Lucifer Morningstar
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Nice updateमेरी उंगलिया अंदर बाहर होती रही और मेरी चूत का गुबार समेट कर ही बाहर निकली, अंत में पापा के नाम की दुहाई देते हुए मैने उन गीली उंगलियो को अपने मुँह में रखकर पूरा निगल लिया
और बाद में एक नया एहसास लेने के लिए फिर से उस गीली चूत में अपनी उंगलिया डालकर कुछ देर पहले हुए सीन को याद करके उसे सहलाने लगी
अपनी गीली चूत में उंगलियों का ये एहसास मुझे चाँद पर ले जा रहा था, अब शायद रोज रात को इस एहसास से निकलना पड़ेगा, और ये सोचते -2 कब मैं नींद के आगोश में चली गयी
मुझे भी पता नही चला
*************
अब आगे
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दोस्तो , कहानी के किरदार के हिसाब से नज़रिए बदलते रहेंगे
अभी तक कहानी सलोनी के नज़रिए से चल रही थी
अब उसकी माँ ज्योति के नज़रिए से कहानी का ये हिस्सा पढ़ते हैं
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ज्योति
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अपने पति को ऑफीस भेजने के बाद करीब 1 घंटे का समय होता था ज्योति के पास
उसमें वो आराम से नहाती, मेकअप करती और फिर अपनी लाडली के लिए नाश्ता नाश्ता और फिर उसे उठाने जाती
आज फिर से वही रुटीन वाली जॉब करते हुए जब वो उसके कमरे में गयी तो एक बार फिर से ज़मीन पर पड़े उसके कपड़े देखकर वो बुदबुदाने लगी
“हे भगवान, फिर से सारे कपड़े निकाल कर सो गयी ये, कितनी बार बोला है अब तू जवान हो गयी है, ये बच्चों वाली हरकत करना छोड़ दे, पर फिर भी नही मानती ये तो…”
और कपड़े उठाते हुए अचानक से वो ठिठक कर रुक गयी
“अर्रे…ये कपड़े…ये तो सलोनी को मना किए थे इसके पापा ने, फिर ये क्यो पहने इसने…”
अपनी बेटी के प्रति उसका लाड ही था जो उसके लिए किसी अनहोनी की आशंका के साथ ही चिंता मे बदल जाता था
कहीं उसके पापा ने उसे इन कपड़ो में देख लिया तो क्या बोलेंगे, फिर से डांट पड़ेगी, पिटाई करेंगे
और अपनी जवान बेटी को वो ये सब सहन करते हुए वो नही देख सकती थी
वो उठी और उसकी तरफ गयी
पर एक बार फिर से ठिठक कर रुक गयी
उसका मुँह खुला का खुला रह गया
सलोनी अपनी चादर में से आधे से ज़्यादा बाहर निकली हुई थी और गहरी नींद में थी
उसने कुछ पहना तो नही था इसलिए उसके तने हुए बूब्स उसकी आँखो के सामने थे
एक पल के लिए तो उसे अपनी जवानी के दिन याद आ गये
ठीक ऐसे ही थे उसके बूब्स भी उस वक़्त
करीब 34 का साइज़ और गोरे चिट्टे
उसने गोर से देखा तो सलोनी के निप्पल के पास भी उसे अपनी तरह का एक काला तिल दिखाई दिया
वो मुस्कुरा दी
इसे कहते है मा की कार्बन कॉपी होना
कुछ देर पहले का गुस्सा अब प्यार में बदल चूका था
उसने आगे बढ़कर सलोनी के माथे को धीरे से सहलाया
और बोली : “सलोनी….ओ मेरी बच्ची …उठ जा लाडो….देख 9 बज गये है, कॉलेज भी तो जाना है ना…”
सलोनी ने माँ के हाथ को अपने हाथ में लिया और उसे अपने गाल के नीचे दबाकर फिर से सो गयी
वो उम्म्म्म की आवाज करके फिर से सो गयी
ज्योति ने उसके बालों पर हाथ फेरते हुए उसे प्यार से देखा और बोली : “ओके …सो जा कुछ देर और…फिर आ जाना..”
इतना कहकर उसने अपना हाथ खींच कर बाहर निकाला
और हाथ निकालते हुए वो उसके बूब से टकरा गया…
एक पल के लिए उसके पूरे शरीर में सिहरन सी दौड़ गयी…
ये पहला अवसर था जब उसने अपनी बेटी के बूब को टच किया था
बड़ा ही मुलायम था वो…
एकदम किसी जेल्ली बॉल जैसा
उसके हाथ खुद ब खुद उसके निप्पल्स की तरफ खींचते चले गये
एक औरत का अपनी ही बेटी के शरीर को इस प्रकार से देखना और छूना कितना ग़लत था
ये वो भी अच्छी तरह से जानती थी
पर थी तो वो एक इंसान ही ना
नंगे शरीर को देखकर जो फ़ितरत अंदर से आती है
वो भला कहा जाएगी
उसने हल्की उंगलियों से उसके निप्पल पर अपनी पकड़ बना ली और उन्हे होले से दबा दिया..
सलोनी अभी आधी नींद में थी
पर उसे कुछ भी पता नही चल रहा था
उसने फिर से उसके निप्पल को अपनी उँगलियों में भींच सा दिया
इस बार उसके शरीर में हलचल सी हुई
मॉर्निंग इरेक्शन उसके निप्पल्स में पहले से था
ज्योति की इस हरकत ने उसे पूरे शबाब पर ला दिया
वो गहरी साँसे लेने लगी
शायद वो कोई सपना देख रही थी
जिसमें उसे ये लग रहा था की कोई उसके निप्पल्स को दबा रहा है या चूस रहा है
इस वक़्त ज्योति को भी होश नही रह गया था की वो अगर जाग गयी तो उसके बारे में क्या सोचेगी
उसे पता नही क्या मज़ा मिल रहा था
उसके गुलाबी निप्पल्स को सहलाने में
रगड़ने में
मसलने में
अचानक ज्योति के होंठ सूख से गये
उसने जीभ से उन्हे गीला किया पर कुछ नही हुआ
पर जब उसकी नज़रें उन रसीले निप्पल्स पर गयी तो अपने आप ढेर सारा पानी लार बनकर मुँह में आ गया
अब उसे पता था की क्या करना है
वो धीरे से अपनी बेटी की छाती पर झुकी और उसने सलोनी के निप्पल को मुँह में लेकर चूस लिया
और यही वो पल था जब एक जोरदार सिसकारी मारती हुई सलोनी नींद से जाग गयी
और हड़बड़ाते हुए जब उसने अपनी माँ को अपने सामने बैठे देखा तो सकपका सी गयी
चादर काफ़ी नीचे थी , इसलिए वो अपनी छातिया भी ढक नही सकती थी
उसने अपने हाथ बूब्स पर रखे पर उसका भी कोई फायदा नही था
ज्योति (मुस्कुराते हुए) : “जब नंगे सोने में कोई शर्म नही है तो अपनी माँ के सामने क्यो छुपा रही है…”
सलोनी भी मुस्कुरा दी और उसने अपने हाथ नीचे कर लिए
ये पहली बार था जब वो इतने खुलेपन से अपनी तनी हुई छातियाँ माँ के सामने लेकर बैठी थी
ज्योति ने उन्हे गोर से देखा, गोरे बूब्स पर नीले रंग की नसें दिखाई दे रही थी
इतना गोरा शरीर था उसका
सलोनी : “मोम …..आर यू ओके ….ऐसे क्या देख रहे हो….मुझे शर्म आ रही है…”
ज्योति अपनी जगह से उठते हुए : “अब शर्म आ रही है, कितनी बार बोला है रात को कपड़े पहन कर सोया कर…पर तुझे समझ ही नही आती, किसी दिन मेरी जगह पापा आ गये ना कमरे में , तब तो तेरी खैर ही नही है…”
ज्योति की बात सुनकर सलोनी मुस्कुरा दी और फिर बड़ी ही बेशर्मी से बोली : “आ जाए तो आ जाए, जिस दिन उन्होने मुझे ऐसे देख लिया ना तो अगले दिन से ही मुझे डांटना बंद कर देंगे…देखना”
ज्योति (आँखे चौड़ी करते हुए) “बेशरम…अपने बाप के लिए ऐसा बोलती है…ठहर तुझे अभी बताती हूँ …”
उसकी माँ के चेहरे पर गुस्सा नही बल्कि मुस्कान आई थी ये सुनकर…
इसलिए सलोनी भी खिलखिला कर हंस दी
और बोली : "माँ, आप भी करके देखना ऐसे किसी दिन, बड़ा मज़ा आता है "
और अपनी माँ से बचने के लिए वो किसी हिरनी की तरह छलांगे मारती हुई बाथरूम में घुस गयी
अब ज्योति को फिर से झटका लगा
उसके सामने ही उसकी 22 साल की जवान बेटी नंगी भागती हुई जा रही थी उसके सामने से
ज्योति कुछ देर तक तो वही खड़ी रही और फिर किचन की तरफ चल दी
उसके जहन में अभी तक अपनी जवान बेटी का नंगा जिस्म कौंध रहा था
करीब आधे घंटे बाद सलोनी अपने रूम से तैयार होकर निकली और नाश्ते का टिफ़िन लेकर कॉलेज के लिए निकल गयी
वो केंटीन में जाकर ब्रेकफास्ट करती थी
सलोनी के जाते ही ज्योति ने दरवाजा बंद किया और अपनी कुर्ती निकाल कर दूर ज़मीन पर फेंक दी
जिस बात की नसीहत वो बेटी को दे रही थी, वही ग़लत काम वो खुद कर रही थी
पर इसमे कितना रोमांच था ये उसे अब महसूस हुआ
सलोनी सही कह रही थी, मजा तो आ रहा था उसे भी
पूरे घर में वो अकेली थी इस वक़्त
उसने ब्रा भी निकाल दी और नीचे की सलवार और पेंटी भी
पूरे ड्राइंग रूम में उसके कपड़े बिखर कर रह गये
और उनके बीच वो खड़ी थी जैसे कोई कमल का फूल
पूरी नंगी
उसने शीशे मे अपने आप को देखा और खुद ही इतरा उठी
कुछ ज़्यादा फ़र्क नही था उसमें और सलोनी के जिस्म में
बस उम्र के साथ थोड़ी चर्बी चढ़ गयी थी उसके जिस्म पर
पर वो चर्बी उसे और सैक्सी बना रही था
एकदम चब्बी टाइप की औरत थी वो
जैसी आजकल के मर्दो को
ख़ासकर जवान लड़को को पसंद है
Mast updateजवान लड़के का ध्यान आते ही उसके जहन में अपने धोभी का लड़का बबलू आ गया
जो रोज उसके घर से कपड़े लेने आता था
वो करीब 24 साल का था, उसकी नज़रों के सामने ही बड़ा हुआ था वो
सोसायटी के नीचे ही धोभि ने एक झोपड़ी डाली हुई थी, जिसमें वो अपनी पहाड़न बीबी और एक लड़के के साथ रहता था
घर से कपड़े लेने-देने का काम शुरू से ही ये बबलू करता था
उसे देखकर हमेशा उसे कुछ होता था अंदर से
कई बार तो वो अपने पति से सैक्स करते समय भी उसके बारे में सोचकर ही झड़ा करती थी
और आज जब वो इस तरह से उत्तेजना में भरकर नंगी खड़ी थी तो उसे बबलू ही याद आया
उसने अपने मुँह से ढेर सारी लार निकाल कर अपनी उंगलियो मे इकट्ठा की और सीधा लेजाकर अपनी चूत में घुसेड दिया उसे
और चिल्ला पड़ी
“आआआआआआआआआहह ओह बबल्ूऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊओ उम्म्म्मममममममममम”
यहाँ उसने आवाज़ मारी और बाहर एकदम से बेल बज गयी
और बबलू की आवाज़ आई : “मेमसाब …..कपड़े…”
ज्योति तो एकदम से भोचक्की रह गयी उसकी आवाज़ सुनकर
और डर भी गयी की कहीं उसने कुछ सुन तो नही लिया
साले ने आकर अच्छे भले मूड की माँ बहन एक कर दी
अभी तो पहली डुबकी ही लगाई थी उसने अपनी चूत में उसके नाम की
एक तो उसका काम बीच मे रोक दिया
उपर से कपड़े -2 चिल्ला रहा है बाहर खड़ा होकर
अब कौनसे कपड़े दूँ इसे
ये ,जो ज़मीन पर पड़े है…
हे भगवान
इसे भी अभी आना था
उसने जल्दी से ज़मीन पर पड़े कपड़े उठाए और उन्हे बेड पर जाकर रख दिया
उसकी फिर से आवाज़ आई : “मेडम जी…..कपड़े…”
ज्योति चिल्लाई : “आ रही हूँ ……नहा रही थी….रुक जा..”
नहा रही थी
ये सुनते ही बाहर खड़े बबलू के मुँह से भी लार टपक गयी
वो भी साला एक नंबर का ठरकी था
सोसाइटी की ऐसी औरतों को ताड़ने में उसे भी काफ़ी मज़ा आता था
कुछ के साथ तो वो काफ़ी घुल मिल गया था और मज़ाक भी कर लेता था
पर ये इनस्पेक्टर का घर था
इसलिए उसे डर लगा रहता था की कही साहब को पता ना चल जाए
वरना उनकी बीबी तो एक नंबर की गोल बोटी वाला माल थी
वो उनके बारे मे सोच ही रहा था की अंदर का दरवाजा खुला और ज्योति की आवाज़ आई : “अंदर आ जा बबलू…कपड़े निकालती हूँ मैं ”
वो अंदर आया और उसने दरवाजा बंद कर दिया
और जैसे ही वो पलटा ज्योति भाभी को देखकर उसके कान लाल हो गये
वो एक टॉवल में खड़ी थी जिसे उसने अपनी छाती के चारों तरफ लपेट रखा था
जिसमें उसके मोटे बूब्स काफ़ी मुस्किल से समा पा रहे थे
आधे से ज़्यादा तो वो बाहर थे
एकदम गोरे चिट्टे
पहाड़ जैसे बड़े
ठीक उसकी माँ जैसे
उन्हे भी वो छुप -2 कर देखा करता था
पर ये मेमसाहब के तो और भी ज़्यादा गोरे और मोटे थे
और नीचे उनकी मोटी थाइ
उफफफ्फ़
उसका बस चलता तो यहीं लेटाकर उन्हे चूम लेता
नंगा करके
पर बाहर नेम प्लेट पर जो इनस्पेक्टर लिखा है
उसकी याद आते ही उसका जोश ठंडा हो गया
ज्योति : “रुका नही जाता तुझसे भी, कपड़े-2 चिल्ला कर सारा मूड खराब कर दिया….अच्छी भली मैं …”
कहते-2 वो रुक गयी
फिर बोली “नहा रही थी….बेकार में आकर टोक दिया…”
बबलू : “सॉरी मेडम जी….मैं बाद में आता हूँ …आप एंजाय कर लो…मेरा मतलब है…नहा लो…”
उसकी बात सुनकर वो मुस्कुराइ
और बोली : “अब आया है तो ले ही जा …वरना बाद में फिर से परेशान होगा इतना उपर आकर…”
इतना कहकर वो चल दी और अपने कमरे से प्रेस वाले कपड़े निकाल कर ले आई
कपड़े गिनकर बबलू ने एक गठरी बना ली और जैसे ही चलने को हुआ उसकी नज़र कुर्सी के नीचे गिरी पेंटी पर गयी
जिसे ज्योति उठाना भूल गयी थी
बबलू की नज़रों का पीछा करते हुए ज्योति ने जब वहां देखा तो वो खुद ही शर्मा गयी
और बोली : “इशhhhhhh….ये यहाँ पड़ी है, मैने नहाने के बाद पहननी थी, पता नही कब गिर गयी”
वो उसे उठाने के लिए जैसे ही झुकी, टावल ने उसका साथ छोड़ दिया
उसने टाइट करके उसे बाँधा था, झुकने की वजह से वो खुल गया और उसके हाथों पर आकर झूल गया
और वो उसके सामने नंगी खड़ी थी अब
बबलू की तो ज़ुबान ज़मीन पर आ लगी ये नज़ारा देखकर
और ज्योति का तो शर्म के मारे बुरा हाल था
हालाँकि अभी कुछ देर पहले वो उसकी के नाम का मास्टरबेट कर रही थी
पर ये स्थिति अलग थी
ज्योति के भी पैर जहाँ के तहाँ जमे रह गये
शर्म के मारे उसका बुरा हाल था, उसने आँखे बंद कर ली
सामने खड़े बबलू को अपनी किस्मत पर विश्वास ही नही हो रहा था
उसके ठीक सामने उसकी मनपसंद भाभी नंगी खड़ी थी
मोठे-२ मुम्मे और गोल मटोल गांड थी उनकी
लॅंड भी उसका एकदम टाइट हो चुका था
अभी थूक लगाकर अंदर पेल दे तो सरसरता हुआ पूरी गुफा नाप लेगा वो
क्योंकि भाभी की चूत भी तो पनिया रही थी
पर ये एकदम से स्टेचू क्यों हो गयी
कही ये उसके लिए कोई निमंत्रण तो नही है
उसने हिम्मत करते हुए कपड़ो की गठरी साइड मे रखी और उनके करीब आया
और भाभी का कंधा पकड़ कर उन्हे धीरे से सहलाया
फिर वो धीरे-२ उनके पीछे की तरफ आ खड़ा हुआ
“ओह्ह भाभी…आपको कही चोट तो नही लगी ना….”
Shaandaar updateज्योति को उसका लॅंड अपनी गांड पर चुभता हुआ सॉफ महसूस हो रहा था
ये तो एकदम सपने जैसा था
बेशर्म तो वो बन ही चुकी थी, अपना जिस्म दिखाकर
अब उस से क्या छिपाना
इसलिए उसने खुद को हालत के भरोसे छोड़ दिया
की देखते है आज क्या होता है
बबलू के दोनो हाथ उसके कंधो पर थे
उसकी साँसे तेज़ी से चल रही थी, जिसकी वजह से उसका सीना उपर नीचे हो रहा था
बबलू का कद उस से लंबा था, इसलिए वो उसके पीछे से खड़ा होकर उसके उठते-गिरते सीने को देख पा रहा था
इतने विशाल मुम्मे उसने आज तक नही देखे थे
मन तो उसका कर रहा था की आगे हाथ बढ़ाकर उन्हे दबोच ले
पर वो जल्दबाज़ी में कोई गड़बड़ी नही करना चाहता था
पर धीरे-2 वो अपने हाथो से ज्योति के कंधो की मसाज करने लगा
कंधो पर सख़्त मर्द के हाथ लगते ही औरत पिघल सी जाती है
यही ज्योति के साथ भी हुआ
वो एक लंबी सांस लेकर उसके कंधे पर पीछे की तरफ झुकती चली गयी
ये एक मौन स्वीकृति थी उसके लिए
अब उसने अपना एक हाथ नीचे लेजाकर उसकी कमर को दबाना शुरू किया, और धीरे-2 उसे पेट की तरफ ले जाने लगा
ज्योति अब अपने पंजो पर खड़ी हो चुकी थी
और उपर नीचे होकर वो उसके लॅंड को अपनी गांड पर घिस्से मरवा रही थी
सब कुछ इतना जल्दी हो जाएगा ये तो दोनो ने नही सोचा था
बबलू ने अपनी पेंट की जीप खोल दी और अपने अटके हुए लॅंड को बाहर निकाल लिया
लॅंड बाहर निकलते ही वो सीधा ज्योति के नर्म कुल्हो से टकराया
एक बिजली सी कौंध गयी उसके पुर जिस्म में
ज्योति ने भी हिम्मत करते हुए हाथ पीछे करके उसके साँप को पकड़ लिया
और बबलू ने हिम्मत करके उसके मुम्मे को
उफफफफफ्फ़
कितना फुफकारता है ये
इसका तो जहर निकालना पड़ेगा
वो आँखे बंद किए-2 ही पलटी और सीधा उसके सामने बैठ कर उसके साँप को निगल गयी
और गपा गॅप करके निकालने लगी उसका सारा जहर
बबलू को तो यकीन ही नही हुआ की ये ये रसीली भाभी उसका लॅंड चूस रही है
आज से पहले उसने सिर्फ़ 2 औरतों के साथ ही सैक्स किया था
पर किसी ने भी उसका लॅंड नही चूसा था
ये तो कमाल हो गया
वो मन ही मन उस पल का धनयवाद कर रहा था जब वो आया और उसका भी जब वो टॉवल निकल गया उनके बदन से
औरत इतनी आसानी से हाथ आ जाती है ये तो उसे पता ही नही था
आजतक वो ना जाने कितनी औरतों को चोद चुका होता
पर अब इसी एक्सपीरियेन्स का इस्तेमाल करके वो आने वाले दिनों में तबाही मचाने वाला था
जितनी भी भाभियाँ , आंटियां और लड़कियां उस से हंस कर बात करती थी वो उनपर ट्राइ करने वाला था आज के बाद
आई तो आई वरना देखी जाएगी
पर अभी के लिए तो वो आसमान पर था
क्योंकि उसका लॅंड ज्योति भाभी किसी मंझी हुई रांड की तरह चूस रही थी
ज्योति को भी अपने आप पर विश्वास नही हो रहा था की वो इतनी बेशर्मी से एकदम से पिघल जाएगी और धोबी का लॅंड अपने मुँह में लेगी
एक इनस्पेक्टर की बीबी और वो भी धोभी के साथ
सोचकर की कितना अजीब लगता है
पर ये अनोखापन ही ज्योति को अंदर से उत्तेजित कर रहा था
वो चाहती थी की उसे इसी तरह के काम करने वाले लोग जैसे धोभी, ड्राइवर, चोकीदार , सब्जी वाला वो सब उसे चोदे
क्योंकि ये मेहनती इंसान जब अपनी रोज़ी रोटी के लिए जी जान लगा देते है तो सोचो चोदने के लिए क्या कारनामे करते होंगे
बस यही वो महसूस करना चाहती थी
यही फॅंटेसी थी उसकी
और आज अपनी फॅंटेसी का पहला एहसास पाकर उसे अंदर से बहुत खुशी हो रही थी
अब उसने आँखे खोली
एकदम मोटा और लंबा लॅंड था बबलू का
ब्राऊन कलर का
और उपर बबलू अपनी आँखे बंद किए उस लॅंड चुसाई का मज़ा ले रहा था
उसने और ज़ोर से उसके लॅंड को चूसना शुरू कर दिया
आज वो उसका सारा जहर पी जाना चाहती थी
और वही हुआ
जिसके लिए वो मेहनत कर रही थी
उसके नाग ने एक के बाद एक पिचकारी मारकर अपना सारा जहर उसके चेहरे और मुँह के अंदर जमा करवाना शुरू कर दिया
उफ़फ्फ़
ये गरमा गरम हलवा इतना स्वादिष्ट होगा, उसे भी पता नही था
वो चपर -2 करके सारा रस पी गई उसका
सब कुछ शांत होने के बाद दोनो की नज़रें मिली
ज्योति उसके सामने खड़ी हुई और अपने गीले मुँह से उसे एक जोरदार स्मूच कर दिया
बेचारे बबलू को ना चाहते हुए भी अपने रस का स्वाद खुद लेना पड़ा
ज्योति : “आज जो हुआ है, वो किसी को पता ना चले…वरना आगे कभी कोई मज़ा नही ले पाएगा…समझे…”
बबलू : “जी…”
ज्योति : “चल अब जा ….कल फिर आना इसी वक़्त….आगे का खेल भी तो खेलना है ना…”
वो अभी के लिए उसे जान बूझकर भगा रही थी
क्योंकि उसे अपने पति के लिए लंच भी तो बनाना था, कई बार वो लंच करने घर पर भी आ जाते थे, इसलिए वो किसी भी प्रकार का रिस्क नही लेना चाहती थी
गांड तो उसकी भी फटती थी अपने इंस्पेक्टर पति से
पर आने वाले दिन उसकी लाइफ बदलने वाले थे
Waahज्योति को उसका लॅंड अपनी गांड पर चुभता हुआ सॉफ महसूस हो रहा था
ये तो एकदम सपने जैसा था
बेशर्म तो वो बन ही चुकी थी, अपना जिस्म दिखाकर
अब उस से क्या छिपाना
इसलिए उसने खुद को हालत के भरोसे छोड़ दिया
की देखते है आज क्या होता है
बबलू के दोनो हाथ उसके कंधो पर थे
उसकी साँसे तेज़ी से चल रही थी, जिसकी वजह से उसका सीना उपर नीचे हो रहा था
बबलू का कद उस से लंबा था, इसलिए वो उसके पीछे से खड़ा होकर उसके उठते-गिरते सीने को देख पा रहा था
इतने विशाल मुम्मे उसने आज तक नही देखे थे
मन तो उसका कर रहा था की आगे हाथ बढ़ाकर उन्हे दबोच ले
पर वो जल्दबाज़ी में कोई गड़बड़ी नही करना चाहता था
पर धीरे-2 वो अपने हाथो से ज्योति के कंधो की मसाज करने लगा
कंधो पर सख़्त मर्द के हाथ लगते ही औरत पिघल सी जाती है
यही ज्योति के साथ भी हुआ
वो एक लंबी सांस लेकर उसके कंधे पर पीछे की तरफ झुकती चली गयी
ये एक मौन स्वीकृति थी उसके लिए
अब उसने अपना एक हाथ नीचे लेजाकर उसकी कमर को दबाना शुरू किया, और धीरे-2 उसे पेट की तरफ ले जाने लगा
ज्योति अब अपने पंजो पर खड़ी हो चुकी थी
और उपर नीचे होकर वो उसके लॅंड को अपनी गांड पर घिस्से मरवा रही थी
सब कुछ इतना जल्दी हो जाएगा ये तो दोनो ने नही सोचा था
बबलू ने अपनी पेंट की जीप खोल दी और अपने अटके हुए लॅंड को बाहर निकाल लिया
लॅंड बाहर निकलते ही वो सीधा ज्योति के नर्म कुल्हो से टकराया
एक बिजली सी कौंध गयी उसके पुर जिस्म में
ज्योति ने भी हिम्मत करते हुए हाथ पीछे करके उसके साँप को पकड़ लिया
और बबलू ने हिम्मत करके उसके मुम्मे को
उफफफफफ्फ़
कितना फुफकारता है ये
इसका तो जहर निकालना पड़ेगा
वो आँखे बंद किए-2 ही पलटी और सीधा उसके सामने बैठ कर उसके साँप को निगल गयी
और गपा गॅप करके निकालने लगी उसका सारा जहर
बबलू को तो यकीन ही नही हुआ की ये ये रसीली भाभी उसका लॅंड चूस रही है
आज से पहले उसने सिर्फ़ 2 औरतों के साथ ही सैक्स किया था
पर किसी ने भी उसका लॅंड नही चूसा था
ये तो कमाल हो गया
वो मन ही मन उस पल का धनयवाद कर रहा था जब वो आया और उसका भी जब वो टॉवल निकल गया उनके बदन से
औरत इतनी आसानी से हाथ आ जाती है ये तो उसे पता ही नही था
आजतक वो ना जाने कितनी औरतों को चोद चुका होता
पर अब इसी एक्सपीरियेन्स का इस्तेमाल करके वो आने वाले दिनों में तबाही मचाने वाला था
जितनी भी भाभियाँ , आंटियां और लड़कियां उस से हंस कर बात करती थी वो उनपर ट्राइ करने वाला था आज के बाद
आई तो आई वरना देखी जाएगी
पर अभी के लिए तो वो आसमान पर था
क्योंकि उसका लॅंड ज्योति भाभी किसी मंझी हुई रांड की तरह चूस रही थी
ज्योति को भी अपने आप पर विश्वास नही हो रहा था की वो इतनी बेशर्मी से एकदम से पिघल जाएगी और धोबी का लॅंड अपने मुँह में लेगी
एक इनस्पेक्टर की बीबी और वो भी धोभी के साथ
सोचकर की कितना अजीब लगता है
पर ये अनोखापन ही ज्योति को अंदर से उत्तेजित कर रहा था
वो चाहती थी की उसे इसी तरह के काम करने वाले लोग जैसे धोभी, ड्राइवर, चोकीदार , सब्जी वाला वो सब उसे चोदे
क्योंकि ये मेहनती इंसान जब अपनी रोज़ी रोटी के लिए जी जान लगा देते है तो सोचो चोदने के लिए क्या कारनामे करते होंगे
बस यही वो महसूस करना चाहती थी
यही फॅंटेसी थी उसकी
और आज अपनी फॅंटेसी का पहला एहसास पाकर उसे अंदर से बहुत खुशी हो रही थी
अब उसने आँखे खोली
एकदम मोटा और लंबा लॅंड था बबलू का
ब्राऊन कलर का
और उपर बबलू अपनी आँखे बंद किए उस लॅंड चुसाई का मज़ा ले रहा था
उसने और ज़ोर से उसके लॅंड को चूसना शुरू कर दिया
आज वो उसका सारा जहर पी जाना चाहती थी
और वही हुआ
जिसके लिए वो मेहनत कर रही थी
उसके नाग ने एक के बाद एक पिचकारी मारकर अपना सारा जहर उसके चेहरे और मुँह के अंदर जमा करवाना शुरू कर दिया
उफ़फ्फ़
ये गरमा गरम हलवा इतना स्वादिष्ट होगा, उसे भी पता नही था
वो चपर -2 करके सारा रस पी गई उसका
सब कुछ शांत होने के बाद दोनो की नज़रें मिली
ज्योति उसके सामने खड़ी हुई और अपने गीले मुँह से उसे एक जोरदार स्मूच कर दिया
बेचारे बबलू को ना चाहते हुए भी अपने रस का स्वाद खुद लेना पड़ा
ज्योति : “आज जो हुआ है, वो किसी को पता ना चले…वरना आगे कभी कोई मज़ा नही ले पाएगा…समझे…”
बबलू : “जी…”
ज्योति : “चल अब जा ….कल फिर आना इसी वक़्त….आगे का खेल भी तो खेलना है ना…”
वो अभी के लिए उसे जान बूझकर भगा रही थी
क्योंकि उसे अपने पति के लिए लंच भी तो बनाना था, कई बार वो लंच करने घर पर भी आ जाते थे, इसलिए वो किसी भी प्रकार का रिस्क नही लेना चाहती थी
गांड तो उसकी भी फटती थी अपने इंस्पेक्टर पति से
पर आने वाले दिन उसकी लाइफ बदलने वाले थे