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My fav story wowद मैजिक मिरर (THE MAGIC MIRROR) {A tell of Tilism}
परिचय:==>★
प्रस्तुत कहानी के सभी पात्र और घटना क्रम काल्पनिक है। इस कहानी का किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति से कोई संबंध नही है। यदि कोई संबंध होता है तो इसे मात्र एक संयोग कहा जायेगा। " द मैजिक मिरर (The Magic Mirror)" ये कहानी एक टीन एज लड़के की है जिसे 24 वीं सदी में किश्मत से एक चमत्कारी आईना मिल जाता है। लेकिन चमत्कारी आईने का एक खास राज भी है ये आईना इस्तेमाल करने वाले व्यक्ति की ख़्वाहिशें तभी पूरी कर सकता है जब वो व्यक्ति उस आईने के लिए अपनी सबसे खास चीज का त्याग करे। ये आईना काले जादू और तंत्र से करीब 100000 साल पहले रानी नेत्रा ने अपने राज्य के तांत्रिकों से बनवाया था। क्योंकि तांत्रिक राजभक्त थे लेकिन राजभक्त होने के साथ साथ वो लोभी भी थे तो उन्होंने इस आईने में जेड 5 हीरों मैं अपनी-अपनी आत्माओं को क़ैद कर दिया। उनकी आत्मा इस आईने में कैद होने से अब ये आईना अपनी एक ख़्वाहिश के बदले में इस्तेमाल करने वाले को पूरा एक दिन देता है । इस एक दिन मैं आईने का मालिक जो भी ख़्वाहिश करेगा उसे पूरा करने के लिए ये आईना बाध्य था। आईने का इतिहास और उस आईना का कहानी के हीरो तक पहुंच ने तक का सफ़र आप पहले अध्याय में पढ़ेंगे। दूसरे अध्याय में आप हीरो द्वारा आईने का प्रयोग और आईने के प्रयोग के लिए किया गया त्याग पढ़ेंगे। तीसरे अध्याय में आप कहानी अंत देखेंगे।
अध्याय-1
अपडेट - 1
इस कहानी का हीरो एक टीन एज लड़का है। जिसने अभी-अभी दसवीं कक्षा की परीक्षा पास कर के 11 वीं कक्षा में कदम रखा है। राज़ पढ़ने में बहुत ही होशियार है तो उसने दसवीं कक्षा 89% अंकों से उतीर्ण कर ली। ये कहानी तब शुरू हुई जब राज़ (राजेश) तीन महीनों का जो परीक्षा के बाद अवकाश होता है उसमें अपनी नानी के पास गांव गया था। राज़ हाँ यही नाम है अपने हीरो का। देखने में एकदम सीधा सादा, भोला भाला, जादुई दुनिया, और परियों की दुनिया अपने ख़्यालों मैं रच कर अकेले एकांत में बैठ कर दिन निकालने वाला। कोई कह नही सकता कि ये लड़का एक दिन इतनी बड़ी ताकत का मालिक बन बैठेगा।
राज एक मिडिल क्लास परिवार से है। इसका परिवार ना तो गरीब है ना ही अमीर है। फिर भी किसी भी प्रकार की भौतिक सुख-सुविधा से ये अछूते नहीं है। कहानी आगे बढ़ाने से पहले हम एक बार राज़ के परिवार के बारे में अच्छे से जान लेते है।
राज के परिवार में राज़ के पापा, मम्मी, 2 बहनें और एक नानी रहती है। राज़ के दादा-दादी और नाना का देहांत काफी अर्से पहले ही हो गया था। नहीं-नहीं कोई दुर्घटना में नहीं बल्कि बीमारियों की वजह से राज़ के दादा कैंसर से पीड़ित थे और दादी टी. बी. की मरीज थी। इलाज करवाया गया था लेकिन होनी को कौन टाल सकता था। राज़ के नाना को अस्थमा का रोग था। गांव में उड़ती धूल मिट्टी की चपेट में आये दिन आते रहते थे तो एक दिन उस मिट्टी ने राज के नाना जी की सांस ही उखाड़ ली।
राज़ की नानी को कोई परेशानी नही है बल्कि वो जवानों से ज्यादा स्वस्थ है। मेरा मतलब जो 80 साल की बूढ़ी खुद बिना लाठी के सहारे अपने खेतों के बागों का ध्यान रखे उसे 80 साल की बुढ़िया कहना तो सरासर गलत ही होगा ना। चलिए मुर्दों की बात यहीं खत्म करते है और ज़िंदा लोगो की भी खबर ले लेते है। राज़ के पाप एक सरकारी बैंक कर्मचारी है। उनकी सेलेरी यही चालीस-45 हजार के करीब होगी।
राज़ के पापा का नाम गिरधारी है। गिरधारी जी की उम्र कोई 45-48 वर्ष के आस-पास होगी।
गिरधारी जी बहुत ही साधारण जीवन जीने में यकीन रखते है। ये सुबह 8 बजे घर से निकलते है बैंक के लिए और बैंक से शाम को 5 बजे निकलते है और 5.45 तक या फिर कभी-कभी 6 बजे तक घर पहुंच जाते है।
राज़ की मम्मी का नाम है सरिता देवी।
सरिता एक डॉक्टर है। कभी-कभी हॉस्पिटल में इमरजेंसी पड़ने पर जाती है वरना तो ये आपको घर पर या घर से दो ढाई किलोमीटर दूर इनका क्लिनिक है वहां पर अपने मरीजों के साथ मिल ही जाएगी। जी बिल्कुल अपने मरीजों के साथ क्यों कि सरिता गिरधारी जी से 5 साल छोटी है तो इनकी उम्र लगभग 40 या 38 के आस पास होगी। तो कुछ मरीज़ तो वाकई में किसी बीमारी के शिकार होतें है लेकिन कुछ मरीज तो सरिता देवी की खूबसूरत जवानी के शिकार थे। इनकी शादी गिरधारी जी से कम उम्र में ही कर दी गयी थी। और काम उम्र में ही इनकी 2 संताने हुई दोनों संताने लड़की होने के कारण गिरधारी जी ने तीसरी संतान के लिए प्रयास लगभग 5-6 साल के अंतराल के बाद किया और किशमत से इन्हें बहुत ही सुंदर संतान प्राप्त हुई और इस बार ये संतान लड़का थी। जी हमारा हीरो राज़। अब आप कहेंगे कि मैंने राज़ की बहनों का परिचय नही करवाया। इस से पहले की आप मुझसे नाराज हों मैं उनका परिचय भी करवा देता हूँ।
राज़ की सबसे बड़ी बहन का नाम है रानी। रानी की फ़िगर है 32सी 30 35,रानी बहुत ही शर्मीली लड़की है। हालांकि मॉडर्न लड़की है मॉडर्न कपड़े भी पहनती है लेकिन ये किसी से भी बात करने में बहुत शर्माती है।
रानी से छोटी है सोनिया राज़ की दूसरी बड़ी बहन ये भी रानी की तरह मॉडर्न है लेकिन बहुत भोली है ।
सोनिया जब भी चुपचुप रहती है तो ऐसे लगती है जैसी किसी बात को लेकर परेशान हो या फिर उदास हो लेकिन जब बोलना शुरू करती है तो बस राम बचाये जान।
भोली होने के साथ-साथ सोनिया को राज़ सवालों की मशीन बुलाता रहता है क्योंकि ये इतने सवाल पूछती है कि कोई भी पागल हो जाये। अपने इसी भोलेपन के कारण इसने घर मे सभी का दिल जीत रखा है।
सोनिया का फ़िगर है 32सी 28 34, सोनिया और रानी दोनों कॉलेज में पढ़ती हौ। रानी जहां बायो स्टूडेंट है और फाइनल ईयर की तैयारी कर रही है वही सोनिया इंजीनियरिंग के सेकंड ईयर की तैयारी कर रही है।
अब कहानी में आगे बढ़ते है जब राज़ अपनी नानी के पास गांव पहुंचा।
राज़ के पिता राज़ की मम्मी से बातें करते है कि राज को क्यों ना गर्मी की छुट्टियां बिताने कहीं घूमने ले जाया जाए। राज़ के पिता के इस विचार से राज़ की मम्मी भी खुश थी। राज़ की मम्मी इस बात को लेकर बहुत परेशान रहा करती थी कि राज अब ग्यारहवीं कक्षा में जाने वाला है और ये गुमसुम से बैठा पता नहीं क्या सोचता रहता है। ना किसी से ज्यादा बात चीत करता है ना ही खाना ठीक से खाता है। अगर राज़ अपनी नानी के पास जाएगा तो उसकी हवा पानी भी बदल जाएगी और साथ ही गांव के कुछ दोस्त बना लेगा तो अच्छा रहेगा। यहां तो ये किसी से बात भी नही करता।
राज़ के पिता राज़ की मम्मी के इस मत से बहुत ही गंभीर हो जातें है और सीधे से राज़ की मम्मी से बोलते है यार तुम्हारी बात तो ठीक है लेकिन वहाँ तुम जानती हो ना तुम्हारे पापा क्या जादू टोने किया करते थे। और फिर तुम्हारी मम्मी अभी तक ऐसी है जैसे उन्हें 80 साल की उम्र को तय तक ना किया हो। सर पर सफेद आगये है लेकिन चलती ऐसे है जैसे की 40-45 साल की औरत चलती हो।
राज़ की मम्मी हैं ये क्या बात हुई भगवान करे मेरी मम्मी और जियें और हां वेसे आप की चिंता जायज है लेकिन देखिये ना पिताजी तो अब रहे नही, तो क्या जादू टोना होगा वहाँ, दूसरी बात मम्मी भी तो काफी समय से अकेली पड़ गयी है। अब जब उनका नाती जाएगा तो वो कितनी खुश होंगी। और वेसे भी मैं अपना क्लिनिक बन्द नही कर सकती और आपको भी तो 3 महीनों की छुट्टी तो मिल नही सकती।
राज़ के पाप काफी विचार करके ठीक है फिर मैं छुट्टी नही लेता हूँ वैसे मुझे 1 महीने का अवकाश तो मिल ही सकता है लेकिन 3 महीने तो नहीं। चलो फिर मैं राज़ को उसकी नानी के पास छोड़ कर उसी रात वापस आ जाउँगा। सरिता ये बात सुनकर बहुत खुश होती है। वो अपने पति के गले मे बाहें डाल कर उसे एक चुम्बन दे देती है। गिरधारी सरिता का चुम्बन पाकर सरिता से बोलता है। लगता है आज काफी टाइम बाद पलंग तोड़ना पड़ेगा। गिरधारी की ये बात सुन कर सरिता इशशशशश करके शर्मा जाती है और वह से किचन में चली जाती है।
रात को खाने के टाइम गिरधारी बेटा राज़ तुम अपने कपड़े जमा लो एक बैग में हम लोग कल तुम्हारी नानी के पास जाएंगे। तभी रानी बोलती है पापा हमसे क्या कोई दुश्मनी है जो इस लाड़साब को ही पूछ रहे हो। रानी की ये बात सुन कर सोनिया हसने लगती है। और राज की माँ सोनिया के सर पर हल्के से मुस्कुराते हुए मारती है और कहती है चुप चाप खाना खाओ। टैब गिरधारी बोलता है बेटी राज़ तीन महीने अपनी नानी के पास रहेगा क्या तुम लोगों के पास इतना टाइम है?
रानी और सोनिया दोनों एक साथ बोलती है तीन महीने????
तभी राज खाने की टेबल से उठ कर जाने लगता है। तो सरिता पूछती है। क्या हुआ बेटा।
राज़:= कुछ नहीं मम्मी वो पाप ने बोला ना कपड़े जमाने को तो...
सरिता- बेटा वो तो ठीक है मगर तूने बताया नही की तू जाना चाहता है या नहीं।
तभी रानी बीच में बोलती है...
रानी- अरे मम्मी ये क्यों मना करेगा नानी इसे रोज रोज नई नई जादू और जादूगरों की कहानियां जो सुनाएंगी। ही ही ही
राज़- रानी की बात सुन कर मन ही मन खुश हो जाता है कि उसे ज़रूर नानी से नई जादू की कहानियां सुन ने को मिलेगी।
लेकिन रानी के मुह से जादू और कहानी की बात सुन कर गिरधारी और सरिता एक दूसरे की तरफ सीरियस होकर देखने लगतें है।
राज़ बिना कुछ बोले अपने कमरे मैं चला जाता है और अपना सामान पैक करने लगता है। रानी और सोनिया दोनों का कमरा एक ही था बस दोनों के पलंग अलग अलग लगे थे दोनों अपने अपने बिस्तर पर बैठ कर नावेल निकाल कर पढ़ने लगती है। बाहर गिरधारी सरिता से बोलता है।
गिरधारी- सरिता तुम अपनी मम्मी से अभी साफ साफ बोल दो फ़ोन पर की राज़ को कोई जादू वादु की बात ना सिखाये राज़ उनके पास तीन महीने रहने आ रहा है। मैं नहीं चाहता तुम्हारे पिताजी जैसा कुछ मेरे बेटे के साथ हो। सरिता की आंखों में आंसू आ जाते है। सरिता पलट कर गिरधारी से ...
सरिता-क्यों क्या राज़ मेरा बेटा नही है मैंने पहले ही मम्मी को सब बोल दिया।
गिरधारी सरिता को रोता देख उसके कंधे पर हाथ रखता है लेकिन सरिता बहुत दुखी थी उसने तुरंत गिरधारी का हाथ अपने कंधे से हटा कर अपने कमरे में चाकी गयी। पीछे पीछे गिरधारी भी जाता है लेकिन सरिता गिरधारी के मुह पर दरवाजा बंद कर देती है और अंदर मुस्कुरा पड़ती है। बाहर गिरधारी भी मुस्कुरा पड़ता है। सारी रात गिरधारी सोफा पर लेटकर गुजार रहा था।