R_Raj
Engineering the Dream Life
- 158
- 535
- 109
#38
हाथो में उन चीजो को महसूस करते हुए जो किसी के लिए जरुरी होती है , वो यहाँ बंद कमरे में क्या कर रही थी. मन में बहुत से सवाल पैदा हो गए थे जिनके जवाब अब हर हाल में चाहिए थे. मेरे हाथो में छोटे बहन भाइयो की शैक्षणिक योग्यताओ के प्रमाण पत्र थे, उनके तमाम दस्तावेज थे जिनकी जरुरत उन्हें बाहर रहने पर पड़ती ही पड़ती जब वो शहर में थे तो उनके ये कागज क्यों सड रहे थे और अगर वो छोड़ भी गए थे तो उन्हें ताईजी के घर में होना चाहिए था इस हवेली में नहीं. कोई भी अपनी महत्वपूर्ण वस्तुओ को ऐसे ही खंडहर में क्यों छोड़ेगा. दिमाग में चढ़ी दारू का नशा फक से झड़ गया था . ये क्या झोल था इसका पता लगाना बहुत ही जरुरी था.
हवेली से निकल कर मैं उस सख्स से मिलने जा रहा था जिसके पास ये सब जवाब होने थे, पर मेरे कदम रुक गए . मैंने दरोगा विक्रम को देखा जो दबे पाँव तेज तेज चल रहा था. इतनी रात को ये यहाँ क्या कर रहा था . इसका गाँव में क्या काम था वो भी बिना वर्दी के , ना जाने क्यों मैं उसके पीछे पीछे चल दिया. दरोगा की चाल में तेजी थी , बार बार वो पीछे मुड कर देख रहा था . निश्चित दुरी बनाये मैं उसकी दिशा में बढ़ रहा था .
गाँव पीछे छुट गया था , पक्के रस्ते की जगह अब कच्ची मिटटी ने ले ली थी. दरोगा खेतो के पास वाले रस्ते पर बने चबूतरे के पास खड़ा था, उसे इंतज़ार था किसी का या फिर पहले से ही कोई मोजूद था वहां पर.
“ऐसी भी क्या बेकरारी थी जो रह नहीं सके तुम ” अँधेरे में से एक फुसफुसाहट आई.
दरोगा- क्या करू , तुमसे दूर भी तो नहीं रहा जाता.
मतलब दरोगा यहाँ किसी औरत से मिलने आया था . मुझे कोतुहल था की कौन हो सकती है पर किसी के निजी जीवन से क्या लेना देना . सबके अपने अपने किस्से होते है . करने दो दोनों को मस्ती सोचते हुए मैं वापिस मुड ही लिया था अगर वो शब्द मेरे कानो में ना पड़े होते.
“हम तो मिलते ही रहेंगे, पर फिलहाल कबीर के बारे में बात करनी जरुरी है ”साये ने कहा
“इनको मेरे बारे में क्या बात करनी है ” मैंने मन ही मन कहा और अपने कान लगा दिए.
“कबीर लगभग सुनार तक पहुच ही गया था , बहुत मशक्कत करनी पड़ रही है मुझे इस सब को सँभालने में.बात अब आगे बढ़ रही है ” दरोगा ने कहा.
“जानती हु , पर फिलहाल सब काबू में है , कबीर को अपने सवालो के जवाब चाहिए और हमारा उन सब से कोई ताल्लुक नहीं ” औरत ने कहा
दरोगा- तुम समझ नहीं रही हो . सब कुछ उलझा हुआ है किसी ना किसी मोड़ पर वो हमारे सामने आ खड़ा होगा और फिर कुछ भी ठीक नहीं होगा.
“मैं संभाल लुंगी . वैसे भी कबीर यहाँ नहीं रहना चाहता , निशा से उसकी शादी हो जाएगी तो उसे निशा के साथ ही रहना पड़ेगा. ” औरत ने कहा
दरोगा- हमें उस से भी सतर्क रहना होगा . हो सकता है की कबीर निशा को हर बात बताता हो. तुम तो जानती ही हो की पुलिस वालो का दिमाग कैसे चलता है ऊपर से वो कोई मामूली पुलिस वाली नहीं महकमा उसके इशारे पर नाचता है . दूसरी बात निशा का बाप कभी नहीं होने देगा उसकी शादी कबीर के साथ
औरत- वो तुम्हारा मसला नहीं है . हर कड़ी टूट चुकी है . कबीर को लगता है की उसके माँ-बाप की हत्या हुई है वो उसी दिशा में है
दरोगा- क्या सच में
औरत- तुम बस अपने काम पर ध्यान दो .
दरोगा- बहुत दिनों बाद मिली हो थोडा काम तो करना ही पड़ेगा.
आती सिसकियो से मैं समझ रहा था की चुदाई शुरू होने वाली है पर मैं इस सुनहरे मौके को चूकना नहीं चाहता था इन लोगो को पकड़ने की नियत से मैं आगे बढ़ा ही था की सामने मोड़ से अचानक आई उस गाडी की रौशनी ने सब खत्म कर दिया. तेज रफ़्तार गाडी की रौशनी चबूतरे पर पड़ी पर अफ़सोस अब वहां कुछ नहीं था . गुस्से से मैंने गाड़ी के बोनट पर हाथ मारा और जब मेरी नजर अंदर बैठे शक्श पर पड़ी तो एक पल के लिए जैसे अब कुछ थम सा गया . गाड़ी में मेरा भाई था हमारी नजरे आपस में मिली . वो गाड़ी से उतरा और मेरी तरफ बढ़ा . कुछ देर तक हम बस एक दुसरे को देखते रहे.
“कैसा है भाई ” बोला वो.
जी तो किया की आगे बढ़ कर सीने से लगा लू उसे पर मेरे हालात और उसका गुनेहगार था मैं तो रोक लिया खुद को .
“ठीक हु भैया ” बड़ी मुश्किल से कह सका मैं.
“इधर क्या कर रहा है इतनी रात को ” पुछा भाई ने
मैं- बस यु ही . गाँव में जी नहीं लग रहा था तो इधर आ गया सोचा कुवे पर ही सो जाऊंगा
भाई- घर तो आना नहीं है न तुझे
मैं- मैं शर्मिंदा हु, मेरी ना समझियो , मेरी गलतियों की वजह से अब बर्बाद हो गया.
भाई- प्रत्येक व्यक्ति अपने कर्मो के लिए स्वयं उतरदायी होता है . मैं आगे बढ़ गया हु तुम भी बढ़ जाओ .
मैं- मैं तो माफ़ी के लायक भी नहीं
भाई ने मेरे कंधे पर हाथ रखा और बोला- रात बहुत हुई, गाड़ी में बैठो मैं तुम्हे ताई जी के घर छोड़ देता हु
पुरे रस्ते फिर को बात नहीं हुई. घर का दरवाजा खुला पड़ा था . मैं सीढियों पर ही बैठ गया . एक बार फिर से हाथो में जाम थामे मैं तमाम बातो के बारे में सोच रहा था . कुछ तो साजिश जरुर चल रही थी अगर भाई नहीं आता तो मेरे हाथ में वो लोग थे जो मुझे बहुत कुछ बता सकते थे . कुछ देर बाद मैंने तीन औरतो को मेरी तरफ आते हुए देखा.
“सोये नहीं अभी तक ” ताई जी ने मेरे सर पर हाथ फेरते हुए कहा
मैं- नींद भी रूठी है आजकल शायद
ताई- कई बार मुश्किलों का हल नहीं होता पर वक्त के साथ सब ठीक हो जाता है .
ताई और मंजू अंदर चली गयी . मामी मेरे पास बैठ गयी.
“तुमने कहा था नहीं पियोगे ” मामी बोली
मैं- बस यूँ ही करने को कुछ नहीं था तो सोचा इस से ही दिल बहला लिया जाये
मामी- छत पर बिस्तर लगा लो मैं आ जाउंगी
. बची कुछी रात मामी की बाँहों में काटने के बाद सुबह मैं थाने में पहुँच गया दरोगा से मिलने के लिए पर वहां जाकर मुझे और कुछ ही जानने को मिला................
Are Bhai Itni Badhiya Mauka Tha Kabir Ko Sach Janne Ka Kuch
Use Bhi Kho Diya, Waise Bhai Itni Rat Ko Udhar Kya Karne Aaya Tha ?
Nice Update Bro !