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Incest जवानी के अंगारे ( Completed)

Ashokafun30

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अनु को एक बार फिर से अपनी तरफ आता देखकर बिनोद चोंक गया
वो धीरे से बुदबुदाया : “ये साली क्यों मेरे आगे पीछे डोल रही है…आज सुधीर सर भाव नही दे रहे क्या इसको”
अभी तक वो बीड़ी पीते हुए उन्ही के बारे में सोच रहा था की पिछली बार की तरह खड़े होकर एक दूसरे के गले मिलकर चूम रहे होंगे
या वो सुधीर सर की गोद में बैठी होगी
अब वो उसके मुममे चूस रहे होंगे …
और फिर उसे नंगा करके उसके मुँह में अपना लॅंड ठूस कर उसका मुँह चोद रहे होंगे




उसके करीब आते ही उसने बीड़ी फेंक दी और खड़ा हो गया (लॅंड तो उसे देखकर और वो सब सोचकर पहले से ही खड़ा था)

“मेडम जी, आप यहाँ , कुछ चाहिए था क्या ? “

अनु ने उसे उपर से नीचे तक देखा और उसके उभरे हुए लॅंड पर आकर उसकी नज़र टिक गयी
आँखो में गुलाबीपन उतर आया उसके
और बोली : “कुछ नही…बस कुछ पूछने आई थी”
बिनोद : “क्या ???”
अनु : “वो….अभी कुछ देर पहले….क्या देख रहे थे तुम”

बिनोद एकदम से चोंक गया
उसे उम्मीद भी नही थी की वो खुद उस बात का ज़िक्र करेगी
चोरी भी और सीनाजोरी भी
वाह
वो चाहता तो खुद चौड़ा होकर उसकी खबर ले सकता था
पर उसने जो देखा था वो पर्याप्त नही था उसके साथ बहस करने के लिए क्योंकि उसने सिर्फ़ उन्हे एकसाथ खड़े देखा था
जैसे गले मिलने के बाद अलग हो रहे होते है वैसे…
उसका फायदा उठाकर वो उसका कुछ नही उखाड़ सकता था
पर ये बात वो खुद क्यों पूछ रही है

यानी उसे लग रहा है की मैने वो सब देख लिया है, ये सोचते ही बिनोद के चेहरे पर एक चमक सी आ गयी
वो बोला : “जी…जी देखा तो था कुछ, पर....... ”

अब अनु ने डरने का नाटक करते हुए कहा : प्लीज़….जो भी आपने देखा…वो…वो किसी को मत बताना….वरना मेरी बहुत बदनामी हो जाएगी….”

बकरी खुद शेर के पास पहुँच कर अपने बचने की गुहार लगा रही थी
शेर की तो बाँछे खिल चुकी थी
अपने आप को वो किसी राजा से कम नही समझ रहा था इस वक़्त
पर उसे भी पता था की जो भी करना है वो हद मे रहकर करना है
अपनी इस रंग बिरंगी जॉब में वो बहुत खुश था
उसे वो किसी बदनामी की वजह से खोना नही चाहता था

बिनोद : “आप फ़िक्र मत करो मेडम जी, किसी को कुछ पता नही चलेगा…”
इतना कहते हुए वो बड़ी बेशर्मी से अपने खड़े लॅंड को मसलने लगा उसके सामने




एक पल के लिए तो अनु की साँसे भी तेज हो गयी ये सोचकर की बिनोद ने उसे इस वक़्त दबोच लिया तो उत्तेजना के मारे वो उसे मना भी नही कर पाएगी शायद

अचानक अनु उसके करीब आई और उसके हाथों को पकड़ लिया, जिससे वो अपना लॅंड मसल रहा था
और बोली : “तुम्हारे घर में कौन-2 है बिनोद “

इतनी कम उम्र की लड़की के मुँह से अपना नाम सुनना बिनोद को बहुत अच्छा लगा
साथ में उसका कोमल स्पर्श भी उसे अंदर तक गुदगुदा सा गया
वो बोला : “बीबी तो कई सालों पहले मर गयी थी, बस एक बेटी है, आपकी उम्र की ही होगी वो भी…”

अब अनु को समझ आया की क्यों उसकी लार निकलती है अपनी बेटी की उम्र की लड़कियो को देखकर
घर पर जवान बेटी हो तो ऐसी भावनाए आ ही जाती है

अनु : “मुझे देखकर उसी की याद आ रही है ना “

अनु की नज़रें उसके लॅंड पर थी
जो अभी भी बिनोद के पंजों की गिरफ़्त में था

और उसका हाथ उसकी गिरफ़्त में

वो कुछ नही बोला, बस तेज साँसे लेता हुआ अनु को घूरता रहा, और जहन में उसकी जवान बेटी रज्जो का जिस्म कोंध गया




अनु : “मैं समझ सकती हू बिनोद, तुम्हे कैसा फील होता होगा, घर पर जवान लड़की, उसके साथ कुछ कर नही सकते, स्कूल में हज़ारों लड़कियां, उनके साथ कुछ करने की सोच नही सकते, ऐसे में इंसान परेशन होकर यही तो करेगा “

वो उसके लॅंड पकड़े हाथ की तरफ इशारा करके बोली

अब बिनोद की साँसे और तेज हो गयी
और अनु ने उसकी कोहनी पर जो दबाव बनाकर उसे पकड़ा हुआ था, वहां से उसे फिर से उसके हाथों की हरकत महसूस होने लगी
यानी अनु की बाते सुनकर वो उत्तेजित हो रहा था और एक बार फिर से बेशर्म होकर अपने लॅंड को मसल रहा था

अनु ने उसे अपने जाल में फँसा लिया था

वो बोली : “पर तुम फ़िक्र ना करो, तुमने मेरा राज अपने तक रखना है बस, उसके बदले मैं तुम्हे इस जिंदगी का मज़ा दिलवा दूँगी”

अब ये बात सुनकर तो बिनोद का मन हुआ की वो अपना लॅंड निकाल कर इस कुतिया के मुँह में पेल दे
ऐसे रसीले होंठों से इतनी सैक्सी बातें कर रही थी वो की अच्छे से अच्छा मर्द भी उसे वहीं लिटा कर उसका बेंड बजा डाले

पर बिनोद के साथ एक ही परेशानी थी, वो खुद कुछ नही कर सकता था
वो देखना चाहता था की वो क्या कह रही है और क्या करना चाहती है उसके साथ

अभी तक तो उसे यही लग रहा था की वो उसके साथ मज़े लेने के मूड में है
पर आख़िर में जो उसने कहा की ‘दिलवा दूँगी’ , इसका मतलब तो कुछ और ही निकल रहा था

बिनोद : “क….क…कैसे …मज़े दिलवा दोगी मेडम जी….”

अनु ने बड़े ही सैक्सी अंदाज में अपने होंठों को दांतो तले दबाया और उसके होंठों की चाशनी निचुड़ कर उसके मुम्मे पर गिर गयी

वो बोली : “मन तो मेरा भी है पर मैं कुछ कर नही पाऊँगी तुम्हारे साथ कुछ, पर मेरी एक सहेली है, वो कर सकती है…कुछ भी”

अब ये ऐसा ऑफर था जिसे कोई भी मना नही कर सकता था
उसने ये पूछने की जहमत भी नहीं उठायी की क्यों नहीं कर सकती वो कुछ उसके साथ, उसे तो दूसरी लड़की मिल ही रही थी
ना भी मिलती तो वो भला क्या ही कर सकता था

अब बिनोद को तो अनु के दिमाग़ में चल रही प्लानिंग की रत्ती भर भी खबर नही थी
बेचारे के दिमाग़ में एक पल के लिए भी ये ख्याल नही आया की वो उसके साथ खेल रही है
ना ही उसने पूछना बेहतर समझा की भला वो अपनी सहेली की खातिरदारी उस से क्यों करवा रही है, उसे तो मज़े लेने से मतलब था और वो उसे मिल रहे थे

बस फिर क्या था, उसने हंसते-2 हां कर दी
अनु भी अब ज़्यादा देर नही करना चाहती थी
निशा को दिया आधा घंटा अब पूरा होने वाला था
वो बिनोद को लेकर स्कूल के पिछले हिस्से की तरफ चल दी
और तय समय के अनुसार ठीक आधे घंटे में वहां पहुँच भी गयी

अनु ने बिनोद को थोड़ी दूर खड़े रहने के लिए कहा और खुद उस बड़े से पेड़ के पीछे की तरफ चल दी जहां उसने निशा को छुपकर बैठने के लिए बोला था
उसके कहे अनुसार वो वहीं थी और उसने अपने बेग से स्कार्फ़ निकाल कर अपनी आँखो पर पट्टी बाँध ली थी, जैसा की अनु की शर्त थी

अनु (फुसफुसा कर) : “सुन, वो बंदा आ गया है, अब तू बिना कुछ बोले बस जैसा वो करे, करवाती जा, कुछ नही बोलना, कुछ नही पूछना, बस एंजाय कर और हां , भूल कर भी ये पट्टी मत उतारना, वरना आज के बाद मुझसे किसी भी चीज़ की उम्मीद मत रखियो”

उसने भी आँखो पर बँधी पट्टी के साथ किसी घोड़ी की तरह हिनहीना कर हां कह दी


 
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Ashokafun30

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उसे अच्छे से समझा कर वो बाहर आई और फिर से बिनोद को बोली : “देखो बिनोद, ये मैं बस अपनी सहेली और तुम्हारे मज़े के लिए कर रही हूँ , इसलिए उसने अपनी आँखो पर पट्टी भी बाँध ली है ताकि उसे कुछ पता ना चल सके की वो किसके साथ मज़े ले रही है, तुम्हे ज़रूर पता चल जाएगा पर इसका मतलब ये नही की तुम इसका ग़लत फ़ायदा उठाओ, ये सब सिर्फ़ और सिर्फ़ आज के लिए हो रहा है, इसके बाद तुम इस बात का ज़िक्र किसी से भी नही करोगे और ना ही ऐसे मज़े की उम्मीद दोबारा करोगे, उसने आँखो पर पट्टी बाँध रखी है, वो कुछ नही बोलेगी, तुम भी कुछ ना बोलना, इस तरह से वो तुम्हारी पहचान से अंजान रहेगी….समझे”

वो भी पूरी तरह से समझ गया, अब तो बस परदा पर्दा हटने की देर थी
दोनो ने एक बार फिर से दोनो तरफ देखा और फिर अंदर की तरफ चल दिए
दरअसल वो एक ऐसी जगह थी जहाँ काफ़ी घनी झाड़ियां थी एक घने से पेड़ के आस पास
पेड़ के नीचे गोलाई में सीमेंट का चौड़ा सा चबूतरा बना हुआ था, जिसपर बैठकर अनु और निशा गप्पे मारते थे
उसी पेड़ के पीछे हिस्से के चबूतरे पर निशा बैठी थी

अनु बिनोद को लेकर वहां आ गयी
बिनोद ने जैसे ही निशा को देखा तो उसे झट्ट से पहचान गया

पहचानता भी कैसे नही, ऐसी मस्त मसालेदार लड़कियों पर तो उसकी ख़ास तौर से नज़र रहती थी
उसने अक्सर निशा को अनु के साथ ही देखा था
उस रसगुल्ले जैसी निशा को देखकर उसके लॅंड ने फिर से विकराल रूप में आना शुरू कर दिया

अनु ने बिनोद को इशारा किया की वो अपना काम शुरू कर सकता है
वो तो कब से इसी पल की प्रतीक्षा में था
वो सीधा आगे आया और उसने निशा को अपनी बाहों में भर लिया और सीधा उसके होंठो पर अपने होंठ रखकर उन्हे चूसने लगा

एकदम से अपने उपर हुए इस हमले से वो घबरा सी गयी
अभी तक तो वो सुधीर सर के ही ख्वाब देख रही थी
पर ये ना तो उनके जैसी बलिष्ट बाजुओं वाला था और ना ही उन जैसा क्लीन शेव
इसकी तो दाढ़ी मूँछे थी, जो उसे चुभ भी रही थी
और साथ ही उसमें से पसीने की बदबू भी आ रही थी

वो थोड़ी देर तक छटपटाई पर अपनी आँखो से पट्टी निकालकर उस इंसान को देखने की हिम्मत नही हुई उसकी
वो जानती थी की अनु अपनी बात की कितनी पक्की है
वो दोबारा उसे ऐसा मौका नही देगी फिर कभी
सलिए वो साँसे रोक कर उस जबरदस्ती को सहन करने लगी

दूसरी तरफ बिनोद को तो अभी भी विश्वास नही हो रहा था की ऐसी कमसिन मलाई जैसी लड़की उसकी बाहों में है
इतने सालों से वो जिस पल की प्रतीक्षा में था आज वो मिला था उसे
एक जवान कमसिन मलाई जैसी नर्म लड़की का गर्म जिस्म था उसके हाथों में
जिसे वो किसी कुत्ते की तरह चाट रहा था



उसने निशा के नन्हे मुम्मो के उपर लगे कड़क निप्पल्स को अपनी उंगलियो से कटोचना शुरू कर दिया और फिर आनन फानन में उसकी शर्ट के बटन खोलकर उसे उपर से नंगा कर दिया

शर्ट निकलते ही उसके दो चाँद से कटोरे निकालकर बाहर आ गये, जिन्हे देखकर वो एक पल के लिए तो पलकें झपकाना भी भूल गया

उसे उसी पल अपनी बेटी रज्जो की याद आ गयी
एक बार वो चुपके से उसे नहाते हुए देख चुका था
उसकी छातियाँ भी ठीक वैसी ही थी
उस दिन तो वो उन्हे छू नही पाया था पर आज लगभग उसी आकार के स्तन अपने सामने देखकर उससे रहा नही गया और सीधा अपना पूरा जबड़ा खोलकर वो उनपर टूट पड़ा और गहरी साँसे लेता हुआ, धीमे-2 बुदबुदा उठा

“उम्म्म्ममममममममममममम…….पुउऊचह……अहह………राज्ज्जज्ज्जूऊऊऊऊऊऊऊ……… सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स……..अहह”




अभी तक निशा ये तो समझ ही चुकी थी की ये सुधीर सर तो नही है, पर जो भी है वो उसे रज्जो क्यों बुला रहा है

उनके करीब खड़ी अनु ये सुनकर मुस्कुरा उठी
थोड़ी देर पहले उसी ने उसकी बेटी का ज़िक्र छेड़ा था
शायद उसे इस वक़्त वही याद आ रही थी, इसलिए उसका नाम लेकर वो निशा की जवानी को चूस रहा था

वो अपना पसीने से भीगा हुआ चेहरा उसके सफेद परांठे जैसे मुम्मो पर घी की तरह मसल रहा था
उस सफेदी को वो अपने चेहरे पर मलकर उन जैसा गोरा होना चाहता था शायद

अभी तक निशा साँसे रोके उसके मर्दन को सहन कर रही थी पर मुम्मो पर हुए हमले के बाद तो उसके अंदर की रंडी भी अब जाग चुकी थी
उसे उसके पसीने की दुर्गंध या दादी मूँछ की चुभन से भी कोई फ़र्क नही पड़ रहा था
वो आदमी जिस अंदाज से उसके स्तनों को चूस कर उनका रस पी रहा था उससे सॉफ पता चल रहा था की उसे कितना तजुर्बा है इस काम का

और तजुर्बे के सामने तो दुनिया झुकती है
निशा भी झुक गयी और उसकी दुर्गंध की परवाह किए बिना उसका साथ देने लगी

उसने जब उसके नन्हे निप्पल को अपने होंठो के बीच दबाया तो उसका नशीला जिस्म इंद्रधनुष के आकार का बनकर उसकी बाहों में झूल गया

बिनोद उसकी नाभि से लेकर उसके माथे तक सारे रंग देख पा रहा था उस एंगल से
छोटे-2 स्तन उपर की तरफ मुँह करके चाँद को बुला रहे थे
नन्हे निप्पल सितारों से अपनी तुलना कर रहे थे

बिनोद के खुरदुरे होंठ उसकी नाभि पर आ गिरे और उसने अपने मुँह की सारी लार निकाल कर उसके पेट पर उडेल दी
और फिर अपनी लंबी जीभ निकाल कर उस देसी घी को उसके जिस्म पर नीचे से उपर तक मलने लगा
जैसे कोई पेंटर ब्रश से पैंट करके दीवार रंग देता है, वो उसका बदन अपनी लार से रंग रहा था




निशा को इस तरहा से तड़पता देखकर अनु के बदन में भी चींटियां सी रेंगने लगी और उसका एक हाथ अपनी चुचि पर और दूसरा अपनी चूत पर आ टिका

अभी तक तो बिनोद का सारा ध्यान निशा पर ही था
इसलिए दूर बैठी अनु अपने जिस्म के साथ खेलकर अपनी संतुष्टि का मार्ग ढूँढ रही थी

टाइम बीत रहा था
ऐसी अवस्था में पकड़े जाने का ख़तरा हमेशा डरा कर रखता है इंसान को
वही बिनोद के साथ भी था

निशा का जिस्म तो ऐसा था की पूरी रात भी कम पड़ने वाली थी उसे प्यार करने के लिए
पर अगर वो पकड़ा गया तो वो सुख नही ले पाएगा जिसके सपने उसके हरामी लॅंड ने कितने सालो तक देखे थे
यानी कमसिन लड़की की चुदाई का सपना

इसलिए उसने आगे बढ़ने की सोची और उसकी स्कर्ट के हुक खोलकर उसे निकाल फेंका
अब वो एक नन्ही सी कच्छी में उसके सामने खड़ी थी
उसका शराबी जिस्म उपर से नीचे तक बिनोद को उत्तेजित कर रहा था

निशा का भी यही हाल था, उसके अंदर की आग एकदम भड़क चुकी थी
उसकी चूत के होंठ खुद बा खुद फड़क कर लॅंड का आह्वान कर रहे थे

उसने खुद ही वो पेंटी निकाल फेंकी जिसमे उसकी चूत को घुटन हो रही थी
पेंटी हटते ही उसका ताजमहल बिनोद की आँखो के सामने उजागर हो गया
बदन तो संगमरमर था ही, नीचे का गुंबद भी सुभान अल्लाह था




पर उसके अंदर अपना लॅंड पेलने से पहले वो उसे चख लेना चाहता था
उसने उसे पेड़ के चबूतरे पर लिटाया और खुद नीचे ज़मीन पर पंजो के बाल बैठकर उसकी टाँगो को अपने कंधे पर सज़ा लिया और फिर जब उसने उसकी सुलगती हुई चूत के बर्तन में अपनी जीभ का चिमटा चलाना शुरू किया तो उसके मुँह से दबी -2 सी सिसकारियां उस सुने पड़े स्कूल के मैदान में झींगूर की आवाज़ की तरहा गूँज उठी

“सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स……… अहह……. उम्म्म्मममममममममममममममममममममममममम…….. सुक्कककककककक इट हार्ड…….. और ज़ोर से चूसो…….. उम्म्म्मममममममममममममममममम”

उसकी जीभ नीचे से उपर तक उसकी ककड़ी जैसी कड़क चूत में जोरों से चल रही थी
 
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Ashokafun30

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ये सीन देखकर अनु की उंगलियों ने भी अपनी गीली चूत के अंदर अपना रास्ता तलाश लिया और अंदरूनी दिवार पर लगे गोल से बटन को रगड़ कर वो अपने जिस्म को शांत करने में जुट गयी

इस बार ये करते हुए बिनोद ने उसे देख लिया
वो जिस अंदाज से आँखे बंद किए अपनी मुनिया को रगड़ रही थी उसे अपनी बेटी रज्जो की याद आ गयी
काश वो उसे भी इस तरह से मज़ा करते देख पाता

अब आलम ये था की उसकी जीभ तो निशा की चूत में थी
पर नज़रें अनु पर टिक कर रह गयी
और दिमाग़ में उसके रज्जो दिख रही थी

कुल मिलाकर बिनोद एक ही बार में 3 लड़कियों के साथ मज़े ले रहा था
रज्जो का ख्याल आते ही उसके लॅंड ने फिर से फुफ्कारना शुरू कर दिया

वैसे तो इस वक़्त इन दोनो को देखकर कोई भी होता
किसी और के बारे में सोचता ही नही
इतना हुस्न भरा पड़ा था उन दोनो के अंदर
पर इंसान की फ़ितरत ही यही होती है
वो चूत मारते वक़्त अपनी आँखे बंद कर लेता है
और उसके बारे में सोचता है जिसके साथ वो असल में मजा करना चाहता है

वही बिनोद भी कर रहा था
और शायद निशा भी
क्योंकि बंद आँखों के पीछे उसे अभी भी यही एह्सास हो रहा था की ये सब सुधीर सर कर रहे है उसके साथ

अब बिनोद को अपने लॅंड की बात भी सुननी ज़रूरी थी
वो उठा और उसने उसकी टाँगो को दोनो हाथो से फेलाया और अपने लॅंड को उसकी गीली चूत पर रखकर हल्का सा धक्का दिया
वो किसी नाग की तरह उसकी गुफा में सरकता चला गया




बिनोद भी समझ चुका था की ये चुदाई इसकी पहली चुदाई नही है
वरना उसके लॅंड ने अच्छे-अच्छों की चीखे निकलवा दी थी
चीख तो निशा की भी निकली
पर आनंद वाली
अभी तक के लंडो में ये सबसे मोटा था और लम्बा भी
इसलिए कुछ ज़्यादा जगह बनाता हुआ अंदर जा रहा था

पूरा लंड अंदर ठोंक कर जब दोनो के जिस्म एक दूसरे से आ चिपके तो गहरी सांसो की आवाज़ें ही सुनाई दे रही थी दोनो के मुँह से
बिनोद ने उतने ही करीब रहते हुए अपने लॅंड को धीरे-2 अंदर बाहर करना शुरू किया

उसके गुलाबी होंठ ठीक उसके कानो के पास थे
उसमें से आ रही सिसकारियां उसे बिल्कुल सॉफ सुनाई दे रही थी और उसे ज़्यादा उत्तेजित भी कर रही थी

“उहह……मज़ा आ रहा है…….आआआआआहह अब थोड़ा ज़ोर से करो ना……धीरे नही….ज़ोर से…..चोदो मुझे……अपनी रज्जो को……”

रज्जो का नाम उसके मुँह से सुनकर अनु के साथ-2 बिनोद भी चोंक गया
निशा भी समझ चुकी थी की ये जो भी है
किसी रज्जो का दीवाना है
तभी तो उस जैसी हॉट लड़की के होते हुए वो उसी के बारे में सोच रहा था

ऐसे में उसे और ज़्यादा उत्तेजित करने के लिए इस नाम का सहारा लेना पड़ा उसे ताकि वो उसकी जमकर चुदाई करे
क्योंकि इस वक़्त वो बुरी तरह से चुदवाना चाहती थी
और हुआ भी ऐसा ही

अब बिनोद को निशा के चेहरे में अपनी बेटी रज्जो का चेहरा दिखाई दे रहा था
वो थोड़ा उपर हुआ और उसने दे दना दन के हिसाब से उसकी चूत का भड़ता बनाना शुरू कर दिया अपने मूसल जैसे लॅंड से
हर झटके से उसका नंगा जिस्म उस चबूतरे पर 2 इंच उपर खिसक आता




अंत में जब वो झड़ने के करीब पहुँचा तो वो झटके मार-मारकर उसे पेड़ के तने से तक पहुंचा चुका था
आख़िरी वक़्त में अपने लॅंड को उसने बाहर निकाल कर उसके चेहरे को भिगोना शुरू कर दिया
निशा भी उसके दूध में नहाकर पहले से ज़्यादा निखर उठी




5 बार झाड़ चुकी थी वो आज
आँखो पर बँधी पट्टी की उत्तेजना ही ऐसी थी की एक बार उसके छूने से
दूसरी बार उसके लॅंड को चूसने से
तीसरी बार जब उसने उसकी चूत चूसी
और लगातार 2 बार उसके लॅंड के धक्को से उसकी चूत ने आज पानी छोड़ा था
चबूतरे पर उसकी चूत से निकले रज़ ने आज एक इतिहास लिख दिया था
जिसकी महक वहां बैठने वालों को कई हफ़्तों तक महसूस होने वाली थी

अपना लॅंड अच्छे से सॉफ करके बिनोद ने अपनी पेंट में डाला और अनु के इशारा करते ही वो वापिस स्कूल बिल्डिंग की तरफ चल दिया

उसके आँखो से ओझल होते ही अनु ने निशा की आँखो की पट्टी हटा दी
वो अब भी आँखे बंद किए उस ऑर्गॅज़म को महसूस करके काँप सी रही थी

उसकी चूत से अभी तक उसके रस की बूंदे रिस रिसकर बाहर गिर रही थी

अनु ने उसके गालों पर चपत लगाकर उसे उस सपने की दुनिया से बाहर निकाला
उसके चेहरे की ख़ुशी बता रही थी की आज उसने कितना एंजाय किया है

वो उठी और उसी हालत में अनु के गले से लग गयी
उसका पसीने से भीगा जिस्म एक अलग ही महक छोड़ रहा था
शायद बिनोद के जिस्म की महक आ रही थी उसमें से अब

निशा : “थेंक यू मेरी जान, ये बंदा जो भी था, मज़ा बहुत आया मुझे, आज का दिन मैं कभी भूल नही सकती”

इतना कहते हुए उसने अपने होंठ अनु के होंठो पर रख दिए और उसे चूसने लगी
ये उसका थेंक्स कहने का अपना तरीका था

निशा के चेहरे पर अभी तक बिनोद के लॅंड से निकला माल लगा हुआ था
और उसके किस्स करने से वो भी उस किस्स के साथ उसके मुँह में जा रहा था
ना चाहते हुए भी उसे वो रस चखना पड़ा…चूसना पड़ा

पहले तो वो हिचकिचा रही थी
पर जब उसका स्वाद उसकी जीभ को लगा तो वो पागल सी हो उठी और निशा के चेहरे को किसी कुतिया की तरह चाटने लगी
अपनी जीभ से चाट चाटकार उसने बिनोद का पूरा रस चाट लिया उसके चेहरे से
काश वो उसे डायरेक्ट पी पाती




पर कभी ना कभी तो पीएगी ही
अभी के लिए तो उनका वहां से निकलना ज़रूरी था
इसलिए निशा ने जल्दी-2 अपने सारे कपड़े पहने
फिर दोनो ने बाथरूम में जाकर अपना हुलिया भी ठीक किया और चुपचाप दोनो स्कूल से बाहर निकल आए

दूर छुपा हुआ बिनोद उन दोनो को जाते हुए देखता रहा
वो आने वाले दिनों के बारे में सोच-सोचकर खुश हो रहा था
अनु को भी घर पहुँचने की जल्दी थी
अपनी माँ की चुदाई वो एक बार फिर से देखना चाहती थी
 
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kamdev99008

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ये सीन देखकर अनु की उंगलियों ने भी अपनी गीली चूत के अंदर अपना रास्ता तलाश लिया और अंदरूनी दिवार पर लगे गोल से बटन को रगड़ कर वो अपने जिस्म को शांत करने में जुट गयी

इस बार ये करते हुए बिनोद ने उसे देख लिया
वो जिस अंदाज से आँखे बंद किए अपनी मुनिया को रगड़ रही थी उसे अपनी बेटी रज्जो की याद आ गयी
काश वो उसे भी इस तरह से मज़ा करते देख पाता

अब आलम ये था की उसकी जीभ तो निशा की चूत में थी
पर नज़रें अनु पर टिक कर रह गयी
और दिमाग़ में उसके रज्जो दिख रही थी

कुल मिलाकर बिनोद एक ही बार में 3 लड़कियों के साथ मज़े ले रहा था
रज्जो का ख्याल आते ही उसके लॅंड ने फिर से फुफ्कारना शुरू कर दिया

वैसे तो इस वक़्त इन दोनो को देखकर कोई भी होता
किसी और के बारे में सोचता ही नही
इतना हुस्न भरा पड़ा था उन दोनो के अंदर
पर इंसान की फ़ितरत ही यही होती है
वो चूत मारते वक़्त अपनी आँखे बंद कर लेता है
और उसके बारे में सोचता है जिसके साथ वो असल में मजा करना चाहता है

वही बिनोद भी कर रहा था
और शायद निशा भी
क्योंकि बंद आँखों के पीछे उसे अभी भी यही एह्सास हो रहा था की ये सब सुधीर सर कर रहे है उसके साथ

अब बिनोद को अपने लॅंड की बात भी सुननी ज़रूरी थी
वो उठा और उसने उसकी टाँगो को दोनो हाथो से फेलाया और अपने लॅंड को उसकी गीली चूत पर रखकर हल्का सा धक्का दिया
वो किसी नाग की तरह उसकी गुफा में सरकता चला गया




बिनोद भी समझ चुका था की ये चुदाई इसकी पहली चुदाई नही है
वरना उसके लॅंड ने अच्छे-अच्छों की चीखे निकलवा दी थी
चीख तो निशा की भी निकली
पर आनंद वाली
अभी तक के लंडो में ये सबसे मोटा था और लम्बा भी
इसलिए कुछ ज़्यादा जगह बनाता हुआ अंदर जा रहा था

पूरा लंड अंदर ठोंक कर जब दोनो के जिस्म एक दूसरे से आ चिपके तो गहरी सांसो की आवाज़ें ही सुनाई दे रही थी दोनो के मुँह से
बिनोद ने उतने ही करीब रहते हुए अपने लॅंड को धीरे-2 अंदर बाहर करना शुरू किया

उसके गुलाबी होंठ ठीक उसके कानो के पास थे
उसमें से आ रही सिसकारियां उसे बिल्कुल सॉफ सुनाई दे रही थी और उसे ज़्यादा उत्तेजित भी कर रही थी

“उहह……मज़ा आ रहा है…….आआआआआहह अब थोड़ा ज़ोर से करो ना……धीरे नही….ज़ोर से…..चोदो मुझे……अपनी रज्जो को……”

रज्जो का नाम उसके मुँह से सुनकर अनु के साथ-2 बिनोद भी चोंक गया
निशा भी समझ चुकी थी की ये जो भी है
किसी रज्जो का दीवाना है
तभी तो उस जैसी हॉट लड़की के होते हुए वो उसी के बारे में सोच रहा था

ऐसे में उसे और ज़्यादा उत्तेजित करने के लिए इस नाम का सहारा लेना पड़ा उसे ताकि वो उसकी जमकर चुदाई करे
क्योंकि इस वक़्त वो बुरी तरह से चुदवाना चाहती थी
और हुआ भी ऐसा ही

अब बिनोद को निशा के चेहरे में अपनी बेटी रज्जो का चेहरा दिखाई दे रहा था
वो थोड़ा उपर हुआ और उसने दे दना दन के हिसाब से उसकी चूत का भड़ता बनाना शुरू कर दिया अपने मूसल जैसे लॅंड से
हर झटके से उसका नंगा जिस्म उस चबूतरे पर 2 इंच उपर खिसक आता




अंत में जब वो झड़ने के करीब पहुँचा तो वो झटके मार-मारकर उसे पेड़ के तने से तक पहुंचा चुका था
आख़िरी वक़्त में अपने लॅंड को उसने बाहर निकाल कर उसके चेहरे को भिगोना शुरू कर दिया
निशा भी उसके दूध में नहाकर पहले से ज़्यादा निखर उठी




5 बार झाड़ चुकी थी वो आज
आँखो पर बँधी पट्टी की उत्तेजना ही ऐसी थी की एक बार उसके छूने से
दूसरी बार उसके लॅंड को चूसने से
तीसरी बार जब उसने उसकी चूत चूसी
और लगातार 2 बार उसके लॅंड के धक्को से उसकी चूत ने आज पानी छोड़ा था
चबूतरे पर उसकी चूत से निकले रज़ ने आज एक इतिहास लिख दिया था
जिसकी महक वहां बैठने वालों को कई हफ़्तों तक महसूस होने वाली थी

अपना लॅंड अच्छे से सॉफ करके बिनोद ने अपनी पेंट में डाला और अनु के इशारा करते ही वो वापिस स्कूल बिल्डिंग की तरफ चल दिया

उसके आँखो से ओझल होते ही अनु ने निशा की आँखो की पट्टी हटा दी
वो अब भी आँखे बंद किए उस ऑर्गॅज़म को महसूस करके काँप सी रही थी

उसकी चूत से अभी तक उसके रस की बूंदे रिस रिसकर बाहर गिर रही थी

अनु ने उसके गालों पर चपत लगाकर उसे उस सपने की दुनिया से बाहर निकाला
उसके चेहरे की ख़ुशी बता रही थी की आज उसने कितना एंजाय किया है

वो उठी और उसी हालत में अनु के गले से लग गयी
उसका पसीने से भीगा जिस्म एक अलग ही महक छोड़ रहा था
शायद बिनोद के जिस्म की महक आ रही थी उसमें से अब

निशा : “थेंक यू मेरी जान, ये बंदा जो भी था, मज़ा बहुत आया मुझे, आज का दिन मैं कभी भूल नही सकती”

इतना कहते हुए उसने अपने होंठ अनु के होंठो पर रख दिए और उसे चूसने लगी
ये उसका थेंक्स कहने का अपना तरीका था

निशा के चेहरे पर अभी तक बिनोद के लॅंड से निकला माल लगा हुआ था
और उसके किस्स करने से वो भी उस किस्स के साथ उसके मुँह में जा रहा था
ना चाहते हुए भी उसे वो रस चखना पड़ा…चूसना पड़ा

पहले तो वो हिचकिचा रही थी
पर जब उसका स्वाद उसकी जीभ को लगा तो वो पागल सी हो उठी और निशा के चेहरे को किसी कुतिया की तरह चाटने लगी
अपनी जीभ से चाट चाटकार उसने बिनोद का पूरा रस चाट लिया उसके चेहरे से
काश वो उसे डायरेक्ट पी पाती




पर कभी ना कभी तो पीएगी ही
अभी के लिए तो उनका वहां से निकलना ज़रूरी था
इसलिए निशा ने जल्दी-2 अपने सारे कपड़े पहने
फिर दोनो ने बाथरूम में जाकर अपना हुलिया भी ठीक किया और चुपचाप दोनो स्कूल से बाहर निकल आए

दूर छुपा हुआ बिनोद उन दोनो को जाते हुए देखता रहा
वो आने वाले दिनों के बारे में सोच-सोचकर खुश हो रहा था
अनु को भी घर पहुँचने की जल्दी थी
अपनी माँ की चुदाई वो एक बार फिर से देखना चाहती थी
बहुत खूब अशोक भाई
कहानी की नायिका ........... अब पूरी खिलाड़ी बनती जा रही है
माँ और सहेली के लिए लण्ड का तो जुगाड़ कर ही दिया

सुधीर और विनोद को भी बिना खुद चुदवाए......... चूत दिलाकर अहसान से भी दबा दिया
 

Luckyloda

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बहुत ही शानदार अपडेट

आखिरकार अनु‌ ने निशा और विनोद का बहुत शानदार जबरदस्त मिलन करवा दिया


और तो और राज्जो के लिए भी विनोद के नए रास्ते खोल दिए
 
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Ajju Landwalia

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ये सीन देखकर अनु की उंगलियों ने भी अपनी गीली चूत के अंदर अपना रास्ता तलाश लिया और अंदरूनी दिवार पर लगे गोल से बटन को रगड़ कर वो अपने जिस्म को शांत करने में जुट गयी

इस बार ये करते हुए बिनोद ने उसे देख लिया
वो जिस अंदाज से आँखे बंद किए अपनी मुनिया को रगड़ रही थी उसे अपनी बेटी रज्जो की याद आ गयी
काश वो उसे भी इस तरह से मज़ा करते देख पाता

अब आलम ये था की उसकी जीभ तो निशा की चूत में थी
पर नज़रें अनु पर टिक कर रह गयी
और दिमाग़ में उसके रज्जो दिख रही थी

कुल मिलाकर बिनोद एक ही बार में 3 लड़कियों के साथ मज़े ले रहा था
रज्जो का ख्याल आते ही उसके लॅंड ने फिर से फुफ्कारना शुरू कर दिया

वैसे तो इस वक़्त इन दोनो को देखकर कोई भी होता
किसी और के बारे में सोचता ही नही
इतना हुस्न भरा पड़ा था उन दोनो के अंदर
पर इंसान की फ़ितरत ही यही होती है
वो चूत मारते वक़्त अपनी आँखे बंद कर लेता है
और उसके बारे में सोचता है जिसके साथ वो असल में मजा करना चाहता है

वही बिनोद भी कर रहा था
और शायद निशा भी
क्योंकि बंद आँखों के पीछे उसे अभी भी यही एह्सास हो रहा था की ये सब सुधीर सर कर रहे है उसके साथ

अब बिनोद को अपने लॅंड की बात भी सुननी ज़रूरी थी
वो उठा और उसने उसकी टाँगो को दोनो हाथो से फेलाया और अपने लॅंड को उसकी गीली चूत पर रखकर हल्का सा धक्का दिया
वो किसी नाग की तरह उसकी गुफा में सरकता चला गया




बिनोद भी समझ चुका था की ये चुदाई इसकी पहली चुदाई नही है
वरना उसके लॅंड ने अच्छे-अच्छों की चीखे निकलवा दी थी
चीख तो निशा की भी निकली
पर आनंद वाली
अभी तक के लंडो में ये सबसे मोटा था और लम्बा भी
इसलिए कुछ ज़्यादा जगह बनाता हुआ अंदर जा रहा था

पूरा लंड अंदर ठोंक कर जब दोनो के जिस्म एक दूसरे से आ चिपके तो गहरी सांसो की आवाज़ें ही सुनाई दे रही थी दोनो के मुँह से
बिनोद ने उतने ही करीब रहते हुए अपने लॅंड को धीरे-2 अंदर बाहर करना शुरू किया

उसके गुलाबी होंठ ठीक उसके कानो के पास थे
उसमें से आ रही सिसकारियां उसे बिल्कुल सॉफ सुनाई दे रही थी और उसे ज़्यादा उत्तेजित भी कर रही थी

“उहह……मज़ा आ रहा है…….आआआआआहह अब थोड़ा ज़ोर से करो ना……धीरे नही….ज़ोर से…..चोदो मुझे……अपनी रज्जो को……”

रज्जो का नाम उसके मुँह से सुनकर अनु के साथ-2 बिनोद भी चोंक गया
निशा भी समझ चुकी थी की ये जो भी है
किसी रज्जो का दीवाना है
तभी तो उस जैसी हॉट लड़की के होते हुए वो उसी के बारे में सोच रहा था

ऐसे में उसे और ज़्यादा उत्तेजित करने के लिए इस नाम का सहारा लेना पड़ा उसे ताकि वो उसकी जमकर चुदाई करे
क्योंकि इस वक़्त वो बुरी तरह से चुदवाना चाहती थी
और हुआ भी ऐसा ही

अब बिनोद को निशा के चेहरे में अपनी बेटी रज्जो का चेहरा दिखाई दे रहा था
वो थोड़ा उपर हुआ और उसने दे दना दन के हिसाब से उसकी चूत का भड़ता बनाना शुरू कर दिया अपने मूसल जैसे लॅंड से
हर झटके से उसका नंगा जिस्म उस चबूतरे पर 2 इंच उपर खिसक आता




अंत में जब वो झड़ने के करीब पहुँचा तो वो झटके मार-मारकर उसे पेड़ के तने से तक पहुंचा चुका था
आख़िरी वक़्त में अपने लॅंड को उसने बाहर निकाल कर उसके चेहरे को भिगोना शुरू कर दिया
निशा भी उसके दूध में नहाकर पहले से ज़्यादा निखर उठी




5 बार झाड़ चुकी थी वो आज
आँखो पर बँधी पट्टी की उत्तेजना ही ऐसी थी की एक बार उसके छूने से
दूसरी बार उसके लॅंड को चूसने से
तीसरी बार जब उसने उसकी चूत चूसी
और लगातार 2 बार उसके लॅंड के धक्को से उसकी चूत ने आज पानी छोड़ा था
चबूतरे पर उसकी चूत से निकले रज़ ने आज एक इतिहास लिख दिया था
जिसकी महक वहां बैठने वालों को कई हफ़्तों तक महसूस होने वाली थी

अपना लॅंड अच्छे से सॉफ करके बिनोद ने अपनी पेंट में डाला और अनु के इशारा करते ही वो वापिस स्कूल बिल्डिंग की तरफ चल दिया

उसके आँखो से ओझल होते ही अनु ने निशा की आँखो की पट्टी हटा दी
वो अब भी आँखे बंद किए उस ऑर्गॅज़म को महसूस करके काँप सी रही थी

उसकी चूत से अभी तक उसके रस की बूंदे रिस रिसकर बाहर गिर रही थी

अनु ने उसके गालों पर चपत लगाकर उसे उस सपने की दुनिया से बाहर निकाला
उसके चेहरे की ख़ुशी बता रही थी की आज उसने कितना एंजाय किया है

वो उठी और उसी हालत में अनु के गले से लग गयी
उसका पसीने से भीगा जिस्म एक अलग ही महक छोड़ रहा था
शायद बिनोद के जिस्म की महक आ रही थी उसमें से अब

निशा : “थेंक यू मेरी जान, ये बंदा जो भी था, मज़ा बहुत आया मुझे, आज का दिन मैं कभी भूल नही सकती”

इतना कहते हुए उसने अपने होंठ अनु के होंठो पर रख दिए और उसे चूसने लगी
ये उसका थेंक्स कहने का अपना तरीका था

निशा के चेहरे पर अभी तक बिनोद के लॅंड से निकला माल लगा हुआ था
और उसके किस्स करने से वो भी उस किस्स के साथ उसके मुँह में जा रहा था
ना चाहते हुए भी उसे वो रस चखना पड़ा…चूसना पड़ा

पहले तो वो हिचकिचा रही थी
पर जब उसका स्वाद उसकी जीभ को लगा तो वो पागल सी हो उठी और निशा के चेहरे को किसी कुतिया की तरह चाटने लगी
अपनी जीभ से चाट चाटकार उसने बिनोद का पूरा रस चाट लिया उसके चेहरे से
काश वो उसे डायरेक्ट पी पाती




पर कभी ना कभी तो पीएगी ही
अभी के लिए तो उनका वहां से निकलना ज़रूरी था
इसलिए निशा ने जल्दी-2 अपने सारे कपड़े पहने
फिर दोनो ने बाथरूम में जाकर अपना हुलिया भी ठीक किया और चुपचाप दोनो स्कूल से बाहर निकल आए

दूर छुपा हुआ बिनोद उन दोनो को जाते हुए देखता रहा
वो आने वाले दिनों के बारे में सोच-सोचकर खुश हो रहा था
अनु को भी घर पहुँचने की जल्दी थी
अपनी माँ की चुदाई वो एक बार फिर से देखना चाहती थी

Wah Ashokafun30 Bhai

Super Duper Fantastic Update he...........

Anu ne ek tir se do shikar kar liye........nisha ki aag bhi bhujwa di aur binod ko apne kaabu me bhi kar liya.........

Simply Awesome Bhai.........

Keep posting
 

Ashokafun30

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बहुत खूब अशोक भाई
कहानी की नायिका ........... अब पूरी खिलाड़ी बनती जा रही है
माँ और सहेली के लिए लण्ड का तो जुगाड़ कर ही दिया

सुधीर और विनोद को भी बिना खुद चुदवाए......... चूत दिलाकर अहसान से भी दबा दिया
dusro ki sahayata karne wale ko ant me lamba land hi milta hai :sanskar:
anu ki chudayi ka wait karo, aur bhi maja aayega
 
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