पंजाब दियाँ मस्त रंगीन पंजाबना–पार्ट–48
स्टोरी का नेक्स्ट पार्ट। पिछले पार्ट में आपने पढ़ा कि सलमा की पड़ोसन हरजीत ने लाला और दिलजीत चाची को मिलवा दियाऔर लाला ने दिलजीत चाची की चुदाई कर दी । अब आगे ।
गर्मियो के दिनो की बात है के मैं एक दिन कालेज में क्लास जल्दी ख़त्म हो गयी, गर्मी ज़्यादा थी और, मैं जल्दी घर आ गया।
गर्मियों में गलियो में सन्नाटा था। सब लोग अपने घरों में पंखे, ऐ.सी चलाकर सो रहे थे। मैंने आकर थोड़ा आराम किया और फिर कुछ देर बाद सोचा बाद में नहाकर चाय पीऊँगा, तभी गली वाले दरवाजे की डोर बेल् बजी।
मैं मन में गालिया निकालता दरवाज़ा खोलने आ रहा था के साला आराम से नहाने भी नहीं देते। गेट खोल कर देखा तो सामने करीब 20 साल की लड़की जिसके गले में बैग टांगा हुआ था रंग गोरा, लम्बे काले गांड तक लम्बे बाल, काली-काली बड़ी बड़ी आँखे, मोटे, बड़े स्तन कुर्ता फाड़ कर बाहर आने के लिए बेताब, पतली कमर और पसीने से तर बतर, जिससे सलवार और तंग पजामी बदन से चिपकी हुई थी, बोली हलो सर जी, मैं एक प्राइवेट कम्पनी से आई हूँ और घरेलू ज़रूरत का समान कम्पनी के रेट में बेचने आई हूँ। क्या आप देखना पसंद करेंगे?
मेने उसे बोला देखिये इस वकत घर पर कोई औरत नहीं है और मुझे समान नहीं देखना है। फेर कभी आना।
वो–तो क्या हुआ सर जी, आप भी घर के ही मेंबर ही हो, ले लो न समान थोडा-सा रह गया है। इतनी गर्मी में किधर घूमती फिरुगी।
मेने उसे अंदर बुला लिया और दरवाज़ा बन्द करके उसके साथ अपने कमरे में आ गया।
उसने बैड पर पंखे के निचे बैठकर अपना बैग उतारा और आँखे बन्द करके हवा को महसूस करने लगी। वह पूरी तरह से पसीने से भीगी हुई थी।
मैं रसोई से उसके लिए गिलास में पानी ले आया। उसने पानी पीकर थैंक्स बोला और अपने कपड़े ठीक करके हवा लेने लगी।
मैं उसे बैड पर ही बैठा दूर से निहार रहा था। गर्मी से उसका बुरा हाल हो रहा था। वह जितना पसीना अपने रुमाल से पोंछती, उस से दुगना उसके चेहरे पर आ रहा था। मेने उसे बाथरूम की तरफ़ इशारा करके बोला, जाओ मैडम वहाँ टूटी पर मुँह धो लो, आराम मिलेगा। उसे मेरी बात जच गयी और वह मुँह धोकर वापिस अपनी जगह पर आकर बैठ गयी।
मेने उससे पूछा–कहिये क्या बात है?
वो– (उसने अपनी बात दुहराई) सर जी, मैं फलां कम्पनी से आई हूँ, मेरा नाम राजविंदर है और मैं घर में ज़रूरी काम की चीज़े बेचती हूँ।
उसने रसोई में उपयोग होने वाला सामा बहुत सारी चीज़े मेरे सामने निकाल कर रखदी और बोली–देखलो सर यही सामान बचा है बाक़ी तो सब बिक गया है। वैसे बज़ार में जाओगे आपको यही सामान बहुत ज़्यादा दाम में मिलेगा पर हमसे खरीदोगे तो आपके काफ़ी डिस्काउन्ट मिलेगा। जेसे ये सर्फ़ बाज़ार में 100 रूपये का है हम आपको 50 रूपये में दे देंगे आपको 50 रूपये का फायदा हो गया न घर बैठे बिठाये। गर्मी में बाज़ार भी नहीं जाना पडेगा ।
वो फटाफट बोलती ही जा रही थी। मैं उसके हिलते पतले से होंठो की तरफ़ देखता जा रहा था।
करीब 10 मिनट भाषण देने के बाद बोली–हांजी अब बोलिये क्या दूं आपको?
मैंने मन में ही बोला "आप" और मेरे चेहरे पर हल्की-सी स्माइल आ गयी।
पता नहीं वह अपनी कही बात का दोहरा मतलब ख़ुद समझ गयी और वह भी हंस पड़ी।
मेने बोला–मैडम जी सामान तो आपसे ले लेंगे पहले बैठो बाते करते है। वेसे भी इतनी गर्मी है, कहाँ गर्मी में घूमती फिरोगी। कुछ देर आप आराम करो।
वो–प्लीज ये सामान ले लो आप।
मैं–ज़रूर लूंगा आप सब्र करो। आप रुको मैं आपके लिए कुछ लाता हूँ आप चाय पियेंगी या निम्बू पानी या शर्बत। वैसे इस गर्मी में निम्बू पानी बेहतर रहेगा, फिर निम्बू की शिकंजी बना कर दो गिलासों में लेकर आ गया।
उसने एक गिलास उठाया और धन्यवाद बोली।
शिकंजी पीते-पीते हम बाते करने लगे...
मेने उससे उसके बारे में पूछा तो उसने बताया वह पंजाब के अमृतसर जिले की रहने वाली है। उसने मुझसे पूछा आपको कोई ऐतराज़ न हो थोडा टाइम यहाँ रुक जाऊ यहाँ बैग भारा होने की वज़ह से पीठ में दर्द होने लगा है। जरा-सा आराम कर लेने से दर्द कम हो जायेगा।
मेने कहा आप छाए तो लेट जाओ मुझे कोई ऐतराज़ नहीं है।
वो थैंक्स बोलकर लेट गयी और आँखे बन्द करके आराम करने की स्थिति में आ गयी।
वो हंसकर बोली–सरजी मुझे तो नींद आ रही है।
मैं–सो जाओ मना किसने किया है।
मैं रसोई में कुछ काम करने लगा फिर उसके पास ही एक कुर्सी पर बैठ गया। थोड़े ही टाइम में वह इतना खुल गयी के जेसे बरसो से जान पहचान हो उसकी।
हम दोनों एक से बाते करने लगे।
आम घरेलू बाते करते-करते हम प्राइवेट बातो पर आ गये। मेने उसे उसकी उम्र पूछी वह बोली 20 साल...
मैं हंसकर बोला शरीर से तो लगती 25 के ऊपर के हो।
वो शरमाकर हंस पड़ी और बोली नहीं नही 20 भी पूरे नहीं किये मेने तो...
मैंने उससेे पूछा कितना पढ़ी लिखी हो।
वो बोली 10+2 किया है पिछले साल और आप?
मैं–मैं अभी कालेज में पढ़ रहा हूँ और मेरा नाम गौरव है, प्यार से सभी काका कहते है!
इस तरह हसी मज़ाक चलता रहा। मेने कहा आप कहो तो आपकी पीठ दबा देता हूँ और उसकी पीठ पर हाथ लगाकर सहला दिया, पीठ एकदम नरम और चिकनी थी वह मेरा हाथ महसूस कर बस जरा-सा मुस्कराई पर कुछ बोली नही। जिस से मेरी हिम्मत और बढ़ गयी और मेने उसकी पीठ दबायी। मैंने थोड़ा हाथ सरका कर कमर पर लगाया और मसलने लगा।
उसे आराम महसूस हुआ और आह कर कराहने लगी और वह हल्की-हल्की मादक आवाजें निकाल रही थी।
मैंने कहा-आओ.। मैं मालिश कर देता हूँ तुम्हें अच्छा लगेगा।
वो तुरंत मान गई।
हम दोनों उठ कर बिस्तर पर आ गए और वह मेरे सामने औंधी लेट गई।
अब उसकी मस्त मोटी गांड मेरी आँखों के सामने उठी हुई थी... उसका 36-28-34 का फिगर मस्त दिख रहा था। उसकी गांड बहुत मस्त लग रही थी।
मैं तो अब होश खो रहा था... तो उसके पास बैठ गया और उसकी टांगों पर हौले-हौले मसाज करने लगा।
उसकी चिकनी टांगों पर हाथ लगाते ही मेरा लंड उछल कूद करने लगा।
मैं धीरे-धीरे टांगों पर मसाज करता-करता थोड़ा ऊपर आने लगा और उसकी जाँघों तक मेरे हाथ पहुँच गए।
उसकी सलवार के अंदर गोरी-गोरी मख़मली चिकनी जांघें सहला कर तो किसी बुड्डे का लंड भी पानी छोड़ दे।
मैं उसकी जांघें सहला रहा था और वह हल्की-हल्की मादक आवाजें निकाल रही थी।
मैं समझ गया कि उसको मज़ा आ रहा है।
मैं हौले-हौले हाथों को थोड़ा और बढ़ाता गया और उसकी टांगो के अन्दर से उसकी जाँघों के जोड़ तक मसाज करने लगा।
वो थोड़ा हिली... लेकिन उसने मना नहीं किया... तो मेरी हिम्मत थोड़ी और बढ़ गई।
अब मैंने थोड़ा हाथों को और ऊपर बढ़ाया... तो मुझे उसकी पैन्टी महसूस हुई।
पैन्टी पर हाथ लगते मेरा लंड फिर झटके देने लग गया और मैं पैन्टी और सलवार के ऊपर से उसकी गांड की मालिश करने लगा।
उसकी गांड एकदम कोमल और मखमली-सी लग रही थी... लेकिन मुझे अभी तक उसकी गांड के दीदार नहीं हुए थे।
मैं तो देखने को तड़प रहा था... तभी वह बोली-आह ाचा लग रहा है अब पीठ पर मालिश करो।
मैंने कहा तेल लगा कर मालिश करना बेहतर रहेगा मैंने कहा-आपको अपने कपड़े उतारने पड़ेंगे, नहीं तो ये गंदे हो जाएंगे।
उसने बोला-नो ... ऊपर से ही कर दो ... कपड़े उतारने की ज़रूरत नहीं है।
मैंने कहा-ऐसे तो आराम नहीं आएगा ।
उसने अपना कुर्ता ऊपर से उतार दीया । आह ... मेरी आंखें मानो किसी जन्नत की हूर के बदन को चूमने लगी थी। मगर मैंने शराफ़त का चोला ओढ़ा हुआ था। इसलिए ऐसा जताया कि मुझे उसकी नंगी हो जाने से कुछ ख़ास फ़र्क़ नहीं पड़ा। इस समय वह मेरे सामने सिर्फ़ ब्रा और एक घुटने तक की लैगी क़िस्म की शरीरी से चिपकी हुई पजामी में रह गई थी। मैं आयल ले आया ।
उसने कहा आप भी अपने कपड़े निकाल दो नहीं तो खराब हो जाएंगे । मैंने भी अपनी सब कपड़े निकाल अंडरवेअर में रह गया ।
मैंने धीरे-धीरे उसको मसाज देना शुरू किया। मैंने उसके पीछे पीठ पर ऑयल डाला और धीरे-धीरे उसको फैला कर मसाज करने लगा। कुछ देर उसकी मक्खन पीठ पर हाथ फेरने के बाद मैंने कहा कि आपकी ब्रा थोड़ी दिक्कत कर रही है।
उसने औंधे लेते हुए ही मुझसे कहा-ठीक है आप उसे उतार दो।
मैंने पीछे से ही उसकी ब्रा का हुक खोल दिया और उसकी ब्रा उसके तने हुए मम्मों पर फंस कर रह गई. अभी उसकी ब्रा ने मम्मों को नंगा नहीं किया था।
मैं फिर से धीरे-धीरे पूरी नंगी पीठ पर हाथ फेरते हुए उसके कंधों को दबा-दबा कर उसे मसाज का मज़ा देने लगा। जब में उसकी पीठ पर नीचे से ऊपर तक मसाज करते हुए उसके कंधों तक ले जाता, तो उसी समय मैं पीठ की बगलों से आगे को हाथ ले जाकर उसके मम्मों को भी टच करने लगा था।
वो भी धीरे-धीरे अपनी मस्ती में खोने लगी थी। अब मैं कुछ ज़्यादा ही हाथ को आगे ले जाते हुए उसके बदन को मसाज देते हुए उसके चूचों को टच करने लगा था। उसके कोई ऐतराज न करने पर मैंने अब उसकी बांहों पर तेल डाला और हाथों की मसाज करने लगा।
मैंने लगभग 15 से 20 मिनट हाथ की मसाज की। मुझे उसकी मालिश करते हुए अब लगभग 15 मिंट हो गए थे । वह पूरी गनगना गई थी।
मैंने कहा-अब आपकी पजामी उतारने पड़ेगी।
उसने आंखें मूंदे हुए ही कहा-ओके कोई प्रॉब्लम नहीं है।
उसने कमर ऊपर करते हुए गांड उठा दी। मैंने उसकी पजामी खींचते हुए उतार दी। उसने अन्दर लाल रंग की थोंग पैंटी अभी भी पहन रखी थी। इस पैंटी से उसके दोनों चूतड़ों के नजारे साफ़ हो रहे थे। चुत के लिए बस एक डोरी उसकी गांड से होते हुए नीचे चुत के ऊपर चली गई थी।
मैंने उसके एक पैर की पिंडली पर तेल डाला और मसाज करने लगा। धीरे-धीरे मैं ऊपर आते हुए उसके गोल-गोल चूतड़ों को सहलाने लगा। साथ ही उसके छेद को छूने लगा।
उस पर अब पूरी मस्ती छाने लगी थी।
मैंने उससे पूछा-आप कैसा फील कर रही हैं?
उसने कहा-बहुत अच्छा लग रहा है ... बस ऐसे ही करते रहो।
मैं जैसे ही उसकी पीठ पर मसाज करने के लिए झुकता... मेरा लंड वैसे ही उसकी गांड की दरार में घुस जाता। और उसकी हल्के से ' आ... उहह... की आवाज़ निकल आती।
मैं उसकी पीठ पर मसाज करते-करते साइड में से उसके चूचे पर भी हाथ फेर देता... तो मुझे एकदम कोमल और मुलायम मक्खन के गोले का-सा अहसास हो जाता।
मुझे लगा कि मेरा तो पानी यहीं निकल जाएगा।
फिर धीरे-धीरे कमर पर मसाज करते हुए मैं उसकी गांड सहलाने लगा और गांड पर मसाज करने लगा। वह अब मज़े ले रही थी... लेकिन कुछ बोल नहीं रही थी।
मैं हिम्मत करके और आगे बढ़ा और मैं धीरे-धीरे पैन्टी के ऊपर से उसकी गांड के छेद और चूत के छेद के आस-पास हाथ फिराने लगा।
मैंने देखा कि उसकी पैन्टी एकदम गीली हो गई थी... मतलब उसको भी चुदास के मज़े आ रहे थे।
अब मैं उसकी गांड और चूत देखना चाहता था... तो मैंने एक हाथ से पैन्टी को थोड़ा-सा साइड में किया और मुझे जन्नत का दरवाज़ा दिख गया... एकदम गुलाबी छेद...
मेरा मन किया कि अभी अपनी ज़ुबान घुसेड़ दूँ। और चूस लूँ...
लेकिन मैं उसको थोड़ा तड़पाना चाहता था।
कुछ देर बाद मैंने उससे कहा-अब आप सीधे हो जाइए और अपनी पैंटी उतार दीजिए.
मैम ने पलट कर कमर को उठाते हुए कहा-आप ख़ुद ही उतार दो।
उसकी नंगी चूचियों पर मैंने एक निगाह डाली और अपने लंड को समझाते हुए मैंने धीरे से उसकी पैंटी उतार दी। क्या ज़न्नत का नज़ारा था, उस पल में।
उसकी सफाचट चुत ने मेरे कलेजे को हिला दिया था। लंड ने भी अंगड़ाई भर ली थी। ये उसने भी देख लिया था।
उसे शायद मेरे लंड को फूलते देख कर अपनी मदमस्त जवानी पर गुमान हुआ और उसने अपने हाथ ऊपर करते हुए फैला दिए. वह मेरे सामने एकदम नंगी चित पड़ी थी।
मैंने आगे आते हुए उसके मम्मों पर तेल डाला और मसाज करने लगा। मम्मों पर तेल फैलाने के साथ मैंने साथ में उनको नीचे से दबाते हुए ऊपर को अपनी हथेलियाँ ले जाने लगा।
उसकी आंखें वासना के नशे से बोझिल होने लगी थीं। वह बार-बार मेरे सीने को सूंघती और मर्दाना गंध को महसूस करते हुए आंखें बंद कर लेती।
जारी रहेगी