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Erotica द मैजिक मिरर (THE MAGIC MIRROR) {A tell of Tilism}

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uday29

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Rocksanna999

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Thank you bro... I will think about it....
 

Lord Saint

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द मैजिक मिरर (THE MAGIC MIRROR) {A tell of Tilism}

परिचय:==>★

प्रस्तुत कहानी के सभी पात्र और घटना क्रम काल्पनिक है। इस कहानी का किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति से कोई संबंध नही है। यदि कोई संबंध होता है तो इसे मात्र एक संयोग कहा जायेगा। " द मैजिक मिरर (The Magic Mirror)" ये कहानी एक टीन एज लड़के की है जिसे 24 वीं सदी में किश्मत से एक चमत्कारी आईना मिल जाता है। लेकिन चमत्कारी आईने का एक खास राज भी है ये आईना इस्तेमाल करने वाले व्यक्ति की ख़्वाहिशें तभी पूरी कर सकता है जब वो व्यक्ति उस आईने के लिए अपनी सबसे खास चीज का त्याग करे। ये आईना काले जादू और तंत्र से करीब 100000 साल पहले रानी नेत्रा ने अपने राज्य के तांत्रिकों से बनवाया था। क्योंकि तांत्रिक राजभक्त थे लेकिन राजभक्त होने के साथ साथ वो लोभी भी थे तो उन्होंने इस आईने में जेड 5 हीरों मैं अपनी-अपनी आत्माओं को क़ैद कर दिया। उनकी आत्मा इस आईने में कैद होने से अब ये आईना अपनी एक ख़्वाहिश के बदले में इस्तेमाल करने वाले को पूरा एक दिन देता है । इस एक दिन मैं आईने का मालिक जो भी ख़्वाहिश करेगा उसे पूरा करने के लिए ये आईना बाध्य था। आईने का इतिहास और उस आईना का कहानी के हीरो तक पहुंच ने तक का सफ़र आप पहले अध्याय में पढ़ेंगे। दूसरे अध्याय में आप हीरो द्वारा आईने का प्रयोग और आईने के प्रयोग के लिए किया गया त्याग पढ़ेंगे। तीसरे अध्याय में आप कहानी अंत देखेंगे।


अध्याय-1



अपडेट - 1



इस कहानी का हीरो एक टीन एज लड़का है। जिसने अभी-अभी दसवीं कक्षा की परीक्षा पास कर के 11 वीं कक्षा में कदम रखा है। राज़ पढ़ने में बहुत ही होशियार है तो उसने दसवीं कक्षा 89% अंकों से उतीर्ण कर ली। ये कहानी तब शुरू हुई जब राज़ (राजेश) तीन महीनों का जो परीक्षा के बाद अवकाश होता है उसमें अपनी नानी के पास गांव गया था। राज़ हाँ यही नाम है अपने हीरो का। देखने में एकदम सीधा सादा, भोला भाला, जादुई दुनिया, और परियों की दुनिया अपने ख़्यालों मैं रच कर अकेले एकांत में बैठ कर दिन निकालने वाला। कोई कह नही सकता कि ये लड़का एक दिन इतनी बड़ी ताकत का मालिक बन बैठेगा।




राज एक मिडिल क्लास परिवार से है। इसका परिवार ना तो गरीब है ना ही अमीर है। फिर भी किसी भी प्रकार की भौतिक सुख-सुविधा से ये अछूते नहीं है। कहानी आगे बढ़ाने से पहले हम एक बार राज़ के परिवार के बारे में अच्छे से जान लेते है।


राज के परिवार में राज़ के पापा, मम्मी, 2 बहनें और एक नानी रहती है। राज़ के दादा-दादी और नाना का देहांत काफी अर्से पहले ही हो गया था। नहीं-नहीं कोई दुर्घटना में नहीं बल्कि बीमारियों की वजह से राज़ के दादा कैंसर से पीड़ित थे और दादी टी. बी. की मरीज थी। इलाज करवाया गया था लेकिन होनी को कौन टाल सकता था। राज़ के नाना को अस्थमा का रोग था। गांव में उड़ती धूल मिट्टी की चपेट में आये दिन आते रहते थे तो एक दिन उस मिट्टी ने राज के नाना जी की सांस ही उखाड़ ली।


राज़ की नानी को कोई परेशानी नही है बल्कि वो जवानों से ज्यादा स्वस्थ है। मेरा मतलब जो 80 साल की बूढ़ी खुद बिना लाठी के सहारे अपने खेतों के बागों का ध्यान रखे उसे 80 साल की बुढ़िया कहना तो सरासर गलत ही होगा ना। चलिए मुर्दों की बात यहीं खत्म करते है और ज़िंदा लोगो की भी खबर ले लेते है। राज़ के पाप एक सरकारी बैंक कर्मचारी है। उनकी सेलेरी यही चालीस-45 हजार के करीब होगी।


राज़ के पापा का नाम गिरधारी है। गिरधारी जी की उम्र कोई 45-48 वर्ष के आस-पास होगी।



गिरधारी जी बहुत ही साधारण जीवन जीने में यकीन रखते है। ये सुबह 8 बजे घर से निकलते है बैंक के लिए और बैंक से शाम को 5 बजे निकलते है और 5.45 तक या फिर कभी-कभी 6 बजे तक घर पहुंच जाते है।


राज़ की मम्मी का नाम है सरिता देवी।



सरिता एक डॉक्टर है। कभी-कभी हॉस्पिटल में इमरजेंसी पड़ने पर जाती है वरना तो ये आपको घर पर या घर से दो ढाई किलोमीटर दूर इनका क्लिनिक है वहां पर अपने मरीजों के साथ मिल ही जाएगी। जी बिल्कुल अपने मरीजों के साथ क्यों कि सरिता गिरधारी जी से 5 साल छोटी है तो इनकी उम्र लगभग 40 या 38 के आस पास होगी। तो कुछ मरीज़ तो वाकई में किसी बीमारी के शिकार होतें है लेकिन कुछ मरीज तो सरिता देवी की खूबसूरत जवानी के शिकार थे। इनकी शादी गिरधारी जी से कम उम्र में ही कर दी गयी थी। और काम उम्र में ही इनकी 2 संताने हुई दोनों संताने लड़की होने के कारण गिरधारी जी ने तीसरी संतान के लिए प्रयास लगभग 5-6 साल के अंतराल के बाद किया और किशमत से इन्हें बहुत ही सुंदर संतान प्राप्त हुई और इस बार ये संतान लड़का थी। जी हमारा हीरो राज़। अब आप कहेंगे कि मैंने राज़ की बहनों का परिचय नही करवाया। इस से पहले की आप मुझसे नाराज हों मैं उनका परिचय भी करवा देता हूँ।


राज़ की सबसे बड़ी बहन का नाम है रानी। रानी की फ़िगर है 32सी 30 35,रानी बहुत ही शर्मीली लड़की है। हालांकि मॉडर्न लड़की है मॉडर्न कपड़े भी पहनती है लेकिन ये किसी से भी बात करने में बहुत शर्माती है।




रानी से छोटी है सोनिया राज़ की दूसरी बड़ी बहन ये भी रानी की तरह मॉडर्न है लेकिन बहुत भोली है ।



सोनिया जब भी चुपचुप रहती है तो ऐसे लगती है जैसी किसी बात को लेकर परेशान हो या फिर उदास हो लेकिन जब बोलना शुरू करती है तो बस राम बचाये जान।


भोली होने के साथ-साथ सोनिया को राज़ सवालों की मशीन बुलाता रहता है क्योंकि ये इतने सवाल पूछती है कि कोई भी पागल हो जाये। अपने इसी भोलेपन के कारण इसने घर मे सभी का दिल जीत रखा है।


सोनिया का फ़िगर है 32सी 28 34, सोनिया और रानी दोनों कॉलेज में पढ़ती हौ। रानी जहां बायो स्टूडेंट है और फाइनल ईयर की तैयारी कर रही है वही सोनिया इंजीनियरिंग के सेकंड ईयर की तैयारी कर रही है।


अब कहानी में आगे बढ़ते है जब राज़ अपनी नानी के पास गांव पहुंचा।


राज़ के पिता राज़ की मम्मी से बातें करते है कि राज को क्यों ना गर्मी की छुट्टियां बिताने कहीं घूमने ले जाया जाए। राज़ के पिता के इस विचार से राज़ की मम्मी भी खुश थी। राज़ की मम्मी इस बात को लेकर बहुत परेशान रहा करती थी कि राज अब ग्यारहवीं कक्षा में जाने वाला है और ये गुमसुम से बैठा पता नहीं क्या सोचता रहता है। ना किसी से ज्यादा बात चीत करता है ना ही खाना ठीक से खाता है। अगर राज़ अपनी नानी के पास जाएगा तो उसकी हवा पानी भी बदल जाएगी और साथ ही गांव के कुछ दोस्त बना लेगा तो अच्छा रहेगा। यहां तो ये किसी से बात भी नही करता।


राज़ के पिता राज़ की मम्मी के इस मत से बहुत ही गंभीर हो जातें है और सीधे से राज़ की मम्मी से बोलते है यार तुम्हारी बात तो ठीक है लेकिन वहाँ तुम जानती हो ना तुम्हारे पापा क्या जादू टोने किया करते थे। और फिर तुम्हारी मम्मी अभी तक ऐसी है जैसे उन्हें 80 साल की उम्र को तय तक ना किया हो। सर पर सफेद आगये है लेकिन चलती ऐसे है जैसे की 40-45 साल की औरत चलती हो।
राज़ की मम्मी हैं ये क्या बात हुई भगवान करे मेरी मम्मी और जियें और हां वेसे आप की चिंता जायज है लेकिन देखिये ना पिताजी तो अब रहे नही, तो क्या जादू टोना होगा वहाँ, दूसरी बात मम्मी भी तो काफी समय से अकेली पड़ गयी है। अब जब उनका नाती जाएगा तो वो कितनी खुश होंगी। और वेसे भी मैं अपना क्लिनिक बन्द नही कर सकती और आपको भी तो 3 महीनों की छुट्टी तो मिल नही सकती।



राज़ के पाप काफी विचार करके ठीक है फिर मैं छुट्टी नही लेता हूँ वैसे मुझे 1 महीने का अवकाश तो मिल ही सकता है लेकिन 3 महीने तो नहीं। चलो फिर मैं राज़ को उसकी नानी के पास छोड़ कर उसी रात वापस आ जाउँगा। सरिता ये बात सुनकर बहुत खुश होती है। वो अपने पति के गले मे बाहें डाल कर उसे एक चुम्बन दे देती है। गिरधारी सरिता का चुम्बन पाकर सरिता से बोलता है। लगता है आज काफी टाइम बाद पलंग तोड़ना पड़ेगा। गिरधारी की ये बात सुन कर सरिता इशशशशश करके शर्मा जाती है और वह से किचन में चली जाती है।



रात को खाने के टाइम गिरधारी बेटा राज़ तुम अपने कपड़े जमा लो एक बैग में हम लोग कल तुम्हारी नानी के पास जाएंगे। तभी रानी बोलती है पापा हमसे क्या कोई दुश्मनी है जो इस लाड़साब को ही पूछ रहे हो। रानी की ये बात सुन कर सोनिया हसने लगती है। और राज की माँ सोनिया के सर पर हल्के से मुस्कुराते हुए मारती है और कहती है चुप चाप खाना खाओ। टैब गिरधारी बोलता है बेटी राज़ तीन महीने अपनी नानी के पास रहेगा क्या तुम लोगों के पास इतना टाइम है?


रानी और सोनिया दोनों एक साथ बोलती है तीन महीने????
तभी राज खाने की टेबल से उठ कर जाने लगता है। तो सरिता पूछती है। क्या हुआ बेटा।



राज़:= कुछ नहीं मम्मी वो पाप ने बोला ना कपड़े जमाने को तो...


सरिता- बेटा वो तो ठीक है मगर तूने बताया नही की तू जाना चाहता है या नहीं।


तभी रानी बीच में बोलती है...


रानी- अरे मम्मी ये क्यों मना करेगा नानी इसे रोज रोज नई नई जादू और जादूगरों की कहानियां जो सुनाएंगी। ही ही ही


राज़- रानी की बात सुन कर मन ही मन खुश हो जाता है कि उसे ज़रूर नानी से नई जादू की कहानियां सुन ने को मिलेगी।


लेकिन रानी के मुह से जादू और कहानी की बात सुन कर गिरधारी और सरिता एक दूसरे की तरफ सीरियस होकर देखने लगतें है।


राज़ बिना कुछ बोले अपने कमरे मैं चला जाता है और अपना सामान पैक करने लगता है। रानी और सोनिया दोनों का कमरा एक ही था बस दोनों के पलंग अलग अलग लगे थे दोनों अपने अपने बिस्तर पर बैठ कर नावेल निकाल कर पढ़ने लगती है। बाहर गिरधारी सरिता से बोलता है।


गिरधारी- सरिता तुम अपनी मम्मी से अभी साफ साफ बोल दो फ़ोन पर की राज़ को कोई जादू वादु की बात ना सिखाये राज़ उनके पास तीन महीने रहने आ रहा है। मैं नहीं चाहता तुम्हारे पिताजी जैसा कुछ मेरे बेटे के साथ हो। सरिता की आंखों में आंसू आ जाते है। सरिता पलट कर गिरधारी से ...


सरिता-क्यों क्या राज़ मेरा बेटा नही है मैंने पहले ही मम्मी को सब बोल दिया।


गिरधारी सरिता को रोता देख उसके कंधे पर हाथ रखता है लेकिन सरिता बहुत दुखी थी उसने तुरंत गिरधारी का हाथ अपने कंधे से हटा कर अपने कमरे में चाकी गयी। पीछे पीछे गिरधारी भी जाता है लेकिन सरिता गिरधारी के मुह पर दरवाजा बंद कर देती है और अंदर मुस्कुरा पड़ती है। बाहर गिरधारी भी मुस्कुरा पड़ता है। सारी रात गिरधारी सोफा पर लेटकर गुजार रहा था।
My fav story wow :woohoo:

Xp m sirf adha pada tha baki padne se phle hi xp band hgya


Thanks for starting it in xforum
 
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Vickey1211

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Bhai milte h new update m
Jab bhi aaye
Abhi aaye ya baad m
 

Rocksanna999

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अपडेट - 5



जब नेत्रा भैरव के सामने आयी तो भैरव की आंखें बंद हो गयी। नेत्र का राज तिलक करके नेत्रा को उसके पिता और पति दोनों राज्यों का भार उसके कंधो पर राज्यों के मंत्रियों ने डाल दिया। नेत्रा ने भी नि:संकोच ये भार अपने कंधों पर उठाने की कसम खाली।

जब नेत्रा भैरव के सामने आयी तो भैरव की आंखें नेत्रा के राजमुकुट मैं जडे हीरों की चमक से बंद हो गयी थी। एक सफेद चांदी जैसी धातु से बना राजमुकुट जिसे आज हम लोग प्लेटिनम बोलते है। उस मुकुट मैं सफेद रंग के मोतियों से ग़ुलाब के फूल जैसी आकृति जड़ी हुई थी।




अब आगे......



जब भैरव की नज़र मुकुट से नीचे नेत्रा के चेहरे पर नज़र पड़ी तो वो मंत्र मुगद्ध हो गया। नेत्रा के सुनहरे बाल , दूध जैसा सफेद गोरा रंग, हिरणी जैसे चाल और शेरनी जैसे तेवर। होंटों पर हल्की सी मुस्कान, आंखों में उदासी, ललाट पर एक भी चिंता की सलवट नहीं। सफेद रंग के वस्त्र पहन रखे थे जिन पर स्वर्ण की बेहतरीन कारीगरी थी। वो स्वर्ण की कारीगरी नेत्रा के कंधों से लेकर हाथों और वक्षों(स्तन) तक हो रखी थी। नेत्रा के हाथ की उंगली पर एक बाज़ बैठा हुआ था।







जिस निडरता से नेत्रा भैरव के सामने आ रही थी भैंरव एक टक नेत्रा को देखता रहा।

भैरव नेत्रा को देख कर मन ही मन सोच में पड़ गया कि आखिर ये किस मिट्टी की बनी है। इसमें इतना साहस और बहादुरी कैसे? भैरव अब और अधिक नेत्रा से प्रेम करने लगा।




जैसे ही नेत्र भैरव के सामने आयी भैरव के हाथों से दोनों राजमुकुट जो नेत्रा के पति और पिता के थे छूट कर नीचे गिर गए। भैरव अपने घुटनों पर बैठ गया और नेत्रा के सामने अपनी गर्दन झुका दिया।



नेत्रा भैरव के सामने आकर खड़ी हो हो गयी।



भैरव: राजकुमारी जी...



नेत्रा भैरव की बात को काट कर...



नेत्रा: अब हम यहां की महारानी है भैरव।



भैरव: माफ कीजिये महारानी जी, हमने युद्ध में आपके पिता और पति दोनों को पराजित कर के वद्ध कर दिया।



कुछ देर की खामोशी के बाद...



नेत्रा: क्या हमारे पिता जी और पति दोनों कायरों की भांति युद्ध भूमि से भागने की कोशिश कर रहे थे?



भैरव ऊपर गर्दन उठा कर नेत्रा के चेहरे की तरफ देखता है।



भैरव: जी नही महारानी जी, वो तो बहादुरी के साथ अपनी छोटी सी सेना लेकर मेरे तीन लाख सैनिकों से युद्ध करने पर अड़े रहे और उन्होंने युद्ध में वीर गति को प्राप्त की।



नेत्रा: अगर ऐसा है तो फिर आप हमें ये सब इस तरह लज्जा से क्यों सुना रहे है। ये सब गाथाएं तो महानता की है जिन्हें जोश से सुनाया जाना चाहिये।



भैरव ऊपर नेत्रा की तरफ देख कर रोने लग जाता है। भैरव की आंखों में आंसू देख कर नेत्रा भैरव को खड़ा करती है।



नेत्रा: भैरव आपने युद्ध पूरी बहादुरी और ईमानदारी से जीता है फिर आपको शर्मिंदा नही होना चाहिए। किन्तु आप सिर्फ युद्ध मैं विजयी हुए हमारा राज्य अभी तक जीता नहीं है। अगर आप हमारा राज्य चाहते है तो आपको हमसे युद्ध करना होगा।



भैरव एक टक नेत्रा की और देखने लगता है।



नेत्रा: हमारा अभी अभी राज तिलक हुआ है और हम हमारे राज्य को यूँही आपके हवाले नही कर सकते।



भैरव: नही नही महारानी जी वो...



नेत्रा: वैसे इस युद्ध की वजह क्या थी भैरव और आपका यहां आने का कारण।



भैरव नीचे गर्दन करके....



भैरव: हमने आपकी खूबसूरती के चर्चे सुने थे जिन्हें जानकर हमे आपसे महोब्बत हो गयी। आपको प्राप्त करने की इच्छा हमने आपके पिता और और पति को शांति सभा में बताई लेकिन उन्होंने हमारा तिरिस्कार कर दिया जिसके बाद युद्ध ही एक मात्र उपाय बचा था। हम यहां हमारी विजय के अहंकार मैं आये थी कि हम आपको ये सब बता कर अपने वश में कर लेंगे किन्तु....



नेत्रा: किन्तु क्या भैरव?



भैरव: हमे माफ कर दीजिए। प्रेम प्रेम से जीता जा सकता है युद्ध से नही ये हमे आपसे हुई इस भेंट के बाद समझ आया है।



नेत्रा अब थोड़ी भावुक हो गयी थी।



नेत्रा: क्या आपको ये नही पता था कि हमारा विवाह हो चुका था। अगर पता था उसके बाद भी आपने ऐसी कामना की है तो ये आपका अपराध है। आप हमे किसी भी जीवन में प्रापत नही कर सकते।



भैरव: हमे माफ कीजिये महारानी हमे इस युद्ध के पश्चात जब आपको अभी देखा तो हमे एहसास हुआ कि हमने क्या कर दिया। जब तक आप हमें स्विकार नही करेंगी हम हम आपका इंतजार करेंगे। ऐसा कह कर भैरव वहां से चला गया।



आज पहली बार नेत्रा को अपनी खूबसूरती से नफरत हो रही थी।




एक भैरव के जाने के 2 दिन बाद नेत्रा के पास भैरव का एक समाचार आया।


भैरव का पत्र: महारानी हम एक अनजान रोग से ग्रस्त है हमे नही पता हम और कितने दिन जियेंगे लेकिन हमने आपकी और आपके राज्य की सुरक्षा के लिए कुछ तांत्रिक बुलाये है। ये आपको एक ऐसा यंत्र बना कर देंगे जिस से आप दुश्मन की और उसके बल वैभव की समस्त जानकारी आसानी से पा लेंगी। लेकिन सावधान ये तांत्रिक लोभी है। इस उम्मीद के साथ मृत्यु को गले लगा रहा हूँ कि एक दिन आप हमें माफ करके स्वीकार कर लेंगी।।
 

Rocksanna999

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भैरव का पत्र: महारानी हम एक अनजान रोग से ग्रस्त है हमे नही पता हम और कितने दिन जियेंगे लेकिन हमने आपकी और आपके राज्य की सुरक्षा के लिए कुछ तांत्रिक बुलाये है। ये आपको एक ऐसा यंत्र बना कर देंगे जिस से आप दुश्मन की और उसके बल वैभव की समस्त जानकारी आसानी से पा लेंगी। लेकिन सावधान ये तांत्रिक लोभी है। इस उम्मीद के साथ मृत्यु को गले लगा रहा हूँ कि एक दिन आप हमें माफ करके स्वीकार कर लेंगी।।


अब आगे....


तभी रात के बारह बजने का घंटा सुनाई पड़ता है जो नानी की पुरानी घड़ी जो घर में टंगी थी के बजने का था।

नानी: अब सो जाओ बेटा बाकी कहानी कल सुना दूंगी।

राज: नहीं नानी अभी तो कहानी में मज़ा आना शुरू हुआ था। और वैसे भी अगर आप ऐसी सिचुएशन मैं कहानी बन्द करोगी तो मुझे कोनसा नींद आने वाली है मैं तो सारी रात इस कहानी के बारे में ही सोचता रहूंगा।

नानी राज का उत्साह देख कर मुस्कुराने लगती है। और बोलती है।

नानी: ठीक है बेटा तो आगे सुनो।

जब नेत्रा भैरव का पत्र पड़ती है तो उसकी आंखें नम थी। वो मन ही मन कहती है। " भैरव भले तुम्हारा प्रेम निश्चल था लेकिन मैं तुम्हे कभी माफ नही कर पाऊंगी। हो सके तो तुम मुझे माफ़ कर देना। इतना सोच कर नेत्रा ने भैरव का पत्र जला दिया।

इधर नेत्रा ने भैरव का पत्र जलाया उधर भैरव की सांस उसका साथ छोड़ गई।

यही कोई 5-6 दिन बाद वो तांत्रिक नेत्रा के महल में आ गये।

नेत्रा के महल के सुरक्षा कर्मचारी उन तांत्रिकों को रोकने का प्रयास कर रहे थे लेकिन उन सभी तांत्रिकों का सरदार अपने जादू से सभी को मूर्छित करते हुए आगे बढ़ता हुआ नेत्रा के महल में पहुंच गया।

नेत्रा ने जब उन सभी तांत्रिकों को देखा तो उसे शर्म सी आने लगी।

कोई भी तांत्रिक वस्त्र नही पहन रखा था। सभी तांत्रिकों की जटाएं बढ़ी हुई थी । उनके शरीर पर राख लिपटी हुई थी और गले में पुष्पों की मालाएं थी। चिलम फूंक रहे थे। गांजे की धुंआ और खुशबू चारों और फैली हुई थी।





एक तांत्रिक ने अपने शरीर की राख को अपनी मुट्ठी में लेकर जोर से महल के आंगन में फेंका। तांत्रिक के ऐसा करते ही नेत्रा और तांत्रिक के चारों और एक धुएं का सुरक्षा चक्र बन गया।





तभी उन तांत्रिको मैं से एक तांत्रिक ने नेत्रा की और देख कर कहा।

तांत्रिक: महारानी महाराज भैरव ने हमे आपके लिए एक आईना बनाने को कहा है। जिस आईने से आप किसी का भी भूत भविष्य वर्तमान जान सके। यहां तक कि आप वहां पर जा भी सके। महारानी भैरव ने हमे अपनी आत्मा सौंपी है इसलिए हमें इस आईने का निर्माण हर हालत में करना ही होगा चाहे आप माने या ना माने। लेकिन आपको उस आईने की सम्पूर्ण शक्तियों का प्रयोग करने के लिए कुछ अंगूठियां धारण करनी पड़ सकती उस समय तक जिस समय तक आप आईने की किसी शक्ति का प्रयोग कर रही हो।


नेत्रा: वैसे तो हमें ऐसे किसी आईने की ज़रूरत नही है ना ही हम ऐसी किसी बेहूदा बातों पर यकीन करते है।


नेत्रा की ऐसी बात सुनकर तांत्रिकों का सरदार क्रोधित हो गया।


उसने नेत्रा की क्रोधित नज़रों से देखते हुए कहा...




तांत्रिकों का सरदार:- मूर्ख नारी तुम्हे हमारी सिद्धि पर शक है। हम वो आईना ज़रूर बनाएंगे और उस आईने के लिए हम सभी उस आईने में समा जाएंगे लेकिन जो कोई भी उस आईने का प्रयोग करेगा उसे हमे अपनी अत्यंत प्रिय कोई भी वस्तु, जीव, जगह जो भी हो वो हमें देनी होगी तभी आईना उसकी 1 दिवस की सभी कामनाएं पूरी करेगा।

ऐसा कह कर तांत्रिक महल के पीछे चले गए।

नेत्रा तांत्रिक का व्यवहार देख कर बहुत डर गई थी लेकिन वो एक रानी थी इस लिए उसने खुद को मजबूत बनाये रखा। नेत्रा उन तांत्रिकों को ऐसा करने से , उस आईने को बनाने से रोकना चाहती थी लेकिन पता नही क्यों वो उन्हें रोक ना सकी।

तांत्रिकों ने एक यज्ञ किया जो पूरे 151 दिन चला इस यज्ञ से एक आईना मिला।




वो आईना बहुत ही खूब सूरत था बस उसमें कुछ कुछ जगह पर बड़े बड़े छेद थे जैसे उनमे जड़ी कोई चीज निकाली हुई हो।


उस आईने में सभी तांत्रिकों ने अपनी अपनी सभी शक्तियां डाल दी। जैसे ही सभी तांत्रिकों की शक्तियां खत्म हुई उन्होंने एक- एक करके सात अंगूठियां भी बनाई ओर अंगूठियां बना कर खुद पत्थर बन गए और आईने में जड़ गए।

एक तांत्रिक बचा था जो उन सभी का सरदार था। उसने वो आईना नेत्रा सौंप कर उसके प्रोग विधि और दुरुपयोग सब कुछ बता दिया लेकिन ये नही बताया कि ये आईना काली शक्तियों की सहायता से बनाया गया है। नेत्रा ने जैसे ही वो आईना हाथ में लिया तांत्रिकों का सरदार भी पत्थर बनकर उस आईने में जड़ गया।

अब नेत्रा अपने पसंद के जेवर और कपड़े उस आईने में डालती जाती और अपने शत्रुओं की सभी जानकारी निकाल कर उनका वध करती जाती।




लेकिन धीरे-धीरे समय के साथ नेत्रा उन काली शक्तियों के प्रभाव में आ गयी और उसने उस आईने को दफ़न करवा दिया जी एक आदमी ने कुछ सालों पहले ढूंढ निकाला था और उस आईने की काली शक्तियों ने उस आदमी को भी निगल लिया।

नानी: कहानी खत्म हो गयी बेटा अब तो सो जाओ।

राज: लेकिन नानी आपने ये तो बताया ही नही की नेत्रा कैसी काली शक्तियों के प्रभाव में आ गयी और वो आईना उसने कहाँ दफ़नाया था।

नानी: वो आईना उसने चुपके से घोड़ों के अस्तबल मैं दबाया था।
अब कोई सवाल नही चुप चाप सो जाओ बाकी सब कल पूछना।
रात के 3 बजे राज खूब सोचते सोचते सो गया। और उसकी नानी राज के सवाल पर किसी सोच में डूब गयी।

अभी राज को साये क़रीब तीस मिनट का समय भी नही हुआ था कि राज के सपने में उसे उसके नाना जी दिखते है। वो बैठे बैठे राज की और देख कर मुस्कुरा रहे थे लेकिन अचानक कुछ लोग आतें है जो बिल्कुल धुंधले नज़र आ रहे थे। वो राज के नाना जी को उनका हाथ पकड़ कर उनकी मर्जी के खिलाफ उन्हें वहां से ले जा रहे थे । राज उन्हें रोकने की कोशिश करता है लेकिन वो हिल भी नही पा रहा था बड़ी मुश्किल से वो हिला तो उसे ऐसा लगा जैसे कोई सीसे जैसी दीवार राज को उसके नाना जी के पास जाने से रोक रही है ।

राज उस दीवार को जोर जोर से हाथों से मारता है लेकिन वो दीवार टूटना तो दूर की बात हिलती तक नहीं है। अचानक राज के नाना जी राज की नज़रों के सामने से उन सभी लोगो के साथ गायब हो जाते है। राज के नाना जी गायब होने से पहले पीछे मुड़ कर देखते है तो उनकी आंखों में आंसू थे जिन्हें राज देख कर बहुत दुखी हो जाता है और नींद में ही रोने लगता है।

वही राज की नानी राज के अंतिम सवाल का अधूरा जवाब देकर वो लम्हा याद करने लगती है जब नेत्रा पर आईने की काली शक्तियों का प्रभाव पड़ने लगा था। उसकी नानी याद करती है जो उसके पति ने बताया और दिखाया भी था ।

नेत्रा के वो सफेद कपड़े जिनमे कभी सोने की कढ़ाई का काम हुआ करता था अब धीरे धीरे काले पड़ते जा रहे थे ।




एक अजीब सी शांति और दुख उसके चेहरे से झलकने लगा था।




उसकी जिस्म की प्यास इसकदर बढ़ गयी थी कि उसको मिटाने के लिए वो राज्य में भेष बदल कर वेश्याघर के आसपास या कभी किसी गैर कर घर तक के बाहर से अपने लिए मर्दो की तलाश करने लगी थी।



एक महारानी होने के बाद भी उसे चारों और से अकेलापन ही मिल रहा था। उसकी हवस उस पर इतनी हावी हो गई थी कि मर्द रात को निकलने से भी डरने लगे थे।


एक ख़ूबसूरत महान महारानी की जिसके चेहरे से दूर से ही चांद जैसा नूर टपकता था उसकी एक वेश्या से भी बुरी गत हो गयी थी। नेत्रा के काले होते कपड़े और उसकी हवस ने उसे अपने ही राज्य में डायन के नाम से प्रसिद्ध कर दिया था। चेहरे पर वही नूर तो अब भी था बस कल तक जो राज्य की सुरक्षा के लिए लड़ती थी आज वो राज्य की प्रजा के लिए डायन बन चुकी थी।




और फिर लोग उसे डायन क्यों ना कहते । नेत्रा के पूरे शरीर पर पर अजीब से निशान जो बन ने लगे थे। वो निशान नेत्रा की निजी दासियों ने देखे थे। बहुत डरावने थे जैसे किसी ने गर्म सलाखों से दाग कर बनाया हो।




जब नेत्रा को इस बात का एहसास हुआ तो नेत्रा ने उस आईने को अपने अस्तबल मैं गढ़वा दिया। लेकिन उस आईने को अस्तबल मैं दफना ने से पहले वो खुद उस आईने में अपने आपको समर्पित कर उस आईने में समा चुकी थी। अंतिम बार जिस किसी ने नेत्रा को देखा था उस वक़्त नेत्रा ऐसी ही दिख रही थी।


उस आईने को दफनाने के बाद कई लोगो ने उस आईने को निकालने की कोशिश की लेकिन पता ही नही वो आईने किसी को भी क्यों नही मिला । फिर वो आईना एक दिन राज के नाना जी को मिला । उन्होंने कभी नही बताया कि वो आईना उन्हें कहाँ से मिला कब मिला ? बस चुप चाप अपने झोपड़े मैं किताबों मैं खोये रहते थे। ना जाने क्या तलाशते थे ? उन्होंने वो आईना अपनी मौत से पहले कहां रखा किसी को पता नही। काश वो उस आईने को नष्ट कर देते ।



तभी सुबह हो गयी राज उठा तो उसे वो सपना बार बार तंग कर रहा था। उसने सोचा क्यों ना नानी को बताया जाए। लेकिन फिर सोचा अगर नानी ने सोच लिया कि मैं कहानी से डर गया तो फिर कहाँनी कभी नहीं सुनाएंगी। वहीं नानी सुबह उठते ही घर के काम करने में जुट गई और राज को खेलने छोटू के साथ बाहर भेज दिया । ताकि राज का दिल लगा रहे।

वही दूसरी और राज के पाप भी रात को घर पहुंच गए थे।
 

Rocksanna999

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अपडेट - 7


तभी सुबह हो गयी राज उठा तो उसे वो सपना बार बार तंग कर रहा था। उसने सोचा क्यों ना नानी को बताया जाए। लेकिन फिर सोचा अगर नानी ने सोच लिया कि मैं कहानी से डर गया तो फिर कहाँनी कभी नहीं सुनाएंगी। वहीं नानी सुबह उठते ही घर के काम करने में जुट गई और राज को खेलने छोटू के साथ बाहर भेज दिया । ताकि राज का दिल लगा रहे।

वही दूसरी और राज के पाप भी रात को घर पहुंच गए थे।





अब आगे....




राज के पापा घर पहुंचे तो घर पर थोड़ा सा सुना-सुना महसूस हो रहा था। हालांकि राज घर पर होता है तब भी कुछ खास हंसी वाला माहौल नही होता। लेकिन गिरधारी को शायद राज को छोड़ कर आना अच्छा नही लग रहा था।


घर पहुँचते ही गिरधारी अपनी कमरे मैं चला गया। जहां पर गिरधारी की बीवी सरिता सो रही थी। घर का दरवाजा रानी ने खोला था। वो अभी भी पढ़ रही थी। जब गिरधारी ने डोर बेल बजायी तो दरवाजा खोलने आ गयी।


गिरधारी अपने कमरे मैं आकर अपने कपड़े बदलने लगा। रह रह कर गिरधारी को रास्ते में हुए मौसम के अजीब-ओ-गरीब बदलाव परेशान कर रहे थे। सारी रात गिरधारी करवट बदल-बदल कर काट दिया।


जब सुबह हुई तो गिरधारी की बीवी सरिता को उठते ही गिरधारी नज़र आता है। वो उसे गुड मोर्निंग विश करके फ्रेश होने चली जाती है।और मन ही मन सोचती है कितनी बेवकूफ हूँ पता नही ये रात को कब आये होंगे और मैं घोड़े बेच कर सो रही थी।



वहीं दूसरी और रानी उठती है। फ्रेश होकर एक जीन्स और ब्लैक कलर की बनियान पहनती है और सोनिया को उठाने उसके कमरे में चली जाती है। सोनिया के कमरे में हल्की लाइट थी और सोनिया बेसुध सो रही थी। रानी मुस्कुराती हुई सोनिया के कमरे की विंडो ओपन करती है जिस से सारे कमरे में लाइट हो जाती है। वो मुस्कुराते हुए पीछे मुड़ती है सोनिया को उठाने। और सोनिया के बेड की तरफ चली जाती है।




जैसे ही रानी सोनिया के सामने जाती है सोनिया बेढंगे तरीके से सो रही थी। सोनिया एक टी-शर्ट और शार्ट पहन कर सो रही थी। सॉर्ट नीचे से ढीला था जिसमे से सोनिया की मखमली वर्जिन चूत नज़र आ रही थी। और ऊपर से उसके कच्चे टिकोरे।




रानी अपने सर के हाथ लगा बोलती पागल लड़की सोया तो ठीक से कर। वो तो अच्छा हुआ न तो राज घर में है और ना ही पाप कमरे में आये। इतना बड़बड़ा कर रानी सोनिया को उठाती है और कॉलेज के लिए रेडी होने को बोल देती हूं।


सोनिया थोड़े नखरे करके उठती है और अंगड़ाई लेकर वाशरूम चली जाती है।


वही गिरधारी सुबह रेडी होकर नाश्ता करता है और आफिस चला जाता है ।


रानी और सोनिया दोनों तैयार होकर नीचे आती है। सरिता दोनों को नाश्ता करवाकर खुद भी कर लेती है। रानी और सोनिया कॉलेज के लिए निकल जाती है और हमेशा की तरह सरिता अपने क्लिनिक मैं।


यही कोई एक हफ्ता बीता होगा गिरधारी, सरिता, रानी और सोनिया चारों को राज के बिना रहने की आदत धीरे-धीरे पड़ने लगी थी। अब उनकी रोजमर्रा की ज़िंदगी फिर से पटरी पर थी। हालांकि राज को सभी याद करते रहते थे। लेकिन अब राज के लिए की भी इतना परेशान नही था।


वहीं दूसरी और राज की आंखें सुबह 8 बजे खुलती है।


राज उठते ही अपनी नानी को देखने की कोशिश करता है लेकिन नानी तो वहाँ आस-पास भी नहीं थी। नानी सुबह जल्दी उठ कर अपना घर का काम करने लगी थी।


राज हाथ मुह धोकर फ्रेश हो आता है और सीधा नानी के पास बाहर चला जाता है। नानी राज को देख कर मुस्कुरा देती है। नानी लस्सी बना रही थी। नानी पास मैं रखे लस्सी का गिलास उठा कर राज की तरफ कर देती है। राज सबसे पहले नानी के पैर छू ता है और फिर लस्सी का गिलास पकड़ कर पीने लगता है।


अभी थोड़ी ही देर हुई थी कि राज नानी को बार - बार कल वाले सवालों के बारे में पूछता और नानी उसे नहीं मालूम बोलकर टाल देती है।


राज फिर भी नानी को बार बार कहानियों को लेकर परेशान करता रहता है। बहुत परेशान होकर नानी राज को थोड़ा रुक कर कहानी सुनाने को बोलती है। राज बेसबरा होकर नानी से कहानी सुनाने का इंतजार कर रहा था। तभी नानी के घर में छोटू आ जाता है। छोटू जो कल ही राज से मिला था और आज राज का अच्छा दोस्त हो गया था।


नानी छोटू को देख कर बोलती है.......


नानी: अरे छोटू अच्छा हुआ जो तू आ गया। अब एक काम कर राज को बाहर घुमा ला ताकि ये मुझे कुछ काम कर लेने दे और मेरी जान छुटे। और हां उन आवारा लड़को के पास मत ले जाना।


छोटू: जी नानी (छोटू बहुत खुश था की अपने नए दोस्त के साथ गांव घूमने को लेकर तभी राज बीच में बोल पड़ता है)


राज: लेकिन नानी मैं तो अभी नहाया भी नहीं हूं।


छोटू: कोई बात नही भाई हम लोग नदी में नहा लेंगें।


नानी: हाँ ये भी ठीक रहेगा अगर इसे तैरना आता हो तो।


राज अब क्या बोलता। तभी नानी फिर से बोल पड़ती है।


नानी: राज तुझे तैरना तो आता है ना?


राज : हाँ नानी , मैं स्कूल में स्विमिंग कॉम्पिटिशन मैं हमेशा गोल्ड जीत ता हूँ।


नानी: अरे तैरने का पढ़ने से क्या काम,


राज नानी के इस सवाल से अपने सर पर हाथ लगा कर बोलता है।


राज: अरे नानी मैं तैरने के कॉम्पिटिशन मैं ही गोल्ड लाता हूँ।


नानी: वह ऐसा क्या तब तो बहुत अच्छा है (इतना बोल कर नानी हसने लगती है।)


नानी राज को छोटू के साथ नदी में नहाने के लिए और गांव घूमने के लिए भेज देती है। रास्ते में छोटू उसे खेतों से होते हुए शॉर्टकट रास्ते से ले जा रहा था।





पूरा गांव हरा भरा था। चारों और हरियाली का अदभुत नज़ारा था।



तभी छोटू को कुछ लड़के आवाज देते है। ये सभी छोटू के दोस्त थे। दोस्त क्या था छोटू ने इन सब से दोस्ती की नही बल्कि ज़बरदस्ती इन सब से दोस्ती करनी पड़ गयी।



बात ये है कि छोटू इतना ताकतवर नही था कि दूसरे लड़के जब उसे परेशान कर तो उनसे लड़ सके इस लिए ये लड़के छोटू की मदद करते है बदले में छोटू कभी खाने के लिए तो कभी कुछ पैसे अपने ही घर से चुरा चुरा कर इन लड़कों को दे देता हैं।


छोटू:- कालू, श्याम, मंगल अरे तुम लोग यहां कैसे?


कालू: अरे इसका बाप है ना साले ने हमको दम मारते देख लिया तो साला लठ लेकर दौड़ा दिया। हम कोनसा साले की बीवी बेटी की चुदाई कर रहे थे।


मंगल: किसी दिन साले की बीवी भी चोद देंगे।


फिर कालू और मंगल दोनों एक दूसरे को ताली देते हुए हसने लगते है।



तभी वहां से ट्यूबवैल से पानी भरकर चरी को अपनी कमर पर लगाये मंगल की बहन जाती हुई नजर आती है। वो कालू की तरफ देख कर हल्की सी मुस्कुराती है। और वही श्याम भी उसे देख कर मुस्कुरा देता है। मंगल दोनों को मुस्कुराता देख कर पीछे मुड़ कर देखता है तो उसे अपनी बड़ी बहन नज़र आती है। मंगल भी अपनी बहन की आंखों में देख कर अपना लुंड सहलाने लगता है। जब मंगल की बहन की नज़र मंगल पर पड़ती है तो मंगल अपनी बहन की आंखों में देखते हुए अपने होंटों पर जीभ फिराता है। जिसे देख कर मंगल की बहन शर्मा जाती है और जल्दी जल्दी चलते हुए जाने लगती है।
 

Rocksanna999

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