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Sweet_Sinner

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Update 14


आगे की कहानी कुछ किस्सा अंतिम (नीलेश की बहन) कि जुबानी -



मैं, भैय्या के होंठो को चूसे जा रही थी और इसमें भैय्या भी मेरा पूरा साथ दे रहे थे, ऐसे ही हम चुम्बन करते रहे जबतक एक दूसरे को सांस लेने में दिक्कत ना होती। फिर सांस लेने के बाद फिर हम एक-दूसरे होंठो को चूसने लगते।


भैय्या के होंठो को चूसने में इतना आनंद आ रहा है कि मैं उनके होंठो को छोड़ना ही नहीं चाहती, लेकिन सांस लेने के बीच-बीच में मुझे रुकना पड़ता। मेरे द्वारा चुम्बन किए जाने से भैय्या के शरीर में उत्तेजना बढ़ने लगी, इसका आभास मुझे तब हुआ जब भैय्या के लन्ड ने मेरे योनि के आसपास रगड़ खा रहा था। हम दोनों अभी कपड़ों में थे, लेकिन भैय्या के लन्ड का पूरी तरह आभास हो रहा था।


मुझे और भैय्या को पता ही नहीं चला कि हम कितनी देर से एक दूसरे के होंठो का रसपान किए जा रहें। मैंने अब आगे बढ़ने की सोची और भैय्या के हाथों को अपने चूतड़ों पर रख दिया, जैसे ही उनके हाथ मेरे चूतड़ों पर पड़े वो उन्हें सहलाने लगे। इस दौरान हमारा चुम्बन जारी था। भैय्या के द्वारा मेरे चूतड़ों को सहलाने से मेरे शरीर में भी काम अग्नि भड़कने लगी।


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मैंने चुम्बन तोड़ा और भैय्या के हाथ भी मेरे चूतड़ों से हट गए। मैंने, भैय्या की तरफ देखा वो कुछ सोच रहे थे, मैं उनके ऊपर से नहीं हटी। कुछ देर बाद मैंने भैय्या का एक हाथ अपने हाथ में लेकर अपने एक उभार (स्तन) पर रख दिया, कपड़ों के ऊपर से भी मेरे उभार (स्तन) का आभास भैय्या को हो गया। वो कुछ बोलने वाले थे, लेकिन उसके पहले ही भैय्या के हाथ पर मेरा हाथ था तो मैंने उसे जोर से दबा दिया। जिसके कारण मेरे मुंह से एक "आह्हहह" निकल गई।


मेरी इस हरकत से भैय्या गुस्सा हो गए और मुझे अपने ऊपर से हटाकर बाहर जाने लगे। मैंने उनका हाथ पकड़ कर उन्हें रोका, वो बोले मैंने तुम्हें प्यार करने का कहा था, लेकिन तुमने मेरी बात नहीं मानी।


भैय्या, मैं तो आप को प्यार ही कर रही हूं।


"पायल, हमने प्यार में सिर्फ चुम्बन ही किया था, ये सब कभी नहीं किया था।"


भैय्या, मैं जानती हूं कि हमनें सिर्फ चुम्बन ही किया था, लेकिन हम आगे बढ़ते उसके पहले ही हम अलग हो गए।


"पायल, ये ग़लत है हमें चुम्बन के आगे नहीं बढ़ सकते है और ये भी सिर्फ तुम्हारी खुशी के लिए कर रहा हूं।"


भैय्या, आप मेरी आंखो में देखकर कहो कि आप कभी मुझे पूरा प्यार नहीं करना चाहते थे, सिर्फ चुम्बन ही करना चाहते थे।


"पायल, मैं सिर्फ चुम्बन ही करना चाहता था"


भैय्या, ये बात आप मेरी आंखों में देखकर कहो।


"पायल, मैं सिर्फ ....." (अंतिम कि आंखों में देखते हुए।)


क्या हुआ ? नहीं कह सकते आप मैं जानती हूं कि आप भी मुझे प्यार करना चाहते थे, लेकिन किस्मत के कारण नहीं कर सके। आज किस्तम ने आपको और मुझे मौका दिया है फिर भी आप अपनी किस्मत से मुंह मोड़ कर भागना चाहते है।


"हां, मानता हूं कि मैं भी तुम्हें प्यार करना चाहता था, लेकिन
अब ये ग़लत होगा।"


मुझे कोई परवाह नहीं कि क्या सही है ? और क्या ग़लत है ?
मैं सिर्फ आपके साथ प्यार के पल बिताना चाहती हूं।


मैं अपना नाइट गाऊन उतार कर भैय्या से चिपककर उनके होंठो को चूसने ने लगती हूं, थोड़ी देर बाद भैय्या भी मेरे होठों को चूसने लगते है। ये चुम्बन इतना लम्बा चला की मुझे लगा कि यदि चुम्बन नहीं टूटा तो जान ही निकल जायेगी।


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भैय्या को एहसाह हुआ कि मुझे सांस लेने में ज्यादा तकलीफ़ हो रही है तो उन्होंने अपने होंठो की पकड़ ढीली कर दी। जिसे मैं उनके होंठो से अलग होकर अपनी उखड़ती सांसों को सम्हाला।


कुछ पल बाद ही भैय्या ने फिर से मेरे होंठो को अपने होंठों से जकड़ा और चूसने लगे। इस बार उन्होंने अपने हाथ मेरे पीछे ले जाकर मेरे चूतड़ों पर रख दिए और मुझे अपनी तरफ खींच लिया।


भैय्या, अब मेरे होठों को चूसने के साथ मेरे चूतड़ों को भी सहला रहे थे। उनका लन्ड भी लोअर में खड़ा हो चुका था, जो मेरे योनि के ऊपर अपनी उपस्तिथि दर्ज करा रहा था।


मैं भी उत्तेजना में उत्तेजित होकर अपना हाथ भैय्या के लोअर में खड़े लन्ड पर ले जाकर सहलाने लगी।

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मेरी इस हरकत से भैय्या और जोर से मेरे चूतड़ों को सहलाने और दबाने लगे। चुम्बन अब रुक चुका था, लेकिन भैय्या मेरे गर्दन पर अपने होंठ फेरा रहें थे। कुछ देर ऐसे ही एक दूसरे के अंगों को सहलाने के बाद हम दोनों भाई-बहन
अलग हुए।


( मैं आपको अपने शरीर के बारे में बता देती हूं, मेरा रंग ना गोरा। ना ही सांवला। गेहुंआ रंग कह सकते है। चेहरा सामान्य है, लेकिन पतले व उभरे हुए होठों और बड़ी-बड़ी आंखो कि वजह से अच्छा लगता है। मेरे स्तन मध्यम आकर के है, लेकिन गोलाकार और थोड़े कड़क है। मेरा शरीर थोड़ा भरा हुआ है जो किसी भी औरत की सुंदरता को और निखार देता है, मेरे शरीर का सबसे अच्छा अंग मेरे उभरे और घुमावदार चूतड़ है।)


हमारे अलग होते ही मैंने भैय्या की तरफ देखा तो वो मुझे ही देखे जा रहें थे। इस वक़्त में सिर्फ नीले रंग की ब्रा और पैंटी खड़ी थी। भैय्या, मुझे घुरे जा रहे थे।


मैंने, उनसे मुझे ऐसे घूरने का कारण पूछा ? (मुस्कुराते हुए)


"मेरी प्यारी बहन, मुझे नहीं पता था कि तुम इतनी सुंदर हो।" (मुस्कुराते हुए...)


भैय्या, मुझमें आप को ऐसा क्या सुंदर दिख गया ? (शरारती अंदाज में..)


"अभी बताता हूं।" (मेरे पास आ गए)


भैय्या, मेरे अंगों को छूते हुए, मुझे बताने लगे।


"तुम्हारे ये काले लंबे लहराते बाल। ये बड़ी-बड़ी नशीली आंखे। तुम्हारे ये सुर्ख रसीले होंठ। तुम्हारे ये दोनों शानदार उभार (स्तन)। ये गोल गहरी नाभि। ये बलखाती कमर।"


भैय्या, और ?


"तुम्हारे ये उभरे गुदाज चूतड़।" ( दोनों हाथों से मसलते हुए )


और ? (कामुकता भरे स्वर में...!)


"बाकी का अभी देखा कहां है; पहले देख लूं। फिर बताऊंगा।" ( उसकी तरफ देखरकर मुस्कुराते हुए..)


भैय्या अपनी टी शर्ट और लोअर उतारकर, मुझसे चिपकते हुए खड़े हो गए। फिर मेरा चेहरा अपने हाथों में लेकर अपनी जीभ निकाल कर मेरे पूरे चेहरे पर फिराने लगे, पूरे चेहरे पर जीभ फेरने के बाद वो जीभ मेरे होंठो पर रख उसे रगड़ने लगे।


भैय्या क्या चाहते है यह मैं समझ गई और अपने होंठ खोल दिए। जैसे ही मेरे होंठ खुले भैय्या ने अपनी जीभ मेरे मुंह में डाल दी, मैं भी उनकी जीभ चूसने लगी। कुछ देर चूसने के बाद मैंने भी अपनी जीभ निकाल के भैय्या के मुंह में डालने लगी, भैय्या भी मेरी जीभ चूसने लगे। दोनों जीभ आपस में लड़ रही थी, करीब पांच से छ: मिनट तक हम भाई-बहन ऐसे ही जीभ चुसाई करते रहे।


फिर भैय्या ने मुझे घुमाया जिससे मेरे पीठ उनके सामने आ गई। पीछे से मेरी ब्रा का हुक खोला और अपने दोनों हाथ आगे लाकर मेरी ब्रा निकाल दी, फिर दोनों हाथों के पंजो को मेरे स्तनों पर रखकर उन्हें जोर से दबाने और मसलने लगे। जिसे मेरे मुंह से आह्ह्हह्ह निकलने लगी।


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भैय्या, आह्ह्हह्ह..आह्हह..!
प्लीज़, धीरे-धीरे दबाओ दर्द हो रहा है।


"बहना, अभी तो शुरुआत है"


भैय्या, आह्ह्हह्ह..आह्हह...!!
नहीं.....आह्ह...न...आहहह...


आह्ह्हह्ह..आह्हह... बस आह्ह...न


प्लीज़ भैय्या, अब मत दबाओ बहुत दर्द हो रहा है।


"बहना, तेरे बूब्स इतने मस्त है कि इन्हें छोड़ने का मन ही नहीं कर रहा।" कह कर और ज़ोर से दबाने लगे।


बस आह्ह...न


नहीं.....आह्ह...न...आहहह...


आह्ह...आ..बस करो....आह्हह...


आह्ह्हह्ह..आह्हह..!! छोड़ बहनचोद.. !


"क्या कहा ?" (उभार (स्तन) दबाना रोक देते है।)


देखिए आपने मेरे स्तनों का क्या हाल किया है, पूरे लाल हो गए है। (अपने दोनों उभार (स्तन) को देखते हुए..।)


आप बहुत बुरे है मेरे मना करने के बाद भी जोर-जोर से दबा रहे थे।


"क्या करूं तुम्हारे बूब्स बड़े ही मस्त है इन्हें दबाने में इतना मज़ा आ रहा है तो चूसने में कितना आएगा।"


कुछ देर पहले तो आप कह रह थे, "ये ग़लत है"।
(हंसते हुए कहती हूं)


"मुझे नहीं पता था कि बहन के साथ ये सब करने में इतना मज़ा आता है, इसलिए कह रहा था।"


भैय्या ने फिर मुझे अपनी तरफ घुमाया और खुद दूर होकर मेरे बदन को ऊपर से नीचे तक निहारने लगे, फिर उनकी नज़र मेरी पैंटी पर गई। जो कि मेरे योनि से निकले रज (कामरस) से भीग गई थी।


फिर भैय्या बोले, "बहना, तेरी चूत तो सिर्फ चुम्बन और बूब्स को दबाने व मसलने से बहने लगी। लगता है कि मेरी बहन की चूत बहुत प्यासी है; कोई नहीं आज इसकी सारी प्यास बुझा दूंगा।"


फिर भाई आगे आए, मेरे एक स्तन को अपने हाथ से पकड़ा और मेरे भूरे रंग के निप्पल के आसपास अपनी जीभ फिराने लगे, कभी-कभी निप्पल पर भी फिरा देते। ऐसे ही कुछ देर जीभ फिराने के बाद भैय्या ने दूसरे स्तन के निप्पल के आसपास अपनी जीभ कुछ देर फिराई। इस दौरान मैं भी उनके बालों में अपने हाथ घुमा रही थी।


भैय्या अब मेरे स्तन को को मुंह में भरकर चूसने लगे, पहले धीरे-धीरे चूसते रहे। फिर अपनी चूसने कि गति बड़ा दी और साथ ही मेरे चूतड़ों को भी सहला रहे थे, जिससे मेरे मुंह से भी सिसकियां निकलने लगी और भैय्या के सर को कभी-कभी अपने स्तन पर दबा देती।


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भैय्या ने धीरे से एक हाथ पैंटी में डालकर मेरी चूत को सहलाने लगे, साथ ही स्तन भी चूसना जारी रखा। इस दोहरे हमले से मेरी सिसकियां तेज हो गई, कुछ देर बाद मेरा बदन अकड़ने लगा और मेरे बदन ने जवाब दे दिया। एक तेज झटके के साथ झर-झर करके झड़ने लगी, इस कारण अब मेरा अपने पैरो पर खड़ा रहना भी मुश्किल हो रहा था।


मेरे झड़ने के बाद भैय्या ने अपना हाथ बाहर निकाला, जो कि मेरे रज (कामरस) से भीग चुका था। उन्होंने उसे हाथ से सारा रज (कामरस) मेरे एक स्तन पर मल दिया और उसे चूसने लगे। अब मुझमें ज्यादा देर खड़े रहने की हिम्मत नहीं थी, तो भैय्या को बोलना पड़ा।


भैय्या, पलंग पर चलते है अब। मेरे इतना कहते ही मुझे गोद में उठा के पलंग पर लेटा दिया और वे भी मेरे साथ लेटे गए।


भैय्या की तरफ देख कहा, आज पहली बार बिना चुदाई के दो बार झड़ी हूं, इसलिए खड़े रहना मुश्किल हो रहा था।


"कोई बात नही, अब थोड़ा आराम कर लो"


मेरी नज़र जब भैय्या के अंडरवियर पर गई, तो उनका लन्ड पूरी तरह से कड़क हो चुका था।


भैय्या, यदि मैंने आराम किया, तो आपका वो कैसे शांत होगा ? (उनके लन्ड की तरफ इशारा करते हुए।)


"पायल, तुम अभी आराम कर लो, वो खुद ही शांत हो जायेगा।"


मैं झट से पलंग पर बैठ गई और भैय्या के अंडरवियर को थोड़ा नीचे कर दिया। जब मैंने भैय्या का लन्ड देखा तो वह किसी लंबे झुके खजूर के पेड़ की तरह खड़ा था। मेरी इस हरकत से भैय्या मुझे देखकर बोले, "मैंने तुम्हें आराम करने का बोला है ना।"


भैय्या, पहले आपके इस शैतान को आराम करवा देती हूं, फिर आराम कर लूंगी। (मुस्कुराते हुए...)


भैय्या के लन्ड को जैसे ही मैंने एक हाथ से पकड़ा वैसे ही लन्ड ने एक झटका खाया और भैय्या के मुंह से धीरे से "आह" निकल गई। फिर मैं अपने हाथ से पहले धीरे-धीरे मुठ मारने लगी।


मैं भैय्या की तरफ देखकर ही उनके लन्ड को हिला रही थी। मेरे द्वारा ऐसा करने से भैय्या ने अपनी आंखें बन्द कर ली और उनके चेहरे पर एक अलग ही प्रकार की खुशी झलक रही थी, शायद उन्हें बहुत मज़ा आ रहा था।


फिर भी मुझे पता नहीं था कि भैय्या अभी कैसा अनुभव कर रहे थे, लेकिन मेरा तो रोम-रोम खिल रहा था। इसकी वजह यह थी कि मैं हमेशा से नीलेश भैय्या के साथ प्यार या सेक्स करना चाहती थी और आज अपने हाथ से उनके लन्ड को पकड़कर मुठ मार रही थी।


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अब मैंने मुठ मारने कि गति थोड़ी तेज कर दी, क़रीब पांच मिनट के बाद भैय्या ने कहा, "पायल, तेज और तेज मेरा निकलने वाला"।


मैंने मुठ मारने कि गति बढ़ा दी और कुछ ही पलों में भैय्या के मुंह से सिसक के साथ लन्ड का ज्वालामुखी फूट पड़ा उसके साथ ही वीर्य रूपी लावा बाहर निकलने लगा। मेरा पूरा हाथ उनके वीर्य से पूरा सराबोर हो गया और कुछ वीर्य उनके पेट व जांघों के आसपास गिरा।


मैंने पलंग पर बिछी चादर के एक कोने से अपने हाथ व भैय्या के शरीर लगे वीर्य को साफ़ किया और फिर भैय्या के सीने पर सिर रखकर लेट गई।


भैय्या, आपको मेरा ये करना कैसा लगा ? (भैय्या के चेहरे के आने वाले भाव को जानने के लिए पूछा।)


"पायल, बता नहीं सकता कि मुझे कितना आनंद आया, इतना आनंद तो मुझे तुम्हारी भाभी के हाथों से भी नहीं मिला।" (मेरे सिर को अपने एक हाथ सहलाते हुए)


"पायल, आज तुमने मेरी कई सालों पहले की इच्छा को पूरा कर दिया, मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि ये इच्छा पूरी भी हो सकती है। शुक्रिया! मेरी प्यारी बहन!"


भैय्या, आज मैंने आपकी हर इच्छा पूरी करूंगी। (भैय्या के सीने को चूमते हुए बोली)


भैय्या ने मुझे अपनी बांहों में भर लिया और मैं भी उनकी बाहों में समा गई।


करीब बीस मिनट तक हम भाई-बहन ऐसे ही एक-दूसरे से लिपट कर आराम किया। फिर भैय्या से अलग होकर उनसे बोली।


भैय्या, अब बाकी इच्छा भी पूरी कर लीजिए। (शरारती मुस्कान के साथ...)


भैय्या ने मुझे अपने तरफ खींचा जिससे में उनके ऊपर आ गई और , मेरे होंठो को चूसने लगे, मैं भी उनका पूरा साथ दे रही थी। ऐसे ही चुम्बन करते हुए, उन्होंने मुझे पलटी मारकर नीचे कर दिया और खुद मेरे ऊपर आ गए।


कुछ देर तक होंठो को चूमने व चूसने के बाद वो नीचे की तरफ आ कर मेरे स्तनों को दबाने, मसलने और चूसने लगे। एक-दो मिनट के बाद, वे नीचे सरक कर मेरी नाभि के पास अपना चेहरा रोका और अपनी जीभ निकाल कर नाभि के छेद के आसपास गोल घुमाने लगे।


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भैय्या के ऐसा करने से मुझे भी बहुत अच्छा लगा रहा था, लेकिन फिर भैय्या ने जीभ नाभि में डालकर चाटने और चूसने लगे। जिससे मेरा मज़ा और बढ़ गया।


मेरे पति ने भी कभी ऐसा नहीं किया था, लेकिन आज भैय्या के साथ में उस आनंद को महसूस कर रही थी।


थोड़ी देर बाद भैय्या पलंग से उतरकर अपना अंडरवियर निकाल के पलंग के सामने की तरफ खड़े हो गए और मुझे पैरों से पकड़कर अपनी तरफ खींचा जब मेरे चूतड़ पलंग के कोने के पास आए, तब भैय्या रुके और अपने हाथ आगे लाकर मेरी पैंटी उतार दी।


फिर घुटनों के बल ज़मीन पर बैठकर मेरी दोनों पैरों को चौड़ा कर दिया। जिससे मेरी योनि उनके चेहरे के सामने आ गई, फिर अपने हाथ से योनि का छूकर उसका अच्छे से मुयाना करने लगे और साथ ही उसे अंगूठे से धीरे-धीरे से सहला भी रहे थे। अचानक से अपना अंगूठा चूत के अन्दर डाल दिया।


"पायल, तुम्हारी चूत बड़ी प्यारी है ऐसा लग रहा है कि ये किसी जवान लड़की की चूत है।"


"मेरा मन तो इसे के चख के देखने का कर रहा है।"
(मेरी तरफ देखकर बोले)


तो देख लीजिए, मैंने कब मना किया। ( उनको देखते हुए..)


भैय्या ने अपनी जीभ निकाली और मेरी चूत पर जीभ फिराने लगे...जैसे ही भैय्या ने अपनी जीभ मेरी चूत के दाने (क्लाइटोरिस) पर फिराई जिससे मैं एक रोमांच भरे स्वर मे सिसक उठी....''आह्ह्हह्ह.....येसस्स्.......''


फिर मेरी उभरी हुई चूत की बाहरी पंखुड़ी को मुँह में भरकर धीरे-धीरे चूसने लगे और बीच-बीच में अपनी जीभ को मेरी चूत के अंदर भी फिरा देते, कुछ देर धीरे चूसने के बाद वो तेजी से चूसने लगे साथ ही अब एक हाथ से चूत के दाने (क्लाइटोरिस) को भी सहलाने लगे।


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भैय्या के इस तरह से मेरी चूत के साथ खेलने से मेरा शरीर भी बिस्तर पर मचलने लगी और पलंग की चादर को अपने हाथों में पकड़ लिया।


अब मेरा भी सब्र का बांध टूटने लगा, मैंने भैय्या के सिर पर दोनों हाथ रखकर उनके सिर को पकड़कर ऊपर खींचकर और भैय्या के चेहरे तरफ देखकर कहने लगी अब बर्दाश्त नहीं हो रहा..जल्दी से अपनी बहन कि चूत की प्यास बुझा दो, अपना लन्ड डालकर मुझे चोदो.... भैय्या! मुझे चोदो!


मेरी बात सुनकर भैय्या खड़े हो गए, लेकिन उनके महाराज! अभी पूरी तरह से खड़े नहीं थे।


मैं अब पलंग पर कुतिया कि स्थिती में आई और भैय्या की चेहरे की ओर देखा, भैय्या भी मेरे चेहरे को देख रहे थे। जैसे कुछ कहना चाह रहे हो।


मैं समझ गई कि वो क्या कहना चाहते हैं। मैंने अपने एक हाथ से भैय्या का लन्ड पकड़ लिया और धीरे-धीरे से सहलाने लगी, कुछ देर बाद अपना मुंह आगे कर पहले उसके सूपड़े पर जीभ फिराई, फिर पूरे लन्ड पर जीभ फिराई।


फिर अपना मुंह खोल के लन्ड अंदर ले लिया और फिर उसे अंदर बाहर करते हुए चूसने लगी। मेरे इस तरह लन्ड चूसने से भैय्या का लन्ड कड़क होने लगा।


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भैय्या भी जोश में आकर मेरा सिर पकड़कर लन्ड पर दबाने लगे, लेकिन मैं यह नहीं चाहती थी कि भैय्या फिर से झड़ जाएं।


इसलिए मैंने भैय्या लन्ड चूसना बंद कर दिया, लेकिन भैय्या ने मेरे सिर को पकड़कर मेरे मुंह में झटके मारने लगे या यूं कहें कि मेरे मुंह को चोदने लगे।


फिर मैंने भैय्या को ज़ोर से धक्का देकर अपने से अलग किया। जब भैय्या अलग हुए तो उन्हें अपनी गलती का एहसास हुआ कि वो अभी क्या करने लगे थे।


"पायल, मुझे माफ़ कर दो।"


"वो मैं जोश में आकर भूल गया कि तुम ये क्यों कर रही थी।"


"प्लीज़, मुझे माफ़ कर दो"


भैय्या, मैं जानती हूं कि आप जोश में आ गए थे और ये कर बैठे, इसलिए आप माफ़ी ना मांगे।


"तुमने मुझे माफ़ कर दिया ?"


हां, अब जल्दी से मेरी प्यास बुझा दो। (कातिलाना मुस्कान के साथ..)


भैय्या मुझे मुस्कुराता देख जल्दी से मेरे पास आए और मुझे पीछे पलंग पर धीरे से धक्का दिया और मेरे पैरों को अपने हाथों में लेकर अपने कंधो तक ले गए, जिससे मेरे योनि उनके लन्ड के सामने आ गई।


फिर अपने एक हाथ से अपना लन्ड पकड़कर मेरी चूत पर रगड़ने लगे और मेरी तरफ झुककर मेरी आंखों में देखने लगे। जैसे वो मेरी सहमति का इंतज़ार कर रहे हो। मैंने भी अपने चूत के दाने (क्लाइटोरिस) को सहलाते हुए, अपनी गर्दन हिलाकर उन्हें इशारा दे दिया।


जैसे मेरा इशारा मिला भैय्या ने एक झटका दिया, जिससे उनके लन्ड एक तिहाई से ज्यादा हिस्सा चूत को चीरते हुए अंदर चला गया और मेरी जोर से आउच...आ...उई.... मा! चीख निकल गई।


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भैय्या ने एक और झटका दिया जिससे उनका पूरा लन्ड अन्दर चला गया, लेकिन इस बार मैं चीखी नहीं, बस एक सिस्सकी निकली।


भैय्या ने अब लन्ड वापस बाहर निकाला, लेकिन सूपड़े को अंदर ही रहने दिया और लन्ड फिर से अंदर कर दिया। कुछ देर से ऐसे ही धीरे - धीरे करते रहे, जिससे मेरी उत्तेजना और सिसकियां भी बढ़ने लगी। मेरी सिसकियां निकलने से भैय्या का जोश भी बढ़ने लगा और उन्होंने तेज झटके मारना शुरू कर दिया।


तेज झटके खाने से मेरे जिस्म की रग-रग में, खून तेज रफ्तार से दौड़ने लगा और मैं अपने दोनों पैरों को हाथों से पकड़े हुए,


ज़ोर ज़ोर से आआआआअह्हह्हह….ईईईईईईई…ओह्ह्ह्हह्ह…अई..अई..अई….अई..मम्मी…….मम्मी…मम्मी….सी सी सी सी.. हा हा हा …..ऊऊऊ ….ऊँ..ऊँ…ऊँ…उनहूँ उनहूँ….ही ही ही ही ही…..अहह्ह्ह्हह उहह्ह्ह्हह…. उ उ उ.. मुंह से बड़बड़ाने लगी।
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थोड़ी देर बाद भैय्या अलग हुए और मुझे पलंग के बीच लेटा कर, मेरे पैरों के मोड़ कर मेरे हाथों में पकड़ा दिया। फिर मेरी चूत पर लंड रखा और अंदर डालकर चोदने लगे, उनके कुछ हम्मलो से चुदासी होकर बड़बड़ाने लगी।


ज़ोर ज़ोर से आआआआअह्हह्हह….ईईईईईईई…ओह्ह्ह्हह्ह…अई..अई..अई….अई


और जोर से चोद बहनचोद!


आआआआअह्हह्हह जोर से चोद बहन के लौड़े!


मेरे मुंह से गाली सुन भैय्या के धक्कों कि रफ़्तार इतनी बढ़ गई कि मुझे दर्द होने लगा और बर्दाश्त करना मुश्किल हो गया। मेरी आंखों से आसूं निकल गए।


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प्लीसससससस…….भैय्या आराम से.....प्लीसससससस, उ उ उ उ ऊऊऊ ….ऊँ..ऊँ…ऊँ…” माँ माँ….ओह… आराम से चोदो भैय्या ..आह्ह. बहनचोद!


"क्या हुआ अब आराम से चोदने का बोल रही है।"
(जब उन्होंने यह कहा तो उनकी नज़र मेरे आंसू पर गई।)


मेरी आंखों में आसूं देख उन्होंने चोदना बंद कर दिया।


भैय्या पलंग पर लेट गए और मुझे अपने ऊपर बैठने को कहा, फिर मेरी चूत में अपने लंड को डालकर मेरी कमर को पकड कर ऊपर-नीचे करने लगे। अब मुझे दर्द के बजाय ज्यादा मजा आ रहा था, कुछ देर बाद में खुद ही ऊपर-नीचे होने लगी और अपने चूत में लंड के धक्कों का मजा लेने लगी थी और जोर जोर से चीख भी रही थी। कुछ देर तक भैय्या ने मेरी चूत को इस तरह से चोदा या ये कहें कि मैंने खुद उनसे चुदी।


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फिर उन्होंने मुझे कूतिया बना दिया और मेरे पीछे आकर मेरी चूत में लंड डालकर चोदने लगे। कुछ देर में वो अपनी पूरी ताकत लगा कर चोदने लगे, चूतड़ो पर धक्कों की टक्कर से धप-धप व चूत से फ़्च फ़च और मेरी सिसकियों से पूरा कमरा गूंजने लगा।


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ऐसा लग रहा था की मेरी चूत आज ही फट जायेगी, लेकिन कुछ देर बाद उन्होंने अपने लंड को बाहर निकाल लिया और मेरी गान्ड के छेद पर लगा दिया।


जैसे ही मुझे एहसाह हुआ कि भैय्या का लंड कहां है, लेकिन तब तक भैय्या ने एक झटका लगा दिया और उनका लंड मेरी गान्ड चीरते हुए अंदर चला गया। इसके साथ ही मेरी एक जोरदार चीख आहहह.......मर गई मा!


बहनचोद! मेरी गान्ड फाड़ दी।


भैय्या मेरी कमर को पकड़कर तेज़-तेज़ धक्के लगाने लगे, कुछ ही पलों में भैय्या का शरीर अकड़ा और उनका लंड से वीर्य निकल कर मेरी गान्ड के अंदर भर गया। पूरा वीर्य निकलने के बाद उन्होंने लंड बाहर निकाला और पलंग पर लेट गए।


मेरी गान्ड से भैय्या का सफेद गाड़ा वीर्य बाहर निकलने लगा और पलंग पर गिरने लगा। मैं भी भैय्या के पास उल्टी ही लेट गई।


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इस आधे घण्टे की चुदाई के दौरान भी में दो बार झड़ चुकी थी और गान्ड कि दमदार ठुकाई से एक तरह से चरमसुख की प्राप्ति कर चुकी थी।


मैंने भैय्या की तरफ देखा, जो शायद मुझे ही निहार रहे थे ।


भैय्या, आपको मज़ा आया ?


"ये भी कोई पूछने की बात है।" (मुस्कुराते! हुए..)


"तुम्हें मजा नहीं आया क्या ?"


भैय्या, मुझे तो आज आपके साथ बहुत मज़ा आया, इतना तो मुझे सुहागरात पर भी नहीं आया था।


"वो क्यों भला ?"


क्योंकि मेरी हमेशा से आपके साथ सेक्स करने की इच्छा थी, लेकिन आज से पहले वो पूरी नहीं हो पाई थी।


ऐसा भी नहीं है कि वैभव जी के साथ मुझे मजा नहीं आता। उनके साथ भी मुझे बहुत मज़ा आता है, वो भी आपके जैसे ही मुझे प्यार करते है।


"ये तो अच्छी बात है जो कि तुम कह रही हो।" (खुश होते हुए...)


बस, आप की एक बात का बुरा लगा मुझे। ( झूठ-मूठ का उदास होकर)


"कौनसी बात का बुरा लगा ?"


बिना बताएं मेरी गान्ड मारने का और ऐसा आपने क्यों किया ?


"दरसअल, जब तुम्हें कुतिया बनाकर चोद रहा था तो मेरी नज़र तुम्हारी गान्ड के छेद पर गई। जिसे देख में समझ गया था कि वैभव जी तुम्हारी गान्ड भी मारते है, इसलिए मैंने सोचा ये इच्छा भी पूरी कर लूं। वैसे भी तुमने ही कहा था कि "आज मैंने आपकी हर इच्छा पूरी करूंगी।" (मुस्कुराते!! हुए...)


हां, कहा था, लेकिन आपने इच्छा बताएं बिना ही पूरी कर ली। यदि आप मुझसे बोलते तो मैं मना थोड़ी करती और यदि बिना खुली गान्ड भी होती तो भी आपको मना नहीं करती।


"अच्छा!, माफ कर दो। मुझे दूसरी गलती हो गई आज।"
(कान पकड़ते हुए...और एक मुस्कान के साथ)


माफ किया। (कातिलाना मुस्कान के साथ..)


"पायल, तुमसे एक बात पूछनी थी।"


कहिए।


"तुम मुझे बार-बार गाली क्यों दे रही थी ?"


भैय्या के इस सवाल पर में जोर से हंसने लगती हूं तो भैय्या मुझे ऐसे हंसते देख हैरान! हो जाते है।


"क्या हुआ तुम ऐसे हंस क्यों रहीं हो ?"


भैय्या, मैं आपकी सवाल पर हंस रही हूं।


"वो क्यों भला ?"


भैय्या, मैं आपकी बहन हूं और आप मुझे चोद रहे थे, इसलिए आपको बहनचोद! बोल रही थी।


"अच्छा जी, फिर जब मैं तुम्हारे बूब्स दबा रहा था, तब क्यों गाली दी थी।" (मुस्कुराते!! हुए)


वो तो गलती से निकल गई थी। (मुस्कुराते! हुए...)


"पायल, मुझे ऐसा क्यों लगा रहा है कि तुम झूठ बोल रही हो ?"


नहीं ऐसा कुछ भी नहीं है। (हड़बड़ाते हुए..)


"कोई बात नहीं, यदि तुम्हें नहीं बताना है तो मत बताओ।"


"अच्छा!, शुभ रात्रि!" (पलंग से उठने लगते है।)


आप कहां जा रहे है ? (भैय्या को उठने से रोकते हुए पूछती हूं।)


"अरे, मैं अपने रूम में जा रहा हूं।"


भैय्या, आप बहुत बुरे है। (भैय्या के सीने पर मुक्के मारते हुए)


"अब क्या हुआ मेरी प्यारी बहन को ?"


आप आज यही सोएंगे, आपने हां भी कहा था।


"ठीक है, पहले कपड़े तो पहन लेने दे।"


नहीं, आप और मैं आज ऐसे सोएंगे।


और भैय्या के सीने के ऊपर सिर और एक पैर उनके दोनों पैरों ऊपर रख लेती हूं।


भैय्या, वो आपको जानना है ना कि मैं गाली क्यों दे रही थी।


"हां..." ( उत्सुकता से...)


दरसअल, वैभव जी जब भी सेक्स करते हैं तो वो मुझे गाली देने को बोलते हैं, इसलिए मुझे भी सेक्स करते समय गाली देने की आदत हो गई है।


"‌वो ऐसा क्यों बोलते हैं ?"


मैंने भी उनसे यही पूछा था कि वो ऐसा क्यों चाहते है तो उन्हें कहा, "जब सेक्स के समय औरत मर्द को गंदी गाली देती है तो मर्द का जोश बढ़ जाता है और सेक्स करने में मजा भी आता है।"


"ये बात तो सही है कि गाली सुनकर जोश तो बढ़ जाता है और मज़ा भी आता है।"


तभी आप मेरी गाली सुन के बहुत जोश में आ गए थे और मेरी चूत को फाड़ने लगे थे।


"वैसे वैभव जी को कौन सी गाली देती हो ?" (मुस्कुराते हुए)


भैय्या, आप भी कैसा सवाल करते हो। (शरमाते हुए)


"अरे, अब मुझसे कैसा शर्माना, अब बोल भी दो।"


उन्हें सभी तरह कि गाली पसंद है, लेकिन बहनचोद! उन्हें ज्यादा अच्छी लगती है, इसलिए मेरे मुंह से भी यही गाली सब से ज्यादा निकलती है।


"कहीं ऐसा तो नहीं है कि वैभव जी भी अपनी बहन के साथ सेक्स करना चाहते है या करते हो।" ( मजाकिया अंदाज में)


नहीं, ऐसा कुछ भी नहीं है वो सिर्फ गाली सुना चाहते है और यदि वे ऐसा चाहते भी है तो मुझे कोई ऐतराज नहीं होगा।


"लेकिन उन्हें कैसे पता चलेगा कि तुम्हें कोई ऐतराज नहीं है।" (मुस्कुराते हुए...।)


अब ये सब बात छोड़िए, रात के साढ़े तीन बजे गए। अब सोना चाहिए।


शुभ रात्रि! भैय्या! ( होंठो को चूम कर)


"शुभ रात्रि! मेरी प्यारी बहन!" (होंठो को चूम कर)


फिर मैं वैसे ही हालात में दोनों सो जाते है।
 
Last edited:

Kapil Bajaj

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भाई बहुत बढ़िया अपडेट था और बहुत ही हॉट ऐसे ही लिखते रहें और ऐसे ही सेक्स बढ़ाते रहें और पारिवारिक सेक्सी रखना भाई मजा आता है अब आगे क्या अपडेट में देखें क्या होता है
 

Akki ❸❸❸

ᴾʀᴏᴜᴅ ᵀᴏ ᴮᴇ ᴴᴀʀʏᴀɴᴠɪ
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Update 14


आगे की कहानी कुछ किस्सा अंतिम (नीलेश की बहन) कि जुबानी -



मैं, भैय्या के होंठो को चूसे जा रही थी और इसमें भैय्या भी मेरा पूरा साथ दे रहे थे, ऐसे ही हम चुम्बन करते रहे जबतक एक दूसरे को सांस लेने में दिक्कत ना होती। फिर सांस लेने के बाद फिर हम एक-दूसरे होंठो को चूसने लगते।


भैय्या के होंठो को चूसने में इतना आनंद आ रहा है कि मैं उनके होंठो को छोड़ना ही नहीं चाहती, लेकिन सांस लेने के बीच-बीच में मुझे रुकना पड़ता। मेरे द्वारा चुम्बन किए जाने से भैय्या के शरीर में उत्तेजना बढ़ने लगी, इसका आभास मुझे तब हुआ जब भैय्या के लन्ड ने मेरे योनि के आसपास रगड़ खा रहा था। हम दोनों अभी कपड़ों में थे, लेकिन भैय्या के लन्ड का पूरी तरह आभास हो रहा था।


मुझे और भैय्या को पता ही नहीं चला कि हम कितनी देर से एक दूसरे के होंठो का रसपान किए जा रहें। मैंने अब आगे बढ़ने की सोची और भैय्या के हाथों को अपने चूतड़ों पर रख दिया, जैसे ही उनके हाथ मेरे चूतड़ों पर पड़े वो उन्हें सहलाने लगे। इस दौरान हमारा चुम्बन जारी था। भैय्या के द्वारा मेरे चूतड़ों को सहलाने से मेरे शरीर में भी काम अग्नि भड़कने लगी।


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मैंने चुम्बन तोड़ा और भैय्या के हाथ भी मेरे चूतड़ों से हट गए। मैंने, भैय्या की तरफ देखा वो कुछ सोच रहे थे, मैं उनके ऊपर से नहीं हटी। कुछ देर बाद मैंने भैय्या का एक हाथ अपने हाथ में लेकर अपने एक उभार (स्तन) पर रख दिया, कपड़ों के ऊपर से भी मेरे उभार (स्तन) का आभास भैय्या को हो गया। वो कुछ बोलने वाले थे, लेकिन उसके पहले ही भैय्या के हाथ पर मेरा हाथ था तो मैंने उसे जोर से दबा दिया। जिसके कारण मेरे मुंह से एक "आह्हहह" निकल गई।


मेरी इस हरकत से भैय्या गुस्सा हो गए और मुझे अपने ऊपर से हटाकर बाहर जाने लगे। मैंने उनका हाथ पकड़ कर उन्हें रोका, वो बोले मैंने तुम्हें प्यार करने का कहा था, लेकिन तुमने मेरी बात नहीं मानी।


भैय्या, मैं तो आप को प्यार ही कर रही हूं।


"पायल, हमने प्यार में सिर्फ चुम्बन ही किया था, ये सब कभी नहीं किया था।"


भैय्या, मैं जानती हूं कि हमनें सिर्फ चुम्बन ही किया था, लेकिन हम आगे बढ़ते उसके पहले ही हम अलग हो गए।


"पायल, ये ग़लत है हमें चुम्बन के आगे नहीं बढ़ सकते है और ये भी सिर्फ तुम्हारी खुशी के लिए कर रहा हूं।"


भैय्या, आप मेरी आंखो में देखकर कहो कि आप कभी मुझे पूरा प्यार नहीं करना चाहते थे, सिर्फ चुम्बन ही करना चाहते थे।


"पायल, मैं सिर्फ चुम्बन ही करना चाहता था"


भैय्या, ये बात आप मेरी आंखों में देखकर कहो।


"पायल, मैं सिर्फ ....." (अंतिम कि आंखों में देखते हुए।)


क्या हुआ ? नहीं कह सकते आप मैं जानती हूं कि आप भी मुझे प्यार करना चाहते थे, लेकिन किस्मत के कारण नहीं कर सके। आज किस्तम ने आपको और मुझे मौका दिया है फिर भी आप अपनी किस्मत से मुंह मोड़ कर भागना चाहते है।


"हां, मानता हूं कि मैं भी तुम्हें प्यार करना चाहता था, लेकिन
अब ये ग़लत होगा।"


मुझे कोई परवाह नहीं कि क्या सही है ? और क्या ग़लत है ?
मैं सिर्फ आपके साथ प्यार के पल बिताना चाहती हूं।


मैं अपना नाइट गाऊन उतार कर भैय्या से चिपककर उनके होंठो को चूसने ने लगती हूं, थोड़ी देर बाद भैय्या भी मेरे होठों को चूसने लगते है। ये चुम्बन इतना लम्बा चला की मुझे लगा कि यदि चुम्बन नहीं टूटा तो जान ही निकल जायेगी।


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भैय्या को एहसाह हुआ कि मुझे सांस लेने में ज्यादा तकलीफ़ हो रही है तो उन्होंने अपने होंठो की पकड़ ढीली कर दी। जिसे मैं उनके होंठो से अलग होकर अपनी उखड़ती सांसों को सम्हाला।


कुछ पल बाद ही भैय्या ने फिर से मेरे होंठो को अपने होंठों से जकड़ा और चूसने लगे। इस बार उन्होंने अपने हाथ मेरे पीछे ले जाकर मेरे चूतड़ों पर रख दिए और मुझे अपनी तरफ खींच लिया।


भैय्या, अब मेरे होठों को चूसने के साथ मेरे चूतड़ों को भी सहला रहे थे। उनका लन्ड भी लोअर में खड़ा हो चुका था, जो मेरे योनि के ऊपर अपनी उपस्तिथि दर्ज करा रहा था।


मैं भी उत्तेजना में उत्तेजित होकर अपना हाथ भैय्या के लोअर में खड़े लन्ड पर ले जाकर सहलाने लगी।

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मेरी इस हरकत से भैय्या और जोर से मेरे चूतड़ों को सहलाने और दबाने लगे। चुम्बन अब रुक चुका था, लेकिन भैय्या मेरे गर्दन पर अपने होंठ फेरा रहें थे। कुछ देर ऐसे ही एक दूसरे के अंगों को सहलाने के बाद हम दोनों भाई-बहन
अलग हुए।


( मैं आपको अपने शरीर के बारे में बता देती हूं, मेरा रंग ना गोरा। ना ही सांवला। गेहुंआ रंग कह सकते है। चेहरा सामान्य है, लेकिन पतले व उभरे हुए होठों और बड़ी-बड़ी आंखो कि वजह से अच्छा लगता है। मेरे स्तन मध्यम आकर के है, लेकिन गोलाकार और थोड़े कड़क है। मेरा शरीर थोड़ा भरा हुआ है जो किसी भी औरत की सुंदरता को और निखार देता है, मेरे शरीर का सबसे अच्छा अंग मेरे उभरे और घुमावदार चूतड़ है।)


हमारे अलग होते ही मैंने भैय्या की तरफ देखा तो वो मुझे ही देखे जा रहें थे। इस वक़्त में सिर्फ नीले रंग की ब्रा और पैंटी खड़ी थी। भैय्या, मुझे घुरे जा रहे थे।


मैंने, उनसे मुझे ऐसे घूरने का कारण पूछा ? (मुस्कुराते हुए)


"मेरी प्यारी बहन, मुझे नहीं पता था कि तुम इतनी सुंदर हो।" (मुस्कुराते हुए...)


भैय्या, मुझमें आप को ऐसा क्या सुंदर दिख गया ? (शरारती अंदाज में..)


"अभी बताता हूं।" (मेरे पास आ गए)


भैय्या, मेरे अंगों को छूते हुए, मुझे बताने लगे।


"तुम्हारे ये काले लंबे लहराते बाल। ये बड़ी-बड़ी नशीली आंखे। तुम्हारे ये सुर्ख रसीले होंठ। तुम्हारे ये दोनों शानदार उभार (स्तन)। ये गोल गहरी नाभि। ये बलखाती कमर।"


भैय्या, और ?


"तुम्हारे ये उभरे गुदाज चूतड़।" ( दोनों हाथों से मसलते हुए )


और ? (कामुकता भरे स्वर में...!)


"बाकी का अभी देखा कहां है; पहले देख लूं। फिर बताऊंगा।" ( उसकी तरफ देखरकर मुस्कुराते हुए..)


भैय्या अपनी टी शर्ट और लोअर उतारकर, मुझसे चिपकते हुए खड़े हो गए। फिर मेरा चेहरा अपने हाथों में लेकर अपनी जीभ निकाल कर मेरे पूरे चेहरे पर फिराने लगे, पूरे चेहरे पर जीभ फेरने के बाद वो जीभ मेरे होंठो पर रख उसे रगड़ने लगे।


भैय्या क्या चाहते है यह मैं समझ गई और अपने होंठ खोल दिए। जैसे ही मेरे होंठ खुले भैय्या ने अपनी जीभ मेरे मुंह में डाल दी, मैं भी उनकी जीभ चूसने लगी। कुछ देर चूसने के बाद मैंने भी अपनी जीभ निकाल के भैय्या के मुंह में डालने लगी, भैय्या भी मेरी जीभ चूसने लगे। दोनों जीभ आपस में लड़ रही थी, करीब पांच से छ: मिनट तक हम भाई-बहन ऐसे ही जीभ चुसाई करते रहे।


फिर भैय्या ने मुझे घुमाया जिससे मेरे पीठ उनके सामने आ गई। पीछे से मेरी ब्रा का हुक खोला और अपने दोनों हाथ आगे लाकर मेरी ब्रा निकाल दी, फिर दोनों हाथों के पंजो को मेरे स्तनों पर रखकर उन्हें जोर से दबाने और मसलने लगे। जिसे मेरे मुंह से आह्ह्हह्ह निकलने लगी।


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भैय्या, आह्ह्हह्ह..आह्हह..!
प्लीज़, धीरे-धीरे दबाओ दर्द हो रहा है।


"बहना, अभी तो शुरुआत है"


भैय्या, आह्ह्हह्ह..आह्हह...!!
नहीं.....आह्ह...न...आहहह...


आह्ह्हह्ह..आह्हह... बस आह्ह...न


प्लीज़ भैय्या, अब मत दबाओ बहुत दर्द हो रहा है।


"बहना, तेरे बूब्स इतने मस्त है कि इन्हें छोड़ने का मन ही नहीं कर रहा।" कह कर और ज़ोर से दबाने लगे।


बस आह्ह...न


नहीं.....आह्ह...न...आहहह...


आह्ह...आ..बस करो....आह्हह...


आह्ह्हह्ह..आह्हह..!! छोड़ बहनचोद.. !


"क्या कहा ?" (उभार (स्तन) दबाना रोक देते है।)


देखिए आपने मेरे स्तनों का क्या हाल किया है, पूरे लाल हो गए है। (अपने दोनों उभार (स्तन) को देखते हुए..।)


आप बहुत बुरे है मेरे मना करने के बाद भी जोर-जोर से दबा रहे थे।


"क्या करूं तुम्हारे बूब्स बड़े ही मस्त है इन्हें दबाने में इतना मज़ा आ रहा है तो चूसने में कितना आएगा।"


कुछ देर पहले तो आप कह रह थे, "ये ग़लत है"।
(हंसते हुए कहती हूं)


"मुझे नहीं पता था कि बहन के साथ ये सब करने में इतना मज़ा आता है, इसलिए कह रहा था।"


भैय्या ने फिर मुझे अपनी तरफ घुमाया और खुद दूर होकर मेरे बदन को ऊपर से नीचे तक निहारने लगे, फिर उनकी नज़र मेरी पैंटी पर गई। जो कि मेरे योनि से निकले रज (कामरस) से भीग गई थी।


फिर भैय्या बोले, "बहना, तेरी चूत तो सिर्फ चुम्बन और बूब्स को दबाने व मसलने से बहने लगी। लगता है कि मेरी बहन की चूत बहुत प्यासी है; कोई नहीं आज इसकी सारी प्यास बुझा दूंगा।"


फिर भाई आगे आए, मेरे एक स्तन को अपने हाथ से पकड़ा और मेरे भूरे रंग के निप्पल के आसपास अपनी जीभ फिराने लगे, कभी-कभी निप्पल पर भी फिरा देते। ऐसे ही कुछ देर जीभ फिराने के बाद भैय्या ने दूसरे स्तन के निप्पल के आसपास अपनी जीभ कुछ देर फिराई। इस दौरान मैं भी उनके बालों में अपने हाथ घुमा रही थी।


भैय्या अब मेरे स्तन को को मुंह में भरकर चूसने लगे, पहले धीरे-धीरे चूसते रहे। फिर अपनी चूसने कि गति बड़ा दी और साथ ही मेरे चूतड़ों को भी सहला रहे थे, जिससे मेरे मुंह से भी सिसकियां निकलने लगी और भैय्या के सर को कभी-कभी अपने स्तन पर दबा देती।


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भैय्या ने धीरे से एक हाथ पैंटी में डालकर मेरी चूत को सहलाने लगे, साथ ही स्तन भी चूसना जारी रखा। इस दोहरे हमले से मेरी सिसकियां तेज हो गई, कुछ देर बाद मेरा बदन अकड़ने लगा और मेरे बदन ने जवाब दे दिया। एक तेज झटके के साथ झर-झर करके झड़ने लगी, इस कारण अब मेरा अपने पैरो पर खड़ा रहना भी मुश्किल हो रहा था।


मेरे झड़ने के बाद भैय्या ने अपना हाथ बाहर निकाला, जो कि मेरे रज (कामरस) से भीग चुका था। उन्होंने उसे हाथ से सारा रज (कामरस) मेरे एक स्तन पर मल दिया और उसे चूसने लगे। अब मुझमें ज्यादा देर खड़े रहने की हिम्मत नहीं थी, तो भैय्या को बोलना पड़ा।


भैय्या, पलंग पर चलते है अब। मेरे इतना कहते ही मुझे गोद में उठा के पलंग पर लेटा दिया और वे भी मेरे साथ लेटे गए।


भैय्या की तरफ देख कहा, आज पहली बार बिना चुदाई के दो बार झड़ी हूं, इसलिए खड़े रहना मुश्किल हो रहा था।


"कोई बात नही, अब थोड़ा आराम कर लो"


मेरी नज़र जब भैय्या के अंडरवियर पर गई, तो उनका लन्ड पूरी तरह से कड़क हो चुका था।


भैय्या, यदि मैंने आराम किया, तो आपका वो कैसे शांत होगा ? (उनके लन्ड की तरफ इशारा करते हुए।)


"पायल, तुम अभी आराम कर लो, वो खुद ही शांत हो जायेगा।"


मैं झट से पलंग पर बैठ गई और भैय्या के अंडरवियर को थोड़ा नीचे कर दिया। जब मैंने भैय्या का लन्ड देखा तो वह किसी लंबे झुके खजूर के पेड़ की तरह खड़ा था। मेरी इस हरकत से भैय्या मुझे देखकर बोले, "मैंने तुम्हें आराम करने का बोला है ना।"


भैय्या, पहले आपके इस शैतान को आराम करवा देती हूं, फिर आराम कर लूंगी। (मुस्कुराते हुए...)


भैय्या के लन्ड को जैसे ही मैंने एक हाथ से पकड़ा वैसे ही लन्ड ने एक झटका खाया और भैय्या के मुंह से धीरे से "आह" निकल गई। फिर मैं अपने हाथ से पहले धीरे-धीरे मुठ मारने लगी।


मैं भैय्या की तरफ देखकर ही उनके लन्ड को हिला रही थी। मेरे द्वारा ऐसा करने से भैय्या ने अपनी आंखें बन्द कर ली और उनके चेहरे पर एक अलग ही प्रकार की खुशी झलक रही थी, शायद उन्हें बहुत मज़ा आ रहा था।


फिर भी मुझे पता नहीं था कि भैय्या अभी कैसा अनुभव कर रहे थे, लेकिन मेरा तो रोम-रोम खिल रहा था। इसकी वजह यह थी कि मैं हमेशा से नीलेश भैय्या के साथ प्यार या सेक्स करना चाहती थी और आज अपने हाथ से उनके लन्ड को पकड़कर मुठ मार रही थी।


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अब मैंने मुठ मारने कि गति थोड़ी तेज कर दी, क़रीब पांच मिनट के बाद भैय्या ने कहा, "पायल, तेज और तेज मेरा निकलने वाला"।


मैंने मुठ मारने कि गति बढ़ा दी और कुछ ही पलों में भैय्या के मुंह से सिसक के साथ लन्ड का ज्वालामुखी फूट पड़ा उसके साथ ही वीर्य रूपी लावा बाहर निकलने लगा। मेरा पूरा हाथ उनके वीर्य से पूरा सराबोर हो गया और कुछ वीर्य उनके पेट व जांघों के आसपास गिरा।


मैंने पलंग पर बिछी चादर के एक कोने से अपने हाथ व भैय्या के शरीर लगे वीर्य को साफ़ किया और फिर भैय्या के सीने पर सिर रखकर लेट गई।


भैय्या, आपको मेरा ये करना कैसा लगा ? (भैय्या के चेहरे के आने वाले भाव को जानने के लिए पूछा।)


"पायल, बता नहीं सकता कि मुझे कितना आनंद आया, इतना आनंद तो मुझे तुम्हारी भाभी के हाथों से भी नहीं मिला।" (मेरे सिर को अपने एक हाथ सहलाते हुए)


"पायल, आज तुमने मेरी कई सालों पहले की इच्छा को पूरा कर दिया, मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि ये इच्छा पूरी भी हो सकती है। शुक्रिया! मेरी प्यारी बहन!"


भैय्या, आज मैंने आपकी हर इच्छा पूरी करूंगी। (भैय्या के सीने को चूमते हुए बोली)


भैय्या ने मुझे अपनी बांहों में भर लिया और मैं भी उनकी बाहों में समा गई।


करीब बीस मिनट तक हम भाई-बहन ऐसे ही एक-दूसरे से लिपट कर आराम किया। फिर भैय्या से अलग होकर उनसे बोली।


भैय्या, अब बाकी इच्छा भी पूरी कर लीजिए। (शरारती मुस्कान के साथ...)


भैय्या ने मुझे अपने तरफ खींचा जिससे में उनके ऊपर आ गई और , मेरे होंठो को चूसने लगे, मैं भी उनका पूरा साथ दे रही थी। ऐसे ही चुम्बन करते हुए, उन्होंने मुझे पलटी मारकर नीचे कर दिया और खुद मेरे ऊपर आ गए।


कुछ देर तक होंठो को चूमने व चूसने के बाद वो नीचे की तरफ आ कर मेरे स्तनों को दबाने, मसलने और चूसने लगे। एक-दो मिनट के बाद, वे नीचे सरक कर मेरी नाभि के पास अपना चेहरा रोका और अपनी जीभ निकाल कर नाभि के छेद के आसपास गोल घुमाने लगे।


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भैय्या के ऐसा करने से मुझे भी बहुत अच्छा लगा रहा था, लेकिन फिर भैय्या ने जीभ नाभि में डालकर चाटने और चूसने लगे। जिससे मेरा मज़ा और बढ़ गया।


मेरे पति ने भी कभी ऐसा नहीं किया था, लेकिन आज भैय्या के साथ में उस आनंद को महसूस कर रही थी।


थोड़ी देर बाद भैय्या पलंग से उतरकर अपना अंडरवियर निकाल के पलंग के सामने की तरफ खड़े हो गए और मुझे पैरों से पकड़कर अपनी तरफ खींचा जब मेरे चूतड़ पलंग के कोने के पास आए, तब भैय्या रुके और अपने हाथ आगे लाकर मेरी पैंटी उतार दी।


फिर घुटनों के बल ज़मीन पर बैठकर मेरी दोनों पैरों को चौड़ा कर दिया। जिससे मेरी योनि उनके चेहरे के सामने आ गई, फिर अपने हाथ से योनि का छूकर उसका अच्छे से मुयाना करने लगे और साथ ही उसे अंगूठे से धीरे-धीरे से सहला भी रहे थे। अचानक से अपना अंगूठा चूत के अन्दर डाल दिया।


"पायल, तुम्हारी चूत बड़ी प्यारी है ऐसा लग रहा है कि ये किसी जवान लड़की की चूत है।"


"मेरा मन तो इसे के चख के देखने का कर रहा है।"
(मेरी तरफ देखकर बोले)


तो देख लीजिए, मैंने कब मना किया। ( उनको देखते हुए..)


भैय्या ने अपनी जीभ निकाली और मेरी चूत पर जीभ फिराने लगे...जैसे ही भैय्या ने अपनी जीभ मेरी चूत के दाने (क्लाइटोरिस) पर फिराई जिससे मैं एक रोमांच भरे स्वर मे सिसक उठी....''आह्ह्हह्ह.....येसस्स्.......''


फिर मेरी उभरी हुई चूत की बाहरी पंखुड़ी को मुँह में भरकर धीरे-धीरे चूसने लगे और बीच-बीच में अपनी जीभ को मेरी चूत के अंदर भी फिरा देते, कुछ देर धीरे चूसने के बाद वो तेजी से चूसने लगे साथ ही अब एक हाथ से चूत के दाने (क्लाइटोरिस) को भी सहलाने लगे।


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भैय्या के इस तरह से मेरी चूत के साथ खेलने से मेरा शरीर भी बिस्तर पर मचलने लगी और पलंग की चादर को अपने हाथों में पकड़ लिया।


अब मेरा भी सब्र का बांध टूटने लगा, मैंने भैय्या के सिर पर दोनों हाथ रखकर उनके सिर को पकड़कर ऊपर खींचकर और भैय्या के चेहरे तरफ देखकर कहने लगी अब बर्दाश्त नहीं हो रहा..जल्दी से अपनी बहन कि चूत की प्यास बुझा दो, अपना लन्ड डालकर मुझे चोदो.... भैय्या! मुझे चोदो!


मेरी बात सुनकर भैय्या खड़े हो गए, लेकिन उनके महाराज! अभी पूरी तरह से खड़े नहीं थे।


मैं अब पलंग पर कुतिया कि स्थिती में आई और भैय्या की चेहरे की ओर देखा, भैय्या भी मेरे चेहरे को देख रहे थे। जैसे कुछ कहना चाह रहे हो।


मैं समझ गई कि वो क्या कहना चाहते हैं। मैंने अपने एक हाथ से भैय्या का लन्ड पकड़ लिया और धीरे-धीरे से सहलाने लगी, कुछ देर बाद अपना मुंह आगे कर पहले उसके सूपड़े पर जीभ फिराई, फिर पूरे लन्ड पर जीभ फिराई।


फिर अपना मुंह खोल के लन्ड अंदर ले लिया और फिर उसे अंदर बाहर करते हुए चूसने लगी। मेरे इस तरह लन्ड चूसने से भैय्या का लन्ड कड़क होने लगा।


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भैय्या भी जोश में आकर मेरा सिर पकड़कर लन्ड पर दबाने लगे, लेकिन मैं यह नहीं चाहती थी कि भैय्या फिर से झड़ जाएं।


इसलिए मैंने भैय्या लन्ड चूसना बंद कर दिया, लेकिन भैय्या ने मेरे सिर को पकड़कर मेरे मुंह में झटके मारने लगे या यूं कहें कि मेरे मुंह को चोदने लगे।


फिर मैंने भैय्या को ज़ोर से धक्का देकर अपने से अलग किया। जब भैय्या अलग हुए तो उन्हें अपनी गलती का एहसास हुआ कि वो अभी क्या करने लगे थे।


"पायल, मुझे माफ़ कर दो।"


"वो मैं जोश में आकर भूल गया कि तुम ये क्यों कर रही थी।"


"प्लीज़, मुझे माफ़ कर दो"


भैय्या, मैं जानती हूं कि आप जोश में आ गए थे और ये कर बैठे, इसलिए आप माफ़ी ना मांगे।


"तुमने मुझे माफ़ कर दिया ?"


हां, अब जल्दी से मेरी प्यास बुझा दो। (कातिलाना मुस्कान के साथ..)


भैय्या मुझे मुस्कुराता देख जल्दी से मेरे पास आए और मुझे पीछे पलंग पर धीरे से धक्का दिया और मेरे पैरों को अपने हाथों में लेकर अपने कंधो तक ले गए, जिससे मेरे योनि उनके लन्ड के सामने आ गई।


फिर अपने एक हाथ से अपना लन्ड पकड़कर मेरी चूत पर रगड़ने लगे और मेरी तरफ झुककर मेरी आंखों में देखने लगे। जैसे वो मेरी सहमति का इंतज़ार कर रहे हो। मैंने भी अपने चूत के दाने (क्लाइटोरिस) को सहलाते हुए, अपनी गर्दन हिलाकर उन्हें इशारा दे दिया।


जैसे मेरा इशारा मिला भैय्या ने एक झटका दिया, जिससे उनके लन्ड एक तिहाई से ज्यादा हिस्सा चूत को चीरते हुए अंदर चला गया और मेरी जोर से आउच...आ...उई.... मा! चीख निकल गई।


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भैय्या ने एक और झटका दिया जिससे उनका पूरा लन्ड अन्दर चला गया, लेकिन इस बार मैं चीखी नहीं, बस एक सिस्सकी निकली।


भैय्या ने अब लन्ड वापस बाहर निकाला, लेकिन सूपड़े को अंदर ही रहने दिया और लन्ड फिर से अंदर कर दिया। कुछ देर से ऐसे ही धीरे - धीरे करते रहे, जिससे मेरी उत्तेजना और सिसकियां भी बढ़ने लगी। मेरी सिसकियां निकलने से भैय्या का जोश भी बढ़ने लगा और उन्होंने तेज झटके मारना शुरू कर दिया।


तेज झटके खाने से मेरे जिस्म की रग-रग में, खून तेज रफ्तार से दौड़ने लगा और मैं अपने दोनों पैरों को हाथों से पकड़े हुए,


ज़ोर ज़ोर से आआआआअह्हह्हह….ईईईईईईई…ओह्ह्ह्हह्ह…अई..अई..अई….अई..मम्मी…….मम्मी…मम्मी….सी सी सी सी.. हा हा हा …..ऊऊऊ ….ऊँ..ऊँ…ऊँ…उनहूँ उनहूँ….ही ही ही ही ही…..अहह्ह्ह्हह उहह्ह्ह्हह…. उ उ उ.. मुंह से बड़बड़ाने लगी।
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थोड़ी देर बाद भैय्या अलग हुए और मुझे पलंग के बीच लेटा कर, मेरे पैरों के मोड़ कर मेरे हाथों में पकड़ा दिया। फिर मेरी चूत पर लंड रखा और अंदर डालकर चोदने लगे, उनके कुछ हम्मलो से चुदासी होकर बड़बड़ाने लगी।


ज़ोर ज़ोर से आआआआअह्हह्हह….ईईईईईईई…ओह्ह्ह्हह्ह…अई..अई..अई….अई


और जोर से चोद बहनचोद!


आआआआअह्हह्हह जोर से चोद बहन के लौड़े!


मेरे मुंह से गाली सुन भैय्या के धक्कों कि रफ़्तार इतनी बढ़ गई कि मुझे दर्द होने लगा और बर्दाश्त करना मुश्किल हो गया। मेरी आंखों से आसूं निकल गए।


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प्लीसससससस…….भैय्या आराम से.....प्लीसससससस, उ उ उ उ ऊऊऊ ….ऊँ..ऊँ…ऊँ…” माँ माँ….ओह… आराम से चोदो भैय्या ..आह्ह. बहनचोद!


"क्या हुआ अब आराम से चोदने का बोल रही है।"
(जब उन्होंने यह कहा तो उनकी नज़र मेरे आंसू पर गई।)


मेरी आंखों में आसूं देख उन्होंने चोदना बंद कर दिया।


भैय्या पलंग पर लेट गए और मुझे अपने ऊपर बैठने को कहा, फिर मेरी चूत में अपने लंड को डालकर मेरी कमर को पकड कर ऊपर-नीचे करने लगे। अब मुझे दर्द के बजाय ज्यादा मजा आ रहा था, कुछ देर बाद में खुद ही ऊपर-नीचे होने लगी और अपने चूत में लंड के धक्कों का मजा लेने लगी थी और जोर जोर से चीख भी रही थी। कुछ देर तक भैय्या ने मेरी चूत को इस तरह से चोदा या ये कहें कि मैंने खुद उनसे चुदी।


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फिर उन्होंने मुझे कूतिया बना दिया और मेरे पीछे आकर मेरी चूत में लंड डालकर चोदने लगे। कुछ देर में वो अपनी पूरी ताकत लगा कर चोदने लगे, चूतड़ो पर धक्कों की टक्कर से धप-धप व चूत से फ़्च फ़च और मेरी सिसकियों से पूरा कमरा गूंजने लगा।


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ऐसा लग रहा था की मेरी चूत आज ही फट जायेगी, लेकिन कुछ देर बाद उन्होंने अपने लंड को बाहर निकाल लिया और मेरी गान्ड के छेद पर लगा दिया।


जैसे ही मुझे एहसाह हुआ कि भैय्या का लंड कहां है, लेकिन तब तक भैय्या ने एक झटका लगा दिया और उनका लंड मेरी गान्ड चीरते हुए अंदर चला गया। इसके साथ ही मेरी एक जोरदार चीख आहहह.......मर गई मा!


बहनचोद! मेरी गान्ड फाड़ दी।


भैय्या मेरी कमर को पकड़कर तेज़-तेज़ धक्के लगाने लगे, कुछ ही पलों में भैय्या का शरीर अकड़ा और उनका लंड से वीर्य निकल कर मेरी गान्ड के अंदर भर गया। पूरा वीर्य निकलने के बाद उन्होंने लंड बाहर निकाला और पलंग पर लेट गए।


मेरी गान्ड से भैय्या का सफेद गाड़ा वीर्य बाहर निकलने लगा और पलंग पर गिरने लगा। मैं भी भैय्या के पास उल्टी ही लेट गई।


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इस आधे घण्टे की चुदाई के दौरान भी में दो बार झड़ चुकी थी और गान्ड कि दमदार ठुकाई से एक तरह से चरमसुख की प्राप्ति कर चुकी थी।


मैंने भैय्या की तरफ देखा, जो शायद मुझे ही निहार रहे थे ।


भैय्या, आपको मज़ा आया ?


"ये भी कोई पूछने की बात है।" (मुस्कुराते! हुए..)


"तुम्हें मजा नहीं आया क्या ?"


भैय्या, मुझे तो आज आपके साथ बहुत मज़ा आया, इतना तो मुझे सुहागरात पर भी नहीं आया था।


"वो क्यों भला ?"


क्योंकि मेरी हमेशा से आपके साथ सेक्स करने की इच्छा थी, लेकिन आज से पहले वो पूरी नहीं हो पाई थी।


ऐसा भी नहीं है कि वैभव जी के साथ मुझे मजा नहीं आता। उनके साथ भी मुझे बहुत मज़ा आता है, वो भी आपके जैसे ही मुझे प्यार करते है।


"ये तो अच्छी बात है जो कि तुम कह रही हो।" (खुश होते हुए...)


बस, आप की एक बात का बुरा लगा मुझे। ( झूठ-मूठ का उदास होकर)


"कौनसी बात का बुरा लगा ?"


बिना बताएं मेरी गान्ड मारने का और ऐसा आपने क्यों किया ?


"दरसअल, जब तुम्हें कुतिया बनाकर चोद रहा था तो मेरी नज़र तुम्हारी गान्ड के छेद पर गई। जिसे देख में समझ गया था कि वैभव जी तुम्हारी गान्ड भी मारते है, इसलिए मैंने सोचा ये इच्छा भी पूरी कर लूं। वैसे भी तुमने ही कहा था कि "आज मैंने आपकी हर इच्छा पूरी करूंगी।" (मुस्कुराते!! हुए...)


हां, कहा था, लेकिन आपने इच्छा बताएं बिना ही पूरी कर ली। यदि आप मुझसे बोलते तो मैं मना थोड़ी करती और यदि बिना खुली गान्ड भी होती तो भी आपको मना नहीं करती।


"अच्छा!, माफ कर दो। मुझे दूसरी गलती हो गई आज।"
(कान पकड़ते हुए...और एक मुस्कान के साथ)


माफ किया। (कातिलाना मुस्कान के साथ..)


"पायल, तुमसे एक बात पूछनी थी।"


कहिए।


"तुम मुझे बार-बार गाली क्यों दे रही थी ?"


भैय्या के इस सवाल पर में जोर से हंसने लगती हूं तो भैय्या मुझे ऐसे हंसते देख हैरान! हो जाते है।


"क्या हुआ तुम ऐसे हंस क्यों रहीं हो ?"


भैय्या, मैं आपकी सवाल पर हंस रही हूं।


"वो क्यों भला ?"


भैय्या, मैं आपकी बहन हूं और आप मुझे चोद रहे थे, इसलिए आपको बहनचोद! बोल रही थी।


"अच्छा जी, फिर जब मैं तुम्हारे बूब्स दबा रहा था, तब क्यों गाली दी थी।" (मुस्कुराते!! हुए)


वो तो गलती से निकल गई थी। (मुस्कुराते! हुए...)


"पायल, मुझे ऐसा क्यों लगा रहा है कि तुम झूठ बोल रही हो ?"


नहीं ऐसा कुछ भी नहीं है। (हड़बड़ाते हुए..)


"कोई बात नहीं, यदि तुम्हें नहीं बताना है तो मत बताओ।"


"अच्छा!, शुभ रात्रि!" (पलंग से उठने लगते है।)


आप कहां जा रहे है ? (भैय्या को उठने से रोकते हुए पूछती हूं।)


"अरे, मैं अपने रूम में जा रहा हूं।"


भैय्या, आप बहुत बुरे है। (भैय्या के सीने पर मुक्के मारते हुए)


"अब क्या हुआ मेरी प्यारी बहन को ?"


आप आज यही सोएंगे, आपने हां भी कहा था।


"ठीक है, पहले कपड़े तो पहन लेने दे।"


नहीं, आप और मैं आज ऐसे सोएंगे।


और भैय्या के सीने के ऊपर सिर और एक पैर उनके दोनों पैरों ऊपर रख लेती हूं।


भैय्या, वो आपको जानना है ना कि मैं गाली क्यों दे रही थी।


"हां..." ( उत्सुकता से...)


दरसअल, वैभव जी जब भी सेक्स करते हैं तो वो मुझे गाली देने को बोलते हैं, इसलिए मुझे भी सेक्स करते समय गाली देने की आदत हो गई है।


"‌वो ऐसा क्यों बोलते हैं ?"


मैंने भी उनसे यही पूछा था कि वो ऐसा क्यों चाहते है तो उन्हें कहा, "जब सेक्स के समय औरत मर्द को गंदी गाली देती है तो मर्द का जोश बढ़ जाता है और सेक्स करने में मजा भी आता है।"


"ये बात तो सही है कि गाली सुनकर जोश तो बढ़ जाता है और मज़ा भी आता है।"


तभी आप मेरी गाली सुन के बहुत जोश में आ गए थे और मेरी चूत को फाड़ने लगे थे।


"वैसे वैभव जी को कौन सी गाली देती हो ?" (मुस्कुराते हुए)


भैय्या, आप भी कैसा सवाल करते हो। (शरमाते हुए)


"अरे, अब मुझसे कैसा शर्माना, अब बोल भी दो।"


उन्हें सभी तरह कि गाली पसंद है, लेकिन बहनचोद! उन्हें ज्यादा अच्छी लगती है, इसलिए मेरे मुंह से भी यही गाली सब से ज्यादा निकलती है।


"कहीं ऐसा तो नहीं है कि वैभव जी भी अपनी बहन के साथ सेक्स करना चाहते है या करते हो।" ( मजाकिया अंदाज में)


नहीं, ऐसा कुछ भी नहीं है वो सिर्फ गाली सुना चाहते है और यदि वे ऐसा चाहते भी है तो मुझे कोई ऐतराज नहीं होगा।


"लेकिन उन्हें कैसे पता चलेगा कि तुम्हें कोई ऐतराज नहीं है।" (मुस्कुराते हुए...।)


अब ये सब बात छोड़िए, रात के साढ़े तीन बजे गए। अब सोना चाहिए।


शुभ रात्रि! भैय्या! ( होंठो को चूम कर)


"शुभ रात्रि! मेरी प्यारी बहन!" (होंठो को चूम कर)


फिर मैं वैसे ही हालात में दोनों सो जाते है।
Bhot bdiya update bhai
 

Sweet_Sinner

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Zabardast Sex Se Bhara Update diya hai Bhai Maza aa gaya abhi to Vaibhav ke aane me time hai aur Nilesh bhi kuch din yahi par hai Aage aur kya kya hota hai dekhte hai.
Waiting for the next Update

Sahi kaha aapne lekin jayda nahi ho payega kyonki bacche aur sakina bhi ghar par hai...lekin raat toh rangin jarur hogi...
 
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Sweet_Sinner

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Update 15


सुबह घड़ी का अलार्म बजने से अंतिम कि नींद खुलती है, लेकिन नीलेश सोया ही रहता है। जैसे ही अंतिम कि नजर सामने जाती है तो देखती है कि रूम का दरवाजा खुला हुआ है। वह उठकर पहले दरवाजा लगाती है क्योंकि सुबह होने वाली थी और बच्चे कभी उठ सकते है।


वह दरवाजा लगाकर वापस पलंग कि तरफ आती है और नीलेश को देखने लगती है। ऐसे अपने नग्न भाई को देख उसे फिर से अपने भाई के साथ प्यार करने की इच्छा होती है और इसके कारण उसका जिस्म भी गर्म होने लगता, लेकिन फिर भी अपनी इस इच्छा को दबाकर वो टॉवेल लेकर बाथरूम में चली जाती है।


बाथरूम में जाकर वो पहले अपने नित्य कर्म करती है और फिर नहाने के लिए शॉवर के नीचे खड़ी होकर पहले अपने पूरे बदन को भिगों लेती है और पूरे बदन पर अच्छे से साबुन लगाती है। फिर शॉवर चालू कर पानी से पूरे बदन पर लगे साबुन को साफ करने लगती है, लेकिन जब वो अपनी योनि पर लगे साबुन को साफ करने लगती है तो उसे कल रात को अपने भाई के द्वारा कि गई चूत चुसाई याद आ जाती है।


ये बात याद आने से उसके जिस्म में उत्तेजना बढ़ने लगी और वो अपनी चूत सहलाने लगी। कुछ देर तक अपनी चूत सहलाने के बाद वो झड़ जाती है और फिर नहाकर बाहर आ जाती है।


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जब वो बाहर आती है तो देखती है कि नीलेश भी जाग चुका है और पलंग पर पीठ टिकाकर बैठा है। जब नीलेश की नजर अंतिम पर पड़ती है तो वह उसे देखता रह जाता है, क्योंकि अंतिम बदन पर सफेद टॉवेल लपटे कर ही बाहर आ थी। उसके थोड़े गीले बालों ने उसके एक उभार को छुपा रखा था।

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अपने भैय्या द्वारा उसे यूं निहारता देख अंतिम के चेहरे पर "शर्म-ओ-हया" से मुस्कान बिखर जाती है।


वो आगे जाकर अपनी कपड़ों कि अलमारी से कपड़े निकालने लगती है, लेकिन जैसे ही वह पलटती है तो नीलेश उसके सामने खड़ा था। नीलेश उसे देख मुस्कुरा रहा था वो कुछ बोलने वाली थी उसके पहले ही नीलेश उसे अपनी बाहों में भर लेता है। जिससे अंतिम के हाथ से कपड़े नीचे गिर जाते है अंतिम भैय्या से खुद को छोड़ने की विनती करती है, लेकिन नीलेश उसके गीले बालों में से शैंपू या साबुन कि आ रही महक को सूंघने लगता है। फिर उसके थोड़े बाल जो कि अंतिम के एक उभार को छुपा रहे थे, उन्हें अपने हाथों से पीछे कर देता है और अंतिम के टॉवेल में कसे उसके दोनों उभार का उपरी हिस्सा देखने लगता है। अंतिम अपने भैय्या को उसके स्तनों के उपरी भाग को ऐसे निहारता देख पूछती है कि "भैय्या, क्या इच्छा है आपकी ?"


नीलेश उसे कुछ भी नहीं बोलता है और सीधे उसके स्तनों के बाहर निकले हिस्से पर अपनी जीभ रख उसे चाटने लगा। कुछ देर तक ऐसे चाटने से अंतिम को भी मज़ा आने लगता है, लेकिन वो कुछ भी नहीं करती है वो केवल अपने भैय्या के द्वारा कि जा रही हरकत से अपनी आंखें बन्द कर मजे में डूब जा रही थी।


नीलेश धीरे-धीरे चाटते हुए, अंतिम कि गर्दन की ओर अग्रसर होने लगता है। कुछ देर गर्दन पर जीभ फिराने के बाद वो उसके चेहरे के ऊपर भी अपनी जीभ फेरता हुआ उसके होंठो पर आकर रुक जाता है।


अपने भैय्या की ये हरकत उसे पसंद नहीं आई क्योंकि अभी वो आनंद के सागर में गोते लगा रही थी कि अचानक भैय्या रुक क्यों गए। अंतिम अपने आंखें खोल देखती है जैसे ही वो आंखें खोलती है नीलेश उसके होंठो को अपने होंठो में भरकर चूसने लगता है। अंतिम भी उसका साथ देने लगती है। करीब पांच मिनट तक दोनों भाई-बहन एक-दूसरे के सिर्फ होंठो का रसपान करते रहे।


जब दोनों अलग हुए तो उनके चेहरे की चमक और खुशी देखने लायक थी।


अंतिम भैय्या को नहाने को बोलती है, लेकिन नीलेश उसे अपने लंड की तरफ इशारा करता है। अंतिम तो अभी कुछ देर पहले ही झड़ चुकी थी, इसलिए उसे इस चुम्बन से ज्यादा फर्क नहीं पड़ा था, लेकिन नीलेश का लंड खड़ा हो गया था।


नीलेश उसे लंड चूसने को बोलता है, लेकिन अंतिम अभी ये करने से मना करती है और कहती है कि "हाथ से हिला देती हूं।" नीलेश भी उसकी बात नहीं मानता है और एक बार फिर उसे विनती करता है। इस बार नीलेश ने बड़ी आशा भरी नजरों से कहा था जिससे अंतिम मना नहीं कर पाती है।


अंतिम नीलेश के लंड को पहले जीभ से सहलाने लगती है और फिर मुंह में लेकर धीरे-धीरे चूसने लगती है। नीलेश भी अंतिम के मुंह की गर्मी अपने लंड पर पाकर उत्तेजित होने लगता है। अंतिम अपने भैय्या का लंड बहुत ही अच्छी तरह से चूस रही थी, फिर नीलेश ने अंतिम के सिर को पकड़ लिया और अपने लंड को उसके मुंह के अंदर बाहर करके चोदने लगा। करीब एक मिनट तक ऐसे ही चोदते रहा, लेकिन फिर उसने अंतिम के सिर को जोर से पकड़ा और अपना पूरा लंड अंतिम के मुंह में भर दिया जिससे नीलेश का लंड अंतिम के हलक तक चला जाता है।


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जैसे ही लंड हलक तक जाता है नीलेश के लंड से वीर्य निकलने लगता है जो कुछ ही पलों में अंतिम के हलक में भर जाता है जिससे उसे सांस लेने में दिक्कत होती है उसे अपने भैय्या का वीर्य निगलना पड़ता है। नीलेश भी अपना लंड बाहर निकाल लेता है, लेकिन अंतिम के मुंह से जैसे ही लंड बाहर आता है अंतिम खांसने लगती है। उसके आंखों से आसूं भी निकल आए थे।

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जब उसकी हालत ठीक होती है तो वह नीलेश को एक जोरदार थप्पड़ जड़ देती है।


नीलेश तो उसकी इसकी हरक़त से हक्का-बक्का रह जाता है।


अंतिम : भैय्या, प्लीज़ आप अभी यहां से जाइए। (जोर से रोने लगती है।)


नीलेश : पायल, मुझे माफ़ कर दे।


अंतिम : भैय्या, आप अभी जाओ। (रोते हुए...)


नीलेश : अच्छा, मैं जाता हूं, लेकिन पहले रोना बंद करो।


अंतिम : भैय्या, आप अभी चले जाइए, वरना में आपसे कभी भी बात नहीं करूंगी। (रोते हुए.. थोड़े गुस्से से)


नीलेश : पायल, माफ कर दो। तुम जो चाहे सज़ा दे देना, लेकिन रोना बंद कर दो।


अंतिम : ठीक है, लेकिन आप यहां से अभी जाएं।


नीलेश भी मौके की नजाकत को समझते हुए वहां से जाना ही उचित समझता है। फिर वो अपने कपड़े जो रात को वहीं उतारे थे, उन्हें पहनकर अपने रूम में चला जाता है। अंतिम भी कुछ देर तक अपने रूम में रोती रही। इधर नीलेश भी अपने आपको कोस रहा था कि क्या जररूत थी उसे ऐसा करने की, उसकी प्यारी बहन जो बिना कहे सब कुछ देने और करने को तैयार रहती है। फिर भी उसके साथ ऐसा बर्ताव किया।


कुछ देर बाद पूरे घर में खामोशी छाई रही, सिवाय अंतिम के रूम के वो इसलिए कि नीलेश के जाने के बाद वो कुछ देर जोर से रोती रही। फिर उठकर अपने रूम के दरवाजा बंद कर पलंग पर लेट कर अभी भी रो रही थी और उसकी रोने कि सिसकिया कमरे में धीरे-धीरे गूंज रही थी।


करीब एक घंटे बाद दक्ष कि आवाज़ आती है जो अपनी मम्मी के दरवाज़े के बाहर से उनको आवाज दे रहा था।
अंतिम अपने बेटे की आवाज सुन उसे बोलती है।


अंतिम : क्या हुआ बेटा ? (रोती हुए आवाज में)


दक्ष : मामाजी घर से जा रहे है।


अंतिम : तुम चिंता मत करो वो वापस आ जायेंगे।


दक्ष : ठीक है, मम्मी भूख भी लग रही है ?


अंतिम : बेटा, पांच मिनट में आकर तुम्हें और अवनी को नाश्ता देती हूं।


दक्ष : जी मम्मी।


अंतिम पलंग से उठकर बाथरूम में जाकर अपने चेहरे को पानी से अच्छी तरह से धोती है और फिर अपने कपड़े पहनकर किचन में चली जाती है। खुद के लिए चाय बनाती है और बच्चों के लिए नाश्ता तैयार करती है।


कुछ देर बाद वो दोनो बच्चों को नाश्ता करा देती है और बच्चों के साथ बैठकर टीवी देखने लगती है तभी उसका फोन बजता है वो फोन पर बात करती है। फोन सकीना (नौकरानी) का था। उसने इसलिए फोन किया था कि उसे आज किसी काम से बाहर जाना था, इसलिए वो आज नहीं आ सकती है।


एक डेढ़ घंटे बाद अंतिम खाने की तैयारी करती है और खाना बनाने लग जाती है। खाना बनने के बाद वो बच्चों को खाना खिलाती है और नीलेश के आने का इंतज़ार करती है, लेकिन एक घंटे इंतजार करने के बाद भी नीलेश नहीं आता है तो वह उसे फोन करती है, किन्तु नीलेश फोन भी नहीं उठाता है।


ऐसे ही एक घंटा और बीत जाता है, लेकिन नीलेश नहीं आता है। अब अंतिम को चिंता होने लगती है कि भैय्या उसका फोन भी नहीं उठा रहे है और अभी तक आए भी नहीं है।


वो वैभव को फोन करती है और उनसे भैय्या को फोन करने को बोलती है। वैभव भी नीलेश को फोन करता है, लेकिन उसका फोन नीलेश नहीं उठाता है। वैभव वापस अंतिम को फोन करता है और कहता है कि "हो सकता है कि नीलेश भैय्या कहीं व्यस्त हो, इसलिए फोन नहीं उठा रहे हो। तुम उनकी चिंता मत करो, वो घर आ जायेंगे।" अंतिम उनकी बात तो सुन लेती है और "ठीक है" बोलकर फोन काट देती है।


लेकिन अंतिम जानती थी कि भैय्या उसके फोन क्यों नहीं उठा रहे हैं। वो चाह कर भी हॉस्पिटल नहीं जा सकती है, क्योंकि वो घर पर बच्चों को अकेला नहीं छोड़ सकती है और ना ही उन्हें अपने साथ हॉस्पिटल ले जा सकती है।


ऐसे ही इंतज़ार करते-करते रात हो जाती है वो एक बार और फोन करती है इस बार फोन उठ जाता है।


अंतिम : भैय्या, आप कहां हो कब से आपका इंतज़ार कर रही हूं ? और आप फोन भी नहीं उठा रहे थे ?


नीलेश : मैं हॉस्पिटल में हूं।


अंतिम : आप घर कब तक आ रहे है ?


नीलेश : मैं आज यहीं रुक रहा हूं। तुम अपना और बच्चों का ध्यान रखना।


अंतिम : भैय्या, मैं आपका इंतजार कर रही हूं, आप जल्दी से घर आ जाइए।


नीलेश : पायल, तुम मेरा इंतज़ार मत करो।


अंतिम : भैय्या, जबतक आप नहीं आते मैं आपका ऐसे ही भूखे प्यासे बैठे इंतज़ार करती रहूंगी। (फोन काट देती है।)


नीलेश वापस फोन करता है लेकिन इस बार अंतिम फोन नहीं उठाती है और नीलेश का इंतज़ार करने लगती है।


एक घंटे बाद भी नीलेश नहीं आता है तो वो बच्चों को खाना खिला देती है और उनके साथ बैठकर टीवी देखते हुए नीलेश का इंतज़ार करती है। ऐसे ही एक डेढ़ घंटा और बीत जाता है लेकिन नीलेश नहीं आता है। फिर वो बच्चों को सुलाकर वापस हॉल में आकर नीलेश का इंतज़ार करती है। घड़ी में रात के ग्यारह बज रहे थे, लेकिन नीलेश अभी तक नहीं आया। तभी उसका फोन आता है, लेकिन अंतिम उसे उठाती नहीं है।


इधर अब नीलेश को भी चिंता होने लगती है कि अंतिम सोई या नहीं। नीलेश कुछ देर इसी दुविधा में डूबा रहता है। फिर वो घर जाने की सोचता है और हॉस्पिटल से निकल एक ऑटो पकड़कर घर के लिए निकल जाता है।


इधर अंतिम ने ये भी नहीं देखा था कि उसकी दोनों कार घर के बाहर ही खड़ी है। अंतिम तो पूरा दिन और आधी रात घर में नीलेश कि चिंता और इंतज़ार में ही गुज़ार दिया था।


रात के करीब साढ़े बारह बजे घर के दरवाजे की घंटी बजती है। जैसे ही अंतिम घंटी सुनती है वो दौड़कर कर दरवाजा खोलती है और नीलेश के गले लग जाती है। थोड़ी देर बाद नीलेश उसे कहता कि अब अंदर चले या यहीं खड़े रहने का इरादा है।


अंतिम : भैय्या, आप बहुत बुरे है, सुबह से में आपका इंतज़ार करती रही और आप अब आ रहे है। (नाराज़गी गुस्से से)


नीलेश : अब सारी बात यहीं करोगी या अंदर चले।


फिर दोनों अंदर आ जाते है और दरवाजा लगा देते है।
अंदर आते ही अंतिम ने नीलेश के पैरों को पकड़ कर रोने लगी।


नीलेश : क्या हुआ तुम ऐसे क्यों रो रही हो ?


अंतिम : भैय्या, मुझे माफ़ कर दीजिए। मैंने सुबह आप पर हाथ उठाया उसके लिए मुझे माफ़ कर दीजिए। (रोते हुए..)


नीलेश : पायल, उसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं थी, बल्कि सारी गलती मेरी थी। उसके लिए तुम क्यों माफ मांग रही हो, बल्कि मुझे तुमसे मांगनी चाहिए।


अंतिम : फिर भी मैंने आप पर हाथ उठाया था। (रोते हुए..)


नीलेश : ठीक है, पहले तुम रोना बंद करो और खड़े हो।


अंतिम को नीलेश खड़ा करता है और उसके आंसू भी साफ़ करता है।


नीलेश : पायल, तुमने कुछ खाया या नहीं ?


अंतिम : आपने खाया या नहीं ?


नीलेश : सवाल का सवाल जवाब नहीं होता है बहना!


अंतिम : पहले आप मेरे सवाल का जवाब दीजिए।


नीलेश : इसका मतलब है तुमने खाना नहीं खाया। और ऐसा क्यों किया ?


अंतिम : मैंने आपसे पहले ही कह दिया था कि आप जब तक नहीं आयेंगे। तब तक मैं भूखी प्यासी रहूंगी। (नाराज़ होते हुए...)


नीलेश : अच्छा, अब में आ गया हूं, अब तो खाना खा लो।


अंतिम : पहले आप खा लीजिए। फिर मैं खा लूंगी। (थोड़ा खुश होते हुए..कहती)


नीलेश : अच्छा, तो कल जैसे साथ में ही खाते हैं।


अंतिम : ठीक है, पांच मिनट में खाना गरम करके लाती हूं। तब तक आप हाथ मुंह धोकर आ जाइए।


नीलेश : ठीक है, तुम भी अपना चेहरा धो लो आंसू से पूरा चेहरा बिगड़ गया है। (हंसते हुए...)


अंतिम : भैय्या, आप भूलिए मत मुझे आपको सज़ा भी देनी। (कातिलाना मुस्कान के साथ)


नीलेश : अच्छा, कौनसी सज़ा देंगी आप हमें जज साहिबा ?


अंतिम : पहले आप खाना खा लीजिए। फिर आपकी सज़ा बताई जाएगी।


नीलेश : जो हुकुम जज साहिबा। (हंसते हुए..)


फिर दोनों अपने रूम में जाकर हाथ मुंह धोकर आ जाते है।
अंतिम किचन से खाना गरम करके लाती है और दोनों भाई- बहन बैठकर खाना खाने लगते। कुछ देर में दोनों खाना खा लेते है इस दौरान कुछ बातें भी करते है। अंतिम डायनिंग टेबल साफ करने लगती है तो निखिल वहां से जाने लगता है तभी अंतिम उसे रोक देती है और कहती है।


अंतिम : भैय्या, कहां जा रहे हैं अभी आपको सज़ा सुनानी है।


नीलेश : कहीं नहीं बस अपने रूम में जाकर कपड़े बदलकर आता हूं।


अंतिम : कोई जरूरत नहीं है, आप यही कुर्सी पर बैठ जाइए । तब तक मैं टेबल साफ करती हूं।


नीलेश : जी, जज साहिबा।


थोड़ी देर में अंतिम अपने काम से मुक्त होकर नीलेश के पास आती है।


नीलेश : जज साहिबा, क्या अब हमें आप सज़ा सुना सकती है ?


अंतिम : इतनी भी क्या जल्दी है, सज़ा भी सुनाई जाएगी और आपको सज़ा भी भुगतनी पड़ेगी।


नीलेश : जी, जज साहिबा।


नीलेश कुर्सी पर बैठा था। पायल भी उसके पास ही खड़ी थी
 
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