भाग ~7
~~~~~~~~~~~~~
राजन बाथरूम का शीशा तोड़कर घर से भाग तो निकला पर जल्दबाजी में वह अपना फोन तक भूल गया और उसकी जेब में कोई पैसा भी नहीं था। उसके समझ में नहीं आया कि अब वह क्या करें। दरअसल पापा ने जैसे ही उसे बताया कि इंस्पेक्टर आए हैं, तो वो घबरा गया और सोचा कि कहीं इंस्पेक्टर तुरंत आकर उसको पकड़ न ले। इसलिए तुरंत बाथरूम में घुस गया और फिर बिना कुछ सोचे समझे औऱ बिना किसी प्लानिंग के रोशनदान की जाली तोड़कर घर के पिछवाड़े से निकल गया। कोई एक दो किलोमीटर तक वो भागता रहा। तभी सोनी ने उसे यूँ भागते हुए देखा, तो रोक कर उससे पूछिए कहां जा रहा है राजन..? और इस तरह भाग क्यों रहा है..! और कहां जाना है तुझे...?
"अरे यार, वो कमला से मेरा झगड़ा हो गया। इस समय ज़रा जल्दी में हूँ।सारी बातें बाद में बताऊंगा..!"
"ओके, तू मेरी स्कूटी पर बैठ और चल मेरे घर..! फिर वही इत्मीनान से बातें करेंगे..!"
"Ok," राजन ने कहा और सोनी की स्कूटी पर बैठ गया और 15 मिनट में ही उसके घर आ गया।
घर आकर सोनी ने पूछा, "बोल, क्या लेगा..? चाय, काफी या दारू..?"
"मैं बहुत थका हुआ और परेशान हूं इस समय। तू कुछ भी ला दे..!"
"ठीक है। मैं दारू की बोतल और नमकीन लाती हूँ।"
और थोड़ी देर में ही उसके सामने मेज़ पर दारू की बोतल और नमकीन रखी थी।
राजन ने सोनी से पूछा, "घर में कोई है नहीं क्या..?"
"जब तेरे सामने दारू की बोतल रखी है, तो तुझे खुद ही समझ जाना चाहिए, कि घर में कोई नहीं है। पापा मम्मी और मुकुट सब शादी में गए हैं। और कल सुबह आएंगे। मुकुट सोनी का छोटा भाई था।
"थैंक गॉड" राजन ने कहा, और शराब की पूरी बोतल पी गया। फिर बोला, "लेकिन तू क्यों नहीं गई.? या तुझे ले ही नहीं गए..?"
"मैं खुद नहीं गई, क्योंकि शादी गांव में है..! और गांव जाना मेरे बस की बात नहीं..!"
"काश, मैं इस वक्त गांव में होता..!"
"क्यों क्या तुझे गांव की ज़िंदगी पसंद है..?"
"पसंद तो नहीं है डियर मगर तुझ जैसी कोई खूबसूरत लड़की अगर साथ में हो, तब शहर से ज्यादा मजाक गांव में है। क्योंकि गांव मैं कहीं भी खेत खलिहान में घुस जाओ, अरहर का खेत, गन्ने का खेत, या आम की बगिया में कहीं भी छिप जाओ और दिल खोलकर प्यार करो..!"
"क्या बात कही है दोस्त..! वेरी नाइस..!"
"यस फ्रेंड। और दूसरी बात ये, कि शहर में लड़कियों के नखरे भी बहुत होते हैं..!"
"ये बात तो तेरी बिल्कुल गलत है। क्योंकि कमला जैसी गलत लड़कियों का जब साथ पकड़ेगा, तो निराशा तो मिलनी ही है। मैंने तो कितनी बार तुझसे कहा, कि उस भूतनी का साथ छोड़ दे और मेरे साथ आ जा। पर न जाने क्या तुझको कुछ भूतनी में मिल गया, जो हमेशा उसी के आगे पीछे घूमता है। मुझे तो जब पता लगा, कि तू पुरानी हवेली में उस भूतनी के साथ सैर सपाटा करने गया है, तो मेरा खून खोल उठा। क्योंकि उसे छोड़कर अगर मेरे साथ तू होता, तो मैं तुझे जन्नत का सुख देती..!"
"सो ग्रेट यू आर फ्रेंड..! मैं वास्तव में पागल हो गया था, जो उस भूतनी के चक्कर में पड़ा..! आश्चर्य है कि तूने उसे पहले ही पहचान लिया था, पर मैं ही मूर्ख था, जो उसको पहचान न सका और आज उसी भूतनी के कारण यूँ मारा मारा फिर रहा हूं..!"
"कोई बात नहीं दोस्त। अब भी कुछ नहीं बिगड़ा है। उस भूतनी का साथ अब से तू छोड़ दे और मेरी बाहों में आ जा।" सोनी ने ये कहते हुए राजन को अपने बाहुपाश में ले लिया..।
"ओह। कितना फर्क होता है एक जिंदा जिस्म और एक मुर्दा जिस्म में..! वो बिल्कुल मुर्दा थी और ठंडी थी, जबकि तू जिंदा है, और कितनी हॉट है..! एकदम तरोताजा माल ..!" यह कहते हुए राजन ने सोनी के गालों पर चुंबन की झड़ी लगा दी।
"वो मुर्दा थी, पर मैं जिंदा हूं..! वाह..! क्या बात कही है दोस्त..! आज तो तूने मेरा दिल खुश कर दिया..! जिस कमला को मैं फूटी आंख भी न भाती थी, और तू भी उसके आगे हमेशा मेरी अनादर ही करता था, आज मेरे सामने उसको भूतनी कहा..उसको मुर्दा कहा.. और मुझे जिंदा कहा..तरोताजा माल.. कहा। थैंक्स फ्रेंड। कितने दिनों से मैं तेरे प्यार को तरस रही थी..और तू हमेशा मेरे को इग्नोर करता था..लेकिन आज पहली बार तूने मेरी खुलकर तारीफ की है..! चल इसी बात पर बेडरूम में चलते हैं। क्योंकि आज मैं तेरे को इतना प्यार दूंगी, कि आगे से तू कभी उस भूतनी का नाम भी न लेगा..!" सोनी ने खुश होकर कहा और राजन को अपनी बाहों का सहारा देकर अपने बेडरूम में ले आई और पलंग पर औंधे मुंह उसे लिटा दिया।
"मुझे एक पैक और बना दो, आज मैं पीकर मदहोश होना चाहता हूं ", राजन ने कहा
"ऐसा न बोल यार..! पीने को तू एक पैक क्या, पूरी बोतल ही पी ले, मगर मोहब्बत का असली मजा बेहोशी के आलम में नहीं मिलता..! इसलिए होश में तो तुझे रहना ही होगा..! हां , अगर मेरी आंखों की मदिरा में डूब कर तेरे को बेहोश होना है, तो उसकी जरूर इज़ाज़त है..! इतना कहकर सोनी ने उसके सामने ही अपने कपड़ों को बदला और एक पारदर्शी नाइटी गाउन को पहन कर उसके बगल में आकर लेट गई.!
राजन सोनी को अपनी बाहों में भर प्यार करने लगा। सोनी की भी आज पहली बार राजन को अपनी बाहों में लेने की मनोकामना पूरी हुई थी।सोनी राजन के ही क्लास में पढ़ती थी और राजन को चाहती थी। लेकिन राजन उसे इग्नोर करता था, क्योंकि वो कमला पर मरता था।
आज पहली बार यह करिश्मा हुआ, जब उसने कमला को भूतनी कहा जबकि उसकी तारीफ की। और वह भी ऐसे समय में जबकि वह घर पर अकेली थी और उसे एक साथी की तलब थी। राजन की बाहों में आज उसे बहुत सुकून मिल रहा था और राजन बहुत प्यार से अपनी बाहों में लेकर उसके गालों को सहला रहा था और उसके बालों से खेल रहा था। तभी अचानक राजन चींख पड़ा~"कमला तू..? तू यहाँ भी आ गई..!"
"यह क्या कह रहा है..? और क्या बक रहा है तू..?" सोनी अचानक राजन के इस रूप को देख कर सकते में आ गई...! तभी राजन चिल्लाया "लगता है, अभी तू पूरी तरह से मरी नहीं है..! लेकिन मै तुझे जिंदा नहीं छोडूंगा।" और इसके पहले कि सोनी कुछ समझ पाती, कि अचानक वहीं समीप रखें एक हथौड़े को राजन ने उठाया और अपनी पूरी ताकत से उसके सिर पर प्रहार कर दिया। राजन के इस भयंकर प्रहार को सोनी झेल न सकी और वहीं पर ढेर हो गई..!