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जोरू का गुलाम भाग 246 ----तीज प्रिंसेज कांटेस्ट पृष्ठ १५३३
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वाह कोमल जीमस्ती -रात भर
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और जैसे वो सोते से अचानक जगे हों, जब मैं झड़ने के एकदम करीब थी तो अपने होठ हटा कर बोल बैठे
" हे तुम अपनी किस ननद की बात कर रही थी, कोरी, कच्ची "
" अरे स्साले तेरी छिनार चुदवासी बहनों की कमी है, एक दिल्ली चली गयी है तो अभी दर्जन भर फुफेरी, चचेरी, अरे तेरी बूआ की लड़की , मिन्नी दर्जा नौ वाली , ३० सी साइज, "
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उनका मुंह खुला रह गया जैसे विशवास नहीं हो रहा हो, फिर बोले, " मानेगी वो, फिर अभी छोटी है "
उन्हें अपनी ओर खींच के कस के एक चुम्मी उनके होंठों पर जड़ते मैं बोली,
" मानेगी नहीं मान गयी है और अगले हफ्ते आ भी रही है अपने भैया से चुदवाने, और रहा छोटी बड़ी का सवाल तो ये मेरा मरद है न, उस कच्ची चूत वाली की चूत का भोंसड़ा बना के भेजेगा ,...गांड जो मारेगा वो अलग, ....गुड्डी की तो एक दिन में ही चार बार गाँड़ मारी थी, तो मिन्नी की कैसे बचेगी। बोल मारेगा न,"
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और जैसे बिन बोले मेरी बात का जवाब दे रहे हों, मेरी दोनों टाँगे उठा के अपने कंधे पे उन्होंने रखी और क्या करारा धक्का मारा,
अगले धक्के में सुपाड़ा सीधे मेरी बच्चेदानी पे लगा और मैं झड़ने लगी, एक बार दो बार , लेकिन उनके धक्के रुके नहीं और गईं के बीस धक्कों के बाद रुके भी तो लंड पूरा अंदर तक और लंड के जड़ से वो मेरी चूत के ऊपर रगड़ रहे थे, दोनों निचले होंठ के साथ मेरी क्लिट की भी अच्छी रगड़ाई हो रही थी और थोड़ी देर में मैं फिर गरम हो गयी और तब असली चुदाई शुरू हुयी।
खूंटा अंदर धंसा हुआ था, पूरे एक बित्ते का और मेरे साजन के होंठ उँगलियाँ और सबसे बदमाश आँखे सब मैदान में थे।
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उस के लालची हरदम भूखे होंठ कभी गालों को कचकचा के काट लेते तो कभी होंठों पे अपना हक जमाते, रस ले ले चूसते तो जीभ क्यों पीछे रहती, वो मुंह के अंदर घुस के मुख रस का स्वाद लेती।
जब साडी चोली और ब्रा के अंदर बंद होने पर भी मेरे जोबन की बरछियाँ उनके ऊपर चल जाती थीं, बेचारे की हालत ख़राब हो जाती थी, पैंट टाइट हो जाती थी
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और अब तो मेरे उरोज एकदम अनावृत उन्हें चुनौती देते, तो बस दोनों हाथ सीधे वहीँ, कभी प्यार से दुलार से सहलाते, बस छू के लरज के रह जाते तो कभी कचकचा के मसल देते, रगड़ देते, मैं चीख उठती और जब लालची होंठ, होंठों से सरक के एक फूल से दुसरे फूल पे उड़ने वाली तितली की तरह मेरे निप्स पे आके बैठ जाते
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तो वो उँगलियाँ कभी सांप की तरह मेरी देह पर जगह जगह रेंगती, कभी बिच्छी की तरह डंक मारती,
मैं खुद अपने जोबन उसके चौड़े सीने में रगड़ती, सिसकती अपने लम्बे नाख़ून ओके कंधो में धंसा के और उसे अपने अंदर खींचती
और जब तक मैं अपने मुंह से नहीं कहती, कर न, हे क्या करते हो, करो न
वो ऐसे ही मुझे सुलगाता रहता, उबालता रहता, और उसके बाद तो फिर तूफ़ान आ गया, एक मोटी सी तकिया मेरे चूतड़ के नीचे, कमर बिस्तर से दो बित्ते उठी हुयी, और मुझे एकदम दुहरी, जाँघे मैं खुद फैला देती, की अब जो बादल बरसे तो उसकी एक एक बूँद मैं सोख लूँ
और क्या करारा धक्का मारा उसने, करीब करीब पूरा निकाल के, और अब बाकी साथी उसके रुक गए, न हाथ होंठ, न आँखे
उसके हाथों ने कस के दोनों मेरी पतली कलाइयों को पकड़ रखा था, लालची आँखे बस मुझे देख रही थीं और सारी ताकत, सारी हरकत बस उस मोटे बांस में,
दूसरा धक्का, तीसरा धक्का एक बार फिर बच्चेदानी में
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और मैं चीख उठी, उईईईईई
उसने कस के मेरी कलाई भींच ली, मेरी आधी दर्जन चूड़ियां चटक गयी, पलंग की पाटी दरक गयी
न उस के धक्के रुके, न मेरी सिसकियाँ, दसो बार, बीसो बार वो मोटा मूसल मेरी ओखल में रगड़ते, दरेरते,
मैं पसीने में भीग गयी थी, चूतड़ बिस्तर से रगड़ रही थी, अपने दांतो से होंठों को काट के चीखों को रोक रही थी, लेकिन वो बेरहम और मुझे नहीं रहा गया मैं बोल पड़ी,
" स्साले ये जोश अपनी बहना उस दर्जा नौ वाली की चूत में दिखाना, बहुत ताकत लगेगी उस की फाड़ने में, कुछ ताकत अपनी बहनों के लिए भी बचा के रख "
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जैसे कोई बुझती आग में और लकड़ियां डाल दें और वो धधक के जल उठे, बस यही हालत हुयी, उन के दोनों हाथों ने मेरी कलाई को छोड़ा और पहले दिन से उन्हें ललचाते जुबना पे हमला बोल दिया, स्साले ने क्या कस के मसला रगड़ा और साथ में वो लम्बा बांस अब दुगने ताकत से फाड़ते, रगड़ते मेरी बुर का हलवा बनाने में,
लेकिन इसी लिए तो मैं तरसती थी, और मैंने उन्हें और चिढ़ाया, उन के गाल पे एक मीठी सी चुम्मी ले के बोली,
" स्साले, मेरे असली नन्दोई तो तुम्ही हो, बाकी ननदोई तो एक एक ननद का मजा लेंगे,... लेकिन तुम तो मेरी सारी ननदों का मजा लोगे, फिर उन बिचारों को चुदी चुदाई , ढीली मेरी ननदें मिलेंगी, ....सबसे पहले सेंध तो तुम्ही लगाओगे, मेरे असली नन्दोई "
उस समय वो बोलते कम थे, लेकिन उनके जवाब देने का तरीका अलग था, उन्होंने कचकचा के मेरी चूँची काट ली,
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और वो भी एकदम उस जगह जहां मैं लाख सम्हाल के आँचल से ढकने की कोशिश करूँ उनकी रात की शरारत और मेरी शामत साफ़ साफ़ नजर आये , और अब तो मैंने ढकने की कोशिश करना भी बंद कर दिया था,
और सिर्फ दांत ही नहीं उनके नाख़ून मेरे उभारों पे अपना निशान छोड़ रहे थे और मैंने फिर चिढ़ाया
" हे इत्ता कस कस के उस मिन्नी की रगडोगे न तो हफ्ते भर में बिचारी की ३० सी से मेरी तरह ३४ सी नहीं तो गुड्डी की साइज की ३२ सी तो हो ही जाएगी, "
" तेरी भी रगडूंगा, तेरी ननद की भी रगडूंगा, और ऐसे ही रगडूंगा " उनके बोल खुले और अबकी जिस तरह से उभार उन्होंने मसले निपल फ्लिक किया, मेरी सिसकी निकल गयी,
" घबड़ा मत, तेरी बहिनिया जायेगी और मेरी सगी सास आएगी, उनकी भी रगड़ना, उनकी तो ३६ डी है, एकदम डबल डबल, और अभी भी टनक, एकदम खड़ी कड़ी, उनकी मसलना कस के, उनसे भी बात हो गयी है आज, और अपने सामने मसलवाउंगी, तब देखूंगी सास के बेटे की ताकत "
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उसके बाद तो मेरे जोबन की जो हालत हुयी और नीचे के धक्के जो थोड़े हलके हो गए थे फिर तेज
, लेकिन थोड़ी देर में न इन्होने बाहर निकाला, न मैंने इनपर पकड़ ढीली की लेकिन अब मेरी टाँगे बिस्तर पर थीं, और मैं इनका बिस्तर थी। ये पूरी तरह मेरे ऊपर और हम दोनों एकदम चिपके, इनके दोनों हाथ मेरी पीठ पे, कभी कंधे पे और मेरे दोनों हाथों ने इन्हे दबोच रखा था। हम दोनों चुप थे लेकिन हम दोनों की देह एक दूसरे से बातें कर रही थीं, एकदम अंदर धसे हुए,
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जैसे बारिश रुकने के बाद भी बहुत देर तक बूंदे पेड़ों की पत्तियों से, टहनियों से टप टप टपकती रहती है, उसी तरह धक्के भी रुक रुक के हलके हलके
मिशनरी पोजीशन मुझे बहुत अच्छी लगती है दो कारण से, एक तो सारी मेहनत इन्हे करनी पड़ती है, शादी कर के ले आया है, करे न। और दूसरे इतनी क्लोजनेस, चुम्मा चाटी का मौका किसी और पोजीशन में नहीं मिलता, लेकिन परेशानी सिर्फ एक है, बात चीत नहीं हो पाती,
और हम दोनों थोड़ी देर में बात चीत कर रहे थे, मैं इनकी गोद में बैठी, खूंटा मेरे अंदर धंसा, मेरे दोनों हाथ इनकी पीठ पे चिपके ये अपना काम कर रहे थे और मैं अपना,
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मैं इन्हे दिन में इनकी बूआ और बूआ की लड़की से क्या बातचीत हुयी ये बता रही थी, इनके मूसल चंद का आने वाले दिनों की दूत्यै लिस बता रही थी, बस दो तीन दिन में वीकेंड में मिसेज मोइत्रा की दोनों कबुतरियों की सील तोड़नी थी, मिसेज मोइत्रा ने खुद इनसे कहा था तीन ज के दिन, उनसे अपने घर पे रहने के लिए ११ बजे से शाम ७ बजे तक, आठ घंटे की ड्यूटी, और वैसे भी शनिवार था इनका आफिस बंद था
और बेटियों के बाद माँ पर भी नंबर लगना था, मिसेज मोइत्रा का पिछवाड़ा अभी भी कोरा था तो हचक के उनकी गांड मारनी थी बल्कि फाड़नी थी
और माँ बेटी के बस दो चार दिन के अंदर बूआ और उनकी बेटी, माँ बेटी आने वाली थीं, तो बस उनका भोजन
पता नहीं बूआ का नाम सुन के या उनकी बेटी का नाम सुन के वो स्साला पागल हो गया और मुझे निहुरा के
मेरी सुहाग रात के तीसरे दिन, पहली बार उन्होंने डॉगी पोज ट्राई की थी और मैं समझ गयी थी, इस पोज में ये लड़का पागल हो जाता है
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और बंद कमरे में भी मुझे तारे दिख रहे थे, मैं चीख रही थी, चिल्ला रही थी लेकिन थोड़े ही देर में धक्को का जवाब धक्को से दे रही कभी अपनी बुर निचोड़ के उस दुष्ट लंड को उसकी औकात बताने की कोशिश कर रही थी और वो निपल खींच के, भींच के मेरे हर धक्के का जवाब धक्को से दे रहे थे
और अबकी बार हम दोनों साथ साथ झड़े, मैं जैसे ही झड़ना शुरू की, मेरी चूत ने इनके लंड को भींचना शुरू किया वो भी किनारे इ आ आगये और सब का सब पानी मेरी बच्चेदानी में,
मैंने कस के निचोड़ लिया, सब इसे चटवाना भी तो था
कुछ देर तक तो हम दोनों ऐसे ही पड़े रहे, फिर बिस्तर पे लेटे लेटे और मैंने दिन की पूरी बात उन्हें बताना शुरू की, मिसेज मोइत्रा से क्या बात हुयी और कैसे उनकी दोनों सालियों के चूत में चींटे काट रहे हैं उनसे चुदवाने के लिए और फिर बूआ और बुआ की बेटी मिन्नी की बात, लेडीज क्लब की बात, वो सुनते भी रहे बीच बीच में बोलते भी रहे।
वो साथ रहते हैं तो टाइम कैसे कटता है पता नहीं चलता और दूर हो तो एक पल दूभर हो जाता है , अच्छा हो उन कैमरों वालों का अब ये पंद्रह दिन ये शहर छोड़ के कहीं नहीं जाएंगे
लेकिन एक बार में मुझे मालुम था की उसका मन नहीं भरेगा, तो घंटे डेढ़ घंटे के इंटरवल के बाद, मैंने खुद उनका मुंह खींच के लसलसा रही अपनी बुर पे, उनकी मलाई वही साफ़ करे, और जैसे ही मैं झड़ने के कगार पे पहुंची
उन्होंने मुझे खींच के बिस्तर से नीचे, और मैं बिना बताये समझ गयी, इस लड़के को क्या चाहिए
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मैं बिस्तर पकड़ के निहुर के झुक गयी, और वो पीछे से खड़े खड़े, और अबकी बिना पोजीशन बदले उसी पोज में हम दोनों झड़े
लेकिन तीसरी बार सुबह वाली शिफ्ट नहीं हुयी, हम दोनों बाहों में बंधे सो रहे थे, भोर अभी अलसा रही थी, की मेरी सौतन ने इन्हे जगा दिया मेरी सौतन और कौन, सबकी सौतन ननदे होती हैं लेकिन मेरी सौतन इनके आफिस का फोन था, दस मिनट बाद आफिस की गाडी आ रही थी और आधे घंटे में कोई ग्लोबल मीटिंग थी,
ये तैयार होने चले गए और मैं इनके लिए चाय बनाने और सोचती रही आज दिन में क्या क्या हुआ, ख़ास तौर से इनकी बूआ और बुआ की बेटी को कैसे मैंने पटाया,
बताउंगी, बताउंगी, आप सबको भी लेकिन अगली पोस्ट में, इनके आफिस जाने के बाद
Thanks so much, earlier few parts were more inclined towards suspense, corporate warfare, hence this and next few parts will be comparatively lighter with a good dose of erotica and then suspense and thrill will come backSuper Hot Update Madam...each part dripping with erotica....the dialogs, situations and the "ched chaad"..just too good..
And finally, ...the "5 activties"..wow..nice concept...each activity different and extra conditions in each of them!! and in each condition, the pics were superb!!
Imagination and concept along with pics and "prizes" for each activity...outstanding!!
komaalrani
Btw, I forgot to mention...the "bug" reference in your update..which also means something is cooking up.. which should get interesting...Thanks so much, earlier few parts were more inclined towards suspense, corporate warfare, hence this and next few parts will be comparatively lighter with a good dose of erotica and then suspense and thrill will come back
Thank you for reading, enjoying the post, and commenting.
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अरे नहीं बोलेगी सुजाता. यकीन ना हो तो गुड्डी से पूछ लो. अमेज़िंग. मुजे तीज पार्टी का कब से इंतजार था. कुछ जबरदस्त इरोटिक होने वाला है.भाग 246 ----तीज प्रिंसेज कांटेस्ट
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जब मैं लौटी तो देर शाम हो चुकी थी, बल्कि रात हो गयी थी।
सुजाता के यहां मीटिंग के बाद उसने चाट पार्टी रखी थी, ज्यादा नहीं आलू टिक्की, चाट पापड़ी और दहीबड़े, लेकिन चाट से ज्यादा चटपटी बातें।
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और रोज की बात होती तो मैं जल्दी करती इनके आफिस से लौटने के टाइम के चक्कर में , लेकिन मैंने गीता को बोल रखा था इसलिए निश्चिंत थी। अब बहन बन गयी थी वो इनका ख्याल भी रखे। दूसरे वो जो पूरे घर में बग्स लगे थे तो बात करने में भी थोड़ी हिचक रहती थी, कौन सुन रहा है क्या सुन रहा है।
चाट पार्टी अच्छी रही इसलिए भी की मीटिंग में तो लिमिटेड लोग थे सब बच्ची पार्टी वाले, मैं, सुजाता, मीनाक्षी, शबनम और एक दो और , लेकिन चाट पार्टी में चार पांच जो सीनियर्स थे उनकी भी वाइफ और तीन तो मिसेज मोइत्रा की भूतपूर्व चमचियाँ, जो एक से एक खुल के मजाक करती थीं और अब हम लोगों की टीम में शामिल हो गयी थीं।
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तो तीज की होनेवाली पार्टी की तो काफी कुछ प्रोग्रामिंग हो गयी थी, मिनट बाई मिनट का काम सुजाता और मीनाक्षी के साथ चमची नंबर दो और तीन का था लेकिन तीज प्रिंसेज जिसमे सिर्फ कुँवारी लड़कियां ( मतलब जिनकी शादी नहीं हुयी है और टीन्स में है ) का पार्ट था. बहुत सी लेडीज कट ली थीं , जिनकी डाटर्स थीं वो तो वैसे भी उस दिन नहीं आ सकती थीं, तीज प्रिंसेज का कांटेस्ट होना था ( ओनली टीनेजर्स ). उनके गिफ्ट, दिन का प्रोग्राम और वो सुजाता ने मेरे मत्थे मढ़ दिया था और चिढ़ाते बोली, ...
" अब ये मत बोलना की तेरे जीजू आ गए हैं रात भर सोने नहीं देंगे और दिन में मैं सोने का कोटा पूरा करना होगा। मेरे जीजू से सीख, रात भर दीदी की सेवा और दिन में आफिस में काम तो थोड़ा टाइम निकाल के "
" ठीक है एक दिन बोल देती हूँ तेरी दीदी की छोटी दीदी की सेवा कर दें. तेरा वाला वैसे ही चार दिन के टूर पर गया है " मैंने उसे छेड़ा तो वो ख़ुशी से बोली,
"एकदम दीदीऔर आप ने कह दिया तो जीजू थोड़ा हिचकेंगे भी तो मैं खुद चढ़ के रेप कर दूंगी, आखिर छोटी साली हूँ, उस पे मेरा भी हक है, , आपके मुंह में घी गुड़,.... कोलेस्टराल की चिंता मता करियेगा अगले दिन जॉगिंग थोड़ा एक्स्ट्रा कर लेंगे "
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मैं जब घर में घुसी तो ये सो रहे चद्दर ताने, खर्राटे बाहर से सुनाई दे रहे थे।
गीता ने बोला कुछ खाना तो ये फ़ूड ट्रक से ले आये हैं बाकी की उसने तैयारी कर दी है बस बनाना है।
मर्दो के लिए जैसे आफिस गॉसिप के लिए कहते हैं कूलर टाक होती है वैसे ही औरतों के लिए किचेन। फुल कंट्रोल।
तो बस गीता के सामने मैंने अपनी बात रख दी, तीज प्रिंसेज के लिए,... मुझे मालूम था की किचेन भी बग्ड है लेकिन गीता को तो नहीं पता था और वो खुल के बोल रही थी , फिर यही तो मैं और ये चाहते थे की बग लगाने वालों को सब कुछ नार्मल सा ही लगे।
प्रिंसेज के लिए गीता ने बहुत जबरदस्त आइडिया दी मैं सब्जी के मसाले भून रही थी और वो पराठे के लिए आटा गूंथ रही थी और सवाल था की टीनेजर्स का कम्पटीशन क्या हो.
मेरी लेडीज क्लब में लोगों ने बहुत हिम्मत की तो कंडोम फुलाने का आइडिया दे दिया, कौन पांच मिनट में सबसे ज्यादा फुला लेगा।
मुझे ज्यादा मजा नहीं आया था इस आइडिया में और गीता ने तो सिरे से ही खारिज कर दिया, बोली
कौन बच्चों की बर्थडे पार्टी है की गुब्बारा फुलवाओ, निशाना लगवाओ अरे सब लड़की चौदह की होगयी मतलब चोदवाने के लिए तैयार तो मुकाबला भी ऐसा हो की कौन जबरदस्त चुदककड़ है,.... अच्छा कंडोम का ही चलो मैं एक आइड्या बताती हूँ, ...
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