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shukriya bhaisuperb update
shukriya bhaisuperb update
vikrant ko nahi pata ki santosh blue hood se hainice update ...raman ko viktant se kuch jyada pata nahi chala ..
aur yaha pe raghav apne dadaji ki mala ki wajah se dur dur ki aawaje sun raha tha ,,aur wo pahuch gaya black hood ke thikane par ..
raghav ko bahut si jaankari mil gayi hai kaalsena ke baare me ..
ab wo dikki me baithkar pichha karna chahta hai aur bluehood ka bhi pata lagana chahta hai ..
par ye vikrant ko santosh ke baare me pata kaise nahi chala ki wo bluehood se hai.

shukriya bhaiAmazing update
shukriya bhaiNice update
waiting for next
Waiting next
waiting
bas kuch hi der mainwaiting for next update
awesome super updateभाग १५
सुशेन सिद्धार्ट को साथ लेकर अपनी कार से अपने भाई शक्ति से मिलने निकल गया
सिद्धार्थ- सर क्या आपको सचमे लगता है के रमेश को मारने मैं ब्लू हुड वालो का हाथ है
सुशेन- कभी कभी जो हम सोचते है वो सही नहीं होता सिद्धार्थ, मैं ये नहीं कहता की मेरा भाई ऐसा नहीं कर सकता मगर मेरी चिंता का विषय शक्ति नहीं है, जितना मैं मेरे भाई को जानता हु उस हिसाब से शक्ति ने अगर रमेश को मारा होता तो वो ये काम छिपकर नहीं करता बल्कि बता कर करता, शक्ति कायर नहीं,
सिद्धार्थ-तो आपके हिसाब से ये काम ब्लू हुड का नहीं है
सुशेन-हम सिर्फ चीजों का अनुमान लगा सकते है सिद्धार्थ और मेरा यकीं करो अगर रमेश की हत्या मैं कही भी ब्लू हुड शामिल रहा तो मैं शक्ति समेत सरे ब्लू हुड को ख़तम कर दूंगा, पर फिलहाल मुझे एक और बात ने परेशां किया हुआ है
सिद्धार्थ-किस बात ने?
सुशेन-बात ऐसी है की सिर्फ रमेश ही नहीं मरा है और भी कई लोग मरे है..
सिद्धार्थ- क्या?कौन? कैसे?
सुशेन- ये कालसेना काफी बडी है सिद्धार्थ, हमारे लोग साडी दुनिया मैं मौजूद है और कालदूत की भक्ति करते है, कालसेना के मुखिया को एक शक्ति विरासत मैं मिलती है....चुकी अभी मैं इस कालसेना का मुखिया हु तो हर कालसैनिक प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से मेरी मानसिक तरंगो से जुडा हुआ है और मेरे जरिये भगवन कालदूत से फिर वो चाहे ब्लैक हुड हो या ब्लू हुड, कालदूत हमें इसी माध्यम से शक्तिया प्रदान करते है, पिछले कुछ दिनों मैं मैंने अपनी इन मानसिक तरंगो मैं थोड़ी कमी महसूस की है, जब मैंने इसकी छानबीन की तोमैने पाया की हमारे कई कालसैनिक दुनिया के अलग अलग कोनो मैं मरे पाए गए है, पिछले कुछ दिनों मैं हमने जितनी भी बलिया दी है उससे कई ज्यादा अपने लोगो को खोया है, कोई तो है जो सालो से छिपी हमारी कालसेना से बारे मैं जानता है और हमपर पीछे से वार कर रहा है ताकि हमें कमजोर कर सके और उसका यु छिपा होना ही मेरे लिए सबसे बडी चिंता का विषय है....
सिद्धार्थ-ये तो काफी गंभीर बात है
सुशेन-इसीलिए मैं शक्ति से मिलना चाहता हु ताकि आपसी मतभेद मिटा कर कालसेना को और भी मजबूत कर सकू.....
डिक्की मैं छुपा राघव सुशेन और सिद्धार्थ की बाते सुन रहा था, उसे सुशेन की बाते सुन कर आश्चर्य और ख़ुशी हो रही थी...आश्चर्य इस बात का की जहा उसे कालसेना और कालदूत के बारे मैं कुछ ही दिन पहले पता चला था वही इस दुनिया मैं कोई ऐसा था जो स कालसेना से मुकाबला कर रहा था और उसके लोगो को मार भी रहा था और ख़ुशी इस बात की की इस लडाई मैं वो अकेला नहीं था, उसके दादाजी की लिखी बात उसे याद आ गयी की इस लडाई मैं उसे और भी लोगो की जरुरत होगी और शायद ये वही लोग थे जिनके बारे मैं सुशेन बात कर रहा था.....
कुछ समय बाद....
शहर के बाहर एक सुनसान इलाके मैं सन्नाटे को चीरती हुयी सफ़ेद रंग और काले रंग की गाडिया आमने सामने जा खड़ी हुई, काले रंग की गाड़ी से सुशेन और सिद्धार्थ निकले और सफ़ेद रंग की गाड़ी से शक्ति जो की सिद्धार्थ की ही उम्र का था, बाहर आया, राघव अब भी गाड़ी की डिक्की मैं छिपा हुआ था, वो सुन सब सकता था पर किसी को देख नहीं सकता था,
शक्ति- बहुत दिनों बाद मिले बड़े भाई
सुशेन-तुमने ऐसा क्यों किया शक्ति? तुमने रमेश को क्यों मारा?
शक्ति(हतप्रभ होकर)- क्या? मैंने किसी को नहीं मारा!
सुशेन(क्रोध मैं)- बहुत हुआ! पहले तुम्हारे लोगो ने कब्रिस्तान मैं आखरी कुर्बानी होने नहीं दी फिर तुम्हारी वजह से मेरा एक आदमी विक्रांत पुलिस कस्टडी मैं है और अब ये क़त्ल!
शक्ति- क्या बकवास कर रहे हो भाई, तुम अच्छी तरह जानते हो शक्ति जो भी करता है डंके की चोट पर करता है ऐसे कायरो की तरह छिप कर वार नहीं करता और हा वो आखरी कुर्बानी जिसकी तुम बात कर रहे हो वो मेरा ही आदमी था...संतोष!
सुशेन-क्या?
सुशेन की तरह राघव भी इस बात से काफी हैरान हो गया था....
शक्ति-हा, दरअसल लगातार हो रहे अपहरणों और हत्याओ की वजह से पुलिस ने जगह जगह घेराबंदी कर राखी थी इसीलिए मैंने संतोष को अपने किसी जान पहचान वाले को कुर्बानी के लिए लाने कहा क्युकी उसकी मौत से इतना हल्ला भी नहीं मचता लेकिन मेरे कुछ करने से पहले ही तुम्हारे आदमी विक्रांत ने जाकर दोनों को पकड़ लिया, रोहित को तो उसने मार दिया लेकिन किस्मत से संतोष बच गया, हम कुछ करते इससे पहले ही उस इंस्पेक्टर ने उसे बचा लिया
सुशेन- पर तुमको कैसे पता चला की हमने रोहित और संतोष को कहा रखा है
शक्ति-विक्रांत की बीवी हमारे ब्लू हुड की मेम्बर है
सुशेन- या? मतलब तुम्हे नंदिनी के जरिये विक्रांत और हमारी सारी गुप्त खबरे मिलती थी
शक्ति- सारी तो नहीं लेकिन थोडा बहुत पता चल ही जाता था, जब विक्रांत का अचानक राजनगर आने का प्लान बना तभी नंदिनी ने हमको सतर्क कर दिया था, दरअसल विक्रांत और नंदिनी अपने आपसी रिश्ते के कारन बहुत परेशां थे और कई बार बात तलाक तक पहुच चुकी थी, जब तुमने विक्रांत को ब्लैक हुड मैं शमिल किया तभी मैंने नंदिनी को ब्लू हुड का सदस्य बनाया, इसके लिए मुझे ज्यादा म्हणत भी नहीं करनी पड़ी, नंदिनी जानती थी की विक्रांत ब्लैक हुड का मेम्बर है जबकि विक्रांत नंदिनी की सच्चाई के बारे मैं अनजान था, एक ही छत के निचे दो अलग अलग दलों के सदस्य रह रहे थे और जहा तक बात पुलिस की है तो तुम्हारा आदमी विक्रांत अपनी मुर्खता की वजह से पकड़ा गया है
सुशेन- लेकिन.....
सुशेन कुछ बोलता तभी अचानक शक्ति का फ़ोन बजा, उसने फ़ोन उठाया लेकिन कुछ सुनने के बाद एकदम हैरान रह गया
सुशेन-क्या हुआ?
शक्ति- मेरे दो लोगो को किसी ने एक पेड़ पर फासी से तांग दिया है
सुशेन-ये सब आखिर हो क्या रहा है? हम कालसेना है हमें मारने की हिम्मत किसमे आ गयी वो भी इतना चोरी छिपे और इतनी सफाई के साथ?
शक्ति-लोगो को मारते वक़्त कभी ये ख्याल आया ही नहीं की हम भी मारे जा सकते है, हमें लगने लगा था की कालदूत के भक्त होने के कारन हम अभेद्द है लेकिन अब इस बात पर मुझे संशय होने लगा है
सुशेन-किसी भी प्रकार के संशय मैं मत रहो छोटे भाई, कालदूत के भक्त भले ही संख्या मैं कम हो लेकिन सबसे शक्तिशाली थे और सबसे शक्तिशाली रहेंगे, हमारे दल के कुछ लोग मरे गए इसका ये अर्थ नहीं की पूरी कालसेना कमजोर है, ये जो कोई भी है इसे अपने किये की भरी कीमत चुकानी पड़ेगी, हमारे बिच मतभेद हो सकते है लेकिन किसी भी बाहरी समस्या से लड़ने के लिए हमें एकजुट हो जाना चाहिए
शक्ति-सही कहा तुमने भाई, आखरी कुर्बानी कोई भी दे बस कालदूत का जागना आवश्यक है, अभी मैं चलता हु कुछ होगा तो खबर कर दूंगा
सुशेन- ठीक है
शक्ति अपनी सफ़ेद गाडी मैं बैठकर निकल गया और सुशेन भी अपनी गाड़ी की तरफ बढ़ा ही था की तभी अचानक उसके कानो को हवा मैं एक तेज सरसराहट की आवाज सुने दी, उसने देखा की एक तेज धार चाकू गाड़ी के पास खड़े असावधान सिद्धार्थ की ओर तेजी से बढ रहा है, सुशेन ने तुरंत अपना हाथ उठाया और telekinesis द्वारा उस चाकू को हवा मैं ही रोक दिया फिर सुशेन और सिद्धार्थ दौड़ कर उस दिशा मैं गए जहा से चाकू आया था पर वहा उन्हें कोई नहीं मिला जिसके बाद वो वापिस गाड़ी के पास आये
सुशेन-तुम ठीक हो न लड़के?
सिद्धार्थ-ज..जी,, ये चाकू मैं कुछ लगा है?
तब सुशेन का ध्यान गया की चाकू मैं एक छोटा कागज का टुकड़ा लगा हुआ है, उसने चाकू उठाकर कागज का टुकड़ा उसकी नोक से बाहर निकाला, उसपर लिखा था “दो घंटे मे हीरालाल रेस्टोरंट आ जाओ, जिसे तुम धुंध रहे हो वो मैं ही हु” ये पढ़ते ही सुशेन की आँखें क्रोध से लाल हो गयी
सिद्धार्थ-क्या हुआ?
सुशेन-उसकी इतनी हिम्मत? मेरे लोगो को मारकर मुझे ही रेस्टोरंट मैं बुलाता है
सिद्धार्थ-कौन है ये?
सुशेन-वही, ब्लैक और ब्लू हुड के लोगो का कातिल
सिद्धार्थ-मैं चलता हु आपके साथ
सुशेन-नहीं तुम वापस जाओ मैं अकेले जाऊंगा
सिद्धार्थ-लेकिन सर....
सुशेन-मैंने कहा न जाओ मुझे कुछ नहीं होगा, जाओ...
सिद्धार्थ चला गया और सुशेन गाड़ी लेकर हीरालाल रेस्टोरेंट की तरफ बढ़ गया और उसकी के साथ राघव भी......
mind blowing update bhai maza aa gya ab dekhte hai ki aage kya hota haiभाग १५
सुशेन सिद्धार्ट को साथ लेकर अपनी कार से अपने भाई शक्ति से मिलने निकल गया
सिद्धार्थ- सर क्या आपको सचमे लगता है के रमेश को मारने मैं ब्लू हुड वालो का हाथ है
सुशेन- कभी कभी जो हम सोचते है वो सही नहीं होता सिद्धार्थ, मैं ये नहीं कहता की मेरा भाई ऐसा नहीं कर सकता मगर मेरी चिंता का विषय शक्ति नहीं है, जितना मैं मेरे भाई को जानता हु उस हिसाब से शक्ति ने अगर रमेश को मारा होता तो वो ये काम छिपकर नहीं करता बल्कि बता कर करता, शक्ति कायर नहीं,
सिद्धार्थ-तो आपके हिसाब से ये काम ब्लू हुड का नहीं है
सुशेन-हम सिर्फ चीजों का अनुमान लगा सकते है सिद्धार्थ और मेरा यकीं करो अगर रमेश की हत्या मैं कही भी ब्लू हुड शामिल रहा तो मैं शक्ति समेत सरे ब्लू हुड को ख़तम कर दूंगा, पर फिलहाल मुझे एक और बात ने परेशां किया हुआ है
सिद्धार्थ-किस बात ने?
सुशेन-बात ऐसी है की सिर्फ रमेश ही नहीं मरा है और भी कई लोग मरे है..
सिद्धार्थ- क्या?कौन? कैसे?
सुशेन- ये कालसेना काफी बडी है सिद्धार्थ, हमारे लोग साडी दुनिया मैं मौजूद है और कालदूत की भक्ति करते है, कालसेना के मुखिया को एक शक्ति विरासत मैं मिलती है....चुकी अभी मैं इस कालसेना का मुखिया हु तो हर कालसैनिक प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से मेरी मानसिक तरंगो से जुडा हुआ है और मेरे जरिये भगवन कालदूत से फिर वो चाहे ब्लैक हुड हो या ब्लू हुड, कालदूत हमें इसी माध्यम से शक्तिया प्रदान करते है, पिछले कुछ दिनों मैं मैंने अपनी इन मानसिक तरंगो मैं थोड़ी कमी महसूस की है, जब मैंने इसकी छानबीन की तोमैने पाया की हमारे कई कालसैनिक दुनिया के अलग अलग कोनो मैं मरे पाए गए है, पिछले कुछ दिनों मैं हमने जितनी भी बलिया दी है उससे कई ज्यादा अपने लोगो को खोया है, कोई तो है जो सालो से छिपी हमारी कालसेना से बारे मैं जानता है और हमपर पीछे से वार कर रहा है ताकि हमें कमजोर कर सके और उसका यु छिपा होना ही मेरे लिए सबसे बडी चिंता का विषय है....
सिद्धार्थ-ये तो काफी गंभीर बात है
सुशेन-इसीलिए मैं शक्ति से मिलना चाहता हु ताकि आपसी मतभेद मिटा कर कालसेना को और भी मजबूत कर सकू.....
डिक्की मैं छुपा राघव सुशेन और सिद्धार्थ की बाते सुन रहा था, उसे सुशेन की बाते सुन कर आश्चर्य और ख़ुशी हो रही थी...आश्चर्य इस बात का की जहा उसे कालसेना और कालदूत के बारे मैं कुछ ही दिन पहले पता चला था वही इस दुनिया मैं कोई ऐसा था जो स कालसेना से मुकाबला कर रहा था और उसके लोगो को मार भी रहा था और ख़ुशी इस बात की की इस लडाई मैं वो अकेला नहीं था, उसके दादाजी की लिखी बात उसे याद आ गयी की इस लडाई मैं उसे और भी लोगो की जरुरत होगी और शायद ये वही लोग थे जिनके बारे मैं सुशेन बात कर रहा था.....
कुछ समय बाद....
शहर के बाहर एक सुनसान इलाके मैं सन्नाटे को चीरती हुयी सफ़ेद रंग और काले रंग की गाडिया आमने सामने जा खड़ी हुई, काले रंग की गाड़ी से सुशेन और सिद्धार्थ निकले और सफ़ेद रंग की गाड़ी से शक्ति जो की सिद्धार्थ की ही उम्र का था, बाहर आया, राघव अब भी गाड़ी की डिक्की मैं छिपा हुआ था, वो सुन सब सकता था पर किसी को देख नहीं सकता था,
शक्ति- बहुत दिनों बाद मिले बड़े भाई
सुशेन-तुमने ऐसा क्यों किया शक्ति? तुमने रमेश को क्यों मारा?
शक्ति(हतप्रभ होकर)- क्या? मैंने किसी को नहीं मारा!
सुशेन(क्रोध मैं)- बहुत हुआ! पहले तुम्हारे लोगो ने कब्रिस्तान मैं आखरी कुर्बानी होने नहीं दी फिर तुम्हारी वजह से मेरा एक आदमी विक्रांत पुलिस कस्टडी मैं है और अब ये क़त्ल!
शक्ति- क्या बकवास कर रहे हो भाई, तुम अच्छी तरह जानते हो शक्ति जो भी करता है डंके की चोट पर करता है ऐसे कायरो की तरह छिप कर वार नहीं करता और हा वो आखरी कुर्बानी जिसकी तुम बात कर रहे हो वो मेरा ही आदमी था...संतोष!
सुशेन-क्या?
सुशेन की तरह राघव भी इस बात से काफी हैरान हो गया था....
शक्ति-हा, दरअसल लगातार हो रहे अपहरणों और हत्याओ की वजह से पुलिस ने जगह जगह घेराबंदी कर राखी थी इसीलिए मैंने संतोष को अपने किसी जान पहचान वाले को कुर्बानी के लिए लाने कहा क्युकी उसकी मौत से इतना हल्ला भी नहीं मचता लेकिन मेरे कुछ करने से पहले ही तुम्हारे आदमी विक्रांत ने जाकर दोनों को पकड़ लिया, रोहित को तो उसने मार दिया लेकिन किस्मत से संतोष बच गया, हम कुछ करते इससे पहले ही उस इंस्पेक्टर ने उसे बचा लिया
सुशेन- पर तुमको कैसे पता चला की हमने रोहित और संतोष को कहा रखा है
शक्ति-विक्रांत की बीवी हमारे ब्लू हुड की मेम्बर है
सुशेन- या? मतलब तुम्हे नंदिनी के जरिये विक्रांत और हमारी सारी गुप्त खबरे मिलती थी
शक्ति- सारी तो नहीं लेकिन थोडा बहुत पता चल ही जाता था, जब विक्रांत का अचानक राजनगर आने का प्लान बना तभी नंदिनी ने हमको सतर्क कर दिया था, दरअसल विक्रांत और नंदिनी अपने आपसी रिश्ते के कारन बहुत परेशां थे और कई बार बात तलाक तक पहुच चुकी थी, जब तुमने विक्रांत को ब्लैक हुड मैं शमिल किया तभी मैंने नंदिनी को ब्लू हुड का सदस्य बनाया, इसके लिए मुझे ज्यादा म्हणत भी नहीं करनी पड़ी, नंदिनी जानती थी की विक्रांत ब्लैक हुड का मेम्बर है जबकि विक्रांत नंदिनी की सच्चाई के बारे मैं अनजान था, एक ही छत के निचे दो अलग अलग दलों के सदस्य रह रहे थे और जहा तक बात पुलिस की है तो तुम्हारा आदमी विक्रांत अपनी मुर्खता की वजह से पकड़ा गया है
सुशेन- लेकिन.....
सुशेन कुछ बोलता तभी अचानक शक्ति का फ़ोन बजा, उसने फ़ोन उठाया लेकिन कुछ सुनने के बाद एकदम हैरान रह गया
सुशेन-क्या हुआ?
शक्ति- मेरे दो लोगो को किसी ने एक पेड़ पर फासी से तांग दिया है
सुशेन-ये सब आखिर हो क्या रहा है? हम कालसेना है हमें मारने की हिम्मत किसमे आ गयी वो भी इतना चोरी छिपे और इतनी सफाई के साथ?
शक्ति-लोगो को मारते वक़्त कभी ये ख्याल आया ही नहीं की हम भी मारे जा सकते है, हमें लगने लगा था की कालदूत के भक्त होने के कारन हम अभेद्द है लेकिन अब इस बात पर मुझे संशय होने लगा है
सुशेन-किसी भी प्रकार के संशय मैं मत रहो छोटे भाई, कालदूत के भक्त भले ही संख्या मैं कम हो लेकिन सबसे शक्तिशाली थे और सबसे शक्तिशाली रहेंगे, हमारे दल के कुछ लोग मरे गए इसका ये अर्थ नहीं की पूरी कालसेना कमजोर है, ये जो कोई भी है इसे अपने किये की भरी कीमत चुकानी पड़ेगी, हमारे बिच मतभेद हो सकते है लेकिन किसी भी बाहरी समस्या से लड़ने के लिए हमें एकजुट हो जाना चाहिए
शक्ति-सही कहा तुमने भाई, आखरी कुर्बानी कोई भी दे बस कालदूत का जागना आवश्यक है, अभी मैं चलता हु कुछ होगा तो खबर कर दूंगा
सुशेन- ठीक है
शक्ति अपनी सफ़ेद गाडी मैं बैठकर निकल गया और सुशेन भी अपनी गाड़ी की तरफ बढ़ा ही था की तभी अचानक उसके कानो को हवा मैं एक तेज सरसराहट की आवाज सुने दी, उसने देखा की एक तेज धार चाकू गाड़ी के पास खड़े असावधान सिद्धार्थ की ओर तेजी से बढ रहा है, सुशेन ने तुरंत अपना हाथ उठाया और telekinesis द्वारा उस चाकू को हवा मैं ही रोक दिया फिर सुशेन और सिद्धार्थ दौड़ कर उस दिशा मैं गए जहा से चाकू आया था पर वहा उन्हें कोई नहीं मिला जिसके बाद वो वापिस गाड़ी के पास आये
सुशेन-तुम ठीक हो न लड़के?
सिद्धार्थ-ज..जी,, ये चाकू मैं कुछ लगा है?
तब सुशेन का ध्यान गया की चाकू मैं एक छोटा कागज का टुकड़ा लगा हुआ है, उसने चाकू उठाकर कागज का टुकड़ा उसकी नोक से बाहर निकाला, उसपर लिखा था “दो घंटे मे हीरालाल रेस्टोरंट आ जाओ, जिसे तुम धुंध रहे हो वो मैं ही हु” ये पढ़ते ही सुशेन की आँखें क्रोध से लाल हो गयी
सिद्धार्थ-क्या हुआ?
सुशेन-उसकी इतनी हिम्मत? मेरे लोगो को मारकर मुझे ही रेस्टोरंट मैं बुलाता है
सिद्धार्थ-कौन है ये?
सुशेन-वही, ब्लैक और ब्लू हुड के लोगो का कातिल
सिद्धार्थ-मैं चलता हु आपके साथ
सुशेन-नहीं तुम वापस जाओ मैं अकेले जाऊंगा
सिद्धार्थ-लेकिन सर....
सुशेन-मैंने कहा न जाओ मुझे कुछ नहीं होगा, जाओ...
सिद्धार्थ चला गया और सुशेन गाड़ी लेकर हीरालाल रेस्टोरेंट की तरफ बढ़ गया और उसकी के साथ राघव भी......