The AMAN
𝐌γ 𝐛𝐞𝐡𝐚𝐯𝐢𝐨𝐮𝐫 𝐝𝐞𝐩𝐞𝐧𝐝𝐬 𝐨𝐧 𝐘𝐞'𝐰
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Agle update ki wait hai tabhi charcha swal jbab krengeThankyou so much Aman. यार स्टोरी पर कुछ चर्चा करनी थी. कोई सवाल ज़वाब करना था. तब तो माझा आता.
Agle update ki wait hai tabhi charcha swal jbab krengeThankyou so much Aman. यार स्टोरी पर कुछ चर्चा करनी थी. कोई सवाल ज़वाब करना था. तब तो माझा आता.
एक एपिसोड मैं साईको कविता का भी लिख लू. उसके बाद यहाँ का अपडेट लिखना स्टार्ट करती हुAgle update ki wait hai tabhi charcha swal jbab krenge
Besabri se intezar hai next update kaएक एपिसोड मैं साईको कविता का भी लिख लू. उसके बाद यहाँ का अपडेट लिखना स्टार्ट करती हु
कल से लिखना स्टार्ट करुँगी.Besabri se intezar hai next update ka
Savita wali story ka link toh digiye wo b padh luएक एपिसोड मैं साईको कविता का भी लिख लू. उसके बाद यहाँ का अपडेट लिखना स्टार्ट करती हु
सविता नहीं कविता. साईको कविता एक इरोटिक स्टोरी होने वाली है. ऐसी इरोटिक स्टोरी इस forum मे अब तक किसी ने भी नहीं लिखी होंगी. अभी लिख रही हु. कल से यहाँ के किस्से लिखूँगी.Savita wali story ka link toh digiye wo b padh lu
बहुत ही जबरदस्त अपडेट्स आप एक एक किरदार को नगीने की तरह कहानी में जडती हैं और जिस तरह से माहौल बनाती हैं उसका तो जवाब ही नहीं।A
Update 41
कोमल आगे और किस्सा सुन ना चाहती थी. मगर उनकी बस गांव के अंदर एंटर कर चुकी थी. अफ़सोस की वो आगे कोई किस्सा सुन नहीं पाई. बस उसी आश्रम के आगे ही रुकी. और सब बस से उतरने लगे. इसी बिच दाई माँ ने सबको खास हिदायत दे दी.
दाई माँ : रे कोउ सीधा भीतर मत चले जइयो. मरेठा ते आए हो. पहले नीम पानी को कुल्ला करो तब जाकर नाह धो के भीतर जइयो.
(कोई सीधा घर के अंदर मत जाना. पहले नीम पानी का कुल्ला करना उसके बाद नहा धो कर फिर अंदर जाना.)
दाई माँ के पास खड़ी कोमल ने भी यह सुनी. और उसे अपने पिता के मृत्यु के वक्त के किस्से की याद आई. कैसे उसके पिता को समशान पहोंचाने के बाद आए लोगो को नीम पानी का कुल्ला करवाया जा रहा था. कोमल दाई माँ की बात सुनकर डॉ रुस्तम की तरफ गई. और वो भी उसे आते देख समझ गए की कोई सवाल ही है. जिसे पूछने कोमल उसके सामने आकर खड़ी हो गई.
कोमल : यह शमशान घाट से आने के बाद लोग नीम पानी से कुल्ला हाथ मुँह क्यों धोते है. क्या कोई लॉजिक है??
डॉ : बिलकुल. सारे रीवाज पुराने लोगो ने सोच समझ कर ही बनाए है. यह तुम दोनों तरह से सोच सकती हो. वैसे साइंटिफिक कारण देखो तो एक मरी हुई बॉडी मे क्या रोग है. यह कोई नहीं जानता. जैसे जैसे बॉडी जलती है. वैसे वैसे उसमे पनप ने वाले बैक्टीरिया या फिर और कोई जीव उस बॉडी को छोड़ते है. फिर वहां जब तुम होते हो तो जरुरी तो नहीं की सिर्फ वही बॉडी वहां होंगी.
वहां अनजानी बॉडी भी तो आती है. वैसे ही आध्यात्मिक तरीके से देखा जाए तो यह किसी को इनविटेशन देने से बचना है. मतलब की आप किसी अनजानी शक्तियों को नकार रहे हो. यह टोटका नहीं रीवाज है.
कोमल सोच मे डूबी हुई थी. तभि उसे दाई माँ ने पुकारा.
दाई माँ : चल री बावड़ी. नाहय के सोजा. नेक देर.
कोमल दाई माँ के साथ चल दी. उसने भी दाई माँ के साथ पहले वही रिचवल्स किए. और फिर औरतों की नहाने की जगह ले गई. पहले कोमल नहाई. और वो अपने कपडे समेट ने के लिए झूकी.
दाई माँ : डट जा री. कपडे जई छोड़ दे.
कोमल ने कपड़ो को हाथ भी नहीं लगाया था की वो खड़ी हो गई. उसने चेंज कर लिया था. और वो कुरता पजामा पहने हुए थी. वो पुराना वक्त सोचने लगी. जब उसके पिता की मृत्यु हुई थी. उसके मामा जब समशान से लौटे तो उसकी मामी ने बहार बरामदे मे नहाने का प्रबंध किया था. और उसकी मामी उसके मामा के कपडे बहार ही उतरवाकर उन्हें धो कर खुद नहाकर घर मे घुसी थी.
तब उसकी छोटी बहन हेमा ने उसकी मामी से सवाल किया था. कोमल यह सवाल दिल मे दबाए ही चली गई. वही दाई माँ अपने और कोमल दोनों के कपडे धोए. और फिर खुद नहाकर आई. बलबीर अलग मर्दो के साथ सोया. वो खुद ही यह सब रिचुअल्स कर चूका था. क्यों की वो कारण भले ही ना जानता हो.
पर उसे रिवाज का पता था. वही दाई माँ कोमल के साथ सो गई. कोमल की आंख खुली तब दिन के 10 बज रहे थे. जब वो उठी तो उसके रूम मे वो अकेली ही थी. कोमल तैयार होकर नहा धो कर बहार निकली. दाई माँ, बलबीर, डॉ रुस्तम और उनकी पार्टी सब बड़े से बाद के पेड़ के नीचे चेयर डालकर बैठे बाते कर रहे थे.
कोमल भी उनके पास पहोच गई. कोमल के आते ही सतीश खड़ा हो गया. उसने कोमल के लिए अपनी चेयर खाली कर दी. कोमल ने उसे स्वीकार किया. और चेयर को दाई माँ और डॉ रुस्तम के बिच खिंच कर बैठ गई.
कोमल : (स्माइल) तो केसी कटी रात. आप सब की??
डॉ : (स्माइल) अभी तो सब अच्छा ही हो रहा है. थोड़ी देर पहले आती. हमने अभी ही चाय पी. अब सायद ख़तम हो गई होंगी.
कोमल के आते ही बलबीर खड़ा हो गया था. और वो डॉ रुस्तम की टीम ने जहा अपनी वान के पास छोटा सा लंगर चलाया था. वहां पहोच कर चाय ले आया. और आते ही उसने कोमल को चाय दी. दाई माँ ने एक बार बलबीर को देखा और एक बार कोमल को देख कर शारारत भरी स्माइल की. कोमल शर्मा गई. वही सतीश और उसकी टीम दोनों को छेड़ने लगे.
सतीश & टीम : (स्माइल) ह्म्म्मम्म..... ममममम......
बलबीर को भी शर्म आ गई. और वो दए बाए देखने लगा.
दाई माँ : (स्माइल) वाह लाली. जे तो तेरो बढ़िया खयाल रखे है. एक काम कर. ज्याते ब्याह कर ले.
(वाह बेटी. ये तो तेरा बढ़िया खयाल रखता है. एक काम कर. इस से शादी कर ले.)
कोमल : (स्माइल) इससससस... छोडो ना माँ.
कुछ पल माहोल शांत रहा. कोमल ने डॉ रुस्तम की तरफ देखा. नसीब से वो भी कोमल को ही देख रहे थे. क्यों की वो जानते थे की कोमल कुछ ना कुछ जरूर पूछेगी.
कोमल : वो औरत... अरे उसकी दादी.. क्या नाम था उसका...... हा कुकू. तो वो भी उस डॉल के जरिये ही अपने पोते पोतियों पर अटैक कर रही थी. पर क्या किसी भुत प्रेत के बिना भी ऐसा हो सकता है???
डॉ : वूडू... ऐसे सिर्फ वुडू के जरिये नहीं होता. इसमें तंत्रा मंत्र के जरिये किसी एक ऐसी एनर्जी की मदद ली जाती है. जिसे उसने पहले से सिद्ध की हुई हो.
कोमल : तो यह एनर्जी कैसे सिद्ध होती है.
डॉ : साधना और उसके रिचुअल्स के जरिए. कोई भी पॉजिटिव ओर नेगेटिव एनर्जी को सिद्ध किया जा सकता है. उनसे फिर जो भी शर्त रखी हो. जो भी वादे लिए गए हो. या दिए गए हो. उन्हें पूरा करवाने के बाद हम उनसे कोई भी काम ले सकते है.
कोमल : क्या कहा?? पॉजिटिव ओर नेगेटिव दोनों ही एनर्जी को सिद्ध किया जा सकता है???
डॉ : हा नेगेटिव मतलब की कोई भुत पिशाज या फिर कोई जिन्न. या कोई आत्मा हो. जिसे मुक्ति ना मिली हो. जो वक्त से पहले मर गए हो. उनसे कई तांत्रिक ओझा काम ले सकते है.
कोमल : और पॉजिटिव एनर्जी को कैसे???
डॉ : किसी देवी देवता का मंत्र जाप कर के उनकी साधना कर के ही उन्हें भी सिद्ध किया जाता है. वैसे तो किसी भी नेगेटिव एनर्जी को भी मंत्रो के जरिये ही सिद्ध किया जाता है.
कोमल : तो क्या नेगेटिव एनर्जी के भी मंत्र होते है???
डॉ : हा होते है. और वो मंत्र भी ऊपर वाले के जरिये ही होते है.
कोमल : पर ऊपर वाला ऐसे गलत काम को कैसे करने दे सकता है.
डॉ रुस्तम और दाई माँ दोनों ही थोड़ासा हस दिए.
डॉ : तंत्रा मंत्र मे बहोत ताकत होती है. यह सब बने तो अच्छे काम के लिए थे. पर कई लोग इसका गलत इस्तेमाल करते है. इस से कइयों की जिंदगी बन जाती है. और कइयों की तो ऐसी बर्बाद होती है की मौत के बाद भी चैन नहीं आता.
कोमल : क्या सच मे?? तंत्रा मंत्र के जरिये किसी को बर्बाद भी किया जाता है.
डॉ रुस्तम कोमल के सामने हेरत से देखते है. क्यों की वो भी जानते थे की कोमल तंत्रा मंत्र की ताकत समझती है. पर कोई स्टोरी सुन ने के लिए नाटक कर रही है. मगर फिर भी डॉ रुस्तम उसे एक स्टोरी सुनते है. क्यों की कोमल को वो अपने साथ शामिल करना चाहते थे.
डॉ : अभी पिछली साल ही मेरे पास केस आया था. कुछ कॉलेज के बच्चे कोई ड्रामा की तैयारी कर रहे थे. यह केस रौनक और राहुल का था. जो दोनों ही सगे भाई है.
तभि बिच मे दाई माँ ने डॉ रुस्तम को रोक दिया.
दाई माँ : हे रीन दे. दो दीना ते यही भुत प्रेतन के किस्से सुन रई है.
(रहने दे. दो दिन से भुत प्रेतो के किस्से ही सुन रही है)
दाई माँ के बोलने पर तुरंत ही मानो सन्नाटा छा गया. सभी चुप हो गए. कोमल कुछ पल सोचती रही. उसने अनुभव किया की डॉ रुस्तन भी दाई माँ की बात नहीं टालते. तभि सन्नाटे को कोमल ने ही तोड़ा. वो चाहकते हुए मुश्कुराते हुए बोली.
कोमल : (स्माइल) माँ तो मेरे साथ मेरे घर जाने वाली है.
सभी के फेस पर स्माइल आ गई.
डॉ : माँ तो बाय एयर जाएगी नहीं. ट्रैन से जाओ तो रात 9 बजे की ट्रैन है.
कोमल ने तुरंत अपना मोबाइल निकला
कोमल : मै रिजर्वेशन कर देती हु.
कोमल अपने मोबाइल मे रिजर्वेशन साइट देखने लगी. तभि उसने अपना मुँह बिगाड़ा.
कोमल : अरे..... यह क्या हुआ. कितना वेटिंग है. लगता है रिजर्वेशन नहीं होगा.
कोमल ने दाई माँ की तरफ देखा.
कोमल : (रिक्वेस्ट) माँ...... फ्लाइट मे चलो ना.
दाई माँ : हे तू काए फिकर कर रई ए. तोए मे ले चालुंगी.
(तू क्यों फिकर कर रही है. तुझे मै ले चलूंगी ना.)
कोमल : (सॉक) पर कैसे????
डॉ : (स्माइल) जब माँ ने बोल दिया तो मान लो. वो तुम्हे बहोत आराम से ले जाएगी.
कोमल के दिल मे हालचल पैदा हो गई. और वो दाई माँ की तरफ देखने लगी. दाई माँ ने कही से बीड़ी निकली थी. और वो जलाने वाली ही थी की कोमल उन्हें पुकार ने लगी.
कोमल : (सॉक) माँ...
बाकि सब को तो कोमल की हालत पर हसीं आने लगी. लेकिन दाई माँ जानती थी की अब कोमल उसका भेजा खाएगी. वो भी थोड़ा भड़क गई. और डॉ रुस्तम की तरफ देखती है.
दाई माँ : हे याए कछु सुना दे. (इसे कुछ सुना दे.)
बाकि सब और कोमल हसने लगी. बाकि सब तो कोमल झेल लेती. पर कोमल किस्सा सुन ना नहीं छोड़ती. उसे इसी मे ज्यादा मझा आता था. वो डॉ रुस्तम की तरफ स्माइल किए देखती है. और वो भी किस्सा सुना ना स्टार्ट करते है.
बहुत ही जबरदस्त अपडेट्स आप एक एक किरदार को नगीने की तरह कहानी में जडती हैं और जिस तरह से माहौल बनाती हैं उसका तो जवाब ही नहीं।A
Update 41
कोमल आगे और किस्सा सुन ना चाहती थी. मगर उनकी बस गांव के अंदर एंटर कर चुकी थी. अफ़सोस की वो आगे कोई किस्सा सुन नहीं पाई. बस उसी आश्रम के आगे ही रुकी. और सब बस से उतरने लगे. इसी बिच दाई माँ ने सबको खास हिदायत दे दी.
दाई माँ : रे कोउ सीधा भीतर मत चले जइयो. मरेठा ते आए हो. पहले नीम पानी को कुल्ला करो तब जाकर नाह धो के भीतर जइयो.
(कोई सीधा घर के अंदर मत जाना. पहले नीम पानी का कुल्ला करना उसके बाद नहा धो कर फिर अंदर जाना.)
दाई माँ के पास खड़ी कोमल ने भी यह सुनी. और उसे अपने पिता के मृत्यु के वक्त के किस्से की याद आई. कैसे उसके पिता को समशान पहोंचाने के बाद आए लोगो को नीम पानी का कुल्ला करवाया जा रहा था. कोमल दाई माँ की बात सुनकर डॉ रुस्तम की तरफ गई. और वो भी उसे आते देख समझ गए की कोई सवाल ही है. जिसे पूछने कोमल उसके सामने आकर खड़ी हो गई.
कोमल : यह शमशान घाट से आने के बाद लोग नीम पानी से कुल्ला हाथ मुँह क्यों धोते है. क्या कोई लॉजिक है??
डॉ : बिलकुल. सारे रीवाज पुराने लोगो ने सोच समझ कर ही बनाए है. यह तुम दोनों तरह से सोच सकती हो. वैसे साइंटिफिक कारण देखो तो एक मरी हुई बॉडी मे क्या रोग है. यह कोई नहीं जानता. जैसे जैसे बॉडी जलती है. वैसे वैसे उसमे पनप ने वाले बैक्टीरिया या फिर और कोई जीव उस बॉडी को छोड़ते है. फिर वहां जब तुम होते हो तो जरुरी तो नहीं की सिर्फ वही बॉडी वहां होंगी.
वहां अनजानी बॉडी भी तो आती है. वैसे ही आध्यात्मिक तरीके से देखा जाए तो यह किसी को इनविटेशन देने से बचना है. मतलब की आप किसी अनजानी शक्तियों को नकार रहे हो. यह टोटका नहीं रीवाज है.
कोमल सोच मे डूबी हुई थी. तभि उसे दाई माँ ने पुकारा.
दाई माँ : चल री बावड़ी. नाहय के सोजा. नेक देर.
कोमल दाई माँ के साथ चल दी. उसने भी दाई माँ के साथ पहले वही रिचवल्स किए. और फिर औरतों की नहाने की जगह ले गई. पहले कोमल नहाई. और वो अपने कपडे समेट ने के लिए झूकी.
दाई माँ : डट जा री. कपडे जई छोड़ दे.
कोमल ने कपड़ो को हाथ भी नहीं लगाया था की वो खड़ी हो गई. उसने चेंज कर लिया था. और वो कुरता पजामा पहने हुए थी. वो पुराना वक्त सोचने लगी. जब उसके पिता की मृत्यु हुई थी. उसके मामा जब समशान से लौटे तो उसकी मामी ने बहार बरामदे मे नहाने का प्रबंध किया था. और उसकी मामी उसके मामा के कपडे बहार ही उतरवाकर उन्हें धो कर खुद नहाकर घर मे घुसी थी.
तब उसकी छोटी बहन हेमा ने उसकी मामी से सवाल किया था. कोमल यह सवाल दिल मे दबाए ही चली गई. वही दाई माँ अपने और कोमल दोनों के कपडे धोए. और फिर खुद नहाकर आई. बलबीर अलग मर्दो के साथ सोया. वो खुद ही यह सब रिचुअल्स कर चूका था. क्यों की वो कारण भले ही ना जानता हो.
पर उसे रिवाज का पता था. वही दाई माँ कोमल के साथ सो गई. कोमल की आंख खुली तब दिन के 10 बज रहे थे. जब वो उठी तो उसके रूम मे वो अकेली ही थी. कोमल तैयार होकर नहा धो कर बहार निकली. दाई माँ, बलबीर, डॉ रुस्तम और उनकी पार्टी सब बड़े से बाद के पेड़ के नीचे चेयर डालकर बैठे बाते कर रहे थे.
कोमल भी उनके पास पहोच गई. कोमल के आते ही सतीश खड़ा हो गया. उसने कोमल के लिए अपनी चेयर खाली कर दी. कोमल ने उसे स्वीकार किया. और चेयर को दाई माँ और डॉ रुस्तम के बिच खिंच कर बैठ गई.
कोमल : (स्माइल) तो केसी कटी रात. आप सब की??
डॉ : (स्माइल) अभी तो सब अच्छा ही हो रहा है. थोड़ी देर पहले आती. हमने अभी ही चाय पी. अब सायद ख़तम हो गई होंगी.
कोमल के आते ही बलबीर खड़ा हो गया था. और वो डॉ रुस्तम की टीम ने जहा अपनी वान के पास छोटा सा लंगर चलाया था. वहां पहोच कर चाय ले आया. और आते ही उसने कोमल को चाय दी. दाई माँ ने एक बार बलबीर को देखा और एक बार कोमल को देख कर शारारत भरी स्माइल की. कोमल शर्मा गई. वही सतीश और उसकी टीम दोनों को छेड़ने लगे.
सतीश & टीम : (स्माइल) ह्म्म्मम्म..... ममममम......
बलबीर को भी शर्म आ गई. और वो दए बाए देखने लगा.
दाई माँ : (स्माइल) वाह लाली. जे तो तेरो बढ़िया खयाल रखे है. एक काम कर. ज्याते ब्याह कर ले.
(वाह बेटी. ये तो तेरा बढ़िया खयाल रखता है. एक काम कर. इस से शादी कर ले.)
कोमल : (स्माइल) इससससस... छोडो ना माँ.
कुछ पल माहोल शांत रहा. कोमल ने डॉ रुस्तम की तरफ देखा. नसीब से वो भी कोमल को ही देख रहे थे. क्यों की वो जानते थे की कोमल कुछ ना कुछ जरूर पूछेगी.
कोमल : वो औरत... अरे उसकी दादी.. क्या नाम था उसका...... हा कुकू. तो वो भी उस डॉल के जरिये ही अपने पोते पोतियों पर अटैक कर रही थी. पर क्या किसी भुत प्रेत के बिना भी ऐसा हो सकता है???
डॉ : वूडू... ऐसे सिर्फ वुडू के जरिये नहीं होता. इसमें तंत्रा मंत्र के जरिये किसी एक ऐसी एनर्जी की मदद ली जाती है. जिसे उसने पहले से सिद्ध की हुई हो.
कोमल : तो यह एनर्जी कैसे सिद्ध होती है.
डॉ : साधना और उसके रिचुअल्स के जरिए. कोई भी पॉजिटिव ओर नेगेटिव एनर्जी को सिद्ध किया जा सकता है. उनसे फिर जो भी शर्त रखी हो. जो भी वादे लिए गए हो. या दिए गए हो. उन्हें पूरा करवाने के बाद हम उनसे कोई भी काम ले सकते है.
कोमल : क्या कहा?? पॉजिटिव ओर नेगेटिव दोनों ही एनर्जी को सिद्ध किया जा सकता है???
डॉ : हा नेगेटिव मतलब की कोई भुत पिशाज या फिर कोई जिन्न. या कोई आत्मा हो. जिसे मुक्ति ना मिली हो. जो वक्त से पहले मर गए हो. उनसे कई तांत्रिक ओझा काम ले सकते है.
कोमल : और पॉजिटिव एनर्जी को कैसे???
डॉ : किसी देवी देवता का मंत्र जाप कर के उनकी साधना कर के ही उन्हें भी सिद्ध किया जाता है. वैसे तो किसी भी नेगेटिव एनर्जी को भी मंत्रो के जरिये ही सिद्ध किया जाता है.
कोमल : तो क्या नेगेटिव एनर्जी के भी मंत्र होते है???
डॉ : हा होते है. और वो मंत्र भी ऊपर वाले के जरिये ही होते है.
कोमल : पर ऊपर वाला ऐसे गलत काम को कैसे करने दे सकता है.
डॉ रुस्तम और दाई माँ दोनों ही थोड़ासा हस दिए.
डॉ : तंत्रा मंत्र मे बहोत ताकत होती है. यह सब बने तो अच्छे काम के लिए थे. पर कई लोग इसका गलत इस्तेमाल करते है. इस से कइयों की जिंदगी बन जाती है. और कइयों की तो ऐसी बर्बाद होती है की मौत के बाद भी चैन नहीं आता.
कोमल : क्या सच मे?? तंत्रा मंत्र के जरिये किसी को बर्बाद भी किया जाता है.
डॉ रुस्तम कोमल के सामने हेरत से देखते है. क्यों की वो भी जानते थे की कोमल तंत्रा मंत्र की ताकत समझती है. पर कोई स्टोरी सुन ने के लिए नाटक कर रही है. मगर फिर भी डॉ रुस्तम उसे एक स्टोरी सुनते है. क्यों की कोमल को वो अपने साथ शामिल करना चाहते थे.
डॉ : अभी पिछली साल ही मेरे पास केस आया था. कुछ कॉलेज के बच्चे कोई ड्रामा की तैयारी कर रहे थे. यह केस रौनक और राहुल का था. जो दोनों ही सगे भाई है.
तभि बिच मे दाई माँ ने डॉ रुस्तम को रोक दिया.
दाई माँ : हे रीन दे. दो दीना ते यही भुत प्रेतन के किस्से सुन रई है.
(रहने दे. दो दिन से भुत प्रेतो के किस्से ही सुन रही है)
दाई माँ के बोलने पर तुरंत ही मानो सन्नाटा छा गया. सभी चुप हो गए. कोमल कुछ पल सोचती रही. उसने अनुभव किया की डॉ रुस्तन भी दाई माँ की बात नहीं टालते. तभि सन्नाटे को कोमल ने ही तोड़ा. वो चाहकते हुए मुश्कुराते हुए बोली.
कोमल : (स्माइल) माँ तो मेरे साथ मेरे घर जाने वाली है.
सभी के फेस पर स्माइल आ गई.
डॉ : माँ तो बाय एयर जाएगी नहीं. ट्रैन से जाओ तो रात 9 बजे की ट्रैन है.
कोमल ने तुरंत अपना मोबाइल निकला
कोमल : मै रिजर्वेशन कर देती हु.
कोमल अपने मोबाइल मे रिजर्वेशन साइट देखने लगी. तभि उसने अपना मुँह बिगाड़ा.
कोमल : अरे..... यह क्या हुआ. कितना वेटिंग है. लगता है रिजर्वेशन नहीं होगा.
कोमल ने दाई माँ की तरफ देखा.
कोमल : (रिक्वेस्ट) माँ...... फ्लाइट मे चलो ना.
दाई माँ : हे तू काए फिकर कर रई ए. तोए मे ले चालुंगी.
(तू क्यों फिकर कर रही है. तुझे मै ले चलूंगी ना.)
कोमल : (सॉक) पर कैसे????
डॉ : (स्माइल) जब माँ ने बोल दिया तो मान लो. वो तुम्हे बहोत आराम से ले जाएगी.
कोमल के दिल मे हालचल पैदा हो गई. और वो दाई माँ की तरफ देखने लगी. दाई माँ ने कही से बीड़ी निकली थी. और वो जलाने वाली ही थी की कोमल उन्हें पुकार ने लगी.
कोमल : (सॉक) माँ...
बाकि सब को तो कोमल की हालत पर हसीं आने लगी. लेकिन दाई माँ जानती थी की अब कोमल उसका भेजा खाएगी. वो भी थोड़ा भड़क गई. और डॉ रुस्तम की तरफ देखती है.
दाई माँ : हे याए कछु सुना दे. (इसे कुछ सुना दे.)
बाकि सब और कोमल हसने लगी. बाकि सब तो कोमल झेल लेती. पर कोमल किस्सा सुन ना नहीं छोड़ती. उसे इसी मे ज्यादा मझा आता था. वो डॉ रुस्तम की तरफ स्माइल किए देखती है. और वो भी किस्सा सुना ना स्टार्ट करते है.
यह कहानी तो और जबरदस्त है, आपके खजाने में तंत्र मंत्र का अगाध भंडार हैA
Update 42
डॉ रुस्तम ने किस्सा सुना ना स्टार्ट किया.
डॉ : यह बस पिछले साल की ही बात है. रौनक और राहुल दोनों भाई जयपुर के रहने वाले थे. और कोटा मे अपनी पढ़ाई कर रहे थे. रौनक 1st year मे था. और राहुल 2nd. वो लोग कॉलेज के किसी प्रोग्राम के लिए एक ड्रामा तैयार कर रहे थे. राहुल रौनक का बड़ा भाई था.
और वो अपने छोटे भाई की मदद के लिए उनके साथ जुडा हुआ था. राहुल और रौनक के सिवा उनके साथ तीन लड़किया और थी. पावनी, सुलेखा और रचना. सब कुछ बहोत अच्छा चल रहा था. वो लोग कॉलेज मे ही कोई जगह ढूढ़ते. और अपनी प्रेक्टिस करते. कभी ग्राउंड के पास तो कभी कॉलेज के कैंपस मे.
तो कभी कही और जगह. कई लोग उन्हें यह सब करते हुए देखते भी थे. सब कुछ अच्छा चल रहा था. कुछ लोग तो बहोत सपोर्टिव भी थे. और कुछ लोग जब भी रौनक और राहुल अपनी टीम के साथ प्रेक्टिस करते उन्हें देखने उनका होशला बढ़ाने के लिए उनके साथ आते. ऐसे ही कुछ 2 वीक के आस पास के टाइम से एक लड़की और थी. जो उनके ड्रामा को देखने रोज आती.
उन्हें सपोर्ट करती. और साथ ही ड्रामे के लिए छोटे मोटे काम भी करती. भावना. भावना रौनक के क्लास मे ही थी. कई बार सब ने महसूस किया की भावना और रौनक आँखों से हिसारो हिसारो मे बाते करते है. सभी समझ गए थे की दोनों मे कुछ चल रहा है. रौनक का बड़ा भाई रोहन ने भी यह चीज महसूस कर ली थी. पर अपने छोटे भाई के लिए उसे ख़ुशी भी थी.
भावना भी कई बार यह इज़हार कर चुकी थी की वो भी ड्रामा मे पार्टिसिपेट करना चाहती है. मगर किसी और लड़की की रिक्वायरमेंट नहीं थी. इसी लिए भावना को मौका नहीं मिल रहा था. भावना कई बार रिक्वेस्ट कर चुकी थी. मगर चौथी लड़की के लिए उस ड्रामा मे कोई जगह ही नहीं थी. इसी बिच सुलेखा का सीडीयो से उतरते पाऊ मूड गया. और वो बहोत बुरी तरह से गिर गई.
उसके पाऊ मे तो मोच आई ही. सीडीयों से गिरने के कारण हाथ भी फेक्चर हो गया. और तब जाकर भावना को उस ड्रामे का हिस्सा बन ने का मौका मिल गया. उसके बाद से भावना भी उनके साथ ड्रामा प्रेक्टिस करने लगी. तभि उन्हें जगह की प्रॉब्लम होने लगी. क्यों की ड्रामा के आलावा कुछ सिंगिंग का भी प्रोग्राम का रहा होगा.
और कॉलेज मे जो भी गाने की प्रेक्टिस करता वो माइक और स्पीकर की मदद लेता. भावना को ड्रामा की प्रेक्टिस से जुड़े एक वीक हो गया था. और वो घर से कुछ ना कुछ खाने की चीजे बनाकर लाती. और सब के साथ सेर करती. जब जगह की प्रॉब्लम हुई तो उसने एक सुझाव दिया. उसका घर बड़ा है. और 2 मंज़िला है.
लेकिन ऊपर का फ्लोर अंडर कंस्ट्रक्शन मे है. लेकिन प्रोपर बन चूका है. ड्रामा प्रेक्टिस के लिए बहोत अच्छी जगह है. सभी उसकी बात मान लेते है. और डिसाइड करता है. की नेक्स्ट डे भावना के घर ही प्रेक्टिस करने जाएंगे. रौनक और राहुल दोनों हॉस्टल मे रहते थे. भावना का घर और उन दोनों भाइयो का होस्टेल दोनों अपोजिट साइड था. मतलब की कॉलेज से एक तरफ होस्टेल.
और दूसरी तरफ भावना का घर. जो थोड़ा दूर था. भावना का घर टाउन से बहार की तरफ था. जो धीरे धीरे डेवलप हो रहा था. भावना का घर दूर होने के कारण सब ने डिसाइड किया की सब कॉलेज मे ही मिलेंगे. और मिलकर भावना के घर जाएंगे.
उस दिन संडे था. रौनक, राहुल, पावनी और रचना. यह चारो दोस्त कॉलेज मे मिले. रौनक और राहुल के पास वैसे तो एक बाइक थी. और वही रचना के पास अपनी स्कूटी थी. दोनों भाई अपनी बाइक पर. वही दोनों लड़किया स्कूटी पर चल दिए. उनके पास भावना के घर का एड्रेस था. और लाइव लोकेशन भी मोबाइल मे ऑन थी.
कॉलेज से ही भावना के घर जाने मे एक घंटा लग गया. भावना जिस एरिया मे रहती थी. उस एरिया मे मकान बन रहे थे. वहां ज्यादा इंसान दूर दूर तक नहीं मिल रहे थे. कही बिच बिच मे कोई एक दो माकन मे काम करते दिख जाते. लेकिन फिर भी नेटवर्क मिल रहा था. लाइव लोकेशन के जरिये वो लोग भावना के घर के पास पहोच गए.
भावना बहार ही खड़ी थी. उन्हें देख भावना ने मुश्कुराते अपना हाथ हिलाया. और वो लोग भावना के पास पहोच गए.
भावना : (स्माइल) हाई गायस. घर ढूढ़ने मे कोई दिक्कत तो नहीं हुई ना.
रौनक : (बाइक से उतरते) अरे नहीं नहीं...
राहुल : (मुँह बनाते) क्या खाक. दूर दूर तक कोई रस्ता बताने वाला कोई नहीं था. बात करता है.
सभी हसने लगे. और रौनक ने थोड़ा शरमाते हुए मुँह घुमाया और हसने लगा.
भावना : आओ चलो अंदर चलते है. आज हमारे घर पूजा भी है.
राहुल को थोड़ा अजीब लगा. क्यों की भावना ने एन्ड टाइम पर बताया की उसके घर पूजा है. भावना गेट खोलती है. और सभी अंदर कंपउंड मे आते है. हैरानी तो नहीं हुई. पर उसका घर बड़ा अजीब था. दो मंज़िला घर और वो भी पूरा प्लास्टिक तरपाल से ढका हुआ. भावना आगे के डोर से ना जाकर पीछे की तरफ जाने लगी.
राहुल को कुछ ठीक नहीं लग रहा था. उसे बड़ा अजीब सा लग रहा था. जैसे की उसे घबराहट हो रही हो. उसे ऐसा फील होने लगा की कुछ बुरा होने वाला है. घर के साइड से होते हुए वो पीछे गए. पीछे वाले गेट पर जाली लगी हुई थी. और लोहे का डोर था. और जाली पर कली तरपाल डाली हुई थी. भावना ने गेट खोला.
भावना : (स्माइल) आओ सब सीढ़ियों से ऊपर चले जाओ. और रौनक आप अंदर चले जाओ. पूजा के लिए.
इस बात पर सिर्फ रौनक ही नहीं राहुल को भी अजीब लगा. रौनक क्यों?? अंदर साइड से ऊपर जाने के लिए सीढिया थी. भावना सब को लेकर ऊपर जाने लगी. रौनक को भी कुछ गलत लगा. सब से लास्ट मे रौनक बचा. वो भी ऊपर जाने लगा. तभि घर के अंदर से एक 40 आस पास की एक लेडी निकली. जो थोड़ी मोटी आंटी टाइप की थी. उसकी आंखे थोड़ी बड़ी. पर चहेरे पर साफ झूरिया मतलब की बुढ़ापे की शारुआत झलक रही थी.
उसने साड़ी पहनी हुई थी. माथे पर लाल बिंदी और गले मे उसकी शादीशुदा होने की निशानी थी. बहोत ही कम ज्वेलरी पहनी हुई थी. सिर्फ हाथो मे दो पतली सोने की चूड़ी. और उसने आते ही रौनक को पुकारा. तो रौनक को रुकना पड़ा.
भावना की मम्मी : (स्माइल) अरे बेटा आ गए. तुम ही रौनक हो ना. आओ बेटा. बड़े ही शुभ अवसर पर आए हो. आओ बेटा पूजा कर लो.
रौनक ने सोचा की सायद भावना के साथ उसका चक्कर चल रहा है. तो सायद इसी वजह से उसकी मम्मी उसके साथ परिवार वाला व्यवहार कर रही हो. रौनक तुरंत ही उनके पाऊ छूता है.
रौनक : नमस्ते आंटी.
उसकी मम्मी ने उसे उठाया और तुरंत ही गले लगा लिया. जैसे उसका अपना बेटा हो. रौनक चुप ही रहा. फिर वो रौनक को अंदर लेजाने लगी. रौनक उनके साथ अंदर गया. अंदर अंधेरा ही था. सिर्फ जरासा उजाला. जैसे शाम के वक्त घर मे बिजली चली जाए तो कैसा अंधेरा होता है. बिलकुल वैसा ही माहोल.
जबकि वक्त दिन के 11 बज रहे थे. एक बैठक रूम से होते हुए रौनक एक बड़े से हॉल मे पहोंचा. वहां भी अंधेरा था. पर एक दिया जल रहा था. उस से पता चला की पूजा वाला रूम उधर ही है. एक तरफ दीवार के सहारे कोई बड़ी मूर्ति थी या तशवीर यह पता नहीं चल रहा था. मगर वो किसी नर यानि की male की है.
यह साफ पता चल रहा था. बड़ी मुछे और कोई बड़ा ऊंचा लम्बा कद का सक्स. वो कोनसे देवता थे. यह तक नहीं पता चल रहा था. थोड़ी हलकी सी सीलन वाली बदबू भी आ रही थी. रौनक को लगा की कंस्ट्रक्शन वाला घर है. सायद उसकी वजह से होंगी. तभि भावना की मम्मी उसके पीछे आई और बोली.
भावना की मम्मी : बेटा हाथ जोड़ो. यह हमारे देवता है.
रौनक ने अपने हाथ जोड़े और हलका सा सर झूकाया. लेकिन वो अब भी सामने ही देख रहा था. भावना की मम्मी कुछ मंत्र बड़ बड़ाने लगी. और रौनक पर कुछ चावल के दाने भी फेकने लगी. रौनक ने अपना सर उठाया तो उसे महसूस हुआ की उसकी गर्दन अकड़ रही है. उसे घबराहट होने लगी. उसके हाथ पाऊ सब अकड़ गए. और वो हिल भी नहीं पा रहा. वो पीछे देखना चाहता था. पर उसकी बॉडी को किसी ने बुरी तरह से जकड रखा हो.
वही राहुल जब भावना और बाकि सब के साथ उसके घर के पीछे आया तो उसे कुछ अजीब सा लगने लगा. उसे ऐसा महसूस होने लगा की कुछ बुरा होने वाला है. घर के पीछे धुप आती ही नहीं थी. गिलापन और सीलन ज्यादा थी. ठंडक और बदबू आ रही थी. उसने देखा की घर के पीछे कई पंछियो के खाली पिंजरे और खाली गमले रखे हुए थे. जिसपर मिट्टी लगी हुई थी.
पीछे भी बड़ी लोहे की जाली थी. जिसे कली तारकॉलिन से कवर किया हुआ था. वो लोग घर मे घुसे तो देखा की कई सारे गमले मे पौधे लगे हुए थे. जिनमे जरुरत से ज्यादा पानी भरा हुआ था. राहुल सोचने लगा की अंदर तो धुप आती नहीं. फिर यहाँ क्यों पौधे लगाए हुए है. ऊपर से जरुरत से ज्यादा पानी क्यों दिया गया है. जब भावना ने सिर्फ रौनक को पूजा के लिए कहा तो उसे हेरत हुई.
सभी ऊपर गए तो वो भी ऊपर जाने लगा. उसने देखा की उसका भाई रौनक फिर भी ऊपर आ रहा है. पर अचानक वो कहा गया. वो पीछे क्यों नहीं है. उसे भावना की मम्मी की आवाज तक नहीं सुनाई दी. जब की रौनक बिलकुल उसके पीछे ही था. वो बाकि सब के साथ ही सीढिया चढ़ रहा था. और सीढ़ियों पर भी बहोत सारे वैसे ही गमले थे. जिसमे पौधे लगे हुए थे.
रौनक ने उन पौधों को बड़े करीब से देखा. वो पौधे ज्यादा पानी देने की वजह से गल रहे थे. और धीरे धीरे मुरझाने लगे थे. वो सारे ऊपरी मंजिल से भी ऊपर पहोच गए. भावना उन दोनों लड़किया पावनी और रचना से ही हस हस कर बात कर रही थी. वो लोग ऊपर टेरीश पर पहोच गए. भावना उन लड़कियों को ऊपर से व्यूस दिखा रही थी. लेकिन राहुल ऊपर आते दए बाए देखने लगा.
दूर दूर तक कीकर के घने पेड़ो का जंगल ही दिख रहा था. कही दूर किसी कंस्ट्रक्टेड बिल्डिंग यानि की दो तीन मंज़िला घर की छत दिख रही थी. वो इलाका वीरान ही था. राहुल ने ऊपर छत पर नजर घुमाई. कुछ पंछियो के पँख पड़े हुए थे. इसके आलावा ऊपर भी बहोत सारे गमले लाइन मे लगे हुए थे. और उनमे भी कभी पौधे होंगे. क्यों की वो सब सुख चुके थे. जैसे उनमे कभी पानी ही ना दिया गया हो. राहुल ने अचानक पीछे देखा.
वो सब अपने भाई को हिसारे से दिखाना चाहता था. मगर उसे हैरानी तब हुई जब उसे अपना भाई पीछे नहीं दिखा. वो सॉक हो गया.
राहुल : रौनक कहा गया??
भावना : वो निचे पूजा कर रहा है.
राहुल को कुछ गलत लगा और वो निचे जाने लगा. भावना उसे रोकने की कोसिस करती है. पर तब तक वो निचे जा चूका था.
भावना : नहीं तुम निचे मत........
राहुल निचे सीढ़ियों से उतरते रौनक को पुकारने लगा. और वो निचे आ गया. वो रौनक को पुकारने भी लगा.
राहुल : रौनक.... रौनक...
वो पुकारते हुए घर मे घुस गया और वही पहोच गया. जहा रौनक उस मूर्ति या तस्वीर के आगे खड़ा था. लेकिन जब राहुल को भावना की मम्मी ने देखा तो वो भी बिच मे आई.
भावना की मम्मी : अरे बेटा दो दो लड़के है. आओ तुम भी पूजा कर लो.
भावना की मम्मी ने राहुल को भी कंधे से पकड़ा. और उसे भी वैसे ही खड़ा कर दिया. राहुल भी वही महसूस करने लगा. जो रौनक कर रहा था. रौनक को जैसे कुछ होश ही ना हो. वो बस अपने सामने की छबि को देखे जा रहा था. उसकी आँखों से पानी निकल रहा था. शरीर मे जैसे कोई जान ना हो. रौनक को भी यह पता ही नहीं चला की उसका भाई उसके बगल मे ही आ गया है.
लेकिन राहुल होश मे था. हलाकि उसका शरीर भी वैसे ही अकड़ गया. वो चिल्लाना चाहता था. मगर मुँह से कुछ नहीं निकल रहा था. बड़ी जान लगाकर राहुल ने अपनी गर्दन घुमाई. और अपने भाई को देखा. अपने भाई की हलत देख कर राहुल के आँखों मे अंशू आ गए. तभि राहुल को भावना की मम्मी की आवाज सुनाई दी.
भावना की मम्मी : आओ बेटा देखो. दो दो भैया है. अब तुम ठीक हो जाओगे.
रौनक राहुल के बाई तरफ बराबर मे खड़ा था. और दाई तरफ रकदम से उजाला हुआ. जैसे कोई डोर खुला हो. भावना की मम्मी के बोलने पर राहुल को यह एहसास हो गया की उसकी दाई तरफ डोर है. और उस डोर से कोई आया है. राहुल ने पूरी ताकत लगाई. और अपनी गर्दन घुमाई. उसने देखा की कोई 7,8 साल का अपाहिज लड़का. जिसकी पतली पतली टांगे मुड़ी हुई है.
उस लड़के का मुँह जरुरत से ज्यादा खुला है. जैसे की वो मुँह ही नहीं बंद कर पा रहा हो. वो बस मुँह से आआआ... ऐसी आवाज निकाल रहा था. राहुल जोर लगाने लगा. मगर वो कुछ नहीं कर पा रहा था. उसकी आँखों से अंशू भी निकल पड़े. वो कोसिस कर रहा था. पर कुछ नहीं कर पा रहा था. वो उस भावना की मम्मी की आवाज भी सुन पा रहा था.
भावना की मम्मी : (स्माइल) निशांत आजा बेटा. यह दोनों भैया हेना. अब तू जल्दी ही ठीक हो जाएगा.
रौनक तो होश मे ही नहीं था. बस खड़े लाचार सामने उस प्रतिमा को ही देखे जा रहा था. और उसकी आँखों से पानी निकलते ही जा रहा था. पर राहुल अपने आप पर जोर लगा रहा था. वो हार नहीं मान रहा था. भावना की मम्मी अपनी अपाहिज बेटे निशांत को उन दोनों के आगे ले आई और बैठा दिया. राहुल को हलकी सी गर्दन झूकाने मे भी बहोत तकलीफ हो रही थी. क्यों की वो थक गया था.
उसने सर निचे किया तो पता चला की निचे पूरी पूजा की व्यवस्था है. फर्श पर कुछ आटे से आकृति बनाई हुई है. कुछ फल सूखे मेवे और भी कुछ अलग अलग चीजे है. जैसे रई, उड़द. वही एक और खास चीज के एक पुरानी नंगी तलवार भी रखी हुई थी. यह देखने के बाद राहुल एकदम हताश हो गया. पहले तो उसने ताकत लगाई. मगर वो बहोत ज्यादा तक चूका था.
उसने मान लिया की उसका अंत निश्चिन्त है. और वो अपने भाई को भी सायद खो देने वाला है. भावना की मम्मी धीरे धीरे मंतर पढ़ रही थी. राहुल भी ढीला पड़ चूका था. हलाकि वो होश मे था. वो सब महसूस भी कर रहा था. की भावना की मम्मी ने रौनक और उसे माथे पर तिकल लगाया. उनके गले मे गेंदे के फूलो की माला भी पहनाई. पर तभि एकदम से राहुल की जीभ मे कड़वापन आ गया.
उसकी जीभ मे ऐसा कड़वापन आया की राहुल को उलटी(vomit) ही आ गई. और उसने एक हिचकी लेते बहोत सारी उलटी वही पे कर दी. वो हाफने लगा. तब जाकर उसे एहसास हुआ की वो हिल डुल सकता है. भावना की मम्मी सामने फर्श पर पूजा वाली जगह पर बैठी हुई थी. वो एकदम से राहुल की हरकत को देख कर हैरान रहे गई. वही जब राहुल पूरी तरह से होश मे आया तो उसने रौनक को खिंचा.
राहुल : (घबराहट) रौनक चल यहाँ से. रौनक चल...
राहुल रौनक को झंझोड़ने लगा. तो रौनक को भी होश आया. वो समझ ही नहीं पा रहा था की क्या हुआ. उसने अपने भाई को देखा.
रौनक : हा हा हा.
राहुल : चल भाग यहाँ से.
राहुल रौनक का हाथ पकड़ कर उसे तेज़ी से लेजाने लगा. भावना की मम्मी मोटी थी. इस लिए वो जल्दी उठ नहीं पाई. लेकिन जैसे तैसे वो चिल्लाते उठ ही गई.
भावना की मम्मी : कहा जा रहे हो बेटा. पहले पूजा तो ख़तम हो लेने दो. भावना ओओओ भावना. देख बेटा यह दोनों जा रहे है. रुक जाओ बेटा. नहीं तो अनर्थ हो जाएगा.
राहुल और रौनक पीछे वाले रास्ते से जाने लगे. डोर बंद था. लेकिन ताला नहीं लगाया हुआ था. भावना की मम्मी बिच मे आई. पर राहुल ने उन्हें धक्का दे दिया. और वो गिर गई. राहुल रौनक को लेकर तेज़ी से बहार निकला और दोनों ही अपनी बाइक लेकर वहां से भाग गए.
डॉ रुस्तम बोल कर रुक गए. उन्होंने सतीश को पानी देने का हिसारा किया. सतीश ने तुरंत पानी दिया. और डॉ रुस्तम पानी पिने लगे. कोमल आगे की कहानी सुन ने के लिए इंतजार कर रही थी.
अपडेट बड़ा भी था और आकर्षक भी और मन की भावना को छू लेने वालाA
Update 43
डॉ रुस्तम कहानी सुना ने के बाद पानी पी रहे थे. और कोमल बेचैनी से उन्हें देख रही थी. पानी पिने के कारण डॉ रुस्तम के गले की गुट्टी ऊपर निचे होते हुए हिल रही थी. जैसे उन्होंने पानी पीना ख़तम किया और कोमल की तरफ देखा. कोमल ने बिलकुल देर नहीं की. तपाक से अपना सवाल कर दिया.
कोमल : उनके साथ हो क्या रहा था??
डॉ : (रुस्तम) अरे बाबा रुको. अभी ख़तम नहीं हुआ. वो दोनों भाई रौनक और राहुल वहां से भाग निकले. वैसे तो वो सही रास्ते पर थे. लेकिन उन्हें इतना होश ही नहीं था. उन्हें तो बस वहां से दूर जाना था. राहुल बाइक चला रहा था. की तभि चलाते चलाते उसे एक मंदिर दिखा. जो उसे आते हुए भी दिखा था. केसरी रंग का वो मंदिर H/मान जी का था. राहुल ने देर नहीं की.
वो सीधा अपनी बाइक उसी मंदिर पर ले गया. की तभि उसके मोबइल पर कॉल आने लगे. राहुल ने देखा की उसके मोबाइल पर बहोत सारे मिस कॉल थे. भावना,पावनी, और रचना तीनो के. उस वक्त जीका कॉल आ रहा था. वो पावनी का था. अब राहुल को लगा की उसने उन दोनों लड़कियों को तो कुछ बताया ही नहीं. वो कॉल पिक करता है.
पावनी : हेलो राहुल तुम हमें छोड़ कर कहा चले गए. यहाँ भावना की मम्मी ने कितना बखेड़ा कर दिया. वो रो रही है. ऐसा क्या किया तुमने.
राहुल : (घबराहट) तुम तुम निकलो वहां से जल्दी..
तभि पावनी के हाथो से भावना की मम्मी ने फोन छीन लिआ.
भावना की मम्मी : बेटा बेटा वापस आ जाओ बेटा. देखो ऐसे पूजा छोड़ के नहीं जाते. नहीं तो अनर्थ हो जाएगा.
राहुल : हम तो भावना पर भरोसा कर के आए थे. पर तुम कुछ गलत कर रही थी. देखो उन लड़कियों को वहां से भेज दो. वरना मै पुलिस मे रिपोर्ट लिखा दूंगा.
भावना की मम्मी : अरे नहीं नहीं बेटा.. ऐसा कुछ....
राहुल ने तुरंत फोन काट दिया. और अपने भाई रौनक को लेकर मंदिर चले गया. वहां एक पुजारी मिले. राहुल ने सारी बाते पुजारी जी को बताई. वहां एक हेडपम्प था. पुजारी ने उन्हें नहाने के लिए कहा. दोनों भाई नहाए. पुजारी कोई तंत्रा नहीं जानता था. उसने सिर्फ चालिसा और आरती की. उनपर पानी छिड़का. और प्रसाद खिलाया. जिस से उनकी दिमागी हालत पर अच्छा असर हुआ. और वो दोनों हॉस्टल वापस आ गए.
डॉ रुस्तम जानते थे की कोमल सवाल पूछना चाहती है. और कोमल ने सवाल तुरंत ही पूछ लिया.
कोमल : और वो दो लड़किया???
डॉ : नहीं उन्हें कुछ नहीं हुआ. वो आराम से उसी वक्त अपने घर वापस आ गई. पर कुछ वक्त तक डिलीद्रता उनके घर भी रही. क्यों की उन्होंने भावना के घर पानी पिया था. और भावना काफ़ी वक्त से उन सब को कुछ ना कुछ खिला रही थी. जिसके कारण उनका पैसो से लेकर घर की सुख शांति पर असर हो रहा था. उनकी पूजा भी मेने ही की थी.
कोमल : (सॉक) उनकी भी मतलब???
डॉ : हा हा उनकी भी मतलब रौनक और राहुल के मम्मी पापा लम्बे अरसे से मेरे क्लाइंट है.
कोमल थोड़ा शारारत से मुस्कुराई. क्यों की काम पैसे लेकर किया जा रहा है. कोई दान पुण्य नहीं. मतलब की डॉ रुस्तम बिजनेस ही कर रहे है. पर इसमें उसे कोई बुराई नहीं लगी. लेकिन कोमल के सवाल तो शुरू हुए थे. ख़तम नहीं. वो तुरंत अगला सवाल पूछ ही लेती है.
कोमल : लेकिन उसने उनपर किया क्या था. और क्यों???
डॉ : वशीकरण का उम्दा तंत्रा सम्मोहन क्रिया. जिस की चपेट मे से निकलना तो लगभग ना मुमकिन ही होता है. और वो सारी क्रिया उस औरत ने सिर्फ अपने बेटे जिसका नाम निशांत था. उसे ठीक करने के लिए किया था. मतलब की वो अपने बेटे की बीमारी रौनक और राहुल मे ट्रांसफर करना चाहती थी. ताकि उसका बेटा ठीक हो जाए.
कोमल : (सॉक) क्या ऐसा भी हो सकता है??
डॉ रुस्तम हस पड़े.
डॉ : (स्माइल) तंत्र मंत्र मे तुम जो सोच नहीं सकती. वो भी हो सकता है. कुछ भी.
कोमल कुछ पल सोच मे पड़ गई. और डॉ रुस्तम कोमल के अगले सवाल का इंतजार कर रहे थे.
कोमल : तो फिर वो बचे कैसे. मतलब की वो राहुल को होश आया था. मतलब की उसका मुँह कड़वा कैसे हुआ.
डॉ : हम्म्म्म... अब जाकर सही सवाल किया है. दरसल उसे उसके पुरखो ने बचाया. उसके पूर्वजो के कारण ही उसकी जान बची.
कोमल : पर कैसे??? यह तो बताओ.
डॉ : राहुल रौनक को लेकर होस्टेल आ गया. और उसने तुरंत ही अपने घर जयपुर कॉल किया. उसने अपने माँ बाप को पूरा किस्सा सुना दिया. वहां उसके माँ बाप ने उसे जयपुर आने को कहा. और मुजे कॉल कर दिया. पर मै बहार था. कही और. इस किए मै दो दिन बाद गया. उनकी मनहूसियत हटाने के लिए मेने हवन भी किया.
तब रौनक और राहुल की माँ के शरीर मे उनके पूर्वज आए. एकदम से उसकी माँ ने बाल खोले. आंखे एकदम लाल. उन्होंने जो नाम बताया. तो पता चला की वो उनके दादाजी के भी दादाजी थे. वो रौनक पर चिल्लाय.
पूर्वज : क्यों गया था उसके घर. तुझे पता है वो कयों ले गई थी तुझे??
रौनक एकदम से रोने लगा. मेने उसके पिता को हिसारा दिया. तो उन्होंने पूछा.
पापा : जी वो कौन थी. और क्या चाहती थी???
पूर्वज : वो रौनक पर मरण कर रही थी. और अपने बेटे की बीमारी रौनक पर डाल रही थी. यह तो राहुल वहां आ गया. वो लढा. मगर उसने भी हार मान ली. मेने उसे बचाया. इसका मुँह कड़वा किया. और इसे होश मे लाया. वो लड़की इसे रोज कुछ खिलाती रहती थी. इसका इलाज करवाओ. नहीं तो यह बहोत बीमार पड़ जाएगा. मरण क्रिया इसपर से छू कर गई.
उसके पूर्वज ने मेरी तरफ देखा. और मुजे बताते मेरी समस्या ख़तम कर दी.
पूर्वज : शाम क्रीमा किया है इसपर.
वो लड़की रोज सब को कुछ खिलाती थी. उसे मंत्रित कर के लाती थी. मेने जब पूजा की तो उन्होंने वोमिटिंग की. सबसे ज्यादा रौनक पर असर था. क्यों की उसे वो ज्यादा खिलाती थी. रौनक की वोमिटिंग मे काले गंदे कीड़े जो गटर मे होते है वो निकले. और वोमिटिंग मे तो इतनी बुरी बदबू आ रही थी. जैसे गटर का पानी निकल रहा हो. उसके बाद मेने राहुल का भी वैसे ही इलाज किया.
उसके अंदर से भी सिर्फ एक कीड़ा निकला. वो दोनों ठीक हो गए. बाद मे उन तीन लड़किया ( पावनी, सुलेखा, और रचना) ने भी मुझसे कॉन्टेक्ट किया. मेने उनका भी इलाज किया. सुलेखा नाम की लड़की पर तो दूसरा भी एक तंत्रा किया था. उसने सुलेखा को रास्ते से हटाने की कोसिस इस किए की. क्यों की वो रौनक को पसंद करती थी.
कोमल : तो यह कोनसी बीमारी है किडो वाली??
डॉ : यह मरण क्रिया की एक ऐसी क्रिया है. जिसमे इंसान को पता भी नहीं चलेगा. और उसके शरीर मे अंदर गंदे कीड़े पनपने लगेंगे. और उसे अंदर से खाने लगेंगे. कुछ 3,4 साल मे वो भयानक बीमारी से मर जाएगा.
कोमल :मरण क्रिया तो बहोत ही ख़तरनाक है.
डॉ : मरण क्रिया सच मे बहोत खरनाक होती है. और यह कई प्रकार की होती है. हांडी,मुठ, मशाल बहोत ही तरीके की होती है.
कोमल : इसमें तो कोई भुत प्रेत की जरुरत ही नहीं. ऐसे ही इंसान को मारा जा सकता है.
डॉ : नहीं ऐसा नहीं है. किसी भी पैरानॉर्मल एनर्जी को सिद्ध कर लो. चाहे कोई प्रेत, पिशाज, कोई पूर्वज या कोई देवी देवता. उन्हें सिद्ध करके ही यह क्रिया की जाती है. इनके तोड़ के बारे मे बाद मे बताऊंगा.
कोमल : तो उस औरत ने किस के जरिये वो किया था. मतलब वो प्रतिमा??? वो कौन से देवता थे???
डॉ रुस्तम हस पड़े.
डॉ : वो कोई देवता नहीं थे. वो किसी के पूर्वज ही थे. या तो उनका परिवार उन्हें पूजता नहीं होगा. या तो पूरा परिवार मर चूका होगा. उस औरत ने उन्हें भोग देना शुरू किया. पूजना शुरू किया. बदले मे वो इनके काम करने लगा. एक प्रेत ही था वो.
कोमल : ओह्हह..
डॉ रुस्तम हसने लगे.
डॉ : (स्माइल) अब बस करो. अगर माई के साथ जाना है तो शाम की तैयारी करो. रात की ट्रैन है तुम्हारी.
कोमल ऐसे कैसे मान जाती.
कोमल : बस लास्ट सवाल. वो गमले क्या चीज थे. मतलब की जरुरत से ज्यादा पानी देना. वगेरा????
डॉ : वो उस प्रेत को पूजने के लिए. उसे खुश करने के लिए बली दे रही थी. मतलब के किसी भी जीव के नवजात शिशु की हत्या. जरुरत से ज्यादा खिला पिलाकर. या फिर भूखा प्यासा रख कर उसे मरने के लिए छोड़ा जाता. जिस से मरने के बाद उस जीव की आत्मा वही रहे. और अपनी जरुरत को पूरा करने के लिए उनके काम करते रहे.
कोमल को यह सुनकर सॉक लगा.
कोमल : (सॉक) क्या?? पर पेड़ पौधों की आत्मा को भी???
डॉ : हार जीव. जिसमे जान होती है. जानवर, पेड़ पौधे. और अगर इंसान का बच्चा मिल जाए तो बहोत कुछ होता है. अब प्लीज अभी कोई सवाल नहीं. पहले जाने की तैयारी करो. क्यों की मुजे भी शाम को ट्रैन पकड़नी है. मुजे भी फ्लाइट नहीं मिल रही.
डॉ रुस्तम की बात पर सभी हसने लगे. और कोमल तुरंत खड़ी होती शारारत से आश्रम के उस रूम की तरफ जाने लगी. वो ज्यादा खुश इस लिए थी. क्यों की दाई माँ उसके घर आ रही थी.