फागुन के दिन चार भाग ४६ पृष्ठ ४६७
रात बाकी बात बाकी
अपडेट पोस्टेड, कृपया पढ़ें, लाइक करें और कमेंट जरूर करें
Last edited:
कोमलजी वर्जिनिटी(कोमर्या) भंग पर तो मै भी लिख चुकी हु. और इस मिलन के महत्व को बखूबी समझ रही हु. एक नारी इस खास पल के लिए सबसे खास को चुनती है. जैसे कविता ने वीरू को चुना. वैसे ही गुड्डी ने आनंद बाबू को चुना. इस कहानी की हर लाइन बखूबी याद है. क्यों की यह दिल को छू चुकी है.आपने एकदम सही कहा
गुड्डी और आनंद बाबू का रिश्ता मन जा है, तन तो बस सीढ़ी है मन के दरवाजों पर दस्तक देने के लिए
और यह भाग मुझे भी बहुत प्रिय है, नायक नायिका का मिलन, इतने इन्तजार के बाद, इतनी विघ्न बाधाओं को पार करने के बाद, करीब २०० पेज से ऊपर कहानी आगे बढ़ी तब जा कर कहीं गुड्डी का प्रथम मिलन हुआ,
इसलिए इसे यादगार होना भी था
और आप की तरफ सब मेहनत को सुफल कर देती है
आभार, धन्यवाद

बस अगला अपडेट इसी कहानी का और इसी सप्ताह
आभार।
Thanks So muchCongratulations Komal Ji