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सूरज एक और बुर की चुदाई कर चुका था और वह भी ऐसी बुर जो सुहागन होने जा रही थी जिस पर पहला हक उसके पति का था,, जो पहला व्यक्ति था जो उसके बदन परहाथ रखता उसके अंगों से खेलते उसके साथ सुहागरात मनाता लेकिन उसके खूबसूरत जिस्म पर अपनी बड़ी चालाकी दिखा देना सूरज विवाह से पहले ही उसके साथ सुहागरात मना लिया था,,,कसी हुई चिकनी बुर में अपना लंड डालकर पूरी तरह से मस्त हो चुका था और लाडो को भी जवानी का मजा कैसे लेते हैं यह अच्छी तरह से बता दिया था और सूरज के इस तरह के संभोग से वह पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी और काफी खुश भी थी,,, विवाह के बाद विदाई तक सूरज साथ में ही सारे रस्मे में शामिल रहा और बारात के चले जाने के बाद वह अपने घर वापस लौट चुका था,,,, अब फिर से उसे अपनी दिनचर्या शुरू करनी थी,,, थोड़ी ही देर में वह अपने घर पहुंच चुका था,,,, और खेत पर जाने की तैयारी कर रहा था क्योंकि मुखिया के खेत के फसल की कटाई अभी पूरी तरह से नहीं हुई थी अब थोड़ा जल्दबाजी दिखाने का समय आ गया था।
घर पर पहुंचा तो देखा उसकी मां रसोई बना रही थी रानी घर पर नहीं थी अपनी मां को देखते ही उसे शादी वाली घटना याद आने लगी वह रस में याद आने लगी जब गांव की औरतेंढोल बाजे पर अपनी कमर हिला रही थी जिसमें उसकी खुद की मां शामिल थी अपनी मां को देखते ही उसकी आंखों के सामने उसकी मटकनी हुई गांड नजर आने लगी और वह अपनी आंखों में खुमारी भरते हुए सीता अपनी मां के सामने जा बैठा और मुस्कुराते हुए अपनी मां की तरफ देखते हुए बोला,,।
वाह कमाल का नाचती हो मां,,तुम,,,,
तु कब देख लिया,,,!(सुनैना को मालूम था की उसे नहाते हुए उसका बेटा देखा था लेकिन फिर भी वह बात को बनाते हुए बोल रही थी,,, और अपनी मां की बात सुनकर सूरज फिर से मुस्कुराते हुए बोलालेकिन इस बार बोलते हुए उसका ध्यान उसकी मां की चूचियों पर चला गया था जो की ब्लाउज का एक बटन खुला होने की वजह सेचुचियों का नजारा बेहद अद्भुत दिखाई दे रहा था और आधे से ज्यादा चूचियां बैठने की वजह से बाहर लड़की भी दिखाई दे रही थी जिस पर सुनैना का ध्यान नहीं था,,,)
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कल जब मैं चाशनी बना रहा था तब तुम सामने ही तो नाच रही थी अपनी कमर हिला हिला कर,,,।
(सूरज कमर हिलाने की जगह गांड मटका कर बोलना चाहता था लेकिन इस तरह का शब्दों का प्रयोग करना अभी उसे उचित नहीं लग रहा था और सुनैनाअपने बेटे की बात सुनकर खास करके कमर हिला हिला कर नाचने वाली बात पर वह शर्म से पानी पानी होने लगी उसका चेहरा तुरंत शर्म से सुर्ख लाल होने लगा वह अपनी नजर को नीचे झुकाते हुए ही बोली,,,)
तू देख लिया था,,,, वैसे तो मुझे नाचना नहीं आता लेकिन सभी औरतें जिद कर रही थी इसलिए,,,
कौन कहता है तुम्हें नाचना नहीं आता सभी औरतों में तुम सबसे अच्छा नाच रही थी तभी तो औरते तुम्हें नाचने के लिए बोलती है,,,(अपनी मां की चूचियों को प्यासी नजर से देखते हुए वह बोला,,,,)
क्या सच में मैं अच्छा नाच रही थी,,,।
हां तुम बहुत अच्छा नाच रही थी बल्कि तुम्हारा नाच तो हलवाई को भी ज्यादा पसंद आ रहा था,,।
हलवाई को,,,(एकदम प्रसन्न होते हुए)
तो क्या,,,,
क्या कह रहा था वो,,,,(रोटी को तवे पर रखते हुए बोली)
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तुम्हारे नाच की तारीफ कर रहा था कह रहा था कि मैं आज तक इस तरह का अच्छा नाच नहीं देखा कसम से कितना अच्छा नाच रही है और दूसरी औरतों को तो नाचना ही नहीं आता,,,,(सूरज अपने मन से इस तरह की बातें कर रहा था उसका मन तो कर रहा था कि वह अपनी मां के सामने सब कुछ साफ-साफ बता दे जो कुछ भी हलवाई बोल रहा था उसकी जवानी के बारे में उसके खूबसूरत बदन के बारे में और उसकी बड़ी-बड़ी गांड देखकर जिस तरह से उसका मन ललचा रहा था वह सब कुछ बता दे कि उसे देखकर दूसरे मर्द उसके बारे में क्या सोचते हैं,,,, लेकिन इस समय इस तरह की बातें करना उचित बिल्कुल भी नहीं था,,, लेकिन वह अच्छी तरह से जानता था कि औरत के सामने उसकी तारीफ करने पर अगर वह कठोर दिल की भी होगी तो फिर वह पिघलने लगेगी इसलिए वह अपनी मां के सामने उसकी तारीफ कर रहा था। अपने बेटे की बात सुनकर वह बोली,,,)
क्या सच में वह ऐसा बोल रहा था,,,।
सुनैना और उसका बेटा
तो क्या मां तुम नाचती ही इतना बढ़िया हो कि कोई भी तुम्हारी तारीफ किए बिना नहीं रह सकता हलवाई की तो छोड़ो लाडो के पिताजी भी कह रहे थे की भाभी जी कितना अच्छा नाचती है,,,, लाडो की शादी में आकर चार-चांद लगा दी है,,,,(सूरज सब कुछ बनी बनाई बात बोल रहा था ऐसा कुछ भी नहीं था हवाई उसकी मां की तारीफ जरुर कर रहा था लेकिन उसके नाच कि नहीं बल्कि उसकी खूबसूरती की,,,, सूरज पागलों की तरह अपनी मां की बड़ी-बड़ी चूचियों को देखनाअभी कल शाम को ही वह अपनी मां को पूरी तरह से नग्न अवस्था में देख चुका था उसके नंगे बदन का रसपान अपनी आंखों से करके वह पूरी तरह से मत हो चुका था लेकिन फिर भी यह प्यास ऐसी थी कि कभी बुझती ही नहीं थी,,,, तभी तो इस समय अपनी मां की चूचियों की हल्की सी झलक देखकर भी वह बावला हुआ जा रहा था,,,, तवे पर रोटी पक रही थी और पक कर फूल रही थी बिल्कुल सुनैना की बुर की तरह,,, फूली हुई रोटी को जब-जब सूरज देख रहा था तब तक उसे अपनी मां की बुर का ख्याल आ रहाऔर वह अपने मन में यही कह रहा था कि इस समय भी उसकी मां की बुर रोटी की तरह फुल गई होगी,,,, अपने बेटे के मुंह से अपने नाचने की तारीफ सुनकर वह गदगद हुए जा रही थी लेकिन फिरउसे एहसास हुआ कि उसका बेटा उसकी छतिया की तरफ देख रहा था और वह अपनी नजर को हल्की करके अपनी छतिया की तरफ देखी तो अपनी स्थिति पर वह शर्म से पानी पानी होने लगी।
और अपनीचूचियों को व्यवस्थित करने के लिए वह अपने कदमों को इधर-उधर करके अपने आप को व्यवस्थित कर ली जिससे उसकी बाहर निकली हुई चूचियां फिर से ब्लाउज के अंदर समा गई लेकिन फिर भी अपने होने का एहसास वह बड़ी अच्छी तरह से कर रही थी और बात की दिशा बदलते हुए सुनैना बोली,,,।
अब जा जल्दी से नहा कर तैयार हो जा खेत पर भी जाना है मुखिया का खेत अभी भी वैसा कहीं वैसा है कुछ ज्यादा काम हुआ नहीं खेत में,,,।
मैं भी आज यही सोच रहा था अब तक तो आधा काम हो जाना चाहिए,,,,,(फिर से अपनी मां की चूचियों की तरफ देखता हुआ वह बोला और अपनी मां की चूचियों की तरफ देखकर जैसे उसे कुछ याद आ गया हो और वह एकदम से अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,) कल वाला ब्लाउज तुम नहीं पहनी हो,,,
(ब्लाउज का जिक्र होते ही सुनैना एकदम से उत्तेजना से सिहर उठी ब्लाउज वाली घटना उसे अच्छी तरह से याद थी,,,वह कभी सोची नहीं थी कि उसके ब्लाउज की डोरी उसका बेटा अपने हाथों से बांधेगा और उसके बेहद करीब आकर,,,, उस पल को याद करके इस समय सुनैना की दोनों टांगों के बीच की पतली बाजार में हलचल होना शुरू हो गई थी वह उस पल के सुनहरी यादव ने एकदम से खोने लगी थी,,, तभी सूरज फिर से अपनी बात को दोहराते हुए बोला,,,)
क्या हुआ मां कल वाला ब्लाउज तुम क्यों नहीं पहनी हो वह तुम पर ज्यादा अच्छा लगता था खास करके उसकी डोरी,, रेशमी डोरी तुम्हारी चिकनी गोरी पीठ पर खूबसूरत लग रही थी,,,(अपनी मां की खूबसूरती के आकर्षण में वह अपने मन की बात अपनी मां से बोल दिया था और उसकी मां उसकी बात सुनकर एकदम से सन्न में रह गई थी,,,, सूरज खुले शब्दों में उसकी चिकनी गोरी पीठ की तारीफ कर रहा था,,,,सुनैना अच्छी तरह से जानती थी कि एक बेटे के मुंह से उसके मन की तारीफ में इस तरह के शब्द शोभा नहीं देते लेकिन फिर भी वह चाह कर भी कुछ बोल नहीं पा रही थी क्योंकि ना जाने क्यों उसे भी अपने बेटे के मुंह से निकले इन शब्दों में उसकी खूबसूरती की तारीफदिखाई दे रही थी और वह अपने बेटे को कुछ बोल नहीं पा रही थी क्योंकि उसकी बात उसे अच्छी लग रही थी,,,, फिर भी अपने बेटे की बात सुनकर वह शरमाते हुए अपनी नजर को नीचे झुकाए हुए उत्तर देते हुए बोली,,,)
सुनैना और उसका बेटा एक ही बिस्तर पर
पागल हो गया है क्या तू वह हमेशा पहनने के लिए थोड़ी ना है शादी विवाह पर ही में पहनती हूं और आज सुबह नहा कर उसे धो डाली हूं ताकि ऐसे ही किसी समय पर उसे पहना जा सके,,,।
लेकिन मेरी मानो तो तुम्हें उसे तरह का ब्लाउज रोज पहनना चाहिए क्योंकि वह तुम्हारी खूबसूरती को और ज्यादा बढ़ा देता है,,,।
तुझे कैसे मालूम कि मेरी खूबसूरती को वह ब्लाउज बढा देता है,,,,(सुनैना जानबूझकर अनजान बनते हुए यह सवाल पूछ रही थी)
क्या मां शाम को मैं ही तो तुम्हारे ब्लाउज की डोरी को बांधा था तुमसे तो खुद से अपनी डोरी की गिठान नहीं बांधी जा रही थी,,,, डोरी बांधते हुए ही तो मैंने देखा था,,,।
अच्छा तो तू यही सब देखता है,,,,(दूसरी रोटी को तवे पर रखते हुए बोली,,,)
नहीं ऐसी बात नहीं है बस आंखों के सामने देखा तो बता रहा हूंऔर वैसे कोई जानबूझकर मैं तुम्हारे कमरे में नहीं आया था मैं तो तुम्हें जल्दी शादी में चलने के लिए बुलाने के लिए आया था और जब कमरे पर पहुंचा तो तुम कपड़ेपहन कर ब्लाउज पहनने की कोशिश कर रही थी और पहन नहीं पा रही थी,,,,।
अब क्या करूं पीछे ठीक तरह से हाथ नहीं पहुंच पा रहा था,,,।
अगर मैं नहीं आता तो क्या करती तब क्या पहनती,,,
रानी थी ना,,,,,,
कहां थी रानी,,,,वो तो पहले ही शादी में जा चुकी थी,,,,,,,,
तब तो मुझे दूसरा ब्लाउज पहन कर ही जाना पड़ता,,,,
अच्छा हुआ मैं समय पर आ गया था,,,, और वैसे भी तुम्हारे ब्लाउज की तारीफ हो रही थी,,,।
ब्लाउज की तारीफ,,,,,(आश्चर्य जताते हुए) ब्लाउज की तारीफ अब कौन कर रहा था,,,,
लाडो के घर पर जो बाहर से औरतें आई थी वही औरतें बार-बार तुम्हारे ब्लाउज की तरफ देख रही थी और तारीफ कर रही थी,,,।
क्या सच में,,,,, औरतें मेरे ब्लाउज की तारीफ कर रही थी,,,।
अरे तो क्या ब्लाउज के साथ-साथ तुम्हारी खूबसूरती की तारीफ भी करते हुए कह रही थी किजाते-जाते में जरूर पूछूंगी की यह ब्लाउज कहां से सिलवाई हो,,,,
तू यह सब अपने कानों से सुना,,,,।
अरे तो क्या हलवाई का सारा जिम्मा मेरे सर पर था पर मुझे बार-बारकमरे में जाना पड़ता था सामान लाने के लिए वहीं पर सब होते हैं यही सब बातें कर रही थी और उन्हें नहीं मालूम मैं कौन हूं वरना मुझसे ही पूछ ली होती कि तुम्हारी मां ब्लाउज कहां से सिलवाई है,,,,।
अच्छा हुआ उन लोगों को नहीं मालूम था कि तू मेरा ही बेटा ही करना तुझसे पूछ रही होती और मैं नहीं चाहती कि इस तरह का ब्लाउज कोई और भी पहने,,,।
क्यों,,,?
मेरे ही पास है तभी तो सब पूछ रही थी सबके पास हो जाएगा तो कौन पूछेगा,,,।
बात तो तुम सही कह रही हो मां,,,,,।
अच्छा इन सब बातों को छोड़ और जल्दी से जाकर तैयार हो जा खेत पर भी जाना है,,,,।
ठीक है,,, लेकिन लाओ में एक रोटी खा लूं,,,(अपने हाथ को तवे की तरफ आगे बढ़ाते हुए) खुशबू बहुत अच्छी आ रही है,,,,
अरे अरे यह क्या कर रहा है थोड़ा पक तो जान दे,,,।
पक तो गई है,,,,।
ऐसे थोड़ी थोड़ी और फूल जाने दे,,,
फूल जाएगी तब क्या होगा,,,?(सूरज बड़ी मासूमियत के साथ बोला)
अरे बुद्धू तवे पर रोटी के फूलने का मतलब है कि वह खाने के लिए पूरी तरह से तैयार हो चुकी है,,,,।
(अपनी मां की इस तरह की बात सुनकर सूरज अपने मन में ही बोलाजैसे तुम्हारी बुर जब फूल जाती है तो समझ लो चोदने के लिए तैयार हो चुकी है,,,, मैं जानता हूं तुम्हारी बुर भी गर्म होकर फूल जाती है तुम्हारी बुर को भी मेरे लंड की जरूरत है,,, सूरज अपने मन में यही सोच रहा था कि तभी उसकी मां खुली हुई रोटी को अपने हाथ में लेकर उसके किनारी को हल्के से पकड़ कर अपने बेटे की तरफ आगे बढ़ाते हुए बोली,,,)
ले अब खा ले,,,,।
(सूरज अपनी मां के हाथ में से रोटी को ले लिया लेकिन खुली हुई रोटी को देखकर उसे गरमा गरम बर याद आने लगा और उसका लंड खड़ा होने लगा इसलिए वह रोटी को खाते हुए अपनी मां से बोला,,)
यह सुबह-सुबह रानी कहां चली गई,,,,।
कहीं नहीं गई है गाय को चारा खिला रही है,,,,।
ओहहहह,,,,चलो कोई बात नहीं तब से मैं नहा धोकर तैयार हो जाता हूं,,,,(इतना कहने के साथ ही सूरज अपनी जगह से उठकर खड़ा हो गया और घर से बाहर की तरफ जाने लगा यह देखकर सुनैना की जान में जान आई क्योंकि अपने बेटे की मौजूदगी में उसे अजीब सा महसूस होने लगा था,,,, एक अजीब सा आकर्षण उसके बदन को झकजोर कर रख दे रहा था,,,,और सबसे बड़ी बात यह थी कि उसकी बातें उसे अच्छी लगने लगी थी और उसकी बातों को सुनकर उसकी बुर पानी छोड़ने लगती थी अपने बदन में अपने बेटे की मौजूदगी से हो रही इस तरह के बदलाव से वह कभी-कभी इस बात से घबरा जाती थी की कही उसके कदम बहक ना जाएक्योंकि उसे इतना तो समझ में आ गया था कि उसके बेटे की नजर उस पर पूरी तरह से गंदी हो चुकी है अब वह एक मां के तौर पर नहीं बल्कि एक औरत के तौर पर उसे देखता था,,,, ऐसी बातों को याद करके पल भर में ही उसकी आंखों के सामने उसके बेटे को लेकर ऐसी घटना याद आने लगी जिसकेबारे में सोचकर ही उसकी बुर कचोरी की तरह फूल गई थी,,, पहली बार अपने बेटे के साथ उसका आलिंगन बद्ध होना,,, जिसका फायदा उठाते हुए सूरज का उसके नितम्बों पर हाथ फेरना उसे हल्के से दबाना,,,, बार-बार उसकी चूचियों की तरफ घूरना,,,, खेत में कटाई के दौरान जब वह पेशाब कर रही थी तो उसे पीछे से प्यासी नजरों से देखनाऔर फिर शायद उसी के बदौलत जब गहरी नींद में सो रही थी तो उसकी साड़ी को कमर तक उठाकर उसकी नंगी गांड पर मोटा लंड रगड़ना और पानी निकाल देना,,, और फिर उसके ब्लाउज की डोरी बांधना उसकी खूबसूरती की तारीफ करना यह सब याद करके सुनैना मदहोश हो रही थी।
सुनैना की चुदाई
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दूसरी तरफ रानी अपने ही ख्यालों में खोई हुई गीत गुनगुनाते हुए गए और बकरियों को चारा खिला रही थी आज उसके चेहरे पर प्रसन्नता के भाव कुछ ज्यादा ही नजर आ रहे थे क्योंकि आज उसे नदी पर कुंवर से जो मिलना था,,,, वह अपनी ही धुन में गीत गुनगुना रही थी और तभी उसके बेहद करीब पहुंचकर सूरज उसकी सलवार के ऊपर से ही उसकी गांड पर हाथ रखते हुए बोला,,,।
क्या बात है रानी कुछ ज्यादा ही खुश नजर आ रही हो,,,,।
(अपनी गांड पर हाथ का स्पर्श महसुस करते ही वह थोड़ा सा चौक गई थी लेकिनजब उसे पता चला कि उसकी गांड पर हाथ रखने वाला और कोई नहीं उसका भाई है तब उसकी जान में जान आई और एकदम से खुश होते हुए बोली,,)
जिसका ऐसा भाई हो तो उसे बहन को तो हमेशा खुश रहना ही पड़ेगा,,,।
क्यों आज ज्यादा मन कर रहा है क्या मेरी रानी बहन का,,,,
तुझे पास होता है भाई तब ना जाने क्या होने लगता है,,,,,।
कहां पर होने लगता है बताना,,,,(कुर्ती के ऊपर से चुची पर हाथ रख कर दबाते हुए,,,)
ऊईईई मां धीरे से भाई दुख रहा है,,,
मजा भी तो आता है,,,
वह तो आता ही है लेकिन इस तरह से एकाएक दबाओगे तो दुखेगा ही ना,,,
अच्छा यह बता कहां पर होने लगता है,,,,
रहने दो ना भाई मां आ जाएगी,,,।
अभी नहीं आने वाली क्योंकि वह रोटी पका रही है,,,, बता तेरा मन कर रहा,, है ना,,,,
अब रहने दो ना,,,, मुझे नहाने जाना है,,,,
मेरा तो मन कर रहा है,,,देख,,,,(इतना कहने के साथ ही अपने पजामा को आगे की तरफ खींच कर अपना खड़ा लंड दिखाते हुए और उसकी नजर पडते ही रानी की बुर फूलने पिचकने लगी,,,, वह तुरंत अपना हाथ अपने भाई के पजामा में डालकर उसे कस के पकड़ ली उसकी हरकत पर सूरज एकदम मदहोश हो गया और बोला,,,) चल मजा करते हैं,,,.
नहीं नहीं मां आ गई तो,,,,
आ गई तो क्या हुआ देख लेगी कि उसकी बेटी जवान हो गई है लंड लेने के लायक हो गई है,,,,।(सलवार के ऊपर से ही अपनी बहन की बुर पर हाथ रखकर उसे दबाते हुए अपने भाई की हरकत से रानी मदहोश होते हुए बोली,,)
और जब मा देखेगी कि उसका बेटा यह क्या कर रहा है तब,,,।
तब क्या वह भी समझ जाएगी कि उसका बेटा जवान हो गया है चोदने के लायक और खुद अपनी भी टांग मेरे सामने खोल देगी,,,।
धत् यह कैसी बातें करते हो भाई मां के बारे में,,,
सच कह रहा हूं मेरी जान औरत की सबसे पहली पसंद यही होती है जो तू पकड़े हुए हैं,,,,,
(अपनी बहन से अश्लील बातें करते हुए और उसके खूबसूरत चेहरे पर बदलते भाव को देखकर सूरज समझ गया था कि उसकी बहन को क्या चाहिए और वह तुरंत अपनी बहन को गोद में उठा दिया और टूटी हुई झोपड़ी में ले जाने लगा जिसमें गए बंधी हुई थी,,,, और उसमें ले जाकर केतुरंत उसके सलवार की डोरी खोलने लगा और इस समय रानी उसे इनकार नहीं कर पाए क्योंकि उसका भी मन बहुत कर रहा था और देखते ही देखते सूरज अपनी बहन की सलवार निकाल कर उसे कमर से नीचे नंगी कर दिया था,,,, और रानी खुद ही अपनी कमीज कोअपनी छतिया के ऊपर तक खींच दी थी ताकि उसकी चूचियां एकदम से नंगी हो जाए और उसकी नंगी चूची पर है हाथ रखकर से जोर-जोर से दबाते हुए दूसरे हाथ की उंगलियों को अपनी बहन की बुर में डालकर उसे अंदर बाहर करने लगा और उसकी दूसरी चूची पर मुंह लगाकर पीना शुरू कर दिया,,,, सूरज अपनी बहन की जवानी पर चारों तरफ से हमला कर रहा था और इस हमले का जवाब रानी के पास बिल्कुल भी नहीं था वहअपने भाई के हमले से पूरी तरह से ग्रस्त हो चुकी थी और एकदम मस्त हुए जा रही थी। टूटी हुई झोपड़ी में रानी की गरमा गरम शिसकारियां गुंज रही थी,,,।
सुनैनाऔर उसका बेटा
सूरज की हालत खराब होती जा रही थी उसका लंड पूरी तरह से अकड़ कर लोहे का रोड बन चुका थावह तुरंत अपनी बहन की दोनों टांगों के बीच घुटने के बल बैठ गया और अपनी लपलपाती हुई जीभ को उसके गुलाबी छेद पर रखकर चाटना शुरू कर दिया,,,, रानी एकदम से मत हो गई और दोनों हाथ से अपनी भाई के बालों को पड़कर उसके मुंह को अपनी बुर से सटाने लगी दबाने लगी,,, अपने भाई की जीभ की करामात से रानी पानी पानी हुए जा रही,,,, सूरज अपनी बहन पर अपनी सारी कलाबाजिया दिखा रहा था,,,और दोनों भाई बहन की कलाबाजियां टूटी हुई झोपड़ी में घास खा रही गई बार-बार सर उठा कर देख रही थी,,,,लेकिन उसके देखे जाने का रानी और सूरज पर बिल्कुल भी प्रभाव नहीं पड़ रहा था क्योंकि वह लोग इंसानों से नजर बचाकर टूटी हुई झोपड़ी में मजा ले रहे थे जानवर से नहीं,,,, देखते ही देखते रानी पूरी तरह से मस्त होने लगी,,,,सूरज समझ गया था कि अब उसकी बहन को क्या चाहिए इसलिए तुरंत उठकर खड़ा हो गया था लेकिन तुरंत उसके कंधों पर अपने दोनों हाथ रखकर उसे नीचे की तरफ झुकने लगा उसकी बहन भी समझ गई थी कि उसके भाई को क्या चाहिए और अगले ही पल उसका मोटा तगड़ा लंड उसके गले की गहराई नाप रहा था।।।
लेकिन अपने भाई का लंड चूसने के लिए रानी घुटनों के बाल बैठी नहीं थी बल्कि हल्के से झुकी हुई थी जिससे उसकी गोरी गोरी गांडहिलती हुई सूरज को नजर आ रही थी और सूरज से रहने जा रहा था सूरत तुरंत अपना हाथ आगे बढ़कर उसकी गांड पर रखकर उसे जोर-जोर से मसल रहा था उस पर जोर-जोर से चपत भी लगा रहा था जिससे रानी को भी मजा आ रहा था,,,,रानी लंड चूसने में पूरी तरह से माहिर हो चुकी थी और उसे माहिर बनाने वाला उसका खुद का भाई ही था क्योंकि अभी तक वह अपने भाई के साथ ही शारीरिक संबंध का मजा ले रही थी,,,, लेकिन वह पूरी तरह से आत्मविश्वास से भर चुकी थी किउसके भाई के सिवा अगर किसी और से उसे शारीरिक संबंध बनाना पड़ेगा तो वह अपनी हरकतों से अपनी जवानी के जलवे से उसे पूरी तरह से अपना गुलाम बना देगी,,,, क्योंकि वह खुद अपने भाई की हालत खराब कर दे रही थीकुछ देर तक यह सिलसिला चलता रहा और फिर सूरज अपनी बहन के मुंह में से अपने लंड को बाहर खींच लिया क्योंकि अब समय आ गया था चुदाई का,,,, और सूरज को कुछ भी बताने की जरूरत नहीं थी रानी खुद ही टूटी हुई झोपड़ी के बीच में गड़े हुए मोटे से डंडे को जो की झोपड़ी को खड़े रहने में सहायक था,,, उसे दोनों हाथों से पकड़ कर अपनी गोल-गोल गांड को अपने भाई के सामने उठाकर परोस दी यह देखकर उसके भाई के मुंह में पानी आ गया,,,,
उसका भाई भी अपनी बहन की हरकत से एकदम से खुश होता हुआ ढेर सारा थुक अपनी उंगलियों पर लिया और उसे अपने लंड के सुपाड़े पर लगाकर अपनी बहन की गुलाबी गली दिखा दिया और उसका घोड़ा सरपट गुलाबी गली में दौड़ना शुरू कर दिया सूरज अपनी बहन की कमर पकड़ कर अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया था वह जमकर अपनी बहन की चुदाई कर रहा था,,,,शुरू शुरू में अपनी बहन की बुर में लंड डालने में उसे थोड़ी तकलीफ होती थी लेकिन अब ऐसा लग रहा था की रानी की बुर में उसके भाई के लंड का सांचा बन चुका था और बड़े आराम से लंड अंदर बाहर हो रहा था। रानी कसके मोटे लकड़े को पकड़ी हुई थी और अपने भाई के मोटे डंडे को अपनी बुर में ले रही थी,,,,सूरज अपनी बहन की मस्ती बढ़ाने के लिए और खुद मजा लेने के लिए अपने दोनों हाथ अपनी बहन की कमर से हटकर आगे की तरफ ले जाकर उसके मौसंबियों को पकड़ लिए थे और उन्हें जोर-जोर से दबाते हुए अपनी कमर हिलाकर उसकी चुदाई कर रहा था।
दोनों अपनी मंजिल के बेहद करीब पहुंच चुके थेसूरज की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी और वह अपनी बहन की नंगी गांड पर जोर-जोर से चपत भी लग रहा था जिससे उसकी गांड पूरी लाल हो चुकी थी,,, थोड़ी ही देर में दोनों अपने चरम सुख को प्राप्त कर लिए थे रानी अपने कपड़ों को दुरुस्त करके जल्दी से वहां से निकल गई थी और पीछे-पीछे सूरज भी नहाने के लिए चला गया था।
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गयासूरज एक और बुर की चुदाई कर चुका था और वह भी ऐसी बुर जो सुहागन होने जा रही थी जिस पर पहला हक उसके पति का था,, जो पहला व्यक्ति था जो उसके बदन परहाथ रखता उसके अंगों से खेलते उसके साथ सुहागरात मनाता लेकिन उसके खूबसूरत जिस्म पर अपनी बड़ी चालाकी दिखा देना सूरज विवाह से पहले ही उसके साथ सुहागरात मना लिया था,,,कसी हुई चिकनी बुर में अपना लंड डालकर पूरी तरह से मस्त हो चुका था और लाडो को भी जवानी का मजा कैसे लेते हैं यह अच्छी तरह से बता दिया था और सूरज के इस तरह के संभोग से वह पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी और काफी खुश भी थी,,, विवाह के बाद विदाई तक सूरज साथ में ही सारे रस्मे में शामिल रहा और बारात के चले जाने के बाद वह अपने घर वापस लौट चुका था,,,, अब फिर से उसे अपनी दिनचर्या शुरू करनी थी,,, थोड़ी ही देर में वह अपने घर पहुंच चुका था,,,, और खेत पर जाने की तैयारी कर रहा था क्योंकि मुखिया के खेत के फसल की कटाई अभी पूरी तरह से नहीं हुई थी अब थोड़ा जल्दबाजी दिखाने का समय आ गया था।
घर पर पहुंचा तो देखा उसकी मां रसोई बना रही थी रानी घर पर नहीं थी अपनी मां को देखते ही उसे शादी वाली घटना याद आने लगी वह रस में याद आने लगी जब गांव की औरतेंढोल बाजे पर अपनी कमर हिला रही थी जिसमें उसकी खुद की मां शामिल थी अपनी मां को देखते ही उसकी आंखों के सामने उसकी मटकनी हुई गांड नजर आने लगी और वह अपनी आंखों में खुमारी भरते हुए सीता अपनी मां के सामने जा बैठा और मुस्कुराते हुए अपनी मां की तरफ देखते हुए बोला,,।
वाह कमाल का नाचती हो मां,,तुम,,,,
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कल जब मैं चाशनी बना रहा था तब तुम सामने ही तो नाच रही थी अपनी कमर हिला हिला कर,,,।
(सूरज कमर हिलाने की जगह गांड मटका कर बोलना चाहता था लेकिन इस तरह का शब्दों का प्रयोग करना अभी उसे उचित नहीं लग रहा था और सुनैनाअपने बेटे की बात सुनकर खास करके कमर हिला हिला कर नाचने वाली बात पर वह शर्म से पानी पानी होने लगी उसका चेहरा तुरंत शर्म से सुर्ख लाल होने लगा वह अपनी नजर को नीचे झुकाते हुए ही बोली,,,)
तू देख लिया था,,,, वैसे तो मुझे नाचना नहीं आता लेकिन सभी औरतें जिद कर रही थी इसलिए,,,
कौन कहता है तुम्हें नाचना नहीं आता सभी औरतों में तुम सबसे अच्छा नाच रही थी तभी तो औरते तुम्हें नाचने के लिए बोलती है,,,(अपनी मां की चूचियों को प्यासी नजर से देखते हुए वह बोला,,,,)
क्या सच में मैं अच्छा नाच रही थी,,,।
हां तुम बहुत अच्छा नाच रही थी बल्कि तुम्हारा नाच तो हलवाई को भी ज्यादा पसंद आ रहा था,,।
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क्या कह रहा था वो,,,,(रोटी को तवे पर रखते हुए बोली)
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तुम्हारे नाच की तारीफ कर रहा था कह रहा था कि मैं आज तक इस तरह का अच्छा नाच नहीं देखा कसम से कितना अच्छा नाच रही है और दूसरी औरतों को तो नाचना ही नहीं आता,,,,(सूरज अपने मन से इस तरह की बातें कर रहा था उसका मन तो कर रहा था कि वह अपनी मां के सामने सब कुछ साफ-साफ बता दे जो कुछ भी हलवाई बोल रहा था उसकी जवानी के बारे में उसके खूबसूरत बदन के बारे में और उसकी बड़ी-बड़ी गांड देखकर जिस तरह से उसका मन ललचा रहा था वह सब कुछ बता दे कि उसे देखकर दूसरे मर्द उसके बारे में क्या सोचते हैं,,,, लेकिन इस समय इस तरह की बातें करना उचित बिल्कुल भी नहीं था,,, लेकिन वह अच्छी तरह से जानता था कि औरत के सामने उसकी तारीफ करने पर अगर वह कठोर दिल की भी होगी तो फिर वह पिघलने लगेगी इसलिए वह अपनी मां के सामने उसकी तारीफ कर रहा था। अपने बेटे की बात सुनकर वह बोली,,,)
क्या सच में वह ऐसा बोल रहा था,,,।
सुनैना और उसका बेटा
तो क्या मां तुम नाचती ही इतना बढ़िया हो कि कोई भी तुम्हारी तारीफ किए बिना नहीं रह सकता हलवाई की तो छोड़ो लाडो के पिताजी भी कह रहे थे की भाभी जी कितना अच्छा नाचती है,,,, लाडो की शादी में आकर चार-चांद लगा दी है,,,,(सूरज सब कुछ बनी बनाई बात बोल रहा था ऐसा कुछ भी नहीं था हवाई उसकी मां की तारीफ जरुर कर रहा था लेकिन उसके नाच कि नहीं बल्कि उसकी खूबसूरती की,,,, सूरज पागलों की तरह अपनी मां की बड़ी-बड़ी चूचियों को देखनाअभी कल शाम को ही वह अपनी मां को पूरी तरह से नग्न अवस्था में देख चुका था उसके नंगे बदन का रसपान अपनी आंखों से करके वह पूरी तरह से मत हो चुका था लेकिन फिर भी यह प्यास ऐसी थी कि कभी बुझती ही नहीं थी,,,, तभी तो इस समय अपनी मां की चूचियों की हल्की सी झलक देखकर भी वह बावला हुआ जा रहा था,,,, तवे पर रोटी पक रही थी और पक कर फूल रही थी बिल्कुल सुनैना की बुर की तरह,,, फूली हुई रोटी को जब-जब सूरज देख रहा था तब तक उसे अपनी मां की बुर का ख्याल आ रहाऔर वह अपने मन में यही कह रहा था कि इस समय भी उसकी मां की बुर रोटी की तरह फुल गई होगी,,,, अपने बेटे के मुंह से अपने नाचने की तारीफ सुनकर वह गदगद हुए जा रही थी लेकिन फिरउसे एहसास हुआ कि उसका बेटा उसकी छतिया की तरफ देख रहा था और वह अपनी नजर को हल्की करके अपनी छतिया की तरफ देखी तो अपनी स्थिति पर वह शर्म से पानी पानी होने लगी।
और अपनीचूचियों को व्यवस्थित करने के लिए वह अपने कदमों को इधर-उधर करके अपने आप को व्यवस्थित कर ली जिससे उसकी बाहर निकली हुई चूचियां फिर से ब्लाउज के अंदर समा गई लेकिन फिर भी अपने होने का एहसास वह बड़ी अच्छी तरह से कर रही थी और बात की दिशा बदलते हुए सुनैना बोली,,,।
अब जा जल्दी से नहा कर तैयार हो जा खेत पर भी जाना है मुखिया का खेत अभी भी वैसा कहीं वैसा है कुछ ज्यादा काम हुआ नहीं खेत में,,,।
मैं भी आज यही सोच रहा था अब तक तो आधा काम हो जाना चाहिए,,,,,(फिर से अपनी मां की चूचियों की तरफ देखता हुआ वह बोला और अपनी मां की चूचियों की तरफ देखकर जैसे उसे कुछ याद आ गया हो और वह एकदम से अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,) कल वाला ब्लाउज तुम नहीं पहनी हो,,,
(ब्लाउज का जिक्र होते ही सुनैना एकदम से उत्तेजना से सिहर उठी ब्लाउज वाली घटना उसे अच्छी तरह से याद थी,,,वह कभी सोची नहीं थी कि उसके ब्लाउज की डोरी उसका बेटा अपने हाथों से बांधेगा और उसके बेहद करीब आकर,,,, उस पल को याद करके इस समय सुनैना की दोनों टांगों के बीच की पतली बाजार में हलचल होना शुरू हो गई थी वह उस पल के सुनहरी यादव ने एकदम से खोने लगी थी,,, तभी सूरज फिर से अपनी बात को दोहराते हुए बोला,,,)
क्या हुआ मां कल वाला ब्लाउज तुम क्यों नहीं पहनी हो वह तुम पर ज्यादा अच्छा लगता था खास करके उसकी डोरी,, रेशमी डोरी तुम्हारी चिकनी गोरी पीठ पर खूबसूरत लग रही थी,,,(अपनी मां की खूबसूरती के आकर्षण में वह अपने मन की बात अपनी मां से बोल दिया था और उसकी मां उसकी बात सुनकर एकदम से सन्न में रह गई थी,,,, सूरज खुले शब्दों में उसकी चिकनी गोरी पीठ की तारीफ कर रहा था,,,,सुनैना अच्छी तरह से जानती थी कि एक बेटे के मुंह से उसके मन की तारीफ में इस तरह के शब्द शोभा नहीं देते लेकिन फिर भी वह चाह कर भी कुछ बोल नहीं पा रही थी क्योंकि ना जाने क्यों उसे भी अपने बेटे के मुंह से निकले इन शब्दों में उसकी खूबसूरती की तारीफदिखाई दे रही थी और वह अपने बेटे को कुछ बोल नहीं पा रही थी क्योंकि उसकी बात उसे अच्छी लग रही थी,,,, फिर भी अपने बेटे की बात सुनकर वह शरमाते हुए अपनी नजर को नीचे झुकाए हुए उत्तर देते हुए बोली,,,)
सुनैना और उसका बेटा एक ही बिस्तर पर
पागल हो गया है क्या तू वह हमेशा पहनने के लिए थोड़ी ना है शादी विवाह पर ही में पहनती हूं और आज सुबह नहा कर उसे धो डाली हूं ताकि ऐसे ही किसी समय पर उसे पहना जा सके,,,।
लेकिन मेरी मानो तो तुम्हें उसे तरह का ब्लाउज रोज पहनना चाहिए क्योंकि वह तुम्हारी खूबसूरती को और ज्यादा बढ़ा देता है,,,।
तुझे कैसे मालूम कि मेरी खूबसूरती को वह ब्लाउज बढा देता है,,,,(सुनैना जानबूझकर अनजान बनते हुए यह सवाल पूछ रही थी)
क्या मां शाम को मैं ही तो तुम्हारे ब्लाउज की डोरी को बांधा था तुमसे तो खुद से अपनी डोरी की गिठान नहीं बांधी जा रही थी,,,, डोरी बांधते हुए ही तो मैंने देखा था,,,।
अच्छा तो तू यही सब देखता है,,,,(दूसरी रोटी को तवे पर रखते हुए बोली,,,)
नहीं ऐसी बात नहीं है बस आंखों के सामने देखा तो बता रहा हूंऔर वैसे कोई जानबूझकर मैं तुम्हारे कमरे में नहीं आया था मैं तो तुम्हें जल्दी शादी में चलने के लिए बुलाने के लिए आया था और जब कमरे पर पहुंचा तो तुम कपड़ेपहन कर ब्लाउज पहनने की कोशिश कर रही थी और पहन नहीं पा रही थी,,,,।
अब क्या करूं पीछे ठीक तरह से हाथ नहीं पहुंच पा रहा था,,,।
अगर मैं नहीं आता तो क्या करती तब क्या पहनती,,,
रानी थी ना,,,,,,
कहां थी रानी,,,,वो तो पहले ही शादी में जा चुकी थी,,,,,,,,
तब तो मुझे दूसरा ब्लाउज पहन कर ही जाना पड़ता,,,,
अच्छा हुआ मैं समय पर आ गया था,,,, और वैसे भी तुम्हारे ब्लाउज की तारीफ हो रही थी,,,।
ब्लाउज की तारीफ,,,,,(आश्चर्य जताते हुए) ब्लाउज की तारीफ अब कौन कर रहा था,,,,
लाडो के घर पर जो बाहर से औरतें आई थी वही औरतें बार-बार तुम्हारे ब्लाउज की तरफ देख रही थी और तारीफ कर रही थी,,,।
क्या सच में,,,,, औरतें मेरे ब्लाउज की तारीफ कर रही थी,,,।
अरे तो क्या ब्लाउज के साथ-साथ तुम्हारी खूबसूरती की तारीफ भी करते हुए कह रही थी किजाते-जाते में जरूर पूछूंगी की यह ब्लाउज कहां से सिलवाई हो,,,,
तू यह सब अपने कानों से सुना,,,,।
अरे तो क्या हलवाई का सारा जिम्मा मेरे सर पर था पर मुझे बार-बारकमरे में जाना पड़ता था सामान लाने के लिए वहीं पर सब होते हैं यही सब बातें कर रही थी और उन्हें नहीं मालूम मैं कौन हूं वरना मुझसे ही पूछ ली होती कि तुम्हारी मां ब्लाउज कहां से सिलवाई है,,,,।
अच्छा हुआ उन लोगों को नहीं मालूम था कि तू मेरा ही बेटा ही करना तुझसे पूछ रही होती और मैं नहीं चाहती कि इस तरह का ब्लाउज कोई और भी पहने,,,।
क्यों,,,?
मेरे ही पास है तभी तो सब पूछ रही थी सबके पास हो जाएगा तो कौन पूछेगा,,,।
बात तो तुम सही कह रही हो मां,,,,,।
अच्छा इन सब बातों को छोड़ और जल्दी से जाकर तैयार हो जा खेत पर भी जाना है,,,,।
ठीक है,,, लेकिन लाओ में एक रोटी खा लूं,,,(अपने हाथ को तवे की तरफ आगे बढ़ाते हुए) खुशबू बहुत अच्छी आ रही है,,,,
अरे अरे यह क्या कर रहा है थोड़ा पक तो जान दे,,,।
पक तो गई है,,,,।
ऐसे थोड़ी थोड़ी और फूल जाने दे,,,
फूल जाएगी तब क्या होगा,,,?(सूरज बड़ी मासूमियत के साथ बोला)
अरे बुद्धू तवे पर रोटी के फूलने का मतलब है कि वह खाने के लिए पूरी तरह से तैयार हो चुकी है,,,,।
(अपनी मां की इस तरह की बात सुनकर सूरज अपने मन में ही बोलाजैसे तुम्हारी बुर जब फूल जाती है तो समझ लो चोदने के लिए तैयार हो चुकी है,,,, मैं जानता हूं तुम्हारी बुर भी गर्म होकर फूल जाती है तुम्हारी बुर को भी मेरे लंड की जरूरत है,,, सूरज अपने मन में यही सोच रहा था कि तभी उसकी मां खुली हुई रोटी को अपने हाथ में लेकर उसके किनारी को हल्के से पकड़ कर अपने बेटे की तरफ आगे बढ़ाते हुए बोली,,,)
ले अब खा ले,,,,।
(सूरज अपनी मां के हाथ में से रोटी को ले लिया लेकिन खुली हुई रोटी को देखकर उसे गरमा गरम बर याद आने लगा और उसका लंड खड़ा होने लगा इसलिए वह रोटी को खाते हुए अपनी मां से बोला,,)
यह सुबह-सुबह रानी कहां चली गई,,,,।
कहीं नहीं गई है गाय को चारा खिला रही है,,,,।
ओहहहह,,,,चलो कोई बात नहीं तब से मैं नहा धोकर तैयार हो जाता हूं,,,,(इतना कहने के साथ ही सूरज अपनी जगह से उठकर खड़ा हो गया और घर से बाहर की तरफ जाने लगा यह देखकर सुनैना की जान में जान आई क्योंकि अपने बेटे की मौजूदगी में उसे अजीब सा महसूस होने लगा था,,,, एक अजीब सा आकर्षण उसके बदन को झकजोर कर रख दे रहा था,,,,और सबसे बड़ी बात यह थी कि उसकी बातें उसे अच्छी लगने लगी थी और उसकी बातों को सुनकर उसकी बुर पानी छोड़ने लगती थी अपने बदन में अपने बेटे की मौजूदगी से हो रही इस तरह के बदलाव से वह कभी-कभी इस बात से घबरा जाती थी की कही उसके कदम बहक ना जाएक्योंकि उसे इतना तो समझ में आ गया था कि उसके बेटे की नजर उस पर पूरी तरह से गंदी हो चुकी है अब वह एक मां के तौर पर नहीं बल्कि एक औरत के तौर पर उसे देखता था,,,, ऐसी बातों को याद करके पल भर में ही उसकी आंखों के सामने उसके बेटे को लेकर ऐसी घटना याद आने लगी जिसकेबारे में सोचकर ही उसकी बुर कचोरी की तरह फूल गई थी,,, पहली बार अपने बेटे के साथ उसका आलिंगन बद्ध होना,,, जिसका फायदा उठाते हुए सूरज का उसके नितम्बों पर हाथ फेरना उसे हल्के से दबाना,,,, बार-बार उसकी चूचियों की तरफ घूरना,,,, खेत में कटाई के दौरान जब वह पेशाब कर रही थी तो उसे पीछे से प्यासी नजरों से देखनाऔर फिर शायद उसी के बदौलत जब गहरी नींद में सो रही थी तो उसकी साड़ी को कमर तक उठाकर उसकी नंगी गांड पर मोटा लंड रगड़ना और पानी निकाल देना,,, और फिर उसके ब्लाउज की डोरी बांधना उसकी खूबसूरती की तारीफ करना यह सब याद करके सुनैना मदहोश हो रही थी।
सुनैना की चुदाई
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दूसरी तरफ रानी अपने ही ख्यालों में खोई हुई गीत गुनगुनाते हुए गए और बकरियों को चारा खिला रही थी आज उसके चेहरे पर प्रसन्नता के भाव कुछ ज्यादा ही नजर आ रहे थे क्योंकि आज उसे नदी पर कुंवर से जो मिलना था,,,, वह अपनी ही धुन में गीत गुनगुना रही थी और तभी उसके बेहद करीब पहुंचकर सूरज उसकी सलवार के ऊपर से ही उसकी गांड पर हाथ रखते हुए बोला,,,।
क्या बात है रानी कुछ ज्यादा ही खुश नजर आ रही हो,,,,।
(अपनी गांड पर हाथ का स्पर्श महसुस करते ही वह थोड़ा सा चौक गई थी लेकिनजब उसे पता चला कि उसकी गांड पर हाथ रखने वाला और कोई नहीं उसका भाई है तब उसकी जान में जान आई और एकदम से खुश होते हुए बोली,,)
जिसका ऐसा भाई हो तो उसे बहन को तो हमेशा खुश रहना ही पड़ेगा,,,।
क्यों आज ज्यादा मन कर रहा है क्या मेरी रानी बहन का,,,,
तुझे पास होता है भाई तब ना जाने क्या होने लगता है,,,,,।
कहां पर होने लगता है बताना,,,,(कुर्ती के ऊपर से चुची पर हाथ रख कर दबाते हुए,,,)
ऊईईई मां धीरे से भाई दुख रहा है,,,
मजा भी तो आता है,,,
वह तो आता ही है लेकिन इस तरह से एकाएक दबाओगे तो दुखेगा ही ना,,,
अच्छा यह बता कहां पर होने लगता है,,,,
रहने दो ना भाई मां आ जाएगी,,,।
अभी नहीं आने वाली क्योंकि वह रोटी पका रही है,,,, बता तेरा मन कर रहा,, है ना,,,,
अब रहने दो ना,,,, मुझे नहाने जाना है,,,,
मेरा तो मन कर रहा है,,,देख,,,,(इतना कहने के साथ ही अपने पजामा को आगे की तरफ खींच कर अपना खड़ा लंड दिखाते हुए और उसकी नजर पडते ही रानी की बुर फूलने पिचकने लगी,,,, वह तुरंत अपना हाथ अपने भाई के पजामा में डालकर उसे कस के पकड़ ली उसकी हरकत पर सूरज एकदम मदहोश हो गया और बोला,,,) चल मजा करते हैं,,,.
नहीं नहीं मां आ गई तो,,,,
आ गई तो क्या हुआ देख लेगी कि उसकी बेटी जवान हो गई है लंड लेने के लायक हो गई है,,,,।(सलवार के ऊपर से ही अपनी बहन की बुर पर हाथ रखकर उसे दबाते हुए अपने भाई की हरकत से रानी मदहोश होते हुए बोली,,)
और जब मा देखेगी कि उसका बेटा यह क्या कर रहा है तब,,,।
तब क्या वह भी समझ जाएगी कि उसका बेटा जवान हो गया है चोदने के लायक और खुद अपनी भी टांग मेरे सामने खोल देगी,,,।
धत् यह कैसी बातें करते हो भाई मां के बारे में,,,
सच कह रहा हूं मेरी जान औरत की सबसे पहली पसंद यही होती है जो तू पकड़े हुए हैं,,,,,
(अपनी बहन से अश्लील बातें करते हुए और उसके खूबसूरत चेहरे पर बदलते भाव को देखकर सूरज समझ गया था कि उसकी बहन को क्या चाहिए और वह तुरंत अपनी बहन को गोद में उठा दिया और टूटी हुई झोपड़ी में ले जाने लगा जिसमें गए बंधी हुई थी,,,, और उसमें ले जाकर केतुरंत उसके सलवार की डोरी खोलने लगा और इस समय रानी उसे इनकार नहीं कर पाए क्योंकि उसका भी मन बहुत कर रहा था और देखते ही देखते सूरज अपनी बहन की सलवार निकाल कर उसे कमर से नीचे नंगी कर दिया था,,,, और रानी खुद ही अपनी कमीज कोअपनी छतिया के ऊपर तक खींच दी थी ताकि उसकी चूचियां एकदम से नंगी हो जाए और उसकी नंगी चूची पर है हाथ रखकर से जोर-जोर से दबाते हुए दूसरे हाथ की उंगलियों को अपनी बहन की बुर में डालकर उसे अंदर बाहर करने लगा और उसकी दूसरी चूची पर मुंह लगाकर पीना शुरू कर दिया,,,, सूरज अपनी बहन की जवानी पर चारों तरफ से हमला कर रहा था और इस हमले का जवाब रानी के पास बिल्कुल भी नहीं था वहअपने भाई के हमले से पूरी तरह से ग्रस्त हो चुकी थी और एकदम मस्त हुए जा रही थी। टूटी हुई झोपड़ी में रानी की गरमा गरम शिसकारियां गुंज रही थी,,,।
सुनैनाऔर उसका बेटा
सूरज की हालत खराब होती जा रही थी उसका लंड पूरी तरह से अकड़ कर लोहे का रोड बन चुका थावह तुरंत अपनी बहन की दोनों टांगों के बीच घुटने के बल बैठ गया और अपनी लपलपाती हुई जीभ को उसके गुलाबी छेद पर रखकर चाटना शुरू कर दिया,,,, रानी एकदम से मत हो गई और दोनों हाथ से अपनी भाई के बालों को पड़कर उसके मुंह को अपनी बुर से सटाने लगी दबाने लगी,,, अपने भाई की जीभ की करामात से रानी पानी पानी हुए जा रही,,,, सूरज अपनी बहन पर अपनी सारी कलाबाजिया दिखा रहा था,,,और दोनों भाई बहन की कलाबाजियां टूटी हुई झोपड़ी में घास खा रही गई बार-बार सर उठा कर देख रही थी,,,,लेकिन उसके देखे जाने का रानी और सूरज पर बिल्कुल भी प्रभाव नहीं पड़ रहा था क्योंकि वह लोग इंसानों से नजर बचाकर टूटी हुई झोपड़ी में मजा ले रहे थे जानवर से नहीं,,,, देखते ही देखते रानी पूरी तरह से मस्त होने लगी,,,,सूरज समझ गया था कि अब उसकी बहन को क्या चाहिए इसलिए तुरंत उठकर खड़ा हो गया था लेकिन तुरंत उसके कंधों पर अपने दोनों हाथ रखकर उसे नीचे की तरफ झुकने लगा उसकी बहन भी समझ गई थी कि उसके भाई को क्या चाहिए और अगले ही पल उसका मोटा तगड़ा लंड उसके गले की गहराई नाप रहा था।।।
लेकिन अपने भाई का लंड चूसने के लिए रानी घुटनों के बाल बैठी नहीं थी बल्कि हल्के से झुकी हुई थी जिससे उसकी गोरी गोरी गांडहिलती हुई सूरज को नजर आ रही थी और सूरज से रहने जा रहा था सूरत तुरंत अपना हाथ आगे बढ़कर उसकी गांड पर रखकर उसे जोर-जोर से मसल रहा था उस पर जोर-जोर से चपत भी लगा रहा था जिससे रानी को भी मजा आ रहा था,,,,रानी लंड चूसने में पूरी तरह से माहिर हो चुकी थी और उसे माहिर बनाने वाला उसका खुद का भाई ही था क्योंकि अभी तक वह अपने भाई के साथ ही शारीरिक संबंध का मजा ले रही थी,,,, लेकिन वह पूरी तरह से आत्मविश्वास से भर चुकी थी किउसके भाई के सिवा अगर किसी और से उसे शारीरिक संबंध बनाना पड़ेगा तो वह अपनी हरकतों से अपनी जवानी के जलवे से उसे पूरी तरह से अपना गुलाम बना देगी,,,, क्योंकि वह खुद अपने भाई की हालत खराब कर दे रही थीकुछ देर तक यह सिलसिला चलता रहा और फिर सूरज अपनी बहन के मुंह में से अपने लंड को बाहर खींच लिया क्योंकि अब समय आ गया था चुदाई का,,,, और सूरज को कुछ भी बताने की जरूरत नहीं थी रानी खुद ही टूटी हुई झोपड़ी के बीच में गड़े हुए मोटे से डंडे को जो की झोपड़ी को खड़े रहने में सहायक था,,, उसे दोनों हाथों से पकड़ कर अपनी गोल-गोल गांड को अपने भाई के सामने उठाकर परोस दी यह देखकर उसके भाई के मुंह में पानी आ गया,,,,
उसका भाई भी अपनी बहन की हरकत से एकदम से खुश होता हुआ ढेर सारा थुक अपनी उंगलियों पर लिया और उसे अपने लंड के सुपाड़े पर लगाकर अपनी बहन की गुलाबी गली दिखा दिया और उसका घोड़ा सरपट गुलाबी गली में दौड़ना शुरू कर दिया सूरज अपनी बहन की कमर पकड़ कर अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया था वह जमकर अपनी बहन की चुदाई कर रहा था,,,,शुरू शुरू में अपनी बहन की बुर में लंड डालने में उसे थोड़ी तकलीफ होती थी लेकिन अब ऐसा लग रहा था की रानी की बुर में उसके भाई के लंड का सांचा बन चुका था और बड़े आराम से लंड अंदर बाहर हो रहा था। रानी कसके मोटे लकड़े को पकड़ी हुई थी और अपने भाई के मोटे डंडे को अपनी बुर में ले रही थी,,,,सूरज अपनी बहन की मस्ती बढ़ाने के लिए और खुद मजा लेने के लिए अपने दोनों हाथ अपनी बहन की कमर से हटकर आगे की तरफ ले जाकर उसके मौसंबियों को पकड़ लिए थे और उन्हें जोर-जोर से दबाते हुए अपनी कमर हिलाकर उसकी चुदाई कर रहा था।
दोनों अपनी मंजिल के बेहद करीब पहुंच चुके थेसूरज की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी और वह अपनी बहन की नंगी गांड पर जोर-जोर से चपत भी लग रहा था जिससे उसकी गांड पूरी लाल हो चुकी थी,,, थोड़ी ही देर में दोनों अपने चरम सुख को प्राप्त कर लिए थे रानी अपने कपड़ों को दुरुस्त करके जल्दी से वहां से निकल गई थी और पीछे-पीछे सूरज भी नहाने के लिए चला गया था।