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Incest पहाडी मौसम

rohnny4545

Well-Known Member
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बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
अपनी माँ और गाँव की दुसरी औरतों के साथ दुसरे गाँव नाच गाणे के लिये जातें समय सुरज सोनू की चाची के गदराये बदन के बारें में सोच कर उत्तेजना महसुस कर रहा था लेकीन कुछ हो सकने की संभावना नहीं थी
पास के गाँव में नाच गाणे के दौरान वहा एक नयी नवेली भाभी दिखी और अपना सुरज उसे पटाने के काम में लग गया और जल्दी ही उसने उस शादी शुदा लेकीन अपने नामर्द पती से सुहागरात भी ना मना पायी अनचुदी भाभी के साथ सुहागरात मना कर उसे तृप्त कर दिया और फिर मिलने का वादा करके अपने गाँव लौट गया
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
Thanks dear

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rohnny4545

Well-Known Member
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पड़ोस वाली गांव में जाकर शर्मा जी की बहू के साथ संभोग सुख प्राप्त करके सूरज का आत्मविश्वास और ज्यादा बढ़ गया था वह कभी सोचा नहीं था कि पड़ोस वाले गांव जाने के बाद उसे एक नई नवेली दुल्हन की जवानी का स्वाद चखने को मिलेगा जो अपनी पहली सुहागरात से ही प्यासी थी इसका अंदाजा सूरज उसकी कई हुई बुर में अपना लंड डालकर लगा चुका था,,, सूरज ने उसे ठीक तरह से देखा भी नहीं था और ऐसे में वह मौके की नजाकत को देखते हुए उसके साथ शरीर संबंध बना लिया था जो की सफलतापूर्वक पार हो चुका था,,,।



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और इस बारे में किसी को कानों कान भनक तक नहीं लगी,,, सूरज वहीं औरतों के बीच न जाने कब शर्मा जी की बहू को पटा लिया और पटाने के बाद उसकी मदद करने के बहाने उसके साथ घर के अंदर भी चला गया जहां पर चारों तरफ अंधेरा था,,, सूरज इतना तो समझ गया था की शादी की पहली रात से ही वह प्यासी थी और जरा सी उसकी हरकत से वह मदहोश हो जाएगी और ऐसा ही हुआ था चंदा अपने आप पर काबू नहीं कर पाई थी और शादी के बाद से अपने अंदर दबी प्यास को बाहर निकाल कर वह अपनी इच्छा की संतुष्टि कर ली थी और उसे फिर से आने का न्योता भी दे दी थी,,,।



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सूरज के तो वारे न्यारे हो गए थे,,, धीरे-धीरे उसकी जिंदगी में एक से एक खूबसूरत औरतें आ रही थी और अपनी जवानी का स्वाद उसे चखा रही थी और अब सूरज को औरत की प्यास लग चुकी थी औरतों का संग उसे अच्छा लगने लगा था,,,, और वह अपने आप में ही अंदर ही अंदर बहुत खुश रहने लगा था लेकिन उसका सारा ध्यान इधर-उधर से हटकर अपनी मां पर ही टिक जाता था औरतों की संगत में उसे इतना तो पता ही चल गया था कि औरत किस हालत में प्यासी रहती है और उसे अपनी मां के हालात के बारे में अच्छी तरह से मालूम था,,, वह जानता था कि महीना गुजर गए थे उसकी मां प्यासी थी क्योंकि उसके पिताजी घर पर नहीं थे,,,, ऐसे हालात में उसकी मां को भी मर्द की जरूरत पड़ती होगी,, और इस बात का एहसास सूरज को अच्छी तरह से था इसीलिए तो वह अपनी मां को प्यासी नजरों से देखा करता था लेकिन आगे बढ़ने की उसकी हिम्मत नहीं होती थी,,,।




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ऐसे ही कुछ दिन गुजारने के बाद उसे याद आया कि उसकी मां पहाड़ी के उस पार से आंवला लाने के लिए कहीं थी ताकि तेल बना सके,,, और अपनी मां के मुंह से यह बात सुनते ही वह उसे जगह पर अपनी बहन को अपने साथ ले जाना चाहता था क्योंकि जिस दिन से वह घर के बगल जहां गाय भैंस बांधी जाती है वहां पर पेशाब करते हुए देखा था तब से वह अपनी बहन की भी जवानी का दीवाना हो चुका था,,, अपनी बहन की मदमस्त जवानी से भरी हुई गांड देखकर उसकी गांड का दीवाना हो चुका था और किसी बहाने उसे भी नीलू की तरह अपने बस में करना चाहता था उसे पूरा यकीन था कि वह अपनी बहन रानी को भी अपने बस में कर लेगा ,,, क्योंकि वह चाहता था नीलू और उसकी बहन मैं कुछ ज्यादा फर्क नहीं था जब नीलू करवा सकती है तो उसकी बहन क्यों नहीं,,, और यही पूछने के लिए वह अपनी मां से इजाजत लेना चाहता था कि वह रानी को लेकर वाला तोड़ने के लिए कब जाए,,,।




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इसलिए वह अपने घर पर अपनी मां को इधर-उधर छोड़ रहा था लेकिन उसकी मां उसे कहीं नजर नहीं आ रही थी तो वह घर पर काम कर रही अपनी बहन रानी से पूछा,,,।

मां कहां है,,,?

मां,तो खेतों पर गई है काम करने के लिए,,,।

ओहहह,,, तभी मैं कब से इधर-उधर ढूंढ रहा हूं,,,और मा कही दिखाई नहीं दे रही है,,,।

वैसे काम क्या है भैया,,,!

अरे आंवला तोड़ने के लिए जाना था ना,,, उसी के बारे में पूछना था,,,।

तब तो मैं भी चलूंगी भैया,,,,।

हां हां तुझे भी ले जाऊंगा,,,, तभी तो मां से पूछने आया था क्योंकि अकेले में थोड़ी कर पाऊंगा,,,,।


तो ठीक है भैया जल्दी से मां से पूछ लो,,,

अरे अब पूछने के लिए खेत पर जाना पड़ेगा और देख रही है कितना धूप है,,,,।

तो क्या हो गया भैया इधर-उधर तो घूमते रहते हो घूमते घूमते चले जाओ खेत पर,,,।

अब तो जाना ही होगा,,,,(और इतना कहने के साथ ही वहां खेत पर जाने के लिए निकल गया अपनी बहन को वाला तोड़ने जाने के लिए उत्साहित देखकर सूरज मन ही मन प्रसन्न होने लगा,,,, क्योंकि इस बार सूरज पहाड़ी के दूसरी तरफ आंवला के लिए जाने वाला था,,, जहां पर झरना भी बहता था और बेहद खूबसूरत नजारा भी था,,,, सूरज धीरे-धीरे अपने खेत की और आगे बढ़ने लगा उसके मन में ढेर सारे ख्याल उमड़ रहे थे खासकर के वह इस बारे में सोच रहा था कि अपनी बहन रानी को किस तरह से लाइन पर लाया जाए,,,।

क्योंकि वह इस बात को अच्छी तरह से जानता था कि उसकी बहन दूसरी लड़कियों की तरह बिल्कुल भी नहीं थी और खासकर के नीलू और शालु की तरह तो बिल्कुल भी नहीं भले ही नीलू और शालू के ही उम्र की उसकी बहन रानी थी लेकिन उन दोनों और उसकी बहन के चरित्र में जमीन आसमान का फर्क था,,, और वह इस बात को भी अच्छी तरह से जानता था कि एक चरित्रवान औरत को लाइन पर लाना कितना कठिन काम है अभी तक तो सूरज को जितनी भी औरतों और लड़की मिलती जा रही थी उन लोगों के चरित्र पर पहले से ही संदेह था लेकिन रानी उनमें से सबसे अलग क्योंकि वह उसकी बहन थी,,,,।

सूरज इसलिए भी थोड़ा परेशान था कि अगर दूसरी कोई लड़की होती तो शायद वह अपने दिल की बात या अपनी हरकत से उसे लाइन पर ले आता लेकिन यहां तो खुद उसकी बहन थी और वह भी सगी अगर उसकी हरकत से मान गई तो बात बन गई लेकिन अगर नहीं मानी तो समझो सारे किए कराए पर पानी फिर जाएगा अगर वह घर पर बता देगी तो इज्जत भी जाती रहेगी और जो डांट फटकार सुनेगा वह अलग से इसीलिए वह इस खेल में धीरे-धीरे आगे बढ़ना चाहता था,,, शालू के साथ आम के बगीचे में ही उसका आधा काम बन चुका था और दोबारा सालों के आने पर वह अपनी मुराद पूरी कर लिया था,,,, खैर शालू तो फिर भी चालू किस्म की लड़की थी लेकिन उसकी बहन रानी कुछ अलग ही किस्म की लड़की थी क्योंकि अभी तक सूरज ने उसे ना तो बेवजह गांव में घूमते हुए देखा था और ना ही उसकी ज्यादा सहेलियां थी जिसे वह गप्पे लड़ाया करें वह हमेशा काम से ही कम रखती थी और ज्यादातर वह घर में ही रहती थी और इसी से वह अंदाजा लगा लिया था कि उसकी बहन देसी लड़कियों की तरह बिल्कुल भी नहीं थी,,,।

और इसीलिए यह खेल ज्यादा मुश्किल हुआ जा रहा था क्योंकि वह जानता था की रानी को लाइन पर लाने में नाको चना चबाना पड़ेगा,,,,। यही सोचते हुए वहां खेत की ओर आगे बढ़ता चला जा रहा था और उसे पहले की बातें याद आ रही थी और वह भी खास करके अपनी बहन के साथ बिताए हुए वक्त के बारे में वह सोच रहा था क्योंकि पहले वह अपनी बहन के साथ खूब हंसी मजाक किया करता था उसे अपनी गोद में भी उठा लिया करता था उसका हाथ पकड़ कर खेतों में इधर-उधर दौड़ता था लेकिन आप बात बदल चुकी थी हालात बदल चुके थे अब औरत को देखने का नजरिया उसकी पूरी तरह से बदल चुका था पहले वह अपनी मां और बहन दोनों को मां बहन के पवित्र रिश्ते के नजरिए से ही देखा था लेकिन जिस दिन से मुखिया की बीवी से मुलाकात हुआ था उसकी जवानी का स्वाद चखता कब से औरत को देखने का नजरिया ही उसका बदला चुका था और फिर उसकी आंखों के सामने भले ही उसकी मां हो या उसकी बहन सब में उसे एक औरत ही नजर आती थी,,,।

उसे अच्छी तरह से याद था कि जब वह अपनी बहन के साथ चोरी चुपके आम तोड़ने गया था और जब आम के बगीचे का मालिक उन दोनों को देख लिया था तो उन दोनों को लाठी लेकर दौड़ी था और सूरज अपनी बहन को सहारा देकर उसे दीवाल की दूसरी तरफ खुदाया था और सहारा देने पर उसके दोनों हाथ उसकी बहन के नितंबों पर था उसकी गदराई गांड को अपनी दोनों हाथों से पकड़ा हुआ था,, और उसे उठाकर जल्दी से दीवार की दूसरी तरफ करना चाहता था लेकिन उसे समय उसके नजरिया में बिल्कुल भी गंदा पर नहीं था इसलिए यह सब हरकत उसे बिल्कुल भी गंदी नहीं लगी थी और नहीं उसके बहन को कुछ अजीब लगा था,,,।

लेकिन इस समय उन सब बातों के बारे में सोच कर सूरज उत्तेजित हुआ जा रहा था यह सोचकर उसके बदन में उत्तेजना की लहर और ज्यादा दौड़ने लगी थी कि वह अपनी बहन की गांड को पकड़कर उसे उठाया था,,, और यह वही गांड थी जब वह अपने घर के बगल में अपनी बहन को पेशाब करते हुए देखा था और उसकी वही नंगी गांड को देखकर वह अपनी बहन की तरफ आकर्षित हो चुका था उसकी गोरी गोरी सीमित आकार में फैली हुई गांड का वह दीवाना हो चुका था,,, और उसे पाने के लिए वह तड़प रहा था,,,,,,।

यही सब सोचता हुआ सूरज धीरे-धीरे अपने खेत पर पहुंच चुका था,, वैसे तो उसके पिताजी मुखिया के ही खेतों पर काम किया करते थे लेकिन उनका खुद का भी खेत था लेकिन खुद के खेत में काम करके गुजारा करना मुश्किल था इसलिए दूसरे के खेतों पर भी काम करना पड़ता था,,,,, सूरज अपने खेत में पहुंच चुका था जिसने गन्ना बोया हुआ था और वहां एकदम आंठ आंठ फुट का होकर चारों तरफ लहरा रहा था ,, धीरे-धीरे सूरज गन्ने के खेत में से आगे बढ़ता चला जा रहा था,,, गन्ना इतना बड़ा बड़ा था कि दूर-दूर से खेत में कौन है देखा नहीं जा सकता था इसलिए सूरज को भी अपनी मां को ढूंढने में परेशानी हो रही थी लेकिन वह जानता था कि खेत के बीच में,,, रखवाली करने के लिए थोड़ी सी जगह बनी हुई थी और वहीं पर ट्यूबवेल भी था और एक छोटी सी कच्ची झोपड़ी भी थी क्योंकि दोपहर में आराम करने के लिए बनी हुई थी,,,।

देखते ही देखते सूरज खेतों के बीच में पहुंच गया लेकिन फिर भी उसकी मां उसे कहीं नजर नहीं आई लेकिन तभी वह आवाज लगाने वाला था कि उसकी नजर टिप बेल के पास गई जहां पर सामने ही उसकी मां उसकी तरफ पीठ करके खड़ी थी और वह आवाज देकर इससे पहले ही वह ठीक तरह से अपनी मां को देखा तो उसकी सांस एकदम से रुक गई क्योंकि उसकी मां अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ करके अपने ब्लाउज की डोरी को खोल रही थी और यह नजारा देखकर सूरज के तन बदन में मदहोशी का रस घुलने लगा,,, ट्यूबवेल चालू था उसमें से पानी निकल रहा था वह समझ गया कि गर्मी के कारण उसकी मां नहाने जा रही है और वह तुरंत अपने आप को कर लो के फसल के पीछे लेकर और चुपके अपनी मां की तरफ देखने लगा जो कि इस बात से अनजान थी कि खेत में उसका बेटा सूरज आया है,,, और वह धीरे-धीरे अपने ब्लाउज की डोरी खोल रही थी।
 
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Ajju Landwalia

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पड़ोस वाली गांव में जाकर शर्मा जी की बहू के साथ संभोग सुख प्राप्त करके सूरज का आत्मविश्वास और ज्यादा बढ़ गया था वह कभी सोचा नहीं था कि पड़ोस वाले गांव जाने के बाद उसे एक नई नवेली दुल्हन की जवानी का स्वाद चखने को मिलेगा जो अपनी पहली सुहागरात से ही प्यासी थी इसका अंदाजा सूरज उसकी कई हुई बुर में अपना लंड डालकर लगा चुका था,,, सूरज ने उसे ठीक तरह से देखा भी नहीं था और ऐसे में वह मौके की नजाकत को देखते हुए उसके साथ शरीर संबंध बना लिया था जो की सफलतापूर्वक पार हो चुका था,,,।

और इस बारे में किसी को कानों कान भनक तक नहीं लगी,,, सूरज वहीं औरतों के बीच न जाने कब शर्मा जी की बहू को पटा लिया और पटाने के बाद उसकी मदद करने के बहाने उसके साथ घर के अंदर भी चला गया जहां पर चारों तरफ अंधेरा था,,, सूरज इतना तो समझ गया था की शादी की पहली रात से ही वह प्यासी थी और जरा सी उसकी हरकत से वह मदहोश हो जाएगी और ऐसा ही हुआ था चंदा अपने आप पर काबू नहीं कर पाई थी और शादी के बाद से अपने अंदर दबी प्यास को बाहर निकाल कर वह अपनी इच्छा की संतुष्टि कर ली थी और उसे फिर से आने का न्योता भी दे दी थी,,,।

सूरज के तो वारे न्यारे हो गए थे,,, धीरे-धीरे उसकी जिंदगी में एक से एक खूबसूरत औरतें आ रही थी और अपनी जवानी का स्वाद उसे चखा रही थी और अब सूरज को औरत की प्यास लग चुकी थी औरतों का संग उसे अच्छा लगने लगा था,,,, और वह अपने आप में ही अंदर ही अंदर बहुत खुश रहने लगा था लेकिन उसका सारा ध्यान इधर-उधर से हटकर अपनी मां पर ही टिक जाता था औरतों की संगत में उसे इतना तो पता ही चल गया था कि औरत किस हालत में प्यासी रहती है और उसे अपनी मां के हालात के बारे में अच्छी तरह से मालूम था,,, वह जानता था कि महीना गुजर गए थे उसकी मां प्यासी थी क्योंकि उसके पिताजी घर पर नहीं थे,,,, ऐसे हालात में उसकी मां को भी मर्द की जरूरत पड़ती होगी,, और इस बात का एहसास सूरज को अच्छी तरह से था इसीलिए तो वह अपनी मां को प्यासी नजरों से देखा करता था लेकिन आगे बढ़ने की उसकी हिम्मत नहीं होती थी,,,।

ऐसे ही कुछ दिन गुजारने के बाद उसे याद आया कि उसकी मां पहाड़ी के उस पार से आंवला लाने के लिए कहीं थी ताकि तेल बना सके,,, और अपनी मां के मुंह से यह बात सुनते ही वह उसे जगह पर अपनी बहन को अपने साथ ले जाना चाहता था क्योंकि जिस दिन से वह घर के बगल जहां गाय भैंस बांधी जाती है वहां पर पेशाब करते हुए देखा था तब से वह अपनी बहन की भी जवानी का दीवाना हो चुका था,,, अपनी बहन की मदमस्त जवानी से भरी हुई गांड देखकर उसकी गांड का दीवाना हो चुका था और किसी बहाने उसे भी नीलू की तरह अपने बस में करना चाहता था उसे पूरा यकीन था कि वह अपनी बहन रानी को भी अपने बस में कर लेगा ,,, क्योंकि वह चाहता था नीलू और उसकी बहन मैं कुछ ज्यादा फर्क नहीं था जब नीलू करवा सकती है तो उसकी बहन क्यों नहीं,,, और यही पूछने के लिए वह अपनी मां से इजाजत लेना चाहता था कि वह रानी को लेकर वाला तोड़ने के लिए कब जाए,,,।

इसलिए वह अपने घर पर अपनी मां को इधर-उधर छोड़ रहा था लेकिन उसकी मां उसे कहीं नजर नहीं आ रही थी तो वह घर पर काम कर रही अपनी बहन रानी से पूछा,,,।

मां कहां है,,,?

मां,तो खेतों पर गई है काम करने के लिए,,,।

ओहहह,,, तभी मैं कब से इधर-उधर ढूंढ रहा हूं,,,और मा कही दिखाई नहीं दे रही है,,,।

वैसे काम क्या है भैया,,,!

अरे आंवला तोड़ने के लिए जाना था ना,,, उसी के बारे में पूछना था,,,।

तब तो मैं भी चलूंगी भैया,,,,।

हां हां तुझे भी ले जाऊंगा,,,, तभी तो मां से पूछने आया था क्योंकि अकेले में थोड़ी कर पाऊंगा,,,,।


तो ठीक है भैया जल्दी से मां से पूछ लो,,,

अरे अब पूछने के लिए खेत पर जाना पड़ेगा और देख रही है कितना धूप है,,,,।

तो क्या हो गया भैया इधर-उधर तो घूमते रहते हो घूमते घूमते चले जाओ खेत पर,,,।

अब तो जाना ही होगा,,,,(और इतना कहने के साथ ही वहां खेत पर जाने के लिए निकल गया अपनी बहन को वाला तोड़ने जाने के लिए उत्साहित देखकर सूरज मन ही मन प्रसन्न होने लगा,,,, क्योंकि इस बार सूरज पहाड़ी के दूसरी तरफ आंवला के लिए जाने वाला था,,, जहां पर झरना भी बहता था और बेहद खूबसूरत नजारा भी था,,,, सूरज धीरे-धीरे अपने खेत की और आगे बढ़ने लगा उसके मन में ढेर सारे ख्याल उमड़ रहे थे खासकर के वह इस बारे में सोच रहा था कि अपनी बहन रानी को किस तरह से लाइन पर लाया जाए,,,।

क्योंकि वह इस बात को अच्छी तरह से जानता था कि उसकी बहन दूसरी लड़कियों की तरह बिल्कुल भी नहीं थी और खासकर के नीलू और शालु की तरह तो बिल्कुल भी नहीं भले ही नीलू और शालू के ही उम्र की उसकी बहन रानी थी लेकिन उन दोनों और उसकी बहन के चरित्र में जमीन आसमान का फर्क था,,, और वह इस बात को भी अच्छी तरह से जानता था कि एक चरित्रवान औरत को लाइन पर लाना कितना कठिन काम है अभी तक तो सूरज को जितनी भी औरतों और लड़की मिलती जा रही थी उन लोगों के चरित्र पर पहले से ही संदेह था लेकिन रानी उनमें से सबसे अलग क्योंकि वह उसकी बहन थी,,,,।

सूरज इसलिए भी थोड़ा परेशान था कि अगर दूसरी कोई लड़की होती तो शायद वह अपने दिल की बात या अपनी हरकत से उसे लाइन पर ले आता लेकिन यहां तो खुद उसकी बहन थी और वह भी सगी अगर उसकी हरकत से मान गई तो बात बन गई लेकिन अगर नहीं मानी तो समझो सारे किए कराए पर पानी फिर जाएगा अगर वह घर पर बता देगी तो इज्जत भी जाती रहेगी और जो डांट फटकार सुनेगा वह अलग से इसीलिए वह इस खेल में धीरे-धीरे आगे बढ़ना चाहता था,,, शालू के साथ आम के बगीचे में ही उसका आधा काम बन चुका था और दोबारा सालों के आने पर वह अपनी मुराद पूरी कर लिया था,,,, खैर शालू तो फिर भी चालू किस्म की लड़की थी लेकिन उसकी बहन रानी कुछ अलग ही किस्म की लड़की थी क्योंकि अभी तक सूरज ने उसे ना तो बेवजह गांव में घूमते हुए देखा था और ना ही उसकी ज्यादा सहेलियां थी जिसे वह गप्पे लड़ाया करें वह हमेशा काम से ही कम रखती थी और ज्यादातर वह घर में ही रहती थी और इसी से वह अंदाजा लगा लिया था कि उसकी बहन देसी लड़कियों की तरह बिल्कुल भी नहीं थी,,,।

और इसीलिए यह खेल ज्यादा मुश्किल हुआ जा रहा था क्योंकि वह जानता था की रानी को लाइन पर लाने में नाको चना चबाना पड़ेगा,,,,। यही सोचते हुए वहां खेत की ओर आगे बढ़ता चला जा रहा था और उसे पहले की बातें याद आ रही थी और वह भी खास करके अपनी बहन के साथ बिताए हुए वक्त के बारे में वह सोच रहा था क्योंकि पहले वह अपनी बहन के साथ खूब हंसी मजाक किया करता था उसे अपनी गोद में भी उठा लिया करता था उसका हाथ पकड़ कर खेतों में इधर-उधर दौड़ता था लेकिन आप बात बदल चुकी थी हालात बदल चुके थे अब औरत को देखने का नजरिया उसकी पूरी तरह से बदल चुका था पहले वह अपनी मां और बहन दोनों को मां बहन के पवित्र रिश्ते के नजरिए से ही देखा था लेकिन जिस दिन से मुखिया की बीवी से मुलाकात हुआ था उसकी जवानी का स्वाद चखता कब से औरत को देखने का नजरिया ही उसका बदला चुका था और फिर उसकी आंखों के सामने भले ही उसकी मां हो या उसकी बहन सब में उसे एक औरत ही नजर आती थी,,,।

उसे अच्छी तरह से याद था कि जब वह अपनी बहन के साथ चोरी चुपके आम तोड़ने गया था और जब आम के बगीचे का मालिक उन दोनों को देख लिया था तो उन दोनों को लाठी लेकर दौड़ी था और सूरज अपनी बहन को सहारा देकर उसे दीवाल की दूसरी तरफ खुदाया था और सहारा देने पर उसके दोनों हाथ उसकी बहन के नितंबों पर था उसकी गदराई गांड को अपनी दोनों हाथों से पकड़ा हुआ था,, और उसे उठाकर जल्दी से दीवार की दूसरी तरफ करना चाहता था लेकिन उसे समय उसके नजरिया में बिल्कुल भी गंदा पर नहीं था इसलिए यह सब हरकत उसे बिल्कुल भी गंदी नहीं लगी थी और नहीं उसके बहन को कुछ अजीब लगा था,,,।

लेकिन इस समय उन सब बातों के बारे में सोच कर सूरज उत्तेजित हुआ जा रहा था यह सोचकर उसके बदन में उत्तेजना की लहर और ज्यादा दौड़ने लगी थी कि वह अपनी बहन की गांड को पकड़कर उसे उठाया था,,, और यह वही गांड थी जब वह अपने घर के बगल में अपनी बहन को पेशाब करते हुए देखा था और उसकी वही नंगी गांड को देखकर वह अपनी बहन की तरफ आकर्षित हो चुका था उसकी गोरी गोरी सीमित आकार में फैली हुई गांड का वह दीवाना हो चुका था,,, और उसे पाने के लिए वह तड़प रहा था,,,,,,।

यही सब सोचता हुआ सूरज धीरे-धीरे अपने खेत पर पहुंच चुका था,, वैसे तो उसके पिताजी मुखिया के ही खेतों पर काम किया करते थे लेकिन उनका खुद का भी खेत था लेकिन खुद के खेत में काम करके गुजारा करना मुश्किल था इसलिए दूसरे के खेतों पर भी काम करना पड़ता था,,,,, सूरज अपने खेत में पहुंच चुका था जिसने गन्ना बोया हुआ था और वहां एकदम आंठ आंठ फुट का होकर चारों तरफ लहरा रहा था ,, धीरे-धीरे सूरज गन्ने के खेत में से आगे बढ़ता चला जा रहा था,,, गन्ना इतना बड़ा बड़ा था कि दूर-दूर से खेत में कौन है देखा नहीं जा सकता था इसलिए सूरज को भी अपनी मां को ढूंढने में परेशानी हो रही थी लेकिन वह जानता था कि खेत के बीच में,,, रखवाली करने के लिए थोड़ी सी जगह बनी हुई थी और वहीं पर ट्यूबवेल भी था और एक छोटी सी कच्ची झोपड़ी भी थी क्योंकि दोपहर में आराम करने के लिए बनी हुई थी,,,।

देखते ही देखते सूरज खेतों के बीच में पहुंच गया लेकिन फिर भी उसकी मां उसे कहीं नजर नहीं आई लेकिन तभी वह आवाज लगाने वाला था कि उसकी नजर टिप बेल के पास गई जहां पर सामने ही उसकी मां उसकी तरफ पीठ करके खड़ी थी और वह आवाज देकर इससे पहले ही वह ठीक तरह से अपनी मां को देखा तो उसकी सांस एकदम से रुक गई क्योंकि उसकी मां अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ करके अपने ब्लाउज की डोरी को खोल रही थी और यह नजारा देखकर सूरज के तन बदन में मदहोशी का रस घुलने लगा,,, ट्यूबवेल चालू था उसमें से पानी निकल रहा था वह समझ गया कि गर्मी के कारण उसकी मां नहाने जा रही है और वह तुरंत अपने आप को कर लो के फसल के पीछे लेकर और चुपके अपनी मां की तरफ देखने लगा जो कि इस बात से अनजान थी कि खेत में उसका बेटा सूरज आया है,,, और वह धीरे-धीरे अपने ब्लाउज की डोरी खोल रही थी।

Bahut hi shandar update he rohnny4545 Bhai,

Suraj ab apni maa ko nahate huye dekhega...........shayad kisi tarah dono ko sath nahane ka mauka mil jaye

Keep posting Bro
 
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Iron Man

Try and fail. But never give up trying
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पड़ोस वाली गांव में जाकर शर्मा जी की बहू के साथ संभोग सुख प्राप्त करके सूरज का आत्मविश्वास और ज्यादा बढ़ गया था वह कभी सोचा नहीं था कि पड़ोस वाले गांव जाने के बाद उसे एक नई नवेली दुल्हन की जवानी का स्वाद चखने को मिलेगा जो अपनी पहली सुहागरात से ही प्यासी थी इसका अंदाजा सूरज उसकी कई हुई बुर में अपना लंड डालकर लगा चुका था,,, सूरज ने उसे ठीक तरह से देखा भी नहीं था और ऐसे में वह मौके की नजाकत को देखते हुए उसके साथ शरीर संबंध बना लिया था जो की सफलतापूर्वक पार हो चुका था,,,।

और इस बारे में किसी को कानों कान भनक तक नहीं लगी,,, सूरज वहीं औरतों के बीच न जाने कब शर्मा जी की बहू को पटा लिया और पटाने के बाद उसकी मदद करने के बहाने उसके साथ घर के अंदर भी चला गया जहां पर चारों तरफ अंधेरा था,,, सूरज इतना तो समझ गया था की शादी की पहली रात से ही वह प्यासी थी और जरा सी उसकी हरकत से वह मदहोश हो जाएगी और ऐसा ही हुआ था चंदा अपने आप पर काबू नहीं कर पाई थी और शादी के बाद से अपने अंदर दबी प्यास को बाहर निकाल कर वह अपनी इच्छा की संतुष्टि कर ली थी और उसे फिर से आने का न्योता भी दे दी थी,,,।

सूरज के तो वारे न्यारे हो गए थे,,, धीरे-धीरे उसकी जिंदगी में एक से एक खूबसूरत औरतें आ रही थी और अपनी जवानी का स्वाद उसे चखा रही थी और अब सूरज को औरत की प्यास लग चुकी थी औरतों का संग उसे अच्छा लगने लगा था,,,, और वह अपने आप में ही अंदर ही अंदर बहुत खुश रहने लगा था लेकिन उसका सारा ध्यान इधर-उधर से हटकर अपनी मां पर ही टिक जाता था औरतों की संगत में उसे इतना तो पता ही चल गया था कि औरत किस हालत में प्यासी रहती है और उसे अपनी मां के हालात के बारे में अच्छी तरह से मालूम था,,, वह जानता था कि महीना गुजर गए थे उसकी मां प्यासी थी क्योंकि उसके पिताजी घर पर नहीं थे,,,, ऐसे हालात में उसकी मां को भी मर्द की जरूरत पड़ती होगी,, और इस बात का एहसास सूरज को अच्छी तरह से था इसीलिए तो वह अपनी मां को प्यासी नजरों से देखा करता था लेकिन आगे बढ़ने की उसकी हिम्मत नहीं होती थी,,,।

ऐसे ही कुछ दिन गुजारने के बाद उसे याद आया कि उसकी मां पहाड़ी के उस पार से आंवला लाने के लिए कहीं थी ताकि तेल बना सके,,, और अपनी मां के मुंह से यह बात सुनते ही वह उसे जगह पर अपनी बहन को अपने साथ ले जाना चाहता था क्योंकि जिस दिन से वह घर के बगल जहां गाय भैंस बांधी जाती है वहां पर पेशाब करते हुए देखा था तब से वह अपनी बहन की भी जवानी का दीवाना हो चुका था,,, अपनी बहन की मदमस्त जवानी से भरी हुई गांड देखकर उसकी गांड का दीवाना हो चुका था और किसी बहाने उसे भी नीलू की तरह अपने बस में करना चाहता था उसे पूरा यकीन था कि वह अपनी बहन रानी को भी अपने बस में कर लेगा ,,, क्योंकि वह चाहता था नीलू और उसकी बहन मैं कुछ ज्यादा फर्क नहीं था जब नीलू करवा सकती है तो उसकी बहन क्यों नहीं,,, और यही पूछने के लिए वह अपनी मां से इजाजत लेना चाहता था कि वह रानी को लेकर वाला तोड़ने के लिए कब जाए,,,।

इसलिए वह अपने घर पर अपनी मां को इधर-उधर छोड़ रहा था लेकिन उसकी मां उसे कहीं नजर नहीं आ रही थी तो वह घर पर काम कर रही अपनी बहन रानी से पूछा,,,।

मां कहां है,,,?

मां,तो खेतों पर गई है काम करने के लिए,,,।

ओहहह,,, तभी मैं कब से इधर-उधर ढूंढ रहा हूं,,,और मा कही दिखाई नहीं दे रही है,,,।

वैसे काम क्या है भैया,,,!

अरे आंवला तोड़ने के लिए जाना था ना,,, उसी के बारे में पूछना था,,,।

तब तो मैं भी चलूंगी भैया,,,,।

हां हां तुझे भी ले जाऊंगा,,,, तभी तो मां से पूछने आया था क्योंकि अकेले में थोड़ी कर पाऊंगा,,,,।


तो ठीक है भैया जल्दी से मां से पूछ लो,,,

अरे अब पूछने के लिए खेत पर जाना पड़ेगा और देख रही है कितना धूप है,,,,।

तो क्या हो गया भैया इधर-उधर तो घूमते रहते हो घूमते घूमते चले जाओ खेत पर,,,।

अब तो जाना ही होगा,,,,(और इतना कहने के साथ ही वहां खेत पर जाने के लिए निकल गया अपनी बहन को वाला तोड़ने जाने के लिए उत्साहित देखकर सूरज मन ही मन प्रसन्न होने लगा,,,, क्योंकि इस बार सूरज पहाड़ी के दूसरी तरफ आंवला के लिए जाने वाला था,,, जहां पर झरना भी बहता था और बेहद खूबसूरत नजारा भी था,,,, सूरज धीरे-धीरे अपने खेत की और आगे बढ़ने लगा उसके मन में ढेर सारे ख्याल उमड़ रहे थे खासकर के वह इस बारे में सोच रहा था कि अपनी बहन रानी को किस तरह से लाइन पर लाया जाए,,,।

क्योंकि वह इस बात को अच्छी तरह से जानता था कि उसकी बहन दूसरी लड़कियों की तरह बिल्कुल भी नहीं थी और खासकर के नीलू और शालु की तरह तो बिल्कुल भी नहीं भले ही नीलू और शालू के ही उम्र की उसकी बहन रानी थी लेकिन उन दोनों और उसकी बहन के चरित्र में जमीन आसमान का फर्क था,,, और वह इस बात को भी अच्छी तरह से जानता था कि एक चरित्रवान औरत को लाइन पर लाना कितना कठिन काम है अभी तक तो सूरज को जितनी भी औरतों और लड़की मिलती जा रही थी उन लोगों के चरित्र पर पहले से ही संदेह था लेकिन रानी उनमें से सबसे अलग क्योंकि वह उसकी बहन थी,,,,।

सूरज इसलिए भी थोड़ा परेशान था कि अगर दूसरी कोई लड़की होती तो शायद वह अपने दिल की बात या अपनी हरकत से उसे लाइन पर ले आता लेकिन यहां तो खुद उसकी बहन थी और वह भी सगी अगर उसकी हरकत से मान गई तो बात बन गई लेकिन अगर नहीं मानी तो समझो सारे किए कराए पर पानी फिर जाएगा अगर वह घर पर बता देगी तो इज्जत भी जाती रहेगी और जो डांट फटकार सुनेगा वह अलग से इसीलिए वह इस खेल में धीरे-धीरे आगे बढ़ना चाहता था,,, शालू के साथ आम के बगीचे में ही उसका आधा काम बन चुका था और दोबारा सालों के आने पर वह अपनी मुराद पूरी कर लिया था,,,, खैर शालू तो फिर भी चालू किस्म की लड़की थी लेकिन उसकी बहन रानी कुछ अलग ही किस्म की लड़की थी क्योंकि अभी तक सूरज ने उसे ना तो बेवजह गांव में घूमते हुए देखा था और ना ही उसकी ज्यादा सहेलियां थी जिसे वह गप्पे लड़ाया करें वह हमेशा काम से ही कम रखती थी और ज्यादातर वह घर में ही रहती थी और इसी से वह अंदाजा लगा लिया था कि उसकी बहन देसी लड़कियों की तरह बिल्कुल भी नहीं थी,,,।

और इसीलिए यह खेल ज्यादा मुश्किल हुआ जा रहा था क्योंकि वह जानता था की रानी को लाइन पर लाने में नाको चना चबाना पड़ेगा,,,,। यही सोचते हुए वहां खेत की ओर आगे बढ़ता चला जा रहा था और उसे पहले की बातें याद आ रही थी और वह भी खास करके अपनी बहन के साथ बिताए हुए वक्त के बारे में वह सोच रहा था क्योंकि पहले वह अपनी बहन के साथ खूब हंसी मजाक किया करता था उसे अपनी गोद में भी उठा लिया करता था उसका हाथ पकड़ कर खेतों में इधर-उधर दौड़ता था लेकिन आप बात बदल चुकी थी हालात बदल चुके थे अब औरत को देखने का नजरिया उसकी पूरी तरह से बदल चुका था पहले वह अपनी मां और बहन दोनों को मां बहन के पवित्र रिश्ते के नजरिए से ही देखा था लेकिन जिस दिन से मुखिया की बीवी से मुलाकात हुआ था उसकी जवानी का स्वाद चखता कब से औरत को देखने का नजरिया ही उसका बदला चुका था और फिर उसकी आंखों के सामने भले ही उसकी मां हो या उसकी बहन सब में उसे एक औरत ही नजर आती थी,,,।

उसे अच्छी तरह से याद था कि जब वह अपनी बहन के साथ चोरी चुपके आम तोड़ने गया था और जब आम के बगीचे का मालिक उन दोनों को देख लिया था तो उन दोनों को लाठी लेकर दौड़ी था और सूरज अपनी बहन को सहारा देकर उसे दीवाल की दूसरी तरफ खुदाया था और सहारा देने पर उसके दोनों हाथ उसकी बहन के नितंबों पर था उसकी गदराई गांड को अपनी दोनों हाथों से पकड़ा हुआ था,, और उसे उठाकर जल्दी से दीवार की दूसरी तरफ करना चाहता था लेकिन उसे समय उसके नजरिया में बिल्कुल भी गंदा पर नहीं था इसलिए यह सब हरकत उसे बिल्कुल भी गंदी नहीं लगी थी और नहीं उसके बहन को कुछ अजीब लगा था,,,।

लेकिन इस समय उन सब बातों के बारे में सोच कर सूरज उत्तेजित हुआ जा रहा था यह सोचकर उसके बदन में उत्तेजना की लहर और ज्यादा दौड़ने लगी थी कि वह अपनी बहन की गांड को पकड़कर उसे उठाया था,,, और यह वही गांड थी जब वह अपने घर के बगल में अपनी बहन को पेशाब करते हुए देखा था और उसकी वही नंगी गांड को देखकर वह अपनी बहन की तरफ आकर्षित हो चुका था उसकी गोरी गोरी सीमित आकार में फैली हुई गांड का वह दीवाना हो चुका था,,, और उसे पाने के लिए वह तड़प रहा था,,,,,,।

यही सब सोचता हुआ सूरज धीरे-धीरे अपने खेत पर पहुंच चुका था,, वैसे तो उसके पिताजी मुखिया के ही खेतों पर काम किया करते थे लेकिन उनका खुद का भी खेत था लेकिन खुद के खेत में काम करके गुजारा करना मुश्किल था इसलिए दूसरे के खेतों पर भी काम करना पड़ता था,,,,, सूरज अपने खेत में पहुंच चुका था जिसने गन्ना बोया हुआ था और वहां एकदम आंठ आंठ फुट का होकर चारों तरफ लहरा रहा था ,, धीरे-धीरे सूरज गन्ने के खेत में से आगे बढ़ता चला जा रहा था,,, गन्ना इतना बड़ा बड़ा था कि दूर-दूर से खेत में कौन है देखा नहीं जा सकता था इसलिए सूरज को भी अपनी मां को ढूंढने में परेशानी हो रही थी लेकिन वह जानता था कि खेत के बीच में,,, रखवाली करने के लिए थोड़ी सी जगह बनी हुई थी और वहीं पर ट्यूबवेल भी था और एक छोटी सी कच्ची झोपड़ी भी थी क्योंकि दोपहर में आराम करने के लिए बनी हुई थी,,,।

देखते ही देखते सूरज खेतों के बीच में पहुंच गया लेकिन फिर भी उसकी मां उसे कहीं नजर नहीं आई लेकिन तभी वह आवाज लगाने वाला था कि उसकी नजर टिप बेल के पास गई जहां पर सामने ही उसकी मां उसकी तरफ पीठ करके खड़ी थी और वह आवाज देकर इससे पहले ही वह ठीक तरह से अपनी मां को देखा तो उसकी सांस एकदम से रुक गई क्योंकि उसकी मां अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ करके अपने ब्लाउज की डोरी को खोल रही थी और यह नजारा देखकर सूरज के तन बदन में मदहोशी का रस घुलने लगा,,, ट्यूबवेल चालू था उसमें से पानी निकल रहा था वह समझ गया कि गर्मी के कारण उसकी मां नहाने जा रही है और वह तुरंत अपने आप को कर लो के फसल के पीछे लेकर और चुपके अपनी मां की तरफ देखने लगा जो कि इस बात से अनजान थी कि खेत में उसका बेटा सूरज आया है,,, और वह धीरे-धीरे अपने ब्लाउज की डोरी खोल रही थी।
Shandar lovely update 💓 🔥
 
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