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Incest जीवन रस की एक - एक घूंट पिए जा पिए जा

motabansh

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"आई दीदी। ओफ़ ओ दीदी"

सन्जु का लाल फूला हुआ सुपाड़ा गीलेपन के कारण चमक रहा था। अब रीता की चूत एक दम से गीली हो चुकी थी और चुदाई के लिए तैयार थी।

सन्जु रीता की चुत देखने के लिए आतुर था और उसने अपने एक हाथ को अपनी बहन के मम्मों से हटा कर उसकी चूत तक ले गया।

"ओफ़ सन्जु"

रीता ने मुँह घुमा कर दरवाजे की तरफ देखा, दरवाजा अन्दर से बन्द था पर रीता फ़िर भी एक बार ठीक से देख लेना चाहती थी। फ़िर रीता ने लाईट जला दी और अपनी स्कर्ट सन्जु के हाथ में देती हुई बोली चल देखले इसके नीचे। सन्जु ने नीचे झुक कर अपनी बहन की स्कर्ट उपर उठा दी और नीचे उसकी गरम गोरी जांघो के बीच में देखने लगा।

"ओह दीदी। ये "

"हाँ" सन्जु ले अपने हाथों से मेरी पैण्टी उत्तार कर देख ले, मेरी"

सन्जु रीता की कमर के सामने बैठ गया ओर रीता की पैण्टी को अपने हाथों से पकड़ कर नीचे सरका दिया ।

"दीदी। ओफ़ दीदी"

"अच्छी लगी न । अच्छी है न मेरी सन्जु "हाँ दीदी। ये तो उफ़ दीदी"

सन्जु अब आंखे फाड फाड कर अपनी बहन की नंगी चूत को देख रहा था। रीता ने सन्जु को पकड कर बिस्तर पर खींच लिया और फिर दोनो टांगो को खोल कर बिस्तर पर लेट गई। सन्जु के सामने उसकी बहन की फुली हुई चूत एक दम से खुल रखी थी। चूत का लम्बा सा छेद ऐसे लग रहा था जैसे चूत मुस्करा रही हो। I

सन्जु रीता की दोनो टांगो के बीच में झुक गया ओर चूत को अपने हाथ से मसल कर देखने लगा । रीता उफ़ उफ़ करती सन्जु को चोदने को कहने लगी।

सन्जु :दीदी तुम्हरी चूत बहुत प्यारी है।

रीता : चलो सन्जु पहले मुझे चोद लो फ़िर जी भर कर चूत से खेल लेना ।

सन्जू की आंखे अभी भी रीता की फूली हुई चूत पर जम रखी थी। रीता की मोटी जांघो के बीच में उसकी फूली हुई फुददी ओर फुददी के निचे गहरे भूरे रंग का गाण्ड का छेद, उसने अपने हाथ से चूत की गरम फांको को सहलाया।

"ओह सन्जु । ओह

रीता सन्जु का हाथ अपनी चूत पर लगते ही सीस्कने सी लगी। वो बार बार सन्जु को अपने उपर आ कर चोदने के लिए कह रही थी। "चोद न सन्जु । चल चढ़ जा मेरे उपर सन्जु।"

सन्जु चूत के नशे में सब कुछ भूल गया था और अपने हाथ को चूत की फैली हुई फांको पर दबाता हुआ उपर से नीचे तक रगडता जा रहा था। रीता की चूत सन्जु के हाथ से दब कर बार बार खुल जाती और अन्दर का गुलाबी भाग दिखाई दे जाता। सन्जु रीता के चुत के गुलाबी छेद से आती खुश्बू को सूंघ कर चूमना चाहता था। उसने अपना सर निचे उसकी गोरी मखमली जांघो के बीच घुसाया और चुत को चुम लिया। रीता की गुलाबी फुद्दी तमतमा कर लाल हो गई और मुँह सिसकी निकल गई। समय कम था, उमा और सरोज कभी भी दरवाजा खोलने के लिए बोल सकते थे।
 

motabansh

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आखिर रीता अब और सहन न कर पाई उसने अपने हाथों से सन्जु के कंधो को पकड़ कर उसे अपने उपर खींच लीया और अपनी दोनो टांगो को उपर उठा कर अपनी चूत का छेद ठीक लौड़े के सामने कर दिया ।

सन्जु का गुलाबी सुपाड़ा अपनी बहन की चूत के सामने एक दम से तैयार था। सन्जु ने अपनी कमर को थोडा उठा कर अपना सुपाड़ा चूत की दरार पर रख दिया ।

रीता: "ओह राजा । हाँ घुस्सा दे सन्जू । दबा कर अन्दर डाल दे इसे प्लीज़" सन्जु ने अपने हाथों से अपने शरीर को उपर उठा कर लण्ड को चूत पर दबा दिया।

"ओह सन्जु । हाँ ऐसे ही"

"लो दीदी।"

"आह। ओह सन्जु आराम से, प्लीज़ । आह सन्जु धीरे से।"

"लो दीदी। आआअह लो"

"हाय सन्जु बहुत मोटा है। आह ये तो मेरे बैंगन से दुगना मोटा है। ओफ़" सन्जु का सुपाड़ा रीता की टाईट चूत के छेद में चला गया था।

"सन्जु .... सन्जु ओह। रुक जा सन्जु मेरी फट जाएगी।"

सन्जु घबरा कर रुक गया। "दीदी बहुत दर्द हो रहा है क्या"

"हाँ सन्जु तेरा बहुत मोटा है।"

"आराम से धीरे धीरे कर।"

"ऐसे दीदी। ऐसे ठिक है न दीदी"

"हाँ सन्जु ... हाँ ऐसे ही धीरे-धीरे। लगता है पुरा चला गया, है न ।

"नही दीदी अभी ओर है। लो"

"ओह सन्जु और है। ऊउउच माँ"

"हाथ दीदी। बहुत टाईट है तुम्हारी"

"हाँ । ओ हाँ सन्जु तु बस अब प्यार से करना नही तो मेरी फट जाएगी"

"दीदी में आराम से ही तो कर रहा हु लो *

सन्जु अब अपनी कमर हिलाता हुआ रीता की चूत मारने लगा और रीता अपने भाई का लण्ड अपनी चूत में लेती हुई धीरे धीरे कराहने लगी।
 

motabansh

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कुछ ही देर में रीता की चूत कुछ खुल गई और लण्ड आराम से अन्दर बाहर होने लगा ।

"हाँ सन्जु अब बहुत मजा दे रहा है तेरा लौड़ा, ओफ़ अब जोर जोर से चोद मुझे।"

"आह। हाँ हाँ हाँ। ओह कर हॉ"

रीता ने अपने उपर झुके हुए सन्जु के चेहरे को चुमने हुए सन्जु को अपने मम्मे दबाने को कहा। सन्जू अपनी कमर चलाता हुआ रीता के मम्मों को पकड़ कर मसलने लगा।

रीता और सन्जु एक दुसरे के शरीर का पुरा मजा ले रहे थे। वो एक दुसरे के शरीर में पुरी तरह से डूब चुके थे ।

हर बार, जब भी रीता की चूत में सन्जु का लण्ड जाता तो रीता अपनी जांघो को उपर की तरफ़ उठा कर अपनी चूत को लण्ड पर दबा देती। ऐसा करने से लण्ड पुरी तरह चूत की तह तक जा कर टकराता और फ़िर रीता मजे से कांप उठती। "हाय हाय सन्जु । मजा आ गया सन्जु । हाँ ऐसे ही कर"

कुछ ही देर बाद सन्जु को लगा की उसका सुपाडा एक दम से चूत में कस गया है। रीता की चूत की फांके लौड़े के चारो तरफ़ टाईट हो कर कस गई थी और रीता अपनी चूत को लण्ड पर दबाती हुई। चोद, चोद शब्द अलापती जा रही थी।

"चोद चोद चोद चोद चोद। सन्जु चोद"

फ़िर अचान्क ही रीता की चूत में पानी का उबाल सा उठा और वो झड़ने लगी ।

"आअह सईस्स्स्स्स्स्स। आओफ़्फ़फ़्फ़्फ़ सस्स्स्स"

सन्जु का अपना लण्ड एक दम से झडने के कगार पर था। वो रीता के झडने से अन्जान अपने शरीर की प्यास बुझाने में लगा था।

सन्जु ने अपनी कमर उठा उठा कर दो जोरदार धक्के लगाए और फ़िर उसका लण्ड भी झटके लेता हुआ अपना गरम विर्य रीता की चूत में उडेलने लगा ।

"ओफ़ दीदी। ओफ़ दीदी

सन्जु हांफ रहा था, उसने अपना सर रीता के गरम मम्मो पर रख दिया था और उसका लण्ड अभी भी रीता की गीली चूत में हल्के-हल्के झटके ले रहा था।

रीता ने सन्जु को चुम लीया ।

"आ गाया न मजा सन्जु । मजा आया"

'हा' दीदी। बहुत मजा आया। ओफ़"

सन्जु ने रीता के एक मम्मे की घुण्डी को पक्ड कर मसलते हुए कहा और फिर अपने मुह में ले कर चुसने लगा।

रीता ओर सन्जु जब कमरे से बाहर निकले तो दोनों के चेहरे खिले हुए थे वो दोनो न जाने कितनी देर धूप में बैठे एक दूसरे से बातें करते रहे। उमा ने कभी दोनों को इतने प्यार से बरताव करते नही देख था। हमेशा से दोनो लड़ते ज्यादा थे और बात कम करते थे पर आज सब कुछ बदल गया था।
 

Ek number

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सन्जु कुर्सी पर बैठा टीवी देख रहा था, जब रीता नहा कर बाथरूम से निकली और तौलिये से अपने बाल सुखाने लगी I

रीता के खुले काले बाल और सुन्दर चेहरा सुबह की धूप में चमक रहे थे। सन्जु ने जब रीता के निखरे हुए चेहरे को देखा तो उस पर जादू सा हो गया वो एक टक अपनी बहन को देखे जा रहा था । रीता ने आज निले रंग की स्कर्ट पहनी हुई थी और उपर सफ़ेद रंग की टी शर्ट थी। रीता की शर्ट में से उसकी छातीयों के उभार बहुत बड़े और तने हुए लग रहे थे।

सन्जू की नज़र रीता के चेहरे से फिसलती हुई उसकी छातियों के उभारों पर ठहर गई, रीता की शर्ट के कपड़े में से उसके दोनो निप्पल कड़े होकर बाहर उभर आए थे। सन्जु, रीता की छातीयों पर उठे हुए दोनों निप्पलों के आकार को देखने लगा। रीता ने जब सन्जु को अपनी तरफ देखते पाया तो मुस्करा दी और फ़िर सन्जू के पास आ कर खड़ी हो गई। "क्या देख रहे हो सन्जू कहती हुई रीता ने सन्जू के कन्धे पर पर हाथ रख दिया । सन्जु ने रीता को अपने पास खड़े पाया तो धीरे से बोला । तुम बडी सेक्सी लग रही हो दीदी ।

रीता : "हाय सच । रीता खिलखिला कर हँस दी।"

रीता, सन्जु की कुर्सी के बिल्कुल पास आ कर सन्जु से सट कर खड़ी हो गई। अब रीता की कमर सन्जु के कन्धे से सट रखी थी, रीता की नंगी टांगे सन्जु के हाथ से छू रही थी, सन्जु ने अपने हाथ को रीता के घुटने पर रख दिया और रीता की गोरी सुडोल टांगों को देखने लगा । कुछ देर बाद सन्जु ने अपना हाथ रीता की गरम मांसल टांगो पर फेरना शुरु कर दिया ।

वो अपनी बहन के स्कर्ट को उपर उठा कर नीचे से देखना चाहता था। कुछ देर वो रीता की टांगो पर अपना हाथ फेरता रहा और फ़िर सन्जु ने अपने हाथ को अपनी बहन के घुटनो के उपर ले जा कर रीता के स्कर्ट के अन्दर कर दिया । रीता ने जब सन्जु का हाथ अपनी जांघों की तरफ़ बढ़ता पाया तो उसने अपनी दोनो टांगो को थोडा खोल दिया। सन्जु का हाथ अब रीता की मोटी चिकनी जांघो पर चल रहा था। रीता की चिकनी मखमली जांघों को छूना सन्जु को बहुत अच्छा लग रहा था। सन्जु अपनी बहन की जांघो को सहलाता हुआ अपना हाथ और उपर ले गया। सन्जु का हाथ जब रीता की दोनो टांगों के बीच वाली फूली हुई जगह पर लगा तो रीता और सन्जु दोनो ही सिहर उठे।

रीता का दिल जोर जोर से धडकने लगा। सन्जु ने कांपते हाथों से अपनी बहन की भीगी हुई पैण्टी के बीच वाली जगह को ऊँगली से छुकर देखा। रीता ने अपनी गरम चूत को सन्जु के हाथ पर रख कर हलका सा दबा दिया। सन्जु अब रीता की पैण्टी को एक तरफ़ कर के अपनी बहन की चूत को अपने हाथ से छूना चाहता था, पर रीता ने अचानक ही अपनी दोनों टांगे बन्द कर ली ओर सन्जु से पीछे हट कर खड़ी हो गई।

सन्जु ने देखा तो कमरे में सरोज आ कर बैठ गई थी ओर टी वी का रीमोट ढुंड रही थी। सन्जु कुछ देर तक सरोज को मन ही मन कोसता रहा, उसको सरोज पर बहुत गस्सा आ रहा था।

रीता पास में पड़ी कुर्सी खींच कर सन्जू से कुछ ही दूर बैठ गई, वो सोच गही थी कि सरोज को कैसे भगाए कमरे से ओर अभी कुछ ही देर हुई थी की उमा ने टेबल पर नाश्ता रख दिया ।

रीता नाश्ता करते करते अपने पैर को सन्जु के पैर पर रख कर सन्जु से मजे ले रही थी। एक बार तो रीता ने सन्जु की पैंट के आगे वाले भाग को अपनी हथेली से इतनी जोर से दवाया कि सन्जू के लण्ड से कुछ गरम पानी की बुन्दे निकल आई। सन्जू सोच रहा था कि सरोज और माँ के घर में होते हुए रीता की चूत मिलना बहुत ही मुश्कील है।

उधर रीता सन्जू के लौड़े को देखने के लिए तड़प रही थी। वो बचपन से ही सन्जु को बहुत चाहती थी और अब तो सन्जू भी उसके शरीर के साथ खेलने के लिए तैयार था।

रीना जब भी सन्जु के लौड़े पर हाथ रखती उसकी अपनी चूत में से गरमा गरम पानी आने लगता। रीता जानती थी की सन्जू भी उसकी चूत के लिए वैसे ही तड़प रहा है जैसे वो सन्जु के लण्ड के लिये ।

रीता किसी बहाने से सन्जु को अपने कमरे में बुला कर दरवाजा बन्द करने की सोचने लगी। पर उसे कोई बहाना नही मिल पा रहा था। उसकी माँ और सरोज के घर से बाहर जाने की भी कोई उम्मीद नहीं थी। आखीर रीता मन मार कर बाहर धूप में जा कर बैठ गई।

दोपहर के अभी 12 बजे थे और उमा ने सारे घर की सफ़ाई कर दी थी। रीता पढने के बहाने अभी भी धूप में बैठी किताब के पन्ने पलट रही थी। सन्जु अपनी माँ और सरोज के बाहर धूप में बैठने जाने का इन्तजार कर रहा था, पर सरोज आज टी वी के साथ चिपक रखी थी। और बाहर जाने का नाम नहीं ले रही थी।

सन्जु ने जब बाहर रीता को धूप में अकेले बैठे देखा तो वो भी अपनी किताब ले कर बाहर धूप में आ गया और रीता के पास आकर खड़ा हो गया।

रीता : क्या बात है सन्जु बडी पढाई हो रही है आज ।

सन्जु : "दीदी मैंने आप को पढ़ते देखा तो सोचा कि मुझे भी पढाई कर लेनी चाहिये", कहते हुए सन्जु ने हाथ बडा कर रीता की उठी हुई चूच्ची को हाथ में ले कर दबा दिया ।

रीता घबरा गई। फिर सन्जु को डांटते हुए बोली "सन्जु तु पीछे हट" फिर सन्जु से दूर अपनी कुर्सी खींच कर बोली। "अगर माँ ने देख लिया तो हम दोनों को कच्चा खा जाएगी ।"

सन्जु हँसते हुए बोला "पर माँ तो अन्दर रसोई साफ़ कर रही है।"
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रीता: सन्जु तु अकेले में मेरे साथ कुछ भी कर सकते हो। मैं कभी मना नहीं करती। पर एसे खुले में नहीं।

सन्जु चुप हो कर अपनी कुर्सी खीच कर रीता के सामने कुछ दूरी पर बैठ गया । रीता जानती थी की सन्जु नाराज हो गया है। वो सन्जु को प्यार से मनाना चाहती थी पर अभी सन्जु के गुस्से को देख कर चुपचाप अपनी किताब पढ रही थी।

सन्जु बार बार रीता को देख रहा था। रीता भी बार बार सन्जु को घुरती जा रही थी।

आज मौसम बहुत ही अच्छा था, जयादा ठन्ड नही थी, और हल्की हल्की हवा से रीता के बाल बार बार उड कर उसके चेहरे पर आ रहे थे। धूप में चमकते रीता के लम्बे काले बाल और सन्दर मुखड़ा देखते ही सन्जु फिर से रीता की सन्दरता में डूब गया ।

सन्जु आंखे फाड़ फाड़ कर रीता के उठे हुए गोल मम्मो को देखने लगा। रीता जब भी सन्जु को ऐसे घूरते हुए देखती तो अपनी छाती को थोड़ा ओर उभार लेती। सन्जु का लण्ड अब फिर से तन गया था और पैंट में से साफ़ दिख रहा था। रीता अपने भाई के अकडे हुए लण्ड का आकार देख कर मस्त हुए जा रही थी वो भी बार बार सन्जू के लौड़े को घूर घूर कर देखने लगी। सन्जू ने जब रीता को अपने लण्ड को घुरते देखा तो अपने लण्ड को पैंट के उपर से अपने हाथ से पकड कर मसलने लगा। सन्जु को अपना लण्ड मसलते देख रीता के दिल की धड्‌कन फिर से बढ़ने लगी। उसे लगा जैसे वो कोई सपना देख रही हो। रीता किसी लड़के को हाथ से करते हुए देखने के लिये कई सालो से तरस रही थी और आज सन्जु उसे वो सब कुछ दिखा रहा था।

रीता ने सन्जु की आंखो में आंखे डाल कर देखा और फ़िर अपने होंठो को उचका कर सन्जु को हवा में पप्पी दे दी।

सन्जु ने रीता को अपने लण्ड की तरफ़ ईशारा किया तो रीता मुसकरा दी और अपनी दोनो टांगो को खोल कर अपने सामने पडे स्टूल पर रख दिया ।

रीता की दोनो टांगो के बीच से स्कर्ट उपर उठ गयी थी और दोनो जांघे धूप में जगमगा रही थी। सन्जु की उत्तेजना अब बहुत बढ गई। वो दोनों मोटी जांघो के बीच में अपनी बहन की सफ़ेद पैण्टी को साफ़ देख सकता था ।

रीता की सफ़ेद पैण्टी उसके मोटे चुतडों पर कस रखी थी। दोनो खुली टांगों के बीच में पैण्टी के अन्दर चूत की दोनो फ़ांको का आकार साफ दिख रहा था। सन्जु को लगा जैसे उसे नशा हो गया हो।

वो अपनी बहन की गरम गरम जांघों के बीच में कसी हुई पैण्टी को देखे जा रहा था। रीता की पैण्टी चूत वाली जगह से कुछ मैली हो कर पीले रंग की हो रखी थी और गिली होने के कारण पैण्टी का कपडा चूत से चिपक रखा था।
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सन्जु अपने हाथ से अपने लण्ड को पकड़ कर जोर जोर से दबाने लगा । । रीता ने सन्जु को ईशारे से रुकने को कहा और फिर उठ कर सन्जू के पास चली गई। क्या करते हो सन्जु एसे सब के सामने करोगे तो पकड़े जाएगे हम दोनो ।

सन्जू : तुम बहुत सेक्सी हो दीदी ।

रीता : चलो मेरे साथ आओ।

कहती हुई रीता ने सन्जु को उठने को कहा। सन्जु का लण्ड अब भी पूरी तरह खड़ा था और सन्जु बड़ी मुशकिल से चल रहा था। रीता ने सन्जु को किताब से अपना ढक कर चलने को कहा और फिर अन्दर कमरे में आ गई। उमा और सरोज कमरे में बैठे टी वी देख रहे थे।

रीता ने उमा को देखते ही कहा माँ देखो न सन्जु जब देखो खेलता ही रहता है। कभी नहीं पढता। मैं इसे पढने को कहती हूँ तो बुरा मानता है। उमा ने सन्जू को गुस्से से देखा और फ़िर डाटते हुए बोली सन्जु इस बार अगर तेरे नम्बर अच्छे नहीं आए तो मैं तेरा स्कूल छुडवा दूंगी ओर तुझे तेरे मामा के पास गांव भेज दूंगी सम्झा न।

सन्जु रीता की बात सम्झ नहीं पाया था और उसकी आंखो के सामने अभी भी रीता के खुले चुतड घुम रहे थे।

रीता : चलो न माँ आप टी वी बन्द करो, मैं सन्जु को अपने कमरे में पढाने ले जा रही हूँ, और मैं भी पढ लूंगी।

यहाँ टी वी बहुत डिस्टर्ब करता है, ईसे बन्द कर दो प्लीज ।

उमा, रीता की बात सुन कर खुश हो गई और सरोज को ले कर बहर धूप में बैठने चल दी।

अब सन्जु को रीता की बात समझ में आ गई थी और उसका दिल रीता से मिलन की कल्पना से झुम रहा था।

रीता : माँ, सन्जु मेरे कमरे में है ओर में दरवाजा बन्द कर रही हूँ ।

उमा: ठिक है रीता । तुम दोनों आराम से पढ लो मैं और सरोज दोनो बाहर जा रही हैं। दरवाजा बन्द होते ही सन्जु अपनी बहन के शरीर से चीपट गया।

"उफ सन्जु देख अब मैं तुझे अपनी किताब से पढ़ाती हूं"

ओफ़ दीदी सन्जू ने रीता के साथ लिपटते हुए रीता को चुम लिया ।

रीता को अपने से चिपटा हुआ सन्जु बहुत मजा दे रहा था। रीता का कद सन्जु से लम्बा था और अब सन्जु का मुँह रीता के दोनो मम्मों के बीच वाली जगह पर टीक रखा था। रीता ने अपने हाथों से सन्जु के पीठ को सहलाया ओर फिर धीरे से बोली ले सन्जु ले कर ले जो करना चाहता है।

सन्जु का हाथ रीता की पीठ पर उसकी ब्रा के स्ट्रैप से खेल रहा था। अपनी बहन के गरम शरीर से चिपटा हुआ वो एक दम नशे में डुब गया था।

रीता : सन्जु सन्जू । ओह मेरे राजा ।

"ओह पुच्च पुच्च"

रीता ने सन्जू के होंठों को अपने होंठो से चुमना शुरु कर दिया ।
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सन्जू का एक हाथ अब रीता के मोटे रबड जैसे मम्मे को आटे की तरहा गुंथ रहा था। रीता ने सन्जु के दोनों हाथों को अपने मम्मो पर रख दिया "लो दबालो इनको" सन्जु ने दोनों मम्मों को दबाना शुरु कर दिया और रीता को लगा जैसे उसकी चूत फूल कर कस गई हो । रीता का हाथ अब अपने भाई की पैन्ट के बटन खोल रहा था। वो जल्दी से सन्जू के शरीर को सारा देख लेना चाहती थी।

एक एक करके रीता ने सन्जु की पैण्ट और शर्ट के सारे बटन खोल दिए और फ़िर उसके कपडे उतारने लगी ।

सन्जु रीता के मुँह को चुमता जा रहा था। रीता के गुलाबी होंठ अब खुले थे ओर सन्जु अपनी जीभ को बार बार रीता के मुँह में डाल कर अन्दर से चाट रहा था और रीता सन्जु की जीभ को अपने होंठो से चूस रही थी।

रीता भी बार बार अपनी जीभ को सन्जु के मुह में डाल देती। दोनो की सांसे तेज थी और दिल जोर जोर से धड्‌क रहे थे।

रीता ने सन्जु को अपने आप से अलग कर दिया और फ़िर उसकी आंखो में देखती हुई बोली "चल दिखा मुझे अपना लण्ड सन्जु "

सन्जु ने अपने कपडों को अलग कर के अपना फुला हुआ 7 ईन्च का लण्ड अपनी बहन की हथेली पर रख दिया । I

"ओफ़ सन्जु ये कितना मोटा है। ओफ़ मेरे राजा…."

रीता सन्जु के सामने घुटनों के बल बैठ गई ओर लण्ड की बनावट देखने लगी। वो सन्जु के लौड़े की मोटाई देख कर बहुत मस्त हो गई थी।

सन्जु के सावले रंग के लण्ड पर घने काले बाल थे और लण्ड के नीचे दो बड़े बड़े भारी अण्डे लटक रहे थे।

रीता सन्जु के अण्डो का आकार देखती हुई थोडा आगे झुकी ओर फिर अपने होंठों से लौड़े को हलका सा चुम लिया ।

रीता ने अपने हाथ से सन्जु के लण्ड को पकड़ कर हलका सा दबा दिया और उसकी गरम हथेली के सपर्श से सन्जु का लण्ड धीरे धीरे उचकने लगा ।

सन्जू रीता की छाती पर से अब एक एक करके कपड़े उतार रहा था। पहले सन्जु ने रीता की शर्ट को उतारा और फिर उसकी बा को खोल कर दोनो मम्मों को बाहर कर दिया ।

"ओह दीदी" सन्जु रीता के गोल गोल तने हुए मम्मे देख कर हैरान रह गया ।

"ओफ़ दीदी ये कितने बड़े हैं। ओह"

रीता के मम्मे आमो की तरह फूल रखे थे। दोनो मम्मो पर बड़े बड़े काले निप्प्ल तन कर बाहर निकल आए थे। सन्जु अभी आपनी बड़ी बहन के मम्मो को निहार ही रहा था कि रीता ने सन्जु के लण्ड की खाल को पीछे खींच कर उसका गीला सुपाड़ा बाहर कर दिया ।
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आखिर रीता अब और सहन न कर पाई उसने अपने हाथों से सन्जु के कंधो को पकड़ कर उसे अपने उपर खींच लीया और अपनी दोनो टांगो को उपर उठा कर अपनी चूत का छेद ठीक लौड़े के सामने कर दिया ।

सन्जु का गुलाबी सुपाड़ा अपनी बहन की चूत के सामने एक दम से तैयार था। सन्जु ने अपनी कमर को थोडा उठा कर अपना सुपाड़ा चूत की दरार पर रख दिया ।

रीता: "ओह राजा । हाँ घुस्सा दे सन्जू । दबा कर अन्दर डाल दे इसे प्लीज़" सन्जु ने अपने हाथों से अपने शरीर को उपर उठा कर लण्ड को चूत पर दबा दिया।

"ओह सन्जु । हाँ ऐसे ही"

"लो दीदी।"

"आह। ओह सन्जु आराम से, प्लीज़ । आह सन्जु धीरे से।"

"लो दीदी। आआअह लो"

"हाय सन्जु बहुत मोटा है। आह ये तो मेरे बैंगन से दुगना मोटा है। ओफ़" सन्जु का सुपाड़ा रीता की टाईट चूत के छेद में चला गया था।

"सन्जु .... सन्जु ओह। रुक जा सन्जु मेरी फट जाएगी।"

सन्जु घबरा कर रुक गया। "दीदी बहुत दर्द हो रहा है क्या"

"हाँ सन्जु तेरा बहुत मोटा है।"

"आराम से धीरे धीरे कर।"

"ऐसे दीदी। ऐसे ठिक है न दीदी"

"हाँ सन्जु ... हाँ ऐसे ही धीरे-धीरे। लगता है पुरा चला गया, है न ।

"नही दीदी अभी ओर है। लो"

"ओह सन्जु और है। ऊउउच माँ"

"हाथ दीदी। बहुत टाईट है तुम्हारी"

"हाँ । ओ हाँ सन्जु तु बस अब प्यार से करना नही तो मेरी फट जाएगी"

"दीदी में आराम से ही तो कर रहा हु लो *

सन्जु अब अपनी कमर हिलाता हुआ रीता की चूत मारने लगा और रीता अपने भाई का लण्ड अपनी चूत में लेती हुई धीरे धीरे कराहने लगी।
Kamuk update
 
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