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दोनों की खट्टी मीठी नोक झोंक जारी रही। स्वस्तिका को जिस परिवार का ना होना खलता रहा उसे वो मेहसूस कर रही थी, और अपने अरमान भी साझा कर रही थी।….
अगली सुबह कुंजल सोई हुई थी और ऐसा लगा जैसे उसका दम घुट रहा है। आंख बड़ी होकर खुल गई। पूरा मुंह प्लास्टिक के बैग के अंदर घुसा हुआ था। कुंजल छटपटा कर पूरा जोड़ लगा रही थी, लेकिन वो कुछ भी करने में असमर्थ थी, हाथ पाऊं वो पूरी ताकत से पटक रही थी लेकिन वो खुद की छुड़ाने में विफल थी।
स्वास्तिक उसके पास बैठकर यह सब कर रही थी और कुंजल उसे मारती और पिटती रही लेकिन स्वस्तिका ने तबतक नहीं छोड़ा जबतक वो खुद छोड़ना नहीं चाहती थी। जैसे ही स्वस्तिका ने उसे छोड़ा, कुंजल अपने चेहरे से पलास्टिक हटाकर खांसती हुई खुद की श्वांस की सामान्य करने लगी।
काफी देर तक हांफती हुई वो श्वांस सामान्य करती रही। जैसे ही कुंजल में थोड़ी जान आयी वो रोते हुए अपने दोनो हाथ पटककर स्वस्तिका को मारने लगी… "सुबह सुबह ऐसा कौन करता है… जरा भी दया या रहम है कि नहीं"…
स्वास्तिका:- रोना धोना हो गया हो गया हो तो 10 मिनट में ट्रेनिंग एरिया में।
स्वास्तिका के जाते ही कुंजल नाकी धुनते उसे 2-4 गालियां दी और मन मारकर ट्रेनिंग एरिया में पहुंच गई। सुबह के 4.30 बजे से 8.30 बजे तक के कड़े अभ्यास के बाद कुंजल के लिए विश्राम की स्तिथि हुई और वो वापस आकर हॉट शॉवर लेकर फ्रेश होने के बाद बिछ गई अपने बिस्तर पर और सोने लगी।
स्वास्तिका भी कॉलेज जाने के लिए जल्दी से तैयार हुई और जाने के क्रम में जब कुंजल को सोती हुई पाई, तब उसके पास जाकर प्यार से उसके सर पर हाथ फेरती वहां से निकल गई।
कॉलेज में वो जैसे ही पहुंची उसके फ्रेंड योगेश और शाहीन ने उसे घेर लिया… "तुम दोनों ने मेरा रास्ता क्यों रोका है।"
योगेश:- बिना बताए जाओ तुम और वो डॉक्टर का बच्चा मेरा रास्ता रोक..
शाहीन:- साला एक दिन तो मेरे हॉस्टल भी पहुंच गया था।
स्वास्तिका को रोककर दोनों ने मिलकर 10 मिनट तक कम से कम सुनाया होगा। स्वास्तिका दोनों को काफी देर तक झेलने के बाद…. "बस, फ़्री पीरियड में चलते है आज उसकी खैर नहीं।"
शाहीन और योगेश एक दूसरे को ताली देते हुए "येस" कहे, वहीं से तीनों चल दिए क्लास। आज एक्स्ट्रा क्लास की वजह से कोई फ्री पीरियड ना मिल पाने की स्तिथि में तीनों 4 बजे क्लास खत्म करके मिले और तीनों ही निकले डॉक्टर से मिलने। तीनों को एक साथ ब्वॉयज हॉस्टल के ओर आते देख डॉक्टर का एक दोस्त निर्मल तेजी से डॉक्टर के रूम में पहुंचा, और जोड़-जोड़ से दरवाजा खटखटाया… "क्या हुआ निर्मल, ऐसे पागलों कि तरह दरवाजा क्यों खटखटाया"…
निर्मल:- डॉक्टर माना किया था ना उसके फ्रेंड्स को मत कुछ करना आ रही है इधर ही, और हां उसके हाथ में रॉड भी है।
निर्मल तो अपनी बात हड़बड़ी में डॉक्टर से बोल दिया लेकिन उन दोनों की बात हॉस्टल के एक अन्य छात्र ने सुनी और वो इन दोनों के भागने से पहले ही, हॉस्टल के हर दरवाजे को पीटकर सब की आगाह करते हुए सुना दिया… "स्वास्तिका आ रही है रॉड के साथ।"
इधर डॉक्टर जबतक अपने ऊपर कपड़े डालकर वहां से निर्मल के साथ रफूचक्कर होने कि फिराक में था, इतने में हॉस्टल के बाकी छात्रों ने उसका रास्ता ही रोक लिया… "अरे सालों रास्ता छोड़ दो, वरना मुझ से अच्छा कोई ना होगा".. डॉक्टर जोर से चिल्लाते हुए कहा।
भीड़ में से एक लड़का…. "डॉक्टर अपने लफड़े खुद ही संभालो, तुम्हारे चक्कर में हम क्यों पीटें।"
निर्मल:- कमिने सालों, एक साथ इतने लड़के होकर एक लड़की से पिट जाते हो, शर्म नहीं आती।
भीड़ से दूसरा लड़का:- भोसडीके तो तुम दोनों कहां भाग रहे थे। साले हमरे माथे पर चूतिया लिखा है क्या? दोस्तों दोनों को किधर भी नहीं निकलने देना है। और इस साले निर्मल के कहने पर डॉक्टर ने स्वास्तिका के दोस्तों को परेशान किया था यह भी बताना है।"
"यहां आप सीनियर्स कि कोई मीटिंग चल रही है क्या सर।"… बॉयज हॉस्टल की छोटी सी आने जाने वाली गाली के सबसे पीछे खड़ी होकर स्वास्तिका न बड़े ही प्रेम से आवाज़ लगाई… सभी छात्र बीच का रास्ता खाली करते… "माते दोनों भागने के इरादे से थे इसलिए हमने इन्हे रोके रखा है।"..
स्वास्तिका:- हम खुश हुए… इसके बदले मै आप सबका कोई 1 छोटा सा काम कर दूंगी…
सभी छात्र एक साथ…. "बस हमारा 1 टॉपिक संभाल देना बहुत समझने की कोशिश कर रहे है लेकिन क्लेरिटी नहीं मिल पाई है।"…
स्वास्तिका:- ठीक है आज शाम जरा मै डॉक्टर से हिसाब किताब समेट लूं, फिर आप सभी सर लोग कल ऑडिटोरियम में मिल लीजिएगा.. किसी को कोई आपत्ती..
छात्र:- आप से कैसी आपत्ति..
स्वास्तिका:- तो ठीक है आप सब अपने अपने कमरे में चले जाइए, मै जरा डॉक्टर और उसके इस निकम्मे दोस्त से मिल लूं।
छात्र:- माते आप के लिए छोटी सी सूचना भी है, शाहीन और योगेश के टॉर्चर के पीछे निर्मल का हाथ है।
निर्मल:- देखो स्वास्तिका मुझे जाने दो वरना मैं यहां से कूद जाऊंगा…
तभी उन छात्रों में से 2 छात्र ने उस निर्मल को पकड़ा और पकड़ कर डॉक्टर के साथ कमरे में डाला.. बीच का रास्ता खाली था स्वास्तिका और उसके दोस्त सीधा पहुंचे उसके कमरे में… "निर्मल ज्यादा विरोध नहीं करोगे तो सस्ते में छूट जाओगे वरना मजबूरन मुझे वो पिछली बार वाली पिछ्वाड़ा लाल थेरेपी देनी होगी।"..
स्वास्तिका ने आते ही अपना प्रस्ताव रखा और निर्मल मान गया। शाहीन ने हरी मिर्च का थैला आगे बढ़ाते… "चल बेटा ये मिर्ची खा ले"..
निर्मल:- स्वास्तिका, देखो डॉक्टर बहुत मायूस था और तुम्हारा कोई पता नहीं था इस चक्कर में हम बस इन दोनों से तुम्हारे बारे में पूछने गए थे।
योगेश:- साले ये भी बता ना शाहीन को क्या बोला था। यदि कल तक स्वास्तिका का पता ना चला तो हमारी प्रेम कहानी इसके खड़ूस बाप को बता देगा।
शाहीन:- योगेश जुबान कुछ ज्यादा लंबी नहीं हो गई तुम्हारी। अब्बू के बारे में तुमने उल्टा बोला ना… बाद में मै तुमसे निपटती हूं।
योगेश:- "अरे वो फ्लो में निकल गया था शाहीन, तुम भी ना"… कहते हुए योगेश, शाहीन को गले से लगाया और शाहीन उसे झटकती हुई… "तुम तो दूर ही रहो फिलहाल योगेश मुझसे।"..
स्वास्तिका:- जी तो कर रहा है तुम दोनों को ही पहले हौंक दूं। जब देखो तब पागलों कि तरह दोनों कहीं भी लड़ाई तो कहीं भी रोमांस करने लग जाते हो। अब जरा शांत होकर खड़े रहो, और दोनों से हिसाब किताब करनें दो।
डॉक्टर:- कम से कम तुमसे तो अच्छे है। रोमांस और लड़ाई का बैलेंस तो बनाए है। तुम्हारी तरह बात-बात पर रोड तो नहीं निकाल लेते। लड़ाकू विमान..
स्वास्तिका:- डॉक्टर तुमसे जरा मै बाद ने निपटती हूं, पहले इस कंजर निर्मल से निपट लूं, जो तुम्हे उल्टे-सीधे सलाह देते रहता है।
डॉक्टर:- वो भी मेरा दोस्त है और इसने मुझे कोई भी सजेशन नहीं दिया, बल्कि मै खुद गया था शाहीन और योगेश के पास। मै दोषी हूं, मुझे मारो.. हट तू निर्मल, बहुत हो गई इसकी हिटलर गिरी..
स्वास्तिका:- ठीक है डॉक्टर चूंकि तुम गुस्से में हो, इसलिए अपने दोस्त से कहो कि हमारी सुकून के लिए ये 10 मिर्ची एक साथ चबा जाए। वरना अभी तुम्हारे लिए छोड़ तो दूंगी, लेकिन क्या हर वक़्त तुम इसके साथ होगे।
निर्मल:- डॉक्टर रहने दे, सिर्फ 10 ही मिर्ची तो है।
बेचारा 10 मिर्ची एक साथ मुंह में डाला तो, लेकिन ऐसा लग रहा था जैसे आंख कान, नाक हर जगह से धुआं निकल रहा हो। मिर्ची खाते ही स्वस्तिका ने सबको यह कहकर वापस भेज दिया कि अब वो, वन टू वन डॉक्टर के साथ मैटर सॉल्व करेगी।
सबके जाते ही… "क्या है डॉक्टर ये सब हरकतें"..
डॉक्टर:- क्या है यार बिना बताए ऐसे कैसे जा सकती हो?
स्वास्तिका:- तो इसके लिए तुम उन दोनों को परेशान करोगे।
डॉक्टर:- सॉरी, पर मुझे कुछ अच्छा नहीं लग रहा था। बताकर तो जाना था, तुम्हे कुछ अंदाजा भी है मेरी हालत का?
स्वास्तिका:- लो बाबा कान पकड़ती हूं, दिल को सुकून मिला या अब भी मुंह लटकाए रहोगे। ओ भारद्वाज सर, सुनिए तो.. ओ दीपेश भारद्वाज... अब मान भी जाओ।
डॉक्टर:- तुम्हे पता है कैसे काटे है मैंने ये 20-21 दिन, पागल सा हो गया था मै। तुमने मुझे एहसास दिलाया कि किसी को इतना ना चाहो की ज़िंदगी मुश्किल लगने लगे…
स्वास्तिका:- मतलब अब तुम इस सीख के बाद अपनी चाहत कम करने वाले हो। ठीक है डॉक्टर कोई बात नहीं।
दीपेश स्वास्तिका के दोनों गाल खिंचते… "इसे कहते है बात को अपने हिसाब से घूमना, बहुत ही कठोर दिल की हो तुम स्वास्तिका।"
स्वास्तिका:- अच्छा गर्लफ्रेंड इतने दिनों बाद लौटी है और तुम उसे दूरी बनाए हो, अब कठोर कौन है।
दीपेश:- सभी साले दरवाजे पर ही नजर डाले होंगे की हम दोनों क्या कर रहे है। कल का गॉसिप मसाला जो होगा इनका। शाम को मिलते है ना, आज सिर्फ मै और तुम।
स्वास्तिका:- नाह। अच्छे से तैयार होकर जल्दी से घर आओ, किसी से मिलवाना है।
दीपेश:- किससे..
"वो जब आओगे तब खुद ही देख लेना।"… स्वास्तिका जाते-जाते अपनी बात कहती चली और दीपेश सस्पेंस में उलझकर रह गया। इधर स्वस्तिका जब लौटी तब भी कुंजल सोई हुई थी। स्वास्तिका उसे जागती हुई चली गई चेंज करने, जबतक स्वास्तिका लौटी, कुंजल टेबल पर खाना लगाकर उसका इंतजार कर रही थी। "
"तुमने अभी तक खाया नहीं था।"… स्वास्तिका बैठती हुई पूछने लगी..
कुंजल:- बदन पूरा टूट रहा है दीदी, इतनी मेहनत तो भाइयों ने भी नहीं करवाई थी।
स्वस्तिका:- हम्मम ! कोई नहीं तुम्हे एक अच्छी मसाज की जरूरत है।
कुंजल:- मुझमें बाहर जाने की भी हिम्मत नहीं बची।
स्वास्तिका:- कोई नहीं थोड़ा सा खा ले, फिर मै चलती हूं तुम्हे एक मसाज देने।
कुंजल:- नहीं रहने दो दीदी, मै मैनेज कर लूंगी।
दोनों बहने थोड़ा सा खाकर उठ गई। स्वास्तिका उसे बिठाकर पहले तो उसके सर को अच्छे से मसाज की, फिर लगभग डेढ़ घंटे तक उसे बॉडी मसाज देती रही और साथ में एक्यूपंक्चर थेरेपी भी दी। मसाज के बाद तो कुंजल को मज़ा टाइप आ गया। कुंजल एक बार फिर स्टीम बाथ लेकर वापस आयी और स्वास्तिका के पास बैठती हुई…. "अब मै समझी की मेरे भाई मुझे सस्ती ट्रेनिंग क्यों दे रहे थे।"
स्वास्तिका, मुस्कुराती हुई… "अब कैसा लग रहा है।"..
कुंजल:- आह मज़ा आ गया दी, आपके हाथों में तो जादू है। वैसे मेरा काम हुआ या नहीं..
स्वास्तिका:- कौन सा काम कुंजल..
कुंजल:- मेरे जीजू से आज मुझे मिलवा रही हो ना आप..
स्वास्तिका:- धत तेरे की मै तो भूल ही गई।
कुंजल:- ओ भूल गई.. झुटी, जानबुझ कर नहीं कहा होगा। लेकिन कोई बात नहीं मुझे पीजी कर रहे स्टूडेंट दीपेश भारद्वाज का हॉस्टल पता है।
स्वास्तिका:- चोर कहीं की, मेरा पूरा डेटा चोरी कर गई।
कुंजल:- हीहीहीही… या तो आप फोन करके उनको यहां बुलाओ या फिर मै खुद ही मिल लूंगी…
इतने में ही दरवाजे कि घंटी भी बजने लगी…. "जाकर दरवाजा खोल और मिल ले अपने होने वाले जीजू से।"…
कुंजल ने जैसे ही दरवाजा खोला थोड़े कंफ्यूज होते पूछने लगी… "दीदी यहां तो जीजू के साथ तुम्हारी सौतन भी है।"..
शाहीन:- हेय तुम कुंजल हो राईट, हमारी स्वास्तिका की बहन..
कुंजल:- दीदी अब तो और भी कन्फ्यूजन बढ़ गया है.. ये तुम तीनों के बीच चल क्या रहा है? यहां एक हॉट सी मॉडल "हमारी स्वास्तिका" कह रही है।
तभी पीछे से स्वास्तिका उसे एक हाथ मारती.. "झल्ली कहीं की.. ये दोनों तो मेरे दोस्त है। ये हैं शाहीन और ये है योगेश। पर तुम दोनों यूं अचानक.. आओ अंदर आओ।
शाहीन:- मुझे डाक्टर का फोन आया था उसने कहा तुम्हारी तबीयत खराब है।
"बहुत ही चालक हो गया डॉक्टर।" .. स्वस्तिका अपनी जगह से उठी और दरवाजे के खोल कर पैसेज में निकली… बाएं साइड में ही दीपेश खड़ा था… "यू डॉक्टर, बहुत ही चालक हो गए हां।"
दीपेश:- अब तुम जैसी खरनाक गर्लफ्रेंड मेनटेन करना है तो कदम फूंक-फूंक कर रखना ही परता है।
"हट पागल, आओ अंदर।"… दोनों हंसते हुए अंदर चले। अंदर हॉल में जबतक कुंजल स्वास्तिका के दोस्तों से बात करना शुरू ही की थी। जैसे ही स्वास्तिका के चेहरे की हंसी और साथ ने दीपेश दिखा, कुंजल को समझते देर न लगी।
वो भागकर दीपेश के पास पहुंची और उसका हाथ थाम कर कहने लगी…. "दीदी आज के शाम इन्हे मैंने बुक कर लिया है, आप लोग आपस में बातें करो, और आप चलिए मेरे साथ।"
दीपेश कुंजल के साथ चलते हुए स्वास्तिका से इशारों में पूछने लगा… "ये कौन है।"… स्वास्तिका भी उसे हाथों के इशारे में समझते हुई बताने लगी "छोटी बहन है।".. स्वास्तिका अाकर अपने दोस्तों के पास बैठ गई और कुंजल दीपेश के साथ।
कुंजल अपना हाथ आगे बढ़ाती हुई… "हेल्लो मिस्टर होने वाले जीजू, मै आपकी इकलौती साली, कुंजल।"..
दीपेश भी हाथ मिलाते…. "बहुत खुशी हुई तुमसे मिलकर कुंजल"
कुंजल:- तो दीपेश सर जरा, हमे भी अपनी प्रेम कहानी सुनाएं कि दोनों में आखिर प्यार कैसे हुआ..
दीपेश:- क्यों स्वास्तिका ने तुम्हे नहीं बताया क्या?
कुंजल:- दीदी से बातें करने के लिए मेरे पास हजार बातें है सर, कुछ तो आपसे भी बात करने के लिए टॉपिक चाहिए ना। तो बिना देर किए शुरू हो जाइए।
कुंजल:- दीदी से बातें करने के लिए मेरे पास हजार बातें है सर, कुछ तो आपसे भी बात करने के लिए टॉपिक चाहिए ना। तो बिना देर किए शुरू हो जाइए।