मर्मस्पर्शी...ये सौवां भाग ( ननद की बिदाई- बाँझिन का सोहर पृष्ठ १०३५) जैसा बन पड़ा आप लोगों की सेवा में हाजिर है और इन पोस्टों के लिखने के बाद कम से कम मैं ज्यादा कुछ कहने, बोलने की हालत में नहीं हूँ। हाँ बस कह सकती हूँ, जैसा कुछ आप लोगों को लगे, मन में महसूस हो तो हो सके तो दो चार लाइन लिख जरूर दीजियेगा।
सचमुच द्रवित मन और हृदय से ..कोमल मैम
आंख से आंसू तो नहीं निकले लेकिन मन बहुत रोया।
अब बस
निःशब्द
सादर
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अब तक के सारे एपिसोड पे भारी...ये सौवां भाग ( ननद की बिदाई- बाँझिन का सोहर पृष्ठ १०३५) जैसा बन पड़ा आप लोगों की सेवा में हाजिर है और इन पोस्टों के लिखने के बाद कम से कम मैं ज्यादा कुछ कहने, बोलने की हालत में नहीं हूँ। हाँ बस कह सकती हूँ, जैसा कुछ आप लोगों को लगे, मन में महसूस हो तो हो सके तो दो चार लाइन लिख जरूर दीजियेगा।
No doubt... she is adept in expressing the human emotions and flow of the story...Komal, itna achha likh ke bhi readers se do chaar line ki request kar rahi ho.
Jinko apne comment dene hai, wo jarur denge jinhe nahi wo ........
Is tarah ki post daal ke apni garima se samjhauta nahi karen.
I just declare, you are the best, in this forum.
सचमुच.. दिल को झकझोर देने वाला अपडेट...आज सच में मेरी आंखें डबडबा आई। एक औरत के मन की पीड़ा का इतना जीवंत विवरण आपके इलावा कोई नही लिख सकता था। क्षमा चाहूंगी लेकिन आज मैं कुछ नहीं लिख पाऊंगी। मेरी औकात नहीं है कि मैं कुछ कमेंट लिख पाऊं इस मार्मिक और संवेदना से भरपूर अपडेट पर![]()
बिल्कुल नहीं कोमल जी...कहीं मेरी कोई गलती तो नहीं या मेरी कहानी की, अगर है तो,
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very passionate.भाग १०० - ननद की बिदाई -
बाँझिन का सोहर
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२३,७६,200
मैं खिड़की के बाहर देख रही थी, चुपचाप, जिस रास्ते से ननद गयी थीं, घर में अकेली । ये तो सबेरे ही निकल गयी थे, थोड़ी देर पहले सासू माँ भी।
पहले तो डोली पालकी से बेटी बिदा होती थी, अभी तो दू चक्की, नन्दोई की फटफटिया पे पीछे बैठ के ननद,
घर खाली लग रहा था, एकदम सूना। मुझे लग रहा था जैसे ननद नहीं बिटिया को बिदा किया है, वही नीम का बड़ा सा पेड़, उसके थोड़ी दूर पर पाकुड़, बरगद और पांच पेड़ आम के, बगल में कूंवा, जब से गौने उतरी थी, कितनी बार देख चुकी थी, पर आज सब एकदम बदला लग रहा था, खाली खाली, सूना,
सासू माँ ने कहा आज ननद को अंचरा भराई, बिदाई मैं करूँ।
मैं समझ सकती थी, उनकी हालत। न ननद ने उनसे कुछ कहा था न मैंने, लेकिन जिस बेटी को माँ ने पेट में नौ महीने रखा हो,… उसका दुःख सुख कहना पड़ता है क्या।
वो दरवाजे पे खड़ी, मुझे,… मेरी ननद को देख रहे थीं, बार बार उनकी पलकें झपक रही थीं, किसी तरह आंसू को भीतर ठेलते, वापस,
ननद से चाहे जितना मजाक करें, गरियाये, लेकिन पैर छूते हैं, और ये तो उमर में भी ज्यादा नहीं, लेकिन बड़ी तो थी हीं। मैं जैसे पैर छूने के लिए झुकी, ननद ने मुझे रोक दिया और हम लोग गले भेंट के, देर तक,
न वो बोलीं, न मैं, बस सावन भादों हम दोनों की आँखों से, झर झर, न मैंने रोकने की कोशिश की आंसुओं को न उन्होंने,
" भौजी, तू न होतु, तो हम कउनो ताल पोखरा में मिलते"
किसी तरह मेरे मुंह से बोल निकले ,
"चुप, अब आगे से सोचिएगा मत, हँसत बिहँसत जा, हँसत बिहँसत आवा। अब तू एक जनी नहीं दो जान हो, ….और हम काहें न होते, ऊपर से लिखवा के लाये थे "
अंचरा में दूब, घर का चावल, हल्दी, पांच बताशा और फिर मांग में सिन्दूर,
लग रहा था मैं बेटी की बिदाई कर रही थी और कान में ननद की बात गूँज रही थी,
"भौजी जिद करके हम होली में आये थे, अबकी तय किये थे खूब मस्ती करेंगे, एक बार तो खुश हो लें, जो हमरी सास तय की थी, हमारे बस का नहीं, …. मुझे पक्का लग रहा था ये आखिरी होली होगी और आप से, माई से, भैया से अब दुबारा मिलना हो की न हो, …..सासु ने तो निकलते निकलते,…. बाँझिन का बोल,"
एक बार हम दोनों फिर अँकवार में, और मैंने फुसफुसाते हुए कहा,
"केहू जोर से भी बोले न तो बस एक दायं फोन घुमा दीजियेगा, कुछ नहीं तो मिस्ड काल, दो घंटे के अंदर तोहार भैया दरवाजे पे होंगे, सोना अस हमार ननद,… तोहार भाई हैं, भौजाई है, माई है "
अब ननद मेरी थोड़ी मुस्काई, बोलीं
"लोग कहते हैं मायका माई से होता है, लेकिन हमार भौजी तो माई से भी बढ़कर, "
तबतक नन्दोई जी भी आये, झुक के, हाथ में आँचल पकड़ के माथे पे लगा के उनका पैर छूने के बाद उन्हें भी दही गुड़ खिला के बिदाई की रस्म पूरी की और अपने को रोकते भी उन्हें समझा दिया
" अबकी आप एक नहीं दो को ले जा रहे हैं तो रस्ते में सम्हाल के, बेटी की भी जिम्मेदारी आपके ऊपर सबसे ज्यादा, और दस दिन बाद हमारी ननद वापस कर दीजियेगा, मैं खुद जाके डाक्टर मीता को, अपनी डाक्टर भौजी को दिखा के लाऊंगी, "
काफी देर हो गयी थी, ननद पहुंच भी गयी थीं, ननद की सास का फोन भी मेरे सास के पास आ गया था, और मैं सूनी आँखों से खिड़की की ओर देख रही थी,…. लग रहा था अभी ननद आ जाएंगी।
मैं एक सोहर गा रही थी, गुनगुना रही थी धीरे धीरे, अक्सर ये सोहर* लोग गाते नहीं,.... लेकिन पता नहीं क्यों मेरे मन में,….
और गाने के साथ एक कागज के टुकड़े टुकड़े कर के आग में डाल रही थी,
*( सोहर -पुत्र जन्म के अवसर पर गायेजाना वाला लोक गीत )
wah re komaliya. Bahut hi sensitive hai.खुला लिफाफा, नन्दोई जी और,…
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जिस दिन कबड्डी थी, उस दिन की बात थी। गाँव में कोई मरद तो उस दिन रह नहीं सकता था तो ये और ननदोई जी गांव के बाहर एक दूसरे गाँव में जहाँ हमारे खेत बाग़ थे , एक छावनी सी थी, बस वही।
बस मैं कबड्डी के लिए निकलने वाली ही थी, दिमाग में पचास बात चल रही थी, कबड्डी में आज कुछ भी हो ननदों को हराना था, …तभी कोई आके एक लिफाफा दे गया, खुला था।
खोल के देखा तो एक रिपोर्ट थी और ऊपर ननदोई जी का नाम लिखा था, अब इतना डाक्टरी तो नहीं आती लेकिन यह समझती थी की रिपोर्ट के अंत में फैसला दिया रहता है और मैंने सीधे अंत में लिखा पढ़ा, और उसमें लिखा था, Asthenospermia, Oligospermia, Teratozoospermia.
रिपोर्ट में कुछ आंकड़े दिए रहते हैं और नार्मल भी लिखा रहता है तो उससे भी कुछ अंदाजा लग जाता है और जो गड़बड़ होता है वो कई बार बोल्ड में होता है तो मैंने एक नजर उन आंकड़ों पे भी डाली
Volume 2.0 mL or greater 8 mL Sperm Count 40,000,000 or more less than 1,00,000 Sperm Concentration 20,000,000 or more/mL less than 40,000 /mL Total Motility 40% or more 10% Total Progressive Motility 32 % or more 2% Morphology (% of normal-appearing sperm) 4% or more normal - .01 %
इतना तो मैं समझ गयी नन्दोई जी के वीर्य में कुछ गड़बड़ है, औजार तो जबरदस्त है, मलाई भी खूब निकलती है ये तो मैं एक बार नहीं कितनी बार देख चुकी थी और रिपोर्ट के शुरू में जो वॉल्यूम लिखा था उससे भी लग रहा था की औसत मर्द के निकलता है उसका चार गुना नन्दोई की मलाई थी,
पर असली खेल तो शुक्राणु का है वहां गड़बड़ नहीं महा गड़बड़ लग रही थी,
इतना तो मैं भी समझ सकती थी की स्पर्म काउंट नार्मल से बहुत कम था, ४ करोड़ की जगह एक लाख, और मोटिलिटी पता नहीं क्या होता है वो भी बहुत कम था और मार्फोलॉजी भी।
इतना समझ में आ गया की परेशानी कहाँ है, लेकिन इलाज क्या होगा, कैसे होगा। मुझे डाक्टर भौजी याद आयीं और बस झट से मैंने रिपोर्ट की फोटो खींची, हाँ नन्दोई जी का नाम और बाकी डिटेल काट दिया, और भौजी को व्हाट्सएप कर दिया।
फिर उनकी हेड नर्स को भी फोन कर दिया की डाक्टर मीता की ननद बोल रही हूँ, उन्हें एक व्हाट्सऐप किया बोलियेगा, देख लेंगी।
वो बोली डाक्टर साहेब ओ टी में हैं, एक आपरेशन के लिए तैयार हो रही हैं , उनका फोन भी मेरे ही पास है, बोल देती हूँ।
थोड़ी देर में भौजी का फोन आ गया और पहला सवाल, किसकी रिपोर्ट है, मैंने थोड़ी सी बात बनायी, गाँव की ही एक ननद है उनके मरद की, बच्चा नहीं हो रहा है उन्हें तो उनके मरद की जांच की,
" यार मुश्किल है बल्कि समझ लो नहीं हो सकता है, …तेरे ननदोई के बस का नहीं है बच्चा पैदा करना "
लम्बी सांस खींच के वो बोली,
मेरे कुछ समझ में नहीं आया,
ये कैसे हो सकता है, मैं बोल पड़ी, "लेकिन नन्दोई, उनका औजार तो ठीक ठाक है बल्कि जबरदस्त है, और मलाई भी निकलती है तो क्या प्रॉब्लम,"
मेरी बात बीच में काट के चिढ़ाती हुयी बोलीं, असली भौजी,
"" तो घोंट लिया है ननदोई का "
मैं क्यों मौका छोड़ती, मैं हँसते हुए बोली,
" वो सलहज कौन जो ननदोई का बिना घोंटे छोड़ दे "
" अबे, तू किसी सलहज से ही बात कर रही है, अगली बार आएगी न तो तुझे नन्दोई के पास फटकने नहीं दूंगी, एकदम निचोड़ के रख दूंगी " पक्की मेरी भौजी और इनकी सलहज
और फिर वो डाक्टर मीता में तब्दील हो गयीं।
Asthenospermia का मतलब हुआ , की पुअर स्पर्म मोटिलिटी, असली बात ये समझ ले की लौंडे ही तो आते हैं लौंडियों के पास, तो अंडा तो बच्चेदानी में, तो शुक्राणु को ही चल के आना पड़ेगा, और बहुत तेज दौड़ते हैं साले, महक सूंघ के, लेकिन इस मामले में सब के सब महा आलसी हैं उनकी मोबिलिटी बहुत कम है इसलिए अंडे और बीज के मिलान का चांस बहुत ही कम है, दूसरी चीज उसने लिखी है,
मैंने खुद रिपोर्ट पढ़ के बोला, Oligospermia. एकदम मतलब स्पर्म बहुत कम हैं, मैंने इतनी रिपोर्टे देखी है लेकिन इतना कम स्पर्म काउंट पहली बार देख रही हूँ, इसलिए कह रही हूँ की न के बारे चांस है।
लेकिन मैं भी डाक्टर मीता की ननद, मैं इतनी जल्दी हार नहीं मानने वाली थी। मैंने भौजी को चढ़ाया,
" लेकिन भौजी आप वो क्लिनिक चलती है न जिसमें अंडे और बीज को बच्चेदानी के बाहर "
लेकिन मेरी बात काट के सीरियस हो के एकदम डाक्टर मीता के रूप में वो बोलीं, मैंने सोचा था, लो स्पर्म मोटिलिटी हो तो कर सकते हैं, या यूटेरस में कोई परेशानी हो, एम्ब्र्यो और स्पर्म को बाहर फर्टिलाइज करा के फिर वापस बच्चेदानी में, लेकिन ये देख न की स्पर्म हैं कितने कम "
ये बात भौजी की एकदम सही थी, एक बार फिर मैंने रिपोर्ट पढ़ी और फिर वो बोलीं,
" चलो एक बार ट्राई कर लेते, लेकिन जो भी थोड़े बहुत हैं उनमे काम लायक बहुत कम हैं, ४ % क्या २ % भी काम लायक होते तो मैं काम चला लेती, लेकिन १ से भी कम हैं ०१ % तो इसलिए एकदम उम्मीद नहीं है।
फिर वो डाक्टर मीता से भौजी हो गयीं और दुलार से समझाया, देख कितनी भी अच्छी जमीन क्यों न हो, खूब उपजाऊ, दो तीन फसल दे दे, बिना खाद पानी के, हल भी तगड़ा हो, जम के खेत जोता जाए, लेकिन अगर बीज में ताकत नहीं होगी तो फसल होगी क्या, …नहीं न तो बस वही बात है।
मैं धीरे से बोली, भौजी कुछ तो रास्ता होगा, मेरे सामने बार बार ननद का चेहरा घूम रहा था, उदास, डरा हुआ।
वो चुप रहीं, फिर बोलीं,
" यार कोमलिया रस्ता तो है लेकिन वो जो तेरी गाँव वाली ननद है, वो तो चलो, लेकिन उसका मरद, बहुत मुश्किल है
फिर उन्होंने रास्ता बताया, आर्टिफिशयल इनसेमिनेशन, और बोला की उनका कोई परिचित है लखनऊ में उसकी क्लिनिक में स्पर्म बैंक है पर दिक्कत ये है की पति के साथ जाना पड़ता है।
फिर पति का स्पर्म उसी के यहाँ से एक्जामिन होना होगा। रिपोर्ट तो यही आएगी , लेकिन फिर तेरे उस ननदोई को लिख के देना पडेगा, की उसके बीज में बच्चा पैदा करने की ताकत नहीं है इसलिए वो परमिट कर रहा है , और फिर उसके सामने ही, और सब की वीडियोग्राफी, विटनेस, आधार कार्ड, इसलिए की कई बार मरद मुकर जाता है ,डी एन ए टेस्ट कराता है और कह देता है बच्चा मेरा नहीं है, औरत बदचलन है और तलाक लेकिन कौन मरद ये सब काम कागज पत्तर में करेगा।
वो खुद श्योर नहीं थी और मैंने मना कर दिया,
एक बार नन्दोई जी मान भी जाएँ लेकिन उनकी माँ,…
और कौन मरद मानेगा की 'उसका',... बच्चा पैदा करने लायक नहीं है, खासकर जब औजार इतना जबरदस्त हो.
अगर मान लिया तो,... उसी दिन से पति पत्नी के रिश्ते में जो कड़वाहट आएगी, और फिर सीने पे पत्थर रख के, कहीं, लेकिन जब जब फूला पेट देखेगा तो यही सोचेगा मेरा नहीं है, और बच्चे के पैदा होने के बाद भी जिंदगी भर मन में एक फांस तो रहेगी ही, और फिर नन्दोई जी मेरे अपनी माँ के एकदम गुलाम, तो बिना उनको बताये कैसे, और किसी तरह मान भी लिया और बाद में बात निकल गयी तो, इसलिए ये तो हो ही नहीं सकता
और अगर ननद गाभिन नहीं हुयी तो सास उनकी झोंटा पकड़ के सीधे आश्रम जहाँ गिद्ध सब दिन रात नोचेंगे
पति पत्नी के रिश्ते में भी कभी कभी थोड़ा झूठ, रिश्ता बचाने के लिए जरूरी होता है।