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komaalrani ki new holi ki story ke liye
कोमल जी,
सर्व प्रथम नई कहानी के लिए आभार और शुभकामनाएं
मैंने आपकी सारी कहानियां पढ़ी है और जो दूसरे फोरम पर अधूरी रही है उनको भी पढ़ रहा हूं।और सबसे अधिक जोरू का गुलाम ने बहुत ही इंप्रेस किया। इसका अर्थ ये नही है कि अन्य कहानियां अच्छी नहीं है। सभी अच्छी है मगर मैने सबसे अधिक जोरू का गुलाम को पसंद किया है जो मेरी पसंदीदा है
बस आपसे एक ही निवेदन है अपडेट के निरंतरता बनाए रखे![]()
Thanks please do read the selected portions i have shared, will post next part and first part of story soon,Congrats for new story. Is sequel ka to kab se intejaar tha
Mast update Komal kiपूर्वाभास -२
( 'ये' अपनी ससुराल में ) पेज ११ -पोस्ट १०२
छुटकी
छुटकी , मेरी सबसे छोटी बहन। सबसे छोटी हम तीन बहनो में , लेकिन सबसे नटखट।
एक छोटी सी पुरानी फ्राक में ( होली के दिन वैसे ही पुराने कपडे पहने जाते हैं , लेकिन उसका असर कई बार खतरनाक हो जाता है ), जो कई जगहो पे घिस भी गयी थी और टाइट भी।
उसको देख के तो उसके जीजा को जैसे मूठ मार गयी। एक दम ठिठक गए।
और बात भी तो थी।
लड़कियों पे जब जवानी आती है न तो झट से आ जाती है , बस वही छुटकी के साथ हो रहा था। चेहरा , आँखे उनमें तो भोलापन और शरारत थी लेकि देह जवानी ने दस्तक कब की दे दी है , उसकी चुगली कर रहीथी।
और उसके जीजा कि निगाहें बस वहीँ चिपकी थी।
उसके कच्चे टिकोरे , अब बड़े हो गए थे , कच्ची हरी अमिया की तरह और टाइट फ्राक से उछल , छलक रहे थे। कमर तो उसकी पतली थी ही , लेकिन अब हिप्स भरे भरे , पर तब भी छोटे , ब्वायिश।
लेकिन वो तो थे ही इस तरह के चूतड़ के शौक़ीन।
मुझे उनकी और उनके नंदोई से हुयी बात याद आगयी , जब उन्होंने बोला था कि वो छुटकी को ले आयेंगे और फिर दोनों मिल के लेंगे।
और अब उसके बड़े बड़े टिकोरों को देख के उनके इरादे पक्के हो गए थे।
"कच्चे टिकोरों को दबाने , नोचने , मसलने का मजा ही अलग है। एकदम खटमिठवा स्वाद ,…
और दूसरे , जो लौंडिया , इस उम्र में , चूंचिया उठान में दबवाने मिंजवाने लगती है , उसे के एक तो जोबन बहुत जल्दी खूब गद्दर हो जाते हैं और दूसरे , वो कभी को मसलने मिसवाने से मना नहीं करती , चाहे गाँव का मेला हो या शहर की बस हो।
और फिर सारे लौंडो के बीच सबसे पापुलर हो जाती है। और अगर इसी उमर में उसे दो तीन बार रगड़ के चोद दो न , भले बहुत परपराएगी उसकी , बिलबिलाएगी , चीखेगी , लेकिन एक बार जो लंड की आदत लग गयी न , तो फिर पूरी जिंदगी बुर में चींटे काटेंगे , वो भी लाल वाले।
कभी , किसी को मना नहीं करेगी। खुद टांग खोल देगी। "
ये बात इन्होने ही मुझे एक दिन समझायी थी।
उनकी निगाह अभी भी छुटकी के खटमिठवा टिकोरों पे ही अटकी थीं , की छुटकी ही आगे बढ़ी और उनके आँख के आगे चुटकी बजाते बोली ,
" क्या हो गया , जीजा जी , मैं वहीँ हूँ , आपकी सबसे छोटी साली , छुटकी। पहचान नहीं रहे हैं "
और छुटकी ने उन्हें खुद अंकवार में भीच लिया।
उन्होंने भी उसे खूब कस के अपनी बाहों में भीचते हुए , पहले तो गाल सहलाये , और फिर हथेली वहीँ पहुँच गयी , जहाँ थोड़ी देर पहले नदीदी निगाहें चिपकी थी। और बोले ,
" अरे तू बड़ी हो गयी है , बल्कि बड़ा हो गया है "
और हलके से फ्राक फाड़ते टिकोरों को दबा दिया।
मैं एक पल के लिए डर गयी। कहीं वो बिचक ना जाए , या कुछ उल्टा सीधा बोल न दे , होली की शुरुआत ही गड़बड़ हो जायेगी।
लेकिन छुटकी बिना उनका हाथ हटाये , बस बोली ,
" धत्त , जीजू "
उसके गोरे गुलाबी गाल शर्म से लाल हो रहे थे।
उठते उभारों को उन्होंने जोर से दबाया और उसके कान में होंठ लगा के पुछा ,
" हे सच बता , इन टिकोरों का स्वाद तो किसी ने चखा तो नहीं। "
" धत्त जीजू , उम्हह , हटिये ,… नहीं , आप भी न , छुआ भी नहीं "
और छुटकी ने खुद उनके हाथो के ऊपर अपने हाथ रख दिए।
" मैं चख लूँ , मुझे तो मना नहीं करेगी "
और उनके होंठ फ्राक के ऊपर से ही सीधे टिकोरों के नोक पे , और हलके से कचाक से उन्होंने काट लिया।
जीजा साली की होली शुरू हो गयी थी।
बिना छुड़ाने की कोशिश किये , छुटकी ने हलकी से सी सिसकारी भरी और बोली ,
" आप तो मेरे जीजा हैं , इकलौते जीजा। आप का इत्ता इंतज़ार कर रही थी मैं। "
तब तक अंदर से माँ की आवाज आयी ,
" अरे जीजा को अंदर भी घुसने देगी या बाहर ही खड़ा रखेगी। "
" अरे किसकी हिम्मत है जो मुझे अंदर घुसने से रोके, वो भी ससुराल में " .
द्विअर्थी डायलाग बोलने में तो ये सबसे आगे थे।
छुटकी ने अटैची पकड़ी , और हम तीनो अंदर आँगन में।
और ये फिर कैच कर लिए गए स्लिप में।
उनकी मझली साली के द्वारा।
Hot Update Komal jiपूर्वाभास -६
पेज २२ -पोस्ट २१५
सास -दामाद और छुटकी का प्रोग्राम
छुटकी
" मम्मी , छुटकी तो अभी छोटी है ,.. अभी तो वो ,... "
मैंने अपना ऑब्जेक्शन लगाया।
मेरी बात को एकदम इग्नोर करके मम्मी ने सीधे अपने दामाद से पूछा ,
" किस क्लास में थी वो जब उसकी फटी थी ,... "
और उनके जवाब के बाद मम्मी ने मुझसे पूछा
" और ये तेरी बहन , छुटकी किस क्लास में पढ़ती है ,... "
मैं समझ गयी थी , फिर भी बोली ,
[
जवाब तो मैंने दे दिया लेकिन मैं समझ गयी इसका मतलब फैसला हो चुका है अब बेचारी छुटकी की गांड की लिख दी गयी है।
आने के पहले ही मैंने सुना था जो ये ननदोई जी मेरे ममेरे भाई से कह रहे थे ,... छुटकी के बारे में ,...
एक तो इन्होने ननदोई जी से वायदा कर लिया था की छुटकीके पिछवाड़े की सील ननदोई जी ही खोलेंगे ,...
और लम्बाई में तो नहीं लेकिन मोटाई में ननदोई जी का इनसे भी २० था ,...
और दूसरे मेरे भाई से इन्होने साफ़ साफ़ बोल दिया था की
तेरी वो छुटकी बहन आएगी कोरी लेकिन जब जायेगी तो उसकी गांड का छेद रंडी के भोंसडे से भी ज्यादाचौड़ा हो जाएगा ,
और उसके मुंह से गालियां झड़ेंगी।
इनके मन की बात हो गयी थी और इस ख़ुशी में अपनी सास की गांड मारते मारते एक झटके में तीन उँगलियाँ उन्होंने सास की बिल में ठेल दिया ,
साथ में अंगूठा मम्मी की क्लिट पर ,...
मम्मी झड़ने के कगार पर , लेकिन तभी इन्होने कुछ बोल दिया की मम्मी एकदम अलफ़ , इतना गुस्से में मैंने उन्हें कभी देखा नहीं था ,...
उन्होंने मम्मी से सिर्फ यह कह दिया था की हम लोग छुटकी को अपने साथ ले जायँ , अभी उसकी छुट्टी चल रही है , कुछ दिन बाद वापस आ जायेगी।
बस मम्मी एकदम आग बबूला , सब प्यार व्यार एक पल में ख़तम ,
गुस्से से उन्हें देखते बोलीं , ...
छुटकी कौन लगती है तुम्हारी ,...
मैं भी एकदम सकते में आ गयी , ... कुछ समझ में नहीं आ रही थी बात ,... और वो भी , एक पल के लिए सहम गए
मैं इनके पीछे खड़ी अपने जोबन से इनके पीठ पर , ... लेकिन मैं भी रुक गयी
फिर धीमे से बोले ,
" मम्मी , मेरी साली ,... "
मम्मी अभी भी उसी तरह गुस्से में ,... बोलीं ,...
" तो ,... स्साली है न तुम्हारी "
" हाँ ,... " हलके से वो बोले।
" तूने मेरी इस बेटी की ली थी , इसकी गांड मारी थी तो मुझसे पूछा था क्या ,...
" मेरी ओर इशारा कर के , उन्होंने उसी मूड में पूछा।
न उनकी समझ में आ रहा था न मेरी , लेकिन मम्मी ने अचानक खिंच के अपनी ओर कर लिया और कस के अपने दामाद के होंठ चूमती बोलीं ,
" तू रंडी का जना एकदम बेवकूफ है , ... अरे साली है तेरी , तो मुझसे क्यों पूछता है , ले जाओ न जो करना हो करो। अगर आगे से समझ ले , भँड़वे के जाने पैदायशी गंडुवे तूने कभी भी मेरी किसी बेटी के लिए मुझसे पुछा , कुछ भी ,...
और सिर्फ मुझसे नहीं , मेरी इस बेटी से भी पूछने की भी कोई जरुरत नहीं है ,
न ही उस छुटकी से ,...
समझ गए ,... अगर गलती से भी तुमने पूछ लिया न ,...
मेरा हाथ देख रहे हो , चूड़ी और कंगन सहित तेरी गांड में , कोहनी तक पेल दूंगी ,
तेरी वो छिनार माँ खालीभरौटी , चमरौटी में चुदवाती रहती थी , कुछ सिखाया नहीं तुझे। अरे न ससुराल में कुछ पूछा जाता है , न ससुराल वालियों से ,
ले जाओ न ,... और एक तरह सेअच्छा भी है , यहाँ मंझली के हाईस्कूल के इम्तहान है उसे ही तंग करेगी , वहां रहेगी तो कुछ उसका भी मन ,... "
मारे ख़ुशी के उन्होंने वो हचक हचक के अपनी सास की गांड मारनी शुरू की और साथ में तीन उँगलियों से सास की बुर भी वो चोद रहे थे हचाहच ,...
लेकिन झड़ने के पहले मम्मी ने एक बात और दामाद को बता दी ,
" सुन लो कच्ची कली , चीखेगी चिल्लायेगी ,... खासतौर पर पिछवाड़े डालोगे तो ,... लेकिन मेरी बात गाँठ बाँध लो , ".....
गलती से मेरे मुंह से निकल गया ,
" मुंह बंद करना चाहिए , चीख निकलने न पाए , "
एकदम नहीं ,.... मम्मी ने मेरी बात काट दी।
" चीखने चिल्लाने दो , टेसू बहाने दो , गाल पर नमकीन नमकीन आंसू बहे तो बहने दो ,... अरे बाद में यही तो याद रहताहै पहली बार कितना दर्द हुआ है कैसे कस के फटी थी , ... और यही कह के उसे चिढ़ा सकते हो ,.. और एक बात कभी एकबार में नहीं ,...कितना भी दर्द हो रहा हो ,... कम से कम एक बार और ,...
फिर हरदम के लिए दर्द , धड़क निकल जायेगी। "
मम्मी ने बात पूरी की।
सास -दामाद के विचार एकदम मिलते थे।
और फिर जो मेरे साजन ने हचक के गांड मारी , मम्मी की बुर तीन तीन ऊँगली से चोद चोद कर ,...
कुछ देर में जब मम्मी झड़ी तो साथ में वो भी ,
और सब मलाई , कटोरी भर से भी ज्यादा और सब मम्मी की गांड में ,
और हम तीनों वैसे ही निढाल , उनका खूंटा मम्मी के पिछवाड़े ही धंसा पड़ा रहा ,...
और हम तीनों वैसे ही ,...
सुबह के पहले एक राउंड और उनका हुआ, मम्मी के साथ।
Mast update Komal ki
Chotki to jija ji kuch bole bina bata bhi rahi kisi ne chhua nahi hai our khula offer bhi de rahi hai lagta hai holi main cthankhotki ko badi bana hi denge
Hot Update Komal ji
Lo jija ki to nikal padi ab sas ne bhi kah diya chotki ko chikh nikal nikal kar chodai kare
upar se khud apni gand marwa bhi rahi hai jija to full masti kar raha hai sasural main
JKG रचना आपकी कलम से निकला वाकई हीरा है इसमें कोई शक नही इसको बार बार पढ़ने का मन करता हैवास्तव में जोरू का गुलाम एक अलग मिज़ाज की कहानी है और उस जॉनर की बहुत कम कहानियां है, कलेवर भी भी वह उपन्यास के ज्यादा नजदीक है। पिछले फोरम के बंद होने से वह अधूरी रह गयी थी, उम्मीद है इस फोरम में पूरी हो जायेगी,
इस सीक्वेल के बारे में कई लोगों ने अनुरोध किया था और मेरी भी इच्छा थी. बस आप का साथ बना रहे, कमेंट्स मिलते रहें , बिना कमेंट्स के कहानी अधूरी सी लगती है,
एक बार फिर से आभार
Aap likhate rahiye main sath rahunga story likhte likhte mera bhi dimag thoda chakra gaya hai aap ki holi padh kar thoda achha kar leta huinthanks, are holi ho jija hon aur saali ho pphir safed rang vaali pichkaari to chalani hi chaahiye,... thanks so much, bas isi tarh aap ka saath raha to kahani masti se aage badhegi , isliye maine ' Poor