Nice update....Update - 05कमला ने रवि को वापस घर जाने को कहा तो वो चला गया। उसके बाद कमला ने चिंतित और परेशान हो कर किसी तरह बर्तनों को धो कर उन्हें रसोई में रखा और फिर कमरे में शालू के पास बिस्तर पर आ कर लेट गई। शालू और उसका भाई गहरी नींद में सो चुके थे जबकि कमला ऊपर छत को घूरे जा रही थी। वो सोच में डूबी हुई थी कि अचानक से आ गई इस समस्या से वो कैसे सामना करे?
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अब आगे....
अगले दिन दोपहर के समय तीनों नमूने खा पी के एक कमरे में आराम फरमा रहे थे। सुबह से काम कर कर के तीनों की हालत ख़राब थी। जगन और मोहन संपत से बेहद ख़फा थे। तीनों को चकाचक सफाई रखने के चक्कर में और भी ज़्यादा गांड़ का ज़ोर लगाना पड़ रहा था। हालाकि आज जोगिंदर के तीनों सांड भी उनके साथ काम में लगे हुए थे लेकिन सिर्फ नाम के लिए। वो जोगिंदर के पुराने मुलाजिम थे और सेहतमंद भी थे इस लिए इन तीनों पर पूरी तरह हावी थे। संपत से जगन और मोहन इसी बात से ख़फ़ा थे कि उसने जोगिंदर से हर रोज़ चकाचक सफाई रखने का वादा क्यों किया था?
"मादरचोद इतना तो साला पका हुआ फोड़ा भी दर्द नहीं करता बे।" मोहन अपना पिछवाड़ा सहलाते हुए बोला____"जितना अपन की गांड़ दर्द कर रेली है। मां की चूत इस काम की, अपन अब घंटा कोई काम नहीं करेगा यहां। उस मुछाड़िए को अगर अपन की गांड़ ही मारनी है तो मार ले आ के पर अपन अब काम नहीं करेगा।"
"भोसड़ी के गांड़ तोड़ दूंगा तेरी अगर नाटक किया तो।" जगन उसे आंखें दिखाते हुए बोला____"तेरी तरह दर्द ने अपन की भी गांड़ में हाहाकार मचा रखेला है पर फिर भी अपन काम करेगा। संपत ने बोला है कि दो दिन में अपन लोग को मौका मिल जाएगा इधर से खिसक लेने का तो अपन अब कुछ भी कर के दो दिन इधर काटेगा ही काटेगा।"
"तो तुझे किसने मना किया है बे लौड़े कि तू काम न कर?" मोहन झल्लाते हुए बोला____"तुझे काम करना है तो तू कर पर अपन नहीं करेगा। अपन से अब अपन की गांड़ का दर्द बर्दास्त नहीं हो रेला है। साला न ठीक से बैठते बन रेला है और न हगते बन रेला है। अम्मा क़सम मां चुद गएली है अपन के गांड़ की।"
"अबे अपन लोग के गांड़ की भी मां चुदी पड़ी है लौड़े।" संपत उसे घूरते हुए बोला____"फिर भी अपन लोग काम कर रेले हैं। बस दो दिन और किसी तरह अपनी गांड़ के दर्द को बर्दास्त कर ले। उसके बाद अपन लोग इधर से छू मंतर हो जाएंगे, पक्का।"
"अपन के भेजे में अभी अभी एक मस्त पिलान आएला है।" मोहन एकदम बड़े उत्साह से बोल पड़ा____"क्यों न अपन लोग पेट ख़राब होने का बहाना बना लें। अबे अपन लोग एक एक कर के हगने के लिए बाहर जाएंगे और उधर से ही खिसक लेंगे। क्या बोलता है?"
"हां बे सही कह रहा ये।" जगन भी आंखें फाड़ते हुए बोल पड़ा____"अपन लोग हगने के लिए बाहर ही तो जाते हैं। अगर अपन लोग पेट ख़राब होने का बहाना बनाएंगे और बाहर एक एक कर के हगने के लिए जाएंगे तो सच्ची में उधर से खिसक लेंगे। लौड़ा मस्त पिलान है बे ये तो।"
"घंटा मस्त है।" संपत ने बुरा सा मुंह बनाते हुए कहा____"अबे अपन लोग अगर अचनाक से इस तरह एक साथ पेट ख़राब होने की बात बोलेंगे तो वो लोग समझ जाएंगे कि अपन लोग जान बूझ के बहाना बना रेले हैं।"
"अरे! ऐसे कैसे समझ जाएंगे बे?" जगन ने हाथ झटकते हुए कहा तो मोहन भी उसकी बात का समर्थन करते हुए बोल पड़ा____"हां हां ऐसे कैसे बे? अपन लोग पिक्चर की माफिक पेट ख़राब होने की एक्टिंग करेंगे तो उन लोग को पक्का यकीन हो जाएगा अपन लोग पर।"
"अपन ये मानता है कि पेट ख़राब वाला बहाना राप्चिक है।" संपत ने कहा____"पर लौड़े अगर अपन तीनों लोग एक साथ पेट ख़राब होने की बात बोलेंगे तो वो यही समझेंगे कि अपन लोग बहाना मार रेले हैं। तब वो अपन लोग को हगने के लिए बाहर जाने ही नहीं देंगे, उल्टा उस मुछाड़िए को ये बात ज़रूर बता देंगे। सोच अगर जोगिंदर को पता चल गया कि अपन लोग कोई बहाना बना रेले हैं तो वो क्या करेगा।"
"एक तो बेटीचोद ये ज्ञान ही बहुत पेलता है लौड़ा।" मोहन खीझते हुए बोला____"पांचवीं पास है तो क्या हर बात तेरी ही सही होगी बे?"
"तू चुप कर लौड़े।" जगन ने मोहन को आंख दिखाते हुए संपत से कहा____"तू बता उस मुछाड़िए को पता चल गया तो क्या होगा?"
"अबे तूने कल सुना था न वो क्या बोल रहा था अपन लोग से?" संपत ने जगन से कहा____"कि अपन लोग ने अगर कुछ सोच कर तबेले का थोबड़ा चकाचक किया है तो अपन लोग ने ग़लत सोच लिया है। क्योंकि ऐसे में वो अपन लोग की भयंकर तरीके से गांड़ फाड़ देगा।"
"हां तो?" जगन को शायद अभी भी समझ नहीं आया था इस लिए अपनी ही धुन में बोला____"उसकी उस बात का अपन लोग की इस बात से क्या मतलब है बे?"
"लो कर लो बात।" मोहन ने एकदम से अपना सिर पीटते हुए कहा____"इस शून्य बुद्धि को पहले ये बता लौड़े कि मुछाड़िए की उस बात का अपन लोग की इस बात से कौन सा टांका भिड़ गयेला है?"
"भोसड़ी के गांड़ तोड़ दूंगा तेरी।" जगन ने गुस्से से मोहन को मुक्का दिखाते हुए कहा____"साला खुद तो पांचवीं फेल है और ऊपर से खुद को ज्ञानी भी समझता है।"
"अपन पांचवीं फेल है तो क्या हुआ।" मोहन ने सिर हिलाते हुए कहा____"अपन को इतना तो ज्ञान है ही कि किसकी कौन सी बात का अपन की बात से टांका भिड़ गयेला है। तू तो साले पूरा का पूरा ही मंद बुद्धि है। बात करता है लौड़ा।"
"भोसड़ी के तेरी तो सच में किसी दिन गांड़ तोड़ देगा अपन।" जगन गुस्से में बोला, फिर संपत की तरफ देखते हुए बोला____"तू अपन का थोबड़ा क्या देख रेला है बे? बताता क्यों नहीं जो अपन ने पूछा तुझसे।"
जगन की बात सुन कर संपत अभी कुछ बोलने ही जा रहा था कि तभी बाहर से किसी ने दरवाज़ा खटखटाया। तीनों एकदम से चौंके और पलट कर दरवाज़े की तरफ देखने लगे।
"बेटीचोद अब कौन आ गया लौड़ा?" मोहन धीरे से बड़बड़ाया।
"दरवाज़ा खोल के खुद देख ले लौड़े।" जगन भी धीरे से बोला____"अपन को क्या पता बाहर कौन अपनी मां चुदाने आयेला है?"
"अबे ओ संपत।" बाहर से बबलू की आवाज़ आई____"अंदर से दरवाज़े की कुंडी क्यों लगा रखी है? दरवाज़ा खोल जल्दी।"
"इसकी मां की।" मोहन फिर से बड़बड़ाया____"अब इसकी गांड़ में क्यों दर्द हो रेला है लौड़ा?"
"भोसड़ी के यहीं बैठे बैठे तू अपनी बकचोदी पेलता रह।" जगन गुस्से से घुड़का उसे____"जा के देख बाहर वो किससे अपनी गांड मरवाने आएला है?"
जगन की बात सुन कर मोहन बुरा सा मुंह बनाते हुए उठा और फिर जा कर उसने दरवाज़ा खोला। दरवाजा खोलते ही वो अपनी आदत से मजबूर बोला____"क्या है बे? लौड़ा चैन से आराम भी नहीं करने......।"
मोहन बोलते बोलते अचानक ही रुक गया। उसकी नज़र तीनों सांडों के साथ साथ जोगिंदर पर पड़ गई थी। वो सोचने लगा कि जोगिंदर अपने सांडों के साथ यहां किस लिए आया है? एकाएक ही उसके अंदर घबराहट सी उभर आई थी।
"क...क...कोई....क...काम था क्या?" मोहन बुरी तरह हकलाते हुए पूछ बैठा। तीनों सांडों के साथ साथ जोगिंदर को भी अपनी तरफ कड़ी नज़रों से घूरता देख पलक झपकते ही उसकी गांड़ फट गई थी।
"मंगू पकड़ इस भोसड़ी वाले को।" जोगिंदर गुस्से से चिल्लाया____"और बाकी तुम दोनों इसके दोनों साथियों को पकड़ के बाहर लाओ।"
जोगिंदर की ये बात सुनते ही जहां मोहन की एकाएक सांसें अटक गईं वहीं बिरजू और बबलू हवा के झोंके की तरह अंदर घुस कर कुछ ही पलों में जगन और संपत को घसीटते हुए बाहर ले आए। वो दोनों बुरी तरह घबराए हुए दिख रहे थे और साथ ही हैरान परेशान भी।
"क...क्या हुआ उस्ताद?" संपत ने घबराए हुए भाव में जोगिंदर से पूछने की हिमाकत की____"तुम अपन लोग के साथ ये क्या कर रेले हो?"
"बाद में बताऊंगा।" कहने के साथ ही जोगिंदर ने गुस्से में अपने तीनों सांडों से कहा____"पहले इन सालों को मार मार के इनकी गांड़ का गू बाहर निकालो ज़रा।"
जोगिंदर ने जैसे ही ये कहा तो वो तीनों जगन मोहन और संपत पर टूट पड़े। तीनों को लात घूसों पर धर लिया उन लोगों ने। इधर जगन संपत और मोहन जो पहले से ही काम कर कर के दर्द से बेहाल थे वो अब इस कुटाई के चलते बुरी तरह दर्द से चीखने चिल्लाने लगे। तीनों को ही समझ नहीं आ रहा था कि आख़िर किस वजह से उनकी अचानक से इस तरह पेलाई होने लगी है?
"अबे मादरचोदो रहम करो बे।" मोहन आदत से मजबूर था। अतः दर्द में लगभग रोते हुए चिल्लाया____"क्यों अपन लोग की जान के दुश्मन बने हुए हो बे? आख़िर अपन लोग ने क्या कियेला है ये तो बता दो बेटीचोदो।"
मोहन के मुख से अपने लिए गाली सुन वो तीनों और भी ज़ोरों से कुटाई करने लगे जिससे इनकी चीखें वातावरण में और भी ज़्यादा गूंजने लगीं। आख़िर कुछ देर बाद तीनों ने जोगिंदर के कहने पर इन्हें कूटना बंद कर दिया। इतनी कुटाई से तीनों की हालत बेहद ख़राब हो चुकी थी। किसी के होंठ फट गए थे, किसी की नाक से खून बहने लगा था तो किसी की पसलियां दर्द कर रहीं थी। सारा बदन पके हुए फोड़े जैसा दहक रहा था वो अलग ही था।
"अकल ठिकाने आई या अभी और कुटाई करवाऊं तुम लोगों की?" जोगिंदर तीनों के क़रीब आते हुए सख़्त भाव से बोला।
"नहीं नहीं उस्ताद।" संपत घबरा कर जल्दी से बोला____"अपन लोग को अब मत मारो। अपन तुम्हारे पैर पकड़ता है.....पर उस्ताद ये तो बता दो कि अपन लोग ने आख़िर ऐसा क्या कियेला है जिसके लिए तुमने अपन लोग का ये हाल करवा दियेला है?"
"भोसड़ी के मैंने तुम तीनों को देव मानुष समझ लिया था।" जोगिंदर ने कहा____"लेकिन तुम तीनों तो सालो एक नंबर के हरामी ही हो।" कहने के साथ ही जोगिंदर मोहन की तरफ पलटा, फिर गुस्से से बोला____"तूने बताया नहीं क्या अपने दोनों साथियों को कि किस वजह से तुम लोगों की कुटाई करवाई है मैने?"
"अपन खुद ही नहीं समझ पा रेला है तो इनको क्या बताएगा उस्ताद?" मोहन चकरा गए अंदाज़ में बोला। उधर जगन और संपत मूर्खों की तरह मोहन की तरफ देखने लगे थे।
अभी जोगिंदर कुछ बोलने ही वाला था कि तभी उसकी नज़र कमला पर पड़ी जो उसके क़रीब ही आ गई थी। जोगिंदर की नज़र का पीछा जगन और संपत ने भी किया मगर जब मोहन ने किया तो वो कमला को देख एकदम से घबरा गया। उसके सिर पर जैसे बिजली ही गिर पड़ी। पलक झपकते ही उसे इस कुटाई का सारा माजरा समझ में आ गया।
"तू घर नहीं गई अभी?" कमला जैसे ही आ कर जोगिंदर के पास खड़ी हुई तो जोगिंदर ने उससे कहा____"यहां किस लिए आई है?"
"देखने आई थी कि तुम अपना काम अच्छे से कर रहे हो कि नहीं।" कमला ने मोहन की तरफ देखते हुए मुस्कुरा कर कहा____"दूसरी बात ये भी थी कि मैं अपनी आंखों से देखना चाहती थी। मैं देखना चाहती थी कि इतना बड़ा ख़्वाब देखने वाले की जब कुटाई होती है तो वो दर्द से किस तरह चीखता चिल्लाता है?"
कमला की ये बातें सुन कर मोहन ने सिर झुका लिया। वो समझ चुका था कि ये सब कमला ने ही करवाया है। रवि ने जब कमला को उसकी बात बताई होगी तो कमला ने शायद जोगिंदर को बता दिया होगा। बस, जोगिंदर भला ये कैसे सहन कर लेता कि उसकी माल पर कोई दूसरा ग़लत निगाह डाले?
"कल तुम तीनों का काम देख कर।" जोगिंदर ने तीनों नमूनों को बारी बारी से देखते हुए कड़े लहजे में कहा____"मैंने सोचा था कि अब से तुम तीनों पर सख़्ती नहीं करूंगा और तुम तीनों को भी अपने इन मुलाजिमों की तरह यहां रखूंगा। इतना ही नहीं बल्कि हर तरह से तुम तीनों का ख़याल भी रखने का सोच लिया था मगर अब ऐसा कुछ नहीं होगा। अब तो मैं तुम तीनों का वो हाल करूंगा कि सालो जान से मार देने की भीख मांगोगे मुझसे मगर जान से मारूंगा नहीं तुम्हें। अब से सिर्फ एक ही टाइम तुम तीनों को खाना दिया जाएगा और सारा दिन काम करवाया जाएगा। अगर तुम लोगों ने काम करने में ज़रा भी आना कानी की तो अपने एक सांड जैसे भैंसे के पास ही रस्सी से बंधवा दूंगा तुम लोगों को। वो सांड अच्छी खासी भैंस को जब पेलता है तो भैंस पसर जाती है। सोचो तुम लोगों का क्या हाल करेगा वो?"
"र...रहम करो उस्ताद।" संपत बुरी तरह गिड़गिड़ाते हुए बोल पड़ा____"इस चिंदी चोर की तरफ से मैं तुमसे माफ़ी मांगता हूं। बस इस बार माफ़ कर दो। अगली बार से ऐसा नहीं होगा।"
"इन तीनों को तबेले में ले जाओ।" जोगिंदर ने अपने मुलाजिमों से मुखातिब हो कर कहा____"और गांड फाड़ काम करवाओ इनसे। अब से ये लोग सिर्फ तबेले की ही नहीं बल्कि तबेले के आस पास की भी साफ सफाई करेंगे। यहां मेरी जितनी भी ज़मीन है वो सारी की सारी एकदम साफ और चकाचक नज़र आनी चाहिए मुझे।"
"ऐसा ही होगा उस्ताद।" मंगू ने मन ही मन खुश होते हुए कहा____"बहुत जल्द ऐसा ही नज़र आएगा।"
कमला के साथ जैसे ही जोगिंदर पलट कर जाने लगा तो जगन संपत और मोहन एकदम से हड़बड़ा गए और जल्दी से भाग कर उसके पैरों में लोट गए। जोगिंदर के पैर पकड़ तीनों रहम की भीख मांगने लगे मगर जोगिंदर ने गुस्से से झटक दिया उन्हें और आगे बढ़ता चला गया। उसके पीछे कमला भी अपनी चौड़ी गांड़ को बड़ी अदा से मटकाती हुई चली जा रही थी।
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जगन संपत और मोहन तबेले से दूर जहां पर झाड़ झंखाड़ लगा हुआ था वहां की सफाई में लगे हुए थे। जगन और संपत एक साथ थे जबकि मोहन उन दोनों से दूर था। असल में मोहन जान बूझ कर ही उनसे दूर हो गया था। उसे पक्का यकीन था कि अकेले में वो दोनों उसकी भयंकर पेलाई करेंगे इस लिए वो उनसे दूर एक जगह काम में लगा हुआ था। जगन और संपत की निगरानी मंगू और बबलू कर रहे थे और मोहन की बिरजू कर रहा था। सूरज अभी भी सिर पर ही था इस लिए कड़ाके की धूप थी जिसकी वजह से तीनों पसीना पसीना हुए पड़े थे। जहां एक तरफ काम करने से हलक सूख रहा था वहीं कुटाई के चलते गांड़ का दर्द सहन शक्ति से बाहर ही होता जा रहा था।
"अबे ओए।" बिरजू बीड़ी फूंकते हुए मोहन के थोड़ा पास आ कर बोला____"ये तो बता कि तूने आख़िर ऐसा क्या कर दिया था जिसकी वजह से इस तरह पेलाई हो गई तुम लोगों की?"
"तुम ना बहुत हरामी हो गुरु।" मोहन ने शिकायती लहजे में कहा____"तुमको अपने चेले पर रत्ती भर भी तरस नहीं आया। बस रूई की माफिक कूटते ही रहे अपन को। तुम्हें पता है इतना तो साला गांड़ मरवाने में भी दर्द नहीं होता होएगा जितना इस कुटाई से हो रेला है।"
"वो तो होगा ही।" बिरजू उसकी बात सुन कर मुस्कुराते हुए बोला____"हम तीनों ने तुम लोग की कुटाई करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। ख़ैर ये तो बता कि क्या किया था तूने कमला के साथ?"
"क...क्या मतलब??" मोहन बुरी तरह सकपकाते हुए बोला____"नहीं तो, अपन ने तो कुछ भी नहीं किया।"
"देख, अगर तू चाहता है कि तेरी पेलाई दुबारा न हो।" बिरजू ने जैसे उसे लालच देते हुए कहा____"तो मुझे सब कुछ सच सच बता दे वरना बाद में मत कहना कि गुरु तुमने बचाया नहीं।"
"क्या सच्ची में इस बार से तुम अपन को बचाओगे गुरु?" मोहन बेयाकिनी से बोल पड़ा।
"बेशक बचा सकता हूं।" बिरजू ने कहा____"मगर अपनी भी एक दो शर्तें हैं। अगर तुझे मंज़ूर हों तो बोल।"
"अपन को इस बार सब मंज़ूर है गुरु।" मोहन उतावलेपन से बोला____"तुम बस अपन को सच्चे दिल से अपना चेला बना लो। अपन भी क़सम खा के बोल रेला है कि अब से अपन अपने गुरु की हर बात मानेगा।"
"ठीक है फिर।" बिरजू मन ही मन खुश होते हुए बोला____"पर पहले तो तू ये बता कि कमला को तूने ऐसा क्या बोल दिया था जिसकी वजह से उसने तुझे उस्ताद से इतना कुटवा दिया? मुझे पक्का यकीन है कि तूने कोई खुराफ़ात ज़रूर की है।"
"अपन सब कुछ बताता है गुरु।" मोहन ने कहा____"कल जब तुम अपन को बर्तन धोने का बोल कर गए थे तभी कमला की जेठानी का लड़का रवि वहां पर आएला था। वो लौड़ा अपन पर रौब जमाने की कोशिश करने लगा तो अपन ने भी उसको दबोच लिया। अपन का मतलब है कि अपन ने उसको बता दिया कि अपन को उसके और उसकी चाची के बीच के कांड का सब पता है।"
"क....क्या बोला तूने?" बिरजू ने बुरी तरह चौंकते हुए पूछा____"क्या उन दोनों के बीच भी कोई लफड़ा है?"
"अबे यही सच है गुरु।" मोहन ने इस तरह कहा जैसे ये उसकी टॉप सीक्रेट बात है जिसका उसे भारी गुरुर है, बोला____"असल में ये उस दिन की बात है जब चार दिन पहले अपन लोग ने यहां से दूध चोरी कियेला था। उस दिन अपन ने देखा कि एक लड़का तबेले के बगल से किसी औरत को पीछे से चिपकाएला है और अपने दोनों हाथों से उस औरत की बड़ी बड़ी चूचियों को दबाए जा रेला है। उस वक्त अपन लोग को ये नहीं मालूम था कि उन दोनों के बीच क्या रिश्ता है। फिर जब कल तुमने अपन को सब कुछ बताया और वो लड़का एकदम से अपन के सामने आ गया तो अपन पहचान गया उसे। फिर उसने जब अपन पर रौब जमाने की कोशिश की तो अपन ने भी उसको उस दिन वाले उसके कांड को ले कर लपेटे में ले लिया।"
"वाह! तू तो बहुत चालाक और हरामी है यार।" बिरजू ने कहा____"फिर आगे क्या हुआ?"
"आगे क्या हुआ मतलब?" मोहन को जैसे समझ न आया।
"अबे मेरा मतलब है कि जब तूने रवि को अपने लपेटे में ले लिया।" बिरजू ने समझाते हुए कहा____"तो फिर उसने क्या कहा तुझसे?"
"अबे मत पूछो गुरु।" मोहन एकदम से ठहाका लगा कर हंस पड़ा। फिर सीना चौड़ा करते हुए बोला___"वो तो डर के मारे लौड़ा अपन के पांव में ही लोट गएला था। अपन से मिन्नतें करने लगा कि अपन उसकी और उसके चाची के बीच हुए कांड के बारे में किसी को ना बताए।"
"और कोई रास्ता भी तो नहीं छोड़ा था तूने उसके सामने।" बिरजू ने मुस्कुराते हुए कहा____"खैर फिर क्या हुआ? मेरा मतलब है कि फिर क्या तूने उसकी मिन्नतों को मान लिया?"
"अबे अपन ऐसे कैसे मान लेता गुरु?" मोहन एकदम जोश में बोला____"उसको मिन्नतें करता देखा तो तभी अपन के भेजे में एक मस्त पिलान आ गएला था। अपन ने उसको बोल दिया कि अपन एक ही शर्त पे उसके कांड के बारे में किसी को नहीं बताएगा कि वो अपन को भी अपनी चाची की मस्त चूचियों को दबाने का मौका दे।"
"अबे ये क्या कह रहा है तू?" बिरजू इस बार सच में ही हैरान हो गया, बोला____"तूने इतनी बड़ी शर्त रख दी उसके सामने?"
"अबे अपन ऐसा ही है गुरु।" मोहन जैसे सातवें आसमान में था। अकड़ते हुए बोला___"अपन छोटकू वाले काम करताइच नहीं।"
"फिर उसने क्या बोला?" बिरजू उसकी अकड़ में कही गई बात सुन कर मन ही मन मुस्कुरा उठा, बोला____"क्या फिर उसने तेरी शर्त मान ली?"
"अबे उसको अपन की शर्त माननी ही पड़ी गुरु।" मोहन जैसे पूरे जलाल पर था____"पहले तो साला नाटक पेल रेला था अपन से। बोल रेला था कि वो अपनी चाची को इसके लिए नहीं बोल सकता।"
"हां तो भला कैसे बोल देता वो?" बिरजू ने हैरानी ज़ाहिर करते हुए कहा___"ये कोई आसान काम थोड़ी था उसके लिए। ख़ैर फिर क्या हुआ? मेरा मतलब है कि उसने फिर कैसे तेरी शर्त मान ली?"
"अपन भारी डेंजर आदमी है गुरु।" मोहन ने एक हाथ से अपने कॉलर को हल्के से उठा कर बड़ी अदा से कहा____"जब अपन ने उसको बोला कि अगर तूने अपन की शर्त नहीं मानी तो अपन उसकी और उसकी चाची दोनों की सडे़ली गांड़ एक साथ मार लेगा तो वो अपन से बहुत ज़्यादा डर गया। भोसड़ी का फिर से पांव पड़ गया अपन के पर अपन भी मानने वाला नहीं था लौड़ा। अपन को भी उसकी चाची की मस्त मस्त चूचियों को दबाने का था इस लिए जब अपन ने उसको हड़काया तो बेटीचोद जल्दी मान गया।"
"अबे इतना ज़्यादा डराया मत कर किसी को भी।" बिरजू ने झूठा गुस्सा दिखाते हुए कहा____"किसी दिन तेरे डर से कोई मर मरा गया तो तेरे लिए ही मुसीबत हो जाएगी, समझा?"
"अबे हां इस तरह से तो अपन ने सोचाइच नहीं था गुरु।" मोहन को जैसे पहली बार अपनी ग़लती का एहसास हुआ, बोला____"सच में लौड़ा अपन से तो भारी ग़लती हो जाती। तुमने अपन की ग़लती बता कर अपन की आंखें खोल दी गुरु।"
"हां चल ठीक है।" बिरजू मन ही मन उसकी मूर्खता पर हंसते हुए बोला____"अब ये बता कि फिर क्या हुआ? मेरा मतलब है कि रवि ने क्या ये कहा कि वो तेरी शर्त मान कर अपनी चाची से चूचियां दबाने की तेरी बात करेगा?"
"अबे अपन की धमकी से गांड़ फट के हाथ में आ गयेली थी उसकी।" मोहन ने हंसते हुए बोला____"साला फट्टू अपन से बोला कि अपनी चाची से बात करेगा वो। इधर अपन भी उसकी बात सुन कर भारी खुश हो गएला था।"
"इसका मतलब सब सेट हो गया था।" बिरजू ने उसकी तरफ देखते हुए कहा____"तो फिर तुझे कमला की मस्त मस्त चूचियों को दबाने का मौका क्यों नहीं मिला? उल्टा तेरे साथ साथ तेरे बांकी दोनों साथियों की भी पेलाई हो गई। समझ में नहीं आया कि ऐसा कैसे हो गया?"
"बेटीचोद गेम खेल गया वो अपन के साथ।" मोहन ने इस बार गुस्से से दांत पीसते हुए कहा____"पर अपन बोल रेला है गुरु, अपन उसको छोड़ेगा नहीं लौड़ा।"
"अबे ऐसा करेगा तो फिर से पेला जाएगा।" बिरजू ने एक नई बीड़ी जलाते हुए कहा____"तुझे इस तरह की शर्त रखनी ही नहीं चाहिए थी रवि से। अगर तुझे उन दोनों के बारे में पता चल ही गया था तो तू इसके लिए सीधे कमला से ही बात करता न। मुझे पक्का यकीन है कि वो तुझे अपनी चूचियों को दबाने का मौका ज़रूर दे देती लेकिन तूने तो साले उसे ब्लैकमेल करने की कोशिश की। इसी लिए तो कमला ने जोगिंदर को सब कुछ बता दिया। जोगिंदर भला ये कैसे बर्दास्त कर लेता कि कोई झाँठ जैसा आदमी उसकी इतनी ज़बरदस्त माल के बारे में ऐसा सोच भी ले? सच में यार तूने बहुत बड़ी ग़लती की थी।"
"बेटीचोद सच में ग़लती कर दी अपन ने गुरू।" मोहन अफ़सोस के चलते अपना सिर पकड़ते हुए बोला____"लौड़ा अपन को ऐसा सोचनाइच नहीं चाहिए था। अब तुम ही बताओ गुरु, अब अपन क्या करे? अपन को उस कमला से बदला लेने का है। उस बुरचोदी ने अपने यार से बता कर अपन की पेलाई करवा दी लौड़ा। नहीं गुरु, अपन को अब उससे बदला लेने का है।"
"अबे अपने दिमाग़ को ठंडा रख बे।" बिरजू उसकी एकदम से पगलाई हुई दशा देख मन ही मन मुस्कुराते हुए बोला____"अब अगर तूने कोई बेवकूफी की तो जान ले जोगिंदर के पास बारह बोर वाली बंदूक भी है। दो साल पहले उसने एक बंदर की गांड़ में बंदूक का मुहाना लगा के गोली चला दी थी। जानता है उसके बाद बंदर का क्या हुआ?"
"क...क...क्या ह...हुआ???" बिरजू की ऐसी बात सुनते ही मोहन की फट के हाथ में आ गई। बुरी तरह हकलाते हुए पूछा था उसने। जिसके जवाब में बिरजू ने कहा____"अबे जब गोली चली तो पलक झपकते ही बंदर का पिछवाड़ा एक बड़े से भोसड़े में बदल गया था। तेरे जैसा व्यक्ति आराम से उस भोसड़े के पार जा सकता था।"
"व....वो बंदर तो मर ही गया होएगा न?" मोहन अपनी अटकी हुई सांस लिए बोला।
"क्या तुझे लगता है कि इसके बाद भी वो ज़िंदा बचा होगा?" बिरजू ने कहा____"अबे वो तो तभी मर गया था जब जोगिंदर ने उसकी गांड़ में बंदूक का मुहाना रखा था। साले अभी तुझे पता नही है कि डर क्या चीज़ होती है। तेरी भी तो मेरी ये बात सुन के फट गई है। हाथ लगा के देख ज़रा।"
बिरजू का इतना कहना था कि मोहन ने जल्दी से अपने पिछवाड़े पर हाथ लगाया। ये देख बिरजू ज़ोर ज़ोर हंसने लगा। उसे हंसता देख मोहन उसे बड़े ही दयनीय भाव से देखने लगा था।
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