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Fantasy Aryamani:- A Pure Alfa Between Two World's

nain11ster

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भाग:–88




आर्यमणि पहली बार अपनी दिल की भावना और अपने साथ हुए घटना को किसी के साथ साझा कर रहा था। रूही को अपने मां के बारे में जितनी जानकारी नहीं थी, उससे कहीं अधिक जानकारी तो आर्यमणि और बॉब के पास थी। हां लेकिन एक बात जो इस वक़्त रूही के अंदर चल रही थी उसके दुष्परिणाम से जल्द ही आर्यमणि अवगत होने वाला था।


आर्यमणि और रूही दोनो ही लगभग खोये से थे, तभी उस माहौल में ताली बजनी शुरू हो जाती है। बॉब उन दोनों का ध्यान अपनी ओर खिंचते… "आर्य सर ने किसी से लगातार 4-5 घाटों तक बातचीत की। सॉरी बातचीत कहां, लगातार अपनी बात कहता रहा, कमाल है।"


रूही बॉब की बात पर हंसती, आर्य के गाल को चूमती हुई कहने लगी… "बड़ी मुश्किल से मेरा दोस्त सुधरा है बॉब, नजर मत लगाओ। वैसे भी इसकी जिंदगी में भूचाल लाने का श्रेय तुम्हे ही जाता है। वरना ये तो नॉर्मल सी लाइफ जीने गया था नागपुर, जहां इसके 2 प्यारे दोस्त और इसकी सब से क्लोज भूमि दीदी रहती है।"..


बॉब:- क्या वाकई में ये अपने सवालों के कारण फसा है। मुझे नहीं लगता की ऐसा कुछ हुआ होगा। सवालों के जवाब ढूंढ़ने के लिए इसे ज्यादा अंदर तक घुसने कि जरूरत भी नहीं पड़ती, क्यों आर्य?


आर्य:- हां रूही, बॉब सही कह रहा है। मै तो नागपुर बस जिज्ञासावश और अपने लोगों के पास गया था। लेकिन कोई मुझे पहले से निशाने पर लिया था। कुछ लोग नहीं चाहते थे कि मै नागपुर में रहूं, इसलिए तो मेरे नागपुर पहुंचने के दूसरे दिन से ही पागलों कि तरह भगाने में लग गये थे।


रूही:- हां और तुम भी जब भागे तो उन लोगों को पूरा उंगली करके भागे।


आर्य:- हाहाहाहा.. हां तो जैसा किया वैसा भोगे। लेकिन इन सबमें तुम लोग मेरे साथ हो, वही मेरे लिये खुशी की बात है। फेहरिन, जिसने ना जाने अपने हीलिंग एबिलिटी से कितनो कि जान बचाई। मदद करना जिसके स्वभाव में था, उसके 3 बच्चों की मदद मै कर रहा हूं। तुम समझ नहीं सकती ये बात मुझे कितना सुकून दे रही है...


बॉब:- और इसी चक्कर मे खतरनाक टीनएजर अल्फा पैक लिए घूम रहे हो आर्य। हां, लेकिन तीनों ही बहुत प्यारे है। काफी बढ़िया प्रशिक्षण दिया है तुमने। अब जरा काम की बात कर ले।


आर्य:- हां बॉब..


रूही:- बॉब रुको तुम। इससे पहले कि एक बार और इस बकड़ी की शक्ल वाली लड़की ओशुन को बचाने के लिये आर्य आगे बढ़े, उस से पहले मैं कौन बनेगा करोड़पति खेलना चाहूंगी... बॉस रेडी...


आर्यमणि के उतरे चेहरे पर बहुत देर के बाद हंसी थी और वो हंसते हुए रूही के गर्दन को दबोचकर उसके गाल को काटते हुए... "हां पूछो"..


रूही:- अव्वववव ! बॉस दूध पीती बच्ची की तरह ट्रीट मत करो। सवाल दागुं पहली…


आर्यमणि:- जी..

रूही:– यूरोप से लौटकर नागपुर किन २ सवालों को लेकर पहुंचे थे?

आर्यमणि:– बता तो चुका हूं...

रूही:– एक बार और

आर्यमणि:– अनंत कीर्ति की पुस्तक कैसी दिखती है और एक ट्रू अल्फा हीलर फेहरीन के लिये...


रूही:– तुम्हे क्या लगता है बॉस अनंत कीर्ति की पुस्तक उन ढोंगी प्रहरी के हाथ कैसे लगी होगी?


आर्यमणि:– अनंत कीर्ति की पुस्तक की कहानी इतनी सी है कि उसे कोई अपेक्स सुपरनैचुरल.…


रूही:- बॉस आता हे ( मतलब अब ये) अपेक्स सुपरनैचुरल…


एलियन को एपेक्स सुपरनैचुरल कहना थोड़ा खटक गया इसलिए रूही बीच में ही आर्यमणि को टोक दी।


आर्यमणि:- मान लो ना अभी के लिये की किताब के बारे में जिसने भ्रम फैलाया उसे अपेक्स सुपरनैचुरल कहते है। वरना मैं कैसे समझाउंगा। बॉब के सामने वो शब्द का इस्तमाल नही कर सकता...


(दरअसल बात एलियन कहने की हो रही थी और आर्यमणि ये बात सबके सामने नहीं जाहिर होने देना चाहता था)


रूही:- सॉरी बॉस..


बॉब:– तुम अपने गुरु से बात छिपा रहे। अच्छा ही होता जो तुम्हे काली खाल में रहने देता ..


आर्यमणि, कुछ सोचकर बात को घुमाने के इरादे से... "बॉब मैं नही चाहता की तुम्हे वो सच पता लगे"..


बॉब:– अब इतना सस्पेंस न क्रिएट करो। मैं यदि सस्पेंस क्रिएट करता फिर तुम्हारा क्या होता आर्य...


आर्यमणि:– ठीक है बॉब, मैं बताता हूं, लेकिन तुम खुद को संभालना... फेहरीन को मारने वाले यही एपेक्स सुपरनैचुरल थे। अब चूंकि रूही उसकी बेटी है और उसके मां यानी फेहरीन के कातिलों को एपेक्स कहना उसे अच्छा नहीं लग रहा...


बॉब, आश्चर्य से आंखें बड़ी करते... "क्या तुम्हे फेहरीन के कातिलों के बारे में पता था, और तुमने मुझे बताया नही?"


रूही, बॉब के कंधे पर हाथ रखती.… "बॉब, प्लीज पैनिक न हो। आर्यमणि बस तुम्हे दुखी नही देखना चाहता था। वैसे भी हम तो उनसे हिसाब लेंगे ही, लेकिन अभी हम उन सुपरनैचुरल को पूरी तरह से जानते नही, इसलिए खुद को सक्षम बना रहे।"…


बॉब:– ओह इसलिए आर्य अल्फा पैक लिये घूम रहा और तुम सबको प्रशिक्षण दे रहा।


रूही:– हां बॉब.. अब बॉस को बात पूरी करने दो। चलो एपेक्स सुपरनैचुरल की बात मान ली, आगे...


आर्यमणि:- हां तो अनंत कीर्ति की पुस्तक की सच्चाई इतनी है कि उसके संरक्षक को मारकर वो पुस्तक अपेक्स सुपरनैचुरल के पास पहुंच गयी। उन अपेक्स सुपरनैचुरल ने पूरे प्रहरी सिस्टम को कुछ ऐसे करप्ट किया है, जिनसे वहां काम करने वाले बहुत से अच्छे प्रहरी को लगता है कि वो समाज को सुपरनैचुरल के प्रकोप से बचा रहे है। जबकि सच्चाई ये है कि वो अपेक्स सुपरनैचुरल उनको झांसा देकर अपना निजी मकसद साधने मे लगा है।


रूही:- ओह तो ये बात है। लेकिन बॉस कुछ तो मिसमैच है। आप कुछ और समीक्षा छिपा रहे हो ना... मुझे रोचक तथ्य किताब की बात खटक रही है..


आर्यमणि एक बार फिर मुस्कुराते... "मेरे दादा जी कहते थे कि एक पुस्तक की सच्चाई इस बात पर निर्भर नहीं करती की उसे कितने वर्ष पूर्व लिखा गया है, क्योंकि लिखने वाला कोई ना कोई इंसान ही होता है। आप का बौद्धिक विचार, कल्पना और उस समय के घटनाक्रम की सारी स्थिति को पूर्ण अवलोकन के बाद ही किसी निष्कर्ष पर पहुंचना चाहिए।"

"सभी आकलन के बाद आपका बौद्धिक विकास एक थेओरी को जन्म देता है और वो थियोरी यदि पूर्ण रूप से उस किताब से मैच कर जाये तो वो किताब आपके लिए तथ्य पूर्ण है। और हां कभी भी उस दौर के मौखिक कथा को नजरंदाज नहीं करना चाहिए क्योंकि बहुत सी अंदरुनी बाते एक बाप अपने बेटे को बताता है और बेटा अपने बेटे को लेकिन वो सभी गुप्त बातें उस पुस्तक में नहीं मिलती..."


रूही:- बॉस मैं इंजिनियरिंग की स्टूडेंट थी, फिलॉस्फी की नहीं। और ना ही मेरा मूड है सोने का। सीधा वो रोचक तथ्य के बारे में बताओ।


आर्यमणि:- "इसलिए मैं किसी से बात नहीं करना चाहता मूर्खों। रोचक तथ्य मेरे हिसाब से एक भरमाने वाली किताब थी। श्रेयुत महाराज एक बड़ा नाम होगा उस दौड़ का, इसलिए उस नाम का या तो इस्तमाल हुआ है या फिर उसकी पूरी पहचान ही चुराकर किताब में अपने हिसाब का प्रहरी समाज लॉन्च किया गया था। जहां मदद मांगने आये हर राजा से कहा गया था कि प्रहरी को उसके शहर का बड़ा व्यावसायिक बनाया जाय, ताकि इनके पास धन की कोई कमी ना रहे।"

"जहां तक मुझे लगता है उस रोचक तथ्य मे इस्तमाल होने वाला नाम ही केवल सच था और कुछ भी नहीं। सरदार खान 400 वर्ष पूर्व का था। वो जिस आचार्य के पास गया वो पहले से सिद्धि वाला था। यानी वो प्रहरी का कोई सिद्ध पुरुष सेवक था या फिर अनंत कीर्ति किताब के मालिक का वंसज। वंसज इसलिए कहा क्योंकि अनंत कीर्ति की पुस्तक 1000 सालों से भी पुरानी है और उसका पहला संरक्षक बैधायन भारद्वाज भी उसी दौड़ का होगा।"

"जब कोई रक्षा संस्था बनता है तो वहां क्षत्रिय को रक्षक चुना जाता है। ये प्रहरी मे केवल विशुद्ध ब्राहमण का कॉन्सेप्ट कहां से आ गया। ये सारे लोचे लापाचे उस रोचक तथ्य के ही फैलाए हुये है। वरना भारतीय इतिहास गवाह है कि ज्ञान किसके जिम्मे था और रक्षा करना किसके जिम्मे। इसलिए शुरू से मुझे पता था कि रोचक तथ्य एक भरमाने की किताब थी। बस संन्यासी शिवम से मिलने से पहले मैं समझ नहीं पा रहा था कि आखिर ये किताब किस उद्देश्य से लिखी गयी है। वैसे एक बात बताओ की इतने सारे सवाल रोचक तथ्य के किताब से ही क्यों? जबकि सतपुरा में ही मैने तुम्हे बताया था कि रोचक तथ्य की पुस्तक में सच झूठ का मिश्रण था।"


रूही:– सत्य... बिलकुल सत्य, लेकिन आपके हर सत्य के बीच एक झूठ शुरू से उजागर हो रहा है? बिलकुल उस रोचक तथ्य के पुस्तक की तरह। कहीं तुम्हे झूठ बोलने का ज्ञान रोचक तथ्य के किताब से तो नहीं मिला।


आर्यमणि:– कौन सा झूठ?


रूही:– "बार–बार इस बात पर जोर देना की तुम केवल 2 छोटे सवाल लेकर नागपुर पहुंचे। मुझे एक बात तुम समझा दो बॉस, जिस किताब रोचक तथ्य पर यकीन ही नहीं था, फिर उसके अंदर की कही हर बात इतने डिटेल में कैसे पता? क्या मात्र 2 जिज्ञासा ही थी, फिर वो रीछ स्त्री का जहां अनुष्ठान हो रहा था वहां कैसे पहुंचे?"

"जब मात्र जिज्ञासा वश पहुंचे, फिर तुम हर बार प्रहरी से एक कदम आगे कैसे रहते थे? तुम तो प्योर अल्फा हो न फिर तुम्हे कैसे पता था कि प्रहरी तुम्हे वेयरवॉल्फ ही समझेंगे, कोई जादूगर अथवा सिद्ध पुरुष नही? तुम्हे पता था कि तुम क्या करने वाले हो और उसका नतीजा क्या होगा इसलिए सेक्स के वक्त भी तुम्हे पूर्ण नियंत्रण चाहिए था ताकि थिया के जैसे न मामला फंस जाये?

अनंत कीर्ति के किताब के बारे में भी तुम्हे पहले से पता थी कि कहां रखी है, वरना सीधा सुकेश के घर में घुसकर चोरी करने की न सोचते। बल्कि पहले पता लगाते की अनंत कीर्ति की किताब रखी कहां है? तुम्हे नागपुर में किसी के बारे में कुछ भी पता करने की जरूरत नहीं थी, तुम सब पहले से पता लगाकर आये थे। बॉस मात्र २ छोटे से जिज्ञासा के लिये इतना होमवर्क कैसे कर गये?"

"स्वामी का ऊस रात तुम्हारे पास पहुंचाना और झोली में सुकेश के घर का सारा माल डाल देना महज इत्तफाक नहीं हो सकता। आर्म्स एंड एम्यूनेशन का प्रोजेक्ट हवा में नही आया, उसकी पूरी प्लानिंग यूरोप से करके आये थे। किसी के दिमाग की पूरी उपज और उसका प्रोजेक्ट चुराया तुमने।"

"जादूगर का दंश जो सुकेश के घर से गायब हुआ था, वो मुझे कहीं दिख नही रहा, बड़ी सफाई से तुमने उसे कहीं गायब कर दिया। और न ही अपने घर से गायब होने और लौटकर वापस के आने के बीच का लगभग 18 महीना मिल रहा है? क्योंकि जर्मनी पहुंचने से लेकर बॉब के पास से विदा लेने में तुम्हारे 18 महीने लग गये होंगे, जबकि तुम घर से 36 महीने के लिये गायब हुये थे।"

"7–8 साल की उम्र में जो बच्चे ढंग से सुसु – पोट्टी टॉयलेट में नही करने जा सकते, उस उम्र में तुम्हे सच्चा वाला लव हो गया था। अरे लगाव कह लेते तो भी समझ में आता, सीधा सच्चा वाला लव वो भी जंगल में पेड़ के नीचे बैठ कर गोद में सर रखा करते थे। तुम्हे नही लगता की तुम्हारी ये कहानी बहुत ही बचकाना थी, जिसे हजम करना मुश्किल हो सकता है?"

"तुम्हारा पासपोर्ट यूएसए ट्रैवल कर रहा था और तुम वुल्फ हाउस में थे। उस दौड़ में ताजा तरीन मैत्री का केस हुआ था, तब भी तुम किसी को वुल्फ हाउस में नही मिले? एक पिता जो बेटे के लिये तड़प रहा था। भूमि देसाई जो इतनी बड़ी शिकारी थी, और जिसके इतने कनेक्शन, वो सब तुम्हे ढूंढ नही पायी? जबकि मैं होती तो वुल्फ हाउस के पूरे इलाके को ही पहले छान मरती। ये इतनी सी बात मुझे समझ में आ गयी लेकिन तुम्हे ढूंढने वालों को समझ में नहीं आयी? क्या यह जवाब बचकाना नही था कि तुम्हारे घर के लोग तुम्हे ढूंढना नही चाहते थे? किसके घर का 16–17 साल का लड़का किसी लड़की के वियोग में भाग जाये और उसके घर के लोग ढूंढना नही चाहते हो?

"वापस लौटकर सीधा गंगटोक गये और पारीयान की भ्रमित अंगूठी और पुनर्स्थापित पत्थर उठा लाये। तुम्हारा इसपर जवाब था कि जिस दौड़ मे गायब हुय तब तुम्हे पता चला की बहुत से लोग इन समान के पीछे है, लेकिन आज जब तुम कहानी सुना रहे थे तब तो एक आदमी भी इन समान के पीछे नही दिखा।"

"हम दोनो को पता था कि वो डॉक्टर और उसकी पत्नी हमसे झूठ बोल रही है, फिर भी हम दोनो यहां आये। मुझे पक्के से यकीन है कि तुम पहले से ही यहां आने का मन बना चुके थे। तुम्हे पता था कि तुम यहां क्या तलाश करने आ रहे हो बॉस। नाना मैं ओशुन कि बात नही कर रही। ओशुन की जगह यहां कोई भी लड़की लेटी हो सकती थी। लेकिन वो लड़की जिस हालत में लेटी है वो हालात आपके लिये नया नही है। ये किसी प्रकार का अनुष्ठान ही है ना, जिसका ताल्लुक कहीं न कहीं नागपुर से ही है?

"क्या अदाकारी थी। बॉब को फेहरीन के कातिलों के बारे में नही बताना चाहते थे, लेकिन बॉब जो फेहरीन का भक्त था, उसे ये बात जानकर बहुत ज्यादा आश्चर्य नही हुआ। ऐसा लगा जैसे बस खाना पूर्ति हो रही है। बॉस एक बात सच कहूं, मुझे अब आप पर यकीन ही नहीं। तुम्हारा नागपुर आना और बाद में नागपुर से भागना मुझे सब सुनियोजित योजना लगती है लेकिन तुम थोड़े ना कुछ बताओगे? बस गोल–गोल घुमाते रहो। बॉब अब तुम अपने काम में लग सकते हो।"
 

Aadi bhai

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Oh bhai kya bomb fod rhe ho ab aap saala sb upar se gya yr ye to locha-e-ulfat ho gya bhai etna khatarnak suspense kon deta h ruhi b smj gyi ki arya sbko churan chata rha h fir bhai ye jo etne phuche hue log aaye gye hai unka dhyan kyu nhi gya en sb pr ya fir vo sb b koi bda game plan kr rhe hain khi aaisa to nhi h na ki ricch satri ki entry b arya k plan ka hissa rha h vaise aaisa konsa bhediya aagya h arya k jangal me ki usko pkdne k liye aarya etni bakariyo ko bali ki vedi b baitha kr khud aaram se sikhkabab ka lutf utha rha h
 
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Aadi bhai

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Or bhai yr ruhi to sutli bomb k packet me atom bomb nikli
 
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Anky@123

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भाग:–88




आर्यमणि पहली बार अपनी दिल की भावना और अपने साथ हुए घटना को किसी के साथ साझा कर रहा था। रूही को अपने मां के बारे में जितनी जानकारी नहीं थी, उससे कहीं अधिक जानकारी तो आर्यमणि और बॉब के पास थी। हां लेकिन एक बात जो इस वक़्त रूही के अंदर चल रही थी उसके दुष्परिणाम से जल्द ही आर्यमणि अवगत होने वाला था।


आर्यमणि और रूही दोनो ही लगभग खोये से थे, तभी उस माहौल में ताली बजनी शुरू हो जाती है। बॉब उन दोनों का ध्यान अपनी ओर खिंचते… "आर्य सर ने किसी से लगातार 4-5 घाटों तक बातचीत की। सॉरी बातचीत कहां, लगातार अपनी बात कहता रहा, कमाल है।"


रूही बॉब की बात पर हंसती, आर्य के गाल को चूमती हुई कहने लगी… "बड़ी मुश्किल से मेरा दोस्त सुधरा है बॉब, नजर मत लगाओ। वैसे भी इसकी जिंदगी में भूचाल लाने का श्रेय तुम्हे ही जाता है। वरना ये तो नॉर्मल सी लाइफ जीने गया था नागपुर, जहां इसके 2 प्यारे दोस्त और इसकी सब से क्लोज भूमि दीदी रहती है।"..


बॉब:- क्या वाकई में ये अपने सवालों के कारण फसा है। मुझे नहीं लगता की ऐसा कुछ हुआ होगा। सवालों के जवाब ढूंढ़ने के लिए इसे ज्यादा अंदर तक घुसने कि जरूरत भी नहीं पड़ती, क्यों आर्य?


आर्य:- हां रूही, बॉब सही कह रहा है। मै तो नागपुर बस जिज्ञासावश और अपने लोगों के पास गया था। लेकिन कोई मुझे पहले से निशाने पर लिया था। कुछ लोग नहीं चाहते थे कि मै नागपुर में रहूं, इसलिए तो मेरे नागपुर पहुंचने के दूसरे दिन से ही पागलों कि तरह भगाने में लग गये थे।


रूही:- हां और तुम भी जब भागे तो उन लोगों को पूरा उंगली करके भागे।


आर्य:- हाहाहाहा.. हां तो जैसा किया वैसा भोगे। लेकिन इन सबमें तुम लोग मेरे साथ हो, वही मेरे लिये खुशी की बात है। फेहरिन, जिसने ना जाने अपने हीलिंग एबिलिटी से कितनो कि जान बचाई। मदद करना जिसके स्वभाव में था, उसके 3 बच्चों की मदद मै कर रहा हूं। तुम समझ नहीं सकती ये बात मुझे कितना सुकून दे रही है...


बॉब:- और इसी चक्कर मे खतरनाक टीनएजर अल्फा पैक लिए घूम रहे हो आर्य। हां, लेकिन तीनों ही बहुत प्यारे है। काफी बढ़िया प्रशिक्षण दिया है तुमने। अब जरा काम की बात कर ले।


आर्य:- हां बॉब..


रूही:- बॉब रुको तुम। इससे पहले कि एक बार और इस बकड़ी की शक्ल वाली लड़की ओशुन को बचाने के लिये आर्य आगे बढ़े, उस से पहले मैं कौन बनेगा करोड़पति खेलना चाहूंगी... बॉस रेडी...


आर्यमणि के उतरे चेहरे पर बहुत देर के बाद हंसी थी और वो हंसते हुए रूही के गर्दन को दबोचकर उसके गाल को काटते हुए... "हां पूछो"..


रूही:- अव्वववव ! बॉस दूध पीती बच्ची की तरह ट्रीट मत करो। सवाल दागुं पहली…


आर्यमणि:- जी..

रूही:– यूरोप से लौटकर नागपुर किन २ सवालों को लेकर पहुंचे थे?

आर्यमणि:– बता तो चुका हूं...

रूही:– एक बार और

आर्यमणि:– अनंत कीर्ति की पुस्तक कैसी दिखती है और एक ट्रू अल्फा हीलर फेहरीन के लिये...


रूही:– तुम्हे क्या लगता है बॉस अनंत कीर्ति की पुस्तक उन ढोंगी प्रहरी के हाथ कैसे लगी होगी?


आर्यमणि:– अनंत कीर्ति की पुस्तक की कहानी इतनी सी है कि उसे कोई अपेक्स सुपरनैचुरल.…


रूही:- बॉस आता हे ( मतलब अब ये) अपेक्स सुपरनैचुरल…


एलियन को एपेक्स सुपरनैचुरल कहना थोड़ा खटक गया इसलिए रूही बीच में ही आर्यमणि को टोक दी।


आर्यमणि:- मान लो ना अभी के लिये की किताब के बारे में जिसने भ्रम फैलाया उसे अपेक्स सुपरनैचुरल कहते है। वरना मैं कैसे समझाउंगा। बॉब के सामने वो शब्द का इस्तमाल नही कर सकता...


(दरअसल बात एलियन कहने की हो रही थी और आर्यमणि ये बात सबके सामने नहीं जाहिर होने देना चाहता था)


रूही:- सॉरी बॉस..


बॉब:– तुम अपने गुरु से बात छिपा रहे। अच्छा ही होता जो तुम्हे काली खाल में रहने देता ..


आर्यमणि, कुछ सोचकर बात को घुमाने के इरादे से... "बॉब मैं नही चाहता की तुम्हे वो सच पता लगे"..


बॉब:– अब इतना सस्पेंस न क्रिएट करो। मैं यदि सस्पेंस क्रिएट करता फिर तुम्हारा क्या होता आर्य...


आर्यमणि:– ठीक है बॉब, मैं बताता हूं, लेकिन तुम खुद को संभालना... फेहरीन को मारने वाले यही एपेक्स सुपरनैचुरल थे। अब चूंकि रूही उसकी बेटी है और उसके मां यानी फेहरीन के कातिलों को एपेक्स कहना उसे अच्छा नहीं लग रहा...


बॉब, आश्चर्य से आंखें बड़ी करते... "क्या तुम्हे फेहरीन के कातिलों के बारे में पता था, और तुमने मुझे बताया नही?"


रूही, बॉब के कंधे पर हाथ रखती.… "बॉब, प्लीज पैनिक न हो। आर्यमणि बस तुम्हे दुखी नही देखना चाहता था। वैसे भी हम तो उनसे हिसाब लेंगे ही, लेकिन अभी हम उन सुपरनैचुरल को पूरी तरह से जानते नही, इसलिए खुद को सक्षम बना रहे।"…


बॉब:– ओह इसलिए आर्य अल्फा पैक लिये घूम रहा और तुम सबको प्रशिक्षण दे रहा।


रूही:– हां बॉब.. अब बॉस को बात पूरी करने दो। चलो एपेक्स सुपरनैचुरल की बात मान ली, आगे...


आर्यमणि:- हां तो अनंत कीर्ति की पुस्तक की सच्चाई इतनी है कि उसके संरक्षक को मारकर वो पुस्तक अपेक्स सुपरनैचुरल के पास पहुंच गयी। उन अपेक्स सुपरनैचुरल ने पूरे प्रहरी सिस्टम को कुछ ऐसे करप्ट किया है, जिनसे वहां काम करने वाले बहुत से अच्छे प्रहरी को लगता है कि वो समाज को सुपरनैचुरल के प्रकोप से बचा रहे है। जबकि सच्चाई ये है कि वो अपेक्स सुपरनैचुरल उनको झांसा देकर अपना निजी मकसद साधने मे लगा है।


रूही:- ओह तो ये बात है। लेकिन बॉस कुछ तो मिसमैच है। आप कुछ और समीक्षा छिपा रहे हो ना... मुझे रोचक तथ्य किताब की बात खटक रही है..


आर्यमणि एक बार फिर मुस्कुराते... "मेरे दादा जी कहते थे कि एक पुस्तक की सच्चाई इस बात पर निर्भर नहीं करती की उसे कितने वर्ष पूर्व लिखा गया है, क्योंकि लिखने वाला कोई ना कोई इंसान ही होता है। आप का बौद्धिक विचार, कल्पना और उस समय के घटनाक्रम की सारी स्थिति को पूर्ण अवलोकन के बाद ही किसी निष्कर्ष पर पहुंचना चाहिए।"

"सभी आकलन के बाद आपका बौद्धिक विकास एक थेओरी को जन्म देता है और वो थियोरी यदि पूर्ण रूप से उस किताब से मैच कर जाये तो वो किताब आपके लिए तथ्य पूर्ण है। और हां कभी भी उस दौर के मौखिक कथा को नजरंदाज नहीं करना चाहिए क्योंकि बहुत सी अंदरुनी बाते एक बाप अपने बेटे को बताता है और बेटा अपने बेटे को लेकिन वो सभी गुप्त बातें उस पुस्तक में नहीं मिलती..."


रूही:- बॉस मैं इंजिनियरिंग की स्टूडेंट थी, फिलॉस्फी की नहीं। और ना ही मेरा मूड है सोने का। सीधा वो रोचक तथ्य के बारे में बताओ।


आर्यमणि:- "इसलिए मैं किसी से बात नहीं करना चाहता मूर्खों। रोचक तथ्य मेरे हिसाब से एक भरमाने वाली किताब थी। श्रेयुत महाराज एक बड़ा नाम होगा उस दौड़ का, इसलिए उस नाम का या तो इस्तमाल हुआ है या फिर उसकी पूरी पहचान ही चुराकर किताब में अपने हिसाब का प्रहरी समाज लॉन्च किया गया था। जहां मदद मांगने आये हर राजा से कहा गया था कि प्रहरी को उसके शहर का बड़ा व्यावसायिक बनाया जाय, ताकि इनके पास धन की कोई कमी ना रहे।"

"जहां तक मुझे लगता है उस रोचक तथ्य मे इस्तमाल होने वाला नाम ही केवल सच था और कुछ भी नहीं। सरदार खान 400 वर्ष पूर्व का था। वो जिस आचार्य के पास गया वो पहले से सिद्धि वाला था। यानी वो प्रहरी का कोई सिद्ध पुरुष सेवक था या फिर अनंत कीर्ति किताब के मालिक का वंसज। वंसज इसलिए कहा क्योंकि अनंत कीर्ति की पुस्तक 1000 सालों से भी पुरानी है और उसका पहला संरक्षक बैधायन भारद्वाज भी उसी दौड़ का होगा।"

"जब कोई रक्षा संस्था बनता है तो वहां क्षत्रिय को रक्षक चुना जाता है। ये प्रहरी मे केवल विशुद्ध ब्राहमण का कॉन्सेप्ट कहां से आ गया। ये सारे लोचे लापाचे उस रोचक तथ्य के ही फैलाए हुये है। वरना भारतीय इतिहास गवाह है कि ज्ञान किसके जिम्मे था और रक्षा करना किसके जिम्मे। इसलिए शुरू से मुझे पता था कि रोचक तथ्य एक भरमाने की किताब थी। बस संन्यासी शिवम से मिलने से पहले मैं समझ नहीं पा रहा था कि आखिर ये किताब किस उद्देश्य से लिखी गयी है। वैसे एक बात बताओ की इतने सारे सवाल रोचक तथ्य के किताब से ही क्यों? जबकि सतपुरा में ही मैने तुम्हे बताया था कि रोचक तथ्य की पुस्तक में सच झूठ का मिश्रण था।"


रूही:– सत्य... बिलकुल सत्य, लेकिन आपके हर सत्य के बीच एक झूठ शुरू से उजागर हो रहा है? बिलकुल उस रोचक तथ्य के पुस्तक की तरह। कहीं तुम्हे झूठ बोलने का ज्ञान रोचक तथ्य के किताब से तो नहीं मिला।


आर्यमणि:– कौन सा झूठ?


रूही:– "बार–बार इस बात पर जोर देना की तुम केवल 2 छोटे सवाल लेकर नागपुर पहुंचे। मुझे एक बात तुम समझा दो बॉस, जिस किताब रोचक तथ्य पर यकीन ही नहीं था, फिर उसके अंदर की कही हर बात इतने डिटेल में कैसे पता? क्या मात्र 2 जिज्ञासा ही थी, फिर वो रीछ स्त्री का जहां अनुष्ठान हो रहा था वहां कैसे पहुंचे?"

"जब मात्र जिज्ञासा वश पहुंचे, फिर तुम हर बार प्रहरी से एक कदम आगे कैसे रहते थे? तुम तो प्योर अल्फा हो न फिर तुम्हे कैसे पता था कि प्रहरी तुम्हे वेयरवॉल्फ ही समझेंगे, कोई जादूगर अथवा सिद्ध पुरुष नही? तुम्हे पता था कि तुम क्या करने वाले हो और उसका नतीजा क्या होगा इसलिए सेक्स के वक्त भी तुम्हे पूर्ण नियंत्रण चाहिए था ताकि थिया के जैसे न मामला फंस जाये?

अनंत कीर्ति के किताब के बारे में भी तुम्हे पहले से पता थी कि कहां रखी है, वरना सीधा सुकेश के घर में घुसकर चोरी करने की न सोचते। बल्कि पहले पता लगाते की अनंत कीर्ति की किताब रखी कहां है? तुम्हे नागपुर में किसी के बारे में कुछ भी पता करने की जरूरत नहीं थी, तुम सब पहले से पता लगाकर आये थे। बॉस मात्र २ छोटे से जिज्ञासा के लिये इतना होमवर्क कैसे कर गये?"

"स्वामी का ऊस रात तुम्हारे पास पहुंचाना और झोली में सुकेश के घर का सारा माल डाल देना महज इत्तफाक नहीं हो सकता। आर्म्स एंड एम्यूनेशन का प्रोजेक्ट हवा में नही आया, उसकी पूरी प्लानिंग यूरोप से करके आये थे। किसी के दिमाग की पूरी उपज और उसका प्रोजेक्ट चुराया तुमने।"

"जादूगर का दंश जो सुकेश के घर से गायब हुआ था, वो मुझे कहीं दिख नही रहा, बड़ी सफाई से तुमने उसे कहीं गायब कर दिया। और न ही अपने घर से गायब होने और लौटकर वापस के आने के बीच का लगभग 18 महीना मिल रहा है? क्योंकि जर्मनी पहुंचने से लेकर बॉब के पास से विदा लेने में तुम्हारे 18 महीने लग गये होंगे, जबकि तुम घर से 36 महीने के लिये गायब हुये थे।"

"7–8 साल की उम्र में जो बच्चे ढंग से सुसु – पोट्टी टॉयलेट में नही करने जा सकते, उस उम्र में तुम्हे सच्चा वाला लव हो गया था। अरे लगाव कह लेते तो भी समझ में आता, सीधा सच्चा वाला लव वो भी जंगल में पेड़ के नीचे बैठ कर गोद में सर रखा करते थे। तुम्हे नही लगता की तुम्हारी ये कहानी बहुत ही बचकाना थी, जिसे हजम करना मुश्किल हो सकता है?"

"तुम्हारा पासपोर्ट यूएसए ट्रैवल कर रहा था और तुम वुल्फ हाउस में थे। उस दौड़ में ताजा तरीन मैत्री का केस हुआ था, तब भी तुम किसी को वुल्फ हाउस में नही मिले? एक पिता जो बेटे के लिये तड़प रहा था। भूमि देसाई जो इतनी बड़ी शिकारी थी, और जिसके इतने कनेक्शन, वो सब तुम्हे ढूंढ नही पायी? जबकि मैं होती तो वुल्फ हाउस के पूरे इलाके को ही पहले छान मरती। ये इतनी सी बात मुझे समझ में आ गयी लेकिन तुम्हे ढूंढने वालों को समझ में नहीं आयी? क्या यह जवाब बचकाना नही था कि तुम्हारे घर के लोग तुम्हे ढूंढना नही चाहते थे? किसके घर का 16–17 साल का लड़का किसी लड़की के वियोग में भाग जाये और उसके घर के लोग ढूंढना नही चाहते हो?

"वापस लौटकर सीधा गंगटोक गये और पारीयान की भ्रमित अंगूठी और पुनर्स्थापित पत्थर उठा लाये। तुम्हारा इसपर जवाब था कि जिस दौड़ मे गायब हुय तब तुम्हे पता चला की बहुत से लोग इन समान के पीछे है, लेकिन आज जब तुम कहानी सुना रहे थे तब तो एक आदमी भी इन समान के पीछे नही दिखा।"

"हम दोनो को पता था कि वो डॉक्टर और उसकी पत्नी हमसे झूठ बोल रही है, फिर भी हम दोनो यहां आये। मुझे पक्के से यकीन है कि तुम पहले से ही यहां आने का मन बना चुके थे। तुम्हे पता था कि तुम यहां क्या तलाश करने आ रहे हो बॉस। नाना मैं ओशुन कि बात नही कर रही। ओशुन की जगह यहां कोई भी लड़की लेटी हो सकती थी। लेकिन वो लड़की जिस हालत में लेटी है वो हालात आपके लिये नया नही है। ये किसी प्रकार का अनुष्ठान ही है ना, जिसका ताल्लुक कहीं न कहीं नागपुर से ही है?

"क्या अदाकारी थी। बॉब को फेहरीन के कातिलों के बारे में नही बताना चाहते थे, लेकिन बॉब जो फेहरीन का भक्त था, उसे ये बात जानकर बहुत ज्यादा आश्चर्य नही हुआ। ऐसा लगा जैसे बस खाना पूर्ति हो रही है। बॉस एक बात सच कहूं, मुझे अब आप पर यकीन ही नहीं। तुम्हारा नागपुर आना और बाद में नागपुर से भागना मुझे सब सुनियोजित योजना लगती है लेकिन तुम थोड़े ना कुछ बताओगे? बस गोल–गोल घुमाते रहो। बॉब अब तुम अपने काम में लग सकते हो।"
Muzay kal 2 update chahiye hi chahiye
Dimag ka dhai ker diya is Alfa ruhi ne
 

Aadi bhai

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Din samapt hua... Ummid hai purane gile shikwe mit gaye honge.... Lagatar update diya hun aur ummid hai ki pichhle dino ka ab malal na rahega...
Bhai bs ek aaisa sma bandha hua h aapne updates ka jisse bs ek intjar k alava koi gila sikva nhi rhta h pr sbse mje ki baat btau aapko us vo gila sikva b agle hi pal khtm ho jata h kyuki fir yaad aata h ki aap etna intjar krva rhe ho mtlb jmane me aag lga dene vala super se b upar vala update aage aayega or bs fir dil ko asmeem shanti prapt ho jati jisko bhang krne ka upai to kisi ko rochak tathyo ki book or anant kirti ki book me b kisi ko nhi milega
 
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