बहुत ही सुंदर लाजवाब शानदार और जानदार मदमस्त अपडेट है भाई मजा आ गयासुनैना और दोनों औरतें,,,सौच करते समय मादक और रसभरी बातें करके गांव की और जाने लगे थे उनके पीछे-पीछे दूरी बनाकर सूरज भी वापस लौट रहा थाजो कुछ भी आज उसने अपनी मां के मुंह से सुना वह काफी दंग कर देने वाला था इस तरह की पहली मुलाकात में उसने अपनी मां के मुंह से इस तरह के अश्लील शब्दों का प्रयोग करते हुए नहीं सुना था लेकिन आज की बात कुछ और थीआज उसे साफ पता चल रहा था कि उसकी मां का मिजाज कुछ बदला हुआ थाऔर यह सब कैसे हो गया उसे बिल्कुल भी नहीं मालूम था खेत में जो कुछ भी हुआ थासूरज को ऐसा ही लग रहा था कि उसकी मां की गहरी नींद में होने से उसने ऐसा कर पाया था लेकिन जबकि ऐसा बिल्कुल भी नहीं था वह इस बात को नहीं जानता था कि उसकी मां नींद में नहीं थी जाग रही थी जितना मजा उसने उसकी नींद में होने का उठाया था उतना ही मजा नींद में होने का नाटक करके उसने भी ली थी,,,। लेकिन सूरज इस बात से अनजान था और आज अपनी मां को इस तरह से खुले शब्दों में बात करते हुए देखकर पूरी तरह से उत्तेजना से भर गया था,,,।
सूरज की किस्मत बहुत तेज थी अपनी मां के साथ-साथ दोनों औरतों को वह दूसरी बार एक साथ सौच करते हुए देख लिया था,,,एक साथ अपनी आंखों के सामने तीन-तीन नंगी गांड देखना यह किस्मत की ही बात थी और वह भी इतने करीब से जिसमें सूरज की खुद सपनों की मल्लिक भी शामिल थी उसकी मां जिसे हर वक्त नंगी देखने का वह आदि हो चुका था,,, सोनू की चाची का वह भोग पहले से ही लगा चुका था इसलिए सोनू की चाची भी उसके जीवन में हम भूमिका रखती थी,, क्योंकि उसके जीवन में औरतों के प्रति आकर्षण जगाने में सर्वप्रथम सोनु की चाची का ही प्रथम और प्रमुख योगदान था,,, जिसमें खुद सोनू ही सहकार किया था,,, वैसे तो अपनी आंखों के सामने तीन-तीन औरतों को कमर तक साड़ी उठाकर बैठी हुई देखकर सूरज का मन बेहद ललच रहा था,,,और वह अपने मन में सोचता भी था कि अगर एक साथ तीनों की चुदाई करने को मिल जाए तो कितना मजा आए एक की बुर में से लंड निकालो तो दूसरे की बुर में दूसरी की बुर में से निकालो तो तीसरी की बुर में,,, जीवन जीने का यही सही तरीका भी है काश ऐसी किस्मत होती तो कितना मजा आता,,, सूरज का एहसास सोचना जायज भी थाक्योंकि उसकी किस्मत इतनी तेज थी कि उसका सोचा सच भी हो सकता था,,,गांव के लड़के की उम्र में शायद उसके जैसा सुख नहीं रोक पाए थे और वह था कि आए थे नई-नई औरतों की बुर पर कब्जा जमा रहा था,,। तीनों औरतों की नंगी बड़ी-बड़ी गांड देखकर कर वह अपने हाथ से ही हिला कर पानी निकाल चुका था,,, जबकि उसे ऐसा करने की जरूरत बिल्कुल भी नहीं थी क्योंकि उसके पास अपनी जवानी की गर्मी मिटाने के लिए जुगाड़ मौजूद था मुखिया की बीवी से लेकर के उसकी खुद की बहन रानी थी,,,जिसके साथ चुदाई करके वह अपनी जवानी की गर्मी शांत कर सकता था लेकिन उसकी आंखों के सामने जो कुछ भी दिखाई दे रहा था वह बेहद अद्भुत और अतुलनीय था।
अपनी आंखों के सामने केमादकता भरे नजारे को देखकर वह अपने आप पर काबू नहीं कर पाया था और उन तीनों को गांड धोकर खड़े होते होते वह अपने हाथ से हिला कर अपना पानी निकाल चुका था,,,,, थोड़ी ही देर में वह अपने घर पहुंच चुका था,,,, कुछ देर तक वह घर के बाहर ही इधर-उधर घूमता रहा खाने का समय हो रहा था उसकी मां कब से हाथ पैर धोकर खाना खाने की तैयारी में लग गई थी,,, खाने की थाली लगाकर उसकी मां रानी को उसे बुलाने के लिए भेजी और वह घर के बाहरजाकर देखने लगी तो सूरज बाहर ही खटिया पर बैठा हुआ था उसे देखते ही वह खाना खाने के लिए बोली और यहां भी हाथ पैर धोकर खाना खाने के लिए आनंद में चला गया जहां पर पहले से ही उसकी मां तीन थाली लगाकर बैठकर इंतजार कर रही थी,,,। सूरज को देखते ही वह बोली,,,।
क्यों रे अभी तो यही था कि मेरे जाते ही कहां निकल गया,,,, जब देखो तब इधर उधर घूमता ही रहता है,,,,।
अरे कहीं नहीं मां तुम गई तो मैं भी थोड़ा इधर-उधर गांव में घूमने लगा,,,,,(सूरज अपनी मां कोजवाब देते हुए बोला मन तो कर रहा था कि बोल दे कि तुम्हारे पीछे-पीछे ही गया था तुम्हारी गांड देखने के लिए लेकिन ऐसा वह बोल नहीं सकता था,,,)
अच्छा चल आकर खाना खा ले,,, हाथ पैर तो धोया है ना,,,।
हां अभी-अभी तो धोकर आ रहा हूं,,,,(इतना कहकर वह अपनी मां के सामने ही बैठ गया और एक थाली अपनी तरफ सरका लिया दूसरी तरफ उसकी बहन रानी बैठ गई और तीनों बैठकर खाना खाने लगे,,, सुनैना चोर नज़रों से अपने बेटे की तरफ देख रही थी और अपने आप से ही बोल रही थी देखो तो चेहरा कितना मासूम है इसका चेहरा देखकर कोई कह नहीं सकता की इतनी गंदी हरकत यह कर सकता है,,, और हरामि का लंड कितना मोटा और लंबा है,,, मासूम चेहरा देखकर कोई बात नहीं सकता की इसके पास गजब का मुसल होगा,,, और सही बात है चेहरा देखकर कोई किसी के भी लंड की लंबाई और मोटाई की कल्पना नहीं कर सकता जब तक कि वह अपनी आंखों से देख ना ले,,,, अपने बेटे की तरफ कर नजरों से देख कर सुनैना अपने मन में बहुत सारी बातें सोच रही थी,,,,उसे यकीन नहीं हो रहा था कि खेत में जिस तरह की हरकत उसका बेटा कर रहा थाउसे यकीन नहीं हो रहा है कि उसकी आंखों के सामने उसका वही मासूम बेटा बैठा हुआ है,,, लेकिन समझ में नहीं आता कि यह ऐसी हरकत करने पर उतारू कैसे हो गया ऐसा क्या हो गया कि वह इस तरह की गंदी हरकत अपनी मां के साथ कर दिया,,,।
अपने मन में उठ रहे इस सवाल का जवाब वह खुद ही अपने आप से ढूंढते हुए अपने मन में बोली,,, जरूरसूरज उसे पेशाब करते हुए देखकर ही इस तरह की हरकत करने पर मजबूर हो गया होगा उसकी नंगी बड़ी-बड़ी गांड देखकर उसका मन डोल गया होगा आखिरकार पूरी तरह से जवान हो चुका है उसकी आंखों के सामने कोई खूबसूरत औरत अपनी गांड दिखाते हुए पेशाब करेगी तो ऐसे में उसका मन तो डोलेगा ही,,,, हां हां मुझे पूरा यकीन है कि मुझे पेशाब करते हुए देखकर ही वह बहक गया होगा,,, आखिरकार गांव की और तुमसे कुछ ज्यादा ही खूबसूरत जो हूं,,, ऐसा तो खुद मेरा बेटा ही बोलता है मेरी खूबसूरती की तारीफ करता है उस दिन बात ही बात में वह मेरी खूबसूरती की तारीफ के साथ-साथ मेरे पिछवाड़े के बारे में भी तो बोला था,,,, वह एकदम साफ लफ्जों में बोला था किमेरी जैसी कई हुई और बड़ी-बड़ी गांड पूरे गांव में किसी औरत की नहीं और शायद यही वजह थी कि,,, मुझे पेशाब करते हुए देख लेने के बाद मेरे बेटे की हालत खराब हो गई और वह खेत मेंमेरी गहरी नींद का फायदा उठाते हुए अपने मुसल को मेरी गांड में बराबर कर रगड़ कर पानी निकाल दिया,,,, सुनैना अपने मन में यही सब सो रही थी और यह सब सोचने पर उसकी बुर पानी छोड़ रही थी,,,,।
दूसरी तरफ सूरजअपनी मां की तरफ देख ले रहा था और वह भी यही सोच रहा था कि इतनी मासूम और खूबसूरत दिखने वाली औरत इस तरह की बात करती होगी मुझे यकीन नहीं हो रहा है,,,, अभी तक तो भाई इस तरह की बात नहीं करती थी लेकिन आज एकाएक उसका सुर बदल गया था,,, शायद ऐसा हो सकता है कि बदन में सुरसुराहट होती है बुर में कुलबुलाहट होती हो क्योंकि काफी समय हो गया है बुर में लंड लिए इसीलिए बदन की जरूरत शब्दों के जरिए बाहर निकल रही है,,,, काश यह मौका मिल पाता कि मैं खुद मां की जवानी की प्यास बुझा पाता तो कितना मजा आता,,,, सूरज खाना खाते हुए ऐसा सोचकर मन ही मन में मत हुआ जा रहा थाअपनी मां के बारे में इस तरह के ख्याल अपने मन में लाना उसे काफी उत्तेजित कर दे रहा था,,,,। और दूसरी तरफ रानी अपने अलग ही ख्यालों में खोई हुई थी,,, ऐसा लग रहा था कि जैसे उसे उसकी मां का राजकुमार मिल चुका था और उससेमुलाकात के लिए तड़प रही थी लेकिन उसके सामने समस्या यह थी कि ना तो वह उसका नाम जानती थी नहीं उसका पता ठिकाना जानती थी बस इतना ही जानती थी कि वह किसी राजघराने से संबंध रखता था।
खाना खा लेने के बाद,,, सुनैना और रानी थोड़ी बहुत सफाई करने के बाद अपने अपने कमरे में चले गएअपने कमरे में जाते ही सुनैना की वही हालत थी कमरे में जाते ही दरवाजे की कड़ी लगाकर वह अपने सारे कपड़े उतार कर अपने हाथों से अपनी जवानी की प्याज बढ़ाने की नाकाम कोशिश करती रही और दूसरी तरफ सूरज अपनी बहन के कमरे में जाकर उसकी चुदाई करता रहा,,,, रानी का रात का कार्यक्रम लगभग एक जैसा ही हो गया था,,,लेकिन हर रात को उसे लगता था कि जैसे आज उसकी पहली रात हो सूरज इस तरह से उसकी चुदाई करता था वह पूरी तरह से मत हो जाती थी लेकिन जब से घुड़सवार को देखी थी तब से उसके मन में उसे घुड़सवार की तस्वीर पूरी तरह से अंकित हो चुकी थी जिसके बारे में वह दिन रात सोचती रहती थी यहां तक कि जब भी उसका भाई उसके साथ शारीरिक संबंध बनाता था तभी अपने भाई के चेहरे में वह उसे घूडसवार का चेहरा दिखाई देने लगा था मन ही मन में वह उस घुड सवार से प्रेम करने लगी थी।
दूसरे दिन खेत पर सुनैनाकी आराम करने की हिम्मत नहीं हुई उसे इस बात का डर था कि अगर वह फिर से आराम करने के लिए खटिया पर लेट जाएगी तो उसका बेटा फिर से वही हरकत दोहराएगाऐसा बिल्कुल भी नहीं था कि उसका मन नहीं कर रहा था उस हरकत का मजा लेने के लिए,,,वह भी अपने बेटे की इस हरकत का मजा फिर से लेना चाहती थी लेकिन एक मां होने के नाते उसे संकोच महसूस हो रहा था,,, वह एक मर्यादाशील औरत थी और वह जानती थी कि इस तरह की हरकत से उसकी मर्यादा की दीवार टूटने में जरा भी वक्त नहीं लगेगा उसी दिन उसकी मर्यादा की यह दीवार टूट गई होती है अगरउसके बेटे सूरज का लंड उसकी बुर में प्रवेश कर गया होता तो क्योंकि उसकी हरकत से ही वह पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी इसलिए आज वह आराम करने की हिम्मत नहीं कर पाई थी,,,और सूरज ने भी उसे आराम करने के लिए नहीं बोला था सूरज को इस बात कर रहा था कि उसकी मां को जरा भी शक हो गया तो बात बिगड़ सकती है इसलिए वह अपनी मां को दोपहर में आराम करने के लिए बिल्कुल भी नहीं बोला था।
शाम को घर लौट के बाद सूरज अपने मन में सोचा कि चलो गांव में घूम कर थोड़ा देख लो और थोड़ा जिसके घर साथी है उसके घर भी जाकर देख लो क्या माहौल है यही सोचकर वहां शाम को गांव घूमने के लिए निकल गया और चलते-चलते वह लाडो के घर पर पहुंच गया,,, जहां पर शादी की तैयारी हो रही थी लाडो के घर के लोग उसके चाचा उसके मामा जोशादी में आए थे वह लोग शादी की तैयारी में लगे हुए थे सभी लोग अपना-अपना काम कर रहे थे सूरज कुछ देर वहीं खड़ा होकर सब कुछ देख रहा था,,,, तभी उसकी नजर कुछ औरतों पर पड़ी जो गोलाई बनाकर घेरे हुए थी और गाना गा रही थी,,,, उत्सुकता वश सूरज उन औरतों के करीब पहुंच गया तो देखा कि वह औरतें हल्दी की रस्म निभा रही थी सूरज को समझने के लिए नहीं लगी कि जिसे हल्दी लग रही है उसका ही नाम लाडो है,,,, लाडो को देखते ही वह इस गौर से देखने लगा और अपने मन में सोचने लगा यह तो वही लड़की है कल तक उसकी नाक बहती थी और आज देखो पूरी तरह से जवानी से खीली हुई है,,,उसे याद आया की बचपन में वह उसके साथ खेल चुका था और वह उसे अच्छी तरह से जानती थी वह उसे देखकर मुस्कुरा रहा था कि तभी दूर से आवाज आई,,,,।
,,, सूरज,,,, ओ,,,,,, सूरज,,,,, इधर आ तो बेटा,,,,,।
(यह आवाज कानों में पडते ही सूरज पीछे की तरफ देखने लगा,,,, कुछ ही दूरी पर,,, वहशख्स कुर्सी पर बैठा हुआ था जिसे देखकर सूरज को समझते देने लगी कि वह लाडो के पिताजी थे वह तुरंत उनके पास गया और बोला,,,)
नमस्ते चाचा जी,,,,।
खुश रहो बेटा,,,, देखो सूरज तुम्हें भी मैं शादी का कार्यभार सौंप रहा हूं,,,, रसोई की सारी तैयारी करने की जिम्मेदारी में तुम्हें सोंपता हूं,,,,और यहां पर कोई लड़का मुझे ऐसा दिखाई नहीं दे रहा है जो इस जिम्मेदारी को अच्छी तरह से निभा पाएगा मैं अच्छी तरह से जानता हूं कि तुम एक जिम्मेदार लड़के हो और इस जिम्मेदारी को अच्छी तरह से निभा पाओगे,,,,।
जी चाचा जी जैसा आप ठीक समझे मैं अपनी तरफ से पूरी कोशिश करूंगा और किसी भी तरह कि शिकायत का मौका नहीं दूंगा,,,।
शाबाश बेटे मुझे तुमसे यही उम्मीद थी,,,,,। अभी थोड़ा सामान आने वाला हैआलू प्याज मसाले वगैरा तुम उसे कमरे में रखवा देना मैं तब तक दूसरा काम देख लेता हूं,,,,(इतना कहकर लाडो के पिताजी वहां से उठकर खड़े हो गए और दूसरी तरफ चले गए सूरज को इस तरह की जिम्मेदारी मिलते ही उसके चेहरे पर एक गर्व की लालिमा छा रही थी उसेलगने लगा था कि अब वह इस तरह की जिम्मेदारी को अच्छी तरह से उठा सकता है और वह तुरंत कुर्सी पर बैठ गया और उन औरतों की तरफ देखने लगा जो अभी भी हल्दी की रस्म निभा रही थी,,,, थोड़ी देर में हल्दी की रस्म पूरी हो गई और लाड़ो अपने कमरे में चली गई,,, सूरज उसे जाता हुआ देख रहा थाऔर कुछ ही वर्षों में जिस तरह का बदलाव उसके बदन में आया था इसका जायजा ले रहा था उसके कमर के नीचे का भार उसके नितंबों का घेराव जिस तरह से फला फुला था उसे देखकर उसका लंड फुलने लगा था वाकई में,,, लाडो पूरी तरह से जवानी से भरी हुई थी,,, लाडो अपने कमरे में जा चुकी थी और थोड़ी ही देर में उसके पिताजी के कहे अनुसार आलू प्याज और कुछ मसाले लेकर एक आदमी आ चुका था और सब कुछ अपनी निगरानी में वह उसे वहीं पर उतरवा लिया था,,,, वह सामान के पास कुर्सी पर बैठा ही था कि तभी लाडो की मां वहीं से गुजरने लगी तो सूरज एकदम से अपनी जगह से उठकर खड़ा हो गया और बोला,,,)
नमस्ते चाची,,,,।
खुश रहो बेटा,,, तुम तो सूरज हो ना अपने भोला के बेटे,,,।
जी चाची,,,, अच्छा चाची यह रसोई का समान है इसे कहां रखवाना है,,,।
बेटा इस सामने ले जाकर कमरे में रख देना,,,।
ठीक है चाची,,,,(इतना कहकर वहां दूसरी ओर चली गई धीरे-धीरे अंधेरा बढ़ने लगा था और जो काम सूरज को मिला था उसे करना जरूरी था,,, वह आलू का बोरा उठाया और अपने कंधे पर रख लिया और सामने कमरे की तरफ जाने लगा,,,,घर में प्रवेश करते ही उसे समझ में नहीं आ रहा कि किसी और जाना है दोनों तरफ कमरे बने हुए थे और सामने पतली सी जगह थी जिसके पीछे भी कमरे बने थे,,,, कुछ देर वही आलू की बोरी लेकर खड़े रहने के बाद वह बगल वाले कमरे की तरफ जाने लगालेकिन देखा तो कमरा बंद था उसे पर ताला लगा हुआ था इसलिए वह थोड़ा सा और आगे बढ़ गया और दरवाजे के पास आकर खड़ा हो गया दरवाजा हल्का सा खुला हुआ था और वह बिना आवाज दिए ही अंदर प्रवेश कर गया,,,, अंदर प्रवेश करते ही देखा तो सामने लाडो बैठी हुई थी,,,, उसे देखते ही सूरज एकदम से खुश होता हुआ बोला,,,)
अरे लाड़ो,,,,(आलू की बोरी को कमरे के कोने में रखते हुए) तू तो एकदम बड़ी हो गई रे
लाडो जो इस तरह से कमरे का दरवाजा खुलने से थोड़ा घबरा गई थी वह सूरज को पहचानती थी उसकी आवाज को पहचानती थी इसलिए एकदम से खुश होते हुए बोली,,,,।
अरे सूरज तु यहां,,,,, यह क्या कर रहा है,,,।
तुम्हारे पिताजी ने ही मुझे रसोई का काम देखने के लिए बोला है इसलिए रसोई का सामान यहां लेकर आ रहा हूं,,,, लेकिन लाडो देखते ही देखते तुम इतनी बड़ी हो गई कि आज तुम्हारी शादी हो रही है बोलो,,,,।(सूरज खुश होता हुआ बोला)
मुझे तो बहुत डर लग रहा है सूरज,,,,
डर ,,,, कैसा डर,,,,तुम्हें तो खुश होना चाहिए गांव की लड़कियों की शादी होती तो वह कितना खुश हो जाती है और तुम हो कि डर रही हो,,,,।
पता नहीं क्यों लेकिन मुझे डर लग रहा है,,,,।
ओहहह अब समझा तुम किस लिए डर रही हो,,,(अपनी कमर पर हाथ रखते हुए) तुम्हारा डर थोड़ा जायज है क्योंकि कल के बाद एक नए माहौल में एक नए घर में नए व्यक्तियों के साथ तुम्हारी मुलाकात होगीतुम्हारा अपना पति इसके बारे में तुमको जानती नहीं होगी ऐसे शख्स से तुम्हारी मुलाकात होगी तो थोड़ा बहुत तो डर मन में होगा ही,,,,,,।
तुम बिल्कुल ठीक कह रहे हो सूरज,,, मेरा मन यही सोच सोच कर घबरा रहा है कि क्या होगा कैसे होगा,,,(इतना कहते हुए वहां अपने बिस्तर से उठकर खड़ी हो गई और सूरज के पास आ गई,,, लाडो पूरी तरह से मासूम थी भले ही शादी के लायक हो चुकी थी और कल उसकी शादी थी लेकिन अभी तक वह शरीर सुख प्राप्त नहीं कर पाई थी और यही उसके मन में डर बना हुआ था कि कल क्या होगा शादी के बाद उसका पति उसके साथ कैसे पैश आएगा,,,, कमरे में लालटेन चल रही थी जिसकी रोशनी में लाडो का चेहरा एकदम साफ दिखाई दे रहा था लालटेन की पीली रोशनी में हल्दी लगाई हुई लाडो भला की खूबसूरत लग रही थी उसे देखकर सूरज के दिल में कुछ-कुछ हो रहा था लाडो की बात सुनकर वह मुस्कुराते हुए बोला,,,)
सब ठीक होगा तुम इतनी खूबसूरत हो कि तुम्हारा पति तुम्हें देखता ही रह जाएगा,,,(सूरज अपनी कलाबाजियां बिखरने लगा था अपनी बातों की बाण को लाडो के मन पर चलने लगा था इस बात को अच्छी तरह से जानती थे की औरत को क्या सुनना पसंद है और इस समय वह वही कर रहा था,,, सूरज के मुंह से अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनकर लाडो मन ही मन खुश होने लगी,,,, फिर भी उसकी बात सुनकर वह बोली,,,)
मुझे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा है,,,, और वैसे भी इस घर को छोड़कर जाने का मन नहीं कर रहा है,,,।
यह तो होना ही है लाडो लड़कियों को मां-बाप का घर छोड़ कर जाना ही पड़ता है तभी तो वह एक नई दुनिया बसाती है और सही पूछो तो मजा तो शादी के बाद ही आता है,,,, पर मुझे मालूम है कि तुम्हारे मन में किस बात को लेकर घबराहट है,,,,।
किस बात को लेकर,,,,,( लाडो भी अपने दोनों हाथ को कमर पर रखते हुए बोली उसकी यह अदा देखकर,,, सूरज के लंड ने अंगड़ाई लेना शुरू कर दिया था उसका तो मन कर रहा था कि इसी समय लाडो को अपनी बातों में लेकर सुहागरात के पहले ही वह खुद उसके साथ सुहागरात मना ले लेकिन इस समय यहां पर किसी के भी आने की आशंका बनी हुई थी इसलिए वह अपने मन को मनाते हुए बोला,,,)
देखो मुझे मालूम है लेकिन तुम्हारे सामने कहना मुझे ठीक नहीं लग रहा है,,,,,,(उसका इतना कहना था कि तभी वहां पर किसी के आने की आहट सुनाई थी और सूरज अपने आप को एकदम से संभालते हुए धीरे से बोला,,,) लेकिन कल जाते-जाते तुम्हें मैं बता दूंगा,,, और अच्छी तरह से समझा दूंगा तुम्हारे मन से डर बिल्कुल निकल जाएगा,,,,(उसका इतना कहना था कि लाडो की मां वहां पर आ गई और बोली,,,)
बेटा सूरज बाकी का सामान भी यहां पर रख दो,,, और कल समय पर आ जानाअब शादी में रसोई की जिम्मेदारी तुम्हारी ही है,,,।
तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो चाची,,,, लाडो मेरी भी तो बहन है,,, कोई कमी नहीं आने दूंगा,,,।
बहुत अच्छे बेटा,,,, अच्छा चलो लाडो तुम्हारी मामी तुमसे मिलना चाहती है,,,,,,,(इतना कहते हुए लाडो की मां लाडो को लेकर कमरे से बाहर चली गई,,, और सूरज बाकी का सामान उसी कमरे में रखकर वह भी अपने घर चला गया।)
ये सुनैना अपनी प्यासी जवानी को किसी तरहा से संभाले हुए थी उसके मन में सुरज का बलशाली लंड बस गया था लेकीन आडे आ रही थी मर्यादा की दिवार
वही राणी भी घुडसवार को अपना दिल दे चुकी थी पर उसे उसके बारें में कुछ भी पता नहीं था वो बात अलग हैं की वो सुरज से रोज चुदाई का मजा लेती थी
ये लाडो जिसकी शादी होने वाली है वहा पर सुरज ने अपना जाल बुनना शुरु कर दिया और उस जाल में लाडो की चुद का उध्दार सुरज के लंड से होने की संभावना लगती हैं
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा