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Adultery सपना या हकीकत [ INCEST + ADULT ]

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DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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हो जाइए तैयार
आगामी अपडेट्स के लिए

राज - अनुज और रागिनी
Hard-core threesome
बहुत जल्द

Gsxfg-IAX0-AAa-Jnh
(सिर्फ पनौती न लगे बस 😁)
 
Last edited:

Lutgaya

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Nevil singh

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UPDATE 97



सब लोग अपने अपने कमरो मे गये और मै भी गीता बबिता के साथ अपने कमरे मे गया ।

कमरे मे जाते ही मै बिस्तर पर लेट कर - अह्ह्ह बहुत तेज नीद आ रही है ,,,,मीठी जरा लाईट बंद कर देना

गीता और बबिता का मुह उतर गया और मै अपने होठ दबाए मन ही मन हस रहा था ।
गीता ने कुछ पहल नही कि और लाईट बुझा कर मेरे बायें तरफ लेट गयी और मेरे दाई तरफ बबिता लेट गयी।


मै झूठ मूठ की उबासी लेता हुआ बोला - मीठी गुड़िया सो जाओ ,

बबिता मेरे तरफ करवट लेके मेरे कन्धे पर अपनी नाखून से मेरे टीशर्ट को स्क्रेच करते हुए - भैया आप बोले थे ना रात मे

मै जान बुझ कर खराते भरने लगा ,,,
गीता - अरे भैया तो सो गये
बबिता - हम्म्म्म तो अब
गीता - थक गये होगे भैया ,,,कितना काम करते है वो
बबिता उदास होकर - हम्म्म

इधर मुझे हसी आ रही थी और मैने धीरे से कमरे के अन्धेरे मे ही हाथ निचे ले जाकर अपना टनटनाया हुआ लण्ड लोवर से बाहर निकाला और गीता की ओर करवट लेके उसको पकड कर सोने लगा ।


गीता को जब उसकी जांघो मे मेरे खडे लण्ड का आभास हुआ तो वो अपना बाया हाथ निचे ले गयी और लण्ड को छुते ही गनगना गयी

और फिर मेरे बालो मे हाथ फेर कर मुझे थप्की देते हुए बोली - हा सो जाओ मेरे राजा भैया

और वापस से हाथ निचे ले जा कर मेरे लण्ड को मुठ्ठि मे कस ली । तो मै भी थोडा गरदन बढा कर उसके लिप्स चुस्कर वापस सोने लगा ।

वो खिलखिलाई और मेरे सर को चुमा और वापस से मुथियाना शुरु कर दिया ।

मैने भी अपना हाथ गीता के टीशर्ट मे घुसा कर उसके पेट पर घुमाने लगा
जिस्से गीता खिलखिला रही
बबिता - क्या हुआ तू हस क्यू रही है

गीता ह्स्ते हुए - भैया गुदगुदी कर रहे है ना

बबिता चहक कर - क्या भैया आप जग रहे हो

मै कुछ नही बोला और चुपचाप अपना हाथ गीता की गाड़ तरफ ले जाकर उसके कूल्हो को सहलाते हुए उसके होठ चुससे लगा
गीता भी मेरे होठ पाते ही लण्ड पर पकड ढीली कर और पुरे जोश मे मेरे होठ चुस्ने लगी और मै भी गीता की जांघ पकड कर अपनी तरफ खिचते हुए उसके जांघो और गाड के पाटो को सहलाने लगा ।

इधर बबिता बेताब होने लगी थी जो उठ कर मेरे कन्धे पकड कर मुझे झकझोर रही थी

बबिता - भैया बोलो ना ,,जगे हो क्या आप
बबिता को एहसास हो गया की मै और गीता चिपके है तो वो मुझे पीछे से पकड ली और मेरे टीशर्ट मे हाथ डाल कर मेरे निप्प्ल को छूने लगी जिससे मेरे लण्ड को और भी झटके आने लगे ।

बबिता बहुत तडप रही थी और मेरे निप्स अपनी ऊँगलीयो से खीचते हुए बोली - भैया मै भी तो हू यहा उम्मममं प्लीज ना
मुझे बबिता की बेताबी का अन्दाजा था ही लेकिन मै उसकी आग और भडकाना चाहता था

जहा एक ओर मै गीता से लिप्स चुसते हुए उसके लोवर मे हाथ डाल कर उसके मुलायम गाड़ को फैलाने मे लगा था
वही बबिता मेरे निप्स नोचते हुए मेरे कान काटती मेरे गरदन पर अपने चेहरे को घिस्ती
जिसका सारा भड़ास मै गीता की गाड के पाटो को मसल कर मै निकाल देता

लेकिन अब बबिता की बेताबी ज्यादा हो गयी थी तो
मै फटाक से गीता को छोड कर बबित की ओर घुमा और उसे अपने से चिपका कर उसके छोटे छोटे चुतड़ को पकड कर उसकी जांघो को खोलकर उसमे अपना लण्ड उसकी चुत के निचे भिड़ा दिया

जिससे बबिता कसमसा कर रह गयी और सिस्क उठी
मैने उसके लोवर से उपर से ही उसकी चुत पर अपना लण्ड रगड़ा और उसकी टीशर्ट मे हाथ डाल कर उसकी गोल हो चुकी चुचियॉ को मसल दिया ।

बबिता - दर्द और मजे से कराह उठी
मैने फटाक से उसका टीशर्ट और टेप उपर किया और उसकी गोल मतोल हो चुची नुकीली चुची को मुह मे भर लिया

बबिता मेरे सर को सहलाते हुए -अह्ह्ह भैया अराम से उम्म्ंम्ं मम्मी अह्ह्ह

इधर गीता भी पीछे कैसे रहती वो फटाफट अपनी टीशर्ट टेप और ब्रा निकाल दी और मुझसे पीछे से लिपट गयी । वो अपनी 32c की चुचियॉ को मेरे पीठ पर दबाते हुए अपना हाथ आगे कर मेरे लण्ड को पकड ली जो इस समय बबिता की जांघो और चुत के बीच घिस रहा था ।

मैने एक एक करके बबिता के टीशर्ट और टेप निकाले ,,,हालकी उसकी चुचिया गदराई गीता से छोटी थी तो वो ब्रा नही पहनी थी ।
लेकिन गजब की कडक और नुकीली निप्पल

मैने उसके गुलाबी निप्प्ल को वापस मुह मे भरा और चूसना शुरु कर दिया ।
वही गीता निचे जाकर मेरे लण्ड को बबिता की जांघो से खिच कर अपने मुह मे भर चुकी थी ।
बबिता कसम्सा कर - आह्ह भइया अच्छे से चुसो ना उम्म्ंम

मै - ये तो सच मे पहले से बड़े हो गये हो गुड़िया
बबिता शर्मा गयी
मैने उसके चुतडो पर हाथ फेरा और उसके होठ चुसने लगा


वही गीता मेरे लण्ड को बड़े हौले से चुब्ला रही थी ।
उसके छोटे से मुह मे मेरा लण्ड बडी मुस्किल से घुसा था और उसके दाँत की गडन मह्सुस हो रही थी ।
लेकिन उसके मुलायम होथ जब मेरे सुपाड़े को छुते तो मेरे जिस्म मे खुन की गरमी तेज हो जाती थी
थोडी देर बाद
मैने हाथ देके उसका हाथ पकड़ा और अपनी ओर खीचा तो वो समझ गयी और मेरे सीने पर आ गयी

मैने बबिता को छोड के गीता को निचे पलत दिया और उसके मोटे चुचो को पकड के मसलते हुए उस्के निप्प्ल काटने लगा


गीता छ्टपटाने लगी तो मै उसके जांघो को खोल कर जगह बनाते हुए उसके उपर चढ़ कर उसकी चुचियो को चूसना शुरु कर दिया

उसके मुलायम भूरे मटर के दाने जितने निप्प्ल को जीभ से फ्लिक करने लगा ,,,वो कसमसाने लगी
गिता - ओहहह भैया और चुसो ममंंम्म्ं ,,बहुत मजा आ रहा है आज

मै उसकी दोनो चुचियॉ को जोड कर आपस मे दबा दिया जिससे उसके निप्प्ल फुल कर और भी कड़े हो गये थे । मैने लाल होते चुचियॉ के निप्प्ल के घेरे मे अपनी जीभ फिराई और अपने होठो से उसके कड़े निप्प्ल को समूच किया तो वो पागल सी होने लगी और छ्टपटा कर अपनी गाड पटकने लगी

वही बबिता बगल मे लेती गीता की आहो को सुन कर अपना सारा कपडा निकाल कर लेते हुए अपनी जान्घे खोल्कर चुत की रगड़ रही थी और मुझे आवाज दे रही थी

बबिता सिस्क्ते हुए - आह्ह भइया डाल दो ना प्लीज


मै बारी बारी से गीता की एक एज चुची को मुह मे भर कर चुसता हू कि तभी फिर से बबिता तड़प कर गुहार लगाती है
मैं गीता की एक चुची मुह मे लिये अपने बाये हाथ से बबिता के बदन को टटोलते हुए उसके चुत के हल्के झान्टो वाले हिस्से तक हाथ गया था कि बबिता और उपर सरक कर मेरा हाथ पकड के अपने चुत पर रख कर रगड़वाने लगती है ।
मैने उसकी पिचपिचाती चुत को थोडा सहला कर एक उगली बबिता की चुत मे घुसा देता हू ,,जिससे वो पागल सी होने लगती है और जल्दी जल्दी अपना कमर उचकाने लगती है

बबिता तडप कर - ओह्ह भैया वो डालो ना उम्म्ंम्ं अह्ह्ह

मै गीता की चुचियॉ से मुह हटा कर - क्या गुड़िया
बबिता सिस्क कर - आपका लण्ड भैया अह्ह्ह उह्ह्ह उम्म्ंम्

मै एक पल को सकपकाया और सोचा क्या ये सही रहेगा लेकिन बबिता की तडप देख कर पुरा मन हो रहा था कि उसकी कुवारी चुत मार लू मै


मै भी सोचा अब जो होगा देखा जायेगा और मैने गीता को छोड कर अपने कपडे उतारे और बबिता की जांघो को खोल कर उसके झान्टो के रोए से सजी चुत मे मुह लगा दिया

वो और ही तडप उठी और मेर सर को दबाने लगी
मैने भी उससे संतरे के फान्के जैसे चुत के फलको को खुब चुबलाया और जब देखा की बाबिता बार बार लण्ड के पागल हो रही है तो
मैने देर ना करे हुए अपने घुटने के बल आया और लण्ड को बाबिता की कोरी चुत के होठो को खोल कर छेद पर लगाया और एक बार बोला - गुदिया तैयार हो

मेरे बात खतम होने से पहले ही बबिता ने मेरे कमर मे हाथ डाला और अपनी गाड को ह्च्का कर उपर किया और मेरा सुपाडा एक बार मे ही गचाक से उसकी चुत मे धंस गया और वो दर्द से तडप उठी

मैने उसे थपथपाया तो
बबिता - ओह्ह भैया रुक क्यू गये डालो ना और उम्म्ंम प्लीज
मुझे उसकी हिम्मत पर ताज्जुब हुआ कि इससे ब्ड़ी उम्र की तीन लड़कीयो को मैने पेला तो उनकी गाड फट गयी और ये खुद से माग रही है

मै भी उसके होठ से होठ जोड़े और एक और करारा धक्का मारा लण्ड जड़ तक चला गया

वो मेरे दर्द से कराह उठी और मैने धिरे धीरे धक्के जारी रखे

बबिता मुझसे अलग होकर एक गहरी सास ली और हाफते हुए ह्स्तेहुए बोली - आई लव यू भैया ,,, अब क्यू रुके हो करो ना

मै उसको हस्ता देख वापस से एक और करारा धक्का पेला और उसके चुत ने मेरे लण्ड लो जगह देदी और फिर मैने उसके कंधो को थामे उससे लिपटे हुए ताबड़तोड़ पेलना शुरु किया

मुझे बबिता की हरकतों से ताजुब हो रहा था कि उसे अभी इतना मजा आ रहा है तो आगे कितना

इधर गीता पूरी तरह से गरमा गयी थी और बेड पर बैठ कर अपनी जान्घे खोले गचागच चुत में ऊँगली पेल रही थी

मुझे गीता का ख्याल आते ही मैने बबिता के उपर से उठा और निचे लेट गया

मै - आओ गुड़िया उपर मेरे
बबिता - कहा गये भैया कुछ दिख नही रहा है

मै खड़ा हुआ और कमरे की बत्ती जला दी और देखा की मेरी दोनो बहने एकदम चुदासी ही हो गयी है
मैं वापस फटाक से लेट गया और बबिता को लण्ड पर बैथने का इशारा किया तो गीता मुह बिच्का ली

मैने उसे अपनी तरफ खीचा और अपनी जीभ बाहर निकाल दी
गिता चहक उथी और फौरन मेरे मुह मे पर अपनी गाड को टिका कर जीभ को अपन चुत पर रगड़ाने लगी

वही बबिता एक फीर से अपनी कसी चुत मे मेरा लण्ड भर चुकी थी
इधर मै गीता के भारी गुलगुले चुतड के पाटो को थामे उसकी चूत को चुब्ला रहा था और जीभ को उसकी चुत मे घुमा रहा था ।

गीता बहुत ज्यादा छ्टक रही थी वही बबिता एक बार झडने के बाद भी नही रुकी थी और लगातार अपनी चुत से मेरा लण्ड निचोड रही थी ।

गीता ने भी अपनी जांघो मे मेरे सर को दबोच लिया था और अपनी चुत मेरे नथनो और होठो पर रगड़े जा रही थी और फिर एक दर्द भरी कराह से साथ तेजी से अपनी जांघो मे मेरे सर को दबोच कर झड़ने लगी ।
उसके शांत होही मैने उसे अपन उपर से हटने का इशारा किया और गहरी सांस ली ।।।
मेरा पुरा मुह गीता के माल से चखट गया था

मैने उसकी चुत के पानी को साफ कर बबिता को अपनी ओर खीचा और निचे से खुद जोर जोर से धक्के लगाने लगा

बाबिता मेरे नाम लेके सिस्कने लगी और उसकी सिस्कियो मे भी वाईब्रेशन आ गया था क्योकि मै झडने के करीब था और काफी तेज धक्के उसकी चुत मे लगये जा रहा था ।

एक पल आया और मैने रुका और फटाक से बबिता की उतार कर निचे किया और जल्द से उसके मुह पर लण्ड हिलाने लगा और भलभला कर उसके उपर झडने लगा

सारा माल निकाल कर मै हाफने लगा वही बबिता हसते हुए मेरे माल को चाट रही थी और तभी गीता उठ कर आई और मुझे धक्का देके लिटा दिया और लण्ड को मुह मे गपुच कर लिया

मुझे थोडी हसी आई और फिर वो दोनो मुझसे लिपट गयी ।
मै ह्स्ते हुए - क्यू मीठी मजा आया

गीता मुझे कस्ते हुए- हा भैया बहुत
बबिता भी मुझसे चिपक कर - मुझे भी भैया

मै हस कर- फटाफट कपडे पहनलो और बाकी मस्ती कल
वो दोनो खिलखिला कर हसी और हा बोली ।
फिर उन्होने अपने कपडे पहने और मै भी बनियान अंडरवियर पहन लिया ।
एक बार मैने मोबाईल खोला तो देखा अभी तो 10 भी नही बजे थे , यानी मैने अभी सिर्फ 40 मिंट मे ही ये सब खतम कर दिया था ।

मैने मोबाईल चेक किया तो सरोजा ने व्हाटसअप पर कुछ अच्छी तस्वीरे भेजी थी ,,आज वो किसी पार्टी मे गयी थी ।

इधर ये दोनो थक कर थोडी ही देर मे खर्राटे लेने लगी और मुझे भी थकान होने लगी थी तो मै भी सो गया ।
सुबह करीब 6 बजे मेरी नीद खुली तो देखा की दोनो अभी तक मुझसे चिपकी हुई सो रही थी । मै उठा और उबासी लेते हुए फ्रेश होने गया ।
फ्रेश होकर बाहर आया तो देखा ,, मा एक ढीली मैकसी पहने हाल और पूरी गैलरी मे पोछा मार रही है । लेकिन बैठने के कारण उनकी गाड मैक्सि मे फैल कर कस गयी थी ।

और वही हाल मे सोफे पर नाना जी बैठे हुए मा के गाड को निहार रहे थे ।

मै बडे आराम से चल कर नाना के पास गया और मा को बोला - क्या मा आज पोछा क्यू

मा मेरी ओर देखती है तो नाना फौरन नजर फेर लेते है
मा - वो बेटा ये मेरे कमरे के बाहर कुछ चिपचिपा सा दाग था और गरमी से हाल मे भी चिपचिप सी थी तो मैने सोचा पुरा पोछा ही मार दू

मै मा के जवाब से संतुष्ट हुआ और कुछ सोच कर मुस्कुरा दिया ।

मै नाना से - और नाना जी आप आराम से सोये ना
नाना - हा बेटा बस यहा गरमी ज्यादा होती है गाव के मुकाबले
मै थोडा हस कर - फिर चले टहलने

नाना मा को पोछा लगाते देख बेमन से - नही नही बेटा आज इच्छा नही है ।

फिर मा पोछा लगाते हुए हमारे तरफ आई और अब उसकी ढीली मैक्सि से उसकी घाटिया दिखने लगी थी ।

मा - राज जरा पैर उपर कर बेटा
मै फटाक से पैर उठाए और मा ने निचे पोछा मारा और थोडा आगे नाना के सामने आ गयी और इस वक़्त मा की ढीली मैक्सि से निप्प्ल के काले घेरे तक मै और नाना देख पा रहे थे ।

मा नजारे उठा कर नाना को अपनी चूचिया घुरते देख - बाऊजी आप भी उपर करो ना पैर
नाना ब्ड़ी मुस्किल मे आ गये क्योकि मा की कसी जवानी ताड़ कर उनका लण्ड बौरा गया था और उसे एडजेस्ट करते भी कैसे

बडी मुश्किल से उनहोने अपने झुलाते आड़ो सहित लण्ड को थाम कर पैर बतोरे और मा ने निचे पोछा मारा और फिर बालटी लेके पीछे वाशिंग एरिया मे चली गयी ।

नाना ने एक गहरि सांस ली ।

मै नाना से - नाना मै मा को कुछ कपडे देके आता हू धुलने के लिए

नाना ने हा मे सर हिलाया और मै अपने कमरे मे गया और फिर कुछ कपडे लेके पीछे वाशिन्ग एरिया मे गया जहा मा पोछा वाला कपडा धुल रही थी ।
मैने एक नजर गैलरी मे मारा और मा को पीछे से हग करते हुए - ओहो मा आज क्या बात है पोछे के बहाने नाना को अपनी इन घाटियो का दिदार करा दिया
मैने उनकी चुचियॉ को उपर से ही मसला

मा हस कर - धत्त पोछा कोई बहाना थोडी था , वो सच मे मेरे दरवाजे के बाहर चिपचिपा सा दाग था ।

मै मा को सामने लाकर - मतलब आपने सच मे रात मे दरवाजा खुला रखा था
मा शर्मा कर मुस्कुराते हुए हा मे सर हिलाई

मै हस कर - मतलब मेरा प्लान काम कर गया
मा हस कर - रात मे जिस तरह से घुर रहे थे मुझे ,, मुझे तभी समझ आ गया था कि बाऊजी एक बार रात मे मेरे कमरे का चक्कर जरुर लगाएंगे और तुने कहा था कि दरवाजा थोडा भिडका कर रखना तो मैने वैसे ही किया

मै हसते हुए मा के होठ चूम कर -- तो आपको पता चला था, नाना जब आये थे झाँकने

मा शर्मा कर हा मे इशारा की और बोली - उस समय मै तेरे पापा के उपर थी और तेरे कहने के हिसाब से ही मैने अपना चेहरा दरवाजा की ओर रखा था हर पोजिसन मे वो करते हुए

मै मा को खुशी से हग करते हुए उन्के गाल चूम लेता हू - अरे वाह मा ,, आई लव यू उम्म्म्म्म्म्माआआआह्ह

मा इतरा कर - अब छोड मुझे ,, पता नही क्या क्या करवाएगा मुझसे ,,

मै भी तुनक कर - सब आपके लिए ही तो कर रहा हू फिर भी हुउउह

मा थोडी शर्म और मुस्करा कर मेरे गाल सहलाए और बोली - क्यू तुझे मजा नही आ रहा है क्या जैसे

मै खुशी से हा मे सर हिलाकर - बहुत ज्यादा हिहिह्हिह

मै मा से - पापा को तो नही ना बतायी
मा हस कर मुझसे अलग हुई और वाशिंग मशीन मे कपड़े डालते हुए बोली - हिहिही नही पागल हू क्या ,,, वो तो परेसान हो गये थे रात मे की मै हर बार दरवाजे की ओर मुह क्यू की हू

मै ह्स कर - फिर
मा - फिर क्या ,,,उन्हे तो दो गंदी बाते बोल दो वो सब भूल जाते है हिहिही

मै मुस्कुरा कर - वैसे आप भी कम शातिर नही हो
मा हस कर - मा हू तेरी ,,तेरे कम कैसे रहूँगी हिहिही

मै वापस मा को हग कर लिया और फिर उनको अगला प्लान समझा कर बाहर आ गया ।

थोडी देर मे मा भी बाहर आई और सोनल के साथ किचन के काम मे लग गयी ।
इधर पापा और अनुज तैयार हो लिये लेकिन मैने अपनी योजना के अनुसार नही नहाया और नाना भी लेट नहाते थे ।

थोडी देर मे सबका नासता लगा

पापा - अरे राज तू अभी तैयार नही हुआ,,दुकान नही जाना है क्या
मै - नही पापा ,,आज मै नाना जी के साथ जाने वाला हू बाहर

नाना - हा बाबू ,,अगर तुमको कोई तकलीफ ना हो तो
पापा हस कर - अरे बाऊजी ,,ये आपका ही नाती है ,,इसमे पूछने जैसा क्या है

फिर हम सब ने नासता किया और फिर पापा और अनुज दुकान गये ।
सोनल भी गीता बबिता को अपने साथ सिलाई सेंटर लिवा के गयी ।
अब बचे मै नाना और मा

मै किचन मे गया और मा को बोल दिया की प्लान शुरु किया जाय ।

मा मुस्कुरा कर हा मे सर हिलाई और मै वापस हाल मे आ गया ।

थोडी देर बाद
मा ने खाना तैयार कर 9 बजे तक ढेर सारे कपडे लेके सबसे उपर की छत पर गयी और मै उन्के साथ गया ।
मैने उपर की टंकी से निचे का जाने वाली पाइप का पानी बंद कर दिया और मा सारे कपडे लेके बैठ गयी उपर धुलने ।

और फिर मै प्लान के मुताबिक निचे आया तो देखा नाना सोफे पर बैठे हुए झपकी ले रहे थे ।

मै - नाना जी आप मेरे कमरे मे आराम करिये और आपको फ्रेश होना होगा तो उपर छत पर चले जायियेगा

नाना अचरज से - क्या हुआ बेटा
मै उखड़ कर - वो निचे आने वाली पानी का पाइप मे कुछ दिक्कत है इसिलिए

नाना दीवाल की खड़ी मे समय देख कर - अरे अभी एक घन्टे बाद तो हमे निकलना है काम के लिए ,, तो ऐसा करता हू मै उपर जाकर नहा लेता हू

मै - हा ठीक है नाना जी आप उपर जाईये , मुझे कुछ समान लाना है ,,फिर मै भी नहा लूंगा

नाना - हा ठीक है बेटा

फिर मै किचन मे जाता हू एक झोला लेता हू और कुछ पैसे लेके किराने की दुकान पर चला जाता हू ।
थोडी देर बाद मै घर मे आता हू तो निचे पुरा सन्नाटा होता है ।
मेरे चेहरे पे एक मुस्कान आ जाती है और मै किचन मे झोला रख कर उसमे से सरफ की एक बडी पैकेट और अपना तैलीया लेके उपर चल देता हू

उपर की मजिल की सीढी चढ़ते हुए मुझे बहुत जोर की धकधक हो रही थी कि उपर क्या हो रहा होगा ,,क्या सीन चल रहा होगा ।

क्योकि मुझे घर से निकले करीब 30 मिंट से ज्यादा हो गये थे ।

मै उपर गया और जैसे ही छत पर देखा तो नाना नहा चुके थे और अपनी धोती बान्ध रहे थे ।

मै बाथरूम की ओर जाकर - अरे नहा लिये क्या नाना जी,,,और मा कहा है

तभी मा बाथरूम से बाहर आई जो इस समय एक पेतिकोट मे थी ।उसने पेतिकोट को अपनी छातियो पर कस कर बान्धा हुआ था और उसकी घुटनो से थोडी उपर की नंगी जान्घे तक दिख रही थी

मा - कहा रह गया था ,,बोली थी ना जल्दी आना

मै मा को सरफ का पाकिट थमाते हुए आंख मारा और इशारे से पुछा क्या हुआ अभी

मा हसी और शर्मा कर गरदन हिला कर बाथरूम मे चली गयी

नाना अब तक अपने कपडे पहन चुके थे - राज बेटा चल निचे चलते है

मै थोडा मुह बना कर - आप चलो नाना मै जरा फ्रेश हो लू ,,पेट कुछ सही नही है

नाना ह्स के - अच्छा ठीक है जल्दी आ ,, और तू भी नहा ले चलना है मेरे साथ

मै हस कर - हा नाना जी अभी नहा कर आता हू आप चलिये निचे ।

नाना जी फिर निचे चले गये और मै उनके जाते ही बाथरूम के सामने मा के पास चला गया ।



जारी रहेगी
Kaamuk update mitr
 

Nevil singh

Well-Known Member
21,150
53,022
173
UPDATE 98

नाना के निचे जाते ही मै मा के पास गया जो इस समय नाना के ही कपड़े धुल रही थी ।

मै कपडे निकाल कर सिर्फ अंडरवियर मे अन्दर बाथरूम मे घुसा और पीछे से मा को दबोच लिया

मा कसमसा कर - अह्ह्ह क्या कर रहा है बेटा,, बाऊजी है यही

मै अंडरवियर मे तने लण्ड को मा की पेतिकोट के उपर से ही उनकी गाड मे धंसाते हुए - मा वो तो निचे गये

मा - हा फिर हट मुझे काम करना है
मै फटाक से दरवाजा बंद किया और अपना अंडरवियर निकाल दिया।

मा अभी भी झुकी हुई बालटी मे कपडे डुबो कर उसे गार कर दुसरी बालटी मे रख रही थी ।
मै बहुत ही उत्तेजित था तो मैने झुक कर मा का पेतिकोट एक झटके मे उठाया और उनकी गोरी फैली हुई तरबुज सी गाड़ मेरे सामने थी
मैने मा के कूल्हो को थामा और लण्ड को उनके चुतडो के पाटो पर फिराया जिससे मा सिहर गयी और जिस पोजीशन मे थी वही रुक गयी

मा - अह्ह्ह बेटा रुक जा ना
मै अपने लण्ड की चमडी खिच कर सुपाडे को मा के चुत के मुहाने पर दबाकर - बहुत मन कर रहा है मा अह्ह्ह

मा - ओह्ह बेटा अह्ह्ह्ह
मै एक जोर का धक्का पेला और लण्ड जगह बनाते हुए सीधा मा के भोसड़े मे घुस गया और मै उन्के कूल्हो को थामे धक्के पेलने लगा ।

मा ने सामने हाथ बढ़ा कर टोटी को पकड़ ली लेकिन मेरे धक्के से उनको दिक्कत हो रही थी।

मै धक्के लगाते हुए - मा कूछ बात आगे बढ़ी आपकी और नाना की

मा कसमसा कर - तू ये अभी क्यू पुछ रहा है ,,,अभी चोद ले मुझे अह्ह्ह मै कबसे गरम हो रही थी अह्ह्ह बेटा

मै समझ गया कि कुछ मजेदार जरुर हुआ है दोनो के बीच और उसके लिये मा पूरी तसल्ली से ही मुझे बतायेगी

मैने मा को झुकाये हुए ही लन्ड़ को तेजी से उनकी खुली चुत मे गचागच पेलता रहा ,,, थोडी देर हमारी ये चुदाई सभा चली और मै झड़ने के करीब था और मा ने मेरा माल अपने मुह मे लिया ।


फिर मै और मा एक साथ नहा कर निचे आये । मैने अपने कपडे पहने थे जबकी मा ने ब्लाउज पेतिकोट

निचे हाल मे उतर कर देखा तो नाना कुछ फ़ाईल लेके बैठे है और उनकी नजर मा पर पड़ी तो वो मुस्कुराये और बदले मे मा ने भी एक शर्माहट भरी मुस्कान दी ।

नाना की नजर मा के चुचो की घाटी और पेतिकोट के साइड के कट पर थी जहा से मा के कुल्हे साफ दिख रहे थे । जिसका असर मुझे नाना की धोती मे साफ नजर आ रहा था ।

फिर मा ने उसी अवस्था मे मेरे और नाना के लिए खाना लगाया । फिर मै और नाना खाना खा कर निकल गये ।

सबसे बडी बात थी कि नाना इस उम्र मे भी खुद गाडी चलाते थे ।

मै भी उनके साथ आगे की सीट पर बैठा था , आज नाना काफी खुश लग रहे थे

मै - क्या बात है नाना जी बडे खुश लग रहे है

नाना किसी याद से उभर कर - अह हा खुश तो हू ही ,, अब इतने समय बाद अपने नाती के साथ कही घूमने जा रहा हू ।

मै - वैसे कहा जा रहे है हम लोग
नाना - बस यही पास के गाव गोपालपुर मे मुखिया के घर , मेरे पुराने मित्र रहे है , उन्ही के यहा

मै चुप रहा और गाडी से बाहर खेत खलिहानों को देख रहा था ।
गोपालपुर काफी नामी गिरामी गाव था और वहा के मुखिया जयराज ठाकुर थे । जो नाना के पुराने मित्र थे और
उनका काफी समय प्रतापपुर यानी मेरे नाना के गाव मे ही बिता है ।
रास्ते ने नाना ने बताया कि उनकी पहली बीवी की मृत्यु के बाद उन्होने दुसरी शादी की एक कम उम्र के लड़की से जो अपने माता पिता की एक्लौती संतान थी और कुछ साल बाद वो प्रतापपुर छोड कर यहा गोपालपुर चले आये ।

कुछ किलोमीटर की यात्रा कर हम गोपालपुर गाव पहुचे और गाव मे थोड़ी ही दुर घूसने पर जयराज ठाकुर की हवेली थी जो असल मे उन्के स्वर्गीय सास ससुर की थी ।

हवेली काफी बडी थी और काम करने वालो की कमी नही थी ।
लेकिन फिर भी उस हिसाब से ज्यादा लोग दिखाई नही पड रहे थे जैसा नाना जी ने ब्ताया था । काम करने वाले और कुछ गार्ड बस

नाना जी हवेली के कम्पाउंड मे गाडी पार्क की और हाल की ओर बढ़ गये वही फ़ाईल लेके जो सुबह घर पर देख रहे थे । मै भी उनके पीछे पीछे चला गया ।

हाल मे पहुच कर नाना जी और मै बैठे रहे और थोड़ी ही देर मे एक नौकर पानी देके गया ।

मै - नाना जी मुझे तो बहुत अजीब लग रहा है यहा
नाना हस कर - अरे इसे अपना घर समझो और अभी जयराज से मिलवा दूँगा तो तुम कभी भी यहा आ सकते हो । हर साल सावन मे गोपालपुर मे बहुत जोरदार और बड़ा मेला लगता है ।


मै - ओह्ह
मै बड़ी जिज्ञासा और उत्सुकता से हवेली मे नजर घुमा रहा था ।

थोडी देर बाद एक नौकर आया और नाना को अपने साथ ले गया ।

नाना बहुत ही खुश नजर आ रहे थे और मुझे बोल के गये - कि मै यही आस पास ही रहू और चाहू तो पीछे बागिचे की ओर जा सकता हू ।

मै हा मे सर हिलाया और मोबाईल मे लग गया ।
हवेली के साथ कुछ अच्छी सेल्फी भी निकाली । थोड़ी देर मे हाल मे एकदम चुप्पी सी थी । सारे लोग कही गायब से थे कोई कही नजर नही आ रहा था उपर से मैने पुरानी बड़ी हवेलियो के बारे बहुत भूतिया खिस्से सुने थे तो फटने लगी मेरी ।

मैने एक दो नजर उस जिने की ओर मारा जहा से नाना उपर की ओर गये थे । मगर कोई नजर नही आ रहा था तो मैने सोचा कि क्यू ना पीछे बागिचो मे चला जाऊ


मै उठा और ताकझाक करते हुए एक गलियारे से पीछे की ओर चला गया ।
ताजी हवा मे सास लेते ही मन की सारी शन्काये दुर हो गयी और मै ऐसे ही टहलने लगा ।

पीछे बगिचे के दुसरे छोर पर काफ़ी सारे आदमी काम कर रहे थे और खेतो मे भी लोगो को काम करते देख मन को और भी अच्छा लगा ।

तभी मेरी नजर हवेली के पीछे से लगी एक सीधी पर गयी जो उपर एक बाल्किनी नुमा जगह पर खुलती थी और वही से अन्दर जाने का रास्ता भी था ।

रास्ते मे मुझे कोई रुचि नही थी , मुझे उस बाल्किनी से बागिचे को देखने की तलब हुई । मै फटाफट उस सीढी से उपर वाल्किनी पर गया

वाह क्या नजारा था , दुर तक खुले खेत और बगीचे की रंग बिरंगी हरियाली दिख रही थी ।
मैने जेब से फोन निकाला और तस्वीरे लेना शुरु कर दी और कुछ सेल्फी भी लिये । इसी दौरान मुझे बाल्किनी के गैलरी से कुछ बर्तन के गिरने की आवाजे आई । लेकिन गैलरी मे काफी अन्धेरा सा था ।

मुझे थोडा डर लगा लेकिन पूरी गैलरी खाली सी थी ,,,और उस पार से आ रही रोशनी मे उस 3 फिट चौडी गैलरी से मै चुप चाप जाने लगा । तभी मेरे पैर से कुछ टकराया ,और आवाज से पता चला कि ये तो लकड़ी का दण्डा है । मैने उसे बिना छेड़े आगे बढ़ गया

धीरे धीरे करके मै उसके मुहाने तक आया तो देखा कि मै तो उपर की मन्जिल पर हू और यहा से निचे का खुला हाल साफ देखा जा सकता था ।

मुझे खुशी हुई और राहत भी फिर मुझे निचे जाने के रास्ते का ध्यान आया मगर कोई रास्ता नजर नही आ रहा था ।
हर जगह पर्दे लगे थे और जिस अंधरे से मै आया उधर वापस जाने की हिम्मत नही थी मेरी ।

मै धिरे धीरे एक एक पर्दा हटाता हुआ देखता ,,कोई बंद दरवाजा होता तो कोई उपर जाने की सीढि । ना जाने किस मूर्ख ने इसका डिजाइन किया होगा कि तीन उपर जाने की सीढि मिली लेकिन निचे जाने की एक भी नही ।

मै एक पुरा चक्कर लगाने के करिब था फिर मैने निचे हाल मे देखा और अन्दाजा लगाया कि नाना कहा से उपर आए थे । ये ट्रीक काम की और मुझे निचे जाने वाली सीढ़ी दिखी जोकि बाहर से ही दरवाजे की तरह बंद थी ।

मुझे कुछ अजीब सा लगा कि आखिर इस जीने के दरवाजे को बंद करने की जरुरत क्यू थी
मुझे नाना की फ़िकर हुई कि वो कहा है

मै वापस से एक एक कमरे की खिडकी चेक की और तभी मुझे एक खिडकी से कमरे में कुछ खुस्फुसाहत सुनाई दी ,, मगर अन्दर के पर्दे की वजह से मै कुछ देख नही पा रहा था । पर्दे भी खिडकी से थोड़ी दुरी पर थे जिसे मै ऊँगली से खिसका भी नही सकता था

मुझे इरिटेटिंग सी होने लगी इन पर्दो से । तभी मुझे कुछ ध्यान आया और मै सरपट उसी गैलरी की ओर गया जहा से आया था और इस बार मेरा डर कम हुआ क्योकि मैने मह्सूस कर लिया था कि उपर मेरे अलावा कोई नही है । मैने मोबाईल टॉर्च जलाया और तभी मुझे आगे ही थोडी दुर पर वो डण्डा नजर आया जिससे मै टकराया था । मैने लपक कर उस 2 फीट के करीब के दण्डे की उठाया जिस्पे काफी धुल जमी थी ,,
मैने उसे हौले से गैलरी की दिवार पर झाडा और वापस दबे पाव उसी खिडकी तक चला गया ।

मुझे अभी भी हिचक और डर लग रहा था मगर जिज्ञासा बहुत थी कि आखिर ऐसी कौन सी गुप्त बातचीत चल रही थी यहा

मै धीरे से लकड़ी को खिडकी से अंडर डाला और एक साइड से पर्दा मे लकड़ी डाल कर उसे दुसरी तरफ किया मगर लकड़ी से पर्दा सरक गया । मैने फिर से कोसिस की और इस बार पर्दे को लकड़ी के सिरे मे घुमाकर थोडा सा खीचा और मुझे अन्दर कमरे की झलक मिली और मेरी आंखे चौंधिया गयी मानो

एक बार मैने अपनी आंखो को मला और वापस देखा तो अंदर नाना जी क़्वीन साइज़ बेड पर पुरे नंगे घुटने के बल खडे होकर एक गोरी महिला को झुकाये चोद रहे है । उनकी वो फ़ाईल एक टेबल पर वैसी ही बंद पड़ी है मानो खोली तक ना गयी हो ।

मेरी तो थूक गटकने की नौबत आ गई थी
क्या गजब की कसी हुई औरत थी ,,
और सबसे बढ़ कर ये कि आखिर ये कौन थी जिसे नाना चोद रहे थे,,,और जयराज से मिलने वाले थे तो वो कहा था ।

मेरी हालात खराब हो रही थी और लण्ड में कसाव बढ़ रहा था , मगर उससे भी ज्यादा बेचैनी हो रही थी , मै रुक नही सकता था ।
इसिलिए मै फटाफट उसी अंधरि गैलरी से निकल गया बागीचे ,, थोडा सुकून मिला लेकिन उलझन अब भी थी ।

थोडी देर बाद मे एक नौकर मुझे बुलाने के लिए आया और मै वापस हाल मे आया तो देखा कि वही औरत और नाना हाल मे बैठे हुए थे ।

नाना मुझे देख कर उस औरत की ओर इशारा करते हुए - इनसे मिलो बेटा ये पूनम भाभी है ,,मतलब जयराज की बीवी

मै हाथ जोड उनको नमस्ते किया , तो वो बोली

पूनम मुस्कुरा कर - अरे नही बेटा बैठो ,,
काफी मिठास थी उस औरत की बोली मे ,, उम्र भी मुस्किल से 40 के करीब थी ,,, मगर ठकुराईन का नाना से चक्कर समझ से परे था ।

थोडी देर बातचित चली तो पता चला कि आज जयराज ठाकुर है ही नही और वो दो दिन बाद आयेगा ।
फिर हमने उनसे विदा लिये और निकल गये घर के लिए

गाडी मे

पिछ्ले दिनो मे मै नाना से काफी खुल गया था तो मुझे यही मौका सही लगा ,

मै - नाना ये पूनम जी तो काफी जवान है अभी
नाना हस के - हा बेटा, दरअसल जयराज की दुसरी शादी के वक़्त उसकी उम्र 40 से ज्यादा थी और ये तब 20 की रही होगी


मै हस कर - हा तभी इस उम्र मे रोज नये मर्दो की जरूरत लगती है उनको हिहिहिही


नाना चौक कर अचानक से गाडी का ब्रेक मारा- क्या मतलब
मै हस कर - मुझसे मत छिपायिये नाना जी ,,मैने देखा था थोडी देर पहले उपर कमरे में आपको पूनम जी के साथ

गाडी फिर से चलने लगी
नाना मुस्कुराए - तो तू जासूसी करता है क्या
मैने फिर नाना को पूरी बात बतायी कि कैसे कैसे मै उपर पहुच गया और वो सब देख पाया ।


नाना - मतलब तू भी कम नही है ,,,हा
मै ह्स कर - आखिर नाती किसका हू हिहिहिही
हम दोनो खुब हसे

मै - तब नाना जी इसके बारे मे नही बताया था आपने
नाना ह्स कर - हा ये बात पुरानी है बेटा करीब 18 साल पहले कि उस समय ठकुराइन को आये 2 साल हो गये थे लेकिन जयराज उसकी आकांक्षाओ पर खरा नही उतर पाया ,,,आये दिन ठकुराईन के नये नये यारो के किससे सुनाई देते थे तो एक दिन मौका देख कर हमने भी हाथ साफ किया ,,,,,

मै ह्स कर - और फिर

नाना - लेकिन जयराज को काफी जिल्लत झेलनी पड़ती थी इसिलिए उसने 15 साल पहले प्रतापपुर छोड दिया और यहा आ गया


मै ह्स कर - मगर आपने ठकुराईन को नही छोडा हिहिही

नाना - अरे नही , ऐसा कुछ नही है ,, तब से लेके आज यही नसीब हुआ है 15 साल बाद ,,,वो भी मेरी पहल पर


मै अचरज से - आपकी पहल पर मतलब
नाना - तु तो जान ही रहा है कि मुझे 3 दिनो से काफी उत्तेजना हो रही थी और फिर कल से घर पर और भी दिक्कत महसूस हो रही थी । इसिलिए मैने आज पहल दी ठकुराइन से


मै - वो सब तो ठीक है लेकिन घर मे कैसी दिक्कत हो रही आपको नाना जी

नाना थोडा झेपे - अब क्या बताऊ बेटा,,

मै - आप निश्चिंत होकर बोलिए ,,आखिर आपकी सम्स्या मेरी समसया है

नाना - नही बेटा बात वो नही है ,,, बात कुछ और है फिर पता नही क्या सोचेगा तू मेरे बारे मे


मै उखडे हुए भाव से - अब आप मेरी चिन्ता बढ़ा रहे हैं नाना जी बताईए क्या बाता है ।
नाना जी ने एक खाली जगह पर सड़क के किनारे गाडी रोकि

मै - हा अब बोलिए क्या बात है
नाना झिझक कर - दरअसल बेटा,,कल रात मे मुझे बहुत उत्तेजना मह्सूस हो रही थी और निद नही आ रही थी तो इसिलिए मै हाल मे आकर बैठ गया था ।
फिर थोड़ा हाल मे टहला और अपने कमरे मे जाने को हुआ तो मेरी नजर तेरे मम्मी -पापा के कमरे के खुले दरवाजे पर गयी ।

मुझे लगा कि वो लोग अभी जाग रहे होगे तो चलो थोडा बात कर लू फिर सो जाऊंगा
मगर मै दरवाजे पर जाकर कुछ बोलता , उससे पहले ही मुझे कमरे मे तेरे मम्मी पापा सम्भोग करते हुए दिखे , शायद वो लोग गलती से दरवाजा बंद करना भूल गये थे ।

मै ह्स कर - ओह्ह कोई बात नही नाना ,इसमे आपकी कोई गलती नही है ,,मैने भी कभी कभी गलती से देख लिया है मम्मी पापा को वो सब करते हुए ।

नाना ह्स कर - तू बहुत नटखट है और भोला है रे ,, तू तो देख कर निकल गया होगा ना ,,,मगर मै वही रुक गया था और मुझे उत्तेजना होने लगी थी ।

मै हस कर - मतलब सुबह मे मम्मी ने जो दाग पर पोछा मारा , वो आपने किया था ह्हिहिहिही

नाना चुप रहे ।
मै - फिर आगे
नाना - उसके बाद मुझे रात भर अच्छे से नीद नही आई थी और आज सुबह मे छत पर फिर से तेरी मम्मी को गलत कपड़ो मे देख लिया था


मै - ओह्ह्ह ,,,कोई बात नही , मै ये सब मम्मी को नही बताऊंगा ,,,वैसे भी रात मे खुला देख लिया तो खैर सुबह कपडे मे थी वो हिहिही

नाना मुस्कुरा कर - तू बहुत बदमाश है ,,,
मै - आपसे कम
नाना हस कर - क्यू
मै हस कर - मै थोडी दूसरो की मा को देख कर वो सब मह्सूस करता हू हिहिहीही

हम दोनो हसे और फिर घर के लिए निकल गये
घर पहुच कर पता चला कि मा , गीता बबिता को लिवा कर दुकान गयी है और वही से अनुज उनको घुमाने ले जायेगा ।

फिर सोनल ने हमे पानी दिया और नाना आराम करने के लिये गेस्टरूम मे गये और मै भी मा के पास निकल गया ।
दुकान पहुच कर देखा तो मा ब्यस्त थी । मैने भी उनकी मदद की और फिर हम खाली हुए ।
मैने मा को आज के अनुभव के बारे मे बताया और ये भी कि नाना ने कल रात वाली बात कबूल ली ।

मा हस कर - तू बड़ा जिगरी हो रहा है बाऊजी का ,,तुझसे कुछ नही छिपा रहे है कुछ


मै हस कर - अब उनकी दुलारी बेटी का दुलारा बेटा हू तो हिहिहिही,, वैसे आपने बताया नही सुबह वाला

मा शर्मा कर - धत्त , पागल बता दूँगी जल्दी है क्या
मै - हा, तभी ना आगे का प्लान बनेगा
मा शर्मायी और बोली - मैने तो वही किया जैसा तू बोला था ,,

मै - हा देखा मैने आपके कपड़े ठीक थे लेकिन और क्या हुआ कैसे हुआ ये तो बताओ

मा हस कर - वो जब बाऊजी आये तो कपडे धुल रही थी बाथरूम के दरवाजे पर बैठ कर

बाऊजी पीछे से - अभी तू नहायी नही क्या बेटी

मै बाऊजी की आवाज सुन कर चौकी और थोडा शरम आई और फटाक से उन्के सामने खड़ी हो गयी । उनकी नजरे मेरे पेतिकोट मे कसे हुए चुचो पर थी और फिर निचे खुली जांघो पर

रागिनी - हा बाऊजी ये कपडे धुलने थे और निचे पानी नही आ रहा था

बाऊजी मुह इधर उधर फेर रहे थे लेकिन नजर उनकी मेरे कड़े हुए निप्प्ल पर थी ।
बाऊजी - हा राज ने बताया मुझे ,,वो दरअसल मुझे अपने काम के लिए निकलना था तो सोचा नहा लू

रागिनी हस कर - अरे तो आईये नहा लिजिए ना बाऊजी
बाऊजी - हा लेकिन तू ऐसे कब तक
रागिनी शर्मा कर - अब छोडिए वो सब आप आईये
फिर बाऊजी ने अपने कपडे निकाल के जान्घिये मे बाथरूम मे आए और मैने सारे कपडे समेट कर वही खड़ी हो गयी ।
बाऊजी ने पानी डाल कर नहाना शुरू किया और जांघिया भीगा तो उनका वो साफ साफ पता चल रहा था
बाऊजी नहाते समय थोडा झिझक कर रहे थे ,,, मतलब जन्घिये मे हाथ डालने मे और जब पीठ पर साबुन लगाने मे दिक्कत हुई तो

रागिनी - रुकिये बाऊजी ,,मुझे दिजिए साबुन
मैने उनसे साबुन लिया और उनकी पीठ और गरदन कमर तक अच्छे से साफ किया और फिर पानी से धुला भी ।

रागिनी ह्स कर - बाऊजी गर्मी का मौसम है अच्छे से सब जगह साबुन लगा लिजीये

बाऊजी थोडा मुस्कुराए और वही मेरी तरफ पीठ कर जान्घिये मे हाथ डाल कर अच्छे से साबुन लगाया और फिर नहा लिये ।

फिर जब जांघिया बदलने की बारी आई तो मैने उन्हे तौलिया दिया ,,,और मेरी नजर उनके खडे लण्ड पर गयी । उन्होंने ने भी मुझे देखा की मेरी नजर कहा है ।

फिर वो वही खडे हुए अपनी जांघिया को तौलिये की ओट मे निचे सरका दिये और तौलिया लपेट कर जान्घिया धुलने को हुए

रागिनी - अरे बाऊजी रहने दीजिये ,मै सब धुल दूँगी
बाऊजी - नही बेटा तू नही
रागिनी लपक उनके हाथ से जांघिया लेने गयी
वो अपनी ओर खिचे और इसी खीचा तानी मे मेरा हाथ उनके तौलिये को लगा और वो खुल कर निचे आगया और उनका काला मुसल कड़ा और झूलता हुआ मेरे सामने और सख्त हुआ जा रहा था ।

मै तुरन्त खड़ी हुई और मुह फेर ली - माफ करना बाऊजी

बाऊजी बिना कुछ बोले तौलिया लपेट लिये और हस कर बोले - तू अभी भी बचपन के जैसे ही जिद्दी है ,, ले पकड

मुझे शर्म आ रही थी और मै घूम कर बोली - जिद तो आप भी कर रहे थे बाऊजी

मैने उनके हाथ से जांघिया लिया और बालटी मे डालने जा रही थी कि
बाऊजी - अरे नही उसको उसमे मत डाल,,वो कुछ दाग

मैने फटाक से जांघिये को फैलाया तो एक तरफ थोडे वीर्य से धब्बे थे
बाऊजी - इसिलिए मै मना कर रहा था

रागिनी शर्मा कर - ठीक है मै इसको अलग धुल दूँगी

मै - फिर आगे
मा - फिर क्या उसके बाद वो बाहर चले गये और फिर कुछ ही देर मे तू आ गया था
मै - हम्म्म
मै थोडी देर मा से उसी बाथरूम के सीन को लेके कुछ बातें दुहरवाई और फिर आगे का प्लान उन्हे बताया ,,, क्योकि कल के वादे के मुताबिक आज रात मे गीता और बबिता , अनुज के साथ सोने वाली थी ।

जारी रहेगी
Mast update dost
 
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