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Horror किस्से अनहोनियों के

faizan alam

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कोमल ने उस रात तो अपनी आँखों के सामने एक जीता जगता किस्सा देखा. जिसमे अपनी चचेरी बहन नेहा के अंदर से पास के ही गाउ की खिल्लो की आत्मा निकली. उस रात गाउ मे ज्यादातर तो लोगो को डर से नींद नहीं आई. खास कर गाउ की जवान औरते. जवान लड़की, बहु, कई जवान लड़के भी.

कई तो व्यस्क और बूढ़े मर्द भी थे. जिन्हे डर लगता था. पर अमूमन लोग इन चीजों से कम ही डरते थे. क्यों की गाउ के मर्द कई बार खेतो मे ऐसे भुत प्रेतो को देख चुके थे. कइयों का काम भी ऐसा था की रात को देरी से आना. तो बहोतो को ऐसी चीजों का सामना होता ही रहता. पर वो जानते थे की ऐसी चीजों को छेड़ना नहीं चाहिए. उन लोगो के लिए ये सब नया भी नहीं था.


कई औरते भी ऐसी थी की भुत प्रेतो को दाई माँ से उतारते देखा भी हुआ था. क्यों की कई गाउ से लोग दाई माँ से ये सब कामों के लिए आते देखा भी था. या कई औरतों का इन सब चीजों से सामना भी हो चूका था. तो अमूमन लोग कम ही डरते थे. पर बिना डर के भी कोमल ही ऐसी थी की उसे डर नहीं रोमांच महसूस हो रहा था. दाई माँ ने कहे दिया था की वो आज नहीं मिलेगी. इस लिए उसे आने वाली कल का इंतजार था.

कोमल अपने परिवार के साथ ही थी. नेहा की शादी हो चुकी थी. पर गोना नहीं हुआ. बारात वापस चली गई. कोमल ने नेहा के साथ काफ़ी वक्त बिताया. जब होश आया तो नेहा को ये एहसास ही नहीं था की उसके साथ क्या क्या हुआ. वो बिलकुल नोरमल थी. कोमल सब के साथ खुश भी थी. लेकिन उसका दिल तो कही और ही था. प्यारी दाई माँ के पास.

रात नेहा शादी के बाद खाना खाते हुए अपने पति से हस हस कर बाते भी कर रही थी. दोनों टेबल चेयर लगा हुआ और साथ खाना खा रहे थे. कोमल दूर से ही देख कर हस रही थी. बेचारा दूल्हा. नेहा उसे चमच से खाना खिला रही है. हस रही है. और दूल्हा बेचारा चुप चाप खा रहा है. कोई आना कनि नहीं कर रहा.

कोमल ने भविस्य मे मज़ाक करने के लिए उनकी कई ताशवीर ली. रात हो गई. सब सो गए. पर कोमल के जहेन मे वो सारे किस्से घूम रहे थे. दुबली पतली सी नेहा कैसे पहलवानो की तरह ताव दे रही थी. कोमल का मन था की डरने के बजाय उसे ऐसा सब और जान ने को होने लगा. वो सोचने लगी की ऐसा वो क्या करें जो ऐसे किस्से वो अपने जीवन मे अपनी आँखों से देख सके. कब नींद आई. ये खुद कोमल को पता ही नहीं चला.

दिन बदल गया. सभी गोने की तैयारियो मे जुटे हुए थे. गाउ के सभी लोग नेहा की बिदाई के लिए उनके घर के आंगन मे इखट्टा हो गए. रोना धोना सब हो रहा था. कार घर के गेट पर सजी धजी खड़ी थी. नेहा जा रही थी. वैसे तो कोमल बहोत ही कठोर दिल की थी. पर नेहा की बिदाई के वक्त उसे भी रोना आ गया.

तभी कोमल की नजर एक ऐसे सक्स पर पड़ी. जिसे देखते ही कोमल नजरें चुराने लगी. एक पुरानी शर्ट और पुराना पेंट पहने. चहेरे पर थोड़ी दाढ़ी किसी मजदूर की तरह दिखने वाला 6 फुट का लम्बा चौड़ा मर्द जिसका नाम बलबीर था. वो नेहा का मुँह बोला भई था. बलबीर की उम्र भी 30के आस पास ही होंगी. जब नेहा 12 क्लास स्कूल मे पढ़ रही थी. तब वेकेंशन मे अपने गांव आई हुई थी. तब उसकी बलबीर से आंखे चार हुई.

और प्यार हो गया. खेतो मे साथ घूमना. कोमल के लिए आम तोडना. बहोत कुछ साथ साथ. एक बार तो दोनों ने लिप किश भी की. पर वेकेंशन ख़तम हुआ और कोमल वापस अपने घर अहमदाबाद चली गई. कोमल तो कॉलेज की चका चोदनी मे बलबीर को भूल गई. पर बलबीर कभी नेहा को नहीं भूल पाया. खुबशुरत कोमल बलबीर के लिए बस ख्वाब ही रहे गई. क्यों की कुछ साल बाद जब कोमल वापस आई तब कोमल ने बलबीर को प्यार बचपन की नादानी कहे दिया. कोमल सायद बलबीर से प्यार को आगे भी जारी रख लेती. पर बलबीर अनपढ़ था.

और कोमल वकीलात की पढ़ाई कर रही थी. बलबीर पिता की मदद करने के लिए ट्रक चलाने लगा. और उसके पिता ने एक विधया नाम की पास के ही गांव की लड़की से सादी करवा दी. बलबीर के 2 बच्चे हो गए. अपनी जिंदगी मे खुश था. पर सामने उसके सपनों की सहेजादी आकर खड़ी हो गई. दोनों की आंखे मिली. कोमल समजदार थी. वैसे तो वो बलबीर के सामने नहीं आना चाहती थी. क्यों की अनजाने मे ही सही. कोमल ने बलबीर को डंप किया था. और उसे अफ़सोस भी था. तभी बलबीर ने भी कोमल को देख लिया.


कोमल : (स्माइल) कैसे हो बलबीर???


बलबीर बस हलका सा मुश्कुराया. थोडा सा भावुक पर खुश.


बलबीर : बस देख ले. तेरे सामने खड़ा हु.


तभी कोमल की नजर दाई माँ पर गई. वो भी विदाई मे नेहा को आशीर्वाद देने के लिए आ रही थी. उन्हें देखते ही कोमल दौड़ पड़ी.


कोमल : (स्माइल एक्ससिटेड ) दाई माँ.....


कोमल दाई माँ के पास पहोचते ही उन्हें जैसे सहारा दे रही हो. वो दोनों चंद ही कदम पर साथ नेहा तक आए. दाई माँ ने भी नेहा को प्यार दिया. सब रोना धोना हुआ और नेहा अपने दूल्हे के साथ चली गई. अब कोमल ने एक छुपी हुई मुश्कान से दाई माँ को देखा. दाई माँ भी समझ गई. वो दोनों आँगन मे ही बिछे तखत की तरफ चल पड़े. पीछे बलबीर भी था. जब कोमल सामने हो तो वो कैसे जा सकता था. कोमल और दाई माँ दोनों तखत पर बैठ गए. बलबीर भी आया. कोमल ने उसे भी बैठने का हिशारा किया. पर वो गरीबो वाली स्टाइल मे निचे ही बैठ गया.

जेब से बीड़ी माचिस निकली और 2 बीड़ी जलाने लगा. बीड़ी जलाते ही एक बीड़ी दाई माँ की तरफ बढ़ाई . और दूसरी से खुद सुट्टे मरने लगा. एक दम खिंचते हुए बोला.


बलबीर : मई कल तो तूने नेहा का भला कर दिया. तूने कितनो की मदद की होंगी.


दाई माँ भी बीड़ी का एक कश मरती हुई बस जरासा मुश्कुराई.


दाई माँ : जे तो धरम(धर्म) को काम है.


पर कोमल को बीड़ी का धुँआ मन ललचा रहा था. जब से गांव मे आई. उसने एक भी सिगरेट नहीं पी थी. पर एक नशेड़ी दूसरे नशेड़ी को अच्छे से जनता है. दाई माँ ने एक कश मरने के बाद बीड़ी कोमल की तरफ हाथ बढ़ाया. कोमल पहले तो शरमाई. उसने सीधा बलबीर की तरफ देखा. बलबीर भी ये सब आंखे फाडे देख रहा था. जैसे वो सॉक हो गया हो. कोमल ने भी दाए बाए देखा और एक कश खिंच लिया. वो एक कश कोमल को अजीब सा सुकून का अनुभव करवा रहा था.

कोमल ने तुरंत बीड़ी दाई माँ की तरफ बढ़ा दी. जैसे उसे डर भी हो. कही कोई उसे देख ना ले. दाई माँ जानती थी की कोमल को कुछ सुन ना है. कोई भूतिया किस्सा. इस लिए दाई माँ ने इस बार बलबीर की तरफ देखा.


दाई माँ : रे छोरा तू तो गाड़ी चलावे है. तेराऊ कभउ भुत प्रेतन ते भिड़त हुई होंगी???


दाई माँ जानती थी की ट्रक चलाने वाले ड्राइवरो को हाईवे पर ऐसे कई किस्से देखने को मिलते है. या खुद भी अनुभव होता है. इसी लिए कोमल के लिए उन्होंने बलबीर से ऐसे किस्से पूछे. बलबीर ने एक नजर कोमल पर डाली. और तुरंत दाई माँ की तरफ देखने लगा.


बलबीर : हमारा तो चलता रहता है माँ. पर इस छोरी को क्यों डरा रहे हो.


दाई माँ : (स्माइल) अरे ज्याको बस नाम कोमर(कोमल) है. अंदरते तो जे पूरी कठोर है.


दाई माँ हसने लगी. दाई माँ ने जता दिया की कोमल डरने वाली चीज नहीं है. बलबीर कुछ पल शांत हो गया. और उसने जो किस्सा सुनाया. वो किस्सा बड़ा ही अजीब था. कोमल वो किस्सा बड़े ध्यान से सुन ने लगी.


बलबीर : मे बम्बई(मुंबई ) से अपना ट्रक लेकर आ रहा था. अपने रतन काका का लड़का है ना मुन्ना. वो खालाशी था मेरा.

मेरी गाड़ी भोपाल बायपास पर कर चूका था.. मुझे माल लेकर जल्दी पहोचना था. इस लिए मै पूरा दिन चलता रहा. ढाबे पर खाना खाया. सिर्फ 1 घंटा ही आराम किया. और गाड़ी लेकर चल दिया. अंधेरा हो गया. तकबिबान रात के एक बज रहा होगा. मुझसे गाड़ी चलाई नहीं जा रही थी. झबकी आने लगी थी. ऊपर से गाड़ी लोडेड थी. मेने मुन्ना से कहा.


मै : यार मुन्ना बहोत नींद आ रही है. लगता है गाड़ी मुझसे चलेगी नहीं.


मुन्ना : ओओओ दद्दा. आप कही गाड़ी साइड लगा दो. कही कुछ बुरा हो गया तो लेने के देने पड़ जाएंगे. कही गाड़ी पलट गई तो.


मै : रे ऐसे कैसे पलट जाएगी यार.


मुन्ना : दद्दा जान है तो जहान है. बाद मै पास्ताने का मौका भी नहीं मिलेगा. इस से तो अच्छा है गाड़ी साइड लगा दो. और सो जाओ. मै जाग लूंगा.


मुन्ना को गाड़ी चलाते आती नहीं थी. मुझे उसकी बात सही लगी. बेचारा उस टाइम तो पहेली बार आया था. मेने गाड़ी साइड की. और ड्राइविंग शीट के पीछे जो लम्बी शीट थी. उसपर सो गया. मुझे बहोत जल्दी नींद आ गई. और जैसे ही नींद आई. वो शपना था या हकीकत ये समाझना ही मुश्किल है. एक औरत मेरी छाती पर आकर बैठ गई. पुरानी मेली साड़ी. खुले बिखरे बाल. देखने से ही वो भीखारन सी लग रही थी.

एकदम मेली कुचेली. मे हिल भी नहीं पा रहा था. मेरा बदन जैसे लकवा मार गया हो. मै पसीना पसीना हो गया. और वो मेरी छाती पर बैठ कर मुझे दबोच जा रही थी. वो कहे रही थी की.


तेरी गाड़ी का पहिया मेरे सर पर है. जल्दी हटा इसे. नहीं तो तुझे जान से मार डालूंगी.


मेरी शांस रुक रही थी. मै अचानक जोरो से ताकत लगाकर उठा. जब में नींद से जगा तब पसीना पसीना हो गया था. पर मेरी नजर मुन्ना पर गई तो उसकी भी हालत वैसी ही थी. मोबाइल हाथ में और वो देख सामने रहा था. वो बुरी तरीके से कांप रहा था. मेने देखने की कोसिस की के वो देख किसे रहा है. सामने वही बुढ़िया खड़ी थी. जो मेरे शपने में आई थी.

मेने गाड़ी का गेर डाला और उस बुढ़िया की साइड से होते हुए आगे चल दिया. तक़रीबन 12 km दूर एक ढाबा दिखा. मेने वहां गाड़ी साइड लगा दी. मुन्ना को तो बुखार आ गया था. मेने उस से पूछा तो उसने बताया की.


मुन्ना : दद्दा जब आप सो गए तब में मोबाइल में फिलम देखने लगा.
अचानक से बड़ी बुरी बदबू आने लगी. मेने अपनी नाक सिकोड़ी और सामने देखा तो एक बुढ़िया आ रही थी. फटी पुरानी साड़ी में लिपटी. वो आ तो धीरे धीरे रही थी. पर पता नहीं क्यों अँधेरे में भी ऐसा लग रहा था की. वो मुझे ही देख रही है. और वो मुझे बड़ी बुरी नजरों से देख रही थी. जैसे बहोत गुस्से में हो.

मेने उस से नजर हटाई. और साइड वाली खिड़की की तरफ देखा. में हैरान रहे गया. वो बिलकुल निचे साइड वाले मेरे दरवाजे पर ही थी. मेने उसे बहोत करीब से देखा. दद्दा सच बता रहा हु. कोई पलक ज़बकते इतने करीब कैसे आ सकता है. वो मुझे ऐसे देख रही थी की डर बड़ा लगने लगा. उसने मुझे बहोत परेशान किया. वो तो ऊपर आने की कोसिस कर रही थी. पर पता नहीं ऊपर नहीं आ पाई. जैसे वो दरवाजे को छुति.

तुरंत अपना हाथ खींच लेती.


मै : चल कोई बात नहीं. डर मत. ऐसा रोड पर होता ही रहता है. मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ.


मेने अपने साथ हुआ शपना भी उसे बता दिया. पर बो अब भी मेरे साथ ही गाड़ी पर चलता है. अब तो नहीं डरता वो.


कोमल ये किस्सा सुनकर हैरान थी. उसने ऐसा किस्सा पहेली बार सुना था. हाईवे पर ऐसा भी हो सकता है. बलबीर ने दाई माँ की तरफ हेरात से देखा.


बलबीर : माई ऐसे तो कितने सडक पर एक्सीडेंट होते ही रहते है. होंगा कोई साया(आत्मा).


दाई माँ : ना बलबीर. जे अपनी जगाह पक्की कर के बैठी है. मतलब पक्का जाकी बाली भई है.



दाई माँ ने कहा की इसकी जगाह पक्की है. क्यों की बलबीर को गाड़ी हटाने को कहा. उसका टायर उसके सर पे था. यानि उसका स्थान होगा. मतलब वहां मार के गाढ़ा गया है. पर दाई माँ का कहना था की उसकी वहां बली दी गई है.
Awesome horror story likh rahe ho bhai 🥵
 

Shetan

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faizan alam

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बलबीर और कोमल दोनों ही सोच मे पड़ गए. दाई माँ कैसे बता सकती है की वहां जो भी साया(आत्मा) थी. वो अक्षिडाँट से नहीं मरा होगा. उसकी बाली दी होंगी. कोमल ने तो तपाक से पूछ ही लिया.


कोमल : दाई माँ. ये कैसे पता लगा की वो एक्सीडेंट मे मरी होंगी या फिर बाली... मतलब मे समझी नहीं. बाली.....


दाई माँ शांत हो गई. कुछ पल वो कुछ नहीं बोली. पर जब दाई माँ ने इन विषयो पर अपने ज्ञान का पिटारा खोला तो दोनों ही हेरत मे पड़ गए.


दाई माँ : जे नई नई सड़के बनावे है..... नए नए पुल बनावे है.... तो जे ठेकादार हेना... चाहे कछु हे जाए... जे खुद पढ़े लिखें हे. पर जे बाली दे दे हे.


दाई माँ का कहने का मतलब था की बड़े बड़े बिल्डर कॉन्ट्रेक्टर कितने भी पढ़े लिखें हो. ये अंधश्रद्धा मे मानते हे. ये लोग ऐसा कोई कॉन्ट्रैक्सशन करते वक्त तांत्रिको से पूजा वगेरा करवाते हैं. और बाली दिलवाते हैं. जो गेरकानूनी और क्राइम होता हैं.


कोमल : पर इस से क्या होता है दाई माँ????


दाई माँ : जे कोई नई बड़ी चीज बनी. सडक हे गई. पुल हे गया. बांध हे गया. जे सच हे की जे सब खून मांगे. ऐसे मे तुमनेउ देखा होगा की कई जगहों पे खूब एक्सीडेंट हे जाते. पर जे सब गलत लकीरन की वजह से हेतोए.


दाई माँ का कहना था की कई जगाह नया रोड बनता हे. नया ब्रिज बनता हे. या नया डेम्प बनता हे. ऐसी जगाह पर मौत होती हे. ये जगाह खून मानती हे. पर ये सब का कारण गलत वस्तुशास्त्र होता हे. कोमल भी कुछ अपना एक्सॉयशंस सब के सामने पेश करती है.


कोमल : हा दाई माँ. ये बात तो सच है की कई जगाह ऐसी है. जहा बार बार एक्सीडेंट होते ही रहते है.


दाई माँ : जे जगाह गन्दी होती है. मतलब की ऐसी जगाह मौत को खिंचती है. तू हमेशा याद रखना री छोरी. हमेशा मौत मौत को खींचती है. जे कोई मारे भए आदमी की लाश तुम गाड़ी मे ले जाओ तब देखना. गाड़ी भरी है जाबेगी. गाड़ी खुद ही दूसरी गाड़ी की तरफ मुड़बे की कोसिस करेंगी.


दाई माँ का कहने का मतलब यही था की कोई जगाह का वास्तु ही ख़राब होता है. वहां नकारात्मक ऊर्जा होती है. जो मौत करवाती है. और एक मौत दूसरी मौत को खिंचती है. इसी लिए लाश लेजाने वाला वाहन खुद ही एक्सीडेंट होने की कोसिस करता है. सायद बलबीर को ऐसा एक्सपीरियंस हुआ होगा. वो बोल पड़ा. क्यों की गांव के ही कोई थे. जो दिल्ली मे नौकरी कर रहे थे. जिनका दिल्ली मे ही देहांत हो गया.


बलबीर : हा माई. जे तो सच है. मे जब बनवारी चाचा को दिल्ली से ला रहा था. तब ऐसा खूब हुआ. छोटी गाड़ी थी. कितना भगाउ. गाड़ी तेज़ चल ही नहीं रही थी. और कोई सामने से गाड़ी आए तब मेरी गाड़ी अपने आप ही उसमे घुसने की कोसिस करती. स्टेरिंग तो खूब भरी हो गया था.


कोमल को भी आदत थी. कई बार वो मुंबई से खुद कार चलाकर अहमदाबाद तक आ जाती. वो सडक पर ऐसी चीजों का ख्याल रखेगी. पर बली का सिस्टम उसे समझ नहीं आया.


कोमल : तो दाई माँ. ये बली का क्या चक्कर होता है.


दाई माँ एक बार फिर हलका सा मुश्कुराई. पर इस बार की मुश्कान मे ख़ुशी नहीं थी. जैसे अफ़सोस जाहिर हो रहा हो.


दाई माँ : (अफ़सोस) कितनेऊ पढ़ लिख जाओ. लोगन को डर है. काउ कुछ ख़राब ना हे जाए. लोगन ने अपने स्वार्थ मे दुसरान की जान ले लई. जे नयो नयो पुल बनाबे. नई सडक बनाबे. अब जे बर्बाद ना हे जा मारे काला जादू कर्वबए. अब बा मे चाइये बली. तो कोउ गरीब बिन के चकर मे फस जाए. कोउ भिखारी होय. कोउ गरीब होय. ज्या काउए बहला फुसला ले. कोई इंसान. या कवारी लड़की. या बालक. अलग अलग बली हेउतोए.

दाई माँ का कहने का मतलब ये था की बड़े बड़े कॉन्ट्रैक्टर कुछ कंस्ट्रक्शन करते हे. तब उन्हें डर होता हे की उनका कुछ फेल ना हो जाए. नुकशान ना हो जाए. इस लिए काला जादू की पूजा करवाते है. जिसमे बली की जरुरत होती है. कोई इंसान, कवारी लड़की/लड़का, या छोटे बच्चे इन सब की अलग अलग डिमांड पर बली होती है. जिसके कोई बहला फुसलाकार या मज़बूरी मे, या जरदस्ती फस जाते है. कोमल को क्राइम पढ़ने की भी आदत थी. अपने कानूनी किताबों मे और निजी जीवन मे ऐसे कई केस वो देख चुकी थी. क्योंकि कोमल एक वकील थी. बहोत सी ऐसी चीजों को कोमल देख भी चुकी थी.

कुछ पल के लिए माहौल शांत हो गया. दाई माँ ने सर हिलाकर बलबीर से बीड़ी माचिस माँगा. बलबीर ने भी हाथ आगे बढ़ा दिया. पर दाई माँ ने उसमे से तीन बीड़ी निकली. और एक साथ जब तीन बीड़ी जलाई तब कोमल समझ गई ki दाई माँ ने तीसरी बीड़ी किसके लिए जलाई. गांव और बड़ो की मर्यादा के चलते कोमल मुश्कुराती थोडा शर्माती दए बाए देखने लगी. पर जब दाई माँ ने बीड़ी का हाथ आगे बढ़ाया तो कोमल ने तुरंत ले लिया.

दए बाए देख देख कर कोमल ने भी बीड़ी पी. सिगरेट से थोडा टेस्ट भले अलग लगा. पर तलब तो मिट गई. कुछ पल शांत होने के बाद इस बार कोमल ने बलबीर की तरफ देखा.


कोमल : क्या और कोई ऐसा डरवाना किस्सा हुआ तुम्हारी जिंदगी मे????


बलबीर ने अपने हाथ मे जो बीड़ी बूझ गई थी. उसे फेका. अपने पाऊ को मोड़ कर थोडा पीछे हुआ. जैसे थोडा सोच कर बोल रहा हो.


बलबीर : अभी कुछ 6 महीने पहले ही हुआ. वो तो इतना भयानक था की उस से ज्यादा बुरा मेने अपनी जिंदगी मे कभी नहीं देखा.


दाई माँ भी हैरानी से बलबीर की तरफ देखने लगी. क्यों की ज्यादातर तो ऐसा कुछ होता तो बलबीर उसे बता देता. पिछला किस्सा भी बलबीर ने बताया हुआ था. सिर्फ कोमल के लिए दाई माँ वो किस्सा दोबारा सुन रही थी.


दाई माँ : का भओ??? (क्या हुआ??)


बलबीर : ये किस्सा बीकानेर के पास हुआ था. बीकानेर के अंदर ही अनाज मंडी मे मेरी गाड़ी खड़ी थी. माल उनलोड हो रहा था.

तब तो अपना मुन्ना भी गाड़ी चलना सिख गया था. मै मुन्ना के भुरोसे गाड़ी छोड़ कर मंडी से बाहर निकाल गया. सोचा चाय पीलू. मंडी के बाहर की तरफ ही दुकान थी. वहां रंडिया भी बहोत घूमती है. ज़्यादातर ट्रक वाले के चलते ही वहां आती है. खुलेआम घूमती है. कोई कुछ नहीं बोलता. वैसे तो मे कभी गलत काम नहीं करता. पर एक लड़की पर मेरी नजर गई. वो रोड पर सबसे अलग खड़ी थी. बड़ी सुन्दर थी. रोड के खम्बे के सहारे खड़ी थी. वो मुझे देखने से ही रंडी तो नहीं लग रही थी.

क्यों की उसने बहोत ही बढ़िया कपडे पहेन रखे थे. उसने सोने के जेवर भी पहेन रखे थे. मुझे वो देखने से ही अशली लग रहे थे. वो अकेली खड़ी थी. मोटरसाइकिल पर तो कई मनचले आए. पर कोई उसके पास नहीं जा रहा था. जब की जितनी लड़किया घूम रही थी. उन लड़कियों मे वो सब से सुन्दर थी. बल्कि ये कहु की उस से सुन्दर लड़की तो मेने आज तक नहीं देखि. मेरा भी दिल किया की एक बार जाकर उस से बात करू. भले ही मै गलत काम ना करू. पर मै उसूलो का पक्का हु.

उस लड़की के बाल भी खुले थे. और इतने बड़े की कुलहो के भी निचे तक थे. मै उस लड़की को लगातार देखता रहा. मै सोचता रहे गया की वो वहां क्यों खड़ी है. क्यों की वहां रंडिया खड़ी रहती है. और उसके पास कोई जा क्यों नहीं रहा. उस से कोई पूछने भी नहीं जा रहा था. तभी एक लड़का मोटरसाइकिल पर आया. और उसके पास आकर खड़ा हो गया. वो लड़की भी थोडा आगे उसके करीब हुई. दोनों पता नहीं क्या बात कर रहे होंगे. वो लड़की उस लड़के के पूछे बैठ गई.

वो लड़की बाए तरफ पाऊ लटकाए अपने दोनों हाथो को उस लड़के के कंधो पर रखे बैठ गई. वो मोटरसाइकिल चली गई. तभी मै भी अंदर मंडी मै चले गया. मेरी गाड़ी खाली हो चुकी थी. मुन्ना बिल्टी देख रहा था. मै इसके पास गया.


मुन्ना : दद्दा अभी निकाल जाते है. जल्दी जयपुर पहोच जाएंगे.


मुझे उसकी बात सही लगी. मेने गाड़ी चलाने को उसे कहा.


मै : चल ठीक है. निकाल गाड़ी.


उसने गाड़ी निकली. मै साइड मै बैठ गया. रोटी हम आगे कोई ढाबे पर खाने वाले थे. बोतल मेने ले रखी थी. चालू गाड़ी मे ही मेने पेग बना ना शुरू किया. पर सामने मुझे वही मोटरसाइकिल दिखी. मै हेरत मे पड़ गया. वो मोटरसाइकिल बहोत धीरे चल रही थी. हाईवे पर तो अंधेरा ही होता है. सिर्फ गाड़ियों की लाइट ही होती है. हमारी गाड़ी की लाइट से मुझे उनकी मोटरसाइकिल दिख गई. मुझे वो लड़का तो नहीं दिख रहा था.

बस उस लड़की की पिठ ही दिख रही थी. वही उसके लम्बे बाल. मुन्ना को मेरे हाथ से गिलास लेना था. इस लिए हमरी गाड़ी की पीकप भी थोड़ी धीरे हो गई.

Gajab ka scene hai ladki chudail hi hogi
 

Shetan

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Gajab ka scene hai ladki chudail hi hogi
Agar sex sochoge to hont ka maza nahi le paoge. Kuchh ese seen he sexual par thode. Ise non sexual storie samzo
 

Shetan

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Ha bhai horror mai sex nahi hote mai non sexual stories samjh kar hi padh Raha hu apna taste badal raha hu kahani mai 😁 incest aur adultry padh kar maza le liya ab thoda horror ka bhi maza le lu
Aap ko yaha jabardast horror kisse milenge. Thankyou very very much aap ka swagat hai
 

lovelesh

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Kabhi kabhi kuchh ese deashya jo jarurat na ho. Fir bhi dikhane padte he. ye sayad me samaza nahi paungi. Magar example aaya to tumhe bataungi.

Tum to bahot purane dost ho yaar. Par kisi aur din. Special tumhare kahene par bada update post hoga. Promise
हंस के कर लेते हैं वो अपने सितम का ए'तिराफ़,
और उन की इस अदा पर क़त्ल हो जाते हैं हम।

फिर बैठे बैठे वादा-ए-वस्ल उस ने कर लिया,
फिर उठ खड़ा हुआ वही रोग इंतिज़ार का।


शेर मेरे नहीं पर जज़्बात मुक्कमल हैं। 😉
 

Kingsingh

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कोमल और बलबीर दोनों कार से मुंबई के लिए रवाना हो चुके थे. अंधेरा हो चूका था. एकदम चिकने फ्लेट रोड पर गाड़ी भागने में कोई दिक्कत नहीं हो रही थी. बलबीर ट्रक ड्राइवर ही था. इस लिए लम्बे रुट पर उसे ड्राइव करने में कोई दिक्कत नहीं थी.

कोमल अपने मोबाइल में लगी हुई थी. बिच बिच में उसकी वाकलती call आ रहे थे. कभी किसी नए केस के लिए वो अपनी फीस बताती. तो कभी किसी मुद्दे पर कोई खास चीज.

जब सब काम निपट गया तो कोमल को बलबीर की याद आई. वो गौर से बलवीर को देखने लगी. एकदम मासूम चहेरा. सारा ध्यान सिर्फ अपने काम पर. कोमल को ऐसे देखते हुए जब बलबीर को महसूस हुआ तो बलबीर भी पूछे बिना रुक नहीं पाया.


बलबीर : ऐसे क्यों देख रही हो??


कोमल पहले तो थोडा सा मुश्कुराई. फिर जैसे सोच में पड़ गई हो की पुछु या नहीं. लेकिन रुकते रुकते उसने पूछ ही लिया.


कोमल : तुम अचानक ऐसे बिना बताए कैसे आ गए. मतलब की...


कोमल के पूछने का मतलब बलबीर समझ गया.


बलबीर : तुमने कहा था ना. तुम्हारे बच्चों को अच्छी स्कूल में पढ़ाऊंगी. उन्हें बहोत बड़ा आदमी बनाउंगी. तो में आ गया.


कोमल : मतलब की तुम मेरे लिए नहीं आए.


कोमल का जैसे मूड ख़राब हो गया हो. पर बलबीर कोमल के नेचर में हुए बदलाव को महसूस कर रहा था.


बलबीर : ऐसा नहीं है की मै तुम्हारे लिए नहीं आया. बल्कि सिर्फ तुम्हारे भरोसे पर ही मै यहाँ आया हु.


कोमल के फेस पर स्माइल आ गई. और वो बलबीर की तरफ थोडा खिसक कर उसके कंधे पर अपना सर टेक देती है. बलबीर को भी ये अच्छा लगा. ऐसा कुछ पहले होता था. जब बलबीर और कोमल को नया नया प्यार हुआ था.


बलबीर : तुम अपने पति से अलग क्यों हुई.


कोमल बताना तो नहीं चाहती थी. पर बलबीर था इस लिए वो बता देती है.


कोमल : वो मेरे साथ खुश नहीं था. उसे मै बोझ लगती थी. अब बाकि जिंदगी एक दूसरे के साथ सिर्फ एक पहचान से निभाए इस से बहेतर की हम अलग हो जाए. हम ख़ुशी से अलग हुए.


बलबीर ने आगे कुछ पूछा नहीं रात भर ड्राइव करते हुए वो मुंबई पहोच गए. पलकेश का मुंबई में एक और फेल्ट था. और वो वही रहे रहा था. कोमल उस फ्लेट का पता जानती थी. वो दोनों उस फ्लेट पर पहोच गए. पलकेश का फ्लेट 4th फ्लोर पर था.

वो बल्डिंग 10 मंज़िला थी. कोमल और बलबीर दोनों डोर के सामने खड़े हो गए. कोमल ने बेल बजाई. पर कोई डोर नहीं खोल रहा था. और ना ही कोई आवाज आई. कोमल ने दूसरी बार बेल बजाई. तब भी किसी ने डोर नहीं खोला.

कोमल ने पलट कर बलबीर की तरफ देखा. जैसे कहना चाहती हो की कोई गड़बड़ तो नहीं. फिर कोमल ने बेल बजाते डोर का हैंडल भी पकड़ लिया.


कोमल : पलकेश......


पर कोमल के हैंडल पकड़ते ही डोर खुल गया. डोर खुलते ही एक गन्दी सी बदबू का जैसे भापका आया हो. कोमल ने तो अपने मुँह पर हाथ ही रख दिया.


कोमल : उफ्फ्फ... ये बदबू केसी है.


बलबीर हैरान था की ऐसी ही बदबू तो कोमल के फ्लेट से भी आ रही थी. उसे वहां क्यों फील नहीं हुई. वो दोनों अंदर गए. अंदर का नजारा बड़ा अजीब था. सारी विंडोज को कपडे से कवर किया हुआ था.

जैसे बाहर का उजाला रोकने की कोसिस हो. अंदर का माहौल एकदम चिल्ड था. जैसे ac ऑन कर रखा हो. फैन धीमे धीमे घूम कर आवाज कर रहा था. कोमल और बलबीर चारो तरफ नजरें घुमाकर सब देख रहे थे.

खाने के जुठे बर्तन भी जुठे जिसमे थोडा बहोत खाना भी पड़ा हुआ था. देखने से ही पता चल रहा था की खाना कम से कम 2 दिन बसा जरूर होगा. एक खुले हुए कार्टून बॉक्स मे आधे से ज्यादा पिज़्ज़ा पड़ा हुआ था. जिसमे कीड़े भी रेंग रहे थे.

पर पलकेश कहा है. ये समझ नहीं आ रहा था. कोमल भी ऐसी थी की उसे डर तो मानो लगता ही ना हो. वो पलकेश को आवाज देते अंदर जाने लगी.


कोमल : पलकेश..... पलकेश....


पर अंदर जाने से पहले ही एक पाऊ सोफे के निचे नजर आ गया. कोमल रुक गई. और उसने उस पाऊ को देखा. कोमल ने पलटकर बलबीर को भी देखा. वो भी वही देख रहा था. वो आगे आया और सोफे को खिंचता है. पलकेश बेहोश पड़ा हुआ था.

वो दोनों पलकेश को बाहर निकलते है. और उसे होश में लाने की कोसिस करते है. जब उसे निकला तो पलकेश की हालत कुछ अजीब सी थी. वो पूरा तो नंगा था. और उसके बदन से बहोत बदबू भी आ रही थी. जैसे नजाने कितने दिनों से वो नहाया ही ना हो.

हाथ पाऊ गले बहोत जगग घाव थे. जैसे किसी ने बड़े जोर से खरोचा हो. कोमल घुटनो पर बैठ कर पलकेश के गलो पर हलकी हलकी थपकी मरना शुरू करती है.


कोमल : पलकेश..... पलकेश आँखे खोलो पलकेश...


पलकेश की आंखे बड़ी मुश्किल से खुली. जैसे उसने किसी चरस या अफीम का नशा किया हुआ हो. पर आंखे खुलते जब उसने कोमल को देखा तो वो तुरंत ही कोमल को जोरो से बांहो में भर कर रोने लगा.


पलकेश : हाआआ... मुजे बचा लो कोमल प्लीज. वो मुजे मार डालेगा अअअअअ.... प्लीज कोमल मुजे बचा लो....


कोमल और बलबीर दोनों सॉक थे.


कोमल : कौन मार डालेगा तुम्हे??? बोलो??? बोलो.


पलकेश के तेवर एकदम से बदल गए. वो रोते हुए हसने लगा. रुक रुक कर हसने लगा. उसकी आंखे एकदम से बड़ी हो गई. पलकेश ही देखने में डरावना लगने लगा.


पलकेश : खीखीखी...... खीखीखी...... वो तुम्हे हर वक्त देखता है. वो सिर्फ तुम्हारे लिए यहाँ आया है.


कोमल ने सर घुमाकर एक बार बलबीर को देखा. फिर पलकेश को देखने लगी.


कोमल : कौन देखता है मुजे. वो कौन है.


पलकेश फटी फटी आँखों से कोमल को देखता है. फिर बलबीर को देखने लगा. और बलबीर से ही बोलने लगा. पर जो बोला वो सुनके बलबीर और कोमल दोनों के कान खड़े हो गए.


पलकेश : तू इस से अब भी प्यार करता हेना. पर ये तुजसे शादी नहीं करेगी.


बोलने के बाद पलकेश जोरो से पागलो की तरह हसने लगा. कोमल और बलबीर दोनों ने एक दूसरे को देखा. पलकेश एकदम से शांत हो गया.


पलकेश : जब मेरा फ़ोन आया. तब भी लगे हुए थे ना दोनों.


और बोलते के साथ फिर पागलो के जैसे हसने लगा. बसलबीर तो समझ गया की पलकेश को क्या हुआ है. पर कोमल को समझ नहीं आया. उसे लगा की फोन पर उसे एहसास हो गया होगा. कोई नई बात नहीं है. पर पलकेश फिर एक बार कोमल और बलबीर दोनों को चोका देता है.


पलकेश : तुम दोनों ने गांव में भी किया था. खेतो में. उसी आम के पेड़ के निचे. पूरलियो में.


बोलकर पलकेश जोरो से हसने लगा. पर अब कोमल को झटका लगा. कोमल ने पलकेश को ये बताया था की उसने किसी के साथ सेक्स किया. पर ये नहीं बताया की किसके साथ. कैसे. और कहा.

पर पलकेश तो वो सब बता रहा था. जो कोमल ने उसे नहीं बताया था. पलकेश फिर पागलो के जैसे हसने लगा.


पलकेश : वो तुम्हारे साथ वही खेल खेलना चाहता है. एक रूपए वाला. हा हा हा....


कोमल को याद आया वो क्या था. जब कोमल और पलकेश की नई नई शादी हुई थी. वो लोग अक्षर बाहर घूमने जाते थे. एक बार पलकेश के पास बाहर आउट साइड पर एक वेश्या आ गई. और उसे साथ चलने को कहने लगी. पलकेश नहीं गया. पर कोमल अचानक उसके पास पहोची और पूछा. वो क्या कहे रही थी. पलकेश ने बताया. वो एक वेश्या थी.

और पेसो के लिए अपने कपडे उतरने को तैयार थी. कोमल को हसीं आ गई. दोनों घूम फिर कर घर पहोचे. बेडरूम में पलकेश लेटा हुआ कोई बुक पढ़ रहा था. तभी कोमल उस रूम में आ गई. एक हॉट सेक्सी गाउन पहने. अपनी बीवी का हॉट लुक देख कर पलकेश मुश्कुराया.

कोमल ने कहा आज मै एक वेश्या हु. तुम पैसे फेको. मै तुम्हारे लिए अपने कपडे उतरूंगी. पलकेश ने एक कॉइन दिखाया. स्माइल किये बोला. मेरे पास तो बस एक ही रुपया है.

बोल कर वो एक रूपए का सिक्का कोमल की तरफ फेक देता है. उस कॉइन की खनक आज भी कोमल को याद थी. उस कॉइन के गिरते ही कोमल अपना गाउन उतर कर नंगी होने लगी. पर ये सारे मनोरंजक खेल नई नई शादी हुई थी.

तब कोमल और पलकेश ने खेले थे. पलकेश ने कहा की वो भी कोमल के साथ वही खेल खेलना चाहता है. कोमल को बुरा लगा. हसबैंड वाइफ के बिच की इन बातो को बलबीर के सामने ऐसे बोलना.

पर कोमल को अब भी एहसास ही नहीं था की पलकेश के साथ क्या हो रहा है. वो एकदम से बेहोश हो गया. कोमल ने बलबीर की तरफ देखा. उसने पलकेश को उठाकर सोफे पर रखने में कोमल की मदद की.


कोमल : तुम एक काम करो. हमें यही रुकना होगा तुम कुछ खाने पिने की चीज़े ले आओ. तब तक में थोड़ी जगह ठीक करती हु.


बलबीर चले गया. चाहे कुछ हो जाए. कोमल पलकेश को उसकी उस हालत मे छोड़ कर जाना नहीं चाहती थी. कोमल थोडा घर की साफ सफाई में लग गइ.

पर साफ सफाई करते उसकी नजर अचानक सोफे पर गई. जहापर उन्होंने पलकेश को लेटाया था. वो वहां नहीं था. कोमल सॉक हो गई. अचानक पलकेश कहा चले गया. कोमल उसे पहले तो घर में ही ढूढ़ने लगी.


कोमल : पलकेश... पलकेश... कहा हो तुम???? पलकेश.


पर पलकेश मिला बहोत ही जबरदस्त हालत में. वो किचन में था. फ्रिज के आगे बैठा हुआ. और फ्रिज का डोर एकदम खुला हुआ था. कोमल को हैरानी तब हुई जब वो पलकेश के करीब गई. पलकेश कुछ खा रहा था.

कोमल ने ध्यान से देखने की कोसिस की के पलकेश क्या खा रहा है. वो कच्चा चिकन खा रहा था. कोमल को एकदम से झटका लगा. उसके हाथ में पूरा चिकन था. और पलकेश उसे खींच खींच कर कच्चा ही खा रहा था.


कोमल : (सॉक) पलकेश तुम यहाँ क्या कर रहे हो??


पलकेश ने कोई जवाब नहीं दिया. वो जानवर के जैसे खाता ही रहा. पर कोमल को दूसरा झटका तब लगा जब उसका ध्यान खुले हुए फ्रिज पर गया. वो पूरा फ्रिज मीट से ही भरा हुआ था. जब की कोमल को पता था की पलकेश जैन है.

वो नॉनवेज नहीं खाता. हा शराब वो जरूर पिता था. कोमल ने पलकेश के कंधे पर हाथ रखा तो पलकेश ने एकदम से उसका हाथ झाटक दिया. कोमल एकदम से घबरा गई. और पीछे हो गई.

पलकेश एकदम से गर्दन घुमा कर कोमल को देखा. उसके मुँह में कच्चा मीट था. बोलते हुए उसके मुँह से मीट के छोटे छोटे टुकड़े भी गिर रहे थे.


पलकेश : (गुस्सा चिल्ला कर) ये सब तुम्हारी वजह से हो रहा है. वो तो तुम्हारे लिए ही आया था. पर अब मुजे परेशान करता है. कहता है मुजे मांश खाना है. उसे शराब पीना है. वो मुझसे लड़की भी मांगवाता है. पर मेरी ये हालत देख कर सब भाग जाती है. तुम उसकी भूख मिटा दो. वरना वो मुजे मार डालेगा.


बोलकर पलकेश एकदम से ही बेहोश हो गया. कोमल उसे उठाने गई. पर कोमल के बस की नहीं थी. कोमल ने उसे खींचना शुरू किया. और उसे खिंचते हुए सोफे तक ले गई. कोमल को अब ये तो समझ आ गया की गड़बड़ क्या है. पलकेश किसी और की बात कर रहा है.

सायद कोई भुत है. कोमल को भूतों की कहानियाँ बहोत पसंद थी. पर पलकेश के अंदर क्या है. भुत है या नहीं कुछ समझ नहीं आ रहा था. कोमल ने अपना फोन उठाया और दाई माँ को call किया. पर फोन स्विच ऑफ आ रहा था. कोमल एकदम से निराश हो गई.

फिर उसे याद आया की दाई माँ ने उसे एक कार्ड दिया था. जिसपर किसी प्रोफ़ेसर रुस्तम का नाम था. कोमल ने अपने पर्स में उस कार्ड को तलाशना शुरू किया. वो कार्ड उसे मिल गया. कोमल ने जल्दी से उस नंबर पर call किया. रिंग बज रही थी. पर किसी ने फोन पिक नहीं किया. कोमल ने दूसरी बार कोसिस की. 2 रिंग के बाद किसी ने call पिक किया.


रुस्तम : हेलो???


कोमल : हेलो में कोमल बोल रही हु. मुजे दाई माँ ने आप का कार्ड दिया था


रुस्तम : ओह्ह तो आप ही कोमल हो. पर call करने में इतना टाइम क्यों लगा दिया.


कोमल ने उसके साथ घाटी वो सारी बाते बता दी. प्रोफ़ेसर रुस्तम ध्यान से सारी बात सुनता है. पलकेश के उस call से लेकर अब तक की सारी घटना की उसे जानकारी हो गई.


रुस्तम : में फिलहाल तो मुंबई से बाहर हु. तुम आज रात निकाल लो. और हो सके तो उसे सुबह मेरे पास ले आओ.


कोमल : पर आज रात?????


रुस्तम : क्या डर लग रहा है. दाई माँ तो तुम्हारी बड़ी तारीफ कर रही थी. बस एक रात तो तुम्हे उसके साथ रुकना ही होगा. ओके.



कोमल ने call तो कट कर दिया. पर उसे एक रात वही रुकना था. वो यही सोचती रही की रात कैसे कटेगी.
Behtareen update.
To akhirkaar ek naya kissa aa hi gya aur iss bar to bhooto ke radar me fasa bi hai bechara Plakesh jo bechara shayad komal ka pati hone ki saza bhugat raha hai. Jain hoker mans khana pad raha hai vo bi kacha. Khair thoda to mujhe ye bi laga ki shayad kuch had tak pret ki chaya komal me bi hai baaki to lekhika ji jaane.
Romanch se bhara hua update tha. Well done
 

Tri2010

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कोमल और बलबीर दोनों कार से मुंबई के लिए रवाना हो चुके थे. अंधेरा हो चूका था. एकदम चिकने फ्लेट रोड पर गाड़ी भागने में कोई दिक्कत नहीं हो रही थी. बलबीर ट्रक ड्राइवर ही था. इस लिए लम्बे रुट पर उसे ड्राइव करने में कोई दिक्कत नहीं थी.

कोमल अपने मोबाइल में लगी हुई थी. बिच बिच में उसकी वाकलती call आ रहे थे. कभी किसी नए केस के लिए वो अपनी फीस बताती. तो कभी किसी मुद्दे पर कोई खास चीज.

जब सब काम निपट गया तो कोमल को बलबीर की याद आई. वो गौर से बलवीर को देखने लगी. एकदम मासूम चहेरा. सारा ध्यान सिर्फ अपने काम पर. कोमल को ऐसे देखते हुए जब बलबीर को महसूस हुआ तो बलबीर भी पूछे बिना रुक नहीं पाया.


बलबीर : ऐसे क्यों देख रही हो??


कोमल पहले तो थोडा सा मुश्कुराई. फिर जैसे सोच में पड़ गई हो की पुछु या नहीं. लेकिन रुकते रुकते उसने पूछ ही लिया.


कोमल : तुम अचानक ऐसे बिना बताए कैसे आ गए. मतलब की...


कोमल के पूछने का मतलब बलबीर समझ गया.


बलबीर : तुमने कहा था ना. तुम्हारे बच्चों को अच्छी स्कूल में पढ़ाऊंगी. उन्हें बहोत बड़ा आदमी बनाउंगी. तो में आ गया.


कोमल : मतलब की तुम मेरे लिए नहीं आए.


कोमल का जैसे मूड ख़राब हो गया हो. पर बलबीर कोमल के नेचर में हुए बदलाव को महसूस कर रहा था.


बलबीर : ऐसा नहीं है की मै तुम्हारे लिए नहीं आया. बल्कि सिर्फ तुम्हारे भरोसे पर ही मै यहाँ आया हु.


कोमल के फेस पर स्माइल आ गई. और वो बलबीर की तरफ थोडा खिसक कर उसके कंधे पर अपना सर टेक देती है. बलबीर को भी ये अच्छा लगा. ऐसा कुछ पहले होता था. जब बलबीर और कोमल को नया नया प्यार हुआ था.


बलबीर : तुम अपने पति से अलग क्यों हुई.


कोमल बताना तो नहीं चाहती थी. पर बलबीर था इस लिए वो बता देती है.


कोमल : वो मेरे साथ खुश नहीं था. उसे मै बोझ लगती थी. अब बाकि जिंदगी एक दूसरे के साथ सिर्फ एक पहचान से निभाए इस से बहेतर की हम अलग हो जाए. हम ख़ुशी से अलग हुए.


बलबीर ने आगे कुछ पूछा नहीं रात भर ड्राइव करते हुए वो मुंबई पहोच गए. पलकेश का मुंबई में एक और फेल्ट था. और वो वही रहे रहा था. कोमल उस फ्लेट का पता जानती थी. वो दोनों उस फ्लेट पर पहोच गए. पलकेश का फ्लेट 4th फ्लोर पर था.

वो बल्डिंग 10 मंज़िला थी. कोमल और बलबीर दोनों डोर के सामने खड़े हो गए. कोमल ने बेल बजाई. पर कोई डोर नहीं खोल रहा था. और ना ही कोई आवाज आई. कोमल ने दूसरी बार बेल बजाई. तब भी किसी ने डोर नहीं खोला.

कोमल ने पलट कर बलबीर की तरफ देखा. जैसे कहना चाहती हो की कोई गड़बड़ तो नहीं. फिर कोमल ने बेल बजाते डोर का हैंडल भी पकड़ लिया.


कोमल : पलकेश......


पर कोमल के हैंडल पकड़ते ही डोर खुल गया. डोर खुलते ही एक गन्दी सी बदबू का जैसे भापका आया हो. कोमल ने तो अपने मुँह पर हाथ ही रख दिया.


कोमल : उफ्फ्फ... ये बदबू केसी है.


बलबीर हैरान था की ऐसी ही बदबू तो कोमल के फ्लेट से भी आ रही थी. उसे वहां क्यों फील नहीं हुई. वो दोनों अंदर गए. अंदर का नजारा बड़ा अजीब था. सारी विंडोज को कपडे से कवर किया हुआ था.

जैसे बाहर का उजाला रोकने की कोसिस हो. अंदर का माहौल एकदम चिल्ड था. जैसे ac ऑन कर रखा हो. फैन धीमे धीमे घूम कर आवाज कर रहा था. कोमल और बलबीर चारो तरफ नजरें घुमाकर सब देख रहे थे.

खाने के जुठे बर्तन भी जुठे जिसमे थोडा बहोत खाना भी पड़ा हुआ था. देखने से ही पता चल रहा था की खाना कम से कम 2 दिन बसा जरूर होगा. एक खुले हुए कार्टून बॉक्स मे आधे से ज्यादा पिज़्ज़ा पड़ा हुआ था. जिसमे कीड़े भी रेंग रहे थे.

पर पलकेश कहा है. ये समझ नहीं आ रहा था. कोमल भी ऐसी थी की उसे डर तो मानो लगता ही ना हो. वो पलकेश को आवाज देते अंदर जाने लगी.


कोमल : पलकेश..... पलकेश....


पर अंदर जाने से पहले ही एक पाऊ सोफे के निचे नजर आ गया. कोमल रुक गई. और उसने उस पाऊ को देखा. कोमल ने पलटकर बलबीर को भी देखा. वो भी वही देख रहा था. वो आगे आया और सोफे को खिंचता है. पलकेश बेहोश पड़ा हुआ था.

वो दोनों पलकेश को बाहर निकलते है. और उसे होश में लाने की कोसिस करते है. जब उसे निकला तो पलकेश की हालत कुछ अजीब सी थी. वो पूरा तो नंगा था. और उसके बदन से बहोत बदबू भी आ रही थी. जैसे नजाने कितने दिनों से वो नहाया ही ना हो.

हाथ पाऊ गले बहोत जगग घाव थे. जैसे किसी ने बड़े जोर से खरोचा हो. कोमल घुटनो पर बैठ कर पलकेश के गलो पर हलकी हलकी थपकी मरना शुरू करती है.


कोमल : पलकेश..... पलकेश आँखे खोलो पलकेश...


पलकेश की आंखे बड़ी मुश्किल से खुली. जैसे उसने किसी चरस या अफीम का नशा किया हुआ हो. पर आंखे खुलते जब उसने कोमल को देखा तो वो तुरंत ही कोमल को जोरो से बांहो में भर कर रोने लगा.


पलकेश : हाआआ... मुजे बचा लो कोमल प्लीज. वो मुजे मार डालेगा अअअअअ.... प्लीज कोमल मुजे बचा लो....


कोमल और बलबीर दोनों सॉक थे.


कोमल : कौन मार डालेगा तुम्हे??? बोलो??? बोलो.


पलकेश के तेवर एकदम से बदल गए. वो रोते हुए हसने लगा. रुक रुक कर हसने लगा. उसकी आंखे एकदम से बड़ी हो गई. पलकेश ही देखने में डरावना लगने लगा.


पलकेश : खीखीखी...... खीखीखी...... वो तुम्हे हर वक्त देखता है. वो सिर्फ तुम्हारे लिए यहाँ आया है.


कोमल ने सर घुमाकर एक बार बलबीर को देखा. फिर पलकेश को देखने लगी.


कोमल : कौन देखता है मुजे. वो कौन है.


पलकेश फटी फटी आँखों से कोमल को देखता है. फिर बलबीर को देखने लगा. और बलबीर से ही बोलने लगा. पर जो बोला वो सुनके बलबीर और कोमल दोनों के कान खड़े हो गए.


पलकेश : तू इस से अब भी प्यार करता हेना. पर ये तुजसे शादी नहीं करेगी.


बोलने के बाद पलकेश जोरो से पागलो की तरह हसने लगा. कोमल और बलबीर दोनों ने एक दूसरे को देखा. पलकेश एकदम से शांत हो गया.


पलकेश : जब मेरा फ़ोन आया. तब भी लगे हुए थे ना दोनों.


और बोलते के साथ फिर पागलो के जैसे हसने लगा. बसलबीर तो समझ गया की पलकेश को क्या हुआ है. पर कोमल को समझ नहीं आया. उसे लगा की फोन पर उसे एहसास हो गया होगा. कोई नई बात नहीं है. पर पलकेश फिर एक बार कोमल और बलबीर दोनों को चोका देता है.


पलकेश : तुम दोनों ने गांव में भी किया था. खेतो में. उसी आम के पेड़ के निचे. पूरलियो में.


बोलकर पलकेश जोरो से हसने लगा. पर अब कोमल को झटका लगा. कोमल ने पलकेश को ये बताया था की उसने किसी के साथ सेक्स किया. पर ये नहीं बताया की किसके साथ. कैसे. और कहा.

पर पलकेश तो वो सब बता रहा था. जो कोमल ने उसे नहीं बताया था. पलकेश फिर पागलो के जैसे हसने लगा.


पलकेश : वो तुम्हारे साथ वही खेल खेलना चाहता है. एक रूपए वाला. हा हा हा....


कोमल को याद आया वो क्या था. जब कोमल और पलकेश की नई नई शादी हुई थी. वो लोग अक्षर बाहर घूमने जाते थे. एक बार पलकेश के पास बाहर आउट साइड पर एक वेश्या आ गई. और उसे साथ चलने को कहने लगी. पलकेश नहीं गया. पर कोमल अचानक उसके पास पहोची और पूछा. वो क्या कहे रही थी. पलकेश ने बताया. वो एक वेश्या थी.

और पेसो के लिए अपने कपडे उतरने को तैयार थी. कोमल को हसीं आ गई. दोनों घूम फिर कर घर पहोचे. बेडरूम में पलकेश लेटा हुआ कोई बुक पढ़ रहा था. तभी कोमल उस रूम में आ गई. एक हॉट सेक्सी गाउन पहने. अपनी बीवी का हॉट लुक देख कर पलकेश मुश्कुराया.

कोमल ने कहा आज मै एक वेश्या हु. तुम पैसे फेको. मै तुम्हारे लिए अपने कपडे उतरूंगी. पलकेश ने एक कॉइन दिखाया. स्माइल किये बोला. मेरे पास तो बस एक ही रुपया है.

बोल कर वो एक रूपए का सिक्का कोमल की तरफ फेक देता है. उस कॉइन की खनक आज भी कोमल को याद थी. उस कॉइन के गिरते ही कोमल अपना गाउन उतर कर नंगी होने लगी. पर ये सारे मनोरंजक खेल नई नई शादी हुई थी.

तब कोमल और पलकेश ने खेले थे. पलकेश ने कहा की वो भी कोमल के साथ वही खेल खेलना चाहता है. कोमल को बुरा लगा. हसबैंड वाइफ के बिच की इन बातो को बलबीर के सामने ऐसे बोलना.

पर कोमल को अब भी एहसास ही नहीं था की पलकेश के साथ क्या हो रहा है. वो एकदम से बेहोश हो गया. कोमल ने बलबीर की तरफ देखा. उसने पलकेश को उठाकर सोफे पर रखने में कोमल की मदद की.


कोमल : तुम एक काम करो. हमें यही रुकना होगा तुम कुछ खाने पिने की चीज़े ले आओ. तब तक में थोड़ी जगह ठीक करती हु.


बलबीर चले गया. चाहे कुछ हो जाए. कोमल पलकेश को उसकी उस हालत मे छोड़ कर जाना नहीं चाहती थी. कोमल थोडा घर की साफ सफाई में लग गइ.

पर साफ सफाई करते उसकी नजर अचानक सोफे पर गई. जहापर उन्होंने पलकेश को लेटाया था. वो वहां नहीं था. कोमल सॉक हो गई. अचानक पलकेश कहा चले गया. कोमल उसे पहले तो घर में ही ढूढ़ने लगी.


कोमल : पलकेश... पलकेश... कहा हो तुम???? पलकेश.


पर पलकेश मिला बहोत ही जबरदस्त हालत में. वो किचन में था. फ्रिज के आगे बैठा हुआ. और फ्रिज का डोर एकदम खुला हुआ था. कोमल को हैरानी तब हुई जब वो पलकेश के करीब गई. पलकेश कुछ खा रहा था.

कोमल ने ध्यान से देखने की कोसिस की के पलकेश क्या खा रहा है. वो कच्चा चिकन खा रहा था. कोमल को एकदम से झटका लगा. उसके हाथ में पूरा चिकन था. और पलकेश उसे खींच खींच कर कच्चा ही खा रहा था.


कोमल : (सॉक) पलकेश तुम यहाँ क्या कर रहे हो??


पलकेश ने कोई जवाब नहीं दिया. वो जानवर के जैसे खाता ही रहा. पर कोमल को दूसरा झटका तब लगा जब उसका ध्यान खुले हुए फ्रिज पर गया. वो पूरा फ्रिज मीट से ही भरा हुआ था. जब की कोमल को पता था की पलकेश जैन है.

वो नॉनवेज नहीं खाता. हा शराब वो जरूर पिता था. कोमल ने पलकेश के कंधे पर हाथ रखा तो पलकेश ने एकदम से उसका हाथ झाटक दिया. कोमल एकदम से घबरा गई. और पीछे हो गई.

पलकेश एकदम से गर्दन घुमा कर कोमल को देखा. उसके मुँह में कच्चा मीट था. बोलते हुए उसके मुँह से मीट के छोटे छोटे टुकड़े भी गिर रहे थे.


पलकेश : (गुस्सा चिल्ला कर) ये सब तुम्हारी वजह से हो रहा है. वो तो तुम्हारे लिए ही आया था. पर अब मुजे परेशान करता है. कहता है मुजे मांश खाना है. उसे शराब पीना है. वो मुझसे लड़की भी मांगवाता है. पर मेरी ये हालत देख कर सब भाग जाती है. तुम उसकी भूख मिटा दो. वरना वो मुजे मार डालेगा.


बोलकर पलकेश एकदम से ही बेहोश हो गया. कोमल उसे उठाने गई. पर कोमल के बस की नहीं थी. कोमल ने उसे खींचना शुरू किया. और उसे खिंचते हुए सोफे तक ले गई. कोमल को अब ये तो समझ आ गया की गड़बड़ क्या है. पलकेश किसी और की बात कर रहा है.

सायद कोई भुत है. कोमल को भूतों की कहानियाँ बहोत पसंद थी. पर पलकेश के अंदर क्या है. भुत है या नहीं कुछ समझ नहीं आ रहा था. कोमल ने अपना फोन उठाया और दाई माँ को call किया. पर फोन स्विच ऑफ आ रहा था. कोमल एकदम से निराश हो गई.

फिर उसे याद आया की दाई माँ ने उसे एक कार्ड दिया था. जिसपर किसी प्रोफ़ेसर रुस्तम का नाम था. कोमल ने अपने पर्स में उस कार्ड को तलाशना शुरू किया. वो कार्ड उसे मिल गया. कोमल ने जल्दी से उस नंबर पर call किया. रिंग बज रही थी. पर किसी ने फोन पिक नहीं किया. कोमल ने दूसरी बार कोसिस की. 2 रिंग के बाद किसी ने call पिक किया.


रुस्तम : हेलो???


कोमल : हेलो में कोमल बोल रही हु. मुजे दाई माँ ने आप का कार्ड दिया था


रुस्तम : ओह्ह तो आप ही कोमल हो. पर call करने में इतना टाइम क्यों लगा दिया.


कोमल ने उसके साथ घाटी वो सारी बाते बता दी. प्रोफ़ेसर रुस्तम ध्यान से सारी बात सुनता है. पलकेश के उस call से लेकर अब तक की सारी घटना की उसे जानकारी हो गई.


रुस्तम : में फिलहाल तो मुंबई से बाहर हु. तुम आज रात निकाल लो. और हो सके तो उसे सुबह मेरे पास ले आओ.


कोमल : पर आज रात?????


रुस्तम : क्या डर लग रहा है. दाई माँ तो तुम्हारी बड़ी तारीफ कर रही थी. बस एक रात तो तुम्हे उसके साथ रुकना ही होगा. ओके.



कोमल ने call तो कट कर दिया. पर उसे एक रात वही रुकना था. वो यही सोचती रही की रात कैसे कटेगी.
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