update givenAgle udpate ka bhut besabri se intjaar hai
बहुत खूब अशोक भाईये सीन देखकर अनु की उंगलियों ने भी अपनी गीली चूत के अंदर अपना रास्ता तलाश लिया और अंदरूनी दिवार पर लगे गोल से बटन को रगड़ कर वो अपने जिस्म को शांत करने में जुट गयी
इस बार ये करते हुए बिनोद ने उसे देख लिया
वो जिस अंदाज से आँखे बंद किए अपनी मुनिया को रगड़ रही थी उसे अपनी बेटी रज्जो की याद आ गयी
काश वो उसे भी इस तरह से मज़ा करते देख पाता
अब आलम ये था की उसकी जीभ तो निशा की चूत में थी
पर नज़रें अनु पर टिक कर रह गयी
और दिमाग़ में उसके रज्जो दिख रही थी
कुल मिलाकर बिनोद एक ही बार में 3 लड़कियों के साथ मज़े ले रहा था
रज्जो का ख्याल आते ही उसके लॅंड ने फिर से फुफ्कारना शुरू कर दिया
वैसे तो इस वक़्त इन दोनो को देखकर कोई भी होता
किसी और के बारे में सोचता ही नही
इतना हुस्न भरा पड़ा था उन दोनो के अंदर
पर इंसान की फ़ितरत ही यही होती है
वो चूत मारते वक़्त अपनी आँखे बंद कर लेता है
और उसके बारे में सोचता है जिसके साथ वो असल में मजा करना चाहता है
वही बिनोद भी कर रहा था
और शायद निशा भी
क्योंकि बंद आँखों के पीछे उसे अभी भी यही एह्सास हो रहा था की ये सब सुधीर सर कर रहे है उसके साथ
अब बिनोद को अपने लॅंड की बात भी सुननी ज़रूरी थी
वो उठा और उसने उसकी टाँगो को दोनो हाथो से फेलाया और अपने लॅंड को उसकी गीली चूत पर रखकर हल्का सा धक्का दिया
वो किसी नाग की तरह उसकी गुफा में सरकता चला गया
बिनोद भी समझ चुका था की ये चुदाई इसकी पहली चुदाई नही है
वरना उसके लॅंड ने अच्छे-अच्छों की चीखे निकलवा दी थी
चीख तो निशा की भी निकली
पर आनंद वाली
अभी तक के लंडो में ये सबसे मोटा था और लम्बा भी
इसलिए कुछ ज़्यादा जगह बनाता हुआ अंदर जा रहा था
पूरा लंड अंदर ठोंक कर जब दोनो के जिस्म एक दूसरे से आ चिपके तो गहरी सांसो की आवाज़ें ही सुनाई दे रही थी दोनो के मुँह से
बिनोद ने उतने ही करीब रहते हुए अपने लॅंड को धीरे-2 अंदर बाहर करना शुरू किया
उसके गुलाबी होंठ ठीक उसके कानो के पास थे
उसमें से आ रही सिसकारियां उसे बिल्कुल सॉफ सुनाई दे रही थी और उसे ज़्यादा उत्तेजित भी कर रही थी
“उहह……मज़ा आ रहा है…….आआआआआहह अब थोड़ा ज़ोर से करो ना……धीरे नही….ज़ोर से…..चोदो मुझे……अपनी रज्जो को……”
रज्जो का नाम उसके मुँह से सुनकर अनु के साथ-2 बिनोद भी चोंक गया
निशा भी समझ चुकी थी की ये जो भी है
किसी रज्जो का दीवाना है
तभी तो उस जैसी हॉट लड़की के होते हुए वो उसी के बारे में सोच रहा था
ऐसे में उसे और ज़्यादा उत्तेजित करने के लिए इस नाम का सहारा लेना पड़ा उसे ताकि वो उसकी जमकर चुदाई करे
क्योंकि इस वक़्त वो बुरी तरह से चुदवाना चाहती थी
और हुआ भी ऐसा ही
अब बिनोद को निशा के चेहरे में अपनी बेटी रज्जो का चेहरा दिखाई दे रहा था
वो थोड़ा उपर हुआ और उसने दे दना दन के हिसाब से उसकी चूत का भड़ता बनाना शुरू कर दिया अपने मूसल जैसे लॅंड से
हर झटके से उसका नंगा जिस्म उस चबूतरे पर 2 इंच उपर खिसक आता
अंत में जब वो झड़ने के करीब पहुँचा तो वो झटके मार-मारकर उसे पेड़ के तने से तक पहुंचा चुका था
आख़िरी वक़्त में अपने लॅंड को उसने बाहर निकाल कर उसके चेहरे को भिगोना शुरू कर दिया
निशा भी उसके दूध में नहाकर पहले से ज़्यादा निखर उठी
5 बार झाड़ चुकी थी वो आज
आँखो पर बँधी पट्टी की उत्तेजना ही ऐसी थी की एक बार उसके छूने से
दूसरी बार उसके लॅंड को चूसने से
तीसरी बार जब उसने उसकी चूत चूसी
और लगातार 2 बार उसके लॅंड के धक्को से उसकी चूत ने आज पानी छोड़ा था
चबूतरे पर उसकी चूत से निकले रज़ ने आज एक इतिहास लिख दिया था
जिसकी महक वहां बैठने वालों को कई हफ़्तों तक महसूस होने वाली थी
अपना लॅंड अच्छे से सॉफ करके बिनोद ने अपनी पेंट में डाला और अनु के इशारा करते ही वो वापिस स्कूल बिल्डिंग की तरफ चल दिया
उसके आँखो से ओझल होते ही अनु ने निशा की आँखो की पट्टी हटा दी
वो अब भी आँखे बंद किए उस ऑर्गॅज़म को महसूस करके काँप सी रही थी
उसकी चूत से अभी तक उसके रस की बूंदे रिस रिसकर बाहर गिर रही थी
अनु ने उसके गालों पर चपत लगाकर उसे उस सपने की दुनिया से बाहर निकाला
उसके चेहरे की ख़ुशी बता रही थी की आज उसने कितना एंजाय किया है
वो उठी और उसी हालत में अनु के गले से लग गयी
उसका पसीने से भीगा जिस्म एक अलग ही महक छोड़ रहा था
शायद बिनोद के जिस्म की महक आ रही थी उसमें से अब
निशा : “थेंक यू मेरी जान, ये बंदा जो भी था, मज़ा बहुत आया मुझे, आज का दिन मैं कभी भूल नही सकती”
इतना कहते हुए उसने अपने होंठ अनु के होंठो पर रख दिए और उसे चूसने लगी
ये उसका थेंक्स कहने का अपना तरीका था
निशा के चेहरे पर अभी तक बिनोद के लॅंड से निकला माल लगा हुआ था
और उसके किस्स करने से वो भी उस किस्स के साथ उसके मुँह में जा रहा था
ना चाहते हुए भी उसे वो रस चखना पड़ा…चूसना पड़ा
पहले तो वो हिचकिचा रही थी
पर जब उसका स्वाद उसकी जीभ को लगा तो वो पागल सी हो उठी और निशा के चेहरे को किसी कुतिया की तरह चाटने लगी
अपनी जीभ से चाट चाटकार उसने बिनोद का पूरा रस चाट लिया उसके चेहरे से
काश वो उसे डायरेक्ट पी पाती
पर कभी ना कभी तो पीएगी ही
अभी के लिए तो उनका वहां से निकलना ज़रूरी था
इसलिए निशा ने जल्दी-2 अपने सारे कपड़े पहने
फिर दोनो ने बाथरूम में जाकर अपना हुलिया भी ठीक किया और चुपचाप दोनो स्कूल से बाहर निकल आए
दूर छुपा हुआ बिनोद उन दोनो को जाते हुए देखता रहा
वो आने वाले दिनों के बारे में सोच-सोचकर खुश हो रहा था
अनु को भी घर पहुँचने की जल्दी थी
अपनी माँ की चुदाई वो एक बार फिर से देखना चाहती थी
ये सीन देखकर अनु की उंगलियों ने भी अपनी गीली चूत के अंदर अपना रास्ता तलाश लिया और अंदरूनी दिवार पर लगे गोल से बटन को रगड़ कर वो अपने जिस्म को शांत करने में जुट गयी
इस बार ये करते हुए बिनोद ने उसे देख लिया
वो जिस अंदाज से आँखे बंद किए अपनी मुनिया को रगड़ रही थी उसे अपनी बेटी रज्जो की याद आ गयी
काश वो उसे भी इस तरह से मज़ा करते देख पाता
अब आलम ये था की उसकी जीभ तो निशा की चूत में थी
पर नज़रें अनु पर टिक कर रह गयी
और दिमाग़ में उसके रज्जो दिख रही थी
कुल मिलाकर बिनोद एक ही बार में 3 लड़कियों के साथ मज़े ले रहा था
रज्जो का ख्याल आते ही उसके लॅंड ने फिर से फुफ्कारना शुरू कर दिया
वैसे तो इस वक़्त इन दोनो को देखकर कोई भी होता
किसी और के बारे में सोचता ही नही
इतना हुस्न भरा पड़ा था उन दोनो के अंदर
पर इंसान की फ़ितरत ही यही होती है
वो चूत मारते वक़्त अपनी आँखे बंद कर लेता है
और उसके बारे में सोचता है जिसके साथ वो असल में मजा करना चाहता है
वही बिनोद भी कर रहा था
और शायद निशा भी
क्योंकि बंद आँखों के पीछे उसे अभी भी यही एह्सास हो रहा था की ये सब सुधीर सर कर रहे है उसके साथ
अब बिनोद को अपने लॅंड की बात भी सुननी ज़रूरी थी
वो उठा और उसने उसकी टाँगो को दोनो हाथो से फेलाया और अपने लॅंड को उसकी गीली चूत पर रखकर हल्का सा धक्का दिया
वो किसी नाग की तरह उसकी गुफा में सरकता चला गया
बिनोद भी समझ चुका था की ये चुदाई इसकी पहली चुदाई नही है
वरना उसके लॅंड ने अच्छे-अच्छों की चीखे निकलवा दी थी
चीख तो निशा की भी निकली
पर आनंद वाली
अभी तक के लंडो में ये सबसे मोटा था और लम्बा भी
इसलिए कुछ ज़्यादा जगह बनाता हुआ अंदर जा रहा था
पूरा लंड अंदर ठोंक कर जब दोनो के जिस्म एक दूसरे से आ चिपके तो गहरी सांसो की आवाज़ें ही सुनाई दे रही थी दोनो के मुँह से
बिनोद ने उतने ही करीब रहते हुए अपने लॅंड को धीरे-2 अंदर बाहर करना शुरू किया
उसके गुलाबी होंठ ठीक उसके कानो के पास थे
उसमें से आ रही सिसकारियां उसे बिल्कुल सॉफ सुनाई दे रही थी और उसे ज़्यादा उत्तेजित भी कर रही थी
“उहह……मज़ा आ रहा है…….आआआआआहह अब थोड़ा ज़ोर से करो ना……धीरे नही….ज़ोर से…..चोदो मुझे……अपनी रज्जो को……”
रज्जो का नाम उसके मुँह से सुनकर अनु के साथ-2 बिनोद भी चोंक गया
निशा भी समझ चुकी थी की ये जो भी है
किसी रज्जो का दीवाना है
तभी तो उस जैसी हॉट लड़की के होते हुए वो उसी के बारे में सोच रहा था
ऐसे में उसे और ज़्यादा उत्तेजित करने के लिए इस नाम का सहारा लेना पड़ा उसे ताकि वो उसकी जमकर चुदाई करे
क्योंकि इस वक़्त वो बुरी तरह से चुदवाना चाहती थी
और हुआ भी ऐसा ही
अब बिनोद को निशा के चेहरे में अपनी बेटी रज्जो का चेहरा दिखाई दे रहा था
वो थोड़ा उपर हुआ और उसने दे दना दन के हिसाब से उसकी चूत का भड़ता बनाना शुरू कर दिया अपने मूसल जैसे लॅंड से
हर झटके से उसका नंगा जिस्म उस चबूतरे पर 2 इंच उपर खिसक आता
अंत में जब वो झड़ने के करीब पहुँचा तो वो झटके मार-मारकर उसे पेड़ के तने से तक पहुंचा चुका था
आख़िरी वक़्त में अपने लॅंड को उसने बाहर निकाल कर उसके चेहरे को भिगोना शुरू कर दिया
निशा भी उसके दूध में नहाकर पहले से ज़्यादा निखर उठी
5 बार झाड़ चुकी थी वो आज
आँखो पर बँधी पट्टी की उत्तेजना ही ऐसी थी की एक बार उसके छूने से
दूसरी बार उसके लॅंड को चूसने से
तीसरी बार जब उसने उसकी चूत चूसी
और लगातार 2 बार उसके लॅंड के धक्को से उसकी चूत ने आज पानी छोड़ा था
चबूतरे पर उसकी चूत से निकले रज़ ने आज एक इतिहास लिख दिया था
जिसकी महक वहां बैठने वालों को कई हफ़्तों तक महसूस होने वाली थी
अपना लॅंड अच्छे से सॉफ करके बिनोद ने अपनी पेंट में डाला और अनु के इशारा करते ही वो वापिस स्कूल बिल्डिंग की तरफ चल दिया
उसके आँखो से ओझल होते ही अनु ने निशा की आँखो की पट्टी हटा दी
वो अब भी आँखे बंद किए उस ऑर्गॅज़म को महसूस करके काँप सी रही थी
उसकी चूत से अभी तक उसके रस की बूंदे रिस रिसकर बाहर गिर रही थी
अनु ने उसके गालों पर चपत लगाकर उसे उस सपने की दुनिया से बाहर निकाला
उसके चेहरे की ख़ुशी बता रही थी की आज उसने कितना एंजाय किया है
वो उठी और उसी हालत में अनु के गले से लग गयी
उसका पसीने से भीगा जिस्म एक अलग ही महक छोड़ रहा था
शायद बिनोद के जिस्म की महक आ रही थी उसमें से अब
निशा : “थेंक यू मेरी जान, ये बंदा जो भी था, मज़ा बहुत आया मुझे, आज का दिन मैं कभी भूल नही सकती”
इतना कहते हुए उसने अपने होंठ अनु के होंठो पर रख दिए और उसे चूसने लगी
ये उसका थेंक्स कहने का अपना तरीका था
निशा के चेहरे पर अभी तक बिनोद के लॅंड से निकला माल लगा हुआ था
और उसके किस्स करने से वो भी उस किस्स के साथ उसके मुँह में जा रहा था
ना चाहते हुए भी उसे वो रस चखना पड़ा…चूसना पड़ा
पहले तो वो हिचकिचा रही थी
पर जब उसका स्वाद उसकी जीभ को लगा तो वो पागल सी हो उठी और निशा के चेहरे को किसी कुतिया की तरह चाटने लगी
अपनी जीभ से चाट चाटकार उसने बिनोद का पूरा रस चाट लिया उसके चेहरे से
काश वो उसे डायरेक्ट पी पाती
पर कभी ना कभी तो पीएगी ही
अभी के लिए तो उनका वहां से निकलना ज़रूरी था
इसलिए निशा ने जल्दी-2 अपने सारे कपड़े पहने
फिर दोनो ने बाथरूम में जाकर अपना हुलिया भी ठीक किया और चुपचाप दोनो स्कूल से बाहर निकल आए
दूर छुपा हुआ बिनोद उन दोनो को जाते हुए देखता रहा
वो आने वाले दिनों के बारे में सोच-सोचकर खुश हो रहा था
अनु को भी घर पहुँचने की जल्दी थी
अपनी माँ की चुदाई वो एक बार फिर से देखना चाहती थी
dusro ki sahayata karne wale ko ant me lamba land hi milta haiबहुत खूब अशोक भाई
कहानी की नायिका ........... अब पूरी खिलाड़ी बनती जा रही है
माँ और सहेली के लिए लण्ड का तो जुगाड़ कर ही दिया
सुधीर और विनोद को भी बिना खुद चुदवाए......... चूत दिलाकर अहसान से भी दबा दिया