• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Thriller शतरंज की चाल

xforum

Welcome to xforum

Click anywhere to continue browsing...

10,458
43,825
258
नेहा मैडम ने मनीष साहब को पटा कर अपना उल्लू सीधा किया लेकिन आखिर वह , वह लड़की थी जिसने मनीष की वर्जिनिटी तोड़ी । उसे सेक्सुअल सुख का एहसास कराया । और कहते ही हैं कि पहला प्यार और पहला सेक्स सम्बन्ध का एहसास कुछ अलग ही होता है जो भुलाया नही जा सकता ।
नेहा मैडम ने मनीष के साथ डबल गेम्स खेला , इसमे उसका क्या स्वार्थ है पता नही , पर विश्वासघात तो अवश्य ही किया है ।
मनीष साहब ने सारी जीवन पढ़ाई लिखाई और काम काज मे बिताई । शायद यही कारण था कि वह लड़की के आचरण को ठीक तरह से समझ नही पाते है । और अगर इसमे कोई सुधार नही हुआ तो आगे चलकर वो भारी मुसीबत मे पड़ जायेंगे । वह भी तब जब वह एक बड़े व्यापारिक घराने से जुड़े हुए हैं ।
शायद शतरंज की बिसात बिछ गई है । देखते हैं वह अपने राजा की रक्षा कैसे कर पाते है !

खुबसूरत अपडेट रिकी भाई ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट ।
 

parkas

Well-Known Member
30,417
65,667
303
#अपडेट ९


अब तक आपने पढ़ा



"बस मनीष, अब और आगे अभी नहीं, जाओ अब सो जाओ जा कर। गुड नाइट।" और कमरे का दरवाजा बंद कर दिया।


मैं भी कुछ उदास मन से वापस अपने कमरे में आया और कपड़े बदल कर लेट गया। पता नहीं क्यों नींद नहीं आ रही थी। कुछ देर ऐसे ही पड़ा करवट बदलता रहा। मन में बार बार नेहा के साथ हुई बाते चल रही थी। कोई 1 बजे के करीब मुझे ऐसा लगा कि कोई मेरा दरवाजा खटखटा रहा है..


अब आगे -


पर वो खटखटाहट बालकनी के दरवाजे से थी। मैं हाउस गाउन पहन कर बाहर आया, चांदनी रात थी और मौसम भी खुला हुआ था। ठंड भी अच्छी खासी थी, रूम में हीटर होने के कारण इतना पता नहीं लग रहा था। मैने नेहा के कमरे की ओर देखा, वो अपने दरवाजे के बाहर एक वाइट हाउस गाउन में खड़ी थी, और मुझे देखते ही अपनी दाएं हाथ की उंगली से इशारा करते हुए, मुस्कुराती हुई अपने रूम में चली गई।मैं भी मंत्रमुग्ध सा उसके कमरे की ओर खींचा चला गया।


कमरे में कोई लाइट नहीं जल रही थी, कमरे में हल्की-सी रौशनी बिखरी हुई थी, जैसे चाँदनी खिड़की से झाँक रही हो। बेड पर खिड़की से सीधी चंद्रमा की किरणे पड़ रही थी, जिसमें नेहा लेटी हुई थी, शरीर पर एक पतली सी चादर पड़ी थी, और उसका हाउस कोट नीचे जमीन पर पड़ा था। रूम हीटर के कारण कमरे का तापमान सामान्य था।


उस दूधिया रोशनी में चादर के नीचे का बदन पूरा नुमाया हो रहा था, साफ दिख रहा था, स्तनों के निप्पल साफ पता चल रहे थे। एक बार फिर से उसने मुझे अपने पास आने का इशारा किया, मैं भी अपना कोट उतर कर बेड में उसके साथ लेट गया, इस समय मेरे शरीर पर बस एक अंडरवियर थी। बेड पर लेटते ही नेहा ने मेरे सर को पकड़ कर मेरे माथे पर एक चुम्बन दिया।


"सोचा नए साल का कोई तोहफा तुमको दूं, कैसा लगा मेरे भोले बलम?" उसने मेरी आंखों में झांकते हुए कहा।


"बहुत सेक्सी।" ये बोल कर मैने अपने होंठ उसके होंठों की ओर बढ़ा दिए, और एक बार फिर दोनों की जुंबिश शुरू हो गई, इस बार ये कुछ ज्यादा ही जोश भरी थी, दोनों एक दूसरे के होंठ से जैसे चूस कर सारा रस पी जाना चाहते हों। फिर नेहा ने अपनी जीभ मेरे मुंह में घुसा दी, और मैं उसे अपने लबों में भींच कर चूसने लगा। नेहा के हाथ मेरी नंगे सीने पर घूम रहे थे, मेरा या किसी भी लड़की के साथ पहला संसर्ग था इसीलिए मेरे शरीर में एक कंपन सा हो रहा था, मगर ये करना भी अच्छा लग रहा था। नेहा ने मेरे शरीर के कंपन को महसूस करते हुए चुंबन को तोड़ दिया।


"क्या हुआ मनीष?"


"पता नहीं, शरीर में एक झुरझुरी सी हो रही है, और मजा भी आ रहा है।"


ये सुन कर उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपने एक स्तन पर रख दिया, "इसे दबाओ मनीष, और भी अच्छा लगेगा।" बोल कर वो वापस मेरे होंठों से झूझने लगी। और मैं उसके एक स्तन को दबाने लगा, किसी स्पंज की तरह वो लग रहे थे, मगर उनको दबाने में एक अलग ही मजा आ रहा था।


"दूसरे को भी दबाओ न" उसने हौले से होंठों को छोड़ते हुए कहा।


मैंने दूसरे स्तन को भी पकड़ लिया, अब नेहा मेरे गले से होते हुए मेरे सीने की ओर हल्के हल्के चूमते और चाटते हुए बढ़ रही थी, और मेरी उत्तेजना भी बढ़ती जा रही थी, मेरा लिंग अंडरवियर को फाड़ कर बाहर आने को तैयार था, आज तक कभी इतना सख्त उसे महसूस नहीं किया, तभी नेहा ने मेरे एक निप्पल को मुंह में ले कर चूसा और मेरी आह निकल गई। ये देख मेरा मुंह भी खुद से उसके स्तनों की ओर बढ़ चला।


उसके निप्पल अभी एकदम सख्त थे और करीब आधे इंच लंबे, मुंह में लेते ही एक हल्की नमकीन सा स्वाद आया, मजेदार!! उधर नेहा भी बड़े इत्मीनान से अपने स्तनों को मुझे पिला रही थी, उसका एक हाथ मेरी नंगी पीठ को सहला रहा था और एक मेरे बालों को, उसके मुंह से हल्की हल्की करह निकल रही थी।


"ओह माय बॉय मनीष, ऐसे ही चूसो इनको।" उसके ये शब्द मेरे अंदर और जोश भर रहे थे। कोई दस मिनट बाद नेहा ने मुझे अलग किया, मेरा मन तो नहीं था उन उत्तेजक पिंडों को छोड़ने का, लेकिन शायद नेहा का मन भर गया था।


"अब छोड़ो भी इनको, देखो इनसे भी आकर्षक चीज है मेरे पास।" ये बोल कर उसने मुझे लेटा दिया और अपने दोनों पैरों को मेरे दोनों ओर करके उल्टा मेरे सीने पर बैठ गई। उसकी चमकती हुई पीठ अब मेरे सामने थी, जो चांद की दूधिया रोशनी में किसी श्वेत झरने के जैसी लग रही थी। और नीचे उसके दोनों नितंबों की गोलाई एक बार फिर मुझे अपनी ओर खींच रही थी। तभी नेहा थोड़ा उठ कर मेरे चेहरे की ओर आई। इसी कारण अब मुझे उसकी साफ गुलाबी योनि और उसके पीछे हल्के भूरे रंग का छेद दिखाई दिया जो उसके सिंदूरी रंग पर फब रहा था।


मेरे दोनों हाथ खुद ब खुद उसके दोनों नितंबों पर आ गए और मैने उसकी योनि को थोड़ा और फैला दिया। जीवन में कोई लड़की भले ही न आई हो मगर कभी कभी ब्ल्यू फिल्मों का सहारा ले लेता था मैं भी, आखिर इंसान हूं। तो योनि देखी तो थी मगर बस फिल्मों में, आज पहली बार किसी की योनि मेरे सामने थी, उत्तेजना का अलग ही मुकाम आ चुका था मेरे शरीर में।


उधर नेहा ने मेरा अंडरवियर नीचे सरकाते हुए मेरे लिंग को अपनी मुट्ठी में भर लिया और दो बार ऊपर नीचे करते ही मेरा स्खलन हो गया। जिससे मेरा ध्यान थोड़ा भंग हुआ। नेहा ने मूड कर मुझे देखा, और मेरी आंखों में एक शर्मिंदगी आ गई।


जिसे देख नेहा फौरन मेरी ओर मुड़ी और मेरे चेहरे को पकड़ कर मेरे होंठों को चूम कर बोली, "क्या हुआ मेरे भोले बलम?"


"सॉरी नेहा, शायद ये मेरा पहली बार है इसलिए..."


"मेरे भोले बलम, सबसे पहली बात, मुझे इसका अफसोस रहेगा कि मैंने सबसे पहले तुमसे नहीं किसी और से sex किया था। और हमेशा इस बात की खुशी भी रहेगी कि इसके बावजूद तुम मुझे चाहते हो। और ये जो हुआ, वो बस अति उत्तेजना में हुआ। देखो तुम्हारा लिंग अभी भी उत्तेजित ही है। इसलिए सोचना छोड़ो और अपने न्यू ईयर गिफ्ट का मजा लो।" ये बोल कर उसने मेरे होंठों से चूमते हुए वापस मेरे लिंग की ओर चली गई। उसकी बात सुन कर मुझे भी तसल्ली हुई।


एक बार फिर नेहा की योनि मेरी आंखों के सामने थी, जिससे कुछ गीलापन झलक रहा था। उधर नेहा ने मेरे लिंग को चूम कर अपने मुंह में भर लिया और इधर मेरा मुंह अपने आप ही नेहा की योनि से जा लगा। एक खट्टा और नमकीन सा स्वाद आया इस बार, लेकिन फिर से वो बहुत ही मजेदार था, उधर नेहा के मुंह में जाते ही मेरे लिंग का कड़कपन वापस आ गया था। कुछ देर दोनों एक दूसरे का रसपान करते रहे, और फिर हमारे होंठ एक दूसरे से जुड़े थे, इस बार मुझे नेहा के मुंह की मिठास के साथ साथ कुछ मेरा भी स्वाद चखने को मिला, शायद पहले निकले हुए वीर्य भी उसके मुंह में था।


नेहा इस बार खुद पीठ के बल बिस्तर पर लेट गई, और मेरे लिंग को पकड़ कर अपनी योनि पर रगड़ने लगी। "मेरे भोले बलम, मुझे पूरी तरह अपना बना लो अब।"


उसने मेरे लिंग को अपने योनि द्वार पर लगा कर मुझे अंदर डालने का इशारा किया, और मैने धीरे से अपनी कमर को आगे की ओर धकेला। थोड़ा सा अग्र भाग जाते ही मुझे अपने शिश्न पर थोड़ी सी जलन हुई, मगर उत्तेजना में वो सब ज्यादा महसूस नहीं हुआ। थोड़ी सी मेहनत के बाद मैं लगभग पूरी तरह से नेहा के अंदर था। नेहा के चेहरे पर भी थोड़े से दर्द के भाव थे, उसने मुझे रुकने को कहा, पर कुछ देर बाद ही अपने पैरों से अपनी ओर दबाने लगी, ये देख मैं भी धीरे धीरे आगे पीछे होने लगा।


"ओह बलम थोड़ा और तेज।" उसने अपने पैरों का दबाव बनते हुए कहा, और मैं और तेज धक्के लगाने लगा, करीब दस मिनट बाद नेहा कुछ शांत हो गई, शायद वो अपने चरम पर पहुंच गई थी और मुझे फिर एक बार अपने लिंग में उत्तेजना बहती हुई सी लगी और मैं फिर एक बार फिर से स्खलित होने वाला था, शायद नेहा को ये पता चल गया, और वो एकदम से मुझे हल्का धक्का दे कर बाहर निकली, और खुद बैठ कर मेरे लिंग के अपन मुंह में भर ली, कुछ ही सेकंड्स में मैं उसके मुंह में ही स्खलित हो गया, और नेहा ने अच्छी तरह से मुझे साफ कर दिया। और फिर अपनी वहीं में भर कर वो मुझे लेकर लेट गई और हम दोनो एक दूसरे से लिपट कर सो गए।


सुबह फिर एक बार हम लोगों ने sex किया और फिर जल्दी से तैयार हो कर नीचे मीटिंग में पहुंच गए। आज शाम को ही हमको चंडीगढ़ निकलना था जो इस टूर का आखिरी मुकाम था। मीटिंग के बाद हम सीधे चंडीगढ़ के लिए कार से ही निकल गए और देर रात को हम चंडीगढ़ पहुंचे। कल रात के संभोग और आज दिन भर की व्यस्तताओं के कारण हम दोनो अपने अपने कमरे में जा कर सो गए, और अगले दिन भी मीटिंग थी। अगले दिन सुबह की ही फ्लाइट थी वापसी की दिल्ली से, इसीलिए आज मीटिंग खत्म करके हम कार से ही दिल्ली निकल गए। और 3 जनवरी को सुबह 8 बजे हम दोनो वापस वापी में लैंड कर चुके थे।


एयरपोर्ट पर मेरा ड्राइवर मुझे लेने आया हुआ था। मैं नेहा को उसके घर अशोक नगर ड्रॉप करते हुए अपने फ्लैट पर निकल गया। आज ऑफिस जाने का मूड तो नहीं था, पर टूर की डिटेल मित्तल सर को देना जरूरी था इसीलिए हम दोनो ने 11 बजे ऑफिस जाना तय किया। फ्रेश हो कर मैं वापस नेहा को पिकअप करके ऑफिस पहुंचा।


शिमला की रात के बाद अभी तक हो हम दोनो को कोई भी लम्हा अकेले में नहीं मिला था। ऑफिस में हमको पहले अपने फ्लोर पर जाना था जो सबसे ऊपर था, और लिफ्ट में हम दोनों अकेले थे। जैसे ही लिफ्ट का दरवाजा बंद हुआ, मैने नेहा को अपनी ओर घुमा कर उसके होंठों का रसपान करने लगा। 2 मिनिट नेहा भौचक्की सी रही, फिर मुझसे अपने को छुड़ा कर बोली, "मनीष, हम अभी ऑफिस में है। किसी फ्लोर पर लिफ्ट रुक जाती तो?"


"सॉरी यार, मुझसे कंट्रोल नहीं हुआ।"


वो मुस्कुराते हुए, "ये अच्छी बात नहीं मनीष। थोड़ा कंट्रोल करो खुद पर।"


तब तक हमारा फ्लोर आ गया, और हम संयत हो कर बहत निकल गए। मैं सीधा अपने केबिन में चला गया और पूरे टूर की एक डिटेल रिपोर्ट जो लगभग बनी ही थी, उसे देखने लगा। सब दुरुस्त पा कर मैं नेहा को लेकर मित्तल सर के केबिन में जाकर उनको रिपोर्ट दे दी।


"तो कैसा लगा लोगों से मिल कर?"


"बढ़िया, लगता है जल्दी ही कई जगह ऐसी ब्रांच खोलनी पड़ेगी। वैसे बाकी लोग का क्या खयाल है?"


"लगभग सब लोग आ ही गए हैं, और आज या कल तक उनकी रिपोर्ट भी आ जाएगी। फिर हम सब एक साथ बैठ कर इसको डिसकस करते हैं।"


"जी सर।"


"और नेहा, दिल्ली में तो तुमसे ज्यादा बात हो नहीं पाई। कैसा रहा तुम्हारा टूर?"


"जी बहुत अच्छा रहा सर, और वैसे भी मेरे साथ मनीष सर थे तो ज्यादा दिक्कत नहीं हुई मुझे।"


"चलो फिर, एक मीटिंग और रखते हैं कल या परसों में। मनीष, तुम जरा रुको, एक बात करनी है।"


ये सुन कर नेहा वहां से चली गई।


"मनीष, वो वाल्ट वाली बात लगभग फाइनल होने पर है, पर अब तुमको उस प्रोजेक्ट पर लगना पड़ेगा पूरी तरह से।"


"जी सर, जब आप कहें। मेरे दिमाग में लगभग पूरी प्लानिंग है, बस ब्लू प्रिंट बना कर एक्सपर्ट्स से सलाह लेनी है उस पर। बस आप हां कहें तो मैं उस पर काम शुरू करूं।"


"बस 5 6 दिन में कंफर्म हो जायेगा।" ये बोल कर उन्होंने एक फाइल उठा ली और उसे पढ़ने लगे। ये उनका इशारा था कि उनकी बात खत्म हो गई।


मैं उठ कर अपने केबिन में वापस आया। दरवाजा खोल कर जैसे ही मैं अपने चेयर की ओर बढ़ा, किसी ने मेरा हाथ पकड़ लिया। ये नेहा थी। मेरे पलटते ही उसने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए। हम दोनो के बीच एक पैशनेट किस चालू हो गई। कोई पांच मिनट बाद हम अलग हुए।


"अब ऑफिस का ध्यान नहीं रहा तुमको?" मैने अपनी आंख नाचते हुए कहा।


"मेरे भोले बलम, लिफ्ट और केबिन में अंतर है कि नहीं?"


"और कोई अंदर आ जाता तो?"


"बिना नॉक किए किसको आने की इजाजत है?"


"हां यार! ये तो मुझे याद ही नहीं रहा?" ये बोल कर मेरी हंसी छूट गई, और नेहा भी हंस दी मेरे साथ।


तभी केबिन का दरवाजा नॉक हुआ। हम दोनो अभी अलग ही थे तो मैने आने वाले को इजाजत दे दी। ये शिविका थी। उसको आता देख नेहा चली गई।


"कैसे हो मनीष? कब आए?"


"बस आज सुबह ही, मैं अच्छा हूं तुम बताओ, कैसा रहा तुम्हारा टूर?"


"मेरा टूर भी अच्छा था,काफी अच्छा रिस्पॉन्स दिखा लोगों का। मुझे न तुम्हारी हेल्प चाहिए रिपोर्ट बनाने में।"


"हां बिल्कुल, आओ बैठो।"


फिर अगले दो ढाई घंटे हम दोनो उसकी रिपोर्ट पर काम करते रहे।इस पूरे समय शिविका पूरी गंभीरता से बैठी रही। लेकिन जैसे ही उसका काम खत्म हुआ, उसकी चंचलता वापस आ गई।


"तो और बताओ, हनीमून अच्छे से मनाया ना?"


ऐसे अचानक से उसके ये कहने पर मुझे थोड़ी घबराहट हो गई, "क क कैसा हनीमून?"


"हाहाहा।" वो मुझे देख बेतहाशा हंसने लगी। "तुम तो ऐसे घबरा गए जैसे सच में हनीमून मना लिया तुमने। हाहाहा।"


"तो तुम ऐसे पूछोगी तो घबराहट नहीं होगी क्या?"


"अच्छा यार सॉरी। वैसे मुझे पता है कि तुम काम के लिए कितना सीरियस हो। पर फिर भी कभी कभी थोड़ी मस्ती कर लेनी चाहिए। और वैसे भी इतनी खूबसूरत लड़की और इतना हसीन मौसम..."


"तुम फिर शुरू हो गई?"इस बार मैने थोड़ा गुस्से से कहा।


"ओके सॉरी यार।" उसने मेरा हाथ पकड़ कर कहा। "वैसे एक बात कहनी थी तुमसे।"


"बोलो।"


"थोड़ी बहुत मस्ती चलती है, पर मनीष, जब कभी किसी के साथ सच में रिलेशनशिप में आने का सोचो तो एक बार मुझे बता देना।" ये बोल कर वो उठ कर चली गई, और मैं उसे जाता देखता रहा। शिविका कब सीरियस है और कब मजाक कर रही, ये मुझे बहुत बार पता ही नहीं चलता था। अभी वो क्या कह कर गई, मुझे कुछ समझ नही आया था।शाम को मैं घर चला गया, नेहा को आज ऑफिस में कुछ काम था तो वो देर से गई।


अगले दिन मित्तल सर ने मीटिंग कॉल की, और वहां पर सारी टीम एक बार और इकट्ठी हुई। ऑटोमेटेड ब्रांचेस को बढ़ाने का निर्णय हुआ, जैसा मुझे भी लगा ही था पहले। इस काम को फिलहाल 2 फेस में करने का निर्णय लिया गया, पहले सारी राजधानियों में और उनकी सफलता पर बाकी के शहरों में।


मुझे ही इसके जिम्मेदारी मिली, लेकिन साथ में करण और नेहा भी थे। साथ साथ मित्तल सर ने वाल्ट वाले प्रोपोजल को भी पूरी टीम को बताया, जिसे सुन कर सब बहुत खुश हुए। मित्तल सर ने नेहा को खास कर कहा कि अगर जो वाल्ट वाला प्रोपोजल सरकार ने मंजूर कर लिया तो ऑटोमेटेड ब्रांच वाले प्रोजेक्ट को कुछ दिन उसे अकेले देखना पड़ेगा, क्योंकि मैं और करण उसके लिए व्यस्त हो जाएंगे।


अगले कुछ दिनों तक हम लोग ब्रांचेस बढ़ाने की प्लानिंग में लगे रहे। इस बीच हमें फिर से अकेले में मिलने का समय नहीं मिला, लेकिन चोरी छुपे हमारा रोमांस जारी था, कभी मेरे केबिन में, कभी उसके केबिन में।


ऐसे ही एक दिन दोपहर के समय मैं उसके केबिन में चला गया, वो खिड़की के पास खड़ी फोन पर किसी से बात कर रही थी, उसकी आवाज बहुत धीमी थी, मुझे साफ से सुनाई नहीं दिया।


".... हां वो तो पागल हो गया है पूरा।"


"......"


"बस जल्दी ही एक बार और करना है।"


"....."


तब तक मैने पीछे से उसे अपनी बाहों में भर लिया।



उसने मुझे देखा, उसके चेहरे पर कुछ घबराहट थी.....
Bahut hi badhiya update diya hai Riky007 bhai....
Nice and beautiful update....
 

Rekha rani

Well-Known Member
2,542
10,769
159

#अपडेट ९


अब तक आपने पढ़ा



"बस मनीष, अब और आगे अभी नहीं, जाओ अब सो जाओ जा कर। गुड नाइट।" और कमरे का दरवाजा बंद कर दिया।


मैं भी कुछ उदास मन से वापस अपने कमरे में आया और कपड़े बदल कर लेट गया। पता नहीं क्यों नींद नहीं आ रही थी। कुछ देर ऐसे ही पड़ा करवट बदलता रहा। मन में बार बार नेहा के साथ हुई बाते चल रही थी। कोई 1 बजे के करीब मुझे ऐसा लगा कि कोई मेरा दरवाजा खटखटा रहा है..


अब आगे -


पर वो खटखटाहट बालकनी के दरवाजे से थी। मैं हाउस गाउन पहन कर बाहर आया, चांदनी रात थी और मौसम भी खुला हुआ था। ठंड भी अच्छी खासी थी, रूम में हीटर होने के कारण इतना पता नहीं लग रहा था। मैने नेहा के कमरे की ओर देखा, वो अपने दरवाजे के बाहर एक वाइट हाउस गाउन में खड़ी थी, और मुझे देखते ही अपनी दाएं हाथ की उंगली से इशारा करते हुए, मुस्कुराती हुई अपने रूम में चली गई।मैं भी मंत्रमुग्ध सा उसके कमरे की ओर खींचा चला गया।


कमरे में कोई लाइट नहीं जल रही थी, कमरे में हल्की-सी रौशनी बिखरी हुई थी, जैसे चाँदनी खिड़की से झाँक रही हो। बेड पर खिड़की से सीधी चंद्रमा की किरणे पड़ रही थी, जिसमें नेहा लेटी हुई थी, शरीर पर एक पतली सी चादर पड़ी थी, और उसका हाउस कोट नीचे जमीन पर पड़ा था। रूम हीटर के कारण कमरे का तापमान सामान्य था।


उस दूधिया रोशनी में चादर के नीचे का बदन पूरा नुमाया हो रहा था, साफ दिख रहा था, स्तनों के निप्पल साफ पता चल रहे थे। एक बार फिर से उसने मुझे अपने पास आने का इशारा किया, मैं भी अपना कोट उतर कर बेड में उसके साथ लेट गया, इस समय मेरे शरीर पर बस एक अंडरवियर थी। बेड पर लेटते ही नेहा ने मेरे सर को पकड़ कर मेरे माथे पर एक चुम्बन दिया।


"सोचा नए साल का कोई तोहफा तुमको दूं, कैसा लगा मेरे भोले बलम?" उसने मेरी आंखों में झांकते हुए कहा।


"बहुत सेक्सी।" ये बोल कर मैने अपने होंठ उसके होंठों की ओर बढ़ा दिए, और एक बार फिर दोनों की जुंबिश शुरू हो गई, इस बार ये कुछ ज्यादा ही जोश भरी थी, दोनों एक दूसरे के होंठ से जैसे चूस कर सारा रस पी जाना चाहते हों। फिर नेहा ने अपनी जीभ मेरे मुंह में घुसा दी, और मैं उसे अपने लबों में भींच कर चूसने लगा। नेहा के हाथ मेरी नंगे सीने पर घूम रहे थे, मेरा या किसी भी लड़की के साथ पहला संसर्ग था इसीलिए मेरे शरीर में एक कंपन सा हो रहा था, मगर ये करना भी अच्छा लग रहा था। नेहा ने मेरे शरीर के कंपन को महसूस करते हुए चुंबन को तोड़ दिया।


"क्या हुआ मनीष?"


"पता नहीं, शरीर में एक झुरझुरी सी हो रही है, और मजा भी आ रहा है।"


ये सुन कर उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपने एक स्तन पर रख दिया, "इसे दबाओ मनीष, और भी अच्छा लगेगा।" बोल कर वो वापस मेरे होंठों से झूझने लगी। और मैं उसके एक स्तन को दबाने लगा, किसी स्पंज की तरह वो लग रहे थे, मगर उनको दबाने में एक अलग ही मजा आ रहा था।


"दूसरे को भी दबाओ न" उसने हौले से होंठों को छोड़ते हुए कहा।


मैंने दूसरे स्तन को भी पकड़ लिया, अब नेहा मेरे गले से होते हुए मेरे सीने की ओर हल्के हल्के चूमते और चाटते हुए बढ़ रही थी, और मेरी उत्तेजना भी बढ़ती जा रही थी, मेरा लिंग अंडरवियर को फाड़ कर बाहर आने को तैयार था, आज तक कभी इतना सख्त उसे महसूस नहीं किया, तभी नेहा ने मेरे एक निप्पल को मुंह में ले कर चूसा और मेरी आह निकल गई। ये देख मेरा मुंह भी खुद से उसके स्तनों की ओर बढ़ चला।


उसके निप्पल अभी एकदम सख्त थे और करीब आधे इंच लंबे, मुंह में लेते ही एक हल्की नमकीन सा स्वाद आया, मजेदार!! उधर नेहा भी बड़े इत्मीनान से अपने स्तनों को मुझे पिला रही थी, उसका एक हाथ मेरी नंगी पीठ को सहला रहा था और एक मेरे बालों को, उसके मुंह से हल्की हल्की करह निकल रही थी।


"ओह माय बॉय मनीष, ऐसे ही चूसो इनको।" उसके ये शब्द मेरे अंदर और जोश भर रहे थे। कोई दस मिनट बाद नेहा ने मुझे अलग किया, मेरा मन तो नहीं था उन उत्तेजक पिंडों को छोड़ने का, लेकिन शायद नेहा का मन भर गया था।


"अब छोड़ो भी इनको, देखो इनसे भी आकर्षक चीज है मेरे पास।" ये बोल कर उसने मुझे लेटा दिया और अपने दोनों पैरों को मेरे दोनों ओर करके उल्टा मेरे सीने पर बैठ गई। उसकी चमकती हुई पीठ अब मेरे सामने थी, जो चांद की दूधिया रोशनी में किसी श्वेत झरने के जैसी लग रही थी। और नीचे उसके दोनों नितंबों की गोलाई एक बार फिर मुझे अपनी ओर खींच रही थी। तभी नेहा थोड़ा उठ कर मेरे चेहरे की ओर आई। इसी कारण अब मुझे उसकी साफ गुलाबी योनि और उसके पीछे हल्के भूरे रंग का छेद दिखाई दिया जो उसके सिंदूरी रंग पर फब रहा था।


मेरे दोनों हाथ खुद ब खुद उसके दोनों नितंबों पर आ गए और मैने उसकी योनि को थोड़ा और फैला दिया। जीवन में कोई लड़की भले ही न आई हो मगर कभी कभी ब्ल्यू फिल्मों का सहारा ले लेता था मैं भी, आखिर इंसान हूं। तो योनि देखी तो थी मगर बस फिल्मों में, आज पहली बार किसी की योनि मेरे सामने थी, उत्तेजना का अलग ही मुकाम आ चुका था मेरे शरीर में।


उधर नेहा ने मेरा अंडरवियर नीचे सरकाते हुए मेरे लिंग को अपनी मुट्ठी में भर लिया और दो बार ऊपर नीचे करते ही मेरा स्खलन हो गया। जिससे मेरा ध्यान थोड़ा भंग हुआ। नेहा ने मूड कर मुझे देखा, और मेरी आंखों में एक शर्मिंदगी आ गई।


जिसे देख नेहा फौरन मेरी ओर मुड़ी और मेरे चेहरे को पकड़ कर मेरे होंठों को चूम कर बोली, "क्या हुआ मेरे भोले बलम?"


"सॉरी नेहा, शायद ये मेरा पहली बार है इसलिए..."


"मेरे भोले बलम, सबसे पहली बात, मुझे इसका अफसोस रहेगा कि मैंने सबसे पहले तुमसे नहीं किसी और से sex किया था। और हमेशा इस बात की खुशी भी रहेगी कि इसके बावजूद तुम मुझे चाहते हो। और ये जो हुआ, वो बस अति उत्तेजना में हुआ। देखो तुम्हारा लिंग अभी भी उत्तेजित ही है। इसलिए सोचना छोड़ो और अपने न्यू ईयर गिफ्ट का मजा लो।" ये बोल कर उसने मेरे होंठों से चूमते हुए वापस मेरे लिंग की ओर चली गई। उसकी बात सुन कर मुझे भी तसल्ली हुई।


एक बार फिर नेहा की योनि मेरी आंखों के सामने थी, जिससे कुछ गीलापन झलक रहा था। उधर नेहा ने मेरे लिंग को चूम कर अपने मुंह में भर लिया और इधर मेरा मुंह अपने आप ही नेहा की योनि से जा लगा। एक खट्टा और नमकीन सा स्वाद आया इस बार, लेकिन फिर से वो बहुत ही मजेदार था, उधर नेहा के मुंह में जाते ही मेरे लिंग का कड़कपन वापस आ गया था। कुछ देर दोनों एक दूसरे का रसपान करते रहे, और फिर हमारे होंठ एक दूसरे से जुड़े थे, इस बार मुझे नेहा के मुंह की मिठास के साथ साथ कुछ मेरा भी स्वाद चखने को मिला, शायद पहले निकले हुए वीर्य भी उसके मुंह में था।


नेहा इस बार खुद पीठ के बल बिस्तर पर लेट गई, और मेरे लिंग को पकड़ कर अपनी योनि पर रगड़ने लगी। "मेरे भोले बलम, मुझे पूरी तरह अपना बना लो अब।"


उसने मेरे लिंग को अपने योनि द्वार पर लगा कर मुझे अंदर डालने का इशारा किया, और मैने धीरे से अपनी कमर को आगे की ओर धकेला। थोड़ा सा अग्र भाग जाते ही मुझे अपने शिश्न पर थोड़ी सी जलन हुई, मगर उत्तेजना में वो सब ज्यादा महसूस नहीं हुआ। थोड़ी सी मेहनत के बाद मैं लगभग पूरी तरह से नेहा के अंदर था। नेहा के चेहरे पर भी थोड़े से दर्द के भाव थे, उसने मुझे रुकने को कहा, पर कुछ देर बाद ही अपने पैरों से अपनी ओर दबाने लगी, ये देख मैं भी धीरे धीरे आगे पीछे होने लगा।


"ओह बलम थोड़ा और तेज।" उसने अपने पैरों का दबाव बनते हुए कहा, और मैं और तेज धक्के लगाने लगा, करीब दस मिनट बाद नेहा कुछ शांत हो गई, शायद वो अपने चरम पर पहुंच गई थी और मुझे फिर एक बार अपने लिंग में उत्तेजना बहती हुई सी लगी और मैं फिर एक बार फिर से स्खलित होने वाला था, शायद नेहा को ये पता चल गया, और वो एकदम से मुझे हल्का धक्का दे कर बाहर निकली, और खुद बैठ कर मेरे लिंग के अपन मुंह में भर ली, कुछ ही सेकंड्स में मैं उसके मुंह में ही स्खलित हो गया, और नेहा ने अच्छी तरह से मुझे साफ कर दिया। और फिर अपनी वहीं में भर कर वो मुझे लेकर लेट गई और हम दोनो एक दूसरे से लिपट कर सो गए।


सुबह फिर एक बार हम लोगों ने sex किया और फिर जल्दी से तैयार हो कर नीचे मीटिंग में पहुंच गए। आज शाम को ही हमको चंडीगढ़ निकलना था जो इस टूर का आखिरी मुकाम था। मीटिंग के बाद हम सीधे चंडीगढ़ के लिए कार से ही निकल गए और देर रात को हम चंडीगढ़ पहुंचे। कल रात के संभोग और आज दिन भर की व्यस्तताओं के कारण हम दोनो अपने अपने कमरे में जा कर सो गए, और अगले दिन भी मीटिंग थी। अगले दिन सुबह की ही फ्लाइट थी वापसी की दिल्ली से, इसीलिए आज मीटिंग खत्म करके हम कार से ही दिल्ली निकल गए। और 3 जनवरी को सुबह 8 बजे हम दोनो वापस वापी में लैंड कर चुके थे।


एयरपोर्ट पर मेरा ड्राइवर मुझे लेने आया हुआ था। मैं नेहा को उसके घर अशोक नगर ड्रॉप करते हुए अपने फ्लैट पर निकल गया। आज ऑफिस जाने का मूड तो नहीं था, पर टूर की डिटेल मित्तल सर को देना जरूरी था इसीलिए हम दोनो ने 11 बजे ऑफिस जाना तय किया। फ्रेश हो कर मैं वापस नेहा को पिकअप करके ऑफिस पहुंचा।


शिमला की रात के बाद अभी तक हो हम दोनो को कोई भी लम्हा अकेले में नहीं मिला था। ऑफिस में हमको पहले अपने फ्लोर पर जाना था जो सबसे ऊपर था, और लिफ्ट में हम दोनों अकेले थे। जैसे ही लिफ्ट का दरवाजा बंद हुआ, मैने नेहा को अपनी ओर घुमा कर उसके होंठों का रसपान करने लगा। 2 मिनिट नेहा भौचक्की सी रही, फिर मुझसे अपने को छुड़ा कर बोली, "मनीष, हम अभी ऑफिस में है। किसी फ्लोर पर लिफ्ट रुक जाती तो?"


"सॉरी यार, मुझसे कंट्रोल नहीं हुआ।"


वो मुस्कुराते हुए, "ये अच्छी बात नहीं मनीष। थोड़ा कंट्रोल करो खुद पर।"


तब तक हमारा फ्लोर आ गया, और हम संयत हो कर बहत निकल गए। मैं सीधा अपने केबिन में चला गया और पूरे टूर की एक डिटेल रिपोर्ट जो लगभग बनी ही थी, उसे देखने लगा। सब दुरुस्त पा कर मैं नेहा को लेकर मित्तल सर के केबिन में जाकर उनको रिपोर्ट दे दी।


"तो कैसा लगा लोगों से मिल कर?"


"बढ़िया, लगता है जल्दी ही कई जगह ऐसी ब्रांच खोलनी पड़ेगी। वैसे बाकी लोग का क्या खयाल है?"


"लगभग सब लोग आ ही गए हैं, और आज या कल तक उनकी रिपोर्ट भी आ जाएगी। फिर हम सब एक साथ बैठ कर इसको डिसकस करते हैं।"


"जी सर।"


"और नेहा, दिल्ली में तो तुमसे ज्यादा बात हो नहीं पाई। कैसा रहा तुम्हारा टूर?"


"जी बहुत अच्छा रहा सर, और वैसे भी मेरे साथ मनीष सर थे तो ज्यादा दिक्कत नहीं हुई मुझे।"


"चलो फिर, एक मीटिंग और रखते हैं कल या परसों में। मनीष, तुम जरा रुको, एक बात करनी है।"


ये सुन कर नेहा वहां से चली गई।


"मनीष, वो वाल्ट वाली बात लगभग फाइनल होने पर है, पर अब तुमको उस प्रोजेक्ट पर लगना पड़ेगा पूरी तरह से।"


"जी सर, जब आप कहें। मेरे दिमाग में लगभग पूरी प्लानिंग है, बस ब्लू प्रिंट बना कर एक्सपर्ट्स से सलाह लेनी है उस पर। बस आप हां कहें तो मैं उस पर काम शुरू करूं।"


"बस 5 6 दिन में कंफर्म हो जायेगा।" ये बोल कर उन्होंने एक फाइल उठा ली और उसे पढ़ने लगे। ये उनका इशारा था कि उनकी बात खत्म हो गई।


मैं उठ कर अपने केबिन में वापस आया। दरवाजा खोल कर जैसे ही मैं अपने चेयर की ओर बढ़ा, किसी ने मेरा हाथ पकड़ लिया। ये नेहा थी। मेरे पलटते ही उसने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए। हम दोनो के बीच एक पैशनेट किस चालू हो गई। कोई पांच मिनट बाद हम अलग हुए।


"अब ऑफिस का ध्यान नहीं रहा तुमको?" मैने अपनी आंख नाचते हुए कहा।


"मेरे भोले बलम, लिफ्ट और केबिन में अंतर है कि नहीं?"


"और कोई अंदर आ जाता तो?"


"बिना नॉक किए किसको आने की इजाजत है?"


"हां यार! ये तो मुझे याद ही नहीं रहा?" ये बोल कर मेरी हंसी छूट गई, और नेहा भी हंस दी मेरे साथ।


तभी केबिन का दरवाजा नॉक हुआ। हम दोनो अभी अलग ही थे तो मैने आने वाले को इजाजत दे दी। ये शिविका थी। उसको आता देख नेहा चली गई।


"कैसे हो मनीष? कब आए?"


"बस आज सुबह ही, मैं अच्छा हूं तुम बताओ, कैसा रहा तुम्हारा टूर?"


"मेरा टूर भी अच्छा था,काफी अच्छा रिस्पॉन्स दिखा लोगों का। मुझे न तुम्हारी हेल्प चाहिए रिपोर्ट बनाने में।"


"हां बिल्कुल, आओ बैठो।"


फिर अगले दो ढाई घंटे हम दोनो उसकी रिपोर्ट पर काम करते रहे।इस पूरे समय शिविका पूरी गंभीरता से बैठी रही। लेकिन जैसे ही उसका काम खत्म हुआ, उसकी चंचलता वापस आ गई।


"तो और बताओ, हनीमून अच्छे से मनाया ना?"


ऐसे अचानक से उसके ये कहने पर मुझे थोड़ी घबराहट हो गई, "क क कैसा हनीमून?"


"हाहाहा।" वो मुझे देख बेतहाशा हंसने लगी। "तुम तो ऐसे घबरा गए जैसे सच में हनीमून मना लिया तुमने। हाहाहा।"


"तो तुम ऐसे पूछोगी तो घबराहट नहीं होगी क्या?"


"अच्छा यार सॉरी। वैसे मुझे पता है कि तुम काम के लिए कितना सीरियस हो। पर फिर भी कभी कभी थोड़ी मस्ती कर लेनी चाहिए। और वैसे भी इतनी खूबसूरत लड़की और इतना हसीन मौसम..."


"तुम फिर शुरू हो गई?"इस बार मैने थोड़ा गुस्से से कहा।


"ओके सॉरी यार।" उसने मेरा हाथ पकड़ कर कहा। "वैसे एक बात कहनी थी तुमसे।"


"बोलो।"


"थोड़ी बहुत मस्ती चलती है, पर मनीष, जब कभी किसी के साथ सच में रिलेशनशिप में आने का सोचो तो एक बार मुझे बता देना।" ये बोल कर वो उठ कर चली गई, और मैं उसे जाता देखता रहा। शिविका कब सीरियस है और कब मजाक कर रही, ये मुझे बहुत बार पता ही नहीं चलता था। अभी वो क्या कह कर गई, मुझे कुछ समझ नही आया था।शाम को मैं घर चला गया, नेहा को आज ऑफिस में कुछ काम था तो वो देर से गई।


अगले दिन मित्तल सर ने मीटिंग कॉल की, और वहां पर सारी टीम एक बार और इकट्ठी हुई। ऑटोमेटेड ब्रांचेस को बढ़ाने का निर्णय हुआ, जैसा मुझे भी लगा ही था पहले। इस काम को फिलहाल 2 फेस में करने का निर्णय लिया गया, पहले सारी राजधानियों में और उनकी सफलता पर बाकी के शहरों में।


मुझे ही इसके जिम्मेदारी मिली, लेकिन साथ में करण और नेहा भी थे। साथ साथ मित्तल सर ने वाल्ट वाले प्रोपोजल को भी पूरी टीम को बताया, जिसे सुन कर सब बहुत खुश हुए। मित्तल सर ने नेहा को खास कर कहा कि अगर जो वाल्ट वाला प्रोपोजल सरकार ने मंजूर कर लिया तो ऑटोमेटेड ब्रांच वाले प्रोजेक्ट को कुछ दिन उसे अकेले देखना पड़ेगा, क्योंकि मैं और करण उसके लिए व्यस्त हो जाएंगे।


अगले कुछ दिनों तक हम लोग ब्रांचेस बढ़ाने की प्लानिंग में लगे रहे। इस बीच हमें फिर से अकेले में मिलने का समय नहीं मिला, लेकिन चोरी छुपे हमारा रोमांस जारी था, कभी मेरे केबिन में, कभी उसके केबिन में।


ऐसे ही एक दिन दोपहर के समय मैं उसके केबिन में चला गया, वो खिड़की के पास खड़ी फोन पर किसी से बात कर रही थी, उसकी आवाज बहुत धीमी थी, मुझे साफ से सुनाई नहीं दिया।


".... हां वो तो पागल हो गया है पूरा।"


"......"


"बस जल्दी ही एक बार और करना है।"


"....."


तब तक मैने पीछे से उसे अपनी बाहों में भर लिया।


उसने मुझे देखा, उसके चेहरे पर कुछ घबराहट थी.....
Awesome update
Neha ne new year par Manish ko uske first' sex ka tohfa diya aur as mature partener ke tour par sab sambhala
Neha ne Manish jaise first timer ko sex ka mja diya hai uska lattu hona Lajmi hai
Pahli bar me hi usko blow job both type sex aur cum in mouth sabka experience de diya
Is sex ko padhkr hi Neha par doubt hone laga tha joki update ke end me aur bad gya ki sab sochi samjhi chal hai Manish ke liye
Vaise shivika ko shayad kuchh andesha hai aur isliye usne Manish ko bola hai ki agar aisa koi decision le to usse jrur oncern kre
Waiting for next update as soon as possible
 
Last edited:

dhparikh

Well-Known Member
11,557
13,183
228
#अपडेट ९


अब तक आपने पढ़ा



"बस मनीष, अब और आगे अभी नहीं, जाओ अब सो जाओ जा कर। गुड नाइट।" और कमरे का दरवाजा बंद कर दिया।


मैं भी कुछ उदास मन से वापस अपने कमरे में आया और कपड़े बदल कर लेट गया। पता नहीं क्यों नींद नहीं आ रही थी। कुछ देर ऐसे ही पड़ा करवट बदलता रहा। मन में बार बार नेहा के साथ हुई बाते चल रही थी। कोई 1 बजे के करीब मुझे ऐसा लगा कि कोई मेरा दरवाजा खटखटा रहा है..


अब आगे -


पर वो खटखटाहट बालकनी के दरवाजे से थी। मैं हाउस गाउन पहन कर बाहर आया, चांदनी रात थी और मौसम भी खुला हुआ था। ठंड भी अच्छी खासी थी, रूम में हीटर होने के कारण इतना पता नहीं लग रहा था। मैने नेहा के कमरे की ओर देखा, वो अपने दरवाजे के बाहर एक वाइट हाउस गाउन में खड़ी थी, और मुझे देखते ही अपनी दाएं हाथ की उंगली से इशारा करते हुए, मुस्कुराती हुई अपने रूम में चली गई।मैं भी मंत्रमुग्ध सा उसके कमरे की ओर खींचा चला गया।


कमरे में कोई लाइट नहीं जल रही थी, कमरे में हल्की-सी रौशनी बिखरी हुई थी, जैसे चाँदनी खिड़की से झाँक रही हो। बेड पर खिड़की से सीधी चंद्रमा की किरणे पड़ रही थी, जिसमें नेहा लेटी हुई थी, शरीर पर एक पतली सी चादर पड़ी थी, और उसका हाउस कोट नीचे जमीन पर पड़ा था। रूम हीटर के कारण कमरे का तापमान सामान्य था।


उस दूधिया रोशनी में चादर के नीचे का बदन पूरा नुमाया हो रहा था, साफ दिख रहा था, स्तनों के निप्पल साफ पता चल रहे थे। एक बार फिर से उसने मुझे अपने पास आने का इशारा किया, मैं भी अपना कोट उतर कर बेड में उसके साथ लेट गया, इस समय मेरे शरीर पर बस एक अंडरवियर थी। बेड पर लेटते ही नेहा ने मेरे सर को पकड़ कर मेरे माथे पर एक चुम्बन दिया।


"सोचा नए साल का कोई तोहफा तुमको दूं, कैसा लगा मेरे भोले बलम?" उसने मेरी आंखों में झांकते हुए कहा।


"बहुत सेक्सी।" ये बोल कर मैने अपने होंठ उसके होंठों की ओर बढ़ा दिए, और एक बार फिर दोनों की जुंबिश शुरू हो गई, इस बार ये कुछ ज्यादा ही जोश भरी थी, दोनों एक दूसरे के होंठ से जैसे चूस कर सारा रस पी जाना चाहते हों। फिर नेहा ने अपनी जीभ मेरे मुंह में घुसा दी, और मैं उसे अपने लबों में भींच कर चूसने लगा। नेहा के हाथ मेरी नंगे सीने पर घूम रहे थे, मेरा या किसी भी लड़की के साथ पहला संसर्ग था इसीलिए मेरे शरीर में एक कंपन सा हो रहा था, मगर ये करना भी अच्छा लग रहा था। नेहा ने मेरे शरीर के कंपन को महसूस करते हुए चुंबन को तोड़ दिया।


"क्या हुआ मनीष?"


"पता नहीं, शरीर में एक झुरझुरी सी हो रही है, और मजा भी आ रहा है।"


ये सुन कर उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपने एक स्तन पर रख दिया, "इसे दबाओ मनीष, और भी अच्छा लगेगा।" बोल कर वो वापस मेरे होंठों से झूझने लगी। और मैं उसके एक स्तन को दबाने लगा, किसी स्पंज की तरह वो लग रहे थे, मगर उनको दबाने में एक अलग ही मजा आ रहा था।


"दूसरे को भी दबाओ न" उसने हौले से होंठों को छोड़ते हुए कहा।


मैंने दूसरे स्तन को भी पकड़ लिया, अब नेहा मेरे गले से होते हुए मेरे सीने की ओर हल्के हल्के चूमते और चाटते हुए बढ़ रही थी, और मेरी उत्तेजना भी बढ़ती जा रही थी, मेरा लिंग अंडरवियर को फाड़ कर बाहर आने को तैयार था, आज तक कभी इतना सख्त उसे महसूस नहीं किया, तभी नेहा ने मेरे एक निप्पल को मुंह में ले कर चूसा और मेरी आह निकल गई। ये देख मेरा मुंह भी खुद से उसके स्तनों की ओर बढ़ चला।


उसके निप्पल अभी एकदम सख्त थे और करीब आधे इंच लंबे, मुंह में लेते ही एक हल्की नमकीन सा स्वाद आया, मजेदार!! उधर नेहा भी बड़े इत्मीनान से अपने स्तनों को मुझे पिला रही थी, उसका एक हाथ मेरी नंगी पीठ को सहला रहा था और एक मेरे बालों को, उसके मुंह से हल्की हल्की करह निकल रही थी।


"ओह माय बॉय मनीष, ऐसे ही चूसो इनको।" उसके ये शब्द मेरे अंदर और जोश भर रहे थे। कोई दस मिनट बाद नेहा ने मुझे अलग किया, मेरा मन तो नहीं था उन उत्तेजक पिंडों को छोड़ने का, लेकिन शायद नेहा का मन भर गया था।


"अब छोड़ो भी इनको, देखो इनसे भी आकर्षक चीज है मेरे पास।" ये बोल कर उसने मुझे लेटा दिया और अपने दोनों पैरों को मेरे दोनों ओर करके उल्टा मेरे सीने पर बैठ गई। उसकी चमकती हुई पीठ अब मेरे सामने थी, जो चांद की दूधिया रोशनी में किसी श्वेत झरने के जैसी लग रही थी। और नीचे उसके दोनों नितंबों की गोलाई एक बार फिर मुझे अपनी ओर खींच रही थी। तभी नेहा थोड़ा उठ कर मेरे चेहरे की ओर आई। इसी कारण अब मुझे उसकी साफ गुलाबी योनि और उसके पीछे हल्के भूरे रंग का छेद दिखाई दिया जो उसके सिंदूरी रंग पर फब रहा था।


मेरे दोनों हाथ खुद ब खुद उसके दोनों नितंबों पर आ गए और मैने उसकी योनि को थोड़ा और फैला दिया। जीवन में कोई लड़की भले ही न आई हो मगर कभी कभी ब्ल्यू फिल्मों का सहारा ले लेता था मैं भी, आखिर इंसान हूं। तो योनि देखी तो थी मगर बस फिल्मों में, आज पहली बार किसी की योनि मेरे सामने थी, उत्तेजना का अलग ही मुकाम आ चुका था मेरे शरीर में।


उधर नेहा ने मेरा अंडरवियर नीचे सरकाते हुए मेरे लिंग को अपनी मुट्ठी में भर लिया और दो बार ऊपर नीचे करते ही मेरा स्खलन हो गया। जिससे मेरा ध्यान थोड़ा भंग हुआ। नेहा ने मूड कर मुझे देखा, और मेरी आंखों में एक शर्मिंदगी आ गई।


जिसे देख नेहा फौरन मेरी ओर मुड़ी और मेरे चेहरे को पकड़ कर मेरे होंठों को चूम कर बोली, "क्या हुआ मेरे भोले बलम?"


"सॉरी नेहा, शायद ये मेरा पहली बार है इसलिए..."


"मेरे भोले बलम, सबसे पहली बात, मुझे इसका अफसोस रहेगा कि मैंने सबसे पहले तुमसे नहीं किसी और से sex किया था। और हमेशा इस बात की खुशी भी रहेगी कि इसके बावजूद तुम मुझे चाहते हो। और ये जो हुआ, वो बस अति उत्तेजना में हुआ। देखो तुम्हारा लिंग अभी भी उत्तेजित ही है। इसलिए सोचना छोड़ो और अपने न्यू ईयर गिफ्ट का मजा लो।" ये बोल कर उसने मेरे होंठों से चूमते हुए वापस मेरे लिंग की ओर चली गई। उसकी बात सुन कर मुझे भी तसल्ली हुई।


एक बार फिर नेहा की योनि मेरी आंखों के सामने थी, जिससे कुछ गीलापन झलक रहा था। उधर नेहा ने मेरे लिंग को चूम कर अपने मुंह में भर लिया और इधर मेरा मुंह अपने आप ही नेहा की योनि से जा लगा। एक खट्टा और नमकीन सा स्वाद आया इस बार, लेकिन फिर से वो बहुत ही मजेदार था, उधर नेहा के मुंह में जाते ही मेरे लिंग का कड़कपन वापस आ गया था। कुछ देर दोनों एक दूसरे का रसपान करते रहे, और फिर हमारे होंठ एक दूसरे से जुड़े थे, इस बार मुझे नेहा के मुंह की मिठास के साथ साथ कुछ मेरा भी स्वाद चखने को मिला, शायद पहले निकले हुए वीर्य भी उसके मुंह में था।


नेहा इस बार खुद पीठ के बल बिस्तर पर लेट गई, और मेरे लिंग को पकड़ कर अपनी योनि पर रगड़ने लगी। "मेरे भोले बलम, मुझे पूरी तरह अपना बना लो अब।"


उसने मेरे लिंग को अपने योनि द्वार पर लगा कर मुझे अंदर डालने का इशारा किया, और मैने धीरे से अपनी कमर को आगे की ओर धकेला। थोड़ा सा अग्र भाग जाते ही मुझे अपने शिश्न पर थोड़ी सी जलन हुई, मगर उत्तेजना में वो सब ज्यादा महसूस नहीं हुआ। थोड़ी सी मेहनत के बाद मैं लगभग पूरी तरह से नेहा के अंदर था। नेहा के चेहरे पर भी थोड़े से दर्द के भाव थे, उसने मुझे रुकने को कहा, पर कुछ देर बाद ही अपने पैरों से अपनी ओर दबाने लगी, ये देख मैं भी धीरे धीरे आगे पीछे होने लगा।


"ओह बलम थोड़ा और तेज।" उसने अपने पैरों का दबाव बनते हुए कहा, और मैं और तेज धक्के लगाने लगा, करीब दस मिनट बाद नेहा कुछ शांत हो गई, शायद वो अपने चरम पर पहुंच गई थी और मुझे फिर एक बार अपने लिंग में उत्तेजना बहती हुई सी लगी और मैं फिर एक बार फिर से स्खलित होने वाला था, शायद नेहा को ये पता चल गया, और वो एकदम से मुझे हल्का धक्का दे कर बाहर निकली, और खुद बैठ कर मेरे लिंग के अपन मुंह में भर ली, कुछ ही सेकंड्स में मैं उसके मुंह में ही स्खलित हो गया, और नेहा ने अच्छी तरह से मुझे साफ कर दिया। और फिर अपनी वहीं में भर कर वो मुझे लेकर लेट गई और हम दोनो एक दूसरे से लिपट कर सो गए।


सुबह फिर एक बार हम लोगों ने sex किया और फिर जल्दी से तैयार हो कर नीचे मीटिंग में पहुंच गए। आज शाम को ही हमको चंडीगढ़ निकलना था जो इस टूर का आखिरी मुकाम था। मीटिंग के बाद हम सीधे चंडीगढ़ के लिए कार से ही निकल गए और देर रात को हम चंडीगढ़ पहुंचे। कल रात के संभोग और आज दिन भर की व्यस्तताओं के कारण हम दोनो अपने अपने कमरे में जा कर सो गए, और अगले दिन भी मीटिंग थी। अगले दिन सुबह की ही फ्लाइट थी वापसी की दिल्ली से, इसीलिए आज मीटिंग खत्म करके हम कार से ही दिल्ली निकल गए। और 3 जनवरी को सुबह 8 बजे हम दोनो वापस वापी में लैंड कर चुके थे।


एयरपोर्ट पर मेरा ड्राइवर मुझे लेने आया हुआ था। मैं नेहा को उसके घर अशोक नगर ड्रॉप करते हुए अपने फ्लैट पर निकल गया। आज ऑफिस जाने का मूड तो नहीं था, पर टूर की डिटेल मित्तल सर को देना जरूरी था इसीलिए हम दोनो ने 11 बजे ऑफिस जाना तय किया। फ्रेश हो कर मैं वापस नेहा को पिकअप करके ऑफिस पहुंचा।


शिमला की रात के बाद अभी तक हो हम दोनो को कोई भी लम्हा अकेले में नहीं मिला था। ऑफिस में हमको पहले अपने फ्लोर पर जाना था जो सबसे ऊपर था, और लिफ्ट में हम दोनों अकेले थे। जैसे ही लिफ्ट का दरवाजा बंद हुआ, मैने नेहा को अपनी ओर घुमा कर उसके होंठों का रसपान करने लगा। 2 मिनिट नेहा भौचक्की सी रही, फिर मुझसे अपने को छुड़ा कर बोली, "मनीष, हम अभी ऑफिस में है। किसी फ्लोर पर लिफ्ट रुक जाती तो?"


"सॉरी यार, मुझसे कंट्रोल नहीं हुआ।"


वो मुस्कुराते हुए, "ये अच्छी बात नहीं मनीष। थोड़ा कंट्रोल करो खुद पर।"


तब तक हमारा फ्लोर आ गया, और हम संयत हो कर बहत निकल गए। मैं सीधा अपने केबिन में चला गया और पूरे टूर की एक डिटेल रिपोर्ट जो लगभग बनी ही थी, उसे देखने लगा। सब दुरुस्त पा कर मैं नेहा को लेकर मित्तल सर के केबिन में जाकर उनको रिपोर्ट दे दी।


"तो कैसा लगा लोगों से मिल कर?"


"बढ़िया, लगता है जल्दी ही कई जगह ऐसी ब्रांच खोलनी पड़ेगी। वैसे बाकी लोग का क्या खयाल है?"


"लगभग सब लोग आ ही गए हैं, और आज या कल तक उनकी रिपोर्ट भी आ जाएगी। फिर हम सब एक साथ बैठ कर इसको डिसकस करते हैं।"


"जी सर।"


"और नेहा, दिल्ली में तो तुमसे ज्यादा बात हो नहीं पाई। कैसा रहा तुम्हारा टूर?"


"जी बहुत अच्छा रहा सर, और वैसे भी मेरे साथ मनीष सर थे तो ज्यादा दिक्कत नहीं हुई मुझे।"


"चलो फिर, एक मीटिंग और रखते हैं कल या परसों में। मनीष, तुम जरा रुको, एक बात करनी है।"


ये सुन कर नेहा वहां से चली गई।


"मनीष, वो वाल्ट वाली बात लगभग फाइनल होने पर है, पर अब तुमको उस प्रोजेक्ट पर लगना पड़ेगा पूरी तरह से।"


"जी सर, जब आप कहें। मेरे दिमाग में लगभग पूरी प्लानिंग है, बस ब्लू प्रिंट बना कर एक्सपर्ट्स से सलाह लेनी है उस पर। बस आप हां कहें तो मैं उस पर काम शुरू करूं।"


"बस 5 6 दिन में कंफर्म हो जायेगा।" ये बोल कर उन्होंने एक फाइल उठा ली और उसे पढ़ने लगे। ये उनका इशारा था कि उनकी बात खत्म हो गई।


मैं उठ कर अपने केबिन में वापस आया। दरवाजा खोल कर जैसे ही मैं अपने चेयर की ओर बढ़ा, किसी ने मेरा हाथ पकड़ लिया। ये नेहा थी। मेरे पलटते ही उसने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए। हम दोनो के बीच एक पैशनेट किस चालू हो गई। कोई पांच मिनट बाद हम अलग हुए।


"अब ऑफिस का ध्यान नहीं रहा तुमको?" मैने अपनी आंख नाचते हुए कहा।


"मेरे भोले बलम, लिफ्ट और केबिन में अंतर है कि नहीं?"


"और कोई अंदर आ जाता तो?"


"बिना नॉक किए किसको आने की इजाजत है?"


"हां यार! ये तो मुझे याद ही नहीं रहा?" ये बोल कर मेरी हंसी छूट गई, और नेहा भी हंस दी मेरे साथ।


तभी केबिन का दरवाजा नॉक हुआ। हम दोनो अभी अलग ही थे तो मैने आने वाले को इजाजत दे दी। ये शिविका थी। उसको आता देख नेहा चली गई।


"कैसे हो मनीष? कब आए?"


"बस आज सुबह ही, मैं अच्छा हूं तुम बताओ, कैसा रहा तुम्हारा टूर?"


"मेरा टूर भी अच्छा था,काफी अच्छा रिस्पॉन्स दिखा लोगों का। मुझे न तुम्हारी हेल्प चाहिए रिपोर्ट बनाने में।"


"हां बिल्कुल, आओ बैठो।"


फिर अगले दो ढाई घंटे हम दोनो उसकी रिपोर्ट पर काम करते रहे।इस पूरे समय शिविका पूरी गंभीरता से बैठी रही। लेकिन जैसे ही उसका काम खत्म हुआ, उसकी चंचलता वापस आ गई।


"तो और बताओ, हनीमून अच्छे से मनाया ना?"


ऐसे अचानक से उसके ये कहने पर मुझे थोड़ी घबराहट हो गई, "क क कैसा हनीमून?"


"हाहाहा।" वो मुझे देख बेतहाशा हंसने लगी। "तुम तो ऐसे घबरा गए जैसे सच में हनीमून मना लिया तुमने। हाहाहा।"


"तो तुम ऐसे पूछोगी तो घबराहट नहीं होगी क्या?"


"अच्छा यार सॉरी। वैसे मुझे पता है कि तुम काम के लिए कितना सीरियस हो। पर फिर भी कभी कभी थोड़ी मस्ती कर लेनी चाहिए। और वैसे भी इतनी खूबसूरत लड़की और इतना हसीन मौसम..."


"तुम फिर शुरू हो गई?"इस बार मैने थोड़ा गुस्से से कहा।


"ओके सॉरी यार।" उसने मेरा हाथ पकड़ कर कहा। "वैसे एक बात कहनी थी तुमसे।"


"बोलो।"


"थोड़ी बहुत मस्ती चलती है, पर मनीष, जब कभी किसी के साथ सच में रिलेशनशिप में आने का सोचो तो एक बार मुझे बता देना।" ये बोल कर वो उठ कर चली गई, और मैं उसे जाता देखता रहा। शिविका कब सीरियस है और कब मजाक कर रही, ये मुझे बहुत बार पता ही नहीं चलता था। अभी वो क्या कह कर गई, मुझे कुछ समझ नही आया था।शाम को मैं घर चला गया, नेहा को आज ऑफिस में कुछ काम था तो वो देर से गई।


अगले दिन मित्तल सर ने मीटिंग कॉल की, और वहां पर सारी टीम एक बार और इकट्ठी हुई। ऑटोमेटेड ब्रांचेस को बढ़ाने का निर्णय हुआ, जैसा मुझे भी लगा ही था पहले। इस काम को फिलहाल 2 फेस में करने का निर्णय लिया गया, पहले सारी राजधानियों में और उनकी सफलता पर बाकी के शहरों में।


मुझे ही इसके जिम्मेदारी मिली, लेकिन साथ में करण और नेहा भी थे। साथ साथ मित्तल सर ने वाल्ट वाले प्रोपोजल को भी पूरी टीम को बताया, जिसे सुन कर सब बहुत खुश हुए। मित्तल सर ने नेहा को खास कर कहा कि अगर जो वाल्ट वाला प्रोपोजल सरकार ने मंजूर कर लिया तो ऑटोमेटेड ब्रांच वाले प्रोजेक्ट को कुछ दिन उसे अकेले देखना पड़ेगा, क्योंकि मैं और करण उसके लिए व्यस्त हो जाएंगे।


अगले कुछ दिनों तक हम लोग ब्रांचेस बढ़ाने की प्लानिंग में लगे रहे। इस बीच हमें फिर से अकेले में मिलने का समय नहीं मिला, लेकिन चोरी छुपे हमारा रोमांस जारी था, कभी मेरे केबिन में, कभी उसके केबिन में।


ऐसे ही एक दिन दोपहर के समय मैं उसके केबिन में चला गया, वो खिड़की के पास खड़ी फोन पर किसी से बात कर रही थी, उसकी आवाज बहुत धीमी थी, मुझे साफ से सुनाई नहीं दिया।


".... हां वो तो पागल हो गया है पूरा।"


"......"


"बस जल्दी ही एक बार और करना है।"


"....."


तब तक मैने पीछे से उसे अपनी बाहों में भर लिया।



उसने मुझे देखा, उसके चेहरे पर कुछ घबराहट थी.....
Nice update....
 
  • Like
Reactions: Napster and Riky007

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
20,853
41,533
259
नेहा मैडम ने मनीष साहब को पटा कर अपना उल्लू सीधा किया लेकिन आखिर वह , वह लड़की थी जिसने मनीष की वर्जिनिटी तोड़ी । उसे सेक्सुअल सुख का एहसास कराया । और कहते ही हैं कि पहला प्यार और पहला सेक्स सम्बन्ध का एहसास कुछ अलग ही होता है जो भुलाया नही जा सकता ।
नेहा मैडम ने मनीष के साथ डबल गेम्स खेला
ये आप कैसे कह सकते हैं कि नेहा ने डबल गेम खेला?
, इसमे उसका क्या स्वार्थ है पता नही , पर विश्वासघात तो अवश्य ही किया है ।
मनीष साहब ने सारी जीवन पढ़ाई लिखाई और काम काज मे बिताई । शायद यही कारण था कि वह लड़की के आचरण को ठीक तरह से समझ नही पाते है । और अगर इसमे कोई सुधार नही हुआ तो आगे चलकर वो भारी मुसीबत मे पड़ जायेंगे । वह भी तब जब वह एक बड़े व्यापारिक घराने से जुड़े हुए हैं ।
शायद शतरंज की बिसात बिछ गई है । देखते हैं वह अपने राजा की रक्षा कैसे कर पाते है !

हां ये संभावना तो है।
खुबसूरत अपडेट रिकी भाई ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट ।
थैंक्स बड़े भाई 🙏🏼
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
20,853
41,533
259

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
20,853
41,533
259
Awesome update
Neha ne new year par Manish ko uske first' sex ka tohfa diya aur as mature partener ke tour par sab sambhala
Neha ne Manish jaise first timer ko sex ka mja diya hai uska lattu hona Lajmi hai
Pahli bar me hi usko blow job both type sex aur cum in mouth sabka experience de diya
Is sex ko padhkr hi Neha par doubt hone laga tha joki update ke end me aur bad gya ki sab sochi samjhi chal hai Manish ke liye
पर मुझे तो ऐसा नहीं लगता, नेहा आखिर बात किससे कर रही थी, ये भी तो पता चलना चाहिए।
Vaise shivika ko shayad kuchh andesha hai aur isliye usne Manish ko bola hai ki agar aisa koi decision le to usse jrur oncern kre
Waiting for next update as soon as possible
थैंक्स रेखा जी 🙏🏼, अलग अपडेट पूरी कोशिश है कि इसी हफ्ते में दे दूं।
 

dhalchandarun

[Death is the most beautiful thing.]
5,494
12,417
174
#अपडेट ९


अब तक आपने पढ़ा



"बस मनीष, अब और आगे अभी नहीं, जाओ अब सो जाओ जा कर। गुड नाइट।" और कमरे का दरवाजा बंद कर दिया।


मैं भी कुछ उदास मन से वापस अपने कमरे में आया और कपड़े बदल कर लेट गया। पता नहीं क्यों नींद नहीं आ रही थी। कुछ देर ऐसे ही पड़ा करवट बदलता रहा। मन में बार बार नेहा के साथ हुई बाते चल रही थी। कोई 1 बजे के करीब मुझे ऐसा लगा कि कोई मेरा दरवाजा खटखटा रहा है..


अब आगे -


पर वो खटखटाहट बालकनी के दरवाजे से थी। मैं हाउस गाउन पहन कर बाहर आया, चांदनी रात थी और मौसम भी खुला हुआ था। ठंड भी अच्छी खासी थी, रूम में हीटर होने के कारण इतना पता नहीं लग रहा था। मैने नेहा के कमरे की ओर देखा, वो अपने दरवाजे के बाहर एक वाइट हाउस गाउन में खड़ी थी, और मुझे देखते ही अपनी दाएं हाथ की उंगली से इशारा करते हुए, मुस्कुराती हुई अपने रूम में चली गई।मैं भी मंत्रमुग्ध सा उसके कमरे की ओर खींचा चला गया।


कमरे में कोई लाइट नहीं जल रही थी, कमरे में हल्की-सी रौशनी बिखरी हुई थी, जैसे चाँदनी खिड़की से झाँक रही हो। बेड पर खिड़की से सीधी चंद्रमा की किरणे पड़ रही थी, जिसमें नेहा लेटी हुई थी, शरीर पर एक पतली सी चादर पड़ी थी, और उसका हाउस कोट नीचे जमीन पर पड़ा था। रूम हीटर के कारण कमरे का तापमान सामान्य था।


उस दूधिया रोशनी में चादर के नीचे का बदन पूरा नुमाया हो रहा था, साफ दिख रहा था, स्तनों के निप्पल साफ पता चल रहे थे। एक बार फिर से उसने मुझे अपने पास आने का इशारा किया, मैं भी अपना कोट उतर कर बेड में उसके साथ लेट गया, इस समय मेरे शरीर पर बस एक अंडरवियर थी। बेड पर लेटते ही नेहा ने मेरे सर को पकड़ कर मेरे माथे पर एक चुम्बन दिया।


"सोचा नए साल का कोई तोहफा तुमको दूं, कैसा लगा मेरे भोले बलम?" उसने मेरी आंखों में झांकते हुए कहा।


"बहुत सेक्सी।" ये बोल कर मैने अपने होंठ उसके होंठों की ओर बढ़ा दिए, और एक बार फिर दोनों की जुंबिश शुरू हो गई, इस बार ये कुछ ज्यादा ही जोश भरी थी, दोनों एक दूसरे के होंठ से जैसे चूस कर सारा रस पी जाना चाहते हों। फिर नेहा ने अपनी जीभ मेरे मुंह में घुसा दी, और मैं उसे अपने लबों में भींच कर चूसने लगा। नेहा के हाथ मेरी नंगे सीने पर घूम रहे थे, मेरा या किसी भी लड़की के साथ पहला संसर्ग था इसीलिए मेरे शरीर में एक कंपन सा हो रहा था, मगर ये करना भी अच्छा लग रहा था। नेहा ने मेरे शरीर के कंपन को महसूस करते हुए चुंबन को तोड़ दिया।


"क्या हुआ मनीष?"


"पता नहीं, शरीर में एक झुरझुरी सी हो रही है, और मजा भी आ रहा है।"


ये सुन कर उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपने एक स्तन पर रख दिया, "इसे दबाओ मनीष, और भी अच्छा लगेगा।" बोल कर वो वापस मेरे होंठों से झूझने लगी। और मैं उसके एक स्तन को दबाने लगा, किसी स्पंज की तरह वो लग रहे थे, मगर उनको दबाने में एक अलग ही मजा आ रहा था।


"दूसरे को भी दबाओ न" उसने हौले से होंठों को छोड़ते हुए कहा।


मैंने दूसरे स्तन को भी पकड़ लिया, अब नेहा मेरे गले से होते हुए मेरे सीने की ओर हल्के हल्के चूमते और चाटते हुए बढ़ रही थी, और मेरी उत्तेजना भी बढ़ती जा रही थी, मेरा लिंग अंडरवियर को फाड़ कर बाहर आने को तैयार था, आज तक कभी इतना सख्त उसे महसूस नहीं किया, तभी नेहा ने मेरे एक निप्पल को मुंह में ले कर चूसा और मेरी आह निकल गई। ये देख मेरा मुंह भी खुद से उसके स्तनों की ओर बढ़ चला।


उसके निप्पल अभी एकदम सख्त थे और करीब आधे इंच लंबे, मुंह में लेते ही एक हल्की नमकीन सा स्वाद आया, मजेदार!! उधर नेहा भी बड़े इत्मीनान से अपने स्तनों को मुझे पिला रही थी, उसका एक हाथ मेरी नंगी पीठ को सहला रहा था और एक मेरे बालों को, उसके मुंह से हल्की हल्की करह निकल रही थी।


"ओह माय बॉय मनीष, ऐसे ही चूसो इनको।" उसके ये शब्द मेरे अंदर और जोश भर रहे थे। कोई दस मिनट बाद नेहा ने मुझे अलग किया, मेरा मन तो नहीं था उन उत्तेजक पिंडों को छोड़ने का, लेकिन शायद नेहा का मन भर गया था।


"अब छोड़ो भी इनको, देखो इनसे भी आकर्षक चीज है मेरे पास।" ये बोल कर उसने मुझे लेटा दिया और अपने दोनों पैरों को मेरे दोनों ओर करके उल्टा मेरे सीने पर बैठ गई। उसकी चमकती हुई पीठ अब मेरे सामने थी, जो चांद की दूधिया रोशनी में किसी श्वेत झरने के जैसी लग रही थी। और नीचे उसके दोनों नितंबों की गोलाई एक बार फिर मुझे अपनी ओर खींच रही थी। तभी नेहा थोड़ा उठ कर मेरे चेहरे की ओर आई। इसी कारण अब मुझे उसकी साफ गुलाबी योनि और उसके पीछे हल्के भूरे रंग का छेद दिखाई दिया जो उसके सिंदूरी रंग पर फब रहा था।


मेरे दोनों हाथ खुद ब खुद उसके दोनों नितंबों पर आ गए और मैने उसकी योनि को थोड़ा और फैला दिया। जीवन में कोई लड़की भले ही न आई हो मगर कभी कभी ब्ल्यू फिल्मों का सहारा ले लेता था मैं भी, आखिर इंसान हूं। तो योनि देखी तो थी मगर बस फिल्मों में, आज पहली बार किसी की योनि मेरे सामने थी, उत्तेजना का अलग ही मुकाम आ चुका था मेरे शरीर में।


उधर नेहा ने मेरा अंडरवियर नीचे सरकाते हुए मेरे लिंग को अपनी मुट्ठी में भर लिया और दो बार ऊपर नीचे करते ही मेरा स्खलन हो गया। जिससे मेरा ध्यान थोड़ा भंग हुआ। नेहा ने मूड कर मुझे देखा, और मेरी आंखों में एक शर्मिंदगी आ गई।


जिसे देख नेहा फौरन मेरी ओर मुड़ी और मेरे चेहरे को पकड़ कर मेरे होंठों को चूम कर बोली, "क्या हुआ मेरे भोले बलम?"


"सॉरी नेहा, शायद ये मेरा पहली बार है इसलिए..."


"मेरे भोले बलम, सबसे पहली बात, मुझे इसका अफसोस रहेगा कि मैंने सबसे पहले तुमसे नहीं किसी और से sex किया था। और हमेशा इस बात की खुशी भी रहेगी कि इसके बावजूद तुम मुझे चाहते हो। और ये जो हुआ, वो बस अति उत्तेजना में हुआ। देखो तुम्हारा लिंग अभी भी उत्तेजित ही है। इसलिए सोचना छोड़ो और अपने न्यू ईयर गिफ्ट का मजा लो।" ये बोल कर उसने मेरे होंठों से चूमते हुए वापस मेरे लिंग की ओर चली गई। उसकी बात सुन कर मुझे भी तसल्ली हुई।


एक बार फिर नेहा की योनि मेरी आंखों के सामने थी, जिससे कुछ गीलापन झलक रहा था। उधर नेहा ने मेरे लिंग को चूम कर अपने मुंह में भर लिया और इधर मेरा मुंह अपने आप ही नेहा की योनि से जा लगा। एक खट्टा और नमकीन सा स्वाद आया इस बार, लेकिन फिर से वो बहुत ही मजेदार था, उधर नेहा के मुंह में जाते ही मेरे लिंग का कड़कपन वापस आ गया था। कुछ देर दोनों एक दूसरे का रसपान करते रहे, और फिर हमारे होंठ एक दूसरे से जुड़े थे, इस बार मुझे नेहा के मुंह की मिठास के साथ साथ कुछ मेरा भी स्वाद चखने को मिला, शायद पहले निकले हुए वीर्य भी उसके मुंह में था।


नेहा इस बार खुद पीठ के बल बिस्तर पर लेट गई, और मेरे लिंग को पकड़ कर अपनी योनि पर रगड़ने लगी। "मेरे भोले बलम, मुझे पूरी तरह अपना बना लो अब।"


उसने मेरे लिंग को अपने योनि द्वार पर लगा कर मुझे अंदर डालने का इशारा किया, और मैने धीरे से अपनी कमर को आगे की ओर धकेला। थोड़ा सा अग्र भाग जाते ही मुझे अपने शिश्न पर थोड़ी सी जलन हुई, मगर उत्तेजना में वो सब ज्यादा महसूस नहीं हुआ। थोड़ी सी मेहनत के बाद मैं लगभग पूरी तरह से नेहा के अंदर था। नेहा के चेहरे पर भी थोड़े से दर्द के भाव थे, उसने मुझे रुकने को कहा, पर कुछ देर बाद ही अपने पैरों से अपनी ओर दबाने लगी, ये देख मैं भी धीरे धीरे आगे पीछे होने लगा।


"ओह बलम थोड़ा और तेज।" उसने अपने पैरों का दबाव बनते हुए कहा, और मैं और तेज धक्के लगाने लगा, करीब दस मिनट बाद नेहा कुछ शांत हो गई, शायद वो अपने चरम पर पहुंच गई थी और मुझे फिर एक बार अपने लिंग में उत्तेजना बहती हुई सी लगी और मैं फिर एक बार फिर से स्खलित होने वाला था, शायद नेहा को ये पता चल गया, और वो एकदम से मुझे हल्का धक्का दे कर बाहर निकली, और खुद बैठ कर मेरे लिंग के अपन मुंह में भर ली, कुछ ही सेकंड्स में मैं उसके मुंह में ही स्खलित हो गया, और नेहा ने अच्छी तरह से मुझे साफ कर दिया। और फिर अपनी वहीं में भर कर वो मुझे लेकर लेट गई और हम दोनो एक दूसरे से लिपट कर सो गए।


सुबह फिर एक बार हम लोगों ने sex किया और फिर जल्दी से तैयार हो कर नीचे मीटिंग में पहुंच गए। आज शाम को ही हमको चंडीगढ़ निकलना था जो इस टूर का आखिरी मुकाम था। मीटिंग के बाद हम सीधे चंडीगढ़ के लिए कार से ही निकल गए और देर रात को हम चंडीगढ़ पहुंचे। कल रात के संभोग और आज दिन भर की व्यस्तताओं के कारण हम दोनो अपने अपने कमरे में जा कर सो गए, और अगले दिन भी मीटिंग थी। अगले दिन सुबह की ही फ्लाइट थी वापसी की दिल्ली से, इसीलिए आज मीटिंग खत्म करके हम कार से ही दिल्ली निकल गए। और 3 जनवरी को सुबह 8 बजे हम दोनो वापस वापी में लैंड कर चुके थे।


एयरपोर्ट पर मेरा ड्राइवर मुझे लेने आया हुआ था। मैं नेहा को उसके घर अशोक नगर ड्रॉप करते हुए अपने फ्लैट पर निकल गया। आज ऑफिस जाने का मूड तो नहीं था, पर टूर की डिटेल मित्तल सर को देना जरूरी था इसीलिए हम दोनो ने 11 बजे ऑफिस जाना तय किया। फ्रेश हो कर मैं वापस नेहा को पिकअप करके ऑफिस पहुंचा।


शिमला की रात के बाद अभी तक हो हम दोनो को कोई भी लम्हा अकेले में नहीं मिला था। ऑफिस में हमको पहले अपने फ्लोर पर जाना था जो सबसे ऊपर था, और लिफ्ट में हम दोनों अकेले थे। जैसे ही लिफ्ट का दरवाजा बंद हुआ, मैने नेहा को अपनी ओर घुमा कर उसके होंठों का रसपान करने लगा। 2 मिनिट नेहा भौचक्की सी रही, फिर मुझसे अपने को छुड़ा कर बोली, "मनीष, हम अभी ऑफिस में है। किसी फ्लोर पर लिफ्ट रुक जाती तो?"


"सॉरी यार, मुझसे कंट्रोल नहीं हुआ।"


वो मुस्कुराते हुए, "ये अच्छी बात नहीं मनीष। थोड़ा कंट्रोल करो खुद पर।"


तब तक हमारा फ्लोर आ गया, और हम संयत हो कर बहत निकल गए। मैं सीधा अपने केबिन में चला गया और पूरे टूर की एक डिटेल रिपोर्ट जो लगभग बनी ही थी, उसे देखने लगा। सब दुरुस्त पा कर मैं नेहा को लेकर मित्तल सर के केबिन में जाकर उनको रिपोर्ट दे दी।


"तो कैसा लगा लोगों से मिल कर?"


"बढ़िया, लगता है जल्दी ही कई जगह ऐसी ब्रांच खोलनी पड़ेगी। वैसे बाकी लोग का क्या खयाल है?"


"लगभग सब लोग आ ही गए हैं, और आज या कल तक उनकी रिपोर्ट भी आ जाएगी। फिर हम सब एक साथ बैठ कर इसको डिसकस करते हैं।"


"जी सर।"


"और नेहा, दिल्ली में तो तुमसे ज्यादा बात हो नहीं पाई। कैसा रहा तुम्हारा टूर?"


"जी बहुत अच्छा रहा सर, और वैसे भी मेरे साथ मनीष सर थे तो ज्यादा दिक्कत नहीं हुई मुझे।"


"चलो फिर, एक मीटिंग और रखते हैं कल या परसों में। मनीष, तुम जरा रुको, एक बात करनी है।"


ये सुन कर नेहा वहां से चली गई।


"मनीष, वो वाल्ट वाली बात लगभग फाइनल होने पर है, पर अब तुमको उस प्रोजेक्ट पर लगना पड़ेगा पूरी तरह से।"


"जी सर, जब आप कहें। मेरे दिमाग में लगभग पूरी प्लानिंग है, बस ब्लू प्रिंट बना कर एक्सपर्ट्स से सलाह लेनी है उस पर। बस आप हां कहें तो मैं उस पर काम शुरू करूं।"


"बस 5 6 दिन में कंफर्म हो जायेगा।" ये बोल कर उन्होंने एक फाइल उठा ली और उसे पढ़ने लगे। ये उनका इशारा था कि उनकी बात खत्म हो गई।


मैं उठ कर अपने केबिन में वापस आया। दरवाजा खोल कर जैसे ही मैं अपने चेयर की ओर बढ़ा, किसी ने मेरा हाथ पकड़ लिया। ये नेहा थी। मेरे पलटते ही उसने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए। हम दोनो के बीच एक पैशनेट किस चालू हो गई। कोई पांच मिनट बाद हम अलग हुए।


"अब ऑफिस का ध्यान नहीं रहा तुमको?" मैने अपनी आंख नाचते हुए कहा।


"मेरे भोले बलम, लिफ्ट और केबिन में अंतर है कि नहीं?"


"और कोई अंदर आ जाता तो?"


"बिना नॉक किए किसको आने की इजाजत है?"


"हां यार! ये तो मुझे याद ही नहीं रहा?" ये बोल कर मेरी हंसी छूट गई, और नेहा भी हंस दी मेरे साथ।


तभी केबिन का दरवाजा नॉक हुआ। हम दोनो अभी अलग ही थे तो मैने आने वाले को इजाजत दे दी। ये शिविका थी। उसको आता देख नेहा चली गई।


"कैसे हो मनीष? कब आए?"


"बस आज सुबह ही, मैं अच्छा हूं तुम बताओ, कैसा रहा तुम्हारा टूर?"


"मेरा टूर भी अच्छा था,काफी अच्छा रिस्पॉन्स दिखा लोगों का। मुझे न तुम्हारी हेल्प चाहिए रिपोर्ट बनाने में।"


"हां बिल्कुल, आओ बैठो।"


फिर अगले दो ढाई घंटे हम दोनो उसकी रिपोर्ट पर काम करते रहे।इस पूरे समय शिविका पूरी गंभीरता से बैठी रही। लेकिन जैसे ही उसका काम खत्म हुआ, उसकी चंचलता वापस आ गई।


"तो और बताओ, हनीमून अच्छे से मनाया ना?"


ऐसे अचानक से उसके ये कहने पर मुझे थोड़ी घबराहट हो गई, "क क कैसा हनीमून?"


"हाहाहा।" वो मुझे देख बेतहाशा हंसने लगी। "तुम तो ऐसे घबरा गए जैसे सच में हनीमून मना लिया तुमने। हाहाहा।"


"तो तुम ऐसे पूछोगी तो घबराहट नहीं होगी क्या?"


"अच्छा यार सॉरी। वैसे मुझे पता है कि तुम काम के लिए कितना सीरियस हो। पर फिर भी कभी कभी थोड़ी मस्ती कर लेनी चाहिए। और वैसे भी इतनी खूबसूरत लड़की और इतना हसीन मौसम..."


"तुम फिर शुरू हो गई?"इस बार मैने थोड़ा गुस्से से कहा।


"ओके सॉरी यार।" उसने मेरा हाथ पकड़ कर कहा। "वैसे एक बात कहनी थी तुमसे।"


"बोलो।"


"थोड़ी बहुत मस्ती चलती है, पर मनीष, जब कभी किसी के साथ सच में रिलेशनशिप में आने का सोचो तो एक बार मुझे बता देना।" ये बोल कर वो उठ कर चली गई, और मैं उसे जाता देखता रहा। शिविका कब सीरियस है और कब मजाक कर रही, ये मुझे बहुत बार पता ही नहीं चलता था। अभी वो क्या कह कर गई, मुझे कुछ समझ नही आया था।शाम को मैं घर चला गया, नेहा को आज ऑफिस में कुछ काम था तो वो देर से गई।


अगले दिन मित्तल सर ने मीटिंग कॉल की, और वहां पर सारी टीम एक बार और इकट्ठी हुई। ऑटोमेटेड ब्रांचेस को बढ़ाने का निर्णय हुआ, जैसा मुझे भी लगा ही था पहले। इस काम को फिलहाल 2 फेस में करने का निर्णय लिया गया, पहले सारी राजधानियों में और उनकी सफलता पर बाकी के शहरों में।


मुझे ही इसके जिम्मेदारी मिली, लेकिन साथ में करण और नेहा भी थे। साथ साथ मित्तल सर ने वाल्ट वाले प्रोपोजल को भी पूरी टीम को बताया, जिसे सुन कर सब बहुत खुश हुए। मित्तल सर ने नेहा को खास कर कहा कि अगर जो वाल्ट वाला प्रोपोजल सरकार ने मंजूर कर लिया तो ऑटोमेटेड ब्रांच वाले प्रोजेक्ट को कुछ दिन उसे अकेले देखना पड़ेगा, क्योंकि मैं और करण उसके लिए व्यस्त हो जाएंगे।


अगले कुछ दिनों तक हम लोग ब्रांचेस बढ़ाने की प्लानिंग में लगे रहे। इस बीच हमें फिर से अकेले में मिलने का समय नहीं मिला, लेकिन चोरी छुपे हमारा रोमांस जारी था, कभी मेरे केबिन में, कभी उसके केबिन में।


ऐसे ही एक दिन दोपहर के समय मैं उसके केबिन में चला गया, वो खिड़की के पास खड़ी फोन पर किसी से बात कर रही थी, उसकी आवाज बहुत धीमी थी, मुझे साफ से सुनाई नहीं दिया।


".... हां वो तो पागल हो गया है पूरा।"


"......"


"बस जल्दी ही एक बार और करना है।"


"....."


तब तक मैने पीछे से उसे अपनी बाहों में भर लिया।



उसने मुझे देखा, उसके चेहरे पर कुछ घबराहट थी.....
Oh fuck lagta hai Neha cheating kar rahi hai Manish ke sath kash ye sach ho jaye, kyonki I want the combination of Shivika and Manish.
Nice and wonderful update.
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
20,853
41,533
259
Oh fuck lagta hai Neha cheating kar rahi hai Manish ke sath kash ye sach ho jaye, kyonki I want the combination of Shivika and Manish.
Nice and wonderful update.
😂 भाई आप नेहा से इतना चिढ़ क्यों रहे हैं? बेचारी किस्मत की मारी है। गलत आदमी से प्यार करके शादी कर ली थी, संजीव से तो सब मिल ही चुके हैं।

वैसे धन्यवाद भाई जी 🙏🏼
 
Top