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Romance भंवर (पूर्ण)

nain11ster

Prime
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Update:-64



अपस्यु वहीं कुर्सी पर बैठते हुए कहने लगा…. "आप की बेवकूफियां हमे डुबो देगी… समझी आप।"


सितंबर 2013… डेविल ग्रुप मीटिंग, तन्हा लोट, बाली, इंडोनेशिया…


त्रिवेणी शंकर के बेटे को योजनाबद्ध तरीके से मारा जा चुका था। भूषण और जमील के हवाला के पैसों को उड़ा लिया गया था और सुलेखा के सूचना के आधार पर यह मीटिंग रखी गई थी।

डेविल ग्रुप के सभी सदस्य… अपस्यु, आरव, ऐमी, स्वस्तिका और पार्थ सभी अलग-अलग रास्तों से इंडोनेशिया पहुंच चुके थे। सभी एक छत के नीचे बैठे हुए थे और अपस्यु मीटिंग की शुरवात करते हुए…

"सुलेखा आंटी पूरी जानकारी दे चुकी हैं। हमारे दिए गए 800 करोड़ के झटके के बाद, मनीष मिश्रा को नीदरलैंड भेजा जा रहा है। मनीष मिश्रा कुछ महीनों बाद, रॉटरडम (यूरोप का सबसे बड़ा समुद्री पोर्ट, जहां एक दिन में कई हजार कंटेनर लोड और अनलोड किए जाते है।) पर अपनी निगरानी देगा और आगे इस जगह से कोई घाटा ना हो उसकी जिम्मेदारी लेगा।"

"योजना का पहला चरण लगभग कामयाब हुआ है। दूसरी एक और कमाल कि खबर निकलकर आयी है। प्रकाश जिंदल और मनीष अपने काले कारनामे को रिश्ता में बदल रहे है, अगले साल जून तक मनीष मिश्रा की बेटी साची मिश्रा और प्रकाश जिंदल के बेटे ध्रुव जिंदल के बीच ये रिश्ता तय हो जाना है।

"इस सूचना के दम पर हम प्रकाश जिंदल को घेर सकते है क्या? इनके छोटे-छोटे काम करने वाले सहायकों के जाने से, हवाला सिंडिकेट को कोई फर्क नहीं पड़ने, लेकिन यदि प्रकाश जिंदल को लपेट लिया, फिर समझो की हमने इनकी कमर तोड़ दी। एक-एक करके तुम सब बोल सकते हो।"

पार्थ:- प्रकाश जिंदल पर हम कम से कम 3 साल तक हाथ नहीं डाल सकते। एक यूएस सेनेटर पर हाथ डालने का मतलब हुआ की हम पहले तो वर्ल्ड पॉलिटिक्स में हाथ डाल देंगे। ऊपर से यूएस की सारी एजेन्सी हमारे पीछे होगी। मुझे नहीं लगता कि हम उनके इन्वेस्टिगेशन को 2 दिन से ज्यादा चकमा दे सकते है। इसलिए उसपर अभी सोचने का अर्थ होगा, हम केवल जिंदल को लपेटकर ही मरने वाले है, बाकी उनका हवाला सिंडिकेट चलता रहेगा।

सभी सदस्यों के बीच काफी देर तक खामोशी रही, सब गहन चिंतन से कुछ निष्कर्ष पर पहुंचने की कोशिश कर रहे थे…

स्वस्तिका:- प्रकाश जिंदल को लपेटा जा सकता है… बस पूरे धैर्य और समझदारी से आगे बढ़ना होगा। दिल्ली में तुम दोनों भाई कब स्टेबल होने वाले हो।

ऐमी:- वहां की तैयारियां पूरी हो गई है। जनवरी से हम गढ़ में होंगे…

स्वस्तिका:- ठीक है, सुलेखा आंटी को बोलना किसी तरह चक्कर चला कर साची को दिल्ली ले आए।

आरव:- नॉटी तू बहुत नॉटी प्लान कर रही है, मुझे ऐसा क्यों लगा रहा है?

स्वस्तिका:- अगर ये प्लान काम कर गया तो समझो प्रकाश जिंदल अपनी झोली में।

अपस्यु:- पूरी बात बताओ स्वस्तिका…

स्वस्तिका:- साची और ध्रुव रिश्ते में बंधने जा रहे है। अगर इन दोनों के बीच हम किसी तीसरे को प्लॉट कर देते है, और साची के दिमाग से यदि खेलने में कामयाब हुए तो समझो ध्रुव जिंदल को हम भारत आने पर मजबुर कर सकते है। एक बार वो भारत आ गया, फिर समझ लो ध्रुव जिंदल अपने जाल में। यदि ध्रुव जिंदल हमारे चंगुल ने फंस गया, फिर वो प्रकाश जिंदल, यूएस, का कितने दिनों तक सेनेटर बना रहेगा। ऐसा मजबुर करो की प्रकाश जिंदल खुद बेबस होकर रिजाइन कर दे। एक बार उसका पॉलिटिकल कैरियर बर्बाद हुआ फिर तो पॉलिटिकल गेम ही उसे बर्बाद कर देगी। हम तो बस उसके विपक्ष के हाथ में एक के बाद एक सबूत देते चले जाएंगे।

आरव:- मै सहमत हूं…
पार्थ:- में भी..
ऐमी:- मै भी..
अपस्यु:- मै भी..

अपस्यु:- तो ठीक है यही तय होता है। अब हम अपने आखरी चरण में है। दिल्ली में बसने का समय अब आ चुका है। हर किसी की पहचान हो चुकी है। डेविल की तरह सारे काम होंगे, सबके सामने होकर भी छिपे रहेंगे। उनके बीच रहकर अब उनको उखाड़ने का वक़्त आ गया है। उम्मीद करते है 2015 के शुरवात तक हम उन्हें वो सब लौटा सके, जो उन्होंने हमे दिया है। मिशन साची की इंशियल प्लान बनाओ, आगे सिचुएशन के हिसाब से सब काम करेंगे….

तकरीबन, 10 मिनट बाद, पार्थ….

"सबसे पहले हमे साची की पूरी जानकारी चाहिए। किसी एक को ऑन स्क्रीन पहले उससे जुड़ना होगा, ताकि उसके दिल में छिपी भावना को निकाल सके। ऐसी बातें जो वो अपने परिवार से भी शेयर नहीं कर सकती। एक ऑनलाइन दोस्त जो उसकी फैंटेसी जान सके"..…
"दूसरा उसे कंफ्यूज करने के लिए किसी ऐसे की जरूरत होगी जिसे साची पढ़ ना सके। जिसकी भावना को जान पाना उसके लिए असंभव हो, तभी वो कंफ्यूज होगी। इसके लिए अपस्यु से बेहतर कोई नहीं होगा।"

ऐमी:- सहमत हूं
आरव:- मै भी सहमत
स्वस्तिका:- मै भी सहमत..

अपस्यु:- ठीक है फिर ये तय हो गया.. ऐमी हैक करो उसे और अंदर तक झांको, पूरी ऑनलाइन एक्टिविटी चेक करो। जानकारियां निकालो और जुड़ो उससे। उसे ऐसा दिखाना होगा कि तुम साची को कम से कम 3-4 साल से जुड़ी हो। ढूंढो उसके प्रोफाइल में किसी फेक डेड आईडी को, जिससे उसकी 2-4 बार भी कभी बात हुई हो।

आरव:- इसका फायदा…

ऐमी:- फायदा ये होगा की वो प्राइवेट चाट का रिस्पॉन्स जल्दी करेगी। पूरी जानकारी के बाद एक बार जब बातें शुरू होगी फिर समझो वो अपने जाल में।

अपस्यु:- राईट.. आरव तुम 5 दिन का सर्विलेंस लोगे साची का.. वो अपने घर में क्या करती है, कैसी आदतें हैं, कैसे जीती है। क्या उसका कोई बॉयफ्रेंड है, कितने फ्रेंड है।.. और इसी के साथ हमारी आज की मीटिंग समाप्त होती है।

कुछ दिन बाद दिल्ली के एक शॉपिंग मॉल, जहां के सीसीटीवी को ऐमी पूरी तरह से अपने कब्जे में लेने के बाद अपस्यु को सूचना दी। सूचना मिलते ही अपस्यु सुलेखा के सामने पहुंचा। अपस्यु को देखकर सुलेखा उसे अपने गले लगाती हुई कहने लगी… "कब तक ऐसे चोरों कि तरह मिलता रहेगा। मै चाहती हूं कि तू मेरे पास रहे।"

अपस्यु:- आप के पास ही तो हूं आंटी, दूर कब हुआ था। बस इस वक़्त माहौल ऐसा नहीं कि खुद को जाहिर कर सकूं, लेकिन चिंता मत करो बहुत जल्द आपके परिवार में एंट्री होगी हम दोनों भाई की।

"तेरी आखें बिल्कुल तेरी मां के जैसी है।" सुलेखा अपस्यु की बात को अनसुनी कर उसे ध्यान से देखती हुई कहने लगी…

अपस्यु:- आप बेकार में इमोशनल हो रही है, अभी जो मै बात बताने आया हूं वो बता दूं।

सुलेखा:- ठीक है बताओ…

अपस्यु मीटिंग में लिए गए फैसलों को बताते हुए पूछने लगा…. "क्या आप का दिल मानेगा की मै आप की बेटी का इस्तमाल करूं।"

सुलेखा थोड़ी मायूस होती…. "मेरी दोनों बच्चियां बहुत मासूम है, बस उनके बाप की वजह से कभी मै ये प्यार जाता नहीं सकी। मेरे बेटे को भी शायद ये लोग अपने काम में ना शामिल कर ले। बड़ा वाला तो पूरा ही बिगड़ा हुआ है, लेकिन अभी तक शामिल नहीं हुआ है। डर सा लगा रहता है, कहीं दोनों बेटे भी इसके नक्शे कदम पर चले तब तो मै जीते जी मर जाऊंगी।"

अपस्यु:- चिंता नहीं कीजिए यह साल जाते-जाते आपका डर भी चला जाएगा। आप ने अब तक मेरे सवालों का जवाब नहीं दिया।

सुलेखा:- पिता के बुरे कर्मों का भुगतान उसके बच्चे को करना ही होता है। आप के कर्म कितने भी अच्छे हो लेकिन आप के जनक के कर्म कहीं ना कहीं उसपर हावी होता ही है। क्या तुम अपने पिता के कर्मों की सजा नहीं भुगत रहे? मां का दिल रो रहा है, पर नीति अपना काम करेगी और तुम्हे अपने कर्म के पथ पर बढ़ते रहना है।

अपस्यु:- आप की बात से मुझमें विश्वास पैदा हुआ है। आप के लिए भी काम दिए जा रहा हूं। साची को आप दिल्ली लेकर अाइए.. और जब हम आप की फ़ैमिली में एंट्री करेंगे… आप मार और संभाल दोनों कहानी रचेंगी।

सुलेखा:- तुम पहले ही नरक के आग में जल रहे हो और मुझसे कह रहे… पहले तुम्हे मै बदनाम करूं और तुम अच्छे हो यह बात भी घुमा फिरा कर मै उनके दिमाग ने डालूं… मुझसे यह कैसे होगा? तुम दोनों भाई को देखती हूं, तो तुम दोनों में मुझे सुनंदा दिखती है और तुम चाहते हो मै अपनी सुनंदा को बेइज्जत करूं, वो भी सबके सामने। मुझसे ये सब कर पाना मुश्किल हो जाएगा…

अपस्यु:- आप क्या चाहती है, हम दोनों भाई हमेशा के लिए आप से दूर हो जाएं।

सुलेखा:- नहीं, बिल्कुल नहीं। मै तैयार हू। बेटा सुन ना..

अपस्यु:- हां आंटी बोलिए ना..

सुलेखा:- क्या तू सबकुछ भूलकर नई शुरवात नहीं कर सकता क्या? इतना जोखिम क्यों उठा रहे हो। जाने वाले चले गए और जब वो तुम्हे देखते होंगे तो
जरूर आज भी रोते होंगे कि उनकी वजह से तुम बंजारों की ज़िंदगी जी रहे। अंधेरे में कहीं गुम… बदले की आग में झुलशते।

अपस्यु:- यदि भगवान श्री राम बदले कि आग में झुलशते तो एक ही बार में रावण का अंत कर देते। वो तो स्वयं भगवान थे फिर भी एक अहंकारी से जितने के लिए इतनी प्रतीक्षा क्यों? क्यों अपने प्रियजनों पर शस्त्र ना उठा पाने पर भगवान श्री कृष्ण ने गीता का उपदेश दिया था… क्यों 3 पग जमीन के लिए स्वयं भगवान विष्णु को आना परा.. यह केवल बदला नहीं अपितु न्याय की भावना थी। किसी को मारना बदला होता है लेकिन उसके किए की सजा देना न्याय। यहीं नीति है और यही धर्म भी.. मै न्याय के मार्ग पर हूं और मै पीछे नहीं हट सकता।

राजीव और मनीष इस हवाला सिंडिकेट के वो माध्यम थे, जो सिंडीकेट के लिए सभी व्हाइट कॉलर लोगों के संपर्क में रहते थे। इनकी तरह ही जमील, त्रिवेणी, भूषण और अन्य लोग भी काम कर रहे थे, लेकिन सबसे ज्यादा संपर्क राजीव और मनीष के पास ही थे। राजीव और मनीष शुरवात से ही इनसे जुड़े थे और इनके सिंडिकेट को पाऊं पसारने में अपना पूरा योगदान दिया था।


तत्काल समय.. 25 जून 2014, रात के लगभग 9 बजे…


अपस्यु ऐमी और स्वस्तिका के साथ सुलेखा के कमरे में प्रवेश किया और वहीं कुर्सी पर बैठते हुए कहने लगा…. "आप की बेवकूफियां हमे डुबो देगी… समझी आप।"

सुलेखा:- अपनी आंटी से पहली बार ऐसे बात कर रहे हो। थोड़ा बुरा लगा मुझे। शायद थोड़ा नहीं, बहुत ज्यादा बुरा लगा। नजरों के सामने थे, फिर भी मुझे तुमसे चिढ़े हुए रहना परता था। मेरी बेटी को एक लड़के से प्यार हुआ और लड़का मुझे बेहद पसंद था, मैंने सब तय कर दिया।
मै फैसला लेने में देर करती, तो मेरा पति भी कोई ऐसा दामाद ढूंढ लेता जो उनके गैर-कानूनी विरासत का हिस्सा होता, फिर मै क्या करती। दोनों साथ में बहुत प्यारे लगते है। दोनों हर बात समझकर भी, जब नासमझों की तरह एक दूसरे से नोक-झोंक करते है, तब उनके रिश्ते के बीच का विश्वास दिखता है। जहां मैंने इतना नाटक किया, क्या मै उनके शादी के लिए इतना नहीं कर सकती थी। जो मुझे बेहतर लगा मैंने वहीं किया और यही मेरा आखरी फैसला है।

स्वस्तिका:- मैं सहमत हूं।
ऐमी:- मै भी..

अपस्यु थोड़ा चिढ़ते हुए… "क्या है यार !! सब बिना सोचे कुछ भी फैसले लिए जा रहे हो। कोई समझने के लिए भी तैयार है क्यों नहीं, आरव के एंगेजमेंट में कभी भी कोई भी हमारे बाप का नाम जान सकता है। उनको पता चला हम दोनों चन्द्रभान रघुवंशी के बेटे है और नंदनी रघुवंशी उसके छोटे भाई की पत्नी तो क्या होगा?

सुलेखा:- लेकिन उन्हें बताएगा कौन…

अपस्यु:- नंदनी रघुवंशी या कुंजल रघुवंशी। क्या यहां किसी को पता भी है कि अब हमारा मुख्य टारगेट प्रकाश जिंदल के साथ एक और भी है, और दोनों को हमे एक ही वक़्त में निपटाना होगा। ऊपर से मुझे एक बहुत बड़ी सच्चाई अपनी मां और बहन को भी बताना है, जिसे ना जाने मै कितने दिनों से छिपाए हूं।

सुलेखा:- मुझे क्या करना है वो बताओ। अब जो हो चुका है उसे बदला नहीं जा सकता और ना ही मुझे तुम इसके बारे में कुछ बोल सकते हो।

अपस्यु गहरी श्वांस लेते अपनी जगह से उठकर सुलेखा के पास पहुंचा, और उसके हाथों को थामकर कहने लगा… मुझे माफ़ कीजिए आंटी, पता नहीं क्या हुआ जो मै आपसे बुरा व्यव्हार कर बैठा। मुझे अफसोस हो रहा है अभी।

सुलेखा:- हट पागल, तू तो मेरे बेटे जैसा है, ऐसे मायूस चेहरा तुझोर अच्छा नहीं लगता। किसी ने तुझे बताया है क्या, तुझ पर वो प्यारी मुस्कान काफी प्यारी लगती है। और रही बात तेरी परेशानी की तो अब मै समझ चुकी हूं कि तुम्हे अपनी नंदनी और कुंजल को लेकर चिंता हो रही है। क्या पूरे डेविल यहां पहुंच चुके है?

अपस्यु:- हां लगभग, पार्थ भी पहुंच चुका होगा लेकिन उसकी अबतक कोई खबर नहीं।

सुलेखा:- फिर ठीक है, मै सिन्हा जी के साथ मिलकर नंदनी को किसी भी तरह का परिचय देने से रोकती हूं। तुम कुंजल पर ध्यान देना। हम मिलकर सब संभल लेंगे…..

"नहीं इतनी मेहनत किसी को करने की जरूरत नहीं होगी। मै मां और कुंजल को सब बता कर पूरी तरह सुनिश्चित हो जाऊंगा। बहुत दिनों बाद हमारे घर में खुशियां आ रही है। हमारा पूरा परिवार इस खुशी को यहां सेलीब्रेट करके जाएगा… इस बीच ना तो काम नहीं होगा, और ना ही बीते वक़्त की कोई चर्चा।

सभी एक साथ… हम सब सहमत…
 
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Rahul

Kingkong
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itene itazar ke baad ek update. :beee:
vese aaj ke updates to pure raaj khol diya bhuta jagah apni soch galt sabit huai to kuch jagah tak apun sahe tarike se pohacha he gaya. :D
dimag ka bharta hui gawa :yes1:
 

Avi12

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अपस्यु वहीं कुर्सी पर बैठते हुए कहने लगा…. "आप की बेवकूफियां हमे डुबो देगी… समझी आप।"


सितंबर 2013… डेविल ग्रुप मीटिंग, तन्हा लोट, बाली, इंडोनेशिया…


त्रिवेणी शंकर के बेटे को योजनाबद्ध तरीके से मारा जा चुका था। भूषण और जमील के हवाला के पैसों को उड़ा लिया गया था और सुलेखा के सूचना के आधार पर यह मीटिंग रखी गई थी।

डेविल ग्रुप के सभी सदस्य… अपस्यु, आरव, ऐमी, स्वस्तिका और पार्थ सभी अलग-अलग रास्तों से इंडोनेशिया पहुंच चुके थे। सभी एक छत के नीचे बैठे हुए थे और अपस्यु मीटिंग की शुरवात करते हुए…

"सुलेखा आंटी पूरी जानकारी दे चुकी हैं। हमारे दिए गए 800 करोड़ के झटके के बाद, मनीष मिश्रा को नीदरलैंड भेजा जा रहा है। मनीष मिश्रा कुछ महीनों बाद, रॉटरडम (यूरोप का सबसे बड़ा समुद्री पोर्ट, जहां एक दिन में कई हजार कंटेनर लोड और अनलोड किए जाते है।) पर अपनी निगरानी देगा और आगे इस जगह से कोई घाटा ना हो उसकी जिम्मेदारी लेगा।"

"योजना का पहला चरण लगभग कामयाब हुआ है। दूसरी एक और कमाल कि खबर निकलकर आयी है। प्रकाश जिंदल और मनीष अपने काले कारनामे को रिश्ता में बदल रहे है, अगले साल जून तक मनीष मिश्रा की बेटी साची मिश्रा और प्रकाश जिंदल के बेटे ध्रुव जिंदल के बीच ये रिश्ता तय हो जाना है।

"इस सूचना के दम पर हम प्रकाश जिंदल को घेर सकते है क्या? इनके छोटे-छोटे काम करने वाले सहायकों के जाने से, हवाला सिंडिकेट को कोई फर्क नहीं पड़ने, लेकिन यदि प्रकाश जिंदल को लपेट लिया, फिर समझो की हमने इनकी कमर तोड़ दी। एक-एक करके तुम सब बोल सकते हो।"

पार्थ:- प्रकाश जिंदल पर हम कम से कम 3 साल तक हाथ नहीं डाल सकते। एक यूएस सेनेटर पर हाथ डालने का मतलब हुआ की हम पहले तो वर्ल्ड पॉलिटिक्स में हाथ डाल देंगे। ऊपर से यूएस की सारी एजेन्सी हमारे पीछे होगी। मुझे नहीं लगता कि हम उनके इन्वेस्टिगेशन को 2 दिन से ज्यादा चकमा दे सकते है। इसलिए उसपर अभी सोचने का अर्थ होगा, हम केवल जिंदल को लपेटकर ही मरने वाले है, बाकी उनका हवाला सिंडिकेट चलता रहेगा।

सभी सदस्यों के बीच काफी देर तक खामोशी रही, सब गहन चिंतन से कुछ निष्कर्ष पर पहुंचने की कोशिश कर रहे थे…

स्वस्तिका:- प्रकाश जिंदल को लपेटा जा सकता है… बस पूरे धैर्य और समझदारी से आगे बढ़ना होगा। दिल्ली में तुम दोनों भाई कब स्टेबल होने वाले हो।

ऐमी:- वहां की तैयारियां पूरी हो गई है। जनवरी से हम गढ़ में होंगे…

स्वस्तिका:- ठीक है, सुलेखा आंटी को बोलना किसी तरह चक्कर चला कर साची को दिल्ली ले आए।

आरव:- नॉटी तू बहुत नॉटी प्लान कर रही है, मुझे ऐसा क्यों लगा रहा है?

स्वस्तिका:- अगर ये प्लान काम कर गया तो समझो प्रकाश जिंदल अपनी झोली में।

अपस्यु:- पूरी बात बताओ स्वस्तिका…

स्वस्तिका:- साची और ध्रुव रिश्ते में बंधने जा रहे है। अगर इन दोनों के बीच हम किसी तीसरे को प्लॉट कर देते है, और साची के दिमाग से यदि खेलने में कामयाब हुए तो समझो ध्रुव जिंदल को हम भारत आने पर मजबुर कर सकते है। एक बार वो भारत आ गया, फिर समझ लो ध्रुव जिंदल अपने जाल में। यदि ध्रुव जिंदल हमारे चंगुल ने फंस गया, फिर वो प्रकाश जिंदल, यूएस, का कितने दिनों तक सेनेटर बना रहेगा। ऐसा मजबुर करो की प्रकाश जिंदल खुद बेबस होकर रिजाइन कर दे। एक बार उसका पॉलिटिकल कैरियर बर्बाद हुआ फिर तो पॉलिटिकल गेम ही उसे बर्बाद कर देगी। हम तो बस उसके विपक्ष के हाथ में एक के बाद एक सबूत देते चले जाएंगे।

आरव:- मै सहमत हूं…
पार्थ:- में भी..
ऐमी:- मै भी..
अपस्यु:- मै भी..

अपस्यु:- तो ठीक है यही तय होता है। अब हम अपने आखरी चरण में है। दिल्ली में बसने का समय अब आ चुका है। हर किसी की पहचान हो चुकी है। डेविल की तरह सारे काम होंगे, सबके सामने होकर भी छिपे रहेंगे। उनके बीच रहकर अब उनको उखाड़ने का वक़्त आ गया है। उम्मीद करते है 2015 के शुरवात तक हम उन्हें वो सब लौटा सके, जो उन्होंने हमे दिया है। मिशन साची की इंशियल प्लान बनाओ, आगे सिचुएशन के हिसाब से सब काम करेंगे….

तकरीबन, 10 मिनट बाद, पार्थ….

"सबसे पहले हमे साची की पूरी जानकारी चाहिए। किसी एक को ऑन स्क्रीन पहले उससे जुड़ना होगा, ताकि उसके दिल में छिपी भावना को निकाल सके। ऐसी बातें जो वो अपने परिवार से भी शेयर नहीं कर सकती। एक ऑनलाइन दोस्त जो उसकी फैंटेसी जान सके"..…
"दूसरा उसे कंफ्यूज करने के लिए किसी ऐसे की जरूरत होगी जिसे साची पढ़ ना सके। जिसकी भावना को जान पाना उसके लिए असंभव हो, तभी वो कंफ्यूज होगी। इसके लिए अपस्यु से बेहतर कोई नहीं होगा।"

ऐमी:- सहमत हूं
आरव:- मै भी सहमत
स्वस्तिका:- मै भी सहमत..

अपस्यु:- ठीक है फिर ये तय हो गया.. ऐमी हैक करो उसे और अंदर तक झांको, पूरी ऑनलाइन एक्टिविटी चेक करो। जानकारियां निकालो और जुड़ो उससे। उसे ऐसा दिखाना होगा कि तुम साची को कम से कम 3-4 साल से जुड़ी हो। ढूंढो उसके प्रोफाइल में किसी फेक डेड आईडी को, जिससे उसकी 2-4 बार भी कभी बात हुई हो।

आरव:- इसका फायदा…

ऐमी:- फायदा ये होगा की वो प्राइवेट चाट का रिस्पॉन्स जल्दी करेगी। पूरी जानकारी के बाद एक बार जब बातें शुरू होगी फिर समझो वो अपने जाल में।

अपस्यु:- राईट.. आरव तुम 5 दिन का सर्विलेंस लोगे साची का.. वो अपने घर में क्या करती है, कैसी आदतें हैं, कैसे जीती है। क्या उसका कोई बॉयफ्रेंड है, कितने फ्रेंड है।.. और इसी के साथ हमारी आज की मीटिंग समाप्त होती है।

कुछ दिन बाद दिल्ली के एक शॉपिंग मॉल, जहां के सीसीटीवी को ऐमी पूरी तरह से अपने कब्जे में लेने के बाद अपस्यु को सूचना दी। सूचना मिलते ही अपस्यु सुलेखा के सामने पहुंचा। अपस्यु को देखकर सुलेखा उसे अपने गले लगाती हुई कहने लगी… "कब तक ऐसे चोरों कि तरह मिलता रहेगा। मै चाहती हूं कि तू मेरे पास रहे।"

अपस्यु:- आप के पास ही तो हूं आंटी, दूर कब हुआ था। बस इस वक़्त माहौल ऐसा नहीं कि खुद को जाहिर कर सकूं, लेकिन चिंता मत करो बहुत जल्द आपके परिवार में एंट्री होगी हम दोनों भाई की।

"तेरी आखें बिल्कुल तेरी मां के जैसी है।" सुलेखा अपस्यु की बात को अनसुनी कर उसे ध्यान से देखती हुई कहने लगी…

अपस्यु:- आप बेकार में इमोशनल हो रही है, अभी जो मै बात बताने आया हूं वो बता दूं।

सुलेखा:- ठीक है बताओ…

अपस्यु मीटिंग में लिए गए फैसलों को बताते हुए पूछने लगा…. "क्या आप का दिल मानेगा की मै आप की बेटी का इस्तमाल करूं।"

सुलेखा थोड़ी मायूस होती…. "मेरी दोनों बच्चियां बहुत मासूम है, बस उनके बाप की वजह से कभी मै ये प्यार जाता नहीं सकी। मेरे बेटे को भी शायद ये लोग अपने काम में ना शामिल कर ले। बड़ा वाला तो पूरा ही बिगड़ा हुआ है, लेकिन अभी तक शामिल नहीं हुआ है। डर सा लगा रहता है, कहीं दोनों बेटे भी इसके नक्शे कदम पर चले तब तो मै जीते जी मर जाऊंगी।"

अपस्यु:- चिंता नहीं कीजिए यह साल जाते-जाते आपका डर भी चला जाएगा। आप ने अब तक मेरे सवालों का जवाब नहीं दिया।

सुलेखा:- पिता के बुरे कर्मों का भुगतान उसके बच्चे को करना ही होता है। आप के कर्म कितने भी अच्छे हो लेकिन आप के जनक के कर्म कहीं ना कहीं उसपर हावी होता ही है। क्या तुम अपने पिता के कर्मों की सजा नहीं भुगत रहे? मां का दिल रो रहा है, पर नीति अपना काम करेगी और तुम्हे अपने कर्म के पथ पर बढ़ते रहना है।

अपस्यु:- आप की बात से मुझमें विश्वास पैदा हुआ है। आप के लिए भी काम दिए जा रहा हूं। साची को आप दिल्ली लेकर अाइए.. और जब हम आप की फ़ैमिली में एंट्री करेंगे… आप मार और संभाल दोनों कहानी रचेंगी।

सुलेखा:- तुम पहले ही नरक के आग में जल रहे हो और मुझसे कह रहे… पहले तुम्हे मै बदनाम करूं और तुम अच्छे हो यह बात भी घुमा फिरा कर मै उनके दिमाग ने डालूं… मुझसे यह कैसे होगा? तुम दोनों भाई को देखती हूं, तो तुम दोनों में मुझे सुनंदा दिखती है और तुम चाहते हो मै अपनी सुनंदा को बेइज्जत करूं, वो भी सबके सामने। मुझसे ये सब कर पाना मुश्किल हो जाएगा…

अपस्यु:- आप क्या चाहती है, हम दोनों भाई हमेशा के लिए आप से दूर हो जाएं।

सुलेखा:- नहीं, बिल्कुल नहीं। मै तैयार हू। बेटा सुन ना..

अपस्यु:- हां आंटी बोलिए ना..

सुलेखा:- क्या तू सबकुछ भूलकर नई शुरवात नहीं कर सकता क्या? इतना जोखिम क्यों उठा रहे हो। जाने वाले चले गए और जब वो तुम्हे देखते होंगे तो
जरूर आज भी रोते होंगे कि उनकी वजह से तुम बंजारों की ज़िंदगी जी रहे। अंधेरे में कहीं गुम… बदले की आग में झुलशते।

अपस्यु:- यदि भगवान श्री राम बदले कि आग में झुलशते तो एक ही बार में रावण का अंत कर देते। वो तो स्वयं भगवान थे फिर भी एक अहंकारी से जितने के लिए इतनी प्रतीक्षा क्यों? क्यों अपने प्रियजनों पर शस्त्र ना उठा पाने पर भगवान श्री कृष्ण ने गीता का उपदेश दिया था… क्यों 3 पग जमीन के लिए स्वयं भगवान विष्णु को आना परा.. यह केवल बदला नहीं अपितु न्याय की भावना थी। किसी को मारना बदला होता है लेकिन उसके किए की सजा देना न्याय। यहीं नीति है और यही धर्म भी.. मै न्याय के मार्ग पर हूं और मै पीछे नहीं हट सकता।

राजीव और मनीष इस हवाला सिंडिकेट के वो माध्यम थे, जो सिंडीकेट के लिए सभी व्हाइट कॉलर लोगों के संपर्क में रहते थे। इनकी तरह ही जमील, त्रिवेणी, भूषण और अन्य लोग भी काम कर रहे थे, लेकिन सबसे ज्यादा संपर्क राजीव और मनीष के पास ही थे। राजीव और मनीष शुरवात से ही इनसे जुड़े थे और इनके सिंडिकेट को पाऊं पसारने में अपना पूरा योगदान दिया था।


तत्काल समय.. 25 जून 2014, रात के लगभग 9 बजे…


अपस्यु ऐमी और स्वस्तिका के साथ सुलेखा के कमरे में प्रवेश किया और वहीं कुर्सी पर बैठते हुए कहने लगा…. "आप की बेवकूफियां हमे डुबो देगी… समझी आप।"

सुलेखा:- अपनी आंटी से पहली बार ऐसे बात कर रहे हो। थोड़ा बुरा लगा मुझे। शायद थोड़ा नहीं, बहुत ज्यादा बुरा लगा। नजरों के सामने थे, फिर भी मुझे तुमसे चिढ़े हुए रहना परता था। मेरी बेटी को एक लड़के से प्यार हुआ और लड़का मुझे बेहद पसंद था, मैंने सब तय कर दिया।
मै फैसला लेने में देर करती, तो मेरा पति भी कोई ऐसा दामाद ढूंढ लेता जो उनके गैर-कानूनी विरासत का हिस्सा होता, फिर मै क्या करती। दोनों साथ में बहुत प्यारे लगते है। दोनों हर बात समझकर भी, जब नासमझों की तरह एक दूसरे से नोक-झोंक करते है, तब उनके रिश्ते के बीच का विश्वास दिखता है। जहां मैंने इतना नाटक किया, क्या मै उनके शादी के लिए इतना नहीं कर सकती थी। जो मुझे बेहतर लगा मैंने वहीं किया और यही मेरा आखरी फैसला है।

स्वस्तिका:- मैं सहमत हूं।
ऐमी:- मै भी..

अपस्यु थोड़ा चिढ़ते हुए… "क्या है यार !! सब बिना सोचे कुछ भी फैसले लिए जा रहे हो। कोई समझने के लिए भी तैयार है क्यों नहीं, आरव के एंगेजमेंट में कभी भी कोई भी हमारे बाप का नाम जान सकता है। उनको पता चला हम दोनों चन्द्रभान रघुवंशी के बेटे है और नंदनी रघुवंशी उसके छोटे भाई की पत्नी तो क्या होगा?

सुलेखा:- लेकिन उन्हें बताएगा कौन…

अपस्यु:- नंदनी रघुवंशी या कुंजल रघुवंशी। क्या यहां किसी को पता भी है कि अब हमारा मुख्य टारगेट प्रकाश जिंदल के साथ एक और भी है, और दोनों को हमे एक ही वक़्त में निपटाना होगा। ऊपर से मुझे एक बहुत बड़ी सच्चाई अपनी मां और बहन को भी बताना है, जिसे ना जाने मै कितने दिनों से छिपाए हूं।

सुलेखा:- मुझे क्या करना है वो बताओ। अब जो हो चुका है उसे बदला नहीं जा सकता और ना ही मुझे तुम इसके बारे में कुछ बोल सकते हो।

अपस्यु गहरी श्वांस लेते अपनी जगह से उठकर सुलेखा के पास पहुंचा, और उसके हाथों को थामकर कहने लगा… मुझे माफ़ कीजिए आंटी, पता नहीं क्या हुआ जो मै आपसे बुरा व्यव्हार कर बैठा। मुझे अफसोस हो रहा है अभी।

सुलेखा:- हट पागल, तू तो मेरे बेटे जैसा है, ऐसे मायूस चेहरा तुझोर अच्छा नहीं लगता। किसी ने तुझे बताया है क्या, तुझ पर वो प्यारी मुस्कान काफी प्यारी लगती है। और रही बात तेरी परेशानी की तो अब मै समझ चुकी हूं कि तुम्हे अपनी नंदनी और कुंजल को लेकर चिंता हो रही है। क्या पूरे डेविल यहां पहुंच चुके है?

अपस्यु:- हां लगभग, पार्थ भी पहुंच चुका होगा लेकिन उसकी अबतक कोई खबर नहीं।

सुलेखा:- फिर ठीक है, मै सिन्हा जी के साथ मिलकर नंदनी को किसी भी तरह का परिचय देने से रोकती हूं। तुम कुंजल पर ध्यान देना। हम मिलकर सब संभल लेंगे…..

"नहीं इतनी मेहनत किसी को करने की जरूरत नहीं होगी। मै मां और कुंजल को सब बता कर पूरी तरह सुनिश्चित हो जाऊंगा। बहुत दिनों बाद हमारे घर में खुशियां आ रही है। हमारा पूरा परिवार इस खुशी को यहां सेलीब्रेट करके जाएगा… इस बीच ना तो काम नहीं होगा, और ना ही बीते वक़्त की कोई चर्चा।

सभी एक साथ… हम सब सहमत…
भंवर है भंवर है भंवर है :adore::what:
 
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