Update:-11
अपस्यु मंत्री जी से मिल कर लौट आया। सारी कहानी सामान्य हो चुकी थी। अपस्यु की फटफटी अपने रफ्तार से सड़क पर दौड़ रही थी, की तभी अचानक पीछे से एक कार ने उसे जोरदार टक्कर मारी और ठीक उसी वक़्त जब अपस्यु हवा में था सामने से रफ्तार में अा रही बस ने उसे ठोका….
ना जाने कितनी देर तक खून से लथपथ शरीर सड़क पर पड़ी रही। लोग भीड़ लगा कर देखते तो रहे किंतु किसी ने भी उठा कर हॉस्पिटल नहीं पहुंचाया। रक्त बहता रहा सासें धीमी होती रही…
आरव, अपस्यु के कहे अनुसार 4 बजे के बाद वो जगह खाली कर दी। लावणी को भी पूरा होश अा चुका था और वो अपने चेतना में थी। दोनों बहने अपनी स्कूटी से अपने घर निकाल गई और आरव अपने फ्लैट।
रात बीत रही थी पर अपस्यु का कोई पता नहीं था। आरव की चिंता थोड़ी जायज भी थी क्योंकि जो लड़का कभी रात भर बाहर रहा नहीं आज पूरी रात गायब था। लेकिन आरव को ये भी ज्ञात था कि अगर वो बाहर है तो किसी ना किसी काम में जरूर होगा। फिर भी चिंता तो हो ही जाती है।
2 दिन बीतने को आए थे, अपस्यु का कोई पता नहीं। अगले दिन जब दोनों बहने कॉलेज पहुंची तब उनकी समस्या का भी समाधान हो चुका था लेकिन कॉलेज में ना उनको आरव दिखा और ना ही अपस्यु।
साची की नजरें भी अब अपस्यु के बालकनी पर टिकी रहती की कहीं एक बार अपस्यु दिख जाए तो उसे धन्यवाद कहा जा सके लेकिन वो हो तो ना बालकनी में दिखे।
2 दिन बीतने के पश्चात, जब अपस्यु घर नहीं लौटा, तब आरव बहुत ही चिंतित हो गया। फिर उसने अपस्यु का कंप्यूटर खोला, उसमे जीपीएस ट्रैकिंग वेबसाइट खोलकर अपस्यु के लोकेशन को देखने लगा। चिंता और दिल की धड़कने तब और भी ज्यादा बढ़ गई जब उसका लोकेशन किसी हॉस्पिटल का अा रहा था, और पिछले 2 दिनों से वो वहीं एक ही लोकेशन पर था।
आरव हड़बड़ी में अपने फ्लैट से निकला, नुक्कड़ तक पहुंच कर वो टैक्सी के लिए हाथ दिखाने ही वाला था कि उसके पास साची की स्कूटी रुकी। स्कूटी रोक साची ने पहला सवाल वही किया… "आरव तुम लोग कहां गायब हो गए उस दिन के बाद से"।
आरव:- सही वक़्त पर अाई हो, लावणी तुम घर चली जाओ हम जरा हॉस्पिटल हो कर आते हैं।
साची:- हॉस्पिटल.. क्या हो गया? सब ठीक तो है ना।
आरव:- तुम चलो रास्ते में तुम्हे सब बताता हूं।
लावणी स्कूटी से उतर गई और आरव उसपर सवार हो कर चल दिया हॉस्पिटल। रास्ते में उसने साची से सारी बातें साझा कर दी। साची भी थोड़े सकते में अा गई और उसने भी स्कूटी की रफ्तार थोड़ी बढ़ा दी।
कुछ समय पश्चात दोनों एक सरकारी हॉस्पिटल में थे। थोड़ी देर पूछताछ के बाद दोनों को अपस्यु के बारे में पता चला। वो बेसुध हो कर जेनरल वार्ड में परा हुआ था और सिर से लेे कर पाऊं तक पूरी पट्टियां लगी हुई थी।
उस क्षण आरव के ह्रदय में उठ रही पिरा को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। पास ही एक कंधा था और उसी कंधे पर सिर रख कर आरव अपने भाई को देखता रहा और आशुओं के धार बहाता रहा।
साची, ने उसे कई बार कहा भी, "आरव तुरंत अपने मम्मी पापा को खबर करो".. लेकिन आरव के आखों से बस आशुं निकलते रहे। सिसकती जुबान से आखिर में बस इतना निकला… "मेरे लिए मेरा भाई है और उसके लिए मैं। किसे पुकारू, किसे बुलाऊं"..
बहुत ही मार्मिक स्थिति थी। यूं तो सांची जाना नहीं चाहती थी लेकिन शाम हो रही थी और घर से भी बार-बार फोन अा रहा था, इसलिए ना चाहते हुए भी साची को वहां से जाना परा।
तकरीबन रात के 8.३० बजे वो खाना लेेकर पुनः वापस आयी। आरव वहीं अपस्यु के खटिए के नीचे उसका एक पाया पकड़ कर ना जाने कहां खोया था। साची उसे चेतना में वापस लाती हुई… "खाना खा लो"
साची को देखते ही एक बार फिर उसके आंसू निकाल आए। मानो जैसे किसी अपने को देख कर भावनाए जाग जाती हो। साची उसे किसी तरह चुप करा कर, अपस्यु का चेहरा दिखा कर हौसला देती… "अगर तुम हिम्मत हार गए फिर उसकी देखभाल कौन करेगा"… इन्हीं सब तरह की बातें सुनाकर उसे चुप करवाई और खाने के लिए भेज दी।
भाई की ऐसी हालत देख कर निवाला गले से कहां उतरे। फिर भी कुछ निवाला खाकर उसने टिफिन साची को दिया और साची उस टिफिन को लेेकर वहां से चली गई।
अगली सुबह जब डॉक्टर राउंड में आए तब आरव को देख कर गुस्से से कहने लगे… "इसकी इतनी हालत खराब है और तुम लोग कहां सो रहे थे 4 दिनों से"..
आरव:- सर मेरे भाई को क्या हुआ है वो ठीक तो हो जाएगा ना?
डॉक्टर उस पर चिल्लाते हुए…. "पहले तुम ठीक से खड़े राहो"
आरव:- सर मेरा दिमाग काम नहीं कर रहा है। प्लीज़ आप बताइए ना।
डॉक्टर:- देखो बेटा, तुम्हारे ऐसे पैनिक होने से तो तुम्हारा भाई ठीक नहीं होगा। अब हिम्मत रखो और इसकी सेवा करो।
आरव:- जी सर मै खूब सेवा करूंगा। इसे एक काम नहीं करने दूंगा। लेकिन मेरा भाई कुछ बोल क्यों नहीं रहा… अपस्यु… अपस्यु.. कुछ तो बोल भाई। मार लेे मुझे, डांट ही सही पर कुछ तो बोल।
आरव जेनरल वार्ड में डॉक्टर के सामने खड़े हो कर चिल्ला रहा था। तुरंत ही हस्पताल प्रशासन वहां पहुंच गई। लेकिन डॉक्टर के कहने पर किसी ने कुछ नहीं किया और सब वापस चले गए। डॉक्टर ने एक वार्ड बॉय को बुला कर आरव को उसके केबिन में लेे जाने के लिए बोले और फिर राउंड पर निकाल गए।
तकरीबन 1 घंटे बाद डॉक्टर साहब अपने केबिन में पहुंचे और आरव को बताने लगे… "देखो तुम्हारे भाई का सीरियस ऐक्सिडेंट हुआ था। कई जगह चोटें अाई हैं और कई हड्डियां टूट चुकी है। तुम्हारे ऐसे भावुक होने से या चिल्लाने से वो ठीक तो होगा नहीं। मेरी सलाह है की तुम धर्या बनाए रखो। समय के साथ वो धीरे-धीरे ठीक हो जाएगा। समझे"
आरव:- माफी चाहूंगा सर बताया ना इस वक़्त मेरा दिमाग काम नहीं कर रहा है।
डॉक्टर:- होता है, तुम्हारी जगह मै भी होता तो शायद मेरा भी यही हाल होता। लेकिन बेटा ये बताओ तुम्हारे अभिभावक कहां है?
आरव:- सर अब उसका इकलौता रिश्तेदार मैं ही हूं।
डॉक्टर:- ओह माफ़ करना मुझे। ठीक है तुम जाओ, मैं तुमसे अा कर मिलता रहूंगा। लेकिन कोई शोर मत करना वरना तुम्हे हस्पताल से निकाल दिया जाएगा। फिर तुम अपने भाई की सेवा नहीं कर पाओगे।
डॉक्टर से बात करके आरव को थोड़ी तसल्ली मिली और वो शांत मन से वहां से निकल कर सीधा अपने भाई के पास पहुंचा। जब वो अपस्यु के पहुंचा तब उसकी आंखें खुली हुई थी और नजरें इधर से उधर हो रही थीं।
अपस्यु को देख कर तो मानो आरव के चेहरे पर खुशी छा गई हो, वो अपस्यु के सर के पास बैठ कर उसके माथे को सहलाते हुए… "जल्दी उठ जा भाई, तेरे बिना पागल हो रहा हूं मैं"।
अपस्यु, ने इशारों से नजदीक आने के लिए कहा, फिर किसी तरह अपनी आवाज़ निकलते.. "कान इधर ला".. आरव अपना काम अपस्यु के मुंह के पास लेे गया.. "आज रात मुझे अपने फ्लैट पर पहुंचना है, मैं नहीं जानता तू क्या करेगा, कैसे करेगा, लेकिन तुझे ये करना है"…
आरव आश्चर्य से उसे देखते हुए… "आज ही तो तू होश में आया है ऊपर से ऐसी बातें कर रहा"।
अपस्यु:- मुझे तू बुलबाएगा ही। अरे होश तो उसी दिन आया था, बस शरीर में जान नहीं था। तब तू नहीं था ना इसलिए शायद। अब जैसा कह रहा हूं वैसा कर और हां किसी वार्ड बॉय को कुछ पैसे दे कर मेरी पूरी रिपोर्ट लेे लेना।
अपस्यु की बात आरव के समझ से परे थी। लेकिन अब भाई ने कहा था तो करना ही था। सब से पहले उसने 2 वार्ड बॉय को पकड़ा और दोनों को ₹10000 रुपया पहले पकड़ाया। रुपया देख कर ही वो खुश हो गए। फिर आरव ने उसे पूरी बात समझाई। उन दोनों को क्या मतलब था कि कोई कहां जा रहा। उन्होंने कितने आदमी और लगेंगे और एम्बुलेंस से लेकर फ्लैट के अंदर तक के पहुंचने का सारा गणित लगा कर ₹20000 और मांग लिए। आरव उन लोगों को ₹30000 थामते हुए बोलने लगा… "तुम्हारी पूरी पेमेंट हो गई। साथ में एक्स्ट्रा भी दिया, आज रात काम हो जाना चाहिए"
इधर वो वार्ड बॉय के साथ अपनी मुलाकात खत्म करके अा ही रहा था कि हस्पताल के बाहर साची मिल गई। साची ने सबसे पहले तो आरव को ऊपर से नीचे तक देखी और उसे देखकर यही कही… "लगता है अपस्यु को होश अा गया है"। आरव ने खुशी का इजहार करते हां में जवाब दिया फिर साची उसके हाथ में परी रिपोर्ट के बारे में पूछने लगी।
आरव ने प्रतिउत्तर में बताया कि उसके हाथ में अपस्यु की रिपोर्ट है। यूं तो मेडिकल रिपोर्ट पढ़ लेना कोई आम बात नहीं होती, गूगल भी करो तो भी ठीक से पता नहीं चल पाता कि क्या लिखा है। हां लेकिन आजकल सीधे-सीधे लाइन में 2-4 बातें लिख दी जाती है जिसे पढ़ कर कोई भी समझ सकता है। और साची उसी को देख रही थी। जब अपस्यु के शरीर के क्षति के बारे में उसने रिपोर्ट में पढ़ी तो उसके होश ही उड़ गए। कई हड्डियां टूटी, कई पसलियां टूटी.. और बाकी अंदर की तो रिपोर्ट समझ में ही नहीं अाई।
साची:- इसका तो बहुत बड़ा एक्सिडेंट हुआ है। काफी दर्द और तकलीफ में होगा।
आरव:- हां इसलिए तो उसे आज यहां से शिफ्ट करवा रहें हैं। यहां उतनी फैसिलिटी नहीं है ना।
साची:- हां ये सही किया, वैसे कहां लेे कर जा रहे हो।
आरव:- वेदांता में लेकर जा रहे है। वहां तो अनलोगों ने बस इतना ही कहा कि मरीज को छोड़ जाना बाकी किसी कि जरूरत नहीं।
साची:- हां अच्छा हॉस्पिटल है। अच्छा निर्णय लिया। अब बस अपस्यु जल्दी से ठीक हो जाए।
साची वहां से चली गई और आरव बकिं सारी तैयारियां करने लगा। शाम के 7 बजे वार्ड बॉय ने अपना काम कर दिया। उन्होंने अपस्यु को चुपके से निकालकर एम्बुलेंस में लोड करवा दिया। थोड़ी ही देर में अपस्यु अपने फ्लैट में था। आरव उसके लिए पहले से सब व्यवस्था कर रखा था। एक फोल्डिंग आरामदायक बेड जो हॉस्पिटल में लगा होता है और उसके साथ सारे जरूरी उपकरण, जैसे ऑक्सीजन सिलेंडर, हार्ट रेट चेक करने की डिजीटल मशीन। ऐसा लग रहा था जैसे हॉस्पिटल का छोटा सा सेटअप लगा रखा हो।
अपस्यु को जब उस पर लिटाया जा रहा था, तब सारा सेटअप देख कर अपस्यु मुस्कुरा दिया। उसने आरव को अपने पास बुलाया और उसे "थैंक यू" कह दिया। आरव ने हंस कर उसके थैंक यू का टेढ़ा जवाब दिया और वहां से जाने लगा। लेकिन अपस्यु ने उसे रोककर कुछ बातें समझाई और अपस्यु के कहे अनुसार वो करते हुए पूछने लगा… "तेरा ऐक्सिडेंट कैसे हुआ और ये समझ से परे है कि तू यहां अाकर, साबित क्या करना चाहता है"
"आरव, हम तो यहां आराम से काम करने आए थे लेकिन कुछ लोग जरा जल्दी में है जिन्हे हमारा आराम से काम करना अच्छा नहीं लग रहा। और ये ऐक्सिडेंट उनकी जल्दबाजी का नतीजा है। गलती मेरी है जो मैं थोड़ा लापरवाह हो गया। लेकिन कोई नहीं, उन्होंने अधूरी कोशिश की और मैं उन्हें दोबारा कोशिश करने का मौका नहीं दूंगा"