UPDATE 57
हम लोग घर पहुचे और दुकान तो हम दोनो के ना होने से बंद ही पडा था फिर हम लोग घर मे गये फिर छत पर चले गये
उपर सिर्फ सोनल दीदी थी , बुआ और अनुज भी नही दिख रहे थे ।
जैसे ही दीदी की नजर मुझसे मिली मैने उसको आंखे उठा कर हालचाल पूछा इशारो मे ही वो भी मुस्करा कर इत्मीनान होने का इशारा दी ।
दीदी - मा आप दोनो कमरे मे बैठो मै पानी लाती हू
मा - हा बेटा जरा ठण्डा लाना गला बहुत सुख रहा है
फिर हम लोग बेडरूम मे लगे सोफे पर बैठ गये और फैन चला दिया
सच मे बहुत आराम मिल रहा था
फिर दीदी एक ट्रे मे पानी और मीठा लेके आई
फिर हमने पानी पिया और सोफे पर रिलैक्स करने लगे ।
दीदी - मा खाना लगा दू खाओगी
मा - नही बेटा मुझे गैस हो रही है गर्मी की वजह से , इसे देदे
दीदी शरारती अन्दाज मे अपनी तरफ बुलाते हुए - आओ भाई खा लो
मानो खुद को भोगने के लिए बुला रही हो
मै मुस्कुरा कर झट से उठा और उसके पीछे किचन मे गया उसको पीछे से हग कर लिया
दीदी कसमसा कर मुझसे अलग हुई और बोली - पागल है क्या , मम्मी है बगल मे
मै - हमम ठीक है मेरा सरप्राइज़ लाओ फिर
दिदी - हा टेबल पर बैठ देती हू
मै अचरज मे पड़ गया कि ऐसा क्या है जो ये मुझे टेबल पर बैठने को बोल रही
फिर मै खाने की टेबल पे बैठ गया । इतने मे कोमल गरमा गरम आलू के पराठे और दही लेके आई
जिसे देख कर मेरे मुह में पानी आ गया
दीदी हस्ते हुए - कैसा लगा सरप्राइज़ भाई
मै मुह मे चबाता निवाला रोक कर दीदी को हसते हुए देख रहा था और समझ चूका था कि वो मेरा लोल कर चुकी थी सरप्राइज़ के नाम पर
मुझे गुस्सा आया और मै हाथ पीछे लेकर उसके चुतड को एक हाथ से जकड़ लिया
जिससे कोमल के चेहरे के भाव बदल गये और वो मुझे बार बार बेडरूम की तरफ इशारा करते हुए खुस्फुसा कर मम्मी है यही , मम्मी है यही बोल रही थी । साथ मे अपने एड़ीयो के बल गाड़ को ऊचा कर छुड़ाने की कोसिस भी कर रही थी
मै ह्सते हुए उसके चुतड के एक पाट को सलवार के उपर से मसल रहा था और जब दीदी समझ गई मै नही मानूँगा तो वो तेज आवाज मे मा को आवाज दी
दीदी - म्म्म्मीईईईई
मा कमरे से - हा क्या हुआ बेटा
मै झट से अपना हाथ हटा लिया और वो मौका पाकर कमरे मे जाते हुए बोली - मम्मी कहिये तो सर पर तेल लगा दू फिर आप सो जाना
ये बोलकर मेरे तरफ एक शरारत भरी मुस्कान से देखी और कमरे मे चली गयी ।
मै उसकी शरारत पर हसा और खाना खाने लगा फिर मै किचन मे हाथ धुल कर कमरे मे चला गया
जहा दीदी मा के सर की मालिश कर रही थी और मुझे दुर रहने का इशारा कर रही थी ।
मै बिस्तर पर बैठते हुए - अच्छा दीदी बुआ और अनुज कहा गये हैं
दीदी - बुआ तो अभी चाचा के लिए खाना लेके गयी है और अनुज स्कूल गया है ।
मै - चलो ठीक है मै भी थोडा आराम कर लू अह्ह्ह
बिस्तर पर लेटते हुए मै बोला
दिदी - क्यू दुकान नही खोलेगा
मा - हा बेटा दुकान खोल दे अभी मै आती हू निचे फिर तू आराम करना
मै बिस्तर से अंगड़ाई लेते हुए खड़ा हुआ - उम्म्ंमममंं अह्ह्ह थिक्क्क्क है माआआ जा रहा हू
फिर मै जानबुझ कर दीदी की तरफ बढने लगा और मुझे अपनी तरफ आता देख
दिदी - मम्मी
मा - हा बेटा
मै झट से दरवाजे तक आया तभी
दीदी - अब आप सो जाओ बिस्तर पर , मै पैर में तेल लगा देती हू
फिर मै पलट कर दीदी को देखा तो वो वही शरारती मुस्की के साथ हस रही थी ।
फिर मै मुस्कुरा कर निचे दुकान खोलने चला गया
दो दिनो से दुकान बन्द होने से कचरा भी जमा हो गया जिसे साफ करने मे मेरी हालत खराब हो गयी
लेकिन 2 घन्टे की मस्कत के बाद आखिर दुकान मे रौनक लौट आई ।
करीब 3 बजे बुआ घर आई जो इस समय साडी पहनी थी और उनका गदरायी जिस्म का उभार हर जगह से दिख रहा था ।
बुआ - अरे लल्ला तू कब आया
मै मुस्करा कर - आप जब चाचा को खाना देने गयी थी , बड़ी देर लगा दी आज वहा
बुआ - लल्ला वो छोटे ( चाचा) की दुकान पर मेरे एक सहेली मिल गयी थी वो भी राखी पर आई थी ना तो उससे बात करने मे समय लग गया और मुझे तो पता ही नही था न कि तुम लोग आ गये हो
मै मन मे - देखो रन्डी को कैसे झुट छिपाती है ,, जैसे मुझे नही पता की चाचा से चुद्ने ही जाती है रोज दोपहर मे
मुझे चुप देख कर बुआ - क्या हुआ बेटा बोल , और भाभी कहा है
मै - वो छत पर सो रही है थक गई थी
बुआ - ओह्ह कोई बात नही मै उपर ही जा रही हू बर्तन रखने
फिर बुआ अपने मोटे चुतडो को हिलाते उपर चली गयी ।
मै दो दिन से लगातर सेक्स से बहुत थक गया था और मुझे निद भी बहुत आ रही थी इसिलिए मै दुकान मे बैठे बैठे ही झपकी लेने लगा ।
इस दौरान मा कब छत से निचे आ गई पता ही नही चला
मेरी आंखे तो तब खुली जब वो प्यार से मेरे कन्धो को हिला कर मुझे जगा रही थी
मा - बेटा जा अन्दर कमरे मे सो जा
मै नीद भरी आँखो से मा का धुधला चेहरा देखते हुए - नही मा मुझे कोचिंग जाना है
मा - नही रहने दे आराम कर तू आज थक गया है
मै - नही मा काफी समय से गैप हो रहा है चलो आप एक मस्त चाय पिला दो मै हाथ मुह धुल के आता हू
मा - हा तू फ्रेश होकर आ फिर मै बना देती हू
मै - अरे नही मा उपर जा रहा हू तो बुआ या दीदी को बोल दूँगा
मा - अरे वो तेरी दीदी तैयार हो रही है कोचिंग के लिए और बुआ सोयी है अभी अभी
मै दीदी के बारे मे सुन के मुझे एक शैतानी सुझी - ठीक है रहने दो फिर मै बाद मे पी लूंगा
फिर मै झटपट उपर गया और सीढ़ी से सररर से उपर वाली मजिल पर गया जहा बाथरुम से पानी की आवाज आ रही थी
मै - अरे नहा रही हो की तैर रही हो दीदी
दीदी मेरी आवाज सुन कर बाथरुम के अन्दर से बोली - तू यहा क्या कर रहा है भाई
मै - वही जो तुम कर रही हो, नहाने आया हू तुम्हारे साथ
दीदी - मेरे साथ , पागल हो गया क्या???
मै हस्ते हुए - देखो जल्दी से दरवाजा खोलो मै सारे कपडे निकाल चुका हू जल्दी खोलो
दीदी चौकते हुए - पागल मत बन राज ,,, घर मे किसी को पता चला तो बहुत गडबड़ हो जायेगी ।
मै - अच्छा अच्छा ठीक है नहा लो मै यही हू टहल रहा हू
दीदी - बस 5 मिंट भाई
मै ओके बोल कर छत की बालकीनि से निचे गलियारे में टहलती लडकियों औरतो की गदराई घाटियो के नजारे देखने लगा तो कभी आस पास के मकानो पर देखने लगा
किसी किसी छत पर कोई लडकी दिख जाती तो उसपे थोडा फोक्स करता और फिर कही और ध्यान लगा देता
इसी दौरान मेरी नजर चंदू के छत पर गयी जहा चंदू की मा छत की चारदिवारी पर झुक कर बगल वाली एक आंटी से बाते कर रही थी ।
रजनी के बगल मे रामवीर भी खड़ा था और वो रजनी के बाहर निकले चुतडो को मैक्सि के उपर से सहला रहा था,
मै ये सीन देख के बहुत खुश हुआ
बीच बीच में रामवीर अपनी बीच की ऊँगली को रज्नी की गाड़ के दरारो मे घुसा दे रहा था लेकिन मजाल था रजनी पलट कर रामवीर को रोकती या सिसकी हो
इधर रामवीर लगातार रजनी की कोई प्रतिक्रिया ना मिलने से बेचैन होने लगा था , जैसा की आम मर्दो को होता है जब वो अपनी काम मे व्यस्त पत्नियो को रिझाते है लेकिन वो अपने भावनाओ को ऐसे रोक देती है मानो सब कुछ उदासीन हो गया और बदले मे पति झल्ला जाते है
दुर से ही सही लेकिन मुझे स्पषट समझ आ रहा था कि रामबीर जैसे जैसे रजनी की गाड़ मे ऊँगली को खोदता वैसे वैसे ही रजनी के चेहरे के भावो को पढने की कोसिस करता
मै इस शो का मज़ा ले ही रहा था कि दीदी मेरे कन्धे पर हाथ से थपथपा कर - क्या हीरो क्यू हस रहा है
मै पलट कर देखा तो दीदी एक महरून रंग की चुस्त लेगी के साथ हरे रंग की कुर्ती पहने हुई थी और उसका गोरा बदन हल्की बारिश की धूप मे चटक चमक दे रहा था
फिर मेरी नजर उसकी उभरी हुई घाटियो पर गयी जहा चेहरे और बालो का पानी रिस कर जा रहा था
दीदी मेरे नजर को भाप गयी और एक शरारत भरी मुस्कान से मेरे चेहरे के ठुडी से उपर किया जो उसकी चुचियो मे गड़े हुए थे और बोली - नजारा देख लिया हो तो जा नहा ले हीहीहि
मै - अभी कहा अभी तो नजारा शुरू हुआ है दीदी , वो देखो
मै चंदू की छत पर इशारा करते हुए बोला
लेकिन जहा दीदी खड़ी थी वहा से उन्हे सिर्फ रजनी ही दिखी ।
दिदी - वहा तो रजनी दीदी किसी से बात कर रही है इसमे क्या नजारा
मै उनका हाथ पकड कर अपनी जगह पर किया और उसके पीछे खडे होकर बोला - अब देखो
अब तक रामबीर रजनी की मैक्सि कमर तक उठा दिया था और पैंटी मे हाथ डाल कर उसके गाड़ के दरारो मे ऊँगली घुसेदे हुए था
दीदी की नजर उसपे गयी तो वो मुह पर हाथ रख कर हसी । मै उसके पीछे सट कर खड़े होकर उसके कान मे बोला - देखा ना नजारा
दीदी ह्स्ते हुए - हम्म्म्म्ं , लेकिन रजनी दीदी तो कुछ रेपोन्स ही नही कर रही है कितना नियंत्रण है उनके पास
जहा दीदी रामवीर की रासलीला देखने मे मगन होने लगी वही मै दीदी को धीरे धीरे अपनी गिरफ्त मे लेने लगा और अब मेरा खड़ा लण्ड दीदी की गाड़ को छुने लगा था
और मेरे हाथ उनकी कमर को कस चुके थे
उधर रामवीर को ये मह्सूस होने लगा कि वो हार जायेगा तो उसने आखिरकार वो किया जिसकी ना तो मुझे उम्मीद हो सकती थी ना रजनी को
रामवीर ने रजनी के कदमो मे आकर उसकी पैंटी को निचे किया और उसकी जांघो को खोल कर अपनी जीभ रज्नी के चुत के निचले हिस्से पर लगा दी । अपनी कमजोर नश पर रामवीर का प्रहार रजनी झेल ना सकी और दिवार पकडे पहली बार रजनी कसमसा उथी ।
ये सीन देख कर मै बहुत उत्तेजित होने लगा और अपना हाथ सोनल के चुचियो तक ले जाने लगा जिसका आभास होते ही दीदी मेरे बाहो मे छटपटाने लगी और हसते हुए छोडने की दुहाई करने लगी ।
मै हस्ते हुए अपने लण्ड को उसकी गाड़ पर दबाते हुए आखिर कर एक हाथ मे दीदी की एक चुची को थाम ही लिया और जैसे ही मेरे हाथ मे दीदी की चुची आई , वो एक दम शांत हो गयी लेकिन उसके सांसो की रफ्तार बढ़ गई ।
दीदी तेज सास लेते हुए - रा रा रज्ज्ज्ज भाई प्लीज यहा नही कोईई दे ,,,,,ख अह्ह्ह्ह उम्म्ंम प्लीज अह्ह्ह्ह मा मान जा भा भा भा भैईईई उफ्फ्फ
मै भी दीदी की बात से सहमत हुआ और उसको छोड दिया
कुछ देर तक वो मुझसे तरह तरह की बाते करने लगी और मुझे इस बात का अन्दाजा तक नही होने दिया की वो मेरा ध्यान भटका रही थी और मौका मिलते ही वो दौड़ कर हस्ते हुए निचे भाग गयी ।
मै उसकी शरारत पे फिर हसा और वापस चंदू की छत पर देखा तो वो दोनो वहा नही थे शायद निचे जा चुके थे
मै भी मुस्कुराते हुए चंदू के छत पर हुए वाक्ये को याद कर फ्रेश हुआ और निचे चला गया जहा दीदी मेरा ही इंतजार कर रही थी दुकान मे
वो मुझे आता देख हसी और मैने उसे रास्ते मे सबक सिखाने को इशारा किया ।
फिर हम दोनो अपना नोटस लेके निकल गये कोचिंग के लिए,,,,,
To be continue.
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