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Horror प्रायश्चित (Completed)

ashish_1982_in

Well-Known Member
5,578
18,943
188
भाग ~6
~~~~~~~~~~~~~~~

डॉक्टर रोमेश अपनी क्लीनिक में मरीजों को देख रहे थे, तभी इंस्पेक्टर राकेश ने उनकी क्लीनिक में प्रवेश किया। रमेश ने उन्हें बैठने को कहा और अपने मरीज को देखते हुए बोला, "नमस्कार इंस्पेक्टर साहब, कैसे आना हुआ..?"

इस्पेक्टर ने कहा, "आप मरीज को देख ले, फिर बात करते हैं।"
रोमेश ने कहा, "ठीक है।"

उस समय क्लीनिक पर तीन चार पेशेंट ही थे। शीघ्र ही उन्हें निपटा कर रमेश ने उनसे पूछा, "क्या लेंगे सर, चाय या कॉफी....?"

इंस्पेक्टर राकेश ने कहा, "वैसे तो मैं इस समय ड्यूटी पर हूं, लेकिन एक चाय मिल जाएगी, तो अच्छा होगा..।"

"ओके सर।" रोमेश ने अपनी असिस्टेंट से तीन चाय बनाने को कहा।

'हां, अब बताइए इंस्पेक्टर। क्या बात है..?"

इंस्पेक्टर ने कहा, "आपके पास कल रात राजन आया था न..?"

"हां सर, आया था। शाम को.? कोई बात हो गई क्या..?"

"किसलिए आया था वह.?"

"सर, डॉक्टरी का पेशा है मेरा। जब राजन मेरे पास आया तो दर्द से बहुत परेशान था। उसने मेरे से कहा, कि उसका अपनी लवर से झगड़ा हो गया है किसी बात पर और उसने गुस्से में आकर उसके सीने को काट खाया..! तो मैंने उसकी मरहम पट्टी की..?

अब आप तो इंस्पेक्टर है सर। आप ये प्यार मोहब्बत की बातों को भला क्या समझेंगे..? अब दिल तो सर सीने में ही होता है न..? तो लड़की अगर किसी बात पर गुस्सा गई तो, जख्म तो उसने दिल में ही देना था, पर उसके दांतों के निशान दिल तक कहां पहुंच पाते..? इसलिए सीने को ही उसने जख्मी कर दिया।" डॉक्टर ने मुस्कुराते हुए कहा, "वैसे प्यार में इतनी बेदर्दी से नहीं पेश आना चाहिए था उसे..!"

"कमाल की बात है ..! फिर राजन ने क्या किया..?"

"राजन क्या करता..? उसने उसका साथ हमेशा के लिए छोड़ दिया..! और तब मेरे भी उससे यही कहा, कि ऐसी लड़की का साथ तो छोड़ देना ही अच्छा है। आज सीने पर वार किया..! कल कहीं और वार कर देगी, तो क्या होगा..! इस उम्र में मोहब्बत और प्यार तो सभी करते हैं, किंतु प्यार में क्रूरता नहीं होनी चाहिए..!"

"सही कहा आपने। फिर यहां से कितने बजे गया वो..?"

" रात 11:30 बजे यहां से गया वो..! लेकिन सर बात क्या है..? क्या वो अपने घर नहीं पहुंचा..? या कोई और मामला है..?"

"जी हां, दरअसल जिस लड़की को राजन ने कहा है , कि उसने छोड़ दिया उसे हमेशा के लिए , उसने उस लड़की की हत्या कर दी है..!'

"ओह नो..! इतनी बड़ा क्राइम, और उसने मुझे बताया भी नहीं..! अगर मुझे मालूम होता, तो मैं उसी समय आपको फोन कर उसी समय उसे आपकी सुपुर्दगी में दे देता..! इंस्पेक्टर साहब, मोहब्बत और प्यार अपनी जगह है, लेकिन यह खून खराबा बिल्कुल सही नहीं है..! यह प्यार में अंधापन बहुत गलत है। मोहब्बत प्यार में एक दूसरे का राजी होना बहुत जरूरी होता है। वैसे इस समय कहां है..?"

उसी को ढूंढ रहे हैं हम लोग..! मैं आज उसके घर गया था, और तब वो घर पर ही था। लेकिन वो हम सबको धोखा देकर बाथरूम के रोशनदान को तोड़कर वहां से फरार हो गया। और इसीलिए मैं यहां आया था, कि शायद वह आपसे मिलने इधर आये, क्योंकि कल शाम उसकी लोकेशन आपके यहाँ की थी। कल जब वो आपके यहां जख्मी हालत में आया था , आपको उसी समय पुलिस को बताना चाहिए था..!"

"सर, जैसा कि उसने आकर बताया मेरे को, उससे मैं तो क्या, कोई भी यह अंदाज नहीं लगा सकता था, कि ये कोई पुलिस का केस है..! क्योंकि इस तरह जख्मी हालत में अक्सर पेशेंट हमारे पास आते रहते हैं। तो कहां तक हम लोग पुलिस को इनफॉर्म करेंगे रहेंगे..? सर, जब तक किसी मरीज को देखकर जब पक्का ये अनुमान नहीं होता कि यह पुलिस केस है ,तब तक, हम लोग पुलिस को इन्फॉर्म नहीं करते..! अब राजन ने यहाँ आकर जिस अंदाज में अपनी बात बताई, उससे बिल्कुल भी हमें शक नहीं हुआ, कि राजन झूठ बोल रहा है..! मेरे ख्याल से या एक सामान्य सा केस था , क्योंकि पति पत्नी के झगड़े में या प्यार मोहब्बत के केस में प्रेमी प्रेमिकाओं के झगड़े में इस तरह की बातें अक्सर हो जाती है और अधिकतर इस तरह के मामले आपस में ही निपट जाते हैं ..!"

तभी चाय बन कर आ गई। इंस्पेक्टर ने चाय पीते हुए कहा, " बहुत खुशी हुई आपसे मिलकर है।" फिर उन्होंने डॉक्टर को थैंक्स कहा और सचेत करते हुए, कि राजन का जब भी कोई फोन आए या उसकी तरफ से कोई सूचना मिले तो तुरंत उसे इन्फॉर्म करें । यह कह कर इंस्पेक्टर वहां से चला गया।
इंस्पेक्टर इतनी देर में ये तो समझ गयाथा, कि डॉक्टर की कोई गलती नहीं है और न डॉक्टर ने उससे कोई बात ही छुपाई है। राजन ने हीं डॉक्टर से झूठ बोला था और अस्पताल से अपनी मरहम पट्टी करा के चला गया था।


फिर उसने सोचा, कि राजन के पास पैसे रुपए तो है नहीं, इसलिये कहीं न कहीं तो वो जाएगा ही और किसी न किसी से तो वो मदद मांगेगा ही। और ये भी हो सकता है अपने घर पर ही वो फोन करें..! तो आगे की कार्यवाही भी अब इसी पर निर्भर करेगी..! वैसे बिना पैसे रुपए के कब तक वो छुपता रहेगा..? राजन के एटीएम कार्ड का नंबर और कुछ अन्य डिटेल इंस्पेक्टर ने फोन से पता कर लिया था और इंतजार कर रहा था, किसी के फोन का. ! किसी नये सुराग के पता चलने का..!
very nice update maza aa gya
 

Moon Light

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304
भाग ~7
~~~~~~~~~~~~~


राजन बाथरूम का शीशा तोड़कर घर से भाग तो निकला पर जल्दबाजी में वह अपना फोन तक भूल गया और उसकी जेब में कोई पैसा भी नहीं था। उसके समझ में नहीं आया कि अब वह क्या करें। दरअसल पापा ने जैसे ही उसे बताया कि इंस्पेक्टर आए हैं, तो वो घबरा गया और सोचा कि कहीं इंस्पेक्टर तुरंत आकर उसको पकड़ न ले। इसलिए तुरंत बाथरूम में घुस गया और फिर बिना कुछ सोचे समझे औऱ बिना किसी प्लानिंग के रोशनदान की जाली तोड़कर घर के पिछवाड़े से निकल गया। कोई एक दो किलोमीटर तक वो भागता रहा। तभी सोनी ने उसे यूँ भागते हुए देखा, तो रोक कर उससे पूछिए कहां जा रहा है राजन..? और इस तरह भाग क्यों रहा है..! और कहां जाना है तुझे...?


"अरे यार, वो कमला से मेरा झगड़ा हो गया। इस समय ज़रा जल्दी में हूँ।सारी बातें बाद में बताऊंगा..!"


"ओके, तू मेरी स्कूटी पर बैठ और चल मेरे घर..! फिर वही इत्मीनान से बातें करेंगे..!"


"Ok," राजन ने कहा और सोनी की स्कूटी पर बैठ गया और 15 मिनट में ही उसके घर आ गया।


घर आकर सोनी ने पूछा, "बोल, क्या लेगा..? चाय, काफी या दारू..?"


"मैं बहुत थका हुआ और परेशान हूं इस समय। तू कुछ भी ला दे..!"


"ठीक है। मैं दारू की बोतल और नमकीन लाती हूँ।"


और थोड़ी देर में ही उसके सामने मेज़ पर दारू की बोतल और नमकीन रखी थी।


राजन ने सोनी से पूछा, "घर में कोई है नहीं क्या..?"


"जब तेरे सामने दारू की बोतल रखी है, तो तुझे खुद ही समझ जाना चाहिए, कि घर में कोई नहीं है। पापा मम्मी और मुकुट सब शादी में गए हैं। और कल सुबह आएंगे। मुकुट सोनी का छोटा भाई था।


"थैंक गॉड" राजन ने कहा, और शराब की पूरी बोतल पी गया। फिर बोला, "लेकिन तू क्यों नहीं गई.? या तुझे ले ही नहीं गए..?"


"मैं खुद नहीं गई, क्योंकि शादी गांव में है..! और गांव जाना मेरे बस की बात नहीं..!"


"काश, मैं इस वक्त गांव में होता..!"


"क्यों क्या तुझे गांव की ज़िंदगी पसंद है..?"


"पसंद तो नहीं है डियर मगर तुझ जैसी कोई खूबसूरत लड़की अगर साथ में हो, तब शहर से ज्यादा मजाक गांव में है। क्योंकि गांव मैं कहीं भी खेत खलिहान में घुस जाओ, अरहर का खेत, गन्ने का खेत, या आम की बगिया में कहीं भी छिप जाओ और दिल खोलकर प्यार करो..!"


"क्या बात कही है दोस्त..! वेरी नाइस..!"


"यस फ्रेंड। और दूसरी बात ये, कि शहर में लड़कियों के नखरे भी बहुत होते हैं..!"


"ये बात तो तेरी बिल्कुल गलत है। क्योंकि कमला जैसी गलत लड़कियों का जब साथ पकड़ेगा, तो निराशा तो मिलनी ही है। मैंने तो कितनी बार तुझसे कहा, कि उस भूतनी का साथ छोड़ दे और मेरे साथ आ जा। पर न जाने क्या तुझको कुछ भूतनी में मिल गया, जो हमेशा उसी के आगे पीछे घूमता है। मुझे तो जब पता लगा, कि तू पुरानी हवेली में उस भूतनी के साथ सैर सपाटा करने गया है, तो मेरा खून खोल उठा। क्योंकि उसे छोड़कर अगर मेरे साथ तू होता, तो मैं तुझे जन्नत का सुख देती..!"


"सो ग्रेट यू आर फ्रेंड..! मैं वास्तव में पागल हो गया था, जो उस भूतनी के चक्कर में पड़ा..! आश्चर्य है कि तूने उसे पहले ही पहचान लिया था, पर मैं ही मूर्ख था, जो उसको पहचान न सका और आज उसी भूतनी के कारण यूँ मारा मारा फिर रहा हूं..!"


"कोई बात नहीं दोस्त। अब भी कुछ नहीं बिगड़ा है। उस भूतनी का साथ अब से तू छोड़ दे और मेरी बाहों में आ जा।" सोनी ने ये कहते हुए राजन को अपने बाहुपाश में ले लिया..।


"ओह। कितना फर्क होता है एक जिंदा जिस्म और एक मुर्दा जिस्म में..! वो बिल्कुल मुर्दा थी और ठंडी थी, जबकि तू जिंदा है, और कितनी हॉट है..! एकदम तरोताजा माल ..!" यह कहते हुए राजन ने सोनी के गालों पर चुंबन की झड़ी लगा दी।


"वो मुर्दा थी, पर मैं जिंदा हूं..! वाह..! क्या बात कही है दोस्त..! आज तो तूने मेरा दिल खुश कर दिया..! जिस कमला को मैं फूटी आंख भी न भाती थी, और तू भी उसके आगे हमेशा मेरी अनादर ही करता था, आज मेरे सामने उसको भूतनी कहा..उसको मुर्दा कहा.. और मुझे जिंदा कहा..तरोताजा माल.. कहा। थैंक्स फ्रेंड। कितने दिनों से मैं तेरे प्यार को तरस रही थी..और तू हमेशा मेरे को इग्नोर करता था..लेकिन आज पहली बार तूने मेरी खुलकर तारीफ की है..! चल इसी बात पर बेडरूम में चलते हैं। क्योंकि आज मैं तेरे को इतना प्यार दूंगी, कि आगे से तू कभी उस भूतनी का नाम भी न लेगा..!" सोनी ने खुश होकर कहा और राजन को अपनी बाहों का सहारा देकर अपने बेडरूम में ले आई और पलंग पर औंधे मुंह उसे लिटा दिया।


"मुझे एक पैक और बना दो, आज मैं पीकर मदहोश होना चाहता हूं ", राजन ने कहा


"ऐसा न बोल यार..! पीने को तू एक पैक क्या, पूरी बोतल ही पी ले, मगर मोहब्बत का असली मजा बेहोशी के आलम में नहीं मिलता..! इसलिए होश में तो तुझे रहना ही होगा..! हां , अगर मेरी आंखों की मदिरा में डूब कर तेरे को बेहोश होना है, तो उसकी जरूर इज़ाज़त है..! इतना कहकर सोनी ने उसके सामने ही अपने कपड़ों को बदला और एक पारदर्शी नाइटी गाउन को पहन कर उसके बगल में आकर लेट गई.!


राजन सोनी को अपनी बाहों में भर प्यार करने लगा। सोनी की भी आज पहली बार राजन को अपनी बाहों में लेने की मनोकामना पूरी हुई थी।सोनी राजन के ही क्लास में पढ़ती थी और राजन को चाहती थी। लेकिन राजन उसे इग्नोर करता था, क्योंकि वो कमला पर मरता था।


आज पहली बार यह करिश्मा हुआ, जब उसने कमला को भूतनी कहा जबकि उसकी तारीफ की। और वह भी ऐसे समय में जबकि वह घर पर अकेली थी और उसे एक साथी की तलब थी। राजन की बाहों में आज उसे बहुत सुकून मिल रहा था और राजन बहुत प्यार से अपनी बाहों में लेकर उसके गालों को सहला रहा था और उसके बालों से खेल रहा था। तभी अचानक राजन चींख पड़ा~"कमला तू..? तू यहाँ भी आ गई..!"


"यह क्या कह रहा है..? और क्या बक रहा है तू..?" सोनी अचानक राजन के इस रूप को देख कर सकते में आ गई...! तभी राजन चिल्लाया "लगता है, अभी तू पूरी तरह से मरी नहीं है..! लेकिन मै तुझे जिंदा नहीं छोडूंगा।" और इसके पहले कि सोनी कुछ समझ पाती, कि अचानक वहीं समीप रखें एक हथौड़े को राजन ने उठाया और अपनी पूरी ताकत से उसके सिर पर प्रहार कर दिया। राजन के इस भयंकर प्रहार को सोनी झेल न सकी और वहीं पर ढेर हो गई..!

 

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राजन बाथरूम का शीशा तोड़कर घर से भाग तो निकला पर जल्दबाजी में वह अपना फोन तक भूल गया और उसकी जेब में कोई पैसा भी नहीं था। उसके समझ में नहीं आया कि अब वह क्या करें। दरअसल पापा ने जैसे ही उसे बताया कि इंस्पेक्टर आए हैं, तो वो घबरा गया और सोचा कि कहीं इंस्पेक्टर तुरंत आकर उसको पकड़ न ले। इसलिए तुरंत बाथरूम में घुस गया और फिर बिना कुछ सोचे समझे औऱ बिना किसी प्लानिंग के रोशनदान की जाली तोड़कर घर के पिछवाड़े से निकल गया। कोई एक दो किलोमीटर तक वो भागता रहा। तभी सोनी ने उसे यूँ भागते हुए देखा, तो रोक कर उससे पूछिए कहां जा रहा है राजन..? और इस तरह भाग क्यों रहा है..! और कहां जाना है तुझे...?


"अरे यार, वो कमला से मेरा झगड़ा हो गया। इस समय ज़रा जल्दी में हूँ।सारी बातें बाद में बताऊंगा..!"


"ओके, तू मेरी स्कूटी पर बैठ और चल मेरे घर..! फिर वही इत्मीनान से बातें करेंगे..!"


"Ok," राजन ने कहा और सोनी की स्कूटी पर बैठ गया और 15 मिनट में ही उसके घर आ गया।


घर आकर सोनी ने पूछा, "बोल, क्या लेगा..? चाय, काफी या दारू..?"


"मैं बहुत थका हुआ और परेशान हूं इस समय। तू कुछ भी ला दे..!"


"ठीक है। मैं दारू की बोतल और नमकीन लाती हूँ।"


और थोड़ी देर में ही उसके सामने मेज़ पर दारू की बोतल और नमकीन रखी थी।


राजन ने सोनी से पूछा, "घर में कोई है नहीं क्या..?"


"जब तेरे सामने दारू की बोतल रखी है, तो तुझे खुद ही समझ जाना चाहिए, कि घर में कोई नहीं है। पापा मम्मी और मुकुट सब शादी में गए हैं। और कल सुबह आएंगे। मुकुट सोनी का छोटा भाई था।


"थैंक गॉड" राजन ने कहा, और शराब की पूरी बोतल पी गया। फिर बोला, "लेकिन तू क्यों नहीं गई.? या तुझे ले ही नहीं गए..?"


"मैं खुद नहीं गई, क्योंकि शादी गांव में है..! और गांव जाना मेरे बस की बात नहीं..!"


"काश, मैं इस वक्त गांव में होता..!"


"क्यों क्या तुझे गांव की ज़िंदगी पसंद है..?"


"पसंद तो नहीं है डियर मगर तुझ जैसी कोई खूबसूरत लड़की अगर साथ में हो, तब शहर से ज्यादा मजाक गांव में है। क्योंकि गांव मैं कहीं भी खेत खलिहान में घुस जाओ, अरहर का खेत, गन्ने का खेत, या आम की बगिया में कहीं भी छिप जाओ और दिल खोलकर प्यार करो..!"


"क्या बात कही है दोस्त..! वेरी नाइस..!"


"यस फ्रेंड। और दूसरी बात ये, कि शहर में लड़कियों के नखरे भी बहुत होते हैं..!"


"ये बात तो तेरी बिल्कुल गलत है। क्योंकि कमला जैसी गलत लड़कियों का जब साथ पकड़ेगा, तो निराशा तो मिलनी ही है। मैंने तो कितनी बार तुझसे कहा, कि उस भूतनी का साथ छोड़ दे और मेरे साथ आ जा। पर न जाने क्या तुझको कुछ भूतनी में मिल गया, जो हमेशा उसी के आगे पीछे घूमता है। मुझे तो जब पता लगा, कि तू पुरानी हवेली में उस भूतनी के साथ सैर सपाटा करने गया है, तो मेरा खून खोल उठा। क्योंकि उसे छोड़कर अगर मेरे साथ तू होता, तो मैं तुझे जन्नत का सुख देती..!"


"सो ग्रेट यू आर फ्रेंड..! मैं वास्तव में पागल हो गया था, जो उस भूतनी के चक्कर में पड़ा..! आश्चर्य है कि तूने उसे पहले ही पहचान लिया था, पर मैं ही मूर्ख था, जो उसको पहचान न सका और आज उसी भूतनी के कारण यूँ मारा मारा फिर रहा हूं..!"


"कोई बात नहीं दोस्त। अब भी कुछ नहीं बिगड़ा है। उस भूतनी का साथ अब से तू छोड़ दे और मेरी बाहों में आ जा।" सोनी ने ये कहते हुए राजन को अपने बाहुपाश में ले लिया..।


"ओह। कितना फर्क होता है एक जिंदा जिस्म और एक मुर्दा जिस्म में..! वो बिल्कुल मुर्दा थी और ठंडी थी, जबकि तू जिंदा है, और कितनी हॉट है..! एकदम तरोताजा माल ..!" यह कहते हुए राजन ने सोनी के गालों पर चुंबन की झड़ी लगा दी।


"वो मुर्दा थी, पर मैं जिंदा हूं..! वाह..! क्या बात कही है दोस्त..! आज तो तूने मेरा दिल खुश कर दिया..! जिस कमला को मैं फूटी आंख भी न भाती थी, और तू भी उसके आगे हमेशा मेरी अनादर ही करता था, आज मेरे सामने उसको भूतनी कहा..उसको मुर्दा कहा.. और मुझे जिंदा कहा..तरोताजा माल.. कहा। थैंक्स फ्रेंड। कितने दिनों से मैं तेरे प्यार को तरस रही थी..और तू हमेशा मेरे को इग्नोर करता था..लेकिन आज पहली बार तूने मेरी खुलकर तारीफ की है..! चल इसी बात पर बेडरूम में चलते हैं। क्योंकि आज मैं तेरे को इतना प्यार दूंगी, कि आगे से तू कभी उस भूतनी का नाम भी न लेगा..!" सोनी ने खुश होकर कहा और राजन को अपनी बाहों का सहारा देकर अपने बेडरूम में ले आई और पलंग पर औंधे मुंह उसे लिटा दिया।


"मुझे एक पैक और बना दो, आज मैं पीकर मदहोश होना चाहता हूं ", राजन ने कहा


"ऐसा न बोल यार..! पीने को तू एक पैक क्या, पूरी बोतल ही पी ले, मगर मोहब्बत का असली मजा बेहोशी के आलम में नहीं मिलता..! इसलिए होश में तो तुझे रहना ही होगा..! हां , अगर मेरी आंखों की मदिरा में डूब कर तेरे को बेहोश होना है, तो उसकी जरूर इज़ाज़त है..! इतना कहकर सोनी ने उसके सामने ही अपने कपड़ों को बदला और एक पारदर्शी नाइटी गाउन को पहन कर उसके बगल में आकर लेट गई.!


राजन सोनी को अपनी बाहों में भर प्यार करने लगा। सोनी की भी आज पहली बार राजन को अपनी बाहों में लेने की मनोकामना पूरी हुई थी।सोनी राजन के ही क्लास में पढ़ती थी और राजन को चाहती थी। लेकिन राजन उसे इग्नोर करता था, क्योंकि वो कमला पर मरता था।


आज पहली बार यह करिश्मा हुआ, जब उसने कमला को भूतनी कहा जबकि उसकी तारीफ की। और वह भी ऐसे समय में जबकि वह घर पर अकेली थी और उसे एक साथी की तलब थी। राजन की बाहों में आज उसे बहुत सुकून मिल रहा था और राजन बहुत प्यार से अपनी बाहों में लेकर उसके गालों को सहला रहा था और उसके बालों से खेल रहा था। तभी अचानक राजन चींख पड़ा~"कमला तू..? तू यहाँ भी आ गई..!"


"यह क्या कह रहा है..? और क्या बक रहा है तू..?" सोनी अचानक राजन के इस रूप को देख कर सकते में आ गई...! तभी राजन चिल्लाया "लगता है, अभी तू पूरी तरह से मरी नहीं है..! लेकिन मै तुझे जिंदा नहीं छोडूंगा।" और इसके पहले कि सोनी कुछ समझ पाती, कि अचानक वहीं समीप रखें एक हथौड़े को राजन ने उठाया और अपनी पूरी ताकत से उसके सिर पर प्रहार कर दिया। राजन के इस भयंकर प्रहार को सोनी झेल न सकी और वहीं पर ढेर हो गई..!
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भाग ~8
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राजन ने सोनी को कमला समझकर उस पर प्राण घातक प्रहार किया था और थोड़ी ही देर में उसके प्राण पखेरू उड़ गए थे..! /

सोनी पर प्रहार करते समय उसने उसे कमला कहकर पुकारा था। और मरने के बाद उसकी रूह सीधे कमला से मिली। सोनी ने उससे पूछा "तू यहां कैसे..?"

कमला ने कहा, मेरे साथ राजन ने धोखा किया। वो कल मुझे पुरानी हवेली के खंडहर ले गया था। वो मेरी इज्जत लेना चाहता था। मेरे जिस्म से खेलना चाहता था। और जब मैंने प्रतिरोध किया तो उसने मेरी जान ले ली..!"

लेकिन उसने तो मुझे ये बताया, कि वो तुझसे नफरत करता है..! और तेरे कारण ही वो परेशान है। यहां तक कि मेरी जान भी अगर उसने ली, तो उसका कारण भी तू ही थी, क्योंकि उसने कमला समझकर मुझ पर वार किया था।

"हां, क्योंकि उस समय मैंने तेरे चेहरे पर अपना चेहरा लगा लिया था..! मैं उसे डराना चाहती थी क्योंकि, मुझे अपने खून का उससे उससे बदला लेना है..!"

"मतलब राजन बेकसूर था! और यह सही बात है, कि उसने मुझ पर नहीं बल्कि तुझ पर वार किया था..! मेरी जान राजन ने नहीं बल्कि तूने ली है..!"

"नहीं सोनी। मैंने तेरी जान नहीं ली। मुझे क्या मालुम था, कि वह मुझ पर दोबारा प्रहार कर देगा..! क्योंकि मैं तो मर चुकी थी..! क्या कोई किसी मरे हुए इंसान को दोबारा मार सकता है...?"

"मैं ये सब नहीं जानती..! मैं तो सिर्फ इतना जानती हूं, कि मेरी मौत का कारण सिर्फ तू है। मैं आज पूरी तरह से उसे अपना बनाना चाहती थी और उसके साथ खुलकर प्यार करना चाहती थी लेकिन मोहब्बत के इतने खूबसूरत लमहों में तूने मेरी जान ले ली..! अगर एक बार मैं अपने राजन के साथ जिस्मानी रिश्ता बना लेती, तो मेरा ये जीवन धन्य हो जाता.! अब मेरी आत्मा न जाने कब तक भटकेगी राजन का प्यार पाने के लिए, उससे ज़िस्म का रिश्ता कायम करने के लिए..!"

"ओह, सॉरी यार..! मगर इस बात को भी जरा तू सोच, कि जिस राजन ने धोखे से मेरी जान ले ली, क्या ऐसे इंसान से तू मोहब्बत कर सकती है..? यार तू सोच भी कैसे सकती है ऐसे इंसान से जिस्मानी रिश्ता बनाने की..? क्या किसी के सपनों का राजकुमार कोई खूनी भी हो सकता है..?"

"हां, हो सकता है..! क्योंकि तू मेरी मोहब्बत की ज़लती थी और तूने मेरे राजन के दिलो-दिमाग पर अपना कब्जा जमा लिया था। तू नहीं चाहती थी कि वो मेरा हो..! सच तो यह है कि अगर तू मेरे रास्ते से न हटती, तो मैं खुद एक दिन तेरा खून कर देती..!"

"उफ्फ..! कैसी बुद्धि है तेरी..! अब तो मैं पछता रही हूँ, कि क्यूं मैंने राजन को चाहा..? वो तेरे लिए ही सही था..! ये कुदरत का खेल भी निराला होता है। जो हरकत उसने मेरे साथ थी, उसकी वही हरकत मेरी मौत का कारण बना..! जबकि यही हरकत अगर वो तेरे साथ करता तो तुझे जन्नत का सुख नसीब होता..! शायद इसी को कहते हैं इंसान की किस्मत..! अगर अच्छी हो तो मौज और बुरी हो तो मौत..!"
" मैं इन बातों को नहीं जानती। मैं तो सिर्फ इतना जानती हूं, कि मेरी मौत का कारण तू है और मैं तुझे कभी माफ नहीं करूंगी..!"

"लेकिन मैं तो तेरे राजन को तड़पाना चाहती हूं और उसका खून पीना चाहती हूं। फिर तेरे संग रंगरेलियां मनाते में कैसे देख सकती थी उसे..?"

"मतलब तूने अपने प्रतिशोध के लिए मेरी खुशी छीन ली..! मेरी प्यास अधूरी रह गई..! दो प्यार करने वाले जब प्यार कर रहे हो, उस वक्त उनको अलग करना कितना बड़ा पाप है, क्या यह बात तुझे नहीं मालूम..?"

"अरे यार, कम से कम इस बात को तो सोच, कि वो एक खूनी है और पुलिस से भागा हुआ है..! और ऐसे इंसान के साथ तू संबंध कैसे जोड़ सकती है..? अगर मैं उसको माफ भी कर दूं, तब भी कानून उसको माफ नहीं करेगा और उसको मौत की सजा मिलेगी..! और क्या तू सोचती है
कि तेरे मां बाप एक खूनी से तेरी शादी करने को राजी होंगे..? इतनी सी बात तुझे समझ में क्यों नहीं आती..?"

"हां, मुझे तेरी बात समझ में नहीं आती। क्योंकि प्यार में कभी कभी इंसान पागल ही होता है। और मैं भी उसके प्यार में पागल थी, और अब भी हूं..! तुझे क्या मालुम, कि आज मैं अपने घर में बिल्कुल अकेली थी और राजन मेरे साथ था और उसको अपना बनाने का बेहतरीन मौका था मेरे पास..!"

"तू तो पागल है और मुझे भी तू पागल कर देगी.."

"सिर्फ एक बार मैं उसको अपना बना लेती। उसके बाद भले ही मुझको उसे छोड़ना पड़ता, मुझे अफसोस न होता। लेकिन अपने इस अतृप्त प्यार के कारण मेरी आत्मा को कभी सुकून नहीं मिलेगा और मैं हमेशा भटकती रहूंगी..!"

"तो ठीक है। मैं कुछ समय के लिए तेरे को ज़िंदा कर देती हूं, क्योंकि तेरा शरीर अभी सही सलामत है। मेरे पास इतनी ताकत है, कि मैं राजन के आसपास के लोगों को भी अपने कंट्रोल में कर सकती हैं। और इसीलिए राजन को भयभीत करने के लिए कुछ समय के लिए मैंने तेरे चेहरे पर अपना मुखौटा लगा लिया था..! और इसी बीच उसने तुझ पर हमला बोल दिया। सोनी, मैं उसको माफ़ नहीं कर सकती और मैं उसे तड़पा तड़पा कर मारूँगी। लेकिन तेरी खुशी के लिए एक दिन के लिए मैं उसे तुझको सौंप रही हूं। अब तू जा अपने शरीर में और जिस तरह भी तेरी आत्मा को संतुष्टि मिले, वही कर। लेकिन सिर्फ सुबह तक का ही तेरे पास समय होगा होगा और उसके बाद राजन सिर्फ मेरा होगा। और हां मरने से पूर्व तुझे इस बात का सबूत देना होगा, कि तेरी हत्या राजन ने ही की है। अगर तुझे मेरी यह शर्त मंजूर है तो मैं अभी तेरी आत्मा को वापस तेरे शरीर में भेज देती हूं..! बोल क्या फैसला है तेरा..?

"मुझे मंजूर है। अपनी मौत से पूर्व मैं अपने राजन के साथ सुहागरात मनाना चाहती हूँ, बस यही मेरी आखिरी ख्वाहिश है। फिर मैं तृप्त हो जाऊंगी और मेरी आत्मा को मुक्ति मिल जाएगी..!"

"Ok, गुड बाय। अब से ठीक एक मिनट बाद तेरी आत्मा तेरे जिस्म में होगी..!" ये कह कर कमला की सूक्ष्म देह अंतरिक्ष मे विलीन हो गई..!
 

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भाग ~8
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राजन ने सोनी को कमला समझकर उस पर प्राण घातक प्रहार किया था और थोड़ी ही देर में उसके प्राण पखेरू उड़ गए थे..! /

सोनी पर प्रहार करते समय उसने उसे कमला कहकर पुकारा था। और मरने के बाद उसकी रूह सीधे कमला से मिली। सोनी ने उससे पूछा "तू यहां कैसे..?"

कमला ने कहा, मेरे साथ राजन ने धोखा किया। वो कल मुझे पुरानी हवेली के खंडहर ले गया था। वो मेरी इज्जत लेना चाहता था। मेरे जिस्म से खेलना चाहता था। और जब मैंने प्रतिरोध किया तो उसने मेरी जान ले ली..!"

लेकिन उसने तो मुझे ये बताया, कि वो तुझसे नफरत करता है..! और तेरे कारण ही वो परेशान है। यहां तक कि मेरी जान भी अगर उसने ली, तो उसका कारण भी तू ही थी, क्योंकि उसने कमला समझकर मुझ पर वार किया था।

"हां, क्योंकि उस समय मैंने तेरे चेहरे पर अपना चेहरा लगा लिया था..! मैं उसे डराना चाहती थी क्योंकि, मुझे अपने खून का उससे उससे बदला लेना है..!"

"मतलब राजन बेकसूर था! और यह सही बात है, कि उसने मुझ पर नहीं बल्कि तुझ पर वार किया था..! मेरी जान राजन ने नहीं बल्कि तूने ली है..!"

"नहीं सोनी। मैंने तेरी जान नहीं ली। मुझे क्या मालुम था, कि वह मुझ पर दोबारा प्रहार कर देगा..! क्योंकि मैं तो मर चुकी थी..! क्या कोई किसी मरे हुए इंसान को दोबारा मार सकता है...?"

"मैं ये सब नहीं जानती..! मैं तो सिर्फ इतना जानती हूं, कि मेरी मौत का कारण सिर्फ तू है। मैं आज पूरी तरह से उसे अपना बनाना चाहती थी और उसके साथ खुलकर प्यार करना चाहती थी लेकिन मोहब्बत के इतने खूबसूरत लमहों में तूने मेरी जान ले ली..! अगर एक बार मैं अपने राजन के साथ जिस्मानी रिश्ता बना लेती, तो मेरा ये जीवन धन्य हो जाता.! अब मेरी आत्मा न जाने कब तक भटकेगी राजन का प्यार पाने के लिए, उससे ज़िस्म का रिश्ता कायम करने के लिए..!"

"ओह, सॉरी यार..! मगर इस बात को भी जरा तू सोच, कि जिस राजन ने धोखे से मेरी जान ले ली, क्या ऐसे इंसान से तू मोहब्बत कर सकती है..? यार तू सोच भी कैसे सकती है ऐसे इंसान से जिस्मानी रिश्ता बनाने की..? क्या किसी के सपनों का राजकुमार कोई खूनी भी हो सकता है..?"

"हां, हो सकता है..! क्योंकि तू मेरी मोहब्बत की ज़लती थी और तूने मेरे राजन के दिलो-दिमाग पर अपना कब्जा जमा लिया था। तू नहीं चाहती थी कि वो मेरा हो..! सच तो यह है कि अगर तू मेरे रास्ते से न हटती, तो मैं खुद एक दिन तेरा खून कर देती..!"

"उफ्फ..! कैसी बुद्धि है तेरी..! अब तो मैं पछता रही हूँ, कि क्यूं मैंने राजन को चाहा..? वो तेरे लिए ही सही था..! ये कुदरत का खेल भी निराला होता है। जो हरकत उसने मेरे साथ थी, उसकी वही हरकत मेरी मौत का कारण बना..! जबकि यही हरकत अगर वो तेरे साथ करता तो तुझे जन्नत का सुख नसीब होता..! शायद इसी को कहते हैं इंसान की किस्मत..! अगर अच्छी हो तो मौज और बुरी हो तो मौत..!"
" मैं इन बातों को नहीं जानती। मैं तो सिर्फ इतना जानती हूं, कि मेरी मौत का कारण तू है और मैं तुझे कभी माफ नहीं करूंगी..!"

"लेकिन मैं तो तेरे राजन को तड़पाना चाहती हूं और उसका खून पीना चाहती हूं। फिर तेरे संग रंगरेलियां मनाते में कैसे देख सकती थी उसे..?"

"मतलब तूने अपने प्रतिशोध के लिए मेरी खुशी छीन ली..! मेरी प्यास अधूरी रह गई..! दो प्यार करने वाले जब प्यार कर रहे हो, उस वक्त उनको अलग करना कितना बड़ा पाप है, क्या यह बात तुझे नहीं मालूम..?"

"अरे यार, कम से कम इस बात को तो सोच, कि वो एक खूनी है और पुलिस से भागा हुआ है..! और ऐसे इंसान के साथ तू संबंध कैसे जोड़ सकती है..? अगर मैं उसको माफ भी कर दूं, तब भी कानून उसको माफ नहीं करेगा और उसको मौत की सजा मिलेगी..! और क्या तू सोचती है
कि तेरे मां बाप एक खूनी से तेरी शादी करने को राजी होंगे..? इतनी सी बात तुझे समझ में क्यों नहीं आती..?"

"हां, मुझे तेरी बात समझ में नहीं आती। क्योंकि प्यार में कभी कभी इंसान पागल ही होता है। और मैं भी उसके प्यार में पागल थी, और अब भी हूं..! तुझे क्या मालुम, कि आज मैं अपने घर में बिल्कुल अकेली थी और राजन मेरे साथ था और उसको अपना बनाने का बेहतरीन मौका था मेरे पास..!"

"तू तो पागल है और मुझे भी तू पागल कर देगी.."

"सिर्फ एक बार मैं उसको अपना बना लेती। उसके बाद भले ही मुझको उसे छोड़ना पड़ता, मुझे अफसोस न होता। लेकिन अपने इस अतृप्त प्यार के कारण मेरी आत्मा को कभी सुकून नहीं मिलेगा और मैं हमेशा भटकती रहूंगी..!"

"तो ठीक है। मैं कुछ समय के लिए तेरे को ज़िंदा कर देती हूं, क्योंकि तेरा शरीर अभी सही सलामत है। मेरे पास इतनी ताकत है, कि मैं राजन के आसपास के लोगों को भी अपने कंट्रोल में कर सकती हैं। और इसीलिए राजन को भयभीत करने के लिए कुछ समय के लिए मैंने तेरे चेहरे पर अपना मुखौटा लगा लिया था..! और इसी बीच उसने तुझ पर हमला बोल दिया। सोनी, मैं उसको माफ़ नहीं कर सकती और मैं उसे तड़पा तड़पा कर मारूँगी। लेकिन तेरी खुशी के लिए एक दिन के लिए मैं उसे तुझको सौंप रही हूं। अब तू जा अपने शरीर में और जिस तरह भी तेरी आत्मा को संतुष्टि मिले, वही कर। लेकिन सिर्फ सुबह तक का ही तेरे पास समय होगा होगा और उसके बाद राजन सिर्फ मेरा होगा। और हां मरने से पूर्व तुझे इस बात का सबूत देना होगा, कि तेरी हत्या राजन ने ही की है। अगर तुझे मेरी यह शर्त मंजूर है तो मैं अभी तेरी आत्मा को वापस तेरे शरीर में भेज देती हूं..! बोल क्या फैसला है तेरा..?

"मुझे मंजूर है। अपनी मौत से पूर्व मैं अपने राजन के साथ सुहागरात मनाना चाहती हूँ, बस यही मेरी आखिरी ख्वाहिश है। फिर मैं तृप्त हो जाऊंगी और मेरी आत्मा को मुक्ति मिल जाएगी..!"

"Ok, गुड बाय। अब से ठीक एक मिनट बाद तेरी आत्मा तेरे जिस्म में होगी..!" ये कह कर कमला की सूक्ष्म देह अंतरिक्ष मे विलीन हो गई..!
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भाग ~7
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राजन बाथरूम का शीशा तोड़कर घर से भाग तो निकला पर जल्दबाजी में वह अपना फोन तक भूल गया और उसकी जेब में कोई पैसा भी नहीं था। उसके समझ में नहीं आया कि अब वह क्या करें। दरअसल पापा ने जैसे ही उसे बताया कि इंस्पेक्टर आए हैं, तो वो घबरा गया और सोचा कि कहीं इंस्पेक्टर तुरंत आकर उसको पकड़ न ले। इसलिए तुरंत बाथरूम में घुस गया और फिर बिना कुछ सोचे समझे औऱ बिना किसी प्लानिंग के रोशनदान की जाली तोड़कर घर के पिछवाड़े से निकल गया। कोई एक दो किलोमीटर तक वो भागता रहा। तभी सोनी ने उसे यूँ भागते हुए देखा, तो रोक कर उससे पूछिए कहां जा रहा है राजन..? और इस तरह भाग क्यों रहा है..! और कहां जाना है तुझे...?


"अरे यार, वो कमला से मेरा झगड़ा हो गया। इस समय ज़रा जल्दी में हूँ।सारी बातें बाद में बताऊंगा..!"


"ओके, तू मेरी स्कूटी पर बैठ और चल मेरे घर..! फिर वही इत्मीनान से बातें करेंगे..!"


"Ok," राजन ने कहा और सोनी की स्कूटी पर बैठ गया और 15 मिनट में ही उसके घर आ गया।


घर आकर सोनी ने पूछा, "बोल, क्या लेगा..? चाय, काफी या दारू..?"


"मैं बहुत थका हुआ और परेशान हूं इस समय। तू कुछ भी ला दे..!"


"ठीक है। मैं दारू की बोतल और नमकीन लाती हूँ।"


और थोड़ी देर में ही उसके सामने मेज़ पर दारू की बोतल और नमकीन रखी थी।


राजन ने सोनी से पूछा, "घर में कोई है नहीं क्या..?"


"जब तेरे सामने दारू की बोतल रखी है, तो तुझे खुद ही समझ जाना चाहिए, कि घर में कोई नहीं है। पापा मम्मी और मुकुट सब शादी में गए हैं। और कल सुबह आएंगे। मुकुट सोनी का छोटा भाई था।


"थैंक गॉड" राजन ने कहा, और शराब की पूरी बोतल पी गया। फिर बोला, "लेकिन तू क्यों नहीं गई.? या तुझे ले ही नहीं गए..?"


"मैं खुद नहीं गई, क्योंकि शादी गांव में है..! और गांव जाना मेरे बस की बात नहीं..!"


"काश, मैं इस वक्त गांव में होता..!"


"क्यों क्या तुझे गांव की ज़िंदगी पसंद है..?"


"पसंद तो नहीं है डियर मगर तुझ जैसी कोई खूबसूरत लड़की अगर साथ में हो, तब शहर से ज्यादा मजाक गांव में है। क्योंकि गांव मैं कहीं भी खेत खलिहान में घुस जाओ, अरहर का खेत, गन्ने का खेत, या आम की बगिया में कहीं भी छिप जाओ और दिल खोलकर प्यार करो..!"


"क्या बात कही है दोस्त..! वेरी नाइस..!"


"यस फ्रेंड। और दूसरी बात ये, कि शहर में लड़कियों के नखरे भी बहुत होते हैं..!"


"ये बात तो तेरी बिल्कुल गलत है। क्योंकि कमला जैसी गलत लड़कियों का जब साथ पकड़ेगा, तो निराशा तो मिलनी ही है। मैंने तो कितनी बार तुझसे कहा, कि उस भूतनी का साथ छोड़ दे और मेरे साथ आ जा। पर न जाने क्या तुझको कुछ भूतनी में मिल गया, जो हमेशा उसी के आगे पीछे घूमता है। मुझे तो जब पता लगा, कि तू पुरानी हवेली में उस भूतनी के साथ सैर सपाटा करने गया है, तो मेरा खून खोल उठा। क्योंकि उसे छोड़कर अगर मेरे साथ तू होता, तो मैं तुझे जन्नत का सुख देती..!"


"सो ग्रेट यू आर फ्रेंड..! मैं वास्तव में पागल हो गया था, जो उस भूतनी के चक्कर में पड़ा..! आश्चर्य है कि तूने उसे पहले ही पहचान लिया था, पर मैं ही मूर्ख था, जो उसको पहचान न सका और आज उसी भूतनी के कारण यूँ मारा मारा फिर रहा हूं..!"


"कोई बात नहीं दोस्त। अब भी कुछ नहीं बिगड़ा है। उस भूतनी का साथ अब से तू छोड़ दे और मेरी बाहों में आ जा।" सोनी ने ये कहते हुए राजन को अपने बाहुपाश में ले लिया..।


"ओह। कितना फर्क होता है एक जिंदा जिस्म और एक मुर्दा जिस्म में..! वो बिल्कुल मुर्दा थी और ठंडी थी, जबकि तू जिंदा है, और कितनी हॉट है..! एकदम तरोताजा माल ..!" यह कहते हुए राजन ने सोनी के गालों पर चुंबन की झड़ी लगा दी।


"वो मुर्दा थी, पर मैं जिंदा हूं..! वाह..! क्या बात कही है दोस्त..! आज तो तूने मेरा दिल खुश कर दिया..! जिस कमला को मैं फूटी आंख भी न भाती थी, और तू भी उसके आगे हमेशा मेरी अनादर ही करता था, आज मेरे सामने उसको भूतनी कहा..उसको मुर्दा कहा.. और मुझे जिंदा कहा..तरोताजा माल.. कहा। थैंक्स फ्रेंड। कितने दिनों से मैं तेरे प्यार को तरस रही थी..और तू हमेशा मेरे को इग्नोर करता था..लेकिन आज पहली बार तूने मेरी खुलकर तारीफ की है..! चल इसी बात पर बेडरूम में चलते हैं। क्योंकि आज मैं तेरे को इतना प्यार दूंगी, कि आगे से तू कभी उस भूतनी का नाम भी न लेगा..!" सोनी ने खुश होकर कहा और राजन को अपनी बाहों का सहारा देकर अपने बेडरूम में ले आई और पलंग पर औंधे मुंह उसे लिटा दिया।


"मुझे एक पैक और बना दो, आज मैं पीकर मदहोश होना चाहता हूं ", राजन ने कहा


"ऐसा न बोल यार..! पीने को तू एक पैक क्या, पूरी बोतल ही पी ले, मगर मोहब्बत का असली मजा बेहोशी के आलम में नहीं मिलता..! इसलिए होश में तो तुझे रहना ही होगा..! हां , अगर मेरी आंखों की मदिरा में डूब कर तेरे को बेहोश होना है, तो उसकी जरूर इज़ाज़त है..! इतना कहकर सोनी ने उसके सामने ही अपने कपड़ों को बदला और एक पारदर्शी नाइटी गाउन को पहन कर उसके बगल में आकर लेट गई.!


राजन सोनी को अपनी बाहों में भर प्यार करने लगा। सोनी की भी आज पहली बार राजन को अपनी बाहों में लेने की मनोकामना पूरी हुई थी।सोनी राजन के ही क्लास में पढ़ती थी और राजन को चाहती थी। लेकिन राजन उसे इग्नोर करता था, क्योंकि वो कमला पर मरता था।


आज पहली बार यह करिश्मा हुआ, जब उसने कमला को भूतनी कहा जबकि उसकी तारीफ की। और वह भी ऐसे समय में जबकि वह घर पर अकेली थी और उसे एक साथी की तलब थी। राजन की बाहों में आज उसे बहुत सुकून मिल रहा था और राजन बहुत प्यार से अपनी बाहों में लेकर उसके गालों को सहला रहा था और उसके बालों से खेल रहा था। तभी अचानक राजन चींख पड़ा~"कमला तू..? तू यहाँ भी आ गई..!"


"यह क्या कह रहा है..? और क्या बक रहा है तू..?" सोनी अचानक राजन के इस रूप को देख कर सकते में आ गई...! तभी राजन चिल्लाया "लगता है, अभी तू पूरी तरह से मरी नहीं है..! लेकिन मै तुझे जिंदा नहीं छोडूंगा।" और इसके पहले कि सोनी कुछ समझ पाती, कि अचानक वहीं समीप रखें एक हथौड़े को राजन ने उठाया और अपनी पूरी ताकत से उसके सिर पर प्रहार कर दिया। राजन के इस भयंकर प्रहार को सोनी झेल न सकी और वहीं पर ढेर हो गई..!
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