- 151
- 1,269
- 124
"आई दीदी। ओफ़ ओ दीदी"
सन्जु का लाल फूला हुआ सुपाड़ा गीलेपन के कारण चमक रहा था। अब रीता की चूत एक दम से गीली हो चुकी थी और चुदाई के लिए तैयार थी।
सन्जु रीता की चुत देखने के लिए आतुर था और उसने अपने एक हाथ को अपनी बहन के मम्मों से हटा कर उसकी चूत तक ले गया।
"ओफ़ सन्जु"
रीता ने मुँह घुमा कर दरवाजे की तरफ देखा, दरवाजा अन्दर से बन्द था पर रीता फ़िर भी एक बार ठीक से देख लेना चाहती थी। फ़िर रीता ने लाईट जला दी और अपनी स्कर्ट सन्जु के हाथ में देती हुई बोली चल देखले इसके नीचे। सन्जु ने नीचे झुक कर अपनी बहन की स्कर्ट उपर उठा दी और नीचे उसकी गरम गोरी जांघो के बीच में देखने लगा।
"ओह दीदी। ये "
"हाँ" सन्जु ले अपने हाथों से मेरी पैण्टी उत्तार कर देख ले, मेरी"
सन्जु रीता की कमर के सामने बैठ गया ओर रीता की पैण्टी को अपने हाथों से पकड़ कर नीचे सरका दिया ।
"दीदी। ओफ़ दीदी"
"अच्छी लगी न । अच्छी है न मेरी सन्जु "हाँ दीदी। ये तो उफ़ दीदी"
सन्जु अब आंखे फाड फाड कर अपनी बहन की नंगी चूत को देख रहा था। रीता ने सन्जु को पकड कर बिस्तर पर खींच लिया और फिर दोनो टांगो को खोल कर बिस्तर पर लेट गई। सन्जु के सामने उसकी बहन की फुली हुई चूत एक दम से खुल रखी थी। चूत का लम्बा सा छेद ऐसे लग रहा था जैसे चूत मुस्करा रही हो। I
सन्जु रीता की दोनो टांगो के बीच में झुक गया ओर चूत को अपने हाथ से मसल कर देखने लगा । रीता उफ़ उफ़ करती सन्जु को चोदने को कहने लगी।
सन्जु :दीदी तुम्हरी चूत बहुत प्यारी है।
रीता : चलो सन्जु पहले मुझे चोद लो फ़िर जी भर कर चूत से खेल लेना ।
सन्जू की आंखे अभी भी रीता की फूली हुई चूत पर जम रखी थी। रीता की मोटी जांघो के बीच में उसकी फूली हुई फुददी ओर फुददी के निचे गहरे भूरे रंग का गाण्ड का छेद, उसने अपने हाथ से चूत की गरम फांको को सहलाया।
"ओह सन्जु । ओह
रीता सन्जु का हाथ अपनी चूत पर लगते ही सीस्कने सी लगी। वो बार बार सन्जु को अपने उपर आ कर चोदने के लिए कह रही थी। "चोद न सन्जु । चल चढ़ जा मेरे उपर सन्जु।"
सन्जु चूत के नशे में सब कुछ भूल गया था और अपने हाथ को चूत की फैली हुई फांको पर दबाता हुआ उपर से नीचे तक रगडता जा रहा था। रीता की चूत सन्जु के हाथ से दब कर बार बार खुल जाती और अन्दर का गुलाबी भाग दिखाई दे जाता। सन्जु रीता के चुत के गुलाबी छेद से आती खुश्बू को सूंघ कर चूमना चाहता था। उसने अपना सर निचे उसकी गोरी मखमली जांघो के बीच घुसाया और चुत को चुम लिया। रीता की गुलाबी फुद्दी तमतमा कर लाल हो गई और मुँह सिसकी निकल गई। समय कम था, उमा और सरोज कभी भी दरवाजा खोलने के लिए बोल सकते थे।
सन्जु का लाल फूला हुआ सुपाड़ा गीलेपन के कारण चमक रहा था। अब रीता की चूत एक दम से गीली हो चुकी थी और चुदाई के लिए तैयार थी।
सन्जु रीता की चुत देखने के लिए आतुर था और उसने अपने एक हाथ को अपनी बहन के मम्मों से हटा कर उसकी चूत तक ले गया।
"ओफ़ सन्जु"
रीता ने मुँह घुमा कर दरवाजे की तरफ देखा, दरवाजा अन्दर से बन्द था पर रीता फ़िर भी एक बार ठीक से देख लेना चाहती थी। फ़िर रीता ने लाईट जला दी और अपनी स्कर्ट सन्जु के हाथ में देती हुई बोली चल देखले इसके नीचे। सन्जु ने नीचे झुक कर अपनी बहन की स्कर्ट उपर उठा दी और नीचे उसकी गरम गोरी जांघो के बीच में देखने लगा।
"ओह दीदी। ये "
"हाँ" सन्जु ले अपने हाथों से मेरी पैण्टी उत्तार कर देख ले, मेरी"
सन्जु रीता की कमर के सामने बैठ गया ओर रीता की पैण्टी को अपने हाथों से पकड़ कर नीचे सरका दिया ।
"दीदी। ओफ़ दीदी"
"अच्छी लगी न । अच्छी है न मेरी सन्जु "हाँ दीदी। ये तो उफ़ दीदी"
सन्जु अब आंखे फाड फाड कर अपनी बहन की नंगी चूत को देख रहा था। रीता ने सन्जु को पकड कर बिस्तर पर खींच लिया और फिर दोनो टांगो को खोल कर बिस्तर पर लेट गई। सन्जु के सामने उसकी बहन की फुली हुई चूत एक दम से खुल रखी थी। चूत का लम्बा सा छेद ऐसे लग रहा था जैसे चूत मुस्करा रही हो। I
सन्जु रीता की दोनो टांगो के बीच में झुक गया ओर चूत को अपने हाथ से मसल कर देखने लगा । रीता उफ़ उफ़ करती सन्जु को चोदने को कहने लगी।
सन्जु :दीदी तुम्हरी चूत बहुत प्यारी है।
रीता : चलो सन्जु पहले मुझे चोद लो फ़िर जी भर कर चूत से खेल लेना ।
सन्जू की आंखे अभी भी रीता की फूली हुई चूत पर जम रखी थी। रीता की मोटी जांघो के बीच में उसकी फूली हुई फुददी ओर फुददी के निचे गहरे भूरे रंग का गाण्ड का छेद, उसने अपने हाथ से चूत की गरम फांको को सहलाया।
"ओह सन्जु । ओह
रीता सन्जु का हाथ अपनी चूत पर लगते ही सीस्कने सी लगी। वो बार बार सन्जु को अपने उपर आ कर चोदने के लिए कह रही थी। "चोद न सन्जु । चल चढ़ जा मेरे उपर सन्जु।"
सन्जु चूत के नशे में सब कुछ भूल गया था और अपने हाथ को चूत की फैली हुई फांको पर दबाता हुआ उपर से नीचे तक रगडता जा रहा था। रीता की चूत सन्जु के हाथ से दब कर बार बार खुल जाती और अन्दर का गुलाबी भाग दिखाई दे जाता। सन्जु रीता के चुत के गुलाबी छेद से आती खुश्बू को सूंघ कर चूमना चाहता था। उसने अपना सर निचे उसकी गोरी मखमली जांघो के बीच घुसाया और चुत को चुम लिया। रीता की गुलाबी फुद्दी तमतमा कर लाल हो गई और मुँह सिसकी निकल गई। समय कम था, उमा और सरोज कभी भी दरवाजा खोलने के लिए बोल सकते थे।