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Adultery सपना या हकीकत [ INCEST + ADULT ]

Dhaal Urph Pradeep

लाज बचाओ मोरी, लूट गया मैं बावरा
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UPDATE 008


अब आगे

अगली सुबह आंख खुली तो मौसी नही थी मै उठा और टॉयलेट मे ही फ्रेश हुआ और नहा के नीचे गया तो पापा बर्तन वाली दुकान के लिए निकल गये थे और दीदी अपने कॉलेज
क्योकि उसने 12वी के बाद boilogy ले लिया जबकि मै BA कर रहा था तो ज्यादा क्लास नही करता था ।
बस शाम को 4 बजे कोचिंग जाता था । अनुज भी अपने स्कूल जा चुका था ।
मै भी नास्ता किया और अपना नया दुकान को खोलने नीचे आ गया ।


कुछ टाईम बाद मम्मी नीचे आई और एक 44 साइज़ की panty और 42 की ब्रा लेके ऊपर चली गयी । मै समझ गया कि वो मौसी के लिए था क्योकि मौसी हमारे यहा रूकने का प्रोग्राम नही बना के आयी थी ।

फिर दोपहर में मै खाना खाने ऊपर गया तो मौसी को देख कर फिर से लंड खड़ा हो गया क्योकि उन्होने बिना ब्लाऊज के ही सिर्फ ब्रा के ऊपर से मा की साडी पहनी थी ।
मौसी को देख कर लगा कि उस काले रंग की ब्रा मे मानो मौसी ने अपने चुचो को ठूस के भरा हो क्योकि 42 साइज़ के भारी और बडे चुचे के कुछ भाग कन्धे के निचे से भी निकले हुए थे ऊपर से एक हल्के अंगूरी कलर की सारी को लपेटा था जो चाह के भी उनके उभरे हुए चुचो को छिपा नही सकता था

एक नजर मे मौसी की रसभरी जवानी को ताडने के बाद जब मेरी नजर उनकी आँखो से मिली तो मै थोड़ा हिचकिचाते हुए खाना खाने बैठ और बिना कोई खास बातचित के खाना खा के नीचे आ गया ।

फिर मा ने मुझे पापा के लिए टिफ़िन दिया बर्तन वाले दुकान पर ले जाने के लिए

मै थोडी देर में दुकान पर और खाना देकर वापस आ गया तो मम्मी ने अपने 2 ब्लाऊज और 2 पेतिकोट दिये
और बोले करीम खां के यहा देते आओ बोल्ना 2 इन्च ढिला करना है ।


नया परिचय
करीम खां - मुहल्ले मे एक दर्जी है जिसकी दुकान चंदू के घर के ठीक सामने ही थी ।
इसका कुछ खास रोल नही है बस जानकारी के लिए

मै करीम खां के दुकान पर गया और जैसा मा ने बोला था उसको कपड़े देके सोचा चंदू से मिलता चलू

तो मै उसके घर गया तो कमरे सिस्कियो की आवाजे आने लगी
मुझे लगा कही रामवीर रजनी के साथ लगा तो नही चलो और आज मै ये मौका छोड़ना नही चाह्ता था मुझे रजनी दीदी की वो कसे चुचे को देखने का मन करने लगा और धीरे धीरे कमरे के पास गया और खिडकी से अन्दर देखा
तो मेरी नजर बेड प अपना ब्लाऊज खोले चुचियो को रगड़ते हुए चंदू की मा पर गयी

उफ्फ्फ क्या कयामत थी वो चुचिया एक बराबर की गोलाई लिये उसके स्तन और उन नरम गोरे चुचो पर बड़ा सा चाकलेती घेरा लिये दो किसमिस की तरह कड़े निप्प्ल
उफ्फ़फ्फ
मै सोचने लगा काश मैं उन किस्मिस जैसे नर्म और कडक दाने को अपनी जीभ से गिला कर पाता
फिर मैने नजर निचे की तो उनकी साडी घुटनो तक ऊपर थी और कोई आदमी उनकी साडी मे घुस कर चुत चाट रहा था !
ये सीन देख कर मेरा लण्ड फनफनाने लगा
तभी रजनी ने ऐसा कुछ बोला कि मेरे लण्ड मे और कड़क और जान आ गयी साथ मे मेरे कान खड़े हो गए

रजनी उसके सर को अपनी चुत पर दबा रही थी और बोली - ओह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह च्च्च्ंंदऊऊऊ ऐसे ही चुस मेरी चुत लल्ला ,,तेरा बाप को पसंद नही एसिलिये तो तुझसे चुस्वती हू आह्हह ओज्ज्ज उम्म्ं उफ्फ्फ

मै तो कूछ समय के लिए भूल ही गया कि अन्दर क्या हो रहा है मै सोचने की रजनी दीदी अपने बेटे से अपनी चुत चटवा रही है
फिर मै अपने विचारो से बाहर आया तो देखा चंदू ने अपना सर अपनी मा के साडी से बाहर निकाली
फिर चंदू उठा और लंड को अपनी मा के चुत मे डाल के चोदने लगा
ओह्ह्ज उम्म्ं हा अम्म्ंंं उफ्फ्फ और तेज़ और तेज़ से चोद चंदू अपनी मा को
चंदू चोदते हुए बोला - हुउह्ह्ह मा चम्पा दीदी को कब बुला रही हो बहुत याद आ रही है

रजनी - ओह्ह्ह अह्ह्ह्ह अभी पिछ्ले महीने तो गयी है और चोद चोद कर उसकी गाड़ मुझ्से भी बड़ी कर दी है तुने
अह्ह्ज ऐसे ही और कस के चोद अपनी मा को मदर्चोद बन गया है तूतो और तेज़ आह्हह अह्ह्ह्ह ऐह्ह्ह्ह इह्ह्ह्हग्ग्ग्ग।उफ्फ़फ्फ्फ उफ्फ्फ हा निकाल दे मेरा पानी मै झ्द्ने वाली हू ,,,,

ये सब बातें सुन कर मै पिछ्ली घटनाओ को जोडने लगा कि क्यू आखिर चंपा हॉस्टल गयी और कैसे रजनी चंदू से किन हालातो मे चुद्ने को तैयार हो गयी ,,कुछ बातो का राज मुझे जानना अब जरुरी हो गया था इसका एक ही उपाय था कि मै चंदू को फ्साऊ अपने बातो मे
मेरे मन मे ये सब बातें चल रही थी और अन्दर चंदू भी अपनी मा को चोद्ते हुए झड़ कर अपने मा के ऊपर गिर पड़ा

ये सब देख सुन कर मेरा दिमाग फटने लगा और मै वहा से निकल कर करीम के यहा से कपड़े लेकर घर आ गया ।

अब आगे क्या क्या होता है जानने के लिए जुड़े रहे ।

ये तो बड़ा तगड़ा गोता फिट कर दिया वाह चंदू मेरे सेर मां तो मां बहन की भी फूला दी अब राज आगे किया करने वाला है कौन सा पैंतरा आजमाएगा जो चंदू से राज उगलवा सके इधर घर पर राज को फ्री में मस्त वाला सो देखने को मिल रहा हैं ऐसे में जवान लड़का कब तक हाथ गाड़ी चलाएगा कोई न कोई सुरंग ढूंढ कर निकलेगा ।

सुपर भाई इस कहानी में भी दूसरे कहानी की तरह थाली में सजी हुई मिली तो सारा मज़किरकिरा हों जाएगा।

अप्रतिम
 

Nevil singh

Well-Known Member
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UPDATE 95

खाने के बाद गीता और बबिता को सोनल अपने साथ सुलाने ले जाती है वही नाना मेरे साथ सोने के लिए बोल देते है ।

कमरे मे जाते ही मै फैन चालू करता हू
नाना - बेटा गरमी तो बहुत है आज
मै - हा नाना वो तो है ही ,,, आप भी अपना कुर्ता निकाल दिजीये आराम रहेगा

नाना - हा सही कह रहा है बेटा
फिर नाना अपना कुर्ता निकालते तो उसका कसा हूआ शरीर अब भी वैसे ही था ,, हालकी शरीर के बाल लगभग मे सफेद हो चुके थे मगर शरीर कही से ढिला नही था ।

नाना ने अपनी धोती भी निकाल दी और अब एक बनियान और जान्घिये मे थे ।
मैने भी अपने कपडे निकाल कर बनियान और अंडरवियर मे आ गया ।


हम लेटे ही थे कि तभी दरवाजे पर दस्तक हुई
चुकि मै दीवाल की ओर सोया था तो नाना की बेड से उतर कर उसी अवस्था मे दरवाजा खोलने गये ।

दरवाजा खुलते ही सामने मम्मी खडी थी और उनके हाथ मे पानी का ग्लास था

मम्मी इस समय एक ब्लैक नायलान मैकसी बिना दुपट्टे के पहने हुए थी जिसमे उनकी छातियो का उभार निकला हुआ था और नाना की नजर भी सीधा उसी पर गयी पहले ।

मम्मी नाना को ऐसे हाल मे देख कर पहले थोड़ी हिचकी फिर सामन्य होते हुए -
बाऊजी आपकी दवाई कहा है
ये बोल कर मा नाना के सामने से कमरे मे घुसती है और उनके बैग से उनकी दवाई निकाल कर उन्हे देती है

नाना तो बस मा की कसी हुई जिस्म को मैक्सि के उपर से उसका कटाव निहार रहे थे ।

फिर मा ने दवा और पानी नाना को दी और फिर चली गयी ।
नाना ने दरवाजा बंद किया और वापस घुमे तो उनके जांघिये मे उनका उभार साफ दिखने लगा

मेरा भी लण्ड नाना और मम्मी के बारे मे सोच कर अंगड़ाई ले चुका था ।
नाना वापस आये और थोडा गुमसुम से लेटे ।

मै - क्या हुआ नाना जी , क्या सोच रहे हो आप

नाना मुस्कुरा कर - कुछ नहीं बेटा बस ऐसे ही तेरे रज्जो मौसी की याद आ गई,,,वो भी मेरा ख्याल अच्छे से रखती थी , समय से दवा देती थी ।
रज्जो मौसी की नाम सुन कर ही लण्ड तनमना गया और मै समझ गया कि नाना को रज्जो मौसी की याद क्यू आई ।

मै थोड़ा मजा लेने के मूड मे - नाना तो कहिये अभी फोन लगा दू रज्जो मौसी को

नाना हस कर - अरे नही बेटा फोन पर और आमने सामने मे फर्क होता है ।

फिर नाना उठे और अपनी करते के जेब से अपनी तम्बाकू वाली डीबीया निकाली

नाना को आदत थी कि वो सोने से पहले थोडा तम्बाकु चबाते थे
इसिलिए वो मुझसे बाते करते हुए तम्बाकू मलना शुरु कर दिये ।

मै ह्स कर - क्या नाना जी ,,क्यू खाते हो ये सब आप

नाना हस कर तम्बाकू रगड़ते हुए - अरे बेटा इससे मेरा जोश दुगना हो जाता है और

मै हस कर - हा हा बताया था आपने पिछ्ली बार हिहिहिही

नाना ह्स कर - तब से किसी को पटाया की नही हाहाहा
मै शर्माने के भाव मे - नही नाना कोई नही है

नाना मुझे छेड़ना चाह रहे थे लेकिन मै भी उनसे कुछ चटपति बाते कर उनके राज उगलवाना चाह रहा था

नाना - नही नही ,,,तू जरुर मुझसे छिपा रहा है

मै हस कर - नही नाना आपसे क्या छिपाना ,,,दरअसल बात ये ही कि मुझे आजकल की लड़कीया पसन्द नही आती

नाना अचरज से - क्यू भई

मै थोड़ा गिरे मन से - नाना आजकल की लड़कीया तो फिल्मो का देख कर एकदम पतली हो जा रही है ,,, जीरो फिगर के चक्कर मे

नाना - हा तो उस्से क्या
मै उदास होकर - और मुझे दुबली लड़किया नही पसन्द ,,इसिलिए किसी पर ध्यान नही देता मै

नाना ह्स कर - फिर कैसी लड़किया पसन्द है तुझे

मै जानबुझ कर - अब आप मम्मी , रज्जो मौसी को देख को देख लो ,,भरी भरी कीतनी प्यारी लगती है और कोई ड्रेस उनपे खिल जाता है

नाना थोडा सोच कर - बात तो तेरी ठीक है बेटा , मुझे भी ये नये जमाने वाली लड़किया नही भाती ,, अरे मेरे समय मे गाव की छोरिया दबा के खाना खाती थी और खेतो मे मेहनत करती थी उस्से उनका बदन भरा होता था और एकदम तंदुरुस्त रहती थी ।

मै नाना की बातो मे हा मिलाते हुए - वही तो

मै थोडा शरारती होते हुए - नाना वैसे आपकी भी कोई प्रेमिका थी क्या शादी से पहले हिहिहिही

नाना हस कर - अरे नही बेटा,, शादी से पहले और बाद मे काफी सालो तक मैने पहलवानी की थी । और सादी से पहले मेरे उस्ताद ने वीर्य के दुरुपयोग के मना किया था तो कभी मौका नहीं बन पाया ,,,हा लेकिन जब तेरी नानी से शादी हुई तब मुझे उससे प्यार हो गया

मै नानी की बात सुन कर भावुक हो गया ,,बचपन से मेरी चाह थी कि मै नानी को देखू लेकिन वो तो समय से पहले ही जा चुकी थी

मै - नाना , नानी कैसी दिखती थी
नाना - बिल्कुल तेरे मा जैसी , ऐसी ही हल्की सावली और भरा जिस्म

मै - तो नाना , नानी के जाने के बाद आपने दुसरी शादी क्यो नही की ,

नाना बड़े ही उदास स्वर मे - बेटा उस समय तक मेरी दोनो बेटिया शादी लायक हो गयी थी तो मै कैसे

मै जिज्ञासु भाव से - तो क्या मतलब नानी के बाद से आपने किसी के साथ वो सब ,,,,

नाना हस पड़ें- हाहह्हाह , तू बहुत तेज हो रहा है अब धीरे धीरे हम्म्म्म

मै ह्स कर - बताओ ना नाना प्लीज
नाना - हा गाव मे कभी कभी कोई नौकरानी से मुखातिब हो जाता हू जब ज्यादा इच्छा होने लगती है तो

नाना ने बडी सफाई से झूठ बोला लेकिन मैने भी ठाना था कि रज्जो मौसी का नही तो लेकिन नाना की बहन सुलोचना के बारे मे तो जरुर उगलवा सकता हू

मै थोड़ा उदास मन से - ओह्ह मतलब नानी के जाने के बाद से किसी अपने का सहारा नही मिला आपको

नाना ने एक गहरी सास ली और उपर छत पर देखकर - नही बेटा ऐसी बात नही है ,,,तेरी नानी के जाने के बाद उस गम से निकलने मे मेरी बड़ी बहन ने हर तरह से मदद की थी ।

मै थोडा अंदाजा लगाते हुए - हर तरह से मतलब नाना

नाना मेरे सवाल से उलझन मे आ गये - वो बेटा , उनहोने मेरा बहुत ख्याल रखा और मेरी जरूरतो को पुरा करने के लिए खुद के स्वाभिमान को भी त्याग दिया था ।

ये बोल कर नाना एकदम चुप हो गए
मै जिज्ञासु होकर - मै कुछ समझ नही पा रहा हू नाना ,,थोडा खुल कर बताओ ना

नाना थोडा मुस्कुराये और मुझे सम्झाते हुए - बेटा जब जीवन साथी दुर होता है तो उसके साथ जुड़ी यादे और साथ बिताये पल बहुत कचोटते है । तेरी नानी को मै बहुत चाहता था और हमारे शारिरीक संबंध बहुत ही खास थे ,,, उसके अचानक चले जाने से मै मानसिक रूप से बहुत कष्ट मे था , फिर उस समय मेरी बड़ी बहन सुलोचना ने मुझे सहारा दिया और मेरा ख्याल रखा । एक दिन ऐसे ही मैने उससे अपनी जरुरत बताई

मै उत्सुकता से - कैसी जरुरत नाना
नाना - बेटा मै तेरे नानी के साथ रोज सुबह और रात मे सम्भोग करता था और धीरे धीरे तेरी नानी को गुजरे एक महिना हो गया था तो ऐसे मे मुझे तेरी नानी की याद बहुत आती थी और मेरे सम्भोग की इच्छा प्रबल हो रही थी जिससे मेरा स्वास्थ खराब हो रहा था । सुलोचना बार बार मुझसे मेरे तकलीफ के बारे मे पुछती पर मै उसका भाई था और मै कैसे अपनी सगी बहन से ये सब बांटता

मै उत्सुकता से हुकारि भरते हुए - फिर
नाना - मेरे कंधो पर मेरे दो बेटियो की शादी की जिम्मेदारी थी और राजेश निकम्मा था ही ,, हार मान कर मैने सुलोचना को अपने जरुरत के बारे मे बताया

मै थूक गटक कर - फिर क्या हुआ नाना
नाना एक गहरी सास लेते हुए - फिर क्या बेटा,, उसने एक बड़ी बहन का फर्ज निभाया और मेरे लिए अपने स्वाभिमान को तोड कर मेरे साथ जिस्मानी रिश्ता कायम कर ली ।


नाना का जवाब सुन के मेरे दिल की धड़कन तेज हो गयी और मै एकदम चुप रहा

मै नाना को उदास देख कर गिरे हुए मन से - सॉरी नाना जी मेरी वजह से आपको वो सब याद करना पडा

नाना मुस्कुरा कर - अरे नही बेटा, तू माफी मत मांग ,,मै तो उस वाक्ये को आज तुझसे बाट कर बहुत हल्का मह्सुस कर रहा हू

मै हस कर - तो फिर और कुछ है हल्का करने लायाक तो कर दो नाना जी हिहिहिहिही

नाना मेरे तंज को समझ गये - हाहहह नटखट कही का ,

मै हसते हुए - फिर भी उसके बाद कोई
नाना ना मे सर हिलाते हुए मुस्करा रहे थे ।

हम बात कर रहे होते है कि तभी लाईट कट जाती है और घर मे एक चुप सन्नाटा होता है और सामने पापा के कमरे का कुलर बंद होते ही उन्की चुदाई की हल्की सिसकियाँ और थपथप हमारे कमरे मे सुनाई देने लगती है


जिसे सुनते ही मै नाना दोनो अटपटा मह्सुस करने लगते है ।

मै इस चुप्पी को तोड़ कर - चलिये नाना , थोड़ा बाहर टहल लेते है ,अभी लाईट आ जायेगी

नाना को मेरा सुझाव पसंद आता है और हम लोग अपना कमरा खोलते है तो अभी भी इतनी गरमी मे पापा रुके नही थे ,,और उनकी चोदने की थपथप अब थोडी तेज आ रही थी और मा किस सिसिकियो ने मेरा लण्ड कड़ा हो गया था

फिर मै और नाना गैलरी से होकर बाहर खुले मे आ गया और मुझे हसी आई

नाना - हस क्यू रहा है ,,अरे ये सब तो आम बाते है

मै - हा लेकिन थोड़ा अटपटा लगता है ना नाना ,कि बिजली चली गयी है और इतनी गर्मी मे भी हिहिहिही

नाना हस कर - तू बड़ा नटखट है ,,अरे बेटा इस खेल मे गर्मी का ही तो सारा मजा है हाहाहहा
मै जानबुझ कर अंजान होने का नाटक कर - मतलब नाना जी

नाना हस कर - अरे अब वो दोनो पहले ही लगे हुए थे और अभी लाईट भाग जाने से वो रुक थोडी जायेंगे ,,इस समय मन नही भावनाये हावी होती है जिनसे मे हम आसानी से नही छूट सकते है

मै - ओह्हह ये बात ,, वैसे आपको इनसब अप इतना ज्ञान कैसे है हिहिही

नाना - बेटा अनुभव है सब और क्या हाहाहाहा , मै तो कह रहा हू तू भी इस बार मेरे साथ चल एक आध मस्त तेरे लायाक कोई दिला दूँगा

मै मजे से - हिहिही हा जरुर जाता नाना ,,लेकिन दीदी की सगाई की तैयारियाँ बहुत है ना

नाना - शाबाश बेटा मुझे तुझसे यही उम्मीद थी कि तू जोश या हवस मे अपनी जिम्मेदारीयो से पीछे नही हटा

तब तक लाईट आ जाती है और फिर हम दोनो घर मे आते है , कमरे के पास आते ही मै नाना के सामने की पापा के दरवाजे पर कान लगाता हू

वो मुझे खिच कर कमरे मे ले जाते है
नाना ह्स कर - तू बड़ा बदमाश ,,ऐसे कोई करता है क्या

मै ह्स कर - नही लेकिन उनकी बाते सुनने मे बड़ा मजा आता है हिहिहिही

नाना ह्स कर - बदमाश कही का ,चल अब सो जा बहुत रात हो गयी ।

फिर हम दोनो सो जाते है
अगली सुबह 6 बजे तक मेरी नीद खुलती है। तबतक नाना बाथरूम से बाहर निकल रहे होते है ।

फिर मै ज्ल्दी से बाथरूम मे घुसता हू और थोडी देर बाद बाहर आ जर टीशर्ट लोवर पहन कर बाहर आता हू तो नाना जी हाल मे सोफे पर बैठे हुए किचन मे देख रहे थे और जब मैने ध्यान दिया तो किचन मे मा खड़ी चाय बना रही थी और मैक्सि मे उसके उभरे गाड की गोलाई को नाना निहार रहे थे ।

चुकी कल रात मै नाना से बहुत ज्यादा खुल गया था तो
मै उनके बगल मे जाकर मस्ती करता हुआ उनके कान मे बोला - अब बस भी करो नाना जी ,,मा है वो मेरी हिहिहिही

नाना मानो मेरी बात सुन कर चौके और मुझे बगल मे देख कर हड़बड़ाये - अरे तू कब आया बेटा

मै मुस्कुरा कर - तभी जब आप आँखो का व्ययाम कर रहे थे हिहिहिही

नाना हस कर थोडा झेपे - अच्छा अच्छा हाहहहा नटखट कही का
मै ह्स कर - अरे अब बैठे क्या हो आओ आपको थोडा घुमा टहला दू चलो

नाना हस कर - हा बेटा चल ,मै भी यही सोच रहा था

फिर मै नाना को लिवा कर टहलते हुए बस स्टैंड तक लिवा गया तभी मेरे बगल से सरोजा जी निकली और मुझे हायय राज बोलते हुए आगे निकल गयी और पीछे से उनकी झोल मारती गाड का असर मुझसे ज्यादा नाना पर हुआ

मै भी उनको गुड मॉर्निंग विश किया

नाना सरोजा के पिछवड़े को निहारते हुए - ये कौन थी बेटा,,काफी तगडी लग रही है

मै हसते हुए - अरे नाना ये पापा के दोस्त संजीव ठाकुर की बहन है सरोजा ठाकुर

नाना थोड़ा सोच कर - इसकी शादी नही हुई क्या
मै हस कर - अरे नही नाना ,,इनका तलाख हो गया है दो साल पहले

नाना बूदबुदाते हूए - इतना गदराया माल कौन पागल छोड दिया ,,,

मै नाना की टपोरी जैसी बाते सुन कर हसने लगा
तब तक सरोजा वापस आने लगी और इस बार उसकी उछलती चुचिया थी हमारे सामने और नाना फिर से गरम होने लगे ।

तभी सरोजा मेरे पास आकर रुकी
मै ह्स कर - गुड मॉर्निंग सरोजा जी
सरोजा हस कर - गुड मॉर्निंग राज

मै नाना को दिखा के - सरोजा जी ये मेरे नाना है
सरोजा उनको नमस्ते करती है लेकिन नाना जी तो सरोजा के उभारो मे खोये थे
सरोजा को इसका अह्सास होते ही वो झेप सी गयी और बाद मे फोन करने का बोल कर मुझसे विदा लेली और निकल गयी

फिर मै भी नाना को लिवा कर घर आ गया
घर आने के बाद हमने नासता किया साथ मे ।
पापा और मै अपने दुकान पर निकल गये ।
नाना भी 9 बजे तक अपने जिस काम के लिए आये थे उसके लिये चले गये ।

दोपहर मे अनुज गीता और बबिता के साथ खाना लेके आया।

गीता - अरे वाह भैया कितना अच्छा अच्छा समान बेचते हो आप हिहिहुही

बबिता - हा , ये ईयर रिंग्स देख
मै हस कर - तुम लोगो को जो चाहिये लेलो ,,अनुज तुम्हे दे देगा

गीता इतरा कर - भैया हमे जो चाहिये वो आप ही दे सकते हो ना हिहिहिहू

मै उसकी मस्ती समझ गया और खाने के बाद कुछ प्लान किया ।
खाने के बाद मै गीता और बबिता को बोला - आओ चलो तुम्हे पापा वाले दुकान पर ले चलू

वो दोनो खुशी खुशी राजी हो गयी ,,,
चुकी वो दोनो पहली बार मेरे यहा आई थी तो उन्के लिये सारी चीजे रोमांच्क थी ।
समय के साथ चमनपुरा काफी विकसित टाउन हो गया था ।

पुरे बाजार की रौनक से वो काफी खुश थी और हर नयी दुकान ,,कपड़ो के शो रूम मे उन दोनो की दिलच्स्पी थी तो मैने तय किया क्यो ना सगाई के लिए होने वाली शॉपिंग मे इन दोनो को भी लिवा जाऊ सरोजा कॉमप्लेक्स घुमाने और इनको भी कुछ दिला दिया जायेगा ।

फिर मैने उनको बाजार मे चाट फुल्की भी खिलाया और पापा की दुकान पर ले गया ।
पापा भी दुकान पर थे ग्राहको मे व्यस्त थे ।
मै उन दोनो को अंदर ले गया और बिठाया

गीता - अरे वाह भैया यहा तो कुलर लगा है ,,,कितनी गरमी हो रही है

मै एक नजर बाहर दुकान की ओर देखा और लपक कर गीता को पीछे से दबोच कर उसकी चुचिय मिज दिया वो कसमसा गयी

गीता सिसिक कर - अह्ह्ह भैया आराम से उह्ह्ह माआआ

मै उसके चुचियॉ को कुर्ती के उपर से ही मिजते हुए बबिता को बाहर ध्यान देने का इशारा किया और अपना खड़ा लण्ड गीता के पिछवाड़े धसाने लगा

मै - आह्ह मीठी ,, तेरी चुचि तो पहले से मोटी हो गयी है ,,,
गीता - हा भैया बन्टी भी यही कहता है और चिढ़ाता है हमे

मै चौका - बण्टी कौन हैं
गीता - वो हमारे मामा का लड़का है ,,,बहुत गन्दा है ,,मुझको भैस बुला रहा था कुत्ता कही का

मै थोडा राहत की सास ली क्योकि मुझे डर लगा था कि कही इनका उद्घाटन समारोह तो नही हो गया ना

मै वापस से उसकी चुचिया सह्लाते हुए - लण्ड चुसोगी मीठी
गीता सिस्क कर - उह्ह्ह हा भैया बहुत मन कर रहा

बबिता चहक कर - पहले मै भैया ,,,प्लीज
मै गीता को छोडा और उसे दरवाजे के पास भेज दिया और बबिता को पकड कर उसके होठ चुस लिये ।

मै फटाक से लोवर निचे किया और तनमनाया लण्ड को बाहर निकाला

बबिता उसे देख कर थूक गटक ली -- भैया ये बड़ा हो गया है क्या

मै ह्स कर - हा मै भी बड़ा हो रहा हू ना गुड़िया,,,जल्दी करो फिर रात मे हम लोग खुब मस्तियाँ करेंगे

रात के लिए वादे को सुन कर बबिता ने तुरंत मेरे लण्ड को थामा और मुह खोलकर सुपादे को मुह मे लिया

मुझे एक राहत सी हुई और बबिता ने धीरे धीरे लण्ड चुसना शुरु किया
वही गीता ललचाई नजरों से मेरे लण्ड को निहार रही थी ,,उसके कड़े निप्प्ल उसकी कुर्ती से उपर बटन जैसे दिख रहे थे ।

बबिता बड़े इत्मीनान से लण्ड को चुस रही थी
मै गिता को इशारे से बुलाया और वो भी बबिता के बगल मे आकर बैठ गयी
बबिता गीता को अपने मुह से लण्ड निकाल कर देदी और खुद दरवाजे पर आकर खड़ी हो गयी

तभी बबिता चहकी - भैया कोई आ रहा है
मै जल्दी से लण्ड अंदर कर लोवर उपर करता हुआ - पापा है क्या
बबिता - नही कोई दादा जी है

मै समझ गया कि बबलू काका होगे और वही निकले भी ,,,वो अंदर गोदाम से कोई बर्तन लेने जा रहे थे
उन्के वापस जाते ही गीता ने फिर से पहल की
मै - नही मीठी ,रात मे अब ,,आज तुम दोनो मेरे साथ सोना

बबिता - हा भैया यहा डर लग रहा है मुझे भी
मै मुस्कुरा कर उन्हे गले ल्गाया और फिर वापस दुकान मे आ गया ।
थोडी देर पापा से बाते हुई और फिर मै उन दोनो को लेके चौराहे वाले घर निकल गया

जहा हाल मे मा और सोनल सामानो की लिस्ट बना रहे थे । मै उनके साथ काम मे लग गया ।

इधर हम तैयारियो मे थे और वही गीता बबिता , सोनल का मोबाईल चला रही थी , तभी अमन का फोन आने लगा

बबिता - दीदी आपके मोबाईल पर किसी का फोन आ रहा
सोनल - किसका है गुड़िया
बबिता - बाबू नाम से है दीदी

सोनल की आन्खे ब्ड़ी हो गयी और वही मा मुह पर हाथ रख कर हसने लगी , मै ठहाका लगाने लगा

सोनल फटाक से उठी और बबिता से मोबाईल लेके उपर भाग गयी

गीता - किसका फोन था भैया
मै हस कर - तेरे जीजू का

गीता चहक के - सच मे
और वो भी भागती हूई उपर गयी तो बबिता कैसे रुकती, वो भी उसके पीछे भागी

मा और मै हसने लगे
उनके जाते ही मैने मा का हाथ पकड़ा और उनको लेके उनके कमरे मे घुस गया

मा परेशान होकर- क्या कर रहा है राज
मै - मा मेरा मन हो रहा है करने का
मा हस कर - धत्त बच्चे सब है यहा
मै खीझ कर - हा आपका क्या है आपको तो पापा प्यार करते ही है ना , चाहे कितनी गर्मी हो रही हो फिर भी

मा हस कर - मतलब
मै - मैने सुना था रात मे जब लाईट कटी थी और आप लोग तब भी चालू थे ,,,,मेरा बहुत मन कर रहा था

मा हस कर - तो आ जाता तू भी ना
मै उखड़ के - हा नाना भी जग रहे थे
मा शर्मा गयी एकदम से - क्या बाऊजी ने सुना था क्या कल
मै ह्स कर - अरे सुना तो सुना उनको तो रज्जो मौसी की ब्ड़ी याद आ रही थी

मा शर्मा कर - धत्त बदमाश ,तुझे कैसे पता
फिर मैने मा को बताया कि कैसे कैसे मैने उनसे उगलवाया सब और फिर सुबह मे जब वो मा की गाड घुर रहे थे वो भी

मा शर्मा कर - धत्त नही तू झुट बोल रहा है ,,बाऊजी मेरे लिए ऐसा नही सोचते

मै हस के - अगर मै साबित कर दू तो
मा शर्मा कर - कैसे करेगा बता
मै तुरंत मा को एक प्लान बताया जिससे मा ना नुकुर कर रही थी लेकिन मेरी जिद पर मान गयी वो
फिर मै मा को पकड़ कर अपनी ओर खीचा और उनके होठ चुस लिये
वो भी मेरा साथ देने लगी
मै उनसे अलग होकर उनकी आँखो मे देखते हुए
उनकी आंखे नशीली हो रही थी और एक वापस से वो मेरे होठ चुसने लगती है ।
मेरे हाथ उनके कुल्हे सहला रहे होते है और वो लोवर के उपर से मेरे लण्ड को टटोलती है

मै मा को अलग कर उन्हे निचे कर देता हू और मुझे देखते हू निचे बैठ जाती है । फिर लोवर निचे कर मेरे खड़े लण्ड को सहलाते हुए मुह मे भर लेती है और मै हवा म उड़ने लगता हू ।

मुझे सुकून सा मिलरहा होता है। मेरे हाथ मा के बालो मे घूम रहे थे और मा मेरे सुपाडे को चुबला रही होती है ।
लेकिन सुकून तो आज मेरी किस्मत मे लिखा ही कहा था ।
मै और मा अपनी काम क्रीड़ा मे लगे थे कि सीढियो पर गीता बबिता के उधम मचाने की आवाज आती है और मा फटाक से अलग हो जाती है ।
मै भी अपना लण्ड एडज्स्ट कर लेता हू ।

हम दोनो बाहर हाल मे आ जाते है ।
अभी 2 बज रहे होते है तो मै मा को बोल कर निकल जाता हू दुकान के लिए


जारी रहेगी
Nice update mitr
 

Naik

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UPDATE 95

खाने के बाद गीता और बबिता को सोनल अपने साथ सुलाने ले जाती है वही नाना मेरे साथ सोने के लिए बोल देते है ।

कमरे मे जाते ही मै फैन चालू करता हू
नाना - बेटा गरमी तो बहुत है आज
मै - हा नाना वो तो है ही ,,, आप भी अपना कुर्ता निकाल दिजीये आराम रहेगा

नाना - हा सही कह रहा है बेटा
फिर नाना अपना कुर्ता निकालते तो उसका कसा हूआ शरीर अब भी वैसे ही था ,, हालकी शरीर के बाल लगभग मे सफेद हो चुके थे मगर शरीर कही से ढिला नही था ।

नाना ने अपनी धोती भी निकाल दी और अब एक बनियान और जान्घिये मे थे ।
मैने भी अपने कपडे निकाल कर बनियान और अंडरवियर मे आ गया ।


हम लेटे ही थे कि तभी दरवाजे पर दस्तक हुई
चुकि मै दीवाल की ओर सोया था तो नाना की बेड से उतर कर उसी अवस्था मे दरवाजा खोलने गये ।

दरवाजा खुलते ही सामने मम्मी खडी थी और उनके हाथ मे पानी का ग्लास था

मम्मी इस समय एक ब्लैक नायलान मैकसी बिना दुपट्टे के पहने हुए थी जिसमे उनकी छातियो का उभार निकला हुआ था और नाना की नजर भी सीधा उसी पर गयी पहले ।

मम्मी नाना को ऐसे हाल मे देख कर पहले थोड़ी हिचकी फिर सामन्य होते हुए -
बाऊजी आपकी दवाई कहा है
ये बोल कर मा नाना के सामने से कमरे मे घुसती है और उनके बैग से उनकी दवाई निकाल कर उन्हे देती है

नाना तो बस मा की कसी हुई जिस्म को मैक्सि के उपर से उसका कटाव निहार रहे थे ।

फिर मा ने दवा और पानी नाना को दी और फिर चली गयी ।
नाना ने दरवाजा बंद किया और वापस घुमे तो उनके जांघिये मे उनका उभार साफ दिखने लगा

मेरा भी लण्ड नाना और मम्मी के बारे मे सोच कर अंगड़ाई ले चुका था ।
नाना वापस आये और थोडा गुमसुम से लेटे ।

मै - क्या हुआ नाना जी , क्या सोच रहे हो आप

नाना मुस्कुरा कर - कुछ नहीं बेटा बस ऐसे ही तेरे रज्जो मौसी की याद आ गई,,,वो भी मेरा ख्याल अच्छे से रखती थी , समय से दवा देती थी ।
रज्जो मौसी की नाम सुन कर ही लण्ड तनमना गया और मै समझ गया कि नाना को रज्जो मौसी की याद क्यू आई ।

मै थोड़ा मजा लेने के मूड मे - नाना तो कहिये अभी फोन लगा दू रज्जो मौसी को

नाना हस कर - अरे नही बेटा फोन पर और आमने सामने मे फर्क होता है ।

फिर नाना उठे और अपनी करते के जेब से अपनी तम्बाकू वाली डीबीया निकाली

नाना को आदत थी कि वो सोने से पहले थोडा तम्बाकु चबाते थे
इसिलिए वो मुझसे बाते करते हुए तम्बाकू मलना शुरु कर दिये ।

मै ह्स कर - क्या नाना जी ,,क्यू खाते हो ये सब आप

नाना हस कर तम्बाकू रगड़ते हुए - अरे बेटा इससे मेरा जोश दुगना हो जाता है और

मै हस कर - हा हा बताया था आपने पिछ्ली बार हिहिहिही

नाना ह्स कर - तब से किसी को पटाया की नही हाहाहा
मै शर्माने के भाव मे - नही नाना कोई नही है

नाना मुझे छेड़ना चाह रहे थे लेकिन मै भी उनसे कुछ चटपति बाते कर उनके राज उगलवाना चाह रहा था

नाना - नही नही ,,,तू जरुर मुझसे छिपा रहा है

मै हस कर - नही नाना आपसे क्या छिपाना ,,,दरअसल बात ये ही कि मुझे आजकल की लड़कीया पसन्द नही आती

नाना अचरज से - क्यू भई

मै थोड़ा गिरे मन से - नाना आजकल की लड़कीया तो फिल्मो का देख कर एकदम पतली हो जा रही है ,,, जीरो फिगर के चक्कर मे

नाना - हा तो उस्से क्या
मै उदास होकर - और मुझे दुबली लड़किया नही पसन्द ,,इसिलिए किसी पर ध्यान नही देता मै

नाना ह्स कर - फिर कैसी लड़किया पसन्द है तुझे

मै जानबुझ कर - अब आप मम्मी , रज्जो मौसी को देख को देख लो ,,भरी भरी कीतनी प्यारी लगती है और कोई ड्रेस उनपे खिल जाता है

नाना थोडा सोच कर - बात तो तेरी ठीक है बेटा , मुझे भी ये नये जमाने वाली लड़किया नही भाती ,, अरे मेरे समय मे गाव की छोरिया दबा के खाना खाती थी और खेतो मे मेहनत करती थी उस्से उनका बदन भरा होता था और एकदम तंदुरुस्त रहती थी ।

मै नाना की बातो मे हा मिलाते हुए - वही तो

मै थोडा शरारती होते हुए - नाना वैसे आपकी भी कोई प्रेमिका थी क्या शादी से पहले हिहिहिही

नाना हस कर - अरे नही बेटा,, शादी से पहले और बाद मे काफी सालो तक मैने पहलवानी की थी । और सादी से पहले मेरे उस्ताद ने वीर्य के दुरुपयोग के मना किया था तो कभी मौका नहीं बन पाया ,,,हा लेकिन जब तेरी नानी से शादी हुई तब मुझे उससे प्यार हो गया

मै नानी की बात सुन कर भावुक हो गया ,,बचपन से मेरी चाह थी कि मै नानी को देखू लेकिन वो तो समय से पहले ही जा चुकी थी

मै - नाना , नानी कैसी दिखती थी
नाना - बिल्कुल तेरे मा जैसी , ऐसी ही हल्की सावली और भरा जिस्म

मै - तो नाना , नानी के जाने के बाद आपने दुसरी शादी क्यो नही की ,

नाना बड़े ही उदास स्वर मे - बेटा उस समय तक मेरी दोनो बेटिया शादी लायक हो गयी थी तो मै कैसे

मै जिज्ञासु भाव से - तो क्या मतलब नानी के बाद से आपने किसी के साथ वो सब ,,,,

नाना हस पड़ें- हाहह्हाह , तू बहुत तेज हो रहा है अब धीरे धीरे हम्म्म्म

मै ह्स कर - बताओ ना नाना प्लीज
नाना - हा गाव मे कभी कभी कोई नौकरानी से मुखातिब हो जाता हू जब ज्यादा इच्छा होने लगती है तो

नाना ने बडी सफाई से झूठ बोला लेकिन मैने भी ठाना था कि रज्जो मौसी का नही तो लेकिन नाना की बहन सुलोचना के बारे मे तो जरुर उगलवा सकता हू

मै थोड़ा उदास मन से - ओह्ह मतलब नानी के जाने के बाद से किसी अपने का सहारा नही मिला आपको

नाना ने एक गहरी सास ली और उपर छत पर देखकर - नही बेटा ऐसी बात नही है ,,,तेरी नानी के जाने के बाद उस गम से निकलने मे मेरी बड़ी बहन ने हर तरह से मदद की थी ।

मै थोडा अंदाजा लगाते हुए - हर तरह से मतलब नाना

नाना मेरे सवाल से उलझन मे आ गये - वो बेटा , उनहोने मेरा बहुत ख्याल रखा और मेरी जरूरतो को पुरा करने के लिए खुद के स्वाभिमान को भी त्याग दिया था ।

ये बोल कर नाना एकदम चुप हो गए
मै जिज्ञासु होकर - मै कुछ समझ नही पा रहा हू नाना ,,थोडा खुल कर बताओ ना

नाना थोडा मुस्कुराये और मुझे सम्झाते हुए - बेटा जब जीवन साथी दुर होता है तो उसके साथ जुड़ी यादे और साथ बिताये पल बहुत कचोटते है । तेरी नानी को मै बहुत चाहता था और हमारे शारिरीक संबंध बहुत ही खास थे ,,, उसके अचानक चले जाने से मै मानसिक रूप से बहुत कष्ट मे था , फिर उस समय मेरी बड़ी बहन सुलोचना ने मुझे सहारा दिया और मेरा ख्याल रखा । एक दिन ऐसे ही मैने उससे अपनी जरुरत बताई

मै उत्सुकता से - कैसी जरुरत नाना
नाना - बेटा मै तेरे नानी के साथ रोज सुबह और रात मे सम्भोग करता था और धीरे धीरे तेरी नानी को गुजरे एक महिना हो गया था तो ऐसे मे मुझे तेरी नानी की याद बहुत आती थी और मेरे सम्भोग की इच्छा प्रबल हो रही थी जिससे मेरा स्वास्थ खराब हो रहा था । सुलोचना बार बार मुझसे मेरे तकलीफ के बारे मे पुछती पर मै उसका भाई था और मै कैसे अपनी सगी बहन से ये सब बांटता

मै उत्सुकता से हुकारि भरते हुए - फिर
नाना - मेरे कंधो पर मेरे दो बेटियो की शादी की जिम्मेदारी थी और राजेश निकम्मा था ही ,, हार मान कर मैने सुलोचना को अपने जरुरत के बारे मे बताया

मै थूक गटक कर - फिर क्या हुआ नाना
नाना एक गहरी सास लेते हुए - फिर क्या बेटा,, उसने एक बड़ी बहन का फर्ज निभाया और मेरे लिए अपने स्वाभिमान को तोड कर मेरे साथ जिस्मानी रिश्ता कायम कर ली ।


नाना का जवाब सुन के मेरे दिल की धड़कन तेज हो गयी और मै एकदम चुप रहा

मै नाना को उदास देख कर गिरे हुए मन से - सॉरी नाना जी मेरी वजह से आपको वो सब याद करना पडा

नाना मुस्कुरा कर - अरे नही बेटा, तू माफी मत मांग ,,मै तो उस वाक्ये को आज तुझसे बाट कर बहुत हल्का मह्सुस कर रहा हू

मै हस कर - तो फिर और कुछ है हल्का करने लायाक तो कर दो नाना जी हिहिहिहिही

नाना मेरे तंज को समझ गये - हाहहह नटखट कही का ,

मै हसते हुए - फिर भी उसके बाद कोई
नाना ना मे सर हिलाते हुए मुस्करा रहे थे ।

हम बात कर रहे होते है कि तभी लाईट कट जाती है और घर मे एक चुप सन्नाटा होता है और सामने पापा के कमरे का कुलर बंद होते ही उन्की चुदाई की हल्की सिसकियाँ और थपथप हमारे कमरे मे सुनाई देने लगती है


जिसे सुनते ही मै नाना दोनो अटपटा मह्सुस करने लगते है ।

मै इस चुप्पी को तोड़ कर - चलिये नाना , थोड़ा बाहर टहल लेते है ,अभी लाईट आ जायेगी

नाना को मेरा सुझाव पसंद आता है और हम लोग अपना कमरा खोलते है तो अभी भी इतनी गरमी मे पापा रुके नही थे ,,और उनकी चोदने की थपथप अब थोडी तेज आ रही थी और मा किस सिसिकियो ने मेरा लण्ड कड़ा हो गया था

फिर मै और नाना गैलरी से होकर बाहर खुले मे आ गया और मुझे हसी आई

नाना - हस क्यू रहा है ,,अरे ये सब तो आम बाते है

मै - हा लेकिन थोड़ा अटपटा लगता है ना नाना ,कि बिजली चली गयी है और इतनी गर्मी मे भी हिहिहिही

नाना हस कर - तू बड़ा नटखट है ,,अरे बेटा इस खेल मे गर्मी का ही तो सारा मजा है हाहाहहा
मै जानबुझ कर अंजान होने का नाटक कर - मतलब नाना जी

नाना हस कर - अरे अब वो दोनो पहले ही लगे हुए थे और अभी लाईट भाग जाने से वो रुक थोडी जायेंगे ,,इस समय मन नही भावनाये हावी होती है जिनसे मे हम आसानी से नही छूट सकते है

मै - ओह्हह ये बात ,, वैसे आपको इनसब अप इतना ज्ञान कैसे है हिहिही

नाना - बेटा अनुभव है सब और क्या हाहाहाहा , मै तो कह रहा हू तू भी इस बार मेरे साथ चल एक आध मस्त तेरे लायाक कोई दिला दूँगा

मै मजे से - हिहिही हा जरुर जाता नाना ,,लेकिन दीदी की सगाई की तैयारियाँ बहुत है ना

नाना - शाबाश बेटा मुझे तुझसे यही उम्मीद थी कि तू जोश या हवस मे अपनी जिम्मेदारीयो से पीछे नही हटा

तब तक लाईट आ जाती है और फिर हम दोनो घर मे आते है , कमरे के पास आते ही मै नाना के सामने की पापा के दरवाजे पर कान लगाता हू

वो मुझे खिच कर कमरे मे ले जाते है
नाना ह्स कर - तू बड़ा बदमाश ,,ऐसे कोई करता है क्या

मै ह्स कर - नही लेकिन उनकी बाते सुनने मे बड़ा मजा आता है हिहिहिही

नाना ह्स कर - बदमाश कही का ,चल अब सो जा बहुत रात हो गयी ।

फिर हम दोनो सो जाते है
अगली सुबह 6 बजे तक मेरी नीद खुलती है। तबतक नाना बाथरूम से बाहर निकल रहे होते है ।

फिर मै ज्ल्दी से बाथरूम मे घुसता हू और थोडी देर बाद बाहर आ जर टीशर्ट लोवर पहन कर बाहर आता हू तो नाना जी हाल मे सोफे पर बैठे हुए किचन मे देख रहे थे और जब मैने ध्यान दिया तो किचन मे मा खड़ी चाय बना रही थी और मैक्सि मे उसके उभरे गाड की गोलाई को नाना निहार रहे थे ।

चुकी कल रात मै नाना से बहुत ज्यादा खुल गया था तो
मै उनके बगल मे जाकर मस्ती करता हुआ उनके कान मे बोला - अब बस भी करो नाना जी ,,मा है वो मेरी हिहिहिही

नाना मानो मेरी बात सुन कर चौके और मुझे बगल मे देख कर हड़बड़ाये - अरे तू कब आया बेटा

मै मुस्कुरा कर - तभी जब आप आँखो का व्ययाम कर रहे थे हिहिहिही

नाना हस कर थोडा झेपे - अच्छा अच्छा हाहहहा नटखट कही का
मै ह्स कर - अरे अब बैठे क्या हो आओ आपको थोडा घुमा टहला दू चलो

नाना हस कर - हा बेटा चल ,मै भी यही सोच रहा था

फिर मै नाना को लिवा कर टहलते हुए बस स्टैंड तक लिवा गया तभी मेरे बगल से सरोजा जी निकली और मुझे हायय राज बोलते हुए आगे निकल गयी और पीछे से उनकी झोल मारती गाड का असर मुझसे ज्यादा नाना पर हुआ

मै भी उनको गुड मॉर्निंग विश किया

नाना सरोजा के पिछवड़े को निहारते हुए - ये कौन थी बेटा,,काफी तगडी लग रही है

मै हसते हुए - अरे नाना ये पापा के दोस्त संजीव ठाकुर की बहन है सरोजा ठाकुर

नाना थोड़ा सोच कर - इसकी शादी नही हुई क्या
मै हस कर - अरे नही नाना ,,इनका तलाख हो गया है दो साल पहले

नाना बूदबुदाते हूए - इतना गदराया माल कौन पागल छोड दिया ,,,

मै नाना की टपोरी जैसी बाते सुन कर हसने लगा
तब तक सरोजा वापस आने लगी और इस बार उसकी उछलती चुचिया थी हमारे सामने और नाना फिर से गरम होने लगे ।

तभी सरोजा मेरे पास आकर रुकी
मै ह्स कर - गुड मॉर्निंग सरोजा जी
सरोजा हस कर - गुड मॉर्निंग राज

मै नाना को दिखा के - सरोजा जी ये मेरे नाना है
सरोजा उनको नमस्ते करती है लेकिन नाना जी तो सरोजा के उभारो मे खोये थे
सरोजा को इसका अह्सास होते ही वो झेप सी गयी और बाद मे फोन करने का बोल कर मुझसे विदा लेली और निकल गयी

फिर मै भी नाना को लिवा कर घर आ गया
घर आने के बाद हमने नासता किया साथ मे ।
पापा और मै अपने दुकान पर निकल गये ।
नाना भी 9 बजे तक अपने जिस काम के लिए आये थे उसके लिये चले गये ।

दोपहर मे अनुज गीता और बबिता के साथ खाना लेके आया।

गीता - अरे वाह भैया कितना अच्छा अच्छा समान बेचते हो आप हिहिहुही

बबिता - हा , ये ईयर रिंग्स देख
मै हस कर - तुम लोगो को जो चाहिये लेलो ,,अनुज तुम्हे दे देगा

गीता इतरा कर - भैया हमे जो चाहिये वो आप ही दे सकते हो ना हिहिहिहू

मै उसकी मस्ती समझ गया और खाने के बाद कुछ प्लान किया ।
खाने के बाद मै गीता और बबिता को बोला - आओ चलो तुम्हे पापा वाले दुकान पर ले चलू

वो दोनो खुशी खुशी राजी हो गयी ,,,
चुकी वो दोनो पहली बार मेरे यहा आई थी तो उन्के लिये सारी चीजे रोमांच्क थी ।
समय के साथ चमनपुरा काफी विकसित टाउन हो गया था ।

पुरे बाजार की रौनक से वो काफी खुश थी और हर नयी दुकान ,,कपड़ो के शो रूम मे उन दोनो की दिलच्स्पी थी तो मैने तय किया क्यो ना सगाई के लिए होने वाली शॉपिंग मे इन दोनो को भी लिवा जाऊ सरोजा कॉमप्लेक्स घुमाने और इनको भी कुछ दिला दिया जायेगा ।

फिर मैने उनको बाजार मे चाट फुल्की भी खिलाया और पापा की दुकान पर ले गया ।
पापा भी दुकान पर थे ग्राहको मे व्यस्त थे ।
मै उन दोनो को अंदर ले गया और बिठाया

गीता - अरे वाह भैया यहा तो कुलर लगा है ,,,कितनी गरमी हो रही है

मै एक नजर बाहर दुकान की ओर देखा और लपक कर गीता को पीछे से दबोच कर उसकी चुचिय मिज दिया वो कसमसा गयी

गीता सिसिक कर - अह्ह्ह भैया आराम से उह्ह्ह माआआ

मै उसके चुचियॉ को कुर्ती के उपर से ही मिजते हुए बबिता को बाहर ध्यान देने का इशारा किया और अपना खड़ा लण्ड गीता के पिछवाड़े धसाने लगा

मै - आह्ह मीठी ,, तेरी चुचि तो पहले से मोटी हो गयी है ,,,
गीता - हा भैया बन्टी भी यही कहता है और चिढ़ाता है हमे

मै चौका - बण्टी कौन हैं
गीता - वो हमारे मामा का लड़का है ,,,बहुत गन्दा है ,,मुझको भैस बुला रहा था कुत्ता कही का

मै थोडा राहत की सास ली क्योकि मुझे डर लगा था कि कही इनका उद्घाटन समारोह तो नही हो गया ना

मै वापस से उसकी चुचिया सह्लाते हुए - लण्ड चुसोगी मीठी
गीता सिस्क कर - उह्ह्ह हा भैया बहुत मन कर रहा

बबिता चहक कर - पहले मै भैया ,,,प्लीज
मै गीता को छोडा और उसे दरवाजे के पास भेज दिया और बबिता को पकड कर उसके होठ चुस लिये ।

मै फटाक से लोवर निचे किया और तनमनाया लण्ड को बाहर निकाला

बबिता उसे देख कर थूक गटक ली -- भैया ये बड़ा हो गया है क्या

मै ह्स कर - हा मै भी बड़ा हो रहा हू ना गुड़िया,,,जल्दी करो फिर रात मे हम लोग खुब मस्तियाँ करेंगे

रात के लिए वादे को सुन कर बबिता ने तुरंत मेरे लण्ड को थामा और मुह खोलकर सुपादे को मुह मे लिया

मुझे एक राहत सी हुई और बबिता ने धीरे धीरे लण्ड चुसना शुरु किया
वही गीता ललचाई नजरों से मेरे लण्ड को निहार रही थी ,,उसके कड़े निप्प्ल उसकी कुर्ती से उपर बटन जैसे दिख रहे थे ।

बबिता बड़े इत्मीनान से लण्ड को चुस रही थी
मै गिता को इशारे से बुलाया और वो भी बबिता के बगल मे आकर बैठ गयी
बबिता गीता को अपने मुह से लण्ड निकाल कर देदी और खुद दरवाजे पर आकर खड़ी हो गयी

तभी बबिता चहकी - भैया कोई आ रहा है
मै जल्दी से लण्ड अंदर कर लोवर उपर करता हुआ - पापा है क्या
बबिता - नही कोई दादा जी है

मै समझ गया कि बबलू काका होगे और वही निकले भी ,,,वो अंदर गोदाम से कोई बर्तन लेने जा रहे थे
उन्के वापस जाते ही गीता ने फिर से पहल की
मै - नही मीठी ,रात मे अब ,,आज तुम दोनो मेरे साथ सोना

बबिता - हा भैया यहा डर लग रहा है मुझे भी
मै मुस्कुरा कर उन्हे गले ल्गाया और फिर वापस दुकान मे आ गया ।
थोडी देर पापा से बाते हुई और फिर मै उन दोनो को लेके चौराहे वाले घर निकल गया

जहा हाल मे मा और सोनल सामानो की लिस्ट बना रहे थे । मै उनके साथ काम मे लग गया ।

इधर हम तैयारियो मे थे और वही गीता बबिता , सोनल का मोबाईल चला रही थी , तभी अमन का फोन आने लगा

बबिता - दीदी आपके मोबाईल पर किसी का फोन आ रहा
सोनल - किसका है गुड़िया
बबिता - बाबू नाम से है दीदी

सोनल की आन्खे ब्ड़ी हो गयी और वही मा मुह पर हाथ रख कर हसने लगी , मै ठहाका लगाने लगा

सोनल फटाक से उठी और बबिता से मोबाईल लेके उपर भाग गयी

गीता - किसका फोन था भैया
मै हस कर - तेरे जीजू का

गीता चहक के - सच मे
और वो भी भागती हूई उपर गयी तो बबिता कैसे रुकती, वो भी उसके पीछे भागी

मा और मै हसने लगे
उनके जाते ही मैने मा का हाथ पकड़ा और उनको लेके उनके कमरे मे घुस गया

मा परेशान होकर- क्या कर रहा है राज
मै - मा मेरा मन हो रहा है करने का
मा हस कर - धत्त बच्चे सब है यहा
मै खीझ कर - हा आपका क्या है आपको तो पापा प्यार करते ही है ना , चाहे कितनी गर्मी हो रही हो फिर भी

मा हस कर - मतलब
मै - मैने सुना था रात मे जब लाईट कटी थी और आप लोग तब भी चालू थे ,,,,मेरा बहुत मन कर रहा था

मा हस कर - तो आ जाता तू भी ना
मै उखड़ के - हा नाना भी जग रहे थे
मा शर्मा गयी एकदम से - क्या बाऊजी ने सुना था क्या कल
मै ह्स कर - अरे सुना तो सुना उनको तो रज्जो मौसी की ब्ड़ी याद आ रही थी

मा शर्मा कर - धत्त बदमाश ,तुझे कैसे पता
फिर मैने मा को बताया कि कैसे कैसे मैने उनसे उगलवाया सब और फिर सुबह मे जब वो मा की गाड घुर रहे थे वो भी

मा शर्मा कर - धत्त नही तू झुट बोल रहा है ,,बाऊजी मेरे लिए ऐसा नही सोचते

मै हस के - अगर मै साबित कर दू तो
मा शर्मा कर - कैसे करेगा बता
मै तुरंत मा को एक प्लान बताया जिससे मा ना नुकुर कर रही थी लेकिन मेरी जिद पर मान गयी वो
फिर मै मा को पकड़ कर अपनी ओर खीचा और उनके होठ चुस लिये
वो भी मेरा साथ देने लगी
मै उनसे अलग होकर उनकी आँखो मे देखते हुए
उनकी आंखे नशीली हो रही थी और एक वापस से वो मेरे होठ चुसने लगती है ।
मेरे हाथ उनके कुल्हे सहला रहे होते है और वो लोवर के उपर से मेरे लण्ड को टटोलती है

मै मा को अलग कर उन्हे निचे कर देता हू और मुझे देखते हू निचे बैठ जाती है । फिर लोवर निचे कर मेरे खड़े लण्ड को सहलाते हुए मुह मे भर लेती है और मै हवा म उड़ने लगता हू ।

मुझे सुकून सा मिलरहा होता है। मेरे हाथ मा के बालो मे घूम रहे थे और मा मेरे सुपाडे को चुबला रही होती है ।
लेकिन सुकून तो आज मेरी किस्मत मे लिखा ही कहा था ।
मै और मा अपनी काम क्रीड़ा मे लगे थे कि सीढियो पर गीता बबिता के उधम मचाने की आवाज आती है और मा फटाक से अलग हो जाती है ।
मै भी अपना लण्ड एडज्स्ट कर लेता हू ।

हम दोनो बाहर हाल मे आ जाते है ।
अभी 2 बज रहे होते है तो मै मा को बोल कर निकल जाता हू दुकान के लिए


जारी रहेगी
Bahot behtareen
Shaandaar update bhai
 

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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ये तो बड़ा तगड़ा गोता फिट कर दिया वाह चंदू मेरे सेर मां तो मां बहन की भी फूला दी अब राज आगे किया करने वाला है कौन सा पैंतरा आजमाएगा जो चंदू से राज उगलवा सके इधर घर पर राज को फ्री में मस्त वाला सो देखने को मिल रहा हैं ऐसे में जवान लड़का कब तक हाथ गाड़ी चलाएगा कोई न कोई सुरंग ढूंढ कर निकलेगा ।

सुपर भाई इस कहानी में भी दूसरे कहानी की तरह थाली में सजी हुई मिली तो सारा मज़किरकिरा हों जाएगा।

अप्रतिम
Bahut bahut dhanywaad bhai
Keep supporting and enjoy story


Pdhte rahiye kuch naya hi milega 😍
 

Dhaal Urph Pradeep

लाज बचाओ मोरी, लूट गया मैं बावरा
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Bahut bahut dhanywaad bhai
Keep supporting and enjoy story


Pdhte rahiye kuch naya hi milega 😍
नया ही तो खोजने आय हु किया पाता कुछ ऐसा मिला जाइए और अपनी राघव बाबू को पड़ा सकी बेटा ऐसा कर तभी बात बनेगा।😁
 
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