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Adultery पंजाब दियां मस्त रंगीन पंजाबना

aamirhydkhan

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कहानी "पंजाब दियां मस्त रंगीन पंजाबना: गौरव कुमार की है

मेरा नाम गौरव कुमार है। मैं, कपूरथला, पंजाब का रहने वाला हूँ। हमारा आड़त का काम है यानी हम किसान और सरकार मे बीच मे फसल का लेंन देंन का काम करते है। अब मे पंजाब से हूँ तो बता दूं के यहा की दो चीजें बहुत मशहूर है, एक पटियाला पेग ओर दुसरी पंजाबन जट्टीयां। हमारा किसानो के साथ आना जाना लगा रहता है तो किसी ना किसी जट्टी के साथ भी बात बन जाती है। आज एसी ही कहानी लेकर आया हूँ। तो कहानी आरंभ करते है।


SARBI
 
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aamirhydkhan

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पंजाब दियाँ मस्त रंगीन पंजाबना–पार्ट–48

स्टोरी का नेक्स्ट पार्ट। पिछले पार्ट में आपने पढ़ा कि सलमा की पड़ोसन हरजीत ने लाला और दिलजीत चाची को मिलवा दियाऔर लाला ने दिलजीत चाची की चुदाई कर दी । अब आगे ।

गर्मियो के दिनो की बात है के मैं एक दिन कालेज में क्लास जल्दी ख़त्म हो गयी, गर्मी ज़्यादा थी और, मैं जल्दी घर आ गया।

गर्मियों में गलियो में सन्नाटा था। सब लोग अपने घरों में पंखे, ऐ.सी चलाकर सो रहे थे। मैंने आकर थोड़ा आराम किया और फिर कुछ देर बाद सोचा बाद में नहाकर चाय पीऊँगा, तभी गली वाले दरवाजे की डोर बेल् बजी।

मैं मन में गालिया निकालता दरवाज़ा खोलने आ रहा था के साला आराम से नहाने भी नहीं देते। गेट खोल कर देखा तो सामने करीब 20 साल की लड़की जिसके गले में बैग टांगा हुआ था रंग गोरा, लम्बे काले गांड तक लम्बे बाल, काली-काली बड़ी बड़ी आँखे, मोटे, बड़े स्तन कुर्ता फाड़ कर बाहर आने के लिए बेताब, पतली कमर और पसीने से तर बतर, जिससे सलवार और तंग पजामी बदन से चिपकी हुई थी, बोली हलो सर जी, मैं एक प्राइवेट कम्पनी से आई हूँ और घरेलू ज़रूरत का समान कम्पनी के रेट में बेचने आई हूँ। क्या आप देखना पसंद करेंगे?

मेने उसे बोला देखिये इस वकत घर पर कोई औरत नहीं है और मुझे समान नहीं देखना है। फेर कभी आना।

वो–तो क्या हुआ सर जी, आप भी घर के ही मेंबर ही हो, ले लो न समान थोडा-सा रह गया है। इतनी गर्मी में किधर घूमती फिरुगी।

मेने उसे अंदर बुला लिया और दरवाज़ा बन्द करके उसके साथ अपने कमरे में आ गया।

उसने बैड पर पंखे के निचे बैठकर अपना बैग उतारा और आँखे बन्द करके हवा को महसूस करने लगी। वह पूरी तरह से पसीने से भीगी हुई थी।

मैं रसोई से उसके लिए गिलास में पानी ले आया। उसने पानी पीकर थैंक्स बोला और अपने कपड़े ठीक करके हवा लेने लगी।

मैं उसे बैड पर ही बैठा दूर से निहार रहा था। गर्मी से उसका बुरा हाल हो रहा था। वह जितना पसीना अपने रुमाल से पोंछती, उस से दुगना उसके चेहरे पर आ रहा था। मेने उसे बाथरूम की तरफ़ इशारा करके बोला, जाओ मैडम वहाँ टूटी पर मुँह धो लो, आराम मिलेगा। उसे मेरी बात जच गयी और वह मुँह धोकर वापिस अपनी जगह पर आकर बैठ गयी।

मेने उससे पूछा–कहिये क्या बात है?

वो– (उसने अपनी बात दुहराई) सर जी, मैं फलां कम्पनी से आई हूँ, मेरा नाम राजविंदर है और मैं घर में ज़रूरी काम की चीज़े बेचती हूँ।

उसने रसोई में उपयोग होने वाला सामा बहुत सारी चीज़े मेरे सामने निकाल कर रखदी और बोली–देखलो सर यही सामान बचा है बाक़ी तो सब बिक गया है। वैसे बज़ार में जाओगे आपको यही सामान बहुत ज़्यादा दाम में मिलेगा पर हमसे खरीदोगे तो आपके काफ़ी डिस्काउन्ट मिलेगा। जेसे ये सर्फ़ बाज़ार में 100 रूपये का है हम आपको 50 रूपये में दे देंगे आपको 50 रूपये का फायदा हो गया न घर बैठे बिठाये। गर्मी में बाज़ार भी नहीं जाना पडेगा ।

वो फटाफट बोलती ही जा रही थी। मैं उसके हिलते पतले से होंठो की तरफ़ देखता जा रहा था।

करीब 10 मिनट भाषण देने के बाद बोली–हांजी अब बोलिये क्या दूं आपको?

मैंने मन में ही बोला "आप" और मेरे चेहरे पर हल्की-सी स्माइल आ गयी।

पता नहीं वह अपनी कही बात का दोहरा मतलब ख़ुद समझ गयी और वह भी हंस पड़ी।

मेने बोला–मैडम जी सामान तो आपसे ले लेंगे पहले बैठो बाते करते है। वेसे भी इतनी गर्मी है, कहाँ गर्मी में घूमती फिरोगी। कुछ देर आप आराम करो।

वो–प्लीज ये सामान ले लो आप।

मैं–ज़रूर लूंगा आप सब्र करो। आप रुको मैं आपके लिए कुछ लाता हूँ आप चाय पियेंगी या निम्बू पानी या शर्बत। वैसे इस गर्मी में निम्बू पानी बेहतर रहेगा, फिर निम्बू की शिकंजी बना कर दो गिलासों में लेकर आ गया।

उसने एक गिलास उठाया और धन्यवाद बोली।

शिकंजी पीते-पीते हम बाते करने लगे...

मेने उससे उसके बारे में पूछा तो उसने बताया वह पंजाब के अमृतसर जिले की रहने वाली है। उसने मुझसे पूछा आपको कोई ऐतराज़ न हो थोडा टाइम यहाँ रुक जाऊ यहाँ बैग भारा होने की वज़ह से पीठ में दर्द होने लगा है। जरा-सा आराम कर लेने से दर्द कम हो जायेगा।

मेने कहा आप छाए तो लेट जाओ मुझे कोई ऐतराज़ नहीं है।

वो थैंक्स बोलकर लेट गयी और आँखे बन्द करके आराम करने की स्थिति में आ गयी।

वो हंसकर बोली–सरजी मुझे तो नींद आ रही है।

मैं–सो जाओ मना किसने किया है।

मैं रसोई में कुछ काम करने लगा फिर उसके पास ही एक कुर्सी पर बैठ गया। थोड़े ही टाइम में वह इतना खुल गयी के जेसे बरसो से जान पहचान हो उसकी।

हम दोनों एक से बाते करने लगे।

आम घरेलू बाते करते-करते हम प्राइवेट बातो पर आ गये। मेने उसे उसकी उम्र पूछी वह बोली 20 साल...

मैं हंसकर बोला शरीर से तो लगती 25 के ऊपर के हो।

वो शरमाकर हंस पड़ी और बोली नहीं नही 20 भी पूरे नहीं किये मेने तो...

मैंने उससेे पूछा कितना पढ़ी लिखी हो।

वो बोली 10+2 किया है पिछले साल और आप?

मैं–मैं अभी कालेज में पढ़ रहा हूँ और मेरा नाम गौरव है, प्यार से सभी काका कहते है!

इस तरह हसी मज़ाक चलता रहा। मेने कहा आप कहो तो आपकी पीठ दबा देता हूँ और उसकी पीठ पर हाथ लगाकर सहला दिया, पीठ एकदम नरम और चिकनी थी वह मेरा हाथ महसूस कर बस जरा-सा मुस्कराई पर कुछ बोली नही। जिस से मेरी हिम्मत और बढ़ गयी और मेने उसकी पीठ दबायी। मैंने थोड़ा हाथ सरका कर कमर पर लगाया और मसलने लगा।

उसे आराम महसूस हुआ और आह कर कराहने लगी और वह हल्की-हल्की मादक आवाजें निकाल रही थी।

मैंने कहा-आओ.। मैं मालिश कर देता हूँ तुम्हें अच्छा लगेगा।

वो तुरंत मान गई।

हम दोनों उठ कर बिस्तर पर आ गए और वह मेरे सामने औंधी लेट गई।

अब उसकी मस्त मोटी गांड मेरी आँखों के सामने उठी हुई थी... उसका 36-28-34 का फिगर मस्त दिख रहा था। उसकी गांड बहुत मस्त लग रही थी।

मैं तो अब होश खो रहा था... तो उसके पास बैठ गया और उसकी टांगों पर हौले-हौले मसाज करने लगा।

उसकी चिकनी टांगों पर हाथ लगाते ही मेरा लंड उछल कूद करने लगा।

मैं धीरे-धीरे टांगों पर मसाज करता-करता थोड़ा ऊपर आने लगा और उसकी जाँघों तक मेरे हाथ पहुँच गए।

उसकी सलवार के अंदर गोरी-गोरी मख़मली चिकनी जांघें सहला कर तो किसी बुड्डे का लंड भी पानी छोड़ दे।

मैं उसकी जांघें सहला रहा था और वह हल्की-हल्की मादक आवाजें निकाल रही थी।

मैं समझ गया कि उसको मज़ा आ रहा है।

मैं हौले-हौले हाथों को थोड़ा और बढ़ाता गया और उसकी टांगो के अन्दर से उसकी जाँघों के जोड़ तक मसाज करने लगा।

वो थोड़ा हिली... लेकिन उसने मना नहीं किया... तो मेरी हिम्मत थोड़ी और बढ़ गई।

अब मैंने थोड़ा हाथों को और ऊपर बढ़ाया... तो मुझे उसकी पैन्टी महसूस हुई।

पैन्टी पर हाथ लगते मेरा लंड फिर झटके देने लग गया और मैं पैन्टी और सलवार के ऊपर से उसकी गांड की मालिश करने लगा।

उसकी गांड एकदम कोमल और मखमली-सी लग रही थी... लेकिन मुझे अभी तक उसकी गांड के दीदार नहीं हुए थे।

मैं तो देखने को तड़प रहा था... तभी वह बोली-आह ाचा लग रहा है अब पीठ पर मालिश करो।

मैंने कहा तेल लगा कर मालिश करना बेहतर रहेगा मैंने कहा-आपको अपने कपड़े उतारने पड़ेंगे, नहीं तो ये गंदे हो जाएंगे।

उसने बोला-नो ... ऊपर से ही कर दो ... कपड़े उतारने की ज़रूरत नहीं है।

मैंने कहा-ऐसे तो आराम नहीं आएगा ।

उसने अपना कुर्ता ऊपर से उतार दीया । आह ... मेरी आंखें मानो किसी जन्नत की हूर के बदन को चूमने लगी थी। मगर मैंने शराफ़त का चोला ओढ़ा हुआ था। इसलिए ऐसा जताया कि मुझे उसकी नंगी हो जाने से कुछ ख़ास फ़र्क़ नहीं पड़ा। इस समय वह मेरे सामने सिर्फ़ ब्रा और एक घुटने तक की लैगी क़िस्म की शरीरी से चिपकी हुई पजामी में रह गई थी। मैं आयल ले आया ।

उसने कहा आप भी अपने कपड़े निकाल दो नहीं तो खराब हो जाएंगे । मैंने भी अपनी सब कपड़े निकाल अंडरवेअर में रह गया ।

मैंने धीरे-धीरे उसको मसाज देना शुरू किया। मैंने उसके पीछे पीठ पर ऑयल डाला और धीरे-धीरे उसको फैला कर मसाज करने लगा। कुछ देर उसकी मक्खन पीठ पर हाथ फेरने के बाद मैंने कहा कि आपकी ब्रा थोड़ी दिक्कत कर रही है।

उसने औंधे लेते हुए ही मुझसे कहा-ठीक है आप उसे उतार दो।

मैंने पीछे से ही उसकी ब्रा का हुक खोल दिया और उसकी ब्रा उसके तने हुए मम्मों पर फंस कर रह गई. अभी उसकी ब्रा ने मम्मों को नंगा नहीं किया था।

मैं फिर से धीरे-धीरे पूरी नंगी पीठ पर हाथ फेरते हुए उसके कंधों को दबा-दबा कर उसे मसाज का मज़ा देने लगा। जब में उसकी पीठ पर नीचे से ऊपर तक मसाज करते हुए उसके कंधों तक ले जाता, तो उसी समय मैं पीठ की बगलों से आगे को हाथ ले जाकर उसके मम्मों को भी टच करने लगा था।

वो भी धीरे-धीरे अपनी मस्ती में खोने लगी थी। अब मैं कुछ ज़्यादा ही हाथ को आगे ले जाते हुए उसके बदन को मसाज देते हुए उसके चूचों को टच करने लगा था। उसके कोई ऐतराज न करने पर मैंने अब उसकी बांहों पर तेल डाला और हाथों की मसाज करने लगा।

मैंने लगभग 15 से 20 मिनट हाथ की मसाज की। मुझे उसकी मालिश करते हुए अब लगभग 15 मिंट हो गए थे । वह पूरी गनगना गई थी।

मैंने कहा-अब आपकी पजामी उतारने पड़ेगी।

उसने आंखें मूंदे हुए ही कहा-ओके कोई प्रॉब्लम नहीं है।

उसने कमर ऊपर करते हुए गांड उठा दी। मैंने उसकी पजामी खींचते हुए उतार दी। उसने अन्दर लाल रंग की थोंग पैंटी अभी भी पहन रखी थी। इस पैंटी से उसके दोनों चूतड़ों के नजारे साफ़ हो रहे थे। चुत के लिए बस एक डोरी उसकी गांड से होते हुए नीचे चुत के ऊपर चली गई थी।

मैंने उसके एक पैर की पिंडली पर तेल डाला और मसाज करने लगा। धीरे-धीरे मैं ऊपर आते हुए उसके गोल-गोल चूतड़ों को सहलाने लगा। साथ ही उसके छेद को छूने लगा।

उस पर अब पूरी मस्ती छाने लगी थी।

मैंने उससे पूछा-आप कैसा फील कर रही हैं?

उसने कहा-बहुत अच्छा लग रहा है ... बस ऐसे ही करते रहो।

मैं जैसे ही उसकी पीठ पर मसाज करने के लिए झुकता... मेरा लंड वैसे ही उसकी गांड की दरार में घुस जाता। और उसकी हल्के से ' आ... उहह... की आवाज़ निकल आती।

मैं उसकी पीठ पर मसाज करते-करते साइड में से उसके चूचे पर भी हाथ फेर देता... तो मुझे एकदम कोमल और मुलायम मक्खन के गोले का-सा अहसास हो जाता।

मुझे लगा कि मेरा तो पानी यहीं निकल जाएगा।

फिर धीरे-धीरे कमर पर मसाज करते हुए मैं उसकी गांड सहलाने लगा और गांड पर मसाज करने लगा। वह अब मज़े ले रही थी... लेकिन कुछ बोल नहीं रही थी।

मैं हिम्मत करके और आगे बढ़ा और मैं धीरे-धीरे पैन्टी के ऊपर से उसकी गांड के छेद और चूत के छेद के आस-पास हाथ फिराने लगा।

मैंने देखा कि उसकी पैन्टी एकदम गीली हो गई थी... मतलब उसको भी चुदास के मज़े आ रहे थे।

अब मैं उसकी गांड और चूत देखना चाहता था... तो मैंने एक हाथ से पैन्टी को थोड़ा-सा साइड में किया और मुझे जन्नत का दरवाज़ा दिख गया... एकदम गुलाबी छेद...

मेरा मन किया कि अभी अपनी ज़ुबान घुसेड़ दूँ। और चूस लूँ...

लेकिन मैं उसको थोड़ा तड़पाना चाहता था।

कुछ देर बाद मैंने उससे कहा-अब आप सीधे हो जाइए और अपनी पैंटी उतार दीजिए.

मैम ने पलट कर कमर को उठाते हुए कहा-आप ख़ुद ही उतार दो।

उसकी नंगी चूचियों पर मैंने एक निगाह डाली और अपने लंड को समझाते हुए मैंने धीरे से उसकी पैंटी उतार दी। क्या ज़न्नत का नज़ारा था, उस पल में।

उसकी सफाचट चुत ने मेरे कलेजे को हिला दिया था। लंड ने भी अंगड़ाई भर ली थी। ये उसने भी देख लिया था।

उसे शायद मेरे लंड को फूलते देख कर अपनी मदमस्त जवानी पर गुमान हुआ और उसने अपने हाथ ऊपर करते हुए फैला दिए. वह मेरे सामने एकदम नंगी चित पड़ी थी।

मैंने आगे आते हुए उसके मम्मों पर तेल डाला और मसाज करने लगा। मम्मों पर तेल फैलाने के साथ मैंने साथ में उनको नीचे से दबाते हुए ऊपर को अपनी हथेलियाँ ले जाने लगा।

उसकी आंखें वासना के नशे से बोझिल होने लगी थीं। वह बार-बार मेरे सीने को सूंघती और मर्दाना गंध को महसूस करते हुए आंखें बंद कर लेती।

जारी रहेगी
 
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aamirhydkhan

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पंजाब दियाँ मस्त रंगीन पंजाबना–पार्ट–49

स्टोरी का नेक्स्ट पार्ट। पिछले पार्ट में आपने पढ़ा कि मैं कैसे एक चुदक्क्ड़ सेल्स गर्ल से मिला । अब आगे ।

मैंने मालिश शुरू करते हुए उस सेल्स गर्ल के मम्मों पर तेल डाला और मसाज करने लगा। मम्मों पर तेल फैलाने के साथ मैंने साथ में उनको नीचे से दबाते हुए ऊपर को अपनी हथेलियाँ ले जाने लगा।

उसकी आंखें वासना के नशे से बोझिल होने लगी थीं। वह बार-बार मेरे सीने को सूंघती और मर्दाना गंध को महसूस करते हुए आंखें बंद कर लेती।

मैंने उसके सख्त हो चुके मम्मों को दबा कर समझ लिया था कि मम्मों का साइज 36 इंच है। उसके चूतड़ों का साइज 34 इंच था, जो कि काफ़ी भारी थे। उसके चूतड़ों को मसलते हुए मालिश करने में मुझे काफ़ी मज़ा आ रहा था।

मैं उसकी चूचियों की मसाज करने के साथ-साथ ही उन पर कड़क हो चुके निप्पलों को भी अपनी उंगलियों में हल्का हल्का-सा दबाते हुए मींजने लगा था। इससे वह काफ़ी ज़्यादा गर्म हो चुकी थी।

इसके बाद मैंने मम्मों से हाथ सरकाते हुए नीचे निशाना साधा। मैंने अपनी उंगलियों में ज्यादा-सा तेल लिया और उसकी नाभि में डालते हुए नीचे तक टपकाता चला गया। इससे तेल उसकी चूत पर चला गया।

अब मैंने अपनी एक उंगली उसकी चूत के आसपास फिराई. इससे वह हल्की से कसमसाई. मगर मैंने उसकी चुत की दोनों तरफ़ उंगलियों को फेर कर जांघ पर हथेलियों को ले जाने लगा। ऐसा मैंने तीन बार किया, तो पट्ठी की चुत ने रोना शुरू कर दिया। उसके हाथों की मुट्ठियों ने बिस्तर की चादर को भींच कर चुत की कसमसाहट दिखा दी। ये मुझे उसकी चुत फैलने से ही अंदाजा हो गया था।

अब उसने मेरी आंखों में देखते हुए कहा-ठीक से करो न! !

मैं समझ गया और मैंने इस बार एक उंगली उसकी चूत की फांकों में फेर दी। उसने मेरे हाथ को पकड़ कर चुत पर दबा दिए और कहा-इधर ही करो।

मैंने उंगली चुत में डाल दी तथा अपने एक हाथ से उसका दूध सहलाने लगा।

वो एकदम गर्म हो गई और धीरे स्वर में 'आह आह ... यू आर सो गुड ... डू इट मोर।' गर्म सिसकारियाँ लेने लगी थी।

उसे अपनी तरफ़ खीच कर होंठो पर किस कर दिया।

वो पहले तो वह न-न करती रही पर जब उसे भी मज़ा आने लगा वह भी मेरा साथ देने लगी। अब मैं उसके उपर लेटकर उसको चूम रहा था। उसके मोटे-मोटे मम्मे चूसने लगा।

फिर मैंने पूरी उंगली उसकी चूत के अन्दर डाल दी और उसको अन्दर बाहर करने लगा। अब वह ज़ोर जोर गांड उठाते हुए ज़ोर जोर से सिसकारियाँ लेने लगी-आह ... प्लीज फक मी ... गौरव प्लीज फक मी।

मैं उसके मम्मों को चूसने लगा।

वह फिर से चुदास भरी सिसकारियाँ लेने लगी-आह ... आह ... काका प्लीज फक मी।

उसके बाद मैं उसकी चूत पर अपना मुँह लेकर आ गया। मैंने जैसे ही उसकी चुत पर जीभ फेरी, उसने एक ज़ोर से आह भरी-आह सक मी।

मैं उसकी चुत के दाने को होंठों में दबाते हुए खींचने लगा और धीरे-धीरे चूसने लगा। मैंने उसकी चुत के दाने को होंठों से खींचा, तो वह भलभला कर झड़ गई।

उसकी तेज आहें और निढाल होती देह ने मेरे मुँह को रस से सराबोर कर दिया था। मैंने मुँह नहीं हटाया और उसकी चूत से निकलते नमकीन पानी को मैं चट कर गया।

मुझे उसकी रसभरी चुत को चूसने में काफ़ी अच्छा टेस्ट आया था। मैंने उसकी चुत रस को पूरा खाने के बाद भी उसकी चुत को चाटना नहीं छोड़ा था। मैं उसकी चूत के अन्दर अपनी जीभ डाल कर उसे एक तरह से चोदने लगा।

उसने अपने हाथों से मेरे बाल पकड़ लिए और मेरे सर को अपनी चूत पर दबाने लगी। वह फिर से गर्म होने लगी थी।

मैं अपनी जीभ से उसकी चूत को लगातर चोद रहा था तथा साथ ही अपने दोनों हाथों से उसके मम्मों को दबाए जा रहा था।

सका हाथ बार-बार मेरे पैंट में खड़े हो चुके लण्ड पर जा रहा था। उसे ऊपर से ही पकडकर साइज़ का जायजा ले रही थी। मेने उसकी बेकरारी को समझते हुए अपनी ज़िप खोल कर मोटा लण्ड उसके हाथ में दे दिया। उसकी तो जैसे बरसों की इच्छा पूरी हो गयी हो। उसे हाथ में लेकर उसे सहलाने लगी। उसकी कोमल हथेली में लण्ड ऐसे लग रहा था जेसे रुई में लपेटा हो। मेरी तरफ़ देखकर इशारे में पूछा अब?

मेने भी इशारे में सर हिला दिया वह हंसकर उसका टोपा निकाल कर उसे मुँह में लेकर, अपनी आँखे बन्द करके चूसने लगी। उस हसीन पल को शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता। बीच-बीच में वह टोपे पर गोल-गोल जीभ घुमाती। मेने इशारे से हटाया के हट जाओ मेरा रस्खलन होने वाला है, पर वह तो अपनी धुन में मस्त थी। मैं उसके मुह में ही एक लम्बी आह्ह्हह्ह् से झड़ गया।

वो तो जैसे जन्मों-जन्मों की प्यासी थी। सारा वीर्य कुछ ही मिन्टो में निगल गयी और लण्ड को दुबारा साफ़ कर दिया। एक बार रस्खलन होने की वज़ह से लण्ड ढीला पड गया था, पर उसने तो जैसे क़सम ही खा रखी थी ले उसे चैन से सोने भी नहीं देगी। उसने दुबारा उसको चूमना चाटना शुरू कर दिया। मैं ख़ुद हैरान था इतनी जलदी दुबारा कैसे तैयार हो गया। मुझे तो लगा था अब 5-7 मिनट से पहले तयार नहीं होगा, पर उसके हाथों में जैसे जादू था।

अगले 2-3 मिन्टो में ही सिपाही जंग लड़ने के लिए तैयार हो गया। शयद वह भी मेरे दिल की बात जान गयी थी और हस कर बोली हैरान होने की ज़रूरत नहीं है और हंसकर फिर से उसको चूसने लगी।

मुझे लगा इस बार भी मैं इसे मुह में ही न झड़ जाऊ, तो मेने उसे छोड़ देने को कहा वि बोली नहीं जनाब जब तक मेरा दिल नहीं भरेगा, ये मेरे मुह में ही रहेगा।

वो बोली ठीक है आप मेरी चूत चाटो मैं आपका लण्ड चूसूंगी।

मेने कहा नहीं मुझे आपकी चूत में लण्ड डालना है।

वो बोली अभी नहीं अभी मेरा फोरप्ले पूरा नहीं हुआ है।

अब हम 69 की पोज़िशन में आ गए। वह मेरे ऊपर और मैं उसके निचे था। वह तो बस लण्ड चूसने में मस्त थी। मेने जब उसकी चूत में जीभ घुसाई तो चूत रस का अजीब-सा नमकीन स्वाद मेरी जीभ में लग गया।

मैं उसको चूसता रहा वह गांड हिला-हिला कर मेरे मुह पर अपनी चूत रगड़ती रही। ज़्यादा टाइम वह भी रुक न स्की और आहह्ह्ह्ह्ह्ह करके मेंरे मुह पर ही झड़ गयी। मैं उसका चुतरस चाट गया ।

जब वह झड़ गयी तो बोली अब आप आ जाओ मेरा काम तो हो गया आपका भी करदू।

मुझे उसने लेटने का इशारा किया, मैं लेट गया और मेरे खड़े लण्ड को अपने थूक से तर करके उसपे चूत को सेट करके बैठ गयी। उसकी तंग चूत में सिर्फ़ लण्ड का गुलाबी टोपा ही घुस स्का। जिस से उसको शयद थोडा दर्द महसूस हुआ। फेर गांड ऊपर उठाकर एक और झटका मारा तो आंधे से ज़्यादा लण्ड उसकी चूत में घुस गया और वह दो मिनट उसी हालत में बैठी रही।

जब उसका दर्द थोडा कम हुआ तो उसने अपने कूल्हे हिलाने शुरू किये। उसके थूक और चूत के रस से सना लण्ड आसानी से अंदर बाहर हो रहा था। वह आँखे बन्द करके ज़ोर जोर से झटके मार रही थी। लण्ड चूत के मुह तक वापिस आकर उसकी बच्चेदानी दे टकरा रहा था। मैं उसके हिलते मम्मो को बदल-बदल कर मुह में लेकर चूस रहा था।

करीब 10 मिनट की इस जंग में उसने पानी छोड़ दिया और मेरी छाती पर सर रखकर लेट गयी। उसकी चूत की गर्मी से अगले 5 मिन्टो में मैं भी उसकी चूत में झड़ गया। पंखा चलने के बाव्जूद भी हम पसीने से नहा गए।

हमने उठकर ख़ुद को साफ़ किया और बाथरूम में जाकर शावर के नीचे इकठे नहाये, मेरा तो इरादा उसकी गांड मारने का भी था, पर समय की नज़ाकत को देखते हुए सिर्फ़ उसके मम्मे और होंठ चूसकर मन बहलाना पडा। उसने नहाते वक़्त भी लण्ड चूसकर उसका पानी पिया।

अब कमरे में आकर मैं उसकी चूत के पास गया। मेरे लंड ने अब क़सम खा ली थी कि मदमस्त लौंडिया की चुत का भोसड़ा बना कर ही दम लेना है।

उसकी चूत की फांकों में मैंने लंड का टोपा रखा और ऊपर से नीचे तक दो बार सुपारे को घिसा। उससे सहन नहीं हो पाया और उसने मेरा लंड हाथ में पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर लगाते हुए नीचे से अपनी गांड उठा दी।

जिस वक़्त वह लंड लगा रही थी, ठीक इसी समय उसकी गांड ने ऊपर उठ कर लंड लीलने का जतन किया और उसी समय मैंने भी लौड़े को ठाप दे दी। मैंने एक ही धक्के में अपना 9 इंच का लंड उसकी चूत में पेल दिया और आगे पीछे करने लगा।

उसकी एक दर्द भरी कराह निकल गई-उम्म्ह... अहह... हय... याह... उई माँ मार दिया कमीने ...!

उसे काफ़ी दर्द हुआ, पर मैं उसके होंठों पर किस करने लगा, साथ ही उसके मम्मों को मसलने लगा।

जिससे उसको एक ही मिनट में काफ़ी मज़ा आने लगा। उसके बाद वह मेरा साथ देने लगी और पूरे कमरे में फच-फच की आवाज़ आने लगी।

लगभग 15 से 20 मिनट लगातार धक्के मारने के साथ मैंने उससे कहा-मैं झड़ने वाला हूँ।

वो भी शायद अपने स्खलन पर आ गई थी। उसने गांड उठाते हुए कहा-हाँ, जल्दी से बाहर निकालो मुझे लंड चूसना है।

मैंने अपने लंड को उसकी चूत से बाहर निकाला वह तुरंत उठी और मेरा लौड़ा अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। उसके मुँह में 5-7 झटकों के बाद मैं झड़ने लगा और वह मेरा पूरा माल पी गई. उसने मेरे लंड को पूरा चाट कर एकदम साफ़ कर दिया।

इस तरह हमने उस रात पूरी रात चुदाई की।

बाद में सुबह हम नहाये, नाश्ता किया और हम कपड़े पहनकर बाहर आकर बेड पर बैठ गए। उसने मेरा मोबाइल नम्बर माँगा तो मेने दे दिया, उसने अपना भी नम्बर दिया। बाद में मेने उससे उसका सारा सामान खरीद लिया और उसको उसके बनते पैसे दे दिए। हमने एक इकठी सेल्फ़ी ली और हम दोनों ने एक-एक कॉपी उसकी अपने पास रख ली।

उसने बोला सरजी अब मुझे जाना चाहिये। बहुत मौज़ मस्ती कर ली हमने। उसने अपना बैग उठाया और मेरे साथ बस स्टैंड तक बाइक पर बैठकर आई। उसे उसके शहर वाली बस में चढ़ाया और कालेज चला गया।

कहानी जारी रहेगी
 
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पंजाब दियाँ मस्त रंगीन पंजाबना–पार्ट–44

स्टोरी का नेक्स्ट पार्ट। पिछले पार्ट में आपने पढ़ा कि लाला गाँव में सलमा से मिलने उनके घर गया, सलमा अपने मायके गयी थी, सलमा की पड़ोसन हरजीत ने लाला और दिलजीत चाची को मिलवा दिया, अब आगे ।

काफी
कहा-सुनी के बाद चाची खड़ी हो गई। अब वह चूत देने के लिए तैयार थी। अब लाला ने चाची की गांड पर हाथ फेर दिया।

"बहुत मस्त गांड है चाची। आज तो मज़ा आ जायेगा।"

"अब चल अंदर ज़्यादा इतरा मत। लाला - हरजीत की वज़ह से तेरा काम चला रही हूँ।"

तभी चाची मुस्कुराती हुई लाला के साथ कमरे की तरफ़ चलने लगी। अब कमरे में आते ही लाला बनवारी लाल ने चाची को लपक लिया और चाची के बोबों को मसलते हुए उनके होंठो को चूसने लगा।

आह चाची के मस्त टाइट बोबे दबाने में लाला को बहुत ज़्यादा मज़ा आ रहा था। लाला चाची के बोबों को कस कर दबा रहा था। चाची कसमसा रही थी। लाला चाची के रसीले होंठों को बुरी तरह से चूस रहा था।

अब लाला बनवारी लाल ने चाची की साड़ी का पल्लू खींच ड़ाला और उनके बोबों को बुरी तरह से निचोड़ने लगा। इधर लाला बनवारी लाल चाची के होंठों की लिपस्टिक को चूस रहा था। चाची धीरे-धीरे गर्म हो रही थी।

अब लाला बनवारी लाल चाची के होंठों को रगड़ते हुए उनकी गांड मसलने लगा।

आह्ह बहुत ही मस्त गांड थी चाची की। आहा आज तो लंड को शानदार गांड मिलने वाली थी। लाला बनवारी लाल चाची के मस्त सेक्सी चूतड़ों को अच्छी तरह से सहला रहा था।

इधर लाला बनवारी लाल लंड चाची की चूत नापने के लिए बुरी तरह से झल्ला रहा था। वह चाची की गांड फाड़ने के लिए उतावला हो रहा था। तभी लाला बनवारी लाल ने चाची को उठा कर पलंग पर पटक दिया।

अब लाला बनवारी लाल झट से चाची के ऊपर चढ़ गया और फिर से उनके होंठो की चुसाई करने लगा। अब कमरे में पुच्च-पुच्च ऑउच्च की आवाज़े ज़ोर-ज़ोर से गूंज रही थी। फिर चाची कहाँ तक ख़ुद को कंट्रोल करती? वह भी लाला के होठों को बुरी तरह से चूसने लगी।

"आउच्च पुच्छ आउच आउच।"

अब लाला चाची की चूत नापने के लिए उतावला हो रहा था। तभी लाला बनवारी लाल सीधा चाची की टांगो में आया और उनके पेटिकोट साड़ी को ऊपर सरका कर चाची की चड्डी खोलने लगा। तभी चाची ने शर्म के मारे आँखे बंद कर ली।

"ओह सिसस्ससस्स।"

लाला ने झट से चाची की चड्डी खोल फेंकी। उनकी चड्डी से शानदार महक आ रही थी। अब लाला बनवारी लाल ने चाची के मुंह पर चड्डी फेंक दी।

"लो चाची, अब इसे आपकी गांड में रख लो।"

अब लाला बनवारी लाल ने पाजामा खोल फेंका और लंड दहाड़ मारता हुआ बाहर आ गया। अब लाला बनवारी लाल चाची की टांगो को फैला कर उनकी चूत में लंड सेट करने लगा। चाची की आँखे बंद थी, अभी भी सही तरीके से टाँगे नहीं खोल रही थी।

"चाची अब सही से लंड तो सेट करने दो।"

तब जाकर चाची ने सही तरीके से टाँगे खोली। चाची की चूत घनी काली झांटो से ढकी हुई थी।

"चाची, फ़सल तो टाइम से काट लिया करो।"

लेकिन चाची ने कुछ नहीं कहा। तभी लाला बनवारी लाल ने ज़ोर से झटका दिया और लंड एक ही झटके में चाची की चूत की गहराई में उतर गया। चूत में लंड की खनक होते ही चाची बहुत बुरी तरह से झल्ला गई और वह ज़ोर से चीख़ पड़ी।

"आईईईई। मर्रर्रर्रर्र गईईई। आईईईई। '"

तभी लाला बनवारी लाल ने लंड बाहर निकाला चाची ने देखा और उनकी आँखे लाला का 12 इंची हलब्बी मुस्ल लंड देख आँखे फ़टी और मुँह खुला का खुला रह गया और लाला ने इस बीच फिर से चाची की चूत में लंड ठोक दिया। दर्द के मारे चाची की फिर से गांड फट गई। वह फिर से चिल्ला पड़ी। अब लाला बनवारी लाल चाची की ताबड़-तोड़ ठुकाई करने लगा। मेरा लंड चाची की चूत में सका-सक घुस रहा था। चाची दर्द से तड़प रही थी। उनके मुंह से सिस्कारिया फूट रही थी।

"आहहह आह्ह सिससस्स आह्ह-आह्ह आईएईई अआईईई ओह आह्ह-आह्ह ओह धीरेरे आह्ह धीरेरेरे।"

"ओह चाची बहुत मस्त हो आप। आह्ह मज़ा आ गया आज तो मेरे लंड को। जम कर चोदने दो, आह्ह"

"बहुत दर्द हो रहा है लाला। आईईईईई। बहुत मोटा और बड़ा तगड़ा लंड है तेरा। आह्ह मर्रर्रर्र गाईईई।"

"बससस्स दर्द तो थोड़ी देर होगा चाची। फिर बहुत मज़ा आएगा।"

लाला बनवारी लाल चाची की चूत में जम कर लंड पेल रहा था। लाला को चाची की चूत में लंड पेलने में बहुत ज़्यादा मज़ा आ रहा था। चाची एक-दम मस्त थी। लाला का मोटा तगड़ा लंड चाची की हालात खराब कर रहा था। लाला बनवारी लाल चाची की टाँगे उठा कर उन्हें चोदे जा रहा था।

"अआह आहाहा-आहाहा सिससस्स ओह उँह ओह सिससस्स।"

"ओह चाची, आहा बहुत मज़ा आ रहा है। आह्ह।"

लाला बनवारी लाल गांड हिला-हिला कर चाची की चूत में जम कर लंड ठोक रहा था। लाला और चाची दोनों को बहुत ज़्यादा मज़ा आ रहा था। तभी कुछ देर बाद चाची की चूत में उबाल आ गया और उनकी चूत से गरमा गरम पानी बाहर निकलने लगा।

"आह्ह आहा सिससस्स ओह सिससस्स आह्ह।"

"पहले क्यों नहीं पटी आप? अब तक तो मेरा लंड आपको बहुत मज़ा दे चुका होता।"

"ओह आहा सिसस्ससस्स आईईईईई आह्ह। फाड़ दी तूने तो मेरी चूत।"

"फटने दो चाची। वैसे भी आपकी चूत पहले कभी नहीं फटी होगी?"

(चाची की दस साल की शादी के बाद भी कोई औलाद नहीं थी क्योंकी उनका पति जिन्दर उन्हें ठीक से चोदता नहीं था ।) तभी चाची ने लाला की इस बात का कोई जवाब नहीं दिया।

अब लाला ने चाची की टांगो को चौड़ी कर ऊपर और टाँगे उठा कर चाची को चिपका कर उनकी चूत में लंड पेल रहा था। अब चाची की टाँगे हवा में लहरा रही थी। अब चाची मस्ती में चुद रही थी।

"आह्ह आह्ह-आह्ह ओह सिससस्स आह्ह-आह्ह आह्ह ओह सिसस्स उन्ह अआईईई बहुत मज़ा आ रहा है। पहली बार मेरी इतनी ज़ोरदार ठुकाई हो रही है।"

"हाँ चाची, आज तो आपके जिस्म की पूरी प्यास बुझा दूंगा।"

"आह्ह आहाहा ओह रोहित आईईईई ओह बससस्स ऐसे ही चोद मुझे। आहाहा, लाला बनवारी लाल ये दिलजीत तो तेरे लंड की दिवानी हो गई। आह्ह।"

"हाँ चाची।"

लाला बनवारी लाल झमा-झम चाची को बजा रहा था। चाची बहुत बुरी तरह से चुद रही थी। तभी चाची एक बार फिर से पानी-पानी हो गई। फिर भी लाला ने बहुत देर तक चाची को बजाना जारी रखा।

लाला बनवारी लाल चाची को बहुत बुरी तरह से बजा रहा था। थोड़ी देर में ही लाला बनवारी लाल चाची का बहुत सारा पानी निकाल चुका था। चाची का बलाऊज पसीने में बुरी तरह से भीग चूका था।

अब लाला बनवारी लाल चाची के बलाऊज को खोलने लगा तभी चाची उसे रोकने लगी।

"अरे लाला इसे तो मत खोल ना।"

"चाची अगर बलाऊज नहीं खोलूंगा तो फिर आपके चूचे कैसे चुसूंगा।"

"अरे लाला, आज मत चूस ना।"

अब लाला बनवारी लाल ने झट से चाची का बलाऊज खोल उनकी ब्रा को ऊपर सरका दिया। तभी चाची के टाईट चूचे उछल कर बाहर आ गए। चाची के बोबों को और उनके तने हुए निप्पल देखते ही लाला के मुँह में पानी आ गया।

अब लाला बनवारी लाल चाची के बोबों को बुरी तरह से मुट्ठियों में भींचने लगा।

"हाय! क्या मस्त चूचे है। आहा! मज़ा आ गया चाची। बहुत टाइट है।"

लाला बनवारी लाल ज़ोर-ज़ोर से चाची के बोबों को मसल रहा था। इधर दर्द के मारे चाची बुरी तरह से झल्ला रही थी। लाला बनवारी लालउनके बोबों को कस कर निचोड़ रहा था।

"ओह आहा सिससस्स आह्ह आईएईई मम्मी, आईएईई सिअस्सस्स्स।"

"ओह चाची बहुत ज़्यादा मस्त चूचे है। आह्ह।"

"ओह लाला बहुत दर्द हो रहा है। प्लीज धीरे-धीरे मसल।"

"ओह चाची, ज़ोर-ज़ोर से ही मसलने दो ना। बहुत मज़ा आ रहा है।"

तभी चाची की बोलती बंद हो गई। लाला बनवारी लाल उनके चूचों से मजे लूट रहा था। चाची दर्द के मारे पलंग पर झटके खा रही थी। फिर लाला ने चाची के बोबों को मसल कर उनके बोबों को लाल कर डाला।


जारी रहेगी
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
 

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पंजाब दियाँ मस्त रंगीन पंजाबना–पार्ट–45

स्टोरी का नेक्स्ट पार्ट। पिछले पार्ट में आपने पढ़ा कि लाला और दिलजीत चाची को मिलवा दिया, अब आगे ।

मेरा चाचा लाला बनवारी लाल ने झट से सलमा की पड़ोसन दिलजीत चाची का बलाऊज खोल उनकी ब्रा को ऊपर सरका दिया। तभी चाची के टाईट चूचे उछल कर बाहर आ गए। चाची के बोबों को और उनके तने हुए निप्पल देखते ही लाला के मुँह में पानी आ गया।

अब लाला बनवारी लाल चाची के बोबों को बुरी तरह से मुट्ठियों में भींचने लगा।

"हाय! क्या मस्त चूचे है। आहा! मज़ा आ गया चाची। बहुत टाइट है।"

लाला बनवारी लाल ज़ोर-ज़ोर से चाची के बोबों को मसल रहा था। इधर दर्द के मारे चाची बुरी तरह से झल्ला रही थी। लाला बनवारी लालउनके बोबों को कस कर निचोड़ रहा था।

"ओह आहा सिससस्स आह्ह आईएईई मम्मी, आईएईई सिअस्सस्स्स।"

"ओह चाची बहुत ज़्यादा मस्त चूचे है। आह्ह।"

"ओह लाला बहुत दर्द हो रहा है। प्लीज धीरे-धीरे मसल।"

"ओह चाची, ज़ोर-ज़ोर से ही मसलने दो ना। बहुत मज़ा आ रहा है।"

तभी चाची की बोलती बंद हो गई। लाला बनवारी लाल उनके चूचों से मजे लूट रहा था। चाची दर्द के मारे पलंग पर झटके खा रही थी। फिर लाला ने चाची के बोबों को मसल कर उनके बोबों को लाल कर डाला।

अब लाला ने चाची के बोबों को मुँह में भर लिया और उनके पागलों की तरह चूसने लगा। चाची के बोबे चूसने में अलग ही मज़ा आ रहा था।

"उन्ह सिससस्स ओह चाची। बहुत रसदार है आपके बोबे, उन्ह।"

लाला बनवारी लाल सबड़-सबड़ कर चाची के बोबों का रस पी रहा था। आज तो lalaa ko थोड़ी-सी कोशिश में ही शानदार माल मिल gyi थी। लाला बनवारी लाल इस मौके का पूरा फायदा उठा रहा था।

चाची मेरे बालों को सहला रही थी। वह उनके बगीचे ke fal लाला बनवारी लाल को लुटा रही थी। लाला बनवारी लाल bhi जम कर उनके बगीचे के आम चूस रहा था।

"ओह चाची, आह्ह ऊँह बहुत मज़ा आ रहा है।"

फिर लाला बनवारी लाल ने चाची के बहुत देर तक बोबे चूसे। उनके टाईट बोबे बुरी तरह से गीले हो चुके थे। अब लाला बनवारी लाल फिर से चाची की टांगो में आ गया और अब चाची के पेटिकोट का नाड़ा खोल दिया और फिर लाला बनवारी लाल चाची को नंगी करने लगा।

"लाला ऐसे ही कर ले। सब कुछ खोलने की क्या ज़रूरत है।"

"चाची, मज़ा तो सब कुछ खोलने में ही आता है।"

"अरे, आज मनजोत (हरजीत भाभी की माँ) की बच्ची मेरी सारी इज़्ज़त तार-तार करवा कर मानेगी।"

तभी लाला बनवारी लाल ने एक साथ चाची के पेटिकोट और साड़ी को खोल कर निकाल फेंका। अब चाची शर्म से पानी-पानी होने लगी। वह नीचे से पूरी नंगी हो चुकी थी।

अब लाला बनवारी लाल ने चाची की टांगो को मेरे कन्धों पर रखा और फिर से चाची की चूत में लंड ठोक कर चाची को बजाने लगा। चाची फिर से लंड के तूफान में उड़ने लगी।

"आह्ह आह्ह सिससस्स आह्ह ओह। आईईईई मर्रर्रर्र गईईई सिससस्स।"

"ओह चाची बहुत अच्छा लग रहा है। आह्ह। बहुत शानदार माल हो आप।"

"आहा आह्ह सिससस्स आह्ह ओह सिससस्स, उन्ह।"

लाला बनवारी लाल झमा-झम चाची को चोद रहा था। अब लंड के झटकों से चाची के बोबे बुरी तरह से हिल रहे थे। लाला बनवारी लाल चाची की चूत में ज़ोर-ज़ोर से झटके मार रहा था। तभी चाची का फिर से पानी निकल गया।

"आहा सिससस्स आह्ह उन्ह सिससस्स आह्ह ओह सिसस्ससस्स।"

लाला बनवारी लालचाची की ताबड़-तोड़ ठुकाई कर रहा था। चाची भी अब सारी शर्म को छोड़ कर चूत में ख़ूब लंड ठुकवा रही थी। अब लाला बनवारी लाल पलंग पर खड़ा होकर चाची की चूत में लंड पेलने लगा।

"आह्ह आह्ह सिससस्स आह्ह ओह आह्ह मरर्रर्र गईईईई, धीरे-धीरे आह्ह ओह सिससस्स।"

अब लाला बनवारी लाल कहाँ चाची की सुनने वाला था। लाला बनवारी लालतो ज़ोर-ज़ोर से चाची की चूत का कचूमर बना रहा था। मेरा लंड एक-दम सीधा चाची की चूत की बखियाँ उधेड़ रहा था। अब चाची की टाँगे मोड़ बजाने में लाला को अलग ही मज़ा आने लगा।

"अआह आह्ह-आह्ह सिससस्स उन्ह आहहह आह्ह आईईईई। ओह सिससस्स।"

"मज़ा आ रहा है ना चाची?"

"हाँ लाला, आह्ह-आह्ह सिससस्स आह्ह ओह।"

आज लाला बनवारी लाल चाची की चूत में लगे जंग को अच्छी तरह से साफ़ करना चाहता था। लाला बनवारी लाल का लंड इसी काम में लगा हुआ था। तभी चाची की चूत फिर से पानी से लबालब हो गया।

लाला बनवारी लाल गांड हिला-हिला कर चाची के भोसड़े के लंड ठोक रहा था। चाची को पहली बार ठोकने में लाला बनवारी लाल ko बहुत ही ज़्यादा मज़ा आ रहा था।

"अआईईई सिससस्स आहाहा आहः सिससस्स आह आह्ह। ओह लाला बहुत शैतान है तू।"

"शैतान बनना पड़ता है चाची।"

फिर मैंने चाची को बहुत देर तक उनकी टाँगे मोड़ करकर ठोका। धमा-धम चुदाई से चाची बहुत ज़्यादा थक चुकी थी। फिर थोड़ी देर बाद चाची का भोसड़ा फिर से पानी-पानी हो गया। अब तो चाची बहुत बुरी तरह से नेस्तनाबूत हो चुकी थी।

"ओह आह्ह सिससस्स अब बससस्स लाले अब बस कर मेरी कमर दर्द करने लग गई।"

"चोदने दो ना रानी।"

"ओह आह्ह सिससस्स आहा ओह आह्ह आह्ह" !

"आह्ह बहुत मज़ा आ रहा है चाची। आह्ह" !

लाला बनवारी लालचाची को बुरी तरह से ठोक रहा था। चाची भी जम कर लंड ठुकवा रही थी। अब लाला बनवारी लाल ने चाची को मेरी बाहों में कसा और उन्हें धुआंधार तरीके से चोदने लगा।

"आईईईई आईईईई आह्ह आईएईई आह्ह सिससस्स आह्ह आईईईईई बसस्ससस्स।"

तभी कुछ ज़ोरदार झटकों से लाला का पानी निकल गया। अब चाची की चूत लंड के पानी से भर गई। लाला के गाढ़े वीर्य ने चाची दिलजीत की छूट में पूरी ग्रीसिंग कर दी, फिर लाला बनवारी लाल चाची से लिपट गया। तभी चाची में लाला को सीने से चिपका लिया।

फिर थोड़े देर दोनों ऐसे ही पड़े रहे।

कहानी जारी रहेगी
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पंजाब दियाँ मस्त रंगीन पंजाबना–पार्ट–46

स्टोरी का नेक्स्ट पार्ट। पिछले पार्ट में आपने पढ़ा कि सलमा की पड़ोसन हरजीत ने लाला और दिलजीत चाची को मिलवा दिया। अब आगे ।


लाला ने दिलजीत चाची की जोरदार चुदाई की, चुदाई के कुछ लम्बे ज़ोरदार झटकों से लाला का पानी निकल गया। अब दिलजीत चाची की चूत लंड के चिपचिपे गाढ़े पानी से भर गई। अब लाला बनवारी लाल चाची से लिपट गया। तभी चाची में उन्हें सीने से चिपका लिया।

फिर थोड़े देर दोनों ऐसे ही पड़े रहे।

कुछ देर बाद लाला बनवारी लाल फिर से चाची के होंठो को चूसने लगा। भाभी का कमरा फिर से आउच पुच्च पक्छ आउच की आवाज़ों से गूंजने लगा।

फिर लाला बनवारी लाल ने चाची के बोबों पर हमला कर दिया और उनके मुंह में भर-भर कर चूसने लगा।

"उन्ह आहा ओह चाची, बहुत रसीले बोबे है आपके, उन्ह।"

चाची चुप-चाप अपने खजाने को लुटा रही थी। लाला बनवारी लाल उनके टाइट चिकने बोबों को निचोड़-निचोड़ कर चूस रहा था। फिर लाला बनवारी लाल ने थोड़ी देर में ही चाची के बोबों को बुरी तरह से चूस डाला।

अब लाला बनवारी लाल चाची के मखमली पेट पर किस करने लगा। तभी चाची की चूत में सुरसुरी-सी होने लगी।

"ओह सिससस्स उन्ह आह्ह सिससस्स।"

लाला को चाची के गौरे चिकने पेट पर किस करने में बहुत ज़्यादा मज़ा आ रहा था। चाची बिन पानी की मछली की तरह तड़प रही थी। लाला बनवारी लाल चाची के पेट पर किस करके पूरा मज़ा ले रहा था।

"ओह सिससस्स आह्ह ओह उन्ह ओह रोहित, आहा सिससस्स।"

अब लाला बनवारी लाल किस करता हुआ चाची की चूत पर आ गया। अब लाला बनवारी लाल ने चाची की गांड के नीचे एक तकिया लगा दिया और फिर लाला बनवारी लाल चाची की टांगो को फ़ैला कर उनकी चूत चाटने लगा।

" आह्ह! चाची की रसीली चुत चाटने में मुझे बहुत ज़्यादा मज़ा आ रहा था। चाची उनकी चूत पर हमला होने की वज़ह से सिसकारियाँ भर रही थी।

"आह्ह ओह सिससस्स आह्ह उन्ह ओह सिससस्स आह्ह ओह आईईईई!"

लाला बनवारी लाल दिलजीत चाची की जांघों को पकड़ कर चाची की चूत का पूरा मज़ा ले रहा था।

"आईईई मम्मी। मर्रर्रर्र गईईई। सिससस्स आहा उँह सिससस्स। उँह सिससस्स।"

अब चाची मेरे बालो को पकड़ कर नोचने लगी थी। लाला बनवारी लाल चाची के गुलाबी दाने को सहला रहा था। अब चाची से ख़ुद पर कंट्रोल करना मुश्किल हो रहा था। वह बुरी तरह से झला रही थी।

"ओह लाला मत चाट मेरी चूत को । आह्ह सिससस्स उन्ह आहा ओह यारर्रर्र।"

लेकिन लाला चाची की बात नहीं मान रहा-रहा था। तभी कुछ ही देर में चाची का पानी निकल आया। अब चाची में ज़ोर से लाला के मुंह को चूत पर दबा दिया।

"आईईईई, उन्ह सिससस्स।"

अब लाला बनवारी लाल चाची के गरमा-गरम पानी को चाटने लगा। चाची का नमकीन पानी पीने में उन्हें बहुत ज़्यादा मज़ा आ रहा था। चाची अब मस्त होकर अपना पानी पिला रही थी।

"ओह लाला सिसस्ससस्स बहुत कमीना है तू। मेरा पानी ही निकाल दिया। अब अच्छे से चाट मेरी चूत।"

अब लाला बनवारी लाल ने चाची की चूत अच्छे से चाट डाली। अब लाला का मुस्ल लंड चाची को फिर से पेलने के लिए तैयार था।

अब लाला बनवारी लाल ने फिर से चाची की चूत में लंड सेट किया और अंदर एक ही झटके में पूरा घुसा कर चाची को दिन में तारे दिखाना शुरु कर दिया। लंड फिर से लोहे की रॉड बन कर चाची को चोद रहा था। चाची के मुंह से फिर से दर्द भरी सिस्कारिया निकलने लगी थी।

"आह्ह आह्ह सिससस्स आह्ह ओह आहा-आहा आईईईई ओह आह्ह।"

"ओह चाची बहुत मस्त माल हो आप। बहुत मज़ा आ रहा है मेरे लंड को।"

"तेरा लंड भी बहुत मस्त है। बहुत मज़ा आ रहा है मुझे चुदाने में। आह्ह आह्ह।"

लाला बनवारी लाल बुरी तरह से दिलजीत चाची की पेलम-पेल ठुकाई कर रहा था। चाची भी अब मस्त होकर चुद रही थी। लाला का लंड फिर से चाची की गहराई नाप रहा था। दिलजीत चाची मस्त होकर चूत में लंड ले रही थी।

"आह्ह सिससस्स आहा ओह आईईईईई सिससस्स आह्ह ओह उन्ह बहुत मज़ा आ रहा है। आहा बससस्स चोद ऐसे ही मुझे।"

" हाँ चाची।

तभी लगातार ठुकाई से चाची का फिर से पानी निकल गया। लंड फिर से चाची के पानी में भीग गया था। फिर लाला बनवारी लाल ने चाची को बहुत देर तक बजाया।

अब लाला बनवारी लाल ने चाची को ऐसे के ऐसे ही उठा लिया। चाची अब लाला की गोद में थी। लाला बनवारी लाल ने चाची से ऐसे ही चुदने के लिए कहा तभी चाची को कुछ समझ में नहीं आया।

"कैसे क्या करूँ? मुझे तो समझ में ही नहीं आ रहा है?"

"अरे चाची अपने हाथ मेरी गर्दन में डाल मुझे पकड़ कर आप गांड ऊपर नीचे हिलाओ तभी तक चूत में लंड अंदर-बाहर होगा।"

तभी चाची मुस्कुराती हुई चूत में लंड लेने की कोशिश करने लगी।

"लाला तेरे चाचा जी ने मुझे कुछ सिखाया ही नहीं। अपनी चार इंच की लुल्ली से वह बस थोड़ी देर चोदते है और ख़ुद का पानी निकाल सो जाते है।"

"अब लाला बनवारी लाल सब सिखा देगा चाची आपको।"

तभी दिलजीत चाची धीरे-धीरे स्पीड बढ़ाने लगी।

"आह्ह आह्ह ओह सिससस्स आहा सिससस्स आह्ह ओह लाला बहुत मज़ा आ रहा है।"

"हाँ चाची बससस्स ऐसे ही झटके मारो।"

अब चाची ज़ोर-ज़ोर से झटके मार-मार कर चुद रही थी। वह ज़ोर-ज़ोर से गांड हिला कर चूत में लंड ले रही थी। लाला बनवारी लाल चाची की कमर को पकड़े हुआ था।

"ओह चाची आप तो बहुत मस्त चुदती हो। आह्ह मज़ा आ रहा है।"

"आह्ह ओह सिससस्स आहा-आहा सिससस्स ओह आह्ह।"

चाची को चुदाने में बहुत मज़ा आ रहा था। वो धुआंधार तरीके से चूत में लंड ले रही थी। तभी लाला बनवारी लाल ने चाची के जिस्म पर अटके हुए बलाउज और ब्रा को खोल फेंका। अब चाची पूरी नंगी हो चुकी थी।

"आह्ह ओह आहा सिससस्स आह्ह ओह गईईई मैं तो।"

दिलजीत चाची का पानी निकल गया। अब चाची पसीने से लथ-पथ होकर हाफने लगी। लाला फिर से चाची के बोबे चूसने लगा।

"उँह आह्ह ओह सिससस्स आह्ह चाची।"

लाला बनवारी लाल फिर से चाची के बोबों का स्वाद ले रहा था। चाची भी आराम से उनके बगीचे के आम मुझे खिला रही थी। फिर लाला बनवारी लाल ने थोड़ी देर चाची के आम चूसे। अब लाला बनवारी लाल ने चाची को वापस पलंग पर गिरा दिया और अब लाला बनवारी लाल ने फिर से चाची के छेद में लंड सेट कर दिया।

अब लाला बनवारी लाल फिर से चाची के छेद में लंड पेलने लगा।

"आह्ह आह्ह ओह सिससस्स आह्ह उन्ह सिससस ओह आहा।"

"बहुत पेलूंगा चाची आज तो।"

"हाँ पेल ले आज लाला फ्री ही हूँ तेरा चाचा आज खाद लेने गया है सुना है वह बड़ी भीड़ है शाम तक ही आएगा।"

"बस फिर तो मज़ा ही मज़ा है चाची।"

अब लाला बनवारी लाल दिलजीत चाची की चूत में लंड पेले जा रहा था। चाची बस चुद रही थी। उनके चेहरे पर मेरे लंड से चुदने की ख़ुशी नज़र आ रही थी। लाला बनवारी लाल चाची को चोद-चोद कर मस्त कर रहा था।

"आह ओह सिससस्स आह्ह ओह लाला तू बहुत शानदार चोदता है तू तो। गाँव की बहुओं और औरतो में बड़ा चर्चा है तेरा । बहुत पक्का खिलाड़ी है रे तू।"

"सब आपकी बहु रानियों की ही मेहरबानी है चाची।"

फिर लाला बनवारी लाल ने चाची को बहुत देर तक बजाया। अब लाला बनवारी लाल ने दिलजीत चाची को पलट दिया। तभी चाची की मदमस्त गांड और चमचमाती हुई पीठ को देख कर लाला का लंड बुरी तरह से तन तना गया। अब लाला बनवारी लाल ने झट से चाची के ऊपर चढ़ गया और उनके कंधो पर ताबड़-तोड़ किस करने लगा। चाची बुरी तरह से सिकुड़ने लगी।

"ओह सिससस्स आहा उन्ह सिससस्स।"

लाला बनवारी लाल चाची के जिस्म को बुरी तरह से रगड़ रहा था। चाची के गाजराये जिस्म को रगडने में उसे बहुत ज़्यादा मज़ा आ रहा था। तभी लाला बनवारी लाल चाची की चमचमाती हुई पीठ पर किस करने लगा। अब चाची बुरी तरह से-से मचलने लगी।

"ओह सिससस्स आह्ह उँह सिससस्स।"

चाची पलंग की चादर को अब मुट्ठियों में कसने लगी थी। लाला बनवारी लाल बुरी तरह से चाची की पीठ पर किस कर रहा था और साथ में हाथो में चाची की बूब्स भर कर मसल रहा था । फिर लाला बनवारी लाल चाची के रसीले जिस्म को चूमता हुआ जल्दी से चाची की गांड पर आ गया। अब लाला बनवारी लाल चाची की मदमस्त गांड पर जल्दी-जल्दी किस करने लगा।

दिलजीत चाची की गांड पर ताबड़-तोड़ किस करने में बहुत ज़्यादा मज़ा आ रहा था। चाची बहुत ज़्यादा बेचैन हो रही थी। लाला बनवारी लाल तो चाची की गांड का फुल मज़ा ले रहा था। लाला बनवारी लाल चाची के गोल-गोल मस्त सुढोल चूतड़ो को अच्छी तरह से सहला कर मसल कर साथ में किस कर रहा था और छाछी मस्ती से कराह रही थी।

"ओह सिससस्स आह्ह ओह लाला आह्ह सिससस्स।"

फिर कुछ देर में ही लाला बनवारी लाल ने चाची की गांड पर ख़ूब सारे किस कर डाले। अब लाला बनवारी लाल चाची की गांड के छेद में ऊंगली करने लगा तभी चाची मना करने लगी।

" गांड में ऊंगली मत कर यार।"

"अरे चाची, सिर्फ़ ऊंगली ही डाल रहा हूँ लंड नहीं। अब कम से कम ऊंगली तो डालने दो।"

"अरे नहीं आज नहीं।"

तभी लाला ने चाची की गांड में ऊंगली घुसा दी। तभी चाची दर्द से तड़प उठी।

" आईईईई मम्मी, सिसस्ससस्स।

चाची की गांड बहुत टाईट लग रही थी। ऐसा लग रहा था जैसे चाची ने कभी गांड में लंड ही नहीं ठोकने दिया हो। अब लाला बनवारी लाल चाची की गांड में ऊंगली करने लगा।

"आहा सिससस्स ओह आहा ओह लाला मत डाल उंगली। आह्ह सिससस्स।"

"डालने दो चाची बहुत मज़ा आ रहा है। आह्ह बहुत टाईट गांड है आपकी। कभी किसी ने लंड नहीं डाला क्या आपकी गांड में?"

"मैंने डालने ही नहीं दिया।"

"तभी तो बहुत टाइट गांड हो रही है। अब तो लाला बनवारी लाल ही डालूंगा आपकी गांड में लंड।"

"नहीं यार प्लीज लंड मत डालना। बहुत दर्द होता है गांड में। वैसे भी तेरा लंड तो बहुत बड़ा और भारी है। मेरी तो गांड ही फाड़ देगा।"

"अरे आप चिंता मत करो। नहीं फटेगी आपकी गांड।"

"नहीं लाले तू तो सिर्फ़ ऊंगली ही डाल ले।"

"नहीं चाची अब तो लंड ही डालना पड़ेगा।"

फिर लाला बनवारी लाल ने बहुत देर तक दिलजीत चाची की गांड में ऊंगली डाल कर उनकी गांड को कस डाला। अब लाला बनवारी लाल चाची की गांड के छेद को थूक लगा कर मसलने लगा। तभी चाची समझ गई कि आज तो उनकी गांड की परतें खुलेगी।

"सिससस्स ओह नहीं कर लाले, आज मेरी एक ज़माने बाद ठीक से चुदाई हुई है।"

फिर लाला बनवारी लाल ने चाची की गांड के छेद में बहुत सारा थूक लगा कर उनकी गांड को तैयार कर लिया। अब लाला बनवारी लाल चाची की गांड में लंड सेट करने लगा तभी चाची मना करने लगी।

"यार प्लीज गांड मत लाला मर जाऊंगी मैं।"

"अरे चाची आप भी क्या बच्चों की तरह कर रही हो। पहले एक बार लंड तो डालने दो।"

"मत डाल यार।"

"डालना तो पड़ेगा चाची।"

दिलजीत चाची बहुत कोशिश कर रही थी कि गांड बच जाए लेकिन आज लाला का लंड चाची की गांड छोड़ने के मूड में नहीं था ।

कहानी जारी रहेगी
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
 

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पंजाब दियाँ मस्त रंगीन पंजाबना–पार्ट–47

स्टोरी का नेक्स्ट पार्ट। पिछले पार्ट में आपने पढ़ा कि सलमा की पड़ोसन हरजीत ने लाला और दिलजीत चाची को मिलवा दियाऔर लाला ने चची की चुदाई कर दी । अब आगे ।

ललाल ने दिलजीत चाची की जोरदार चुदाई की और उसके बाद लाला बनवारी लाल ने चाची की गांड के छेद में बहुत सारा थूक लगा कर उनकी गांड को तैयार करने लगा। जब लाला बनवारी लाल चाची की गांड में लंड सेट करने लगा तभी चाची मना करने लगी।

"प्लीज गांड में मत कर लाला मैं मर जाऊंगी।"

"अरे चाची आप भी क्या बच्चों की तरह कर रही हो। पहले एक बार लंड तो डालने दो।"

" मत डाल लाले।

"सिससस्स ओह नहीं कर लाले, आज मेरी बात मानले लाला, देलख आज मेरी एक ज़माने बाद ठीक से चुदाई हुई है मेरी गांड फिर मार लियो। लाला तुझे काके की क़सम आज नहीं।"

अब मेरी क़सम सुन चचा रुक गया और ऐसे ही घपड़ि बनी चाची की छूट अपना बड़ा बारह इंची लंड रगड़ने लगा । चाची ने कुछ राहत की सांस ली ही थी की अब लाला बनवारी लाल ने चाची की चूत में लंड सेट कर ज़ोर से धक्का दिया। एक ही झटके में लाला का लंड घोड़ी बनी हुई चाची की चूत चीरता हुआ सीधा अंदर घुस गया। तभी चाची ज़ोर से चीख पड़ी।

"आईएईई मम्मी मरर्रर्र गईईई आईईईई ओह लाला बहुत दर्द हो रहा है। प्लीज लंड बाहर निकाल।"

तभी लाला बनवारी लाल ने लंड बाहर निकाल लिया और फिर से चाची की चूत में लंड ठोक दिया। चाची फिर से दर्द से झल्ला पड़ी।

"आईईईई मम्मी, आहा सिसस्ससस्स आह्ह।"

"अब चाची थोड़ा दर्द तो होगा ही। सालों से आपकी-आपकी ठीक से चुदाई नहीं हुई है और मुझे लगता है कभी चचा ने तुम्हे घोड़ी बना कर भी नहीं चोदा है।"

अब चाची चुप थी। अब लाला बनवारी लाल चाची को दबोच कर उनकी चूत पीछे से मारने लगा। चाची की टाइट चूत ऐसे मारने में लाला को बहुत ज़्यादा मज़ा आ रहा था। लाला का लंड चाची की चूत के छेद को चौड़ा कर रहा था।

"आह्ह बहुत मज़ा आ रहा है। आह्ह बहुत ही मस्त टाइट चूत है चाची है आपकी। आह्ह।"

"आराम आराम से डाल लाला। बहुत दर्द हो रहा है। बहुत भारी लंड है तेरा।"

"आराम से चूत मारने में मज़ा नहीं आता है चाची। आप तो ज़ोर-ज़ोर से ही लंड पेलने दो।"

लाला का लंड चाची की चूत के परखच्चे उड़ा रहा था। चाची दर्द को झेलते हुए कुटिया बन चुदवा रही थी। लाला बनवारी लाल चाची के ऊपर चढ़ कर उनकी चूत मार रहा था। चाची लाला के नीचे दबी हुई थी।

"ओह आह्ह सिससस्स आह्ह ओह। आह्ह मरर्रर्र गाईईई।"

फिर लाला बनवारी लाल ने बहुत देर तक चाची की इसी तरह से चूत मारी। अब लाला बनवारी लाल ने चाची को उठाया और उन्हें पलंग से नीचे ले आया। अब लाला बनवारी लाल ने पलंग के बिस्तर को देखा तो वह बहुत ज़्यादा गीला हो रहा था। पता नहींचुदाई में चाची कितनी बार झड़ी थी? अब लाला बनवारी लाल ने चाची को घोड़ी बनने के कहा। तभी चाची पलंग को पकड़ कर घोड़ी बन गई।

"मार ले तेरी चाची की चूत कुतिया की तरह।"

अब लाला बनवारी लाल ने फिर से चाची की गांड में लंड डाला और फिर से चाची की चूत मारने लगा। घोड़ी बना कर चाची की चूत में लंड पेलने में बहुत ज़्यादा मज़ा आ रहा था लंड ज़्यादा से ज़्यादा अंदर जा रहा था और साथ में सहचे के ंगम मुलायम गद्देदार चूतड़ लाला की जांघो से टकराकर लाला को अलग मज़ा दे रहे थे। लाला बनवारी लाल चाची की कमर पकड़ कर दे दना दन लंड ठोक रहा था। चाची दर्द से तिलमिला रही थी।

"आह्ह आह्ह सिससस्स आह्ह ओह सिससस्स।"

तभी थोड़ी देर बाद चाची बुरी तरह से कांप उठी और उनकी चूत से गरमा-गरम माल झरने लगा।

चाची पसीने में भीग चुकी थी। अब चाची का हाल बेहाल हो चूका था। लाला बनवारी लाल झमाझम चाची की चूत में लंड पेल रहा था। लाला का लंड चाची को बहुत बुरी तरह से बजा रहा था।

" उन्ह आह्ह-आह्ह आईईईई आह्ह अहा बससस्स। आह्ह रहने दे अब्ब्ब्ब्ब।

"ऐसे कैसे रहने दू मेरी रानी? अभी तो तुझे ख़ूब बजाना है।"

घोड़ी बनी चाची चुदाई करवाते हुए थक चुकी थी। लाला के लंड का कहर चाची को बहुत बुरी तरह से पेल रहा था। तभी थोड़ी देर बाद चाची फिर से पानी-पानी हो गई। आज पहली बार में ही लाला का लंड चाची की चूत का गोदाम बना चुका था। लाला पूरा लंड निकाल कर पूरा अंदर पेल रहा था जिससे अब चाची फिर से दर्द से तड़पने लगी।

"आह्ह आह ओह सिससस्स आहा सिससस्स ओह आहा सिसस्स।"

लाला बनवारी लाल चाची की कमर पकड़ कर उन्हें झमाझम चोद रहा था। लाला का लंड चाची की चूत में सीधा घुस रहा था। मुझे चाची को घोड़ी बना कर चोदने में बहुत ज़्यादा मज़ा आ रहा था। लाला बनवारी लाल गांड हिला-हिला कर चाची की चूत में लंड पेल रहा था। चाची दर्द से कराह रही थी लेकिन वह चुदवाना चाह रही थी।

"ओह उन्ह ओह सिससस्स आह्ह-आह्ह आह्ह ओह सिससस्स आहा आह्ह बहुत मज़ा आ रहा है और चोद अआह आह्ह चोद।"

"हाँ चाची, आज तो आपकी खैर नहीं। बहुत मज़ा आ रहा है।"

"आह्ह आह्ह ओह सिससस्स आह्ह ओह आह्ह आह्ह।"

अब चाची घोड़ी बन कर बुरी तरह से चुद चुकी थी। फिर लाला बनवारी लाल ने चाची की चूत में से लंड बाहर निकाला और अब लाला बनवारी लाल बेड पर बैठ गया। अब लाला बनवारी लाल ने चाची से लंड चूसने के लिए कहा। तभी चाची मुस्कुराने लगी।

"यार अब ये भी करना पड़ेगा क्या मुझे?"

"हाँ चाची, आप चूसो तो सही। बहुत मज़ा आएगा आपको।"

तभी चाची नीचे बैठ गई और अब वह शरमाती हुई लाला के लंड को मसलने लगी।

"बहुत ही मस्त हथियार है तेरा यारलाला। बहुत मजे देता है।"

"ये आपके लिये ही है चाची।"

अब चाची लाला के लंड को मसल-मसल कर लाल कर चुकी थी। अब चाची ने लाला के लंड को मुंह में लिया और उसे चूसने लग गई।

"आहा चाची बहुत अच्छा लग रहा है। आहा मज़ा आ रहा है। आह्ह।"

अब चाची आराम-आराम से लाला का लंड चूस रही थी। लाला बनवारी लाल लंड तन कर चाची के मुंह में डाले हुए था। मुझे चाची को लंड चुसवाने में बहुत ज़्यादा मज़ा आ रहा था। चाची धीरे-धीरे स्पीड बढ़ा रही थी। लाला बनवारी लाल चाची के बालों को समभाल रहा था।

"ओह चाची बस ऐसे ही चूसो। आह्ह। आपको तो अच्छे से लंड चूसना आता है।"



फिर चाची ने बहुत देर तक लाला के लंड को चूस कर उसे लॉलीपॉप बना डाला। अब लाला बनवारी लाल खड़ा हो गया और फिर चाची के मुंह में लंड डाल कर उनके मुंह को चोदने लगा।

आह! चाची के मुंह को चोदने में मुझे बहुत ही आनंद मिल रहा था।

"ओह चाची, आह्ह बहुत मज़ा आ रहा है। उन्ह।"

लाला का लंड झमाझम चाची मुंह की ठुकाई कर रहा था। लाला का लंड चाची की थूक से गीला हो चूका था। लाला बनवारी लाल चाची के सिर को पकड़ कर उनके मुंह में ज़ोर-ज़ोर से लंड पेल रहा था।

"ओह चाची। आह्ह सिसस्ससस्स आहा।"

फिर लाला बनवारी लाल ने बहुत देर तक चाची के मुंह में लंड पेला। अब लाला बनवारी लाल ने चाची को उठाया और उन्हें पलंग पर पटक दिया। लाला बनवारी लाल पलंग से नीचे ही खड़ा था। अब लाला बनवारी लाल ने चाची को पकड़ कर पलंग के किनारे खींच लिया और फिर चाची की टांगो को उठा लिया।

अब लाला बनवारी लाल ने चाची की चूत में लंड सेट कर दिया और उन्हें झमाझम चोदने लगा। लाला बनवारी लाल ज़ोर-ज़ोर से चाची की चूत में लंड पेल रहा था। चाची फिर से लाला के लंड के नीचे पस्त होने लगी थी।

"आह्ह आह सिससस्स आह्ह ओह उन्ह सिससस्स आह्ह ओह।"

"ओह चाची क़सम से। बहुत ज़्यादा मज़ा आ रहा है। बहुत सेक्सी माल हो आप।"

अब लाला के लंड के झटकों से पलंग चुड़-चुड़ कर रहा था। लाला बनवारी लाल चाची को बुरी तरह से बजा रहा था। लाला के लंड के ताबड़-तोड़ झटकों से चाची के बोबे ज़ोर ज़ोर से हिल रहे थे।

"आह्ह आह्ह सिससस्स ओह मम्मी। आह्ह बहुत अच्छा लग रहा है यार। आह्ह। तू तो ख़ूब चोद मुझे, आह्ह।"

"हाँ चाची ख़ूब चोदू़ंगा आपको। आप चिंता मत करो।"

अब चाची की दबी हुई भावनाएँ बाहर फुट रही थी। लाला का लंड उन्हें बुरी तरह से खोल चूका था। अब चाची खुल कर उनकी ठुकाई करवा रही थी। लाला बनवारी लाल भी चाची को निराश नहीं कर रहा था और उन्हें खुब चोद रहा था।

"आह्ह आह्ह ओह सिससस्स आह्ह उन्ह आह्ह-आह्ह आहा।"

लाला बनवारी लाल चाची को पानी-पानी कर रहा था

लाला बनवारी लाल चाची को बजाये जा रहा था। आज तो लाला बनवारी लाल चाची को चोद-चोद कर बुरा हाल कर चुका था। अब तो चाची पानी मांगने लगी थी।

"ओह आह्ह सिससस्स आह्ह बसस्ससस्स।"

तभी लगातार चुदाई के बाद लाला बनवारी लाल अकड़ने-सा लगा और फिर लाला बनवारी लाल ने चाची की चूत में लंड रोक कर लंड का पानी निकाल दिया। अब लाला बनवारी लाल तृप्त होकर चाची से लिपट गया।

"बहुत बुरी तरह से बजाया है लाला तूने। मेरी चूत की ऐसी तैसी कर दी।"

"मैंने तो आपका भला ही किया है चाची। आपको तो मोटे तगड़े लंड की सख्त ज़रूरत थी। यही तो मैं आपको समझा रहा था चाची। बहुत अच्छी सर्विस की है मैंने आपकी।"

"हाँ, बहुत मज़ा आया तुमसे चुदाने में। ये चुदाई मुझे हमेशा याद रहेगी।"

"अब तो ये पल आते रहेंगे चाची।"

तभी चाची मुस्कुराने लगी। अब चाची खड़ी हो गई और कपडे इकट्ठे करने लगी। फिर चाची ने कपडे इकट्ठे करके पलंग पर डाल दिए। फिर चाची ने कपड़े पहन लिये ।और कमरे से बाहर चली गई। अब लाला भी कपड़े पहन कर फटाफट बाहर आ भाभी और चाची से कुछ बात करने लगा जिसे सुन चाची और भाभी मुस्कुराने लगी। उसके बाद लाला घर लौट गया।


कहानी जारी रहेगी
वाह क्या गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
 

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पंजाब दियाँ मस्त रंगीन पंजाबना–पार्ट–48

स्टोरी का नेक्स्ट पार्ट। पिछले पार्ट में आपने पढ़ा कि सलमा की पड़ोसन हरजीत ने लाला और दिलजीत चाची को मिलवा दियाऔर लाला ने दिलजीत चाची की चुदाई कर दी । अब आगे ।

गर्मियो के दिनो की बात है के मैं एक दिन कालेज में क्लास जल्दी ख़त्म हो गयी, गर्मी ज़्यादा थी और, मैं जल्दी घर आ गया।

गर्मियों में गलियो में सन्नाटा था। सब लोग अपने घरों में पंखे, ऐ.सी चलाकर सो रहे थे। मैंने आकर थोड़ा आराम किया और फिर कुछ देर बाद सोचा बाद में नहाकर चाय पीऊँगा, तभी गली वाले दरवाजे की डोर बेल् बजी।

मैं मन में गालिया निकालता दरवाज़ा खोलने आ रहा था के साला आराम से नहाने भी नहीं देते। गेट खोल कर देखा तो सामने करीब 20 साल की लड़की जिसके गले में बैग टांगा हुआ था रंग गोरा, लम्बे काले गांड तक लम्बे बाल, काली-काली बड़ी बड़ी आँखे, मोटे, बड़े स्तन कुर्ता फाड़ कर बाहर आने के लिए बेताब, पतली कमर और पसीने से तर बतर, जिससे सलवार और तंग पजामी बदन से चिपकी हुई थी, बोली हलो सर जी, मैं एक प्राइवेट कम्पनी से आई हूँ और घरेलू ज़रूरत का समान कम्पनी के रेट में बेचने आई हूँ। क्या आप देखना पसंद करेंगे?

मेने उसे बोला देखिये इस वकत घर पर कोई औरत नहीं है और मुझे समान नहीं देखना है। फेर कभी आना।

वो–तो क्या हुआ सर जी, आप भी घर के ही मेंबर ही हो, ले लो न समान थोडा-सा रह गया है। इतनी गर्मी में किधर घूमती फिरुगी।

मेने उसे अंदर बुला लिया और दरवाज़ा बन्द करके उसके साथ अपने कमरे में आ गया।

उसने बैड पर पंखे के निचे बैठकर अपना बैग उतारा और आँखे बन्द करके हवा को महसूस करने लगी। वह पूरी तरह से पसीने से भीगी हुई थी।

मैं रसोई से उसके लिए गिलास में पानी ले आया। उसने पानी पीकर थैंक्स बोला और अपने कपड़े ठीक करके हवा लेने लगी।

मैं उसे बैड पर ही बैठा दूर से निहार रहा था। गर्मी से उसका बुरा हाल हो रहा था। वह जितना पसीना अपने रुमाल से पोंछती, उस से दुगना उसके चेहरे पर आ रहा था। मेने उसे बाथरूम की तरफ़ इशारा करके बोला, जाओ मैडम वहाँ टूटी पर मुँह धो लो, आराम मिलेगा। उसे मेरी बात जच गयी और वह मुँह धोकर वापिस अपनी जगह पर आकर बैठ गयी।

मेने उससे पूछा–कहिये क्या बात है?

वो– (उसने अपनी बात दुहराई) सर जी, मैं फलां कम्पनी से आई हूँ, मेरा नाम राजविंदर है और मैं घर में ज़रूरी काम की चीज़े बेचती हूँ।

उसने रसोई में उपयोग होने वाला सामा बहुत सारी चीज़े मेरे सामने निकाल कर रखदी और बोली–देखलो सर यही सामान बचा है बाक़ी तो सब बिक गया है। वैसे बज़ार में जाओगे आपको यही सामान बहुत ज़्यादा दाम में मिलेगा पर हमसे खरीदोगे तो आपके काफ़ी डिस्काउन्ट मिलेगा। जेसे ये सर्फ़ बाज़ार में 100 रूपये का है हम आपको 50 रूपये में दे देंगे आपको 50 रूपये का फायदा हो गया न घर बैठे बिठाये। गर्मी में बाज़ार भी नहीं जाना पडेगा ।

वो फटाफट बोलती ही जा रही थी। मैं उसके हिलते पतले से होंठो की तरफ़ देखता जा रहा था।

करीब 10 मिनट भाषण देने के बाद बोली–हांजी अब बोलिये क्या दूं आपको?

मैंने मन में ही बोला "आप" और मेरे चेहरे पर हल्की-सी स्माइल आ गयी।

पता नहीं वह अपनी कही बात का दोहरा मतलब ख़ुद समझ गयी और वह भी हंस पड़ी।

मेने बोला–मैडम जी सामान तो आपसे ले लेंगे पहले बैठो बाते करते है। वेसे भी इतनी गर्मी है, कहाँ गर्मी में घूमती फिरोगी। कुछ देर आप आराम करो।

वो–प्लीज ये सामान ले लो आप।

मैं–ज़रूर लूंगा आप सब्र करो। आप रुको मैं आपके लिए कुछ लाता हूँ आप चाय पियेंगी या निम्बू पानी या शर्बत। वैसे इस गर्मी में निम्बू पानी बेहतर रहेगा, फिर निम्बू की शिकंजी बना कर दो गिलासों में लेकर आ गया।

उसने एक गिलास उठाया और धन्यवाद बोली।

शिकंजी पीते-पीते हम बाते करने लगे...

मेने उससे उसके बारे में पूछा तो उसने बताया वह पंजाब के अमृतसर जिले की रहने वाली है। उसने मुझसे पूछा आपको कोई ऐतराज़ न हो थोडा टाइम यहाँ रुक जाऊ यहाँ बैग भारा होने की वज़ह से पीठ में दर्द होने लगा है। जरा-सा आराम कर लेने से दर्द कम हो जायेगा।

मेने कहा आप छाए तो लेट जाओ मुझे कोई ऐतराज़ नहीं है।

वो थैंक्स बोलकर लेट गयी और आँखे बन्द करके आराम करने की स्थिति में आ गयी।

वो हंसकर बोली–सरजी मुझे तो नींद आ रही है।

मैं–सो जाओ मना किसने किया है।

मैं रसोई में कुछ काम करने लगा फिर उसके पास ही एक कुर्सी पर बैठ गया। थोड़े ही टाइम में वह इतना खुल गयी के जेसे बरसो से जान पहचान हो उसकी।

हम दोनों एक से बाते करने लगे।

आम घरेलू बाते करते-करते हम प्राइवेट बातो पर आ गये। मेने उसे उसकी उम्र पूछी वह बोली 20 साल...

मैं हंसकर बोला शरीर से तो लगती 25 के ऊपर के हो।

वो शरमाकर हंस पड़ी और बोली नहीं नही 20 भी पूरे नहीं किये मेने तो...

मैंने उससेे पूछा कितना पढ़ी लिखी हो।

वो बोली 10+2 किया है पिछले साल और आप?

मैं–मैं अभी कालेज में पढ़ रहा हूँ और मेरा नाम गौरव है, प्यार से सभी काका कहते है!

इस तरह हसी मज़ाक चलता रहा। मेने कहा आप कहो तो आपकी पीठ दबा देता हूँ और उसकी पीठ पर हाथ लगाकर सहला दिया, पीठ एकदम नरम और चिकनी थी वह मेरा हाथ महसूस कर बस जरा-सा मुस्कराई पर कुछ बोली नही। जिस से मेरी हिम्मत और बढ़ गयी और मेने उसकी पीठ दबायी। मैंने थोड़ा हाथ सरका कर कमर पर लगाया और मसलने लगा।

उसे आराम महसूस हुआ और आह कर कराहने लगी और वह हल्की-हल्की मादक आवाजें निकाल रही थी।

मैंने कहा-आओ.। मैं मालिश कर देता हूँ तुम्हें अच्छा लगेगा।

वो तुरंत मान गई।

हम दोनों उठ कर बिस्तर पर आ गए और वह मेरे सामने औंधी लेट गई।

अब उसकी मस्त मोटी गांड मेरी आँखों के सामने उठी हुई थी... उसका 36-28-34 का फिगर मस्त दिख रहा था। उसकी गांड बहुत मस्त लग रही थी।

मैं तो अब होश खो रहा था... तो उसके पास बैठ गया और उसकी टांगों पर हौले-हौले मसाज करने लगा।

उसकी चिकनी टांगों पर हाथ लगाते ही मेरा लंड उछल कूद करने लगा।

मैं धीरे-धीरे टांगों पर मसाज करता-करता थोड़ा ऊपर आने लगा और उसकी जाँघों तक मेरे हाथ पहुँच गए।

उसकी सलवार के अंदर गोरी-गोरी मख़मली चिकनी जांघें सहला कर तो किसी बुड्डे का लंड भी पानी छोड़ दे।

मैं उसकी जांघें सहला रहा था और वह हल्की-हल्की मादक आवाजें निकाल रही थी।

मैं समझ गया कि उसको मज़ा आ रहा है।

मैं हौले-हौले हाथों को थोड़ा और बढ़ाता गया और उसकी टांगो के अन्दर से उसकी जाँघों के जोड़ तक मसाज करने लगा।

वो थोड़ा हिली... लेकिन उसने मना नहीं किया... तो मेरी हिम्मत थोड़ी और बढ़ गई।

अब मैंने थोड़ा हाथों को और ऊपर बढ़ाया... तो मुझे उसकी पैन्टी महसूस हुई।

पैन्टी पर हाथ लगते मेरा लंड फिर झटके देने लग गया और मैं पैन्टी और सलवार के ऊपर से उसकी गांड की मालिश करने लगा।

उसकी गांड एकदम कोमल और मखमली-सी लग रही थी... लेकिन मुझे अभी तक उसकी गांड के दीदार नहीं हुए थे।

मैं तो देखने को तड़प रहा था... तभी वह बोली-आह ाचा लग रहा है अब पीठ पर मालिश करो।

मैंने कहा तेल लगा कर मालिश करना बेहतर रहेगा मैंने कहा-आपको अपने कपड़े उतारने पड़ेंगे, नहीं तो ये गंदे हो जाएंगे।

उसने बोला-नो ... ऊपर से ही कर दो ... कपड़े उतारने की ज़रूरत नहीं है।

मैंने कहा-ऐसे तो आराम नहीं आएगा ।

उसने अपना कुर्ता ऊपर से उतार दीया । आह ... मेरी आंखें मानो किसी जन्नत की हूर के बदन को चूमने लगी थी। मगर मैंने शराफ़त का चोला ओढ़ा हुआ था। इसलिए ऐसा जताया कि मुझे उसकी नंगी हो जाने से कुछ ख़ास फ़र्क़ नहीं पड़ा। इस समय वह मेरे सामने सिर्फ़ ब्रा और एक घुटने तक की लैगी क़िस्म की शरीरी से चिपकी हुई पजामी में रह गई थी। मैं आयल ले आया ।

उसने कहा आप भी अपने कपड़े निकाल दो नहीं तो खराब हो जाएंगे । मैंने भी अपनी सब कपड़े निकाल अंडरवेअर में रह गया ।

मैंने धीरे-धीरे उसको मसाज देना शुरू किया। मैंने उसके पीछे पीठ पर ऑयल डाला और धीरे-धीरे उसको फैला कर मसाज करने लगा। कुछ देर उसकी मक्खन पीठ पर हाथ फेरने के बाद मैंने कहा कि आपकी ब्रा थोड़ी दिक्कत कर रही है।

उसने औंधे लेते हुए ही मुझसे कहा-ठीक है आप उसे उतार दो।

मैंने पीछे से ही उसकी ब्रा का हुक खोल दिया और उसकी ब्रा उसके तने हुए मम्मों पर फंस कर रह गई. अभी उसकी ब्रा ने मम्मों को नंगा नहीं किया था।

मैं फिर से धीरे-धीरे पूरी नंगी पीठ पर हाथ फेरते हुए उसके कंधों को दबा-दबा कर उसे मसाज का मज़ा देने लगा। जब में उसकी पीठ पर नीचे से ऊपर तक मसाज करते हुए उसके कंधों तक ले जाता, तो उसी समय मैं पीठ की बगलों से आगे को हाथ ले जाकर उसके मम्मों को भी टच करने लगा था।

वो भी धीरे-धीरे अपनी मस्ती में खोने लगी थी। अब मैं कुछ ज़्यादा ही हाथ को आगे ले जाते हुए उसके बदन को मसाज देते हुए उसके चूचों को टच करने लगा था। उसके कोई ऐतराज न करने पर मैंने अब उसकी बांहों पर तेल डाला और हाथों की मसाज करने लगा।

मैंने लगभग 15 से 20 मिनट हाथ की मसाज की। मुझे उसकी मालिश करते हुए अब लगभग 15 मिंट हो गए थे । वह पूरी गनगना गई थी।

मैंने कहा-अब आपकी पजामी उतारने पड़ेगी।

उसने आंखें मूंदे हुए ही कहा-ओके कोई प्रॉब्लम नहीं है।

उसने कमर ऊपर करते हुए गांड उठा दी। मैंने उसकी पजामी खींचते हुए उतार दी। उसने अन्दर लाल रंग की थोंग पैंटी अभी भी पहन रखी थी। इस पैंटी से उसके दोनों चूतड़ों के नजारे साफ़ हो रहे थे। चुत के लिए बस एक डोरी उसकी गांड से होते हुए नीचे चुत के ऊपर चली गई थी।

मैंने उसके एक पैर की पिंडली पर तेल डाला और मसाज करने लगा। धीरे-धीरे मैं ऊपर आते हुए उसके गोल-गोल चूतड़ों को सहलाने लगा। साथ ही उसके छेद को छूने लगा।

उस पर अब पूरी मस्ती छाने लगी थी।

मैंने उससे पूछा-आप कैसा फील कर रही हैं?

उसने कहा-बहुत अच्छा लग रहा है ... बस ऐसे ही करते रहो।

मैं जैसे ही उसकी पीठ पर मसाज करने के लिए झुकता... मेरा लंड वैसे ही उसकी गांड की दरार में घुस जाता। और उसकी हल्के से ' आ... उहह... की आवाज़ निकल आती।

मैं उसकी पीठ पर मसाज करते-करते साइड में से उसके चूचे पर भी हाथ फेर देता... तो मुझे एकदम कोमल और मुलायम मक्खन के गोले का-सा अहसास हो जाता।

मुझे लगा कि मेरा तो पानी यहीं निकल जाएगा।

फिर धीरे-धीरे कमर पर मसाज करते हुए मैं उसकी गांड सहलाने लगा और गांड पर मसाज करने लगा। वह अब मज़े ले रही थी... लेकिन कुछ बोल नहीं रही थी।

मैं हिम्मत करके और आगे बढ़ा और मैं धीरे-धीरे पैन्टी के ऊपर से उसकी गांड के छेद और चूत के छेद के आस-पास हाथ फिराने लगा।

मैंने देखा कि उसकी पैन्टी एकदम गीली हो गई थी... मतलब उसको भी चुदास के मज़े आ रहे थे।

अब मैं उसकी गांड और चूत देखना चाहता था... तो मैंने एक हाथ से पैन्टी को थोड़ा-सा साइड में किया और मुझे जन्नत का दरवाज़ा दिख गया... एकदम गुलाबी छेद...

मेरा मन किया कि अभी अपनी ज़ुबान घुसेड़ दूँ। और चूस लूँ...

लेकिन मैं उसको थोड़ा तड़पाना चाहता था।

कुछ देर बाद मैंने उससे कहा-अब आप सीधे हो जाइए और अपनी पैंटी उतार दीजिए.

मैम ने पलट कर कमर को उठाते हुए कहा-आप ख़ुद ही उतार दो।

उसकी नंगी चूचियों पर मैंने एक निगाह डाली और अपने लंड को समझाते हुए मैंने धीरे से उसकी पैंटी उतार दी। क्या ज़न्नत का नज़ारा था, उस पल में।

उसकी सफाचट चुत ने मेरे कलेजे को हिला दिया था। लंड ने भी अंगड़ाई भर ली थी। ये उसने भी देख लिया था।

उसे शायद मेरे लंड को फूलते देख कर अपनी मदमस्त जवानी पर गुमान हुआ और उसने अपने हाथ ऊपर करते हुए फैला दिए. वह मेरे सामने एकदम नंगी चित पड़ी थी।

मैंने आगे आते हुए उसके मम्मों पर तेल डाला और मसाज करने लगा। मम्मों पर तेल फैलाने के साथ मैंने साथ में उनको नीचे से दबाते हुए ऊपर को अपनी हथेलियाँ ले जाने लगा।

उसकी आंखें वासना के नशे से बोझिल होने लगी थीं। वह बार-बार मेरे सीने को सूंघती और मर्दाना गंध को महसूस करते हुए आंखें बंद कर लेती।

जारी रहेगी
बहुत ही शानदार और मदमस्त अपडेट है भाई मजा आ गया
 

Napster

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पंजाब दियाँ मस्त रंगीन पंजाबना–पार्ट–47

स्टोरी का नेक्स्ट पार्ट। पिछले पार्ट में आपने पढ़ा कि सलमा की पड़ोसन हरजीत ने लाला और दिलजीत चाची को मिलवा दियाऔर लाला ने चची की चुदाई कर दी । अब आगे ।

ललाल ने दिलजीत चाची की जोरदार चुदाई की और उसके बाद लाला बनवारी लाल ने चाची की गांड के छेद में बहुत सारा थूक लगा कर उनकी गांड को तैयार करने लगा। जब लाला बनवारी लाल चाची की गांड में लंड सेट करने लगा तभी चाची मना करने लगी।

"प्लीज गांड में मत कर लाला मैं मर जाऊंगी।"

"अरे चाची आप भी क्या बच्चों की तरह कर रही हो। पहले एक बार लंड तो डालने दो।"

" मत डाल लाले।

"सिससस्स ओह नहीं कर लाले, आज मेरी बात मानले लाला, देलख आज मेरी एक ज़माने बाद ठीक से चुदाई हुई है मेरी गांड फिर मार लियो। लाला तुझे काके की क़सम आज नहीं।"

अब मेरी क़सम सुन चचा रुक गया और ऐसे ही घपड़ि बनी चाची की छूट अपना बड़ा बारह इंची लंड रगड़ने लगा । चाची ने कुछ राहत की सांस ली ही थी की अब लाला बनवारी लाल ने चाची की चूत में लंड सेट कर ज़ोर से धक्का दिया। एक ही झटके में लाला का लंड घोड़ी बनी हुई चाची की चूत चीरता हुआ सीधा अंदर घुस गया। तभी चाची ज़ोर से चीख पड़ी।

"आईएईई मम्मी मरर्रर्र गईईई आईईईई ओह लाला बहुत दर्द हो रहा है। प्लीज लंड बाहर निकाल।"

तभी लाला बनवारी लाल ने लंड बाहर निकाल लिया और फिर से चाची की चूत में लंड ठोक दिया। चाची फिर से दर्द से झल्ला पड़ी।

"आईईईई मम्मी, आहा सिसस्ससस्स आह्ह।"

"अब चाची थोड़ा दर्द तो होगा ही। सालों से आपकी-आपकी ठीक से चुदाई नहीं हुई है और मुझे लगता है कभी चचा ने तुम्हे घोड़ी बना कर भी नहीं चोदा है।"

अब चाची चुप थी। अब लाला बनवारी लाल चाची को दबोच कर उनकी चूत पीछे से मारने लगा। चाची की टाइट चूत ऐसे मारने में लाला को बहुत ज़्यादा मज़ा आ रहा था। लाला का लंड चाची की चूत के छेद को चौड़ा कर रहा था।

"आह्ह बहुत मज़ा आ रहा है। आह्ह बहुत ही मस्त टाइट चूत है चाची है आपकी। आह्ह।"

"आराम आराम से डाल लाला। बहुत दर्द हो रहा है। बहुत भारी लंड है तेरा।"

"आराम से चूत मारने में मज़ा नहीं आता है चाची। आप तो ज़ोर-ज़ोर से ही लंड पेलने दो।"

लाला का लंड चाची की चूत के परखच्चे उड़ा रहा था। चाची दर्द को झेलते हुए कुटिया बन चुदवा रही थी। लाला बनवारी लाल चाची के ऊपर चढ़ कर उनकी चूत मार रहा था। चाची लाला के नीचे दबी हुई थी।

"ओह आह्ह सिससस्स आह्ह ओह। आह्ह मरर्रर्र गाईईई।"

फिर लाला बनवारी लाल ने बहुत देर तक चाची की इसी तरह से चूत मारी। अब लाला बनवारी लाल ने चाची को उठाया और उन्हें पलंग से नीचे ले आया। अब लाला बनवारी लाल ने पलंग के बिस्तर को देखा तो वह बहुत ज़्यादा गीला हो रहा था। पता नहींचुदाई में चाची कितनी बार झड़ी थी? अब लाला बनवारी लाल ने चाची को घोड़ी बनने के कहा। तभी चाची पलंग को पकड़ कर घोड़ी बन गई।

"मार ले तेरी चाची की चूत कुतिया की तरह।"

अब लाला बनवारी लाल ने फिर से चाची की गांड में लंड डाला और फिर से चाची की चूत मारने लगा। घोड़ी बना कर चाची की चूत में लंड पेलने में बहुत ज़्यादा मज़ा आ रहा था लंड ज़्यादा से ज़्यादा अंदर जा रहा था और साथ में सहचे के ंगम मुलायम गद्देदार चूतड़ लाला की जांघो से टकराकर लाला को अलग मज़ा दे रहे थे। लाला बनवारी लाल चाची की कमर पकड़ कर दे दना दन लंड ठोक रहा था। चाची दर्द से तिलमिला रही थी।

"आह्ह आह्ह सिससस्स आह्ह ओह सिससस्स।"

तभी थोड़ी देर बाद चाची बुरी तरह से कांप उठी और उनकी चूत से गरमा-गरम माल झरने लगा।

चाची पसीने में भीग चुकी थी। अब चाची का हाल बेहाल हो चूका था। लाला बनवारी लाल झमाझम चाची की चूत में लंड पेल रहा था। लाला का लंड चाची को बहुत बुरी तरह से बजा रहा था।

" उन्ह आह्ह-आह्ह आईईईई आह्ह अहा बससस्स। आह्ह रहने दे अब्ब्ब्ब्ब।

"ऐसे कैसे रहने दू मेरी रानी? अभी तो तुझे ख़ूब बजाना है।"

घोड़ी बनी चाची चुदाई करवाते हुए थक चुकी थी। लाला के लंड का कहर चाची को बहुत बुरी तरह से पेल रहा था। तभी थोड़ी देर बाद चाची फिर से पानी-पानी हो गई। आज पहली बार में ही लाला का लंड चाची की चूत का गोदाम बना चुका था। लाला पूरा लंड निकाल कर पूरा अंदर पेल रहा था जिससे अब चाची फिर से दर्द से तड़पने लगी।

"आह्ह आह ओह सिससस्स आहा सिससस्स ओह आहा सिसस्स।"

लाला बनवारी लाल चाची की कमर पकड़ कर उन्हें झमाझम चोद रहा था। लाला का लंड चाची की चूत में सीधा घुस रहा था। मुझे चाची को घोड़ी बना कर चोदने में बहुत ज़्यादा मज़ा आ रहा था। लाला बनवारी लाल गांड हिला-हिला कर चाची की चूत में लंड पेल रहा था। चाची दर्द से कराह रही थी लेकिन वह चुदवाना चाह रही थी।

"ओह उन्ह ओह सिससस्स आह्ह-आह्ह आह्ह ओह सिससस्स आहा आह्ह बहुत मज़ा आ रहा है और चोद अआह आह्ह चोद।"

"हाँ चाची, आज तो आपकी खैर नहीं। बहुत मज़ा आ रहा है।"

"आह्ह आह्ह ओह सिससस्स आह्ह ओह आह्ह आह्ह।"

अब चाची घोड़ी बन कर बुरी तरह से चुद चुकी थी। फिर लाला बनवारी लाल ने चाची की चूत में से लंड बाहर निकाला और अब लाला बनवारी लाल बेड पर बैठ गया। अब लाला बनवारी लाल ने चाची से लंड चूसने के लिए कहा। तभी चाची मुस्कुराने लगी।

"यार अब ये भी करना पड़ेगा क्या मुझे?"

"हाँ चाची, आप चूसो तो सही। बहुत मज़ा आएगा आपको।"

तभी चाची नीचे बैठ गई और अब वह शरमाती हुई लाला के लंड को मसलने लगी।

"बहुत ही मस्त हथियार है तेरा यारलाला। बहुत मजे देता है।"

"ये आपके लिये ही है चाची।"

अब चाची लाला के लंड को मसल-मसल कर लाल कर चुकी थी। अब चाची ने लाला के लंड को मुंह में लिया और उसे चूसने लग गई।

"आहा चाची बहुत अच्छा लग रहा है। आहा मज़ा आ रहा है। आह्ह।"

अब चाची आराम-आराम से लाला का लंड चूस रही थी। लाला बनवारी लाल लंड तन कर चाची के मुंह में डाले हुए था। मुझे चाची को लंड चुसवाने में बहुत ज़्यादा मज़ा आ रहा था। चाची धीरे-धीरे स्पीड बढ़ा रही थी। लाला बनवारी लाल चाची के बालों को समभाल रहा था।

"ओह चाची बस ऐसे ही चूसो। आह्ह। आपको तो अच्छे से लंड चूसना आता है।"



फिर चाची ने बहुत देर तक लाला के लंड को चूस कर उसे लॉलीपॉप बना डाला। अब लाला बनवारी लाल खड़ा हो गया और फिर चाची के मुंह में लंड डाल कर उनके मुंह को चोदने लगा।

आह! चाची के मुंह को चोदने में मुझे बहुत ही आनंद मिल रहा था।

"ओह चाची, आह्ह बहुत मज़ा आ रहा है। उन्ह।"

लाला का लंड झमाझम चाची मुंह की ठुकाई कर रहा था। लाला का लंड चाची की थूक से गीला हो चूका था। लाला बनवारी लाल चाची के सिर को पकड़ कर उनके मुंह में ज़ोर-ज़ोर से लंड पेल रहा था।

"ओह चाची। आह्ह सिसस्ससस्स आहा।"

फिर लाला बनवारी लाल ने बहुत देर तक चाची के मुंह में लंड पेला। अब लाला बनवारी लाल ने चाची को उठाया और उन्हें पलंग पर पटक दिया। लाला बनवारी लाल पलंग से नीचे ही खड़ा था। अब लाला बनवारी लाल ने चाची को पकड़ कर पलंग के किनारे खींच लिया और फिर चाची की टांगो को उठा लिया।

अब लाला बनवारी लाल ने चाची की चूत में लंड सेट कर दिया और उन्हें झमाझम चोदने लगा। लाला बनवारी लाल ज़ोर-ज़ोर से चाची की चूत में लंड पेल रहा था। चाची फिर से लाला के लंड के नीचे पस्त होने लगी थी।

"आह्ह आह सिससस्स आह्ह ओह उन्ह सिससस्स आह्ह ओह।"

"ओह चाची क़सम से। बहुत ज़्यादा मज़ा आ रहा है। बहुत सेक्सी माल हो आप।"

अब लाला के लंड के झटकों से पलंग चुड़-चुड़ कर रहा था। लाला बनवारी लाल चाची को बुरी तरह से बजा रहा था। लाला के लंड के ताबड़-तोड़ झटकों से चाची के बोबे ज़ोर ज़ोर से हिल रहे थे।

"आह्ह आह्ह सिससस्स ओह मम्मी। आह्ह बहुत अच्छा लग रहा है यार। आह्ह। तू तो ख़ूब चोद मुझे, आह्ह।"

"हाँ चाची ख़ूब चोदू़ंगा आपको। आप चिंता मत करो।"

अब चाची की दबी हुई भावनाएँ बाहर फुट रही थी। लाला का लंड उन्हें बुरी तरह से खोल चूका था। अब चाची खुल कर उनकी ठुकाई करवा रही थी। लाला बनवारी लाल भी चाची को निराश नहीं कर रहा था और उन्हें खुब चोद रहा था।

"आह्ह आह्ह ओह सिससस्स आह्ह उन्ह आह्ह-आह्ह आहा।"

लाला बनवारी लाल चाची को पानी-पानी कर रहा था

लाला बनवारी लाल चाची को बजाये जा रहा था। आज तो लाला बनवारी लाल चाची को चोद-चोद कर बुरा हाल कर चुका था। अब तो चाची पानी मांगने लगी थी।

"ओह आह्ह सिससस्स आह्ह बसस्ससस्स।"

तभी लगातार चुदाई के बाद लाला बनवारी लाल अकड़ने-सा लगा और फिर लाला बनवारी लाल ने चाची की चूत में लंड रोक कर लंड का पानी निकाल दिया। अब लाला बनवारी लाल तृप्त होकर चाची से लिपट गया।

"बहुत बुरी तरह से बजाया है लाला तूने। मेरी चूत की ऐसी तैसी कर दी।"

"मैंने तो आपका भला ही किया है चाची। आपको तो मोटे तगड़े लंड की सख्त ज़रूरत थी। यही तो मैं आपको समझा रहा था चाची। बहुत अच्छी सर्विस की है मैंने आपकी।"

"हाँ, बहुत मज़ा आया तुमसे चुदाने में। ये चुदाई मुझे हमेशा याद रहेगी।"

"अब तो ये पल आते रहेंगे चाची।"

तभी चाची मुस्कुराने लगी। अब चाची खड़ी हो गई और कपडे इकट्ठे करने लगी। फिर चाची ने कपडे इकट्ठे करके पलंग पर डाल दिए। फिर चाची ने कपड़े पहन लिये ।और कमरे से बाहर चली गई। अब लाला भी कपड़े पहन कर फटाफट बाहर आ भाभी और चाची से कुछ बात करने लगा जिसे सुन चाची और भाभी मुस्कुराने लगी। उसके बाद लाला घर लौट गया।


कहानी जारी रहेगी
बहुत ही मस्त और गरमागरम अपडेट हैं भाई मजा आ गया
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 
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