Update 16
अंतिम कुर्सी के पास आती है। फिर अंतिम अपने भैय्या से कहती है कि मेरी सज़ा सुनने के बाद क्या पता आपको...। बोलकर वो नीलेश की ऊपर ही बैठ जाती है। अब उनकी स्थिती कुछ इस तरह की हो जाती है।
अंतिम नीलेश के होंठ पर अपने होंठ रख कर धीरे-धीरे चूमने लगती हैं और नीलेश भी उसका साथ देने लगता है। दोनों ही होंठो को पहले बहुत प्यार से चूसते है और फिर बहुत ही उत्तेजक तरीके से चूसने और काटने लगते, मानो जैसे एक दूसरे के होंठो को खा ही जायेंगे।
नीलेश अपने दोनों हाथ अंतिम के चूतड़ों पर ले जाकर उसे सहलाने लगता है। नीलेश का एक हाथ अंतिम अपने चूतड़ से हटाकर अपने एक उभार (स्तन) पर रख देती है। नीलेश भी अंतिम कि इच्छा समझ जाता है और उसके उभार को दबाने और मसलने लगता है। कुछ देर दोनों इसी तरह एक दूसरे को प्यार करते रहते है।
जैसे ही अंतिम को नीलेश के लंड के कड़क होने का एहसास अपने चूत पर हुआ। वो अपनी कमर हिलाने लगती है जिससे नीलेश का लंड अंतिम कि चूत पर रगड़ खा रहा था, लेकिन दोनों ने अभी कपड़े पहन रखे थे।
नीलेश धीरे से अंतिम का गाऊन उतार देता है और उसकी ब्रा भी खोल देता है। अंतिम केवल पैंटी पहने थी, जबकि नीलेश ने पूरे कपड़े पहन रखे थे।
नीलेश उसके एक उभार को मुंह में लेकर चूसने लगता है और एक हाथ से दूसरे उभार को सहला रहा था और दूसरे हाथ से उसका एक चूतड़ सहला रहा था।
अंतिम भी अपने एक हाथ से उसके सिर को पकड़ कर अपने उभार पर दबा रही थी।
करीब दस मिनट तक अंतिम के स्तनों को चूसने के बाद अंतिम को वो वहीं डायनिंग टेबल पर लेटा देता है और उसकी पैंटी भी निकाल देता है और उसकी चूत पर मुंह रखकर उसे चाटने और चूसने लगता है। अंतिम को भी नीलेश के द्वारा अपनी चूत चूसने से मजा आने लगा और उसके मुख से सिसकारियां निकलने लगीं।
कुछ देर कि चुसाई से ही अंतिम उत्तेजित होने लगती है और नीलेश को उसकी चुदाई करने का कहने लगती है।
नीलेश भी अब चुदाई करने के मूड में आ गया। उसने अपनी पैन्ट अंडरवियर के सहित नीचे कर दी और अपने लंड को हाथ में पकड़ कर उसे चूत के छेद पर टिका कर एक धक्का लगा देता है।
नीलेश धीरे-धीरे धक्के लगाने लगा और अपनी बहन की चुदाई करने लगा। अंतिम भी अपने भाई का लंड अपनी चूत के अंदर तक महसूस कर रही थी और उत्तेजनावश अपने उभार को दबाने और मसलने लगी।
नीलेश अपने धक्कों की गति बढ़ा देता है और अपनी बहन की एक दमदार चुदाई करता है। इससे अंतिम कि चूत अपना पानी छोड़ने लगी और जब नीलेश को अंतिम कि चूत का पानी अपने लंड पर महसूस होता है तो वह और जोर से धक्के लगाने लगा। करीब पांच से सात मिनट बाद नीलेश के लंड ने भी जवाब दे दिया और सारा वीर्य चूत में ही डाल दिया।
दोनों भाई-बहन इस चुदाई से पूरे पसीने से लथपथ हो गए।
नीलेश वापस कुर्सी पर बैठ जाता है और अंतिम वहीं डायनिंग टेबल पर लेटी रहती है। कुछ देर तक दोनों ऐसे ही बैठे और लेटे रहते है।
फिर अंतिम अपनी जगह पर ही बैठ जाती है और नीलेश को देखकर कहती है कि भैय्या आपकी सज़ा यह है कि अब आप मेरे साथ सेक्स वाला प्यार कभी नहीं कर सकते है।
अंतिम कि बात सुनकर नीलेश आश्चर्य से उसे देखने लगता है। वो सोच भी नहीं सकता था कि अंतिम उसे यह सज़ा देगी।
नीलेश : यदि तुम्हें मुझे यही सज़ा देनी थी तो तुमने अभी मेरे साथ फिर ये सब क्यों किया ?
अंतिम : वो तो आपको मेरी बात मानने का ईनाम दिया।
नीलेश : पायल, ये तो बहुत बड़ी सज़ा है।
अंतिम : भैय्या, ये तो आपको मेरे साथ वो सब करने से पहले सोचना चाहिए था। अब आपकी यही सज़ा है।
नीलेश : पायल, कुछ तो रहम करो अपने भाई पर, पहले तुमने ही मुझे उसके लिए उकसाया था और अब मुझ पर बंदिशें लगा रही हो।
अंतिम : भैय्या, मैं खुद ही आप पर पाबंदी नहीं लगाना चाहती हूं, लेकिन आपको सज़ा देना भी ज़रूरी है। वो इसलिए पहले मेरे साथ वो सब किया और बाद में मुझे पूरा दिन इंतज़ार भी करवाया।
नीलेश : पायल, लेकिन ये सज़ा तो इतनी सी बात के लिए बहुत ज्यादा है, कुछ तो रहम करो।
अंतिम : ठीक है, मैं आपकी सज़ा को बदल सकती हूं, लेकिन ये नई सज़ा आपको माननी ही पड़ेगी। आपको मेरी कसम है कि आप मेरी नई सज़ा को मानेंगे।
नीलेश कुछ देर सोचता है।
अंतिम : क्या हुआ भैय्या आप किस सोच में पड़ गए ?
नीलेश : ठीक है।
अंतिम : भैय्या, आपकी नई सज़ा यह है कि आप मेरे साथ सेक्स वाला प्यार बिना मेरी मर्जी के नहीं कर सकते हैं और यदि आपने कुछ भी मेरी मर्जी के बिना किया तो मैं आपसे कभी भी बात नहीं करूंगी। (एक कातिलाना मुस्कान के साथ)
अंतिम के जाल में नीलेश पूरी तरह से फंस गया था और अब वो अंतिम को इस सज़ा के लिए मना भी नहीं कर सकता है, क्योंकि अंतिम ने उसे अपनी कसम दी थी।
नीलेश : पायल, तुमने जो सज़ा सुनाई है वो भी मुझे मंजूर नहीं, लेकिन तुम्हारी कसम की वजह से इस मान रहा हूं।
अंतिम : भैय्या, मैं ये बात जानती थी कि ये सज़ा भी आप नहीं मानोगे, इसलिए ही मैंने आपको कसम दी। (एक मुस्कान के साथ)
नीलेश : ये ग़लत बात है। (थोड़ा नाराज़गी जताते हुए।)
अंतिम : भैय्या, नाराज़ होने से कुछ नहीं होने वाला। अब आप जाइए अपने रूम में और सो जाएं। शुभ रात्रि!
नीलेश : मेरी प्यारी बहन, मैं तुम्हें अभी और प्यार करना चाहता हूं।
अंतिम : माफ करना, लेकिन अभी आपके लिए कुछ भी नहीं कर सकती हूं।
नीलेश : बस, आज एक बार फिर मैं तुम्हें कभी भी इसके लिए नहीं कहूंगा। जब तुम कहोगी तब ही तुम्हें प्यार करूंगा और वैसे भी हमारे पास आज की रात है। कल तो वैभव भी आ जायेगा।
अंतिम : भैय्या, आपके लिए तो जान भी हाजिर है, लेकिन अभी में यह नहीं कर सकती हूं।
नीलेश : ठीक है, जैसी तुम्हारी मर्जी, मेरी प्यारी बहन!
नीलेश कुर्सी से उठकर अपनी पैंट सही करता है और अंतिम के पास जाता है। उसके गाल पर चूम कर उसे शुभ रात्रि! कहता है और अपने रूम में जाने लगता है।
अंतिम उसे रोकती है और उसके पास जाकर अपने होंठो को नीलेश के होंठो से भिड़ा देती है। दोनों जी भरकर पागलों की तरह एक दूसरे के होंठ चूसने लगते है।
अंतिम चुम्बन के साथ-साथ नीलेश के कपड़े भी उतारने लगती है। कुछ ही देर में नीलेश भी पूरा नंगा हो जाता है।
नीलेश के नंगा होने के बाद अंतिम उसके पूरे बदन पर चूमने लगती। कभी गले पर, कभी कंधे पर, कभी सीने पर और हर जगह जहां वो खड़े-खड़े चूम सकती थी। करीब दस से पंद्रह मिनट तक दोनों केवल एक दूसरे के बदन को चूमते और सहलाते रहे।
फिर नीलेश ने अंतिम को गोद में उठाया और अपने रूम में जाने लगा तो अंतिम ने धीरे से उसके कान में कुछ कहा और मुस्कुराई। नीलेश ने भी उसकी बात मानकर उसे हॉल में ले आया।
कहानी का कुछ किस्सा नीलेश की जुबानी-
हॉल में आते ही मैं पायल (अंतिम) को सोफे पर लेकर बैठ गया और फिर से उसके होंठो और जीभ का रसपान करने लगे। हम दोनों होंठो और जीभ को अच्छी तरह से बारी-बारी से चूस रहे थे।
मुझे तो अपनी बहन के होंठो का रस पीने बहुत ही मज़ा आ रहा था। पायल (अंतिम) भी मेरा पूरा साथ दे रही थी। मैंने उसके एक बोबे को पकड़ा और जोर से दबाने लगा।
पायल (अंतिम) के बूब्स को दबाना, मसलना और चूसना ही मेरी सबसे बड़ी ख्वाहिश थी। मैं हमेशा इन्हें अपने हाथों में पकड़ना चाहता था और वो दिन कल मिल ही गया। कल जब मैंने पहली बार पायल (अंतिम) के बूब्स को अपने हाथों में भरा तो मुझे तो जन्नत के जैसा महसूस हुआ था और मेरी मनचाही मुराद भी पूरी हो गई थी।
मेरे द्वारा पायल (अंतिम) के बोबे दबाने से उसे दर्द होने लगा पर वो मेरे होंठो में अपने होंठ होने से कुछ कह नहीं पाई, लेकिन वो मेरी आंखों में देख रही थी और जैसे मुझे रुकने का कह रही थी।
मैंने भी उसकी बात मानना ही उचित समझा नहीं तो फिर से गुस्सा ना हो जाएं, इसलिए मैंने उसके होंठो को आजाद कर दिया और बोबे को भी धीरे से दबाने और मसलने लगा।
मेरे होंठो से अपने होंठ अलग होते ही पायल(अंतिम) बोली, " भैय्या, मैंने आपसे कहा था कि बिना मेरी मर्जी के आप कुछ भी नहीं कर सकते है, लेकिन फिर भी आप अपनी मर्जी कर रहे हैं।"
वो मुझे याद ही नहीं रहा।
"ठीक है, लेकिन दोबारा ऐसा नहीं होना चाहिए। आपको कुछ भी करना है तो प्यार से कीजिए।"
"मैं आपकी बहन हूं, कोई रांड नहीं हूं।"
मुझे उसकी बात सही लगी। वो मेरी प्यारी बहन है और मैं उसके साथ एक रंडी जैसा व्यवहार कर रहा था। कल भी वो इसलिए ही मुझ पर गुस्सा हुई थी। बिना उसके बारे में सोचे सिर्फ अपने ही मर्जी का मालिक बना बैठा हूं।
" क्या सोचने लगे भैय्या ?"
तुम ठीक कहती हो, अब बड़े प्यार से सब करूंगा और जैसा तुम चाहोगी वैसा ही करूंगा।
"मेरे प्यारे भैय्या, चलो अब अपनी बहन को प्यार करो।"
जो हुकुम मेरी बहना!
मैंने फिर उसे सोफे पर लेकर लेट गया जिसे वो मेरे नीचे और मैं उसके ऊपर आ गया और उसके होंठो को चूसने लगा। कुछ देर होंठो को चूसने के बाद मैं उसके बूब्स को चूसने लगा। वो भी मेरे सिर में अपने हाथों को फिराने लगी।
मैं उसके बूब्स को चूसते समय उसके निप्पल को अपने दातों से दबा भी देता हूं जिसे उसके मुंह से एक दर्द भरी "आह" निकल जाती है।
अपनी बहन के बूब्स को चूसने के साथ अब एक हाथ मैंने उसकी चूत पर रखा और धीरे-धीरे उसको सहलाने लगा। जिससे वो बिन पानी मछली की तरह तड़फाने लगीं और उसके मुंह से सिसकारियां निकलने लगीं।
मैं बड़े प्यार से उसके बूब्स को चूसने में व्यस्त था। मेरा मन ही नहीं कर रहा था कि उनको छोङू, लेकिन मन मारकर मुझे उन्हें छोड़ना पड़ा।
फिर मैंने पायल (अंतिम) 69 की अवस्था में आने को कहा और फिर मैंने अपनी जीभ से चूत चाटने और चूसने लगा और बीच बीच में उसके गान्ड के छेद पर भी जीभ फिरा देता। कुछ देर बाद पायल (अंतिम) ने भी मेरा लंड मुंह में लेकर चूसने लगी। हम दोनों एक दूसरे के गुप्तांग को चूसने लगे।
करीब पांच मिनट तक चुसाई के बाद, मैं सोफे पर सीधा बैठा और पायल (अंतिम) को लंड चूसने को कहा तो उसने भी मेरी बात मानते हुए, एक हाथ से लंड को पकड़ उसे मुंह में लेकर बड़े प्यार से चूसने लगी।
करीब एक मिनट की चुसाई के बाद उसे गोद में बैठने को कहा। जब वो मेरी गोद में बैठने लगी तो मैंने अपने लंड को हाथ में लिया और उसके चूत के छेद पर लगा दिया। जैसे ही पायल (अंतिम) मेरी गोद में बैठी, मेरा पूरा लंड उसकी चूत में समा गया।
वो भी मुझ पर थोड़ा सा झुकी और मेरे होंठों को चूसने लगी। मैं भी अपने हाथ उसके बदन पर फिराने लगा और वो मेरे लंड पर ऊपर नीचे होने लगी। हम दोनों भाई बहन का चुदाई का दूसरा दौर शुरू हो गया।
कुछ मिनट इसी अवस्था में पायल को चोदने के बाद मैंने उसे कमर में दोनों हाथ डालकर जकड़ा और उसे ऐसी अवस्था में लेकर सोफे पर लेट गया। मेरे ऐसा करने से अब वो मेरे ऊपर आ गई और मैं उसके नीचे, इस दौरान मेरा लंड उसकी चूत में ही था। जब मैं सोफे पर लेटा तो मैंने अपने हाथ उसकी कमर से हटाकर उसके चूतड़ों को पकड़ा और पायल (अंतिम) को ऊपर नीचे करके तेजी से चोदने लगा।
मेरे तेजी से चोदने से पायल (अंतिम) भी जोर जोर से सिसकियां लेने लगी और गाली भी देने लगी।
" ज़ोर और ज़ोर से आआआआअह्हह्हह….ईईईईईईई…ओह्ह्ह्हह्ह…अई..अई..अई….अई"
" जोर से चोद बहनचोद!"
"आआआआअह्हह्हह जोर से चोद बहन के लौड़े!"
"बहनचोद!"
पायल (अंतिम) की इच्छा को पूरी करने के लिए और जोर से चोदने लगा और कहने लगा।
हां, मेरी बहन ले अपने भाई का लंड अपनी चूत में, क्या पता कब ये लंड फिर से तेरी चूत में जायेगा ?
अपने भाई का लंड अपनी चूत में लेकर कैसा लगा रहा है ?
"भैय्या, मन करता है कि आप मुझे इसी तरह चोदते रहे हैं।"
अच्छा!, पायल मुझे तुम्हारी गांड़ भी मारनी है।
"ठीक है, पहले मेरी चूत की गर्मी को शांत करिए।"
तो ये लो कहकर और जोर से उसे चोदने लगा। करीब दो से तीन मिनट में ही पायल (अंतिम) की चूत अपना रज (कामरस) छोड़ने लगी। जब पायल (अंतिम) की चूत अपना काम कर रही थी तो मैंने अपनी एक ऊंगली को उसके गान्ड के छेद में डालकर अंदर बाहर कि पायल (अंतिम) भी समझ गई कि अब उसकी गांड़ की बारी है। वो मुझे देख कर मुस्कुराई पर कुछ कहा नहीं।
फिर मैंने चूत से लंड बाहर निकाला और अपने हाथ में पकड़कर पायल (अंतिम) की गांड़ के सुराख पर लगा कर एक धक्का मारा। मेरा लंड पहले से पायल (अंतिम) के कामरस में भीगा हुआ था तो पूरा लंड उसकी गांड़ में चला गया।
मैंने पायल (अंतिम) के चेहरे को देखा तो वह मुझे देख मुस्कुरा रही थी। उसकी मुस्कान से मैं भी खुश हो गया और उसकी गांड़ मारने लगा। मेरा लंड उसकी गांड़ में किसी इंजन के पिस्टन की भांति अंदर बाहर हो रहा था।
करीब पांच मिनट में ही मेरी हालात पतली हो गई और मेरे लंड ने भी अपने हथियार डाल दिए। अपने अंडकोष में भरा सारा वीर्य बाहर निकाला दिया। कल रात की तरह आज भी मेरी बहन की गांड़ मेरे वीर्य से लबालब भर गई थी।
मैंने अपना लंड बाहर नहीं निकाला था और उसी अवस्था में अपनी बहन को अपनी बांहों में भर लिया।
पायल, तुमने आज भी मुझे खुश कर दिया। अब ना जाने कब ये सब फिर दोबारा करने को मिलेगा ?
"भैय्या, आप चिंता क्यों करते है, आपकी बहन जल्दी ही कोई ना कोई तरीका निकाल लेगी। फिर आप मुझे जी भर कर प्यार करना, लेकिन मेरी मर्जी से।" (मुस्कराते हुए...।)
पायल, अब तो तुमसे दूर जाने का मन ही नहीं हो रहा है।
"यदि आप मेरे पास रहेंगे तो भाभी का क्या होगा ?" ( मजाकिया अंदाज में)
अच्छा!, भाभी की बड़ी फ़िक्र हो रही है।
"जब भैय्या की फ़िक्र कर सकती हूं तो भाभी की क्यों नहीं करूं।"
(मुस्कान के साथ)
"भैय्या, मेरे साथ आपको मजा आया या भाभी के साथ मजा आता है।" (मजाकिया अंदाज में)
सपना भी मुझे तुम्हारे जैसा ही मजा देती है और कुछ ज्यादा ही, लेकिन अब पहले जैसी बात नहीं रही। वो अब बस परिवार की देखभाल में ही व्यस्त रहती है और कभी-कभार ही मेरे साथ सेक्स करती हैं।
"पहले जैसी बात नहीं रही से आपका क्या मतलब है भैय्या ?"
तुम्हारी भाभी एक मार्डन ख्यालों वाली लड़की थी। उसे अलग-अलग तरह से सेक्स करना पसंद था, लेकिन बच्चों के होने के बाद वो उनकी परवरिश में ही अपना ध्यान देने लगी।
"अच्छा!, यानी कि मेरी भाभी ने भी आपको भरपूर प्यार दिया।"
हां, ये तो सच है। मैं खुशनसीब भी हूं जो सपना जैसी इतनी अच्छी और प्यार करने वाली बीवी मुझे मिली, इसलिए ही मैं सपना पर कभी भी सेक्स करने के लिए दबाव नहीं बनाता हूं, जब उसकी मर्जी होती है वो खुद ही मेरे साथ सेक्स कर लेती है।
"भैय्या, भाभी को किस प्रकार का सेक्स करना अच्छा लगता है ?"
तुम्हारी भाभी को मेरे साथ रफ सेक्स करना अच्छा लगता है।
"तभी आप मेरे साथ भी रफ सेक्स करने लगते हैं।" (मजाकिया अंदाज में)
पायल, तुम्हारी मजाक करने की आदत अभी भी कायम है।
कुछ देर बात करने के बाद पायल बोली, "भैय्या, अब हम रूम में चलकर सोते है, यहां ऐसे सो नहीं सकते है।"
मैंने कहा, "ठीक है।"
पायल मेरे ऊपर से उठी तो मेरा लंड जो उसकी गांड़ में था। बाहर आ गया और उस पर मेरा वीर्य भी लगा था।
मेरा लंड देख पायल बोली, "भैय्या, आप मेरे रूम में जाइए और अपने आप को साफ कीजिए। मैं आती हूं।"
पायल, अब इतनी रात को क्या काम है तुम्हें ?
"भैय्या, हमारे कपड़े डायनिंग रूम में ही पड़े है, यदि सुबह दक्ष जल्दी उठ गया और उसने देख लिया तो।
फिर में पायल (अंतिम) के रूम में गया और बाथरूम में जाकर अपने लंड पर लगे वीर्य को साफ किया। फिर पलंग पर आकर लेट गया।
थोड़ी देर में पायल (अंतिम) भी रूम में आ गई और सीधे बाथरूम में चली गई।
बाथरूम से आकर मुझसे लिपट गई और मेरे होंठों को चूमा और "शुभ रात्रि!" बोलकर सोने लगी।
मैंने भी उसके माथे पर चूमकर उसे शुभ रात्रि! कहा।
फिर क्या पता हम कब रात्रि के आगोश में समा गए।