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Thanks bhaiबहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
हाय रे शीला की जवानी,दो साल से नहीं चुदने के कारण उफान मार रही हैं तो उसने रसिक की अनपढ घरवाली रुखी पर अपना जाल बिछा कर उसे दुध के बहाने गरम कर अपनी चुद चुसवा ली और उसकी चुद चुसकर दोनों काफी दिनों के बाद तृप्त हो गई
अब लगता हैं आगे दोनों में लेस्बिअन खेल शुरु होने की संभावना लगती हैं खैर देखते हैं आगे
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
bohot hi kamuk scene... aur uspar aur zyada garam karne wali kamuk bhasha... aur kamuk shabd ka istemaal.... maza aa gaya ..."अरे, उसमें कौन सी बड़ी बात है!! मुझे तो इतना दूध आता है की मेरे लल्ला का पेट भर जाता है फिर भी बचता है। कभी कभी तो लल्ला पीते पीते सो जाता है... और छाती पूरी खाली न हो जाए तो इतना दर्द होता है की कपड़ा रखकर दबाकर दूध निकालना पड़ता है... लल्ला का बाप अगर जाग रहा हो तो वो भी थोड़ा बहुत चूस लेता है" इतने कहते ही रूखी शरमा गई
"आप चिंता मत करो भाभी, में वैसे भी दिन में कई दफा यहाँ से गुजरती हूँ.. आते जाते एक कटोरी में दूध निकाल दूँगी... बेचारे उन नन्हें पिल्लों को ओर चाहिए भी कितना!!! दो तीन घूंट में तो उनका छोटा सा पेट भर जाएगा.. लाइये कटोरी.. ये तो बड़े पुण्य का काम है... अब छाती में इतना दूध बनता ही है तो फिर इस्तेमाल करने में भला क्या हर्ज??"
इतना कहते ही रूखी ने अपने ब्लाउस के दो हुक खोल दिए... शीला दो घड़ी देखती ही रह गई... बड़े बड़े पके हुए नारियल जैसे बोबलों में से एक स्तन रूखी ने बाहर खींचा... दूसरी तरफ का दूध से भरा हुआ थन भी आधा बाहर लटक गया... देखते ही शीला के भोसड़े में खुजली शुरू हो गई।
शीला भागकर किचन से कटोरी लेकर आई और कटोरी को रूखी के स्तन के नीचे रख दिया। रूखी ने निप्पल को दबाया पर दूध नही निकला
"अरे भाभी, पता नही आज क्यों दूध नही निकल रहा? वैसे तो रोज, दबाते ही फव्वारा छूट जाता है..."
"आएगा रूखी... थोड़ा इंतज़ार तो कर!!"
"भाभी, आप दबाकर देखो... शायद दूध निकले"
शीला जबरदस्त उत्तेजित हो गई.. पर उसने थोड़ा सा नाटक किया..
"मुझे तो शर्म आती है रूखी"
"क्या भाभी, इसमे भला कौनसी शर्म? आपने भी तो अपने बच्चों को दूध पिलाया ही होगा ना!!"
"हाँ, वो बात तो सही है तेरी... पर उसे भी बहोत वक्त हो गया न रूखी..."
"जल्दी निकालिए न भाभी" कहते हुए रूखी ने शीला का हाथ पकड़कर अपने दूध से भरे स्तन पर रख दिया।
आहह... पत्थर जैसा सख्त और कडा स्तन!! उसे छूते ही शीला की चुत का दूध टपकने लगा..कुछ देर के लिए तो शीला रूखी के स्तन को बस सहलाती ही रही..
"सहला क्यों रही हो भाभी? दबाओ ना!!" रूखी ने कहा
शीला रूखी की बगल में बैठ गई.. और धीरे धीरे रूखी के स्तन को दबाने लगी.. शीला ने ब्लू फिल्मों में कई बार लेस्बियन द्रश्य देखे थे... और दो साल से, अपनी पति की गैर-मौजूदगी में उसकी हालत खराब हो गई थी... जैसा आपने पहले पढ़ा ही है
बिना रूखी की अनुमति के शीला ने उसका दूसरा स्तन भी चोली से बाहर निकाल दिया... रूखी की निप्पल पर दूध की बूंद उभर आई...
"आया आया दूध... अब निकलेगा... और दबाइए भाभी पर जरा धीरे से.. दर्द हो रहा है... और ध्यान से... कहीं इसकी पिचकारी आपकी साड़ी पर ना गिरे.."
रूखी ने अपनी आँखें बंद कर ली। शीला अब स्तनों को दबाने के साथ साथ खेल भी रही थी। रूखी की बंद आँखें देखकर वह समझ गई की वह भी उत्तेजित हो गई थी।
शीला ने पूछा "क्या हुआ रूखी? आँखें क्यों बंद कर दी? बहोत दर्द हो रहा है क्या?"
"नही नही भाभी... अमम कुछ नही.. "
"नही, पहले तू बता... आँखें क्यों बंद कर दी?" शीला अड़ी रही
"वो तो.. ही ही ही.. जाने भी दीजिए न.. आप समझ रही है फिर भला क्यों पूछ रही हो?"
"सच बता... मजा आ रहा है.. अपने पति की याद आ रही है... है ना..!!"
"वो तो भाभी... काफी महीनों के बाद किसी के हाथ ने छातियों को छुआ.. तो थोड़ा बहोत तो होगा ही ना!"
"क्यों? तेरा मरद दबाता नही है क्या?"
"क्या बताऊँ भाभी!! वो तो पूरा दिन खेत में काम करके ऐसा थक जाता है की रात होते ही घोड़े बेचकर सो जाता है.. कभी कभी जब छाती में ज्यादा दूध भर जाएँ और में उन्हे जगाऊँ तो थोड़ा बहोत चूस लेते है... बस इतना ही"
"पर मरद जब दबाता है तब मजा तो बहोत आता है... है ना!!"
"वो तो है... आप भी कैसा सहला रही हो.. क्या क्या याद आ गया मुझे" रूखी ने शरमाते हुए कहा
"रूखी, मेरा पति दो सालों से देश के बाहर है.. मुझे याद नही आता होगा.. सोच जरा!!"
"याद तो आपको जरूर आता होगा भाभीजी"
"रूखी, में तेरा दूध चखकर देखूँ? मैंने कभी खुद का दूध भी कभी नही चखा था.. पता नही कैसा स्वाद होगा इसका?"
"थोड़ा सा मीठा मीठा लगता है भाभी"
शीला जानबूझकर यह सारी बातें कर रही थी ताकि रूखी को गरम कर सके... और फिर वह अपना दांव खेल पाएं
रूखी की आँखें फिर से लगभग बंद हो गई.. तभी शीला ने रूखी की सख्त निप्पल को अंगूठे और उंगली के बीच दबाकर मसल दिया..
"ओह्ह भाभी... पता नही आज क्या हो रहा है मुझे!!!" रूखी ने शीला की जांघों पर हाथ रखते हुए कहा
शीला के शरीर को किसी ने दो सालों से छुआ नही था... शीला की जिस्म की आग भड़क गई.. उसने रूखी की निप्पल को पकड़कर खींचा
"ऊई माँ... भाभी.. दुखता है मुझे" रूखी ने कहा
शीला की हथेली रूखी के दूध से भर गई.. उस दूध को शीला ने रूखी के गालों पर चुपड़ दिया... जैसे दोनों हाथों से रंग लगा रही हो.. गाल पर नाक पर होंठ पर... पूरे चेहरे पर उसने रूखी के दूध को मल दिया.।
पिछले चार महीनों से दबी हुई रूखी की चुत की खुजली की स्प्रिंग, इसके साथ ही उछल पड़ी
उसने शीला से कहा.. "भाभी, आप दूध चखना चाहती थी तो... चखिए ना..!!"
शीला समझ गई... की रूखी उसे अपने स्तन चूसने का खुला निमंत्रण दे रही थी.. पर शीला एक नंबर की मादरचोद है.. वह ऐसे अपने पत्ते खोलने वालों में से नही थी
शीला ने रूखी के गालों पर लगे दूध को अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया... शीला की गरम जीभ का स्पर्श अपने गालों पर होती ही रूखी बेकाबू होने लगी। उसने शीला के सिर को पकड़ लिया और फिर "आहह आहहह ओह्ह ओह्ह" करते सिसकियाँ भरने लगी।
"रूखी, तू भी मेरे दबा दे" शीला ने फुसफुसाते हुए रूखी के कानों में कहा
"ओह भाभी... मन तो मेरा कर रहा था पर आपसे कहने में शर्म आ रही थी" कहते ही रूखी ने शीला के गाउन में हाथ घुसाकर उसके मम्मों को पकड़ लिया
कुछ महीनों पहले ही हुई डिलीवरी के कारण.. रूखी भी काफी महीनों से बिना चुदे तड़प रही थी... उसने शीला के दोनों बबलों को दबाते हुए अपने चूतड़ को.. नीचे सोफ़े पर रगड़ना शुरू कर दिया... इतनी तेज खुजली होने लगी थी उसे... शीला सब समझ गई.. और अब वह दोनों अपनी भूख और आग को शांत करने में मशरूफ़ हो गई।
शीला अब खड़ी हो गई... और उसने अपना गाउन उतार दिया... और मादरजात नंगी हो गई। शीला के गोरे गदराए बदन को रूखी देखती ही रह गई।
"रूखी, में दो साल से भूखी हूँ.. मुझसे अब ओर रहा नही जाता... आहहह" कहते ही शीला ने झुककर रूखी के होंठों को एक गाढ़ चुंबन दे दिया।
"भाभी, आहहह... मुझे भी... आहह.. कुछ कुछ हो रहा है.. हाये.. मर गई.."
शीला ने रूखी का हाथ पकड़कर अपनी बिना झांटों वाली बुर पर रख दिया.. "ओह रूखी... इसके अंदर आग लगी हुई है.. ऐसा लग रहा है जैसे ज्वालाएं निकल रही है.. कुछ कर रूखी.. आहहह"
रूखी ने शीला की कामरस से गीली हो चुकी चुत पर हाथ फेरा.. दूसरे हाथ से उसने शीला के कूल्हों को चौड़ा कर उसकी गाँड़ के छेद पर उंगली फेर दी.. और शीला को अपनी ओर खींच लिया.. और बोली
"भाभी... मेरे भी कपड़े उतार दो न!!"
शीला को बस इसी पल का इंतज़ार था.. उसने तुरंत रूखी की चोली के बचे-कूचे हुक निकाल कर उतार दिया... और उसकी चुनरी घाघरा भी उतरवा दिया.. और रूखी को सम्पूर्ण नंगी कर दी..
शीला ने रूखी को अपनी बाहों में कसकर जकड़ लिया.. दोनों औरतें... हवस में इतनी लिप्त हो गई की शीला अपनी चुत पर रूखी की कडक निप्पल को रगड़ने लगी... और रूखी, शीला के स्तनों को चाटते हुए निप्पल को चूसने लगी।
"भाभी, अब और बर्दाश्त नही होगा.. बहोत दिन हो गए है.. अपनी उँगलियाँ डाल दीजिए अंदर.. ओह ओह्ह.. भ.. भाभी.. ऊई माँ... पता नही क्यों आज इतनी चूल मची हुई है अंदर!! रहा ही नही जाता.. हायय..." रूखी तीव्रता से अपनी चुत को शीला के स्तनों पर रगड़ते हुए उल-जुलूल बकवास कर रही थी।
शीला भी... रूखी की चुत में दो उँगलियाँ डालकर अंदर बाहर कर रही थी... साथ ही वह रूखी की मांसल जांघों को अपनी मुठ्ठी से नोच रही थी। रूखी भी अब शीला के स्तनों पर टूट पड़ी.. इस हमले से शीला बेहद उत्तेजित हो गई.. कूदकर अपने दोनों पैर उसने रूखी के कंधों के इर्दगिर्द लगा दिए.. और वहीं लेट गई.. शीला का भोसड़ा रूखी के मुंह के करीब आ गया।
रूखी कुछ समझ सके उससे पहले शीला ने अपना तपता हुआ भोसड़ा रूखी के मुंह पर दबा दिया.. अब रूखी के पास उसे चाटने के अलावा ओर कोई विकल्प नही था। उसकी जीभ काम पर लग गई और शीला के गुलाबी भोसड़े को चाटने लगी। चाटते चाटते रूखी ने अपने चूतड़ों को एक फुट ऊपर कर दिया... शीला समझ गई की रूखी भी उसकी तरह झड़ने की कगार पर थी। शीला ने रूखी की चुत में एक साथ चार उँगलियाँ घोंप दी.. और रूखी का क्लिटोरिस मुंह में लेकर अपनी जीभ से ठेलने लगी..
"ऊई.. भाभी... हाँ बस वहीं पर... वैसे ही करते रहिए.. याईईई... मसल दो मेरे बेर को.. हाँ वहीं पर.. हाय.. बहोत खुजली हो रही है.. आज तो चबा चबा कर मेरे जामुन को चूस लो भाभी... ऐसा मजा तो पहले कभी भी नही आया... हाय भाभी... ऊई माँ.. में गई भाभीईईईईई... !!" कहते हुए रूखी थरथराने लगी और झड़ गई
शीला भी कहाँ पीछे रहने वाली थी!! उसने भी रूखी के मुंह पर चुत रखकर अपनी टंकी खाली कर दी..
दोनों औरतें काफी वक्त तक ऐसे ही पस्त पड़ी रही
"मज़ा या गया भाभी... कितने दिनों से कुछ करने का मन कर रहा था... पर क्या करती!! कीससे कहती!!" रूखी ने कहा
"रूखी, तेरा जोबन तो इतने कमाल का है... तेरा पति तुझे नंगी देखकर जबरदस्त गरम हो जाता होगा!!"
"भाभी, शुरू शुरू में तो वह दिन में तीन बार, मेरी टांगें चौड़ी कर गपागप चोदता था... पर जब में पेट से हो गई.. तब से उसने चोदना बंद कर दिया.. बच्चा हुए इतने महीने हो गए फिर भी अब तक हरामी ने नीचे एक बार ठीक से हाथ तक नही फेरा है"
ऐसे ही बातचीत करते रहने के बाद रूखी चली गई। उसके साथ हुए इस मजेदार संभोग को याद करते करते शीला ने रात का खाना खाया और सो गई। बिस्तर पर लेटकर आँखें बंद करते ही उसे रूखी के मदमस्त गदराए मोटे मोटे स्तन नजर आने लगे... आहह.. कितने बड़े थे उसके स्तन... उसकी नंगी छातियों के उभार को देखकर ही मर्दों के कच्छे गीले हो जाएँ.. नीलगिरी के पेड़ के तने जैसी उसकी जांघें.. बड़े बड़े कूल्हें.. भारी कमर.. आहह.. सबकुछ अद्भुत था... !! हालांकि गंवार रूखी को ठीक से चुंबन करना नही आता था.. और वह चुत चाटने में भी अनाड़ी थी.. यह बात शीला को खटकी जरूर थी.. हो सकता है लंड चूसने में माहिर हो.. पर क्या रूखी ने कभी लेस्बियन अनुभव कीया होगा पहले? वैसे तो शीला के लिए भी यह प्रथम अनुभव था.. पर उसने ब्लू फिल्मों में ऐसे कई द्रश्य पहले देखे हुए थे.. तो उसे प्राथमिक अंदाजा तो था ही.. हो सकता है रूखी ने भी कभी ऐसी फिल्में देखी हो..उसके पति ने उसे इतनी बार ठोका है तो मोबाइल में बी.पी. भी दिखाया ही होगा..
whooaaa... aakhri sheela ne sharam chhor kar rasik se chudwa hi liya.... zabardast.....ऐसे ही बातचीत करते रहने के बाद रूखी चली गई।
उसके साथ हुए इस मजेदार संभोग को याद करते करते शीला ने रात का खाना खाया और सो गई। बिस्तर पर लेटकर आँखें बंद करते ही उसे रूखी के मदमस्त गदराए मोटे मोटे स्तन नजर आने लगे... आहह.. कितने बड़े थे उसके स्तन... उसकी नंगी छातियों के उभार को देखकर ही मर्दों के कच्छे गीले हो जाएँ.. नीलगिरी के पेड़ के तने जैसी उसकी जांघें.. बड़े बड़े कूल्हें.. भारी कमर.. आहह.. सबकुछ अद्भुत था... !!
हालांकि गंवार रूखी को ठीक से चुंबन करना नही आता था.. और वह चुत चाटने में भी अनाड़ी थी.. यह बात शीला को खटकी जरूर थी.. हो सकता है लंड चूसने में माहिर हो.. पर क्या रूखी ने कभी लेस्बियन अनुभव कीया होगा पहले? वैसे तो शीला के लिए भी यह प्रथम अनुभव था.. पर उसने ब्लू फिल्मों में ऐसे कई द्रश्य पहले देखे हुए थे.. तो उसे प्राथमिक अंदाजा तो था ही.. हो सकता है रूखी ने भी कभी ऐसी फिल्में देखी हो..उसके पति ने उसे इतनी बार ठोका है तो मोबाइल में बी.पी. भी दिखाया ही होगा..
शीला के भोसड़े में नए सिरे से आग लग गई.. ऐसे ही विचारों में उसकी आँख लग गई.. और तब खुली जब डोरबेल बजने की आवाज सुनाई दी..
वह जाग गई.. "आज रसिक आया हो तो अच्छा.. " मन में सोचते हुए उसने दरवाजा खोला। सामने रसिक ही खड़ा था..
"कैसे हो रसिक?" पतीली में दूध डाल रहे रसिक को चौड़ी छाती को भूखी नज़रों से घूरते हुए शीला ने कहा। वह सोच रही थी की अभी यहीं रसिक उसे पकड़कर चोद दे तो कितना मज़ा आएगा!!
"आपने फिर फोन नही कीया मुझे, भाभी?" रसिक ने पूछा
"अरे में भूल ही गई मेरे काम में.. अंदर आ रसिक.. बैठ थोड़ी देर.. " शीला ने न्योता दिया
"नही भाभी.. अभी और बहोत घरों में दूध देने जाना है.. टाइम पर नही पहुंचता तो सब चिल्लाते है.. " रसिक ने कहा
शीला ने झुककर अपने गोरे गोरे मम्मों का जलवा दिखाकर रसिक को थोड़ी देर वहीं रुकने पर मजबूर कर दिया।
"भाभी अब में जाऊँ?" थोड़ी देर की चुप्पी के बाद रसिक ने कहा
"सुबह जल्दी निकला करो तुम.. तो यहाँ पर थोड़ी देर बैठकर आराम कर सकेगा" शीला ने कहा
"वो तो ठीक है भाभी... पर कहाँ सुबह सुबह आपकी नींद खराब करूँ!! आप भी पूरा दिन काम कर के थक जाती होगी"
शीला सोच रही थी... की मेरी थकान उतारने के लिए ही तो तेरी जरूरत है!! क्या हकीकत में ये रसिक इतना नादान है!! तभी रूखी को चोदता नही है..
शीला के मदमस्त बबले देखकर रसिक का लंड मेंडक की तरह कूदने लगा था जो शीला ने देख लिया। वह सोच रही थी की कल तो ये रसिक जल्दी आए या न आयें.. पर अभी चुत के अंदर जो आग लगी है, उसका में क्या करूँ? कैसे बुझाऊँ??
उसने कहा.. "रसिक, तू जल्दी आ जाया कर.. नींद का क्या है.. वो तो में दोपहर में पूरी कर लूँगी.. और वैसे भी मुझे रात को ठीक से नींद आती नही है"
"क्यों भाभी, भैया की बहुत याद आती है?"
"याद तो आती ही है..." कहते हुए शीला ने मदहोश होकर अंगड़ाई ली.. स्लीवलेस गाउन में से नजर आती उसकी गोरी काँखों को देखकर रसिक के लंड ने बगावत कर दी।
"भाभी, थोड़ा पानी मिलेगा? सुबह सुबह साइकिल चला कर गला सुख गया है"
शीला तुरंत किचन से पानी का ग्लास भरकर ले आई.. और रसिक को देते वक्त उसके हाथ को अच्छे से छु लिया.. रसिक भी शीला के हाथों को छूकर मस्तराम बन गया..
रसिक का लोडा उसके पतलून में तंबू बनाकर फुँकार रहा था.. पानी पीकर ग्लास लौटाते हुए उसने फिर से शीला के हाथ को जानबूझकर छु लिया।
शीला की चुत में सुरसुरी होने लगी थी। उसने बाहर दोनों तरफ देखा.. चारों तरफ घनघोर अंधेरा था.. उसने यह मौका हड़प लिया.. और रसिक का हाथ पकड़कर खींचते हुए घर के अंदर ले गई और उससे लिपट पड़ी।
"आहह रसिक.. ऐसे क्यों खड़ा है.. मुझे कुछ कर ना.. कब तक ऐसे अनाड़ी बना रहेगा? कुछ समझता ही नही है तू तो..!!"
रसिक भी आखिर मर्द था.. उसने शीला के न्योते का स्वीकार करते हुए उसे कमर से जकड़ लिया.. आगोश में भरकर दबा दिया.. दो जवान धड़कनें एक हो गई.. शीला के भूखे स्तन रसिक की छाती से दब कर चपटे हो गए.. उन कडक बबलों का गरम स्पर्श अपनी छाती पर महसूस होते ही, रसिक दूध बेचना भूल गया.. वह अपने हाथों से शीला के भूखी जिस्म की भूगोल का मुआयना करने लगा...
रसिक की पतलून के ऊपर से ही शीला ने उसका लंड पकड़ लिया और दबाते हुए बोली
"रसिक.. यह तो खूँटे जैसा मोटा बन चुका है.. इसे इस हालत मे लेकर कहाँ घूमेगा तू!!"
"ओह भाभी... आपको देखकर ही यह ऐसा मोटा बन गया है" रसिक ने कराहते हुए कहा
"फिर देर किस बात की है रसिक... टूट पड़ मुझ पर और रौंद दे मुझे, हाय... "
"भाभी, आपका ये जोबन...कितना जबरदस्त है"
शीला ने रसिक के पतलून में हाथ डाल दिया और उसके नंगे राक्षस जैसे लंड को पकड़ लिया। उसने रसिक के होंठ पर अपने होंठ रख दिए और मस्त कामुक तरीके से चूसने लगी। पतलून के अंदर लंड को आगे पीछे कर हिलाते हुए अपने स्तनों को रसिक की छाती पर रगड़ने लगी। रसिक भी शीला के नितंबों पर हट्ठ फेर रहा था।
शीला अब घुटनों के बल बैठ गई.. और पतलून की चैन खोलकर रसिक के लंड को बाहर निकाला। रसिक के विकराल लंड को देखकर शीला पानी पानी हो गई। सोच रही थी की ये लंड है या ओएनजीसी की पाइपलाइन!!!! इतना बड़ा... !!!! बबुल के तने जितना मोटा.. उसका सुपाड़ा एकदम लाल था.. टमाटर जैसा.. जैसे अभी शेर शिकार कर आया हो और उसका मुंह खून से लथपथ हो ऐसा डरावना लग रहा था.. पर शेर कितना भी खूंखार क्यों न हो.. शेरनी भला उससे थोड़े ही डरती है!!
शीला को अब डर के बदले रसिक के लंड पर बेशुमार प्यार आ रहा था.. उसने बड़े ही प्यार से उसके लंड को चूम लिया..
"आहहह भाभी" अपने लंड को थोड़ा सा धक्का देते हुए रसिक ने शीला के मुंह में डाल दिया.. लगभग ४ इंच जितना!! शीला रसिक का लंड चूसने लगी और उसके बोलबेरिंग जैसे अंडकोशों को अपने हाथ से सहलाने लगी। रसिक के लंड की सख्ती से शीला इतनी उत्तेजित हो गई की अपना मुंह फाड़कर जितना हो सकता था उतना लंड अंदर लेने लगी और आखिर लंड के मूल तक पूरा अंदर लेकर रही।
दो साल की प्यास को आज बुझाने के लिए शीला पूर्णतः तैयार थी। पति की गैरमौजूदगी में उसने बीपी में देखे हुए लंड चुसाई के सारे सीन का अनुभव काम पर लगा दिया था.. इसके परिणाम स्वरूप रसिक "आहह ओहह" करते हुए कराह रहा था। रसिक के लिए यह बिल्कुल ही नया अनुभव था। उसकी गंवार पत्नी रूखी ने कभी उसका लंड नही चूसा था। इस प्रथम अनुभव को रसिक और लंबा खींच नही सका.. सिर्फ दो ही मिनट में उसने शीला के मुंह में अपनी सारी मर्दानगी को उंडेल दिया।
शीला का पूरा मुंह रसिक के गरम लावारस जैसे वीर्य से भर गया। उसे यह जरा भी अंदाजा नही था की रसिक इतने जल्दी झड जाएगा। शीला की प्यास बुझती इससे पहले तो रसिक ठंडा हो गया!! रसिक ने तुरंत अपना लंड शीला के मुंह से निकाला और पेन्ट में रखकर चैन बंद कर दी और बोला
"आज तो मज़ा आ गया भाभी, कल और जल्दी आऊँगा.. आज देर हो गई है"
"रसिक, तेरा काम तो हो गया पर मेरा क्या? मेरी कश्ती तो किनारे पर आकर डूब गई!!" उदास शीला ने कहा "कुछ भी कर पर आज मुझे चोद कर ही जाने दूँगी.. भाड़ में गया तेरा दूध पर ऐसे मुझे तड़पती हुई छोड़कर मत जा" रोने जैसी शक्ल हो गई शीला की
रसिक दुविधा में आ गया.. अब क्या करें!!
"एक काम करता हूँ भाभी.. में दूध देकर सिर्फ १० मिनिट में आता हूँ, ठीक है ना!!" रसिक ने अपना कनस्तर उठाते हुए कहा
"मुझसे अब एक सेकंड भी बर्दाश्त नही होगा.. अभी के अभी चोद मुझे" कहते हुए शीला ने रसिक का हाथ खींचा और उसे बिस्तर तक ले गई और धक्का देकर लेटा दिया। तुरंत उसने अपना गाउन उतारा और नंगी हो गई... फिर रसिक पर भूखी शेरनी की तरह टूट पड़ी..
रसिक के शरीर के ऊपर सवार होकर उसने पागलों की तरह उसके शर्ट को नोच कर फाड़ दिया.. और उसकी खुली छाती पर यहाँ वहाँ चूमने लगी। उसने रसिक के दोनों हाथों को पकड़कर अपने स्तनों पर रख दिया और उससे मसलवाने लगी। रसिक के मुरझाए लंड पर अपनी गरम चुत को घिसने लगी। चुत का स्पर्श होते ही रसिक का लंड थोड़ी थोड़ी हरकत करने लगा पर पूरी तरह से टाइट नही हुआ। फिर भी शीला ने उस आधे मुरझाए लंड को अपने गरम सुराख पर रख दिया और पागलों की तरह कूदने लगी।
शीला का यह रौद्र स्वरूप देखकर रसिक के होश उड़ गए.. क्या करना उसे पता ही नही चल रहा था.. शीला के नंगे मम्मे उसकी उछलकूद से ऊपर नीचे हो रहे थे.. स्तनों की उछलकूद से अंदाजा लग रहा था की शीला कितनी रफ्तार से उसे चोद रही थी। को स्त्री इतनी उत्तेजित भी हो सकती है यह रसिक ने कभी सोचा नही था।
शीला के ताजमहल जैसे सुंदर नंगे जिस्म को देखकर रसिक भी उत्तेजित होने लगा.. उसका लंड सख्त हो गया.. शीला के भोसड़े में लंड की साइज़ बढ़ते ही.. उसे भी दोगुना मज़ा आने लगा और वह और उत्तेजित होकर कूदने लगी..
आखिर शीला की नाव किनारे पर पहुँच ही गई.. उसके भोसड़े से कामरस का झरना बहने लगा.. ऑर्गजम होते ही उसने रसिक के लंड को अजगर की तरह चारों तरफ से गिरफ्त में ले लिया... अपनी चुत की मांसपेशियों से उसने लंड को ऐसा दबोचा जैसे उसे फांसी देने जा रही हो।
शीला अब रसिक की बालों वाली छाती पर ढल गई.. रसिक का लँड़, शीला की चुत की गर्मी को और बर्दाश्त नही कर सका और सिर्फ १५ मिनिट के अंतराल में दूसरी बार झड़ गया..
शीला की माहवारी कब की रुक चुकी थी इसलिए गर्भ ठहरने का कोई प्रश्न ही नही था। दो साल से प्यासी उसकी चुत की धरती पर अमृततुल्य वीर्य की बूंदें पड़ते ही उसका रोम रोम पुलकित हो गया। रसिक के लंड से चुदकर वह धन्य हो गई।
सांसें नियंत्रित होते ही शीला ने चूमकर रसिक को कहा "क्या करती रसिक? मुझसे बर्दाश्त ही नही हो रहा था इसलिए... "
"वो तो ठीक है भाभी पर आपने मेरा शर्ट फाड़ दिया.. अब में कैसे दूध देने जाऊँ??" रसिक ने कहा
रसिक की फटी हुई कमीज देखकर शीला शर्म से लाल हो गई.. "रुको में तुम्हारे भैया को कोई शर्ट लाकर देती हूँ.. " अलमारी से तुरंत एक शर्ट निकालकर उसने रसिक को दीया।
"बहोत देर हो गई आज" कहते हुए रसिक ने शर्ट पहन लिया और भागा
uffff kya madmast chudai ka khel shuru hua hai.....लंड को चुत की और चुत को लंड की जरूरत तब से पड़ती आई है जब से मानवजात का इस पृथ्वी पर अवतरण हुआ.. शीला बस यही खयालों में थी की कब रात हो और जीवा का मूसल जैसा लंड देखने को मिले!!
शीला की पुत्ती में फिर से खाज होने लगी..
जैसे तैसे समय बिताते हुए शाम के ७:०० बज गए.. उसने फटाफट शाम का खाना निपटा लिया और बेडरूम में पानी का एक जग रख दिया। आने वाले मेहमान की खातिरदारी करने के लिए वह तैयार होने लगी... बाथरूम में जाकर उसने अपनी चुत के बाल रेज़र से साफ कर दिए और उसपर क्रीम लगाकर मक्खन जैसी कोमल बना दिया.. जीवा ने आज तक उस गंवार रूखी के झांटेदार भोसड़े को देखा है.. आज जब वो शीला की मुलायम रेशम जैसी चुत को देखेगा तो उसके होश उड़ जाएंगे...
जैसे जैसे समय बीतता गया.. शीला की धड़कनें तेज होने लगी.. शीला बेडरूम में गई और अपनी साड़ी और ब्लाउस को उतार फेंका.. मदन ने सिंगापोर से जो जाली वाली ब्रा भेजी थी... वह पहन ली.. उस ब्रा की छोटी सी कटोरियों में शीला के खरबूजे जैसे स्तन कैसे समाते भला!! जैसे तैसे दबा दबाकर उसने अपने स्तनों को ब्रा के अंदर ठूंस दिया.. जैसे रिक्शा वाले ३ के बदले ५ पेसेन्जर भरते है वैसे...
उस छोटी सी ब्रा से उसके स्तन उभर कर बाहर झांक रहे थे.. आहाहाहा क्या लग रही थी शीला!! इस मस्त महंगी वाली ब्रा से शीला का सौन्दर्य झलक रहा था.. आईने में खुद के सौन्दर्य को देखकर वह अपनी चुत खुजाने लगी.. और मन ही मन बोलने लगी
"जीवा, आज तो तू गया काम से.. आज तुझे रूखी को भुला न दिया तो मेरा नाम शीला नही.. आज की रात तुझे मरते दम तक याद रहेगी.. तुझे अगर तेरे खूँटे जैसे लंड पर गुमान है तो में भी तुझसे कम नही हूँ... आ जा रात को फिर देख इस शीला के जलवे..."
शीला ने अपने पति मदन का सफेद शर्ट निकाला.. बहोत टाइट था उसके लिए पर फिर भी पहन लिया... और नीचे मस्त काले रंग का बेलबॉटम पेन्ट पहनकर उलटी घूम गई और अपने आप को आईने में देखने लगी.. बाप रे बाप.. इस पेन्ट में उसके कूल्हे क्या कातिल नजर आ रहे थे!! वाह!! अपने कूल्हों को खुद ही थपकाकर फिर उसने मरून कलर की लिप्स्टिक से अपने होंठ पोत लिए.. "यह सारी लाली तेरे लंड पर चिपक जाने वाली है जीवा... जब में तेरा... अफ़ग़ानिस्तानी केले जैसे लंड को पूरा मुंह में लेकर चुसूँगी.. "
उसने कटोरी में थोड़ा सा तेल भी निकाल कर रख दिया.. कहीं गांड मरवाने का मौका मिल जाए तो... तैयारी पूरी होनी चाहिए.. जब आग लगे तब कुआं खोदने क्यों जाना!! अलमारी से उसने महंगी शराब की बोतल निकाली जो मदन ने अपने दोस्त के हाथों भिजवाई थी.. अभी जीवा आया नही था इसलिए उसने तुरंत किचन में जाकर थोड़े काजू फ्राई कर लिए.. और ५५५ सिगरेट का पैकेट भी सजाकर टेबल पर रख दिया।
आज के भव्य चुदाई प्रसंग को शीला चार चाँद लगा देना चाहती थी... आज रात को.. न कोई डर होगा.. और ना ही कोई शर्म.. सारी हिचकिचाहट को छोड़कर आज तो मन भरकर चुदवाना था बस्स.. !!!
घड़ी का कांटा ८ बजे का समय दिखा रहा था। जीवा तो १० बजे आने वाला था.. अब दो घंटे बैठे बैठे क्या करूँ?? चलो कोई मस्त बीपी की डीवीडी चला देती हूँ... मस्त मस्त.. नंगी चुदाई वाली इतनी सारी डीवीडी पड़ी हुई है.. वो तो में भूल ही गई..!! जीवा को भी दिखाऊँगी.. की चुत कैसे चाटते है!! साले ये बीपी वाले बड़ा मस्त चुत चाटते है.. काश किसी गोरे से पाला पड जाएँ.. तो मज़ा आ जाएँ चुदवाने का!!
शीला ने ८-१० डीवीडी निकाली.. और एक के बाद एक सब लगाकर देख ली.. उसमे से एक जबरदस्त वाली फिल्म को चुना.. हाँ, ये वाली बड़ी मस्त है.. यही दिखाऊँगी जीवा को.. चूतिया पागल हो जाएगा देखके..
जैसे साज-शृंगार में कमी रह गई हो, शीला वापस बेडरूम में गई और शर्ट के बटन खोलकर अपनी काँखों पर परफ्यूम छिड़क दिया.. और आईने में फिर से अपने आप को देखने लगी.. कुछ बाकी तो नही रह गया ना!!
घड़ी में अब दस बज चुके थे.. घड़ी के पेंडुलम को देखकर वह सोचने लगी की जीवा का लंड भी उसके पतलून में ऐसे ही झूलता होगा!! जीवा.. जीवा.. कब आएगा रे तू!! हमारे देश में किसी को समय की पड़ी ही नही है!! और किसी काम के लिए देर से पहुंचना तो फिर भी समझ में आता है.. पर चुत चोदने के मौके के लिए भी लोग समय पर नही पहुँच पाते!!
शीला की चुत अब व्याकुल हो चली थी। आखिर थककर उसने रूखी को फोन लगाया.. रूखी ने जीवा के बारे में पूछकर वापिस फोन करने के लिए कहा.. वह भी तनाव में आ गई.. क्योंकी सुबह ४ बजे के बाद उसे भी तो जीवा से चुदवाना था.. !!
थोड़ी देर में रूखी का फोन आया और उसने शीला को बताया की वह शीला के घर अकेले आने से डर रहा था.. जीवा ने रूखी से कहा था की आजकल ऐसी कई घटनाएं घटी थी जिसमे चोदने के बहाने बुलाते थे और फिर बलात्कार केस की धमकी देकर पैसे मांगते थे!! इसी कारण वह डर रहा था। उसने रूखी से कहा की अगर शीला को एतराज न हो तो वह अपने दोस्त रघु को लेकर आ सकता है.. वरना वो नही आएगा!!
बहनचोद, आखिरी मौके पर अब यह नई समस्या आ गई.. जीवा तुरंत जवाब मांग रहा था की क्या करें!! अगर शीला मना करे तो सारी तैयारियों की माँ चुद जाएगी.. रूखी ने फोन पर कहा "भाभी जल्दी जवाब दीजिए.. वो आपकी गली के नुक्कड़ पर इंतज़ार कर रहा है.. आप कहो तो वो रघु के साथ आए वरना वापिस लौट जाएगा"
शीला ने सोचा.. बाप रे.. दो दो लोडे.. !!! उसने रूखी को बोल दिया "तू हाँ कह दे जीवा को.. बोल उसे की आ जाएँ.. जो होगा देखा जाएगा"
रूखी ने कहा "आप दरवाजे पर खड़े रहना.. वह बाइक पर आएगा.. हरा शर्ट पहना है उसने.. जैसे ही वो आए.. उसकी बाइक अंदर कंपाउंड में रखवा देना ताकि किसीको शक न हो!!"
"हाँ भाई हाँ.. अब तू फोन रख.. और सुबह जब रसिक घर से निकले तब मुझे फोन करके बता देना.. ताकि में जीवा और रघु को तेरे घर भेज सकु"
फोन रखकर शीला तुरंत दरवाजे पर जाकर खड़ी हो गई.. २ मिनट के बाद एक बाइक आया.. शीला ने दौड़कर कंपाउंड का लोहे का दरवाजा खोल दिया.. बाइक अंदर आ गया.. चारों तरफ अंधेरा था.. और हल्की हल्की बारिश भी हो रही थी... इसलिए आजू बाजू के घरवाले सब घर बंद कर बैठे थे.. वह दोनों तुरंत घर के अंदर घुस गए और शीला ने भी अंदर आकर दरवाजा लॉक कर दिया..
शीला तुरंत किचन से दो ग्लास पानी लेकर आई.. ग्लास देखते वक्त वह इन दोनों को देख रही थी "इन दोनों में से जीवा कौन और रघु कौन? पतलून उतरे तो लंड का नाप देखकर ही पता चलेगा.. "
ग्लास से पानी पीते पीते दोनों शीला के गदराए जिस्म को घूर रहे थे। शीला को ग्लास वापिस देते वक्त जीवा ने उसे कलाई से पकड़ लिया और अपनी ओर खींच लिया.. शीला अपना संतुलन गँवाकर जीवा की गोद में आ गिरी..
शीला का जबरदस्त गदराया जिस्म.. जीवा उसे आग़ोश में भरकर चूमने लगा..
"अरे रघु.. बहनचोद कातिल माल है ये.. जबरदस्त सेक्सी है ये तो!!"
:हाँ जीवा.. ऐसे तो सीधे सीधे चोदने में मज़ा नही आएगा.. लेकर चलते है इस छिनाल को खेत पर कुएं के पास.. वही पर दारू पीकर इसे खुले में चोदेंगे.. इतने छोटे से कमरे में क्या ही मज़ा आएगा!!" रघु ने कहा
इनकी बातें सुनकर शीला घबरा गई.. उसने कहा
"दारू तो यहाँ तैयार है.. और वो भी इंग्लिश.. मैं तुम लोगों के साथ किसी खेत-वेत में नही आने वाली.. जो भी करना है वो यहाँ मेरे घर पर ही होगा.. मैं बाहर नही आने वाली"
इस दौरान जीवा ने शीला के शर्ट के ऊपर से ही उसके बड़े बड़े स्तनों को मसलना शुरू कर दिया था.. रघु भी नजदीक आ गया और वह शीला की जांघों को सहलाने लगा.. उफ्फ़.. एक साथ दो मर्दों का स्पर्श होते ही शीला को जैसे करंट सा लग गया.. सिसकियाँ भरते हुए शीला ने आँखें बंद कर ली
जीवा का लंड शीला के नितंबों तले दबा हुआ था.. रघु शीला की जांघों को सहलाते हुए उसकी चुत तक पहुँच गया.. दूसरी तरफ जीवा ने शीला के शर्ट के ऊपरी दो बटन खोल दिए और अंदर हाथ डालकर उसकी मम्मों को मसल के रख दिया।
"आहहह.. जरा धीरे से.. तोड़ दोगे क्या!!" शीला अपने दोनों हाथों को पीछे की ओर ले गई और जीवा की गर्दन और बालों को सहलाने लगी।
जीवा ने शीला की जालीदार ब्रा में से उसके दोनों स्तनों को बाहर खींच निकाला.. और उसकी निप्पलों को मरोड़ते हुए शीला के गाल पर हल्के से काट लिया..
"कमीने.. मुझे खा जाएगा क्या तू!!" कहते हुए शीला खड़ी हो गई.. "रुको एक मिनट" कहते हुए उसने डीवीडी प्लेयर को रिमोट से चालू कर दिया "मस्त ब्लू फिल्म है.. देखोगे तो मन खुश हो जाएगा" कहते हुए वह जीवा के पास आकर लेट गई..
रघु ने पास पड़ी शराब की बोतल का ढक्कन खोला और शीला के जिस्म पर शराब गिराने लगा.. पूरा कमरा शराब की गंध से भर गया.. शीला का शर्ट शराब से भीग गया था जिसे यह दोनों चाटने लगे.. उसके स्तनों को चाटकर शीला की चुत और जांघों पर हाथ फेरते हुए रघु ने शीला का हाथ अपने लंड पर रख दिया.. पेन्ट के ऊपर से ही रघु के गन्ने जैसे लंड को सहलाने लगी शीला.. टीवी के स्क्रीन पर "ओ यस.. ओह येह.. फक मी" जैसी आवाजों के साथ फिरंगी रंडियाँ चुदाई में व्यस्त थी.. उन आवाजों से पूरा कमरा गूंज रहा था..
दो साल से खाली पड़े शीला के घर में आज काम-उत्सव शुरू हो गया था.. एक ही झटके में खींचकर जीवा ने शीला के शर्ट के बाकी के बटनों को तोड़ दिया और उसकी विदेशी ब्रा भी फाड़ दी.. शराब से लथपथ शर्ट और ब्रा को कोने में फेंक कर रघु और जीवा, शीला पर टूट पड़े।
भादों के महीने में गरम कुत्तिया पर जब एक कुत्ता चढ़ा हुआ हो और दो-तीन और कुत्ते ऊपर चढ़ने के बेकार कोशिश कर रहे हो.. वैसा द्रश्य था।
दोनों ने आपस में शीला का एक एक स्तन बाँट लिया.. और उसे चूसने लगे.. उसकी गुलाबी निप्पलों पर दो दो जीभ एक साथ चल जाने पर शीला सिसकने लगी.. उसके एक हाथ से वह अपने बेलबॉटम पेन्ट के ऊपर से अपनी चुत खुजा रही थी और दूसरे हाथ से रघु के लंड को पतलून के ऊपर से सहला रही थी.. खेल खेल में उसने रघु के पेन्ट की चैन खोल दी.. शीला का जिस्म अब हवस की आग से झुलस रहा था।
अब शीला का पेन्ट भी उतर चुका था.. और पेन्टी तो कहाँ फट कर गिर गई उसका पता ही नही चला.. उसके भोसड़े पर जीवा का हाथ छूते ही शीला की भोस से कामरस टपकने लगा.. रघु ने थोड़ी सी शराब शीला की चुत पर गिराई और बोतल का मुंह शीला की चुत में डाल दिया..
"बहुत महंगी दारू है.. क्यों बर्बाद कर रहे हो? उससे अच्छा तो इसे आराम से पी लो तुम दोनों" शीला ने कहा
"पहले तुझे ठीक से गीली कर लेते है.. फिर पियेंगे" जीवा ने और थोड़ा दबाव बनाकर शीला की चुत में बोतल घुसाई
"ऊई माँ.. मुझे जल रहा है.. निकालो बाहर इसे.. मर गई मैं.. आहह.. मुझे पेशाब लगी है.. में बाथरूम में होकर आती हूँ "
टीवी की ओर इशारा करते हुए रघु बोला "वो देख.. कैसे चूस रही है.. ले तू भी इसी तरह मेरा लंड चूस"
"तुम पेन्ट से लोडा बाहर निकालोगे तभी तो चुसूँगी ना... " शीला ने अपनी समस्या बताई "और टीवी में जो भी देखोगे.. वो सब कुछ हम थोड़ी ही करेंगे?"
"और क्या!! आज तो जैसा हम कहेंगे वैसा तुम्हें करना पड़ेगा... ले अब.. मेरे लोडे को सिगार समझकर मुंह में ले ले.. " चैन खुलते ही रॉयल एनफील्ड के जम्पर जैसा सख्त लंबा लंड स्प्रिंग की तरह उछलकर बाहर निकला..
"ईशशश... " रघु का बरकती लंड देखकर शीला पागल सी हो गई.. उसने झुककर रघु के लंड को चूम लिया.. रघु अब पगलाये सांड जैसा हो गया था.. शीला ने उसके टट्टे कसकर पकड़े और बच बच आवाज के साथ चूसना चालू कर दिया..
जीवा ने भी शीला के भोंसड़े में आधी बोतल घुसा दी.. और फिर अपना पतलून और कच्छा उतार फेंका.. शीला के गूँदाज स्तनों को मसलते हुए अपना मुंह शीला के मुंह के करीब ले गया और फिर बोला "अब मूत बोतल के अंदर मादरचोद.. जितना दारू कम हुआ है.. उतना फिर से भर दे.."
बिस्तर तो पहले से ही शराब गिरने से गीला था.. जीवा ने शीला के होंठों पर अपने होंठ रख दिया और जबरदस्त उत्तेजित होकर चूसने लगा.. शीला भी इस चुंबन का प्रति-उत्तर देते हुए... जीवा के होंठ चूसने लगी.. शीला को चूमते हुए जीवा अब भी उसके भोसड़े में शराब की बोतल अंदर बाहर किए जा रहा था.. शीला भी उत्तेजित होकर अपनी गांड को गोलाकार में घुमाते हुए बोतल से चुदने का मज़ा ले रही थी...
"आहहह.. ऊँहह.. हाय जीवा... अब रहा नही जाता... घुसेड़ दे बोतल पूरी की पूरी अंदर...फाड़ दो इसे" शीला बेकाबू होकर बकवास किए जा रही थी।
Uffffff Sheela ki aisi ghamasa chudai padh kar kya hi kahu...बिस्तर तो पहले से ही शराब गिरने से गीला था.. जीवा ने शीला के होंठों पर अपने होंठ रख दिए और जबरदस्त उत्तेजित होकर चूसने लगा.. शीला भी इस चुंबन का प्रति-उत्तर देते हुए... जीवा के होंठ चूसने लगी.. शीला को चूमते हुए जीवा अब भी उसके भोसड़े में शराब की बोतल अंदर बाहर किए जा रहा था.. शीला भी उत्तेजित होकर अपनी गांड को गोलाकार में घुमाते हुए बोतल से चुदने का मज़ा ले रही थी...
"आहहह.. ऊँहह.. हाय जीवा... अब रहा नही जाता... घुसेड़ दे बोतल पूरी की पूरी अंदर...फाड़ दो इसे" शीला बेकाबू होकर बकवास किए जा रही थी।
बोतल से चुदवाते हुए शीला रघु का लोडा पूरी हवस के साथ चूसने लगी... अब वह अपने आप पर आपा खो रही थी..
"जल्दी मूत बोतल के अंदर बहनचोद.. तेरी माँ को चोदू" जीवा ने हिंसक होकर शीला के स्तनों पर थूक दिया और बड़ी ही आक्रामकता से उसका गला दबा दिया... शीला की आँखें फट गई.. एक पल के लिए उसे लगा जैसे उसकी जान ही निकल जाएगी.. दूसरी तरफ रघु अपनी ओलिम्पिक की मशाल जैसा साढ़े दस इंच लंबा लंड, शीला के मुंह के अंदर तेजी से अंदर बाहर करते हुए चुसवा रहा था और साथ ही साथ उसकी निप्पलों को अपने नाखून से कुरेद भी रहा था
शीला से अपने मूत्राशय का दबाव और बर्दाश्त न हुआ.. वह अपनी चुत में घुसी बोतल में मूतने लगी.. ५५ साल की शीला की भोस से मूत ऐसे निकल रहा था जैसे ४ हॉर्सपावर के सबमर्सीबल पंप से पानी निकल रहा हो... भख भख मूत निकलने लगा और कुछ ही पल में बोतल भर गई..
"अब बस भी कर मादरजात... इतना सारा मूत!! यार रघु.. इसका भोसड़ा है या ९ इंच का बोर..!! कितना मूत रही है ये तो!! " पर शीला अपना मूत रोक ही नही पाई
जीवा का लंड अभी भी पतलून में ही था और शीला ने देखा नही था.. उसे रघु के लंड से फुरसत मिले तो जीवा का लंड देखें!! शराब की बोतल शीला की चुत से निकालकर जीवा ने कमरे में चारों ओर उस मूत्र-मदिरा के मिक्स्चर को छिड़क दिया.. अब जिस तरह की गंध कमरे से आ रही थी उसने इन तीनों की कामवासना को भड़का दिया.. आहहह... चुत से बोतल निकल जाने पर शीला को राहत मिली
पर यह कमीना रघु.. शीला के मुंह से लंड बाहर निकालने ही नही दे रहा था.. जीवा शीला की चुत पर उंगली फेरकर उसकी गांड के छेद तक ले गया और फिर गुर्राया "चल बे कुत्तिया... उलटी लेट जा.. तुझे तो आज मैं पीछे से ठोंकूँगा.. ओ रघु.. तू जा और अपनी वाली देसी दारू लेकर आ.. यह मूत जैसा दारू तो अंग्रेजों के लिये है.. अपुन को तो चाहिए असली देसी माल.."
शीला दो घड़ी जीवा को देखकर सोच रही थी "साले ये बंदर क्या जाने अदरख का स्वाद!! माँ चुदाये ये दोनों.. मुझे क्या!! मुझे तो इनके लंड मिल गए बस... भला हो रूखी का.. की वो मेरे घर आई.. और यह दो लंड मिल गए.. वरना मूठ मार मारकर मेरी तो चुत ही छील जाती.. "
रघु तुरंत बाइक की डिकी से ५-६ प्लास्टिक की थैली में भरी देसी दारू लेकर आ गया.. और दोनों एक के बाद एक ३-४ थैलियाँ पी गए!!
"अब मज़ा आएगा जीवा.. " दारू लगा हुआ मुंह पोंछते हुए रघु ने कहा
"हाँ यार रघु... असली मज़ा तो देसी पीने में ही आता है" कहते हुए जीवा खड़ा हो गया और अपनी पतलून उतार दी..
अरी मोरी अम्मा...!! जीवा का लंड देखकर शीला के पसीने छूट गए.. क्रिकेट के स्टम्प जैसा जीवा का लंड देखकर वह सोच रही थी की रूखी ऐसे लंड से चुदवाकर गदरा गई थी... ऐसे लंड से चुदवाने की आदत लगने के बाद अगर चुदाई बंद हो जाए तो औरत पराए लंड ढूँढे वह लाजमी ही था..
"शीला, चल उलटी होकर कुत्तिया बन जा.." शीला के मस्त मखमली चूतड़ों पर थप्पड़ मारते हुए जीवा ने कहा
रघु ने ५०१ पताका बीड़ी सुलगाई.. और दम मारते हुए अपना लोडा शीला के हाथ में थमा दिया.. शीला को ऐसा लगा मानो लोहे का गरम सरिया हाथ में पकड़ लिया हो
"बाप रे.. इतना बड़ा मेरी चुत में कैसे जाएगा!!"
"सिर्फ चुत में ही नही.. गांड में भी जाएगा मेरी रानी.. एकाध देसी दारू की थैली पी ले.. तो ताकत आ जाएगी मरवाने की.. नहीं तो गांड फट जाएगी हमारा लेते लेते.. समझी!!"
"मैं शराब नही पीती.. " शीला ने कहा
"बहनचोद... ज़बान लड़ाती है.. आज तो जो हम कहेंगे वही तुझे करना पड़ेगा, समझी कुत्तिया.. " कहते हुए रघु ने शीला के गालों पर सटाक से एक तमाचा धर दिया.. रघु ने तुरंत देसी दारू की थैली खोली और जबरन शीला के मुंह को पकड़कर उसे पीला दिया...
आक थू.. इतना गंदा स्वाद.. !! शीला ने जीवन में पहली बार शराब चखी.. और वो भी देसी.. पूरा मुंह कड़वा हो गया... उसे उलटी आने लगी..
"वाह शीला वाह... ले अब इस बीड़ी के दो दम लगा.. " हँसते हुए रघु ने शीला को जबरदस्ती बीड़ी का दम खींचने पर मजबूर किया
खाँसती हुई शीला इस सदमे से उभरती उससे पहले जीवा ने शीला को धक्का देकर उल्टा सुला दिया और उसके कूल्हों को पकड़कर ऊंचा कर दिया.. शीला थरथर कांप रही थी.. अपने पूरे जीवन में उसने इतने लंबे और तगड़े लंड की कल्पना नही की थी.. कभी कभार बीपी फिल्मों में कल्लुओ के विकराल लंड से गोरी राँडों को ठुकवाते देखा जरूर था.. तब वह सोचती की कैसा लगता होगा ऐसे मूसल लंड से चुदवाकर!! और अब जब वैसे ही विकराल लंड उसे चोदने की तैयारी में थे तब उसकी गांड फट गई!!
शीला की कमर को कसकर पकड़कर जीवा ने अपना अजगर जैसा लंड शीला की चुत के सुराख पर रखा..
"ऊई माँ.. " शीला की क्लिटोरिस को जैसे अंगारे ने छु लिया.. उसके चूतड़ थरथराने लगे.. चुत में गजब की चूल मचनी शुरू हो गई.. जीवा उसे तड़पा रहा था.. शीला इंतज़ार में थी की कब एक दमदार धक्का लगे और उसकी चुत चौड़ी हो जाएँ!! पर जीवा भी जैसे शीला को अपने लंड की अहमियत समझाना चाहता हो वैसे शीला की पुत्ती और जामुन पर अपना देसी सुपाड़ा रगड़े जा रहा था.. उसके लोडे का यह घर्षण शीला की चुत को ओर दीवाना और गीला बना रहा था। शीला अब बेकाबू सी होने लगी थी
"जीवा... आहहह.. ऐसे तड़पा मत मुझे.. जल्दी डाल दे अंदर.. जीवा!!" जीवा ने अपनी जलती हुई बीड़ी शीला के चूतड़ पर लगा दी और जोर जोर से हंसने लगा.. शीला की आँख में आँसू आ गए.. पर भोसड़े की भूख इतनी तीव्र थी की बीड़ी की जलन को अनदेखा कर उसने अपनी गांड को और ऊपर कर लिया
"प्लीज.. जल्दी डाल.. क्यों तड़पा रहा है मुझे.. मुझसे नही रहा जाता.. जीवा कब तक अपने लंड को यूँ ही घिसता रहेगा!! मेरी चुत में हाहाकार मचा हुआ है... जल्दी कर भड़वे.. " झुमर की तरह लटक रही अपनी चूचियों को शीला खुद ही मसलते हुए दर्द भरी विनती की.. और अपनी उंगलियों से अपना भगोष्ठ रगड़ने लगी..
"आह्हहह... " चिल्लाते हुए जीवा ने एक जबरदस्त धक्का लगाया.. उस धक्के से शीला एक फुट जितनी आगे चली गई.. ये तो अच्छा हुआ की जीवा ने उसे कमर से पकड़कर रखा था.. वरना वो बिस्तर से नीचे गिर जाती.. एक धक्के में जीवा ने अपना पूरा लंड शीला के भोसड़े में दे मारा..!!
शीला की आँखों के सामने अंधेरा छा गया.। "ऊई माँ... जीवा मादरचोद... जरा धीरे से.. दीवार में कील ठोक रहा है क्या? ऐसे भला कौन डालता है!!"
"ऐसे ही मज़ा आता है... शीलू मेरी जान.. अब देख.. मैं तुझे कैसे कैसे चोदता हूँ... " कहते हुए जीवा ने अपने डीजल इंजन का पिस्टन चलाना शुरू किया। हरएक धक्के पर शीला का शरीर उत्तेजना से उछलने लगा.. "आहहह आहहह जीवा.. चोद मुझे.. बहोत भूखी हूँ.. ओह जीवा.. जबरदस्त है लंड तेरा... रूखी सच कहती थी.. बड़ा दमदार है तेरा लोडा.. भोसडा फाड़ दिया आज तो... तेरे बाप ने कीस चक्की का आटा खाकर तुझे पैदा किया था..!! हरामी साले!! क्या मस्त ठुकाई करता है रे तू!! माँ चुदाने गया मदन.. आज से तू ही मेरा पति है.. कुत्तिया बनाकर पूरी रात चोद मुझे.. आहहह आहहह आहहह...डाल जोर से... और जोर से घुसा.. " कमर को कसकर पकड़कर जीवा शीला के ईवीएम में धड़ाधड़ मतदान करने लगा.. शीला भी अनुभवी रांड की तरह अपनी हवस मिटाने के लिए इस बोगस मतदान में सहयोग देने लगी..
उनके सामने रघु शराब पीते हुए तले हुए काजू खा रहा था.. और ५५५ सिगरेट के कश लगा रहा था.. उसका लंड, मस्त कलंदर की तरह सख्त खड़ा हुआ था.. जिसे मुठ्ठी में पकड़कर संतुलित रख रहा था वोह..
शीला की चुत उस दौरान कई बार झड़ गई.. मदमस्त हथनी की तरह जीवा और रघु के बीच सेन्डविच बनकर मजे लेने लगी।
घड़ी में रात के २ बज चुके थे.. और अभी तो रसिक का आना बाकी था.. उसे आना में अभी दो घंटे थे.. इसलिए शीला निश्चिंत थी..
लगातार मूसल चुदाई के कारण शीला को पेट में थोड़ा दर्द होने लगा.. इन मर्दों को ये डॉगी स्टाइल क्यों इतनी पसंद है? पूरा लंड बच्चेदानी तक जाके टकरा रहा है.. लंड का सुपाड़ा ऐसे टकरा रहा है जैसे आरसीसी से बनी छत तोड़ रहा हो..
रघु खड़ा होकर शीला के पास आया.. और उसके मुंह के आगे अपना लंड धर दिया.. क्या मदमस्त काले नाग जैसा लंड था रघु का!! अद्भुत.. !! शीला की आँखों से बस ६ इंच की दूरी पर.. ठुमकते हुए ऊपर नीचे हो रहा था। शीला उस लंड को देखकर जैसे खो ही गई.. सोच रही थी.. क्या रघु का लंड मदन से बड़ा है?? नही.. लगभग उतना ही है.. क्या पता... मदन के लंड को देखे हुए दो साल हो गए थे.. कमीने के लंड की साइज़ भी भूल गई।
झूलते मिनारे जैसे रघु के लंड को देखकर वह रघु की हिंसक ठुकाई का दर्द भूल गई.. और धीरे से रघु के टमाटर जीतने बड़े सुपाड़े को चूम लिया.. रघु के लंड ने भी ठुमका लगाकर शीला के चुंबन का अभिवादन किया.. जिस तरह कुल्फी को देखकर छोटा बच्चा लार टपकाता है बिल्कुल वैसे ही रघु के लंड की नोक पर वीर्य की एक बूंद उभर आई..
रघु अपना लंड शीला के मुंह के ओर करीब ले गया.. और शीला के होंठों पर.. उस वीर्य की बूंद को पोंछ दिया.. कुत्ति बनकर जीवा के हथोड़ाछाप लंड से चुदती हुई शीला अब रघु के लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी। जिस तरह उसने बीपी फिल्मों में देखा था उस तरह हर नए तरीके से उसने रघु के लंड को चूसते हुए... उसके पानी-पूरी की पूरी जैसे अंडकोशों के साथ खेलने लगी।
"आहाहाहा.. जीवा देख तो जरा.. क्या मस्त चूस रही है ये तो.. साली पूरा का पूरा निगल गई.. आहहह" रघु ने जीवा से कहा
शीला अपने मुंह और चुत दोनों को एक साथ बड़ी ही मस्ती से चुदवा रही थी। दो दो मस्ताने मर्द शीला को काबू में करने के लिए जैसे असमर्थ से दिख रहे थे.. उनके विकराल लंड को अब वह इतनी आसानी से झेल रही थी जैसे मलिंगा के यॉर्कर को सचिन एक झटके में बाउंड्री के पार फेंक देता है..
जीवा भी शीला की अदाओं से बेहद उत्तेजित हो रहा था.. इस गंवार अनपढ़ ने आजतक शहर की फैशनेबल स्त्री को चोदने के बारे में सपने में भी नही सोचा था.. रूखी को चोदते चोदते उसे शीला मिल गई थी.. अंधा मांगे एक आँख और मिल जाए दो..!! रघु ने तो बीवी की मौत के बाद चुदाई के सपने देखना तक छोड़ दिया था.. पर अब शीला ने उसका लंड चूसचूस कर उसे अपना गुलाम बना दिया था।
इस दुनिया में अगर किसी भी मर्द को गुलाम बनाना हो तो रोज उसका लंड अच्छे से चूसना चाहिए.. और अगर स्त्री को पूरा जीवन अपनी गिरफ्त में रखना हो तो उसकी चुत को रोज चाटकर उसे मस्त करना चाहिए
अधिकतर शादीशुदा जोड़े मुख-मैथुन से दूर रहते है.. मर्द कभी चुत नही चाटता.. ऐसी बेतुकी बातें करते है.. पर हकीकत तो यह है की रात के १० बजे के बाद यही सारे शूरवीर, अपनी बीवी के घाघरे में घुस जाते है और उसकी चुत चाटते है.. बीवी की चुत की गर्मी के आगे, अच्छे अच्छे मर्द ठंडे पड़ जाते है!!
अब जीवा ने शीला की चुत से लंड बाहर निकाला.. और उसके नितंबों को अपने लंड से ठोककर झटकाया.. अचानक चुत में से लंड निकल जाने से शीला बावरी हो गई.. और उसकी भूखी चुत के होंठ खुलना-बंद होना शुरू हो गए.. साथ ही साथ वह अपने कूल्हे भी थीरकाने लगी...
जीवा ने शीला के गोरे गोरे चूतड़ों को दोनों हाथों से चौड़ा किया.. जैसे किसी किले के मजबूत द्वार को खोल रहा हो.. मन ही मन खुश हो गया जीवा.. शीला की गांड के बादामी रंग के छेद को देखकर जीवा के अंदर का जानवर बाहर आने लगा.. उस टाइट छेद में अपनी छोटी उंगली डालकर उसने शीला को बेबस बना दिया.. एक तो चुत से लंड बाहर निकल गया था.. ऊपर से ये जीवा गांड के छेद पर नाखून मार रहा था..
शीला ने रघु का लंड अपने मुंह से निकाला और बोली
"जीवा.. इतनी ही देर में झड़ गया क्या तू?? भड़वे.. लंड क्यों निकाल लिया बाहर.. डाल दे अंदर.. घुसेड़ फिर से.. आहहह!!"
जीवा ने शीला की गांड में अपनी आधी उंगली घुसेड़ दी और उसके गोरे चूतड़ पर जोर से चपत लगाई... स..टा..कक!!
"चुप बे भोंसड़ीवाली.. " जीवा चिल्लाया
"ऊईईई माँ... मर गई.. साले जीवा, तुझे जो चाहिए वो करने तो दे रही हूँ तुझे.. मार क्यों रहा है साले भड़वे?" चपत के दर्द से शीला भी तप गई
जीवा ने जवाब नही दिया। शीला की गांड के छेद को उंगली से चौड़ा करते हुए उसने अपने मुंह से थूक निकाला और छेद पर लगा दिया। गरम थूक का अनुभव गांड पर होते ही शीला सहम गई.. उसने फिरसे रघु का लंड मुंह से निकाला और हाथों से हिलाते हुए बोली
"देख जीवा.. और जो भी करना है कर... पर गांड के साथ मस्ती नही। तेरा बहोत ही मोटा है... तू समझ यार.. नही जाएगा अंदर.. तू मेरे छेद की साइज़ तो देख!! और अपने गधे जैसे लंड को देख... " शीला ने घबराते हुए कहा
शीला की विनती को अनसुना कर जीवा ने अपने सुपाड़े को गांड के छेद पर टेक दिया.. और धीरे से दबाया.. उसका मोटा सुपाड़ा शीला की गांड के अंदर घुस गया... और शीला को तारे नजर आने लगे...
"जीवा प्लीज... ऐसा मत कर.. इतना बड़ा लंड किसी भी सूरत में अंदर नही जाएगा.. रघु.. तू जीवा को समझा जरा.. मेरी गांड फट जाएगी.. खुजली चुत में हो रही है तो वहाँ घुसा ना... !! गांड पर क्यों जुल्म कर रहा है!! तू समज जरा.. जियो के सिमकार्ड पर एयरटेल का रिचार्ज मत कर... ऊईईई माँ...मर गई !!!" बिलखते हुए शीला ने कहा
जीवा ने एक झटके में उसका ६ इंच जितना लंड गांड के छेद में घुसेड़ दिया.. शीला के मुंह से चीख निकल गई... उसकी चीख सुनकर रघु डर गया.. कहीं अगल बगल में किसी पड़ोसी ने शीला की चीख सुन ली तो!! उसने तुरंत अपना महाकाय लंड शीला के खुले मुंह में डालकर उसके मुंह का ढक्कन बंद कर दिया..
शीला की आवाज बंद होते ही जीवा ने दूसरा दमदार धक्का लगाया.. और शीला की गांड में अपना पूरा लोडा कील की तरह ठोक दिया..
"अममम... अघहगहह.. उम्ममम.. " शीला के लंड ठूँसे मुंह से ऐसी विचित्र आवाज़ें निकल रही थी। जीवा ने शीला की गांड में लगातार फटके लगाने शुरू कर दिए.. एक तरफ रघु का लंड मुंह में.. और जीवा का लंड गांड में.. दोनों ने शीला को दो हिस्सों में बाँट लिया था और अंधाधुन चोद रहे थे..
शीला के भोसड़े में जबरदस्त खुली हो रही थी.. जीवा ने शीला की गांड में अंदर बाहर करते हुए.. उसके लटकते हुए खरबूजों जैसे स्तनों को पकड़ लिया.. और उसकी निप्पलों को मसलते हुए... धक्कों की गति बढ़ा दी.. हर धक्के के साथ जीवा के आँड शीला की चुत को जाकर टकराने लगे.. और इसी कारण शीला को थोड़ा बहुत आनंद मिल रहा था..
जीवा की मर्दानगी पर शीला फिदा हो गई.. उसकी गाँड़ अचानक जीवा के गरमागरम वीर्य से भर गई.. और गांड के छेद से छलक कर वीर्य की धाराए, चुत के होंठों के बीच से गुजरते हुए नीचे बिस्तर पर नीचे टपकने लगी.. जीवा थककर शीला की पीठ के ऊपर ढह गया.. और हांफने लगा.. पर रघु अब भी शीला के मुंह से लंड निकालने को तैयार न था.. अब शीला ने अपना सारा ध्यान रघु के लंड को चूसने पर केंद्रित किया..
जैसे ही शीला ने अपनी जीभ का जादू शुरू किया, रघु के लंड ने भी अपना त्यागपत्र दे दिया.. शीला के मुंह से लेकर कंठ तक वीर्य का सैलाब सा फैला हुआ था.. रघु ने लंड बाहर निकाला और वही फर्श पर बैठ गया.. जीवा ने शीला की गांड से लंड बाहर निकाल लिया.. दो दो योद्धाओं को पराजित कर विजयी मुस्कान के साथ शीला नंगे बदन बिस्तर पर लेटी रही.. और अपना हाथ पीछे ले जाकर गांड के छेद को हुए नुकसान का जायजा लेने लगी..
घड़ी में तीन बज रहे थे.. थकान के उतरते ही वह तीनों फिर से एक दूसरे को छेड़ने लगे.. शीला सिगरेट के कश लगाते हुए धुएं को जीवा और रघु के मुंह पर छोड़ रही थी... सिगरेट की राख को जीवा के लंड पर गिराते हुए उसने कहा "मुझे अब मेरी चुत और गांड में एक साथ लंड डलवाना है.. चलो आ जाओ दोनों.. और लग जाओ काम पर.. अब ज्यादा समय नही है हमारे पास.. जल्दी करो"
पड़ोस में रहती अनु मौसी... रात के इस समय.. शीला के घर की दीवार पर कान रखकर.. सारी बातें सुन रही थी..
waah ek aur twist ..... ab to Kavita ne bhi chudai dekh li Sheela ki..... kya baat hai..घड़ी में तीन बज रहे थे.. थकान के उतरते ही वह तीनों फिर से एक दूसरे को छेड़ने लगे.. शीला सिगरेट के कश लगाते हुए धुएं को जीवा और रघु के मुंह पर छोड़ रही थी... सिगरेट की राख को जीवा के लंड पर गिराते हुए उसने कहा "मुझे अब मेरी चुत और गांड में एक साथ लंड डलवाना है.. चलो आ जाओ दोनों.. और लग जाओ काम पर.. अब ज्यादा समय नही है हमारे पास.. जल्दी करो"
पड़ोस में रहती अनु मौसी... रात के इस समय.. शीला के घर की दीवार पर कान रखकर.. सारी बातें सुन रही थी..
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शीला के गले से हल्की सी चीख निकल गई.. "आह्हहहह... !!" पर रघु ने जरा सा भी दयाभाव नही दिखाया.. और एक जोरदार धक्के के साथ अपना पूरा लंड शीला की गांड में घुसा दिया.. शीला की सेन्डविच बन गई.. और वह तीनों बड़ी ही मस्ती से चोदने लगे.. शीला के मुंह से सिसकियाँ निकल रही थी... और अपने दोनों सुराखों में चुदवाते वक्त उसका सारा ध्यान घड़ी के काँटों पर ही था..
दो दो विकराल लंड के भीषण धक्के खा खा कर शीला की गांड और भोस दोनों ही थक चुके थे.. शीला पसीने से तरबतर हो गई थी.. फिर भी उछल उछल कर चुदवा रही थी.. उसकी उछलने की गति बढ़ने के साथ ही जीवा समझ गया की शीला झड़ने की कगार पर थी.. इसलिए.. जिस तरह धोनी ने २०११ की वर्ल्डकप फाइनल की मेच में सिक्सर लगाई थी... वैसे ही जीवा ने अपने लंड से एक जोरदार शॉट लगाया..
शीला को कमर से कसकर पकड़कर जीवा ने अपने ताकतवर हाथों से शीला को हवा में उठा लिया.. लगभग एक फुट ऊपर.. और वैसे ही उसे हवा में पकड़े रख.. नीचे से जबरदस्त धक्का लगाया शीला की भोसड़े में.. "ओह.. ह.. ह.. ह.. ले मेरी शीला रानी.. आहहहहहह..!!" कहते हुए जीवा ने पिचकारी मार दी.. शीला की चुत में गरम गरम वीर्य गिरते ही वह ठंडी होने लगी.. शीला ने अपनी गांड की मांसपेशियों को बेहद कस लिया और उसी के साथ रघु का लंड भी उसकी गांड के अंदर बर्बाद होते हुए झड़ गया...
तीनों ऐसे हांफ रहे थे जैसे मेरेथॉन दौड़कर आयें हों.. शीला की गांड और चुत दोनों में से वीर्य टपक रहा था.. गांड में अभी भी दर्द हो रहा था फिर भी शीला बहुत खुश थी.. आखिरकार उसका दो मर्दों से चुदने का सपना सच हो गया था..
चार बजने में सिर्फ पाँच मिनट की देरी थी.. और तभी शीला के घर की डोरबेल बजी..
"इसकी माँ का.. रसिक ही होगा, जीवा.. अब क्या करेंगे?" शीला डर गई.. पूरे घर की हालत उसके भोसड़े जैसी ही थी.. सब तहस नहस हो रखा था... अब क्या होगा?
शीला ने तुरंत रघु और जीवा को कहा " तुम दोनों किचन में छुप जाओ.. में रसिक को लेकर बेडरूम में जाऊँगी तब तुम लोग धीरे से निकल जाना.. और हाँ.. बाइक को बिना चालू किए थोड़े दूर ले जाना.. और फिर स्टार्ट करना.. नही तो उस रंडवे को पता चल जाएगा.. जाओ जल्दी से.. "
शीला ने बेडरूम से जीवा और रघु को भगाया.. वह दोनों अपने कपड़े काँख में दबाकर किचन की ओर भागे.. उन दोनों के मुरझाए लटकते लंड देखकर शीला की हंसी निकल गई..
कपड़े पहनने का समय नही था.. और वैसे भी रसिक के अंदर आते ही फिर से उतारने थे.. ऐसा सोचकर शीला ने बिना ब्लाउस और घाघरे के.. अपने नंगे जिस्म पर सिर्फ साड़ी लपेट ली.. और अपने बबलों को साड़ी के नीचे दबाते हुए दरवाजा खोला...
"अरे, कविता तू... ??" शीला बोखला गई.. कपड़ों को ठीक करते हुए उसने पूछा
कविता पड़ोस में रहते अनु मौसी के बेटे पीयूष की पत्नी थी.. ४ महीनों पहले ही उनकी शादी हुई थी। अच्छा हुआ की बहुत अंधेरा था.. नही तो शीला को इस तरह देखकर, पता नही कविता क्या सोचती!!
"शीला भाभी, मेरे मामाजी ससुर को हार्ट-अटेक आया है.. और पीयूष मेरे सास ससुर के साथ उनके शहर गए है.. मम्मीजी ने मुझ से कहा था की अगर अकेले में डर लगे तो आपके घर आकर सो जाऊँ.. २ घंटों की ही बात है.. आपको अगर एतराज न हो तो क्या में आपके घर सो जाऊँ??" निर्दोष भाव से कविता ने इजाजत मांगी
शीला मन ही मन कांप उठी.. आज तो इज्जत का जनाज़ा निकल जाएगा.. माँ चुद जाने वाली थी..
"हाँ हाँ.. क्यों नही.. मैं हूँ ना तेरे साथ.. चिंता मत कर!!" शीला का शैतानी दिमाग काम पर लग गया... अब इस समस्या का कोई हल तो निकालना ही पड़ेगा.. वह सोचने लगी... क्या करूँ!!!!
"कविता, एक काम करते है.. " शीला ने अपने पत्ते बिछाना शुरू किया
"हाँ कहिए ना भाभी!!"
"मेरा बिस्तर हम दोनों के लिए छोटा पड़ेगा.. एक साथ सो नही पाएंगे... ऐसा करते है की तेरे ही घर हम दोनों सो जाते है"
"मैं आपको वही कहने वाली थी पर संकोच हो रहा था की कैसे कहूँ... वैसे भी मुझे अपने बिस्तर के बगैर नींद नही आती.. " कविता ने कहा
"तू अपने घर जा... मैं बाथरूम होकर अभी आती हूँ.. "
"जल्दी आना भाभी... मुझे अकेले में बहोत डर लगता है.. " कविता बोली
"हाँ.. हाँ.. तू जा.. मैं तुरंत पहुँचती हूँ.. "
बच गए!! शीला ने राहत की सांस ली.. वह तुरंत किचन में गई.. जीव और रघु को कहा "जल्दी निकलो तुम दोनों... रसिक नही था.. मेरी पड़ोसन थी.. "
"हाँ... वो तो हमने आप दोनों की बातें सुनी.. हम जा रहे है.. फिर किसी दिन.. बुलाते रहना.. भूल मत जाना" जीवा ने कहा
"कैसे भूल सकती हूँ!! जरूर बुलाऊँगी.. आप दोनों निकलों.. और वह देसी दारू की थैलियाँ लेते जाना.."
रघु वो थैलियाँ लेने अंदर गया तब जीवा ने शीला को बाहों में भरकर चूम लिया.. उसके आगोश में शीला दबकर रह गई.. उसने पतलून के ऊपर से जीवा लंड पकड़ लिया... "गजब का लंड है रे तेरा जीवा.. " जीवा ने शीला के साड़ी में लिपटे स्तनों को मसल दिया और उसके गाल पर हल्के से काटते हुए अपने प्रेम से उसे सराबोर कर दिया.. वापिस आए रघु भी शीला को पीछे से लिपट पड़ा.. शीला ने उसके लंड को भी प्यार से सहलाया..
दोनों गए.. शीला की धड़कनें शांत हो गई.. अब दूसरी समस्या यह थी की रसिक का क्या करें!!
तभी रसिक की साइकिल की घंटी बजने की आवाज आई.. हाथ के इशारे से उसे घर के अंदर आने के लिए कहते हुए शीला अंदर आई.. जैसे ही रसिक घर के अंदर आया.. शीला उससे लिपट पड़ी.. और अपने स्तनों को रसिक की छाती पर रगड़ने लगी..
रसिक का लंड तुरंत ही सख्त हो गया. शीला ने घुटनों पर बैठकर उसका लंड पतलून से निकाला और चूसने लग गई.. काले डंडे जैसा उसका पूरा लंड शीला की लार से लसलसित होकर चमकने लगा..
"रसिक, मुझे आज बहोत ही जल्दी है.. बगल वाले अनु मौसी के घर उसके बेटे की बीवी अकेली है.. उन्हे अचानक शहर के बाहर जाना पड़ा.. तू फटाफट मुझे चोदे दे.. और निकल.. फिर में घर बंद कर भागूँ.. वहाँ कविता मेरा इंतज़ार कर रही है"
"ठीक है भाभी, पर बिस्तर पर चलते है ना!! यहाँ कोई देख लेगा!!" रसिक ने कहा
रसिक का लंड मुठ्ठी में भरकर आगे पीछे करते हुए शीला ने कहा "उतना टाइम नही है रसिक.. जल्दी कर.. पेल दे फटाफट" कहते हुए शीला ने दीवार पर अपने हाथ टेक दिए और साड़ी को ऊपर उठा लिया.. रसिक उसके पीछे आ गया और शीला की जांघों को थोड़ा सा चौड़ा कर अपने लंड को उसकी चुत में घुसाकर धक्के लगाने लगा.. उसे मज़ा तो नही आ रहा था पर क्या करता!!
"देख रसिक.. जल्दी कर.. और हाँ.. तुरंत घर मत पहुँच जाना वरना रूखी को शक हो जाएगा" शीला का गणित रसिक समझ नही पाया और वह बिना समझे हाँ हाँ करता जा रहा था.. उसके घर पर उसकी बीवी जीवा और रघु से चुदवा रही होगी.. और यहाँ वह शीला की हाँ में हाँ मिलाते चोदे जा रहा था
अपने कूल्हों को ऊपर उठाते हुए शीला ने कहा "अरे जल्दी कर न रसिक!! कितनी देर लगा रहा है तू? क्या टेस्ट मेच की तरह खेल रहा है!! देख आज तो में फंसी हुई हूँ.. इसलिए जल्दी करना पड़ रहा है.. पर कल तू जल्दी आ जाना.. फिर इत्मीनान से मजे करेंगे.. ठीक है.. कल चार बजे आ जाना"
"ठीक है भाभी.. " शीला की चुत में लंड अंदर बाहर करते हुए रसिक ने कहा
रसिक ने धक्के लगाने की गति बढ़ा दी.. "वाहह... आह्हह.. मज़ा आ रहा है.. घुसा अंदर तक.. ईशश.. " शीला की सिसकियाँ सुनकर रसिक झड़ गया.. शीला ने तुरंत उसका लंड अपनी चुत से बाहर निकाला.. और रसिक के सामने ही ब्लाउस और घाघरा पहनने लगी..
"भाभी आपने कपड़े नही पहने थे?" रसिक के मन में सवाल उठा
"कितनी गर्मी है.. और वैसे भी तू आने वाला था इसलिए कपड़े उतारकर तैयार बैठी थी.. तू बेकार की बातें बंद कर और निकल यहाँ से!!" शीला ने अपने जूठ को छिपाते हुए कहा
रसिक के निकलते ही शीला ने अपने घर को ताला लगाया.. और अनु मौसी के घर की तरफ दौड़ते हुए गई..
पर तब तक बहोत देर हो गई थी.. कविता ने यह सारा द्रश्य देख लिया था.. !! भाभी अब तक क्यों नही आए!! देखने के लिए वह शीला के घर के तरफ आई.. और शीला को खुले दरवाजे के पास रसिक से चुदवाते हुए देख लिया.. और अपने घर में वापिस आकर अचरज से सोचने लगी.. उसने जो देखा था वह अकल्पनीय था.. शीला भाभी?? एक दूधवाले के साथ? बाप रे.. विश्वास ही नही होता..."