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Fantasy Aryamani:- A Pure Alfa Between Two World's

nain11ster

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भाग:–87





दोबारा वो लोग हूटिंग करने लगे। मुझे कंधे पर बिठा लिया। मुझसे वहीं रुकने का आग्रह करने लगे और साथ में शिकार की कुछ ट्रेनिंग भी देने। खैर रुकने और ट्रेनिंग के लिये तो मैं राजी हुआ ही साथ में वुल्फ हाउस और ब्लैक फॉरेस्ट को पूरा मुक्त कराने का क्रेडिट भी शिकारियों को दे दिया। बदले में मैने उनसे वुल्फ हाउस का मालिकाना हक मांग लिया। मैं उस प्रॉपर्टी को नहीं छोड़ना चाहता था, जहां मेरे इवोल्यूशन की कहानी लिखी गयी थी। मैने तो अपना मांग लिया लेकिन बॉब मेरे पीछे अपनी काफी जमा पूंजी उड़ा चुका था, इसलिए उसने 1 लाख यूरो मांग लिया।


बॉब की ख्वाइश तो दुगनी पूरी हुई। शिकारियों ने उसे 2 लाख यूरो दे दिये। मेरे मांग में थोड़ी अर्चन आयी लेकिन मैक्स ने मेरी ख्वाइश पूरी कर दिया। हां लेकिन मुझे वुल्फ हाउस के लिये अलग से 1 लाख यूरो देने पड़े थे। वुल्फ हाउस की पूरी प्रॉपर्टी मेरी हुई। मैं वुल्फ हाउस छोड़ने से पहले अपनी यादें वहां छोड़ना चाहता था, इसलिए मैक्स के प्रस्ताव को मैने स्वीकार कर लिया।


वहां मैं और बॉब कुछ महीनो तक ठहरे। मुझे कुछ यादों को मूर्त रूप देना थे इसलिए जरूरी हो गया था कुछ लोगों की यादें चुराना। फालतू काम था, लेकिन मुझे करना पड़ा। जर्मनी के सबसे बढ़िया शिल्पकार का हमने पता लगाया। पता चला अपना देशी शिल्पकार ही था। राजस्थान का एक शिल्पकार परिवार पलायन करके जर्मनी में बसा था, जिसके पास ऐसा हुनर था कि किसी दुल्हन का घूंघट भी वह पत्थर को तराशकर बनाते थे जो अर्द्ध पारदर्शी होता और घूंघट के पीछे दुल्हन का चेहरा देखा जा सकता था। उसके अलावा मैं एक मेकअप आर्टिस्ट से भी मिला।


दोनो के हुनर मेरे पास थे और दोनो को उसके बदले मैने एक लाख यूरो दिया था। मुझे हुनर सीखाने की कीमत। मेरे और बॉब के बीच की बातें जारी रही साथ में वुल्फ हाउस की बहुत सी यादों को मैं मूर्त रूप दे रहा था। कुछ महीनो में मैने वहां 400 प्रतिमा बना दिया, जिसमे वुल्फ और इंसान दोनो की प्रतिमा थी। पूरी प्रॉपर्टी में प्रतिमा ही नजर आती। पहले दिन की खूनी रस्म से लेकर आखरी दिन की लड़ाई को मैने मूर्त रूप दे दिया था। इसी बीच अमेजन के जंगल की एक अल्फा हीलर फेहरीन के कारनामे की दास्तान बॉब ने शुरू कर दिया। बॉब चाहता था कुछ प्रतिमा जड़ों से ढका रहे। बॉब इकलौता ऐसा था जिसे फेहरीन के एक अप्रतिम कीर्तिमान का ज्ञान था। क्ला को जमीन में घुसाकर जमीन से जड़ों को निकाल देना।


थोड़े दिन की मेहनत और मैं भी फेहरीन की तरह कीर्तिमान स्थापित करने में कामयाब रहा था। कई पत्थरों पर मैने जड़ों को ऐसे फैलाया जैसे सच के कोई इंसान या जानवर खड़े थे। प्रतिमाओं को स्थापित करने के बाद उनके मेकअप का काम मैने शुरू किया। पूरे वुल्फ हाउस को मैने अपनी कल्पना दी थी। प्रतिमाओं के जरिये मैंने शेप शिफ्ट करने की पूरी प्रक्रिया को ही 5–6 प्रतिमाओं में दिखा दिया था। ईडन का बड़ा सा डायनिंग टेबल हॉल के मध्य में बनाया और 80 कुर्सियों पर इंसान और वेयरवॉल्फ को साथ बैठे दिखाया था। कुल मिलाकर मैं अपने इवोल्यूशन की कहानी वहां पूरा दर्शा गया। और अंदर के जंगल में देखने वाले मेहसूस करते की एक वेयरवोल्फ कितना दरिंदे हो सकते थे।


वुल्फ हाउस के दायरे में जितना जंगल पड़ता था, उसमे मैने अपने ऊपर के अत्याचार की कहानी लिखी थी। कई दरिंदे एक असहाय को नोचते हुये। वहां मैने छोटी सी प्रेम कहानी को भी कल्पना की मूर्त रूप दिया था। जिसके आगे मैने एक मतलबी लड़की की कहानी भी दर्शा दिया जिसने मेरे भावनाओं के साथ खेला था। और इन सब चक्र के अंत में मेरा आखरी इवोल्यूशन, एक श्वेत रंग का वेयरवॉल्फ, जो वहां के इंसान और वेयरवॉल्फ के बीच शांति स्थापित करने का कार्य किया था। 6 महीने से ऊपर लगे लेकिन जब मैने पहली बार वुल्फ हाउस का दरवाजा खोलकर लोगों को अंदर आने दिया और वुल्फ हाउस का पूरा प्रांगण घुमाया, तब वह जगह सैलानियों के आकर्षण का केंद्र बन गया।


मैक्स और उसकी टीम को जब खबर लगी वो लोग भी पूरे जत्थे के साथ घूमने पहुंचे और वहां के प्रतिमाओं को देखकर कहने लगे... "जो सुपरनैचुरल दुनिया को नही जानते है, उनके लिये भी तुमने जीवंत उदाहरण छोड़ दिया है। वेयरवोल्फ के बदलाव से लेकर उनकी पूरी क्रूरता की कहानी। हां लेकिन एक प्रतिमा को तुमने मसीहा दिखाया है। क्या सुपरनैचुरल की दुनिया में भी अच्छे वुल्फ होते है।"… बस मैक्स का ये एक सवाल पूछना था और बॉब के पास तो वैसे भी कहानियों की कमी नही थी। और हर अच्छे वुल्फ के कहानी की शुरवात वो फेहरीन से ही करता था।


उस दिन जब मैक्स कई सैलानियों के साथ वुल्फ हाउस पहुंचा तब उसने मुझे एक बार और फसा दिया। जैसा ही उसने सबको बताया की ये कलाकृतियां मेरी है। कुछ लड़कियां मर मिटी। वो सामने से चूमने और बहुत कुछ करने को बेकरार थी। मैं उनकी भावना समझ तो रहा था लेकिन किसी स्त्री के साथ संभोग.. शायद इसके लिये मुझे बहुत इंतजार करना था। मेरी हालत पतली और कमीना बॉब मजे ले रहा था। किसी तरह जान बचाकर निकला।


वो जगह जंगल प्रबंधन ने मुझसे लीज पर ले लिया और सैलानियों के मनोरंजन के लिये उसे हमेशा के लिये खोल दिया गया था। मैं भी एक शर्त के साथ राजी हो गया की मुझे इस जगह का कोई लाभ नहीं चाहिए, बस ये संपत्ति हमेशा मेरी रहेगी। उन लोगों ने मेरी शर्त पर सहमति जता दी। जर्मन का काम खत्म करके एक बार फिर मैं और बॉब, बोरीयल, रशिया के जंगलों के ओर रुख कर चुके थे।


बॉब और फेहरीन। जैसे वो फेहरीन का भक्त था। बॉब से बातें करते वक़्त फिर वो पहला जिज्ञासा भी सामने आया जो मुझे नागपुर आने पर मजबूर किया था। बॉब अमेजन के जंगलों की ओर निकला था, क्योंकि गुयाना की एक वेयरवुल्फ अल्फा, नाम फेहरिन, हां तुम्हारी आई रूही उन्हीं की बात कर रहा हूं। बॉब उसी अल्फा हीलर से मिलने गया था। उसमे हील करने की अद्भुत क्षमता थी, शायद मेरे जितनी या मुझ से भी कहीं ज्यादा। लेकिन बॉब जबतक मिल पता, वहां शिकारियों का हमला हो गया। उसके पैक को खत्म कर दिया गया और उसे भारत के सबसे ख़तरनाक शिकारी पकड़कर नागपुर, ले आये थे।


बॉब की जानकारी को मैंने तब अपडेट नहीं किया। मैंने उसे नहीं बताया कि मै जानता हूं महान अल्फा हीलर फेहरीन को कौन शिकारी लेकर गये? मैं नागपुर लौटा क्योंकि मेरे मन में एक ऐसे अल्फा हीलर से मिलने की जिज्ञासा थी, जिसने अपना एक मुकाम हासिल किया था। जब भी बॉब तुम्हारी मां की बात करता ना वो बस यही कहता इंसानियत को ज़िंदा रखने का ज़ज़्बा किसी और मे हो नहीं सकता। एक नहीं फिर फेहरीन के हजार किस्से थे बॉब के पास, और हर बार फेहरीन से जुड़े नये किस्से ही होते। हां लेकिन तब ना तो बॉब को पता था और ना ही मुझे की शिकारी और सरदार खान ने मिलकर उसका क्या हाल किया। यदि उसके बचे 3 बच्चों (रूही, ओजल, इवान) के लिए मै कुछ कर रहा हूं तो ये मेरे लिए गर्व कि बात है।


वहीं मेरी दूसरी जिज्ञासा थी अनंत कीर्ति की किताब। बॉब के किताब संग्रह को मै देख रहा था। उसमें एक पुस्तक थी "रोचक तथ्य"। संस्कृत भाषा की इस पुस्तक में काफी रोचक घटनाएं लिखी हुई थी। जिसमे उल्लेखित कई घटनाएं उन सर्व शक्तिमान सुपरनैचुरल के बारे में थे, जो खुद को भगवान कि श्रेणी में मानते थे और कैसे उन तथा कथित भगवान का शिकार किया गया।


ज्यादातर उसमे बीस्ट अल्फा, इक्छाधरी नाग और विष कन्या का जिक्र था, जो किसी राजा के लिए कातिल का काम करते थे। उसी पुस्तक में वर्णित किया गया था तत्काल भारत में जब छुब्द मानसिकता के मजबूत इंसान, जैसे कि सेनापति, छोटे राज्य के मुखिया, लुटेरों का कबीला, सुपरनैचुरल के साथ मिलकर अपना वर्चस्व कायम करने में लगे थे। तब उन्हें रोका कैसे जाये, इस बात पर गहन चिंतन होने लगी।


रोचक तथ्य के लेखक बताते है कि पहली बार मुगलिया सल्तनत और अन्य राज्य जिन्होंने पुरानी सारी जानकारी की पुस्तक अपने पागलपन में मिटा दी थी, उनके पास इन सुपरनैचुरल को रोकने का कोई उपाय नहीं था और अपने कृत्य के लिए सभी अफ़सोस कर रहे थे। ना केवल भारत में बल्कि विकृति सुपरनैचुरल पूरे पृथ्वी पर कहर बरसा रहे थे। उन विकृति सुपरनैचुरल की पहचान करने और उन पर काबू करने के लिए देश विदेश की बड़ी–बड़ी ताकते एक साथ एक बार फिर नालंदा के ज्ञान भण्डार के ओर रुख कर चुकी थी। तकरीबन भारत के 30 राजा, और विदेश के 200 राजा इस सम्मेलन में हिस्सा लेने आये थे।


आचार्य श्रीयुत, अचार्य महानंदा के शिष्य थे और महानंदा शिष्य थे अचार्य श्री हरि महाराज के, जिन्होंने एक विकृति रीछ को विदर्व के क्षेत्र में बंधा था, जिसका उल्लेख उसी रोचक तथ्य के पुस्तक में था। पीढ़ी दर पीढ़ी पूर्ण सिक्षा को आगे बढ़ाने के क्रम में श्री हरि महाराज की सिद्धियां इस वक़्त अचार्य श्रीयुत के पास थी। आचार्य श्रेयुत सभी देशों के मुखिया से मिले और यह कहकर मदद करने से मना कर दिया कि….. "सत्ता और ताकत के नशे में चुड़ राजा खुद ही ऐसे दुर्लभ प्रजाति (सुपरनैचुरल) की मदद लेते है, अपने दुश्मनों के कत्ल के लिये। विषकन्या जैसी कातिलों को तैयार करते हैं। खुद का लगाया वृक्ष जब भूतिया निकल गया तो आज आप सब यहां सभा करने आये है। चले जाएं यहां से।"..


सभी राजा, महराजा, शहंशाह और बादशाह ने जब उनके कतल्ले आम की दास्तां बताई तब अचार्य श्रीयुत का हृदय पिघल गया और उन्होंने आये हुये राजाओं से उनके 10 बुद्धिमान सैनिक मांग लिये। श्रीयुत ने मदद के बदले कुछ शर्तें भी रखी उनके पास। आचार्य श्रीयुत नहीं चाहते कि भविष्य में फिर कोई ऐसी समस्या उत्पन्न हो इसके लिए उनकी शर्त थी….


"वो अपने 12 शिष्यों को दुर्लभ प्रजाति और इंसनो के बीच का द्वारपाल यानी प्रहरी बनाएंगे, जो दोनो दुनिया के बीच में संतुलन स्थापित कर सके।"

"जहां कहीं भी विकृति मानसिकता वाले मनुष्य, विकृति दुर्लभ प्रजाति के साथ मिलकर लोक हानि करेंगे, तो उसे सजा देने मेरे शिष्य या उसके अनुयाई जाएंगे। पहले अनुयाई वो सैनिक होंगे जो आपसे हमने मांगे है। प्रहरी पहुंचेंगे और फिर चाहे दोषी कोई राजा ही क्यों ना हो आप सब को मिलकर उसे सजा देनी होगी।"

"हमारे शिष्य और उसके अनुयाई किसी के भी राज्य में कभी भी छानबीन करने जा सकते है, जिन्हे आपकी राजनीतिक और आर्थिक राज्य नीति में कोई दिलचस्पी नहीं होगी। वह उस राज्य में दुर्लभ प्रजाति की स्तिथि और विकृति मानसिकता के लोगों का उनके प्रति रुझान देखने जाएंगे। जिसके लिये आप सभी को करार करना होगा की उनकी सुरक्षा, और काम में बाधा ना आने की जिम्मेदारी उस राज्य के शासक की होगी।"

"यदि आप सभी ये प्रस्ताव मंजूर है तो ही मै पहले आपके लोगो को प्रशिक्षित करूंगा, फिर अपने 12 सदस्य शिष्यों को तैयार करूंगा।"


आचार्य श्रीयुत की बात पर सभी शासक काफी तर्क करने के बाद इस नतीजे पर पहुंचे कि उनकी शर्त जायज है, और भविष्य नीति के तहत एक सुदृढ़ कदम भी। हर राजा ने करार पर हस्ताक्षर करके अपनी मुहर लगा दी। उसके बाद तकरीबन 1 साल तक आचार्य श्रीयूत ने अपने गुरु की पुस्तक "अनंत कीर्ति" के 5 अध्याय का प्रशिक्षण उन सभी को 1 वर्ष तक करवाया और प्रशिक्षण पूर्ण होने के उपरांत उन्होंने सबको वापस भेज दिया।


उसके बाद आचार्य श्रीयूत ने अपने 12 प्रमुख शिष्यों को अनंत कीर्ति के 10 अध्याय तक का प्रशिक्षण दिया। उन्हें लगभग 3 साल तक प्रशिक्षित किया गया और जब उनकी प्रशिक्षण पूर्ण हुई, तत्पश्चात अचार्य श्रीयूत ने उन 12 सदस्य में से वैधायन भारद्वाज को सबका मुखिया बाना दिया, और उन्हें राजाओं द्वारा मिली धन, स्वर्ण मुद्रा और आवंटित जमीन के करार सौंप कर उन्हें दो दुनिया का द्वारपाल बनाकर लोकहित कल्याण के लिए संसार के विभिन्न हिस्सों में जाने और अपने अनुयायि बनाने की अनुमति दे दी।


3 वर्ष बाद ही आचार्य श्रीयूत की अकाल मृत हो गयी। उनकी मृत के पश्चात उनके मुख्य शिष्य वैधायन को उनके अनंत पुस्तक का वारिस बनाया गया। हालांकि अनंत कीर्ति की पुस्तक एक अलौकिक पुस्तक थी, जिसमें 25 अध्याय लिखे गये थे। इस पुस्तक को संरक्षित करने का तो वारिस मिल गया, किन्तु उस पुस्तक को पढ़ने की विधि आचार्य श्रीयूत किसी को बताकर नहीं जा सके।


मना जाता था कि अनंत कीर्ति की पुस्तक में काफी हैरतअंगेज जानकारियां थी, जो पिछले कई हजार वर्षों से आचार्य अपने शिष्यों में आगे बढ़ाते हुये जा रहे थे, जिसका सिलसिला आचार्य श्रीयुत की मौत से टूट गया। पुस्तक को खोलने की एक विधि जो प्रचलित है…

"यदि कोई भी व्यक्ति 25 प्रशिक्षित लोगो से एक साथ 25 तरह के हथियार के विरूद्ध लड़े, और बिना अपने रक्त का एक कतरा बहाये यदि वह ये लड़ाई जीत जाता है, तो वो व्यक्ति उस अनंत कीर्ति की पुस्तक को खोल सकता है।"… इसी के साथ रोचक तथ्य का यह अध्याय समाप्त हो गया और मेरे मन की जिज्ञासा शुरू।


मजे की बात यह थी कि रोचक तथ्य में वर्णित इतिहास सच–झूठ का एक अनोखा संगम था, जिसे तत्काल प्रहरी समुदाय के फैलाये झूठ के आधार पर तांत्रिक अध्यात द्वारा लिखा गया था। यही वो किताब जरिया बनी फिर महाजनिका की आजादी का। बहरहाल मुझे उस वक्त भी उस पुस्तक पर पूरा यकीन नही था क्योंकि 25 तरह के हथियार से लड़ने की व्याख्या ही पूरी तरह से गलत थी। हां लेकिन रीछ समुदाय का इतिहास मेरे जहन में था और प्रहरी को तो मैं शुरू से जनता था। इसलिए मेरी दूसरी जिज्ञासा उस अनंत कीर्ति की पुस्तक को देखने की हुई। जिसे खोल तो नही सकता था लेकिन कम से कम देख तो लेता।


मै बॉब से हंसकर विदा ले रहा था और साथ ही ये कहता चला कि अब भविष्य में उससे दोबारा फिर कभी नहीं मिलूंगा। बॉब से विदा भी ले चुका था एक सामान्य जीवन की पूर्ण इक्छा भी थी, क्योंकि मुझे पहचानने वाला कोई नहीं था। एक गलती करके बुरा फंसा था, वो था सुहोत्र लोपचे की जान बचाना। यदि मर जाने दिया होता तो मेरी सामान्य सी जिंदगी होती। इसी को आधार मानकर मै ये भी तय कर चुका था कि भार में गया मदद करना। मैं भी उस भीड़ का हिस्सा हूं जो पूर्ण जीवन काल में बिना एक भी दुश्मनी किये, बिना किसी लड़ाई झगड़े के जीवन बिता देते है। लेकिन ये इंसानों के जानने की जिज्ञासा... मेरे मन की जिज्ञासा में 2 सवाल घर कर गये थे..


एक सुपर हीलर अल्फा फेहरीन को अमेजन के जंगल से नागपुर क्यों लाया गया? वो अनंत कीर्ति की पुस्तक दिखती कैसी होगी? उसपर हाथ रखने का एहसास क्या होगा और क्या जब मै उसपर अपने हाथ रखूंगा तो अपने बारे में कुछ कहानी बयान करेगी?


मेरे लिए बस 2 छोटे से सवाल थे जिसका जवाब मै जनता था कि कहां है, किंतु मुझे तनिक भी एहसास नहीं था कि इन दोनों सवाल के जवाब ढूंढ़ने के क्रम में इतनी समस्या आ जायेगी... सवाल के जवाब तो कोसो दूर थे उल्टा मै खुद ही कई उलझनों में फंस गया। ये थी एक पूरे दौड़ कि कहानी जब मै गायब हुआ था।



आर्यमणि पहली बार अपनी दिल की भावना और अपने साथ हुए घटना को किसी के साथ साझा कर रहा था। रूही को अपने मां के बारे में जितनी जानकारी नहीं थी, उससे कहीं अधिक जानकारी तो आर्यमणि और बॉब के पास थी। हां लेकिन एक बात जो इस वक़्त रूही के अंदर चल रही थी उसके दुष्परिणाम से जल्द ही आर्यमणि अवगत होने वाला था।
बहुत ही शानदार लाजवाब अपडेट भाई
मजा आ गया यह जानकर की आर्यमणी ने वुल्फ हाऊस में अपनी यादों या बुरें वक्त को मुर्त रूप में ढाल दिया ओर दुसरे लोगों को देखने के खोल दिया उसके लिए उसने एक राजस्थानी शिल्पकार ओर एक मेकअप आर्टिस्ट का हूनर चुराया बदले में उनको पैसा भी दिया शायद पहली बार पैसों का इस्तेमाल किया आर्य ने

बोब के पास मिलीं रोचक तथ्य की किताब से उसे पता चला कि कैसे प्रहरी समुदाय अस्तित्व में आया जों की सैनिक और आचार्य श्री यूत के शिष्यों से मिलकर बना है

अनंत किर्ती किताब से इनको सुपरनैचुरल को मारने की कला मिलीं हैं इस अनंत किर्ती किताब प्रहरी समुदाय के पास हैं

साथ में फेहरिन के बारे में भी पता चला कि प्रहरी उन्हें नागपुर ले गए हैं

इसलिए आर्य सीधा नागपुर आ गया था नैन भाई
 

krish1152

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भाग:–88




आर्यमणि पहली बार अपनी दिल की भावना और अपने साथ हुए घटना को किसी के साथ साझा कर रहा था। रूही को अपने मां के बारे में जितनी जानकारी नहीं थी, उससे कहीं अधिक जानकारी तो आर्यमणि और बॉब के पास थी। हां लेकिन एक बात जो इस वक़्त रूही के अंदर चल रही थी उसके दुष्परिणाम से जल्द ही आर्यमणि अवगत होने वाला था।


आर्यमणि और रूही दोनो ही लगभग खोये से थे, तभी उस माहौल में ताली बजनी शुरू हो जाती है। बॉब उन दोनों का ध्यान अपनी ओर खिंचते… "आर्य सर ने किसी से लगातार 4-5 घाटों तक बातचीत की। सॉरी बातचीत कहां, लगातार अपनी बात कहता रहा, कमाल है।"


रूही बॉब की बात पर हंसती, आर्य के गाल को चूमती हुई कहने लगी… "बड़ी मुश्किल से मेरा दोस्त सुधरा है बॉब, नजर मत लगाओ। वैसे भी इसकी जिंदगी में भूचाल लाने का श्रेय तुम्हे ही जाता है। वरना ये तो नॉर्मल सी लाइफ जीने गया था नागपुर, जहां इसके 2 प्यारे दोस्त और इसकी सब से क्लोज भूमि दीदी रहती है।"..


बॉब:- क्या वाकई में ये अपने सवालों के कारण फसा है। मुझे नहीं लगता की ऐसा कुछ हुआ होगा। सवालों के जवाब ढूंढ़ने के लिए इसे ज्यादा अंदर तक घुसने कि जरूरत भी नहीं पड़ती, क्यों आर्य?


आर्य:- हां रूही, बॉब सही कह रहा है। मै तो नागपुर बस जिज्ञासावश और अपने लोगों के पास गया था। लेकिन कोई मुझे पहले से निशाने पर लिया था। कुछ लोग नहीं चाहते थे कि मै नागपुर में रहूं, इसलिए तो मेरे नागपुर पहुंचने के दूसरे दिन से ही पागलों कि तरह भगाने में लग गये थे।


रूही:- हां और तुम भी जब भागे तो उन लोगों को पूरा उंगली करके भागे।


आर्य:- हाहाहाहा.. हां तो जैसा किया वैसा भोगे। लेकिन इन सबमें तुम लोग मेरे साथ हो, वही मेरे लिये खुशी की बात है। फेहरिन, जिसने ना जाने अपने हीलिंग एबिलिटी से कितनो कि जान बचाई। मदद करना जिसके स्वभाव में था, उसके 3 बच्चों की मदद मै कर रहा हूं। तुम समझ नहीं सकती ये बात मुझे कितना सुकून दे रही है...


बॉब:- और इसी चक्कर मे खतरनाक टीनएजर अल्फा पैक लिए घूम रहे हो आर्य। हां, लेकिन तीनों ही बहुत प्यारे है। काफी बढ़िया प्रशिक्षण दिया है तुमने। अब जरा काम की बात कर ले।


आर्य:- हां बॉब..


रूही:- बॉब रुको तुम। इससे पहले कि एक बार और इस बकड़ी की शक्ल वाली लड़की ओशुन को बचाने के लिये आर्य आगे बढ़े, उस से पहले मैं कौन बनेगा करोड़पति खेलना चाहूंगी... बॉस रेडी...


आर्यमणि के उतरे चेहरे पर बहुत देर के बाद हंसी थी और वो हंसते हुए रूही के गर्दन को दबोचकर उसके गाल को काटते हुए... "हां पूछो"..


रूही:- अव्वववव ! बॉस दूध पीती बच्ची की तरह ट्रीट मत करो। सवाल दागुं पहली…


आर्यमणि:- जी..

रूही:– यूरोप से लौटकर नागपुर किन २ सवालों को लेकर पहुंचे थे?

आर्यमणि:– बता तो चुका हूं...

रूही:– एक बार और

आर्यमणि:– अनंत कीर्ति की पुस्तक कैसी दिखती है और एक ट्रू अल्फा हीलर फेहरीन के लिये...


रूही:– तुम्हे क्या लगता है बॉस अनंत कीर्ति की पुस्तक उन ढोंगी प्रहरी के हाथ कैसे लगी होगी?


आर्यमणि:– अनंत कीर्ति की पुस्तक की कहानी इतनी सी है कि उसे कोई अपेक्स सुपरनैचुरल.…


रूही:- बॉस आता हे ( मतलब अब ये) अपेक्स सुपरनैचुरल…


एलियन को एपेक्स सुपरनैचुरल कहना थोड़ा खटक गया इसलिए रूही बीच में ही आर्यमणि को टोक दी।


आर्यमणि:- मान लो ना अभी के लिये की किताब के बारे में जिसने भ्रम फैलाया उसे अपेक्स सुपरनैचुरल कहते है। वरना मैं कैसे समझाउंगा। बॉब के सामने वो शब्द का इस्तमाल नही कर सकता...


(दरअसल बात एलियन कहने की हो रही थी और आर्यमणि ये बात सबके सामने नहीं जाहिर होने देना चाहता था)


रूही:- सॉरी बॉस..


बॉब:– तुम अपने गुरु से बात छिपा रहे। अच्छा ही होता जो तुम्हे काली खाल में रहने देता ..


आर्यमणि, कुछ सोचकर बात को घुमाने के इरादे से... "बॉब मैं नही चाहता की तुम्हे वो सच पता लगे"..


बॉब:– अब इतना सस्पेंस न क्रिएट करो। मैं यदि सस्पेंस क्रिएट करता फिर तुम्हारा क्या होता आर्य...


आर्यमणि:– ठीक है बॉब, मैं बताता हूं, लेकिन तुम खुद को संभालना... फेहरीन को मारने वाले यही एपेक्स सुपरनैचुरल थे। अब चूंकि रूही उसकी बेटी है और उसके मां यानी फेहरीन के कातिलों को एपेक्स कहना उसे अच्छा नहीं लग रहा...


बॉब, आश्चर्य से आंखें बड़ी करते... "क्या तुम्हे फेहरीन के कातिलों के बारे में पता था, और तुमने मुझे बताया नही?"


रूही, बॉब के कंधे पर हाथ रखती.… "बॉब, प्लीज पैनिक न हो। आर्यमणि बस तुम्हे दुखी नही देखना चाहता था। वैसे भी हम तो उनसे हिसाब लेंगे ही, लेकिन अभी हम उन सुपरनैचुरल को पूरी तरह से जानते नही, इसलिए खुद को सक्षम बना रहे।"…


बॉब:– ओह इसलिए आर्य अल्फा पैक लिये घूम रहा और तुम सबको प्रशिक्षण दे रहा।


रूही:– हां बॉब.. अब बॉस को बात पूरी करने दो। चलो एपेक्स सुपरनैचुरल की बात मान ली, आगे...


आर्यमणि:- हां तो अनंत कीर्ति की पुस्तक की सच्चाई इतनी है कि उसके संरक्षक को मारकर वो पुस्तक अपेक्स सुपरनैचुरल के पास पहुंच गयी। उन अपेक्स सुपरनैचुरल ने पूरे प्रहरी सिस्टम को कुछ ऐसे करप्ट किया है, जिनसे वहां काम करने वाले बहुत से अच्छे प्रहरी को लगता है कि वो समाज को सुपरनैचुरल के प्रकोप से बचा रहे है। जबकि सच्चाई ये है कि वो अपेक्स सुपरनैचुरल उनको झांसा देकर अपना निजी मकसद साधने मे लगा है।


रूही:- ओह तो ये बात है। लेकिन बॉस कुछ तो मिसमैच है। आप कुछ और समीक्षा छिपा रहे हो ना... मुझे रोचक तथ्य किताब की बात खटक रही है..


आर्यमणि एक बार फिर मुस्कुराते... "मेरे दादा जी कहते थे कि एक पुस्तक की सच्चाई इस बात पर निर्भर नहीं करती की उसे कितने वर्ष पूर्व लिखा गया है, क्योंकि लिखने वाला कोई ना कोई इंसान ही होता है। आप का बौद्धिक विचार, कल्पना और उस समय के घटनाक्रम की सारी स्थिति को पूर्ण अवलोकन के बाद ही किसी निष्कर्ष पर पहुंचना चाहिए।"

"सभी आकलन के बाद आपका बौद्धिक विकास एक थेओरी को जन्म देता है और वो थियोरी यदि पूर्ण रूप से उस किताब से मैच कर जाये तो वो किताब आपके लिए तथ्य पूर्ण है। और हां कभी भी उस दौर के मौखिक कथा को नजरंदाज नहीं करना चाहिए क्योंकि बहुत सी अंदरुनी बाते एक बाप अपने बेटे को बताता है और बेटा अपने बेटे को लेकिन वो सभी गुप्त बातें उस पुस्तक में नहीं मिलती..."


रूही:- बॉस मैं इंजिनियरिंग की स्टूडेंट थी, फिलॉस्फी की नहीं। और ना ही मेरा मूड है सोने का। सीधा वो रोचक तथ्य के बारे में बताओ।


आर्यमणि:- "इसलिए मैं किसी से बात नहीं करना चाहता मूर्खों। रोचक तथ्य मेरे हिसाब से एक भरमाने वाली किताब थी। श्रेयुत महाराज एक बड़ा नाम होगा उस दौड़ का, इसलिए उस नाम का या तो इस्तमाल हुआ है या फिर उसकी पूरी पहचान ही चुराकर किताब में अपने हिसाब का प्रहरी समाज लॉन्च किया गया था। जहां मदद मांगने आये हर राजा से कहा गया था कि प्रहरी को उसके शहर का बड़ा व्यावसायिक बनाया जाय, ताकि इनके पास धन की कोई कमी ना रहे।"

"जहां तक मुझे लगता है उस रोचक तथ्य मे इस्तमाल होने वाला नाम ही केवल सच था और कुछ भी नहीं। सरदार खान 400 वर्ष पूर्व का था। वो जिस आचार्य के पास गया वो पहले से सिद्धि वाला था। यानी वो प्रहरी का कोई सिद्ध पुरुष सेवक था या फिर अनंत कीर्ति किताब के मालिक का वंसज। वंसज इसलिए कहा क्योंकि अनंत कीर्ति की पुस्तक 1000 सालों से भी पुरानी है और उसका पहला संरक्षक बैधायन भारद्वाज भी उसी दौड़ का होगा।"

"जब कोई रक्षा संस्था बनता है तो वहां क्षत्रिय को रक्षक चुना जाता है। ये प्रहरी मे केवल विशुद्ध ब्राहमण का कॉन्सेप्ट कहां से आ गया। ये सारे लोचे लापाचे उस रोचक तथ्य के ही फैलाए हुये है। वरना भारतीय इतिहास गवाह है कि ज्ञान किसके जिम्मे था और रक्षा करना किसके जिम्मे। इसलिए शुरू से मुझे पता था कि रोचक तथ्य एक भरमाने की किताब थी। बस संन्यासी शिवम से मिलने से पहले मैं समझ नहीं पा रहा था कि आखिर ये किताब किस उद्देश्य से लिखी गयी है। वैसे एक बात बताओ की इतने सारे सवाल रोचक तथ्य के किताब से ही क्यों? जबकि सतपुरा में ही मैने तुम्हे बताया था कि रोचक तथ्य की पुस्तक में सच झूठ का मिश्रण था।"


रूही:– सत्य... बिलकुल सत्य, लेकिन आपके हर सत्य के बीच एक झूठ शुरू से उजागर हो रहा है? बिलकुल उस रोचक तथ्य के पुस्तक की तरह। कहीं तुम्हे झूठ बोलने का ज्ञान रोचक तथ्य के किताब से तो नहीं मिला।


आर्यमणि:– कौन सा झूठ?


रूही:– "बार–बार इस बात पर जोर देना की तुम केवल 2 छोटे सवाल लेकर नागपुर पहुंचे। मुझे एक बात तुम समझा दो बॉस, जिस किताब रोचक तथ्य पर यकीन ही नहीं था, फिर उसके अंदर की कही हर बात इतने डिटेल में कैसे पता? क्या मात्र 2 जिज्ञासा ही थी, फिर वो रीछ स्त्री का जहां अनुष्ठान हो रहा था वहां कैसे पहुंचे?"

"जब मात्र जिज्ञासा वश पहुंचे, फिर तुम हर बार प्रहरी से एक कदम आगे कैसे रहते थे? तुम तो प्योर अल्फा हो न फिर तुम्हे कैसे पता था कि प्रहरी तुम्हे वेयरवॉल्फ ही समझेंगे, कोई जादूगर अथवा सिद्ध पुरुष नही? तुम्हे पता था कि तुम क्या करने वाले हो और उसका नतीजा क्या होगा इसलिए सेक्स के वक्त भी तुम्हे पूर्ण नियंत्रण चाहिए था ताकि थिया के जैसे न मामला फंस जाये?

अनंत कीर्ति के किताब के बारे में भी तुम्हे पहले से पता थी कि कहां रखी है, वरना सीधा सुकेश के घर में घुसकर चोरी करने की न सोचते। बल्कि पहले पता लगाते की अनंत कीर्ति की किताब रखी कहां है? तुम्हे नागपुर में किसी के बारे में कुछ भी पता करने की जरूरत नहीं थी, तुम सब पहले से पता लगाकर आये थे। बॉस मात्र २ छोटे से जिज्ञासा के लिये इतना होमवर्क कैसे कर गये?"

"स्वामी का ऊस रात तुम्हारे पास पहुंचाना और झोली में सुकेश के घर का सारा माल डाल देना महज इत्तफाक नहीं हो सकता। आर्म्स एंड एम्यूनेशन का प्रोजेक्ट हवा में नही आया, उसकी पूरी प्लानिंग यूरोप से करके आये थे। किसी के दिमाग की पूरी उपज और उसका प्रोजेक्ट चुराया तुमने।"

"जादूगर का दंश जो सुकेश के घर से गायब हुआ था, वो मुझे कहीं दिख नही रहा, बड़ी सफाई से तुमने उसे कहीं गायब कर दिया। और न ही अपने घर से गायब होने और लौटकर वापस के आने के बीच का लगभग 18 महीना मिल रहा है? क्योंकि जर्मनी पहुंचने से लेकर बॉब के पास से विदा लेने में तुम्हारे 18 महीने लग गये होंगे, जबकि तुम घर से 36 महीने के लिये गायब हुये थे।"

"7–8 साल की उम्र में जो बच्चे ढंग से सुसु – पोट्टी टॉयलेट में नही करने जा सकते, उस उम्र में तुम्हे सच्चा वाला लव हो गया था। अरे लगाव कह लेते तो भी समझ में आता, सीधा सच्चा वाला लव वो भी जंगल में पेड़ के नीचे बैठ कर गोद में सर रखा करते थे। तुम्हे नही लगता की तुम्हारी ये कहानी बहुत ही बचकाना थी, जिसे हजम करना मुश्किल हो सकता है?"

"तुम्हारा पासपोर्ट यूएसए ट्रैवल कर रहा था और तुम वुल्फ हाउस में थे। उस दौड़ में ताजा तरीन मैत्री का केस हुआ था, तब भी तुम किसी को वुल्फ हाउस में नही मिले? एक पिता जो बेटे के लिये तड़प रहा था। भूमि देसाई जो इतनी बड़ी शिकारी थी, और जिसके इतने कनेक्शन, वो सब तुम्हे ढूंढ नही पायी? जबकि मैं होती तो वुल्फ हाउस के पूरे इलाके को ही पहले छान मरती। ये इतनी सी बात मुझे समझ में आ गयी लेकिन तुम्हे ढूंढने वालों को समझ में नहीं आयी? क्या यह जवाब बचकाना नही था कि तुम्हारे घर के लोग तुम्हे ढूंढना नही चाहते थे? किसके घर का 16–17 साल का लड़का किसी लड़की के वियोग में भाग जाये और उसके घर के लोग ढूंढना नही चाहते हो?

"वापस लौटकर सीधा गंगटोक गये और पारीयान की भ्रमित अंगूठी और पुनर्स्थापित पत्थर उठा लाये। तुम्हारा इसपर जवाब था कि जिस दौड़ मे गायब हुय तब तुम्हे पता चला की बहुत से लोग इन समान के पीछे है, लेकिन आज जब तुम कहानी सुना रहे थे तब तो एक आदमी भी इन समान के पीछे नही दिखा।"

"हम दोनो को पता था कि वो डॉक्टर और उसकी पत्नी हमसे झूठ बोल रही है, फिर भी हम दोनो यहां आये। मुझे पक्के से यकीन है कि तुम पहले से ही यहां आने का मन बना चुके थे। तुम्हे पता था कि तुम यहां क्या तलाश करने आ रहे हो बॉस। नाना मैं ओशुन कि बात नही कर रही। ओशुन की जगह यहां कोई भी लड़की लेटी हो सकती थी। लेकिन वो लड़की जिस हालत में लेटी है वो हालात आपके लिये नया नही है। ये किसी प्रकार का अनुष्ठान ही है ना, जिसका ताल्लुक कहीं न कहीं नागपुर से ही है?

"क्या अदाकारी थी। बॉब को फेहरीन के कातिलों के बारे में नही बताना चाहते थे, लेकिन बॉब जो फेहरीन का भक्त था, उसे ये बात जानकर बहुत ज्यादा आश्चर्य नही हुआ। ऐसा लगा जैसे बस खाना पूर्ति हो रही है। बॉस एक बात सच कहूं, मुझे अब आप पर यकीन ही नहीं। तुम्हारा नागपुर आना और बाद में नागपुर से भागना मुझे सब सुनियोजित योजना लगती है लेकिन तुम थोड़े ना कुछ बताओगे? बस गोल–गोल घुमाते रहो। बॉब अब तुम अपने काम में लग सकते हो।"
Nice update
 

Itachi_Uchiha

अंतःअस्ति प्रारंभः
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भाग:–87





दोबारा वो लोग हूटिंग करने लगे। मुझे कंधे पर बिठा लिया। मुझसे वहीं रुकने का आग्रह करने लगे और साथ में शिकार की कुछ ट्रेनिंग भी देने। खैर रुकने और ट्रेनिंग के लिये तो मैं राजी हुआ ही साथ में वुल्फ हाउस और ब्लैक फॉरेस्ट को पूरा मुक्त कराने का क्रेडिट भी शिकारियों को दे दिया। बदले में मैने उनसे वुल्फ हाउस का मालिकाना हक मांग लिया। मैं उस प्रॉपर्टी को नहीं छोड़ना चाहता था, जहां मेरे इवोल्यूशन की कहानी लिखी गयी थी। मैने तो अपना मांग लिया लेकिन बॉब मेरे पीछे अपनी काफी जमा पूंजी उड़ा चुका था, इसलिए उसने 1 लाख यूरो मांग लिया।


बॉब की ख्वाइश तो दुगनी पूरी हुई। शिकारियों ने उसे 2 लाख यूरो दे दिये। मेरे मांग में थोड़ी अर्चन आयी लेकिन मैक्स ने मेरी ख्वाइश पूरी कर दिया। हां लेकिन मुझे वुल्फ हाउस के लिये अलग से 1 लाख यूरो देने पड़े थे। वुल्फ हाउस की पूरी प्रॉपर्टी मेरी हुई। मैं वुल्फ हाउस छोड़ने से पहले अपनी यादें वहां छोड़ना चाहता था, इसलिए मैक्स के प्रस्ताव को मैने स्वीकार कर लिया।


वहां मैं और बॉब कुछ महीनो तक ठहरे। मुझे कुछ यादों को मूर्त रूप देना थे इसलिए जरूरी हो गया था कुछ लोगों की यादें चुराना। फालतू काम था, लेकिन मुझे करना पड़ा। जर्मनी के सबसे बढ़िया शिल्पकार का हमने पता लगाया। पता चला अपना देशी शिल्पकार ही था। राजस्थान का एक शिल्पकार परिवार पलायन करके जर्मनी में बसा था, जिसके पास ऐसा हुनर था कि किसी दुल्हन का घूंघट भी वह पत्थर को तराशकर बनाते थे जो अर्द्ध पारदर्शी होता और घूंघट के पीछे दुल्हन का चेहरा देखा जा सकता था। उसके अलावा मैं एक मेकअप आर्टिस्ट से भी मिला।


दोनो के हुनर मेरे पास थे और दोनो को उसके बदले मैने एक लाख यूरो दिया था। मुझे हुनर सीखाने की कीमत। मेरे और बॉब के बीच की बातें जारी रही साथ में वुल्फ हाउस की बहुत सी यादों को मैं मूर्त रूप दे रहा था। कुछ महीनो में मैने वहां 400 प्रतिमा बना दिया, जिसमे वुल्फ और इंसान दोनो की प्रतिमा थी। पूरी प्रॉपर्टी में प्रतिमा ही नजर आती। पहले दिन की खूनी रस्म से लेकर आखरी दिन की लड़ाई को मैने मूर्त रूप दे दिया था। इसी बीच अमेजन के जंगल की एक अल्फा हीलर फेहरीन के कारनामे की दास्तान बॉब ने शुरू कर दिया। बॉब चाहता था कुछ प्रतिमा जड़ों से ढका रहे। बॉब इकलौता ऐसा था जिसे फेहरीन के एक अप्रतिम कीर्तिमान का ज्ञान था। क्ला को जमीन में घुसाकर जमीन से जड़ों को निकाल देना।


थोड़े दिन की मेहनत और मैं भी फेहरीन की तरह कीर्तिमान स्थापित करने में कामयाब रहा था। कई पत्थरों पर मैने जड़ों को ऐसे फैलाया जैसे सच के कोई इंसान या जानवर खड़े थे। प्रतिमाओं को स्थापित करने के बाद उनके मेकअप का काम मैने शुरू किया। पूरे वुल्फ हाउस को मैने अपनी कल्पना दी थी। प्रतिमाओं के जरिये मैंने शेप शिफ्ट करने की पूरी प्रक्रिया को ही 5–6 प्रतिमाओं में दिखा दिया था। ईडन का बड़ा सा डायनिंग टेबल हॉल के मध्य में बनाया और 80 कुर्सियों पर इंसान और वेयरवॉल्फ को साथ बैठे दिखाया था। कुल मिलाकर मैं अपने इवोल्यूशन की कहानी वहां पूरा दर्शा गया। और अंदर के जंगल में देखने वाले मेहसूस करते की एक वेयरवोल्फ कितना दरिंदे हो सकते थे।


वुल्फ हाउस के दायरे में जितना जंगल पड़ता था, उसमे मैने अपने ऊपर के अत्याचार की कहानी लिखी थी। कई दरिंदे एक असहाय को नोचते हुये। वहां मैने छोटी सी प्रेम कहानी को भी कल्पना की मूर्त रूप दिया था। जिसके आगे मैने एक मतलबी लड़की की कहानी भी दर्शा दिया जिसने मेरे भावनाओं के साथ खेला था। और इन सब चक्र के अंत में मेरा आखरी इवोल्यूशन, एक श्वेत रंग का वेयरवॉल्फ, जो वहां के इंसान और वेयरवॉल्फ के बीच शांति स्थापित करने का कार्य किया था। 6 महीने से ऊपर लगे लेकिन जब मैने पहली बार वुल्फ हाउस का दरवाजा खोलकर लोगों को अंदर आने दिया और वुल्फ हाउस का पूरा प्रांगण घुमाया, तब वह जगह सैलानियों के आकर्षण का केंद्र बन गया।


मैक्स और उसकी टीम को जब खबर लगी वो लोग भी पूरे जत्थे के साथ घूमने पहुंचे और वहां के प्रतिमाओं को देखकर कहने लगे... "जो सुपरनैचुरल दुनिया को नही जानते है, उनके लिये भी तुमने जीवंत उदाहरण छोड़ दिया है। वेयरवोल्फ के बदलाव से लेकर उनकी पूरी क्रूरता की कहानी। हां लेकिन एक प्रतिमा को तुमने मसीहा दिखाया है। क्या सुपरनैचुरल की दुनिया में भी अच्छे वुल्फ होते है।"… बस मैक्स का ये एक सवाल पूछना था और बॉब के पास तो वैसे भी कहानियों की कमी नही थी। और हर अच्छे वुल्फ के कहानी की शुरवात वो फेहरीन से ही करता था।


उस दिन जब मैक्स कई सैलानियों के साथ वुल्फ हाउस पहुंचा तब उसने मुझे एक बार और फसा दिया। जैसा ही उसने सबको बताया की ये कलाकृतियां मेरी है। कुछ लड़कियां मर मिटी। वो सामने से चूमने और बहुत कुछ करने को बेकरार थी। मैं उनकी भावना समझ तो रहा था लेकिन किसी स्त्री के साथ संभोग.. शायद इसके लिये मुझे बहुत इंतजार करना था। मेरी हालत पतली और कमीना बॉब मजे ले रहा था। किसी तरह जान बचाकर निकला।


वो जगह जंगल प्रबंधन ने मुझसे लीज पर ले लिया और सैलानियों के मनोरंजन के लिये उसे हमेशा के लिये खोल दिया गया था। मैं भी एक शर्त के साथ राजी हो गया की मुझे इस जगह का कोई लाभ नहीं चाहिए, बस ये संपत्ति हमेशा मेरी रहेगी। उन लोगों ने मेरी शर्त पर सहमति जता दी। जर्मन का काम खत्म करके एक बार फिर मैं और बॉब, बोरीयल, रशिया के जंगलों के ओर रुख कर चुके थे।


बॉब और फेहरीन। जैसे वो फेहरीन का भक्त था। बॉब से बातें करते वक़्त फिर वो पहला जिज्ञासा भी सामने आया जो मुझे नागपुर आने पर मजबूर किया था। बॉब अमेजन के जंगलों की ओर निकला था, क्योंकि गुयाना की एक वेयरवुल्फ अल्फा, नाम फेहरिन, हां तुम्हारी आई रूही उन्हीं की बात कर रहा हूं। बॉब उसी अल्फा हीलर से मिलने गया था। उसमे हील करने की अद्भुत क्षमता थी, शायद मेरे जितनी या मुझ से भी कहीं ज्यादा। लेकिन बॉब जबतक मिल पता, वहां शिकारियों का हमला हो गया। उसके पैक को खत्म कर दिया गया और उसे भारत के सबसे ख़तरनाक शिकारी पकड़कर नागपुर, ले आये थे।


बॉब की जानकारी को मैंने तब अपडेट नहीं किया। मैंने उसे नहीं बताया कि मै जानता हूं महान अल्फा हीलर फेहरीन को कौन शिकारी लेकर गये? मैं नागपुर लौटा क्योंकि मेरे मन में एक ऐसे अल्फा हीलर से मिलने की जिज्ञासा थी, जिसने अपना एक मुकाम हासिल किया था। जब भी बॉब तुम्हारी मां की बात करता ना वो बस यही कहता इंसानियत को ज़िंदा रखने का ज़ज़्बा किसी और मे हो नहीं सकता। एक नहीं फिर फेहरीन के हजार किस्से थे बॉब के पास, और हर बार फेहरीन से जुड़े नये किस्से ही होते। हां लेकिन तब ना तो बॉब को पता था और ना ही मुझे की शिकारी और सरदार खान ने मिलकर उसका क्या हाल किया। यदि उसके बचे 3 बच्चों (रूही, ओजल, इवान) के लिए मै कुछ कर रहा हूं तो ये मेरे लिए गर्व कि बात है।


वहीं मेरी दूसरी जिज्ञासा थी अनंत कीर्ति की किताब। बॉब के किताब संग्रह को मै देख रहा था। उसमें एक पुस्तक थी "रोचक तथ्य"। संस्कृत भाषा की इस पुस्तक में काफी रोचक घटनाएं लिखी हुई थी। जिसमे उल्लेखित कई घटनाएं उन सर्व शक्तिमान सुपरनैचुरल के बारे में थे, जो खुद को भगवान कि श्रेणी में मानते थे और कैसे उन तथा कथित भगवान का शिकार किया गया।


ज्यादातर उसमे बीस्ट अल्फा, इक्छाधरी नाग और विष कन्या का जिक्र था, जो किसी राजा के लिए कातिल का काम करते थे। उसी पुस्तक में वर्णित किया गया था तत्काल भारत में जब छुब्द मानसिकता के मजबूत इंसान, जैसे कि सेनापति, छोटे राज्य के मुखिया, लुटेरों का कबीला, सुपरनैचुरल के साथ मिलकर अपना वर्चस्व कायम करने में लगे थे। तब उन्हें रोका कैसे जाये, इस बात पर गहन चिंतन होने लगी।


रोचक तथ्य के लेखक बताते है कि पहली बार मुगलिया सल्तनत और अन्य राज्य जिन्होंने पुरानी सारी जानकारी की पुस्तक अपने पागलपन में मिटा दी थी, उनके पास इन सुपरनैचुरल को रोकने का कोई उपाय नहीं था और अपने कृत्य के लिए सभी अफ़सोस कर रहे थे। ना केवल भारत में बल्कि विकृति सुपरनैचुरल पूरे पृथ्वी पर कहर बरसा रहे थे। उन विकृति सुपरनैचुरल की पहचान करने और उन पर काबू करने के लिए देश विदेश की बड़ी–बड़ी ताकते एक साथ एक बार फिर नालंदा के ज्ञान भण्डार के ओर रुख कर चुकी थी। तकरीबन भारत के 30 राजा, और विदेश के 200 राजा इस सम्मेलन में हिस्सा लेने आये थे।


आचार्य श्रीयुत, अचार्य महानंदा के शिष्य थे और महानंदा शिष्य थे अचार्य श्री हरि महाराज के, जिन्होंने एक विकृति रीछ को विदर्व के क्षेत्र में बंधा था, जिसका उल्लेख उसी रोचक तथ्य के पुस्तक में था। पीढ़ी दर पीढ़ी पूर्ण सिक्षा को आगे बढ़ाने के क्रम में श्री हरि महाराज की सिद्धियां इस वक़्त अचार्य श्रीयुत के पास थी। आचार्य श्रेयुत सभी देशों के मुखिया से मिले और यह कहकर मदद करने से मना कर दिया कि….. "सत्ता और ताकत के नशे में चुड़ राजा खुद ही ऐसे दुर्लभ प्रजाति (सुपरनैचुरल) की मदद लेते है, अपने दुश्मनों के कत्ल के लिये। विषकन्या जैसी कातिलों को तैयार करते हैं। खुद का लगाया वृक्ष जब भूतिया निकल गया तो आज आप सब यहां सभा करने आये है। चले जाएं यहां से।"..


सभी राजा, महराजा, शहंशाह और बादशाह ने जब उनके कतल्ले आम की दास्तां बताई तब अचार्य श्रीयुत का हृदय पिघल गया और उन्होंने आये हुये राजाओं से उनके 10 बुद्धिमान सैनिक मांग लिये। श्रीयुत ने मदद के बदले कुछ शर्तें भी रखी उनके पास। आचार्य श्रीयुत नहीं चाहते कि भविष्य में फिर कोई ऐसी समस्या उत्पन्न हो इसके लिए उनकी शर्त थी….


"वो अपने 12 शिष्यों को दुर्लभ प्रजाति और इंसनो के बीच का द्वारपाल यानी प्रहरी बनाएंगे, जो दोनो दुनिया के बीच में संतुलन स्थापित कर सके।"

"जहां कहीं भी विकृति मानसिकता वाले मनुष्य, विकृति दुर्लभ प्रजाति के साथ मिलकर लोक हानि करेंगे, तो उसे सजा देने मेरे शिष्य या उसके अनुयाई जाएंगे। पहले अनुयाई वो सैनिक होंगे जो आपसे हमने मांगे है। प्रहरी पहुंचेंगे और फिर चाहे दोषी कोई राजा ही क्यों ना हो आप सब को मिलकर उसे सजा देनी होगी।"

"हमारे शिष्य और उसके अनुयाई किसी के भी राज्य में कभी भी छानबीन करने जा सकते है, जिन्हे आपकी राजनीतिक और आर्थिक राज्य नीति में कोई दिलचस्पी नहीं होगी। वह उस राज्य में दुर्लभ प्रजाति की स्तिथि और विकृति मानसिकता के लोगों का उनके प्रति रुझान देखने जाएंगे। जिसके लिये आप सभी को करार करना होगा की उनकी सुरक्षा, और काम में बाधा ना आने की जिम्मेदारी उस राज्य के शासक की होगी।"

"यदि आप सभी ये प्रस्ताव मंजूर है तो ही मै पहले आपके लोगो को प्रशिक्षित करूंगा, फिर अपने 12 सदस्य शिष्यों को तैयार करूंगा।"


आचार्य श्रीयुत की बात पर सभी शासक काफी तर्क करने के बाद इस नतीजे पर पहुंचे कि उनकी शर्त जायज है, और भविष्य नीति के तहत एक सुदृढ़ कदम भी। हर राजा ने करार पर हस्ताक्षर करके अपनी मुहर लगा दी। उसके बाद तकरीबन 1 साल तक आचार्य श्रीयूत ने अपने गुरु की पुस्तक "अनंत कीर्ति" के 5 अध्याय का प्रशिक्षण उन सभी को 1 वर्ष तक करवाया और प्रशिक्षण पूर्ण होने के उपरांत उन्होंने सबको वापस भेज दिया।


उसके बाद आचार्य श्रीयूत ने अपने 12 प्रमुख शिष्यों को अनंत कीर्ति के 10 अध्याय तक का प्रशिक्षण दिया। उन्हें लगभग 3 साल तक प्रशिक्षित किया गया और जब उनकी प्रशिक्षण पूर्ण हुई, तत्पश्चात अचार्य श्रीयूत ने उन 12 सदस्य में से वैधायन भारद्वाज को सबका मुखिया बाना दिया, और उन्हें राजाओं द्वारा मिली धन, स्वर्ण मुद्रा और आवंटित जमीन के करार सौंप कर उन्हें दो दुनिया का द्वारपाल बनाकर लोकहित कल्याण के लिए संसार के विभिन्न हिस्सों में जाने और अपने अनुयायि बनाने की अनुमति दे दी।


3 वर्ष बाद ही आचार्य श्रीयूत की अकाल मृत हो गयी। उनकी मृत के पश्चात उनके मुख्य शिष्य वैधायन को उनके अनंत पुस्तक का वारिस बनाया गया। हालांकि अनंत कीर्ति की पुस्तक एक अलौकिक पुस्तक थी, जिसमें 25 अध्याय लिखे गये थे। इस पुस्तक को संरक्षित करने का तो वारिस मिल गया, किन्तु उस पुस्तक को पढ़ने की विधि आचार्य श्रीयूत किसी को बताकर नहीं जा सके।


मना जाता था कि अनंत कीर्ति की पुस्तक में काफी हैरतअंगेज जानकारियां थी, जो पिछले कई हजार वर्षों से आचार्य अपने शिष्यों में आगे बढ़ाते हुये जा रहे थे, जिसका सिलसिला आचार्य श्रीयुत की मौत से टूट गया। पुस्तक को खोलने की एक विधि जो प्रचलित है…

"यदि कोई भी व्यक्ति 25 प्रशिक्षित लोगो से एक साथ 25 तरह के हथियार के विरूद्ध लड़े, और बिना अपने रक्त का एक कतरा बहाये यदि वह ये लड़ाई जीत जाता है, तो वो व्यक्ति उस अनंत कीर्ति की पुस्तक को खोल सकता है।"… इसी के साथ रोचक तथ्य का यह अध्याय समाप्त हो गया और मेरे मन की जिज्ञासा शुरू।


मजे की बात यह थी कि रोचक तथ्य में वर्णित इतिहास सच–झूठ का एक अनोखा संगम था, जिसे तत्काल प्रहरी समुदाय के फैलाये झूठ के आधार पर तांत्रिक अध्यात द्वारा लिखा गया था। यही वो किताब जरिया बनी फिर महाजनिका की आजादी का। बहरहाल मुझे उस वक्त भी उस पुस्तक पर पूरा यकीन नही था क्योंकि 25 तरह के हथियार से लड़ने की व्याख्या ही पूरी तरह से गलत थी। हां लेकिन रीछ समुदाय का इतिहास मेरे जहन में था और प्रहरी को तो मैं शुरू से जनता था। इसलिए मेरी दूसरी जिज्ञासा उस अनंत कीर्ति की पुस्तक को देखने की हुई। जिसे खोल तो नही सकता था लेकिन कम से कम देख तो लेता।


मै बॉब से हंसकर विदा ले रहा था और साथ ही ये कहता चला कि अब भविष्य में उससे दोबारा फिर कभी नहीं मिलूंगा। बॉब से विदा भी ले चुका था एक सामान्य जीवन की पूर्ण इक्छा भी थी, क्योंकि मुझे पहचानने वाला कोई नहीं था। एक गलती करके बुरा फंसा था, वो था सुहोत्र लोपचे की जान बचाना। यदि मर जाने दिया होता तो मेरी सामान्य सी जिंदगी होती। इसी को आधार मानकर मै ये भी तय कर चुका था कि भार में गया मदद करना। मैं भी उस भीड़ का हिस्सा हूं जो पूर्ण जीवन काल में बिना एक भी दुश्मनी किये, बिना किसी लड़ाई झगड़े के जीवन बिता देते है। लेकिन ये इंसानों के जानने की जिज्ञासा... मेरे मन की जिज्ञासा में 2 सवाल घर कर गये थे..


एक सुपर हीलर अल्फा फेहरीन को अमेजन के जंगल से नागपुर क्यों लाया गया? वो अनंत कीर्ति की पुस्तक दिखती कैसी होगी? उसपर हाथ रखने का एहसास क्या होगा और क्या जब मै उसपर अपने हाथ रखूंगा तो अपने बारे में कुछ कहानी बयान करेगी?


मेरे लिए बस 2 छोटे से सवाल थे जिसका जवाब मै जनता था कि कहां है, किंतु मुझे तनिक भी एहसास नहीं था कि इन दोनों सवाल के जवाब ढूंढ़ने के क्रम में इतनी समस्या आ जायेगी... सवाल के जवाब तो कोसो दूर थे उल्टा मै खुद ही कई उलझनों में फंस गया। ये थी एक पूरे दौड़ कि कहानी जब मै गायब हुआ था।



आर्यमणि पहली बार अपनी दिल की भावना और अपने साथ हुए घटना को किसी के साथ साझा कर रहा था। रूही को अपने मां के बारे में जितनी जानकारी नहीं थी, उससे कहीं अधिक जानकारी तो आर्यमणि और बॉब के पास थी। हां लेकिन एक बात जो इस वक़्त रूही के अंदर चल रही थी उसके दुष्परिणाम से जल्द ही आर्यमणि अवगत होने वाला था।
Wahhh maja aa gaya nain11ster bhai. Jaise jaise flashback khtam hone ki taraf badhta ja raha hai. Ek ek karke kai sare raj khulate ja rahe hai. Sath hi kahani bhi aur bhi jyada rochak hoti ja rahi hai. Jab aarya aur bob itna kah hi rahe hai to Ruhi ki ma fehrin such me bahut jyada khaas hogi. Aur ab ek raj ye hai ki jis anant kirti book ko pahri ke mahapusu ne 10 chapters se jyada nahi padha kya aarya us book ko khol ke uske chapters ko read kar payega ? Aur kar payega bhi to aakhir kitne chapter thak read kar payega wo ? Aur aakhir me aap kis chij ki baat kar rahe the ?
भाग:–88




आर्यमणि पहली बार अपनी दिल की भावना और अपने साथ हुए घटना को किसी के साथ साझा कर रहा था। रूही को अपने मां के बारे में जितनी जानकारी नहीं थी, उससे कहीं अधिक जानकारी तो आर्यमणि और बॉब के पास थी। हां लेकिन एक बात जो इस वक़्त रूही के अंदर चल रही थी उसके दुष्परिणाम से जल्द ही आर्यमणि अवगत होने वाला था।


आर्यमणि और रूही दोनो ही लगभग खोये से थे, तभी उस माहौल में ताली बजनी शुरू हो जाती है। बॉब उन दोनों का ध्यान अपनी ओर खिंचते… "आर्य सर ने किसी से लगातार 4-5 घाटों तक बातचीत की। सॉरी बातचीत कहां, लगातार अपनी बात कहता रहा, कमाल है।"


रूही बॉब की बात पर हंसती, आर्य के गाल को चूमती हुई कहने लगी… "बड़ी मुश्किल से मेरा दोस्त सुधरा है बॉब, नजर मत लगाओ। वैसे भी इसकी जिंदगी में भूचाल लाने का श्रेय तुम्हे ही जाता है। वरना ये तो नॉर्मल सी लाइफ जीने गया था नागपुर, जहां इसके 2 प्यारे दोस्त और इसकी सब से क्लोज भूमि दीदी रहती है।"..


बॉब:- क्या वाकई में ये अपने सवालों के कारण फसा है। मुझे नहीं लगता की ऐसा कुछ हुआ होगा। सवालों के जवाब ढूंढ़ने के लिए इसे ज्यादा अंदर तक घुसने कि जरूरत भी नहीं पड़ती, क्यों आर्य?


आर्य:- हां रूही, बॉब सही कह रहा है। मै तो नागपुर बस जिज्ञासावश और अपने लोगों के पास गया था। लेकिन कोई मुझे पहले से निशाने पर लिया था। कुछ लोग नहीं चाहते थे कि मै नागपुर में रहूं, इसलिए तो मेरे नागपुर पहुंचने के दूसरे दिन से ही पागलों कि तरह भगाने में लग गये थे।


रूही:- हां और तुम भी जब भागे तो उन लोगों को पूरा उंगली करके भागे।


आर्य:- हाहाहाहा.. हां तो जैसा किया वैसा भोगे। लेकिन इन सबमें तुम लोग मेरे साथ हो, वही मेरे लिये खुशी की बात है। फेहरिन, जिसने ना जाने अपने हीलिंग एबिलिटी से कितनो कि जान बचाई। मदद करना जिसके स्वभाव में था, उसके 3 बच्चों की मदद मै कर रहा हूं। तुम समझ नहीं सकती ये बात मुझे कितना सुकून दे रही है...


बॉब:- और इसी चक्कर मे खतरनाक टीनएजर अल्फा पैक लिए घूम रहे हो आर्य। हां, लेकिन तीनों ही बहुत प्यारे है। काफी बढ़िया प्रशिक्षण दिया है तुमने। अब जरा काम की बात कर ले।


आर्य:- हां बॉब..


रूही:- बॉब रुको तुम। इससे पहले कि एक बार और इस बकड़ी की शक्ल वाली लड़की ओशुन को बचाने के लिये आर्य आगे बढ़े, उस से पहले मैं कौन बनेगा करोड़पति खेलना चाहूंगी... बॉस रेडी...


आर्यमणि के उतरे चेहरे पर बहुत देर के बाद हंसी थी और वो हंसते हुए रूही के गर्दन को दबोचकर उसके गाल को काटते हुए... "हां पूछो"..


रूही:- अव्वववव ! बॉस दूध पीती बच्ची की तरह ट्रीट मत करो। सवाल दागुं पहली…


आर्यमणि:- जी..

रूही:– यूरोप से लौटकर नागपुर किन २ सवालों को लेकर पहुंचे थे?

आर्यमणि:– बता तो चुका हूं...

रूही:– एक बार और

आर्यमणि:– अनंत कीर्ति की पुस्तक कैसी दिखती है और एक ट्रू अल्फा हीलर फेहरीन के लिये...


रूही:– तुम्हे क्या लगता है बॉस अनंत कीर्ति की पुस्तक उन ढोंगी प्रहरी के हाथ कैसे लगी होगी?


आर्यमणि:– अनंत कीर्ति की पुस्तक की कहानी इतनी सी है कि उसे कोई अपेक्स सुपरनैचुरल.…


रूही:- बॉस आता हे ( मतलब अब ये) अपेक्स सुपरनैचुरल…


एलियन को एपेक्स सुपरनैचुरल कहना थोड़ा खटक गया इसलिए रूही बीच में ही आर्यमणि को टोक दी।


आर्यमणि:- मान लो ना अभी के लिये की किताब के बारे में जिसने भ्रम फैलाया उसे अपेक्स सुपरनैचुरल कहते है। वरना मैं कैसे समझाउंगा। बॉब के सामने वो शब्द का इस्तमाल नही कर सकता...


(दरअसल बात एलियन कहने की हो रही थी और आर्यमणि ये बात सबके सामने नहीं जाहिर होने देना चाहता था)


रूही:- सॉरी बॉस..


बॉब:– तुम अपने गुरु से बात छिपा रहे। अच्छा ही होता जो तुम्हे काली खाल में रहने देता ..


आर्यमणि, कुछ सोचकर बात को घुमाने के इरादे से... "बॉब मैं नही चाहता की तुम्हे वो सच पता लगे"..


बॉब:– अब इतना सस्पेंस न क्रिएट करो। मैं यदि सस्पेंस क्रिएट करता फिर तुम्हारा क्या होता आर्य...


आर्यमणि:– ठीक है बॉब, मैं बताता हूं, लेकिन तुम खुद को संभालना... फेहरीन को मारने वाले यही एपेक्स सुपरनैचुरल थे। अब चूंकि रूही उसकी बेटी है और उसके मां यानी फेहरीन के कातिलों को एपेक्स कहना उसे अच्छा नहीं लग रहा...


बॉब, आश्चर्य से आंखें बड़ी करते... "क्या तुम्हे फेहरीन के कातिलों के बारे में पता था, और तुमने मुझे बताया नही?"


रूही, बॉब के कंधे पर हाथ रखती.… "बॉब, प्लीज पैनिक न हो। आर्यमणि बस तुम्हे दुखी नही देखना चाहता था। वैसे भी हम तो उनसे हिसाब लेंगे ही, लेकिन अभी हम उन सुपरनैचुरल को पूरी तरह से जानते नही, इसलिए खुद को सक्षम बना रहे।"…


बॉब:– ओह इसलिए आर्य अल्फा पैक लिये घूम रहा और तुम सबको प्रशिक्षण दे रहा।


रूही:– हां बॉब.. अब बॉस को बात पूरी करने दो। चलो एपेक्स सुपरनैचुरल की बात मान ली, आगे...


आर्यमणि:- हां तो अनंत कीर्ति की पुस्तक की सच्चाई इतनी है कि उसके संरक्षक को मारकर वो पुस्तक अपेक्स सुपरनैचुरल के पास पहुंच गयी। उन अपेक्स सुपरनैचुरल ने पूरे प्रहरी सिस्टम को कुछ ऐसे करप्ट किया है, जिनसे वहां काम करने वाले बहुत से अच्छे प्रहरी को लगता है कि वो समाज को सुपरनैचुरल के प्रकोप से बचा रहे है। जबकि सच्चाई ये है कि वो अपेक्स सुपरनैचुरल उनको झांसा देकर अपना निजी मकसद साधने मे लगा है।


रूही:- ओह तो ये बात है। लेकिन बॉस कुछ तो मिसमैच है। आप कुछ और समीक्षा छिपा रहे हो ना... मुझे रोचक तथ्य किताब की बात खटक रही है..


आर्यमणि एक बार फिर मुस्कुराते... "मेरे दादा जी कहते थे कि एक पुस्तक की सच्चाई इस बात पर निर्भर नहीं करती की उसे कितने वर्ष पूर्व लिखा गया है, क्योंकि लिखने वाला कोई ना कोई इंसान ही होता है। आप का बौद्धिक विचार, कल्पना और उस समय के घटनाक्रम की सारी स्थिति को पूर्ण अवलोकन के बाद ही किसी निष्कर्ष पर पहुंचना चाहिए।"

"सभी आकलन के बाद आपका बौद्धिक विकास एक थेओरी को जन्म देता है और वो थियोरी यदि पूर्ण रूप से उस किताब से मैच कर जाये तो वो किताब आपके लिए तथ्य पूर्ण है। और हां कभी भी उस दौर के मौखिक कथा को नजरंदाज नहीं करना चाहिए क्योंकि बहुत सी अंदरुनी बाते एक बाप अपने बेटे को बताता है और बेटा अपने बेटे को लेकिन वो सभी गुप्त बातें उस पुस्तक में नहीं मिलती..."


रूही:- बॉस मैं इंजिनियरिंग की स्टूडेंट थी, फिलॉस्फी की नहीं। और ना ही मेरा मूड है सोने का। सीधा वो रोचक तथ्य के बारे में बताओ।


आर्यमणि:- "इसलिए मैं किसी से बात नहीं करना चाहता मूर्खों। रोचक तथ्य मेरे हिसाब से एक भरमाने वाली किताब थी। श्रेयुत महाराज एक बड़ा नाम होगा उस दौड़ का, इसलिए उस नाम का या तो इस्तमाल हुआ है या फिर उसकी पूरी पहचान ही चुराकर किताब में अपने हिसाब का प्रहरी समाज लॉन्च किया गया था। जहां मदद मांगने आये हर राजा से कहा गया था कि प्रहरी को उसके शहर का बड़ा व्यावसायिक बनाया जाय, ताकि इनके पास धन की कोई कमी ना रहे।"

"जहां तक मुझे लगता है उस रोचक तथ्य मे इस्तमाल होने वाला नाम ही केवल सच था और कुछ भी नहीं। सरदार खान 400 वर्ष पूर्व का था। वो जिस आचार्य के पास गया वो पहले से सिद्धि वाला था। यानी वो प्रहरी का कोई सिद्ध पुरुष सेवक था या फिर अनंत कीर्ति किताब के मालिक का वंसज। वंसज इसलिए कहा क्योंकि अनंत कीर्ति की पुस्तक 1000 सालों से भी पुरानी है और उसका पहला संरक्षक बैधायन भारद्वाज भी उसी दौड़ का होगा।"

"जब कोई रक्षा संस्था बनता है तो वहां क्षत्रिय को रक्षक चुना जाता है। ये प्रहरी मे केवल विशुद्ध ब्राहमण का कॉन्सेप्ट कहां से आ गया। ये सारे लोचे लापाचे उस रोचक तथ्य के ही फैलाए हुये है। वरना भारतीय इतिहास गवाह है कि ज्ञान किसके जिम्मे था और रक्षा करना किसके जिम्मे। इसलिए शुरू से मुझे पता था कि रोचक तथ्य एक भरमाने की किताब थी। बस संन्यासी शिवम से मिलने से पहले मैं समझ नहीं पा रहा था कि आखिर ये किताब किस उद्देश्य से लिखी गयी है। वैसे एक बात बताओ की इतने सारे सवाल रोचक तथ्य के किताब से ही क्यों? जबकि सतपुरा में ही मैने तुम्हे बताया था कि रोचक तथ्य की पुस्तक में सच झूठ का मिश्रण था।"


रूही:– सत्य... बिलकुल सत्य, लेकिन आपके हर सत्य के बीच एक झूठ शुरू से उजागर हो रहा है? बिलकुल उस रोचक तथ्य के पुस्तक की तरह। कहीं तुम्हे झूठ बोलने का ज्ञान रोचक तथ्य के किताब से तो नहीं मिला।


आर्यमणि:– कौन सा झूठ?


रूही:– "बार–बार इस बात पर जोर देना की तुम केवल 2 छोटे सवाल लेकर नागपुर पहुंचे। मुझे एक बात तुम समझा दो बॉस, जिस किताब रोचक तथ्य पर यकीन ही नहीं था, फिर उसके अंदर की कही हर बात इतने डिटेल में कैसे पता? क्या मात्र 2 जिज्ञासा ही थी, फिर वो रीछ स्त्री का जहां अनुष्ठान हो रहा था वहां कैसे पहुंचे?"

"जब मात्र जिज्ञासा वश पहुंचे, फिर तुम हर बार प्रहरी से एक कदम आगे कैसे रहते थे? तुम तो प्योर अल्फा हो न फिर तुम्हे कैसे पता था कि प्रहरी तुम्हे वेयरवॉल्फ ही समझेंगे, कोई जादूगर अथवा सिद्ध पुरुष नही? तुम्हे पता था कि तुम क्या करने वाले हो और उसका नतीजा क्या होगा इसलिए सेक्स के वक्त भी तुम्हे पूर्ण नियंत्रण चाहिए था ताकि थिया के जैसे न मामला फंस जाये?

अनंत कीर्ति के किताब के बारे में भी तुम्हे पहले से पता थी कि कहां रखी है, वरना सीधा सुकेश के घर में घुसकर चोरी करने की न सोचते। बल्कि पहले पता लगाते की अनंत कीर्ति की किताब रखी कहां है? तुम्हे नागपुर में किसी के बारे में कुछ भी पता करने की जरूरत नहीं थी, तुम सब पहले से पता लगाकर आये थे। बॉस मात्र २ छोटे से जिज्ञासा के लिये इतना होमवर्क कैसे कर गये?"

"स्वामी का ऊस रात तुम्हारे पास पहुंचाना और झोली में सुकेश के घर का सारा माल डाल देना महज इत्तफाक नहीं हो सकता। आर्म्स एंड एम्यूनेशन का प्रोजेक्ट हवा में नही आया, उसकी पूरी प्लानिंग यूरोप से करके आये थे। किसी के दिमाग की पूरी उपज और उसका प्रोजेक्ट चुराया तुमने।"

"जादूगर का दंश जो सुकेश के घर से गायब हुआ था, वो मुझे कहीं दिख नही रहा, बड़ी सफाई से तुमने उसे कहीं गायब कर दिया। और न ही अपने घर से गायब होने और लौटकर वापस के आने के बीच का लगभग 18 महीना मिल रहा है? क्योंकि जर्मनी पहुंचने से लेकर बॉब के पास से विदा लेने में तुम्हारे 18 महीने लग गये होंगे, जबकि तुम घर से 36 महीने के लिये गायब हुये थे।"

"7–8 साल की उम्र में जो बच्चे ढंग से सुसु – पोट्टी टॉयलेट में नही करने जा सकते, उस उम्र में तुम्हे सच्चा वाला लव हो गया था। अरे लगाव कह लेते तो भी समझ में आता, सीधा सच्चा वाला लव वो भी जंगल में पेड़ के नीचे बैठ कर गोद में सर रखा करते थे। तुम्हे नही लगता की तुम्हारी ये कहानी बहुत ही बचकाना थी, जिसे हजम करना मुश्किल हो सकता है?"

"तुम्हारा पासपोर्ट यूएसए ट्रैवल कर रहा था और तुम वुल्फ हाउस में थे। उस दौड़ में ताजा तरीन मैत्री का केस हुआ था, तब भी तुम किसी को वुल्फ हाउस में नही मिले? एक पिता जो बेटे के लिये तड़प रहा था। भूमि देसाई जो इतनी बड़ी शिकारी थी, और जिसके इतने कनेक्शन, वो सब तुम्हे ढूंढ नही पायी? जबकि मैं होती तो वुल्फ हाउस के पूरे इलाके को ही पहले छान मरती। ये इतनी सी बात मुझे समझ में आ गयी लेकिन तुम्हे ढूंढने वालों को समझ में नहीं आयी? क्या यह जवाब बचकाना नही था कि तुम्हारे घर के लोग तुम्हे ढूंढना नही चाहते थे? किसके घर का 16–17 साल का लड़का किसी लड़की के वियोग में भाग जाये और उसके घर के लोग ढूंढना नही चाहते हो?

"वापस लौटकर सीधा गंगटोक गये और पारीयान की भ्रमित अंगूठी और पुनर्स्थापित पत्थर उठा लाये। तुम्हारा इसपर जवाब था कि जिस दौड़ मे गायब हुय तब तुम्हे पता चला की बहुत से लोग इन समान के पीछे है, लेकिन आज जब तुम कहानी सुना रहे थे तब तो एक आदमी भी इन समान के पीछे नही दिखा।"

"हम दोनो को पता था कि वो डॉक्टर और उसकी पत्नी हमसे झूठ बोल रही है, फिर भी हम दोनो यहां आये। मुझे पक्के से यकीन है कि तुम पहले से ही यहां आने का मन बना चुके थे। तुम्हे पता था कि तुम यहां क्या तलाश करने आ रहे हो बॉस। नाना मैं ओशुन कि बात नही कर रही। ओशुन की जगह यहां कोई भी लड़की लेटी हो सकती थी। लेकिन वो लड़की जिस हालत में लेटी है वो हालात आपके लिये नया नही है। ये किसी प्रकार का अनुष्ठान ही है ना, जिसका ताल्लुक कहीं न कहीं नागपुर से ही है?

"क्या अदाकारी थी। बॉब को फेहरीन के कातिलों के बारे में नही बताना चाहते थे, लेकिन बॉब जो फेहरीन का भक्त था, उसे ये बात जानकर बहुत ज्यादा आश्चर्य नही हुआ। ऐसा लगा जैसे बस खाना पूर्ति हो रही है। बॉस एक बात सच कहूं, मुझे अब आप पर यकीन ही नहीं। तुम्हारा नागपुर आना और बाद में नागपुर से भागना मुझे सब सुनियोजित योजना लगती है लेकिन तुम थोड़े ना कुछ बताओगे? बस गोल–गोल घुमाते रहो। बॉब अब तुम अपने काम में लग सकते हो।"
Le ye kya ho gaya Matlab aap nahi sudhroge nain11ster bhai. Agar mujhe is foram ka sbse jyada aur end tak suspens banaye rakhne wale ek writer ko select karne ko kaha jaye. To mai bina soche ek Second me sirf aapka hi name lunga. Batao suru se le kar ab tak jo story read ki jin raj ko janane ke liye itne dil se utsuk se. Aur itne din baad jab almost sare raj open ho jaye. Dil ko kafi sukun aaya tabhi aapne ye ek dhamakedar update la patka.
Ki are ruko jara, abhi kaha ja rahe ho. Ab tak jo read kiya wo to sub bhram tha. Sali story to ab suru ho rahi hai.
Ab Ruhi ke itna kahne se kai sare raj aur ban gaye hai. Jinme bare me ab kya hi bolu. Lakin itna kah sakta hu. Abhi bhi ya to Ruhi ko ye sub pata lage isiliye ye sub planning aarya aur bob phle se kiye baithe the. Ya to Ruhi in dono ke dimak se bhi kafi tej nikal gayi. Ab inme kon si baat such hai ye to aap hi bata sakte ho.
Bato itni chije hui aur ye sara aarya aur bob ka plan tha. Jisme aur na jane kon kon samil hai. Aur iske alawa abhi aur na jane kon kon se baje raj aana baki hai.
Jahir dekhte hai aage kya hota hai. Stroy such me ab tak ke pick par pahuch cuki hai.
 

Zoro x

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भाग:–88




आर्यमणि पहली बार अपनी दिल की भावना और अपने साथ हुए घटना को किसी के साथ साझा कर रहा था। रूही को अपने मां के बारे में जितनी जानकारी नहीं थी, उससे कहीं अधिक जानकारी तो आर्यमणि और बॉब के पास थी। हां लेकिन एक बात जो इस वक़्त रूही के अंदर चल रही थी उसके दुष्परिणाम से जल्द ही आर्यमणि अवगत होने वाला था।


आर्यमणि और रूही दोनो ही लगभग खोये से थे, तभी उस माहौल में ताली बजनी शुरू हो जाती है। बॉब उन दोनों का ध्यान अपनी ओर खिंचते… "आर्य सर ने किसी से लगातार 4-5 घाटों तक बातचीत की। सॉरी बातचीत कहां, लगातार अपनी बात कहता रहा, कमाल है।"


रूही बॉब की बात पर हंसती, आर्य के गाल को चूमती हुई कहने लगी… "बड़ी मुश्किल से मेरा दोस्त सुधरा है बॉब, नजर मत लगाओ। वैसे भी इसकी जिंदगी में भूचाल लाने का श्रेय तुम्हे ही जाता है। वरना ये तो नॉर्मल सी लाइफ जीने गया था नागपुर, जहां इसके 2 प्यारे दोस्त और इसकी सब से क्लोज भूमि दीदी रहती है।"..


बॉब:- क्या वाकई में ये अपने सवालों के कारण फसा है। मुझे नहीं लगता की ऐसा कुछ हुआ होगा। सवालों के जवाब ढूंढ़ने के लिए इसे ज्यादा अंदर तक घुसने कि जरूरत भी नहीं पड़ती, क्यों आर्य?


आर्य:- हां रूही, बॉब सही कह रहा है। मै तो नागपुर बस जिज्ञासावश और अपने लोगों के पास गया था। लेकिन कोई मुझे पहले से निशाने पर लिया था। कुछ लोग नहीं चाहते थे कि मै नागपुर में रहूं, इसलिए तो मेरे नागपुर पहुंचने के दूसरे दिन से ही पागलों कि तरह भगाने में लग गये थे।


रूही:- हां और तुम भी जब भागे तो उन लोगों को पूरा उंगली करके भागे।


आर्य:- हाहाहाहा.. हां तो जैसा किया वैसा भोगे। लेकिन इन सबमें तुम लोग मेरे साथ हो, वही मेरे लिये खुशी की बात है। फेहरिन, जिसने ना जाने अपने हीलिंग एबिलिटी से कितनो कि जान बचाई। मदद करना जिसके स्वभाव में था, उसके 3 बच्चों की मदद मै कर रहा हूं। तुम समझ नहीं सकती ये बात मुझे कितना सुकून दे रही है...


बॉब:- और इसी चक्कर मे खतरनाक टीनएजर अल्फा पैक लिए घूम रहे हो आर्य। हां, लेकिन तीनों ही बहुत प्यारे है। काफी बढ़िया प्रशिक्षण दिया है तुमने। अब जरा काम की बात कर ले।


आर्य:- हां बॉब..


रूही:- बॉब रुको तुम। इससे पहले कि एक बार और इस बकड़ी की शक्ल वाली लड़की ओशुन को बचाने के लिये आर्य आगे बढ़े, उस से पहले मैं कौन बनेगा करोड़पति खेलना चाहूंगी... बॉस रेडी...


आर्यमणि के उतरे चेहरे पर बहुत देर के बाद हंसी थी और वो हंसते हुए रूही के गर्दन को दबोचकर उसके गाल को काटते हुए... "हां पूछो"..


रूही:- अव्वववव ! बॉस दूध पीती बच्ची की तरह ट्रीट मत करो। सवाल दागुं पहली…


आर्यमणि:- जी..

रूही:– यूरोप से लौटकर नागपुर किन २ सवालों को लेकर पहुंचे थे?

आर्यमणि:– बता तो चुका हूं...

रूही:– एक बार और

आर्यमणि:– अनंत कीर्ति की पुस्तक कैसी दिखती है और एक ट्रू अल्फा हीलर फेहरीन के लिये...


रूही:– तुम्हे क्या लगता है बॉस अनंत कीर्ति की पुस्तक उन ढोंगी प्रहरी के हाथ कैसे लगी होगी?


आर्यमणि:– अनंत कीर्ति की पुस्तक की कहानी इतनी सी है कि उसे कोई अपेक्स सुपरनैचुरल.…


रूही:- बॉस आता हे ( मतलब अब ये) अपेक्स सुपरनैचुरल…


एलियन को एपेक्स सुपरनैचुरल कहना थोड़ा खटक गया इसलिए रूही बीच में ही आर्यमणि को टोक दी।


आर्यमणि:- मान लो ना अभी के लिये की किताब के बारे में जिसने भ्रम फैलाया उसे अपेक्स सुपरनैचुरल कहते है। वरना मैं कैसे समझाउंगा। बॉब के सामने वो शब्द का इस्तमाल नही कर सकता...


(दरअसल बात एलियन कहने की हो रही थी और आर्यमणि ये बात सबके सामने नहीं जाहिर होने देना चाहता था)


रूही:- सॉरी बॉस..


बॉब:– तुम अपने गुरु से बात छिपा रहे। अच्छा ही होता जो तुम्हे काली खाल में रहने देता ..


आर्यमणि, कुछ सोचकर बात को घुमाने के इरादे से... "बॉब मैं नही चाहता की तुम्हे वो सच पता लगे"..


बॉब:– अब इतना सस्पेंस न क्रिएट करो। मैं यदि सस्पेंस क्रिएट करता फिर तुम्हारा क्या होता आर्य...


आर्यमणि:– ठीक है बॉब, मैं बताता हूं, लेकिन तुम खुद को संभालना... फेहरीन को मारने वाले यही एपेक्स सुपरनैचुरल थे। अब चूंकि रूही उसकी बेटी है और उसके मां यानी फेहरीन के कातिलों को एपेक्स कहना उसे अच्छा नहीं लग रहा...


बॉब, आश्चर्य से आंखें बड़ी करते... "क्या तुम्हे फेहरीन के कातिलों के बारे में पता था, और तुमने मुझे बताया नही?"


रूही, बॉब के कंधे पर हाथ रखती.… "बॉब, प्लीज पैनिक न हो। आर्यमणि बस तुम्हे दुखी नही देखना चाहता था। वैसे भी हम तो उनसे हिसाब लेंगे ही, लेकिन अभी हम उन सुपरनैचुरल को पूरी तरह से जानते नही, इसलिए खुद को सक्षम बना रहे।"…


बॉब:– ओह इसलिए आर्य अल्फा पैक लिये घूम रहा और तुम सबको प्रशिक्षण दे रहा।


रूही:– हां बॉब.. अब बॉस को बात पूरी करने दो। चलो एपेक्स सुपरनैचुरल की बात मान ली, आगे...


आर्यमणि:- हां तो अनंत कीर्ति की पुस्तक की सच्चाई इतनी है कि उसके संरक्षक को मारकर वो पुस्तक अपेक्स सुपरनैचुरल के पास पहुंच गयी। उन अपेक्स सुपरनैचुरल ने पूरे प्रहरी सिस्टम को कुछ ऐसे करप्ट किया है, जिनसे वहां काम करने वाले बहुत से अच्छे प्रहरी को लगता है कि वो समाज को सुपरनैचुरल के प्रकोप से बचा रहे है। जबकि सच्चाई ये है कि वो अपेक्स सुपरनैचुरल उनको झांसा देकर अपना निजी मकसद साधने मे लगा है।


रूही:- ओह तो ये बात है। लेकिन बॉस कुछ तो मिसमैच है। आप कुछ और समीक्षा छिपा रहे हो ना... मुझे रोचक तथ्य किताब की बात खटक रही है..


आर्यमणि एक बार फिर मुस्कुराते... "मेरे दादा जी कहते थे कि एक पुस्तक की सच्चाई इस बात पर निर्भर नहीं करती की उसे कितने वर्ष पूर्व लिखा गया है, क्योंकि लिखने वाला कोई ना कोई इंसान ही होता है। आप का बौद्धिक विचार, कल्पना और उस समय के घटनाक्रम की सारी स्थिति को पूर्ण अवलोकन के बाद ही किसी निष्कर्ष पर पहुंचना चाहिए।"

"सभी आकलन के बाद आपका बौद्धिक विकास एक थेओरी को जन्म देता है और वो थियोरी यदि पूर्ण रूप से उस किताब से मैच कर जाये तो वो किताब आपके लिए तथ्य पूर्ण है। और हां कभी भी उस दौर के मौखिक कथा को नजरंदाज नहीं करना चाहिए क्योंकि बहुत सी अंदरुनी बाते एक बाप अपने बेटे को बताता है और बेटा अपने बेटे को लेकिन वो सभी गुप्त बातें उस पुस्तक में नहीं मिलती..."


रूही:- बॉस मैं इंजिनियरिंग की स्टूडेंट थी, फिलॉस्फी की नहीं। और ना ही मेरा मूड है सोने का। सीधा वो रोचक तथ्य के बारे में बताओ।


आर्यमणि:- "इसलिए मैं किसी से बात नहीं करना चाहता मूर्खों। रोचक तथ्य मेरे हिसाब से एक भरमाने वाली किताब थी। श्रेयुत महाराज एक बड़ा नाम होगा उस दौड़ का, इसलिए उस नाम का या तो इस्तमाल हुआ है या फिर उसकी पूरी पहचान ही चुराकर किताब में अपने हिसाब का प्रहरी समाज लॉन्च किया गया था। जहां मदद मांगने आये हर राजा से कहा गया था कि प्रहरी को उसके शहर का बड़ा व्यावसायिक बनाया जाय, ताकि इनके पास धन की कोई कमी ना रहे।"

"जहां तक मुझे लगता है उस रोचक तथ्य मे इस्तमाल होने वाला नाम ही केवल सच था और कुछ भी नहीं। सरदार खान 400 वर्ष पूर्व का था। वो जिस आचार्य के पास गया वो पहले से सिद्धि वाला था। यानी वो प्रहरी का कोई सिद्ध पुरुष सेवक था या फिर अनंत कीर्ति किताब के मालिक का वंसज। वंसज इसलिए कहा क्योंकि अनंत कीर्ति की पुस्तक 1000 सालों से भी पुरानी है और उसका पहला संरक्षक बैधायन भारद्वाज भी उसी दौड़ का होगा।"

"जब कोई रक्षा संस्था बनता है तो वहां क्षत्रिय को रक्षक चुना जाता है। ये प्रहरी मे केवल विशुद्ध ब्राहमण का कॉन्सेप्ट कहां से आ गया। ये सारे लोचे लापाचे उस रोचक तथ्य के ही फैलाए हुये है। वरना भारतीय इतिहास गवाह है कि ज्ञान किसके जिम्मे था और रक्षा करना किसके जिम्मे। इसलिए शुरू से मुझे पता था कि रोचक तथ्य एक भरमाने की किताब थी। बस संन्यासी शिवम से मिलने से पहले मैं समझ नहीं पा रहा था कि आखिर ये किताब किस उद्देश्य से लिखी गयी है। वैसे एक बात बताओ की इतने सारे सवाल रोचक तथ्य के किताब से ही क्यों? जबकि सतपुरा में ही मैने तुम्हे बताया था कि रोचक तथ्य की पुस्तक में सच झूठ का मिश्रण था।"


रूही:– सत्य... बिलकुल सत्य, लेकिन आपके हर सत्य के बीच एक झूठ शुरू से उजागर हो रहा है? बिलकुल उस रोचक तथ्य के पुस्तक की तरह। कहीं तुम्हे झूठ बोलने का ज्ञान रोचक तथ्य के किताब से तो नहीं मिला।


आर्यमणि:– कौन सा झूठ?


रूही:– "बार–बार इस बात पर जोर देना की तुम केवल 2 छोटे सवाल लेकर नागपुर पहुंचे। मुझे एक बात तुम समझा दो बॉस, जिस किताब रोचक तथ्य पर यकीन ही नहीं था, फिर उसके अंदर की कही हर बात इतने डिटेल में कैसे पता? क्या मात्र 2 जिज्ञासा ही थी, फिर वो रीछ स्त्री का जहां अनुष्ठान हो रहा था वहां कैसे पहुंचे?"

"जब मात्र जिज्ञासा वश पहुंचे, फिर तुम हर बार प्रहरी से एक कदम आगे कैसे रहते थे? तुम तो प्योर अल्फा हो न फिर तुम्हे कैसे पता था कि प्रहरी तुम्हे वेयरवॉल्फ ही समझेंगे, कोई जादूगर अथवा सिद्ध पुरुष नही? तुम्हे पता था कि तुम क्या करने वाले हो और उसका नतीजा क्या होगा इसलिए सेक्स के वक्त भी तुम्हे पूर्ण नियंत्रण चाहिए था ताकि थिया के जैसे न मामला फंस जाये?

अनंत कीर्ति के किताब के बारे में भी तुम्हे पहले से पता थी कि कहां रखी है, वरना सीधा सुकेश के घर में घुसकर चोरी करने की न सोचते। बल्कि पहले पता लगाते की अनंत कीर्ति की किताब रखी कहां है? तुम्हे नागपुर में किसी के बारे में कुछ भी पता करने की जरूरत नहीं थी, तुम सब पहले से पता लगाकर आये थे। बॉस मात्र २ छोटे से जिज्ञासा के लिये इतना होमवर्क कैसे कर गये?"

"स्वामी का ऊस रात तुम्हारे पास पहुंचाना और झोली में सुकेश के घर का सारा माल डाल देना महज इत्तफाक नहीं हो सकता। आर्म्स एंड एम्यूनेशन का प्रोजेक्ट हवा में नही आया, उसकी पूरी प्लानिंग यूरोप से करके आये थे। किसी के दिमाग की पूरी उपज और उसका प्रोजेक्ट चुराया तुमने।"

"जादूगर का दंश जो सुकेश के घर से गायब हुआ था, वो मुझे कहीं दिख नही रहा, बड़ी सफाई से तुमने उसे कहीं गायब कर दिया। और न ही अपने घर से गायब होने और लौटकर वापस के आने के बीच का लगभग 18 महीना मिल रहा है? क्योंकि जर्मनी पहुंचने से लेकर बॉब के पास से विदा लेने में तुम्हारे 18 महीने लग गये होंगे, जबकि तुम घर से 36 महीने के लिये गायब हुये थे।"

"7–8 साल की उम्र में जो बच्चे ढंग से सुसु – पोट्टी टॉयलेट में नही करने जा सकते, उस उम्र में तुम्हे सच्चा वाला लव हो गया था। अरे लगाव कह लेते तो भी समझ में आता, सीधा सच्चा वाला लव वो भी जंगल में पेड़ के नीचे बैठ कर गोद में सर रखा करते थे। तुम्हे नही लगता की तुम्हारी ये कहानी बहुत ही बचकाना थी, जिसे हजम करना मुश्किल हो सकता है?"

"तुम्हारा पासपोर्ट यूएसए ट्रैवल कर रहा था और तुम वुल्फ हाउस में थे। उस दौड़ में ताजा तरीन मैत्री का केस हुआ था, तब भी तुम किसी को वुल्फ हाउस में नही मिले? एक पिता जो बेटे के लिये तड़प रहा था। भूमि देसाई जो इतनी बड़ी शिकारी थी, और जिसके इतने कनेक्शन, वो सब तुम्हे ढूंढ नही पायी? जबकि मैं होती तो वुल्फ हाउस के पूरे इलाके को ही पहले छान मरती। ये इतनी सी बात मुझे समझ में आ गयी लेकिन तुम्हे ढूंढने वालों को समझ में नहीं आयी? क्या यह जवाब बचकाना नही था कि तुम्हारे घर के लोग तुम्हे ढूंढना नही चाहते थे? किसके घर का 16–17 साल का लड़का किसी लड़की के वियोग में भाग जाये और उसके घर के लोग ढूंढना नही चाहते हो?

"वापस लौटकर सीधा गंगटोक गये और पारीयान की भ्रमित अंगूठी और पुनर्स्थापित पत्थर उठा लाये। तुम्हारा इसपर जवाब था कि जिस दौड़ मे गायब हुय तब तुम्हे पता चला की बहुत से लोग इन समान के पीछे है, लेकिन आज जब तुम कहानी सुना रहे थे तब तो एक आदमी भी इन समान के पीछे नही दिखा।"

"हम दोनो को पता था कि वो डॉक्टर और उसकी पत्नी हमसे झूठ बोल रही है, फिर भी हम दोनो यहां आये। मुझे पक्के से यकीन है कि तुम पहले से ही यहां आने का मन बना चुके थे। तुम्हे पता था कि तुम यहां क्या तलाश करने आ रहे हो बॉस। नाना मैं ओशुन कि बात नही कर रही। ओशुन की जगह यहां कोई भी लड़की लेटी हो सकती थी। लेकिन वो लड़की जिस हालत में लेटी है वो हालात आपके लिये नया नही है। ये किसी प्रकार का अनुष्ठान ही है ना, जिसका ताल्लुक कहीं न कहीं नागपुर से ही है?

"क्या अदाकारी थी। बॉब को फेहरीन के कातिलों के बारे में नही बताना चाहते थे, लेकिन बॉब जो फेहरीन का भक्त था, उसे ये बात जानकर बहुत ज्यादा आश्चर्य नही हुआ। ऐसा लगा जैसे बस खाना पूर्ति हो रही है। बॉस एक बात सच कहूं, मुझे अब आप पर यकीन ही नहीं। तुम्हारा नागपुर आना और बाद में नागपुर से भागना मुझे सब सुनियोजित योजना लगती है लेकिन तुम थोड़े ना कुछ बताओगे? बस गोल–गोल घुमाते रहो। बॉब अब तुम अपने काम में लग सकते हो।"
बहुत ही शानदार लाजवाब अपडेट नैन भाई
रुही के सवाल वाकई कमाल थें नैन भाई
उसके जवाब तो हमें भी चाहिए नैन भाई

उसके लिए इंतजार हैं आपके अगले अपडेट का

वैसे आर्य ने बहुत घुमाया रुहीं को
हम लोगों को नैन भाई

सबकुछ बता कर भी कुछ भी नहीं बताया नैन भाई
यहां तो बोब का भी डब्बा कर दिया आर्य ने
बहुत बड़ा खिलाड़ी लग रहा हैं आर्य हर एक को अपने हिसाब से इस्तेमाल कर रहा हैं और मज़े की बात है वो समझ रहे हैं ये सब वो खुद कर रहे हैं भाई

कमाल का अपडेट दिया नैन भाई
 

@09vk

Member
358
1,324
123
भाग:–87





दोबारा वो लोग हूटिंग करने लगे। मुझे कंधे पर बिठा लिया। मुझसे वहीं रुकने का आग्रह करने लगे और साथ में शिकार की कुछ ट्रेनिंग भी देने। खैर रुकने और ट्रेनिंग के लिये तो मैं राजी हुआ ही साथ में वुल्फ हाउस और ब्लैक फॉरेस्ट को पूरा मुक्त कराने का क्रेडिट भी शिकारियों को दे दिया। बदले में मैने उनसे वुल्फ हाउस का मालिकाना हक मांग लिया। मैं उस प्रॉपर्टी को नहीं छोड़ना चाहता था, जहां मेरे इवोल्यूशन की कहानी लिखी गयी थी। मैने तो अपना मांग लिया लेकिन बॉब मेरे पीछे अपनी काफी जमा पूंजी उड़ा चुका था, इसलिए उसने 1 लाख यूरो मांग लिया।


बॉब की ख्वाइश तो दुगनी पूरी हुई। शिकारियों ने उसे 2 लाख यूरो दे दिये। मेरे मांग में थोड़ी अर्चन आयी लेकिन मैक्स ने मेरी ख्वाइश पूरी कर दिया। हां लेकिन मुझे वुल्फ हाउस के लिये अलग से 1 लाख यूरो देने पड़े थे। वुल्फ हाउस की पूरी प्रॉपर्टी मेरी हुई। मैं वुल्फ हाउस छोड़ने से पहले अपनी यादें वहां छोड़ना चाहता था, इसलिए मैक्स के प्रस्ताव को मैने स्वीकार कर लिया।


वहां मैं और बॉब कुछ महीनो तक ठहरे। मुझे कुछ यादों को मूर्त रूप देना थे इसलिए जरूरी हो गया था कुछ लोगों की यादें चुराना। फालतू काम था, लेकिन मुझे करना पड़ा। जर्मनी के सबसे बढ़िया शिल्पकार का हमने पता लगाया। पता चला अपना देशी शिल्पकार ही था। राजस्थान का एक शिल्पकार परिवार पलायन करके जर्मनी में बसा था, जिसके पास ऐसा हुनर था कि किसी दुल्हन का घूंघट भी वह पत्थर को तराशकर बनाते थे जो अर्द्ध पारदर्शी होता और घूंघट के पीछे दुल्हन का चेहरा देखा जा सकता था। उसके अलावा मैं एक मेकअप आर्टिस्ट से भी मिला।


दोनो के हुनर मेरे पास थे और दोनो को उसके बदले मैने एक लाख यूरो दिया था। मुझे हुनर सीखाने की कीमत। मेरे और बॉब के बीच की बातें जारी रही साथ में वुल्फ हाउस की बहुत सी यादों को मैं मूर्त रूप दे रहा था। कुछ महीनो में मैने वहां 400 प्रतिमा बना दिया, जिसमे वुल्फ और इंसान दोनो की प्रतिमा थी। पूरी प्रॉपर्टी में प्रतिमा ही नजर आती। पहले दिन की खूनी रस्म से लेकर आखरी दिन की लड़ाई को मैने मूर्त रूप दे दिया था। इसी बीच अमेजन के जंगल की एक अल्फा हीलर फेहरीन के कारनामे की दास्तान बॉब ने शुरू कर दिया। बॉब चाहता था कुछ प्रतिमा जड़ों से ढका रहे। बॉब इकलौता ऐसा था जिसे फेहरीन के एक अप्रतिम कीर्तिमान का ज्ञान था। क्ला को जमीन में घुसाकर जमीन से जड़ों को निकाल देना।


थोड़े दिन की मेहनत और मैं भी फेहरीन की तरह कीर्तिमान स्थापित करने में कामयाब रहा था। कई पत्थरों पर मैने जड़ों को ऐसे फैलाया जैसे सच के कोई इंसान या जानवर खड़े थे। प्रतिमाओं को स्थापित करने के बाद उनके मेकअप का काम मैने शुरू किया। पूरे वुल्फ हाउस को मैने अपनी कल्पना दी थी। प्रतिमाओं के जरिये मैंने शेप शिफ्ट करने की पूरी प्रक्रिया को ही 5–6 प्रतिमाओं में दिखा दिया था। ईडन का बड़ा सा डायनिंग टेबल हॉल के मध्य में बनाया और 80 कुर्सियों पर इंसान और वेयरवॉल्फ को साथ बैठे दिखाया था। कुल मिलाकर मैं अपने इवोल्यूशन की कहानी वहां पूरा दर्शा गया। और अंदर के जंगल में देखने वाले मेहसूस करते की एक वेयरवोल्फ कितना दरिंदे हो सकते थे।


वुल्फ हाउस के दायरे में जितना जंगल पड़ता था, उसमे मैने अपने ऊपर के अत्याचार की कहानी लिखी थी। कई दरिंदे एक असहाय को नोचते हुये। वहां मैने छोटी सी प्रेम कहानी को भी कल्पना की मूर्त रूप दिया था। जिसके आगे मैने एक मतलबी लड़की की कहानी भी दर्शा दिया जिसने मेरे भावनाओं के साथ खेला था। और इन सब चक्र के अंत में मेरा आखरी इवोल्यूशन, एक श्वेत रंग का वेयरवॉल्फ, जो वहां के इंसान और वेयरवॉल्फ के बीच शांति स्थापित करने का कार्य किया था। 6 महीने से ऊपर लगे लेकिन जब मैने पहली बार वुल्फ हाउस का दरवाजा खोलकर लोगों को अंदर आने दिया और वुल्फ हाउस का पूरा प्रांगण घुमाया, तब वह जगह सैलानियों के आकर्षण का केंद्र बन गया।


मैक्स और उसकी टीम को जब खबर लगी वो लोग भी पूरे जत्थे के साथ घूमने पहुंचे और वहां के प्रतिमाओं को देखकर कहने लगे... "जो सुपरनैचुरल दुनिया को नही जानते है, उनके लिये भी तुमने जीवंत उदाहरण छोड़ दिया है। वेयरवोल्फ के बदलाव से लेकर उनकी पूरी क्रूरता की कहानी। हां लेकिन एक प्रतिमा को तुमने मसीहा दिखाया है। क्या सुपरनैचुरल की दुनिया में भी अच्छे वुल्फ होते है।"… बस मैक्स का ये एक सवाल पूछना था और बॉब के पास तो वैसे भी कहानियों की कमी नही थी। और हर अच्छे वुल्फ के कहानी की शुरवात वो फेहरीन से ही करता था।


उस दिन जब मैक्स कई सैलानियों के साथ वुल्फ हाउस पहुंचा तब उसने मुझे एक बार और फसा दिया। जैसा ही उसने सबको बताया की ये कलाकृतियां मेरी है। कुछ लड़कियां मर मिटी। वो सामने से चूमने और बहुत कुछ करने को बेकरार थी। मैं उनकी भावना समझ तो रहा था लेकिन किसी स्त्री के साथ संभोग.. शायद इसके लिये मुझे बहुत इंतजार करना था। मेरी हालत पतली और कमीना बॉब मजे ले रहा था। किसी तरह जान बचाकर निकला।


वो जगह जंगल प्रबंधन ने मुझसे लीज पर ले लिया और सैलानियों के मनोरंजन के लिये उसे हमेशा के लिये खोल दिया गया था। मैं भी एक शर्त के साथ राजी हो गया की मुझे इस जगह का कोई लाभ नहीं चाहिए, बस ये संपत्ति हमेशा मेरी रहेगी। उन लोगों ने मेरी शर्त पर सहमति जता दी। जर्मन का काम खत्म करके एक बार फिर मैं और बॉब, बोरीयल, रशिया के जंगलों के ओर रुख कर चुके थे।


बॉब और फेहरीन। जैसे वो फेहरीन का भक्त था। बॉब से बातें करते वक़्त फिर वो पहला जिज्ञासा भी सामने आया जो मुझे नागपुर आने पर मजबूर किया था। बॉब अमेजन के जंगलों की ओर निकला था, क्योंकि गुयाना की एक वेयरवुल्फ अल्फा, नाम फेहरिन, हां तुम्हारी आई रूही उन्हीं की बात कर रहा हूं। बॉब उसी अल्फा हीलर से मिलने गया था। उसमे हील करने की अद्भुत क्षमता थी, शायद मेरे जितनी या मुझ से भी कहीं ज्यादा। लेकिन बॉब जबतक मिल पता, वहां शिकारियों का हमला हो गया। उसके पैक को खत्म कर दिया गया और उसे भारत के सबसे ख़तरनाक शिकारी पकड़कर नागपुर, ले आये थे।


बॉब की जानकारी को मैंने तब अपडेट नहीं किया। मैंने उसे नहीं बताया कि मै जानता हूं महान अल्फा हीलर फेहरीन को कौन शिकारी लेकर गये? मैं नागपुर लौटा क्योंकि मेरे मन में एक ऐसे अल्फा हीलर से मिलने की जिज्ञासा थी, जिसने अपना एक मुकाम हासिल किया था। जब भी बॉब तुम्हारी मां की बात करता ना वो बस यही कहता इंसानियत को ज़िंदा रखने का ज़ज़्बा किसी और मे हो नहीं सकता। एक नहीं फिर फेहरीन के हजार किस्से थे बॉब के पास, और हर बार फेहरीन से जुड़े नये किस्से ही होते। हां लेकिन तब ना तो बॉब को पता था और ना ही मुझे की शिकारी और सरदार खान ने मिलकर उसका क्या हाल किया। यदि उसके बचे 3 बच्चों (रूही, ओजल, इवान) के लिए मै कुछ कर रहा हूं तो ये मेरे लिए गर्व कि बात है।


वहीं मेरी दूसरी जिज्ञासा थी अनंत कीर्ति की किताब। बॉब के किताब संग्रह को मै देख रहा था। उसमें एक पुस्तक थी "रोचक तथ्य"। संस्कृत भाषा की इस पुस्तक में काफी रोचक घटनाएं लिखी हुई थी। जिसमे उल्लेखित कई घटनाएं उन सर्व शक्तिमान सुपरनैचुरल के बारे में थे, जो खुद को भगवान कि श्रेणी में मानते थे और कैसे उन तथा कथित भगवान का शिकार किया गया।


ज्यादातर उसमे बीस्ट अल्फा, इक्छाधरी नाग और विष कन्या का जिक्र था, जो किसी राजा के लिए कातिल का काम करते थे। उसी पुस्तक में वर्णित किया गया था तत्काल भारत में जब छुब्द मानसिकता के मजबूत इंसान, जैसे कि सेनापति, छोटे राज्य के मुखिया, लुटेरों का कबीला, सुपरनैचुरल के साथ मिलकर अपना वर्चस्व कायम करने में लगे थे। तब उन्हें रोका कैसे जाये, इस बात पर गहन चिंतन होने लगी।


रोचक तथ्य के लेखक बताते है कि पहली बार मुगलिया सल्तनत और अन्य राज्य जिन्होंने पुरानी सारी जानकारी की पुस्तक अपने पागलपन में मिटा दी थी, उनके पास इन सुपरनैचुरल को रोकने का कोई उपाय नहीं था और अपने कृत्य के लिए सभी अफ़सोस कर रहे थे। ना केवल भारत में बल्कि विकृति सुपरनैचुरल पूरे पृथ्वी पर कहर बरसा रहे थे। उन विकृति सुपरनैचुरल की पहचान करने और उन पर काबू करने के लिए देश विदेश की बड़ी–बड़ी ताकते एक साथ एक बार फिर नालंदा के ज्ञान भण्डार के ओर रुख कर चुकी थी। तकरीबन भारत के 30 राजा, और विदेश के 200 राजा इस सम्मेलन में हिस्सा लेने आये थे।


आचार्य श्रीयुत, अचार्य महानंदा के शिष्य थे और महानंदा शिष्य थे अचार्य श्री हरि महाराज के, जिन्होंने एक विकृति रीछ को विदर्व के क्षेत्र में बंधा था, जिसका उल्लेख उसी रोचक तथ्य के पुस्तक में था। पीढ़ी दर पीढ़ी पूर्ण सिक्षा को आगे बढ़ाने के क्रम में श्री हरि महाराज की सिद्धियां इस वक़्त अचार्य श्रीयुत के पास थी। आचार्य श्रेयुत सभी देशों के मुखिया से मिले और यह कहकर मदद करने से मना कर दिया कि….. "सत्ता और ताकत के नशे में चुड़ राजा खुद ही ऐसे दुर्लभ प्रजाति (सुपरनैचुरल) की मदद लेते है, अपने दुश्मनों के कत्ल के लिये। विषकन्या जैसी कातिलों को तैयार करते हैं। खुद का लगाया वृक्ष जब भूतिया निकल गया तो आज आप सब यहां सभा करने आये है। चले जाएं यहां से।"..


सभी राजा, महराजा, शहंशाह और बादशाह ने जब उनके कतल्ले आम की दास्तां बताई तब अचार्य श्रीयुत का हृदय पिघल गया और उन्होंने आये हुये राजाओं से उनके 10 बुद्धिमान सैनिक मांग लिये। श्रीयुत ने मदद के बदले कुछ शर्तें भी रखी उनके पास। आचार्य श्रीयुत नहीं चाहते कि भविष्य में फिर कोई ऐसी समस्या उत्पन्न हो इसके लिए उनकी शर्त थी….


"वो अपने 12 शिष्यों को दुर्लभ प्रजाति और इंसनो के बीच का द्वारपाल यानी प्रहरी बनाएंगे, जो दोनो दुनिया के बीच में संतुलन स्थापित कर सके।"

"जहां कहीं भी विकृति मानसिकता वाले मनुष्य, विकृति दुर्लभ प्रजाति के साथ मिलकर लोक हानि करेंगे, तो उसे सजा देने मेरे शिष्य या उसके अनुयाई जाएंगे। पहले अनुयाई वो सैनिक होंगे जो आपसे हमने मांगे है। प्रहरी पहुंचेंगे और फिर चाहे दोषी कोई राजा ही क्यों ना हो आप सब को मिलकर उसे सजा देनी होगी।"

"हमारे शिष्य और उसके अनुयाई किसी के भी राज्य में कभी भी छानबीन करने जा सकते है, जिन्हे आपकी राजनीतिक और आर्थिक राज्य नीति में कोई दिलचस्पी नहीं होगी। वह उस राज्य में दुर्लभ प्रजाति की स्तिथि और विकृति मानसिकता के लोगों का उनके प्रति रुझान देखने जाएंगे। जिसके लिये आप सभी को करार करना होगा की उनकी सुरक्षा, और काम में बाधा ना आने की जिम्मेदारी उस राज्य के शासक की होगी।"

"यदि आप सभी ये प्रस्ताव मंजूर है तो ही मै पहले आपके लोगो को प्रशिक्षित करूंगा, फिर अपने 12 सदस्य शिष्यों को तैयार करूंगा।"


आचार्य श्रीयुत की बात पर सभी शासक काफी तर्क करने के बाद इस नतीजे पर पहुंचे कि उनकी शर्त जायज है, और भविष्य नीति के तहत एक सुदृढ़ कदम भी। हर राजा ने करार पर हस्ताक्षर करके अपनी मुहर लगा दी। उसके बाद तकरीबन 1 साल तक आचार्य श्रीयूत ने अपने गुरु की पुस्तक "अनंत कीर्ति" के 5 अध्याय का प्रशिक्षण उन सभी को 1 वर्ष तक करवाया और प्रशिक्षण पूर्ण होने के उपरांत उन्होंने सबको वापस भेज दिया।


उसके बाद आचार्य श्रीयूत ने अपने 12 प्रमुख शिष्यों को अनंत कीर्ति के 10 अध्याय तक का प्रशिक्षण दिया। उन्हें लगभग 3 साल तक प्रशिक्षित किया गया और जब उनकी प्रशिक्षण पूर्ण हुई, तत्पश्चात अचार्य श्रीयूत ने उन 12 सदस्य में से वैधायन भारद्वाज को सबका मुखिया बाना दिया, और उन्हें राजाओं द्वारा मिली धन, स्वर्ण मुद्रा और आवंटित जमीन के करार सौंप कर उन्हें दो दुनिया का द्वारपाल बनाकर लोकहित कल्याण के लिए संसार के विभिन्न हिस्सों में जाने और अपने अनुयायि बनाने की अनुमति दे दी।


3 वर्ष बाद ही आचार्य श्रीयूत की अकाल मृत हो गयी। उनकी मृत के पश्चात उनके मुख्य शिष्य वैधायन को उनके अनंत पुस्तक का वारिस बनाया गया। हालांकि अनंत कीर्ति की पुस्तक एक अलौकिक पुस्तक थी, जिसमें 25 अध्याय लिखे गये थे। इस पुस्तक को संरक्षित करने का तो वारिस मिल गया, किन्तु उस पुस्तक को पढ़ने की विधि आचार्य श्रीयूत किसी को बताकर नहीं जा सके।


मना जाता था कि अनंत कीर्ति की पुस्तक में काफी हैरतअंगेज जानकारियां थी, जो पिछले कई हजार वर्षों से आचार्य अपने शिष्यों में आगे बढ़ाते हुये जा रहे थे, जिसका सिलसिला आचार्य श्रीयुत की मौत से टूट गया। पुस्तक को खोलने की एक विधि जो प्रचलित है…

"यदि कोई भी व्यक्ति 25 प्रशिक्षित लोगो से एक साथ 25 तरह के हथियार के विरूद्ध लड़े, और बिना अपने रक्त का एक कतरा बहाये यदि वह ये लड़ाई जीत जाता है, तो वो व्यक्ति उस अनंत कीर्ति की पुस्तक को खोल सकता है।"… इसी के साथ रोचक तथ्य का यह अध्याय समाप्त हो गया और मेरे मन की जिज्ञासा शुरू।


मजे की बात यह थी कि रोचक तथ्य में वर्णित इतिहास सच–झूठ का एक अनोखा संगम था, जिसे तत्काल प्रहरी समुदाय के फैलाये झूठ के आधार पर तांत्रिक अध्यात द्वारा लिखा गया था। यही वो किताब जरिया बनी फिर महाजनिका की आजादी का। बहरहाल मुझे उस वक्त भी उस पुस्तक पर पूरा यकीन नही था क्योंकि 25 तरह के हथियार से लड़ने की व्याख्या ही पूरी तरह से गलत थी। हां लेकिन रीछ समुदाय का इतिहास मेरे जहन में था और प्रहरी को तो मैं शुरू से जनता था। इसलिए मेरी दूसरी जिज्ञासा उस अनंत कीर्ति की पुस्तक को देखने की हुई। जिसे खोल तो नही सकता था लेकिन कम से कम देख तो लेता।


मै बॉब से हंसकर विदा ले रहा था और साथ ही ये कहता चला कि अब भविष्य में उससे दोबारा फिर कभी नहीं मिलूंगा। बॉब से विदा भी ले चुका था एक सामान्य जीवन की पूर्ण इक्छा भी थी, क्योंकि मुझे पहचानने वाला कोई नहीं था। एक गलती करके बुरा फंसा था, वो था सुहोत्र लोपचे की जान बचाना। यदि मर जाने दिया होता तो मेरी सामान्य सी जिंदगी होती। इसी को आधार मानकर मै ये भी तय कर चुका था कि भार में गया मदद करना। मैं भी उस भीड़ का हिस्सा हूं जो पूर्ण जीवन काल में बिना एक भी दुश्मनी किये, बिना किसी लड़ाई झगड़े के जीवन बिता देते है। लेकिन ये इंसानों के जानने की जिज्ञासा... मेरे मन की जिज्ञासा में 2 सवाल घर कर गये थे..


एक सुपर हीलर अल्फा फेहरीन को अमेजन के जंगल से नागपुर क्यों लाया गया? वो अनंत कीर्ति की पुस्तक दिखती कैसी होगी? उसपर हाथ रखने का एहसास क्या होगा और क्या जब मै उसपर अपने हाथ रखूंगा तो अपने बारे में कुछ कहानी बयान करेगी?


मेरे लिए बस 2 छोटे से सवाल थे जिसका जवाब मै जनता था कि कहां है, किंतु मुझे तनिक भी एहसास नहीं था कि इन दोनों सवाल के जवाब ढूंढ़ने के क्रम में इतनी समस्या आ जायेगी... सवाल के जवाब तो कोसो दूर थे उल्टा मै खुद ही कई उलझनों में फंस गया। ये थी एक पूरे दौड़ कि कहानी जब मै गायब हुआ था।



आर्यमणि पहली बार अपनी दिल की भावना और अपने साथ हुए घटना को किसी के साथ साझा कर रहा था। रूही को अपने मां के बारे में जितनी जानकारी नहीं थी, उससे कहीं अधिक जानकारी तो आर्यमणि और बॉब के पास थी। हां लेकिन एक बात जो इस वक़्त रूही के अंदर चल रही थी उसके दुष्परिणाम से जल्द ही आर्यमणि अवगत होने वाला था।
Nice update
 

Ali is back

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Mai abhi bhi vichaar mai hu
Ki sala ye last update kyaa thaa
Ruhi ka maa healer beti ka dimaag killer
Ye to mere sir ke upar se na jaye isliye fuk maarke fir padh raha hun
Arya ne shilpkari dikhate hue a66a udaharan de aaye black forest mai
Supernatural kuch a66e aut kuch bure hote hain
Par
Ye ruhi ne pura bomb phaad di diwali ke badle abhi le li
Ab next update ke baad hi kuch samajh aane hai nain sir mujhe
Thanks saare malal hata kara dimag ki dahi wali shaandaar update
 

Death Kiñg

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Update jhamajham barash rahe hai lekin comment nahi barash raha hai... Isi ko dekh kar fir agla update der ho jata hai... Readers me josh hi nahi bacha.... Death Kiñg ko hi dekh lijiye mahino se gayab hai
Company mein bhayankar problems chal rahi hain bhai. Site kholne ka samay bhi nahi mil paa raha. Shayad 2-3 mahine to financial loss cover karne ke chakkar mein hi niklenge, to tab tak free time bilkul nahi mil paayega. :sad:
 

Scorpio92

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भाग:–85





बॉब एक लेटर बढ़ाते हुए कहने लगा। मैंने वो लेटर अपने हाथ में लिया। चेहरे पर निराशा से भरी एक मुस्कान और लेटर में छोटा सा संदेश।…..


"तुम जिस सच कि तलाश में तड़प रहे थे वो सच मैंने तुम्हे बताया, और मुझे ईडन से मुक्त होना था सो तुमने करवा दिया। हमारी दुनिया अलग है आर्य, तुम अपना ख्याल रखना। माफ करना, तुम्हारा इस्तमाल नहीं करना चाहती थी लेकिन तुम में कुछ तो बात मुझे दिखी, जो मेरे कई वर्षों की कैद से रिहाई का जरिया था। तुम्हारी भावना को ठेस पहुंचाने का कोई इरादा नहीं था फिर भी मुझे मजबूरी में करना पड़ा। उम्मीद करती हूं तुम खुद को संभाल लोगे और हो सके तो मुझे माफ कर देना।


मै वो लेटर पढ़कर मुस्कुरा रहा था।… "बॉब जब ईडन मर रही थी, तब दर्द भरी तेज चींख ओशुन के मुंह से सुना था। मुझे वो तब भी हैरान कर गयी की ओशुन ईडन को मरते हुए क्यों नहीं देखना चाहती थी, जबकि लेटर में तो वो कई सालों से छुटकारा पाने की बात कर रही है।"..


बॉब:- ताकत की चाहत सुपरनैचुरल वर्ल्ड की सबसे बड़ी कमजोरी रही है आर्य। इस दुनिया में केवल ताकत हासिल करना ही लक्ष्य होता है। बिना क्ला और फेंग के ईडन को मार डाले, अफ़सोस तो होगा ना उसे। ईडन की पूरी ताकत बर्बाद हो गयी।


जैसे ही मैंने बॉब की वो बात सुनी फिर मै हड़बड़ी में पूछने लगा… "बॉब वहां कितनी लाशें थी।"..


बॉब शायद मेरे सवाल को भांप गया.… "हां ओशुन अब एक अल्फा है। उसके साथ उसके 4 और साथी अजरा, रोज, लिलियन लोरीश और जाइनेप यलविक ये सब भी एक अल्फा है। वुल्फ हाउस में 5 अल्फा की ताकत चुराने के इरादे से उसके बीटा ने मार डाला, जिसके सूत्रधार तुम बने।


मै:- कैसे?


बॉब:- एनिमल कंट्रोंल इंस्टिंक्ट। तुम्हारी आवाज़ अल्फा तक को काबू कर सकती है। फर्स्ट अल्फा तक को शांत कर सकती है। ओशुन और उसके दोस्तों ने उस मौके का फायदा उठा ले गये।


मैं:– मेरी आवाज जब अल्फा को कंट्रोल कर सकते थे तब एक बीटा कंट्रोल में क्यों नहीं रहा।


बॉब:– क्योंकि तुमने ओशुन को कंट्रोल नही किया था। वो तुम्हारे साथ थी, और उसके साथ जो भी होंगे वो तुम्हारे तरफ हुये। सीधी बात है, तुम्हारी दहाड़ से तुम्हारे साथ वाले एग्रेसिव होंगे और विपक्षी शांत।


मैं:– लेकिन ओशुन और बाकी के वोल्फ तो ईडन के साथ ब्लड ओथ में थे न।


बॉब:– ब्लड ओथ में होने से क्या होता है। वफादारी बदल चुकी थी इसलिए अलग असर देखने मिला।


मै:- ओशुन अपना नया पैक बनाकर गयी।


बॉब:- ओशुन अल्फा ग्रुप के साथ निकली थी। ये पैक तो नहीं था, लेकिन आपसी समझौता जरूर था। पहले ओशुन अपनी मां के पैक से मिलती और बाकियों को वो पैक उसकी मंजिल तक पहुंचता।


मै, गहरी श्वास लेते खुद को थोड़ा आराम देते… "तुम मुझे कहां ले आये फिर, और मेरे साथ क्या-क्या हुआ वो तो बता दो?"


बॉब:- एक शर्त पर..


मै:- बॉब अब ये मत कहना कि हमे मिशन पर निकलना है, मिशन इंपॉसिबल। प्लीज तुम मेरी बात को समझो। मै एक आम सा लड़का हूं, किसी वजह से सुपरनैचुरल बन गया। लेकिन आज भी मुझे मेरी मां की गोद याद आती है। मेरी भूमि दीदी को गलत समझा अंदर से सॉरी टाइप फील कर रहा हूं। मेरा बाप मुझे लेकर ही परेशान होगा, उन्हें कहना है पापा मै आपसे बहुत प्यार करता हूं। इतनी सी उम्र में 2 बार लव फेल्योर हो चुका है। खुद के लिए एक प्यारी सी लड़की ढूंढनी है। मुझे चित्रा को तंग करना है। निशांत के साथ रात में घूमकर कुछ मुसीबत में फंसे लोगों को निकालना है। और इस बार कोई खूबसूरत लड़की दिखी तो मै भी कहूंगा जान बचाई उसके बदले हमे प्लीज एक बार सेक्स करने दो, हमारा मेहनताना। बस इतनी सी ख्वाइश है।


बॉब:- "मेरी खुशकिस्मती जो तुमने इतनी बात कर ली। अच्छा मै शुरू से बताता हूं, जो भी अब तक मैंने तुम्हारे बारे में जाना है। तुम एक प्योर अल्फा हो। प्योर अल्फा मतलब बाय बर्थ तुम एक वेयरवुल्फ रहे हो, बस तुम्हारी वो शक्तियां ट्रिगर नहीं हो पायी थी अबतक।"

"तुम्हारा इंसानी पक्ष हर रूप में तुम्हारे साथ रहता है इसलिए जब तुम शेप शिफ्ट करते हो तो आसानी से किसी भी भाषा (जानवर या इंसानी भाषा) को बोल लेते हो। याद करो उस रात की वीडियो जिस रात तुम खुदाई कर रहे थे। एक अनियंत्रित वूल्फ शिकार करता है लेकिन तुम बस खुदाई कर रहे थे और हर जानवरों पर नियंत्रण कर रहे थे.. जबकि.."


मै:- अब ये पॉज की जरूरत है क्या बॉब?


बॉब:- जबकि तुम काली खाल ओढ़े थे। मतलब तुम एक बीस्ट वुल्फ की तरह ही थे, जिसे खुद पर नियंत्रण नहीं था। तुम नहीं जानते थे तुमने शेप शिफ्ट किया है। लेकिन फिर भी तुमने किसी पर हमला नही किया। ये होता है प्योर अल्फा। तुम्हारी जगह यदि ईडन अनियंत्रित होती तो पुरा एक शहर साफ कर देती, और उफ्फ तक नहीं करती।


मै:- फिर बोलते–बोलते रुक गये। अच्छा लग रहा था अपने बारे में अच्छी बातें सुनकर।


बॉब:- टू बी कंटिन्यू..


मै:- इसका क्या मतलब है बॉब और तुम मुझे कहां लेकर आये हो?


बॉब:- टू बी कंटिन्यू का मतलब कल बताऊंगा और इस वक़्त हम दुनिया के सबसे घने और बड़े जंगलों में से एक, रशिया के हिस्से में पड़ने वाले "बोरियल" जंगल में है।


मै:- बॉब देखो सस्पेंस क्रिएट मत करो, जो जानते हो बता दो। वरना भाड़ में गया तुमसे कुछ जानना, मै यहां से भागकर भी भारत वापस जा सकता हूं।


बॉब:- तुम्हारी मर्जी है लेकिन किसी लड़की की जान बचाने के बाद यदि उसके साथ सेक्स करोगे तब पता चलेगा वो चूम किसी इंसान को रही है और सेक्स किसी सैतना में साथ कर रही। और कहीं तुमने उसकी हालत ओशुन जैसी कर दी तब तो वो पक्का स्वर्गवासी भी हो जायेगी।


मै:- बहुत बड़े कमिने हो बॉब....


बॉब किसी सस्पेंस से कम नहीं था। उसने अपने शब्द जाल में ऐसे उलझाया की मैंने भी तय कर लिया चलो इसके साथ भी वक़्त बिताकर देख लिया जाय। वक़्त बीताकर देखा.. शायद मेरे नये बदलाव का बॉब एक ऐसा सहारा था जिसने मुझे मेरी पहचान बताई थी। बॉब मानो सुपरनैचुरल वर्ल्ड का विकिपीडिया था। वो ग्रीक, रोमन, मिस्र, नॉर्थ अमेरिकन और इंडियन सब कॉन्टिनेंट के सारे सुपरनैचुरल के बारे में पढ़ चुका था। उनके अनुसार सभी सभ्यता में सुपरनैचुरल की जितनी ज्यादा जानकारी इंडियन सब कॉन्टिनेंट के माइथोलॉजी हिस्ट्री में मिलती है, वो सबसे पुरानी और सबसे ज्यादा सटीक है। भारत के इतिहासकारों ने जिस हिसाब से ना सिर्फ जमीन बल्कि महासागर के सुपरनैचुरल को एक्सप्लेन किया था वो अद्भुत है। फिर चाहे वो मत्स्य कन्या हो, या फिर मैन मेड विश कन्या एसासियन, या फिर मीठे पानी के सुपरनैचुरल क्रोकोडायल हो या फिर पृथ्वी पर सबसे विकसित प्रजाति रीछ हो। या फिर बिग फुट के नाम से मशहूर हिमालय की प्रजाति हो या फिर इक्छाधारी नाग हो। या फिर शेषनाग...


बॉब काफी प्रभावित करने वाला व्यक्ति था। मै बस गौर से उसे सुना करता था। उसके पास कई ऐसे दुर्लभ पुस्तकें थी, जो वो मुझे दिखाया करता था। ऐसा नहीं था कि उसने केवल किताबी ज्ञान हासिल की थी, बल्कि बहुत से दुर्लभ सुपरनैचुरल की जानकारी थी। वेयरवुल्फ और उसकी सारी वरायटी तो वो रट्टा मार जनता था।


उसके अनुसार जमीन पर रहने वाले सभी सुपरनेचुरल ताकत बढ़ाने की होड़ में इंसानों के हाथो शिकार होते चले गये। भले ही सुपरनेचुरल खुद को कितना भी सुपीरियर माने, लेकिन इतिहास गवाह था, हर विकृति मानसिकता के लोगो को अंत तक पहुंचना ही पड़ा था, भले ही वो खुद को कितना ही ताकतवर क्यों ना बना ले।


कई दिनों तक हम कई सारे सुपरनैचुरल पर बात करते रहे। ऐसा लग रहा था वो अपना ज्ञान मुझे बांट रहा हो। बॉब के बताने के ढंग और इस विषय से मुझे काफी रुचि हो गई थी। लेकिन बॉब था बहुत बरे वाला कमीना। प्योर अल्फा के विषय में वो कोई चर्चा नहीं करता था। करता भी कैसे वो खुद पहली बार किसी प्योर अल्फा से मिल रहा था।


सुपरनैचुरल के क्लासिफिकेशन का दौर जब खत्म हुआ तब उसने कई अच्छे तो कई बुरे सुपरनैचुरल के बारे में जिक्र किया, जिसकी इतिहास और वर्तमान में चर्चा थी। इसी चर्चा के दौरान मुझे फेहरीन के बारे में पता चला था रूही। तुम्हारी मां के बारे में बॉब पूरा 1 दिन बताते रह गया था। उसके बाद ढेर सारे विकृत वेयरवुल्फ कि चर्चा हुई। मौजूदा हालत में बीस्ट वुल्फ को उसने सबसे मजबूत और खतरनाक बताया। उन्हें रोकने और मारने के उपायों पर भी बात होने लगी।


फिर चर्चा शुरू हुई इतिहास के सर्व शक्तिमान इंसानों की और उनके विकृत प्रभावों को रोकने के लिये उठाये गये कदम। बॉब का एक बात कहना बहुत हद तक सही था, जो प्रकृति से कुछ खास बटोर लिये वो सब सुपरनैचुरल है। फिर हम केवल वेयरवुल्फ कि बात ही क्यूं करे। वेयरवुल्फ भी कई सुपरनैचुरल में से एक है जिसमे कई तरह कि ताकत के साथ शेप शिफ्ट करने कि एबिलिटी होती है। बॉब को वेटनारियन ना कहकर सुपरनैचुरल के डॉक्टर कह दूं तो ज्यादा गलत नहीं होगा। साथ में बहुत ही ज्यादा सेलफिश वाला इंसान भी। ऐसा मै क्यों कह रहा हूं वो भी बताता हूं…


कितने महीने मै उसके साथ रहा मुझे भी याद नहीं। बोरियल, रूस, के जंगल में दिन रोमांच के साथ गुजर रहे थे। बॉब का मानो मै एक रिसर्च सब्जेक्ट बन चुका था क्योंकि एक प्योर अल्फा के बारे में उसे भी पता नहीं था, इसलिए मेरे साथ बिताये अनुभव को वो लिखकर रखता था। मेरी पास किस तरह कि पॉवर है, कितना आक्रमक हो सकता हूं। पूर्णिमा को कैसी हालत रहती है, इसके अलावा प्योर अल्फा में क्या खास बातें होती है सब।


एक तो बॉब अपने आकलन के आधार पर वो मेरी हील पॉवर को परख चुका था। मुझमें अल्फा और फर्स्ट अल्फा के मुकाबले कई गुना ज्यादा हील पॉवर थी। वहीं बहुत बारीकी से छानबीन के बाद उसने मुझे बताया कि हवा, पानी, और आकाश में कहीं भी हुई घटना को मै मेहसूस कर सकता हूं, उसकी झलकियों को मै देख सकता हूं। मुझे उसका ये हवा, पानी और आकाश कि बात पर जोर देकर कहना कुछ समझ में नहीं आया।


तब बॉब अपने अनुभव को साझा करते हुये कहने लगे, बहुत कम ऐसे सुपरनैचुरल होते हैं जिसकी शक्तियां हर मीडियम मे एक जैसी होती है। यह ज्यादातर किसी भी प्योर सुपरनैचुरल में पाया जाता है जो अपनी कुछ शक्तियों को प्रतिकूल मीडियम (विरुद्ध या विपरीत पक्ष वाला मीडियम) में बनाये रख सकते है। हां लेकिन ये सभी प्योर सुपरनैचुरल में देखने मिले ऐसा संभव नहीं।


इसी मे एक बात और बॉब ने जोड़ा था। हर सुपरनैचुरल अलग-अलग मीडियम मे अलग-अलग तरह से रिस्पॉन्ड करता है। इसका ये मतलब नहीं कि मीडियम चेंज होने से केवल शक्तियां जाएंगे ही। हो सकता है दूसरा मीडियम ज्यादा अनुकूल हो। इसी के साथ एक और बात निकलकर आयी। सुपरनैचुरल की शक्तियां अलग-अलग एटमॉस्फियर और क्लाइमेट मे भी बदल सकती है। कहीं के एटमॉस्फियर मे शक्तियां बढ़ेंगी तो कहीं शून्य भी हो सकती है।


बातें थोड़ी अजीब थी लेकिन बॉब के साथ रहकर एक बात तो समझ चुका था, ये पूरी दुनिया ही अजीब चीजों से भरी पड़ी है। तब मुझे ओशुन का वो गांव याद आ गया जहां मैंने हर दरवाजा को छूकर देखा था, और वो मुझे विचलित कर गया था। ऐसा क्यों हुआ था उस वक़्त मै नहीं समझ पाया था, लेकिन आज जब बॉब मुझे प्योर अल्फा को थोड़ा और एक्सप्लोर कर रहा था, तब जाकर समझ में आया।


बस इन्हीं सब बातो में दिन गुजरते गये। बॉब मुझसे तरह-तरह की चीजे करने कहता, जिसमे ज्यादातर नतीजे नहीं निकलते। हां लेकिन कई सारे असफल प्रयोग के बाद, इक्के–दुक्के नई बात भी पता चलती। उसी ने अपने अनुभव के आधार पर आकलन किया था, जितनी ताकत मै शेप शिफ्ट करने के बाद मेहसूस करता हूं, लगभग उतनी ही ताकत मेरी इंसानी शरीर में भी है। बस मै जब भी उन शक्तियों को मेहसूस करता हूं तो अपना शेप शिफ्ट कर लेता हूं।


वो साला अनुभवी व्यक्ति बॉब एक बार और सही था। हमने बहुत से प्रयोग किये इसपर और सफलता भी पाया। बॉब ने हालांकि दिया तो मात्र थेओरी ही था लेकिन जब बॉब की बात सही हुई, सबसे ज्यादा आश्चर्य उसी को हुआ था। मुझे तो कभी–कभी बॉब को देखकर ऐसा लगता था कि साला कोई फेकू है जो 20 तुक्का मारता है, उसमे से 2-4 सही हो जाता है। खैर, तब उसी ने मुझसे कहा था कि जब तक प्योर अल्फा खुद ना चाह ले, कोई जान नहीं पायेगा कि एक वेयरवुल्फ आस पास है। हर किसी को ये तो समझ में आ सकता है कि कुछ है ऐसा जो मेरे ताकत को बढ़ाता है, लेकिन वो चाहकर भी पता नहीं लगा सकता।


मुझ पर वुल्फ को रोकने की सारी तकनीक बेअसर होगी क्योंकि प्योर अल्फा को ना तो अवरुद्ध भस्म यानी माउंटेन एश रोक पायेगी, और ना ही वुल्फबेन से मारा जा सकता है। जहां वेयरवुल्फ करंट लगने से अपने हृदय की गति बढ़ा लेते है, प्योर अल्फा ठीक उसके विपरीत अपनी धड़कन की गति लगातार नीचे ले जाते है। किसी के दिमाग को पढ़ना और उसकी यादों को देखना मेरे अंदर किसी अल्फा की तरह ही थी, बस मै जितनी सरलता से कर सकता था, कोई और शायद ही कर सके।


मैं किसी की पूरी याद देखने के लिये कितना समय लेता हूं, इसका भी टेस्ट बॉब ने किया था। और मजे की बात ये थी कि बोरीयाल के जंगल में जानवर दिखना खुशकिस्मती की बात होती है, इंसान तो भूल ही जाओ। बॉब ने टेस्ट के लिये कह तो दिया, लेकिन बकरा वही था। वेयरवोल्फ के बारे में तो मैं भी जनता था कि उसके क्ला या फेंग से घायल इंसान यदि इम्यून हो गया तब वह भी एक वेयरवॉल्फ बन जायेगा। उस वक्त मेरी विडंबना यही थी कि मैं याद देखूं कैसे?
Outstanding update bhai maza aa gaya ab dekhte hai age kya hota hai.
 

Scorpio92

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भाग:–86




कुछ भी कहो बॉब एक जीनियस से कम नही। उसी ने सबसे पहले लुथिरिया वोलुपिनी के साइड इफेक्ट को एक उपचार के रूप में प्रयोग किया था और वो सफल भी रहा। लूथरिया वुलुपिनी न सिर्फ वेयरवोल्फ के लिये एक जहर है बल्कि दावा का काम भी करता है। यदि एंटीडॉट है तो लुथीरिया वुलुपिनि से किसी भी वुल्फ को कंट्रोल किया जा सकता है, खासकर न्यू वेयरवोल्फ को। एंटीडोट है तो लुथीरिया वुलुपिनी का इस्तमाल फेंग और क्ला से घायल इंसान को ठीक करने तथा वेयरवोल्फ में न तब्दील होने के लिये भी कर सकते है। बॉब ने वुल्फ के जितने भी मारने के तरीके थे, उन सब से बचने के उपाय मुझे बताया था।


खैर बॉब टेस्ट के लिये तैयार था और मैं क्ला घुसाकर उसकी यादें लेना शुरू किया। उसके ताज़ा यादों में ही मुझे ओशुन दिख गयी। ओशुन का चेहरा सामने आते ही मैं ख्यालों की गहराई में चला गया। एक–एक करके उसके साथ बिताये हर पल की तस्वीर दिखने लगी। फिर मुझे बॉब का ध्यान आया और मैंने उसकी याद वापस देखन शुरू किया। उसके बाद मैं न तो रुका और न ही भटका। 10 मिनट में उसकी पूरी याद खंगालने के बाद अपना क्ला बाहर निकाला।


बॉब ने आंख खोलते ही सबसे पहले समय देखा और मुझसे, अपने बचपन के बारे में कुछ पूछा। उसे मैंने बता दिया। फिर बॉब ने थिया के बारे में कुछ पूछा। वो भी मैने बता दिया। फिर बॉब ने एनिमल बिहेवियर से संबंधित एक जटिल प्रश्न किया, जिसका जवाब मैं नही दे सका। इतनी पूछताछ के बाद बॉब ने मुझसे कहा... "जैसे टीवी पर कोई मूवी देखने के बाद कुछ अच्छे चीजें दिमाग में छप जाति है और बहुत से चलचित्र पर हम जैसे ध्यान नहीं देते ठीक वैसा ही याद देखने का अनुभव होता है। मेरे जिंदगी की कुछ खास घटना तुम्हे याद है लेकिन पूरी याद देखने के बाद तुम्हे मेरे जिंदगी की सारी घटना याद नहीं। अब तुम ओशुन के बारे में मुझसे कुछ कुछ पूछो?"


मैं, भद्दा सा चेहरा बनाते... "उसकी बात नही करनी।"


बॉब:– अच्छा इसलिए ओशुन की सारी विजुअल इमेज मेरे दिमाग में डाल दिये। तुम्हारे दिमाग में ओशुन से जुड़ी जितनी भी याद है उसे मेरे दिमाग में ऐसे छाप दिये की वो मेरी जिंदगी का हिस्सा लग रहा है।


मैं:– क्या मतलब मैने ओशुन के विजुअल इमेज तुम्हारे दिमाग में डाले...


फिर बॉब ने मुझे हर वो बात बताई जिसे मैं क्ला घुसने के बाद सोचा था। मैं अचंभित और बॉब तो मुझसे भी कई गुणा ज्यादा अचंभित। यादों के साथ ऐसी छेड़–छाड़ न तो कहीं वर्णित था और न ही किसी मौखिक दंत कथाओं में उल्लेख मिलता था। हम दोनो ही इस विषय में और ज्यादा जानने के लिये उत्साहित थे। इस शक्ति के बारे में पता चलते ही फिर बॉब रुका ही नहीं।


आगे यादों से छेड़–छाड़ पर प्रयोग शुरू करने से पहले बॉब बेतुकी सी जिद पर बैठ गया। दुनिया के बेस्ट न्यूरो सर्जन की यादों को ध्यान से देखना। मुझे तो कभी–कभी ऐसा भी लगता था कि बॉब के दिमाग में कहीं चोट लगी थी और कभी–कभी दिमागी संतुलन उसका हिल जाता है। न्यूरो सर्जन की याद देखना? खैर उसकी बात न कैसे मानता। मैं भी राजी हो ही गया।


हमलोग वहां से सीधा पहुंचे स्पेन। स्पेन दुनिया में सबसे बेहतरीन न्यूरोसर्जन देने के लिये काफी प्रसिद्ध देश है। हम लोग दुनिया के सबसे चर्चित और टॉप क्लास नंबर 1 न्यूरोसर्जन का पता लगाया। काफी व्यस्त मानस था और पहले कभी भी किसी मरीज को नहीं देखता। पहले उसके चेले इलाज के लिये आते और जब केस नही संभालता तब शीर्ष वाला डॉक्टर। ऊपर से उनकी फी। आम लोग खुद को बेचकर भी उनकी फी पूरी न दे पाये।


जैसा की बॉब के विषय में मैं पहले भी बता चुका हूं, था तो वो बहुत बड़ा कमिना। उसने पेड़ और पौधों से लिये टॉक्सिक को ब्रेन की नसों में दौड़ाने के लिये कहने लगा। कह तो ऐसे रहा था जैसे सामने हलवा परोस कर खाने कह रहा हो। मुझसे हुआ ही नहीं। एक हफ्ते लग गये टॉक्सिक फ्लो को इच्छा अनुसार बहाव देने में। अभी तो इच्छा अनुसार बहाव दिया था। इसके बाद तो जैसे बॉब का मैं कोई साइंस प्रोजेक्ट हूं। पहले उसने सिखाया टॉक्सिक को ब्लड के साथ बहने दो। मैने ध्यान लगाया और टॉक्सिक को ब्लड का हिस्सा समझा। कमाल हो गया, रगों में टॉक्सिक बहने लगा। हां वो अलग बात थी की मेरा हर वेन शरीर से कुछ सेंटीमीटर उभरा हुआ नजर आता।


इसके बाद बॉब ने जैसे न्यूरोसर्जन को पागल करने की ठान रखी हो। उसने फिर टॉक्सिक को किसी न्यूरो ट्रैमिशन की तरह पूरे शरीर में फैलाने के लिये कहने लगा। अब न्यूरो ट्रासमिशन होता क्या है उसे समझने में पूरा एक दिन गुजर गया। उसके बाद ये काम भी मैने बॉब की मदद से किया। जब मैं न्यूरो ट्रांसमिशन से टॉक्सिक को अपने शरीर में फैला रहा था तब मानो मेरे पूरे शरीर पर नर्व के जाल खुली आंखों से दिख रहा था। मेरा शरीर कोई देख ले तो ऐसा लगता जैसे किसी ने मेरे ऊपर की चमरी को छीलकर हटा दिया और अंदर के पूरे नर्व को दिखा रहा, जो टॉक्सिक के बहाव के कारण दिखने में बिलकुल काला था।


बॉब को पता था कि फ्री में उस डॉक्टर तक कैसे पहुंचना है। हम गये स्पेन के सरकारी हॉस्पिटल। वहां मैने दिमाग से संबंधित दिक्कत बताया। उन लोगों ने ब्लड सैंपल लेकर मुझे एमआरआई (MRI) के लिये भेज दिया। एमआरआई हुआ और डॉक्टर पागल। एमआरआई कर रहे डॉक्टर ने तुरंत एक मेडिकल टीम बुलवा लिया। वो लोग भी मेरा दिमाग देखकर चक्कर खा गये। दिमाग की नशों में खून की जगह जैसे ट्यूमर बह रहा हो। और ये बहाव केवल दिमाग की नशों में ही था बल्कि न्यूरो ट्रांसमिशन देखकर तो जैसे पसीने ही आ गये।


सरकारी हॉस्पिटल का ये केस सीधा पहुंच गया दुनिया के नंबर 1 न्यूरो सर्जन की टीम के पास। उनकी पूरी टीम और शीर्ष पर बैठा डॉक्टर चैलेंज लेने पहुंच गया। उनकी दिमाग की नशों को और भी ज्यादा हिलाने के लिये बॉब ने खास प्रबंध कर रखा था। हर मिनट पर मेरी बीमारी पूरी तरह से ठीक और फिर पूरी तरह से वापस आ जाती। मैं उनके बीच चर्चा का विषय बन गया और मुझ पर एक्सपेरिमेंट करने के लिये उन्होंने मुझे 50 हजार यूरो में साइन कर लिया। हां वो अलग बात है कि पहले मुझे भयभीत किया गया। मरने का डर दिखाया गया। और बाद में उनके मदद के बदले मेरे परिवार के लिये उन्होंने 50 हजार यूरो मुझे दिये।


मुझे क्या करना था मैं भी उनके रिसर्च का हिस्सा बन गया। जिस दिन मैं उनके हॉस्पिटल पहुंचा। उसी दिन से सब काम पर लग गये। टेस्ट के नाम पर मेरे शरीर से न जाने क्या–क्या निकाल लिये, लेकिन कहीं कोई बीमारी निकल ही नहीं रही थी। एक ही टेस्ट को स्पेन के 10 लैब से इन लोगों ने करवाया। सबका नतीजा एक जैसा। जबकि एमआरआई की रिपोर्ट उन्हे चकराने पर मजबूर कर देते। अंत में शीर्ष पर खड़ा टॉप न्यूरोसर्जन अपनी टीम के साथ मेरी सर्जरी का प्लान बनाया।


यहां तक तो सब कुछ मेरे और बॉब के सोच अनुसार ही हुआ। लेकिन आगे जो होने वाला था, उसके बारे में मैं कुछ नही जानता था। पर बॉब से भी चूक हो गयी। हमने सोचा था ऑपरेशन थिएटर में जाने के बाद सभी डॉक्टर को बेहोश करके मैं न्यूरोसर्जन के दिमाग में क्ला घुसा दूंगा। लेकिन वो प्लान ही क्या जो आखरी समय में फेल न हो जाये। सालो ने ऐसा ऑपरेशन थिएटर चुना जिसे देखकर मैने माथा पीट लिया। उस ऑपरेशन थिएटर के ऊपर का छत.…


ये सबसे ज्यादा कमाल का था क्योंकि उसके ऊपर कोई छत ही नही था। आंख उठाकर ऊपर देखो तो सीधा सेकंड फ्लोर का छत नजर आता था और फर्स्ट फ्लोर के छत की जगह बालकोनी टाइप थोड़ा सा छज्जा चारो ओर से निकाले थे। छज्जे के किनारे से 4 फिट की स्टील रॉड की प्यारी सी फेंसिंग थी, जिसे पकड़कर नीचे ऑपरेशन का पूरा नजारा एचडी में खुली आंखों से ले सकते थे। और जिन्हे 12–13 फिट नीचे देख कर कुछ समझ में न आये, उनके लिये 60 इंच का स्क्रीन लगाया गया था। जहां दिमाग का छोटा सा पुर्जा भी 10 इंच से कम का न दिखता। लाइव क्रिकेट मैच जैसे पूरी वयवस्था थी।



ऊपर से तकरीबन 50–60 आमंत्रित डॉक्टर देख रहे थे और नीचे पूरी टीम मेरा ऑपरेशन करने के लिये मरी जा रही थी। मैं करूं तो क्या करूं। बॉब भी साथ में नही था, उसे तो प्रतीक्षालय में इंतजार करने कहा गया था। मैं बड़ी दुविधा में। ऊपर से इन डॉक्टर्स ने एक छोटा बटन दबाया नही की पूरा स्टाफ ओटी में पहुंच जाता। मुझे कुछ सूझ नही रहा था और ये लोग इंजेक्शन लगाकर मुझे बेहोश करने वाले थे।


जब समझदारी काम न आये तब बेवकूफ बनने में ही ज्यादा समझदारी है। ऊपर से मुझे तो वैसे भी दिमागी बीमारी लगी थी। सो मैंने आव देखा न ताव सीधा बेड से कूद गया। मेरे बदन पर न जाने कितने वायर लगे थे और नब्ज में नीडल। सबको नोच खरोच कर गिराते मैं ऑपरेशन थिएटर से बाहर भागा। मेरे पीछे कुछ जूनियर डॉक्टर और नर्स की टीम भागी। मैं तो ओटी के बाहर चला आया और कुछ ही देर में पूरा हॉस्पिटल प्रबंधन मेरे पीछे दौड़ रहा था।


5 मिनट तक इधर–उधर भागने के बाद मैं थोड़ा तेजी दिखाते हुये वापस ऑपरेशन थिएटर में भागा। ऑपरेशन थिएटर में कम से कम 15 लोग रहे होंगे। हां। लेकिन शुक्र था कि कोई ऊपर खड़ा नही था। मुझे कुछ नही सूझा इसलिए मैंने एक बेडशीट में आग लगाकर उसके ऊपर गीला बेडशीट डाल दिया। चारो ओर तेज धुवां उठा और उस धुवां की आड़ में नंबर 1 न्यूरो सर्जन को लूथरिया वुलुपिनी का इंजेक्शन देकर उसके गर्दन में क्ला घुसा दिया।


जब मैंने उस डॉक्टर की यादों में झांका फिर मुझे पता चला की बॉब इस डॉक्टर की यादें देखने के लिये क्यों इतना जोर दे रहा था। किसी की यादें खुद के दिमाग में लेना। दूसरों के दिमाग में यादें डालने तथा भ्रम और सच्चाई बीच की लकीर के बीच कैसे उलझन पैदा करनी है। कौन सी यादें कहां मिलेगी। भूली यादें कहां होती है। यादों को एक दिमाग में कितने तरह से डाला जा सकता है। यादों को किस प्रकार से मिटाया जा सकता है। या फिर अपनी काल्पनिक याद को किसी के दिमाग के अंदर कैसे वास्तविक बना सकते है, मुझे सब पता चल चुका था। मुझे पता चल चुका था कि कहां ध्यान लगाने से क्या सब हो सकता है। मैं दिमाग और नर्वस सिस्टम से जुड़े इतने बातों को समझ चुका था की मैं किसी के दिमाग से यादों का कोई खास हिस्सा बिना किसी परेशानी के उठा सकता था।


फिर तो धुएं की आड़ में मैने बचे 14 लोगों की यादें भी देख ली। सबकी यादें काम की नही थी, इसलिए उन्हे स्टोर नही किया सिवाय 3 और लोगों के। जिसमे से एक प्लास्टिक सर्जन था तो दूसरा कॉस्मेटिक सर्जन। ये दोनो उस न्यूरो सर्जन के दोस्त थे और कई मामलों में न्यूरो सर्जन को सलाह भी दिया करते थे। आखरी में था एनेस्थीसिया। मैने न्यूरो सर्जन के साथ उन तीनो को भी लपेट लिया। सभी डॉक्टर के कुछ देर पहले की यादें मिटा दी और मैं जाकर आराम से लेट गया।


उन डॉक्टर में से जिसकी आंख पहले खुली हो। उसने जाकर दरवाजा खोला। कई लोग अंदर पहुंचे। ऑपरेशन थिएटर को खाली करवाया गया और फिर मुझे लेकर एक प्राइवेट रूम में सुला दिया गया। उस दिन ऑपरेशन होने से रहा और अगली बार ऑपरेशन हो, ऐसा मौका मैने दिया ही नहीं। मेरे जितने भी टेस्ट हुये सबके परिणाम पोस्टिव आये। चूंकि मैं एक एक्सपेरिमेंट सब्जेक्ट था और मेडिकल काउंसिल के लोग मेरी रिपोर्ट्स देख रहे थे, इसलिए मुझे डिस्चार्ज करने के अलावा उनके पास और कोई ऑप्शन ही नही था।


हम फिर यूरोप भ्रमण के लिये निकले। हां लेकिन हमारे पास पैसों की काफी तंगी हो चुकी थी, इसलिए वुल्फ हाउस को लूटने के इरादे से हम दोनो सबसे पहले जर्मनी ही पहुंचे। बॉब, मैक्स और बाकी रेंजर को वुल्फ हाउस की दास्तान सुनाने निकल गया और मैं वुल्फ हाउस चला आया। दरवाजे पर ईडन के मांस का लोथड़ा तो नही था लेकिन खून के दाग वैसे ही लगे हुये थे। अंदर घुसते ही बड़ा सा हॉल अब भी लड़ाई की दास्तान सुना रहा था। लाशें एक भी नही थी, लेकिन खून के धब्बे और गंदी सी बदबू चारो ओर थी।


वुल्फ हाउस में मैने अपना काम शुरू कर दिया। पैसों का पता लगाते मैं ईडन के तहखाने पहुंच गया, जहां पर पैसों और बाउंड का भंडार छिपा था। कुल संपत्ति लगभग 50 मिलियन यूरो थी। मैने ईडन का पूरा लॉकर ही साफ कर दिया। पूरे पैसे, बैंक लॉकर की चाबियां, कुछ बॉन्ड्स और शेयर अपने बैग में समेटकर डाल लिया। मैं जब तक वापस हॉल में पहुंचा, बॉब कुछ लोगों को लेकर वुल्फ हाउस पहुंच चुका था। ब्लैक फॉरेस्ट का रेंजर मैक्स और उसकी बीवी थिया को देखकर मैं खुश हो गया। हां लेकिन थिया मुझे देखकर जरा भी खुश न थी। उसने भरी सभा में जोर से चिंखते हुये मुझे वेयरवोल्फ पुकार रही थी।


मामला ठन गया। थिया की बातों पर किसी को यकीन नही हुआ, लेकिन सभी शिकारियों की संतुष्टि के लिये मेरा टेस्ट लिया गया। पहला करेंट और दूसरा वोल्फबेन। मैं दोनो ही टेस्ट 100% मार्क के साथ पास कर गया। थिया को लेकिन जरा भी यकीन नहीं था और वो मुझे पूरी तरह से फसाने का ठान चुकी थी। उसे सेक्स टेस्ट चाहिए था। सबके सामने उसने कह दिया, यदि मैं वुल्फ नही तो किसी स्त्री के साथ सबके सामने संबंध बनाये।


मैं फंसा। थिया के चेहरे पर कुटिल मुस्कान और मैं चिंता में। सभी शिकारी हंसते हुये थिया को ही कपड़े उतारने कह दिये। मैक्स भी उनमें से एक था जो इस अजीब सी शर्त की मेजबानी थिया को करने ही कह दिया। कामिनी औरत मुझे पूरी तरह से फसा चुकी थी। वह उसी वक्त अपने ऊपर के कपड़े को फर्श पर गिराकर अंतः वस्त्र में खड़ी हो गयी और मेरे पास कोई रास्ता ही नही छोड़ी। बॉब ने मुख्य दरवाजा बंद किया और मैंने आतंक मचाने शुरू किया। बॉब के पास जानवरों को लिटाने वाले कई तरह के साधन थे। उन्ही साधनों को संसाधन में बदलकर सबको बेहोश किया और उनके जहन से मेरे वेयरवोल्फ होने की पूरी कहानी ही गायब करनी पड़ी।


उन्हे जब होश आया तब सभी अलग–अलग कमरों में लेटे थे। शाम के खाने की दावत पर सबको जगाया गया और पूरे रेंजर एक साथ जमा होकर बस ईडन के बारे में जानने के लिये उत्सुक थे। जब उन्हें पता चला की मैने अकेले ईडन का सफाया कर दिया और उसके साथ बाकी के अल्फा का भी, उनका चेहरा देखने लायक था। कुछ देर आश्चर्य से मौन रहे फिर जाम से जाम लहराते हूटिंग करने लगे। मैक्स ने मुझसे पूछा की आखिर मैं कैसे कामयाब रहा। तब मैने बॉब के बारे जिक्र करते कहा की बॉब ने माउंटेन ऐश और वुल्फ मारने का हथियार दिया। मैने उन सभी को ट्रैप करके मार डाला। और बचे हुये जो बीटा भागे उनका फिर पिछा नही किया।
Jabardast update bhai maza aa gaya ye Thea Arya ko fasana q chati thee .chalo ab to sub sahi hai
 
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