Sweetkaran
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Amezing.... Maza aa gaya.Update 10
कुछ दिनों तक सब कुछ एकदम शांत रहा एकदम नॉर्मल बस एक ही चीज बदली थी, एकांश का अक्षिता के प्रति रवैया थोड़ा सौम्य हो गया था, वो अब भी उससे ज्यादा बात नहीं करता था लेकिन कठोरता से भी बात नहीं करता था वही अक्षिता भी उससे जितना हो सके उतना दूर रहने की कोशिश करती थी, काम के अलावा वो एक पल भी उसके केबिन मे नहीं रुकती थी,
आज एकांश का जन्मदिन हुए एक हफ्ता हो गया था और वो इस वक्त अपने केबिन मे था वही आज अक्षिता ऑफिस ही नहीं आई थी और ये बात एकांश को परेशान कर रही थी
“कम इन” जब एकांश ने अपने केबिन कर दरवाजे पर नॉक सुना तो उसने कहा
दरवाजा खुला तो वहा रोहन और स्वरा खड़े थे..
“सर आपने बुलाया हमे?” रोहन ने पूछा
“यस, हेव अ सीट” एकांश ने सपाट आवाज मे कहा
रोहन और स्वरा ने एकदूसरे को देखा और एकांश के सामने रखी कुर्सियों पर बैठ गए
“कहा है वो?” एकांश ने उन दोनों को देखते हुए पूछा
“कौन?” स्वरा
“मिस पांडे” एकांश ने बताया
“वो छुट्टी पर है सर, उसने कहा था के इस बारे मे उसने आपको अपना लीव ऐप्लकैशन ईमेल किया है” स्वरा ने नर्वस होते हुए कहा
“अचानक छुट्टी की क्या जरूरत पड गई? वो भी कुछ दिनों के लिए?” एकांश ने अपने लपटॉप मे अक्षिता का लीव ऐप्लकैशन पढ़ते हुए उन दोनों से पूछा
स्वरा ने एक नजर रोहन को देखा मानो पुछ रही हो क्या बताए
“सर... वो... वो उसकी तबीयत ठीक नहीं है” रोहन ने हिचकते हुए कहा
“क्यू... क्या हुआ है उसे?” एकांश ने एकदम से पूछा, उसकी आवाज मे अक्षिता के लिए चिंता साफ झलक रही थी वही उसके बिहैव्यर मे अचानक आए इस बदलाव से रोहन और स्वरा थोड़ा चौके
“कु... कुछ नहीं सर.. बस बुखार है” स्वरा ने कहा
“सिर्फ बुखार है, फिर उसने ऐसा क्यू कहा के वो कुछ दिनों तक ऑफिस नहीं आ पाएगी” एकांश को अब थोड़ा डाउट होने लगा था
“वाइरल फ्लू है सर वो ठीक होते ही वापिस ऑफिस आ जाएगी” रोहन ने कहा जिसपर एकांश ने हा मे गर्दन हिला दी लेकिन उसे अब भी उनकी बातों पर यकीन नहीं हो रहा था
“सर हम जाए?” कुछ पल तक जब एकांश कुछ नहीं बोला तब स्वरा ने पूछा
“हम्म” एकांश ने कहा और वापिस अपने काम मे लग गया
इधर रोहन और स्वरा दोनों ने केबिन से बाहर आते ही राहत की सास ली
“पता नहीं अक्षु कैसे इस केबिन मे इसके साथ सारा टाइम काम करती है” स्वरा ने अपने माथे पर आया पसीना पोंछते हुए कहा
“वही तो ऐसा लग रहा था इंटरोगेशन चल रही थी”
“वैसे बुखार का बहाना सही बनाया है तुमने, मुझे तो समझ ही नहीं आ रहा था क्या बोले” स्वरा ने कहा वो दोनों लिफ्ट की ओर बढ़ रहे थे
“अब कुछ तो बताना ही था, असल बात नहीं बता सकते क्युकी असल रीज़न जानने के बाद हमे नहीं पता वो कैसे रीऐक्ट करता” रोहन ने चिंतित स्वर मे कहा
“वो लोग वहा पहुच गए होंगे क्या?” स्वरा ने अपनी घड़ी मे देखते हुए पूछा, वो लोग अब लिफ्ट मे थे
“इतनी जल्दी कहा अभी तो और कम से कम दो घंटे लगेंगे उनको पहुचने मे” रोहन ने कहा
“यार मैं उसे अभी से मिस कर रही हु”
“मैं भी” रोहन ने कुछ सोचते हुए कहा
“अक्षु का वहा जाने का जरा भी मन नहीं था, वो तो उसके पेरेंट्स जबरदस्ती ले गए है उसको” स्वरा ने कहा
“और पेरेंट्स की बात मानने को कन्विन्स हमने किया था देखना वापिस आने के बाद अपना ही दिमाग खाएगी वो” रोहन ने हसते हुए कहा और वो दोनों वापिस अपनी अपनी डेस्क पर अपने अपने काम मे लग गए...
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एकांश बहुत ज्यादा बेचैन था, एक तो वो सुबह से अक्षिता की राह देख रहा था के वो उसकी कॉफी लेकर आएगी लेकिन वो नहीं आई और अब जब चुकी उसे पता चल चुका था के वो कुछ दिन नहीं आएगी तो उसे कुछ ठीक सा नहीं लग रहा था, उसने और एक बार उस लीव ऐप्लकैशन वाले ईमेल को पढ़ा
उसे खुद पर ही ताजूब हो रहा था के वो उसकी इतनी केयर क्यू कर रहा है वो तो उससे नफरत करता था..
एकांश ने अपना काम करना शुरू किया लेकिन वो अपने काम पर फोकस ही नहीं कर पा रहा था, रोहन और स्वरा से बात करने के बाद उसे ये भी लग रहा था के कुछ तो था जो उसे पता नहीं था, वो लोग कुछ तो छिपा रहे थे लेकिन फिर एकांश ने उस ओर से अपना ध्यान हटाया और अपने आप को काम मे बिजी करने मे कमियाब हो गया...
एकांश अपने काम मे लगा हुआ ही था के अचानक उसके केबिन का दरवाजा खुला और एक बंदा अंदर आया, एकांश ने गुस्से से अपने केबिन मे आने वाले तो देखा तो पाया के जो आया था उसपे वो सही से गुस्सा भी नहीं कर सकता था..
“अंदर आने के पहले नॉक करना होता है भूल गया क्या” एकांश ने अमर को घूरते हुए कहा
“हाओ भूल गया” अमर ने भी बात झटकते हुए कहा
“अमर, तू क्यू आया है?”
“क्यू मतलब तेरे से मिलने और क्या”
“तेरे पास और कोई काम नहीं है क्या”
“नहीं है, वैसे काम से याद आया तेरी अससिस्टेंट नहीं दिख रही आज” अमर ने पूछा
“तुझे क्या मतलब है उससे” एकांश ने हल्के गुस्से मे कहा
“मतलब है ब्रो समझा कर” एकांश के गुस्से को इग्नोर करते हुए अमर ने हसते हुए कहा
“शट अप अमर”
“लेकिन सही मे कहा है वो मैं आ रहा था तब भी नहीं दिखी”
“कुछ दिनों की छुट्टी पे है”
“ओह” जिसके बाद अमर इधर उधर की बात करते हुए एकांश का दिमाग खाने लगा लेकिन इसमे एक बात अच्छी हुई एकांश का ध्यान अक्षिता से हट गया था
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एकांश की कार रघुवंशी मेनशन के बड़े से गेट मे से अंदर घुसी, एकांश कार से निकल कर घर मे आया और अपने रूम की ओर जाती हुई सीढ़िया चढ़ने ही वाला था के कीसी ने उसे पुकारा
“एकांश”
“हा मा” एकांश ने अपनी मा का आवाज सुन कर कहा जो डाइनिंग टेबल के पास खड़ी थी और स्माइल से साथ उसे देख रही थी
“इधर आओ”
जिसके बाद एकांश उनके पास जाकर खड़ा हुआ
“क्या हुआ मा?”
“बेटा इतना लेट ऑफिस मे क्या कर रहे थे, तुम्हें अपनी जरा भी फिक्र नहीं है, देखो कितने थके थके से लग रहे हो”
“मैं ठीक हु मा बस आज काम कुछ ज्यादा था तो लेट हो गया” एकांश ने कहा
जिसके बाद उन्होंने एक जूस का ग्लास एकांश की ओर बढ़ाया और उसने भी बगैर ज्यादा कुछ बोले जूस पी लिया
एकांश की मा को अब आदत हो चुकी थी एकांश का ऐसा उतर हुआ चेहरा देखने की, उनकी आँखों मे मौजूद सुनापान उन्हे साफ महसूस होता था और अपने बेटे को ऐसे देख उनका दिल भी दुखता था और वो इस सब के पीछे का कारण जानते हुए भी कुछ नहीं कर पा रही थी, एकांश मानो हसना ही भूल गया था पिछले 1.5 साल मे उन्होंने उसे कभी हसते खुश होते नहीं देखा था, ना तो एकांश ज्यादा कीसी से मिलता था ना बात करता था बस जितना जरूरी हो उठा ही बोलता था, उसने अपने इर्द गिर्द एक दीवार सी खड़ी कर दी थी जिसमे कीसी को प्रवेश नहीं था, वो एकांश के सर पर हाथ घुमाते हुए यही सोच रही थी
“थैंक्स मा” एकांश ने कहा
एकांश ने वो कीसी को पसंद करता है ये बताने के बाद जो भी कुछ हुआ था उस सब को याद कर उसकी मा के आंखे भर आई थी
“कब तक ऐसे ही रहोगे बेटा , कभी तो आगे बढ़ना होगा ना पुरानी बाते भुलनी होंगी” उन्होंने एकांश को समझाते हुए कहा
बात किस ओर जा रही है एकांश जान रहा था और वो इस बारे मे जरा भी बात नहीं करना चाहता था
“मैं... मैं थक गया हु मा, मैं फ्रेश होकर आता हु” एकांश ने कहा और वहा से जाने लगा
“जल्दी आना, मैं कहना लगवाती हु तब तक”
जिसके बाद एकांश अपने कमरे की ओर चला गया
अपने रूम मे आकार अपना बैग साइड मे रख एकांश अपने बेड पर जा लेटा और जैसे ही उसने अपनी आंखे बंद की उसकी नजरों के सामने एक चेहरा आया और उसने झटके से अपनी आंखे खोली और उठ बैठा, एकांश अपने शर्ट की बटन खोलते हुए अपनी अलमारी तक गया
उसने अलमारी मे का रक ड्रॉर खोला और उसमे से एक तस्वीर निकाली, उस फोटो को देखते हुए उसके चेहरे पर एक दर्द भरी मुस्कान उभर आई थी..
‘तुमने ऐसा क्यू किया अक्षिता? तुम मेरे साथ ऐसा कैसे कर सकती हो? ये जानते हुए भी के मैंने तुम्हें कितना चाहा था.. क्यू धोका दिया तुमने मुझे? क्या उस रिश्ते मे जरा भी सच्चाई नहीं थी? एक पल भी सच नहीं था?’
एकांश के दिमाग मे कई सवाल कौंध रहे थे.. उसे पता भी नहीं चला कब उसकी आँखों से आँसू गिरने लगे थे, उस फोटो मे वो और अक्षिता साथ थे जिसमे उसने उसे पीछे से गले लगाया हुआ था और अक्षिता उसे प्यार से देख रही थी
वो सब झूठ था क्या? अक्षिता के होंठों पर खिलती वो मुस्कान, उसकी आँखों की मासूमियत और प्यार, शर्म से लाल हुए उसके गाल, सब कुछ एक छलावा था?”
एकांश ने वो फोटो वापिस ड्रॉर मे रखा और अपने आँसू पोंछे और बाथरूम मे शॉवर लेने चला गया ताकि अपने आप को थोड़ा रीलैक्स कर सके
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एकांश अपने ऑफिस मे आ चुका था और अपने केबिन की ओर जाते हुए उसने एक नजर अक्षिता के डेस्क की ओर मारी जो की खाली था, उसने एक लंबी सास छोड़ी और रोहन और स्वरा को देखा जो उसे देख काम मे लग गए थे जैसे उन्होंने उसे देखा ही नहीं था
‘ये लोग कुछ तो छुपा रहे है’ एकांश ने मन ही मन कहा
आज अक्षिता को छुट्टी पर गए तीन दिन हो चुके थे और एकांश अब तक ये बात नाही पचा पाया था वही वो ये भी नहीं मानना चाहता था के वो अक्षिता को मिस कर रहा था
इस सब मे हुआ के के उसका फ्रस्ट्रैशन बढ़ रहा था जिसका सामना उसके एम्प्लॉईस को करना पड रहा था, एकांश की चिढ़चिढ़ बढ़ गई थी और वो अपने हर स्टाफ मेम्बर पर काम से काम एक बार तो जरूर चिल्लाया था, और इस सब मे उसका सबसे ईजी टारगेट बनी बेचारी पूजा जो अक्षिता की जगह काम देख रही थी
एकांश अपनी खुर्ची पर अपना मठ पकड़े बैठा था
‘ये क्या हो गया है मुझे? मुझे उससे दूर रहना है ना की उसे मिस करना है, यू हैट हर एकांश रघुवंशी, यू हेट हर!’
जिसके बाद एकांश मे काम मे अपना मन लगाना चालू किया लेकिन फिर वही बीच बीच मे अक्षिता क खयाल उसका ध्यान भटका देता था और यही उसका फ्रस्ट्रैशन बढ़ा रहा था
‘मुझे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए के वो यहा है या नहीं है, मुझे उससे कुछ लेना देना नहीं है, मैं आज ही ये प्रण लेटा हु के मुझे वो यहा रहे ना रहे कुछ फर्क नहीं पड़ेगा, आइ विल नॉट रीऐक्ट टु हर प्रेजेन्स ऑर आबसेंस’
और जैसे ही एकांश ने ये सोचा उसके केबिन का दरवाजा खुला, उसने उधर देखा तो वहा उसके सामने अक्षिता खड़ी थी और उसके हाथ मे उसकी कॉफी थी।
“तुम वापिस आ गई!” अक्षिता को देख एकांश ने लगभग चिल्लाते हुए अपनी जगह से उठते हुए कहा..
क्रमश:
Superb update adirshi bhaiUpdate 13
“क्या बढ़िया जगह है यार ये” स्वरा ने पार्टी के वेन्यू पर पहुचते हुए कहा
“हम्म” अक्षिता भी इधर उधर देख ही रही थी
“अंदर चले या यही रुकना है फिर?” रोहन ने उन दोनों के पीछे से कहा और वो लोग अंदर आए और देखा तो वहा पहले ही कई लोग आ चुके थे पार्टी चल रही थी, एक ओर कुछ लोग डांस कर रहे थे वही दूसरी ओर ड्रिंक्स का भी बंदोबस्त था, कुछ लोग एक साइड खड़े बात रहे रहे थे कुछ महोल का मजा ले रहे थे
अक्षिता तो तभी ऐसा लगा के कोई उसे देख रहा था और जब अक्षिता ने उस ओर देखा तो वहा कोई नहीं था, अक्षिता ने इस बात को इग्नोर किया और वहा श्रेया को खोजने लगी
कुछ पल नजर इधर उधर घुमाने के बाद उसे श्रेया दिख गई जो एकदम कहर ढा रही थी और कुछ लोगों से बाते कर रही थी, अक्षिता स्वरा और रोहन के साथ श्रेया की ओर बढ़ने लगी और वो भी उन लोगों से इक्स्क्यूज़ लेकर इनके पास आई
“Akshita! I am glad you came” श्रेया ने कहा
“it’s my pleasure and you look gorgeous” अक्षिता ने मुसकुराते हुए कहा
“थैंक यू”
‘बाइ द वे ये मेरे दोस्त है, रोहन और स्वरा और गाइज ये है श्रेया मेहता, आज की होस्ट”
“hello guys, its nice to meet you two, hope you are enjoying the party” श्रेया ने स्वरा और रोहन को देखते हुए कहा
“यस, द पार्टी इस अमेजिंग एण्ड नाइस टु मीट यू टू” रोहन ने फॉर्मली कहा
"हैलो मिस श्रेया वंडरफुल पार्टी एंड थैंक यू फॉर इनवाइटिंग अस" स्वरा ने कहा
"प्लीज कॉल मि श्रेया, आई एम ग्लैड यू गाइज केम" श्रेया ने कहा
"वैसे मेरे दो सवाल है एक तो बगैर जान पहचान के मुझे बुलाना और इस शानदार पार्टी का रीजन तो बताओ" अक्षिता ने पूछा
"देखो मुझे मेरी ही पार्टी में किसी को इन्वाइट करने रीजन नही चाहिए और जैसे मैंने तुम्हे एकांश से बात करते देखा आई थॉट के हम अच्छे दोस्त बन सकते है रही बात पार्टी की तो मैं एक फैशन डिजाइनर की और मेरा अपना फैशन हाउस है और रिसेंटली मेरे डिजाइन्स पेरिस फैशन वीक में सेलेक्ट हुए है," श्रेया ने बताया
"ओह माई गॉड, कांग्रेटूलेशंस!" अक्षिता ने श्रेया को गले लगाते हुए कहा
"थैंक यू, गाइज एंजॉय द पार्टी, मुझे अभी जाना होगा कई लोगो से मिलना है," इतना बोल के श्रेया वहा से निकल गई
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पार्टी अपने पूरे रंग पे थी शानदार म्यूजिक बज रहा था, रोहन और स्वरा डांस का मजा ले रहे थे वही अक्षिता वहा से थोड़ी दूर एक कोने में बैठी थी, उसे पार्टी करना वैसे भी ज्यादा पसंद नही था और तभी अक्षिता को खुद पर किसी की नजरे महसूस हुई, वो जो लकड़ियों के पास एक्स्ट्रा सेंस होता है बस उससे ही अक्षिता को लगा के कोई उसे देख रहा था लेकिन उसने जब इधर उधर देखने की कोशिश की तो वैसा कुछ नही था
अक्षिता को वहा बैठे बैठे प्यास लग रही थी वो उठी और वहा सर्व हो रहे पानी जैसे ड्रिंक को पी लिया, अक्षिता वहा अब बोर हो रही थी और अब उसे बस घर जाकर सोना था..
कुछ पल और रुक कर अक्षिता अपने दोस्तो के पास जा ही रही थी के वो किसी से टकरा गई और जब उसने ऊपर देखा
"तुम!!!" अक्षिता ने गुस्से में कहा
"यप"
"तुम मेरा पीछा करते हुए यहा तक आ गए?" अक्षिता ने इस बंदे को गुस्से में घूरते हुए कहा
"जी नही, मैं यहा अपने दोस्त की पार्टी अटेंड करने आया हु" उस बंदे से सरेंडर की मुद्रा में अपने हाथ ऊपर उठाते हुए कहा
"तुम मेरा पीछा क्यों कर रहे हो, why are you stalking me?" अक्षिता ने हाथ बांधे पूछा
"मैं कोई तुम्हारा पीछा नही कर रहा ही, मैं बस थोड़ा सा क्यूरियस हु"
"क्यूरियस?"
"हा, तुम्हारे बारे में थोड़ा और जानने के लिए" वो बंदा बोला
अक्षिता ने ना में अपना सर हिलाया और अपने दोस्तो को खोजने लगी
"किसे ढूंढ रही हो?" उस बंदे में पूछा लेकिन बदले में अक्षिता ने बस उसे आंखे बारीक करके घूरा
"चिंता मत करो जल्दी ही उससे मिल लोगो वो श्रेया से मिलने गया है" वो बंदा बोला
"कौन?" अक्षिता ने थोड़ा कंफ्यूज टोन में पूछा लेकिन बदले में वो शक्स बस मुस्कुराया और अक्षिता वहा से जाने लगी और वो बंदा उसके पीछे हो लिया
"तुम यहा क्या कर रही हो?" तभी उनलोगो को ये आवाज सुनाई दी, पलट कर देखा तो वहा एकांश खड़ा था, "अमर, तुम मिस पांडे के साथ क्या कर रहे हो?" एकांश ने थोड़े गुस्से में अमर से पूछा
"कुछ नही भाई बस टकरा गए थे तो थोड़ी बात कर ली" अमर में बात झटकते हुए कहा
"तू हमेशा इससे ही क्यों टकराता है बे" एकांश अमर से बोला वही अक्षिता वहा से निकल गई थी...
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पार्टी अपने पूरे जोर पर थी और इस पार्टी में ना तो एकांश को उतना इंटरेस्ट था और ना ही अक्षिता को वही रोहन और स्वरा पार्टी का पूरा मजा ले रहे थे, वही अक्षिता की प्यास ही नही बुझ रही थी जबकि वो अब तक वहा सर्व होते ड्रिंक्स के कई ग्लास गटक चुकी थी और वही एकांश बता नही रहा था लेकिन अक्षिता पर उसका पूरा ध्यान था तभी एकांश ने देखा के अक्षिता थोड़ा अलग बिहैव कर रही है और उस ओर चल पड़ा
“उठो”
“नहीं”
“मैंने कहा उठो वहा से”
“नो”
“मूव”
“नहीं”
एकांश अक्षिता के पास पहुचा जो जमिन पर बैठे मुस्कुरा रही थी और एकांश उसे वहा से उठाने की कोशिश कर रहा था
“तुम वहा नीचे बैठ कर क्या कर रही हो?” एकांश ने इरिटैटेड टोन मे अक्षिता से पूछा
“मैं कुछ ढूंढ रही हु डिस्टर्ब मत करो” अक्षिता ने कहा
“क्या ढूंढ रही हो?”
“मेरे दोस्तों को ढूंढ रही हु” अक्षिता ने सीरीअसली जवाब दिया और अब एकांश के मैटर ध्यान मे आ गया
“अक्षिता तुमने शराब पी है?” एकांश ने आराम से पूछा
“नहीं तो मैंने तो पानी पिया है और कुछ शर्बत”
“पानी पीने से कीसी को नशा नहीं होता है” एकांश गुस्से मे चिल्लाया वही अक्षिता की शक्ल ऐसी हो गई थी मानो अभी रो देगी
“ये लो ये पिलाओ उसे थोड़ा ठीक लगेगा” अमर भी अब तक वहा आ गया था और उसे मैटर समझ आते हो वो बारटेन्डर से थोड़ा नींबू मिला पानी ले आया था
“ये लो ये पीओ ठीक लगेगा” एकांश ने वो ग्लास अक्षिता की ओर बढ़ाया
“नहीं, मैं ये नहीं पियूँगी” अक्षिता ने कहा
“पी लो बस नींबूपानी है” एकांश ने उसे समझाते हूएं कहा
“नहीं,” और इतना बोल के अक्षिता अपने दोस्तों के नाम से चिल्लाने लगी, वहा का महोल लाउड म्यूजिक सब कुछ अक्षिता के नशे हो हल्का हल्का बढ़ा रहे थे, उसने गलती वहा सर्व होती वोडका पी ली थी और वोडका के साथ एक चीज ये भी है के वो अगर ज्यादा देर हवा से इक्स्पोज़ हो जाए हो उसका टेस्ट पानी जैसा हो जाता है, इसीलिए अक्षिता ये जान ही नहीं पाई के वो पानी नहीं था.. और अब अक्षिता पूरे वोडका के असर मे थी
“रोहन स्वरा.... कहा हो तुम लोग” अक्षिता जोर से चीख रही थी और अब वहा अगल बगल वालों का ध्यान उस ओर जा रहा था...
“शट अप” एकांश ने कहा और अक्षिता चुप हुई और तभी स्वरा और रोहन वहा आ गए थे
“हे भगवान अक्षु तुम ऐसे जमीन पर क्या कर रही हो?” स्वरा ने अक्षिता के पास घुटनों पर बैठते हुए पूछा
“मैं तुम लोगों को ढूंढ रही थी”
“ऐसे जमीन पर बैठ कर?” स्वरा ने पूछा
“हा!” अक्षिता ने हसते हुए कहा वही अमर ये साथ मैटर देख कर अपने आप को हसने से रोक रहा था
“अक्षिता, तुमने शराब पी है?” रोहन ने चिंतित स्वर मे पूछा
“उसने भी यही पूछा तुम भी यही पपुछ रहे हो” अक्षिता ने एकांश की ओर उंगली दिखते हुए कहा
“अक्षु तुम जानती हो ना तुम शराब नहीं पीनी चाहिए, तुम शराब को छु भी नहीं सकती तुमको allowed ही नहीं है” रोहन ने सीरीअसली कहा और अक्षिता को खड़ा किया वही उसकी बात सुन एकांश के कान खड़े हो गए क्युकी रोहन काफी ज्यादा सीरीअस लग रहा था
“क्यू?” रोहन की बात पे अमर ने सवाल किया लेकिन जैसे ही स्वरा ने उसे घूर के देखा वो चुप हो गया
“हा हा पता है मैंने बस थोड़ा पानी पिया था” अक्षिता ने कहा
“चलो घर चलो” रोहन ने कहा
“नहीं, मुझे कही नहीं जाना” और इतना बोल के अक्षिता ने वह खड़े एकांश को पकड़ लिया जो बस उसे देख रहा था
अक्षिता ने एकांश को देखा और उसे देख मुस्कुराने लगी, और तभी उसका बैलन्स बिगड़ा और वो गिरने ही वाली थी के एकांश ने उसे संभाल लिया
“अंश, कितने क्यूट लग रहे हो तुम” अक्षिता ने एकांश को मुसकुराते हुए देख कहा, और एकांश थोड़ा चौका, उसके और अक्षिता के बारे मे कीसी को पता नहीं था के उसका पास्ट क्या था ऐसे मे अक्षिता का उसे अंश कह कर बुलाना कई सवालों को डावात देने जैसा था और ये एकांश बिल्कुल नहीं चाहता था
वही अक्षिता अब एकांश को छोड़ने को तयार ही नहीं था वो उसे कस कर पकड़ी हई थी, स्वरा भी अक्षिता का एकांश के लिए बिहैव्यर देख थोड़ी हैरान थी लेकिन ये वक्त सवाल पूछने का नहीं था
रोहन और स्वरा दोनों को ही टेंशन हो रही थी
“अक्षु चलो, घर चलो” स्वरा ने कहा
“नहीं मैं अंश को छोड़ के कही नहीं जा रही” अक्षिता ने कहा
वो लोग अब पार्किंग मे आ चुके थे
“डोन्ट वरी मिस स्वरा, मैं उसे घर छोड़ दूंगा” अक्षिता उसे छोड़ ही नहीं रही थी इसीलिए एकांश स्वरा से बोला
“नहीं!” रोहन और स्वरा ने एकसाथ कहा और एकांश ने सवालिया नजरों से उसे देखा
“सर मैं उसे मेरे घर लेकर जा रही हु, ऐसी हालत मे वो घर नहीं जा सकती उसके पेरेंट्स को टेंशन होगी” स्वरा ने कहा
“ठीक है फिर मैं तुम दोनों को ड्रॉप कर देता हु, मिस्टर रोहन आप जाइए, अमर हम तीनों को ड्रॉप कर देता” एकांश ने कहा और रोहन ने भी उसकी बात ठीक समझी
अक्षिता से सब चला भी नहीं जा रहा था, और नशे से आंखे भी भारी होने लगी थी लेकिन फिर भी वो एकांश को नहीं छोड़ रही थी और एकांश उसे गोदी मे उठाया और कार की ओर बढ़ गया वही अक्षिता भी उससे चिपकी हुई थी और उसे ऐसे देख स्वरा और रोहन काफी शॉक थे,
एकांश ने अक्षिता को पीछे की सीट पर बिठाया और खुद भी उसके बाजू मे बैठ गया वही स्वरा अमर के बाजू मे आगे पैसेंजर सीट पर बैठी थी, स्वरा ने पीछे पलट कर देखा तो वो थोड़ा और चौकी, अक्षिता एकांश के सिने से लग कर सोई हुई थी स्वरा ने उसे ठीक से बैठने कहा भी लेकिन अक्षिता सुनने की हालत मे थी ही कहा वही एकांश भले ही अपने चेहरे पर जाहीर नहीं होने दे रहा था लेकिन अक्षिता को अपने इतना पास पाकर मन ही मन वो भी काफी खुश था
घर पहुचने पर भी एकांश को उसे गोद मे उठा कर बेडरूम मे सुलाना पड़ा
“टेक केयर ऑफ हर, कल सुबह भारी हैंगओवर होने वाला है उसे” एकांश ने स्वरा से कहा जिसने उसे पानी का ग्लास पकड़ाया जिसपर स्वरा ने हा मे गर्दन हिला दी
जिसके बाद एकांश अमर के साथ वहा से जाने के लिए निकला
“सर” स्वरा ने उसे आवाज दी और एकांश पलटा, स्वरा की आँखों मे थोड़ा पानी था और वो कुछ बोलना चाहती थी लेकिन बोल नहीं पा रही थी
“यस?”
“नथिंग, टेक केयर”
“यू टू” इतना बोल के एकांश अमर के साथ वहा से निकल गया दिमाग मे कई सारे सवाल लिए....
क्रमश: