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Romance Love in College. दोस्ती प्यार में बदल गई❣️ (completed)

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Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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park

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Update 15

सुप्रिया रघुवीर से कहती है : मै तुमसे बहुत प्यार करती हूँ वीर !!

रघुवीर भी कहता है: मैं भी बहुत प्यार करता हूँ “प्रिया” पर हमारी दोस्ती ख़राब ना हो इस लिए कभी कहा नहीं। फिर दोनों गले लग जाते है।

“दोस्ती प्यार में बदल गई”

अब आगे:

वीर , प्रिया , कंचन और सनी ये चारो अपनी प्यार की धुन में सुनहरे झरने का आनंद ले रहे थे !


इस बात से अनजान की कोई है. कोई जो काफी देर से पीछा कर रहा था इनका, इस बंदे ने जैसे ही देखा दोनो जोड़े अलग अलग दिशा में बैठे मजा कर रहे है, उसे ये मौका सही लगा और तभी उसने मौका देख के सनी के पीछे से हमला कर दिया !!


इस अचानक हुए हमले से सनी कुछ समझ पाता या कर पता, तभी किसी ने सनी के पीछे सिर में एक डंडा मार दिया !

कंचन – (जोर से चिल्लाई) नननहीहीही !!

कंचन की चिल्लाने की आवाज सुन अचनक से वीर और प्रिया प्यार की दुनिया से अपनी दुनिया में वापस आए, और तुरंत भागे सनी की तरफ,


तभी किसी ने वीर पर हमला किया, लेकिन इससे पहले हमलावर कामयाब होता, वीर ने तुरंत उसका हाथ पकड़ के दूर धक्का दे दिया।


वीर और प्रिया ने जैसे ही सनी को देखा, जो जमीन में पड़ा हुआ था, उसका सिर कंचन की गोद में था , ओर अपने हाथ से कंचन ने सनी के सिर को दबाया हुआ था!!


खून निकलने के वजह से ये नजारा देख वीर अपने आपे से बाहर हुआ !


वीर – (प्रिया और कंचन से) रोना धोना बाद में, पहले इसे ले चलो यहाँ से डाक्टर के पास “जल्दी” !!



लेकिन जब तक वे कुछ करते तभी 4 लोग उन्हें रोकने आ गए, जिन्होंने हमला किया था सनी और वीर पर !


उन चारो को देख वीर समझ गया, और प्रिया को बोला !!

जाके बाकी स्टूडेंट्स को बुला के लाओ यहां पर, इतना सुन प्रिया तुरंत चली गई सबको बुलाने !


जबकि इधर: वीर – तुम साले जो भी हो, अपनी जिंदिगी की सबसे बड़ी गलती कर दी है तुमने, जिसकी सजा तुम चारो की मौत होगी !!

"जंगल में जब शेर चैन की नींद सोता है, तो कुतो को गलतफहमी हो जाती है, के इस जंगल में अपना राज है"…..!!!



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तुरंत ही वीर ने एक को पकड़ के उसके सीने में घुसे मारे, फिर उसके मुहं पर घुसे मारे , जिसके चलते अधमरी हालत में वो जमीन में गिर गया !!



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इसके बाद भी वीर को चैन नहीं आया तो। उसने उस आदमी का सिर पकड़ के जमीन में मरता रहा !


GIF-20240503-230923-040


इसके बाद बाकी के तीनों एक साथ सामने आए, और एक तरफ वीर पहलेसे तैय्यार था।

इनके लिए तीनों ने एक साथ बीर पर हमला बोला!

वीर भी सावधानी पूर्वक तीनों का बड़े आराम से मुकाबला कर रहा था।


वीर के बचपन से कि हुई कसरत, और मेहनत का नातीजा था, जो उसमें से कोई उसका बाहुबल में मुकाबला नहीं कर पा रहा था।

आखिर में वीर ने एक को गिरा दिया, बाकी के बचे दोनो को वीर ने गुस्से में उछल के एक साथ पैर से दोनो पे वार किया !


जिसके बाद चारो किसी लायक नही बचे !!


तभी प्रिय बाकी स्टूडेंट्स को लेके आ गई, जिनकी मदद से सनी को तुरंत डॉक्टर के पास ले जाया गया ।


रास्ते भर में कंचन ने अपनी गोद में सनी के सिर को रखे रही, साथ में वीर भी सनी का हाथ पकड़े हुए था!!

इस तरफ सभी स्टूडेंट्स हॉस्पिटल में आ गए, सनी को लेके इमरजेंसी रूम में सनी को ले जाया गया!!

सभी लोग रूम के बाहर खड़े डॉक्टर के आने का इंतज़ार कर रहे थे!!
थोड़ी देर में डॉक्टर रूम से बाहर आया,

कंचन और वीर दोनो साथ में – अब कैसा है “सनी”

डॉक्टर – घबराने की कोई बात नही सब बिल्कुल नॉर्मल है ! शुक्र है कि हल्की चोट लगी उसे, वर्ना दिक्कत काफी हो सकती थी, फिलहाल मैने ड्रेसिंग कर दी है, और ये कुछ पेन किलर्स ले आना !!

कंचन – क्या हम मिल सकते है?

डॉक्टर – (हस्ते हुए) मिलना क्या आप चाहे तो लेके भी जा सकते है !!

वीर – थैंक्यू डॉक्टर साहब !

डॉक्टर – NO IT'S OK , IT'S MY JOB BYE TAKE CARE !!

वीर और कंचन जब तक रूम में जाते तब तक सनी बाहर आ गया!!

रूम से आते ही वीर और कंचन दोनो गले लग गए सनी के !!

सनी – अरे अरे अरे क्या कर रहे हो यार कुछ नही हुआ है मुझे, बिल्कुल फिट हू यार !

वीर – जान निकल गई थी यार, मेरी रास्ता कैसे पार हुआ है मेरा दिल जनता है यार!!


सनी – (हस्ते हुए) तेरे होते मुझे कुछ हो सकता है भला??


हम वो नहीं जो दिल तोड़ देंगे, थाम कर हाथ साथ छोड़ देंगे, हम दोस्ती करते हैं पानी और मछली की तरह, जुदा करना चाहे कोई हमें तो हम दम तोड़ देंगे”.!!!


सनी कंचन से: अब तुम रो मत यार! देखो तुम्हारे सामने खड़ा हू, बिल्कुल फिट! अब ये आसू पोछो जल्दी से, क्या पता तुम्हे देख कही प्रिया न रो दे?
!! इस बात से तीनों हसने लगे ! तभी सनी ने पूछा वीर से !

सनी – अरे वीर! ये प्रिया कहां है? दिख नही रही है? कही भेजा है क्या तूने उसे?

वीर – नही यार मैंने तो ध्यान ही दिया इस बात पे?

सनी – कंचन तुम्हे कुछ बता के गई है क्या प्रिया?


कंचन – नही मैने तो उसे आखिरी बार झरने वाली जगह देखा था , जब वो सभी स्टूडेंट्स को बुला के लाई थी उसके बाद मैने उसे नही देखा!!

कंचन का इतना बोलना था की वीर का दिल की धड़कन डर से अचानक बड़ गई!!


वीर – (डर से) कहा गई होगी मेरी प्रिया यार ?


सनी – (वीर के कंधे पे हाथ रख के) घबरा मत भाई! वो ठीक होगी, चल ढूंढते है उसे शायद यह हॉस्पिटल में कही होगी! हो सकता है कुछ खाने के लिए लेने गई हो कैंटीन में!!


इसके बाद वीर , कंचन , सनी और बाकी के स्टूडेंट्स पूरे हॉस्पिटल में ढूंडते है प्रिया को,
काफी देर तक ढूंडने पर किसी को भी प्रिया का पता नही चलता है, सब एक जगह इक्कठा हो जाते है!!


वीर – (सभी स्टूडेंट्स से) क्या हुआ कुछ पता चला प्रिया मिली किसी को?

सभी – नही हमे कही नही मिली प्रिया!

इन सब बातो से वीर का दिल बैठा जा रहा था! आखों से आसू बहे जा रहे थे, दिल में जाने कैसे ख्याल जन्म ले रहे थे !!


तेरे आगोश में निकले दम मेरा, पहली और आखरी यही चाहत है।
तू खुश रहे सदा दुआ है मेरी,
मैं आइना हूं मुझे टूटने की आदत है।
चाह कर भी दूर नहीं जा पाता हूँ, आइना हूं बार-बार टूट जाता हूं। ऐ पत्थर मारने वाले जालिम, हरटुकड़े में तेरी तस्वीर पाता हूँ”।।



"प्रिया"!!

कहा चली गई तुम, सनी मेरे दोस्त मैं उसके बिना नहीं जी सकता !!

ये कहके वीर सनी के गले लग कर रोने लगता है।

सनी: संभाल खुद को वीरे!!
मिल जाएगी हॉस्टल में होगी या यहीं कहीं होगी।

इन्ही सब बातो के चलते शाम हो गई, तभी वीर के मोबाइल में कॉल आया किसी अनजान नंबर से।



कॉल उठाते ही एक आवाज आई !! सामने से –

“तेरी छमिया मेरे पास है”

वीर – कॉन हो तुम क्या चाहते हो?

सामने से:– मोहित हू मै अपना हिसाब बराबर करना चाहता हू तुझसे!!


वीर – अगर प्रिया को कुछ किया तो... !


मोहित – (हस्ते हुए) करना तो बहुत कुछ चाहता हू इसके साथ! माल ही इतना तगड़ा है ये, लेकिन पहले तेरे आखों से बहते खून के आसू तो देख लूं ! ताकी मेरे दिल को कुछ चैन मिल सके !!


वीर – देख मोहित तेरी दुश्मनी मुझसे है, प्रिया को बीच में मत घसीट !


मोहित – (हस्ते हुए) असली जड़ यही लडकी तो है, यही तो है ! इसी के वजह से ही तूने पूरे कॉलेज के सामने मुझ पे हाथ उठाया , बेइजत्ती की , अगर तू चाहता है इसके साथ एसा वैसा कुछ न हो, तो ?.........



जारी है...✍️✍️
Nice and superb update....
 

Raj_sharma

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Ufaq saba

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सुप्रिया को आज भी कॉलेज का पहला दिन याद है उसकी रेगिंग हो रही थी (फ्लैश बैक): सुप्रिया आज वीर के साथ ना जा कर अपनी सहेली के साथ गई थी,
कॉलेज का पहला दिन और पहले दिन क्या हो सकता है कॉलेज में आप सब जानते हो। रेगिंग. कॉलेज के गेट के अंदर घुसते ही तीन लड़के ओर 2 सीनियर लड़किया खड़ी थी.. महेश, सुभाष, मोहित, मीनू, काव्या.
मोहित पास के ही गांव के सरपंच का नेता था। अपने बाप के पैसे का उपयोग करेंके गुंडागर्दी करता रहता था. कुछ ज्यादा ही घमंड था उसे अपने बाप के पैसे का। उसने घुसते ही सुप्रिया ओर उसकी सहेली को रोक लिया।
मोहित: "वाह आज से पहले ऐसा सुंदर और कसा हुआ माल पहले कभी नहीं देखा"

सुप्रिया से ए-लड़की इधर आ! क्या नाम है तेरा?
सुप्रिया: (हाथ जोड़ के नमस्ते) जी मै सुप्रीया और ये मेरी दोस्त कंचन है भैया जी.
मोहित: (हँसते हुए) अबे बाहर गाँव से आई है क्या सैंया को भैया बुला रही है?
सुप्रिया: ये क्या बदतमीजी है? मैं तुम्हारी शिकायत करूंगी।
मोहित: जा कर दे. या चाहे तो अपने बाप को भी बुला ले तेरा उद्धार तो मैं ही करुंगा छमिया। हाये क्या चीज़ है... साला हाथ लगाओ तो हाथ जले या मुँह लगाओ तो मुँह जले ऐसा गरम माल। चल एक डील करते हैं तू मेरी गर्लफ्रेंड बन जा,
दोनों मिल के मजे करेंगे!! और फिर वैसे भी तू इतनी सुंदर है अच्छी लगी तो सादी भी कर लेंगे।
सुप्रिया: बदतमीज.. थप्पड़ मारने को आगे बड़ी..
मोहित: हाथ पकड़ते हुए अरे मेरी रानी इतनी गरमी।
तुझे छेड़ने में मजा आएगा। ये बोलके उसके दोनो हाथ पकड़ लेता है.
तभी वहा उनका एक टीचर आता है त्रिपाठी सर
त्रिपाठी सर : ये क्या हो रहा है? छोड़ो उस लड़की को.
मोहित: निकल ले बहनचोद. भूल गया क्या सेकंड ईयर में मेरे बाप ने क्या हाल किया था तेरा?
त्रिपाठी मुँह झुकाए चुप-चाप निकल जाता है।
मोहित: अब तुझे मुझसे कौन बचाएगा? एक काम करो दोनों लड़की अपना दुपट्टा उतारो या सामने वाली बेंच पर रख दो।
सुप्रिया: और उसकी सहेली दोनों रोने लगती है..
और मोहित उसको चुप कराने के बहाने उसके कंधे पर जबरदस्ती हाथ रखता है।
तभी उसके पीछे... से आवाज आती है.
हाथ हटा ले खजूर वरना उसी हाथ से धोयेगा और उसी हाथ से खाना पड़ेगा।
मोहित
...?????

जारी है :writing:
Superb update ..Ye to koi film ka scene jaisa lag raha hai Supriya ki ragging aur hero ki entry 👏👏👏
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Tiger 786

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Update 8

सनी: अरे-2 इतने सवाल एक साथ!
देख वीर कहानी थोड़ी लंबी है और यहां पूरी भी नहीं हो सकती, तू इतना समझ ले कि मैंने कहीं और एडमिशन लिया था,

पर मुझे जमा नहीं और मुझे तुम लोगों की याद सदा ही आती रही है, तो पापा से कुछ बहाना मार के यहीं आगया, और पापा अच्छे हैं सदा की तरह।

अब आगे:

सनी: यार कितने साल हुए तुमसे मिले? आज भी वो बचपन वाले दिन, वो सारी यादे, वो गाँव के पास वाली नदी, सब याद है!
तुम्हें याद है कि पुलिये के ऊपर से कूदने का मौका ढूंढ़ते थ हम, वो बचपन का सबके साथ हंसी मज़ाक और खेल कूद बहुत मिस किया मैंने! (आंखों में पानी) और स्पेशल तुझे मिस किया कमीने!!

वीर: बचपन में खेतो में बने फार्महाउस पर कितनी मस्ती होती थी हमारी, घंटो पानी की होदी में घुसे रहते थे या वो लाला सुखीराम का लड़का भूरा? याद है ना साले को कितना पीटा था हमने!!

पहले हमने उसे पीटा बाद में तुम्हारे पापा ने तुम्हें और मेरे पिता जी ने मुझे धोया जब लाला सिकायत करके गया तो? (मुस्कान करते हुए).

सनी: बिल्कुल! चल छोड़ अब ये बाते बाद में बात करते हैं! अभी क्लास चल रही है, और अगर टीचर ने फिर से देख लिया तो चिर-चिर करेगा फिर से!

फिर दोनों चुप-चाप पढ़ने लगते हैं और तभी लंच ब्रेक हो जाता है!

वीर: चल यार आजा तुझे तेरी मनपसंद चीज खिलाता हूं!

सनी: ??????

वीर: चल चल तो सही! ये कहते हुए वीर सनी का हाथ पकड़ कर उसे खड़ा करता है और अपने साथ चलने को कहता है! और सुप्रिया उसको प्रश्नवाचक नजरों से देखती हुई उसके पीछे-2 हो लेती है, साथ में उसकी सहेली कंचन भी थी!!

वो सब जा कर कैंटीन में बैठ जाते हैं जहां पर एक चार कुर्सी लगी थी एक तरफ सनी, और वीर, तो दूसरी तरफ सुप्रिया और उसकी दोस्त कंचन थी !!

वीर बात करते-2 सुप्रिया के और देख रहा था चोर नजरों से तो वही सनी चोर नजरों से कंचन की तरफ देख रहा था।

सुप्रिया को समझ में नहीं आ रहा था वो आज मुझे: (आज वीर को हो क्या गया वो ऐसी अजीब नजरों से चोरी-2 क्यों देख रहा है)?

सुप्रिया: वीर क्या बात है? ऐसे क्यों देख रहे हो? कुछ कहना चाहते हो क्या? और तुमने इनसे मिलवाया नहीं? ये कौन है?

वीर: (मंद-मंद मुस्कुराते हुए) ना ना ऐसी कोई बात नहीं है! और ये सनी है!
अपने राजकुमार (राजू) चाचा का लड़का! याद है? हम सब बचपन में साथ-साथ खेलते थे!

सुप्रिया: हाँ याद आया ! इतने बड़े हो गए यार तुम? कहाँ रहते हो? इतने साल कहाँ रहे?

वीर: वो सब बताते रहेंगे पहले कॉफी और मिर्ची बड़ा आगया ये खाओ!!

सनी: साले तुझे अब तक याद है कि मुझे मिर्ची बड़ा कितना पसंद है?

वीर: और नहीं तो क्या? मैं तुझ से जुड़ी हर याद अपने दिल में छुपाये बैठा हूँ साले। चल जल्दी वापस वापस भी जाना है।

इसी तरह सब लोग हंसी मजाक कर रहे थे, उधर कंचन भी सनी को कनखियों से देख-2 कर मुस्कुरा रही थी जो सुप्रिया से ना छुप सका।

अभी उन लोगों ने नास्ता ख़तम किया और कॉफ़ी पी ही रहे थे तभी वहां मोहित और उसके साथी भी चाय पीने के लिए आये और उनसे आगे वाली टेबल पर बैठ गये!

वो लोग भी चाय पी रहे थे तभी उनमें से एक की नजर वीर और उसके साथियों पर पड़ी,

उनमेंसे एक: मोहित भाई तुम्हारा आइटम अपने दोस्तों के साथ बैठा है.

मोहित: मोहित ने जैसे ही नजर उठा कर देखा तो सामने रघुवीर, सुप्रिया और सनी, कंचन दिखाई दीये,

मोहित: अबे जाने दे सालो को फिर कभी देखेंगे कॉलेज के बाहर!

उनमेंसे एक दोस्त: क्या भाई आप क्या बात करते हो कितनी बेज्जती हुई इस लड़के की वजह से! आप इसको कैसे छोड़ सकते हैं? आप बोलो तो मुझे देखता हूँ साले को! ये कहता हुआ वो खड़ा हो जाता है!

मोहित मन में (ये साला पिटेगा। जब उसने मुझे पीट दिया तो ये किस खेत की मूली है?) अबे रुक बाद में देखतें है प्लान बना कर!!

पर वो नहीं सुनता और वीर की तरफ निकल जाता है और जाके सीधा वीर की टेबल पर हाथ मारता है।

आदमी: क्यू बे हिरो, उस दिन तो बड़ा फुदक रहा था? नया आया क्या इस जगह जो भाई को नहीं जानता? अबे और तो और तूने भाई पे हाथ छोड़ दिया? जीना नहीं है क्या तेरे कू?

तभी सनी को गुस्सा आने लगता है और उसके जबड़े बीच जाते हैं जबकी वीर चुप-चाप बैठा मंद-मंद मुस्कुरा रहा था।

सनी: अबे ओ चतुर्भुज, साले मारूंगा कम, मसलूंगा ज्यादा! चल निकल यहां से.

वीर: अमा जाने दे यार क्या ऐसो के मुँह लगना ये बरसाती दादुर (मेंढक) है: :D कहकर हसने लगता है ।

"सही वक़्त पर करवा देंगे हदों का एहसास इन्हें,
कुछ तालाब जो खुद को समंदर समझ बैठे हैं!"


सनी: "वो खाली भोकेंगे, या काटेंगे भी?
अरे वक़्त आने दे मेरे यार!, तेरे कदमों की धूल चाटेंगे भी।"

ये कह कर सनी ने उसकी गर्दन पकर्ड कर उठा लिया और बोला: हराम-खोर तेरी इतनी औकात मेरे सामने ही मेरे भाई को आंख दिखत है?

तभी वहा मोहित और उसके सारे साथी भी आ जाते हैं, और वहा गहमा-गहमी, कहा-सुनी होने लगती है!!

मोहित: छोड़ दे इसको लड़के, नहीं तो अपने पैरों पर चलकर वापस नहीं जाएगा! तू नहीं जानता कि तू किस आग से खेल रहा है? तेरे जैसे कितनों को ही निपटा चूका हूँ मैं।


सनी : और मेरे जान-ने वाले कहते हैं कि :
"जिसपर भी मैंने हाथ डाला है,
उसका तो भगवान ही रखवाला है!"

"ना शेर हूं ना शिकारी, ना बादशाह ना खिलाड़ी,
हम वो चिंगारी हैं, जो एक बार सुलग गई तो, जिंदगी बर्बाद कर देगी तुम्हारी,"

रघुवीर: (मामले की नजाकत को समझते हुए और आस-पास के हालात देख कर)

वीर: छोड़ यार छोड़ उसको, हम अभी कैंटीन में हैं, और मैं नहीं चाहता यहां कोई लफड़ा हो!! हम यहां पढने के लिए आये हैं, ना कि जोर आजमाइश के लिए !!

सनी : बस तेरे बोलने से छोड़ रहा हूं इस को
ये कह कर उसका गला छोड़ देता है। और उसके पास जाकर बोलता है,
तू सुन बे: साले तेरे जैसे दो को तो नीचे लटका के घूमता हूं मैं आगे से मेरे भाई के आस-पास भी दिखा तो सोच ले!!

रघुवीर: सनी, और तुम दोनों भी: कंचन, सुप्रिया की और देखते हुए चलो यहां से, जब वो जाने लगते तो पीछे से बुदबुदाने और हंसी की आवाज आती है तो वीर वापस मुड़ के मोहित के पास आता है।


रघुवीर: देख बे लपरझंडिश मैंने उस दिन तेरी गांड तोड़ी थी तो लगता है कुछ कसर रह गई,
वरना ये छिछोरी हारकर नहीं करता?
अभी भी वक्त है संभल जा, देख जब तक कोई मेरी उंगली नहीं करता मैं उसको कुछ नहीं बोलता,
तो तेरे पास वक्त है उसे पढाई में लगा अपनी जिंदगी सुधार और दूसरे को उंगली करना बंद कर! वर्ना जिस दिन मेरी हट गई तो समझ लेना फिर :

"इस बात से लगा लेना मेरी साखियत का अंदाज़ा,
वो लोग भी मुझे ही सलाम करते हैं, जिन्हे तू सलाम करता हो"


ये बोलकर वो लोग निकल जाते हैं वहां सेऔर क्लास में जाकर बैठ जाते हैं! बस और कुछ खास नहीं होता उस दिन, ऐसे ही दिन बीते हैं, एक दिन वीर और सनी क्लास में आज कुछ जल्दी आते हैं और अपनी डेस्क पर बैठ के बातें कर रहे होते हैं तभी...

जारी है...✍️
Awesome update
 

Tiger 786

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Update 9

"इस बात से लगा लेना मेरी साखियत का अंदाज़ा, वो लोग भी मुझे ही सलाम करते हैं, जिन्हे तू सलाम करता हो"

ये बोलकर वो लोग निकल जाते हैं
वहां सेऔर क्लास में जाकर बैठ जाते हैं! बस और कुछ खास नहीं होता उस दिन, ऐसे ही दिन बीते हैं,
एक दिन वीर और सनी क्लास में आज कुछ जल्दी आते हैं और अपनी डेस्क पर बैठ के बातें कर रहे होते हैं तभी...


अब आगे:

सामने से दो लड़कियां क्लास में आती हैं जिन्हें वीर और सनी एक टक देखते ही रह जाते हैं, वो दोनों धीरे-धीरे चलकर उन दोनों के पास आती हैं!

वो कोई और नहीं बल्कि अपनी सुप्रिया और कंचन ही थी! दोनो का ध्यान उनकी तरफ केवल एक बार ही गया था
और फिर अपनी बातों में लग गई थी, इधर ये दोनो भी अपनी बातों को भूल कर उनको देखने में ही लगे रहे!
अचानक सुप्रिया को कुछ एहसास हुआ तो उसने अपनी बेंच से नज़र घुमाके देखा, तो दोनो उनकी तरफ ही देख रहे थे!

सुप्रिया की नजरों का पिछा कंचन ने भी किया तो यहीं पाया, जैसे उसने उसकी नजर सनी से टकराई,

उसने अपनी नजर झुका ली पर सुप्रिया ने ऐसा नहीं किया वो सवालिया नजरों से और चेहरे पर मुस्कुराहट लिए हुए!

सुप्रिया: क्या बात है वीर! ऐसे क्या देख रहे हो? कुछ गड़बड़ है क्या?

वीर: नहीं प्रिया बस ऐसे ही!

प्रिया: ऐसे ही क्या? तुम बताओ सनी!

सनी: क.क... कुछ नहीं प्रिया बस ऐसे ही, मुझे तो बात ही नहीं पता क्या है?

प्रिया: कुछ नहीं ?? जब से क्लास में आये हो तुम दोनों ऐसे घूर रहे हो हमें, कुछ तो गड़बड़ है!!

सनी चुप हो कर अपनी नजरें झुका लेता है तो प्रिया वीर की और सवालिया नजरों से देखती है जबकी कंचन भी चोरी-चोरी देख ले रही थी!

वीर: क्या? मैने क्या किया है प्रिया जो अब ऐसे घूर रही हो?

प्रिया: ????? कुछ बताओगे? या फिर आज के बाद बात नहीं करूंगी सोच लेना फिर मुंह मांगोड़ी (अजीब सा) सा करके घूमोगे !!.

वीर: अरे यार तू भी ना अब तक वैसी ही है!
वो क्या है ना तुम पहले सिंपल रहती थी, मेरा मतलब है कि आजकल...थोड़ा अलग लगती है..
मेरा मतलब.. कुछ अलग दिख रही हो..
अब क्या हाी बोलू कैसे समझाऊं , तुम खुद ही समझ जाओ यार,
पहले तुम लिपस्टिक बहुत कम... मेरा मतलब सजना संवर....समझ जा ना चिकुड़ी। :D

प्रिया : एक मारूंगी तोते अगर यहां पे चिकुड़ी बोला तो!
और मैं समझ गई क्या खुन्नक है तुझे (बोलके हंसने लगती है)

ये सुनकर वीर भी राहत की सांस लेता है और सनी भी (मन मैं बच गया बेन... नहीं तो ये पीछा नहीं छोड़ती)

तभी क्लास में और भी स्टूडेंट्स आने लगते हैं और ये लोग भी चुप होकर बैठ जाते हैं और आपस में ही खुश होकर फुसर करने लगते हैं

सनी: वैसे एक बात तो बता वीरा ये माजरा क्या है मैंने भी नोट किया है कि तू आजकल प्रिया को कुछ अलग नजरों से ही देख रहा है? कहि...वो वाला तो चक्कर नहीं है?

वीर: क्या भाई कोन सा वो चक्कर है? कोई चक्कर नहीं है! बस थोड़ा अलग लग रही थी तो बार-2 नजर जा रही थी उधर!!

सनी: (मुस्कान के साथ) साले कितने दिनों से जानता हूँ तुझे! मुझे बेवकूफ बनाना आसान नहीं है।

वीर: अरे यार बचपन की दोस्त है वो मेरी, और मैंने कभी उसको उन नजरों से नहीं देखा।

सनी: तो क्या हुआ अब देख ले :D यार कितनी सुंदर है देख तो सही, काश ये मुझ पर लाइन मारे!

वीर: साले मुझे गुस्सा मत दिला तू दुनिया की किसी भी लड़की के लिए कुछ भी बोल पर मेरे भाई उसके लिए कुछ मत बोलना मैं हाथ जोड़ता हूं तेरे तू भाई है मेरा, और मैं नहीं चाहता कि अपने बीच में कुछ भी गलत फहमी हो या कोई बात हो.

सनी: जली ना? बस कमीने तेरे मुंह से यहीं सुनना चाहता था मैं, ईसी लिए बोला, मुझे जो जानना था (मुस्कुराते हुए) मैं जान चुका हूं।

वीर: क्या जाना तुमने? मुझे भी बताओ जरा!

सनी: यही कि तू उसको चाहता है, पर मन ही मन!

और जहां तक मुझे लगता है कि वो भी तुझे चाहती होगी।

वीर: चाहता है...! अरे भाई अगर मैं किसी को चाहूँगा तो मुझे तो पता होगा ना, हम बस बचपन के दोस्त हैं और कुछ नहीं!

सनी: यही तो बात है मेरे दोस्त बचपन को जब जवानी के पंख लगते हैं तो मन और दिल पता नहीं किन वादियों में और किन हवाओं में उड़ता रहता है!

वीर:
मोहब्बत कोई खेल नहीं होता. मोहब्बत की राहो में, अफ़साने हज़ार मिलते हैं,
दिल से मोहब्बत करने वाले, सच्चे दीवाने कहाँ मिलते हैं।
याद करके आँसू बहाने वाले, सच्चे आशिक नहीं होते।
सच्चे महबूब रोते नहीं है, महबूबा की याद में ताजमहल बनवाते हैं।
और धड़कती सांसों का कोई मोल नहीं होता, मोहब्बत कोई खेल नहीं होता.


ये प्यार मोहब्बत फिल्मो या किताबों में ही अच्छा लगता है भाई। हकीकत में ऐसा नहीं होता!

सनी: क्यों नहीं होता भाई, होता भी है, और देखा भी है हमने। अभी तुमको खुद को नहीं पता कि हकीकत क्या है! जब-कभी वो दिखाई नहीं देती, या कोई दूसरे गांव जाती है तो तुम्हारा दिल बेचैन रहता है? उसकी याद आती है? सोच के बता?

वीर: हा वो तो होता ही है इसमे सोचना क्या है वो मेरे बचपन की दोस्त है।
रही बात गांव जाने की तो वो भी सही है, उस समय मन काफी उदास रहता है।

सनी: तो सुन मेरे भाई यही प्यार है, बस तुझे ये दोस्ती वाला लगता है और मुझे ये प्यार वाला लगता है(मुस्कान)।

वीर: अबे जा ऐसा थोड़ी होता है? मुझे प्यार होता तो पता तो लगता ना?

"नजर से दूर है फिर भी फिजा में शामिल है कि तेरे प्यार की खुशबू हवा में शामिल है, हम चाह कर भी तेरे पास आ नहीं सकते कि दूर रहना भी, मेरी वफा में शामिल है"


सनी: साले प्यार होगा तो वायलिन थोड़ी बजेगा? बस तुझे एहसास नहीं हुआ है।

वीर: देखते हैं भाई थोड़े दिन रुक जा पता लग जाएगा(मुस्कान)।

ये लोग ऐसे ही बात करते रहते हैं, फिर क्लास शुरू हो जाती है, लंच में सब लोग पहले कैंटीन में जाते हैं। लेकिन आज कुछ भी प्रिय घटना नहीं घटी। ऐसे ही एक-एक करके दिन गुजर रहे थे की एक दिन...!

जारी है.....:writing:
Nice update
 

Tiger 786

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Update 10.

वीर: (मुस्कान के साथ) देखते हैं भाई थोड़े दिन रुक जा पता लग जाएगा ।
ये लोग ऐसे ही बात करते रहते हैं, फिर क्लास शुरू हो जाती है, लंच में सब लोग पहले कैंटीन में जाते हैं, लेकिन आज कुछ भी अप्रिय घटना नहीं घटी। ऐसे ही एक-एक करके दिन गुजर रहे थे की एक दिन.....!

अब आगे:

अगले दिन सुबह के नौ बजे क्लास में सब लोग बैठे हुए पढ़ रहे थे! (आज कल वीर का भी मन प्रिया के बार-2 कहने से पढ़ने को होने लगा था) तो वीर भी मन लगा कर पढ़ रहा था।

तभी त्रिपाठी जी और स्पोर्ट्स कोच दोनो क्लास में आते हैं। त्रिपाठी जी और हमारे क्लास टीचर के बीच कुछ बात होती है, तभी कॉल्स टीचर बोलते हैं:

सभी छात्र ध्यान से सुनें, अगले हफ्ते कॉलेज टूर मनाली के लिए जा रहा है! जो भी छात्र अपना नाम लिखाना चाहता है तो उसे अपना नाम त्रिपाठी सर या कोच सर को दे देना !!
नाम देने का समय 4 दिन का है, उसके बाद नाम नहीं लिखा जाएगा,
नाम के साथ 5000/- रुपये की राशि भी जमा करवा देना।

सनी: क्यू वीरे हो जाए तक धीना धिन..

वीर: हो जाये बन्धु ! पर अकेले जाओगे? प्रिया को भी तो पूछ ले!!

सनी: ये हुई ना बात! बेरो थो मन्ने(पता था मुझे) तू उसके बिना कहीं नहीं जाने वाला..इसीलिए तो मैं बोलता हूं कि ये कुछ तो और है !(मुस्कुराते हुए). साले वो भी अकेली थोड़ी जाएगी, उसको बोलना कंचन को भी साथ ले ले।

वीर: हसते हुए : मैं भी जाने थो बेटा तू भी कुछ बोलेगो (मुस्कुराते हुए मुझे भी पता था बेटा कि तू भी कुछ तो बोलेगा!),
देख वो मैं नहीं कर सकता वो तो केवल प्रिया ही कर सकती है उसको मनाने का काम।
क्यू की वो उसकी दोस्त है, और मैंने तो ज्यादा बात भी नहीं की कभी उससे।

सनी: ये नहीं चलेगा बंधु! तेरे वाली तेरे साथ जाएगी तो मुझे भी कोई कंपनी मिलनी चाहिए।

वीर: (कुछ सोचते हुए) हम्म! समझ गया बेटा माजरा क्या है? तो आग इधर लगी है! और कमीना मुझे बोलता है, कि तुझे ये हुआ वो हुआ!!

सनी: अबे ऐसा कुछ नहीं है मैं तो कंपनी के लिए बोल रहा था और कुछ नहीं।

वीर: रहने दे बेटा, मुझसे होशियारी नहीं चलेगी! तेरी हर रग से वाकिफ हूं मैं, साथ-2 में बड़े हुए हैं भाई मुझसे कुछ नहीं छुप सकता तेरा।

सनी: (नजरे चुराके) छोड़ ना भाई तेरी तो आदत हो गई है झूठी टांग खींचने की।

वीर: चल जा क्या याद रखेगा छोड़ देता हूँ आज! पर ये मत समझना तू मुझे गोली दे सकता है।

ना किसी से दुश्मनी है, सबसे अपनी यारी है,
मेरा तो बादमें देखेंगे, पहले तेरी बारी है!
कोई भी ना टिक सके सामने, ऐसी अपनी यारी है,
कर ले बेटा अपने दिल की, काहे हिम्मत हारी है..”


चल लंच में प्रिया से बात करते हैं। तू उसको मनाने में मेरी मदद करदेना! पता नहीं जाएगा या नहीं.

सनी: भाई मानेगी कैसे नहीं हम मना लेंगे।

क्लास चलती रहती है, इसी तरह लंच हो जाता है! और वो दोनों दोस्त खड़े हो गए कैंटीन जाने के लिए ।।

वीर ने एक नज़र सुप्रिया की और देखा तो पाया कि वो वही अपनी सहेली के साथ ही बैठी थी।

वीर: प्रिया आज कैंटीन नहीं चल रही क्या घंटी लगे हुए इतना टाइम हो गया।

सुप्रिया: (रहस्यमय -मुस्कान) ना वीर आज मूड नहीं है तुम दोनों जाओ..

वीर: ?? यार अब ऐसा क्यों कर रही है? चल चुप-चाप तू नहीं जाएगी तो मैं भी नहीं जाऊँगा.

सुप्रिया: चलो श्रीमान ! जैसे मेरे बिना तो रात को खाना भी नहीं खाते होगे आप? हे..हे..हे....चलो क्या याद रखोगे किस रहीस से पाला पड़ा है तुम्हारा।

ये बोलते हुए खड़े हो जाती है और अपनी सहेली को साथ लेकर कैंटीन की और निकल जाती है वीर के साथ। सबलोग कैंटीन में बैठ कर कॉफी पी रहे थे..
तभी वीर बोलता है कि प्रिया टूर का क्या करना है?

प्रिया: मैं क्या बताऊं (मुस्कुराते हुए) तुम देख लो जाना है तो फोरम भर दो! मैं तो जाउंगी नहीं. वो क्या है ना घर पर भी काम रखता है, माँ के पास रुकना पड़ता है पापा भी मना कर देंगे वैसे।

वीर: यार प्रिया ऐसे मत कर ना चिकुड़ी!! तू नहीं जाएगी तो मैं भी नहीं जाऊँगा! ये पक्की बात है.

प्रिया: (हाथ पे मुक्का मरते हुए, झूठे गुस्से से) तुझे कितनी बार बोला है तोते. कि मुझे इस नाम से मत बुलाया कर यहां सबके सामने अब मैं बिल्कुल भी नहीं जाऊंगी। तू हर बार ऐसे ही रो धो कर मुझे मना लेता है।

वीर:

“काश तू पूछे मुझसे मेरा हाल-ए-दिल, मैं तुझे भी रुला दू तेरे सितम सुना सुना कर."

और

"कटी हुई टहनियां कहा छाव देती है,
हद से ज्यादा उम्मीदें हमेशा घाव देती है ..”

जा प्रिया तूने भी दिखाया दी अपनी दोस्ती अब ये वीर कभी तुझे मजबूर नहीं करेगा।

प्रिया: कर दी ना गंवारों वाली बात बस हमेंसा का यही रोना है तेरा! जब देखो ये रोने धोने वाली शायरी सुनाकर इमोशनल ब्लैकमेल करता रहता है,
(कुछ सोच के) ठीक है-ठीक है अब रो मत माँ को पटाऊँगी शाम को और वो बाबा से बात कर लेगी, तो शायद हो जाए।

वीर: ये हुई ना बात मेरी चीकू..! सोरी प्रिया वाली. वैसे कंचन को भी साथ ले-ले.

प्रिया: (कंचन की और मुस्कुराहट से देख कर) वो क्यों भला?


वीर: वो क्या है ना तेरा भी तो मन लगना चाहिए।

प्रिया: पर ये तो मना कर रही है!! ये टूर पर जाती नहीं है, मतलब इसको पसंद नहीं है।

ये सुनते ही सनी का मुंह उतर जाता है, जिसे देख कर वीर प्रिया को प्लीज वाला इशारा करता है और आंख से सनी की तरफ इशारा करता है जो प्रिया समझ जाती है।

प्रिया: सुन यार कंचन तू भी चल ना मजा आएगा, मैं भी वहा अकेली बोर हो जाऊंगी ये लोग तो अपनी मस्ती मजाक में लगे रहेंगे मैं किससे बात करूंगी?

कंचन: ठीक है प्रिया जब तुम इतना बोल ही रही हो तो मैं भी चलूंगी, आख़िर तू ही तो मेरी एकलौती दोस्त है।

इतना सुनते ही सनी जोश जोश में जोर से चिल्लाता है ।

सनी: हुर्रे..... :rock1:सभी उसकी तरफ देखने लगे,
तब उसे एहसास हुआ कि वो क्या कह रहा है। और तुरन्त माफ़ी माँगता है।
सॉरी मुझे बस इसी बात की खुशी हो रही है कि हमारा ग्रुप साथ में जा रहा है, इसके लिए।

ये देख कर कंचन को भी हंसी आती है जब सनी की नजर कंचन पर पड़ती है तो वो अपनी नजर झुका लेती है।


तो दोस्तों इस अपडेट को यहीं विराम देते हैं और अगले अपडेट में आपको मनाली की ख़ूबसूरती मिलेगी..

अपने सुझाव और अपनी समीक्षा जरूर दे. dhanyawaad.


जारी है...:writing:
Superb update Raj bhai
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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