ms rajput
New Member
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Nice bro 


क्या खूब लिख रहे हो आप गजब्ब
नेक्स्ट कब तक





नेक्स्ट कब तक


स्वागत है, अगला भाग जल्दी हीNice broक्या खूब लिख रहे हो आप गजब्ब
नेक्स्ट कब तक![]()
ThanksLazwaab shandar update
#16
“कबीर तुम ” सकपकाते हुए बोली वो .
“मैं नहीं तो और कौन भाभी, जब मैंने इस कमरे को खोला था तभी मैं समझ गया था की वो सिर्फ और सिर्फ तुम ही हो जो मेरे बाद भी यहाँ आती हो ” मैंने कहा
भाभी- दूर होकर भी यहाँ से दूर नहीं हो पाई.
मैं- उफ्फ्फ ये बाते , क्या रखा है इन बातो में
भाभी- समझो तो बहुत कुछ न समझो तो कुछ भी नहीं
मैं- तुम्ही समझा दो फिर
भाभी- तुम सब जानते हो
मैं- तो बताओ फिर उस रात क्यों मारना चाहती थी मुझे
भाभी के आँखे फैलती चली गयी .
“सब पूछते है मेरे जख्मो के बारे में और झूठ कहता हूँ सबसे की पता नहीं कौन था वो पर हम दोनों जानते है . अब कातिल भी सामने है और शिकार भी यही है तो भाभी बड़ी शिद्दत से जानना चाहता हु मैं मेरी सबसे प्यारी मेरी दुश्मन कैसे हुई. ” मैंने लालटेन की लौ थोड़ी मंदी करते हुए कहा.
“मजबूर थी मैं कबीर , गोलिया चली तुझ पर थी पर छलनी मेरी छाती हुई थी ” भाभी बोली.
मैं- इस राज को राज रखने के लिए हर रोज झूठ बोलता हु मैं भाभी, और तुम कहती हो की मजबूर थी . ये बात बहुत हलकी है भाभी.
भाभी- और कोई रास्ता नहीं था कबीर, मुझे वार करना पड़ा कबीर . मैं दो राहे पर खड़ी थी एक तरफ तुम थे दूसरी तरफ मेरा संसार. चुनाव बहुत मुश्किल था , मैं हार गयी कबीर. मैं हार गयी.
मैं- अब तो सुख में हो न फिर
भाभी- तुम्हे लगता है की सुख मिलेगा हर पल बंदिश में जीती हु . सबसे नाता तोडना पड़ा यहाँ भी बहाने से आती हु की घर संभालना है तुम्हारे भाई ने अपना तो लिया मुझे पर माफ़ नहीं किया
मैं – वो तो है ही लोडू. अपनी कमिया छिपाने के लिए दुसरो को दोष देता है . छोड़ क्यों नहीं देती तुम उसको . अपनी जिन्दगी जी सकती हो तुम
भाभी- अगर मैंने माँ से वादा नहीं किया होता तो मैं ये कदम भी उठा लेती .
मैं – बहुत बढ़िया.
भाभी- तुम्हारी माफ़ी के लायक नहीं हु मैं .
मैं- माफ़ करने भी नहीं वाला मैं .मैं लौट आया हु , अब हर उस कारण की तलाश करूँगा जिसकी वजह से ये सब हुआ और जो भी उसके पीछे हुआ उसकी खाल उतारूंगा. जाकर भाई से भी कह देना की दुश्मन मेरा हो सकता है वो कोई ऐतराज नहीं पर औरतो के पल्लू में न छिपे.
“मुझे जाना चाहिए अब ” भाभी खड़ी हुई.
मैं- अभी मेरी बात ख़त्म नहीं हुई भाभी . ताऊ की मौत कैसे हुई बताओ मुझे
भाभी- किसी को कुछ नहीं पता चला. वैसे भी परिवार बिखरने के बाद सब अलग अलग ही रहते है आपस में संपर्क रखा नहीं किसी ने.
मैं- नंगे लोग , इस गुमान में की कौन कम नंगा है . मुझे नहीं लगता की ताऊ की मौत सामान्य थी मुझे तो अब ये भी नहीं लगता की माँ-पिताजी की मौत सामान्य थी .
भाभी- परिवार में ऐसा कोई नहीं जो अपने ही खून की बर्बादी करे
मैं- अच्छा जी, हमे तो मालूम ही नहीं .
भाभी उठ खड़ी हुई जाने के लिए मैंने उसका हाथ पकड़ लिया.
“कहाँ न अभी नहीं , जिस चूत के लिए सीने पर गोलिया खाई उसे ऐसे तो नहीं जाने दूंगा मैं ”मैंने कहा और भाभी की कमर में हाथ डाल कर उसे सीने से लगा लिया.
भाभी- कबीर, पीछे छोड़ आई हूँ मैं इन रास्तो को
मैं- रास्ते कहीं नहीं जाते वो हमेशा वही रहते है जहाँ लोग उन्हें छोड़ जाते है . ऐसे तो नहीं जाने दूंगा.
भाभी- मान जा कबीर, मत शरू कर . अतीत के पन्ने मत पलट
मैं- जिया तो अतीत में ही था मैं अब तो बस सांसे चल रही है.
मैंने भाभी के नाजुक होंठो को अपने होंठो से जोड़ लिया. बरसो बाद इन होंठो का स्वाद महसूस किया था मैंने . कुछ देर चूमने के बाद मैंने भाभी को पलंग के किनारे पर झुका दिया.और उसकी साडी को ऊपर कर दिया. भाभी की गोल गांड जिसका दीवाना किसी ज़माने में हुआ करता था . भाभी की अदा थी की वो कच्छी नहीं पहनती थी . मैंने लंड पर थूक लगाया और भाभी की को थोडा सा और झुकाते हुए चुदाई शुरू कर दी.
“जाने दे कबीर, तेरा भाई इधर आ निकला तो गजब हो जायेगा ” कसमसाते हुए बोली वो.
मैं- वो भी देख लेगा
भाभी की चूत मेरे कुछ ही धक्को में गर्म हो गयी थी .
“पच पच ” की आवाज आ रही थी . भाभी की साँसे भारी होने लगी थी. बेशक किसी भी औरत को मजबूर करके चोदना मेरी फितरत नहीं थी पर मुझे उसे चोदना ही था . थोड़ी देर बाद मैंने उसे गोद में उठा लिया और उपर निचे करने लगा.
“कैसा लग रहा है ” मैंने पुछा
भाभी- बहुत बुरा , तूने उसूल तोड़ दिया कबीर. औरत को उसकी मर्जी के बिना जोर जबरदस्ती करना ठीक नहीं
मैं- उसूल अब बचे ही कहाँ भाभी, जब सब बर्बाद हो गया तो उसूलो का क्या ही करना
भाभी- राख में चिंगारी भड़काई है तूने .
भाभी की बाकी बात अधूरी रह गयी क्योंकि उसने मेरे कान पर काट लिया था चूत टाइट हो गयी थी उसकी हाँफते हुए झड रही थी वो . उसकी चूत ने लंड को इतना कस लिया था की मेरा वीर्य बह ही चला चूत में . मेरी गोद से उतर कर उसने साडी से ही चूत को साफ़ किया और बिना कुछ बोले वो बाहर चली गयी. मैंने लालटेन बुझा दी. मैं उसके पीछे आया वो बड़े दरवाजे तक आ पहुंची थी .
मैं- पिताजी के बीमे पर अधिकार क्यों नहीं जमाया तुम दोनों ने .
भाभी- पैसो का किसे मोह था कबीर.........
भाभी ने बिना मेरी तरफ देखे कहा और अँधेरे में खो गया. पैसे नहीं तो फिर क्या .. मैं वही खड़ा सोचता रहा ....
Bahut hi shaandar update diya hai HalfbludPrince bhai....#16
“कबीर तुम ” सकपकाते हुए बोली वो .
“मैं नहीं तो और कौन भाभी, जब मैंने इस कमरे को खोला था तभी मैं समझ गया था की वो सिर्फ और सिर्फ तुम ही हो जो मेरे बाद भी यहाँ आती हो ” मैंने कहा
भाभी- दूर होकर भी यहाँ से दूर नहीं हो पाई.
मैं- उफ्फ्फ ये बाते , क्या रखा है इन बातो में
भाभी- समझो तो बहुत कुछ न समझो तो कुछ भी नहीं
मैं- तुम्ही समझा दो फिर
भाभी- तुम सब जानते हो
मैं- तो बताओ फिर उस रात क्यों मारना चाहती थी मुझे
भाभी के आँखे फैलती चली गयी .
“सब पूछते है मेरे जख्मो के बारे में और झूठ कहता हूँ सबसे की पता नहीं कौन था वो पर हम दोनों जानते है . अब कातिल भी सामने है और शिकार भी यही है तो भाभी बड़ी शिद्दत से जानना चाहता हु मैं मेरी सबसे प्यारी मेरी दुश्मन कैसे हुई. ” मैंने लालटेन की लौ थोड़ी मंदी करते हुए कहा.
“मजबूर थी मैं कबीर , गोलिया चली तुझ पर थी पर छलनी मेरी छाती हुई थी ” भाभी बोली.
मैं- इस राज को राज रखने के लिए हर रोज झूठ बोलता हु मैं भाभी, और तुम कहती हो की मजबूर थी . ये बात बहुत हलकी है भाभी.
भाभी- और कोई रास्ता नहीं था कबीर, मुझे वार करना पड़ा कबीर . मैं दो राहे पर खड़ी थी एक तरफ तुम थे दूसरी तरफ मेरा संसार. चुनाव बहुत मुश्किल था , मैं हार गयी कबीर. मैं हार गयी.
मैं- अब तो सुख में हो न फिर
भाभी- तुम्हे लगता है की सुख मिलेगा हर पल बंदिश में जीती हु . सबसे नाता तोडना पड़ा यहाँ भी बहाने से आती हु की घर संभालना है तुम्हारे भाई ने अपना तो लिया मुझे पर माफ़ नहीं किया
मैं – वो तो है ही लोडू. अपनी कमिया छिपाने के लिए दुसरो को दोष देता है . छोड़ क्यों नहीं देती तुम उसको . अपनी जिन्दगी जी सकती हो तुम
भाभी- अगर मैंने माँ से वादा नहीं किया होता तो मैं ये कदम भी उठा लेती .
मैं – बहुत बढ़िया.
भाभी- तुम्हारी माफ़ी के लायक नहीं हु मैं .
मैं- माफ़ करने भी नहीं वाला मैं .मैं लौट आया हु , अब हर उस कारण की तलाश करूँगा जिसकी वजह से ये सब हुआ और जो भी उसके पीछे हुआ उसकी खाल उतारूंगा. जाकर भाई से भी कह देना की दुश्मन मेरा हो सकता है वो कोई ऐतराज नहीं पर औरतो के पल्लू में न छिपे.
“मुझे जाना चाहिए अब ” भाभी खड़ी हुई.
मैं- अभी मेरी बात ख़त्म नहीं हुई भाभी . ताऊ की मौत कैसे हुई बताओ मुझे
भाभी- किसी को कुछ नहीं पता चला. वैसे भी परिवार बिखरने के बाद सब अलग अलग ही रहते है आपस में संपर्क रखा नहीं किसी ने.
मैं- नंगे लोग , इस गुमान में की कौन कम नंगा है . मुझे नहीं लगता की ताऊ की मौत सामान्य थी मुझे तो अब ये भी नहीं लगता की माँ-पिताजी की मौत सामान्य थी .
भाभी- परिवार में ऐसा कोई नहीं जो अपने ही खून की बर्बादी करे
मैं- अच्छा जी, हमे तो मालूम ही नहीं .
भाभी उठ खड़ी हुई जाने के लिए मैंने उसका हाथ पकड़ लिया.
“कहाँ न अभी नहीं , जिस चूत के लिए सीने पर गोलिया खाई उसे ऐसे तो नहीं जाने दूंगा मैं ”मैंने कहा और भाभी की कमर में हाथ डाल कर उसे सीने से लगा लिया.
भाभी- कबीर, पीछे छोड़ आई हूँ मैं इन रास्तो को
मैं- रास्ते कहीं नहीं जाते वो हमेशा वही रहते है जहाँ लोग उन्हें छोड़ जाते है . ऐसे तो नहीं जाने दूंगा.
भाभी- मान जा कबीर, मत शरू कर . अतीत के पन्ने मत पलट
मैं- जिया तो अतीत में ही था मैं अब तो बस सांसे चल रही है.
मैंने भाभी के नाजुक होंठो को अपने होंठो से जोड़ लिया. बरसो बाद इन होंठो का स्वाद महसूस किया था मैंने . कुछ देर चूमने के बाद मैंने भाभी को पलंग के किनारे पर झुका दिया.और उसकी साडी को ऊपर कर दिया. भाभी की गोल गांड जिसका दीवाना किसी ज़माने में हुआ करता था . भाभी की अदा थी की वो कच्छी नहीं पहनती थी . मैंने लंड पर थूक लगाया और भाभी की को थोडा सा और झुकाते हुए चुदाई शुरू कर दी.
“जाने दे कबीर, तेरा भाई इधर आ निकला तो गजब हो जायेगा ” कसमसाते हुए बोली वो.
मैं- वो भी देख लेगा
भाभी की चूत मेरे कुछ ही धक्को में गर्म हो गयी थी .
“पच पच ” की आवाज आ रही थी . भाभी की साँसे भारी होने लगी थी. बेशक किसी भी औरत को मजबूर करके चोदना मेरी फितरत नहीं थी पर मुझे उसे चोदना ही था . थोड़ी देर बाद मैंने उसे गोद में उठा लिया और उपर निचे करने लगा.
“कैसा लग रहा है ” मैंने पुछा
भाभी- बहुत बुरा , तूने उसूल तोड़ दिया कबीर. औरत को उसकी मर्जी के बिना जोर जबरदस्ती करना ठीक नहीं
मैं- उसूल अब बचे ही कहाँ भाभी, जब सब बर्बाद हो गया तो उसूलो का क्या ही करना
भाभी- राख में चिंगारी भड़काई है तूने .
भाभी की बाकी बात अधूरी रह गयी क्योंकि उसने मेरे कान पर काट लिया था चूत टाइट हो गयी थी उसकी हाँफते हुए झड रही थी वो . उसकी चूत ने लंड को इतना कस लिया था की मेरा वीर्य बह ही चला चूत में . मेरी गोद से उतर कर उसने साडी से ही चूत को साफ़ किया और बिना कुछ बोले वो बाहर चली गयी. मैंने लालटेन बुझा दी. मैं उसके पीछे आया वो बड़े दरवाजे तक आ पहुंची थी .
मैं- पिताजी के बीमे पर अधिकार क्यों नहीं जमाया तुम दोनों ने .
भाभी- पैसो का किसे मोह था कबीर.........
भाभी ने बिना मेरी तरफ देखे कहा और अँधेरे में खो गया. पैसे नहीं तो फिर क्या .. मैं वही खड़ा सोचता रहा ....
भाभी जी भी कबीर के साथ मस्ती करती थी अतीत में....#16
“कबीर तुम ” सकपकाते हुए बोली वो .
“मैं नहीं तो और कौन भाभी, जब मैंने इस कमरे को खोला था तभी मैं समझ गया था की वो सिर्फ और सिर्फ तुम ही हो जो मेरे बाद भी यहाँ आती हो ” मैंने कहा
भाभी- दूर होकर भी यहाँ से दूर नहीं हो पाई.
मैं- उफ्फ्फ ये बाते , क्या रखा है इन बातो में
भाभी- समझो तो बहुत कुछ न समझो तो कुछ भी नहीं
मैं- तुम्ही समझा दो फिर
भाभी- तुम सब जानते हो
मैं- तो बताओ फिर उस रात क्यों मारना चाहती थी मुझे
भाभी के आँखे फैलती चली गयी .
“सब पूछते है मेरे जख्मो के बारे में और झूठ कहता हूँ सबसे की पता नहीं कौन था वो पर हम दोनों जानते है . अब कातिल भी सामने है और शिकार भी यही है तो भाभी बड़ी शिद्दत से जानना चाहता हु मैं मेरी सबसे प्यारी मेरी दुश्मन कैसे हुई. ” मैंने लालटेन की लौ थोड़ी मंदी करते हुए कहा.
“मजबूर थी मैं कबीर , गोलिया चली तुझ पर थी पर छलनी मेरी छाती हुई थी ” भाभी बोली.
मैं- इस राज को राज रखने के लिए हर रोज झूठ बोलता हु मैं भाभी, और तुम कहती हो की मजबूर थी . ये बात बहुत हलकी है भाभी.
भाभी- और कोई रास्ता नहीं था कबीर, मुझे वार करना पड़ा कबीर . मैं दो राहे पर खड़ी थी एक तरफ तुम थे दूसरी तरफ मेरा संसार. चुनाव बहुत मुश्किल था , मैं हार गयी कबीर. मैं हार गयी.
मैं- अब तो सुख में हो न फिर
भाभी- तुम्हे लगता है की सुख मिलेगा हर पल बंदिश में जीती हु . सबसे नाता तोडना पड़ा यहाँ भी बहाने से आती हु की घर संभालना है तुम्हारे भाई ने अपना तो लिया मुझे पर माफ़ नहीं किया
मैं – वो तो है ही लोडू. अपनी कमिया छिपाने के लिए दुसरो को दोष देता है . छोड़ क्यों नहीं देती तुम उसको . अपनी जिन्दगी जी सकती हो तुम
भाभी- अगर मैंने माँ से वादा नहीं किया होता तो मैं ये कदम भी उठा लेती .
मैं – बहुत बढ़िया.
भाभी- तुम्हारी माफ़ी के लायक नहीं हु मैं .
मैं- माफ़ करने भी नहीं वाला मैं .मैं लौट आया हु , अब हर उस कारण की तलाश करूँगा जिसकी वजह से ये सब हुआ और जो भी उसके पीछे हुआ उसकी खाल उतारूंगा. जाकर भाई से भी कह देना की दुश्मन मेरा हो सकता है वो कोई ऐतराज नहीं पर औरतो के पल्लू में न छिपे.
“मुझे जाना चाहिए अब ” भाभी खड़ी हुई.
मैं- अभी मेरी बात ख़त्म नहीं हुई भाभी . ताऊ की मौत कैसे हुई बताओ मुझे
भाभी- किसी को कुछ नहीं पता चला. वैसे भी परिवार बिखरने के बाद सब अलग अलग ही रहते है आपस में संपर्क रखा नहीं किसी ने.
मैं- नंगे लोग , इस गुमान में की कौन कम नंगा है . मुझे नहीं लगता की ताऊ की मौत सामान्य थी मुझे तो अब ये भी नहीं लगता की माँ-पिताजी की मौत सामान्य थी .
भाभी- परिवार में ऐसा कोई नहीं जो अपने ही खून की बर्बादी करे
मैं- अच्छा जी, हमे तो मालूम ही नहीं .
भाभी उठ खड़ी हुई जाने के लिए मैंने उसका हाथ पकड़ लिया.
“कहाँ न अभी नहीं , जिस चूत के लिए सीने पर गोलिया खाई उसे ऐसे तो नहीं जाने दूंगा मैं ”मैंने कहा और भाभी की कमर में हाथ डाल कर उसे सीने से लगा लिया.
भाभी- कबीर, पीछे छोड़ आई हूँ मैं इन रास्तो को
मैं- रास्ते कहीं नहीं जाते वो हमेशा वही रहते है जहाँ लोग उन्हें छोड़ जाते है . ऐसे तो नहीं जाने दूंगा.
भाभी- मान जा कबीर, मत शरू कर . अतीत के पन्ने मत पलट
मैं- जिया तो अतीत में ही था मैं अब तो बस सांसे चल रही है.
मैंने भाभी के नाजुक होंठो को अपने होंठो से जोड़ लिया. बरसो बाद इन होंठो का स्वाद महसूस किया था मैंने . कुछ देर चूमने के बाद मैंने भाभी को पलंग के किनारे पर झुका दिया.और उसकी साडी को ऊपर कर दिया. भाभी की गोल गांड जिसका दीवाना किसी ज़माने में हुआ करता था . भाभी की अदा थी की वो कच्छी नहीं पहनती थी . मैंने लंड पर थूक लगाया और भाभी की को थोडा सा और झुकाते हुए चुदाई शुरू कर दी.
“जाने दे कबीर, तेरा भाई इधर आ निकला तो गजब हो जायेगा ” कसमसाते हुए बोली वो.
मैं- वो भी देख लेगा
भाभी की चूत मेरे कुछ ही धक्को में गर्म हो गयी थी .
“पच पच ” की आवाज आ रही थी . भाभी की साँसे भारी होने लगी थी. बेशक किसी भी औरत को मजबूर करके चोदना मेरी फितरत नहीं थी पर मुझे उसे चोदना ही था . थोड़ी देर बाद मैंने उसे गोद में उठा लिया और उपर निचे करने लगा.
“कैसा लग रहा है ” मैंने पुछा
भाभी- बहुत बुरा , तूने उसूल तोड़ दिया कबीर. औरत को उसकी मर्जी के बिना जोर जबरदस्ती करना ठीक नहीं
मैं- उसूल अब बचे ही कहाँ भाभी, जब सब बर्बाद हो गया तो उसूलो का क्या ही करना
भाभी- राख में चिंगारी भड़काई है तूने .
भाभी की बाकी बात अधूरी रह गयी क्योंकि उसने मेरे कान पर काट लिया था चूत टाइट हो गयी थी उसकी हाँफते हुए झड रही थी वो . उसकी चूत ने लंड को इतना कस लिया था की मेरा वीर्य बह ही चला चूत में . मेरी गोद से उतर कर उसने साडी से ही चूत को साफ़ किया और बिना कुछ बोले वो बाहर चली गयी. मैंने लालटेन बुझा दी. मैं उसके पीछे आया वो बड़े दरवाजे तक आ पहुंची थी .
मैं- पिताजी के बीमे पर अधिकार क्यों नहीं जमाया तुम दोनों ने .
भाभी- पैसो का किसे मोह था कबीर.........
भाभी ने बिना मेरी तरफ देखे कहा और अँधेरे में खो गया. पैसे नहीं तो फिर क्या .. मैं वही खड़ा सोचता रहा ....
आखिर इस कहानी की सूत्रधार.... भाभी सामने आ ही गई#16
“कबीर तुम ” सकपकाते हुए बोली वो .
“मैं नहीं तो और कौन भाभी, जब मैंने इस कमरे को खोला था तभी मैं समझ गया था की वो सिर्फ और सिर्फ तुम ही हो जो मेरे बाद भी यहाँ आती हो ” मैंने कहा
भाभी- दूर होकर भी यहाँ से दूर नहीं हो पाई.
मैं- उफ्फ्फ ये बाते , क्या रखा है इन बातो में
भाभी- समझो तो बहुत कुछ न समझो तो कुछ भी नहीं
मैं- तुम्ही समझा दो फिर
भाभी- तुम सब जानते हो
मैं- तो बताओ फिर उस रात क्यों मारना चाहती थी मुझे
भाभी के आँखे फैलती चली गयी .
“सब पूछते है मेरे जख्मो के बारे में और झूठ कहता हूँ सबसे की पता नहीं कौन था वो पर हम दोनों जानते है . अब कातिल भी सामने है और शिकार भी यही है तो भाभी बड़ी शिद्दत से जानना चाहता हु मैं मेरी सबसे प्यारी मेरी दुश्मन कैसे हुई. ” मैंने लालटेन की लौ थोड़ी मंदी करते हुए कहा.
“मजबूर थी मैं कबीर , गोलिया चली तुझ पर थी पर छलनी मेरी छाती हुई थी ” भाभी बोली.
मैं- इस राज को राज रखने के लिए हर रोज झूठ बोलता हु मैं भाभी, और तुम कहती हो की मजबूर थी . ये बात बहुत हलकी है भाभी.
भाभी- और कोई रास्ता नहीं था कबीर, मुझे वार करना पड़ा कबीर . मैं दो राहे पर खड़ी थी एक तरफ तुम थे दूसरी तरफ मेरा संसार. चुनाव बहुत मुश्किल था , मैं हार गयी कबीर. मैं हार गयी.
मैं- अब तो सुख में हो न फिर
भाभी- तुम्हे लगता है की सुख मिलेगा हर पल बंदिश में जीती हु . सबसे नाता तोडना पड़ा यहाँ भी बहाने से आती हु की घर संभालना है तुम्हारे भाई ने अपना तो लिया मुझे पर माफ़ नहीं किया
मैं – वो तो है ही लोडू. अपनी कमिया छिपाने के लिए दुसरो को दोष देता है . छोड़ क्यों नहीं देती तुम उसको . अपनी जिन्दगी जी सकती हो तुम
भाभी- अगर मैंने माँ से वादा नहीं किया होता तो मैं ये कदम भी उठा लेती .
मैं – बहुत बढ़िया.
भाभी- तुम्हारी माफ़ी के लायक नहीं हु मैं .
मैं- माफ़ करने भी नहीं वाला मैं .मैं लौट आया हु , अब हर उस कारण की तलाश करूँगा जिसकी वजह से ये सब हुआ और जो भी उसके पीछे हुआ उसकी खाल उतारूंगा. जाकर भाई से भी कह देना की दुश्मन मेरा हो सकता है वो कोई ऐतराज नहीं पर औरतो के पल्लू में न छिपे.
“मुझे जाना चाहिए अब ” भाभी खड़ी हुई.
मैं- अभी मेरी बात ख़त्म नहीं हुई भाभी . ताऊ की मौत कैसे हुई बताओ मुझे
भाभी- किसी को कुछ नहीं पता चला. वैसे भी परिवार बिखरने के बाद सब अलग अलग ही रहते है आपस में संपर्क रखा नहीं किसी ने.
मैं- नंगे लोग , इस गुमान में की कौन कम नंगा है . मुझे नहीं लगता की ताऊ की मौत सामान्य थी मुझे तो अब ये भी नहीं लगता की माँ-पिताजी की मौत सामान्य थी .
भाभी- परिवार में ऐसा कोई नहीं जो अपने ही खून की बर्बादी करे
मैं- अच्छा जी, हमे तो मालूम ही नहीं .
भाभी उठ खड़ी हुई जाने के लिए मैंने उसका हाथ पकड़ लिया.
“कहाँ न अभी नहीं , जिस चूत के लिए सीने पर गोलिया खाई उसे ऐसे तो नहीं जाने दूंगा मैं ”मैंने कहा और भाभी की कमर में हाथ डाल कर उसे सीने से लगा लिया.
भाभी- कबीर, पीछे छोड़ आई हूँ मैं इन रास्तो को
मैं- रास्ते कहीं नहीं जाते वो हमेशा वही रहते है जहाँ लोग उन्हें छोड़ जाते है . ऐसे तो नहीं जाने दूंगा.
भाभी- मान जा कबीर, मत शरू कर . अतीत के पन्ने मत पलट
मैं- जिया तो अतीत में ही था मैं अब तो बस सांसे चल रही है.
मैंने भाभी के नाजुक होंठो को अपने होंठो से जोड़ लिया. बरसो बाद इन होंठो का स्वाद महसूस किया था मैंने . कुछ देर चूमने के बाद मैंने भाभी को पलंग के किनारे पर झुका दिया.और उसकी साडी को ऊपर कर दिया. भाभी की गोल गांड जिसका दीवाना किसी ज़माने में हुआ करता था . भाभी की अदा थी की वो कच्छी नहीं पहनती थी . मैंने लंड पर थूक लगाया और भाभी की को थोडा सा और झुकाते हुए चुदाई शुरू कर दी.
“जाने दे कबीर, तेरा भाई इधर आ निकला तो गजब हो जायेगा ” कसमसाते हुए बोली वो.
मैं- वो भी देख लेगा
भाभी की चूत मेरे कुछ ही धक्को में गर्म हो गयी थी .
“पच पच ” की आवाज आ रही थी . भाभी की साँसे भारी होने लगी थी. बेशक किसी भी औरत को मजबूर करके चोदना मेरी फितरत नहीं थी पर मुझे उसे चोदना ही था . थोड़ी देर बाद मैंने उसे गोद में उठा लिया और उपर निचे करने लगा.
“कैसा लग रहा है ” मैंने पुछा
भाभी- बहुत बुरा , तूने उसूल तोड़ दिया कबीर. औरत को उसकी मर्जी के बिना जोर जबरदस्ती करना ठीक नहीं
मैं- उसूल अब बचे ही कहाँ भाभी, जब सब बर्बाद हो गया तो उसूलो का क्या ही करना
भाभी- राख में चिंगारी भड़काई है तूने .
भाभी की बाकी बात अधूरी रह गयी क्योंकि उसने मेरे कान पर काट लिया था चूत टाइट हो गयी थी उसकी हाँफते हुए झड रही थी वो . उसकी चूत ने लंड को इतना कस लिया था की मेरा वीर्य बह ही चला चूत में . मेरी गोद से उतर कर उसने साडी से ही चूत को साफ़ किया और बिना कुछ बोले वो बाहर चली गयी. मैंने लालटेन बुझा दी. मैं उसके पीछे आया वो बड़े दरवाजे तक आ पहुंची थी .
मैं- पिताजी के बीमे पर अधिकार क्यों नहीं जमाया तुम दोनों ने .
भाभी- पैसो का किसे मोह था कबीर.........
भाभी ने बिना मेरी तरफ देखे कहा और अँधेरे में खो गया. पैसे नहीं तो फिर क्या .. मैं वही खड़ा सोचता रहा ....