Update kee umeed iss story par nahi thee...but bahot hee khatarnaak update thaa yeh bhee...iss story main bhee jabardast mod par kahani aa chuki hai... ab suraj gand kay saath kya kta karega.?? Maza aayega...सूरज अपनी बहन को विश्वास में लेकर अपनी मनसा अपनी मां के साथ पूरी करने के लिए तैयार हो चुका थालेकिन यह मौका यह पल कब आने वाला था या उसे भी नहीं मालूम था लेकिन इतना पूरा विश्वास था कि यह मौका उसके जीवन में जरूर एक दिन आएगा क्योंकि वह अपनी मां की हालत को अच्छी तरह से समझ गया था वह जानता था कि बिस्तर पर वह रोज रात को करवट बदल कर अपनी प्यास को अपने काबू में करने की कोशिश कर रही थी लेकिन वह जानता था कि चाहे जितना भी उसकी मां अपनी जवानी को अपने काबू में करने की कोशिश कर ले उसकी जवान काबू में आने वाली नहीं बल्कि और भी ज्यादा बेकाबू होने वाली है। आखिरकार एक औरत कब तक अपनी खूबसूरत खजाने को किसी बांका जवां मर्द पर लूटाने से रोक कर रख पाएगी,एक न एक दिन तो वह खजाना लूटने वाला उसे मिल ही जाएगा और वह जानता था कि उसकी मां का अनमोल खजाना लूटने वाला दूसरा कोई नहीं बल्कि वह खुद होगा,।
अब रोज खेत पर काम करते हुएसूरज अपनी मां के खूबसूरत बदन की बनावट को निहारता रहता था,,, और इस बात को सुनैना भी अच्छी तरह से जानती थी लेकिन न जाने क्यों धीरे-धीरे उसके बेटे का इस तरह से उसे निहार ना अच्छा लगने लगा था क्योंकि वह उम्र के उसे दौर में पहुंच चुकी थी जहां पर परिवार की जिम्मेदारी सर पर आते ही सारी भावनाएं दब जाती हैं और वह औरत अपनी जिम्मेदारी को पूरा करने में अपना जीवन गुजार देती है,,,। और ऐसा उसके साथ भी हो रहा था जब तक उसका पति उसके साथ था लेकिन कुछ महीनो से बदन के प्यास उसे व्याकुल बना रही थीएक तरफ को जिम्मेदारी तो निभा रही थी लेकिन अपने बदन की जरूरत के आगे वह कमजोर पड़ती जा रहे थे जिसके चलते उसे अपना ही बेटा अच्छा लगने लगा था उसके प्रति वह धीरे-धीरे आकर्षित होती जा रही थी अपने बेटे की हरकत और उसकी प्यासी नज़रें उसकी खुद की प्यास को भड़का रही थी।लेकिन फिर भी वह अपने आप पर काबू करने की पूरी कोशिश कर रही थी क्योंकि वह जानती थी कि इसके प्रति वह आकर्षित होती जा रही है वह उसका बेटा है,,,, इसीलिए वह कुछ घटनाओं के बाद थोड़ा सा तर्क तो हो गई थी लेकिन जब कभी ऐसे पल आ जाते थे तो न जाने क्यों वह फिर से अपने आप को कमजोर महसूस करने लगती थी और फिर यह जानते हुए भी की उसका बेटा उसे प्यासी नजर उसे देख रहा है वह अपने अंगों के उभारों को अपने बेटे से छुपाने की कोशिश नहीं कर पाती थी। जिसके चलते वह खेत में काम करते हुए जब उसे थकान महसूस हुई तो वह खेत में ही बनी टूटी हुई झोपड़ी जिसमें एक खटिया भी रखी हुई थी और उसके ईद दो-तीन बड़े-बड़े पेड़ भी थे जिसकी छांव में वह खटिया पर बैठ गई सूरज अभी भी अपने काम में लगा हुआ था। अपनी मां को इस तरह से खटिया पर बैठा हुआ देखा तो वह बोला।
क्या हुआ,,,?
अरे कुछ नहीं रे थकान महसूस हो रही थी तो बैठ गई,,,,(सुनैना झोपड़ी में से खटिया को बाहर लाकर उसे पर बैठी हुई थीपेड़ की छांव की वजह से ठंडी हवा चल रही थी जिससे उसे रात महसूस हो रही थी अपनी मां की बात सुनकर सूरज बोला)
गर्मी बहुत है ना इसलिए जल्दी थकान लग जा रही है,,,, कोई बात नहीं तुम आराम करो मैं काम कर लेता हूं,,,,।(इतना कहकर सूरज गेहूं की कटाई जारी रखा और सुनैना बैठे-बैठे ठंडी हवा की वजह से उसे नींद आने लगी थी और वह चारपाई पर लेट गई थी थकान की वजह से वह अपने घुटनों को मोडी हुई थी जिसके चलते उसकी साड़ी एकदम से उसकी जांघों तक सरक गई थी और उसकी मोटी-मोटी जांघे एकदम से उजागर हो गई थी,,,,, जैसे हीसुनैना को एहसास हुआ वह तुरंत अपनी आंखें खोल दी और चकर पकर देखने लगी और इस दौरान अपनी साड़ी को भी एकदम व्यवस्थित कर ली,,,,उसे इस बात से रहता है कि उसका बेटा सूरज उसकी तरफ नहीं देख रहा था बल्कि दूसरी तरफ मुंह करके गेहूं काट रहा था और अपने मन में सोचने लगी कि अच्छा हुआ उसका बेटा इस अवस्था में उसे नहीं देख पाया वरना उसके मन में न जाने कैसी भावनाएं पैदा होने लगतीक्योंकि वह इस बात को अच्छी तरह से जानती थी कि जब एक औरत की चारपाई पर लेटे हुएघुटनों को मोड़कर जब उसकी साड़ी उसकी जांघों तक सरक जाती है तो वाकई में इस अवस्था में औरत को देखकर मर्द की क्या हालत होती है,,,,वह ईस अवस्था का एक मर्द पर गहरा प्रभाव पड़ता है इस बात को अच्छी तरह से जानती थी क्योंकि वह एक बार ईस मनोदशा से गुजर चुकी थी।
जब नई नई शादी हुई थी तब कुछ महीनो बाद शराब को लेकरसुनैना और उसके पति के बीच थोड़ा मन मोत हो गया था झगड़ा नहीं हुआ था लेकिन थोड़ी बहुत बहस बाजी हो गई थी क्योंकि सुनैना नहीं चाहती थी कि उसका पति शराब की लत में डूब जाए और उसे दिन गांव में शादी थी जिसकी वजह से सुनैना का पति कुछ ज्यादा ही शराब पी लिया था और नशे में धुत होकर घर पर आया था,,, जिसके चलते सुनैना गुस्से में लगभग 10-15 दिनों तक अपने पति से बातचीत करना छोड़ दी थी तब तो उसकी सास भी जीवित थी,,,, और उसकी सास ने भी सुनैना का ही साथ देते हुए बोली कि जो कुछ भी वह कर रही है बिल्कुल सही कर रही हैक्योंकि इस बात को वह भी अच्छी तरह से जानती थी कि सर आपकी गलत इंसान को कितना नीचे गिरा देती है इसीलिए वह अपने बेटे का साथ न देकर अपनी बहू का साथ दे रही थी,,,, अपनी सास का साथ मिल जाने की वजह से सुनैना भी काफी उत्साहित थी,,,,और इसी वजह से वह 10 15 दिन तक अपने पति से बिल्कुल भी बातचीत नहीं की थी और उसका पति भी अपनी जीत पर है गया था और वह भी अपनी बीवी के आगे झुकना नहीं चाहता था।
लेकिन एक रात को जब वह घर पर लौटा तो सब लोग खाना खाकर सो चुके थे रात काफी हो चुकी थी वह धीरे से दरवाजा खोला और अपने कमरे में दाखिल हुआ अपनी पत्नी से झगड़ा के कारण वह अपना बिस्तर अलग-अलग आता थालेकिन वह दरवाजा खोलकर जैसे ही कमरे में प्रवेश किया और दरवाजे पर कड़ी लगाकर उसे बंद किया तो उसकी नजर अपनी बीवी पर गई जो बेसुध होकर सो रही थी,,,, लालटेन की पीली रोशनी में उसे सब कुछ साफ दिखाई दे रहा था,,,,उसने देखा कि उसकी बीवी एक दिन गहरी नींद में सो रही है और उसकी एक टांग मुड़ी हुई थी जिसकी वजह से उसकी साड़ी पूरी तरह से उसकी कमर थी और उसकी नंगी मोटी मोटी जांघें एकदम से उजागर हो गई थी,,,, अपनी बीवी का यह रूप देखकर अपने आप को रोक नहीं पाया 15 दीनों का झगड़ा आपस की तकरार और अपनी जीद एकदम से हवा में फूर्र हो गई थी। अपनी बीवी का मांसल बदन और उसका रूप यौवन देखकर सुनैना के पति की हालत खराब हो गई उसकी आंखों में एकदम से उत्तेजना और मदहोशी नजर आने लगी वह अगले ही पर अपनी पजामा का नाडा खोलकर उसे एक झटके से नीचे गिरकर अपने पैरों में से निकाल दिया और एकदम से नंगा हो गया।
अपनी बीवी की कमजोरी अच्छी तरह से जानता था वह जानता था कि इस समय उसे जगह कर उसके साथ संबंध बनाना मुमकिन नहीं नहीं नामुमकिन नहीं क्योंकि वह गुस्से में थी लेकिन उसे मनाना हुआ अच्छी तरह से जानता था और यह कैसे करना है उसे अच्छी तरह से मालूम था वह धीरे सेअपनी बीवी के बिस्तर पर गया और धीरे से उसकी टांगों को खोलकर अगले ही पल वह अपने प्यास होठों को अपनी बीवी की नंगी बुर पर रख दिया,,,, और उसे पागलों की तरह चाटना शुरू कर दिया उसकी हरकत पर उसकी बीवी की नींद एकदम से खुल गई लेकिन जब तक उसे कुछ समझ में आताउसके बदन में मदहोशी जाने लगी थी वह एकदम से अपनी दोनों टांगों के बीच देखें तो घबरा गई लेकिन जैसे ही मदहोशी में यह एहसास हुआ कि उसकी दोनों टांगों के बीच उसका पति है तो वह उसकी हरकत से पागल होने लगी और 15 दिन का गुस्सा भूल कर वह तुरंत अपने हाथ को आगे बढ़कर अपने पति के सर पर रख दी और उसके बाल को अपनी मुट्ठी में दबोच ली और हौले हौले से अपनी कमर को गोल-गोल घुमा कर अपने पति को अपनी बुर चटाने लगी,,, सुनैना की यह सबसे बड़ी कमजोरी थीजिसे उसका पति भली-भांति जानता था और इसी कमजोरी का फायदा उठाकर 15 दिन बाद वह अपनी बीवी से एकाकार होने वाला था,,,, और उसके बाद सुनैना अपने पति से रात भर चुदवाती रही लेकिन इसके बदले में वह अपने पति से यह वादा ले ली थी कि अब वह कभी शराब को हाथ भी नहीं लगाएगा लेकिन वक्त के साथ-साथउम्र कैसे पड़ाव में जाकर उसका पति अपने वादे से मुकर गया और दारू की लत में पूरी तरह से डूब गया और इस कदर डूबा की अपनी खूबसूरत बीवी को अपनी खूबसूरत परिवार को भूल गया।
पल भर के लिए सुनैना के मन में यही सब चलने लगा था वह अपनी साड़ी को व्यवस्थित कर चुकी थी और एक नजर अपने बेटे के ऊपर डालकर करवट लेकर सो गई,,,, और एकदम से गहरी नींद में डूब गई थोड़ी देर बाद सूरज भी थक हार करखटिया के पास आए और देखा तो उसकी मां दूसरी तरफ मुंह करके सो रही थी उसकी बड़ी-बड़ी गांड कसी हुई साड़ी में तूफान मचा रही थी जिसे देखकर सूरज के अंदर वासना का तूफान उठने लगा उसकी आंखों में हवस के डोरे नजर आने लगे वह अपने आप पर काबू नहीं कर पा रहा था क्योंकि इस समय उसकी मां खटिया पर लेटी हुई थीउसकी आंखों के सामने जवानी से भरी हुई है खूबसूरत औरत गहरी नींद में सो रही थी जो अंदर ही अंदर एक मर्द के लिए तड़प रही थी सूरज अच्छी तरह से जानते थे कि उसकी मां को एक मोटे तगड़े लंड की जरूरत है,,, अपनी मां के प्यासेपन को वह अच्छी तरह से समझ रहा था,,,, कुछ देर तक सूरज खटिया के पास खड़े होकर अपनी मां के नितंबों को हीं घुरता रहा,,,,पल भर के लिए उसके मन में आया कि अपने हाथों से अपनी मां की साड़ी कमर तक उठाकर उसकी नंगी गांड के दर्शन कर ले लेकिन ऐसा करने में उसे झिझक हो रही थी डर महसूस हो रहा था ,,,, लेकिन वासना के आगे वह मजबूर हो चुका था।
खेत के बीचो-बीच टूटी हुई झोपड़ी के बाहर खड़े होकर वह चारों तरफ नजर घुमा कर देखने लगा वह जानता था कि चारों तरफ गेहूं के खेत ही खेत थे और यह बिल्कुल भी मुमकिन नहीं था कि कोई उन्हें देख सके चारों तरफ से क्योंकि खेत से गिरे होने के कारण वह पूरी तरह से सुरक्षित जगह थी और तसल्ली कर लेने के बाद वह धीरे से खटिया पर बैठ गया उसकी मां गहरी नींद में सो रही थी,,,,, सूरज का दिल जोरों से धड़क रहा था,,,, वह कुछ देर तक खटिया पर बैठे-बैठे कुछ सोचता रहा काफी देर तक उसकी मां के बदन में बिल्कुल भी हरकत नहीं हो रही थी और उसे यकीन हो गया कि उसकी मां गहरी नींद में सो रही है इसलिए वह धीरे से खटिया पर लेट गया यह एक अलग ही अनुभव था आज पहली बार वह एक ही खटिया पर अपनी मां के साथ लेटा हुआ था पजामे की तरफ देखा तो उसमें अच्छा खासा तंबू बना हुआ था। वह एक नजर अपनी मां की भारी भरकम गांड की तरफ डालकर वह अपने हाथ से पजामे के ऊपर से ही अपने लंड को दबा दिया,,,,, यह एक अलग अनुभव थाकि आज वह अपनी मां की गांड को देखते हुए अपने लंड को दबा रहा था वरना वह अपनी मां के कामुक ख्यालों में डूब कर रहा है अपने हाथ से हिला कर काम चला लेता था लेकिन आज ऐसा मौका उसके हाथ लगा था कि एक ही खटिया पर अपनी मां के साथ लेटे रहने पर अपनी मां की गांड देखकर अपने लंड को दबा रहा था और ऐसा करने में उसे बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी वह मदहोश हुआ जा रहा था।
उत्तेजना और मदहोशी देखते-देखते सर चढ़कर बोलने लगा,,,,सूरज पागलों की तरह अपनी मां की गांड को नहीं आ रहा था गहरी गहरी सांस लेने की वजह से उसके बदन में हल्की-हल्की उठाव और बैठाव हो रहा था जिसे देखने में भी सूरज को बहुत मजा आ रहा था वह पीठ के बल लेटे हुए था और उसकी मां करवट लेकर सो रही थी कुछ देर तक इसी तरह से लेते रहने के बाद हो काफी हिम्मत जताकर अपने हाथ को आगे बढ़ाया और अपनी मां की नितंब पर रख दियाअपनी मां की गांड पर अपनी हथेली रखते हैं एक अद्भुत उत्तेजना का संचार उसकी हथेली में महसूस होने लगा जो सीधा उसकी दोनों टांगों के बीच के हथियार पर अच्छी तरह से महसूस कर रही थीयह उत्तेजना पूरी तरह से उसे पागल बना रहे थे अपनी मां की गांड पर हाथ रखकर वह हल्के हल्के उसे सहला रहा थासाड़ी में होने के बावजूद भी सूरज को अपनी मां की गांड का अहसास बड़ी अच्छी तरह से हो रहा था क्योंकि वह काफी कसी हुई साड़ी पहनती थी अपनी मां की गांड पर हाथ फेरने पर उसे अच्छी तरह से एहसास हो रहा था कि उसकी मां की गांड अंदर से कितनी कसी हुई होगीउसे बहुत मजा आ रहा था कुछ देर तक अपनी मां की गांड को सहलाता रहा और उसकी तरफ देखता रहा कि कहीं उसकी आंख ना खुल जाए लेकिन थकान की वजह से सुनैना गहरी नींद में सो रही थी।
अपनी हरकत को अंजाम देकर वह काफी खुश नजर आ रहा था और बेहद उत्साहित भी था क्योंकि वह बहुत बार अपनी मां की गांड पर अपना हाथ फेर रहा था लेकिन उसकी मां के बदन में जरा भी हलचल नहीं हो रहा था क्योंकि वह गहरी नींद में सो रही थी और उसके गहरी नींद में इस तरह से सोनेके चलते सूरज की हिम्मत और ज्यादा बढ़ने लगी थी वह पागल हुआ जा रहा था अपनी मां की बड़ी-बड़ी गांड से पागल कर रही थीऔर फिर वह धीरे से अपने हाथ को ऊपर की तरफ ले जाकर अपनी मां की चिकनी कमर पर हथेली रख दिया और उसे पर अपनी हथेली फिर आने लगा बदन की गर्माहट उसके बदन में उत्तेजना के रस को पूरी तरह से खोल रही थी अपनी मां की चिकनी कमर को अपने हाथ में पकड़ कर एक अद्भुत एहसास में वह पूरी तरह से डूबता चला जा रहा था पल भर के लिए उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि जैसे वह अपनी मां की कमर को दोनों हाथों से पकड़ कर बस उसे चोदने की तैयारी कर रहा है,,,, कमर पर हथेली रखकरहल्के हल्के उसे पर फिराने पर भी उसकी मां के बदन में जरा भी हलचल नहीं हुआ तो वह उत्तेजना वह साल के लड़के अपनी हथेली के दबाव को अपनी मां की कमर पर बढ़ाने लगा था।लेकिन ऐसा करते हुए भी वह अपना सर उठाकर खेत के चारों तरफ देख ले रहा था कि कहीं कोई एक्षआ तो नहीं रहा है जबकि वह इस बात का अच्छी तरह से जानता था कि यहां पर कोई आने वाला नहीं था और वैसे भी इतनी तेज धूप थी कोई अपने घर से बाहर नहीं निकलता था तो इतनी दूर चलकर इस खेत में क्या करने आता।
अपनी मां के साथ एक ही खटिया पर लेटने पर और एकांत पाकर उसकी मां बढ़ने लगा था उसकी हिम्मत बढ़ने लगी थी और उसका सब्र जवाब दे रहा था पजामे में लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आकर खड़ा थावह अपने लंड की रगड़ को अपनी मां की बुर की गहराई में महसूस करना चाहता था लेकिन इस समय ऐसा बिल्कुल भी संभव नहीं था।क्योंकि वह जानता था कि वह अभी अपनी मां से इतना भी नहीं खुल चुका है कि वह अपनी मनमानी कर सके और ना ही उसकी मां उसके मन में क्या चल रहा है यह जानती थी। या उसकी मां को भी यह एहसास नहीं था कि एक पति से महीनो दूर रहने के बाद उसके बदन की प्यास का जायजा खुद उसका बेटा ले चुका है।और वह जानता है कि उसे पुरुष संसर्ग की इच्छा हो रही है,,,और उसकी इस तरह की हरकत पर वह कुछ बोले कि नहीं बस मजा लेती रहेगी कुछ इस बात का डर उसके मन में इस समय जरूर घूम रहा था लेकिन वह इस पल का मजा भी ले लेना चाहता थाइसलिए वह धीरे से अपनी मां की तरफ ही करवट ले लिया और ऐसा करते ही उसके पेट में बना तंबू एकदम से उसकी मां की गांड से रगड़ खाने लगा,,,,।
यह एक बेहद अद्भुत संगम थाऔर ऐसा पहली बार हो रहा था कि भले ही कपड़ों के ऊपर से सूरज अपनी मां की गांड पर अपने लंड का दबाव महसूस करवा रहा था,,, पजामा में बना तंबू पूरी तरह से तूफान पर था ऐसा लग रहा था कि पजामा फाड़कर बाहर आ जाएगा और साड़ी सहित उसकी मां की बुर में घुस जाएगा,,,, यह बेहद अद्भुत भीम का दौर था जिससेसूरज गुजर रहा था वह पागल हुआ जा रहा था बार-बार अपनी मां की गांड पर अपने लैंड का दबाव बना रहा था ऐसा करने में उसके बदन में झुनझुनी सी फेल जा रही थी उसे बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थीलेकिन वह जानता था कि अभी उसके लंड का दबाव केवल नितंबों के ऊपरी सतह पर हो रहा था और वह इस बात को अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां की गांड का गुलाबी छेद कौन सी जगह पर है।इसलिए वह धीरे से थोड़ा सा नीचे सरक गया और अपने लंड को पजामी के ऊपर से ही पकड़ कर वहां अपनी मां के गांड के बीच को बीच की दरार के अंदर रगड़ने लगा और अपनी कमर को आगे की तरफ ठेलने लगा,,, इतने पर भी जबउसकी मां की नींद बिल्कुल भी नहीं खुली और ना ही उसके बाद में जरा भी हलचल हुई तोसूरज की हिम्मत और ज्यादा बढ़ने लगी उसे इस तरह की हरकत करने में बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी वह बेहद उत्तेजित और मदहोश हुआ जा रहा था।
लेकिन उसकी यह हरकत अकल्पनीय थावह कभी सोचा नहीं था कि अपनी मां के साथ इस तरह की हरकत करेगा और वह भी उसके गहरी नींद में होने पर ऐसा तो वह जानता था कि एक न एक दिन जरूर वहांसब कुछ सही रहा तो अपनी मां की जवानी पर पूरी तरह से काबू कर लेगा लेकिन या नहीं जानता था कि खेत में काम करते हुए वह इस तरह से अपनी मां के साथ मजा लेगा उसकी मां की नींद ऐसा लग रहा था कि जैसे गहराई में डूबती चली जा रही थी और इसका फायदा उठाते हुए सूरजबार-बार अपनी मां की गांड के बीचों बीच अपने लंड का दबाव बढ़ा रहा था और उसे रगड़ रहा था,,,अपनी मां की बड़ी-बड़ी गांड का स्पर्श भले ही साड़ी के ऊपर से हो रहा था लेकिन सूरज इतना अत्यधिक उत्तेजना अनुभव कर रहा था कि उसे डर था कि कहीं उसके लंड से पानी न निकल जाए। लंड की अकड पूरी तरह से बढ़ती जा रही थी,,,,, पजामे के अंदर होने के बावजूद भी वह पूरी तरह से अपनी मां की गांड के बीचो-बीच होने का एहसास करा रहा था,,,, इस अकल्पनीय दुसाहस के चलते फिर भी जब उसकी मां की नींद तट से मस नहीं हुई तो उसकी हिम्मत और बढ़ने लगी वह पागल होने लगा उत्तेजना में सरोबोर डूबने के पश्चात वह अपने कदम पीछे नहीं ले पा रहा था अपनी क्रिया से उत्साहित होकर उसका मन निरंतर उसे आगे बढ़ने की प्रेरणा दे रहा था।जिसके चलते वह एक हाथ अपनी मां की कमर पर रखकर हौले हौले से अपनी कमर को आगे पीछे करने लगा था यह उत्तेजना और वासना का मिला-जुला असर था जो उसे इस तरह की क्रिया को करवा रहा था,,,, जबकि इस बात को जानते हुए की उसकी मां साड़ी पहनी हुई है ऐसे मेंउसका लंड उसकी गांड की फांकों को चीरकर उसकी गुलाबी छेद तक नहीं पहुंच सकता,,, लेकिन फिर भी इस क्रिया को करने में उसे बेहद आनंद आ रहा था।
लेकिनसूरज का उत्साह और उत्तेजना कुछ ज्यादा ही बढ़ गया था जिसके चलते उसकी कमरकुछ ज्यादा ही जोर से हिचकोले खाने लगी थी और उसकी ही हरकत सेसुनैना की नियत एकदम से खुल गई थी वह आंख खोल कर कुछ समझने की कोशिश कर रही थी उसे अच्छी तरह से महसूस हो रहा था किकिसी की हथेली उसकी कमर पर थी और उसकी गांड के बीचों बीच कोई नुकीली चीज चुभ रही थी उसे पल भर के लिए कुछ समझ में नहीं आया। वह स्थिति को समझने की कोशिश करने लगी,,,,क्योंकि वह गहरी नींद से एकदम से उठ गई थी उसकी आंख खुल गई थी और स्थिति का जायजा लेने में कुछ पल जरूर लगने वाला था क्योंकि लगभग लगभग वह बेहोशी की हालत से बाहर आई थी,,,, धीरे-धीरे सब कुछ स्पष्ट होने लगा था उसे एहसास होने लगा था कि उसके साथ खटिया पर कोई सो रहा है कोई है जो उसके साथ गंदी हरकत कर रहा हैलेकिन ऐसी हरकत कौन कर सकता है खेत पर तो सिर्फ वह और उसका बेटा ही था ऐसे में तीसरे के आने की आशंका बिल्कुल भी नहीं थी और उसे समझते थे नहीं लगी कि जो कुछ भी उसके साथ हो रहा है उसके पीछे उसके बेटे का यहां थे उसकी खटिया पर उसके पीछे उसका बेटा भी लेटा हुआ है और अपने लंड को साड़ी सहित उसकी बुर में डालने की कोशिश कर रहा है यह एहसास यह ज्ञात होते ही उसके तन बदन में एकदम से झुरझुरी सी फैलने लगी,,,,, उसे अच्छी तरह से महसूस हो रहा था कि उसके बेटे का लंड उसकी साड़ी सहित गांड के बीचों बीच घुसने का प्रयास कर रही थी। यह एहसासउसे पूरी तरह से भीगोने लगा, वह मदहोश होने लगी उसे एहसास होने लगा कि उसके बेटे की हरकत से उसकी बुर पानी छोड़ रही थी।
सुनैना को समझ में नहीं आ रहा था कि वह करें तो क्या करें अपने बेटे को ऐसा करने से कैसे रोके और वैसे भी जिस तरह के हालात थे सुनैना उसे रोकना नहीं चाहती थी क्योंकि उसे भी मजा आने लगा था,,, वह समझ गई थी कि उसके नींद में होने का फायदा उसका बेटा उठा लेना चाहता था और वह कब गहरी नींद में सो गई तो उसे खुद पता नहीं था और उसके गहरी नींद में होने की वजह से ही उसका बेटा उसके साथ इस तरह की हरकत करने पर उतारू हो गया था,,,,, पल भर के लिए सुनैना को अपना पति याद आ गया था जो कुछ देर पहले याद करके वहां गहरी नींद में सो गई थी और वही हरकत उसका बेटा उसके साथ दोहरा रहा था बस फर्क ईतना था कि उसका बेटासाड़ी के ऊपर से मजा ले लेना चाहता था और उसका पति उसकी बुर चटाई से पूरी तरह से उसे मस्त कर दिया था,,,, सुनैना की सांस ऊपर नीचे हो रही थीवह अपने जज्बात पर काबू नहीं कर पा रही थी उसका मन कर रहा था किसी से मैं अपनी साड़ी कमर तक उठाकर अपनी बेटे के लंड को अपने हाथ में पकड़कर उसे अपनी गुलाबी छेद का रास्ता दिखा दे,,, लेकिन इस बात को वह जानती थी कि उसका खुद से ऐसा करना उसे अपने ही बेटे की नजर में रंडी बना देगा छिनार बना देगाऔर उसका बेटा समझ जाएगा कि वह अपने बदन की प्यास बुझाने के लिए हो सकता है कि दूसरों के साथ भी शारीरिक संबंध बनाई हो और ऐसा हुआ बिल्कुल भी नहीं चाहती थी उसका बेटा उसके बारे में कुछ गलत सोच गलत धारणा अपने मन में बना बैठे। इसलिए वह खामोश रहीऔर अपने बेटे की हरकत को महसूस करके मस्त होने लगी और देखना चाहती थी कि इससे ज्यादा उसका बेटा क्या कर सकता है।
लेकिन ऐसा सोचने के बावजूद भी उसके मन में इस बात का डर था कि कहीं कोई इस जगह पर आना जाए और मां बेटे को इस अवस्था में देखकर पूरे गांव वालों में बता दे और वह गांव में किसी को मुंह दिखाने के लायक ना रह जाए। लेकिन इस बात को वह जानती थी कितनी धूप में इतनी दूर खेत में कोई आने वाला नहीं था,,,क्योंकि यह जगह चारों तरफ गेहूं के ऊंचे ऊंचे फसल से घीरी हुई थी दूर से भी यहां पर देखे जाने की आशंका बिल्कुल भी नहीं थी,,, इसलिए मैं थोड़ा निश्चित हो गई लेकिन अपने बेटे की हथेलीका दबाव अपनी कमर पर कुछ ज्यादा ही शख्ती से महसूस कर रही थी जिसका एहसास उसे पानी पानी कर दे रहा था,,,,और वह मन में कल्पना करने लगी थी कि जैसे उसका बेटा उसकी कमर पकड़ कर उसकी बुर में लंड डाल रहा है यह एहसास उसे पूरी तरह से मदहोश कर दे रहा था उसके वजूद को हिला कर रख दे रहा था अभी तक वह अपने बेटे से इस तरह की केवल कल्पना करती थीऔर अपनी कल्पना को साकार करने में उसे जरा भी रुचि नहीं थी क्योंकि वह जानती थी कि उन दोनों के बीच मां बेटे का पवित्र रिश्ता है और वह इस रिश्ते को कलंकित नहीं करना चाहती थी लेकिन इस समय उसके बेटे ने जिस तरह की हरकत की थी उसे डर था कि उसका सब्र का बात कहीं एकदम से टूट न जाए और वह खुद पहल कर दे,,,,लेकिन जैसे तैसे करके वह अपने आप पर काबू करके इस अवस्था में लेती रह गई वह देखना चाहती थी कि उसका बेटा आप अपनी हरकत को आगे बढ़ाता है या ईसी पर अपने आप को रोक देता है।
सूरज की हिम्मत बढ़ने लगी थीउसकी मां के बदन में जरा भी हलचल नहीं हुई थी सूरज को जरा भी एहसास नहीं हुआ था कि उसकी मां जाग चुकी है,,,उसे तो ऐसा ही लग रहा था कि अभी भी उसकी मां गहरी नींद में सो रही है और उसकी हरकत का उसे पता तक नहीं है इसलिए वह अपनी हरकत को बढ़ाना चाहता था उसका मन बढ़ने लगा था उसका दिल की धड़कनऔर भी ज्यादा बढ़ने लगी थी क्योंकि उसके मन में अब अपनी मां की नंगी गांड देखने की चाहत बढने लगी थी और उस पर अपना नंगा लंड रगड़ने को मचलने लगा था,,,,अभी तक के हालात को देखकर वह समझ गया था कि उसकी मा थकान की वजह से बेहद गहरी नींद में सो रही है,,,और ऐसा मौका उसे न जाने कब मिले इसलिए वह आज ही इस मौके का फायदा उठा लेना चाहता था इसलिए धीरे से वह अपने आप को थोड़ा सा अपनी मां के नितंबों से अलग करके धीरे-धीरे साड़ी को ऊपर की तरफ उठाने लगा,,,,लेकिन एक तरफ की साड़ी ऊपर उठ रही थी लेकिन दूसरी तरफ की साड़ी सुनैना के बदन के भार के नीचे दबी हुई थीजिसे ऊपर उठाना थोड़ा मुश्किल था लेकिन नामुमकिन बिल्कुल भी नहीं था और इस बात को शायद सुनैना भी जानती थी इसलिए अपने भजन को एकदम से ढीला छोड़ रखी थी ताकि उसका बेटा उसकी साड़ी को एकदम ऊपर तक उठा सके,,,, सुनैना का सहकार रंग ला रहा था धीरे-धीरे सूरज अपनी मां की साड़ी को जागो तक उठा दिया था उसकी नंगी चिकनी पिंडलियां उसकी उत्तेजना को और ज्यादा बढ़ा रहा था,,,, सुरज के दील की धड़कन बढ़ती जा रही थी।
सुनैना की साड़ी उसका बेटा सूरज जांघों तक उठा दिया था,,,, आधा सफर का पूरा कर चुका था और यही उसके लिए उम्मीद की किरण थी क्योंकि अभी तक उसकी मां के बदन में जरा भी हलचल नहीं हुआ था,,,,यही उसके लिए राहत की सांस लेने जैसा था उसकी हिम्मत बढ़ती जा रही थी अपनी मां की नंगी चिकनी मोटी मोटी जांघों को देखकर जो कि अभी आधी ही दिखाई दी थी वह पूरी तरह से पागल होने लगा था,,,, उसकी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी अपने बेटे की हरकत को महसूस करके ही सुनैना पानी पानी हो रही थी उसे अपने आप पर काबू करना मुश्किल हुआ जा रहा था लेकिन जैसे तैसे करके वह अपने आप को काबू की हुई थी,,,, देखते ही देखते सूरज अपनी मां की साड़ी को उसके नितंबों के उन्नत उठाव के ऊपर की तरफ उठाने लगा था।और ऐसा करने में उसे अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव हो रहा था वह पूरी तरह से मदहोश हुआ जा रहा था,,,, क्योंकि वह जानता था किउसके बगल में उसके लिए दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत लेटी हुई थी जिसे वहकमर से नीचे नंगी कर देना चाहता था और लगभग लगभग उसमें कामयाब भी हो गया था जैसे साड़ी ऊपर की तरफ जा रही थी वैसे वैसे सुनैना की हालत खराब होती जा रही थी वह जानती थी कि थोड़ी देर में उसके बेटे की आंखों के सामने उसकी गांड एकदम से नंगी हो जाएगी और यह एक मां होने के नाते उसके लिए बेहद शर्मनाक पल था लेकिन न जाने क्यों इस शर्मनाक पल मेरी उसे बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी बरसों बाद वह इतनी अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव कर रही थी।
धीरे-धीरे सूरज कामयाब होता चला जा रहा था अपनी मां की साड़ी को वह कमर तक उठाने में कामयाब होने की कगार पर था,,,,, अब बस थोड़ा सा और फिर उसकी आंखों के सामने उसकी मां की नंगी गांड एकदम सेअपना जलवा भी करने के लिए तैयार थी ऐसा करने से पहले वह एक बार फिर से अपने चारों तरफ नजर थोड़ा कर देखने लगा और तसल्ली कर लेने के बाद फिर से अपनी क्रिया में जुड़ गया,,,,और अगले ही पर जिसे खूबसूरत नाटक को शुरू करने से पहले नाटक के मंच पर उसका पर्दा उठाया जाता है इस तरह से सूरज भी एक अद्भुत कार्य एकमदहोश कर देने वाला नाटक खेलने से पहले अपनी मां की साड़ी कमर तक उठा दिया था उसकी आंखों के सामने उसकी मां की बड़ी-बड़ी गदराई जवानी से भरी हुई नंगी गांड अपनी मादकता बिखेर रही थी,,,,,
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