- 28,751
- 66,940
- 304
Superb update adirshi bhai ju ek din bada writer banegaUpdate 8
कभी ऐसा लगा है के कीसी ने आपको बस एक जगह पर बांध दिया हो और हिलने डुलने पर पाबंदी लगा दी गई हो?
अक्षिता पिछले 2 दिनों से ऐसा ही कुछ महसूस कर रही थी, अस्पताल से आने के बाद उसके पेरेंट्स ने उसे बेड से नीचे भी नहीं उतरने दिया था और कोई काम करना तो दूर की बात और उसमे भर डाली रोहन और स्वरा ने जो ऑफिस निपटा कर अक्षिता के घर पहुच जाते उसकी मदद तो करते ही साथ मे क्या करे क्या ना करे इसपर लेक्चर अलग देते रहते थे, और तो और वो उसका खाना भी उसके रूम मे ही ले आते थे, पिछले 2 दिनों मे अक्षिता को 200 बार ये हिदायत मिल चुकी थी के दोबारा वो ऐसा कोई काम ना करे जिससे उसे तकलीफ हो
और इन सबमे सबसे चौकने वाली बात ये थी के एकांश ने अक्षिता को एक हफ्ते की छुट्टी दे दी थी ताकि वो घर पर आराम कर सके, जब स्वरा ने ये बात अक्षिता तो बताई तो पहले तो उसे इस बात पर यकीन ही नहीं हुआ के एकांश ऐसा करेगा उसने ये सच है या नहीं जानने के लिए कई बार ऑफिस मे अलग अलग लोगों को फोन लगाके पूछा भी अब ये शॉक कम था के तभी उसके दोस्तों से उसे पता चला के एकांश उस दिन उसके होश मे आने तक अपने सभी काम धाम छोड़ अस्पताल मे था... अब इसपर क्या बोले या सोचे अक्षिता को समझ नहीं आ रहा था...
खैर मुद्दे की बात ये है के अक्षिता एक जगह बैठे बैठे कुछ न करे पक चुकी थी और आज उसने ये डिसाइड किया था के वो चाहे कुछ हो आज ऑफिस जाएगी ही, वो जानती थी के उसके यू ऑफिस पहुचने से रोहन गुस्सा करेगा और स्वरा भी हल्ला मचाएगी लेकिन वो उसे झेलने के लिए रेडी थी क्युकी वो सीन कमसे कम घर मे खाली बैठने से तो इन्टरिस्टिंग होगा..
अक्षिता इस वक्त अपने ऑफिस मे अपने फ्लोर पर खड़ी थी और सभी लोग उससे उसका हाल चाल पूछने मे लगे थे और वो भी सबको बता रही थी के वो अब ठीक है, अपने लिए सबको प्यार देख अक्षिता खुश भी थी और जैसा उसका अनुमान था रोहन दौड़ता हुआ उसके पास पहुचा था और उसके पीछे स्वरा भी वहा आ गई थी और उन दोनों ने पहले अक्षिता को एक कुर्सी पर बिठाया और फिर शुरू हुआ उनका लेक्चर के वो यहा क्या कर रही है क्यू आई आराम करना चाहिए था वगैरा वगैरा जिसे अक्षिता बस चुप चाप सुन रही थी और जब उससे रहा नहीं गया तब वो बोली
“बस करो यार ठीक हु मैं अब” अक्षिता ने थोड़ी ऊंची आवाज मे कहा
“नहीं तुम ठीक नहीं हो अक्षु” स्वरा ने भी उसी टोन मे जवाब दिया
“स्वरा प्लीज यार, उन चार दीवारों के बीच पक गई थी मैं कुछ करने को नहीं था”
“अच्छा ठेक है लेकिन तुम कोई स्ट्रेस नहीं लोगी और उतना ही काम करोगी जितना जमेगा ठीक है?” आखिर मे रोहन ने अक्षिता के सामने हार मान ली और उसे ऐसे समझने लगा जैसे वो कोई बच्ची हो और अक्षिता ने भी हा मे गर्दन हिला दी
“और हा अगर अपना वो खडूस बॉस कुछ बोले तो बस मुझे एक कॉल कर देना” स्वरा ने कहा
उसके बाद भी उन्होंने कई और बाते कही और इसी बीच अक्षिता की नजरे घड़ी पर पड़ी तो 9.25 हो रहे थे
“चलो गाइस काम का वक्त हो गया” इतना बोल के अपने दोस्तों की बाकी बातों को इग्नोर करके अक्षिता वहा से निकल गई
--
अपने हाथ मे एकांश की कॉफी लिए अक्षिता उसके फ्लोर पर खड़ी थी और उसे वहा देखते ही पूजा ने उसे एक स्माइल दी और आके उसके गले लग गई
“थैंक गॉड तुम आ गई, अब कैसी तबीयत है तुम्हारी?” पूजा ने अक्षिता से कहा
“मैं बढ़िया हु लेकिन मेरी इतनी याद क्यू आई?”
“अरे मत पूछो यार, मुझे नहीं पता तुम इस आदमी को कैसे झेलती हो, इसने दो दिनों मे जिंदगी झंड कर रखी है, ये करो वो करो, एक पल मे एक काम दूसरे मे दूसरा उसपर से शैतान के जैसा बिहैव करते है एक गलती तक माफ नहीं होती अब तुम ही बताओ मुझे कैसे पता होगा कौनसी फाइल कहा रखी है, ऊपर से कुछ इक्स्प्लैन करने का मौका भी नही देते अब तो पता है मुझे इस इंसान के डरावने सपने भी आने लगे है खैर अब तुम आ गई हो अब मुझे इससे मुक्ति मिलेगी” पूजा ने भकाभक अपनी सारी भड़ास निकाल डाली वही अक्षिता अपनी पलके झपकाते हुए पूजा की कही बातों को प्रोसेस करने मे लगी हुई थी और फिर वो उसकी बात पे हसने लगी
“मैंने कोई जोक सुनाया क्या हो हस रही हो” पूजा
“सॉरी यार लेकीन कोई न मैं आ गई हु अब” अक्षिता ने पूजा को आश्वस्त करते हुए कहा
“हा हा और सच कहू तो मुझसे ज्यादा सर खुश होंगे, तुम्हें पता है कल क्या बोल रहे थे?... बोले ‘उसपर इतना डिपेंड हो गया हु के अब काम ही सही से नहीं कर पा रहा’ “ पूजा ने कहा और अक्षिता को देखने लगी जो अपनी जगह स्तब्ध खड़ी थी
“ये उसने कहा?”
“हा”
“तुमसे?” उसने पूछा
“नहीं, अपने आप मे ही बड़बड़ा रहे थे अब मेरे तेज कानों ने सुन लिया” पूजा ने बताया लेकिन अक्षिता अब भी शॉक मे थी और जब उसके ध्यान मे आया के उसे लेट हो रहा है तो सब ख्यालों को झटक कर आगे बढ़ी
--
“कम इन”
अक्षिता ने जैसे ही ये आवाज सुनी वो अंदर पहुची और उसके टेबल पर कॉफी रखी
“सर आपकी कॉफी”
अक्षिता ने कहा और उसकी आवाज सुन एकांश ने चौक कर उसे देखा, उसकी नजरे अक्षिता को नर्वस कर रही थी
“तुम यहा क्या कर रही हो?” एकांश ने चिल्ला कर कहा
‘मैं यहा क्या कर रही हु? ये भूल गया क्या मैं यहा काम करती हु? या इसकी याददाश्त चली गई है? हे भगवान याददाश्त चली गई तो ये काम कैसे करेगा... मैं भी क्या क्या सोच रही हु शायद मैं छुट्टी पर थी इसीलिए भूल गया होगा भुलक्कड़ तो ये है ही’
एकांश के सवाल ने अक्षिता की खयालों की रेल चल पड़ी थी और उसे इसमे से बाहर भी उसी आवाज ने निकाल
“मैंने कुछ पूछा है?” एकांश ने वापिस गुस्से मे कहा
“वो.. सर मैं यहा काम करती हु ना” अक्षिता ने जवाब दिया
“of course I know that stupid! मैं ये पुछ रहा हु तुम यहा क्या कर रही हो तुम्हें तो घर पर आराम करना चाहिए था..” एकांश ने कहा
“did you just called me stupid?” अक्षिता ने गुस्से मे पूछा
“तुम्हें बस वही सुनाई दिया?” एकांश अब भी उखड़ा हुआ था
“हा! और मैं स्टूपिड नहीं हु।“
“ऐसा बस तुम्हें लगता है लेकिन ऐसा है नहीं, मुझे अच्छे से पता है तुम क्या हो” एकांश ने कहा
“हा हा और आप तो बहुत इंटेलीजेन्ट हो ना” अक्षिता ने सार्कैस्टिक टोन मे कहा
“तुम मुझे परेशान करने आई हो क्या?”
“शुरुवात आपने की थी”
“आप शायद भूल रही हो यहा का बॉस मैं हु तो अब मुझे परेशान करना बंद करो और सीधे सीधे जवाब दो” एकांश ने कहा, अब वो दोनों ही एकदूसरे से भिड़ने लगे थे
“पहले तो आपने मुझे स्टूपिड कहा और फिर अब कम्प्लैन्ट कर रहे है के मैं परेशान कर रही हु लेकिन पता है असल मे मामला इसके बिल्कुल उल्टा है वो आप है जो मुझे परेशान कर रहे है बेतुके सवाल करके और...” अक्षिता आज चुप होने के मूड मे ही नहीं थी और एकांश ने उसकी बात काट दी
“शट अप!” एकांश ने चीख कर कहा और अक्षिता के मुह पर ताला लगाया
“अब मेरे सवाल का जवाब दोगी?” उसे शांत देख एकांश ने पूछा
“हा तो पूछिए न मैं आपकी तरह नहीं हु, पूछो मैं दूँगी जवाब” अक्षिता ने कहा
“मैंने तुम्हें 1 हफ्ते की छुट्टी दी थी आराम करने तो तुम यहा क्या कर रही हो?”
“मैं अब एकदम ठीक हु और घर पर मन नहीं लग रहा था तो मैंने सोचा आज से काम शुरू कर लू” अक्षिता ने कहा
“आर यू शुअर के तुम ठीक हो?” एकांश ने एक बार फिर पूछा
“यस सर, मैं एकदम ठीक हु”
“ठीक है तुम यहा काउच पर बैठ कर ही काम करोगी सीढ़ियों से ज्यादा ऊपर नीचे जाने की जरूरत नहीं है” एकांश ने वापिस अपनी नजरे लैपटॉप मे गड़ाते हुए कहा
“लेकिन सर मैं मेरे डेस्क से काम कर सकती ही और आपके बुलाने पे आ जाऊँगी” अक्षिता ने कहा क्युकी वो उसके साथ एक ही रूम मे काम नहीं करना चाहती थी
“मैंने तुमसे तुम्हारी राय पूछी?”
“लेकिन...”
“No arguments” एकांश ने फरमान सुना दिया था जिसने अब अक्षिता के मुह पर ताला लगा दिया था
“अब जाओ और जाकर काउच पर बैठ कर ये फाइलस् चेक करो इसमे कोई गलती तो नहीं है ना” एकांश ने उसे कुछ फाइलस् देते हुए कहा
अक्षिता ने हा मे गर्दन हिलाते हुए वो फाइलस् ली और चुप चाप बैठ कर उन्हे चेक करने लगी जिनमे बस कुछ वर्तनी की त्रुटियों के अलावा कोई गलती नहीं थी, उसे समझ आ गया था के जान बुझ के उसे ऐसा काम दिया गया था जिसमे उसे कुछ नहीं करना था, उसने एक नजर एकांश को देखा जो अपने काम मे लगा हुआ था और उसके लिए मानो उसके अलावा उस रूम मे कोई और था ही नहीं...
--
“ओके भेज दो उन्हे” एकांश ने फोन पर कहा जब रीसेप्शनिस्ट ने उसे कोई उससे मिलने आया है इसकी खबर दी
जल्द ही दरवाजे पट नॉक हुआ और एकांश ने उन लोगों को अंदर आने कहा और दो लोग बिजनस सूट पहने अंदर आए और उन्होंने एकांश को ग्रीट किया, एकांश ने भी वैसे ही प्रतिसाद दिया और उन्हे बैठने कहा
उन लोगों की नजरे अपनी सीट के पीछे की ओर गई तो उन्होंने देखा के एक लड़की वहा बैठी फाइलस् देख रही है जिसे नजरंदाज करके वो अपने बातों मे लग गए
वही अक्षिता बगैर कुछ करे वहा काउच पर बैठे बैठे पक गई थी, उसे बस एक बार बहार जाने की पर्मिशन मिली थी वो भी लंच ब्रेक मे और जैसे ही लंच खतम हुआ एकांश ने उसे वापिस बुला लिया था और उसे कुछ कॉम्पनीस की इनफार्मेशन सर्च करने के काम पर लगाया था जिसे वो काफी समय पहले खतम कर चुकी थी और जब उसने ये एकांश को बताया तो उसने उसे और कुछ फाइलस् दे दी थी गलतीया ढूँढने, अब अक्षिता को एकांश का ये बिहैव्यर कुछ समझ नहीं आ रहा था, उसे समझ नहीं आ रहा था के वो काम करे ना करे स्ट्रेस ले ना ले आराम करे ना करे एकांश को क्या फर्क पड़ता है और यही सोचते हुए उसके ध्यान मे आया के वो अब भी उसकी केयर करता है और यही सोच के उसके चेहरे पर स्माइल आ गई
लेकिन फिर भी वो वहा बैठे बैठे अब फ्रस्ट्रैट होने लगी थी बस वही चार दीवारे और लैपटॉप मे घुसा हुआ एकांश जिसके लिए वो उस रूम मे थी ही नहीं, उसने वहा बैठे बैठे एक झपकी तक मार ली थी और अब अक्षिता को ताजी हवा चाहिए थी और उसे अपने दोस्तों से मिलना था जिनसे वो लंच के दौरान भी बात नहीं कर पाई थी
अक्षिता ने फाइलस् से नजरे ऊपर उठा कर देखा तो पाया के दो लोग एकांश से बात कर रहे थे कुछ प्रोजेक्ट्स के बारे मे और वो लोग अपनी बातों मे काफी ज्यादा मशगूल थे के उनमे से कीसी ने ये नोटिस नहीं किया के अक्षिता अपनी जगह से उठ गई थी और धीरे धीरे चलते हुए दरवाजे तक पहुच गई थी
उसने धीमे से दरवाजा खोला और बाहर निकल कर वापिस बंद कर दिया और फिर झट से वहा से निकल गई अपने इस छोटे से स्टन्ट के लिए खुद को शाबाशी देते हुए
जब इन लोगों की बाते खत्म हुई तो उन दो लोगों ने पीछे काउच की ओर देखा तो पाया के वो खाली था, उनकी नजरों का पीछा करते एकांश ने भी देखा तो अक्षिता को वहा ना पाकर वो थोड़ा चौका और उसने सोचा के वो वहा से कब निकली?
उन लोगों के जाने के बाद एकांश अपनी ग्लास विंडो के पास पहुचा अपने स्टाफ को देखने तो उसने दकहया के अक्षिता अपनी डेस्क पर बैठी थी और अपने दोस्तों के साथ हस बोल रही थी
अक्षिता कीसी छोटे से बच्चे की तरह बिहैव कर रही थी जिसे एक रूम मे बंद कर दिया गया हो जिसे पानी और खाने के लिए पर्मिशन लेनी पड रही थी, उसको देख एकांश के चेहरे पर एक स्माइल आ गई और वो वापिस अपने काम मे लग गया...
क्रमश:

Ab aate hai kahani pe. Aadi bhau jaha tak story padhi hai us se 100% yahi lagta hai ki ekansh akshita se ab bhi prem karta hai. Gussa to kewal us se bhadaas nikalne ka tarika hai

Story bohot hi achi ja rahi hai. Or isi tarah aage badhate rahiye bhai. Hu. Ant tak aapke sath hai.
Awesome update and mind blowing writing

