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Thriller अधूरे रहस्य [A story of Neha & Vivaan]

Drdanilovicente

Staying Healthy, Happy and Horny!
Supreme
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THE STORY IS PAUSED FOR A FEW MONTHS DUE TO LACK OF TIME. WE'LL RESTART ON 1st July 2025.

Hello Everyone!

Main Danny hoon, aur aaj main apne new mystery thriller story ka thread shuru kar raha hoon. Is story ka naam hai "अधूरे रहस्य [A story of Neha & Vivaan]" , jo ek suspense aur romantic thriller hai. Aapko yeh kahani ek aise ladki, Neha ke baare mein milegi, jise ek din apne kisi anjaane rishtedaar se ek purana mahal virasat mein milta hai.

Jaise-jaise Neha mahal pahuchti hai, waisa-waisa use kuch ajeeb aur rahasyamayi cheezon ka samna hota hai. Ham dekhenge ki kaise Neha aur Vivaan milkar is mehal ke rahasya ko dhundenge.

Agar aapko mystery, romance aur suspense pasand hai, toh yeh kahani aapke liye hai. Main is thread mein chapters share karunga aur aap sabse feedback bhi chaahunga!

Kahani me sex scenes thode kam ho sakte hai, uske lie maaf kijiega. Mera maan na hai ki emotions dheere dheere hi grow hote hain aur mai apni story ko reality ke thoda kareeb rakhna chahta hu. Aasha karunga ki aapko mera ye tareeka pasand aaega.

Toh chaliye, yeh kahani ka pehla chapter shuru karte hain....
 
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mistyvixen

𝚂𝚊𝚜𝚞𝚔𝚎’𝚜 𝙼𝚒𝚜𝚝𝚛𝚎𝚜𝚜
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Drdanilovicente

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So this sets up the beginning of an adventure together filled with mystery, suspense and definitely romance...but would they be alone here🤔
In the manor, maybe yes. But Isn't this manor in a village?

So, Neha is a historian? Hmm... that's solid background for uncovering the mystery in the old palace.

Also the family introduction goes a long way in the story too...but will they play a major part in the story and you should also mention who is alive pls.

Let The Mummy begin fr in the next chapter...this much is enough for all the intro we needed and you're writing language is definitely miles ahead of what I usually see here smh. Chef's kiss:perfect:

Lastly, try to increase the font size a lil' bit.

Waiting for next update!

Thanks a lot! I am just a newbie, trying it.

Increased the font size. Thank you for the suggestion!

Update will be posted within an hour itself. Thanks again!
 
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Drdanilovicente

Staying Healthy, Happy and Horny!
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नेहा और विवान अपने अपने दिवंगत दादा और दादी की कहानी जानने के इच्छुक हैं और इस वजह से दोनो उनके आवास , उनके महल मे मौजूद हैं । फर्क इतना है कि विवान ने इस महल को शुरुआत से ही अपने रहने का बसेरा बना लिया था वहीं नेहा का परिवार दिल्ली मे शिफ्ट हो गया था ।
इन दो अपडेट से यही लगता है कि नेहा की दादी जी सुहानी सिंह और विवान के दादा जी हरेन्द्र राठौड़ के बीच अनैतिक सम्बन्ध था ।
पर ताज्जुब इस बात से लगता है कि जो व्यक्ति उस समय का सबसे नामचीन और ताकतवर था , अर्थात ठाकुर प्रताप सिंह साहब , उन पर समाज की ओर से किसी तरह का खास ऑब्जेक्शन नही हुआ , पर हरेन्द्र राठौड़ और उनका परिवार - जो ठाकुर साहब का नौकर था - बदनाम हो गया ।
बदनामी उनकी होती है जिनका कोई नाम होता है , जो बड़ी शख्सियत होती है ।
पर यहां दामन पर दाग लगा हरेन्द्र साहब पर । ठाकुर साहब के पहरेदार पर , नौकर पर ।

खैर , देखते हैं क्या वास्तव मे सुहानी और हरेन्द्र के बीच व्यभिचारित संबंध था या फिर सच्चा प्रेम ! वह प्रेम जो कभी भी किसी से किसी भी वक्त हो सकता है ! वह आध्यात्मिक प्रेम जो किसी बंधन का मोहताज नही होता ।

शुरुआत बहुत ही बेहतरीन किया है आपने । देवनागिरी लिपि मे पढ़ना वास्तव मे सुखद एहसास होता है । एक लेखक इस लिपि के माध्यम से अपनी बात बहुत अच्छी तरह से पेश कर सकता है ।

आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट भाई ।
कहानी में आपका स्वागत है. और आपकी विस्तृत समीक्षा के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।

आपकी पहली पंक्तियाँ अब तक घटी कहानी का सार प्रस्तुत करती हैं। बस एक छोटा सा सुधार, यह रानी देविका और हरेंद्र सिंह की अफवाह है।

गांवों में राजा को दोषी नहीं ठहराया जाता, बल्कि उस व्यक्ति को दोषी ठहराया जाता है जो ग्रामीणों के लिए पहुंच योग्य होता है। यही कारण है कि हरेंद्र सिंह और उनके परिवार को यह सब झेलना पड़ा।

बहुत सारे रहस्यों से परिचय और समाधान होने वाला है। मैं अगले अपडेट के बाद आपकी समीक्षा का इंतजार करूंगा!
 
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Drdanilovicente

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अध्याय 3: परछाइयों के बीच

महल की दीवारों पर धूल की मोटी परत जमी हुई थी, लेकिन उनमें छिपा हर निशान अपनी कहानी कहने को आतुर था। नेहा के दिल में हलचल थी, और विवान की गहरी आवाज़ उसके भीतर एक अजीब-सी गूँज पैदा कर रही थी। वह दोनों महल के लंबे गलियारे में चल रहे थे, जहाँ हर कोना जैसे उनकी मौजूदगी को महसूस कर रहा था।

विवान के शब्द "यह महल जिंदा है" अब भी नेहा के मन में गूंज रहे थे। वह महल के हर कोने को देख रही थी, और हर दीवार जैसे उसे अपने रहस्यों में झाँकने का निमंत्रण दे रही थी। वह इस जगह की अजीब-सी खामोशी और इसके अंधेरे से डर तो रही थी, लेकिन कहीं न कहीं एक अनजानी कशिश उसे हर कदम पर और गहराई में खींच रही थी।

"तुम्हें लगता है, यह महल जिंदा है?" नेहा ने फुसफुसाकर पूछा।

विवान ने बिना उसकी ओर देखे कहा, "हां। और यह महल हमसे कुछ चाहता है।"

नेहा ने उसकी बात को पूरी तरह समझने की कोशिश की, लेकिन वह अभी भी इन दीवारों के बीच बह रही अदृश्य ऊर्जा को लेकर उलझन में थी।

महल का गलियारा लंबा और गहरा था, जैसे किसी अनंत अंधेरे में खो जाता हो। हर कदम पर नेहा को ऐसा महसूस हो रहा था कि दीवारें उसकी मौजूदगी को महसूस कर रही हैं। वह धीमे कदमों से चल रही थी, और उसके हर कदम की गूँज महल के सन्नाटे को तोड़ रही थी।

दीवारों पर लगी पुरानी तस्वीरें धूल और समय की मार से मुरझाई हुई लग रही थीं, लेकिन उनके भीतर कुछ ऐसा था जो उनकी कहानियों को अब भी जीवंत रखे हुए था। नेहा ने उनमें से एक तस्वीर को नज़दीक से देखने के लिए कदम बढ़ाया। वह एक युवक और महिला की तस्वीर थी। महिला का चेहरा आधा छाया में था, और उसकी आँखें जैसे किसी गहरी पीड़ा में डूबी हुई थीं।

"यह ठाकुर प्रताप सिंह और उनकी पत्नी रानी देविका हैं,"
विवान ने कहा, जो अब तक खामोशी से उसका पीछा कर रहा था।

"लेकिन उनकी आँखों में यह दर्द कैसा है?"
नेहा ने धीमी आवाज़ में पूछा, मानो तस्वीर को तोड़ने से डर रही हो।

"कहते हैं, उनकी कहानी अधूरी थी," विवान ने जवाब दिया। "और अधूरी कहानियाँ कभी चैन से नहीं रहतीं। यह महल उनका गवाह है।"

नेहा तस्वीर को छूने के लिए आगे बढ़ी, लेकिन उसकी उंगलियाँ रुक गईं। उसे ऐसा लगा जैसे तस्वीर की आँखें उसे रोक रही हों।

"क्या तुमने कभी सोचा है, नेहा, कि क्यों यह महल इतने सालों तक खड़ा रहा है? क्यों यह हमें अपनी ओर खींचता है?" विवान की आवाज़ नेहा को वर्तमान में वापस ले आई।

"शायद क्योंकि यह हमें हमारी कहानी बताना चाहता है,"
नेहा ने जवाब दिया।

जैसे ही वे आगे बढ़े, नेहा ने महसूस किया कि हवा भारी होती जा रही थी। दीवारों पर बने डिजाइन और उकेरी गई मूर्तियाँ जैसे उन्हें देख रही थीं। अचानक उसकी नज़र एक पुरानी अलमारी पर पड़ी, जो गलियारे के एक कोने में धूल और जालों से ढकी हुई थी।

"यह अलमारी इतनी अलग क्यों लग रही है?" नेहा ने पूछा।

विवान ने उसकी तरफ देखा। "यह ठाकुर प्रताप सिंह की किताबों की अलमारी थी। कहते हैं, इसमें वह किताबें हैं जिन्हें उन्होंने कभी किसी को दिखाने नहीं दिया।"

"क्यों?"

"क्योंकि उनमें वह बातें थीं जो परिवार के रहस्यों को उजागर कर सकती थीं।"


नेहा ने अलमारी के दरवाजे पर हाथ रखा। वह जरा भी नहीं हिली। "यह तो बंद है। इसे कैसे खोलते हैं?"

"कहते हैं, इसे तभी खोला जा सकता है जब महल खुद चाहे।"


नेहा ने थोड़ा पीछे हटकर अलमारी को देखा। उसकी बनावट, उस पर बनी जटिल नक़्क़ाशी और लकड़ी की ठंडी सतह—सबकुछ जैसे एक रहस्य को छुपाने की कोशिश कर रहे थे।

गलियारे के दूसरी ओर एक बड़ा झरोखा था, जहाँ से हल्की-हल्की चाँदनी भीतर आ रही थी। नेहा ने झरोखे के पास जाकर बाहर झाँका। वहाँ एक पुराना बागीचा था, जो अब जंगली झाड़ियों और खरपतवार से भरा हुआ था। लेकिन उन झाड़ियों के बीच में उसे एक पत्थर की मूर्ति दिखाई दी।

"यह मूर्ति किसकी है?" नेहा ने पूछा।

"यह रानी देविका की है। ठाकुर प्रताप सिंह ने इसे उनके लिए बनवाया था।"

"लेकिन यह इतनी छुपी हुई क्यों है?"

"क्योंकि इसे बनाते वक्त कुछ ऐसा हुआ था, जो किसी को समझ नहीं आया। कहते हैं, मूर्ति बनते ही रानी देविका का स्वास्थ्य गिरने लगा था।"


नेहा ने मूर्ति को ध्यान से देखा। उसकी शक्ल रानी देविका की तस्वीर से मिलती-जुलती थी। लेकिन मूर्ति का चेहरा अधूरा था, मानो इसे बनाने वाला इसे पूरा करने से डर गया हो।

"यह सब अजीब है। यह महल, यह मूर्तियाँ, यह गलियारा... सबकुछ।"

चलते-चलते दोनों एक बड़े लकड़ी के दरवाजे के पास पहुँचे। यह दरवाजा बाकी सब जगहों से अलग था। उस पर मोटी धातु की पट्टी लगी हुई थी, जिस पर कोई अनजानी भाषा में लिखा हुआ था।

"यह दरवाजा कहाँ जाता है?" नेहा ने पूछा।

"यह महल के सबसे पुराने हिस्से की ओर ले जाता है।"

"क्या अंदर जाना सुरक्षित है?"

"सुरक्षित? शायद नहीं। लेकिन जो जवाब तुम ढूँढ़ रही हो, वे इसी के पीछे छुपे हैं।"


नेहा ने दरवाजे को छूते हुए महसूस किया कि यह ठंडा था, लेकिन उसमें एक अजीब-सी ऊर्जा थी। "यह दरवाजा कुछ कहना चाहता है।"

"यह दरवाजा सिर्फ उन्हें ही अंदर जाने देता है जो सच्चाई को स्वीकार करने के लिए तैयार होते हैं।"


नेहा के हाथ काँप रहे थे। वह जानती थी कि इस दरवाजे के पीछे उसकी जिज्ञासा का अंत हो सकता है, लेकिन यह डर भी था कि शायद उसे कुछ ऐसा पता चले जो वह जानना नहीं चाहती।

"तुम तैयार हो?" विवान ने पूछा।

नेहा ने गहरी साँस ली और दरवाजे को धक्का दिया। दरवाजा कर्कश आवाज़ के साथ खुला, और उसके पीछे अंधेरा था।

जैसे ही वे अंदर गए, ठंडी हवा का झोंका उनके चेहरे से टकराया। गलियारे की तुलना में यह जगह और भी सर्द और डरावनी थी। लालटेन की रोशनी में नेहा ने देखा कि दीवारों पर पुराने समय की आकृतियाँ उकेरी हुई थीं।

"यह जगह इतनी अलग क्यों लग रही है?" नेहा ने पूछा।

"क्योंकि यह महल का सबसे गुप्त हिस्सा है। यहाँ ठाकुर प्रताप सिंह ने वह सबकुछ छुपाया था, जिसे वह दुनिया की नजरों से दूर रखना चाहते थे।"

नेहा ने दीवारों पर हाथ फेरा। वह ठंडी थीं, लेकिन उनमें एक अनजानी गर्मी भी थी। "यह दीवारें हमें देख रही हैं।"

"यह महल जिंदा है, नेहा। और यह हमसे बात कर रहा है,"
विवान ने गंभीरता से कहा।

नेहा ने उसकी ओर देखा। उसकी आँखों में डर और जिज्ञासा का अजीब मिश्रण था।

"क्या तुमने कभी सोचा है कि अगर यह महल हमसे बात कर रहा है, तो यह हमें क्या बताना चाहता है?" नेहा ने पूछा।

"शायद यह हमें हमारी सच्चाई दिखाना चाहता है।"

नेहा और विवान ने उस अंधेरे गलियारे में कदम बढ़ाए, जहाँ हर दीवार, हर कोना जैसे उनकी हरकतों पर नजर रख रहा था। यह महल सिर्फ एक इमारत नहीं था; यह एक जीवित गवाह था, जो अपने भीतर छुपे हर राज़ को बताने के लिए तैयार था।

चलते-चलते वे एक छोटे कमरे में पहुँचे। वहाँ एक पुरानी मेज़ और टूटी-फूटी कुर्सियाँ पड़ी थीं।

"यहाँ बैठ जाओ," विवान ने कहा।

नेहा ने उसकी बात मानी और कुर्सी पर बैठ गई। कमरे की खामोशी में दोनों के दिल की धड़कनें सुनाई दे रही थीं।

"तुम्हारे हाथ ठंडे हो गए हैं,"
विवान ने कहा और नेहा के हाथों को अपने हाथों में ले लिया।

"तुम डर रही हो?" उसने पूछा।

नेहा ने सिर हिलाया। "नहीं। लेकिन यह जगह मुझे विचलित कर रही है।"

"यह महल ऐसा ही है। यह हमें अपनी कहानी में उलझा देता है।"


विवान ने उसके चेहरे पर जमी धूल को धीरे-से हटाया। नेहा ने उसकी उँगलियों की गर्मी को महसूस किया।

"तुम्हें लगता है, यह महल हमें कुछ बताने की कोशिश कर रहा है?" नेहा ने पूछा।

"शायद। या फिर यह हमें साथ लाने की कोशिश कर रहा है।"

उनके बीच का यह पल अचानक एक अजीब-सी गर्माहट में बदल गया। उनकी आँखें एक-दूसरे में उलझी हुई थीं। नेहा ने खुद को विवान के करीब महसूस किया।

"डरने की जरूरत नहीं है," विवान ने धीरे-से कहा।

उसने नेहा के गालों को अपने हाथों में थाम लिया। उसके चेहरे की हल्की लाली और साँसों की गर्मी नेहा को एक अजीब-से नशे में डाल रही थी।

"यह महल हमें समझने का मौका दे रहा है। हमें इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए," विवान ने कहा।

कमरे की खामोशी और अंधेरे में दोनों ने महसूस किया कि यह महल न केवल उनके अतीत का हिस्सा था, बल्कि उनके वर्तमान और भविष्य का भी।

"तुम्हें क्या लगता है, हम यहाँ से क्या लेकर जाएंगे?" नेहा ने पूछा।

"सच। और शायद खुद को भी,"
विवान ने जवाब दिया।

महल की दीवारों के बीच, नेहा और विवान ने महसूस किया कि यह यात्रा केवल उनके परिवार के रहस्यों को उजागर करने की नहीं थी। यह उनकी अपनी कहानियों और उनके बीच के संबंधों को भी परिभाषित करने वाली थी।

महल की हवा में अब भी वही अजीब-सी सरसराहट थी। लेकिन अब यह डराने के बजाय एक नई उम्मीद जगा रही थी। नेहा और विवान ने कमरे से बाहर कदम रखा, और उनके दिलों में एक नई ताकत थी।

"तो, नेहा,"
विवान ने चलते हुए कहा, "क्या तुम सच्चाई का सामना करने के लिए तैयार हो?"

"हाँ,"
नेहा ने कहा। "लेकिन शायद सच्चाई हमें बदल देगी।"

विवान ने हल्की मुस्कान के साथ जवाब दिया, "शायद यही इसकी सबसे बड़ी खूबसूरती है।"

Aaj ke lie bas itna hi. I know ki ye update thoda chota hai, but week days me likhne ka time hi nahi mila and I was buy with some personal emergency. Do LIke and Let me know your feedback. Be Happy, healthy and Horny! :hukka:
 

Drdanilovicente

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Nice start bro . Story is awesome and i can feel the thrill inside that rajmahal
Will wait for further update before commenting

Keep posting :thumbup:
नेहा और विवान अपने अपने दिवंगत दादा और दादी की कहानी जानने के इच्छुक हैं और इस वजह से दोनो उनके आवास , उनके महल मे मौजूद हैं । फर्क इतना है कि विवान ने इस महल को शुरुआत से ही अपने रहने का बसेरा बना लिया था वहीं नेहा का परिवार दिल्ली मे शिफ्ट हो गया था ।
इन दो अपडेट से यही लगता है कि नेहा की दादी जी सुहानी सिंह और विवान के दादा जी हरेन्द्र राठौड़ के बीच अनैतिक सम्बन्ध था ।
पर ताज्जुब इस बात से लगता है कि जो व्यक्ति उस समय का सबसे नामचीन और ताकतवर था , अर्थात ठाकुर प्रताप सिंह साहब , उन पर समाज की ओर से किसी तरह का खास ऑब्जेक्शन नही हुआ , पर हरेन्द्र राठौड़ और उनका परिवार - जो ठाकुर साहब का नौकर था - बदनाम हो गया ।
बदनामी उनकी होती है जिनका कोई नाम होता है , जो बड़ी शख्सियत होती है ।
पर यहां दामन पर दाग लगा हरेन्द्र साहब पर । ठाकुर साहब के पहरेदार पर , नौकर पर ।

खैर , देखते हैं क्या वास्तव मे सुहानी और हरेन्द्र के बीच व्यभिचारित संबंध था या फिर सच्चा प्रेम ! वह प्रेम जो कभी भी किसी से किसी भी वक्त हो सकता है ! वह आध्यात्मिक प्रेम जो किसी बंधन का मोहताज नही होता ।

शुरुआत बहुत ही बेहतरीन किया है आपने । देवनागिरी लिपि मे पढ़ना वास्तव मे सुखद एहसास होता है । एक लेखक इस लिपि के माध्यम से अपनी बात बहुत अच्छी तरह से पेश कर सकता है ।

आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट भाई ।

Waiting for next update :waiting1:

Chapter 3 Updated. I'll be eagerly waiting for your comments! :vhappy1:
 
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Reactions: Riky007

mistyvixen

𝚂𝚊𝚜𝚞𝚔𝚎’𝚜 𝙼𝚒𝚜𝚝𝚛𝚎𝚜𝚜
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This is seriously spooky—the whole palace is a ghost!

The level of detail as I said earlier too... chef’s kiss.

I really hope we’ll see both of em again as ghosts here.
Hmmm... it’s getting eerier now. This isn’t a palace; it’s a full-on labyrinth, and it’s even controlling the rooms!

Statues and books...hmmm

Also, it’s nice to see the romance between N and V starting to bloom.

Can’t wait to uncover something real in the next chapter! Drop it soon :dscream:
 
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Drdanilovicente

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This is seriously spooky—the whole palace is a ghost!

The level of detail as I said earlier too... chef’s kiss.

I really hope we’ll see both of em again as ghosts here.
Hmmm... it’s getting eerier now. This isn’t a palace; it’s a full-on labyrinth, and it’s even controlling the rooms!

Statues and books...hmmm

Also, it’s nice to see the romance between N and V starting to bloom.

Can’t wait to uncover something real in the next chapter! Drop it soon :dscream:

Thanks a ton for your continued encouragement, mistyvixen ! I’m so glad you’re enjoying the eerie vibes of the palace—it really is like a character of its own, isn’t it? A ghost, a labyrinth, and a keeper of secrets all rolled into one.

As for your thought about ghosts—well, let’s just say this palace has a way of weaving them into its narrative in unexpected ways. Statues and books are definitely hinting at something big—stay tuned because the next chapter will uncover more of their mystery and, hopefully, answer some of your burning questions!

And yes, the subtle romance is just starting — it’s tricky navigating love when surrounded by centuries-old secrets.

Thanks again for being such a keen reader, motivator and for dropping such insightful comments. Chapter 4 is coming your way very soon! 😊
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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भाई आप बढ़िया लिख सकते हैं, पर मुझे महसूस हो रहा है कि एक ही बात पर गोल गोल घूम रहे हैं आप पिछले 3 अपडेट से।

"क्या तुम सच का सामना करने के लिए तैयार हो"

इतनी बार तो नीना गुप्ता भी नहीं पूछती थी अपने शो में 😌

Well jokes apart.

वो सच क्या है फिलहाल वो सामने आने की शुरुआत होनी चाहिए। जो शुरू से शुरू हो, पर फिलहाल आप परिणीति की ओर ज्यादा बढ़ते दिख रहे हैं, मतलब विवान और नेहा का प्रेम।

पाठक को देविका की कहानी जानने की ज्यादा उत्सुकता होगी, और शायद देविका की आत्मा ही महल में है जो इसे इतना डरावना बना रही हो।
 
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विवान की बातें , उसके कहने का गोल मोल अंदाज कहानी को हाॅरर की तरफ ले जा रहा है ।
वैसे विवान इस पुराने जर्जर महल मे कई सालों से रह रहा है फिर भी उसने इस महल की हकीकत को समझने की कोशिश क्यों नही की ? कम से कम उस पुराने संदूक को खोलने की कोशिश तो की होती जिस मे बहुत सारी किताबें हैं !
क्या वो नेहा का इंतजार कर रहा था कि वह जब यहां आयेगी तब दोनो लोग इसे मिलकर खोलेंगे !

कभी कभी ऐसा लगता है जैसे ठाकुर साहब और रानी देविका का पुनर्जन्म विवान और नेहा के रूप मे हुआ हो ।
यह कहानी हाॅरर पर आधारित है या पुनर्जन्म पर यह आगे ही पता चलेगा ।
 
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