उसका तो मुझे भी इंतजार था की रीत कैसे लीड करेंगी. पर गुड्डी और आनंद बाबू के मिलन की भी लालासा थी. इत्मीनान से लिखिए. रीत वाला अपडेटेड खास होना चाहिये.आभार
और अगले अपडेट में कहानी एक बार फिर बनारस की और मुड़ेगी
क्या कुछ और पता चला उस नाव का जिसमे से सर्वेलेंस होता था और कंट्रोल कमांड सिस्टम की तरह उसका इस्तेमाल होता था ?
बम्ब के लिए आर डी एक्स कैसे आया ?
क्या कुछ और नए सूत्र तो नहीं मिल रहे हैं ?
अगला पार्ट थ्रिलर के साथ, जल्द

Main to kehta hu din main hi din dahadeफागुन के दिन चार भाग ४७
वापस बनारस --- रीत और दुष्ट दमन
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सुबह सुबह इतना अच्छा लग रहा था, बस लग रहा था आसमान में उड़ रहा होऊं, पहले तो रात में गुड्डी के साथ, फिर गुड्डी की चुम्मी सुबह सुबह
और जिस तरह शीला भाभी और मंजू भाभी ने मिल के खिंचाई की और भाभी और गुड्डी भी उस में शामिल थीं, सच में बहुत मजा आया,
शीला भाभी ने हँसते हुए मेरी भाभी से कहा- “अरी बिन्नो, तुम देवरानी काहे नहीं लाती लल्ला के लिए। वो दूध भी पिला देगी और मलाई भी निकाल देगी। पढ़ाई पूरी हो गई। अच्छी नौकरी भी लग गई, कमाने लग गए अब काहे की कसर…”
“अरे मैं तो खुदी इससे कह रही हूँ। मार्च चल रहा है मई में अच्छी लगन है बोलो। करूँ बात…” भाभी भी उसी गैंग में जवाइन हो गई।
“धत्त भाभी। आप भी ना। मैं चलता हूँ। आप चाय भिजवा दीजियेगा…” मैं झेंपता हुआ बोला।
“अरे क्या लौंडिया की तरह शर्मा रहे हो लाला हमका मालूम नहीं है का। जिस दिन आएगी ना उसी दिन से दोनों और चक्की चलेगी बिना नागा। झंडा तो इत्ता जबर्दस्त खड़ा किये हो। "
मंजू ने पजामे के ऊपर से उसे दबोच के भाभी को दिखा के कहा और भाभी जिस तरह से मुस्करायीं बात साफ़ थी, भाभी भी अपनी देवरानी जल्दी लाना चाहती थीं, और शायद इसी होली में उन्होंने मन बना लिया की मुझसे बात करके कुछ पक्का कर लेंगी क्योंकि अगर वो मई में शादी करवाना चाहती थीं तो अब इस होली की छुट्टी के बाद तो मुझे दुबारा छुट्टी मिल नहीं सकती थी, हाँ मई से मेरी फील्ड ट्रेनिंग थी और वो यहाँ तो नहीं हो सकती थी,
होम डिस्ट्रिक्ट पोस्टिंग में नहीं मिलता था लेकिन अगल बगल का जिला तो मिल ही जाता था तो क्या पता बनारस ही मिल जाए ?
बस अब कुछ कर के कोई भी जुगाड़ लगा के मुझे दो काम करना है,
भाभी मेरी बात नहीं टालती, लेकिन शादी की बात साफ़ साफ़ करने की मेरी उनसे हिम्मत भी नहीं पड़ती पर कुछ भी कर के मुझे ये बात उन तक पहुंचनी ही होगी की मुझे गुड्डी चाहिए और हरदम के लिए कहिये
और दूसरी बात है मम्मी मतलब, गुड्डी की मम्मी की तो अभी तो उनका मूड अच्छा चल रहा है और फिर संध्या भाभी ने वो सब बातें भी बता दिन की गुड्डी की मंम्मी कैसा दामाद चाहती हैं, उन्हें इस बार से फरक नहीं पड़ेगा की गुड्डी अभी किस क्लास में है या और कुछ बस उनकी तीन शर्तें जिस लड़के में पूरी हों, और वो गुड्डी को पसंद हो तो बस वो हाँ कर देंगी तो रोज अब उनसे बात करना जरूरी है।
यह सब सोचते हुए मैंने कम्प्यूटर साफ़ किया मतलब वायरस बैकटीया इत्यादि से और अपना सुबह का काम शुरू किया, दुष्ट दलान का
अभी कम से कम डेढ़ दो घण्टे तक गुड्डी से मुलाक़ात नहीं हो सकती थी, भाभी ने गुड्डी को किचेन का सब काम सौंप दिया था और खुद ऊपर , मतलब कम से कम मॉर्निंग का एक दो राउंड और, तो दो घंटे से पहले वो नीचे नहीं उतरने वाली और दो घंटे में किचेन का सब काम ख़तम तो होगा लेकिन शीला भाभी और मंजू गुड्डी को नहीं छोड़ने वाली, और गुड्डी की भी उन दोनों लोगो से अच्छी दोस्ती हो गयी और वि शिला भाभी के रहते रिस्क भी नहीं लेगी मेरे कमरे में आने का, एक तो मैं बेकाबू हो जाता हूँ और फिर कहीं पीछे पीछे शीला भाभी आ गयीं तो और काम गड़बड़
तो दो घंटे में मुझे रीत से बात करना होगा, बनारस की हाल चाल और कल जो जो मैंने साइबर वर्ड में जासूस छोड़े थे उनकी हाल चाल