ms rajput
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Nice update.....#38
हाथो में उन चीजो को महसूस करते हुए जो किसी के लिए जरुरी होती है , वो यहाँ बंद कमरे में क्या कर रही थी. मन में बहुत से सवाल पैदा हो गए थे जिनके जवाब अब हर हाल में चाहिए थे. मेरे हाथो में छोटे बहन भाइयो की शैक्षणिक योग्यताओ के प्रमाण पत्र थे, उनके तमाम दस्तावेज थे जिनकी जरुरत उन्हें बाहर रहने पर पड़ती ही पड़ती जब वो शहर में थे तो उनके ये कागज क्यों सड रहे थे और अगर वो छोड़ भी गए थे तो उन्हें ताईजी के घर में होना चाहिए था इस हवेली में नहीं. कोई भी अपनी महत्वपूर्ण वस्तुओ को ऐसे ही खंडहर में क्यों छोड़ेगा. दिमाग में चढ़ी दारू का नशा फक से झड़ गया था . ये क्या झोल था इसका पता लगाना बहुत ही जरुरी था.
हवेली से निकल कर मैं उस सख्स से मिलने जा रहा था जिसके पास ये सब जवाब होने थे, पर मेरे कदम रुक गए . मैंने दरोगा विक्रम को देखा जो दबे पाँव तेज तेज चल रहा था. इतनी रात को ये यहाँ क्या कर रहा था . इसका गाँव में क्या काम था वो भी बिना वर्दी के , ना जाने क्यों मैं उसके पीछे पीछे चल दिया. दरोगा की चाल में तेजी थी , बार बार वो पीछे मुड कर देख रहा था . निश्चित दुरी बनाये मैं उसकी दिशा में बढ़ रहा था .
गाँव पीछे छुट गया था , पक्के रस्ते की जगह अब कच्ची मिटटी ने ले ली थी. दरोगा खेतो के पास वाले रस्ते पर बने चबूतरे के पास खड़ा था, उसे इंतज़ार था किसी का या फिर पहले से ही कोई मोजूद था वहां पर.
“ऐसी भी क्या बेकरारी थी जो रह नहीं सके तुम ” अँधेरे में से एक फुसफुसाहट आई.
दरोगा- क्या करू , तुमसे दूर भी तो नहीं रहा जाता.
मतलब दरोगा यहाँ किसी औरत से मिलने आया था . मुझे कोतुहल था की कौन हो सकती है पर किसी के निजी जीवन से क्या लेना देना . सबके अपने अपने किस्से होते है . करने दो दोनों को मस्ती सोचते हुए मैं वापिस मुड ही लिया था अगर वो शब्द मेरे कानो में ना पड़े होते.
“हम तो मिलते ही रहेंगे, पर फिलहाल कबीर के बारे में बात करनी जरुरी है ”साये ने कहा
“इनको मेरे बारे में क्या बात करनी है ” मैंने मन ही मन कहा और अपने कान लगा दिए.
“कबीर लगभग सुनार तक पहुच ही गया था , बहुत मशक्कत करनी पड़ रही है मुझे इस सब को सँभालने में.बात अब आगे बढ़ रही है ” दरोगा ने कहा.
“जानती हु , पर फिलहाल सब काबू में है , कबीर को अपने सवालो के जवाब चाहिए और हमारा उन सब से कोई ताल्लुक नहीं ” औरत ने कहा
दरोगा- तुम समझ नहीं रही हो . सब कुछ उलझा हुआ है किसी ना किसी मोड़ पर वो हमारे सामने आ खड़ा होगा और फिर कुछ भी ठीक नहीं होगा.
“मैं संभाल लुंगी . वैसे भी कबीर यहाँ नहीं रहना चाहता , निशा से उसकी शादी हो जाएगी तो उसे निशा के साथ ही रहना पड़ेगा. ” औरत ने कहा
दरोगा- हमें उस से भी सतर्क रहना होगा . हो सकता है की कबीर निशा को हर बात बताता हो. तुम तो जानती ही हो की पुलिस वालो का दिमाग कैसे चलता है ऊपर से वो कोई मामूली पुलिस वाली नहीं महकमा उसके इशारे पर नाचता है . दूसरी बात निशा का बाप कभी नहीं होने देगा उसकी शादी कबीर के साथ
औरत- वो तुम्हारा मसला नहीं है . हर कड़ी टूट चुकी है . कबीर को लगता है की उसके माँ-बाप की हत्या हुई है वो उसी दिशा में है
दरोगा- क्या सच में
औरत- तुम बस अपने काम पर ध्यान दो .
दरोगा- बहुत दिनों बाद मिली हो थोडा काम तो करना ही पड़ेगा.
आती सिसकियो से मैं समझ रहा था की चुदाई शुरू होने वाली है पर मैं इस सुनहरे मौके को चूकना नहीं चाहता था इन लोगो को पकड़ने की नियत से मैं आगे बढ़ा ही था की सामने मोड़ से अचानक आई उस गाडी की रौशनी ने सब खत्म कर दिया. तेज रफ़्तार गाडी की रौशनी चबूतरे पर पड़ी पर अफ़सोस अब वहां कुछ नहीं था . गुस्से से मैंने गाड़ी के बोनट पर हाथ मारा और जब मेरी नजर अंदर बैठे शक्श पर पड़ी तो एक पल के लिए जैसे अब कुछ थम सा गया . गाड़ी में मेरा भाई था हमारी नजरे आपस में मिली . वो गाड़ी से उतरा और मेरी तरफ बढ़ा . कुछ देर तक हम बस एक दुसरे को देखते रहे.
“कैसा है भाई ” बोला वो.
जी तो किया की आगे बढ़ कर सीने से लगा लू उसे पर मेरे हालात और उसका गुनेहगार था मैं तो रोक लिया खुद को .
“ठीक हु भैया ” बड़ी मुश्किल से कह सका मैं.
“इधर क्या कर रहा है इतनी रात को ” पुछा भाई ने
मैं- बस यु ही . गाँव में जी नहीं लग रहा था तो इधर आ गया सोचा कुवे पर ही सो जाऊंगा
भाई- घर तो आना नहीं है न तुझे
मैं- मैं शर्मिंदा हु, मेरी ना समझियो , मेरी गलतियों की वजह से अब बर्बाद हो गया.
भाई- प्रत्येक व्यक्ति अपने कर्मो के लिए स्वयं उतरदायी होता है . मैं आगे बढ़ गया हु तुम भी बढ़ जाओ .
मैं- मैं तो माफ़ी के लायक भी नहीं
भाई ने मेरे कंधे पर हाथ रखा और बोला- रात बहुत हुई, गाड़ी में बैठो मैं तुम्हे ताई जी के घर छोड़ देता हु
पुरे रस्ते फिर को बात नहीं हुई. घर का दरवाजा खुला पड़ा था . मैं सीढियों पर ही बैठ गया . एक बार फिर से हाथो में जाम थामे मैं तमाम बातो के बारे में सोच रहा था . कुछ तो साजिश जरुर चल रही थी अगर भाई नहीं आता तो मेरे हाथ में वो लोग थे जो मुझे बहुत कुछ बता सकते थे . कुछ देर बाद मैंने तीन औरतो को मेरी तरफ आते हुए देखा.
“सोये नहीं अभी तक ” ताई जी ने मेरे सर पर हाथ फेरते हुए कहा
मैं- नींद भी रूठी है आजकल शायद
ताई- कई बार मुश्किलों का हल नहीं होता पर वक्त के साथ सब ठीक हो जाता है .
ताई और मंजू अंदर चली गयी . मामी मेरे पास बैठ गयी.
“तुमने कहा था नहीं पियोगे ” मामी बोली
मैं- बस यूँ ही करने को कुछ नहीं था तो सोचा इस से ही दिल बहला लिया जाये
मामी- छत पर बिस्तर लगा लो मैं आ जाउंगी
. बची कुछी रात मामी की बाँहों में काटने के बाद सुबह मैं थाने में पहुँच गया दरोगा से मिलने के लिए पर वहां जाकर मुझे और कुछ ही जानने को मिला................
Nice update.....#38
हाथो में उन चीजो को महसूस करते हुए जो किसी के लिए जरुरी होती है , वो यहाँ बंद कमरे में क्या कर रही थी. मन में बहुत से सवाल पैदा हो गए थे जिनके जवाब अब हर हाल में चाहिए थे. मेरे हाथो में छोटे बहन भाइयो की शैक्षणिक योग्यताओ के प्रमाण पत्र थे, उनके तमाम दस्तावेज थे जिनकी जरुरत उन्हें बाहर रहने पर पड़ती ही पड़ती जब वो शहर में थे तो उनके ये कागज क्यों सड रहे थे और अगर वो छोड़ भी गए थे तो उन्हें ताईजी के घर में होना चाहिए था इस हवेली में नहीं. कोई भी अपनी महत्वपूर्ण वस्तुओ को ऐसे ही खंडहर में क्यों छोड़ेगा. दिमाग में चढ़ी दारू का नशा फक से झड़ गया था . ये क्या झोल था इसका पता लगाना बहुत ही जरुरी था.
हवेली से निकल कर मैं उस सख्स से मिलने जा रहा था जिसके पास ये सब जवाब होने थे, पर मेरे कदम रुक गए . मैंने दरोगा विक्रम को देखा जो दबे पाँव तेज तेज चल रहा था. इतनी रात को ये यहाँ क्या कर रहा था . इसका गाँव में क्या काम था वो भी बिना वर्दी के , ना जाने क्यों मैं उसके पीछे पीछे चल दिया. दरोगा की चाल में तेजी थी , बार बार वो पीछे मुड कर देख रहा था . निश्चित दुरी बनाये मैं उसकी दिशा में बढ़ रहा था .
गाँव पीछे छुट गया था , पक्के रस्ते की जगह अब कच्ची मिटटी ने ले ली थी. दरोगा खेतो के पास वाले रस्ते पर बने चबूतरे के पास खड़ा था, उसे इंतज़ार था किसी का या फिर पहले से ही कोई मोजूद था वहां पर.
“ऐसी भी क्या बेकरारी थी जो रह नहीं सके तुम ” अँधेरे में से एक फुसफुसाहट आई.
दरोगा- क्या करू , तुमसे दूर भी तो नहीं रहा जाता.
मतलब दरोगा यहाँ किसी औरत से मिलने आया था . मुझे कोतुहल था की कौन हो सकती है पर किसी के निजी जीवन से क्या लेना देना . सबके अपने अपने किस्से होते है . करने दो दोनों को मस्ती सोचते हुए मैं वापिस मुड ही लिया था अगर वो शब्द मेरे कानो में ना पड़े होते.
“हम तो मिलते ही रहेंगे, पर फिलहाल कबीर के बारे में बात करनी जरुरी है ”साये ने कहा
“इनको मेरे बारे में क्या बात करनी है ” मैंने मन ही मन कहा और अपने कान लगा दिए.
“कबीर लगभग सुनार तक पहुच ही गया था , बहुत मशक्कत करनी पड़ रही है मुझे इस सब को सँभालने में.बात अब आगे बढ़ रही है ” दरोगा ने कहा.
“जानती हु , पर फिलहाल सब काबू में है , कबीर को अपने सवालो के जवाब चाहिए और हमारा उन सब से कोई ताल्लुक नहीं ” औरत ने कहा
दरोगा- तुम समझ नहीं रही हो . सब कुछ उलझा हुआ है किसी ना किसी मोड़ पर वो हमारे सामने आ खड़ा होगा और फिर कुछ भी ठीक नहीं होगा.
“मैं संभाल लुंगी . वैसे भी कबीर यहाँ नहीं रहना चाहता , निशा से उसकी शादी हो जाएगी तो उसे निशा के साथ ही रहना पड़ेगा. ” औरत ने कहा
दरोगा- हमें उस से भी सतर्क रहना होगा . हो सकता है की कबीर निशा को हर बात बताता हो. तुम तो जानती ही हो की पुलिस वालो का दिमाग कैसे चलता है ऊपर से वो कोई मामूली पुलिस वाली नहीं महकमा उसके इशारे पर नाचता है . दूसरी बात निशा का बाप कभी नहीं होने देगा उसकी शादी कबीर के साथ
औरत- वो तुम्हारा मसला नहीं है . हर कड़ी टूट चुकी है . कबीर को लगता है की उसके माँ-बाप की हत्या हुई है वो उसी दिशा में है
दरोगा- क्या सच में
औरत- तुम बस अपने काम पर ध्यान दो .
दरोगा- बहुत दिनों बाद मिली हो थोडा काम तो करना ही पड़ेगा.
आती सिसकियो से मैं समझ रहा था की चुदाई शुरू होने वाली है पर मैं इस सुनहरे मौके को चूकना नहीं चाहता था इन लोगो को पकड़ने की नियत से मैं आगे बढ़ा ही था की सामने मोड़ से अचानक आई उस गाडी की रौशनी ने सब खत्म कर दिया. तेज रफ़्तार गाडी की रौशनी चबूतरे पर पड़ी पर अफ़सोस अब वहां कुछ नहीं था . गुस्से से मैंने गाड़ी के बोनट पर हाथ मारा और जब मेरी नजर अंदर बैठे शक्श पर पड़ी तो एक पल के लिए जैसे अब कुछ थम सा गया . गाड़ी में मेरा भाई था हमारी नजरे आपस में मिली . वो गाड़ी से उतरा और मेरी तरफ बढ़ा . कुछ देर तक हम बस एक दुसरे को देखते रहे.
“कैसा है भाई ” बोला वो.
जी तो किया की आगे बढ़ कर सीने से लगा लू उसे पर मेरे हालात और उसका गुनेहगार था मैं तो रोक लिया खुद को .
“ठीक हु भैया ” बड़ी मुश्किल से कह सका मैं.
“इधर क्या कर रहा है इतनी रात को ” पुछा भाई ने
मैं- बस यु ही . गाँव में जी नहीं लग रहा था तो इधर आ गया सोचा कुवे पर ही सो जाऊंगा
भाई- घर तो आना नहीं है न तुझे
मैं- मैं शर्मिंदा हु, मेरी ना समझियो , मेरी गलतियों की वजह से अब बर्बाद हो गया.
भाई- प्रत्येक व्यक्ति अपने कर्मो के लिए स्वयं उतरदायी होता है . मैं आगे बढ़ गया हु तुम भी बढ़ जाओ .
मैं- मैं तो माफ़ी के लायक भी नहीं
भाई ने मेरे कंधे पर हाथ रखा और बोला- रात बहुत हुई, गाड़ी में बैठो मैं तुम्हे ताई जी के घर छोड़ देता हु
पुरे रस्ते फिर को बात नहीं हुई. घर का दरवाजा खुला पड़ा था . मैं सीढियों पर ही बैठ गया . एक बार फिर से हाथो में जाम थामे मैं तमाम बातो के बारे में सोच रहा था . कुछ तो साजिश जरुर चल रही थी अगर भाई नहीं आता तो मेरे हाथ में वो लोग थे जो मुझे बहुत कुछ बता सकते थे . कुछ देर बाद मैंने तीन औरतो को मेरी तरफ आते हुए देखा.
“सोये नहीं अभी तक ” ताई जी ने मेरे सर पर हाथ फेरते हुए कहा
मैं- नींद भी रूठी है आजकल शायद
ताई- कई बार मुश्किलों का हल नहीं होता पर वक्त के साथ सब ठीक हो जाता है .
ताई और मंजू अंदर चली गयी . मामी मेरे पास बैठ गयी.
“तुमने कहा था नहीं पियोगे ” मामी बोली
मैं- बस यूँ ही करने को कुछ नहीं था तो सोचा इस से ही दिल बहला लिया जाये
मामी- छत पर बिस्तर लगा लो मैं आ जाउंगी
. बची कुछी रात मामी की बाँहों में काटने के बाद सुबह मैं थाने में पहुँच गया दरोगा से मिलने के लिए पर वहां जाकर मुझे और कुछ ही जानने को मिला................
Awesome update#38
हाथो में उन चीजो को महसूस करते हुए जो किसी के लिए जरुरी होती है , वो यहाँ बंद कमरे में क्या कर रही थी. मन में बहुत से सवाल पैदा हो गए थे जिनके जवाब अब हर हाल में चाहिए थे. मेरे हाथो में छोटे बहन भाइयो की शैक्षणिक योग्यताओ के प्रमाण पत्र थे, उनके तमाम दस्तावेज थे जिनकी जरुरत उन्हें बाहर रहने पर पड़ती ही पड़ती जब वो शहर में थे तो उनके ये कागज क्यों सड रहे थे और अगर वो छोड़ भी गए थे तो उन्हें ताईजी के घर में होना चाहिए था इस हवेली में नहीं. कोई भी अपनी महत्वपूर्ण वस्तुओ को ऐसे ही खंडहर में क्यों छोड़ेगा. दिमाग में चढ़ी दारू का नशा फक से झड़ गया था . ये क्या झोल था इसका पता लगाना बहुत ही जरुरी था.
हवेली से निकल कर मैं उस सख्स से मिलने जा रहा था जिसके पास ये सब जवाब होने थे, पर मेरे कदम रुक गए . मैंने दरोगा विक्रम को देखा जो दबे पाँव तेज तेज चल रहा था. इतनी रात को ये यहाँ क्या कर रहा था . इसका गाँव में क्या काम था वो भी बिना वर्दी के , ना जाने क्यों मैं उसके पीछे पीछे चल दिया. दरोगा की चाल में तेजी थी , बार बार वो पीछे मुड कर देख रहा था . निश्चित दुरी बनाये मैं उसकी दिशा में बढ़ रहा था .
गाँव पीछे छुट गया था , पक्के रस्ते की जगह अब कच्ची मिटटी ने ले ली थी. दरोगा खेतो के पास वाले रस्ते पर बने चबूतरे के पास खड़ा था, उसे इंतज़ार था किसी का या फिर पहले से ही कोई मोजूद था वहां पर.
“ऐसी भी क्या बेकरारी थी जो रह नहीं सके तुम ” अँधेरे में से एक फुसफुसाहट आई.
दरोगा- क्या करू , तुमसे दूर भी तो नहीं रहा जाता.
मतलब दरोगा यहाँ किसी औरत से मिलने आया था . मुझे कोतुहल था की कौन हो सकती है पर किसी के निजी जीवन से क्या लेना देना . सबके अपने अपने किस्से होते है . करने दो दोनों को मस्ती सोचते हुए मैं वापिस मुड ही लिया था अगर वो शब्द मेरे कानो में ना पड़े होते.
“हम तो मिलते ही रहेंगे, पर फिलहाल कबीर के बारे में बात करनी जरुरी है ”साये ने कहा
“इनको मेरे बारे में क्या बात करनी है ” मैंने मन ही मन कहा और अपने कान लगा दिए.
“कबीर लगभग सुनार तक पहुच ही गया था , बहुत मशक्कत करनी पड़ रही है मुझे इस सब को सँभालने में.बात अब आगे बढ़ रही है ” दरोगा ने कहा.
“जानती हु , पर फिलहाल सब काबू में है , कबीर को अपने सवालो के जवाब चाहिए और हमारा उन सब से कोई ताल्लुक नहीं ” औरत ने कहा
दरोगा- तुम समझ नहीं रही हो . सब कुछ उलझा हुआ है किसी ना किसी मोड़ पर वो हमारे सामने आ खड़ा होगा और फिर कुछ भी ठीक नहीं होगा.
“मैं संभाल लुंगी . वैसे भी कबीर यहाँ नहीं रहना चाहता , निशा से उसकी शादी हो जाएगी तो उसे निशा के साथ ही रहना पड़ेगा. ” औरत ने कहा
दरोगा- हमें उस से भी सतर्क रहना होगा . हो सकता है की कबीर निशा को हर बात बताता हो. तुम तो जानती ही हो की पुलिस वालो का दिमाग कैसे चलता है ऊपर से वो कोई मामूली पुलिस वाली नहीं महकमा उसके इशारे पर नाचता है . दूसरी बात निशा का बाप कभी नहीं होने देगा उसकी शादी कबीर के साथ
औरत- वो तुम्हारा मसला नहीं है . हर कड़ी टूट चुकी है . कबीर को लगता है की उसके माँ-बाप की हत्या हुई है वो उसी दिशा में है
दरोगा- क्या सच में
औरत- तुम बस अपने काम पर ध्यान दो .
दरोगा- बहुत दिनों बाद मिली हो थोडा काम तो करना ही पड़ेगा.
आती सिसकियो से मैं समझ रहा था की चुदाई शुरू होने वाली है पर मैं इस सुनहरे मौके को चूकना नहीं चाहता था इन लोगो को पकड़ने की नियत से मैं आगे बढ़ा ही था की सामने मोड़ से अचानक आई उस गाडी की रौशनी ने सब खत्म कर दिया. तेज रफ़्तार गाडी की रौशनी चबूतरे पर पड़ी पर अफ़सोस अब वहां कुछ नहीं था . गुस्से से मैंने गाड़ी के बोनट पर हाथ मारा और जब मेरी नजर अंदर बैठे शक्श पर पड़ी तो एक पल के लिए जैसे अब कुछ थम सा गया . गाड़ी में मेरा भाई था हमारी नजरे आपस में मिली . वो गाड़ी से उतरा और मेरी तरफ बढ़ा . कुछ देर तक हम बस एक दुसरे को देखते रहे.
“कैसा है भाई ” बोला वो.
जी तो किया की आगे बढ़ कर सीने से लगा लू उसे पर मेरे हालात और उसका गुनेहगार था मैं तो रोक लिया खुद को .
“ठीक हु भैया ” बड़ी मुश्किल से कह सका मैं.
“इधर क्या कर रहा है इतनी रात को ” पुछा भाई ने
मैं- बस यु ही . गाँव में जी नहीं लग रहा था तो इधर आ गया सोचा कुवे पर ही सो जाऊंगा
भाई- घर तो आना नहीं है न तुझे
मैं- मैं शर्मिंदा हु, मेरी ना समझियो , मेरी गलतियों की वजह से अब बर्बाद हो गया.
भाई- प्रत्येक व्यक्ति अपने कर्मो के लिए स्वयं उतरदायी होता है . मैं आगे बढ़ गया हु तुम भी बढ़ जाओ .
मैं- मैं तो माफ़ी के लायक भी नहीं
भाई ने मेरे कंधे पर हाथ रखा और बोला- रात बहुत हुई, गाड़ी में बैठो मैं तुम्हे ताई जी के घर छोड़ देता हु
पुरे रस्ते फिर को बात नहीं हुई. घर का दरवाजा खुला पड़ा था . मैं सीढियों पर ही बैठ गया . एक बार फिर से हाथो में जाम थामे मैं तमाम बातो के बारे में सोच रहा था . कुछ तो साजिश जरुर चल रही थी अगर भाई नहीं आता तो मेरे हाथ में वो लोग थे जो मुझे बहुत कुछ बता सकते थे . कुछ देर बाद मैंने तीन औरतो को मेरी तरफ आते हुए देखा.
“सोये नहीं अभी तक ” ताई जी ने मेरे सर पर हाथ फेरते हुए कहा
मैं- नींद भी रूठी है आजकल शायद
ताई- कई बार मुश्किलों का हल नहीं होता पर वक्त के साथ सब ठीक हो जाता है .
ताई और मंजू अंदर चली गयी . मामी मेरे पास बैठ गयी.
“तुमने कहा था नहीं पियोगे ” मामी बोली
मैं- बस यूँ ही करने को कुछ नहीं था तो सोचा इस से ही दिल बहला लिया जाये
मामी- छत पर बिस्तर लगा लो मैं आ जाउंगी
. बची कुछी रात मामी की बाँहों में काटने के बाद सुबह मैं थाने में पहुँच गया दरोगा से मिलने के लिए पर वहां जाकर मुझे और कुछ ही जानने को मिला................
DAROGA ko bhi utha liya ??????????????????????#38
हाथो में उन चीजो को महसूस करते हुए जो किसी के लिए जरुरी होती है , वो यहाँ बंद कमरे में क्या कर रही थी. मन में बहुत से सवाल पैदा हो गए थे जिनके जवाब अब हर हाल में चाहिए थे. मेरे हाथो में छोटे बहन भाइयो की शैक्षणिक योग्यताओ के प्रमाण पत्र थे, उनके तमाम दस्तावेज थे जिनकी जरुरत उन्हें बाहर रहने पर पड़ती ही पड़ती जब वो शहर में थे तो उनके ये कागज क्यों सड रहे थे और अगर वो छोड़ भी गए थे तो उन्हें ताईजी के घर में होना चाहिए था इस हवेली में नहीं. कोई भी अपनी महत्वपूर्ण वस्तुओ को ऐसे ही खंडहर में क्यों छोड़ेगा. दिमाग में चढ़ी दारू का नशा फक से झड़ गया था . ये क्या झोल था इसका पता लगाना बहुत ही जरुरी था.
हवेली से निकल कर मैं उस सख्स से मिलने जा रहा था जिसके पास ये सब जवाब होने थे, पर मेरे कदम रुक गए . मैंने दरोगा विक्रम को देखा जो दबे पाँव तेज तेज चल रहा था. इतनी रात को ये यहाँ क्या कर रहा था . इसका गाँव में क्या काम था वो भी बिना वर्दी के , ना जाने क्यों मैं उसके पीछे पीछे चल दिया. दरोगा की चाल में तेजी थी , बार बार वो पीछे मुड कर देख रहा था . निश्चित दुरी बनाये मैं उसकी दिशा में बढ़ रहा था .
गाँव पीछे छुट गया था , पक्के रस्ते की जगह अब कच्ची मिटटी ने ले ली थी. दरोगा खेतो के पास वाले रस्ते पर बने चबूतरे के पास खड़ा था, उसे इंतज़ार था किसी का या फिर पहले से ही कोई मोजूद था वहां पर.
“ऐसी भी क्या बेकरारी थी जो रह नहीं सके तुम ” अँधेरे में से एक फुसफुसाहट आई.
दरोगा- क्या करू , तुमसे दूर भी तो नहीं रहा जाता.
मतलब दरोगा यहाँ किसी औरत से मिलने आया था . मुझे कोतुहल था की कौन हो सकती है पर किसी के निजी जीवन से क्या लेना देना . सबके अपने अपने किस्से होते है . करने दो दोनों को मस्ती सोचते हुए मैं वापिस मुड ही लिया था अगर वो शब्द मेरे कानो में ना पड़े होते.
“हम तो मिलते ही रहेंगे, पर फिलहाल कबीर के बारे में बात करनी जरुरी है ”साये ने कहा
“इनको मेरे बारे में क्या बात करनी है ” मैंने मन ही मन कहा और अपने कान लगा दिए.
“कबीर लगभग सुनार तक पहुच ही गया था , बहुत मशक्कत करनी पड़ रही है मुझे इस सब को सँभालने में.बात अब आगे बढ़ रही है ” दरोगा ने कहा.
“जानती हु , पर फिलहाल सब काबू में है , कबीर को अपने सवालो के जवाब चाहिए और हमारा उन सब से कोई ताल्लुक नहीं ” औरत ने कहा
दरोगा- तुम समझ नहीं रही हो . सब कुछ उलझा हुआ है किसी ना किसी मोड़ पर वो हमारे सामने आ खड़ा होगा और फिर कुछ भी ठीक नहीं होगा.
“मैं संभाल लुंगी . वैसे भी कबीर यहाँ नहीं रहना चाहता , निशा से उसकी शादी हो जाएगी तो उसे निशा के साथ ही रहना पड़ेगा. ” औरत ने कहा
दरोगा- हमें उस से भी सतर्क रहना होगा . हो सकता है की कबीर निशा को हर बात बताता हो. तुम तो जानती ही हो की पुलिस वालो का दिमाग कैसे चलता है ऊपर से वो कोई मामूली पुलिस वाली नहीं महकमा उसके इशारे पर नाचता है . दूसरी बात निशा का बाप कभी नहीं होने देगा उसकी शादी कबीर के साथ
औरत- वो तुम्हारा मसला नहीं है . हर कड़ी टूट चुकी है . कबीर को लगता है की उसके माँ-बाप की हत्या हुई है वो उसी दिशा में है
दरोगा- क्या सच में
औरत- तुम बस अपने काम पर ध्यान दो .
दरोगा- बहुत दिनों बाद मिली हो थोडा काम तो करना ही पड़ेगा.
आती सिसकियो से मैं समझ रहा था की चुदाई शुरू होने वाली है पर मैं इस सुनहरे मौके को चूकना नहीं चाहता था इन लोगो को पकड़ने की नियत से मैं आगे बढ़ा ही था की सामने मोड़ से अचानक आई उस गाडी की रौशनी ने सब खत्म कर दिया. तेज रफ़्तार गाडी की रौशनी चबूतरे पर पड़ी पर अफ़सोस अब वहां कुछ नहीं था . गुस्से से मैंने गाड़ी के बोनट पर हाथ मारा और जब मेरी नजर अंदर बैठे शक्श पर पड़ी तो एक पल के लिए जैसे अब कुछ थम सा गया . गाड़ी में मेरा भाई था हमारी नजरे आपस में मिली . वो गाड़ी से उतरा और मेरी तरफ बढ़ा . कुछ देर तक हम बस एक दुसरे को देखते रहे.
“कैसा है भाई ” बोला वो.
जी तो किया की आगे बढ़ कर सीने से लगा लू उसे पर मेरे हालात और उसका गुनेहगार था मैं तो रोक लिया खुद को .
“ठीक हु भैया ” बड़ी मुश्किल से कह सका मैं.
“इधर क्या कर रहा है इतनी रात को ” पुछा भाई ने
मैं- बस यु ही . गाँव में जी नहीं लग रहा था तो इधर आ गया सोचा कुवे पर ही सो जाऊंगा
भाई- घर तो आना नहीं है न तुझे
मैं- मैं शर्मिंदा हु, मेरी ना समझियो , मेरी गलतियों की वजह से अब बर्बाद हो गया.
भाई- प्रत्येक व्यक्ति अपने कर्मो के लिए स्वयं उतरदायी होता है . मैं आगे बढ़ गया हु तुम भी बढ़ जाओ .
मैं- मैं तो माफ़ी के लायक भी नहीं
भाई ने मेरे कंधे पर हाथ रखा और बोला- रात बहुत हुई, गाड़ी में बैठो मैं तुम्हे ताई जी के घर छोड़ देता हु
पुरे रस्ते फिर को बात नहीं हुई. घर का दरवाजा खुला पड़ा था . मैं सीढियों पर ही बैठ गया . एक बार फिर से हाथो में जाम थामे मैं तमाम बातो के बारे में सोच रहा था . कुछ तो साजिश जरुर चल रही थी अगर भाई नहीं आता तो मेरे हाथ में वो लोग थे जो मुझे बहुत कुछ बता सकते थे . कुछ देर बाद मैंने तीन औरतो को मेरी तरफ आते हुए देखा.
“सोये नहीं अभी तक ” ताई जी ने मेरे सर पर हाथ फेरते हुए कहा
मैं- नींद भी रूठी है आजकल शायद
ताई- कई बार मुश्किलों का हल नहीं होता पर वक्त के साथ सब ठीक हो जाता है .
ताई और मंजू अंदर चली गयी . मामी मेरे पास बैठ गयी.
“तुमने कहा था नहीं पियोगे ” मामी बोली
मैं- बस यूँ ही करने को कुछ नहीं था तो सोचा इस से ही दिल बहला लिया जाये
मामी- छत पर बिस्तर लगा लो मैं आ जाउंगी
. बची कुछी रात मामी की बाँहों में काटने के बाद सुबह मैं थाने में पहुँच गया दरोगा से मिलने के लिए पर वहां जाकर मुझे और कुछ ही जानने को मिला................
Bahot badhiya shaandar update#37
पर वहां एक और आश्चर्य मेरा इंतज़ार कर रहा था मालूम हुआ की जोहरी उसी रात से गायब था जिस दिन रत्ना का अक्सिडेंट हुआ था , कडिया आपस में जुड़ तो रही थी पर छोर नहीं मिल रहा था . कोई तो था जो शिद्दत से चाहता था की मैं उस छोर को ना तलाश कर पाऊ . आखिर कौन था वो जिसे मेरे लौटने से परेशानी हो रही थी सोचते सोच्य्ते मैं गाँव लौट आया.
“कबीर, कहाँ था तू ”मंजू ने पुछा
मैं- उलझा हु अपने आप में , अपने आप को तलाश रहा हु
मंजू- वो दरोगा मिला था मुझे
मैं जानता था किस लिए मिला होगा पर अनजान बनते हुए मैंने मंजू से ही पुछा- क्या चाहिए उसको तुझसे
मंजू- पता नहीं , पर आजकल उसका और मेरा आमना सामना कुछ ज्यादा ही हो रहा है
मैं- पूछ ले फिर उस से क्या चाहता है वो
मंजू- अबकी बार तो पूछ ही लुंगी.
मैं- मुझे लगता है उसे पसंद आ गयी तू
मैंने मंजू के मन की टोह लेनी चाही
मंजू- ना रे , अब कहाँ वो बात रही
मैं- बात ही बात है , तू है ही इतनी खूबसूरत कोई भी दिल हार जाये तुझ पर
मंजू- अब अच्छी नहीं लगती ये बाते, अब नहीं देखती मैं ऐसे सपने
मैं- चल छोड़, बता और कुछ
मंजू- क्या बताये बस रोज का वही नाटक है
मैं- नाटक तो सबके जीवन में है यार, मुझे देख .
मंजू- तुझे ही तो देखती हु आजकल
मैं- घर बनाना है मुझे
मंजू- हवेली तेरी ही है काजल ने तो बस कब्ज़ा किया है
मैं- छोड़ उस बहन की लौड़ी को .
मंजू- उसके कहने से सच कभी बदल तो नहीं जायेगा न
मैं- हवेली के अलावा कहाँ घर बना सकता हु मैं
मंजू- मेरे साथ रह ले
मैं- फिर भी घर तो चाहिए ही मुझे
मंजू- तुझे ठीक लगे तो एक बार बड़े भैया से बात करके देख ले फिर इस मामले में
मैं- तू जानती है फिर भी ऐसा कह रही है.
मंजू- तो फिर लड़ाई लड़ ले अपने हक़ की , छीन ले अपने हक़ को क्योंकि चाहे तो कही भी बस जा पर हवेली तेरे दिल में ही रहेगी, सारी उम्र तडपेगा तू फिर उसके लिए .
मंजू की बात में दम था .
“पिताजी ने हवेली भाभी के नाम क्यों की ये सोच सोच कर मैं पागल हो रहा हु ” मैंने कहा
मंजू- क्या पता साली ने चूत के दम पर अपने नाम लिखवा ली हो. देख कबीर, बुरा मत मानियो पर ऐसा हो सकता है
मैंने हाँ में सर हिला दिया, चूत ऐसी चीज है जो चाहे वो करवा दे और हमारे तो खानदान में चुदाई का बोलबाला था .
मंजू- तू हवेली खरीद ले काजल से पर कमीनी है वो तुझे तडपाना चाहती है इसलिए बेचेगी नहीं
मैं- कुछ ना कुछ तो करना ही पड़ेगा. वैसे दारू पीयेगी
मंजू- सूखी नहीं चलेगी मुझे और मीट बनायेंगे तो लोग बुरा मानेगे , ताई कहेगी घर में मौत हुई पड़ी है और तुम्हे ये सब करना है.
मैं- कितने दिन और बचे , दिन शुद्ध होने में
मंजू- परसों हो जायेंगे
मैं-जाने वाला तो गया फिर क्यों ये सब तमाशे
मंजू- दस्तूर है दुनिया का
मैं- तू तयारी कर मैं लाता हु समान , आज की रात खेतो पर ही काटेंगे
मंजू- वहां कौन ले जायेगा बर्तन भांडे . ताई तो जाएगी ही चाचा के घर फट से बना लेंगे
मैं- देना नहीं चाहती क्या जो उधर जाने को मना कर रही है
मंजू- ली तो कही भी जा सकती है लेने वाले की हिम्मत होनी चाहिए
मैं- इधर ही पटक लू कहे तो
मंजू- खोल ले नाडा
उसने मेरे गाल पर काटा और भाग गयी. मैं तहे दिल से चाहता था की इस लड़की का घर बस जाये, तमाम खुशिया मिले इसे. किस्मत ये मेरे जैसी ही लिखा कर लाइ थी , मेरे साथ ही इसका भाग्य भी रूठ गया था . छत पर बोतल खोले हम दोनों अपनी महफ़िल लगाये हुए थे की तभी मामी आ गयी.
“कबीर कुछ बात करनी है तुमसे ” मामी ने कहा
मैं- जी
मामी- आओ थोडा बाहर टहल कर आते है
मैंने गिलास को साइड में रखा और मामी के साथ बाहर आ गया.
“क्या बात करनी है ” मैंने कहा
मामी- तुम्हारे चाचा के दिन शुद्ध होने के बाद सारा परिवार बैठ कर तुम्हारे मसले को सुलझेगा
मैं- कैसा मसला
मामी- तुम्हारे हिस्से का , बाकी लोगो में से कोई भी नहीं चाहता की गाँव के लोग कहे की परिवार तुम्हारा हिस्सा मार गया
मैं- परिवार ही नहीं बचा तो हिस्से का क्या करूँगा मैं. सर छिपाने के लिए भला कितनी जगह चाहिए मुझे . निशा के साथ अगर घर बसा मेरा तो हम बना लेंगे आशियाना अपना, वैसे भी घर लोगो से बनता है और जब लोग ही चले गए तो क्या ही घर रहा
मामी- इस बारे में मैं निशा से भी बात करुँगी, मेरी नहीं तो उसकी सुनेगा ही तू
मैं- मेरे मसले कुछ और है मामी, जैसे ही सुलझेंगे मैं यहाँ से चला जाऊंगा. बेशक मेरा मन था पर हवेली को लेकर जैसा बर्ताव भाभी ने किया , अब वो मन नहीं रहा .
मामी- परिवार जैसा भी हो व्यक्ति की सबसे बड़ी शक्ति होता है
मैं- जी तो वो लोग भी रहते है जिनका कोई नहीं होता
मामी- ऐसा क्यों सोचता है तू क्या नहीं है तेरे पास
मैं- कुछ भी तो नहीं मेरे पास .
ना जाने क्या हुआ मुझे , मैं मामी के गले लग गया . कोई कोशिश नहीं की मैंने अपने मन की पीड़ा को आंसू बनके बहने में .
“तू अकेला नहीं है कबीर ” मामी ने मुझे अपने आगोश में भरते हुए कहा. बहुत देर तक एक दुसरे के आगोश में खड़े रहे हम लोग.
“चलना चाहिए हमें ” बोली वो
मैं-मेरे साथ ही रहो
मामी- ऐसे ही
मैं- हाँ, ऐसे ही
मामी-क्या इरादा है
मैं- तुमसे प्यार करने का
मामी- कैसा प्यार करोगे
मैं- जैसा तुम चाहो
मैंने मामी की गांड को सहलाया
मामी- सबके सोने के बाद मिलते है हवेली में
मैंने मामी के चेहरे को ऊपर किया और उसके होंठो को अपने होंठो से जोड़ लिया.
चाहे मैंने मंजू को चोदने का करार किया था पर मामी की चूत मुझे हद से ज्यादा प्यारी थी , आदमी कभी भी उस औरत को नजरंदाज नहीं कर सकता जिसकी चूत सबसे पहले उसने मारी हो जीवन में. खैर, खाना खाने के बाद मैं हवेली पहुँच गया था . मैंने रौशनी की , मामी के आने में समय था तो एक बार फिर मैंने यादो को खंगालने की कोशिश की . एक बार फिर पुराने सामान में हाथ मारने लगा मैं . पिताजी के कमरे को तो बहुत बार देख चूका था मैं , इस बार मैंने कोने वाले कमरे के ताले को तोड़ लिया. धुल मिटटी से भरा ये कमरा जिसमे संदूके रखी थी , कुछ सूटकेस रखे थे.कुछ में पुराने कपडे भरे थे , किसी में रजाई बिस्तर थे पर वो कहते है न की अक्सर कुछ राज उन चारदीवारी में ही छिपे होते है जहाँ आदमी देख कर भी अनदेखा करता है . पुराने सामान में कुछ ऐसा हाथ लगा मुझे जिसे एक पल के लिए मेरे सोचने की शक्ति को कम कर दिया............................
Yeh kia chakkar chachere bhai behno ke certificate yaha kar rehe h bhala#38
हाथो में उन चीजो को महसूस करते हुए जो किसी के लिए जरुरी होती है , वो यहाँ बंद कमरे में क्या कर रही थी. मन में बहुत से सवाल पैदा हो गए थे जिनके जवाब अब हर हाल में चाहिए थे. मेरे हाथो में छोटे बहन भाइयो की शैक्षणिक योग्यताओ के प्रमाण पत्र थे, उनके तमाम दस्तावेज थे जिनकी जरुरत उन्हें बाहर रहने पर पड़ती ही पड़ती जब वो शहर में थे तो उनके ये कागज क्यों सड रहे थे और अगर वो छोड़ भी गए थे तो उन्हें ताईजी के घर में होना चाहिए था इस हवेली में नहीं. कोई भी अपनी महत्वपूर्ण वस्तुओ को ऐसे ही खंडहर में क्यों छोड़ेगा. दिमाग में चढ़ी दारू का नशा फक से झड़ गया था . ये क्या झोल था इसका पता लगाना बहुत ही जरुरी था.
हवेली से निकल कर मैं उस सख्स से मिलने जा रहा था जिसके पास ये सब जवाब होने थे, पर मेरे कदम रुक गए . मैंने दरोगा विक्रम को देखा जो दबे पाँव तेज तेज चल रहा था. इतनी रात को ये यहाँ क्या कर रहा था . इसका गाँव में क्या काम था वो भी बिना वर्दी के , ना जाने क्यों मैं उसके पीछे पीछे चल दिया. दरोगा की चाल में तेजी थी , बार बार वो पीछे मुड कर देख रहा था . निश्चित दुरी बनाये मैं उसकी दिशा में बढ़ रहा था .
गाँव पीछे छुट गया था , पक्के रस्ते की जगह अब कच्ची मिटटी ने ले ली थी. दरोगा खेतो के पास वाले रस्ते पर बने चबूतरे के पास खड़ा था, उसे इंतज़ार था किसी का या फिर पहले से ही कोई मोजूद था वहां पर.
“ऐसी भी क्या बेकरारी थी जो रह नहीं सके तुम ” अँधेरे में से एक फुसफुसाहट आई.
दरोगा- क्या करू , तुमसे दूर भी तो नहीं रहा जाता.
मतलब दरोगा यहाँ किसी औरत से मिलने आया था . मुझे कोतुहल था की कौन हो सकती है पर किसी के निजी जीवन से क्या लेना देना . सबके अपने अपने किस्से होते है . करने दो दोनों को मस्ती सोचते हुए मैं वापिस मुड ही लिया था अगर वो शब्द मेरे कानो में ना पड़े होते.
“हम तो मिलते ही रहेंगे, पर फिलहाल कबीर के बारे में बात करनी जरुरी है ”साये ने कहा
“इनको मेरे बारे में क्या बात करनी है ” मैंने मन ही मन कहा और अपने कान लगा दिए.
“कबीर लगभग सुनार तक पहुच ही गया था , बहुत मशक्कत करनी पड़ रही है मुझे इस सब को सँभालने में.बात अब आगे बढ़ रही है ” दरोगा ने कहा.
“जानती हु , पर फिलहाल सब काबू में है , कबीर को अपने सवालो के जवाब चाहिए और हमारा उन सब से कोई ताल्लुक नहीं ” औरत ने कहा
दरोगा- तुम समझ नहीं रही हो . सब कुछ उलझा हुआ है किसी ना किसी मोड़ पर वो हमारे सामने आ खड़ा होगा और फिर कुछ भी ठीक नहीं होगा.
“मैं संभाल लुंगी . वैसे भी कबीर यहाँ नहीं रहना चाहता , निशा से उसकी शादी हो जाएगी तो उसे निशा के साथ ही रहना पड़ेगा. ” औरत ने कहा
दरोगा- हमें उस से भी सतर्क रहना होगा . हो सकता है की कबीर निशा को हर बात बताता हो. तुम तो जानती ही हो की पुलिस वालो का दिमाग कैसे चलता है ऊपर से वो कोई मामूली पुलिस वाली नहीं महकमा उसके इशारे पर नाचता है . दूसरी बात निशा का बाप कभी नहीं होने देगा उसकी शादी कबीर के साथ
औरत- वो तुम्हारा मसला नहीं है . हर कड़ी टूट चुकी है . कबीर को लगता है की उसके माँ-बाप की हत्या हुई है वो उसी दिशा में है
दरोगा- क्या सच में
औरत- तुम बस अपने काम पर ध्यान दो .
दरोगा- बहुत दिनों बाद मिली हो थोडा काम तो करना ही पड़ेगा.
आती सिसकियो से मैं समझ रहा था की चुदाई शुरू होने वाली है पर मैं इस सुनहरे मौके को चूकना नहीं चाहता था इन लोगो को पकड़ने की नियत से मैं आगे बढ़ा ही था की सामने मोड़ से अचानक आई उस गाडी की रौशनी ने सब खत्म कर दिया. तेज रफ़्तार गाडी की रौशनी चबूतरे पर पड़ी पर अफ़सोस अब वहां कुछ नहीं था . गुस्से से मैंने गाड़ी के बोनट पर हाथ मारा और जब मेरी नजर अंदर बैठे शक्श पर पड़ी तो एक पल के लिए जैसे अब कुछ थम सा गया . गाड़ी में मेरा भाई था हमारी नजरे आपस में मिली . वो गाड़ी से उतरा और मेरी तरफ बढ़ा . कुछ देर तक हम बस एक दुसरे को देखते रहे.
“कैसा है भाई ” बोला वो.
जी तो किया की आगे बढ़ कर सीने से लगा लू उसे पर मेरे हालात और उसका गुनेहगार था मैं तो रोक लिया खुद को .
“ठीक हु भैया ” बड़ी मुश्किल से कह सका मैं.
“इधर क्या कर रहा है इतनी रात को ” पुछा भाई ने
मैं- बस यु ही . गाँव में जी नहीं लग रहा था तो इधर आ गया सोचा कुवे पर ही सो जाऊंगा
भाई- घर तो आना नहीं है न तुझे
मैं- मैं शर्मिंदा हु, मेरी ना समझियो , मेरी गलतियों की वजह से अब बर्बाद हो गया.
भाई- प्रत्येक व्यक्ति अपने कर्मो के लिए स्वयं उतरदायी होता है . मैं आगे बढ़ गया हु तुम भी बढ़ जाओ .
मैं- मैं तो माफ़ी के लायक भी नहीं
भाई ने मेरे कंधे पर हाथ रखा और बोला- रात बहुत हुई, गाड़ी में बैठो मैं तुम्हे ताई जी के घर छोड़ देता हु
पुरे रस्ते फिर को बात नहीं हुई. घर का दरवाजा खुला पड़ा था . मैं सीढियों पर ही बैठ गया . एक बार फिर से हाथो में जाम थामे मैं तमाम बातो के बारे में सोच रहा था . कुछ तो साजिश जरुर चल रही थी अगर भाई नहीं आता तो मेरे हाथ में वो लोग थे जो मुझे बहुत कुछ बता सकते थे . कुछ देर बाद मैंने तीन औरतो को मेरी तरफ आते हुए देखा.
“सोये नहीं अभी तक ” ताई जी ने मेरे सर पर हाथ फेरते हुए कहा
मैं- नींद भी रूठी है आजकल शायद
ताई- कई बार मुश्किलों का हल नहीं होता पर वक्त के साथ सब ठीक हो जाता है .
ताई और मंजू अंदर चली गयी . मामी मेरे पास बैठ गयी.
“तुमने कहा था नहीं पियोगे ” मामी बोली
मैं- बस यूँ ही करने को कुछ नहीं था तो सोचा इस से ही दिल बहला लिया जाये
मामी- छत पर बिस्तर लगा लो मैं आ जाउंगी
. बची कुछी रात मामी की बाँहों में काटने के बाद सुबह मैं थाने में पहुँच गया दरोगा से मिलने के लिए पर वहां जाकर मुझे और कुछ ही जानने को मिला................