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अध्याय 02 का नया भाग अपडेट 015
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Bahut bahut dhanywaad bhaiFantastic update
लगता है नानाजी और मां के बीच कुछ कांड हो गया है बबीता की तो दमदार चूदाई हो गई गीता रह गई अब गीता की भी चूदाई करवा दो
Thnxxx bhaiNice update
Superb lagta hai nana ne morcha mar liyaUPDATE 97
सब लोग अपने अपने कमरो मे गये और मै भी गीता बबिता के साथ अपने कमरे मे गया ।
कमरे मे जाते ही मै बिस्तर पर लेट कर - अह्ह्ह बहुत तेज नीद आ रही है ,,,,मीठी जरा लाईट बंद कर देना
गीता और बबिता का मुह उतर गया और मै अपने होठ दबाए मन ही मन हस रहा था ।
गीता ने कुछ पहल नही कि और लाईट बुझा कर मेरे बायें तरफ लेट गयी और मेरे दाई तरफ बबिता लेट गयी।
मै झूठ मूठ की उबासी लेता हुआ बोला - मीठी गुड़िया सो जाओ ,
बबिता मेरे तरफ करवट लेके मेरे कन्धे पर अपनी नाखून से मेरे टीशर्ट को स्क्रेच करते हुए - भैया आप बोले थे ना रात मे
मै जान बुझ कर खराते भरने लगा ,,,
गीता - अरे भैया तो सो गये
बबिता - हम्म्म्म तो अब
गीता - थक गये होगे भैया ,,,कितना काम करते है वो
बबिता उदास होकर - हम्म्म
इधर मुझे हसी आ रही थी और मैने धीरे से कमरे के अन्धेरे मे ही हाथ निचे ले जाकर अपना टनटनाया हुआ लण्ड लोवर से बाहर निकाला और गीता की ओर करवट लेके उसको पकड कर सोने लगा ।
गीता को जब उसकी जांघो मे मेरे खडे लण्ड का आभास हुआ तो वो अपना बाया हाथ निचे ले गयी और लण्ड को छुते ही गनगना गयी
और फिर मेरे बालो मे हाथ फेर कर मुझे थप्की देते हुए बोली - हा सो जाओ मेरे राजा भैया
और वापस से हाथ निचे ले जा कर मेरे लण्ड को मुठ्ठि मे कस ली । तो मै भी थोडा गरदन बढा कर उसके लिप्स चुस्कर वापस सोने लगा ।
वो खिलखिलाई और मेरे सर को चुमा और वापस से मुथियाना शुरु कर दिया ।
मैने भी अपना हाथ गीता के टीशर्ट मे घुसा कर उसके पेट पर घुमाने लगा
जिस्से गीता खिलखिला रही
बबिता - क्या हुआ तू हस क्यू रही है
गीता ह्स्ते हुए - भैया गुदगुदी कर रहे है ना
बबिता चहक कर - क्या भैया आप जग रहे हो
मै कुछ नही बोला और चुपचाप अपना हाथ गीता की गाड़ तरफ ले जाकर उसके कूल्हो को सहलाते हुए उसके होठ चुससे लगा
गीता भी मेरे होठ पाते ही लण्ड पर पकड ढीली कर और पुरे जोश मे मेरे होठ चुस्ने लगी और मै भी गीता की जांघ पकड कर अपनी तरफ खिचते हुए उसके जांघो और गाड के पाटो को सहलाने लगा ।
इधर बबिता बेताब होने लगी थी जो उठ कर मेरे कन्धे पकड कर मुझे झकझोर रही थी
बबिता - भैया बोलो ना ,,जगे हो क्या आप
बबिता को एहसास हो गया की मै और गीता चिपके है तो वो मुझे पीछे से पकड ली और मेरे टीशर्ट मे हाथ डाल कर मेरे निप्प्ल को छूने लगी जिससे मेरे लण्ड को और भी झटके आने लगे ।
बबिता बहुत तडप रही थी और मेरे निप्स अपनी ऊँगलीयो से खीचते हुए बोली - भैया मै भी तो हू यहा उम्मममं प्लीज ना
मुझे बबिता की बेताबी का अन्दाजा था ही लेकिन मै उसकी आग और भडकाना चाहता था
जहा एक ओर मै गीता से लिप्स चुसते हुए उसके लोवर मे हाथ डाल कर उसके मुलायम गाड़ को फैलाने मे लगा था
वही बबिता मेरे निप्स नोचते हुए मेरे कान काटती मेरे गरदन पर अपने चेहरे को घिस्ती
जिसका सारा भड़ास मै गीता की गाड के पाटो को मसल कर मै निकाल देता
लेकिन अब बबिता की बेताबी ज्यादा हो गयी थी तो
मै फटाक से गीता को छोड कर बबित की ओर घुमा और उसे अपने से चिपका कर उसके छोटे छोटे चुतड़ को पकड कर उसकी जांघो को खोलकर उसमे अपना लण्ड उसकी चुत के निचे भिड़ा दिया
जिससे बबिता कसमसा कर रह गयी और सिस्क उठी
मैने उसके लोवर से उपर से ही उसकी चुत पर अपना लण्ड रगड़ा और उसकी टीशर्ट मे हाथ डाल कर उसकी गोल हो चुकी चुचियॉ को मसल दिया ।
बबिता - दर्द और मजे से कराह उठी
मैने फटाक से उसका टीशर्ट और टेप उपर किया और उसकी गोल मतोल हो चुची नुकीली चुची को मुह मे भर लिया
बबिता मेरे सर को सहलाते हुए -अह्ह्ह भैया अराम से उम्म्ंम्ं मम्मी अह्ह्ह
इधर गीता भी पीछे कैसे रहती वो फटाफट अपनी टीशर्ट टेप और ब्रा निकाल दी और मुझसे पीछे से लिपट गयी । वो अपनी 32c की चुचियॉ को मेरे पीठ पर दबाते हुए अपना हाथ आगे कर मेरे लण्ड को पकड ली जो इस समय बबिता की जांघो और चुत के बीच घिस रहा था ।
मैने एक एक करके बबिता के टीशर्ट और टेप निकाले ,,,हालकी उसकी चुचिया गदराई गीता से छोटी थी तो वो ब्रा नही पहनी थी ।
लेकिन गजब की कडक और नुकीली निप्पल
मैने उसके गुलाबी निप्प्ल को वापस मुह मे भरा और चूसना शुरु कर दिया ।
वही गीता निचे जाकर मेरे लण्ड को बबिता की जांघो से खिच कर अपने मुह मे भर चुकी थी ।
बबिता कसम्सा कर - आह्ह भइया अच्छे से चुसो ना उम्म्ंम
मै - ये तो सच मे पहले से बड़े हो गये हो गुड़िया
बबिता शर्मा गयी
मैने उसके चुतडो पर हाथ फेरा और उसके होठ चुसने लगा
वही गीता मेरे लण्ड को बड़े हौले से चुब्ला रही थी ।
उसके छोटे से मुह मे मेरा लण्ड बडी मुस्किल से घुसा था और उसके दाँत की गडन मह्सुस हो रही थी ।
लेकिन उसके मुलायम होथ जब मेरे सुपाड़े को छुते तो मेरे जिस्म मे खुन की गरमी तेज हो जाती थी
थोडी देर बाद
मैने हाथ देके उसका हाथ पकड़ा और अपनी ओर खीचा तो वो समझ गयी और मेरे सीने पर आ गयी
मैने बबिता को छोड के गीता को निचे पलत दिया और उसके मोटे चुचो को पकड के मसलते हुए उस्के निप्प्ल काटने लगा
गीता छ्टपटाने लगी तो मै उसके जांघो को खोल कर जगह बनाते हुए उसके उपर चढ़ कर उसकी चुचियो को चूसना शुरु कर दिया
उसके मुलायम भूरे मटर के दाने जितने निप्प्ल को जीभ से फ्लिक करने लगा ,,,वो कसमसाने लगी
गिता - ओहहह भैया और चुसो ममंंम्म्ं ,,बहुत मजा आ रहा है आज
मै उसकी दोनो चुचियॉ को जोड कर आपस मे दबा दिया जिससे उसके निप्प्ल फुल कर और भी कड़े हो गये थे । मैने लाल होते चुचियॉ के निप्प्ल के घेरे मे अपनी जीभ फिराई और अपने होठो से उसके कड़े निप्प्ल को समूच किया तो वो पागल सी होने लगी और छ्टपटा कर अपनी गाड पटकने लगी
वही बबिता बगल मे लेती गीता की आहो को सुन कर अपना सारा कपडा निकाल कर लेते हुए अपनी जान्घे खोल्कर चुत की रगड़ रही थी और मुझे आवाज दे रही थी
बबिता सिस्क्ते हुए - आह्ह भइया डाल दो ना प्लीज
मै बारी बारी से गीता की एक एज चुची को मुह मे भर कर चुसता हू कि तभी फिर से बबिता तड़प कर गुहार लगाती है
मैं गीता की एक चुची मुह मे लिये अपने बाये हाथ से बबिता के बदन को टटोलते हुए उसके चुत के हल्के झान्टो वाले हिस्से तक हाथ गया था कि बबिता और उपर सरक कर मेरा हाथ पकड के अपने चुत पर रख कर रगड़वाने लगती है ।
मैने उसकी पिचपिचाती चुत को थोडा सहला कर एक उगली बबिता की चुत मे घुसा देता हू ,,जिससे वो पागल सी होने लगती है और जल्दी जल्दी अपना कमर उचकाने लगती है
बबिता तडप कर - ओह्ह भैया वो डालो ना उम्म्ंम्ं अह्ह्ह
मै गीता की चुचियॉ से मुह हटा कर - क्या गुड़िया
बबिता सिस्क कर - आपका लण्ड भैया अह्ह्ह उह्ह्ह उम्म्ंम्
मै एक पल को सकपकाया और सोचा क्या ये सही रहेगा लेकिन बबिता की तडप देख कर पुरा मन हो रहा था कि उसकी कुवारी चुत मार लू मै
मै भी सोचा अब जो होगा देखा जायेगा और मैने गीता को छोड कर अपने कपडे उतारे और बबिता की जांघो को खोल कर उसके झान्टो के रोए से सजी चुत मे मुह लगा दिया
वो और ही तडप उठी और मेर सर को दबाने लगी
मैने भी उससे संतरे के फान्के जैसे चुत के फलको को खुब चुबलाया और जब देखा की बाबिता बार बार लण्ड के पागल हो रही है तो
मैने देर ना करे हुए अपने घुटने के बल आया और लण्ड को बाबिता की कोरी चुत के होठो को खोल कर छेद पर लगाया और एक बार बोला - गुदिया तैयार हो
मेरे बात खतम होने से पहले ही बबिता ने मेरे कमर मे हाथ डाला और अपनी गाड को ह्च्का कर उपर किया और मेरा सुपाडा एक बार मे ही गचाक से उसकी चुत मे धंस गया और वो दर्द से तडप उठी
मैने उसे थपथपाया तो
बबिता - ओह्ह भैया रुक क्यू गये डालो ना और उम्म्ंम प्लीज
मुझे उसकी हिम्मत पर ताज्जुब हुआ कि इससे ब्ड़ी उम्र की तीन लड़कीयो को मैने पेला तो उनकी गाड फट गयी और ये खुद से माग रही है
मै भी उसके होठ से होठ जोड़े और एक और करारा धक्का मारा लण्ड जड़ तक चला गया
वो मेरे दर्द से कराह उठी और मैने धिरे धीरे धक्के जारी रखे
बबिता मुझसे अलग होकर एक गहरी सास ली और हाफते हुए ह्स्तेहुए बोली - आई लव यू भैया ,,, अब क्यू रुके हो करो ना
मै उसको हस्ता देख वापस से एक और करारा धक्का पेला और उसके चुत ने मेरे लण्ड लो जगह देदी और फिर मैने उसके कंधो को थामे उससे लिपटे हुए ताबड़तोड़ पेलना शुरु किया
मुझे बबिता की हरकतों से ताजुब हो रहा था कि उसे अभी इतना मजा आ रहा है तो आगे कितना
इधर गीता पूरी तरह से गरमा गयी थी और बेड पर बैठ कर अपनी जान्घे खोले गचागच चुत में ऊँगली पेल रही थी
मुझे गीता का ख्याल आते ही मैने बबिता के उपर से उठा और निचे लेट गया
मै - आओ गुड़िया उपर मेरे
बबिता - कहा गये भैया कुछ दिख नही रहा है
मै खड़ा हुआ और कमरे की बत्ती जला दी और देखा की मेरी दोनो बहने एकदम चुदासी ही हो गयी है
मैं वापस फटाक से लेट गया और बबिता को लण्ड पर बैथने का इशारा किया तो गीता मुह बिच्का ली
मैने उसे अपनी तरफ खीचा और अपनी जीभ बाहर निकाल दी
गिता चहक उथी और फौरन मेरे मुह मे पर अपनी गाड को टिका कर जीभ को अपन चुत पर रगड़ाने लगी
वही बबिता एक फीर से अपनी कसी चुत मे मेरा लण्ड भर चुकी थी
इधर मै गीता के भारी गुलगुले चुतड के पाटो को थामे उसकी चूत को चुब्ला रहा था और जीभ को उसकी चुत मे घुमा रहा था ।
गीता बहुत ज्यादा छ्टक रही थी वही बबिता एक बार झडने के बाद भी नही रुकी थी और लगातार अपनी चुत से मेरा लण्ड निचोड रही थी ।
गीता ने भी अपनी जांघो मे मेरे सर को दबोच लिया था और अपनी चुत मेरे नथनो और होठो पर रगड़े जा रही थी और फिर एक दर्द भरी कराह से साथ तेजी से अपनी जांघो मे मेरे सर को दबोच कर झड़ने लगी ।
उसके शांत होही मैने उसे अपन उपर से हटने का इशारा किया और गहरी सांस ली ।।।
मेरा पुरा मुह गीता के माल से चखट गया था
मैने उसकी चुत के पानी को साफ कर बबिता को अपनी ओर खीचा और निचे से खुद जोर जोर से धक्के लगाने लगा
बाबिता मेरे नाम लेके सिस्कने लगी और उसकी सिस्कियो मे भी वाईब्रेशन आ गया था क्योकि मै झडने के करीब था और काफी तेज धक्के उसकी चुत मे लगये जा रहा था ।
एक पल आया और मैने रुका और फटाक से बबिता की उतार कर निचे किया और जल्द से उसके मुह पर लण्ड हिलाने लगा और भलभला कर उसके उपर झडने लगा
सारा माल निकाल कर मै हाफने लगा वही बबिता हसते हुए मेरे माल को चाट रही थी और तभी गीता उठ कर आई और मुझे धक्का देके लिटा दिया और लण्ड को मुह मे गपुच कर लिया
मुझे थोडी हसी आई और फिर वो दोनो मुझसे लिपट गयी ।
मै ह्स्ते हुए - क्यू मीठी मजा आया
गीता मुझे कस्ते हुए- हा भैया बहुत
बबिता भी मुझसे चिपक कर - मुझे भी भैया
मै हस कर- फटाफट कपडे पहनलो और बाकी मस्ती कल
वो दोनो खिलखिला कर हसी और हा बोली ।
फिर उन्होने अपने कपडे पहने और मै भी बनियान अंडरवियर पहन लिया ।
एक बार मैने मोबाईल खोला तो देखा अभी तो 10 भी नही बजे थे , यानी मैने अभी सिर्फ 40 मिंट मे ही ये सब खतम कर दिया था ।
मैने मोबाईल चेक किया तो सरोजा ने व्हाटसअप पर कुछ अच्छी तस्वीरे भेजी थी ,,आज वो किसी पार्टी मे गयी थी ।
इधर ये दोनो थक कर थोडी ही देर मे खर्राटे लेने लगी और मुझे भी थकान होने लगी थी तो मै भी सो गया ।
सुबह करीब 6 बजे मेरी नीद खुली तो देखा की दोनो अभी तक मुझसे चिपकी हुई सो रही थी । मै उठा और उबासी लेते हुए फ्रेश होने गया ।
फ्रेश होकर बाहर आया तो देखा ,, मा एक ढीली मैकसी पहने हाल और पूरी गैलरी मे पोछा मार रही है । लेकिन बैठने के कारण उनकी गाड मैक्सि मे फैल कर कस गयी थी ।
और वही हाल मे सोफे पर नाना जी बैठे हुए मा के गाड को निहार रहे थे ।
मै बडे आराम से चल कर नाना के पास गया और मा को बोला - क्या मा आज पोछा क्यू
मा मेरी ओर देखती है तो नाना फौरन नजर फेर लेते है
मा - वो बेटा ये मेरे कमरे के बाहर कुछ चिपचिपा सा दाग था और गरमी से हाल मे भी चिपचिप सी थी तो मैने सोचा पुरा पोछा ही मार दू
मै मा के जवाब से संतुष्ट हुआ और कुछ सोच कर मुस्कुरा दिया ।
मै नाना से - और नाना जी आप आराम से सोये ना
नाना - हा बेटा बस यहा गरमी ज्यादा होती है गाव के मुकाबले
मै थोडा हस कर - फिर चले टहलने
नाना मा को पोछा लगाते देख बेमन से - नही नही बेटा आज इच्छा नही है ।
फिर मा पोछा लगाते हुए हमारे तरफ आई और अब उसकी ढीली मैक्सि से उसकी घाटिया दिखने लगी थी ।
मा - राज जरा पैर उपर कर बेटा
मै फटाक से पैर उठाए और मा ने निचे पोछा मारा और थोडा आगे नाना के सामने आ गयी और इस वक़्त मा की ढीली मैक्सि से निप्प्ल के काले घेरे तक मै और नाना देख पा रहे थे ।
मा नजारे उठा कर नाना को अपनी चूचिया घुरते देख - बाऊजी आप भी उपर करो ना पैर
नाना ब्ड़ी मुस्किल मे आ गये क्योकि मा की कसी जवानी ताड़ कर उनका लण्ड बौरा गया था और उसे एडजेस्ट करते भी कैसे
बडी मुश्किल से उनहोने अपने झुलाते आड़ो सहित लण्ड को थाम कर पैर बतोरे और मा ने निचे पोछा मारा और फिर बालटी लेके पीछे वाशिंग एरिया मे चली गयी ।
नाना ने एक गहरि सांस ली ।
मै नाना से - नाना मै मा को कुछ कपडे देके आता हू धुलने के लिए
नाना ने हा मे सर हिलाया और मै अपने कमरे मे गया और फिर कुछ कपडे लेके पीछे वाशिन्ग एरिया मे गया जहा मा पोछा वाला कपडा धुल रही थी ।
मैने एक नजर गैलरी मे मारा और मा को पीछे से हग करते हुए - ओहो मा आज क्या बात है पोछे के बहाने नाना को अपनी इन घाटियो का दिदार करा दिया
मैने उनकी चुचियॉ को उपर से ही मसला
मा हस कर - धत्त पोछा कोई बहाना थोडी था , वो सच मे मेरे दरवाजे के बाहर चिपचिपा सा दाग था ।
मै मा को सामने लाकर - मतलब आपने सच मे रात मे दरवाजा खुला रखा था
मा शर्मा कर मुस्कुराते हुए हा मे सर हिलाई
मै हस कर - मतलब मेरा प्लान काम कर गया
मा हस कर - रात मे जिस तरह से घुर रहे थे मुझे ,, मुझे तभी समझ आ गया था कि बाऊजी एक बार रात मे मेरे कमरे का चक्कर जरुर लगाएंगे और तुने कहा था कि दरवाजा थोडा भिडका कर रखना तो मैने वैसे ही किया
मै हसते हुए मा के होठ चूम कर -- तो आपको पता चला था, नाना जब आये थे झाँकने
मा शर्मा कर हा मे इशारा की और बोली - उस समय मै तेरे पापा के उपर थी और तेरे कहने के हिसाब से ही मैने अपना चेहरा दरवाजा की ओर रखा था हर पोजिसन मे वो करते हुए
मै मा को खुशी से हग करते हुए उन्के गाल चूम लेता हू - अरे वाह मा ,, आई लव यू उम्म्म्म्म्म्माआआआह्ह
मा इतरा कर - अब छोड मुझे ,, पता नही क्या क्या करवाएगा मुझसे ,,
मै भी तुनक कर - सब आपके लिए ही तो कर रहा हू फिर भी हुउउह
मा थोडी शर्म और मुस्करा कर मेरे गाल सहलाए और बोली - क्यू तुझे मजा नही आ रहा है क्या जैसे
मै खुशी से हा मे सर हिलाकर - बहुत ज्यादा हिहिह्हिह
मै मा से - पापा को तो नही ना बतायी
मा हस कर मुझसे अलग हुई और वाशिंग मशीन मे कपड़े डालते हुए बोली - हिहिही नही पागल हू क्या ,,, वो तो परेसान हो गये थे रात मे की मै हर बार दरवाजे की ओर मुह क्यू की हू
मै ह्स कर - फिर
मा - फिर क्या ,,,उन्हे तो दो गंदी बाते बोल दो वो सब भूल जाते है हिहिही
मै मुस्कुरा कर - वैसे आप भी कम शातिर नही हो
मा हस कर - मा हू तेरी ,,तेरे कम कैसे रहूँगी हिहिही
मै वापस मा को हग कर लिया और फिर उनको अगला प्लान समझा कर बाहर आ गया ।
थोडी देर मे मा भी बाहर आई और सोनल के साथ किचन के काम मे लग गयी ।
इधर पापा और अनुज तैयार हो लिये लेकिन मैने अपनी योजना के अनुसार नही नहाया और नाना भी लेट नहाते थे ।
थोडी देर मे सबका नासता लगा
पापा - अरे राज तू अभी तैयार नही हुआ,,दुकान नही जाना है क्या
मै - नही पापा ,,आज मै नाना जी के साथ जाने वाला हू बाहर
नाना - हा बाबू ,,अगर तुमको कोई तकलीफ ना हो तो
पापा हस कर - अरे बाऊजी ,,ये आपका ही नाती है ,,इसमे पूछने जैसा क्या है
फिर हम सब ने नासता किया और फिर पापा और अनुज दुकान गये ।
सोनल भी गीता बबिता को अपने साथ सिलाई सेंटर लिवा के गयी ।
अब बचे मै नाना और मा
मै किचन मे गया और मा को बोल दिया की प्लान शुरु किया जाय ।
मा मुस्कुरा कर हा मे सर हिलाई और मै वापस हाल मे आ गया ।
थोडी देर बाद
मा ने खाना तैयार कर 9 बजे तक ढेर सारे कपडे लेके सबसे उपर की छत पर गयी और मै उन्के साथ गया ।
मैने उपर की टंकी से निचे का जाने वाली पाइप का पानी बंद कर दिया और मा सारे कपडे लेके बैठ गयी उपर धुलने ।
और फिर मै प्लान के मुताबिक निचे आया तो देखा नाना सोफे पर बैठे हुए झपकी ले रहे थे ।
मै - नाना जी आप मेरे कमरे मे आराम करिये और आपको फ्रेश होना होगा तो उपर छत पर चले जायियेगा
नाना अचरज से - क्या हुआ बेटा
मै उखड़ कर - वो निचे आने वाली पानी का पाइप मे कुछ दिक्कत है इसिलिए
नाना दीवाल की खड़ी मे समय देख कर - अरे अभी एक घन्टे बाद तो हमे निकलना है काम के लिए ,, तो ऐसा करता हू मै उपर जाकर नहा लेता हू
मै - हा ठीक है नाना जी आप उपर जाईये , मुझे कुछ समान लाना है ,,फिर मै भी नहा लूंगा
नाना - हा ठीक है बेटा
फिर मै किचन मे जाता हू एक झोला लेता हू और कुछ पैसे लेके किराने की दुकान पर चला जाता हू ।
थोडी देर बाद मै घर मे आता हू तो निचे पुरा सन्नाटा होता है ।
मेरे चेहरे पे एक मुस्कान आ जाती है और मै किचन मे झोला रख कर उसमे से सरफ की एक बडी पैकेट और अपना तैलीया लेके उपर चल देता हू
उपर की मजिल की सीढी चढ़ते हुए मुझे बहुत जोर की धकधक हो रही थी कि उपर क्या हो रहा होगा ,,क्या सीन चल रहा होगा ।
क्योकि मुझे घर से निकले करीब 30 मिंट से ज्यादा हो गये थे ।
मै उपर गया और जैसे ही छत पर देखा तो नाना नहा चुके थे और अपनी धोती बान्ध रहे थे ।
मै बाथरूम की ओर जाकर - अरे नहा लिये क्या नाना जी,,,और मा कहा है
तभी मा बाथरूम से बाहर आई जो इस समय एक पेतिकोट मे थी ।उसने पेतिकोट को अपनी छातियो पर कस कर बान्धा हुआ था और उसकी घुटनो से थोडी उपर की नंगी जान्घे तक दिख रही थी
मा - कहा रह गया था ,,बोली थी ना जल्दी आना
मै मा को सरफ का पाकिट थमाते हुए आंख मारा और इशारे से पुछा क्या हुआ अभी
मा हसी और शर्मा कर गरदन हिला कर बाथरूम मे चली गयी
नाना अब तक अपने कपडे पहन चुके थे - राज बेटा चल निचे चलते है
मै थोडा मुह बना कर - आप चलो नाना मै जरा फ्रेश हो लू ,,पेट कुछ सही नही है
नाना ह्स के - अच्छा ठीक है जल्दी आ ,, और तू भी नहा ले चलना है मेरे साथ
मै हस कर - हा नाना जी अभी नहा कर आता हू आप चलिये निचे ।
नाना जी फिर निचे चले गये और मै उनके जाते ही बाथरूम के सामने मा के पास चला गया ।
जारी रहेगी
Raj ne to vimla ko apne bete se hi pelva diya....UPDATE 68
MEGA
अगली सुबह विमला ने मुझे उठाया और कपडे पहनने को बोले । अभी सुबह के 5:30 बजे थे
तो मै उठा और कपडे पहन कर बाहर आया तो कोमल अपने कमरे से बाहर निकल रही थी और वो बाथरूम की तरफ जा रही थी
मै - गुड मोरनिंग कोमल
कोमल बडे बेतुके ढंग से - हा गुड मॉर्निंग हुउह्ह
मुझे बहुत अजीब लगा कि इसे क्या हुआ कही रात मे मै विमला के साथ सोया था उसका गुस्सा तो नही है ना
मै मुस्कुरा कर कोमल के पीछे चल दिया और पीछे आगन मे जाकर उसको पकड लिया और वो मेरे बाहो ने छटपटाने लगी
मै उसके चेहरे को पकड कर एक जोर का लिप किस्स किया और बोला - ये सुबह सुबह किस बात के नखरे भई
कोमल इतरा कर मुह फेरते हुए - कल क्यू नही आये मेरे पास , और कमरे मे भी नही थे , वो तो मैने ध्यान दिया कि मनोज है नही तो गडबड हो जाती
मै मुस्कुरा कर - क्या गडबड़ हो जाती
कोमल शर्मा कर - वो मै रात के 11 ब्जे तक गयी थी तो मुझे लगा तुम सो गये हो तो तुम्हे जगाने के लिए सोचा लेकिन तभी मुझे मनोज का चेहरा दिख गया और मै बाल बाल बच गयी
मै उसे छेड़ने के अंदाज मे - मनोज का चेहरा ही बस देखा या और भी कुछ
कोमल शर्मा कर - तूम वो बताओ जो मैने पूछा है , बाकी सब छोडो
मै ह्स्ते हुए - सॉरी कोमल वो आज मौसी को कोर्ट लेके जाना है ना सारे काम खतम होने को है इसिलिए वही उनसे बाते करते हुए वही सो गया
कोमल - ठीक है कोई बात नही, लेकिन आज रात मत दुर रहना मुझ्से। ठीक है
मै कोमल के गालो को चूम कर - ठीक है मेरी गुलाबो हिहिही
फिर मै कोमल को छोड कर वापस मनोज को जगाने आ गया
दरवाजा पहले ही खुला हुआ था और मनोज अपने लण्ड के उभार पर हाथ रखे सो रहा था ।
फिर मैने उसे जगाया और हम दोनों कल की तरह आज भी निकल गए टहलने लेकिन आज हम 6 बजे पहले ही निकले थे तो आज कल से ज्यादा औरते दिखी और सबसे नयी शादीशुदा औरते दिखी जो साडीयो मे थी ।
मुझे इनसब से अलग सरोजा ठाकुर का इन्तजार था ।
और तभी मुझे एक परफ्युम की खुशबू आई और मेरे पीछे से सरोजा जी जोगिंग करती हूई, मेरे बगल से आगे निकली
आज तो वो कल से ज्यादा खुबसूरत दिख रही थी और मै तो उनकी उभरी जवानी को आन्खो से ओझल नही होने देना चाहता था और उनके पीछे पीछे उनके मोटे मोटे झोल मारते चुतड के पाटो को देखते हुए जोग्गिंग सुरु कर दिया और मनोज भी मेरा साथ देने आ गया
मनोज मेरी मनोभावनाये और सरोजा के प्रति दीवानगी को बखूबी समझ रहा था
मनोज - भैया क्या बात है आज दौड़ रहे हैं
मै - हा अब सोच रहा हूँ कि जब आया तो थोडी बहुत कसरत दौड़ कर ही ले क्यू
आगे जाकर सरोजा जी एक जगह रुकी और अपनी सांसे थोडी बराबर की और वापस घूमने लगी और हमारी तरफ आने लगी तो उनकी नजर मुझ पर गयी और वही मै आंखे फाडे उन्के उछलते चुचे निहार रहा था ,, फिर जब उनसे नजर मिली तो वो एक मुस्कान देके सीधा चल दी ।
सरोजा की मुस्कान पाते ही मै जहा तक गया था वही से वापस सरोजा के पीछे घूम गया ।
मनोज मुझे सरोजा की तरफ जाते हुए देख कर मुस्कराया और मेरे साथ चल दिया ।
मै वापस से सरोजा के भारी चुतडो को निहारते जाने लगा और फिर एक समय आया कि वो हवेली के रास्ते पर मूड गयी और मै एक नजर देखा उनको और आगे निकल गया
मै और मनोज वापस घर आये और फिर मै और विमला 10 बजे तक तैयार होकर दुकान गये और फिर वही से तय गाड़ी से मै ,पापा, विमला और वकिल अंकल जिला कोर्ट गये और 2 बजे तक सारे कागजी काम खतम करा कर शाम 4 बजे तक हम सब वापस आ गये ।
रास्ते मे विमला ने पापा को महेश को माफ करने वाली बात बतायी तो पापा भी उनकी बात से सहमत हुए और विमला की उदारता के लिए उसकी तारिफ भी की साथ ही सतर्क रहने के लिए चेताया भी ।
शाम 4 बजे हम चमनपुरा वापस आये तो पापा ने विमला को घर चलने का आग्रह किया और फिर हमारी गाड़ी हमारे घर के लिए मुड गयी ।
घर पहुच कर हम सब दुकान के पीछे वाले कमरे मे एकठ्ठा हुए और मा ने वही नास्ता लेके आई
पापा - अरे रागिनी अब ये चाय नास्ता से काम नही चलेगा , अब तो पार्टी बनती है क्यू बहन जी
विम्ला मुस्कुरा के - हा जी बिल्कुल जब आप कहिये भाईसाहब
पापा - नही नही पार्टी तो हमारे तरफ से ही होगी वो भी हमारे नये वाले घर पर और अब तो होली को भी ज्यादा दिन नही बचे है हाहाहाहहा
मै खुश होकर - हा पापा क्यू ना इस बार की होली हम सब साथ मे नये घर पर मनाये
मा खुश होकर - हा जी मेरा भी मन यही कर रहा है
पापा - ठीक है फिर वही करते है सारा प्रोग्राम क्यू बहन जी ।
पापा विमला की तरफ हस्ते हुए उसकी रजामंदी लेने के लिए बोले लेकिन
विमला थोडी नाखुश सी दिखी तो पापा ने उसको पुछा
पापा - क्या हुआ बहन जी आप खुश नही है
विमला थोडा बनावती हस कर - अरे नही नही वो बात नही है
मा - फिर क्या बात है विमला अब तो सब ठीक है ना
विमला - हा रागिनी लेकिन मै कैसे होली खेल सकती हू मै तो
ये बोल कर विमला ने दुख से अपना सर झुका लिया
पापा - क्या बहन जी आप भी इतनी मोर्डन होकर पुराने ख्यालो मे जी रही है , माना की भाईसाहब हमारे बिच नही है अब लेकिन ये तो वो भी नही चाहेगे कि उनकी फैम्ली खुशिया ना मनाये ।
मा - हा विमला आजकल ये सब नोर्मल है और हम सब वहा अपने घर के लोग ही रहेंगे कोई बाहर का भी तो नही रहेगा ना
विमला अपने आसू पोछते हुए - ठीक है लेकिन
मा विमला के कन्धे को थामते हुए - लेकिन वेकिन छोड और जिंदगी के मज़े ले और उन मासूम बच्चों का सोच जो तुझे दुखी देख कर क्या कोई खुशिया मना पायेंगे
विमला मा के हाथ थामते हुए - नही रागिनी मै मेरे बच्चो की खुशियो पर अब और गम का साया नही आने दूँगी , अब से एक नयी विम्ला को जनमा पायेगी तू
मा ह्स्ते हुए - आ ले ले ले मेरी बच्ची आ दुधू दू तुझे हाहाहा बड़ी आई नया जन्म लेने वाली
फिर सारे लोग मा की बात से हसने लगे और विमला भी मा के सीने से लग कर आसू बहाते हुए ह्सती रही
फिर मै विम्ला को लिवा के उसके घर चल गया
जहा घर पर अनिता कोमल से बाते कर रही थी और हमे आते देख उठ कर दरवाजे तक आई
अनिता - आओ जीजी , कोमल बिटिया पानी ला अपनी मा के लिए
विमला के मन मे वैसे भी अनिता और महेश के लिए पहले ही कोई द्वेष नही था और वो कोमल को भी सुबह ही समझा चुकी थी ये सब
फिर हम हाल मे बैठे और कोमल ने हमे पानी दिया
कोमल - मा मै अपने सेंटर जा रही हू
विम्ला - ठीक है बेटा जाओ
फिर कोमल अपने सेंटर चली गयी ।
अनिता - और जीजी कहा गयी थी
विमला - बस वो थोडा बडे शहर गयी थी अपने दीदी से मिलने
अनिता थोडा भावुक होकर - अच्छा ,,और ये कौन है
मेरे तरफ इशारा करते हुए बोली
विमला मुस्कुरा कर - ये मेरी सहेली का बेटा है इसी की गाड़ी से तो गयी थी मै , वो बाजार मे रंगीलाल जी बर्तन वाले है ना ।
अनिता अंदाजा लगाने के भाव मे - अच्छा अच्छा
विमला - हा उन्ही का बेटा है
अनिता थोडा संकोच करते हुए - दीदी आपसे कुछ बात करनी थी
विमला निश्चिँत होकर - हा हा बोलो अनिता क्या बात
अनिता मुझे देख कर संकोच कर रही थी
विमला - अरे कोई बात नही ये घर का ही है तुम बता सकती हो
अनिता - दीदी क्या एक बार और नही सोच सकती है इस बारे मे
विमला - किस बारे मे
अनिता - इस घर को बेचने के बारे मे , उनकी तबियत ठीक नहीं है , आज भी दो बॉटल पानी चढा है । मै क्या करु जीजी मुझे समझ नही आ रहा है
अनिता बिलखते हुए बोली
विमला - अरे अनिता तुम ऐसे ,,,ओह्ह अब रोना बन्द करो सब ठीक हो जायेगा
अनिता बिलखते हुए - कैसे होगा जीजी मुझे समझ नही आ रहा है
विमला - तू चुप करेगी तो ना मै कुछ समझा सकती हू
अनिता - मतलब
विमला हस्ते हुए - अरे अनिता चिन्ता की कोई बात नही है मै ये घर नही बेच रही हू और वो कागज भी ठाकुर साहब से जल्द ही मुझे मिल जायेंगे , उसी सिल्सिले मे मै आज एसडीएम साहब से मिलने बडे शहर गयी थी ।
अनिता खुश होकर आसु पोछते हुए विम्ला के पैरो मे आ गई
विमला - अरे अरे अनिता ये क्या कर रही है तू उठ जा अब
और विमला ने उसे उठाकर बगल मे सोफे पर बिथाया लेकिन उठाते वक़्त अनिता के साडी का पल्लू उसकी छाती से हट गया और उसके खरबूजे जैसे चुचे जो बैगनी सूती ब्लाउज मे ठुसे हुए थे दिखने लगे ।
अनिता को भी अपने कपडो की फ़िकर नही थी वो तो बस विमला की दया की छाव मे गुम थी
विमला - तू हम सब एक परिवार ही है ना आज तक जो मेरे पर बीती है वो मै अपने दुश्मन पर ना बीते ऐसा सोचती हू
ऐसे ही विमला ने कुछ बनावटी बाते बोल के अनिता का मन शांत किया
अनिता आसू बहाते हुए विमला के आगे हाथ जोड़े - आपका पूरी जिन्दगी आभार रहेगा जीजी
मै जाती हू अभी उनको ये खबर देती हू
विमला उसका हाथ थाम कर - रुक मै भी चलती हूँ, चल राज बेटा तू भी आ
फिर हम तीनो कोमल के घर से निकल कर महेश के घर जाते है
जहा बरामादे मे एक तख्त पर महेश लेता हुआ था और छत की तरफ टकटकी लगाये निहार रहा था। महेश शारिरीक रूप से बहुत कमजोर दिख रहा था
अनिता तो घर मे घूसते ही अपनी साडी उठा कर महेश को आवाज देती हुई खुशी से भागी भागी उसके बिस्तर तक गयी
और महेश के बाजू के पास बैठ कर आसू बहाते हुए हस रही थी ।
महेश अनिता को रोता देख उठकर बैठ गया
महेश चिंतित भाव मे - क क क्या क्या हुआ अनिता तू रो रही है
अनिता अपने आसू पोछते हुए - मै रो नही रही ये तो खुशी के आसू है गुलशन के पापा
महेश अचरज से - मै कुछ समझा नही अनिता
अनिता मुस्कुरा कर हमारी तरफ इशारा करते हुए - देखीये जीजी आई है और उन्होने हमे माफ कर दिया है गुलशन के पापा
अनिता वापस से ह्सने लगती है लेकिन उसके आँखो से आसू झरने की तरह बहे ही जा रहे थे
महेश अनिता की बाते सुन कर एक आनन्द मे आ गया और अनिता अनिता बोलते बोल्ते वो भी रोने लगा
महेश अनिता के कन्धे पकड कर आसू बहाते हुए मुस्कुरा कर - तू तू सच कह रही है अनिता
अनिता मुस्करा कर आसू बहाते हा मे गरदन हिलाती है
तो महेश उम्मीद भरी नजरो से गिडगिदाते हुए विमला मे कदमो मे झुक जाता है
महेश - मुझे सजा दो भाभी , सजा दो ! मै अभागा रिश्तो के मायने समझ ना सका और आप ने सब कुछ सह कर भी मुझे माफ कर रही है
विम्ला अपने पाव पीछे करते हुए - अरे अरे देवर जी बस करिये जो हो गया सो हो गया , आप सब मेरे परिवार का हिस्सा ही तो है और आपको दुख पहुचा कर मै कैसे यहा से चली जाती
महेश अनिता दोनो हाथ जोड़े विमला के पैरो मे थे
विमला - अनिता उठाओ इनको और बिस्तर पर बिठाओ , अभी इनकी तबियत नही ठीक है
महेश अपने आसू पोछता हुआ खदा हुआ - नही भाभी मै अब ठीक हो जाऊगा ,,आपने मेरे सर से एक पाप का बोझ हल्का कर दिया है , अब मै ठीक हू , अब मै ठीक हू अब मै
ये बोल्ते बोल्ते महेश बेहोश होकर गिर पड़ा
महेश के बेहोश होने के बाद अनिता फूट फुट कर रोने लगी
फिर मैने मदद करके महेश को विस्तर पर लिटाया और हमारे फैमिली डॉक्टर दयाल को फोन लगा दिया ।
दयाल अंकल कुछ ही देर मे अनिता के यहा आये और फिर महेश को चेक कर एक इन्जेक्शन दिया और कुछ दवाईया दी और महेश को रेस्ट करने को कहा ।
इधर अनिता दयाल अंकल के फीस के लिये पैसे लेने घर मे गयी कि डॉ अंकल मुझसे मिले और निकल गये अपने क्लिनिक पर ।
अनिता - अरे डॉ साहब कहा गये
मै मुस्कुरा कर - वो चले गये आंटी
अनिता - अरे वो अपनी फीस नही ले गये बेटा
मै मुस्कुरा कर - अरे आंटी उसकी चिन्ता ना करिये वो हमारे फैमिली डॉ है वो पापा से हिसाब कर लेंगे
अनिता मुस्कुरा - शुक्रिया बेटा
विमला - देख अनिता अभी तू इनका ख्याल रख और कोई जरुरत हो तो बेहिचक मुझे बोल देना
अनिता आभार व्यक्त करते हुए- आपका उपकार कैसे चूकाऊ मै दीदी , आपने हमे बर्बाद होने से ब्चाया है
विमला मुस्कुरा कर - वो सब छोड और इनका ध्यान रख और ये सुरेश भाई नही दिखे
अनिता - वो भी नशे मे धुत होगे कही , अभी आकर इनको गालिया देंगे कि इन्होने उनको फसा कर उनको उन्के परिवार से दुर कर दिया और बर्बाद कर दिया
विमला - तू चिन्ता मत कर कल सुबह मै सुरेश से बात करती हू , आखिर उसे अपनी गलती समझ आ गयी न
अनिता - ठीक है जीजी मै कल बोलती हू देवर जी को
विमला - देख 8 बजने को है मुझे भी खाना बनाना है ,मै जाती है अब
फिर मै और विम्ला वापस कोमल के घर आ गये और रात के खाने मे कोमल ने स्पेशल खाना ब्नाया और खाने के बाद हम सब हाल मे बैठ कर आज की हुई घटनाओ पर बाते किये ।
मनोज और कोमल ने तो नयी नयी प्लानिंग भी की ।
फिर रात मे सोने की प्लानिंग हुई
मै - तो फिर आज कौन कहा सोयेगा मौसी
मनोज - अगर आपको दिक्कत न हो तो मै मा के साथ सो जाऊ भैया
मै हस कर एक नजर विमला की ओर देखा जो ना मे इशारे कर रही थी वही कोमल शर्म से निचे देख रही थी ।
मै - अच्छा ठीक है जा सो जा वैसे भी कल से मै घर पर रहूंगा
विमला - अरे कुछ दिन और नही रुक सकता
मै - अरे मै कौन सा बहूत दुर हू , आना जाना लगा ही रहेगा आप एक फोन करना मै आ जाऊंगा हिहिही
फिर मनोज विमला के कमरे चला गया और कोमल अपने कमरे मे
मै उठते हुए - चलो मौसी हम लोग भी सोते है
विमला आंखे दिखाते हुए खुसफुसा कर बोली - आज सो नही सकता था मेरे साथ , ब्स भर गया मन तेरा मुझसे
मै हस्ते हुए - अरे मौसी मै तो मौका दे रहा हू आपको आज रात कैसे भी करके मनोज जो चाह्ता है उसे कर लेने दो ताकि आप दोनो भी ... हिहिहिहो समझ रहे हो ना
मै विमला को आंख मारते हुए हस्ते हुए बोला
विमला शर्मा कर - धत्त मुझसे नही होगा
मै - आप कुछ मत करना जो वो करे उसे करने देना ,,देखा है मैने बहुत हिम्म्ती है मनोज आप उसे थोडा छूट देके देखो एक बार मे ही लण्ड अपकी चुत मे उतार देगा
विमला शर्मा कर - धत्त बदमाश जा अब सो जा
और विमला भी उठ कर जाने लगी
मै - और सुनो वो खिडकी खुली रहने देना
विमला हा मे इशारा कर मुस्कुरा कर कमरे मे चली गयी ।
एक बार फिर बाहर की सारी लाईट बंद हुई और सब अपने कमरे मे चले गये ।
थोडी देर हुआ और मै कोमल के कमरे मे गया और उसकी एक जोरदार चुदाई की फिर उसे सुला कर कमरे से बाहर आ गया ।
मेरी नजर विमला के कमरे की खिडकी से बाहर आती हल्की रोशनी पर गयी
और मेरे चेहरे पर एक कातिल मुस्कान आई और मै विमला के कमरे की तरफ चल दिया ।
मै अन्दर हो रही घटना को लेके काफी उत्साहित था कि कैसे विमला अपने बेटे के साथ सम्भोग के लिए राजी होगी ।
इधर मै खिडकी के पास गया तो अन्दर का नजारा मेरे अनुमान से ज्यादा अलग नही दिखा । और शायद सब कुछ जल्द ही शुरू हुआ था
मनोज पुरा नंगा विमला के उपर चढा था
विमला का ब्लाउज खुला था और ब्रा के कप से एक चुची को बाहर निकाल कर मनोज उसे मुह मे भरे चुस रहा था और नीचे विमला ने पेतिकोट पहना हुआ था।
मनोज विमला की चुचिया चूसने मे मगन था
विमला सिस्क कर - सीईईई बस कर मनोज , दर्द हो रहा है ऐसे
मनोज उपर होकर - तो निकाल दो ना मा
विमला उसे चिढाते हुए मुह बना कर मनोज की बाते दुहराते हुए - निकाल दो ना मा ,,,,,हुउह्ह्ह चल हट अब बहुत हो गया
विमला मनोज को हटा कर चुची को ब्रा मे डालने लगी लेकिन वो ब्रा मे जा नही रही थी
विमला झल्ला कर - देख अब पुरा खोलना पडेगा तेरी वजह से
मनोज मुस्कुरा कर अपनी मा के गालो को थाम कर उसके होठो पर अपने गाल ले जाकर छुवाता है
जिससे विमला का नकली गुस्सा हसी मे बदल जाता है और वो मनोज के गाल को चूम लेती है
विमला इतरा कर - चल हत बदमाश कही का
मनोज - लाओ मै सही कर देता हू
फिर विमला उठ कर बैठ गयी और मनोज की तरफ पीठ कर ली
मनोज विमला के पीछे आकर खड़ा हुआ था की विमला चिहुक उठी
विमला सा शरीर गनगना गया - यीईई माआ
मनोज हसते हुए - वो मेरा नुन्नु आपकी पीठ पर छुआ गया था मा हिहिहिही
विमला डाटते हुए - दाँत ना दिखा और खोल पीछे से हुक
मनोज पहले विमला के ब्लाउज को निकालता है फिर हुक खोल कर ब्रा की स्ट्रिप आगे ले आता है
विमला अपने चुचियो को ढकते हुए - क्या कर रहा है वापस बंद करना है ना
मनोज - अब खोलदिया है तो निकाल दो ना मै वापस ब्लाउज पहना देता हू
विमला मुस्कुरा कर - ठीक है
और विमला अपने हाथ सामने से हटा लेती है और मनोज वापस ब्रा को आगे लेके जाता है जहा उसके हाथ विमला की चुचियो को साइड से छुते है जिससे विमला सिहर जाती है
और इस वक़्त मनोज के हाथ रुके थे फिर भी विमला अपनी बॉडी की हीचका कर सिस्क रही थी और जब मेरा ध्यान मनोज की कमर पे गया तो देखा कि वो अपना तने हुए लण्ड का सुपाडा विमला की नंगी पीठ पर घूमा रहा था
वही विम्ला को मदहोश होता देख मनोज पीछे से उसकी चुचियो को दबोच लेता है और उपर की तरफ उठाते हुए मिजना शुरू कर देता है ।
अन्दर कमरे का सिन देख कर मेरा लण्ड तन कर खड़ा हो जाता है और मजबूरन मुझे उसे बाहर लाकर सहलाना शुरू कर देता हूँ
उधर कमरे मे मनोज अपनी मा की पीठ से चिपक कर उसके गर्दन कान कन्धो को चुमते हुए उसकी चुचियो को मसल रहा था और विमला सिस्क रही थी मनोज का नाम लेके
विमला - उम्म्म्ं बेटा अह्ह्ह ब्स कर सीई अह्जह्ह्ज येह्ह गलत ह्है बेटाह्ह्हह उफ्फ्फ मा
मनोज - मा मुझे नही अच्छा ल्ग्ता है जब आप बाहर के मर्दो से अपनी प्यास बुझाती हो मेरे सारे दोस्त आपको रन्डी बुलाने लगे है
विमला मनोज के मुह उसके लिए रन्डी शब्द सुन कर उत्तेजित हो जाती है और गहरी सास लेते हुए - क्याआआ मै तुझे भी रन्डीईई लगती हू अह्ह्ह उफ्फ्फ
मनोज अपनी मा के पेतिकोट का नाड़ा आगे हाथ लाकर खोलता हुआ - मै आपको दोनो चाचा के साथ चूदते देखा है मा
विमला सिस्कर - उफ्फ्फ अह्ह्ह फिर क्या लगा तुझे बेटा , कैसी है तेरी मा अह्ह्ह और सहला इन्हे उफ्फ्फ ह्य्य्य्य
मनोज विम्ला की चुचियो की घुंडीया घुमाते हुए - मै देखा था मा आपको दो दो लण्ड अपनी चुत और गाड़ मे लेके चूदते हुए , आप तभी मुझे रन्डी दिखने लगी थी
विमला मनोज की बातो और उसके हरकतो से उत्तेजित थी वही मनोज अपना हाथ विमला के पेतिकोट मे उपर से डाल चुका था
मनोज विमला की चुत सहलाते हुए - मा मुझे आप एक नमबर की चुद्क्क्ड लगती है और मै भी आपको रन्डी की तरह चोदना चाहता हू
विम्ला सिस्कते हुए - अह्ह्ह सीई उम्म्ंम्ं बेटा आह्ह और रगड़ अपनी मा की चुत को अह्ह्ह मा
मनोज विमला को छोड कर खड़ा हुआ और अपना लण्ड उसके मुह के आगे ले कर घुमाने लगा - मा चुसो ना इसे प्लीज
विम्ला आंखे खोलकर सामने खडे लण्ड को पाके झपट पड़ी और मुह्ह मे गले तक लेने लगी
मनोज के मानो पैर काफ गये ये उस्के लिये पहला अनुभव था शायद और वो अपनी के मुह्व मे लण्ड घुसेड़ के गालीया दते हुए - अह्ह्ह सालि रान्डी मा मेरी अह्ह्ह्ज और चुस मेरी चुद्क्क्ड मा अह्ह्ह बहुत म्ज़ा आ रहा है
विम्ला गपागप मनोज के लण्ड को चुस रही थी
वही मनोज अनाब सनाब बके जा रहा था - आह्ह और चुस मै तुझे अपनी रखैल ब्नाउगा मा
कुछ देर की मुह पेलाई के बाद मनोज अलग हुआ
मनोज - लेट जाओ मा मै अब आपको चोदूंगा
विमला तो मानो इसके लिये तैयार थी और झ्त से लेट कर अपनी पैंटी निकाल दी और पेतिकोट उपर चढाते हुए अपनी चुत पे चट्ट चट्ट चपट लगाते हुए बोली - अह्ह्ह बेटा चोद दे अपनी मा को बना ले अपनी रन्दी अह्ह्ह
दोनो की बाते सुन के मै बहुत ही उतेजीत मह्सूस कर रहा था
वही मनोज विमला के चुत दो बार थूक कर हाथ से उसकी मोटी फुली हुई चुत को मला और लण्ड के टोपे को चुत मे लगा कर पेल दिया और उसकी जन्घे उठा कर घपा घ्प घपा घ्प घपा घप चोदने लगा ।
वही विमला मनोज को उत्तेजित कर चुदवा रही थी
मनोज - अह्ह्ह मज़ा आ रहा है मा और निचोड लो मेरा लण्ड आज आपकी चुत मे
विमला कमर उचका कर पुरा लण्ड अपनी चुत मे समा लेती है और मनोज विमला की जन्घे थामे गचागच पेले जा रहा था
मनोज - मा मै आपको रोज चोदना चाहता हू रन्डी की तरह चुदवाओगी ना मा मुझसे
विमला - हा बेटा मुझे भी बहुत पसंद है ऐसे चुदना अह्ह्ह उह्ह्ह मा ह्य्य्य और पेल अपनी मा की बुर मे
मनोज - मा आपकी बुर तो भोस्डा बन गयी है इसमे तो मेरे दोस्त पन्नु का लण्ड डालना पडेगा आह्ह मा
विमला - आह्ह बेटा ये पन्नु कौन है उह्ह्ह आह्ह और चोद औउर आह्ह
मनोज विमला की चुत मे निचे उतरते हुए - वो मेरा दोस्त है मा , वो भी अपनी मा को चोदता है और मुझसे भी चुदवाया है । बहुत मोटा लण्ड है उस्का
विमला - आह्ह सच मे तुने पहले भी सेक्स किया है
मनोज - हा मा मैने पहली बार पन्नु की मा को चोदा था और पन्नु भी आपको चोद्ना चाहता है
विमला झडने के कारिब थी - अह्ह्ह बेटा मेरा निकलेगा
मनोज अब रुक रुक के धक्के लगाता हुआ - बोलो ना मा चुदोगी मेरे दोस्त से
मनोज वापस से एक जोर का धक्का चुत मे लगाते हुए - बोलो ना मा
विमला नशे मे मदहोश - आह्ह बेटा तू जिससे कहेगा चूदूँगी , तेरीईइह्ह र,,,,न्डीहह मा हू ना आह्ह पेल दे अब रुक मत बेटा अह्ह्ह्ह
मनोज खुश होकर विम्ला को तेजी से चोदते हुए - थैंक यू मा , हम चारो लोग एक साथ चुदाई करेंगे फिर अह्ह्ह
विमला कपकपाते हुए - अह्ह्ह हा बेटा कर लेना अह्ह्ह अभी चोद ना
फिर मनोज विम्ला की जांघ खोल कर उपर चढ़ कर तेजी से विमला की पिचपिचाती बुर मे सत सत स्त लण्ड चोदने लगता है ।
मनोज - आह्ह मा ऐसे ही निचोदो मै भी झडने वाला हू अह्ह्ह मा
विमला जो की झड़ चुकी थी तेजी से कमर उच्का कर पुरा का पुरा लण्ड अपनी भोस्डी मे भरने लगी और जल्द ही मनोज धिमा पड़ गया और उसकी कमर हिच्कोले खाने लगी और वो विमला की चुत मे झडने लगा ।
और मै वही खड़ा खड़ा दुबारा अपना लण्ड झाड़ दिया और वापस अपने कमरे मे आकर सो गया ।
अगली सुबह मै टहलने ना जाकर जल्दी ही नहा धोकर तैयार हुआ और नाश्ता करके जाने के लिए तैयार हो गया ।
मनोज ने मेरा समान पैक कर दिया
विमला थोडा भावुक होकर - फिर कब आयेगा मेरा राजा बेटा
मै हस कर - अरे मौसी मै यही हू बाजार मे जब मन हो बुला लेना अपने राआआजाआआ को
मेरा मतलब है राजा बेटा को हिहिहिही
विमला मेरी डबल मिनिंग की बात समझ गयी ।
मै - और हा आप सब लोग होली के लिए कोई प्रोग्राम ना बनाना है , सब कुछ हमारे नये वाले घर पर बुक रहेगा और सबको आना है ।
विमला - अरे बेटा वो मै ब्ताना भूल ही गयी
मै अचरज से - क्या मौसी
विमला - वो क्या है बेटा मेरी जौनपुर वाली दीदी का फोन आया था कल रात मे । उसकी बड़ी लडकी को देखने के लिए लड़के वाले आएगे तो कोमल और मनोज वही जायेंगे परसो ।
मै मन मार कर- ब्क्क्क फिर कैसे होगा सब प्लान बेकार
विम्ला एक कातिल मुस्कान से - मेरे रहते कोई प्लान थोडी ना खराब होगा हिहिही
मै विमला की मुस्कान भरी बात समझ गया
मै - लेकिन अगले महीने से तो मेरे और कोमल के एक्साम होने वाले है ना
विमला - अरे वो लोग होली बिता कर वापस आ जायेंगे बेटा
मै खुश होकर - ठीक है मौसी , चलो अब चलता हू और आप लोग अपना ख्याल रखना कोई दिक्कत हो तो बताना
विमला - ठीक है बेटा
फिर विम्ला ने मेरे गाल को चुमा और खुश रहने को बोला
मै मनोज से हाथ मिलाया और कोमल को बाय बोलकर निकल गया अपने घर के लिये ।
अब देखते है राज की घर वापसी
नये घर मे गृहप्रवेश और आने वाली होली के कितने रंग देखने को मिलेंगे ।
अपना प्यार और सपोर्ट बनाये रखें और आनंद ले कहानी का
पढ कर अपना रेवियू जरुर दे
धन्यवाद
Ghar me aate hi sonal ka pani nikal diya hahahaa...UPDATE 69
मै अपना बैग लेके सुबह 9 बजे घर पहुचा तो दुकान मे अनुज बैठा हुआ था
अनुज - नमस्ते भैया
मै मुस्कुरा कर - क्या भाई क्या हाल है छोटे
अनुज - ठीक हू भैया
मै - आज स्कूल नही गया
अनुज - भैया स्कूल तो एक हफ्ते के लिये बन्द है
तीन दिन बाद होली है ना
मै हस कर ओहो फिर तो मौज ही होगे आपके जनाब
अनुज शर्मा कर - कहा मौज मेरे तो कोई दोस्त ही नही है
मै - मै हू ना , वैसे मा कहा है
अनुज - वो छत पर गयी है नहाने
मै - ठीक है मै जरा अपना सामान रख लू
फिर मै छत पर आया तो किचन मे बर्तन की ख्त्पट सुनाई दे रही थी
मै बेडरूम मे अपना बैग सोफे पर रखा और घुमा ही था की सामने से दीदी एक मैकसी पहने अपने भिगे बालो को खोलते हुए कमरे मे आ गई ।
वो शायद अभी नहा कर आई थी
मुझे देख्ते ही वो खुशी से उछल कर मेरे बाहो मे आ गई
मै उसे गले लगाते हुए कहा- मुझे याद किया मेरी जान
दीदी - बहुत ज्यादा भाई
मै उसको साइड कर झट से दरवाजा बंद कर उसके होठो को चूसने लगा और उसके बदन को मसलने लगा ।
उसके बदन को छुने पर पता चला कि उसने अनदर कुछ नही पहने जिससे और उत्तेजित कर उसके चुतडो को मसलने लगा ।
हम दोनो एक दूसरे के लिए बहुत ही ज्यादा तडप रहे थे और मुझ्से रहा नही गया और मै सब कुछ जल्दी मे कर लेना चाहता था तो
मैने दीदी की चुत को भी सामने से हाथ लगा कर रगड़ना शुरु कर दिया जिससे सोनल मेरे होठो को और जोर से चुसने लगी ।
मै झट से उसको बिस्तर पर लिटा कर एक झटके मव उसकी मैक्सी को कमर तक चढा दिया और वो मदहोश होकर तेज सांसे लेते हुए मेरी हरकतो को देखने लगी
मेरे अन्दर हवस हावी हो चुका था और मैने झुक कर दो तीन बार उसकी गोरी मास्ल जांघो को चूमा और दीदी की झाटो से भरी चुत मे मुह लगा दिया और लपालप चाटना शुरू कर दिया
मेरे जीभ को अपनी चुत पर रेगता पाकर सोनल उछल पड़ी और इधर उधर पैर मारने लगी
मै उसकी जांघो को थाम कर उसके चुत मे दाने को झाटो सहित मुह मे चूब्लाने लगा
सोनल मुह पर हाथ रखे जल बीन मछली जैसे फड़फडाती रही , उसने अपने कन्धे झटकने शुरू कर दिये और कमर उचकाने लगी थी
उसकी चुत के होठ के दाने की फड़कन मेरे होठो को पता चल रही थी । जिसे मै अपने उपरी होठ के फलक से टच कर रहा था ।
और कुछ ही देर मे मुह पर उसकी चुत ने पिचकारी छोडनी शुरू की और 10 12 बार सोनल अपनी कमर को झटका देते हुए मेरे मुह पर झड़ कर चित पड़ गयी और हल्की सिस्किया लेने लगी ।
वही मै उसकी चुत को अच्छे से चाट कर मस्त हो गया ।
लेकिन मेरा लण्ड अभी भी खड़ा था और सोनल उस हाल मे नही दिख रही थी कि मेरे लण्ड को शांत कर पाये क्योकि ये उसका पहला स्खलन था ।
वैसे पड़े पडे कोमल थक कर सो गयी और मैने उसकी मैक्सि को ठीक किया और अपना लण्ड सेट करके बाहर आया तो देखा किचन मे कोई नही था फिर मै छत पर गया तो बाथरूम से मा के नहाने का पता चला ।
मै मा को दुपहर मे भोगने का सोच कर हाथ मुह धुल के दुकान मे किनारे बैठ गया औए मोबाईल चलाने लगा ।
दुकान मे अनुज अब भी मेन गद्दी पर था ।
कुछ समय बिता ही था कि एक लडकी दुकान मे कुछ सामान लेने आई और अनुज उससे बाते करते हुए शर्मा रहा था । वही उस लडकी की बात से लग रहा था कि वो अनुज को जानती हो ।
तभी उसने अनुज को अंडरगार्मेट दिखाने को बोले तो वो मुझे आवाज दिया
मै भी उसके पास पहुचा
मै - हा क्या हुआ अनुज
अनुज - भैया आप लाली को सामान दिखा दो मै पानी पीके आता हू
मै समझ गया कि वो शर्मा रहा था
फिर वो उपर चला गया
मै - ये तुम्हारे साथ ही पढता है क्या लाली
लाली - जी भैया , बहुत मुहदब्बू है किसी से कुछ बोलता ही नही और शर्माता ऐसे है कि दुल्हन हो हिहिहिही
मै हस कर - अच्छा कोई बात नही तब क्या दू तुम्हे
लाली - भैया मुझे एक 30 नं की ब्रा देदो और फुल वाली पैंटी दिखा दो
मै उसका मज़ा लेते हुए - मै थोडी ना पहनता हुआ फुल वाली पैंटी जो दिखा दू हिहिही
लाली हस कर शर्माते हुए - धत्त भैया वो मै कह रही थी कि मेरे लिए 32 नं का दिखाओ
मै लाली के साइज़ जानकर आश्चर्य हुआ की इस उम्र मे ही उसके अंग खिल चुके थे और कैफ्री मे उसके गोल मुलायम चुतडो के उभार देख कर मुझे मामा की लड्की गिता की याद आ गई ।
फिर मैने उसे ब्रा पैंटी दिखाई लेकिन मेरे पास 30 की ब्रा न्ही थी
मै - लाली मेरे पास 30 की ब्रा नही है 32 देदू
लाली - नही भैया वो ढिला होगा ना मुझे
मै उसके चुचे निहार कर - नही लाली हो जायेगा
लाली शर्मा के - बक्क नही होता है भैया मैने मेरे दीदी का ट्राई किया था
मै - ओहह फिर ये न्यू फ्री साइज़ वाला लेलो ये स्ट्रेच वाला कपदा है कोई भी पहन सकता है घर मे
लाली मुस्कुरा कर - ठीक है भैया देदो
मै लाली को समझ गया था कि वो एक अच्छी और फ़िकरमन्द लड्की है और शायद मेरे अनुज से इसकी दोस्ती हुई तो वो उसे थोडा मोटीवेशन देके समझा बुझा सकती है । क्योकि समय के साथ अनुज को समाज से मिलना जुलना भी जरुरी था और मैं तय कर लिया कि जल्द ही अनुज से फिर बात करूँगा ।
फिर वो चली गयी और मै अपने काम मे लग गया
दोपहर के खाने के बाद मा और मैने विमला के यहा की बातो पर चर्चा की और मौका देख कर मैने मा को पीछे के कमरे मे जाने का इशारा किया ।
मा मुस्करा कर - नही पागल त्योहार का समय है और ग्राहक आते जा रहे है ।
मै मुह बना कर - क्या मा वैसे ही 3 4 दिन आपसे दुर रहा हू आपको मन नही होता
मा परेशान होकर- मेरा भी बहुत मन है बेटा लेकिन अभी समझ तू
तभी दुकान पर ग्राहक आ गये
मै समझ गया कि यहा कुछ हाथ आने वाला है नही तो थोडा देर सर खपाने के बाद याद आया क्यू ना थोडा सब्बो के यहा घूम आऊ ।
मै खुश हुआ और निकल गया सब्बो के मुहल्ले मे
टहलते हुए उसके घर गया तो वहा उसकी मा रुबीना मिली
मै - और काकी कैसी हो
रुबिना हस कर - अरे छोटे सेठ आप, कहा दर्शन दे दिये मालिक
मै रुबिना से मस्ती भरे अंदाज ने लण्ड को पैंट के उपर से सहलाते हुए - दर्शन देने नही करने आया हू काकी
रुबीना - बेटा सब्बो तो सोनू को लिवा कर बडे शहर गयी है कुछ दवा लेना था ।
मै अचरज से - क्या हुआ काकी सब ठीक है ना
रुबीना - अब आपसे क्या छूपाना छोटे सेठ , दरअसल बात ये है कि सब्बो के जांघ मे खुजली हो रही है जिससे धंधे मे दिक्कत हो रही है और आप तो जान्ते हो ये बडे सेठो के नखरे
मै - अरे ये सब तो नोर्मल है गर्मी का दिन आ रहा है ना काकी तो उतना होता रहता है
रुबीना - हा छोटे सेठ
मै एक कातिल मुस्कान से - तब काकी कुछ होगा की सुखा सुखा जाना पडेगा
रुबीना मेरे लण्ड को पैंट के उपर से सहलाते हुए - कभी ऐसा हुआ है क्या छोटे सेठ
मै रुबीना की मोटी चुचियो को सूत के उपर से मस्ल्ते हुए - तो चलो ना कमरे मे काकी और रहा नही जाता
रुबीना मेरे लण्ड को निचे से पकड कर कमरे की तरफ ले जाने लगी और उसकी 44 की हैवी थिरकते गाड़ देख कर उत्तेजित होने लगा
रुबिना - लग रहा है बहुत ज्यादा ही फड़क रहा है ये छोटे सेठ
मै - तुम्हारी तरबूज जैसी भारी गाड़ देखकर इससे रहा नही जा रहा है
रुबीना कमरे मे जाकर तो आजाद कर दो ना उसको
मै - अब ये भी मै ही करू हा
रुबीना एक कातिल मुस्कान के साथ मेरे कदमो मे झुकने लगी ।
मै उसे रोकते हुए - ऐसे नही
मै यहा बैठ रहा हू तुम सारे कपडे निकालो आज तुम्हारी जवानी का एक एक गदराया हिस्सा देखना की क्या सच मे तुम्हारे बारे मे जो सुना है वो सही है ।
रुबिना एक कातिल मुस्कान से थोडा पीछे हत कर खड़ी हो गयी और मै वही उसके सामने एक सोफे पर बैठ कर पैंट के उपर से लण्ड सहलाने लगा
वही रुबीना के पहले मेरे सामने झुक कर अपने 40 साइज़ के हैवी चुचो को हाथो मे लेके सूत के उपर से ही पकड कर उनकी घाटी और गहरा करते हुए मुझे दिखाया और वापस से सूत को निकाल दिया
सूत निकलते ही ब्रा मे कैद उसके चुचे बाहर की तरफ फैल गये ।
मै अपनी जुबान से होठ को गिला करता हुआ रुबीना को आगे बढ़ने का इशारा करता हू और वो मेरी तरफ घूम के अपने भारी भरकम चुतडो को बाहर निकाल कर सल्वार का नाड़ा खोल देती है जिससे उसकी मोटे मोटे तरबूज जैसे चुतडो के पाटे नंगे होकर एक काली पैंटी मे दिखने लगते है ।
उसकी जांघो के पास के हल्के काले और भूरे धब्बे उसकी गाड़ के गोरेपन को और निखार रहे थे ।
उसकी रसभरी चर्बीदार गाड़ देख कर मै थूक गटकने लगा और वो घुमकर थिरकते हुए मेरे पास आई और मेरा टीशर्ट निकाला और मेरे सामने रुबिना के गोरे मुलायम चुचो की घाटी हिलती हुई नजर आई और मैने उसको लपक कर कमर मे हाथ डाल कर उसके एक मोटे चुचे को पकड कर काटने लगा ।
रुबिना के अंडरआर्म से किसी नशीले अत्र की खुस्बु आ रही थी और मै मादकता मे आकर उसको ऊचे उठे कूल्हो को सहलाने लगा और उसको चुचियो को बेहिसाब काटने लगा ।
रुबीना मेरे बालो को सहलाते हुए सिसकिया लेने लगी
रुबीना के बदन की खुशबू और उसके उठे हुए मुलायम कुल्हे मुझे गजब का सुख दे रहे थे।
वही रुबीना मेरा सर पकड कर अपने चुचो की घाटी मे दरना चालू कर दी । मै उसके चुतडो के पाट फैलाना शुरु कर दिया।
जल्द ही रुबीना मेरे जांघो पर बैठ कर अपनी चुत के निचले हिस्से को मेरे लंड के उपर रगड़ना शुरु कर दी और साइड से अपने ब्रा के स्ट्रिप निकाल कर चुचो को आजाद कर दिया ।
मै रुबीना के भारी चुचो मे से एक को दोनो हाथो से पकड कर उसका बडे काले घेरे वाला निप्प्ल अपने सामने कर मुह मे भर लेता हू ।
मून्क्के से भी ब्ड़ी घुंडीयो वाली रुबीना के निप्प्ल बहुत मुलायम थे और मेरे गुलाबी खुरदुरे जीभ ने उसकी दानेदार निप्प्ल पर अपनी धार लगाना चालू कर दी ।
रुबीना - ओह्ह्ह सेठ क्या करते हो उम्म्ंम्ंं छिल जायेगा मेरा दूध अह्ह्ह्ं मा इस्स्स्स
रुबीना जोश मे आकर अपने चुतड के गद्देदार पाटो को सख्त कर और भी ज्यादा मादकता से मेरे लंड के उपर रगड़ने लगी । जिससे पैंट मे कैद मेरे लण्ड दर्द सुरु होने लगा और मै उनको आजाद करना चाहता था ।
कुछ देर तक रुबीना के चुचो से खेलने के बाद मै उसे निचे जाने को बोलतो वो मुस्कुरा कर मुझसे हट हाती है और मै एक गहरी सास लेके खुद की ठीक करता हू ।
वही रुबीना घुटनो के बल आकर मेरे पैंट खोलकर उसे पुरा बाहर निकाल देती है और उसकी नजर जब मेरे मोटे तने हुए लन्द पर जाती है तो
रुबीना लंड को बिच से पकड कर उसकी चमडी को उपर निचे करते हुए - अरे वाह सेठ ये तो पिछ्ली बार से काफी मोटा दिख रहा है
वही मै रुबीना के हाथो का स्पर्श पाकर और उत्तेजित होने लगा और रुबीना का सर पकड कर सीधा सुपाडे पर ले गया और वो मुह खोल्के उसे गले तक घोट गयी ।
मै कमर उचका कर थोडी देर तक उसे गले की घंटी पर अपना सुपाडा रगड़ता रहा और वो गुउउउऊ गुउऊ करके मेरे लण्ड पर लार के ढेर छोडती रही जब रुबीना को बरदास्त न हुआ तो अपना सर पीछे लेते हुए ढेर सारा थूक मेरे सुपाडे पर छोड कर म्लने लगी ।
उसके मुलायम हाथो ने मेरे लण्ड को कसना शुरू किया और वापस चमडी को निचे ले जाकर रुबीना मे मेरे सुपाडे को मुह मे भर लिया और जीभ से मेरे लण्ड के सुराख मे हलचल करने लगी ।
मै रुबीना के अंदाज से मज़े मे आ गया और सिसिक्ते हुए बोला - ओह्ह्ह काकी इतना मस्त लण्ड चूसना कब सिखा इह्ह्ह बहुत ही मज़ा है अह्ह्ह
रुबीना लण्ड को मुह से निकाल कर - सबका कोई ना कोई गुरू होता है सेठ
मै थोडा रौब दिखा कर - तो क्या अपनी मा से सिख कर आई है सालि बता ना अह्ह्ह्ह उफ्फ्फ और घुमा जीभ सुपाडे पर आह्ह मज़ा आ रहा है काकी उह्ह्ह
रुबिना - वो मै नही बता सकती तुमको मागता है तो करवाओ
मै समझ गया कि ये ऐसे नही मानेगी इसको पहले अपने कन्ट्रोल मे लेना पडेगा
मै उसका चेहरा उठा के उसे बिस्तर पर जाने को बोला
वो मुस्कुरा कर बिस्तर पर बैथ गयी और मै खड़ा होकर उसके सामने आया और उसे लिटा दिया ।
रुबिना ने अपनी जान्घे खोल दी और मैने पहले अपना लण्ड उसकी मुलायम जांघो मे रगड़ना शुरु किया और दुसरे हाथ से उसकी चुत को सहलाते हुए उसको उत्तेजित करने लगा ।
जल्द ही रुबिना अपनी पाव सी फुली हुई चुत पर मेरे हाथो के स्पर्श से गनगना गयी और कसमसाने लगी ।
वही मै अपना लण्ड अब रुबीना के चुत पर रख कर निचे गाड़ की तरफ रगड़ना शुरु किया जिससे रुबीना के भोस्दे पर मेरा पुरा लंड पैंटी के उपर से रगड़ खाने लगा ।
वही रुबिना मेरे अंदाज से मदहोश होकर अपनी मोती चुचिया खुद मुह मे लेके चूसने लगी ।
फिर मै निचे बैठ गया और दो तीन बार रुबिना के भोसड़े पर चपत लगा कर उसके चुत के दाने वाले हिस्से पे पैन्ती के उपर से ही हथेली लगा कर मिज्ना शुरु कर किया जिससे रुबीना सिसिकते हुए गाड़ पटकने लगी ।
एक बार मैने रुबिना के चुत को सूंघ और पैंटी के उपर से ही उसकी चुत को काटने लगा
और अपना मुह उसके जांघो और चुत के उपर रगड़ने लगा ।
रुबिना ने मेरे सर को पकड कर अपनी चुत मे दबाना शुरु कर दी
फिर मैने उसकी पैंटी निकाल दी जिसकी अन्दर की तरफ चुत के हिस्से वाले कपड़े पर उसके भोस्दे का सफेद पानी का दाग लगा था
मै एक बार हल्के हाथो से उसकी चीकानी बारीक झाटो वाली चुत पर हाथ फेरते हुए बोला - आह्ह काकी क्या मस्त चीकना किया है अपने भोस्दे को उम्म्ंम्ं
और जीभ लगा कर सटासट चात्ना शुरु कर दिया
रुबिना - अह्ह्ह आह्ह मा उफ्फ्फ हय्य मर गई रे अह्ह्ह सेठ उफ्फ्फ और चाट लो सेठ अह्ह्ह मा और और
मै थोडी देर चुत चाटने के बाद रुबिना के बगल मे आकर लेट गय और उसको मोटे होठो को चुस्ते हुए उसके मुह उसकी चुत का स्वाद दे दिया ।
फिर वापस उसके एक चुचे को मुह मे लेके उसकी फौलादी भारी जांघो को खोलकर चुत के दाने और उपर की चमडी को तेजी से सहलाने लगा ।
रुबिना मेरे दोहरे अटैक से झनझना गयी और मदहोशि मे पागल होने लगी ।
मै उस्के कान मे जाकर - कहो तो लण्ड घुसेड़ दू काकी आपकी भतीयान मे
रुबीना तडप भरे शब्दो मे - हा सेठ डाल दो ना
मै मुस्कुर उसके उपर जा जाता हू और अपना लण्ड उसके चुत पर लगाने लगा और उसकी चुचियो को दोनो हाथो से मिजने लगा ।
रुबीना - आह्ह सेठ रहम करो चोद दो मुझे अजज तक इत्ना गर्म नही हुई मै आह्ह हय्य मा
मै उसकी तपते चुत मे लण्ड के सुपाडे को घुसाते हुए बोला - पहले मै जो पुछा वो बताओ कहा से सिखा ये लण्ड चूसना काकी
रुबिना मेरे गर्म मोटे सुपाडे को उसकी चुत की दिवारो मे घिसता मह्सूस पाकर के अपनी गाड़ उचका कर और गहराई मे लेना चाह रही थी ।
मै हस कर - ना ना पहले बताओ तभी आगे जायेगा काकी
रुबिना - मै अपने ग्राहको के बारे मे नही बता सकती सेठ समझो और मुझ पे रहम करो
मै उसकी चुत मे पुरा लण्ड उतार कर 10 12 बहुत तेजी से शुरुवाती धक्के लगा कर रुक जाता हू
रुबीना हाफते हुए हस रही थी - अह्ह्ह सेठ रोक क्यू दिया करो ना बहुत मज़ा आ रहा है ओह्जहह सेठ मै मान जाओ ना
मै मुस्कुरा - ऐसे चूदवाना है तो बताओ ना कहा से सिखा , वादा है मै किसी को नही कहूंगा
और एक बार फिर 8 10 धक्के तेजी से रुबीना के चुत मे मार कर रुक गया जिससे रुबीना हिल गयी
रुबिना अब बोलने को तैयार हो रही थी तो मैने अब हल्का हल्का मदकता से भरे ध्क्के लगाते हुए बोला - बताओ ना काकी
रुबिना नशे मे - वो मैने ये सब ठकुराईन से सिखा है सेठ अह्ह्ह
मै एक जोर का धक्का रुबिना के चुत मे डाल कर - पुरा बताओ ना
रुबीना सिहरते हुए - मै काफी समय से संजीव ठाकुर के यहा जाती रही हू और कभी कभी उनकी पत्नी के साथ मिल कर ठाकुर साहब को खुश किया है उसी दौरान उन्होने मुझे सिखाया ।
मै उसके जवाब से खुश हो गया था ।
और उसकी जांघो को अपने कंधो पर लाकर लण्ड को उसके चुत मे गहराई मे ले जाते हुए लम्बे लम्बे धक्के लगाने लगा ।
रुबिना आंखे और गला फाडे सिस्कने लगी ।
मै - तब तो ठकुराइन एक नं की चुद्क्क्ड होगी काकी
रुबीना मेरे तेज धक्को को सम्भाते हुए कांख के जवाब देती है - अह्ह्ह उम्म्ंम्म्ं हा सेठ ठकुराइन बहुत गरम औरत है और वो तो बडे ठाकुर ( राजीव ठाकुर) से भी चुदवाति है
मै रुबीना के चुत से लण्ड निकाल कर उसको कुतिया बनने का इशारा किया और वो एक कातिल हसी के साथ अपने गाड़ को फैला कर कुतिया बन गयी और उसकी चर्बीदार गाद को सह्लाते हुए वाप्स से लण्ड उसकी चुत मे उतार दिया और कूल्हो को पकड कर पहले से भी तेज गति से चोदने लगा ।
मै उसकी गाड़ के भुरे मोटे सुराख को देख कर ललचा रहा था और मैं उसके गाड़ की सुराख मे अपने थुक से गिला करना शुरु कर दिया
और धीरे धीरे कमर चलाते हुए अपना बाया अंगथा उसके गाड़ के मोटे होल मे घुसा दिया जो बड़ी आसानी से अन्दर चला गया ।
अब चुत के साथ साथ मैने रुबिना की गाड़ मे भी मेरे अंगूठे को अन्दर ले रही थी
मुझ्से रहा नही गया रुबीना तो झड़ चुकी थी और मेरा लण्ड उसकी गाड़ का सुराख देख कर और कडक हुए जा रहा था
मै झट से उसकी चुत से अपना गिला लण्ड निकाला और उसकी गड़ से अंगूठा निकाल कर लण्ड को घुसेड़ दिया
रुबिना चिख्ते हुए - ऐईईई मा उफ्फ्फ्फ सेठ क्या किया हे हुय्य्य्य मर गई अह्ह्ह
मै उसके कूल्हो को थाम कर उसके लचकते चुतडो पर हाथ फेरते हुए एक जोर का धक्का देकर उसकी गाड़ मे जड़ तक लण्ड को उतार दिया और उसकी मुलायम गाड़ के पात मेरे जांघो मे फैल गये ।
मै वाप्स से लण्ड को खिच कर सटास्त उसकी खुली गाड़ मे पेलना शुरु किया
रुबीना - अह्ह्ह्ह सेठ और और चोदो मेरी गाड़ औउउउर्र्र आह्ह बहुत जोरदार चोदते हो अह्ह्ज मा उफ्फ़फ्च मज़ा रहा है
मै रुबिना के बातो से बहुत उतेजीत हो गय था और पहले से तेज धक्के लगाने ल्गा जिस्से उसके गद्देदार गाड़ के मुलायम पात मेरी जांघो को उछाल देते और वाप्स रुबीना की गाड़ मे उतरने का म्ज़ा दुगना होने लगा
जल्द ही मैने झडने के करीब था और मेरा सुपाड़ा उसकी गाड़ मे फुलने लगा और रुबीना भी निचे हाथ ले जाकर अपनी गाड़ मेरे लण्ड पर फेकते हुए चुत के दाने को मसलते हुए चिल्ला रही थी ।
मै चरम पर था और आखिरी धक्को के साथ के लण्ड को गाड़ की जड़ो मे ले जाकर रोक दिया और अन्दर ही मेरा लण्ड झटके खाते हुए झडने लगा ।
मुझे परमानंद की प्राप्ति हो गयी थी और मेरे चेहरे पर एक सुखद मुस्कान थी वही रुबिना अपनी चुत रगड़ के दुबारा झड़ चुकी थी और पेट के बल बिस्तर पर लेती थी और मै उसके उपर निढ़ाल हुए सो गया ।
थोडी देर बाद सांसे बराबर हुई और मै वहा से निकल गया ।
मै उस गली से गुजर रहा था कि पीछे से मेरी चाची की आवाज आई और जब मेरी नजर उनसे मिली तो मेरी सिटीपिटी घूम हो गयी ।
देखते है दोस्तो आगे क्या नया हंगामा होने वाला है
पढ कर अपना रेवियू जरुर दे ।
अपडेट देरि के लिए सॉरी दोस्तो
बदलते मौसम ने तबीयत खराब कर दी है
तो अपडेट लिख न्ही पाया था ।
holi to sandaar tarike se manaye ja rahi hai....UPDATE 73
पापा के कहने के बाद सभी अलग अलग कमरो मे चले गए ।
निशा और सोनल एक साथ एक बेडरूम मे
मा , चाची और विमला एक बेडरूम मे
और बाकी सारे जेन्स गेस्ट रूम मे चले गये ।
अक्सर होली मे लोग बडे शहरो मे नये कपडे सिलाते है लेकिन हम मिडिल क्लास के लोगो अपनी पुरानी जीन्स और जेब फटी शर्ट भी होली के दिन नयी लगने लगती है ।
जैसा ही आम छोटे शहरो मे होता है , मैने भी अपने पीछले साल के गर्मी वाले हाफ़ लोवर डाले और एक पुरानी टीशर्ट पहन ली जिसकी निचे की फोल्डिंग खुली थी और एक दो जगह होल बने हुए थे ।
वही अनुज मेहमानो के आने वजह से खुद को थोडा अच्छे साफ कपड़ो मे रखते हुए एक शर्त और जीन्स पहन लिया जो कि दिवाली पर ही लिया था उसने ।
राहुल भी शर्मिला था या कहू अनुज के साथ मिल कर उसने भी हालही मे खरीदे कपड़े पहने थे ।
वही पापा ने तो होली के स्पेशल सफेद कुर्ता पजामा सिलाया और चाचा ने भी सेम पापा के जैसे ही सिलाया था । मानो दोनो मे मिल के साथ मे कपड़े लेके सिलवाये हो लेकिन ऐसा नही था और पापा तो हर साल होली के लिए कपडे सिल्वाते है क्योकि वो अब टाउन मे नामी सेठ मे थे और शाम तक अपने कमेटी के बडे लोगो और दोस्तो के साथ उठना बैठना होता था इसिलिए ।
बाकी हम सब तैयार होकर हाल मे आये ।
पापा चाचा ने अपने मोबाईल बंद करके वही गेस्टरूम मे रख दिया लेकिन मैने नही रखा क्योकि मुझे काफी तस्वीरे निकाल्नी थी वो भी रंग बिरंगी
हाल मे आते ही मैने सारे जेन्स को साथ मे खड़ा कर एक सेल्फी ली ।
तब तक सामने के एक बेडरूम से मा विमला और चाची निकली
ओहो क्या बात थी
विमला ने पहले की तरह ही जैसा वो कपड़े पहना करती थी , हल्के गुलाबी कुर्ती और सफेद लेगी मे थी और एक सफेद दुपट्टे को एक साइड से क्रॉस करके कमर मे बाँधा हुआ था । लेकिन उसकी 40 के उभरे हुए चुतड ने कुर्ती को उठा रखा था और लेगी मे कसी जान्घे और कुल्हे , चुतड़ की निचले गोलाई के साथ साफ साफ दिख रही थी
वही चाची भी मॉडर्न लूक मे एक धानी रंग की कुर्ती प्लाजो सेट मे बिना दुपट्टे के थी जिससे उनकी 36की चुचीयो ने कुर्ती और सीने के बिच गैप बना कर अपनी घाटीया दिखा रही थी और वो पापा के सामने मा के पीछे होकर थोडी छिप कर थी ।
वही मा ने एक बैगनी सूती ब्लाउज के साथ हल्के अंगूरी रंग की सिफान की साड़ी पहने हुए थी । जिसमे उनका कामुक जिस्म का कताछ और भी निखर रहा था । सूती ब्लाउज मे भरे हुए चुचे साडी के पल्लू से झाक रहे थे और चुचियो की घाटी उस पारदर्शी सिफान की साडी के बाहर से भी दिख रही थी।
आज तीनो के तीनो क्या कमाल लग रही थी , लण्ड खड़ा करके रख दिया था
मा - अरे एक दो तस्बिरे हमारे साथ भी लेलो जी
मा की बाते सुन कर पापा - कहो तो फ़ोटोग्राफर बुला देता हू वैसे भी किसी हेरोइन से कम नही लग रही हो रागिनी
मा , पापा की बात सुन के शर्मा गयी और पापा को आंख दिखा कर - क्या जी बच्चे हैं फिर भी आप
पापा ह्स्ते हुए - अरे भाग्यवान आज होली है और आज कोई शर्म नही रखना चाहिए ,
पापा चाची को देखते हुए बोले - और राहुल की मम्मी तुम भी मत शर्माओ आओ सबके साथ तस्वीरे जो जाये
चाचा - हा शालिनी यहा कोई दिक्कत नही है तुम चिन्ता ना करो आओ यहा
फिर मा पापा के सामने आई और पापा उन्हे अपने थोडा सा बगल मे किया। ठीक वैसे ही चाची आगे और चाचा उन्के कन्धे पकडे हुए उन्के पीछे और फिर बगल मे विमला मौसी फिर राहुल और अनुज एक दुसरे के कन्धे मे हाथ डाले हुए खडे हुए
मै सबके सामने आकर एक जगह चुनी जहा से सारे लोग एक ही सेल्फी मे आ जाये और फिर स्माइल बोलकर दो तीन सेल्फी ली
फिर मैने राहुल को बोला की वो तस्वीरे निकाले और मै विमला मौसी के पीछे खड़ा हो कर सामने देखते हुए स्माइल करने लगा कि मुझे विमला के बदन ने आती परफ्युम की खुस्बु ने उसके जिस्म को स्कैन करने पर मजबुर कर दिया और ना चाहते हुए भी सबकी मौजूदगी मे मैंने विमला के पिछवाड़े पर नजर मारी और गुलाबी कुर्ती मे उभरी गाड़ की गोलाई ने मुझे और मेरे लण्ड दोनो को एक अन्गडाई लेने को मजबुर कर दिया और मैं विमला के थोडा सट कर विमला की मखमली गाड़ की गोलाई को सहलाने लगा
पहले विमला सहम गई लेकिन फिर उसे अह्सास हुआ कि मै हू तो वो अपनी कोहनी से हल्का सा मार के आंख दिखाती हुई मुस्कुरा रही थी वही मै उसे एक शरारत भरी मुस्कान देके उसके गाड़ के मुलायाम पाट को एक बार अच्छे से दबा कर छोड दिया और फिर तस्बिरे निकलवाने लगा ।
इसी बीच सोनल और निशा स्कर्ट और टॉप मे कमरे से बाहर आई।
सोनल जो कि लॉन्ग आसमानी टॉप और मैटी पिंक मे लॉन्ग स्कर्ट पहने हुए थी वही निशा भी रानी कलर की टीशर्ट और एक हरे रंग की प्रिंटेड स्कर्ट पहने थी ।
सोनल - अरे अरे पापा हम लोग भी है ना
पापा हस के - हा बेटा आओ ना यहा आओ तुम
फिर पापा के आगे एक तरफ मा और एक तरफ दीदी खड़ी हुई और पापा ने दोनो के कमर मे हल्के हाथ डाल दिया जिससे पहले तो सोनल हिचकी लेकिन फिर नोर्मल होकर तस्वीरे निकलवाई
पापा को देख के चाचा ने भी चाची और निशा के साथ ऐसे ही पोज मे तस्वीरे निकलवाई
फिर हम सब भाई बहनो ने एक दूसरे से चिपका चिपकी करते हुए और एक दुसरे के गालो पर किस्स करते , और पाऊट करते हुए काफी तस्वीरे निकाली और फिर हम सब उपर की छत पर जाने लगे ।
जैसे ही हम सीढियो की ओर जाने को हुए की राहुल और अनुज मे होड़ हुई की कौन उपर पह्ले जायेगा और वो दौड़ लगाते हुए तेजी से उपर भागे और तभी मेरे दिमाग मे एक आइडिया आया
मै भी उन्के पीछे दौडता हुआ तेजी से उपर गया और जल्दी से अनुज और राहुल को अपना प्लान बताया ।
इधर अनुज ने राहुल से उसका मोबाईल लिया और झट से डीजे के पास गया फिर एक होली का मस्त गाना लगा दिया वो भी भोजपूरी ट्यून मे
भोजपुरी धुन पर खेसारी लाल की जबरदस्त होली की आईटम सोंग सुन कर मै भी मस्ती मे झूम गया और अपने फोन का कैमरा चालू किया
वही राहुल भी झट से एक बाल्टी भर अबीर लेके जीने के दरवाजे पर बने रैक पर जाकर खड़ा हो गया ।
मै सबके आने का इन्तेजार करने लगा और जैसे ही पापा चचा मम्मी चाची आगे आये मैने खुब तेज आवाज मे ह्ल्ल्ला करते हुए बोला - होली है !!!!!!
और तभी राहुल मे हाथ मे ली बाल्टी उल्टी करके स्ब्के उपर मिक्स रंग वाली अबीर गिरानी सुरु कर दी और सारे लोग ह्स्ते चिल्लाते भागते हुए छत के बीच मे आये और अबीर से सराबोर हो गये । लेकिन सोनल और निशा वही अन्दर ही रुक गये ।
पापा और चाचा जल्दी जल्दी अपने बाल झाड़ने मे लगे थे और
मा अपना पल्लू सिने से हटा कर ब्लाउज मे घुसे अबीर को सामने की तरफ झूक कर झाड़ रही थी जिससे उसकी मोटी चुचियो पर अबीर और फैलने लगा
विमला भी अपने सर झाड़े
लेकिन स्ब्से ज्यादा अगर किसी की दिक्कत थी वो थी चाची को
उनकी खुली कुर्ती और सीने के बिच खुली घाटियो मे अबीर स्ब्से ज्यादा भर गया था और वो तो मुथ्थीया भर कर निकाल रही थी ।
वही ये सब चीजे मै रिकॉर्ड करते हुए हस रहा था ।
मा हस कर झल्लाते हुए - ये क्या मज़ाक है राज
मै मा के सामने कैमरा ले जाकर हाथ मे लिये अबीर उन्के गालो पर मलते हुए कहा- हैप्पी होली मा येईईईईईईए
मा परेशान होकर मेरी तरफ आई और मै झट से मोबाईल बंद कर ह्स्ते हुए भागा । मा ने स्टॉल से हरे रंग की अबीर दोनो हाथ मे लेके मेरे तरफ भागी और विमला को बोली - पकड इसे विमला
मै ह्स्ते हुए भागरहा था पर
ज्यादा दुर नही जा पाया था कि विमला ने मुझे एक तरफ से दबोच लिया और ऐसा पकड़ा की मेरे हाथ भी उसके बाजुओ के गिरफ्त मे थे वही मेरे छटपटाने से उसकी मुलायम चुचिया मेरे पीठ मे गुदगुदी करने लगी और हसी इत्नी आ रही थी कि मै चाह कर भी कोई ताकत नही लगा पा रहा था और इसी ने मम्मी आई और दोनो हाथो से मेरे चेहरे को अबीर से रंग दिया ।
दो गदराई औरतो ने मिल कर मानो मेरी इज्ज्ज्त पर हमला कर दिया था और उन्के मदमस्त स्पर्श ने मेरे लन्ड मे तनाव ला दिया था ।
फिर विमला ने मुझे छोडा और वो मा के साथ हस्ते हुए स्टॉल पर चली गयी ।
इधर अनुज एक से एक अस्लील भोजपूरी गाना चला रहा था ।
सब केहू आपन चोख पिचकारी हूरे के चाहेला ।
हम सबकर भला चाहिला हमार सब बुरे चाहेला ।।
यहा गाने पर कहा कोई ध्यान दे रहा था । सब अपने मे मस्त थे ।
तभी पापा बोले - अरे बेटा थोडा हमारे समय का भी कोई मस्त गाना लगाओ
तभी मुझे एक मस्त गाने का ध्यान आया और मैने झट से यूट्यूब से एक 70s का सुपरहित राजेश खन्ना का होली का गाना चला दिया
जिसके शुरुवाती धुन सुन कर पापा चहक उठे और हाथो मे अबीर लेके मा के तरफ जाते हुए गाने की धुन पर लटके झटके लगाते हुए और गाने के साथ खुद भी तेज आवाज मे सुर मिलाते हुए गाना गाने लगे - हे आज ना छोड़ेंगे
दीपकक धी ढिपकक धी
दीपकक धी ढिपकक
मा पापा को अप्नी तरफ आता देख खुद को बचाने के लिए अपने गाल छिपाने लगी लेकिन पापा ने जबरजस्ती गाल गुलाबी करने लगे ।
और फिर मा के गाली को गुलाबी करते हुए - हा आज न छोड़ेंगे बस हमजोली ,,, खेलेंगे हम होली , खेलेंगे हम होली
मा पापा की हरकतो से शर्मा गयी और छत के दुसरी तरफ स्टॉल से दुर भागने लेकिन पापा गाने से सुर मिलाते हुए मा को प्यार जताते हुए पीछे से पकड कर उनकी नंगी क्मर और मुलायम पेट पर अबीर मल्ते हुए गाना गाते है - चाहे भीगे तेरी चुनरिया ,, चाहे भीगे रे चोली खेलेंगे हम होलीईईईईई
होली है!!!!!!
ये बोल कर पापा हवा मे अबिर उड़ा देते है और मा का हाथ पकड़कर नाचने लगते है ।
पापा की मस्ती देख कर अनुज भी मस्ती मे आकर मुझे अबीर लगाता है तो मै उसको राहुल से पकडवा कर स्टॉल तक लाता हू और निचे लिता कर एक एक रंग का अबीर ऐसे लगाता हू मानो शादी मे हल्दी ल्गाया जा रहा हो और हम सब की हरकते देख कर चाचा चाची विमला , और सोनल निशा सब मस्त थी ।
वही सोनल पहल करके थोडे अबिर लेके पहले चचा चाची को ल्गाती है और उन्के पैर छूकर आशीर्वाद लेती फिर विमला के पास जाकर उसको भी गालो मे रंग लगा कर उसके भी आशीवाद लेती है और ठीक वैसे ही निशा भी अपने मम्मी पापा को रंग ल्गा कर उन्के आशीर्वाद लेते हुए विमला को ल्गाती है और विम्ला उस्का माथा चूम कर उसको खुश रहने को कहती है
लेकिन जब मेरी नजर मेरी साफ सुथरी बहनो पर जाती है तो मै राहुल और अनुज को इशारा करके उनको घेरने को कहता हू , लेकिन सोनल मुझे ऐसा करते देख समझ जाती है और स्तर्क होने लगती है
लेकिन मै भी कम नही था भर कर मुठी मे अबीर लेके उसको पकड कर झुकाते हुए मुह पर हरा अबीर दर दिया और गालो को चूम भी लिया ,,,
सोनल ह्स्ते हुए - कमिने रुक बताती हू
इधर वो अबीर लेने गयी और यहा निशा को निचे लिटा कर अनुज और राहुल जमकर उस्के बालो गालो और गरदन पर रंग लगा के छोड दिया ,, जमीन पर गिरने से उसका टीशर्ट उपर होगया और उसकी नाभि दिखने लगी थी
वही सोनल मेरे तरफ अबीर लेके आती है तो मै उस्के सामने आंखे बंद कर बाहे फैला कर खड़ा हो जाता हू और फिल्मी होते हुए शाहरुख के अंदाज मे बोलता हु - आओ लगा लो मै नही रोकूँगा तुम्हे
इधर मम्मी पापा भी वाप्स स्टॉल तक आ गये थे ।
मेरे मस्त होकर रंग लगवाने के हरकत से सब हस रहे थे और मै आंखे बन्द किये सोनल के मुलायाम हाथो से अपने चेहरे पर अबीर लगने का इन्तेजार कर रहा था कि तभी मुझे मेरे लोवर की लास्टीक मे पीछे की तरफ से खिचाव मामूल पडा और मैने आन्खे खोली तो देखा सोनल सामने खड़ी हस रही थी और जब तक मै कुछ समझकर पीछे घूमता किसी के मुलायम हाथ मेरी नंगी चुतडो के गालो को गुलाल से ठण्डा कर रहे थे और मेरी नजर जब घूमी तो वो मा थी जो मेरे लोवर मे हाथ डाल कर मेरे पिछवाड़े मे अबीर डाल रही थी
मा को देखते ही मै झटक कर उनसे दुर हुआ और अपने लोवर की लास्टीक फैला के पिछ्वाडा झाड़ने लगा और मुझे ऐसा करते देख सारे लोग
हस हस कर लोटने लगे ।
मा मुह पे हाथ रखे हस कर भागने लगी और कभी विमला के पीछे छिपने लगी तो कभी चाची के और जब चाची के पीछे गयी तो मै चाची के सामने से उनको लपक कर पकड चाहा इस चक्कर मे चाची और मै डिसबैलेंस होकर गिरने लगे और चाची बगल मे खडे पापा के हाथ को पकड कर सहारा लेने चक्कर मे उनका पैजामा खिच दिया और फिर हम फर्श पर आ गए पापा के पायजामे क साथ ही
पापा ने झट से वापस पैजमा उपर चढ़ाया और हम खडे खडे हसने लगे ।
चाची शर्म से लाल हो गयी थी और वो पापा को सॉरी बोलती है तो पापा उनको रिलैक्स होंने का इशारा करते है ।
इधर हसी का महोल चल ही रहा होता है की मा छोटी वाली बाल्टी मे अबीर भर कर स्टॉल वाली टेबल पर चढ़ते हुए चुपके से चाचा के सर पर बाल्टी उडेल देती है
मा हस्ते हुए - देवर जी बडे साफ साफ लग रहे थे अब मज़ा आया हिहिहुही
इतने चाचा ने मा की कलाई पकड ली और निचे उतार कर दुसरे हाथ मे गुलाबी अबीर लेके छिटा मारते हुए मा के गरदन और छातियो पर मारते हुए बोले - म्ज़ा तो अब आया है भौजी हाहाहा हाह
और शुरु हो गयी देवर भौजी वाली मस्तीया रंग भरी वो उनको पुरे छत पे दौडाने लगे
इधर विमला अकेले किनारे खडे हस रही थी और पापा की नजर उसपे गयी तो वो भी बडे इत्मीनान से हाथो मे रंग लेके विम्ला की तरफ गये
पापा हस कर - अरे बहन जी थोडा बहुत आप भी मज़ा लिजिए आईये हम भी आपको गुलाल लगा देते है
विम्ला शर्मा कर नही नही करती रही लेकिन पापा एक हाथ से थोडा थोडा गुलाल विम्ला के गालों पर हल्के हाथो से लगा कर होली की बधाई दी
तो बदले मे विमला उनका हाथ पकड कर स्टॉल तक ले आई
और अबीर से भरी थाली मे केसरिया रंग हाथो मे भर के पापा के पुरे चेहरे पर मलते हुए कहा- आपको भी होली की बहुत बहुत बधाई भाईसाहब
पापा का चेहरा जब अबीर से भर गया तो वो भी बदले मे विम्ला की कलाई पकड कर बोले - आपने तो कुछ ज्यादा ही बधाई देदी बहन जी , आईये थोडा हिसाब बराबर कर लेते है
इधर पापा ने भी वापस से अबीर लेके विमला के गरदन और मूलायम गालो पर अबीर अच्छे से मला
इधर सारे लोग मस्ती मे मगन थे और डीजे पे गाना तेजी से चल रहा था जिसे मन हो रहा था मिठाइया खा रहा था पानी पी रहा था और मै भी ऐसा खोया था कि जो भी मिलता उसके साथ चिल्ला के रंग लगाते हुए नाच रहा था ।
फिर मुझे थोडा पेसाब मह्सुस हुआ तो मै स्टॉल से हट कर पीछे की तरफ पेसाब करने जाने ल्गा
डीजे पर बज रहे गाने पर झुमता हुआ मस्त बाथरूम् खोला और मुतना चालू किया और जेब से मोबाईल निकाल कर देखा तो चंदू के काफी मिसकाल आये थे और मैसेज मे काफी गालिया भरी हुई थू की
कहा है तू , फोन क्यू नही उठा रहा , उसने मेरी मा बहन को भी काफी इज्ज्ज्त भरे लहजे मे कुछ अच्छे सामाजिक शब्द लिखे थे
मुझे उसका मैसेज पढ कर हसी आई और मैने उसको एक मैसेज करके बोल दिया कि मै नये घर पर हू और यही होली खेल रहा हू, शाम को पंडाल मे मिलूंगा
फिर मैने मोबाइल वापस जेब मे रखा की तभी डीजे पर एक गाना खतम हुआ और दुसरा शुरु होने का था कि मुझे किसी के खिलखिलाने की आवाज आई बाहर से ही
मै चौका और बाथरूम से निकल कर बाथरूम के बगल और छत की चारदिवारी के बिच मे जो खाली जगह थी वहा बाथरूम की दिवाल से लग कर हल्का सा झाका
तो चाचा मा को पीछे से पकड के उनकी नाभि मे अबीर मल रहे थे और मा उन्हे ना ना कर रही थी । मा को चाचा की बाहो मे छतपताता देख मेरा लण्ड खड़ा हो गया
चाचा - आज मना मत करो भौजी आज तो मै इनको रंग लगा कर ही रहुन्गा
मा - तो लगा लो ना कहो तो चोली खोल दू हिहिहुही
चाचा मा की बात से खुश होकर उन्की मुलायम नाभि वाले हिस्से के पेट को हाथ मे दबोचते हुए कहा - बड़ी जल्दी है भौजी आपको चोली खोलने की हा
मा मुस्कुराते हुए छटकती रही वही चचा ने मा का पल्लू हटा के मा की चुचियो पर गुलाबी अबीर मल दिया और बलाऊज के उपर से चुचियो को मिजने लगे
मा चाचा के स्पर्श से पागल होने लगी और वो चाचा की बाहो मे ढीली पडने लगी
चाचा - आह भाउजी आपकी छाती तो काफी मुलायम है अह्ह्ह
मा हफते हुए - बस करिये देवर जी कोई आ जायेगा अह्ह्ह उम्म्ंम
चाचा को ध्यान आया कि वो कहा खो गये थे तो उन्होने मा को छोडा और मा झट से हस्ती हुई भाग गयी और मै भी वहा से वापस बाथरुम मे घुस गया कि वो मुझे ना देख पाये
फिर थोडा रुक कर वापस स्टॉल की तरफ आया तो सारे लोग म्स्त थे लेकिन पापा और विमला कही नजर नही आ रहे थे ।
मै इधर उधर काफी देखा लेकिन वो नजर नाही आये
आखिर कहा गये होगे मै सोच ही रहा था की निशा मेरे पीछे से आकर मेरे गालो मे अबिर मला और हस्ते हुए बोली - क्या हीरो हमारे साथ नही खेलोगे क्या होली हिहिहिह
मै सब छोड कर उसकी तरफ भागा और वो भी ह्स्ते हुए भागी और मैने निशा को पकड कर अच्छे से उसके गालो गरदन मे अबीर मल्ते हुए उसकी चुचियो को छिप कर दबा कर छोड दिया और इधर मा ने चाचा के साथ चाची को दबोच लिया ,,, राहुल अनुज सोनल के पीछे लगे थे और उसे छत पर दौडा कर दुसरे तरफ ले गये ।
मैने सबको बिजी देखकर धीरे से निशा को डीजे के पीछे ले गया और उसकी चुचियो को मिजते हुए थोडी देर उसके उसके होठो को चुस कर स्टॉल की तरफ आ गया ,,,
जहा मा ने चाची के कुर्ती मे हाथ डाल कर उनकी चुची को मल कर रंग लगा रही थी और चाचा चाची के पैर पकडे हुए मा को चढा रहे थे- हा हा भौजी और लगाओ , हमसे बड़ा शर्माती है हाहाहहा
जैसे हम बाहर आये निशा यहा का सीन देख कर शर्मा कर छज्जे की तरफ चली गयी ।
वही छत के दुसरी तरफ बाथरूम के पास अनुज ने बाल्टी मे पानी वाला रंग घोल दिया था और पिचकारी दीदी और राहुल के उपर चला रहा था ।
इनसब के बीच मुझे वापस पापा और विमला नजर नही आये
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Erotic holi bhai...UPDATE 74
पापा और विमला की अनुपस्थिति मुझे खलने लगी और मुझे इस बात की धक-धक होने लगी कि कही मेरा ठरकी बाप और वो आवारा औरत मिल कर निचे अपनी अलग होली तो नही ना मना रहे हैं ।
इतने में निशा वापस मेरे पास आई और मुझे सोच मे डूबा देख मेरे कन्धे थपथपा कर बोली - कहा खो गया तू , देख गाना बंद हो गया
मै घबडाहट भरे लहजे मे - अब ब ब वो हा रुको मै देखता हू आओ
फिर वापस मै और निशा के साथ डीजे के पास गया और फिर से एक भोजपुरी होली वाला प्लेलिस्ट का गाना चला दिया
मै निशा से- दीदी आपने पापा को देखा क्या
निशा - अरे वो तो विमला आंटी का चेहरा धुलवाने निचे गये है , यहा वाले बाथरुम मे तुम गये न
मै नोर्मली - ओहहह ये बात
फिर मै जेब से अपना मोबाईल निकाला और उसे देखते हुए कहा- ओहो ये चंदू भी ना
निशा - क्या हुआ राज
मै परेशान होने के भाव मे - ये कबसे फोन करके मुझे बुला रहा और यहा कैसे बात करू
निशा - अरे बुधु निचे चले जाओ ना हिहिहिही
मै हस कर - हा सही कह रही हो रुको मै अभी बात करके आता हू ।
फिर मै झट से सीढी से निचे गया और हाल मे उतरा, उपर के डीजे के गाने की आवाज निचे खाली कमरो मे गूंज रही थी लेकिन फिर भी एक सन्नाटा सा पसरा था ।
मै भी बडे आराम से आस पास नजर घुमाई और सोचा आखिर पापा विम्ला को लिवा कर गये तो कहा गये होगे । तभी मेरी नजर सीढी से लगे बेडरूम के हलके खुले दरवाजे पर गयी और मै दबे पाव उसकी तरफ गया और दरवाजे के महीन गैप से अपनी आँखो के फोकस को बढ़ाते हुए आँखो को छोटा कर कमरे मे बिना कोई हलचल किये देखना चाहा लेकिन कुछ नजर नही आया और बाहर से कोई खिडकी भी नही थी तो मैने वही फर्श पर बैठ कर बहुत हल्के हल्के स्लो मोशन मे दरवाजे के निचले हिस्से पर जोर लगाया और थोडा सा गरदन जाने जितना खोला और अन्दर झाका तो कोई कही नजर नही आया तो मै खड़ा होकर बहुत हौले से दरवाजा खोल कर अन्दर गया तो बाथरूम का दरवाजा आधा ही खुला था और मेरी दिल की धड़कन तेज होने लगी क्योकि कमरे मे घुसते ही थरूम से कुछ कसमसाहट भरी सिस्किया आ रही थी ।
मुझे घबडाहट मे भी एक अलग ही उत्तेजना का अनुभव होने ल्गा और अपने ठरकी बाप की कामयाबी पर हसी भी आई
फिर मै दबे पाव बाथरूम की दीवाल तक गया और मुझे यहा से अन्दर झाक्ना रिस्की लग रहा था पर मै देखना चाह रहा था कि क्या नजारा हो सकता है अन्दर का
तभी मेरे दिमाग मे एक आइडिया आया और मै खुश हूआ फिर मैने जेब से मोबाइल निकाल कर बैक कैमरा खोलकर फ्लैश लाईट ऑफ कर रिकॉर्डिंग चालू कर दिया और धीरे धीरे बाथरूम के दरवाजे के बने गेट से आगे बढ़ाते हुए मोबाइल का उतना ही हिस्सा आगे ले गया जिससे कैमरा अन्दर की रिकॉर्डिंग अच्छे से कर पाये ।
कुछ एक आध मिंट की रिकॉर्डिंग के बाद मैने वापस मोबाइल लिया और वही खडे खडे मोबाइल का वेल्यूम म्यूट कर वीडियो प्ले किया तो ऐसा सीन आया कि मै थूक गटकने लगा
अन्दर बाथरूम मे विमला वेसिन थामे खड़ी थी और पापा उसके पीछे बैठ कर उसकी लेगी और पैंटी को जांघो तक लाये हुए उसकी गाड़ मे मुह गाड़े हुए थे और विमला अप्नी गाड़ उचका कर पापा के नथुने पर अपने छेद रगड़वा कर सीसक रही थी ।
मै वीडियो देख ही रहा था कि विमला की आवाज बाथरुम से आई
विमला सिस्क्ते हुए लहजे मे - उम्म्ंम सीई आह्ह ब्स करिये भाईसहाब हमे अब चलना चाहिये काफी समय आह्ह हो गया है उफ्फ्फ आह्ह
पापा - अब ब हा हा ठीक कह रही है आप बहन जी ,, वैसे आपके इनका टेस्ट काफी जायकेदार था
विमला इतराने के स्वर मे - आप भी कम नही है भाईसाहब , भरपूर स्वाद लिया आपने भी तो
पापा - अभी तो इनको भी चखना है , बहुत गजब की माल हो आप बहन जी ,,, ऐसे नही महेश का मन बिगडा था आप पर
विमला सिस्कर- आह्ह छोडिए ना भाईसाहब कबसे मिज रहे थे इनको अब तो छोड दो और चलिय उपर चलते है
पापा - ऐसे नही जान,,, आप ब्रा निकाल दो जब रंगीन पानी इन मुलायम चुचियो पर गिरेंगे तो ये और खिलेंगे
विमला शर्माहट भरे लहजे -धत्त नही मेरे निप्प्ल दिखने लगेंगे सबको तो
पापा हस कर - तो क्या हुआ ,,, आखिर इस उम्र मे जब कसी हुई चुचियो के भिगे कुंडे देखने मे सबको मजा भी आयेगा और सबका लण्ड ही तो खड़ा होगा ना बहन जी ,,, अब तो आप भी मज़े लिजीये
मै पापा और विमला की बाते सुन कर उत्तेजित हो गया था और लण्ड को लोवर के उपर से ही दबा रहा था ।
तभी वापस कमरे से विमला की आवाज आई - ओह्ह आराम से , मै निकाल रही हू ना हिहिहि नही अभी मत छुइये इन्हे अह्ह्ह मा उफ्फ्फ सीई आह्ह मत मसलो ना भाईसाहब ह्य्य्य आह्ह
मै समझ गया कि पापा इस वक़्त विमला के चुचे मल रहे होगे
तभी वापस से विमला की आवाज आई - सब होगया, अब चलिये
पापा - एक बार इन रसिले होठो का स्वाद भी देदो ना मेरी जान
मै समझ गया अब ये बाहर आयेगे इसिलिए मै झट से कमरे से बाहर आया और सररर से सीढि से उपर आ गया
छत पर आया तो यहा अलग ही रोमांच मचा हुआ था पानी वाले रंगो का
एक तरफ अनुज और राहुल अपनी गैंग बनाये हुए थे दो दो बाल्टी भर कर हाथो मे पिचकारी लिये हुए चला रहे थे
वही निशा और सोनल भी पिचकारी पकडे दूसरो को भिगो रही रही थी ।
चाची मा को पकडे हुए थी और चाचा सामने से मा के पेट पर पिचकारी मारते है जिससे मा की साडी उन्के उभरे पेट से चिपक जाती है और उनकी साड़ी पारदर्शरी हो जाती है । जिससे उनकी गहरी नाभि दिखने लगती
वही मा भिया हस्ते हुए उनको पिचकारी लेके दौडा देती है
इनसब से बच कर मै चुपचाप अप्नी जेब से मोबाईल निकाल कर डीजे के पास ऑफ करके रख देता हूँ और स्टॉल से एक पिचकारी लेके मै भी अनुज के गैंग मे शामिल होकर शुरु हो जाता हू
इधर सोनल की मतकती गाड मेरे सामने आती है और मै भर पिचकारी उसके चुतडो पर चला देता हू जिससे उसका स्कर्ट उसकी गाड़ की गोलाई का सेप ले लेता है और दो तीन बार लगातार उसकी कमर पर धार देता हू
सोनल ह्स्ते हुए - रुक बेटा बताती हू तुझे ,
मै हस्ते हुए वापस पिचकारी भरने लगा और तबतक मेरे गरदन पर पिचकारी की धार आई और मै अन्दर से गिला होने लगा ।
सामने देखा तो सोनल ही थी और मै झट से पिचकारी की तेज धार उसकी चुचियो पर मारी और वो आउच करते जए छ्टक कर अपनी चुचीयो छिपा ली
सोनल - ऊहह मा , पागल कितनी तेज लगी आह्ह्ह्ह
मै झट से सोनल के पास गया और वापस से उसकी गरदन के पास पिचकारी मार कर उसके बदन को भिगो कर दुसरी तरफ भाग गया ।
स्टॉल की तरफ आया तो पापा भी पिचकारी भरे विमला की छातियो पर धार मार रहे थे जिसे विमला हाथ आगे किये रोकते हुए इधर उधर भागती है
लेकिन जल्द ही उसकी चुचियो के डार्क निप्प्ल दिखने ल्गते है
वही मौका देख कर चाची पापा के पीठ पर पिचकारी लेके चला रही थी ।
वही मा और चाचा के बीच गिलास से रंग एक दुसरे पे फेक जा रहा था ।
मै भी भरी पिचकारी उठाई और चाची के पीछे से उनकी चुतडो पर धार मारी जिससे उनकी प्लजो की बेल्ट और गाड़ की गोलाई साफ पता चलने लगी और मैने वाप्स से रंग भर कर विमला के चुचियो को साध कर निप्प्ल पर धार मारी और वो तनमना कर अपनी चुचिया पकड कर बैठ गयी ।
सब मस्ती मे मगन थे और सभी गहरे लाल रंग मे रंग चुके थे ।
मै भी थोडा अबीर लेके वापस से चाची के पास गया और उन्के गीले गालो पर हरा अबीर मल दिया जिससे वो उनका चेहरा अबीर स भर गया और मै वहा सं निकल गया , इधर देखा तो चाचा मेरी मा के साथ कुछ ज्यादा जी मजे के रहे थे और पापा भी विमला के साथ मजे मे थे , उधर बाथरुम की तरफ चारो भाईबहन आपस मे लगे हुए थे ।
मै थोडी देर स्टॉल मे बैठा और एक ग्लास पानी पीकर एक नजर मा की तरफ डाला तो देखा उसकी सिफान की साड़ी उसके जिस्म से चिपकी हुई थी और लाल रंग के वो चखत गयी थी ,,,चचा लगातार मा की चुचियो और नाभी पर निशाना मारते और गुलाल उड़ाते
मुझे मस्ती सुझी और मै भर बाल्टी रंग लिया और दबे पाँव धीरे धीरे मा को इशारा करते हुए चाचा के पीछे गया और जैसे ही चाचा बाल्टी से रंग भरने को झुके लपक कर मैने उनकी बाजुओ के साथ ही उनको पीछे से पकड लिया
मै ह्स्ते हुए - मा अब डालो चाचू पर हिहिही
मा ह्स्ते हुए अपनी खुली साडी कमर मे खोसते हुए बोली - कस कर पकडे रहना बेटा , आज आये हो पकड मे देवर जी ह्हिहिहिह
और मा ने रंग से भरी बाल्टी चाचा पर उडेल दी जिस्से मै भी आधा भीग गया
मा ह्स्ते हुए - रुक अभी छोडना मत राज
मै चाचा को बाजुओ ने कस्ता हुआ - हा लाओ मा मै पकडे हुए हू
तब तक मा ने बैगनी रंग की अबीर से भरी थाली लेके आई और अच्छे से चाचा के भिगे चेहरे और गरदन पर मला और फिर एक नजर बाकियो पर डाला फिर बोली - जरा उस कोने मे ले चल बेटा
मै ह्स्ते हुए चाचा को पीछे की तरफ जोर लगा के बड़ी मुस्किल से खिचते हुए लेके छज्जे के पास लेके आया जहा स्टॉल का पर्दा ल्गा था और य्हा हमे कोई देख नही पाता
तभी मा बोली - बेटा तू आंखे बंद कर के थोडा तो
मै चौक कर - क्यू
मा ह्स्ते हुए - ब्न्द कर ना पूछ मत कुछ
मै ओके बोल कर हल्की सी आंखे बंद की बाकी मम्मी का ध्यान मुझ पर नही था लेकिन मै बकायदा उनकी हरकतो पर नजर बनाये रहा
तभी अचानक से चाचा मेरे बाहो मे पहले से तेजी से छ्टकने लगे - हिहिहिही नाही भौजी उहा ना लगाओ नही तो ठीक ना होगा
मा ह्स्ते हुए - तुमने भी तो हमको नही छोडा था देवर बाबू , लल्ल्ला कस कर पकड बहुत फड़फड़ा रहे है तेरे चाचा
मै जोर लगा कर चाचा को पकडे हुए - हा मा जल्दी करो मै ज्यादा देर तक नही पकड सकता हू
इधर मा ने चाचा कुर्ता उठा के पायजामे का लास्टीक खिचा जिस्से चाचा ने छ्टकना शुरु कर दिया और वही मा जबरदस्ती हस्ते हुए थाली को उनके पायजामे के अन्दर की तरफ घुमा कर सारा अबीर उनके पायजामे मे भर दिया जिससे चाचा ह्स्ते हुए मुझे झटक कर अलग हुए और मा की कलाई पकड कर पास की रखी बाल्टी मे जिस्मे चाचा का रंग रखा था उसको मा पे सर उपर उडेल दिया जिस्से मा भी उपर से निचे तक लाल हो गयी । सारा रंग मा के बाल से होकर उनके चेहरे से रिस कर उनकी उभरी हुई चुचियो से झरने के जैसे गिरने लगा
फिर चाचा मेरी तरफ झपटते हुए - रुको बेटा बताते है तुमको
मै वापस स्टॉल की तरफ भागा ह्स्ते हुए , वहा चाचा मुझे लपक कर पकड लिये , मै छ्टपटाते हुए जमीन पर लोट गया
इधर चाचा ने चाची को आवाज देके बुलाया और अबीर की थाली मागी
चाची हस्ते हुए केसरिया रंग के अबीर की थाली लेके आई और मेरे चेहरे पर मल दिया
तभी चाचा ने लोवर पकड कर सामने से अंडरवियर से साथ खीचा और चाची ने सारा अबीर एक एक मुथ्थी भर भर कर मेरे खडे लण्ड पर फेकना शुरु कर दिया
सारे लोग मेरी बेज्ज्ती हस रहे थे और मुझे थोडी शर्म मह्सूस हुई लेकिन मै वापस खड़ा हुआ और बोला - चाची अब बच कर दिखाओ
एक बाल्टी रंग उठाया और सामने पापा मिले
मै चिल्लाते हुए - पापा चाची को पकडिए हिहिही
पापा पहले थोडा संकोच किये लेकिन जब देखा कि चाची उनको देख कर मुस्कुरा कर इधर उधर भाग रही थी है
मै वापस बाल्टी लिये हुए पापा को - पापा पकड़ो ना जल्दी
तो पापा लपक कर उनको साइड से कमर मे हाथ डाल कर पकड लिया और हड़बड़ी मे चाची के हाथ पापा के लण्ड के सामने पड गया वो उसको स्पर्श करने लगा जिस्से चाची और भी ज्यादा छ्टपटाने लगी ।
मै एक शरारती मुस्कान के साथ से पूरी बाल्टी चाची और पापा के उपर उडेल दी । फिर पापा ने चाची को छोड दिया और चाची पापा को देख कर हसने लगी वही पापा भी चाची के सामने अपना खड़ा लण्ड एडजेस्ट करते हुए हस रहे थे ।
चाची उपर से निचे तक पूरी गीली हो गयी और उनकी कुर्ती चुचो के उभार को और भी ज्यादा सेप मे दिखाने लगी।
इधर मै चाची मे मगन था कि दुसरी ओर से मा के खिलखिलाने की आवाज आई जब नजर उधर गयी थी देखा कि वो विमला के कुर्ती मे हाथ डाल कर नंगी चुचियो को रंग लगा रही थी और चाचा स्टॉल मे बैठे सुस्ता कर ऊन दोनो की मस्ती देख कर लण्ड को पजामे के उपर से मुठिया रहे थे ।
तभी छ्त के दुसरी तरफ से अनुज की गैंग मे आवाजे आई और उधर देखा तो निशा और सोनल ने मिल कर अनुज को नंगा कर दिया और वो गाड़ और नुनी छिपाते हुए बाथरूम मे घुस गया । वही राहुल उन लोगो से बच कर हमारी तरफ स्टॉल मे अपने पापा के पास बैठ गया ।
फिर इधर वापस मम्मी और विमला का फर्श पर लोटन चलता रहा और च्ररर चरररर की आवाजे आई और फिर मा खड़ी हुई तो उनकी सिफान साडी आधी फट चुकी थी और वही विमला की कुर्ती एक साइड से आधी मा ने खोल दी । एक तो बेचारी ने ब्रा नही पहने उपर से साइड से कुर्ती फट गयी ।
विमला के चुचे और खडे दाने का निप्प्ल साफ दिख रहा था
मा ह्स्ते हुए उठी और अपनी आधी बची हुई भीगी साडी भी कमर से निकाल कर उसको गारते हुए फर्श पर लेटी विमला के उपर रंग गिराने के बाद साडी उसके उपर ही फेक कर स्टॉल मे आई जहा मा के हल्के अनुरि रंग पेतिकोट मे उनकी गाड़ की उभार चाचा के ठीक सामने थी , वही पेतिकोट भी काफी हद तक भीग कर गाड़ से चिपक चूकी थी और उसको देख कर चाचा ने एक बार थूक भी गटका ।
वही विमला भी उठ कर साइड से अपनी कुर्ती बान्ध ली फिर उसकी नंगी कमर एक साइड से दिखने लगी और अब कुर्ती उपर होने से उसकी लेगी मे कसी जान्घे और पैंटी का सेप भी दिख रहा था ।
इधर मै धीरे से राहुल के पीछे गया और कररररर से उसके शर्त का साइड फाड कर भागा जहा चाची ने मुझे दबोच लिया और मुझे पकड कर राहुल को आवाज दी तो वो भी ह्स्ते हुए मेरे पास आया और मेरी टीशर्ट को उसमे बने छेद मे उंगलिया डाल कर फाड दिया ।
मा की नजर जब चाची पर गयी तो बोली - अच्छा जी मेरे बेटे को मिल कर सता रहे हो ,,
मा पापा से - पकड़ीये जरा शालिनी को राज के पापा
चाची एक बार फिर मुझे छोड कर बाथरुम की तरफ भागी और उन्के पीछे पापा और मा भागे और तीनो बाथरूम के बगल के खाली जगह मे घुस गये
इधर हम भाई बहन लोग वापस मस्ती मे आ गये और विमला अप्ना दुपट्टा लपेटकर चाचा के साथ बैठ कर बाते करते हुए हस रही थी
और थोडी देर बाद मा आवाज दी मुझे
मा चिल्लाते हुए - राज बेटा जरा रंग लाना तो
मै खुस हुआ और एक बालती रंग और झिल्ली भर अबीर लेके भागता हुआ बाथरूम के बगल के खाली जगह पर गया
जैसे ही मै बाथरूम के बगल मे पहुचा तो देखा की चाची की हालत बुरी थी
पापा के उनको पीछे से पकड हुआ था । चाची की कुर्ती उठी हुई थी और पापा का हाथ उनकी मुलायम नाभि पर था और वो छ्टपटा रही थी , वही मा ने उनकी कुर्ती सामने गले पर बीच से फाड दी थी थोडी जिससे चाची के ब्रा और गहरी घाटी दिख रही थी
मा ने झट से मेरे हाथ से बाल्टी ली और सारा रंग पापा और चाची के चुचियो पर फेका और मेरे हाथ से अबीर लेके दोनो मुथ्थीयो मे भर कर उनकी चुचियो के उपर पापा के सामने मल दिया और फिर ब्रा मे हाथ घुसाते हुए निप्ल्ल को मरोडते हुए बोली - कितनी कसी हुई ब्रा पहनती है रे तू तभी तेरे ये गुलगले सख्त है
चाची गुदगुदी से पापा की बाहो के कसमसा रही थी लेकिन उनके हाथ को पापा ने अपनो जांघो मे पीछे की तरफ दबा कर रखा था और मैने गौर किया तो पापा का भी कुर्ता उपर से फट गया था ।
मुझे बहुत मज़ा आ रहा था तीनो की मस्ती देख कर और लण्ड तो लोवर मे पुरा तन कर खड़ा था
इधर जैसे ही मा ने अबीर लगा दिया कि पापा ने अपनी पकड ढीली की और चाची झटक अलग हुई और अपनी कुर्ती का उपरी हिस्सा जो मा ने फाड दिया था उसको पकड कर स्टॉल पे चली गयी ।
और मै वही खड़ा मुस्करा रहा था कि पापा की एक कसमसाहत भरी आवाज आई - अह्ह्ह खड़ा कर दिया सालि ने
मा पापा को छेडते हुए उन्के पजामे के उपर से उनका लण्ड सहलाते हुए बोली - कहो तो मै बैठा दू
पापा मा के हाथो से अबीर लेते हुए - अभी नही जान रात मे , अभी तो मुझे तुम्हे लाल कर लेने दो
फिर पापा मा को दीवाल से लगा कर उनकी चुचियो पे अबीर मलने लगे और मा बिना उन्के रोके मदहोश होने लगी
मै उनको देख कर समझ गया यहा थोडी देर मस्ती होगी इनलोगो की
चलो मै भी किसी को पकडता हू
मै वापस स्टॉल पर आया तो देखा सभी थक कर बैठे हुए हैं
मै ह्स्ते हुए - क्यू भाई अभी से थक गये और ये अनुज कहा है
निशा हस्ते हुए - वो अभी भी बाथरूम मे नंगा है
हम सब हस कर बाते कर रहे थे और थोडी देर बाद बाथरूम का दरवाजा खुला और अनुज गरदन निकाल कर इधर उधर देख रहा था तो मैने उस्का जीन्स उठाया और लेके बाथरूम के पास गया और उसे देके बोला की वापस आ ,,,तभी मुझे सिसिकियो की आवाज आई और मै बाथरूम के बगल मे देखा तो पापा ने मा के ब्लाउज खोल दिये थे और एक चुची को मुह मे लेके चुस रहे थे
मै ये नजारा देख ही रहा था की चाची भरी बाल्टी रंग लेके आई और मुझे नहला दिया वापस से और उनकी भी नजर मा और पापा के हरकत पर गयी
इधर अनुज झट से बाहर आया और बिना हमारी तरफ देखे निकल गया स्टॉल की तरफ
वही मै किनारे हुआ तो चाची ने मा को चिढाने के अंदाज मे बोली - ओहो दीदी रात तक तो रुक जाती हिहिहिहिही
चाची के बोलने पर मै छिप था थोडा वही पापा चौक कर घूम कर चाची को देख्ते हुए
मा ने एक मदहोश भरी नजर चाची को देखा और अपने निचले होठो को उपरी दाँतो से भिचते हुए लपक कर चाची को अपने पास खिच लिया जिससे चाची सिधा मा के दुसरे खुले चुचे पे गिरी और मा ने उन्का सर अपनी दुसरी चुची पर दरने लगी
पापा तो थे ही ठरकी और बेशर्म तो वो चाची की आंखे मे देख्ते हुए मा के निप्प्ल पर जीभ घुमाने लगे जिस्से मा उत्तेजित होकर चाची का मुह और तेज चुचियो पर दबा रही थी ।
और आखिरकार बूदबुदाते हुए चाची मे मा की चुची को मुह मे भर ही लिया जिससे मा सिस्किया लेने लगी ।
यहा मेरा हाल और भी खराब होने लगा ।
वही पापा और चाची मुझे इग्नोर कर एक दुसरे की आँखो मे देखते हुए मुस्कुराते हुए मा के निप्प्ल चुस रहे थे ।
रंगो की होली मे धीरे धीरे हवस ने अपनी जगह बना ली थी, ना जाने आगे क्या होना था।
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