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Bahot hi ummda likh rahe aap...UPDATE 68
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अगली सुबह विमला ने मुझे उठाया और कपडे पहनने को बोले । अभी सुबह के 5:30 बजे थे
तो मै उठा और कपडे पहन कर बाहर आया तो कोमल अपने कमरे से बाहर निकल रही थी और वो बाथरूम की तरफ जा रही थी
मै - गुड मोरनिंग कोमल
कोमल बडे बेतुके ढंग से - हा गुड मॉर्निंग हुउह्ह
मुझे बहुत अजीब लगा कि इसे क्या हुआ कही रात मे मै विमला के साथ सोया था उसका गुस्सा तो नही है ना
मै मुस्कुरा कर कोमल के पीछे चल दिया और पीछे आगन मे जाकर उसको पकड लिया और वो मेरे बाहो ने छटपटाने लगी
मै उसके चेहरे को पकड कर एक जोर का लिप किस्स किया और बोला - ये सुबह सुबह किस बात के नखरे भई
कोमल इतरा कर मुह फेरते हुए - कल क्यू नही आये मेरे पास , और कमरे मे भी नही थे , वो तो मैने ध्यान दिया कि मनोज है नही तो गडबड हो जाती
मै मुस्कुरा कर - क्या गडबड़ हो जाती
कोमल शर्मा कर - वो मै रात के 11 ब्जे तक गयी थी तो मुझे लगा तुम सो गये हो तो तुम्हे जगाने के लिए सोचा लेकिन तभी मुझे मनोज का चेहरा दिख गया और मै बाल बाल बच गयी
मै उसे छेड़ने के अंदाज मे - मनोज का चेहरा ही बस देखा या और भी कुछ
कोमल शर्मा कर - तूम वो बताओ जो मैने पूछा है , बाकी सब छोडो
मै ह्स्ते हुए - सॉरी कोमल वो आज मौसी को कोर्ट लेके जाना है ना सारे काम खतम होने को है इसिलिए वही उनसे बाते करते हुए वही सो गया
कोमल - ठीक है कोई बात नही, लेकिन आज रात मत दुर रहना मुझ्से। ठीक है
मै कोमल के गालो को चूम कर - ठीक है मेरी गुलाबो हिहिही
फिर मै कोमल को छोड कर वापस मनोज को जगाने आ गया
दरवाजा पहले ही खुला हुआ था और मनोज अपने लण्ड के उभार पर हाथ रखे सो रहा था ।
फिर मैने उसे जगाया और हम दोनों कल की तरह आज भी निकल गए टहलने लेकिन आज हम 6 बजे पहले ही निकले थे तो आज कल से ज्यादा औरते दिखी और सबसे नयी शादीशुदा औरते दिखी जो साडीयो मे थी ।
मुझे इनसब से अलग सरोजा ठाकुर का इन्तजार था ।
और तभी मुझे एक परफ्युम की खुशबू आई और मेरे पीछे से सरोजा जी जोगिंग करती हूई, मेरे बगल से आगे निकली
आज तो वो कल से ज्यादा खुबसूरत दिख रही थी और मै तो उनकी उभरी जवानी को आन्खो से ओझल नही होने देना चाहता था और उनके पीछे पीछे उनके मोटे मोटे झोल मारते चुतड के पाटो को देखते हुए जोग्गिंग सुरु कर दिया और मनोज भी मेरा साथ देने आ गया
मनोज मेरी मनोभावनाये और सरोजा के प्रति दीवानगी को बखूबी समझ रहा था
मनोज - भैया क्या बात है आज दौड़ रहे हैं
मै - हा अब सोच रहा हूँ कि जब आया तो थोडी बहुत कसरत दौड़ कर ही ले क्यू
आगे जाकर सरोजा जी एक जगह रुकी और अपनी सांसे थोडी बराबर की और वापस घूमने लगी और हमारी तरफ आने लगी तो उनकी नजर मुझ पर गयी और वही मै आंखे फाडे उन्के उछलते चुचे निहार रहा था ,, फिर जब उनसे नजर मिली तो वो एक मुस्कान देके सीधा चल दी ।
सरोजा की मुस्कान पाते ही मै जहा तक गया था वही से वापस सरोजा के पीछे घूम गया ।
मनोज मुझे सरोजा की तरफ जाते हुए देख कर मुस्कराया और मेरे साथ चल दिया ।
मै वापस से सरोजा के भारी चुतडो को निहारते जाने लगा और फिर एक समय आया कि वो हवेली के रास्ते पर मूड गयी और मै एक नजर देखा उनको और आगे निकल गया
मै और मनोज वापस घर आये और फिर मै और विमला 10 बजे तक तैयार होकर दुकान गये और फिर वही से तय गाड़ी से मै ,पापा, विमला और वकिल अंकल जिला कोर्ट गये और 2 बजे तक सारे कागजी काम खतम करा कर शाम 4 बजे तक हम सब वापस आ गये ।
रास्ते मे विमला ने पापा को महेश को माफ करने वाली बात बतायी तो पापा भी उनकी बात से सहमत हुए और विमला की उदारता के लिए उसकी तारिफ भी की साथ ही सतर्क रहने के लिए चेताया भी ।
शाम 4 बजे हम चमनपुरा वापस आये तो पापा ने विमला को घर चलने का आग्रह किया और फिर हमारी गाड़ी हमारे घर के लिए मुड गयी ।
घर पहुच कर हम सब दुकान के पीछे वाले कमरे मे एकठ्ठा हुए और मा ने वही नास्ता लेके आई
पापा - अरे रागिनी अब ये चाय नास्ता से काम नही चलेगा , अब तो पार्टी बनती है क्यू बहन जी
विम्ला मुस्कुरा के - हा जी बिल्कुल जब आप कहिये भाईसाहब
पापा - नही नही पार्टी तो हमारे तरफ से ही होगी वो भी हमारे नये वाले घर पर और अब तो होली को भी ज्यादा दिन नही बचे है हाहाहाहहा
मै खुश होकर - हा पापा क्यू ना इस बार की होली हम सब साथ मे नये घर पर मनाये
मा खुश होकर - हा जी मेरा भी मन यही कर रहा है
पापा - ठीक है फिर वही करते है सारा प्रोग्राम क्यू बहन जी ।
पापा विमला की तरफ हस्ते हुए उसकी रजामंदी लेने के लिए बोले लेकिन
विमला थोडी नाखुश सी दिखी तो पापा ने उसको पुछा
पापा - क्या हुआ बहन जी आप खुश नही है
विमला थोडा बनावती हस कर - अरे नही नही वो बात नही है
मा - फिर क्या बात है विमला अब तो सब ठीक है ना
विमला - हा रागिनी लेकिन मै कैसे होली खेल सकती हू मै तो
ये बोल कर विमला ने दुख से अपना सर झुका लिया
पापा - क्या बहन जी आप भी इतनी मोर्डन होकर पुराने ख्यालो मे जी रही है , माना की भाईसाहब हमारे बिच नही है अब लेकिन ये तो वो भी नही चाहेगे कि उनकी फैम्ली खुशिया ना मनाये ।
मा - हा विमला आजकल ये सब नोर्मल है और हम सब वहा अपने घर के लोग ही रहेंगे कोई बाहर का भी तो नही रहेगा ना
विमला अपने आसू पोछते हुए - ठीक है लेकिन
मा विमला के कन्धे को थामते हुए - लेकिन वेकिन छोड और जिंदगी के मज़े ले और उन मासूम बच्चों का सोच जो तुझे दुखी देख कर क्या कोई खुशिया मना पायेंगे
विमला मा के हाथ थामते हुए - नही रागिनी मै मेरे बच्चो की खुशियो पर अब और गम का साया नही आने दूँगी , अब से एक नयी विम्ला को जनमा पायेगी तू
मा ह्स्ते हुए - आ ले ले ले मेरी बच्ची आ दुधू दू तुझे हाहाहा बड़ी आई नया जन्म लेने वाली
फिर सारे लोग मा की बात से हसने लगे और विमला भी मा के सीने से लग कर आसू बहाते हुए ह्सती रही
फिर मै विम्ला को लिवा के उसके घर चल गया
जहा घर पर अनिता कोमल से बाते कर रही थी और हमे आते देख उठ कर दरवाजे तक आई
अनिता - आओ जीजी , कोमल बिटिया पानी ला अपनी मा के लिए
विमला के मन मे वैसे भी अनिता और महेश के लिए पहले ही कोई द्वेष नही था और वो कोमल को भी सुबह ही समझा चुकी थी ये सब
फिर हम हाल मे बैठे और कोमल ने हमे पानी दिया
कोमल - मा मै अपने सेंटर जा रही हू
विम्ला - ठीक है बेटा जाओ
फिर कोमल अपने सेंटर चली गयी ।
अनिता - और जीजी कहा गयी थी
विमला - बस वो थोडा बडे शहर गयी थी अपने दीदी से मिलने
अनिता थोडा भावुक होकर - अच्छा ,,और ये कौन है
मेरे तरफ इशारा करते हुए बोली
विमला मुस्कुरा कर - ये मेरी सहेली का बेटा है इसी की गाड़ी से तो गयी थी मै , वो बाजार मे रंगीलाल जी बर्तन वाले है ना ।
अनिता अंदाजा लगाने के भाव मे - अच्छा अच्छा
विमला - हा उन्ही का बेटा है
अनिता थोडा संकोच करते हुए - दीदी आपसे कुछ बात करनी थी
विमला निश्चिँत होकर - हा हा बोलो अनिता क्या बात
अनिता मुझे देख कर संकोच कर रही थी
विमला - अरे कोई बात नही ये घर का ही है तुम बता सकती हो
अनिता - दीदी क्या एक बार और नही सोच सकती है इस बारे मे
विमला - किस बारे मे
अनिता - इस घर को बेचने के बारे मे , उनकी तबियत ठीक नहीं है , आज भी दो बॉटल पानी चढा है । मै क्या करु जीजी मुझे समझ नही आ रहा है
अनिता बिलखते हुए बोली
विमला - अरे अनिता तुम ऐसे ,,,ओह्ह अब रोना बन्द करो सब ठीक हो जायेगा
अनिता बिलखते हुए - कैसे होगा जीजी मुझे समझ नही आ रहा है
विमला - तू चुप करेगी तो ना मै कुछ समझा सकती हू
अनिता - मतलब
विमला हस्ते हुए - अरे अनिता चिन्ता की कोई बात नही है मै ये घर नही बेच रही हू और वो कागज भी ठाकुर साहब से जल्द ही मुझे मिल जायेंगे , उसी सिल्सिले मे मै आज एसडीएम साहब से मिलने बडे शहर गयी थी ।
अनिता खुश होकर आसु पोछते हुए विम्ला के पैरो मे आ गई
विमला - अरे अरे अनिता ये क्या कर रही है तू उठ जा अब
और विमला ने उसे उठाकर बगल मे सोफे पर बिथाया लेकिन उठाते वक़्त अनिता के साडी का पल्लू उसकी छाती से हट गया और उसके खरबूजे जैसे चुचे जो बैगनी सूती ब्लाउज मे ठुसे हुए थे दिखने लगे ।
अनिता को भी अपने कपडो की फ़िकर नही थी वो तो बस विमला की दया की छाव मे गुम थी
विमला - तू हम सब एक परिवार ही है ना आज तक जो मेरे पर बीती है वो मै अपने दुश्मन पर ना बीते ऐसा सोचती हू
ऐसे ही विमला ने कुछ बनावटी बाते बोल के अनिता का मन शांत किया
अनिता आसू बहाते हुए विमला के आगे हाथ जोड़े - आपका पूरी जिन्दगी आभार रहेगा जीजी
मै जाती हू अभी उनको ये खबर देती हू
विमला उसका हाथ थाम कर - रुक मै भी चलती हूँ, चल राज बेटा तू भी आ
फिर हम तीनो कोमल के घर से निकल कर महेश के घर जाते है
जहा बरामादे मे एक तख्त पर महेश लेता हुआ था और छत की तरफ टकटकी लगाये निहार रहा था। महेश शारिरीक रूप से बहुत कमजोर दिख रहा था
अनिता तो घर मे घूसते ही अपनी साडी उठा कर महेश को आवाज देती हुई खुशी से भागी भागी उसके बिस्तर तक गयी
और महेश के बाजू के पास बैठ कर आसू बहाते हुए हस रही थी ।
महेश अनिता को रोता देख उठकर बैठ गया
महेश चिंतित भाव मे - क क क्या क्या हुआ अनिता तू रो रही है
अनिता अपने आसू पोछते हुए - मै रो नही रही ये तो खुशी के आसू है गुलशन के पापा
महेश अचरज से - मै कुछ समझा नही अनिता
अनिता मुस्कुरा कर हमारी तरफ इशारा करते हुए - देखीये जीजी आई है और उन्होने हमे माफ कर दिया है गुलशन के पापा
अनिता वापस से ह्सने लगती है लेकिन उसके आँखो से आसू झरने की तरह बहे ही जा रहे थे
महेश अनिता की बाते सुन कर एक आनन्द मे आ गया और अनिता अनिता बोलते बोल्ते वो भी रोने लगा
महेश अनिता के कन्धे पकड कर आसू बहाते हुए मुस्कुरा कर - तू तू सच कह रही है अनिता
अनिता मुस्करा कर आसू बहाते हा मे गरदन हिलाती है
तो महेश उम्मीद भरी नजरो से गिडगिदाते हुए विमला मे कदमो मे झुक जाता है
महेश - मुझे सजा दो भाभी , सजा दो ! मै अभागा रिश्तो के मायने समझ ना सका और आप ने सब कुछ सह कर भी मुझे माफ कर रही है
विम्ला अपने पाव पीछे करते हुए - अरे अरे देवर जी बस करिये जो हो गया सो हो गया , आप सब मेरे परिवार का हिस्सा ही तो है और आपको दुख पहुचा कर मै कैसे यहा से चली जाती
महेश अनिता दोनो हाथ जोड़े विमला के पैरो मे थे
विमला - अनिता उठाओ इनको और बिस्तर पर बिठाओ , अभी इनकी तबियत नही ठीक है
महेश अपने आसू पोछता हुआ खदा हुआ - नही भाभी मै अब ठीक हो जाऊगा ,,आपने मेरे सर से एक पाप का बोझ हल्का कर दिया है , अब मै ठीक हू , अब मै ठीक हू अब मै
ये बोल्ते बोल्ते महेश बेहोश होकर गिर पड़ा
महेश के बेहोश होने के बाद अनिता फूट फुट कर रोने लगी
फिर मैने मदद करके महेश को विस्तर पर लिटाया और हमारे फैमिली डॉक्टर दयाल को फोन लगा दिया ।
दयाल अंकल कुछ ही देर मे अनिता के यहा आये और फिर महेश को चेक कर एक इन्जेक्शन दिया और कुछ दवाईया दी और महेश को रेस्ट करने को कहा ।
इधर अनिता दयाल अंकल के फीस के लिये पैसे लेने घर मे गयी कि डॉ अंकल मुझसे मिले और निकल गये अपने क्लिनिक पर ।
अनिता - अरे डॉ साहब कहा गये
मै मुस्कुरा कर - वो चले गये आंटी
अनिता - अरे वो अपनी फीस नही ले गये बेटा
मै मुस्कुरा कर - अरे आंटी उसकी चिन्ता ना करिये वो हमारे फैमिली डॉ है वो पापा से हिसाब कर लेंगे
अनिता मुस्कुरा - शुक्रिया बेटा
विमला - देख अनिता अभी तू इनका ख्याल रख और कोई जरुरत हो तो बेहिचक मुझे बोल देना
अनिता आभार व्यक्त करते हुए- आपका उपकार कैसे चूकाऊ मै दीदी , आपने हमे बर्बाद होने से ब्चाया है
विमला मुस्कुरा कर - वो सब छोड और इनका ध्यान रख और ये सुरेश भाई नही दिखे
अनिता - वो भी नशे मे धुत होगे कही , अभी आकर इनको गालिया देंगे कि इन्होने उनको फसा कर उनको उन्के परिवार से दुर कर दिया और बर्बाद कर दिया
विमला - तू चिन्ता मत कर कल सुबह मै सुरेश से बात करती हू , आखिर उसे अपनी गलती समझ आ गयी न
अनिता - ठीक है जीजी मै कल बोलती हू देवर जी को
विमला - देख 8 बजने को है मुझे भी खाना बनाना है ,मै जाती है अब
फिर मै और विम्ला वापस कोमल के घर आ गये और रात के खाने मे कोमल ने स्पेशल खाना ब्नाया और खाने के बाद हम सब हाल मे बैठ कर आज की हुई घटनाओ पर बाते किये ।
मनोज और कोमल ने तो नयी नयी प्लानिंग भी की ।
फिर रात मे सोने की प्लानिंग हुई
मै - तो फिर आज कौन कहा सोयेगा मौसी
मनोज - अगर आपको दिक्कत न हो तो मै मा के साथ सो जाऊ भैया
मै हस कर एक नजर विमला की ओर देखा जो ना मे इशारे कर रही थी वही कोमल शर्म से निचे देख रही थी ।
मै - अच्छा ठीक है जा सो जा वैसे भी कल से मै घर पर रहूंगा
विमला - अरे कुछ दिन और नही रुक सकता
मै - अरे मै कौन सा बहूत दुर हू , आना जाना लगा ही रहेगा आप एक फोन करना मै आ जाऊंगा हिहिही
फिर मनोज विमला के कमरे चला गया और कोमल अपने कमरे मे
मै उठते हुए - चलो मौसी हम लोग भी सोते है
विमला आंखे दिखाते हुए खुसफुसा कर बोली - आज सो नही सकता था मेरे साथ , ब्स भर गया मन तेरा मुझसे
मै हस्ते हुए - अरे मौसी मै तो मौका दे रहा हू आपको आज रात कैसे भी करके मनोज जो चाह्ता है उसे कर लेने दो ताकि आप दोनो भी ... हिहिहिहो समझ रहे हो ना
मै विमला को आंख मारते हुए हस्ते हुए बोला
विमला शर्मा कर - धत्त मुझसे नही होगा
मै - आप कुछ मत करना जो वो करे उसे करने देना ,,देखा है मैने बहुत हिम्म्ती है मनोज आप उसे थोडा छूट देके देखो एक बार मे ही लण्ड अपकी चुत मे उतार देगा
विमला शर्मा कर - धत्त बदमाश जा अब सो जा
और विमला भी उठ कर जाने लगी
मै - और सुनो वो खिडकी खुली रहने देना
विमला हा मे इशारा कर मुस्कुरा कर कमरे मे चली गयी ।
एक बार फिर बाहर की सारी लाईट बंद हुई और सब अपने कमरे मे चले गये ।
थोडी देर हुआ और मै कोमल के कमरे मे गया और उसकी एक जोरदार चुदाई की फिर उसे सुला कर कमरे से बाहर आ गया ।
मेरी नजर विमला के कमरे की खिडकी से बाहर आती हल्की रोशनी पर गयी
और मेरे चेहरे पर एक कातिल मुस्कान आई और मै विमला के कमरे की तरफ चल दिया ।
मै अन्दर हो रही घटना को लेके काफी उत्साहित था कि कैसे विमला अपने बेटे के साथ सम्भोग के लिए राजी होगी ।
इधर मै खिडकी के पास गया तो अन्दर का नजारा मेरे अनुमान से ज्यादा अलग नही दिखा । और शायद सब कुछ जल्द ही शुरू हुआ था
मनोज पुरा नंगा विमला के उपर चढा था
विमला का ब्लाउज खुला था और ब्रा के कप से एक चुची को बाहर निकाल कर मनोज उसे मुह मे भरे चुस रहा था और नीचे विमला ने पेतिकोट पहना हुआ था।
मनोज विमला की चुचिया चूसने मे मगन था
विमला सिस्क कर - सीईईई बस कर मनोज , दर्द हो रहा है ऐसे
मनोज उपर होकर - तो निकाल दो ना मा
विमला उसे चिढाते हुए मुह बना कर मनोज की बाते दुहराते हुए - निकाल दो ना मा ,,,,,हुउह्ह्ह चल हट अब बहुत हो गया
विमला मनोज को हटा कर चुची को ब्रा मे डालने लगी लेकिन वो ब्रा मे जा नही रही थी
विमला झल्ला कर - देख अब पुरा खोलना पडेगा तेरी वजह से
मनोज मुस्कुरा कर अपनी मा के गालो को थाम कर उसके होठो पर अपने गाल ले जाकर छुवाता है
जिससे विमला का नकली गुस्सा हसी मे बदल जाता है और वो मनोज के गाल को चूम लेती है
विमला इतरा कर - चल हत बदमाश कही का
मनोज - लाओ मै सही कर देता हू
फिर विमला उठ कर बैठ गयी और मनोज की तरफ पीठ कर ली
मनोज विमला के पीछे आकर खड़ा हुआ था की विमला चिहुक उठी
विमला सा शरीर गनगना गया - यीईई माआ
मनोज हसते हुए - वो मेरा नुन्नु आपकी पीठ पर छुआ गया था मा हिहिहिही
विमला डाटते हुए - दाँत ना दिखा और खोल पीछे से हुक
मनोज पहले विमला के ब्लाउज को निकालता है फिर हुक खोल कर ब्रा की स्ट्रिप आगे ले आता है
विमला अपने चुचियो को ढकते हुए - क्या कर रहा है वापस बंद करना है ना
मनोज - अब खोलदिया है तो निकाल दो ना मै वापस ब्लाउज पहना देता हू
विमला मुस्कुरा कर - ठीक है
और विमला अपने हाथ सामने से हटा लेती है और मनोज वापस ब्रा को आगे लेके जाता है जहा उसके हाथ विमला की चुचियो को साइड से छुते है जिससे विमला सिहर जाती है
और इस वक़्त मनोज के हाथ रुके थे फिर भी विमला अपनी बॉडी की हीचका कर सिस्क रही थी और जब मेरा ध्यान मनोज की कमर पे गया तो देखा कि वो अपना तने हुए लण्ड का सुपाडा विमला की नंगी पीठ पर घूमा रहा था
वही विम्ला को मदहोश होता देख मनोज पीछे से उसकी चुचियो को दबोच लेता है और उपर की तरफ उठाते हुए मिजना शुरू कर देता है ।
अन्दर कमरे का सिन देख कर मेरा लण्ड तन कर खड़ा हो जाता है और मजबूरन मुझे उसे बाहर लाकर सहलाना शुरू कर देता हूँ
उधर कमरे मे मनोज अपनी मा की पीठ से चिपक कर उसके गर्दन कान कन्धो को चुमते हुए उसकी चुचियो को मसल रहा था और विमला सिस्क रही थी मनोज का नाम लेके
विमला - उम्म्म्ं बेटा अह्ह्ह ब्स कर सीई अह्जह्ह्ज येह्ह गलत ह्है बेटाह्ह्हह उफ्फ्फ मा
मनोज - मा मुझे नही अच्छा ल्ग्ता है जब आप बाहर के मर्दो से अपनी प्यास बुझाती हो मेरे सारे दोस्त आपको रन्डी बुलाने लगे है
विमला मनोज के मुह उसके लिए रन्डी शब्द सुन कर उत्तेजित हो जाती है और गहरी सास लेते हुए - क्याआआ मै तुझे भी रन्डीईई लगती हू अह्ह्ह उफ्फ्फ
मनोज अपनी मा के पेतिकोट का नाड़ा आगे हाथ लाकर खोलता हुआ - मै आपको दोनो चाचा के साथ चूदते देखा है मा
विमला सिस्कर - उफ्फ्फ अह्ह्ह फिर क्या लगा तुझे बेटा , कैसी है तेरी मा अह्ह्ह और सहला इन्हे उफ्फ्फ ह्य्य्य्य
मनोज विम्ला की चुचियो की घुंडीया घुमाते हुए - मै देखा था मा आपको दो दो लण्ड अपनी चुत और गाड़ मे लेके चूदते हुए , आप तभी मुझे रन्डी दिखने लगी थी
विमला मनोज की बातो और उसके हरकतो से उत्तेजित थी वही मनोज अपना हाथ विमला के पेतिकोट मे उपर से डाल चुका था
मनोज विमला की चुत सहलाते हुए - मा मुझे आप एक नमबर की चुद्क्क्ड लगती है और मै भी आपको रन्डी की तरह चोदना चाहता हू
विम्ला सिस्कते हुए - अह्ह्ह सीई उम्म्ंम्ं बेटा आह्ह और रगड़ अपनी मा की चुत को अह्ह्ह मा
मनोज विमला को छोड कर खड़ा हुआ और अपना लण्ड उसके मुह के आगे ले कर घुमाने लगा - मा चुसो ना इसे प्लीज
विम्ला आंखे खोलकर सामने खडे लण्ड को पाके झपट पड़ी और मुह्ह मे गले तक लेने लगी
मनोज के मानो पैर काफ गये ये उस्के लिये पहला अनुभव था शायद और वो अपनी के मुह्व मे लण्ड घुसेड़ के गालीया दते हुए - अह्ह्ह सालि रान्डी मा मेरी अह्ह्ह्ज और चुस मेरी चुद्क्क्ड मा अह्ह्ह बहुत म्ज़ा आ रहा है
विम्ला गपागप मनोज के लण्ड को चुस रही थी
वही मनोज अनाब सनाब बके जा रहा था - आह्ह और चुस मै तुझे अपनी रखैल ब्नाउगा मा
कुछ देर की मुह पेलाई के बाद मनोज अलग हुआ
मनोज - लेट जाओ मा मै अब आपको चोदूंगा
विमला तो मानो इसके लिये तैयार थी और झ्त से लेट कर अपनी पैंटी निकाल दी और पेतिकोट उपर चढाते हुए अपनी चुत पे चट्ट चट्ट चपट लगाते हुए बोली - अह्ह्ह बेटा चोद दे अपनी मा को बना ले अपनी रन्दी अह्ह्ह
दोनो की बाते सुन के मै बहुत ही उतेजीत मह्सूस कर रहा था
वही मनोज विमला के चुत दो बार थूक कर हाथ से उसकी मोटी फुली हुई चुत को मला और लण्ड के टोपे को चुत मे लगा कर पेल दिया और उसकी जन्घे उठा कर घपा घ्प घपा घ्प घपा घप चोदने लगा ।
वही विमला मनोज को उत्तेजित कर चुदवा रही थी
मनोज - अह्ह्ह मज़ा आ रहा है मा और निचोड लो मेरा लण्ड आज आपकी चुत मे
विमला कमर उचका कर पुरा लण्ड अपनी चुत मे समा लेती है और मनोज विमला की जन्घे थामे गचागच पेले जा रहा था
मनोज - मा मै आपको रोज चोदना चाहता हू रन्डी की तरह चुदवाओगी ना मा मुझसे
विमला - हा बेटा मुझे भी बहुत पसंद है ऐसे चुदना अह्ह्ह उह्ह्ह मा ह्य्य्य और पेल अपनी मा की बुर मे
मनोज - मा आपकी बुर तो भोस्डा बन गयी है इसमे तो मेरे दोस्त पन्नु का लण्ड डालना पडेगा आह्ह मा
विमला - आह्ह बेटा ये पन्नु कौन है उह्ह्ह आह्ह और चोद औउर आह्ह
मनोज विमला की चुत मे निचे उतरते हुए - वो मेरा दोस्त है मा , वो भी अपनी मा को चोदता है और मुझसे भी चुदवाया है । बहुत मोटा लण्ड है उस्का
विमला - आह्ह सच मे तुने पहले भी सेक्स किया है
मनोज - हा मा मैने पहली बार पन्नु की मा को चोदा था और पन्नु भी आपको चोद्ना चाहता है
विमला झडने के कारिब थी - अह्ह्ह बेटा मेरा निकलेगा
मनोज अब रुक रुक के धक्के लगाता हुआ - बोलो ना मा चुदोगी मेरे दोस्त से
मनोज वापस से एक जोर का धक्का चुत मे लगाते हुए - बोलो ना मा
विमला नशे मे मदहोश - आह्ह बेटा तू जिससे कहेगा चूदूँगी , तेरीईइह्ह र,,,,न्डीहह मा हू ना आह्ह पेल दे अब रुक मत बेटा अह्ह्ह्ह
मनोज खुश होकर विम्ला को तेजी से चोदते हुए - थैंक यू मा , हम चारो लोग एक साथ चुदाई करेंगे फिर अह्ह्ह
विमला कपकपाते हुए - अह्ह्ह हा बेटा कर लेना अह्ह्ह अभी चोद ना
फिर मनोज विम्ला की जांघ खोल कर उपर चढ़ कर तेजी से विमला की पिचपिचाती बुर मे सत सत स्त लण्ड चोदने लगता है ।
मनोज - आह्ह मा ऐसे ही निचोदो मै भी झडने वाला हू अह्ह्ह मा
विमला जो की झड़ चुकी थी तेजी से कमर उच्का कर पुरा का पुरा लण्ड अपनी भोस्डी मे भरने लगी और जल्द ही मनोज धिमा पड़ गया और उसकी कमर हिच्कोले खाने लगी और वो विमला की चुत मे झडने लगा ।
और मै वही खड़ा खड़ा दुबारा अपना लण्ड झाड़ दिया और वापस अपने कमरे मे आकर सो गया ।
अगली सुबह मै टहलने ना जाकर जल्दी ही नहा धोकर तैयार हुआ और नाश्ता करके जाने के लिए तैयार हो गया ।
मनोज ने मेरा समान पैक कर दिया
विमला थोडा भावुक होकर - फिर कब आयेगा मेरा राजा बेटा
मै हस कर - अरे मौसी मै यही हू बाजार मे जब मन हो बुला लेना अपने राआआजाआआ को
मेरा मतलब है राजा बेटा को हिहिहिही
विमला मेरी डबल मिनिंग की बात समझ गयी ।
मै - और हा आप सब लोग होली के लिए कोई प्रोग्राम ना बनाना है , सब कुछ हमारे नये वाले घर पर बुक रहेगा और सबको आना है ।
विमला - अरे बेटा वो मै ब्ताना भूल ही गयी
मै अचरज से - क्या मौसी
विमला - वो क्या है बेटा मेरी जौनपुर वाली दीदी का फोन आया था कल रात मे । उसकी बड़ी लडकी को देखने के लिए लड़के वाले आएगे तो कोमल और मनोज वही जायेंगे परसो ।
मै मन मार कर- ब्क्क्क फिर कैसे होगा सब प्लान बेकार
विम्ला एक कातिल मुस्कान से - मेरे रहते कोई प्लान थोडी ना खराब होगा हिहिही
मै विमला की मुस्कान भरी बात समझ गया
मै - लेकिन अगले महीने से तो मेरे और कोमल के एक्साम होने वाले है ना
विमला - अरे वो लोग होली बिता कर वापस आ जायेंगे बेटा
मै खुश होकर - ठीक है मौसी , चलो अब चलता हू और आप लोग अपना ख्याल रखना कोई दिक्कत हो तो बताना
विमला - ठीक है बेटा
फिर विम्ला ने मेरे गाल को चुमा और खुश रहने को बोला
मै मनोज से हाथ मिलाया और कोमल को बाय बोलकर निकल गया अपने घर के लिये ।
अब देखते है राज की घर वापसी
नये घर मे गृहप्रवेश और आने वाली होली के कितने रंग देखने को मिलेंगे ।
अपना प्यार और सपोर्ट बनाये रखें और आनंद ले कहानी का
पढ कर अपना रेवियू जरुर दे
धन्यवाद
Bahut bahut dhanywaad Naina jiBahot hi ummda likh rahe aap...
sabhi ko lag to raha hai ki yahan tak as a
reader, meri point of view se bhi ki mahesh aur Anita sudhar gaye hai... aur unhe apni ki gayi galtiyo ka pachhtava bhi hai.... agar sach mein sudhar gaye hai to unke pariwar ke liye hi achha hai sath hi Vimla aur uske bachho ke liye bhi.. kyunki khud ke pariwar mein bair ya dusmani nahi ralhni chahiye.. agar is dusmani ke chalte faida bhi ho to bhi mann ko kabhi shaanti nahi milti..
ek jut hoke rahenge tabhi khush reh payenge..
Agar mahesh sudhar gaya hai to Shayad jald hi suresh bhi sudhar jaayega.... I think jald hi mahima jiya ko leke apne pati ke paas laut aayegi..
Waise ye achha kiya jo us court aur property wali baat nahi batayi unlogo ko Vimla ne...
chalo Vimla ke dukh dur kar diye Raj ke pita ne... badle mein holi khelne wala hai Vimla sang holi meinbudha tharki hai
Khair... baaki update charam pe tha..
Kirdaar bhi garam the...
shaandar update, shaandar lekhni shaandar shabdon ka chayan aur sath hi dilkash kirdaaro ki bhumika bhi..
Let's see what happens next
Brilliant update with awesome writing skills![]()
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Beautifull update dostUPDATE 67
मै और विमला साथ मे निचे उतरे तब तक कोमल अपने रूम मे जा चुकी थी और मनोज विमला के कमरे मे जा चुका था
मै विमला से खुसफुसा कर - जानू कमरे मे तो मनोज होगा ना
विम्ला मुस्करा कर मेरे गालो को छुते हुए - उसे उसके कमरे मे भेज देती हू मेरे राजा हिहिहिही
फिर हम दोनो कमरे के पास गये तो दरवाजा बन्द था लेकिन खिडकी खुली थी और मेरी नजर खिडकी से अंदर गयी तो कमरे मे मनोज बेड पर टेक लगा कर सिर्फ अंडरवियर मे बैठा हुआ था और अंडरवियर के होल से अपना लण्ड बाहर निकाल कर सहला रहा था
इधर विमला दरवाजा खोलने को होती है कि मै लपक कर उसका हाथ पकड लेता हू और उसे अपने पास खिच कर खिडकी से कमरे मे मनोज की करतूत दिखा देता हू
विम्ला पहले गुस्सा करती है लेकिन मेरे वजह से शर्म से मुह झुका लेती है
मै - मौसी ये मनोज तो
विमला गुस्से मे - इसकी आदत से तो मै तंग आ चूकी हू
मै उस्क्क शांत करते हुए - पहले आप उसको उसके कमरे मे भेजिए फिर हम इस पर बाते करते है ।
फिर विमला ने दरवाजा खटखटाया और मनोज ने दरवाजा खोला तो
विमला गुस्से मे - तू जा अपने कमरे मे सो मुझे राज से कुछ जरुरी बाते करनी है औए कल बडे शहर जाना है
मनोज विमला को गुस्से मे देख सहम गया और बिना कोई सवाल जवाब के अपने कमरे मे चला गया
फिर मैने कमरे की खिडकी बन्द की और बिस्तर पर बैठ गया लेकिन विमला के चेहरे पर चिन्ता साफ दिख रही थी ।
मै उसे पकड कर बिस्तर पर बिठाते हुए - मौसी आप परेशान न हो समय के साथ वो समझदार हो जायेगा
विमला चिंता के भाव मे - ऐसा कुछ नही बेटा , तू जो समझ रहा है ये बात उससे कही ज्यादा बड़ी है
मै - क्या बात है मौसी खुल कर बताईये न
विमला झिझक कर - मै क्या बताऊ बेटा , एक मा के लिए ये सब सह पाना बहुत मुश्किल है कि
मै विमला को तसल्ली देते हुए - मौसी आप मुझ पर भरोसा कर सकती है ये बात बस इस कमरे मे रहेगी और हो सकता हो मेरे पास आपकी इस सम्स्या का हल भी हो
विमला - मुझे तुझ पर भरोसा है बेटा लेकिन मै किस मुह से तुझे बताऊ कि मेरा बेटा मेरे मोह मे पड़ गया है और मुझसे संबंध बनाना चाहता है
मै तो इस बात को पहले से ही जानता था लेकिन फिर भी एक बनावटी आश्चर्य भाव लाकर - ये क्या कह रही हो मौसी , मनोज आपके साथ ...
विमला परेशान होकर - पता नही उसे मुझमे क्या दिखता है जो वो ऐसे पेश आ रहा है, तू ही बता मै कौन सा कही की अप्सरा हू जो वो मेरे पीछे पागल हुए जा रहा है
मै - देखिये मौसी मनोज वाली सम्स्या तो हल हो जायेगी लेकिन
विमला चेहरे पर खुशी के भाव लाकर - लेकिन क्या बेटा
मै एक कातिल मुस्कान के साथ- लेकिन मनोज का आपके लिए दीवाना होना जायज है, मै तो सोचता हू कि काश मै आपका बेटा होता तो रोज इस संगमरमरी हुस्न का दिदार कर पाता
विमला मेरे बातो से शर्म से पानी पानी होने लगी और मुस्कराते हुए बोली - अब तू भी शुरू हो गया
मै - अब मेरी जानू है इतनी हसिन तो तारिफ क्यू ना करू हिहिहिहिही
विमला शर्मा कर - बस भी कर भई
मै - ह्य्य्य देखो कैसे शर्म से गुलाबी हुए जा रही है मेरी गुलाबो
विमला के गाल खीचते हुए बोला
विमला मेरे हाथ झटक कर खड़ी हुई और साडी निकालने लगी
मै - लग रहा है आज अपने राजा को खुश करने मे मूड मे मेरी रानी
विमला - बस भी बेटा कितना परेशान करेगा अब
मै - परेशान मै नही आप करने वाले हो
विमला अचरज से - अच्छा वो कैसे
मै - आप कपड़े निकाल रहे हो तो मै परेशान होउँगा ना
विमला हाथ मे उधेड़ी साड़ी लेके मेरी बातो से बेजुबान होकर हस्ते हुए बैठ गयी ।
मै ह्स्ते हुए - क्या हुआ बोलो ना
विम्ला हसते हुए वापस खड़ी हुई और साडी निकाल कर फ़ोल्ड करने लगी - पागल मै साडी निकाल कर ही ऐसे सोती हू और तू ....
मै ह्स्ते हुए - मै क्या आगे तो बोलो
विमला साडी किनारे रख कर घोड़ी बन कर बिस्तर पर चढ़ने लगी और उसी भरी हुई 42 की गाड़ और फैल कर मेरे सामने आ गई
बिस्तर पर चढ़ कर वो टेक लेते हुए पैर फैला कर बैठ गयी
विमला - अब वो लाईट बंद कर और आजा सो जा
मै एक नजर विमला के कसे चुचे ब्लाउज मे देखा और बोला - मौसी कोई तौलिया है क्या
विमला - क्या करेगा अब
मै हस्ते हुए - वो मुझे भी अंडर के कपडे मे सोने की आदत है ना
विमला मुझे छेड़ते हुए - हय्य देखो यहा तो राजा खुद अपनी रानी के सामने शर्मा रहा है
मै ह्स्ते हुए लोवर निकालने लगा - वो बात नही है मेरी रानी
विमला - फिर क्या बात है
विमला की जवानी और उसके साथ चटपटि बातो से मेरा लण्ड टनटना गया था और अंडरवियर मे उभार दिखने ल्गा था मैने अपना टीशर्ट भी निकाल कर सिर्फ अंडरवियर मे आगया और बिस्तर पर चढ़ गया ।
विमला मुझे ऐसे देख कर सच मे झेप सी गयी लेकिन फिर भी मुझे निहारते हुए बोली - अरे ब्ताओगे क्या बात है
मै विमला के गोद मे सर रखते हुए - बात ये है कि कही रात मे इधर उधर हाथ गया मेरी रानी का तो वो डर ना जाये
विमला ह्स्ते हुए मेरे गालो को खीच कर बोली - बहुत बदमाश हो गया है तू , वैसे डरने लायक है भी कुछ या बस फेक रहा है
मै विमला के चुची पर ऊँगली घुमाते हुए - आपके इन मोटे थनो की कसम जान, छुआ तो दुर देख भी लिया तो भी डर जाओगी हाह्हाह्हहा
विम्ला अपनी चुची पर रेग्ते मेरे हाथ पर चट्ट से मारते हुए - बहुत नटखट है रे तू हा
मै - अब अपनी रानी से शरारत ना करू तो किस्से करू
विमला मेरे बालो मे हाथ फेरते हुए - पगला कही का , काश तू सच मे मेरा बेटा होता
मै हसते हुए - अच्छा है नही हू ,, नही तो मनोज की तरह मुझे भी डाट देती
विमला मेरे बालो मे हाथ फेरते हूए - तू मनोज की तरह थोडी ना वो सब करता
मै ह्स्ते हुए - क्यू मेरे पास भी तो वही है जो मनोज के पास है हाहाहाहाह
विमला मेरे गाल खिचते हुए -
तो क्या तू भी वही सब करेगा हा बदमाश
मै थोडा म्ज़ा लेते हुए - ओह्ह गॉड, आपके रहते मुझे अपने हाथो से करना पड़ेगा , ये दिन आ गये मेरे हिहिहिहिही
विमला - तू ना बस कर अब उठ जा , मुझे सोने दे । मै तुझसे नही जीत सकती हूँ
मै हस कर विम्ला के बगल मे बैठ गया और बोला - लो देखो आपके हाथों का सुख जान कर ये भी जाग गया
मै विमला को अंडरवियर मे बने टेन्ट की तरफ इशारा करते हुए कहा
विमला की नजर मेरे अंडरवियर के खडे लण्ड पर गयी तो मेरे तरफ घूम कर शरारत भरी अंदाज मे मेरे लण्ड को निहारते हुए बोली - लग तो नही रहा है की खड़ा हुआ है
मै समझ गया विमला मूड मे है और अगर पहल हुई तो आज कुछ ना कुछ हाथ साफ हो ही जायेगा
मै - कहो तो बाहर निकाल दू वैसे भी अन्दर कैद मे फड़फ्ड़ाता बहुत है
विमला मेरे नंगे पेट को सहलाते हुए मादक होने लगी और हाथ को सरका कर मेरे अंडरबियर की इलास्तिक मे फसा कर निचे करने लगी
मै कमर उठा कर झट से अंडरवियर को सरका दिया जिससे मेरा मोटा लण्ड फनफन कर खड़ा हो गया
विमला ने एक नजर मुझे देखा और बोली - सच मे ये तो अन्दर कैद में परेशान था
मै अपना अंडरवियर पैर से निकाल कर विमला की चुचियो पर इशारा करते हुए कहा - कैद मे तो आपने भी इनको रखा है
विमला की सांसे मेरे खडे लण्ड को देख कर उखड़ने लगी थी और वो टकटकी लगाये मेरे लण्ड को निहार रही थी उसे होश ही नही था कि मै अभी क्या बोल गया उसे ।
मै विमला की बेचैनी और बढाने के लिए एक हाथ से लण्ड को थामकर उसकी चमडी को खीच कर मोटे सुपाडे के निचे लाया जिससे मेरे सुरुवाती रस की एक हल्की सी बूद मेरे सुपाडे से निकाली और मैने उसे अंगूठे से सुपाडे पर मल दिया
ये देख कर विमला की सासे और तेज हो गयी और उसकी जीभ उसके सुखे फड़डके होठो पर घूमने लगी
मै विमला की आंखो मे देखकर - आपने मेरी बात का जवाब नही दिया मौसी
विमला मानो किसी गहरे सपने से जगी हो - हह क क कुछ कहा तूमने बेटा
मै ह्स्ते हुए - मै ये कह रहा था कि आपने इन्हे क्यू कैद कर रखा है,,, विमला के चुचे को छुते हुए बोला
विम्ला मेरे स्पर्श से सिहरते हुए - सीईईईई उम्म्ंम्ं वो बेटा बात ये है ना कि अगर इन्हे आजाद कर दू तो ये मुझे बहुत परेशान करते है
मै विमला की तरफ घूम कर उत्सुकता भरे लहजे मे - वो कैसे
विमला शर्म से मुझसे आंखे चुराते हुए - वो बेटा मै कैसे बताऊ अब तुझे
मै शरारती अंदाज मे विमला के ब्लाउज के बटन पर हाथ ले जाकर एक एक बटन चटका कर खोल्ते हुए - रुकिये फिर मै ही देख ले रहा हू कि आखिर कैसे परेशान करते हैं ये
आखिरी के दो बटन पर जाते जाते विमला ने मेरे हाथ को रोक लिया और बोली - नही बेटा , मुझे शर्म आ रही है
मै दुसरे हाथ से विमला के हाथों को अपने हाथ से हटाया जिसका विरोध विमला ने तनिक भर नही किया और आराम से अपने हाथ वापस कर लिये और मदहोशि मे बेड से सर टिका कर मुझे अपना ब्लाउज खोलते देखने लगी ।
मैने बाकी के दोनो बटन खो कर ब्लाउज के दोनो हिस्सो को अलग थलग किया और एक गुलाबी ब्रा मे कैद विमला की चुचिया सास लेती उपर निचे होती दिखने लगी ।
ब्लाउज खुलने के बाद विमला और ढीली पड़ गयी और मै एक एक करके ब्लाउज को उसके कन्धे से उतारने लगा
विमला मेरे इस कृत्य मे साथ दे रही थी और जैसे जैसे मेरे हाथ उसके मुलायम कंधो से ब्लाउज के साइड को हटाते वो सिहरती जाती
आखिरकार उसने अपने गरदन को बेड के पाटी से टिकाते हुए सीने को उचका कर बाजुओ को ढिला छोड दिया और उसका बलाऊज उसकी कमर के पास गिर गया ।
मै वापस से विमला के गोरे और दूधिया संगमरमरी कंधो से अपनी उंगलियो को सहलाते हुए उसके ब्रा के कप के किनारे किनारे फिराने लगा ।
विमला अपने मुलायम मोटे चुचो की पतली चमडी पर मेरे उंगलियों की थिरकन से बेचैन होने लगी थी ।
मै नशीले अंदाज मे - क्या हुआ मौसी
विमला हफते हुए - कुछ नही बेटा ,
मै हस्ते हुए - अब आप इनको खुद खोलोगे या मै हाथ डाल कर निकालू
विमला थोडा खुद को सामान्य करते हुए अपनी पीठ बेड के पाती से लगाकर बोली - नही मै कर लुंगी
फिर विमला वापस से अपने चुचे उठा कर अपने हाथ पीछे ले गयी और ब्रा का हुक खोल दिया जिससे उसके भारी चुचे ब्रा की कप छोड कर झूल गये और ब्रा विमला के सीने पर ढीली हो गयी ।
मै अपने एक हाथ को आगे कर ऊँगली से विमला के ब्रा को पकड कर सामने की तरफ खीचा तो विमला ने अपने दोनो हाथ सीधे कर ब्रा निकालने मे मदद की और वापस बेड के पाटी से गरदन लगाकर तेज सासे लेने लगी।
ब्रा हटते ही विमला के मुलायम गोरे चुचे पर गहरे भूरे रंग की घुंडीया मुझे ललचाने लगी ।
मै विमला के चुचो को निहारते हुए - ये तो एकदम शांत है मौसी , आप तो कह रही थी कि ये परेशान करेंगे
विमला तिरछी नजरो से मुझे देख कर बोली - धत्त बदमाश वो ऐसे थोडी ना होता है
मै - फिर कैसे अब तो बता दो अब तो ये आजाद भी है
विमला मुस्कुराई और विस्तर पर चुतडो को खसकाते हुए लेटने लगी और चुतड खस्काते समय उसकी चुचिया उछल जाती थी
फिर विमला लेट गयी और मेरे तरफ करवट लेली जिससे उस्की चुचिया बेड पर फैल गयी
विमला मुझे अपने बेड पर फैले चुचे दिखाते हुए बोली - देखा ये कैसे फैल गये , ऐसे पूरी रात कभी इधर तो कभी उधर होते रहते है
मै विम्ला के बराबर मे उसकी तरफ करवट लेके लेटते हुए उसकी उपर की चुची को दोनो हाथो से थामा जिससे विमला कापने लगी
मै - ये तो भारी है मौसी , कैसे ढो लेते हो आप दिनभर
विमला हस्ते हुए - धत्त बदमाश ये और भी बडे हो जाये तो भी औरतो को फर्क नही पडेगा
मै हैरान होने के भाव से - इससे भी बडे होते है क्या मौसी
विमला ह्स्ते हुए मेरे गाल खिंच कर - क्यू तेरे रज्जो मौसी का नही देखा
मै ना मे सर हिला कर - नही मौसी
और अपने अंगूठे से विम्ला के निप्प्ल को रगड़ दिया
विम्ला सिस्क कर - अह्ह्ह क्या कर रहा है बदमाश
मै मुस्कुरा कर - कुछ नही ब्स सोच रहा हू
विमला - क्या बोल ना
मै विमला के चुचे पर हाथो को गोल गोल घुमाते हुए - काश सच मे मै आपका बेटा होता तो इन्हे चुसा होता ना , कितने नरम और रसिले है ये
विमला मेरे चेहरे को दुलार कर नशे में बोली - सीईई अह्ह्ह तो बन जा ना मेरा बेटा और चुस के इन्हे
मै विमला के निप्प्ल की टिप पर नाखून से कुरेदकर - क्या मै आपका मनोज बन कर चुसू इसको
विमला मदहोश होकर सिस्कते हुए - आह्ह्ह्ह हा बेटा बन जा ना
मै वापस विमला के दुसरे चुची को थाम कर - मै आपको मा बुलाऊ मौसी
विमला नशे मे आंखे बंद कर मेरे बालो मे हाथ फेरते हुए - हा मै तेरी मा हू बेटा चुस ले अब अह्ह्ह्ह्ह
मै एक नजर विमला को मदहोश होता देख बोला - देखो ना मा आपका मनोज फिर से आपके दूध पी रहा है
ये बोल कर मैने विमला का एक निप्प्ल अपने मुह मे भर कर चुसने लगा
विमला एक नये रोमांच गनगना गयी और मेरे सर को अपनी चुचियो मे दबाते हुए बोली - अह्ह्ह मेरा बच्चा मनोज , चुस ले अपनी मा के दूध अह्ह्ह बेटा उफ्फ्फ
मै दोनो हाथो से चुचियो को थाम के भर भर कर चुस्ता रहा और धीरे धीरे अपना हाथ विमला के गाड़ पर के जाकर एक मटके को सहलाना शुरू कर दिया
वही विमला अपने बेटे के नाम पर उत्तेजित हुए जा रही थी
मै उनकी मोटी जांघो को थाम कर अपने तरफ खिच कर अपना लण्ड विमला की चुत से सटा दिया जिससे विमला मुझे अपने और करीब करते हुए बोली - अह्ह्ह बेटा क्या कर है ये तू अपनी मा के साथ
मै विमला के रसिले चुचे से मुह हटा कर बोला - वही कर रहा हू मै जिसका मै रोज सपना देखता हू मा
विमला मेरे कमर से नीचे हाथ फेरते मुझे अपनी तरफ खिच कर अपनी चुत पर मेरे लण्ड को सटाते हुए बोली - उफ्फ़फ्फ क्या देखता है बेटा तू
मै विमला की पेतिकोट के अन्दर हाथ डाल कर उसकी मुलायम जांघो को सहलाते हुए उसकी गरदन पर किस्स करते हुए - मै सपने आपको भोगते हुए देखता हू मा
विमला मेरे इस व्यंग से और ज्यादा सिहर गयी और उसने मुझे अपने उपर कर अपने सीने से मुझे चिपकाते हुए मेरे बालो से लेकर कमर तक मदहोशि मे हाथ फेरने लगी
मै अब विमला के उपर आ गया था और उसका पेतिकोट जांघो तक पहुंच गया था ।
वही मेरा लण्ड तन कर विमला की चुत की दिवारो पे पेतिकोट के उपर से टकरा रहा था ।
मै विमला के कान मे - मा सुनो ना
विमला मदहोशि मे मुझे अपने गर्म बदन पर और कसते हुए - हा बेटा बोलना
मै - मै आपको चोदना चाहता हू मा
विमला सिस्क्ते हुए अपनी कमर उचकाने लगी और बोली - उम्म्ंम्ं क्या सच मे तू ऐसा सोचता है मेरे बारे मे
मै विमला के चुचे मस्ल्ते हुए और लण्ड को पेतिकोट के उपर रगड़ते हुए - हा मा , मुझे आप बहुत सेक्सी लगती हो
विमला मदहोशि मेरे कान काटते हुए अपनी कमर उचका कर बोली - तो क्या सच मे मेरा मनोज मुझे चोदेगा
मै विमला के दोनो चुचियो को मसलते हुए - हा मा , मै आपको चोदना चाह्ता हू आपकी चुत मे अपना लण्ड डालना चाहता हू
विमला अपनी कमर उचका कर मेरे लण्ड को चुत पर महसूस करते हुए - अह्ह्ह चोद ले बेटा अपनी मा को अह्ह्ह
मै अब ज्यादा देरी नही करना चाहता था क्योकि अगर एक बार विमला झड़ जाती तो उसकी चेतना लौट आती और फिर मेरा प्लान बेकार हो जाता
मै देर ना करते हुए विमला के पेतिकोट को कमर तक चढाया और अन्दर नंगी चुत पर लण्ड को रगड़ने लगा
मै विम्ला की दोनो जांघो को खोल कर उसको सह्लाते हुए लण्ड विमला की चुत पर रगड़ने लगा
विमला सिस्कती रही और अपनी कमर उचकाती रही
मै अपने लण्ड को विमला के चुत पर सुपाडे को ल्गाते हुए बोला - देखो ना मा आपका मनोज आपको चोदने जा रहा है
विमला गर्दन उपर कर अपने फैले पेतिकोट को समेटते हुए एक नजर चुत मे टिके सुरक लाल मोटे सुपाडे को देखी और वापस बिस्तर पर लेटते हुए बोली - हा बेटा चोद दे अपनी मा की आह्ह
मै अपना सुपादा विमला के चुत के होठो पर ल्गाया और सररर से उसकी पानी से लबालब चुत मे उतार दिया और उसके उपर चढ़ गया
एक दो धक्के ल्गाने के बाद मै विम्ला के उपर लेट गया और उसके नुकीले कडक निप्प्ल वाप्स से मेरे सिने मे चुबने लगे।
मै हलके धक्कों के साथ विमला की चुत की गहराई मे लण्ड को उतारते हुए उसके कान मे बोला - कैसा लग रहा है मा आपको अपने बेटे का मुसल
विमला मेरे संवाद से सिहर कर मेरे लण्ड को निचोड़ते हुए बोली- बहुत ही अच्छा लग रहा है बेटा , अह्ह्ह्ह चोद ले अपनी मा को अब तुझे कभी भी मुठियाने नही दूँगी , रोज तुझे अपनी चुत दूँगी मेरे लाल
मै विमला की बातो से उत्तेजित होकर - अह्ह्ह मा मै भी आपको रोज चोदूँगा
विमला - हा बेटा और फाड अपनी मा की चुत को अह्ह्ह अह्ह्ह ऐसे ही बेटा अह्ह्ह उम्म्ंम्म्ं उफ्फ़फ्फ बहुत दिन बादद मिला है इतना मस्त लण्ड और चोद बेटा अह्ह्ह मै झड़ रही हू मनोज अह्ह्ह बेटा अह्ह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह ह्य्य्य माआअह्ह्ह और तेजज्ज्ज्ज अह्ह्ह्ह
मै विमला की उत्तेजना से बहुत जोश मे आ गया और लम्बे लम्बे जोरदार शॉट लगाने लगा वही विमला मेरे लण्ड को निचोड़ना शुरू कर दी और झडने लगी और मै भी अगले कुछ ही धक्को मे झडने को होने लगा
मै - अह्ह्ह्ह मा अह्ह्ह मै झड़ने वाला हू
विमला - अपनी मा के मुह मे झड़ना बेटे , मुझे तेरा रस चखना है जल्दी आ और झड़ जा अह्ह्ह
मै झट से विमला के भोस्दे से अपना मुसल निकाला और उसके मुह के बगल मे बैठ कर लण्ड को मुठियाने ल्गा
मै - अह्ह्ह अह्ह्ह मा आह्ह लो मेरा पानी अह्ह्ह अह
विमला मेरे आड़ो को सह्लाते हुए - हा बेटा भर दे मेरे मुह मे अह्ह्ह आह्ह उफ्फ्फ आह्ह
मै विम्ला के मुह पर झड़ते हुए - अह्ह्ह्ह येईईईई अह्ह्ह आह्ह्ह लो मा और लो अह्ह्ह अह्ह्ह चुस लो हा ऐसे ही आह्ह अह्ह्ह निचोड लो अपने मनोज का लण्ड आह्ह्ह मा
विमला मेरे लण्ड को निचोड कर बेजान बना कर छोड दिया और सीधा लेट कर हाफने लगी
मै भी उसकी बगल में लेट गया और सांसे बराबर करने लगा ।
जब हमारी सांसे बराबर हुई तो मेरी नजर विमला से मिली तो वो हसने लगी जिस्से मेरी भी हसी छूट गयी
मै ह्स्ते हुए - मा आपको मज़ा आया है ना
विमला - धत्त बदमाश कही का , मै जान गई हू तू एक नम्बर का खिलाडी है इनसब मे
मै ह्स्ते हुए विमला के चुचे दबाते हुए - खिलाडी तो आप भी हो मौसी , इत्ना तेजी से मेरा लण्ड निचोड लिया था
विमला शर्मा के - अब बस कर सब कुछ तो कर लिया और बोल भी लिया
मै विमला को अपनी तरफ खिच कर - और मनोज वाली प्रोब्लम भी दुर कर दी है ना
विमला शर्मा कर - हम्म्म्म लेकिन उसके सामने मै नही कर पाऊंगी राज
मै - मै जानता हू मौसी आप बहुत गर्म औरत हो और आप अपनी जरुरत जानती ही हो कि ये गर्मी आपसे क्या कया करवा सकती है , उदाहरन के लिए महेश को ही लेलो उसने कैसे आपको जिस्म के जाल मे फ्सा लिया था
विमला - हमम सही कह रहे हो बेटा तुम
मै - देखो मौसी मै यही कहूंगा की मनोज आपको वो खुशी देना चाहता है जो आप चाहती है और आपकी जरुरत घर मे पूरी हो जायेगी तो कल को कोई खतरा भी नही होगा
विम्ला मेरे गाल खिचते हुए - वैसे बड़ी दुर की सोचता है रे तू हा
मै ह्स्ते हुए विमला को लण्ड की तरफ दिखा कर - मै कहा ये सोचता है हिहिहिही
विमला - बदमाश कही का चल सो जा
मै अचरज भाव से - सो जाऊ ???
विमला - तब !!
मै हस कर - अभी तक सिर्फ बेटे का जलवा देखा है थोडा मेरा जलवा भी देख लो ना मेरी जान
विमला एक कातिल मुस्कान से - तो शुरू करो ना मेरे राजा अह्ह्ह
फिर एक बार मेरे और विम्ला मे जोरदार चुदाई हुई और हम वैसे ही चिपक कर नंगे सो गये
देखते है आने वाली सुबह राज के लिए क्या नये रंग दिखाने वाली है ।
दोस्तो आज का अपडेट कैसा लगा पढ कर जरुर बताये
बिना फीडबैक के लिखने मे मज़ा नही आता
जब मेरे काम मे कंजूसी नही है तो आप भी दो शब्द लिख कर मेरा मनोबल जरुर बढाये
लास्ट के दो अपडेट मे सन्तोषजनक फ़ीडबैक ना मिलने के कारण ही अपडेट एक दिन रुक देना पडा मुझे
अपना प्यार और स्नेह बनाये रखें
धन्यवाद
Khubsurat update dostUPDATE 68
MEGA
अगली सुबह विमला ने मुझे उठाया और कपडे पहनने को बोले । अभी सुबह के 5:30 बजे थे
तो मै उठा और कपडे पहन कर बाहर आया तो कोमल अपने कमरे से बाहर निकल रही थी और वो बाथरूम की तरफ जा रही थी
मै - गुड मोरनिंग कोमल
कोमल बडे बेतुके ढंग से - हा गुड मॉर्निंग हुउह्ह
मुझे बहुत अजीब लगा कि इसे क्या हुआ कही रात मे मै विमला के साथ सोया था उसका गुस्सा तो नही है ना
मै मुस्कुरा कर कोमल के पीछे चल दिया और पीछे आगन मे जाकर उसको पकड लिया और वो मेरे बाहो ने छटपटाने लगी
मै उसके चेहरे को पकड कर एक जोर का लिप किस्स किया और बोला - ये सुबह सुबह किस बात के नखरे भई
कोमल इतरा कर मुह फेरते हुए - कल क्यू नही आये मेरे पास , और कमरे मे भी नही थे , वो तो मैने ध्यान दिया कि मनोज है नही तो गडबड हो जाती
मै मुस्कुरा कर - क्या गडबड़ हो जाती
कोमल शर्मा कर - वो मै रात के 11 ब्जे तक गयी थी तो मुझे लगा तुम सो गये हो तो तुम्हे जगाने के लिए सोचा लेकिन तभी मुझे मनोज का चेहरा दिख गया और मै बाल बाल बच गयी
मै उसे छेड़ने के अंदाज मे - मनोज का चेहरा ही बस देखा या और भी कुछ
कोमल शर्मा कर - तूम वो बताओ जो मैने पूछा है , बाकी सब छोडो
मै ह्स्ते हुए - सॉरी कोमल वो आज मौसी को कोर्ट लेके जाना है ना सारे काम खतम होने को है इसिलिए वही उनसे बाते करते हुए वही सो गया
कोमल - ठीक है कोई बात नही, लेकिन आज रात मत दुर रहना मुझ्से। ठीक है
मै कोमल के गालो को चूम कर - ठीक है मेरी गुलाबो हिहिही
फिर मै कोमल को छोड कर वापस मनोज को जगाने आ गया
दरवाजा पहले ही खुला हुआ था और मनोज अपने लण्ड के उभार पर हाथ रखे सो रहा था ।
फिर मैने उसे जगाया और हम दोनों कल की तरह आज भी निकल गए टहलने लेकिन आज हम 6 बजे पहले ही निकले थे तो आज कल से ज्यादा औरते दिखी और सबसे नयी शादीशुदा औरते दिखी जो साडीयो मे थी ।
मुझे इनसब से अलग सरोजा ठाकुर का इन्तजार था ।
और तभी मुझे एक परफ्युम की खुशबू आई और मेरे पीछे से सरोजा जी जोगिंग करती हूई, मेरे बगल से आगे निकली
आज तो वो कल से ज्यादा खुबसूरत दिख रही थी और मै तो उनकी उभरी जवानी को आन्खो से ओझल नही होने देना चाहता था और उनके पीछे पीछे उनके मोटे मोटे झोल मारते चुतड के पाटो को देखते हुए जोग्गिंग सुरु कर दिया और मनोज भी मेरा साथ देने आ गया
मनोज मेरी मनोभावनाये और सरोजा के प्रति दीवानगी को बखूबी समझ रहा था
मनोज - भैया क्या बात है आज दौड़ रहे हैं
मै - हा अब सोच रहा हूँ कि जब आया तो थोडी बहुत कसरत दौड़ कर ही ले क्यू
आगे जाकर सरोजा जी एक जगह रुकी और अपनी सांसे थोडी बराबर की और वापस घूमने लगी और हमारी तरफ आने लगी तो उनकी नजर मुझ पर गयी और वही मै आंखे फाडे उन्के उछलते चुचे निहार रहा था ,, फिर जब उनसे नजर मिली तो वो एक मुस्कान देके सीधा चल दी ।
सरोजा की मुस्कान पाते ही मै जहा तक गया था वही से वापस सरोजा के पीछे घूम गया ।
मनोज मुझे सरोजा की तरफ जाते हुए देख कर मुस्कराया और मेरे साथ चल दिया ।
मै वापस से सरोजा के भारी चुतडो को निहारते जाने लगा और फिर एक समय आया कि वो हवेली के रास्ते पर मूड गयी और मै एक नजर देखा उनको और आगे निकल गया
मै और मनोज वापस घर आये और फिर मै और विमला 10 बजे तक तैयार होकर दुकान गये और फिर वही से तय गाड़ी से मै ,पापा, विमला और वकिल अंकल जिला कोर्ट गये और 2 बजे तक सारे कागजी काम खतम करा कर शाम 4 बजे तक हम सब वापस आ गये ।
रास्ते मे विमला ने पापा को महेश को माफ करने वाली बात बतायी तो पापा भी उनकी बात से सहमत हुए और विमला की उदारता के लिए उसकी तारिफ भी की साथ ही सतर्क रहने के लिए चेताया भी ।
शाम 4 बजे हम चमनपुरा वापस आये तो पापा ने विमला को घर चलने का आग्रह किया और फिर हमारी गाड़ी हमारे घर के लिए मुड गयी ।
घर पहुच कर हम सब दुकान के पीछे वाले कमरे मे एकठ्ठा हुए और मा ने वही नास्ता लेके आई
पापा - अरे रागिनी अब ये चाय नास्ता से काम नही चलेगा , अब तो पार्टी बनती है क्यू बहन जी
विम्ला मुस्कुरा के - हा जी बिल्कुल जब आप कहिये भाईसाहब
पापा - नही नही पार्टी तो हमारे तरफ से ही होगी वो भी हमारे नये वाले घर पर और अब तो होली को भी ज्यादा दिन नही बचे है हाहाहाहहा
मै खुश होकर - हा पापा क्यू ना इस बार की होली हम सब साथ मे नये घर पर मनाये
मा खुश होकर - हा जी मेरा भी मन यही कर रहा है
पापा - ठीक है फिर वही करते है सारा प्रोग्राम क्यू बहन जी ।
पापा विमला की तरफ हस्ते हुए उसकी रजामंदी लेने के लिए बोले लेकिन
विमला थोडी नाखुश सी दिखी तो पापा ने उसको पुछा
पापा - क्या हुआ बहन जी आप खुश नही है
विमला थोडा बनावती हस कर - अरे नही नही वो बात नही है
मा - फिर क्या बात है विमला अब तो सब ठीक है ना
विमला - हा रागिनी लेकिन मै कैसे होली खेल सकती हू मै तो
ये बोल कर विमला ने दुख से अपना सर झुका लिया
पापा - क्या बहन जी आप भी इतनी मोर्डन होकर पुराने ख्यालो मे जी रही है , माना की भाईसाहब हमारे बिच नही है अब लेकिन ये तो वो भी नही चाहेगे कि उनकी फैम्ली खुशिया ना मनाये ।
मा - हा विमला आजकल ये सब नोर्मल है और हम सब वहा अपने घर के लोग ही रहेंगे कोई बाहर का भी तो नही रहेगा ना
विमला अपने आसू पोछते हुए - ठीक है लेकिन
मा विमला के कन्धे को थामते हुए - लेकिन वेकिन छोड और जिंदगी के मज़े ले और उन मासूम बच्चों का सोच जो तुझे दुखी देख कर क्या कोई खुशिया मना पायेंगे
विमला मा के हाथ थामते हुए - नही रागिनी मै मेरे बच्चो की खुशियो पर अब और गम का साया नही आने दूँगी , अब से एक नयी विम्ला को जनमा पायेगी तू
मा ह्स्ते हुए - आ ले ले ले मेरी बच्ची आ दुधू दू तुझे हाहाहा बड़ी आई नया जन्म लेने वाली
फिर सारे लोग मा की बात से हसने लगे और विमला भी मा के सीने से लग कर आसू बहाते हुए ह्सती रही
फिर मै विम्ला को लिवा के उसके घर चल गया
जहा घर पर अनिता कोमल से बाते कर रही थी और हमे आते देख उठ कर दरवाजे तक आई
अनिता - आओ जीजी , कोमल बिटिया पानी ला अपनी मा के लिए
विमला के मन मे वैसे भी अनिता और महेश के लिए पहले ही कोई द्वेष नही था और वो कोमल को भी सुबह ही समझा चुकी थी ये सब
फिर हम हाल मे बैठे और कोमल ने हमे पानी दिया
कोमल - मा मै अपने सेंटर जा रही हू
विम्ला - ठीक है बेटा जाओ
फिर कोमल अपने सेंटर चली गयी ।
अनिता - और जीजी कहा गयी थी
विमला - बस वो थोडा बडे शहर गयी थी अपने दीदी से मिलने
अनिता थोडा भावुक होकर - अच्छा ,,और ये कौन है
मेरे तरफ इशारा करते हुए बोली
विमला मुस्कुरा कर - ये मेरी सहेली का बेटा है इसी की गाड़ी से तो गयी थी मै , वो बाजार मे रंगीलाल जी बर्तन वाले है ना ।
अनिता अंदाजा लगाने के भाव मे - अच्छा अच्छा
विमला - हा उन्ही का बेटा है
अनिता थोडा संकोच करते हुए - दीदी आपसे कुछ बात करनी थी
विमला निश्चिँत होकर - हा हा बोलो अनिता क्या बात
अनिता मुझे देख कर संकोच कर रही थी
विमला - अरे कोई बात नही ये घर का ही है तुम बता सकती हो
अनिता - दीदी क्या एक बार और नही सोच सकती है इस बारे मे
विमला - किस बारे मे
अनिता - इस घर को बेचने के बारे मे , उनकी तबियत ठीक नहीं है , आज भी दो बॉटल पानी चढा है । मै क्या करु जीजी मुझे समझ नही आ रहा है
अनिता बिलखते हुए बोली
विमला - अरे अनिता तुम ऐसे ,,,ओह्ह अब रोना बन्द करो सब ठीक हो जायेगा
अनिता बिलखते हुए - कैसे होगा जीजी मुझे समझ नही आ रहा है
विमला - तू चुप करेगी तो ना मै कुछ समझा सकती हू
अनिता - मतलब
विमला हस्ते हुए - अरे अनिता चिन्ता की कोई बात नही है मै ये घर नही बेच रही हू और वो कागज भी ठाकुर साहब से जल्द ही मुझे मिल जायेंगे , उसी सिल्सिले मे मै आज एसडीएम साहब से मिलने बडे शहर गयी थी ।
अनिता खुश होकर आसु पोछते हुए विम्ला के पैरो मे आ गई
विमला - अरे अरे अनिता ये क्या कर रही है तू उठ जा अब
और विमला ने उसे उठाकर बगल मे सोफे पर बिथाया लेकिन उठाते वक़्त अनिता के साडी का पल्लू उसकी छाती से हट गया और उसके खरबूजे जैसे चुचे जो बैगनी सूती ब्लाउज मे ठुसे हुए थे दिखने लगे ।
अनिता को भी अपने कपडो की फ़िकर नही थी वो तो बस विमला की दया की छाव मे गुम थी
विमला - तू हम सब एक परिवार ही है ना आज तक जो मेरे पर बीती है वो मै अपने दुश्मन पर ना बीते ऐसा सोचती हू
ऐसे ही विमला ने कुछ बनावटी बाते बोल के अनिता का मन शांत किया
अनिता आसू बहाते हुए विमला के आगे हाथ जोड़े - आपका पूरी जिन्दगी आभार रहेगा जीजी
मै जाती हू अभी उनको ये खबर देती हू
विमला उसका हाथ थाम कर - रुक मै भी चलती हूँ, चल राज बेटा तू भी आ
फिर हम तीनो कोमल के घर से निकल कर महेश के घर जाते है
जहा बरामादे मे एक तख्त पर महेश लेता हुआ था और छत की तरफ टकटकी लगाये निहार रहा था। महेश शारिरीक रूप से बहुत कमजोर दिख रहा था
अनिता तो घर मे घूसते ही अपनी साडी उठा कर महेश को आवाज देती हुई खुशी से भागी भागी उसके बिस्तर तक गयी
और महेश के बाजू के पास बैठ कर आसू बहाते हुए हस रही थी ।
महेश अनिता को रोता देख उठकर बैठ गया
महेश चिंतित भाव मे - क क क्या क्या हुआ अनिता तू रो रही है
अनिता अपने आसू पोछते हुए - मै रो नही रही ये तो खुशी के आसू है गुलशन के पापा
महेश अचरज से - मै कुछ समझा नही अनिता
अनिता मुस्कुरा कर हमारी तरफ इशारा करते हुए - देखीये जीजी आई है और उन्होने हमे माफ कर दिया है गुलशन के पापा
अनिता वापस से ह्सने लगती है लेकिन उसके आँखो से आसू झरने की तरह बहे ही जा रहे थे
महेश अनिता की बाते सुन कर एक आनन्द मे आ गया और अनिता अनिता बोलते बोल्ते वो भी रोने लगा
महेश अनिता के कन्धे पकड कर आसू बहाते हुए मुस्कुरा कर - तू तू सच कह रही है अनिता
अनिता मुस्करा कर आसू बहाते हा मे गरदन हिलाती है
तो महेश उम्मीद भरी नजरो से गिडगिदाते हुए विमला मे कदमो मे झुक जाता है
महेश - मुझे सजा दो भाभी , सजा दो ! मै अभागा रिश्तो के मायने समझ ना सका और आप ने सब कुछ सह कर भी मुझे माफ कर रही है
विम्ला अपने पाव पीछे करते हुए - अरे अरे देवर जी बस करिये जो हो गया सो हो गया , आप सब मेरे परिवार का हिस्सा ही तो है और आपको दुख पहुचा कर मै कैसे यहा से चली जाती
महेश अनिता दोनो हाथ जोड़े विमला के पैरो मे थे
विमला - अनिता उठाओ इनको और बिस्तर पर बिठाओ , अभी इनकी तबियत नही ठीक है
महेश अपने आसू पोछता हुआ खदा हुआ - नही भाभी मै अब ठीक हो जाऊगा ,,आपने मेरे सर से एक पाप का बोझ हल्का कर दिया है , अब मै ठीक हू , अब मै ठीक हू अब मै
ये बोल्ते बोल्ते महेश बेहोश होकर गिर पड़ा
महेश के बेहोश होने के बाद अनिता फूट फुट कर रोने लगी
फिर मैने मदद करके महेश को विस्तर पर लिटाया और हमारे फैमिली डॉक्टर दयाल को फोन लगा दिया ।
दयाल अंकल कुछ ही देर मे अनिता के यहा आये और फिर महेश को चेक कर एक इन्जेक्शन दिया और कुछ दवाईया दी और महेश को रेस्ट करने को कहा ।
इधर अनिता दयाल अंकल के फीस के लिये पैसे लेने घर मे गयी कि डॉ अंकल मुझसे मिले और निकल गये अपने क्लिनिक पर ।
अनिता - अरे डॉ साहब कहा गये
मै मुस्कुरा कर - वो चले गये आंटी
अनिता - अरे वो अपनी फीस नही ले गये बेटा
मै मुस्कुरा कर - अरे आंटी उसकी चिन्ता ना करिये वो हमारे फैमिली डॉ है वो पापा से हिसाब कर लेंगे
अनिता मुस्कुरा - शुक्रिया बेटा
विमला - देख अनिता अभी तू इनका ख्याल रख और कोई जरुरत हो तो बेहिचक मुझे बोल देना
अनिता आभार व्यक्त करते हुए- आपका उपकार कैसे चूकाऊ मै दीदी , आपने हमे बर्बाद होने से ब्चाया है
विमला मुस्कुरा कर - वो सब छोड और इनका ध्यान रख और ये सुरेश भाई नही दिखे
अनिता - वो भी नशे मे धुत होगे कही , अभी आकर इनको गालिया देंगे कि इन्होने उनको फसा कर उनको उन्के परिवार से दुर कर दिया और बर्बाद कर दिया
विमला - तू चिन्ता मत कर कल सुबह मै सुरेश से बात करती हू , आखिर उसे अपनी गलती समझ आ गयी न
अनिता - ठीक है जीजी मै कल बोलती हू देवर जी को
विमला - देख 8 बजने को है मुझे भी खाना बनाना है ,मै जाती है अब
फिर मै और विम्ला वापस कोमल के घर आ गये और रात के खाने मे कोमल ने स्पेशल खाना ब्नाया और खाने के बाद हम सब हाल मे बैठ कर आज की हुई घटनाओ पर बाते किये ।
मनोज और कोमल ने तो नयी नयी प्लानिंग भी की ।
फिर रात मे सोने की प्लानिंग हुई
मै - तो फिर आज कौन कहा सोयेगा मौसी
मनोज - अगर आपको दिक्कत न हो तो मै मा के साथ सो जाऊ भैया
मै हस कर एक नजर विमला की ओर देखा जो ना मे इशारे कर रही थी वही कोमल शर्म से निचे देख रही थी ।
मै - अच्छा ठीक है जा सो जा वैसे भी कल से मै घर पर रहूंगा
विमला - अरे कुछ दिन और नही रुक सकता
मै - अरे मै कौन सा बहूत दुर हू , आना जाना लगा ही रहेगा आप एक फोन करना मै आ जाऊंगा हिहिही
फिर मनोज विमला के कमरे चला गया और कोमल अपने कमरे मे
मै उठते हुए - चलो मौसी हम लोग भी सोते है
विमला आंखे दिखाते हुए खुसफुसा कर बोली - आज सो नही सकता था मेरे साथ , ब्स भर गया मन तेरा मुझसे
मै हस्ते हुए - अरे मौसी मै तो मौका दे रहा हू आपको आज रात कैसे भी करके मनोज जो चाह्ता है उसे कर लेने दो ताकि आप दोनो भी ... हिहिहिहो समझ रहे हो ना
मै विमला को आंख मारते हुए हस्ते हुए बोला
विमला शर्मा कर - धत्त मुझसे नही होगा
मै - आप कुछ मत करना जो वो करे उसे करने देना ,,देखा है मैने बहुत हिम्म्ती है मनोज आप उसे थोडा छूट देके देखो एक बार मे ही लण्ड अपकी चुत मे उतार देगा
विमला शर्मा कर - धत्त बदमाश जा अब सो जा
और विमला भी उठ कर जाने लगी
मै - और सुनो वो खिडकी खुली रहने देना
विमला हा मे इशारा कर मुस्कुरा कर कमरे मे चली गयी ।
एक बार फिर बाहर की सारी लाईट बंद हुई और सब अपने कमरे मे चले गये ।
थोडी देर हुआ और मै कोमल के कमरे मे गया और उसकी एक जोरदार चुदाई की फिर उसे सुला कर कमरे से बाहर आ गया ।
मेरी नजर विमला के कमरे की खिडकी से बाहर आती हल्की रोशनी पर गयी
और मेरे चेहरे पर एक कातिल मुस्कान आई और मै विमला के कमरे की तरफ चल दिया ।
मै अन्दर हो रही घटना को लेके काफी उत्साहित था कि कैसे विमला अपने बेटे के साथ सम्भोग के लिए राजी होगी ।
इधर मै खिडकी के पास गया तो अन्दर का नजारा मेरे अनुमान से ज्यादा अलग नही दिखा । और शायद सब कुछ जल्द ही शुरू हुआ था
मनोज पुरा नंगा विमला के उपर चढा था
विमला का ब्लाउज खुला था और ब्रा के कप से एक चुची को बाहर निकाल कर मनोज उसे मुह मे भरे चुस रहा था और नीचे विमला ने पेतिकोट पहना हुआ था।
मनोज विमला की चुचिया चूसने मे मगन था
विमला सिस्क कर - सीईईई बस कर मनोज , दर्द हो रहा है ऐसे
मनोज उपर होकर - तो निकाल दो ना मा
विमला उसे चिढाते हुए मुह बना कर मनोज की बाते दुहराते हुए - निकाल दो ना मा ,,,,,हुउह्ह्ह चल हट अब बहुत हो गया
विमला मनोज को हटा कर चुची को ब्रा मे डालने लगी लेकिन वो ब्रा मे जा नही रही थी
विमला झल्ला कर - देख अब पुरा खोलना पडेगा तेरी वजह से
मनोज मुस्कुरा कर अपनी मा के गालो को थाम कर उसके होठो पर अपने गाल ले जाकर छुवाता है
जिससे विमला का नकली गुस्सा हसी मे बदल जाता है और वो मनोज के गाल को चूम लेती है
विमला इतरा कर - चल हत बदमाश कही का
मनोज - लाओ मै सही कर देता हू
फिर विमला उठ कर बैठ गयी और मनोज की तरफ पीठ कर ली
मनोज विमला के पीछे आकर खड़ा हुआ था की विमला चिहुक उठी
विमला सा शरीर गनगना गया - यीईई माआ
मनोज हसते हुए - वो मेरा नुन्नु आपकी पीठ पर छुआ गया था मा हिहिहिही
विमला डाटते हुए - दाँत ना दिखा और खोल पीछे से हुक
मनोज पहले विमला के ब्लाउज को निकालता है फिर हुक खोल कर ब्रा की स्ट्रिप आगे ले आता है
विमला अपने चुचियो को ढकते हुए - क्या कर रहा है वापस बंद करना है ना
मनोज - अब खोलदिया है तो निकाल दो ना मै वापस ब्लाउज पहना देता हू
विमला मुस्कुरा कर - ठीक है
और विमला अपने हाथ सामने से हटा लेती है और मनोज वापस ब्रा को आगे लेके जाता है जहा उसके हाथ विमला की चुचियो को साइड से छुते है जिससे विमला सिहर जाती है
और इस वक़्त मनोज के हाथ रुके थे फिर भी विमला अपनी बॉडी की हीचका कर सिस्क रही थी और जब मेरा ध्यान मनोज की कमर पे गया तो देखा कि वो अपना तने हुए लण्ड का सुपाडा विमला की नंगी पीठ पर घूमा रहा था
वही विम्ला को मदहोश होता देख मनोज पीछे से उसकी चुचियो को दबोच लेता है और उपर की तरफ उठाते हुए मिजना शुरू कर देता है ।
अन्दर कमरे का सिन देख कर मेरा लण्ड तन कर खड़ा हो जाता है और मजबूरन मुझे उसे बाहर लाकर सहलाना शुरू कर देता हूँ
उधर कमरे मे मनोज अपनी मा की पीठ से चिपक कर उसके गर्दन कान कन्धो को चुमते हुए उसकी चुचियो को मसल रहा था और विमला सिस्क रही थी मनोज का नाम लेके
विमला - उम्म्म्ं बेटा अह्ह्ह ब्स कर सीई अह्जह्ह्ज येह्ह गलत ह्है बेटाह्ह्हह उफ्फ्फ मा
मनोज - मा मुझे नही अच्छा ल्ग्ता है जब आप बाहर के मर्दो से अपनी प्यास बुझाती हो मेरे सारे दोस्त आपको रन्डी बुलाने लगे है
विमला मनोज के मुह उसके लिए रन्डी शब्द सुन कर उत्तेजित हो जाती है और गहरी सास लेते हुए - क्याआआ मै तुझे भी रन्डीईई लगती हू अह्ह्ह उफ्फ्फ
मनोज अपनी मा के पेतिकोट का नाड़ा आगे हाथ लाकर खोलता हुआ - मै आपको दोनो चाचा के साथ चूदते देखा है मा
विमला सिस्कर - उफ्फ्फ अह्ह्ह फिर क्या लगा तुझे बेटा , कैसी है तेरी मा अह्ह्ह और सहला इन्हे उफ्फ्फ ह्य्य्य्य
मनोज विम्ला की चुचियो की घुंडीया घुमाते हुए - मै देखा था मा आपको दो दो लण्ड अपनी चुत और गाड़ मे लेके चूदते हुए , आप तभी मुझे रन्डी दिखने लगी थी
विमला मनोज की बातो और उसके हरकतो से उत्तेजित थी वही मनोज अपना हाथ विमला के पेतिकोट मे उपर से डाल चुका था
मनोज विमला की चुत सहलाते हुए - मा मुझे आप एक नमबर की चुद्क्क्ड लगती है और मै भी आपको रन्डी की तरह चोदना चाहता हू
विम्ला सिस्कते हुए - अह्ह्ह सीई उम्म्ंम्ं बेटा आह्ह और रगड़ अपनी मा की चुत को अह्ह्ह मा
मनोज विमला को छोड कर खड़ा हुआ और अपना लण्ड उसके मुह के आगे ले कर घुमाने लगा - मा चुसो ना इसे प्लीज
विम्ला आंखे खोलकर सामने खडे लण्ड को पाके झपट पड़ी और मुह्ह मे गले तक लेने लगी
मनोज के मानो पैर काफ गये ये उस्के लिये पहला अनुभव था शायद और वो अपनी के मुह्व मे लण्ड घुसेड़ के गालीया दते हुए - अह्ह्ह सालि रान्डी मा मेरी अह्ह्ह्ज और चुस मेरी चुद्क्क्ड मा अह्ह्ह बहुत म्ज़ा आ रहा है
विम्ला गपागप मनोज के लण्ड को चुस रही थी
वही मनोज अनाब सनाब बके जा रहा था - आह्ह और चुस मै तुझे अपनी रखैल ब्नाउगा मा
कुछ देर की मुह पेलाई के बाद मनोज अलग हुआ
मनोज - लेट जाओ मा मै अब आपको चोदूंगा
विमला तो मानो इसके लिये तैयार थी और झ्त से लेट कर अपनी पैंटी निकाल दी और पेतिकोट उपर चढाते हुए अपनी चुत पे चट्ट चट्ट चपट लगाते हुए बोली - अह्ह्ह बेटा चोद दे अपनी मा को बना ले अपनी रन्दी अह्ह्ह
दोनो की बाते सुन के मै बहुत ही उतेजीत मह्सूस कर रहा था
वही मनोज विमला के चुत दो बार थूक कर हाथ से उसकी मोटी फुली हुई चुत को मला और लण्ड के टोपे को चुत मे लगा कर पेल दिया और उसकी जन्घे उठा कर घपा घ्प घपा घ्प घपा घप चोदने लगा ।
वही विमला मनोज को उत्तेजित कर चुदवा रही थी
मनोज - अह्ह्ह मज़ा आ रहा है मा और निचोड लो मेरा लण्ड आज आपकी चुत मे
विमला कमर उचका कर पुरा लण्ड अपनी चुत मे समा लेती है और मनोज विमला की जन्घे थामे गचागच पेले जा रहा था
मनोज - मा मै आपको रोज चोदना चाहता हू रन्डी की तरह चुदवाओगी ना मा मुझसे
विमला - हा बेटा मुझे भी बहुत पसंद है ऐसे चुदना अह्ह्ह उह्ह्ह मा ह्य्य्य और पेल अपनी मा की बुर मे
मनोज - मा आपकी बुर तो भोस्डा बन गयी है इसमे तो मेरे दोस्त पन्नु का लण्ड डालना पडेगा आह्ह मा
विमला - आह्ह बेटा ये पन्नु कौन है उह्ह्ह आह्ह और चोद औउर आह्ह
मनोज विमला की चुत मे निचे उतरते हुए - वो मेरा दोस्त है मा , वो भी अपनी मा को चोदता है और मुझसे भी चुदवाया है । बहुत मोटा लण्ड है उस्का
विमला - आह्ह सच मे तुने पहले भी सेक्स किया है
मनोज - हा मा मैने पहली बार पन्नु की मा को चोदा था और पन्नु भी आपको चोद्ना चाहता है
विमला झडने के कारिब थी - अह्ह्ह बेटा मेरा निकलेगा
मनोज अब रुक रुक के धक्के लगाता हुआ - बोलो ना मा चुदोगी मेरे दोस्त से
मनोज वापस से एक जोर का धक्का चुत मे लगाते हुए - बोलो ना मा
विमला नशे मे मदहोश - आह्ह बेटा तू जिससे कहेगा चूदूँगी , तेरीईइह्ह र,,,,न्डीहह मा हू ना आह्ह पेल दे अब रुक मत बेटा अह्ह्ह्ह
मनोज खुश होकर विम्ला को तेजी से चोदते हुए - थैंक यू मा , हम चारो लोग एक साथ चुदाई करेंगे फिर अह्ह्ह
विमला कपकपाते हुए - अह्ह्ह हा बेटा कर लेना अह्ह्ह अभी चोद ना
फिर मनोज विम्ला की जांघ खोल कर उपर चढ़ कर तेजी से विमला की पिचपिचाती बुर मे सत सत स्त लण्ड चोदने लगता है ।
मनोज - आह्ह मा ऐसे ही निचोदो मै भी झडने वाला हू अह्ह्ह मा
विमला जो की झड़ चुकी थी तेजी से कमर उच्का कर पुरा का पुरा लण्ड अपनी भोस्डी मे भरने लगी और जल्द ही मनोज धिमा पड़ गया और उसकी कमर हिच्कोले खाने लगी और वो विमला की चुत मे झडने लगा ।
और मै वही खड़ा खड़ा दुबारा अपना लण्ड झाड़ दिया और वापस अपने कमरे मे आकर सो गया ।
अगली सुबह मै टहलने ना जाकर जल्दी ही नहा धोकर तैयार हुआ और नाश्ता करके जाने के लिए तैयार हो गया ।
मनोज ने मेरा समान पैक कर दिया
विमला थोडा भावुक होकर - फिर कब आयेगा मेरा राजा बेटा
मै हस कर - अरे मौसी मै यही हू बाजार मे जब मन हो बुला लेना अपने राआआजाआआ को
मेरा मतलब है राजा बेटा को हिहिहिही
विमला मेरी डबल मिनिंग की बात समझ गयी ।
मै - और हा आप सब लोग होली के लिए कोई प्रोग्राम ना बनाना है , सब कुछ हमारे नये वाले घर पर बुक रहेगा और सबको आना है ।
विमला - अरे बेटा वो मै ब्ताना भूल ही गयी
मै अचरज से - क्या मौसी
विमला - वो क्या है बेटा मेरी जौनपुर वाली दीदी का फोन आया था कल रात मे । उसकी बड़ी लडकी को देखने के लिए लड़के वाले आएगे तो कोमल और मनोज वही जायेंगे परसो ।
मै मन मार कर- ब्क्क्क फिर कैसे होगा सब प्लान बेकार
विम्ला एक कातिल मुस्कान से - मेरे रहते कोई प्लान थोडी ना खराब होगा हिहिही
मै विमला की मुस्कान भरी बात समझ गया
मै - लेकिन अगले महीने से तो मेरे और कोमल के एक्साम होने वाले है ना
विमला - अरे वो लोग होली बिता कर वापस आ जायेंगे बेटा
मै खुश होकर - ठीक है मौसी , चलो अब चलता हू और आप लोग अपना ख्याल रखना कोई दिक्कत हो तो बताना
विमला - ठीक है बेटा
फिर विम्ला ने मेरे गाल को चुमा और खुश रहने को बोला
मै मनोज से हाथ मिलाया और कोमल को बाय बोलकर निकल गया अपने घर के लिये ।
अब देखते है राज की घर वापसी
नये घर मे गृहप्रवेश और आने वाली होली के कितने रंग देखने को मिलेंगे ।
अपना प्यार और सपोर्ट बनाये रखें और आनंद ले कहानी का
पढ कर अपना रेवियू जरुर दे
धन्यवाद