..


स्वास्तिका:- पहला उपाय यही है। गुस्सा हो, डर हो या घबराहट। कोई भी ऐसी बात जो मन को बेचैन करे पहले अपने दिमाग को नियंत्रित रखो। जान जाने की स्तिथि में सबसे बड़ी जो गलती होती है..…. एक तो श्वांस वैसे ही टूट रही होती है, ऊपर से फालतू की कोशिश शरीर कि बची ऊर्जा भी खत्म कर देती है। इसलिए जब भी जान जाने की स्तिथि लगे, अपने दिमाग को नियंत्रित करके केवल एक छोटा सा हमला करो। ऐसा हमला जो मजबूत से मजबूत शिकारी को भी चौंका दे। मकसद केवल और केवल चौकान होना चाहिए, ताकि छोटी सी कोशिश में काम बन जाए… आओ मेरे साथ कुछ दिखाती हूं…


कुंजल और स्वास्तिका दोनों ट्रेनिंग एरिया में पहुंचे जहां स्वास्तिका ने उसे टेक्नोलॉजी के साथ आर्टिफिशियल नाखून की ऐसी सीरीज दिखाई की उसका दिमाग घूम गया। कुंजल को पहली बार एहसास हो रहा था कि एक नाखून से कितना कुछ किया जा सकता है। सीखने के लिए तो सारा जहां परा है, बस सीखने कि चाह होनी चाहिए और कुंजल के अंदर भी कुछ नया सीखने की जिज्ञासा जाग उठी थी।



_______________________________________________



राजस्थान, वीरभद्र का गांव...


ट्रेनिंग का पहला चरण पार्थ ने शुरू कर दिया था। भ्रम जाल फैलाना और सामने होकर भी छिपे रहने की कला को वीरभद्र बारीकी से समझ रहा था। वह एक बेहतरीन स्नाइपर था इसलिए सबसे पहले इसी विषय को उठाया गया कि कोई दूसरा स्नाइपर जब कहीं दूर से निशाना ले रहा हो, तब खुद का बचाव कैसे किया जाए।


भ्रम जाल की इस कड़ी में वीरभद्र के दिमाग की नशें हिल गई। कुछ सुरवाती भौतिक विज्ञान की जानकारी के बाद, जब आइने के प्रयोग वीरभद्र सुना, तो उसे ऐसा लगा जैसे अभी स्नाइपिंग में बहुत कुछ सीखना बाकी है। दूसरे स्नाइपर से बचने की कड़ी में आइने के प्रयोग को समझाने के बाद, पार्थ ने वीरभद्र को एक माइक्रो डिवाइस का प्रयोग भी सिखाया, जिसमे दूसरे स्नाइपर से बचने के लिए "बॉडी टारगेट डेविएशन" प्रोग्राम किया गया था, जहां इस डिवाइस की मदद से किसी के इंसान की वास्तविक स्थिति को वर्चुअली कुछ इंच का हेर-फेर किया जा सकता था।


पहले चरण के सेशन के बाद फिर दोनों फिजिकल एक्सरसाइज और "लौंग एंड शॉर्ट रेंज" टारगेट प्रैक्टिस करने लगे। निम्मी भी दोनों को छिपकर ट्रेनिंग करते देख रही थी और अपने काम कि बातों पर पूरा ध्यान दे रही थी। दिन के खाने के बाद फिर आया निम्मी के इंग्लिश क्लास की बारी।


बेचारा पार्थ डरा सहमा सा उसके सामने बैठा बिना अपने नजरें ऊपर किए उससे मूलभूत चीजें समझा रहा था। इसी क्रम में एक बार पार्थ की नजर जैसे ही ऊपर गई, निम्मी उसे टोकती हुई कहने लगी…. "आखें ही निकाल लूंगी दोबारा अगर नजर ऊपर करने के भी कोशिश किए तो।"


पार्थ:- सॉरी वो मैं नहीं चाहता था, लेकिन गर्दन अकड़ गई थी इसलिए ऊपर करनी पड़ी।


निम्मी:- अकड़ी गर्दन के साथ जिंदा रहा जा सकता है लेकिन गर्दन ही उतार गई फिर क्या करोगे।


बेचारा पार्थ दोबारा कुछ नहीं बोला और अपने काम में वो लग गया। आधे घंटे की क्लास खत्म होने के बाद निम्मी उसे टोकती हुई कहने लगी… "मुझे तुमसे कुछ सीखना है उसके लिए मुझे नियमित समय चाहिए।"


पार्थ:- ठीक है शाम के 4 बजे से शुरू करेंगे… एक दिन के ट्रेनिंग के बाद तय कर लेंगे की आगे का समय कितना लगना है।


निम्मी:- ठीक है, मुझे कार चलानी भी सीखनी है।


पार्थ:- कुछ ज्यादा ही तुम तो उम्मीद लगाए बैठी हो।


निम्मी:- एक ही विकल्प है इसलिए आश्रित होना पड़ता है, वरना घटिया लोग मेरे आसपास भी हो तो मुझे कतई बर्दास्त नहीं होता।


पार्थ:- यह कुछ ज्यादा नहीं हो रहा। तुम्हे नहीं लगता कि तुम कुछ ज्यादा ही बोल रही हो।


निम्मी:- हम्मम ! ये भी सही है, जितनी कम बातें और ज्यादा से ज्यादा काम कि बातें हो, वहीं फायदेमंद है। ठीक है मै कोई निजी बात नहीं करूंगी। कार कब सीखा रहे हो।


पार्थ:- अभी चलो। पहले ड्राइविंग फिर कला..


निम्मी:- ठीक है। तुम गाड़ी निकालो जबतक मै तैयार होकर अाई।


पार्थ गाड़ी निकालने चला गया और निम्मी तैयार होकर उतरी। निम्मी का चिढ़ पार्थ पर देखने को बनता था। पार्थ आगे बैठकर ड्राइविंग कर रहा था और निम्मी पीछे से बैठकर सीख रही थी। लौटते वक़्त जब लगा की निम्मी को खुद से कोशिश करनी चाहिए, फिर वो गांव के पास अपनी कार कुछ दूर ड्राइव करती अपने घर तक लाई।


पार्थ उसके सीखने कि ललक को बहुत ही गहराई से आकलन कर रहा था। ट्रेनिंग एरिया में भी निम्मी बहुत ही सधी और अपने जरूरतों कि चीजें सीखने में ज्यादा रुझान रख रही थी। जिसमे वो चाकू से क्लोज रेंज कॉम्बैट में अपने मूव्स को और कितना इफेक्टिव कर सकती है, उसपर विशेष ध्यान दे रही थी।




__________________________________________




पार्थ और स्वास्तिका, यूं तो वीरभद्र और कुंजल को 3 महीने में अपने दिए लक्ष्य तक सिखाने में उन्हें लगे हुए थे, लेकिन कुंजल और वीरभद्र को सिखाने के क्रम में, वो दोनों भी बहुत कुछ सीख रहे थे। जहां एक ओर पार्थ क्लोज कॉम्बैट में चाकू और खंजर के प्रयोग को अपने अंदर उतार रहा था, वहीं स्वास्तिका कुंजल से वो हाथ की सफाई सीख रही थी, जिससे आज तक सभी घरवाले अनजान थे।


हर दिन के साथ सबकी ट्रेनिंग में ज्यादा ही निखार आ रहा था। कुछ सीखने कि ललक ऐसी थी इन लोगों में कि ये सभी 2 दिन का ट्रेनिंग शेड्यूल एक दिन में पूरा कर रहे थे। वहीं अगर इन सबमें निम्मी की चर्चा हो तो वो 3 दिन का शेड्यूल 1 दिन में कवर कर रही थी, हां बस थोड़े संयम की कमी थी उसमें और जल्द ही किसी बात को लेकर गुस्सा हो जाया करती थी।


एंगेजमेंट को 28 दिन हो चुके थे, इस दौरान हर कोई पाने आज को खुशियों में जीते हुए, कल की तैयारियों में लगे हुए थे। अपस्यु से केवल नंदनी की लगातार बातें हुआ करती थी बाकी सबको शक्त हिदायत थी कि कुछ ज्यादा ही जरूरी हो तो ही संपर्क करने। 2014 की जुलाई भी लगभग अपने समापन के ओर थी और अपस्यु का एक छोटा सा संदेश ऐमी के पास पहुंचा। ऐमी उस संदेश को देखती हुई खुद से ही कहने लगी…. "ना जाने कब से इसका इंतजार था… लव यू.. उम्माह"…
 
Last edited:

nain11ster

Prime
23,618
80,604
259
agar ju bhut pe vishvas karte hai to ek horror story likhiye... tab maanu :D
Pehli baat woh khud ko over smart dikhane wali ganji hai aur yahin akhiri sach bhi hai :D
Horror story ka socha nahi hai... Haan lekin apne pass kahaniyan bahut hai bhuton ki (dadi ki kahaniyan jo hume sunaya karti thi) .. to un kahaniyon me thode bahut thrill ke sath pesh ki ja sakti hai story ... Lekin abhi filhaal nahi... Abhi focus idhar...

Dusri baat ye ki koi bhi aakhri sach nahi hota isliye maine niche ka kuch padha hi nahi aur aap ne kya likhe wo maine dekha hi nahi :D
 

Chinturocky

Well-Known Member
4,306
12,579
158
Behtareen update,
Bahut samay baad happy update bahut Achchha laga. To aarav aur naughty (swastika) 1st year me hi jalwe dikha chuke the. Lady Don must naam hai. Nimmi ka kirdar bhi bahut hi dilchasp hai bahut jyada ekagra aur thoda jyada gusse wali.
Waise in 2 ya 3 mahino me Prakash ne jinko investigation ke liye diya tha unka kya hua? Investigation kaha tak pahuchi?
 

Naina

Nain11ster creation... a monter in me
31,619
92,259
189
Update:-93




दोनों की खट्टी मीठी नोक झोंक जारी रही। स्वस्तिका को जिस परिवार का ना होना खलता रहा उसे वो मेहसूस कर रही थी, और अपने अरमान भी साझा कर रही थी।….


अगली सुबह कुंजल सोई हुई थी और ऐसा लगा जैसे उसका दम घुट रहा है। आंख बड़ी होकर खुल गई। पूरा मुंह प्लास्टिक के बैग के अंदर घुसा हुआ था। कुंजल छटपटा कर पूरा जोड़ लगा रही थी, लेकिन वो कुछ भी करने में असमर्थ थी, हाथ पाऊं वो पूरी ताकत से पटक रही थी लेकिन वो खुद की छुड़ाने में विफल थी।


स्वास्तिक उसके पास बैठकर यह सब कर रही थी और कुंजल उसे मारती और पिटती रही लेकिन स्वस्तिका ने तबतक नहीं छोड़ा जबतक वो खुद छोड़ना नहीं चाहती थी। जैसे ही स्वस्तिका ने उसे छोड़ा, कुंजल अपने चेहरे से पलास्टिक हटाकर खांसती हुई खुद की श्वांस की सामान्य करने लगी।


काफी देर तक हांफती हुई वो श्वांस सामान्य करती रही। जैसे ही कुंजल में थोड़ी जान आयी वो रोते हुए अपने दोनो हाथ पटककर स्वस्तिका को मारने लगी… "सुबह सुबह ऐसा कौन करता है… जरा भी दया या रहम है कि नहीं"…


स्वास्तिका:- रोना धोना हो गया हो गया हो तो 10 मिनट में ट्रेनिंग एरिया में।


स्वास्तिका के जाते ही कुंजल नाकी धुनते उसे 2-4 गालियां दी और मन मारकर ट्रेनिंग एरिया में पहुंच गई। सुबह के 4.30 बजे से 8.30 बजे तक के कड़े अभ्यास के बाद कुंजल के लिए विश्राम की स्तिथि हुई और वो वापस आकर हॉट शॉवर लेकर फ्रेश होने के बाद बिछ गई अपने बिस्तर पर और सोने लगी।
maana ki training hai... par aise jagati hai kya koi kisiko :mad: bachhi ki jaan hi nikal di is takli ne :mad: hadd hai :sigh:



कॉलेज में वो जैसे ही पहुंची उसके फ्रेंड योगेश और शाहीन ने उसे घेर लिया… "तुम दोनों ने मेरा रास्ता क्यों रोका है।"


योगेश:- बिना बताए जाओ तुम और वो डॉक्टर का बच्चा मेरा रास्ता रोक..


शाहीन:- साला एक दिन तो मेरे हॉस्टल भी पहुंच गया था।


स्वास्तिका को रोककर दोनों ने मिलकर 10 मिनट तक कम से कम सुनाया होगा। स्वास्तिका दोनों को काफी देर तक झेलने के बाद…. "बस, फ़्री पीरियड में चलते है आज उसकी खैर नहीं।"


शाहीन और योगेश एक दूसरे को ताली देते हुए "येस" कहे, वहीं से तीनों चल दिए क्लास। आज एक्स्ट्रा क्लास की वजह से कोई फ्री पीरियड ना मिल पाने की स्तिथि में तीनों 4 बजे क्लास खत्म करके मिले और तीनों ही निकले डॉक्टर से मिलने। तीनों को एक साथ ब्वॉयज हॉस्टल के ओर आते देख डॉक्टर का एक दोस्त निर्मल तेजी से डॉक्टर के रूम में पहुंचा, और जोड़-जोड़ से दरवाजा खटखटाया… "क्या हुआ निर्मल, ऐसे पागलों कि तरह दरवाजा क्यों खटखटाया"…


निर्मल:- डॉक्टर माना किया था ना उसके फ्रेंड्स को मत कुछ करना आ रही है इधर ही, और हां उसके हाथ में रॉड भी है।


निर्मल तो अपनी बात हड़बड़ी में डॉक्टर से बोल दिया लेकिन उन दोनों की बात हॉस्टल के एक अन्य छात्र ने सुनी और वो इन दोनों के भागने से पहले ही, हॉस्टल के हर दरवाजे को पीटकर सब की आगाह करते हुए सुना दिया… "स्वास्तिका आ रही है रॉड के साथ।"


इधर डॉक्टर जबतक अपने ऊपर कपड़े डालकर वहां से निर्मल के साथ रफूचक्कर होने कि फिराक में था, इतने में हॉस्टल के बाकी छात्रों ने उसका रास्ता ही रोक लिया… "अरे सालों रास्ता छोड़ दो, वरना मुझ से अच्छा कोई ना होगा".. डॉक्टर जोर से चिल्लाते हुए कहा।


भीड़ में से एक लड़का…. "डॉक्टर अपने लफड़े खुद ही संभालो, तुम्हारे चक्कर में हम क्यों पीटें।"


निर्मल:- कमिने सालों, एक साथ इतने लड़के होकर एक लड़की से पिट जाते हो, शर्म नहीं आती।


भीड़ से दूसरा लड़का:- भोसडीके तो तुम दोनों कहां भाग रहे थे। साले हमरे माथे पर चूतिया लिखा है क्या? दोस्तों दोनों को किधर भी नहीं निकलने देना है। और इस साले निर्मल के कहने पर डॉक्टर ने स्वास्तिका के दोस्तों को परेशान किया था यह भी बताना है।"


"यहां आप सीनियर्स कि कोई मीटिंग चल रही है क्या सर।"… बॉयज हॉस्टल की छोटी सी आने जाने वाली गाली के सबसे पीछे खड़ी होकर स्वास्तिका न बड़े ही प्रेम से आवाज़ लगाई… सभी छात्र बीच का रास्ता खाली करते… "माते दोनों भागने के इरादे से थे इसलिए हमने इन्हे रोके रखा है।"..


स्वास्तिका:- हम खुश हुए… इसके बदले मै आप सबका कोई 1 छोटा सा काम कर दूंगी…


सभी छात्र एक साथ…. "बस हमारा 1 टॉपिक संभाल देना बहुत समझने की कोशिश कर रहे है लेकिन क्लेरिटी नहीं मिल पाई है।"…


स्वास्तिका:- ठीक है आज शाम जरा मै डॉक्टर से हिसाब किताब समेट लूं, फिर आप सभी सर लोग कल ऑडिटोरियम में मिल लीजिएगा.. किसी को कोई आपत्ती..


छात्र:- आप से कैसी आपत्ति..


स्वास्तिका:- तो ठीक है आप सब अपने अपने कमरे में चले जाइए, मै जरा डॉक्टर और उसके इस निकम्मे दोस्त से मिल लूं।


छात्र:- माते आप के लिए छोटी सी सूचना भी है, शाहीन और योगेश के टॉर्चर के पीछे निर्मल का हाथ है।


निर्मल:- देखो स्वास्तिका मुझे जाने दो वरना मैं यहां से कूद जाऊंगा…


तभी उन छात्रों में से 2 छात्र ने उस निर्मल को पकड़ा और पकड़ कर डॉक्टर के साथ कमरे में डाला.. बीच का रास्ता खाली था स्वास्तिका और उसके दोस्त सीधा पहुंचे उसके कमरे में… "निर्मल ज्यादा विरोध नहीं करोगे तो सस्ते में छूट जाओगे वरना मजबूरन मुझे वो पिछली बार वाली पिछ्वाड़ा लाल थेरेपी देनी होगी।"..


स्वास्तिका ने आते ही अपना प्रस्ताव रखा और निर्मल मान गया। शाहीन ने हरी मिर्च का थैला आगे बढ़ाते… "चल बेटा ये मिर्ची खा ले"..


निर्मल:- स्वास्तिका, देखो डॉक्टर बहुत मायूस था और तुम्हारा कोई पता नहीं था इस चक्कर में हम बस इन दोनों से तुम्हारे बारे में पूछने गए थे।


योगेश:- साले ये भी बता ना शाहीन को क्या बोला था। यदि कल तक स्वास्तिका का पता ना चला तो हमारी प्रेम कहानी इसके खड़ूस बाप को बता देगा।


शाहीन:- योगेश जुबान कुछ ज्यादा लंबी नहीं हो गई तुम्हारी। अब्बू के बारे में तुमने उल्टा बोला ना… बाद में मै तुमसे निपटती हूं।


योगेश:- "अरे वो फ्लो में निकल गया था शाहीन, तुम भी ना"… कहते हुए योगेश, शाहीन को गले से लगाया और शाहीन उसे झटकती हुई… "तुम तो दूर ही रहो फिलहाल योगेश मुझसे।"..


स्वास्तिका:- जी तो कर रहा है तुम दोनों को ही पहले हौंक दूं। जब देखो तब पागलों कि तरह दोनों कहीं भी लड़ाई तो कहीं भी रोमांस करने लग जाते हो। अब जरा शांत होकर खड़े रहो, और दोनों से हिसाब किताब करनें दो।


डॉक्टर:- कम से कम तुमसे तो अच्छे है। रोमांस और लड़ाई का बैलेंस तो बनाए है। तुम्हारी तरह बात-बात पर रोड तो नहीं निकाल लेते। लड़ाकू विमान..


स्वास्तिका:- डॉक्टर तुमसे जरा मै बाद ने निपटती हूं, पहले इस कंजर निर्मल से निपट लूं, जो तुम्हे उल्टे-सीधे सलाह देते रहता है।


डॉक्टर:- वो भी मेरा दोस्त है और इसने मुझे कोई भी सजेशन नहीं दिया, बल्कि मै खुद गया था शाहीन और योगेश के पास। मै दोषी हूं, मुझे मारो.. हट तू निर्मल, बहुत हो गई इसकी हिटलर गिरी..


स्वास्तिका:- ठीक है डॉक्टर चूंकि तुम गुस्से में हो, इसलिए अपने दोस्त से कहो कि हमारी सुकून के लिए ये 10 मिर्ची एक साथ चबा जाए। वरना अभी तुम्हारे लिए छोड़ तो दूंगी, लेकिन क्या हर वक़्त तुम इसके साथ होगे।


निर्मल:- डॉक्टर रहने दे, सिर्फ 10 ही मिर्ची तो है।


बेचारा 10 मिर्ची एक साथ मुंह में डाला तो, लेकिन ऐसा लग रहा था जैसे आंख कान, नाक हर जगह से धुआं निकल रहा हो। मिर्ची खाते ही स्वस्तिका ने सबको यह कहकर वापस भेज दिया कि अब वो, वन टू वन डॉक्टर के साथ मैटर सॉल्व करेगी।


सबके जाते ही… "क्या है डॉक्टर ये सब हरकतें"..


डॉक्टर:- क्या है यार बिना बताए ऐसे कैसे जा सकती हो?


स्वास्तिका:- तो इसके लिए तुम उन दोनों को परेशान करोगे।


डॉक्टर:- सॉरी, पर मुझे कुछ अच्छा नहीं लग रहा था। बताकर तो जाना था, तुम्हे कुछ अंदाजा भी है मेरी हालत का?


स्वास्तिका:- लो बाबा कान पकड़ती हूं, दिल को सुकून मिला या अब भी मुंह लटकाए रहोगे। ओ भारद्वाज सर, सुनिए तो.. ओ दीपेश भारद्वाज... अब मान भी जाओ।


डॉक्टर:- तुम्हे पता है कैसे काटे है मैंने ये 20-21 दिन, पागल सा हो गया था मै। तुमने मुझे एहसास दिलाया कि किसी को इतना ना चाहो की ज़िंदगी मुश्किल लगने लगे…


स्वास्तिका:- मतलब अब तुम इस सीख के बाद अपनी चाहत कम करने वाले हो। ठीक है डॉक्टर कोई बात नहीं।


दीपेश स्वास्तिका के दोनों गाल खिंचते… "इसे कहते है बात को अपने हिसाब से घूमना, बहुत ही कठोर दिल की हो तुम स्वास्तिका।"


स्वास्तिका:- अच्छा गर्लफ्रेंड इतने दिनों बाद लौटी है और तुम उसे दूरी बनाए हो, अब कठोर कौन है।


दीपेश:- सभी साले दरवाजे पर ही नजर डाले होंगे की हम दोनों क्या कर रहे है। कल का गॉसिप मसाला जो होगा इनका। शाम को मिलते है ना, आज सिर्फ मै और तुम।


स्वास्तिका:- नाह। अच्छे से तैयार होकर जल्दी से घर आओ, किसी से मिलवाना है।


दीपेश:- किससे..

"वो जब आओगे तब खुद ही देख लेना।"…
Dhett teri ki :doh: agar khun kharaba karni hi nahi thi usko toh yeh drama kyun.. sari mood ki aisi ki taisi kar di takli ne :sigh:
kamse kam sar hi fod deti :sigh:
स्वास्तिका जाते-जाते अपनी बात कहती चली और दीपेश सस्पेंस में उलझकर रह गया। इधर स्वस्तिका जब लौटी तब भी कुंजल सोई हुई थी। स्वास्तिका उसे जागती हुई चली गई चेंज करने, जबतक स्वास्तिका लौटी, कुंजल टेबल पर खाना लगाकर उसका इंतजार कर रही थी। "


"तुमने अभी तक खाया नहीं था।"… स्वास्तिका बैठती हुई पूछने लगी..


कुंजल:- बदन पूरा टूट रहा है दीदी, इतनी मेहनत तो भाइयों ने भी नहीं करवाई थी।


स्वस्तिका:- हम्मम ! कोई नहीं तुम्हे एक अच्छी मसाज की जरूरत है।


कुंजल:- मुझमें बाहर जाने की भी हिम्मत नहीं बची।


स्वास्तिका:- कोई नहीं थोड़ा सा खा ले, फिर मै चलती हूं तुम्हे एक मसाज देने।


कुंजल:- नहीं रहने दो दीदी, मै मैनेज कर लूंगी।


दोनों बहने थोड़ा सा खाकर उठ गई। स्वास्तिका उसे बिठाकर पहले तो उसके सर को अच्छे से मसाज की, फिर लगभग डेढ़ घंटे तक उसे बॉडी मसाज देती रही और साथ में एक्यूपंक्चर थेरेपी भी दी। मसाज के बाद तो कुंजल को मज़ा टाइप आ गया। कुंजल एक बार फिर स्टीम बाथ लेकर वापस आयी और स्वास्तिका के पास बैठती हुई…. "अब मै समझी की मेरे भाई मुझे सस्ती ट्रेनिंग क्यों दे रहे थे।"


स्वास्तिका, मुस्कुराती हुई… "अब कैसा लग रहा है।"..


कुंजल:- आह मज़ा आ गया दी, आपके हाथों में तो जादू है। वैसे मेरा काम हुआ या नहीं..


स्वास्तिका:- कौन सा काम कुंजल..


कुंजल:- मेरे जीजू से आज मुझे मिलवा रही हो ना आप..


स्वास्तिका:- धत तेरे की मै तो भूल ही गई।


कुंजल:- ओ भूल गई.. झुटी, जानबुझ कर नहीं कहा होगा। लेकिन कोई बात नहीं मुझे पीजी कर रहे स्टूडेंट दीपेश भारद्वाज का हॉस्टल पता है।


स्वास्तिका:- चोर कहीं की, मेरा पूरा डेटा चोरी कर गई।


कुंजल:- हीहीहीही… या तो आप फोन करके उनको यहां बुलाओ या फिर मै खुद ही मिल लूंगी…


इतने में ही दरवाजे कि घंटी भी बजने लगी…. "जाकर दरवाजा खोल और मिल ले अपने होने वाले जीजू से।"…


कुंजल ने जैसे ही दरवाजा खोला थोड़े कंफ्यूज होते पूछने लगी… "दीदी यहां तो जीजू के साथ तुम्हारी सौतन भी है।"..


शाहीन:- हेय तुम कुंजल हो राईट, हमारी स्वास्तिका की बहन..


कुंजल:- दीदी अब तो और भी कन्फ्यूजन बढ़ गया है.. ये तुम तीनों के बीच चल क्या रहा है? यहां एक हॉट सी मॉडल "हमारी स्वास्तिका" कह रही है।


तभी पीछे से स्वास्तिका उसे एक हाथ मारती.. "झल्ली कहीं की.. ये दोनों तो मेरे दोस्त है। ये हैं शाहीन और ये है योगेश। पर तुम दोनों यूं अचानक.. आओ अंदर आओ।


शाहीन:- मुझे डाक्टर का फोन आया था उसने कहा तुम्हारी तबीयत खराब है।


"बहुत ही चालक हो गया डॉक्टर।" .. स्वस्तिका अपनी जगह से उठी और दरवाजे के खोल कर पैसेज में निकली… बाएं साइड में ही दीपेश खड़ा था… "यू डॉक्टर, बहुत ही चालक हो गए हां।"


दीपेश:- अब तुम जैसी खरनाक गर्लफ्रेंड मेनटेन करना है तो कदम फूंक-फूंक कर रखना ही परता है।


"हट पागल, आओ अंदर।"… दोनों हंसते हुए अंदर चले। अंदर हॉल में जबतक कुंजल स्वास्तिका के दोस्तों से बात करना शुरू ही की थी। जैसे ही स्वास्तिका के चेहरे की हंसी और साथ ने दीपेश दिखा, कुंजल को समझते देर न लगी।


वो भागकर दीपेश के पास पहुंची और उसका हाथ थाम कर कहने लगी…. "दीदी आज के शाम इन्हे मैंने बुक कर लिया है, आप लोग आपस में बातें करो, और आप चलिए मेरे साथ।"


दीपेश कुंजल के साथ चलते हुए स्वास्तिका से इशारों में पूछने लगा… "ये कौन है।"… स्वास्तिका भी उसे हाथों के इशारे में समझते हुई बताने लगी "छोटी बहन है।".. स्वास्तिका अाकर अपने दोस्तों के पास बैठ गई और कुंजल दीपेश के साथ।


कुंजल अपना हाथ आगे बढ़ाती हुई… "हेल्लो मिस्टर होने वाले जीजू, मै आपकी इकलौती साली, कुंजल।"..


दीपेश भी हाथ मिलाते…. "बहुत खुशी हुई तुमसे मिलकर कुंजल"


कुंजल:- तो दीपेश सर जरा, हमे भी अपनी प्रेम कहानी सुनाएं कि दोनों में आखिर प्यार कैसे हुआ..


दीपेश:- क्यों स्वास्तिका ने तुम्हे नहीं बताया क्या?


कुंजल:- दीदी से बातें करने के लिए मेरे पास हजार बातें है सर, कुछ तो आपसे भी बात करने के लिए टॉपिक चाहिए ना। तो बिना देर किए शुरू हो जाइए।


कुंजल:- दीदी से बातें करने के लिए मेरे पास हजार बातें है सर, कुछ तो आपसे भी बात करने के लिए टॉपिक चाहिए ना। तो बिना देर किए शुरू हो जाइए।
lo ab yeh lag gaya kahani sunane :doh:
.. kunjal gharwalo ko phone karke baata kyun nahi deti indono ke baaden mein... :D
waise pehle sirf doctor, doctor bolne par lage ki kahin ye humare Chutiyadr sahab toh nahi :lol:
Khair.. yeh toh koi Dr dipesh
let's see what happens next
Brilliant update with awesome writing skill nainu ji :applause: :applause:
 
Last edited:

Aakash.

ᴇᴍʙʀᴀᴄᴇ ᴛʜᴇ ꜰᴇᴀʀ
Staff member
Divine
Moderator
31,217
78,148
304
Swastika made Kunjal's morning better. :lol1: The doctor was absolutely terrified, Swastika's influence is tremendous in college. :what2: By the way how is Deepesh, it will be known only later. ? Swastika and Aarav rocked together, one by one, leaving no one. Kunjal is undergoing rigorous training, teach everyone and make them master.
Nimmi is very dangerous... :lotpot:poor parth....:hehe:
As always the update was great, You are writing very well, Now let's see what happens next, Till then waiting for the next part of the story.

Thank You...

???
 
Top