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Adultery दिलवाले

R_Raj

Engineering the Dream Life
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#38

हाथो में उन चीजो को महसूस करते हुए जो किसी के लिए जरुरी होती है , वो यहाँ बंद कमरे में क्या कर रही थी. मन में बहुत से सवाल पैदा हो गए थे जिनके जवाब अब हर हाल में चाहिए थे. मेरे हाथो में छोटे बहन भाइयो की शैक्षणिक योग्यताओ के प्रमाण पत्र थे, उनके तमाम दस्तावेज थे जिनकी जरुरत उन्हें बाहर रहने पर पड़ती ही पड़ती जब वो शहर में थे तो उनके ये कागज क्यों सड रहे थे और अगर वो छोड़ भी गए थे तो उन्हें ताईजी के घर में होना चाहिए था इस हवेली में नहीं. कोई भी अपनी महत्वपूर्ण वस्तुओ को ऐसे ही खंडहर में क्यों छोड़ेगा. दिमाग में चढ़ी दारू का नशा फक से झड़ गया था . ये क्या झोल था इसका पता लगाना बहुत ही जरुरी था.

हवेली से निकल कर मैं उस सख्स से मिलने जा रहा था जिसके पास ये सब जवाब होने थे, पर मेरे कदम रुक गए . मैंने दरोगा विक्रम को देखा जो दबे पाँव तेज तेज चल रहा था. इतनी रात को ये यहाँ क्या कर रहा था . इसका गाँव में क्या काम था वो भी बिना वर्दी के , ना जाने क्यों मैं उसके पीछे पीछे चल दिया. दरोगा की चाल में तेजी थी , बार बार वो पीछे मुड कर देख रहा था . निश्चित दुरी बनाये मैं उसकी दिशा में बढ़ रहा था .

गाँव पीछे छुट गया था , पक्के रस्ते की जगह अब कच्ची मिटटी ने ले ली थी. दरोगा खेतो के पास वाले रस्ते पर बने चबूतरे के पास खड़ा था, उसे इंतज़ार था किसी का या फिर पहले से ही कोई मोजूद था वहां पर.

“ऐसी भी क्या बेकरारी थी जो रह नहीं सके तुम ” अँधेरे में से एक फुसफुसाहट आई.

दरोगा- क्या करू , तुमसे दूर भी तो नहीं रहा जाता.

मतलब दरोगा यहाँ किसी औरत से मिलने आया था . मुझे कोतुहल था की कौन हो सकती है पर किसी के निजी जीवन से क्या लेना देना . सबके अपने अपने किस्से होते है . करने दो दोनों को मस्ती सोचते हुए मैं वापिस मुड ही लिया था अगर वो शब्द मेरे कानो में ना पड़े होते.

“हम तो मिलते ही रहेंगे, पर फिलहाल कबीर के बारे में बात करनी जरुरी है ”साये ने कहा

“इनको मेरे बारे में क्या बात करनी है ” मैंने मन ही मन कहा और अपने कान लगा दिए.

“कबीर लगभग सुनार तक पहुच ही गया था , बहुत मशक्कत करनी पड़ रही है मुझे इस सब को सँभालने में.बात अब आगे बढ़ रही है ” दरोगा ने कहा.

“जानती हु , पर फिलहाल सब काबू में है , कबीर को अपने सवालो के जवाब चाहिए और हमारा उन सब से कोई ताल्लुक नहीं ” औरत ने कहा

दरोगा- तुम समझ नहीं रही हो . सब कुछ उलझा हुआ है किसी ना किसी मोड़ पर वो हमारे सामने आ खड़ा होगा और फिर कुछ भी ठीक नहीं होगा.

“मैं संभाल लुंगी . वैसे भी कबीर यहाँ नहीं रहना चाहता , निशा से उसकी शादी हो जाएगी तो उसे निशा के साथ ही रहना पड़ेगा. ” औरत ने कहा

दरोगा- हमें उस से भी सतर्क रहना होगा . हो सकता है की कबीर निशा को हर बात बताता हो. तुम तो जानती ही हो की पुलिस वालो का दिमाग कैसे चलता है ऊपर से वो कोई मामूली पुलिस वाली नहीं महकमा उसके इशारे पर नाचता है . दूसरी बात निशा का बाप कभी नहीं होने देगा उसकी शादी कबीर के साथ

औरत- वो तुम्हारा मसला नहीं है . हर कड़ी टूट चुकी है . कबीर को लगता है की उसके माँ-बाप की हत्या हुई है वो उसी दिशा में है

दरोगा- क्या सच में

औरत- तुम बस अपने काम पर ध्यान दो .

दरोगा- बहुत दिनों बाद मिली हो थोडा काम तो करना ही पड़ेगा.

आती सिसकियो से मैं समझ रहा था की चुदाई शुरू होने वाली है पर मैं इस सुनहरे मौके को चूकना नहीं चाहता था इन लोगो को पकड़ने की नियत से मैं आगे बढ़ा ही था की सामने मोड़ से अचानक आई उस गाडी की रौशनी ने सब खत्म कर दिया. तेज रफ़्तार गाडी की रौशनी चबूतरे पर पड़ी पर अफ़सोस अब वहां कुछ नहीं था . गुस्से से मैंने गाड़ी के बोनट पर हाथ मारा और जब मेरी नजर अंदर बैठे शक्श पर पड़ी तो एक पल के लिए जैसे अब कुछ थम सा गया . गाड़ी में मेरा भाई था हमारी नजरे आपस में मिली . वो गाड़ी से उतरा और मेरी तरफ बढ़ा . कुछ देर तक हम बस एक दुसरे को देखते रहे.

“कैसा है भाई ” बोला वो.

जी तो किया की आगे बढ़ कर सीने से लगा लू उसे पर मेरे हालात और उसका गुनेहगार था मैं तो रोक लिया खुद को .

“ठीक हु भैया ” बड़ी मुश्किल से कह सका मैं.

“इधर क्या कर रहा है इतनी रात को ” पुछा भाई ने

मैं- बस यु ही . गाँव में जी नहीं लग रहा था तो इधर आ गया सोचा कुवे पर ही सो जाऊंगा

भाई- घर तो आना नहीं है न तुझे

मैं- मैं शर्मिंदा हु, मेरी ना समझियो , मेरी गलतियों की वजह से अब बर्बाद हो गया.

भाई- प्रत्येक व्यक्ति अपने कर्मो के लिए स्वयं उतरदायी होता है . मैं आगे बढ़ गया हु तुम भी बढ़ जाओ .

मैं- मैं तो माफ़ी के लायक भी नहीं

भाई ने मेरे कंधे पर हाथ रखा और बोला- रात बहुत हुई, गाड़ी में बैठो मैं तुम्हे ताई जी के घर छोड़ देता हु

पुरे रस्ते फिर को बात नहीं हुई. घर का दरवाजा खुला पड़ा था . मैं सीढियों पर ही बैठ गया . एक बार फिर से हाथो में जाम थामे मैं तमाम बातो के बारे में सोच रहा था . कुछ तो साजिश जरुर चल रही थी अगर भाई नहीं आता तो मेरे हाथ में वो लोग थे जो मुझे बहुत कुछ बता सकते थे . कुछ देर बाद मैंने तीन औरतो को मेरी तरफ आते हुए देखा.

“सोये नहीं अभी तक ” ताई जी ने मेरे सर पर हाथ फेरते हुए कहा

मैं- नींद भी रूठी है आजकल शायद

ताई- कई बार मुश्किलों का हल नहीं होता पर वक्त के साथ सब ठीक हो जाता है .

ताई और मंजू अंदर चली गयी . मामी मेरे पास बैठ गयी.

“तुमने कहा था नहीं पियोगे ” मामी बोली

मैं- बस यूँ ही करने को कुछ नहीं था तो सोचा इस से ही दिल बहला लिया जाये

मामी- छत पर बिस्तर लगा लो मैं आ जाउंगी


. बची कुछी रात मामी की बाँहों में काटने के बाद सुबह मैं थाने में पहुँच गया दरोगा से मिलने के लिए पर वहां जाकर मुझे और कुछ ही जानने को मिला................

Are Bhai Itni Badhiya Mauka Tha Kabir Ko Sach Janne Ka Kuch
Use Bhi Kho Diya, Waise Bhai Itni Rat Ko Udhar Kya Karne Aaya Tha ?

Nice Update Bro !
 

Ben Tennyson

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#34

सांसे सांसो में घुलने लगी थी ,कठोर छातिया मेरे सीने में धंसने लगी थी. मेरे हाथ उसकी कमर उसकी पीठ को सहलाने लगे. लहंगे के ऊपर से ही मेरे हाथ नितम्बो की थिरकन को महसूस करने लगे थे. इतनी शिद्दत से वो चूम रही थी मुझे , उसके गुलाबी होंठ मक्खन की तरह मेरे मुह में फिसलने लगे थे.

“क्यों इस कद्र दूर है मुझसे तू ” उफनती सांसो को मेरे गालो पर छोड़ते हुए बोली वो.

मैं- दूर कहाँ हु , बस उलझा हु अपने आप में. पर तुम क्या कर रही हो यहाँ पर

“अपने हिस्से का सकून तलाश कर रही हूँ ” उसने मेरे पायजामे में हाथ डाला और लंड को अपनी मुट्ठी में कस लिया.

“कैसे पता चला मैं ही हूँ ” मैंने लहंगे का नाडा खोलते हुए कहा

“हवेली से दूर नहीं रह सकता तू ” उसने लंड पर अपना हाथ चलाते हुए कहा

“आज भी बहुत कसी हुई गांड है तुम्हारी ” मैंने गुदा द्वार को ऊँगली से रगड़ते हुए कहा.

“अब तक दीवाने हो तुम इसके लिए ” मेरे गालो पर दांत लगाते हुए कहा उसने

मैं- तुमने वादा किया था की गांड मरवा लोगी

“आज निभाउंगी उस वादे को ” उसने कहा और घुटनों पर बैठ गयी. थोड़ी देर पहले ही मामी को चोद कर आया था मैं मामी की चूत का रस लंड पर लगा हुआ था जो उसने भी महसूस कर लिया था .

“फिर मंजू को चोद आया ” उसने लंड पर गर्म सांसे छोड़ते हुए कहा

मैं- छोड़ो उसे

अगले ही पल उसने अपनी जीभ को मेरे लंड के सुपाडे पर रगड़ना शुरू कर दिया,कसम से मेरे पैर कांप गए बदन में मस्ती की ऐसी लहर उठी की मैंने उसके सर को पकड़ा और पूरा लंड गले की गहराई में उतार दिया.

“तेरे जैसा कोई नहीं चूसता ” मैंने उन्माद से कहा

“फिर भी तुझे परवाह नहीं ” उसने अन्डकोशो पर जीभ चलाते हुए कहा.

उसके चूसने के अंदाज का तो मैं हमेशा से कायल रहा था और उसने भी इतनी वफ़ा से लंड चूसा की मैं लाख चाहकर भी खुद को रोक न सका. बड़े ही प्यार से वीर्य की अंतिम बूँद तक को उसने अपने गले में उतार लिया.

“बिस्तर पर आजा ” खड़ी होते हुए उसने कहा

मैंने उसे गोद में उठाया

“भारी हो गयी है ” मैंने कहा

उसने हौले से मेरे गाल को चूमा और मैंने उसे पलंग पर पटक दिया. उसके पैर के अंगूठे को मैंने अपने मुह में ले लिया और चूत को मुट्ठी में लेकर भींचा. कुछ ही पल बाद मैंने अपने होंठ उसकी कच्छी पर लगा दिए जो कामरस से भीगी हुई थी .

“बहुत गर्म चूत है ” मैंने कहा

“ठंडी कर दे इसे , निकाल दे सारी गर्मी ” मादकता से बोली वो और मैंने कच्छी को उतार कर फेंक दिया. बिना बालो की वो चूत जिसकी फांके उत्तेजनावश फड़क रही थी . जैसे ही मैंने वहां चुमबन लिया मादकता से भरी उस औरत ने बिलकुल कोशिश नहीं की अपनी गर्म सिस्कारियो को रोकने की.

“ऊपर आने दे मुझे ” मेरा मुह चूत से हटाते हुए उसने कहा और मैं लेट गया . खड़े लंड को कुछ देर चूत के मुहाने पर रगड़ने के बाद वो आहिस्ता आहिस्ता से आहे भरते हुए उस पर बैठने लगी, लंड पूरा अन्दर घुस चूका था धीरे धीरे गांड हिलाते हुए उसने मेरी छाती पर हाथ रखे और चुदाई का मजा देने लगी.

“चुतड निखर गए है तेरे ” मैंने चूतडो को मसलते हुए कहा

“तेरी निगाह हमेशा सही ख़राब रही है मेरी गांड के लिए ” मेरे होंठो पर उंगलिया फेरते हुए बोली वो.

धीरे धीरे उसके झटके रफ़्तार पकड़ने लगे थे वो पूरी तरह से मेरे ऊपर लेट चुकी थी और एक बार फिर से हमारे होंठ आपस में उलझ गये थे. चुदाई का असीम सुख प्राप्त करते हुए वो झड़ी तो यक़ीनन उसने गर्व किया होगा चूत से बहा रस मेरी जांघो तक को सान गया था . जैसे ही वो झड़ी , मैंने उसे औंधी लिटा दिया. जिस गांड का मैं हद से ज्यादा दीवाना था आज अपने लंड से उसके छेद को खोल देने वाला था . बड़े ही प्यार से मैंने चूतडो को फैलाया और उस छेद को सूंघने लगा . बेहद ही दिलकश अहसास , मैंने उस छेद को चूमना शुरू किया तो वो और कामुकता से भरने लगी . कुछ ही देर में मैंने थूक से छेद को इतना चिकना कर दिया था की मेरी ऊँगली गांड में घुस सके.

“धीरे दर्द होता है ” उसने कहा

मैं- ऊँगली नहीं सह पा रही लंड कैसे लेगी

“वादा किया है निभाना तो पड़ेगा ही तू सीधा घुसा अन्दर ”

थोडा सा थूक लंड पर लगाने के बाद मैंने कोशिश की, लंड फिसल गया, तीसरी कोशिश में सुपाडा थोडा सा घुसा, उसका बदन थरथरा उठा मैंने थोडा सा जोर लगाया गांड का नाजुक छेद दबाव के आगे खुलने लगा और सुपाडा गांड में घुस गया.

“आईईईई ” चाहकर भी वो दर्द की लहर को महसूस करने से रुक न पाई. मैंने अपने बदन का बोझ डालते हुए थोडा सा लंड और आगे किया. दर्द से कराहने लगी वो पर लंड बाहर निकालने के लिए नहीं कहा उसने .

“बहुत कड़क है तेरी गांड ” मैंने उसके आंसुओ को जीभसे चाटते हुए कहा और पूरा लंड अन्दर सरका दिया. लंड पर बहुत दबाव पड़ रहा था इतना की उसे आगे पीछे करने में तकलीफ होने लगी पर गांड मारने का आनंद कोई भी नहीं छोड़ना चाहेगा अपना हाल भी ऐसा ही था , कुछ देर बाद मैंने उसे टेढ़ी किया और एक पैर को थोडा सा ऊपर करते हुए उसकी गांड में दुबारा से लंड दे दिया. चुचियो को बुरी तरह से मसलते हुए मैं उसके बदन का मजा ले रहा था , मैंने महसूस किया की उसने अपनी उंगलिया चूत में डाली हुई है तो मैंने उसे सीढ़ी किया और उसपे चढ़ गया . चूत में लंड जाते ही वो पागल हो गयी . उस रात जब तक मेरी आँखे बंद नहीं हुई हमने हर एक पल को भोगा. ऐसी चुदाई बहुत दिन बाद की थी मैंने.

जब मैं उठा तो बदन पर जगह जगह उसके बनाये निशान थे, एक दो जगह पर उसने बहुत जोरो से काटा था तो नील पड़ गए थे, चूँकि मैं नंगा खड़ा था अपने कपडे उठाते हुए मेरी नजर उस चीज पर पड़ी तो सारी नींद अचानक से गायब हो गयी . मेरे हाथ में जो चीज़ थी उसे महसूस करते हुए मेरे दिमाग में बिजलिया गिरने लगी थी. दिमाग में हजार बाते थी पर दिल बेईमान उसे मानना नहीं चाह रहा था . उंगलिया फेरते हुए मैंने जल्दबाजी नहीं करने का निर्णय लिया और खेल को ऐसे खेलने का सोचा जहाँ मैं उसे रंगे हाथ पकड पाऊ .

नहां धोकर मैं शिवाले पर पंहुचा ही था की तभी दरोगा वहां आ पहुंचा

मैं- तुम यहाँ

दरोगा- कबीर, एक जरुरी बात करना चाहता हु तुमसे

“कहो ” मैंने पानी बाल्टी में भरते हुए कहा .

दरोगा- कबीर, मुझे तुम्हारी मदद की जरुरत है और पूरी उम्मीद है की तुम मदद करोगे

मैं- पुलिस मदद मांग रही है अजीब सी बात है

दरोगा- पुलिस नहीं, एक दोस्त दुसरे दोस्त से अपने मन की बात कहना चाहता है.
जिस हिसाब से बताया है किसी और को भी हवेली से लगाव है तो वो कोई और नहीं सिर्फ भाभी है... तो भाभी की ही चूत और गांड़ मारी गई है...
 

Ben Tennyson

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मिल गईं कलेजे को ठण्डक ....
और पता नहीं कहां-कहां तक :D ठण्डक पहुंच गई

पिस्ता के बिना कहानी अधूरी सी लगती है....
"प्रीतम इन मिलो...."
पिस्ता तो जान है फ़ौजी भाई और उसके कैमियो तो जबरदस्त होते हैं
 

Raj_sharma

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Raj_sharma

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Ye sala haweli me kon si lugaai aa gayi ab? Kabeer ki premika laut aayi kya?:?:
Awesome update as always 👌🏻👌🏻
#33

“हाँ, कबीर वो ट्रक तुम्हारे चाचा के नाम है ”दरोगा ने दुबारा से कहा तो मैं सोच में पड़ गया, कैसी गुत्थी थी जिसमे मैं उलझ गया था.

“ट्रक सामान से भरा था ,ट्रक के आगे आवारा सांड आ गया था उसे बचाने की कोशिश में ये हादसा हो गया. ” दरोगा बोला.

दरोगा की बात मानने की मेरी कोई इच्छा नहीं थी पर उसके तथ्यों को नकारा भी नहीं जा सकता था .

“ जाना चाहता हु मैं यहाँ से ” मैंने कहा

दरोगा- मैं छोड़ देता हु

हम दोनों गाँव की तरफ चल दिए. गाँव के बाहर बने ठेके के पास मैंने दरोगा को रोकने के लिए कहा .

“बस मुझे यही छोड़ दो,”मैने कहा

दरोगा- यहाँ

मैं- शराब पीते हो

दरोगा- नहीं

मैं- फिर क्या ख़ाक जीते हो.

दरोगा- तुम तो पीते हो , फिर तो खूब जीते होगे.

हम दोनों ही मुस्कुरा दिए. मैंने बोतल खरीदी और चल दिया. आधी बोतल पीने के बाद भी मुझे चैन नहीं था. रत्ना का असली चेहरा कुछ और था वो चाचा के ट्रक से मारी गयी वो भी ठीक तभी जब हम अलग हो रहे थे , इस इत्तेफाक की टाइमिंग इतनी परफेक्ट कैसे हो सकती थी . सोचते सोचते मैं जब ताई के घर आया तो मामी मिली मुझे.

“कबीर कहाँ गायब थे तुम ” उसने कहा

मैं- शहर गया था कुछ काम से आने में थोड़ी देर हो गयी .

मामी- कोई बात नहीं. तुम खाना खा लो मैं तुम्हारी चाची के घर जा रही हु.

मैं- रुको जरा.

“क्यों भला,” मामी ने मुस्कुराते हुए कहा

मैंने कुछ नहीं किया बस मामी को गोद में उठा लिया.

“ये ठीक समय नहीं कबीर, मैं बाद में हवेली आ जाउंगी ” मामी ने कहा

मैं- हवेली अब मेरी नहीं रही पर तुम मेरी जरुर हो.

मामी- ठीक है पर कपडे मत उतरना.

मैंने मामी को घुटनों भर झुकाया और साड़ी को ऊपर कर दिया. मामी की गोल गांड जिसका मैं बचपन से ही दीवाना था और होता भी क्यों नहीं मामी मेरे लिए बहुत अहम् थी वो पहली औरत जिसकी चूत मैंने मारी थी.

“इस चूत के लिए मैं सब कुछ हार जाऊ , उफ्फ्फ कितनी ही प्यारी है ये ” मैंने मामी के झांट के बालो पर जीभ चलाई

मामी- तुम्हे देखते ही मैं आप खोने लगती हु कबीर

मैं- फिर क्यों रोक रही हो मुझे

मामी- क्योंकि मैं खुल कर करना चाहती हु तुम्हारे साथ और फिलहाल ये समय मुझे इजाजत नहीं दे रहा .

मैंने मामी की चूत पर थूक लगाया और अपने लंड को गर्म चूत से सटा दिया. पहले धक्के में ही लंड चूत में घुस गया .

“आहिस्ता ” मामी ने अपने पैरो को आपस में जोड़ते हुए कहा.

मैं- रुका नहीं जा रहा

मैंने मामी की कमर को पकड़ा और मामी को छोड़ने लगा. गर्दन से टपकते पसीने को जीभ से चाटते हुए मैं चुचियो को मसलते हुए मामी को चोद रहा था .

“आज भी याद है वो रात जब हम एक हुए थे ” मैंने मामी के कान में फुसफुसाया

“तीन बार ली थी तूने सुजा के रख दी थी ” मामी ने गांड को हिलाते हुए कहा.

“फिर से वो रात दोहराना चाहता हु ” मैंने कस से धक्के लगाते हुए कहा

मामी- जाने से पहले ये खवाहिश पूरी करके जाउंगी. ऊपर आ जा मेरे

मामी ने बिस्तर पर लेटते ही अपने पैरो को विपरीत दिशाओ में फैला लिया. गदराई जांघो के बीच कांपती चूत कोई कमजोर हो तो वैसे ही झड जाए. मैंने मामी की जांघो पर अपनी जांघे चढ़ाई मामी ने खुद लंड को चूत पर लगया और बोली- जल्दी से कर ले.

एक बार फिर से हमारी चुदाई शुरू हो गयी. मामी के लजीज होंठ मेरे होंठो में भरे हुए थे मामी अपनी गांड उठा उठा कर चुद रही थी और जब ये चुदाई का तूफ़ान शांत हुआ तो पसीने से लथपथ दो जिस्म हांफ रहे थे और बिस्तर की सलवटे चीख रही थी .

“मैं जा रही हु, खाना खा लेना और यही रहना ” मामी ने कपडे ठीक करते हुए कहा. मामी के जाने के बाद मेरे पास करने को कुछ खास नहीं था हवाए थोड़ी तेज चलने लगी थी मैंने दरवाजा बंद किया , ताईजी से घर बढ़िया बनाया था. दिवार पर ताई ताऊ और उनके बच्चो की तस्वीरे लगी थी.एक खुशहाल परिवार किसी और क्यों इसके सिवा और ही चाहत रहे, ताऊ की मौत के बाद ताई अकेली हो गयी थी छोटे भाई-बहन अपनी जिंदगी में खुश थे पर ऐसा कोई इन्सान नहीं जो घर ना आना चाहता होगा. खैर, भागते समय में ये कोई नई बात तो थी नहीं. ताऊ और चाचा की मौत लगभग एक ही तरीके से हुई थी इस बात ने मुझे परेशां करके रखा हुआ था , अवश्य ही ताऊ को भी हीरो वाली बात मालूम हो गयी थी इतना तो मुझे विश्वास था पर क्या वो खान तक पहुंचा था .

खान का ध्यान आते ही मुझे लगा की फिर वहां जाना चाहिए पर रात को नहीं . मैं घर से बाहर निकल आया इधर मन भी नहीं लग रहा था . एक बार फिर से मैं हवेली के सामने खड़ा था , सरसराती हवा में ख़ामोशी से खड़ी वो ईमारत भी तनहा थी मेरी तरह पर क्या सच में ऐसा था , नहीं बिलकुल नहीं. अगर अँधेरे में वो हलकी सी चिंगारी न जलती जो शायद माचिस की थी तो मुझे क्या फरिश्तो तक को नहीं मालूम था की मेरे सिवा वहां पर कोई और भी था. दबे पाँव मैं हवेली की टूटी दिवार से लगते हुए अन्दर आया. हवा में अजीब सी ख़ामोशी थी .

“बहुत देर लगाई ” धीमे से एक आवाज आई.


“मैं तुमसे ही कह रही हु कबीर ” आहिस्ता से वो मेरे पास आई और उसके नर्म होंठ मेरे होंठो से मिल गए. ................
 

RAAZ

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#1

यूँ तो बहुत राते आई गयी पर नजाने क्यों ये रात परेशान कर रही थी , बहुत बारिशे देखि थी पर आज लगता था की इस बरसात को भी किसी बात का मलाल है , कुछ गुस्सा इसके मन में भी भरा है. कोट को गले तक तो अडा लिया था पर फिर भी ठण्ड कलेजे को चीरे जा रही थी . एक निगाह मैंने काले आस्मां में डाली और उसे कोसते हुए हाथ के जाम को होंठो तक लगाया. महसूस नहीं होती थी अब इसकी कड़वाहट,सुकून बस इतना था की पी रखी है . दो घूँट और गले के निचे करके मैं आगे बढ़ा, पानी इतना बरस रहा था की मैंने छाते पर पकड़ और मजबूत कर दी. बड़ी अजीब सी बात थी आसमान बरस रहा था और ये शहर सो रहा था . मेन सड़क को पीछे छोड़ कर कालेज ग्राउंड के गेट से गुजर ही रहा था की तभी मेरे कदम रुक गए. इतनी बारिश के बावजूद भी मेरे कानो ने चीख सुनी थी . वैसे तो इस शहर में आये दिन ही कोई न कोई अपराध होते रहता था और पड़ी भी किसे थी दुसरे के फटे में टांग अड़ाने की . पव्वे की बची घूंटो को गले के निचे किया और अपने रस्ते बढ़ ही रहा था की दुबारा से मैंने वो आवाज सुनी.

“छोड़ दो मुझे , मत करो ये .” आवाज की तकलीफ कानो से होते हुए दिल तक आकर रुक गयी . दिल कहने लगा की मदद कर दे दिमाग अड़ गया की आगे चल, तेरा कोई लेना देना नहीं है . कदम बेताब थे आगे जाने को पर साले दिल को न जाने क्या हो गया था .

“मत सुन इस चूतिये दिल की मत सुन ” दिमाग लगातार इशारा कर रहा था पर फिर भी मैं ग्राउंड के गेट के अन्दर चला गया. भारी बरसात के बावजूद जलती स्टेडियम लाइट में मैंने वो देखा जो शायद नहीं देखना चाहिए था . अब किसे नहीं देखना था मुझे या फिर उन लोगो को वो सब कर रहे थे . वो चार लड़के थे कार के बोनट पर एक लड़की को नंगी किये हुए मानवता को तार तार करने की जुर्रत में लगे हुए. वो लड़की तड़प रही थी , चीख रही थी और वो चार लड़के इन्सान से जानवर बनने की तरफ बढ़ रहे थे.



“छोड़ो इस लड़की को ये ठीक नहीं है ” मैंने कार की तरफ जाते हुए कहा. एक पल को वो लड़के मुझे देख कर चौंक से गए पर जल्दी ही मुझे अहसास हो गया की ये सिर्फ मेरा वहम था .

“निकल लौड़े यहाँ से ” उनमे से एक लड़के ने मुझे देख कर कहा

मैं- हाँ, निकलते है . लड़की को छोड़ो और जाओ

“अबे साले, देख नहीं रहा क्या ,काम कर रहे है हम . भाग इधर से ” लड़के से कहा और दूसरा लड़का वापिस उस लड़की को बोनट पर लिटाने लगा.

मैं- इसकी मर्जी नहीं है तो जाने दो इसे

“रुक पहले तेरी गांड मारता हु . साला टाइम खराब कर रहा है . मौसम नहीं देख रहा हीरो बन रहा है ”लड़के ने लड़की के हाथ छोड़े और मेरी तरफ बढ़ा

“तेरा कोई लेना देना नहीं है पड़ी लकड़ी मत उठा ”दिमाग ने फिर से इशारा किया लड़के ने पास आते ही मेरे पैर पर लात मारी, मुझे उम्मीद नहीं थी घुटना जमीन से टकराया छतरी हाथ से फिसल गयी . मुझे गिरा देख वो हंसने लगे

“निकल गयी हीरो पांति अब निकल लोडे इधर से , साला न जाने किधर से आ गया मुड की माँ चोदने ” कहते हुए वो वापिस मुड़ा पर आगे बढ़ नहीं पाया. उसकी गूद्दी मेरे हाथ में थी .

“ये गलती मत कर , तू जानता भी नहीं ये कौन है ” उनमे से एक लड़के ने कहा और मारने को आगे बढ़ा और मैं जान गया था की बात अब बिगड़ ही गयी है .

“लड़की को जाने दो ,बात इसी रात खत्म हो जाएगी . तुम भी भूल जाना मैं भी याद नहीं रखूँगा ” मैंने प्रयास किया

“लड़की तो चुदेगी ही आज तेरे सामने ही चोदुंगा इसे जो बने कर ले ” लड़के ने अपनी गूद्दी मुझसे छुडाते हुए कहा

मैंने देखा दो लडको ने गाड़ी में से होकी निकाल ली थी . मैंने आसमान को देखा और अगले ही पल मैंने उस लड़के की गांड पर लात मार दी. होकी उस लड़के के हाथ से छीनी और उसके ही सर पर दे मारे .

“साले तेरी ये हिम्मत ” गुस्से से वो लड़का जो उस लड़की का रेप करना चाहता था मेरी तरफ बढ़ा मैंने उसके मुह पर मुक्का मारा पहले मुक्के में ही उसकी नाक टूट गयी चेहरे पर खून बहने लगा. तीसरे साथी के पैर पर मैंने लात मारी पास पड़ी होकी के दो तीन वार उसके पैर पर किये अब मामला दो बनाम एक का था . इस से पहले की वो अपनी नाक को संभालता मैंने उसके सर को गाडी के बोनट पर दे मारा. “आह ” चीखा वो .

“कपडे पहन ले ” मैंने उस कांपती हुई लड़की से कहा और उस लड़के के हाथ को पकड लिया .

“जिद नहीं करनी चाहिए थी तुझे, देख भारी पड़ गयी न कहना मानना चाहिए था तुझे ” मैंने उसे बोनट के सहारे पटकते हुए कहा

“तू नहीं जानता मेरा बाप कौन है ,तू नहीं जानता तूने किस से पंगा लिया है . तू नहीं जानता आगे तेरे साथ क्या होगा ” लड़के ने लम्बी सांसे लेते हुए कहा .

मैंने एक बार फिर से आसमान की तरफ देखा और बोला,”मत खेल ये खेल मेरे साथ”

“किस्मत को मानता है तू लड़के , बड़ी कुत्ती चीज होती है . पर शायद तेरी किस्मत तुझ पर मेहरबान है माफ़ी मांग इस लड़की से वादा कर की आगे कभी भी तू ऐसी नीच हरकत नहीं करेगा तो क्या पता किस्मत मेहरबान हो जाये तुझ पर ”मैंने कहा

लड़का- इस शहर की हर औरत मेरी जागीर है , जिसकी चाहे उसकी लू जिसे चाहे छोडू ये शहर हमारे नाम से कांपता है किस्मत तो तेरी रोएगी जब मेरा बाप तेरी खाल खींचेगा .

लड़के ने प्रतिकार किया और मैंने उसे मारना शुरू किया,इतना मारा की उसका चेहरा समझ नहीं आया रहा था . खून साला पानी जैसे धरती पर बह रहा था , किसी को अहमियत ही नहीं थी

“इधर आ ” डर से कांपते हुए मैंने उस चौथे लड़के को इशारा किया .

“ले जा इसे, और इसके बाप से कहना की किसी भी औरत की इज्जत कभी भी सस्ती नहीं होती, ये लड़की किसी की बेटी है बहन होगी किसी के . तेरी बहन को कोई ऐसे करे तो तू क्या करता ” मैंने कहा

“चीर देता उसे ” कांपते हुए वो बोला

“मैं भी यही करता ” मैंने कहा और उस धरती पर पड़े उस लड़के के हाथ को कंधे से उखाड़ दिया. चीख इतनी जोर की थी की आसमान तक दहल गया .

“सही किया ना ” मैंने चौथे लड़के के कंधे को थपथपाया

“इसके बाप से कहना की जिस लड़की की तरफ बुरी नजर डाली उसका एक भाई जिन्दा है इस शहर में ”

उस लड़की का हाथ पकड़ आगे बढ़ गया . डर से बुरी तरह कांप रही थी वो लड़की .

“ठीक तो है न तू ” मैंने पुछा

वो कुछ नहीं बोली बस मेरे गले लग कर रोने लगी . मैंने नजर उठा कर आसमान को देखा और उस लड़की के सर पर हाथ रख दिया..................
Wah re wah maza aa gaya kia hi dashing entry ke sath story ko shuru kia hai.
 

Raj_sharma

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सांसे सांसो में घुलने लगी थी ,कठोर छातिया मेरे सीने में धंसने लगी थी. मेरे हाथ उसकी कमर उसकी पीठ को सहलाने लगे. लहंगे के ऊपर से ही मेरे हाथ नितम्बो की थिरकन को महसूस करने लगे थे. इतनी शिद्दत से वो चूम रही थी मुझे , उसके गुलाबी होंठ मक्खन की तरह मेरे मुह में फिसलने लगे थे.

“क्यों इस कद्र दूर है मुझसे तू ” उफनती सांसो को मेरे गालो पर छोड़ते हुए बोली वो.

मैं- दूर कहाँ हु , बस उलझा हु अपने आप में. पर तुम क्या कर रही हो यहाँ पर

“अपने हिस्से का सकून तलाश कर रही हूँ ” उसने मेरे पायजामे में हाथ डाला और लंड को अपनी मुट्ठी में कस लिया.

“कैसे पता चला मैं ही हूँ ” मैंने लहंगे का नाडा खोलते हुए कहा

“हवेली से दूर नहीं रह सकता तू ” उसने लंड पर अपना हाथ चलाते हुए कहा

“आज भी बहुत कसी हुई गांड है तुम्हारी ” मैंने गुदा द्वार को ऊँगली से रगड़ते हुए कहा.

“अब तक दीवाने हो तुम इसके लिए ” मेरे गालो पर दांत लगाते हुए कहा उसने

मैं- तुमने वादा किया था की गांड मरवा लोगी

“आज निभाउंगी उस वादे को ” उसने कहा और घुटनों पर बैठ गयी. थोड़ी देर पहले ही मामी को चोद कर आया था मैं मामी की चूत का रस लंड पर लगा हुआ था जो उसने भी महसूस कर लिया था .

“फिर मंजू को चोद आया ” उसने लंड पर गर्म सांसे छोड़ते हुए कहा

मैं- छोड़ो उसे

अगले ही पल उसने अपनी जीभ को मेरे लंड के सुपाडे पर रगड़ना शुरू कर दिया,कसम से मेरे पैर कांप गए बदन में मस्ती की ऐसी लहर उठी की मैंने उसके सर को पकड़ा और पूरा लंड गले की गहराई में उतार दिया.

“तेरे जैसा कोई नहीं चूसता ” मैंने उन्माद से कहा

“फिर भी तुझे परवाह नहीं ” उसने अन्डकोशो पर जीभ चलाते हुए कहा.

उसके चूसने के अंदाज का तो मैं हमेशा से कायल रहा था और उसने भी इतनी वफ़ा से लंड चूसा की मैं लाख चाहकर भी खुद को रोक न सका. बड़े ही प्यार से वीर्य की अंतिम बूँद तक को उसने अपने गले में उतार लिया.

“बिस्तर पर आजा ” खड़ी होते हुए उसने कहा

मैंने उसे गोद में उठाया

“भारी हो गयी है ” मैंने कहा

उसने हौले से मेरे गाल को चूमा और मैंने उसे पलंग पर पटक दिया. उसके पैर के अंगूठे को मैंने अपने मुह में ले लिया और चूत को मुट्ठी में लेकर भींचा. कुछ ही पल बाद मैंने अपने होंठ उसकी कच्छी पर लगा दिए जो कामरस से भीगी हुई थी .

“बहुत गर्म चूत है ” मैंने कहा

“ठंडी कर दे इसे , निकाल दे सारी गर्मी ” मादकता से बोली वो और मैंने कच्छी को उतार कर फेंक दिया. बिना बालो की वो चूत जिसकी फांके उत्तेजनावश फड़क रही थी . जैसे ही मैंने वहां चुमबन लिया मादकता से भरी उस औरत ने बिलकुल कोशिश नहीं की अपनी गर्म सिस्कारियो को रोकने की.

“ऊपर आने दे मुझे ” मेरा मुह चूत से हटाते हुए उसने कहा और मैं लेट गया . खड़े लंड को कुछ देर चूत के मुहाने पर रगड़ने के बाद वो आहिस्ता आहिस्ता से आहे भरते हुए उस पर बैठने लगी, लंड पूरा अन्दर घुस चूका था धीरे धीरे गांड हिलाते हुए उसने मेरी छाती पर हाथ रखे और चुदाई का मजा देने लगी.

“चुतड निखर गए है तेरे ” मैंने चूतडो को मसलते हुए कहा

“तेरी निगाह हमेशा सही ख़राब रही है मेरी गांड के लिए ” मेरे होंठो पर उंगलिया फेरते हुए बोली वो.

धीरे धीरे उसके झटके रफ़्तार पकड़ने लगे थे वो पूरी तरह से मेरे ऊपर लेट चुकी थी और एक बार फिर से हमारे होंठ आपस में उलझ गये थे. चुदाई का असीम सुख प्राप्त करते हुए वो झड़ी तो यक़ीनन उसने गर्व किया होगा चूत से बहा रस मेरी जांघो तक को सान गया था . जैसे ही वो झड़ी , मैंने उसे औंधी लिटा दिया. जिस गांड का मैं हद से ज्यादा दीवाना था आज अपने लंड से उसके छेद को खोल देने वाला था . बड़े ही प्यार से मैंने चूतडो को फैलाया और उस छेद को सूंघने लगा . बेहद ही दिलकश अहसास , मैंने उस छेद को चूमना शुरू किया तो वो और कामुकता से भरने लगी . कुछ ही देर में मैंने थूक से छेद को इतना चिकना कर दिया था की मेरी ऊँगली गांड में घुस सके.

“धीरे दर्द होता है ” उसने कहा

मैं- ऊँगली नहीं सह पा रही लंड कैसे लेगी

“वादा किया है निभाना तो पड़ेगा ही तू सीधा घुसा अन्दर ”

थोडा सा थूक लंड पर लगाने के बाद मैंने कोशिश की, लंड फिसल गया, तीसरी कोशिश में सुपाडा थोडा सा घुसा, उसका बदन थरथरा उठा मैंने थोडा सा जोर लगाया गांड का नाजुक छेद दबाव के आगे खुलने लगा और सुपाडा गांड में घुस गया.

“आईईईई ” चाहकर भी वो दर्द की लहर को महसूस करने से रुक न पाई. मैंने अपने बदन का बोझ डालते हुए थोडा सा लंड और आगे किया. दर्द से कराहने लगी वो पर लंड बाहर निकालने के लिए नहीं कहा उसने .

“बहुत कड़क है तेरी गांड ” मैंने उसके आंसुओ को जीभसे चाटते हुए कहा और पूरा लंड अन्दर सरका दिया. लंड पर बहुत दबाव पड़ रहा था इतना की उसे आगे पीछे करने में तकलीफ होने लगी पर गांड मारने का आनंद कोई भी नहीं छोड़ना चाहेगा अपना हाल भी ऐसा ही था , कुछ देर बाद मैंने उसे टेढ़ी किया और एक पैर को थोडा सा ऊपर करते हुए उसकी गांड में दुबारा से लंड दे दिया. चुचियो को बुरी तरह से मसलते हुए मैं उसके बदन का मजा ले रहा था , मैंने महसूस किया की उसने अपनी उंगलिया चूत में डाली हुई है तो मैंने उसे सीढ़ी किया और उसपे चढ़ गया . चूत में लंड जाते ही वो पागल हो गयी . उस रात जब तक मेरी आँखे बंद नहीं हुई हमने हर एक पल को भोगा. ऐसी चुदाई बहुत दिन बाद की थी मैंने.

जब मैं उठा तो बदन पर जगह जगह उसके बनाये निशान थे, एक दो जगह पर उसने बहुत जोरो से काटा था तो नील पड़ गए थे, चूँकि मैं नंगा खड़ा था अपने कपडे उठाते हुए मेरी नजर उस चीज पर पड़ी तो सारी नींद अचानक से गायब हो गयी . मेरे हाथ में जो चीज़ थी उसे महसूस करते हुए मेरे दिमाग में बिजलिया गिरने लगी थी. दिमाग में हजार बाते थी पर दिल बेईमान उसे मानना नहीं चाह रहा था . उंगलिया फेरते हुए मैंने जल्दबाजी नहीं करने का निर्णय लिया और खेल को ऐसे खेलने का सोचा जहाँ मैं उसे रंगे हाथ पकड पाऊ .

नहां धोकर मैं शिवाले पर पंहुचा ही था की तभी दरोगा वहां आ पहुंचा

मैं- तुम यहाँ

दरोगा- कबीर, एक जरुरी बात करना चाहता हु तुमसे

“कहो ” मैंने पानी बाल्टी में भरते हुए कहा .

दरोगा- कबीर, मुझे तुम्हारी मदद की जरुरत है और पूरी उम्मीद है की तुम मदद करोगे

मैं- पुलिस मदद मांग रही है अजीब सी बात है

दरोगा- पुलिस नहीं, एक दोस्त दुसरे दोस्त से अपने मन की बात कहना चाहता है.
2 sawaal, ek ye ki kabeer kisko pel kar aaya, aur uske haath kya lag gaya??
Doosra ye, ki inspector ko kabir se kya kaam aan pada jo wo us se madad ki bheekh maan raha hai ?? :?: Great update , with mind blowing writing ✍️ 👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻
 
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