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Nhi dost ... kal bhi muskil lag raha haiBhai update aaj ek aur aayega kya....
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बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गयाUPDATE 143
पिछले अपडेट मे आपने पढा एक ओर जहा शालिनी अपने पति के लिए परेशान है और उसमे भी निशा की शरारते और तंग कर रही है । वही दुसरी ओर राज के परिवार मे सोनल की शादियो की तैयारिया शुरु हो गयी है ।
लेखक की जुबानी
धीरे धीरे ऐसे दो हफते का समय बीत गया । इन बीते हफतो मे जहा जंगीलाल निशा से लागतार किसी ना किसी संयोग से आकर्षित होता रहा और इस दौरान इस मुद्दे पर शालिनी के उसकी चर्चा बनी रही । समय के साथ शालिनी की चिंता भी इस मामले को लेके बढने लगी थी । वही जंगीलाल की छुट और निशा की चंचलता ने निशा को बेफिकर बना दिया ।
रोज रात मे और शाम मे कभी कभी अनुज से चुदाई होने से निशा और भी निखरने लगी थी ।
इधर राज के परिवार मे कपड़ो की शॉपिंग को छोड कर सारी तैयारिया हो गई थी और आज रागिनी सोनल को लेके जंगीलाल के यहा चल दी थी ।
जंगीलाल अपनी दुकान पर व्यस्त था , जैसे ही उसने अपनी भाभी और सोनल को दुकान पर देखा तो काफी खुस हुआ ।
खड़ा होकर उनकी आवभगत की और उन्हे अन्दर भेज दिया ।
रागिनी और सोनल अन्दर हाल मे गये थे । निशा इस समय किचन के काम खतम कर रही थी ।
सोनल तो सिधा किचन मे चली गयी ।
रागिनी - निशा बेटी तेरी मम्मी कहा है
निशा - बडी मम्मी वो कमरे मे सो रही है ,,रुकिये मै बुलाती हू
रागिनी - अरे नही तु काम कर मै देख लेती हू
रागिनी सीधा शालिनी के कमरे मे जाती है जहा शालिनी ब्लाऊज पेतिकोट मे सो रही थी ।
रागिनी को शरारत सुझी और उसने कमरे का दरवाजा बंद करके शालिनी के पास गयी ।
उसकी सास लेती चुचिया ब्लाउज मे उपर निचे हो रही थी । रागिनी ने धीरे से उसके ब्लाउज के दो हुक खोले और अपने होठो से दो चुम्मिया उसकी छातियो पर की और भी जीभ को उसके चुचियो के गहरी दरारो मे चलाने लगी ।
कि शालिनी की आन्खे खुली और वो चौक कर उठते हुए हाथो को क्रॉस करके अपनी छातीयो को धक ली ।
रागिनी बडे जोर की ठहाका लगा के हसी ।
शालिनी की भी हसी छूट गयी और वो अपना ब्लाऊज बन्द करते हुए - क्या जीजी आपने तो डरा ही दिया मुझे ,,,,मै तो समझी कौन ऐसे मेरे जोबनो को चाट रहा था
रागिनी हाथ बढा कर शालिनी के चुचे हाथ मे मसलकर - अरे शालिनी तेरे जोबन है ही ऐसे कि देखते ही कोई भी ललचा जाये
शालिनी शर्मा गयी और उठ कर साडी पहनने लगी - वैसे आज अपनी देवरानी की याद कैसे आ गयी
रागिनी तुनक कर - हुह किसने कहा कि मै तेरे लिये आई हू ,मै तो मेरे देवर से मिलने आई थी हिहिहिही
शालिनी - अच्छा , फिर बैठो मै भेजती हू उनको ,,जल्दी जल्दी निपट लेना आप लोग हिहिहिही
रागिनी हस कर - धत्त पागल क्या कुछ भी बोलती है ,,,वो मुझे साड़िया लेनी है । सोनल की शादी के दिन अब नजदीक आ रहे है ना ।
शालिनी - अरे हा ,,और जेठ जी भी आये हैं कि बस अकेली
रागिनी - अरे इत्नी याद आती है अपने जेठ की तो एक आध रात उन्के साथ ही रुक जा ना
शालीनी शर्मा कर - धत्त जीजी आप भी ,,मेरा मतलब था कि आप अकेले ही आई है कोई और भी है ।
रागिनी हस कर - अरे नही वो सोनल भी आई है ।
शालिनी फिर तैयार होकर रागिनी के साथ बाहर आती है और फिर निशा सब्के लिये पानी लगाती है ।
थोडी देर हसी ठिठौली हो रही होती है कि रागिनी निशा के लिये शादी की बाते छेड़ देती है
रागिनी शालिनी से - अब तो तु निशा के लिए भी लड़के खोजने शुरु कर दे
शालिनी मुस्कुरा कर - हा जीजी , बस सोनल बिटिया की हो जाये फिर देखती हू
इतने मे निशा मस्ती करते हुए - क्या मम्मी आप तो मुझसे प्यार ही नही करती ,,जल्दी से मुझसे पीछा छुड़ाना चाहती है ।
शालिनी हस कर - अरे आज नही कल तेरी भी शादी होगी ही ना
निशा जिद दिखाते हुए - नही मैने कहा ना , मै शादी नही करूंगी बस ,,मै तो बूढ़ी होकर भी यही रहूंगी हिहिहिही आपके पास
निशा अपनी मा से चिपकते हुए बोली और उसे देख कर सब लोग हस पड़े ।
लेकिन शालिनी को निशा का यू शादी के लिये मना करना जमा नही , मगर उसने फिल्हाल के लिए कोई प्रतिक्रिया नही दी ।
थोडे देर बाद सारे लोग दुकान मे गये और साड़िया पसंद की ।
जंगीलाल - और कुछ भौजी ,
रागिनी - अरे नही देवर जी बस ,, ये समान और बिल राज के पास भिजवा देना
जंगीलाल - क्या भौजी आप भी , घर की शादी है और आप पैसे की बात कर रही है ।
रागिनी - हा लेकिन हिसाब तो....।
शालिनी - रहने दो जी , आप बिल जेठ जी को दे देना । जीजी तो हमे अपना समझती ही नही , जैसे सोनल हमारी कोई नही है
रागिनी - अररे आप लोग .... अच्छा ठिक है भई पैसे मत लिजिए लेकिन बिल दे दीजियेगा ,,वो इसके पापा को शादी के खर्चो का हिसाब किताब रखना होगा ना
जन्गीलाल - हा ये कहो तो कर दू ,,, ठिक है आप लोग जाईये । अभी राहुल सब समान लेके आ जायेगा ।
रागिनी भी वहा से निकलने से पहले - और हा शालिनी परसो ध्यान से तैयार रहना दूल्हा दुल्हन के लिए कपडे लेने जाना है । निशा को भी लिवा लेना
शालिनी - हा जीजी मै आ जाऊंगी ।
फिर रागिनी और सोनल निकल गये अपने घर के लिये।यहा शालिनी और जंगीलल भी खुश थे कि घर की शादी मे उन्होने भी योगदान दिया ।
राज की जुबानीशाम को मै जब घर पहुचा तो हाल मे ढेर सारी साड़ियो के बैग थे ।
मा पापा के पास बैठ कर हिसाब लिखवा रही थी ।
मै खुश होकर एक दो झोले खोलकद देखने ल्गा - मम्मी आपने कौन सा लिया ??
मा हस कर - अरे रुक मै दिखाती हू ,,,ये 5 मैने मेरे लिये ली है और 3 ये सोनल के लिए
मै - और इतना सारा किसके लिये
मा - अरे बेटा वो सोनल की सास और उसके ससुराल के भी तो जायेगा ना ।
पापा की दिलच्स्पी सोनल की सास ममता के साडी पर गयी - अरे रागिनी समधन जी के लिये कोई अच्छा सा ली हो ना
मा - हा जी रुके दिखाती हू ,,उनके लिये ये दो साडी और दो सूट के कपडे ली हू
पापा - चलो ये तो हो गया और आज मदन भाई का फोन आया था । दामाद जी घर आ गये है ।
मा खुश होकर - हा समधन जी से बात हुई थी मेरी और जमाई बाबू से थोडा हाल चाल भी ली हू ।
अनुज - मम्मी मेरे लिये कुछ नही ली
मा - अरे बेटा परसो सारे लोग जायेंगे ना माल मे तो तुझे जो चाहिये ले लेना और ....।
अनुज - और क्या मम्मी ।
मै - और तेरे लिए कुछ सरप्राइज भी है ,,,वो भी ले लेना
अनुज - लेकिन वो क्या ??
मा मुस्कूरा कर - तेरा भैया इस बार तेरे जन्मदिन पर लैपटाप दिला रहा है
अनुज चहक कर - सच मे
मै - हा लेकिन तु पहले प्रोमिस कर की पढाई पर पुरा ध्यान देगा
अनुज खिलखिलाकर - हा भैया हिहिहिही
थोडी ऐसे ही चर्चा चलती रही और इधर मम्मी खाना बनाने किचन मे चली गयी ।
लेखक की जुबानी
रात के खाने का चूल्हा जल चुका था और शालिनी निशा के साथ खाना ब्ना रही थी ।
शालिनी - निशा तुने शादी के लिए मना क्यू किया ?
निशा को अपनी मा को ऐसे छोटे से मजाक पर परेशान होता देख उसे हसी आई तो उसने अपनी मा को और भी परेशान करने का सोचा ।
निशा - मम्मी आप जानती हो ना मैने मना क्यू किया ??
शालिनी को दो हफते पहले की वो बात चित याद आई और वो मुस्कुरा कर - धत्त पागल उस चीज़ के लिए डर रही है तु
निशा तुनकते हुए - हुउह आपका क्या है ,,आपको पापा मिल गये । लेकिन मेरे साथ पापा नही ना करने वाले वो सब जो प्यार से करेंगे
शालिनी उसके भोलेपन पे हसी - अरे पगलेट ,, वो तो तेरे हाथ मे है ना कि तु अपने पति को कैसे काबू मे करती है ।
निशा आंखे उठा कर - मतलब ???
शालिनी हस के - तुझे नही पता मतलब कुछ भी वो सब के बारे मे
निशा शर्मा कर - हा जानती हू लेकिन कभी किसी को करते थोडी ना देखा है । जो चीज़ कभी देखा-किया नही तो उससे डर ही लगेगा ना
शालिनी - अरे तो मैने कौन सा किसी का देख के सिखा था पागल ।
निशा - तो आपको कैसे आ गया ??
शालिनी शर्मा कर - वो मुझे मेरी चाची ने समझाया था शादी के कुछ समय पहले ,,सच कहू तो पहले दिन मै भी डरी थी लेकिन तेरे पापा ने मुझे थोडी भी तकलिफ नही होने दी ।
निशा मुस्कुरा कर अपनी मा को परेशान करने के मूड मे - मा मै क्या सोच रही हू , एक बार पापा के साथ कर लू फिर ना डर रहेगा और शादी भी कर लूंगी हिहिहिही
निशा ये बोल कर किचन से भाग गयी और शालिनी हस कर - अरे पागल भाग कहा रही है,,सब्जी जल जायेगा इधर आ ।
निशा हसते हुए - नही आप मारोगे !!! हिहिहिही
शालिनी - अब आ नही तो सच मे मारुन्गी ।
फिर निशा डरते हुए सब्जी चलाने लगी और वही शालिनी रोटिया सेकते हुए मुस्कूरा रही थी । कि निशा भी कितनी भोली है एक प्यार भरे दर्द से बचने के लिए अपने ही पापा से वो सब करने के तैयार हो रही है । पागल कही की
तभी शालिनी का दिमाग ठनका और एक पल को ये विचार आया कि क्यू ना निशा की चुदाई उसके पापा से करवा दू । इस्से निशा शादी के लिए डर खतम हो जायेगा और उसका पति जो दिन ब दिन चिंता मे घिर हुआ है उसे भी राहत मिल जायेगी ।
शायद एक बार निशा को चोद लेने के बाद उसके पति की हवस शांत हो जाये और वो सामन्य जीवन जीने लगे ।
लेकिन अगले ही पल शालिनी के दिमाग ने इस चीज़ को दूतकारा - छीई ये मै क्या सोच रही , सगी बेटी को कैसे उसके बाप से चुदवा सकती हू मै । नही ये गलत होगा ।
इधर निशा शालिनी को चुप देख कर हसती हुई बोली - अरे मम्मी बस एक बार की बात है हिहिहिही सौतन नही बनूंगी आपकी
शालिनी ने जैसे ही निशा की बाते सुनी वो हस दी और बोली - तो जा कर ले ,,तेरे पापा है मै कौन सा रोक रही हू
निशा हस कर - नही रहने दो , आपको जलन होने ल्गेगि कही पापा मुझसे ज्यादा प्यार ना करने लगे हिहिहिही
शालिनी मन मे - हा वो तो इस समय तेरे ही दीवाने हुए जा रहे है ,,
शालिनी हस कर - अब तु चुप करेगी । जा पापा को बोल कि दुकान बंद करके आये । खाना बन गया है
निशा तुनक कर - कितना जलती हो आप मुझसे मम्मी हुह
निशा ऐसे तुन्क कर बाहर गयी कि शालिनी की हसी छूट गयी - ये पुरी पागल है हिहिही
थोडी देर मे खाना का समय हुआ । हमेशा के जैसे पहले राहुल और उसके पापा खाने के लिये बैठे ।
शालिनी किचन से थाली लगा दी जिसे निशा ने बारी बारी करके लेके गयी ।
इस दौरान शालिनी ने जंगीलाल को देखा तो वो उसे ही मुस्कुरा कर देख रहा था क्योकि बीते इतने दिनो मे वो जान चुका था कि शालीनी ऐसे मौके पर उसे देखती ही है जब भी वो निशा के हिलते कूल्हो पर नजर मारता है ।
शालिनी अपने पति को मुस्कुराता देख खुद भी मुस्कुरा देती है और सोचती है क्यू ना एक बार अपने पति को परख कर देखू ।
शालिनी ने जैसे ये सोचा उसके मन मे ढ़ेरो सवाल ने जगह बना ली
" अगर इसके पापा सच मे निशा को चोदना चाहते होगे तो "
" क्यू ना दोनो का सेक्स करवा दिया जाये , लेकिन कैसे और किसी को भनक लग गयी तो "
"अरे मेरा और राज का किसी को पता नही है तो ये भी पता चलेगा "
"क्या निशा राजी होगी और ये ? "
" क्या ये सही होगा बाप बेटी को मिलाना जबकि मेरी बेटी बहुत भोली है "
शालिनी ने ढ़ेरो सवाल से घिरी हुई थी आखिर उसने तय किया कि वो पहले जंगीलाल को परखेगी फिर निशा से उसका मन टटोलेगी ।
फिर कुछ तय करेगी ।
थोडी देर बाद सारे लोग खाना खा कर अपने कमरो मे चले गये ।
जंगीलाल भी अपने कमरे मे बैठा हुआ था और शालिनी अपनी साडी गहने निकाल कर उसके पास ब्लाउज पेतिकोट मे जाती है ।
जंगीलाल खाने के समय हुई बात को लेके - तुम मुझे हर बार ऐसे क्यू देखती हो
शालिनी उसकी गोद मे जाकर दोनो ओर पैर रख कर उसके सामने बैठ गयी - कुछ नही मै तो बस अपने बेटी के दिवाने पर नजर रखे हुए थी ।
जन्गीलाल उसके कमर मे हाथ डालते हुए - हम्म्म तो क्या देखा तुमने
शालिनी मुस्कुरा के उसके होठ चुस्ते हुए - आजकल बड़ा शरीफ हो गये हो ,,नजर तक नही डालते उम्म्ं
जंगीलाल का लण्ड तनने लगा और वो शालिनी के कूल्हो को सहलाते हुए - नजर कैसे नही जायेगी ,,वो तुम्हारा ही अंश है तुम जितनी ही कातिल है वो भी
शालिनी इतराते हुए अपने चुतडो को जन्गीलाल के जांघो पर घिसते हुए ब्लाउज खोलना शुरु कर दिया और उसकी आंखो मे देखते हुए बोली - ओह्ह तो इतनी पसंद आने लगी है वो अब उम्म्ंम
जंगीलाल अपने लण्ड के मुहाने पर पेतिकोट के अन्दर से शालिनी की चर्बीदार गाड़ की घिसाई से सिहर उठा और उसके कूल्हो को मजबूती से पकड कर दबोचते हुए अपना लण्ड सख्त करते हुए उसके चुतडो मे घिसने लगा ।
जंगीलाल कसमसा कर - उसे देखता हू तो लगता है तु फिर से जवाँ होकर मेरे पास आ गयी है ,,जैसे शादी के पहले थी । फुल सी नाजुक और भरी हुई
शालिनी अपने चुतडो पर जन्गीलाल के पंजो की कसावात और जवानी के दिनो की यादे ताजा होते ही कसमसाइ ।
शालिनी अपना ब्लाउज खोल कर नंगी चुचियो के निप्प्ल सहलाते हुई - ओह्ह मेरी जान इतनी पसंद थी मै क्या तब
जन्गीलाल आहे भरता हुआ अपनी जीभ निकाल कर शालिनी के कड़े हुए मुंक्के जैसे निप्प्ल को चाटकर - हा मेरी जान,,जी तो चाहता है काश तु फिर से वैसे ही जाती और वो सुख मुझे फिर से मिल पाता
शालिनी अपने जवानी के दिनो की यादे ताजा करते हुए अपने चुची पर जंगीलाल के गीली जीभ को मह्सूस करती हू पागल सी होने लगी ।
जन्गीलाल ने देखा कि शालिनी को उसके जवानी के दिनो की यादो मे बहुत अच्छा मह्सूस हो रहा है तो वो बातो को आगे बढ़ाते हुए - एक बार फिर से मै तुम्हारे उन नाजुक मुलायम चुचो को मसल कर फुला देता और वो नरम चुतडो को हाथो मे भर लेता
शालिनी वो पल याद करके सिस्क रही थी और अपने चुचे भी मस्ल रही थी - उम्म्ंम तो लेलो ना मजे मेरी जान,
जंगीलाल शालिनी के चुचो को पकड कर उन्हे भर कर चुस्ते हुए -उम्म्ंम कैसे मेरी जान
शालिनी कससमा कर - उम्म्ं हमारि लाडो है ना सीईई आह्ह
शालिनी के मुह से निशा का जिक्र होते ही जंगीलाल का लण्ड फनफना गया और उसके शालिनी के चुचो और कस कर मसल दिया - उम्म्ंम ये क्या कह रही हो जान सीई वो हमारी लाडो है ना उम्म्ंम
शालिनी सिस्क कर - तुम ही कह रहे थे ना कि उसमे तुम्हे मेरी जवानी नजर आती है अह्ह्ह उन्मममं
जन्गीलाल का दिल जोरो से धडक रहा और उसके चुचो पर हरकत धीमी होने लगी थी - सीई हाआ मेरी जान, वो तुम जैसी ही है
शालिनी - तो लेलो ना मजे उससे ,मै नही रोकूँगी उम्म्ंम्ं
जंगीलाल तडप कर रह गया और फौरन वो शालिनी लेके लेट गया और खुद उसके उपर आ गया
जन्गीलाल शालीनी के पेतिकोट को जांघो तक चढा कर । उसके जांघो को खोलता हुआ उपर आ गया और शालिनी के दोनो हाथो को पकड कर उपर करते हुए उनकी नंगी चुचिया काटने लगा
शालिनी ने देखा कि जन्गीलाल तो जोश मे आ गया है - ओह्ह्ह मेरी जान उम्म्ं आराम से ,,,ऐसे तो लाडो की कोरी चुचियो पर निशान देदो तुम सीई ओह्ज्ज
जंगीलाल शालिनी की बातो से और भी जोशील हो गया मगर बहुत प्यार से शालिनी के चुचियो को सहलाकर उन्हे हल्के हल्के चुसने के बाद ,, बडी मदहोशि से शालीनी की आंखो मे देख कर - नही मेरी जान मै मेरी लाडो को थोडी भी तकलिफ नही दूँगा
जंगीलाल वापस से उसकी चुचिया बडे प्यार से पीने लगा
शालिनी मुस्कुराई और उसके सर को सहलाते हुए - बस उसकी चुचिया ही पीयोगे क्या मेरी जान
जंगीलाल सिहर गया और अपना लण्ड पेतिकोट के उपर से ही शालिनी चुत पर घिसता हुआ - नही मेरी जान,,मै तो उसकी कोरी कोरी चुत मे लण्ड भी डालूंगा ....ऐसे देखो ऐसे अह्ह्ह
जंगीलाल अपना लंड शालिनी के चुत के उपर घिस कर उसे बताता है ।
शालिनी - ओह्ह मेरी जान उसे भी ना बड़े प्यार से चोदना मेरी तरह ,, उसे डर लगता है
जंगीलाल समझ गया कि शालिनी की निशा के साथ कोई बात चित हुई थी । वो अपना लण्ड निकाल कर शालिनी का पेतिकोट उपर कर चुका था और एक करारा धक्का मारकर उसकी चुत मे जड़ तक घूसने के बाद ,वो उसके उपर आ गया ।
जंगीलाल- कैसा डर मेरी जान??
शालिनी - वो लाडो बता रही थी कि वो सेक्स के डर से शादी नही करेगी ,,,उसे आपके जैसा पति कहा मिलेगा जो आपके जैसे प्यार से उसकी चुदाई करे
जंगीलाल का लण्ड शालिनी की बुर मे अब और भी कसने लगा - ओह्ह्ह क्या लाडो ने ऐसा कहा ,,और कब बताओ ना जानू
शालिनी - वो आज जब सोनल की मा ने उसकी शादी की बात छेड़ी तो वो मना कर दी ,,उह्ह्ह उम्म्ंम बाद मे मैने पुछा तो बताया कि वो पहले सेक्स से डरती है
जन्गीलाल हल्का हल्का शालिनी के चुत मे लण्ड घिस्ता हुआ -फिर मेरी जान
शालिनी मुस्कुरा कर - फिर ऐसे ही बातो बातो मे उसने हमारे सुहागरात के बारे मे पुछा और मैने बताया कि पहली बार कैसे प्यार से आपने मुझे चोदा था । तो कहने लगी कि मम्मी मुझे भी पापा जैसे पति चाहिये जो प्यार से मेरी ले ।
जंगीलाल का लण्ड उफान पर था और वो शालिनी की रिस्ती हुई चुत मे मोटा हुआ जा रहा था
जंगीलाल - कोई बात नही मेरी जान मै उसे भी बडे दुलार से चोदूंगा उम्म्ंम्ं
शालिनी खुश होकर - सच मे मेरी जान
जंगीलाल अपने धक्को की गति बढा कर - हा मेरी जान,,वो हमारी लाडो है और मै चाहता उसे थोडा भी दर्द हो
शालिनी समझ गयी कि उसका पति अपनी बेटी को चोदना चाहता ही है और वो इस अनुभव से बहुत उत्तेजित मह्सूस कर रही थी कि कैसा होगा वो मिलन जब जन्गीलाल उसके सामने अपनी बेटी की चुत मे लण्ड डालेगा ।
शालिनी रोमांच से भर गयी उसने अपनी झड़ती चुत को फिर से अपने पति के लंद पर कसा और बोली - ओह्ह तो सच मे आप हमारी लाडो को चोदोगो ,,,बिल्कुल मेरी तरह जैसा मुझे चोदे थे
जन्गीलाल जोशीला होकर लण्ड को शालिनी की बुर मे पेलता हुआ - हा मेरी जान उसको पहली चुदाई का सुख मै ही दूँगा ,,,
शालिनी कसमसा कर - आह्ह जान हा दे देना ,,वो भी मजे करना चाहती है ,,उसे अपने लण्ड से चोद दो उम्म्ंम्ं और पेलो मुझे ,,अह्ह्ज अह्ह्ह उम्म्ंम ऐसे ही कस कस के पेलना अपनी बेटी को ,,उसकी चुत भी खोल देना आह्ह
जंगीलाल अब पुरे जोश मे तेजी से शालिनी की चुत मे लण्ड पेल रहा था - हा मेरी जान,,बहुत पेलूउँगा उसे उम्म्ं अह्ह्ह मै आ रहा हू ओह्ह्ह
शालिनी तेजी से लण्ड निचोडते हुए कमर झटकने लगी -हा मेरी जान पेलो रुक्ना मत अह्ह्ह अह्ह्ह ओह्ह्व और तेज्ज्ज्ज उम्म्ंम्ं माआह्ह अज्ज्ज मजा आ रहा है मेरा भी आयेगा ओह्ह्ह मेरे राअजज्आआ ओह्ह्ह हा ऐसे ही ओह्ह्ज उम्मममं
अगले कुछ झटको मे दोनो झड़ने लगे और ऊनके रस आपस मिलने लगे ।
जंगीलाल थककर शालिनी के उपर ढह गया और गहरी सासे लेने लगा ।
जारी रहेगी
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गयाUPDATE 143
पिछले अपडेट मे आपने पढा एक ओर जहा शालिनी अपने पति के लिए परेशान है और उसमे भी निशा की शरारते और तंग कर रही है । वही दुसरी ओर राज के परिवार मे सोनल की शादियो की तैयारिया शुरु हो गयी है ।
लेखक की जुबानी
धीरे धीरे ऐसे दो हफते का समय बीत गया । इन बीते हफतो मे जहा जंगीलाल निशा से लागतार किसी ना किसी संयोग से आकर्षित होता रहा और इस दौरान इस मुद्दे पर शालिनी के उसकी चर्चा बनी रही । समय के साथ शालिनी की चिंता भी इस मामले को लेके बढने लगी थी । वही जंगीलाल की छुट और निशा की चंचलता ने निशा को बेफिकर बना दिया ।
रोज रात मे और शाम मे कभी कभी अनुज से चुदाई होने से निशा और भी निखरने लगी थी ।
इधर राज के परिवार मे कपड़ो की शॉपिंग को छोड कर सारी तैयारिया हो गई थी और आज रागिनी सोनल को लेके जंगीलाल के यहा चल दी थी ।
जंगीलाल अपनी दुकान पर व्यस्त था , जैसे ही उसने अपनी भाभी और सोनल को दुकान पर देखा तो काफी खुस हुआ ।
खड़ा होकर उनकी आवभगत की और उन्हे अन्दर भेज दिया ।
रागिनी और सोनल अन्दर हाल मे गये थे । निशा इस समय किचन के काम खतम कर रही थी ।
सोनल तो सिधा किचन मे चली गयी ।
रागिनी - निशा बेटी तेरी मम्मी कहा है
निशा - बडी मम्मी वो कमरे मे सो रही है ,,रुकिये मै बुलाती हू
रागिनी - अरे नही तु काम कर मै देख लेती हू
रागिनी सीधा शालिनी के कमरे मे जाती है जहा शालिनी ब्लाऊज पेतिकोट मे सो रही थी ।
रागिनी को शरारत सुझी और उसने कमरे का दरवाजा बंद करके शालिनी के पास गयी ।
उसकी सास लेती चुचिया ब्लाउज मे उपर निचे हो रही थी । रागिनी ने धीरे से उसके ब्लाउज के दो हुक खोले और अपने होठो से दो चुम्मिया उसकी छातियो पर की और भी जीभ को उसके चुचियो के गहरी दरारो मे चलाने लगी ।
कि शालिनी की आन्खे खुली और वो चौक कर उठते हुए हाथो को क्रॉस करके अपनी छातीयो को धक ली ।
रागिनी बडे जोर की ठहाका लगा के हसी ।
शालिनी की भी हसी छूट गयी और वो अपना ब्लाऊज बन्द करते हुए - क्या जीजी आपने तो डरा ही दिया मुझे ,,,,मै तो समझी कौन ऐसे मेरे जोबनो को चाट रहा था
रागिनी हाथ बढा कर शालिनी के चुचे हाथ मे मसलकर - अरे शालिनी तेरे जोबन है ही ऐसे कि देखते ही कोई भी ललचा जाये
शालिनी शर्मा गयी और उठ कर साडी पहनने लगी - वैसे आज अपनी देवरानी की याद कैसे आ गयी
रागिनी तुनक कर - हुह किसने कहा कि मै तेरे लिये आई हू ,मै तो मेरे देवर से मिलने आई थी हिहिहिही
शालिनी - अच्छा , फिर बैठो मै भेजती हू उनको ,,जल्दी जल्दी निपट लेना आप लोग हिहिहिही
रागिनी हस कर - धत्त पागल क्या कुछ भी बोलती है ,,,वो मुझे साड़िया लेनी है । सोनल की शादी के दिन अब नजदीक आ रहे है ना ।
शालिनी - अरे हा ,,और जेठ जी भी आये हैं कि बस अकेली
रागिनी - अरे इत्नी याद आती है अपने जेठ की तो एक आध रात उन्के साथ ही रुक जा ना
शालीनी शर्मा कर - धत्त जीजी आप भी ,,मेरा मतलब था कि आप अकेले ही आई है कोई और भी है ।
रागिनी हस कर - अरे नही वो सोनल भी आई है ।
शालिनी फिर तैयार होकर रागिनी के साथ बाहर आती है और फिर निशा सब्के लिये पानी लगाती है ।
थोडी देर हसी ठिठौली हो रही होती है कि रागिनी निशा के लिये शादी की बाते छेड़ देती है
रागिनी शालिनी से - अब तो तु निशा के लिए भी लड़के खोजने शुरु कर दे
शालिनी मुस्कुरा कर - हा जीजी , बस सोनल बिटिया की हो जाये फिर देखती हू
इतने मे निशा मस्ती करते हुए - क्या मम्मी आप तो मुझसे प्यार ही नही करती ,,जल्दी से मुझसे पीछा छुड़ाना चाहती है ।
शालिनी हस कर - अरे आज नही कल तेरी भी शादी होगी ही ना
निशा जिद दिखाते हुए - नही मैने कहा ना , मै शादी नही करूंगी बस ,,मै तो बूढ़ी होकर भी यही रहूंगी हिहिहिही आपके पास
निशा अपनी मा से चिपकते हुए बोली और उसे देख कर सब लोग हस पड़े ।
लेकिन शालिनी को निशा का यू शादी के लिये मना करना जमा नही , मगर उसने फिल्हाल के लिए कोई प्रतिक्रिया नही दी ।
थोडे देर बाद सारे लोग दुकान मे गये और साड़िया पसंद की ।
जंगीलाल - और कुछ भौजी ,
रागिनी - अरे नही देवर जी बस ,, ये समान और बिल राज के पास भिजवा देना
जंगीलाल - क्या भौजी आप भी , घर की शादी है और आप पैसे की बात कर रही है ।
रागिनी - हा लेकिन हिसाब तो....।
शालिनी - रहने दो जी , आप बिल जेठ जी को दे देना । जीजी तो हमे अपना समझती ही नही , जैसे सोनल हमारी कोई नही है
रागिनी - अररे आप लोग .... अच्छा ठिक है भई पैसे मत लिजिए लेकिन बिल दे दीजियेगा ,,वो इसके पापा को शादी के खर्चो का हिसाब किताब रखना होगा ना
जन्गीलाल - हा ये कहो तो कर दू ,,, ठिक है आप लोग जाईये । अभी राहुल सब समान लेके आ जायेगा ।
रागिनी भी वहा से निकलने से पहले - और हा शालिनी परसो ध्यान से तैयार रहना दूल्हा दुल्हन के लिए कपडे लेने जाना है । निशा को भी लिवा लेना
शालिनी - हा जीजी मै आ जाऊंगी ।
फिर रागिनी और सोनल निकल गये अपने घर के लिये।यहा शालिनी और जंगीलल भी खुश थे कि घर की शादी मे उन्होने भी योगदान दिया ।
राज की जुबानीशाम को मै जब घर पहुचा तो हाल मे ढेर सारी साड़ियो के बैग थे ।
मा पापा के पास बैठ कर हिसाब लिखवा रही थी ।
मै खुश होकर एक दो झोले खोलकद देखने ल्गा - मम्मी आपने कौन सा लिया ??
मा हस कर - अरे रुक मै दिखाती हू ,,,ये 5 मैने मेरे लिये ली है और 3 ये सोनल के लिए
मै - और इतना सारा किसके लिये
मा - अरे बेटा वो सोनल की सास और उसके ससुराल के भी तो जायेगा ना ।
पापा की दिलच्स्पी सोनल की सास ममता के साडी पर गयी - अरे रागिनी समधन जी के लिये कोई अच्छा सा ली हो ना
मा - हा जी रुके दिखाती हू ,,उनके लिये ये दो साडी और दो सूट के कपडे ली हू
पापा - चलो ये तो हो गया और आज मदन भाई का फोन आया था । दामाद जी घर आ गये है ।
मा खुश होकर - हा समधन जी से बात हुई थी मेरी और जमाई बाबू से थोडा हाल चाल भी ली हू ।
अनुज - मम्मी मेरे लिये कुछ नही ली
मा - अरे बेटा परसो सारे लोग जायेंगे ना माल मे तो तुझे जो चाहिये ले लेना और ....।
अनुज - और क्या मम्मी ।
मै - और तेरे लिए कुछ सरप्राइज भी है ,,,वो भी ले लेना
अनुज - लेकिन वो क्या ??
मा मुस्कूरा कर - तेरा भैया इस बार तेरे जन्मदिन पर लैपटाप दिला रहा है
अनुज चहक कर - सच मे
मै - हा लेकिन तु पहले प्रोमिस कर की पढाई पर पुरा ध्यान देगा
अनुज खिलखिलाकर - हा भैया हिहिहिही
थोडी ऐसे ही चर्चा चलती रही और इधर मम्मी खाना बनाने किचन मे चली गयी ।
लेखक की जुबानी
रात के खाने का चूल्हा जल चुका था और शालिनी निशा के साथ खाना ब्ना रही थी ।
शालिनी - निशा तुने शादी के लिए मना क्यू किया ?
निशा को अपनी मा को ऐसे छोटे से मजाक पर परेशान होता देख उसे हसी आई तो उसने अपनी मा को और भी परेशान करने का सोचा ।
निशा - मम्मी आप जानती हो ना मैने मना क्यू किया ??
शालिनी को दो हफते पहले की वो बात चित याद आई और वो मुस्कुरा कर - धत्त पागल उस चीज़ के लिए डर रही है तु
निशा तुनकते हुए - हुउह आपका क्या है ,,आपको पापा मिल गये । लेकिन मेरे साथ पापा नही ना करने वाले वो सब जो प्यार से करेंगे
शालिनी उसके भोलेपन पे हसी - अरे पगलेट ,, वो तो तेरे हाथ मे है ना कि तु अपने पति को कैसे काबू मे करती है ।
निशा आंखे उठा कर - मतलब ???
शालिनी हस के - तुझे नही पता मतलब कुछ भी वो सब के बारे मे
निशा शर्मा कर - हा जानती हू लेकिन कभी किसी को करते थोडी ना देखा है । जो चीज़ कभी देखा-किया नही तो उससे डर ही लगेगा ना
शालिनी - अरे तो मैने कौन सा किसी का देख के सिखा था पागल ।
निशा - तो आपको कैसे आ गया ??
शालिनी शर्मा कर - वो मुझे मेरी चाची ने समझाया था शादी के कुछ समय पहले ,,सच कहू तो पहले दिन मै भी डरी थी लेकिन तेरे पापा ने मुझे थोडी भी तकलिफ नही होने दी ।
निशा मुस्कुरा कर अपनी मा को परेशान करने के मूड मे - मा मै क्या सोच रही हू , एक बार पापा के साथ कर लू फिर ना डर रहेगा और शादी भी कर लूंगी हिहिहिही
निशा ये बोल कर किचन से भाग गयी और शालिनी हस कर - अरे पागल भाग कहा रही है,,सब्जी जल जायेगा इधर आ ।
निशा हसते हुए - नही आप मारोगे !!! हिहिहिही
शालिनी - अब आ नही तो सच मे मारुन्गी ।
फिर निशा डरते हुए सब्जी चलाने लगी और वही शालिनी रोटिया सेकते हुए मुस्कूरा रही थी । कि निशा भी कितनी भोली है एक प्यार भरे दर्द से बचने के लिए अपने ही पापा से वो सब करने के तैयार हो रही है । पागल कही की
तभी शालिनी का दिमाग ठनका और एक पल को ये विचार आया कि क्यू ना निशा की चुदाई उसके पापा से करवा दू । इस्से निशा शादी के लिए डर खतम हो जायेगा और उसका पति जो दिन ब दिन चिंता मे घिर हुआ है उसे भी राहत मिल जायेगी ।
शायद एक बार निशा को चोद लेने के बाद उसके पति की हवस शांत हो जाये और वो सामन्य जीवन जीने लगे ।
लेकिन अगले ही पल शालिनी के दिमाग ने इस चीज़ को दूतकारा - छीई ये मै क्या सोच रही , सगी बेटी को कैसे उसके बाप से चुदवा सकती हू मै । नही ये गलत होगा ।
इधर निशा शालिनी को चुप देख कर हसती हुई बोली - अरे मम्मी बस एक बार की बात है हिहिहिही सौतन नही बनूंगी आपकी
शालिनी ने जैसे ही निशा की बाते सुनी वो हस दी और बोली - तो जा कर ले ,,तेरे पापा है मै कौन सा रोक रही हू
निशा हस कर - नही रहने दो , आपको जलन होने ल्गेगि कही पापा मुझसे ज्यादा प्यार ना करने लगे हिहिहिही
शालिनी मन मे - हा वो तो इस समय तेरे ही दीवाने हुए जा रहे है ,,
शालिनी हस कर - अब तु चुप करेगी । जा पापा को बोल कि दुकान बंद करके आये । खाना बन गया है
निशा तुनक कर - कितना जलती हो आप मुझसे मम्मी हुह
निशा ऐसे तुन्क कर बाहर गयी कि शालिनी की हसी छूट गयी - ये पुरी पागल है हिहिही
थोडी देर मे खाना का समय हुआ । हमेशा के जैसे पहले राहुल और उसके पापा खाने के लिये बैठे ।
शालिनी किचन से थाली लगा दी जिसे निशा ने बारी बारी करके लेके गयी ।
इस दौरान शालिनी ने जंगीलाल को देखा तो वो उसे ही मुस्कुरा कर देख रहा था क्योकि बीते इतने दिनो मे वो जान चुका था कि शालीनी ऐसे मौके पर उसे देखती ही है जब भी वो निशा के हिलते कूल्हो पर नजर मारता है ।
शालिनी अपने पति को मुस्कुराता देख खुद भी मुस्कुरा देती है और सोचती है क्यू ना एक बार अपने पति को परख कर देखू ।
शालिनी ने जैसे ये सोचा उसके मन मे ढ़ेरो सवाल ने जगह बना ली
" अगर इसके पापा सच मे निशा को चोदना चाहते होगे तो "
" क्यू ना दोनो का सेक्स करवा दिया जाये , लेकिन कैसे और किसी को भनक लग गयी तो "
"अरे मेरा और राज का किसी को पता नही है तो ये भी पता चलेगा "
"क्या निशा राजी होगी और ये ? "
" क्या ये सही होगा बाप बेटी को मिलाना जबकि मेरी बेटी बहुत भोली है "
शालिनी ने ढ़ेरो सवाल से घिरी हुई थी आखिर उसने तय किया कि वो पहले जंगीलाल को परखेगी फिर निशा से उसका मन टटोलेगी ।
फिर कुछ तय करेगी ।
थोडी देर बाद सारे लोग खाना खा कर अपने कमरो मे चले गये ।
जंगीलाल भी अपने कमरे मे बैठा हुआ था और शालिनी अपनी साडी गहने निकाल कर उसके पास ब्लाउज पेतिकोट मे जाती है ।
जंगीलाल खाने के समय हुई बात को लेके - तुम मुझे हर बार ऐसे क्यू देखती हो
शालिनी उसकी गोद मे जाकर दोनो ओर पैर रख कर उसके सामने बैठ गयी - कुछ नही मै तो बस अपने बेटी के दिवाने पर नजर रखे हुए थी ।
जन्गीलाल उसके कमर मे हाथ डालते हुए - हम्म्म तो क्या देखा तुमने
शालिनी मुस्कुरा के उसके होठ चुस्ते हुए - आजकल बड़ा शरीफ हो गये हो ,,नजर तक नही डालते उम्म्ं
जंगीलाल का लण्ड तनने लगा और वो शालिनी के कूल्हो को सहलाते हुए - नजर कैसे नही जायेगी ,,वो तुम्हारा ही अंश है तुम जितनी ही कातिल है वो भी
शालिनी इतराते हुए अपने चुतडो को जन्गीलाल के जांघो पर घिसते हुए ब्लाउज खोलना शुरु कर दिया और उसकी आंखो मे देखते हुए बोली - ओह्ह तो इतनी पसंद आने लगी है वो अब उम्म्ंम
जंगीलाल अपने लण्ड के मुहाने पर पेतिकोट के अन्दर से शालिनी की चर्बीदार गाड़ की घिसाई से सिहर उठा और उसके कूल्हो को मजबूती से पकड कर दबोचते हुए अपना लण्ड सख्त करते हुए उसके चुतडो मे घिसने लगा ।
जंगीलाल कसमसा कर - उसे देखता हू तो लगता है तु फिर से जवाँ होकर मेरे पास आ गयी है ,,जैसे शादी के पहले थी । फुल सी नाजुक और भरी हुई
शालिनी अपने चुतडो पर जन्गीलाल के पंजो की कसावात और जवानी के दिनो की यादे ताजा होते ही कसमसाइ ।
शालिनी अपना ब्लाउज खोल कर नंगी चुचियो के निप्प्ल सहलाते हुई - ओह्ह मेरी जान इतनी पसंद थी मै क्या तब
जन्गीलाल आहे भरता हुआ अपनी जीभ निकाल कर शालिनी के कड़े हुए मुंक्के जैसे निप्प्ल को चाटकर - हा मेरी जान,,जी तो चाहता है काश तु फिर से वैसे ही जाती और वो सुख मुझे फिर से मिल पाता
शालिनी अपने जवानी के दिनो की यादे ताजा करते हुए अपने चुची पर जंगीलाल के गीली जीभ को मह्सूस करती हू पागल सी होने लगी ।
जन्गीलाल ने देखा कि शालिनी को उसके जवानी के दिनो की यादो मे बहुत अच्छा मह्सूस हो रहा है तो वो बातो को आगे बढ़ाते हुए - एक बार फिर से मै तुम्हारे उन नाजुक मुलायम चुचो को मसल कर फुला देता और वो नरम चुतडो को हाथो मे भर लेता
शालिनी वो पल याद करके सिस्क रही थी और अपने चुचे भी मस्ल रही थी - उम्म्ंम तो लेलो ना मजे मेरी जान,
जंगीलाल शालिनी के चुचो को पकड कर उन्हे भर कर चुस्ते हुए -उम्म्ंम कैसे मेरी जान
शालिनी कससमा कर - उम्म्ं हमारि लाडो है ना सीईई आह्ह
शालिनी के मुह से निशा का जिक्र होते ही जंगीलाल का लण्ड फनफना गया और उसके शालिनी के चुचो और कस कर मसल दिया - उम्म्ंम ये क्या कह रही हो जान सीई वो हमारी लाडो है ना उम्म्ंम
शालिनी सिस्क कर - तुम ही कह रहे थे ना कि उसमे तुम्हे मेरी जवानी नजर आती है अह्ह्ह उन्मममं
जन्गीलाल का दिल जोरो से धडक रहा और उसके चुचो पर हरकत धीमी होने लगी थी - सीई हाआ मेरी जान, वो तुम जैसी ही है
शालिनी - तो लेलो ना मजे उससे ,मै नही रोकूँगी उम्म्ंम्ं
जंगीलाल तडप कर रह गया और फौरन वो शालिनी लेके लेट गया और खुद उसके उपर आ गया
जन्गीलाल शालीनी के पेतिकोट को जांघो तक चढा कर । उसके जांघो को खोलता हुआ उपर आ गया और शालिनी के दोनो हाथो को पकड कर उपर करते हुए उनकी नंगी चुचिया काटने लगा
शालिनी ने देखा कि जन्गीलाल तो जोश मे आ गया है - ओह्ह्ह मेरी जान उम्म्ं आराम से ,,,ऐसे तो लाडो की कोरी चुचियो पर निशान देदो तुम सीई ओह्ज्ज
जंगीलाल शालिनी की बातो से और भी जोशील हो गया मगर बहुत प्यार से शालिनी के चुचियो को सहलाकर उन्हे हल्के हल्के चुसने के बाद ,, बडी मदहोशि से शालीनी की आंखो मे देख कर - नही मेरी जान मै मेरी लाडो को थोडी भी तकलिफ नही दूँगा
जंगीलाल वापस से उसकी चुचिया बडे प्यार से पीने लगा
शालिनी मुस्कुराई और उसके सर को सहलाते हुए - बस उसकी चुचिया ही पीयोगे क्या मेरी जान
जंगीलाल सिहर गया और अपना लण्ड पेतिकोट के उपर से ही शालिनी चुत पर घिसता हुआ - नही मेरी जान,,मै तो उसकी कोरी कोरी चुत मे लण्ड भी डालूंगा ....ऐसे देखो ऐसे अह्ह्ह
जंगीलाल अपना लंड शालिनी के चुत के उपर घिस कर उसे बताता है ।
शालिनी - ओह्ह मेरी जान उसे भी ना बड़े प्यार से चोदना मेरी तरह ,, उसे डर लगता है
जंगीलाल समझ गया कि शालिनी की निशा के साथ कोई बात चित हुई थी । वो अपना लण्ड निकाल कर शालिनी का पेतिकोट उपर कर चुका था और एक करारा धक्का मारकर उसकी चुत मे जड़ तक घूसने के बाद ,वो उसके उपर आ गया ।
जंगीलाल- कैसा डर मेरी जान??
शालिनी - वो लाडो बता रही थी कि वो सेक्स के डर से शादी नही करेगी ,,,उसे आपके जैसा पति कहा मिलेगा जो आपके जैसे प्यार से उसकी चुदाई करे
जंगीलाल का लण्ड शालिनी की बुर मे अब और भी कसने लगा - ओह्ह्ह क्या लाडो ने ऐसा कहा ,,और कब बताओ ना जानू
शालिनी - वो आज जब सोनल की मा ने उसकी शादी की बात छेड़ी तो वो मना कर दी ,,उह्ह्ह उम्म्ंम बाद मे मैने पुछा तो बताया कि वो पहले सेक्स से डरती है
जन्गीलाल हल्का हल्का शालिनी के चुत मे लण्ड घिस्ता हुआ -फिर मेरी जान
शालिनी मुस्कुरा कर - फिर ऐसे ही बातो बातो मे उसने हमारे सुहागरात के बारे मे पुछा और मैने बताया कि पहली बार कैसे प्यार से आपने मुझे चोदा था । तो कहने लगी कि मम्मी मुझे भी पापा जैसे पति चाहिये जो प्यार से मेरी ले ।
जंगीलाल का लण्ड उफान पर था और वो शालिनी की रिस्ती हुई चुत मे मोटा हुआ जा रहा था
जंगीलाल - कोई बात नही मेरी जान मै उसे भी बडे दुलार से चोदूंगा उम्म्ंम्ं
शालिनी खुश होकर - सच मे मेरी जान
जंगीलाल अपने धक्को की गति बढा कर - हा मेरी जान,,वो हमारी लाडो है और मै चाहता उसे थोडा भी दर्द हो
शालिनी समझ गयी कि उसका पति अपनी बेटी को चोदना चाहता ही है और वो इस अनुभव से बहुत उत्तेजित मह्सूस कर रही थी कि कैसा होगा वो मिलन जब जन्गीलाल उसके सामने अपनी बेटी की चुत मे लण्ड डालेगा ।
शालिनी रोमांच से भर गयी उसने अपनी झड़ती चुत को फिर से अपने पति के लंद पर कसा और बोली - ओह्ह तो सच मे आप हमारी लाडो को चोदोगो ,,,बिल्कुल मेरी तरह जैसा मुझे चोदे थे
जन्गीलाल जोशीला होकर लण्ड को शालिनी की बुर मे पेलता हुआ - हा मेरी जान उसको पहली चुदाई का सुख मै ही दूँगा ,,,
शालिनी कसमसा कर - आह्ह जान हा दे देना ,,वो भी मजे करना चाहती है ,,उसे अपने लण्ड से चोद दो उम्म्ंम्ं और पेलो मुझे ,,अह्ह्ज अह्ह्ह उम्म्ंम ऐसे ही कस कस के पेलना अपनी बेटी को ,,उसकी चुत भी खोल देना आह्ह
जंगीलाल अब पुरे जोश मे तेजी से शालिनी की चुत मे लण्ड पेल रहा था - हा मेरी जान,,बहुत पेलूउँगा उसे उम्म्ं अह्ह्ह मै आ रहा हू ओह्ह्ह
शालिनी तेजी से लण्ड निचोडते हुए कमर झटकने लगी -हा मेरी जान पेलो रुक्ना मत अह्ह्ह अह्ह्ह ओह्ह्व और तेज्ज्ज्ज उम्म्ंम्ं माआह्ह अज्ज्ज मजा आ रहा है मेरा भी आयेगा ओह्ह्ह मेरे राअजज्आआ ओह्ह्ह हा ऐसे ही ओह्ह्ज उम्मममं
अगले कुछ झटको मे दोनो झड़ने लगे और ऊनके रस आपस मिलने लगे ।
जंगीलाल थककर शालिनी के उपर ढह गया और गहरी सासे लेने लगा ।
जारी रहेगी
Bahut bahut shukriya bhai ji...बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
शालिनी भी निशा को अपने पति से चुदवाने की कोशिश कर रही है देखते हैं निशा बोलती है की उसको अपने पापा के साथ करके उस डर को खत्म करना है तो शालिनी भी हां बोल देती हैं और अपने पति के मन की बात जानना चाहती हैं
Thnxx keep supportingsuperb update waiting for next
Dhanywaad keep supportingRomanchak update. Pratiksha agle rasprad update ki