• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest Holi me boyfriend with my family

Bestfriend

Member
148
264
64
मेरा नाम अंजलि है. मैं अपनी लस्ट एंड सेक्स स्टोरी आपको बताना चाहती हूं जो अभी पिछली होली की ही है.
कहानी शुरू करने से पहले मैं आपको अपनी मां के बारे में बता देती हूं.

मेरी मॉम का नाम माया शाह है. वह एक अमेरिकन कंपनी के लिए काम करती हैं.

चूंकि उनकी जॉब ही हाई प्रोफाइल है तो मॉम को अपने फिगर का भी बहुत ध्यान रखना पड़ता है. उसकी फिगर 38 32 34 है और रंग गोरा है।

मॉम की उम्र 44 साल है और वह बहुत ही मॉडर्न है, रहन सहन में भी और विचारों में भी. तो ये बात मार्च के महीने की है. उस दिन होली थी.

मेरा बॉयफ्रेंड डॉक्टर विक्रम एक बहुत ही रिच फैमिली से है. वो मुझे अपने घर होली के लिये ले जाना चाहता था।

मेरी मॉम उसे दामाद समझती है मगर मेरे लिये तो वो बस एक टाईम पास है।

वो होली वाले दिन हमारे घर मुझे लेने आया।
मेरी मॉम ने मजाक मजाक में उसे कहा- विक्रम, कभी मेरे और श्वेता (मेरी छोटी बहन) के साथ भी होली खेल लिया करो।
विक्रम ने कहा- आंटी खेल तो लूं मगर आप और श्वेता बुरा मान जाओगी।

मॉम ने कहा- क्यों? बुरा किसलिए मानूंगी, होली में कोई बुरा नहीं मानता। अगर तुम मेरे साथ खेलोगे तो मैं भी बुरा नहीं मानूंगी और श्वेता भी नहीं मानेगी।

विक्रम बोला- तो ठीक है, अभी पहले तुम दोनों के साथ खेलता हूं फिर अंजलि के साथ उसको घर ले जाकर खेलूंगा।
मॉम मुस्करा दी।

उस समय मॉम ने घुटने तक का ब्राउन गाऊन पहना था। मुझे पता था कि मॉम रात को अंदर से कुछ नहीं पहनती हैं।

विक्रम ने कहा- चलो आंटी, पहले आपके साथ खेलते हैं। अंजलि और आप पहले बालकनी में चलो और श्वेता को यहीं रहने दो। पहले आपके साथ और फिर श्वेता के साथ।
मॉम ने ओके कहा।

फिर विक्रम ने जेब से रंग निकाला और मुझसे एक बाल्टी पानी लाने को कहा। मैं पानी लेने गयी और तब तक मॉम और विक्रम दोनों बालकनी में चले गये।

मैं भी पानी लेकर बालकनी में चली गयी।
उसने फिर मॉम से कहा- आप बुरा नहीं मनोगी न?
मॉम ने कहा- अरे … मैं भला तुम्हारा किसी बात का बुरा मान सकती हूं क्या?

इतना सुनते ही विक्रम ने पूरी बाल्टी पानी मॉम के सिर पर डाल दिया.
मॉम पूरी गीली हो गयी और उनका गाऊन उनके बदन से चिपक गया। मॉम की चूचियां, चूतड़ और जांघें सब कुछ उभरकर आ गया.

अब विक्रम बोला- अब मैं रंग लगाऊंगा।
मॉम मुस्करा दी।

विक्रम ने रंग पहले मॉम के बालों में डाला।
मॉम ने कुछ नहीं कहा।

विक्रम ने मॉम के मुंह पर रंग लगाया.

फिर उसने मॉम को घूम जाने के लिए कहा- आप घूमकर आंखें बंद कर लो और जब तक मैं न कहूं आपको आंखें नहीं खोलनी हैं. मैं आपको दिल भरकर रंग लगाना चाहता हूं और तब तक आपने अपनी आँखें बंद ही रखनी हैं.

मॉम ने कहा- ठीक है।
आंखें बंद करके मॉम घूम गयीं. विक्रम ने मेरी तरफ देखकर आंख मार दी।
जवाब में मैं भी हंस दी।

अब उसने रंग हाथ में लेकर मॉम की गर्दन पर लगाया।

फिर उसने गाउन को मॉम के कंधे से थोड़ा नीचे किया और कंधे पर रंग लगाने लगा. फिर गर्दन के नीचे लगाया.

उसके बाद उसके हाथ मॉम की चूचियों वाले हिस्से में आ गये. वो मॉम की चूची वाले हिस्से में रंग लगाने लगा.

मॉम ने कुछ नहीं कहा।

विक्रम की हिम्मत इससे बढ़ गई। वो मॉम के पिछवाड़े से बिल्कुल चिपका हुआ था। तभी उसने काफी रंग हाथ में लिया और हाथ मॉम के गाऊन में डाल दिये।

उसने मॉम की चूची पर रंग लगना शुरू कर दिया।
मैं चिल्लाई- ये क्या कर रहे हो?
तो उसने कहा- अगर आंटी बुरा मान रही हैं तो बस मैं इससे आगे नहीं खेलूंगा.

ये सुनकर मॉम ने आंखें खोलीं और मुझे चुप रहने का इशारा किया.
फिर विक्रम से बोलीं- मैं बुरा नहीं मान रही विक्रम, तुम रंग लगाना जारी रखो.

फिर विक्रम ने अपने हाथ दोबारा से मॉम के गाउन में डाल दिये. हाथ डालकर उसने मॉम की चूचियों को रगड़ना शुरू कर दिया. मॉम की आंखें बंद थीं.

धीरे धीरे रंग लगाते हुए वो मॉम की चूचियों को दबाने ही लगा था. तभी उसने मॉम के निप्पल पकड़े और जोर से खींच दिये.
वो बोला- आंटी, ये तो बहुत बड़े हैं. किससे चुसवाती हो इनको जो इतने बड़े किये हुए हैं?

मॉम कोई जवाब नहीं दे रही थी. बस आंखें बंद किये हुए वो विक्रम के हाथों का मजा ले रही थी.

फिर वो अपने हाथों को मॉम की चूची के नीचे पेट पर ले गया. चलते चलते उसका हाथ मॉम की नाभि के नीचे चला गया था.

विक्रम को शायद पता लग चुका था कि मॉम ने नीचे से पैंटी भी नहीं पहनी है.
अब उसने अपने हाथ बाहर निकाल लिये और मॉम से कहा- आंटी, अब आप अपने हाथ सिर के ऊपर कर लो, मैं बाकी जगह भी रंग लगा लूं और फिर खत्म।

मैंने कहा- विक्रम अब बस!
मॉम ने आंखें खोलीं और कहा- अब जगह कहां बची है अंजलि? लगाने दे इसे. वर्ना कहेगा कि आंटी बुरा मानती है।
विक्रम भी ये सुनकर मुस्करा दिया.

मेरी नजर अब विक्रम के लंड पर जाने लगी थी. उसका लंड अब बड़ा होना शुरू हो गया था और मॉम की गांड में सटा हुआ था.
मैं चुप हो गयी.

मॉम ने अपने हाथ ऊपर कर लिये।
विक्रम ने रंग हाथ में लिया और मॉम के पीछे आकर मॉम का गाऊन ऊपर उठाने लगा।

मॉम भी शायद इसके लिये तैयार नहीं थी, फिर भी वो कुछ नहीं बोली। विक्रम ने अपने एक हाथ से मॉम का गाऊन कमर तक उठाया और दूसरे हाथ से मॉम के चूतड़ों पर रंग लगाने लगा।

उसने कहा- आंटी ज़रा गाउन को पकड़ो, रंग सही ढंग से लग नहीं रहा।
मॉम ने दोनों हाथ नीचे करके गाऊन पकड़ा और विक्रम अब दोनों हाथों से मॉम के चूतड़ पकड़कर उन पर रंग लगाने लगा।

फिर उसने कहा- आंटी थोड़े पैर खोलो।
मॉम ने पैर खोल दिये और विक्रम ने अपनी उंगली पर रंग लेकर मॉम की गांड के छेद पर रंग लगा दिया।

फिर उसने कहा- अभी थोड़ी जगह बची है तो ऐसे ही रहना।
मॉम शर्म के मारे कुछ नहीं बोल रही थी. बस उसको वही करने दे रही थी जो वह करना चाह रहा था.

फिर उसने बहुत सारा रंग हाथ में लिया और मॉम के सामने आया। मॉम की आंखें बंद थीं।

सामने आकर वो बोला- आंटी, थोड़ा पैरों को और ज्यादा खोलो।
मॉम ने पैर खोल दिये।

मॉम की चूत बिल्कुल साफ दिखाई दे रही थी। वो मॉम के पास गया और अपना हाथ मॉम की चूत पर रख दिया। मॉम को झटका लगा और वो पीछे हो गयी।

विक्रम ने तपाक से कहा- लो, आंटी मान गयी बुरा.
मॉम- नहीं बेटा, बुरा नहीं मानी बस थोड़ी डर गयी थी.
वो बोला- तो फिर आगे आओ आंटी.

मॉम आगे आ गई।
विक्रम ने एक हाथ से उनकी चूत पकड़ ली और उसे दबाने लगा।
फिर बोला- क्या आंटी … आपकी चिकनी चूत तो पूरा पानी छोड़ रही है।
ये सुनकर मॉम शर्मा गई।

फिर उसने मॉम को छोड़ दिया और कहा- अब आप आंखें खोल लो। मैंने लगा लिया रंग। अब आपको लगाना है तो लगा लो।

मॉम ने गाऊन नीचे किया और शर्म से आंखें नीचे रखीं।
फिर विक्रम ने मॉम से पूछा- अब क्या श्वेता के साथ खेलूं?
मॉम ने कहा- तुम्हारी मर्जी।
विक्रम बोला- आप अन्दर जाओ और श्वेता को भेज दो।

फिर मॉम चुपचाप अन्दर चली गई और थोड़ी देर में श्वेता आ गयी।
श्वेता बोली- जीजू, मुझे पकड़ो तो खेलूंगी।
मैंने उससे कहा- अबे … तेरा जीजू नहीं है ये.

उसने ओके कहा और इधर उधर भागने लगी.
विक्रम मुझसे बोला- अंजलि, हमें देर हो रही है. घर पर सब इंतजार कर रहे होंगे. इस साली को पकड़ने में मेरी मदद कर।

उस समय श्वेता ने शर्ट और शॉर्ट्स पहने हुए थे. जब वो भागती हुई मेरे पास आई तो मैंने उसे पकड़ लिया। मैंने उसके दोनों हाथ पीछे करके पकड़ लिये। विक्रम ने बहुत सारा रंग हाथ में लिया और उसके मुंह पर लगा दिया।

मैं उसे छोड़ने लगी तो वो बोला- अभी मत छोड़ना।
फिर श्वेता से पूछा- तेरी मॉम ने बुरा नहीं माना तो तू भी बुरा तो नहीं मानेगी?
श्वेता ने स्माइल देकर कहा- बुरा न मानो, होली है।

फिर विक्रम ने रंग हाथ में लिया और श्वेता के पास आया और झटके से उसकी टी शर्ट ऊपर कर दी।
उसकी छोटी छोटी चूची नंगी हो गईं।

फिर विक्रम ने उसकी चूचियों पर बहुत सारा रंग रगड़ दिया और उसकी चूचियों को दबाने लगा।

विक्रम ने उसके दोनों निप्पलों को पकड़ कर खींच दिया तो वो एकदम से चिल्लाई- बहनचोद … दर्द होता है.
उसके मुंह से गाली सुनकर मैं तो हैरान ही रह गयी.
विक्रम बोला- बहन की लौड़ी … मुझे गाली देती है? अब देख मैं क्या करता हूं.

मैंने विक्रम से कहा- विक्रम, गाली नहीं।
उसने कहा- तू चुप रह और इसको कसकर पकड़।
मैं चुप हो गयी।

वो श्वेता के पास आया और उसकी शॉर्ट्स नीचे खींच दी।

श्वेता ने नीचे कच्छी पहनी थी। विक्रम ने उसको भी खींचकर नीचे कर दिया। फिर बहुत सारा रंग लेकर उसकी चूत पर लगाने लगा। उसकी चूत पानी छोड़ रही थी।
विक्रम बोला- बहन की लोड़ी … पूरी गीली है तेरी भी।

विक्रम ने अपनी दो उंगली उसकी चूत में डाल दीं और आगे पीछे करने लगा।
श्वेता की चूत ने दो मिनट में ही पानी छोड दिया।

विक्रम ने अपना हाथ निकाला तो पूरा हाथ श्वेता की चूत के रस से गीला था।

उसने अपना हाथ श्वेता के मुंह पर और चूचियों पर रगड़ कर साफ किया।

फिर विक्रम ने मुझसे कहा- अब छोड़ो इसे और चलो।
मैंने जैसे ही श्वेता को छोड़ा वो वहीं गिर गई।
शायद पानी छूटने से थक गयी थी.

फिर हम दोनों अन्दर आए और मैंने मॉम को आवाज देकर कहा- मॉम, हम दोनों जा रहे हैं।
मॉम ने अन्दर से आवाज दी- ठीक है।

उसके बाद फिर हम लोग नीचे आये और उसकी मर्सिडीज में बैठ कर उसके घर की ओर चल दिये।

उस समय मैंने एक ट्रैक सूट पहना था।

फिर घर से कुछ दूर आते ही विक्रम ने कहा- तुम्हें याद है कि घर पर होली का एक ड्रेस कोड है?
मैंने कहा- हां, मुझे पता है. लडकियों को सफ़ेद टी शर्ट बिना ब्रा के और घुटने से छोटी स्कर्ट बिना कच्छी के पहननी है. लड़कों को सिर्फ़ शॉर्ट्स पहनने हैं और वो भी बिना अंडरवियर के ही.

ये कहते हुए मैंने अपना ट्रैक सूट उतार दिया.
मैंने नीचे एक सफ़ेद टी शर्ट और छोटी सी स्कर्ट पहनी थी।
विक्रम ने भी अपनी टी शर्ट उतार दी। वो ऊपर से नंगा हो गया और नीचे तो वो सिर्फ़ शॉर्ट्स में ही था।

अब हम ड्रेस कोड में थे। उसने कार स्टार्ट कर दी। रास्ते में कभी वो मेरी चूची दबाने लगता तो कभी चूत पर हाथ मार देता था.

कुछ देर में हम उनके बंगले पर पहुंच गये. उनके उस बड़े से बंगले पर मैं पहले भी कई बार आ चुकी थी.

हम अन्दर पहुंचे तो वहाँ विक्रम की बहन गरिमा थी. उसकी सहेली साक्षी भी आई हुई थी. साथ ही पांच लड़के और भी थे. लड़कों में आदिल, सोमेश, अनिल, राजीव और जॉन थे।

ये सारे के सारे भी डॉक्टरी पेशे से थे. मैं उनमें से केवल आदिल और राजीव को जानती थी। वहाँ एक 18-19 साल की लड़की भी थी जो विक्रम के यहां नौकरानी थी। उसकी बहन अन्दर पकौड़े बना रही थी।

18-19 साल की उस लड़की का नाम सुनीता था।

सुनीता ने एक सिंपल सा सूट पहना हुआ था. वो हम सब को पकौड़े और भांग दे रही थी। सब अपने ड्रेस कोड में थे। सबने पकौड़े खाए और भांग पी ली।

फिर विक्रम ने कहा- चलो, सब लॉन में चलो और वहाँ होली खेलते हैं।
सब लोग अपने रंग लेकर लॉन में आ गये।

विक्रम ने सुनीता को इशारा करके बुलाया और उसको पानी का पाइप चालू करने के लिये कहा।

सुनीता ने वैसा ही किया। विक्रम ने पाइप से सब के ऊपर पानी डाल कर गीला कर दिया। लडकियों की टी शर्ट सफ़ेद होने की वजह से सब की चूचियां दिखने लगीं। तभी लड़कों ने विक्रम से पाइप छीनकर उसे गीला कर दिया।

उनकी नौकरानी सुनीता वहीं खड़ी थी तो वो भी पूरी गीली हो गई।
हम सब हंसने लगीं।

ये देख कर लड़कों को गुस्सा आया और उन्होंने हम तीनों को पकड़ लिया। वो 6 लड़के और हम तीन लड़कियां … उनके सामने हम क्या कर सकती थीं?

राजीव ने गरिमा को, सोमेश ने मुझे और अनिल ने साक्षी को पकड़ लिया। अब आदिल ने हाथ में रंग लिया और गरिमा की तरफ गया।

गरिमा 20 साल की भरी पूरी लड़की थी मगर मुझे नहीं पता था कि विक्रम अपनी बहन को भी पार्टी में शामिल करेगा।

आदिल ने पहले गरिमा के मुंह पर रंग लगाया और उसके बालों में बहुत सारा रंग डाला. फिर उसकी टी शर्ट पर रंग लगाने लगा। उसकी चूचियों पर टी शर्ट के ऊपर से रगड़ने लगा।

जॉन ने देखा और बोला- गान्डू ऐसे कोई रंग लगाता है क्या? देख, मैं दिखाता हूं तुझे कि रंग कैसे लगाया जाता है।
ये कहकर जॉन ने हाथ में रंग लिया और गरिमा के पास गया. पास जाकर उसने गरिमा की टी शर्ट ऊपर की और उसके मम्मों पर रंग रगड़ दिया.

ये देखकर सब हंसने लगे.

गरिमा बोली- बहनचोद, तुझे छोडूंगी नहीं।
फिर विक्रम ने रंग का पैकेट उठाया और साक्षी के पास गया। उसने आधा पैकेट साक्षी के सिर पर उड़ेल दिया। फिर कुछ रंग हाथ में लेकर साक्षी की टी शर्ट में डाल दिया।

उसके बाद विक्रम ने साक्षी की टी शर्ट ऊपर की और उसकी चूचियों पर रंग लगाते हुए उसकी चूचियों को रगड़ने लगा।
फिर साक्षी बोली- बहनचोद … छोड़ दे.

विक्रम को गाली सुनकर गुस्सा आ गया. उसने साक्षी की स्कर्ट में हाथ डालकर उसकी चूत पकड़ ली और उस पर रंग लगाने लगा।

तभी उसने शायद उसकी चूत में उंगली डाल दी क्योंकि वो उछल गयी थी।
तब विक्रम ने बोला- साली बहन की लौड़ी … पानी तो पूरा चू रही है तेरी चूत।

फिर विक्रम गरिमा की तरफ गया।
उसने पूछा- और बहना … क्या हाल है?
गरिमा ने कहा- मजे में हूं।

मुझे समझ आ गया कि इन दोनों भाई बहन ने आपस में चुदाई भी की हुई है।

विक्रम ने रंग हाथ में लेकर अपनी बहन गरिमा की चूची पर मसला और उसी हाथ को उसकी स्कर्ट में डालकर चूत पर रगड़ दिया।

अब वो मेरी ओर आने लगा.

आदिल भी और जॉन भी मेरी तरफ आ गये। सोमेश ने मुझे और कसकर पकड़ लिया।
मैंने सोमेश से कहा- भोसड़ी के … मैं कहीं भागी नहीं जा रही जो इतनी जोर से मुझे भींचे हुए है तू. आराम से पकड़ ले.

यह कहानी लड़की की वासना भरी आवाज में सुनें!

ऑडियो प्लेयर

00:00
00:00
उसके बाद पहले आदिल आया और मेरी टी शर्ट ऊपर कर दी. मेरे चूचे गरिमा और साक्षी दोनों से ही बड़े थे. आदिल ने अपने हाथ में रंग लिया और मेरी चूचियों पर रगड़ने लगा।

इतने में ही मुझे लगा कि मेरी जांघ पर कुछ चल रहा है. मैंने नीचे देखा तो जॉन हाथ में रंग लेकर मेरी चूत पर रगड़ने की कोशिश कर रहा था. ये सोचकर ही मेरी चूत पनिया गयी.

उसके बाद उन तीनों ने अपनी अपनी जगह बदल ली.
 

Bestfriend

Member
148
264
64
मेरा बॉयफ्रेंड मुझे होली खेलने ले जाने के लिए मेरे घर आया था.

होली पर रंग लगाने के बहाने उसने मेरी मॉम की चूचियों और चूत पर भी रंग लगा दिया. फिर उसने मेरी छोटी बहन श्वेता की चूत और चूची भी रंग डाली.

फिर वो मुझे अपने घर ले गया जहां पर उसके पांच दोस्त और उसकी बहन व बहन की सहेली होली खेलने आये हुए थे. हम सब मिलकर होली खेलने लगे.

अब आगे की माय बॉयफ्रेंड सेक्स स्टोरी:
अब विक्रम ने गरिमा को, आदिल ने मुझे और जॉन ने साक्षी को पकड़ लिया। सोमेश, अनिल और राजीव ने बारी बारी से हम तीनों की चूचियों और चूत पर रंग लगाया.

रंग लगाने के बाद वो सारे लड़के खड़े हो गये. अब हमारी बारी थी रंग लगाने की.

नौकरानी सुनीता ये सब देख रही थी. विक्रम ने सुनीता को म्यूजिक सिस्टम चलाने के लिए कहा.
उसने डेक ऑन कर दिया। इंग्लिश सोंग चलने लगे।

तभी गरिमा डान्स करती हुई आगे गई और रंग का पैकेट उठाया और सीधा जॉन के पास गई और उसकी छाती पर रंग लगाया.

फिर हाथ में रंग लेकर उसकी शॉर्ट्स में हाथ डाल दिया और उसके लण्ड पर रंग लगाने लगी।

आपा धापी में जॉन की गोटियां मसली गयीं और वो जोर से चिल्लाया- मां की लौड़ी, मेरी गोटियां फोड़ दीं!
उधर से गरिमा भागते हुए चिल्लाई- बहन के लौड़े, मैंने कहा था कि मैं तुझे छोड़ूंगी नहीं.

इस पर सब हंस दिये.

इसी तरह सब लड़कियों ने बारी बारी से सब लड़कों को रंग लगाया।
सुनीता ये सब खड़ी खड़ी देख रही थी।

तभी राजीव ने कहा- यार सुनीता को तो किसी ने रंग लगाया ही नहीं। ये बेचारी तब से खड़ी खड़ी देख रही है।

सुनीता बोली- नहीं भैया, मैं नही खेलती हूं।
तो मैं बोली- अरे यार … बुरा ना मानो होली है। खेलना तो पडे़गा।

हम सब ने उसके चारों तरफ सर्कल बना लिया। मैंने रंग का पैकेट लिया और पूरा उसके सिर पर उलट दिया। सूट के ऊपर से उसके चूचे रगड़ दिये। वो कुछ नहीं बोली।

तब राजीव ने बोला- मजा नहीं आया अंजलि! देख मैं लगाता हूं।

राजीव ने रंग का पैकेट लिया और सुनीता के पास गया. उसने हाथ में रंग लिया और उसके मुंह पर लगाने लगा। फिर उसने और रंग लिया और उसके सूट के ऊपर चूचों पर रंग लगाने लगा।

तब गरिमा बोली- अरे ऐसे कैसे लगा रहा है, रुक मैं बताती हूं।

वो सुनीता के पास गयी और रंग लिया और सुनीता के सूट के गले में हाथ डालकर उसके चूचों पर रंग लगा दिया।

इस पर सोमेश बोला- यार हमें तो पता ही नहीं चला कि रंग लगा भी है या नहीं.
गरिमा ने कहा- तो खुद ही आकर देख लो.
उधर से साक्षी बोली- ऐसे सब बारी से थोड़ी न देखेंगे, सब एक ही बार में देख लो.

गरिमा बोली- एक बार में कैसे?
साक्षी सुनीता के पास गई और सुनीता से बोली- चल सिर के ऊपर हाथ उठा!

इसके जवाब में सुनीता ने कुछ नहीं कहा. वो कुछ भी बोली ही नहीं।

तभी गरिमा बोली- भोसड़ी की … आज होली है. होली के दिन कोई किसी बात के लिए मना नहीं करता है.

सुनीता ने जल्दी से हाथ उठा दिये और साक्षी ने उसका कुर्ता उतार दिया। उसने अन्दर ब्रा पहनी थी।
मैंने विक्रम से कहा- तुमने इसको ड्रेस कोड नहीं दिया था?
इस पर सब हंसने लगे।

तब साक्षी ने उसकी ब्रा खोल दी और झटके से खींच दी। सुनीता ने अपने हाथ चूचियों पर रख लिये।
सोमेश बोला- लो, अभी कैसे देखें रंग लगा है या नहीं?

गरिमा ने सुनीता के दोनों हाथ नीचे करके पकड़ लिये और कहा- अब देखो।
सोमेश ने कहा- देखो रंग पूरी तरह तो लगा ही नहीं।
तो गरिमा ने कहा- तो तुम आकर लगा लो।

सोमेश ने रंग का पैकेट लिया और सुनीता की चूचियों पर पूरा पैकेट पलट दिया। फिर अपने दोनों हाथों से उसकी चूचियों पर वो रंग को रगड़ने लगा. वो कभी उसकी चूची दबा रहा था तो कभी उसके निप्पलों को खींच देता था.

सुनीता के निप्पल एकदम से पिंक कलर के थे.

तभी आदिल बोला- यार, ऊपर तो अच्छी तरह से लगा दिया लेकिन नीचे तो पूरा सूखा ही रह गया.
साक्षी बोली- जब हमें नीचे लगाया गया है तो ये भी नीचे लगवायेगी. सबके लिए रूल बराबर होना चाहिए.

ये बोलकर साक्षी ने सुनीता की सलवार खोल दी और सलवार झटके से नीचे गिर गयी।
साक्षी ने सुनीता की चूत पर हाथ लगाया और कहा- साली, ये तो पूरी गीली है।

सुनीता शर्मा गयी।

साक्षी ने कहा- आदिल, तू इसकी चूत पर रंग लगा!

आदिल रंग हाथ में लेकर सुनीता के पास पहुंच गया और उसकी चूत पर हाथ लगाया और बहुत जोर से चूत दबा दी।

चूत दबाते ही सुनीता के मुंह से सीत्कार निकली।
आदिल ने उसे छोड़ दिया।

उसने अपनी सलवार ऊपर उठाई और कुर्ता पहन लिया।
मगर ब्रा नहीं पहनी।

फिर सब डांस करने लगे।
भांग का असर तो था ही … कभी कोई लड़का किसी लड़की की चूची दबा देता था तो कोई किसी की गांड को भींच देता था.

तभी विक्रम ने मुझे बुलाया और कहा- चल लोंग ड्राइव पर चलते हैं।
मैंने ओके कहा।

फिर हम वहाँ से निकल गये। विक्रम ने अपनी मर्सडीज़ एसयूवी निकाली.
जैसे ही हम बैठे तो आदिल भी आकर बैठ गया.
वो बोला- यार, मुझे भी चलना है.
विक्रम ने ओके कहा और हम उसको लेकर चल पड़े.

विक्रम कार चला रहा था और मैं उसकी बगल वाली सीट पर थी। आदिल मेरे पीछे वाली सीट पर था। ऑटोमेटिक कार थी। विक्रम कभी हाथ मेरी चूची पर मारता तो कभी मेरी चूत पर। जैसे ही कार हाईवे पर आई पीछे से आदिल ने मेरी चूची पकड लीं।

मैंने विक्रम की तरफ देखा तो वो हंस रहा था। मुझे समझ आ गया कि मुझे इन दोनों के लंड से ही चुदना होगा. मगर मैंने थोड़े नखरे दिखाने शुरू किये. मैंने आदिल के हाथ पकड़ कर हटा दिये और उससे कहा कि होश में रहे.

आदिल बोला- रंडी सबसे चुदती रहती है और अब नखरे दिखा रही है?
मैंने आदिल से बोला- मैं रंडी नहीं हूं, विक्रम की गर्लफ्रेंड हूं।
आदिल बोला- जब मैंने इसकी बहन को नहीं छोड़ा तो तुझे कैसे छोडूंगा?

ये बोलकर उसने सीट के साइड से लीवर खींच कर सीट सीधी कर दी और मुझे लिटा दिया।
आदिल बोला- चल टीशर्ट उतार।
विक्रम बोला- उतार दे नहीं तो ये फाड़ देगा और तुझे नंगी घूमना पडे़गा।

मैंने सोचा कि विक्रम भी ठीक कह रहा है। मैंने सीधी होकर टी शर्ट उतार दी।
मेरी दोनों चूची एकदम सख्त थीं।

तभी एक चूची विक्रम ने पकड़ ली और जोर से दबा दी।
मुझे अच्छा लगा।

आदिल ने विक्रम से कहा- चल कार साइड में लगा ले विक्रम.
उसने मुझसे स्कर्ट उतारने को कहा. मैंने जल्दी से स्कर्ट उतार ली और मैं पूरी नंगी हो गयी. विक्रम ने कार खेतों में उतार दी. उन्होंने मुझे पीछे वाली सीट पर चलने को कहा. मैं उतर कर नंगी ही बाहर आई और पीछे वाली खिड़की खोलकर अंदर जा बैठी.

वो दोनों के दोनों भी पीछे ही आ गये थे. उन्होंने मुझे बीच में बैठा दिया और अपनी अपनी शॉर्ट्स उतार दी.

विक्रम का लण्ड तो मैं कई बार देख चुकी थी. 6 इन्च लम्बा है उसका!
मगर आदिल का लण्ड देखा तो शॉक हो गई।

अभी तक उसका पूरा खड़ा भी नहीं हुआ था और 5 इंच का लग रहा था. उसके लंड का खतना किया गया था. फिर उन दोनों ने मेरी चूची पकड़ ली और दबाने लगे.

आदिल बहुत जोर से दबा रहा था।
आदिल बोला- बहन की लौड़ी, चूचियां तो तेरी बहुत अच्छी हैं. मन करता है कि गोश्त की तरह खा लूं.
मैंने भी जोश में बोल दिया- तो खा ले फिर!

तभी विक्रम बोला- इस बहन की लौड़ी की मां के चूचे देखेगा तो देखता रह जायेगा। आज मैंने इसकी मां की चूत और चूचे दोनों रगड़े हैं। वो बहन की लौड़ी मेरे साथ होली खेलना चाहती थी.

इस पर मुझे गुस्सा आ गया और मैं बोली- बहन के लौड़े, मेरी मां के बारे में कुछ मत बोल!
इस पर आदिल मुझे एक थप्पड़ मारा और बोला- बहन की लौड़ी चुप रह. हम दोनों बात कर रहे हैं तो बीच में अपनी गांड मत चुदवा.

अब वो जोश में आ गया और बोला- चल अब हमारे लंड को मसल.
मैंने दोनों के लण्ड पकडे़ और ऊपर नीचे करने लगी।

आदिल और विक्रम ने एक एक चूचा मुंह में ले लिया और उनको चूसने लगे। आदिल ने तभी मेरे चूचे पर काट लिया।
मैंने चीख कर कहा- साले, क्या कर रहा है?
वो बोला- कुतिया, तूने ही कहा था खाने के लिए. खा रहा हूं.
मैं फिर चुप हो गयी.

कभी वो मेरी निप्पल पर काटता और कभी मेरी चूची पर. उल्टे हाथ वाली चूची पूरी लाल हो गयी थी. विक्रम आराम से चूस रहा था. उन दोनों के लंड पूरे खड़े हो चुके थे.

आदिल का लंड तनकर 8 इंच का हो गया था.
उसने कहा- चूस मेरे लंड को।
मैंने सोचा कि आज तो मेरी चूत फटने ही वाली है.

मैंने आदिल का लण्ड मुंह में लिया और उसे चूसने लगी। आधा लण्ड मुंह में था और आधा बाहर।
वो बोला- बहन की चूत … पूरा मुंह में ले … आह्ह … पूरा चूस.

वो मेरे सिर को लंड पर दबाने लगा. उसका लण्ड मेरे गले तक घुस गया।
मुझे सांस लेने में दिक्कत होने लगी और मैं खांसने लगी।
तब उसने मेरा सिर छोड़ा।

फिर मैंने विक्रम का लण्ड मुंह में ले लिया और उसे चूसने लगी।

आदिल ने मेरी चूत में उंगली डाल दी।
मेरी चूत पूरी चू रही थी।

तभी विक्रम ने कहा- चल कार से उतर!
मैंने और आदिल ने एक दूसरे की तरफ देखा।

मैंने कहा- कोई देख लेगा।
विक्रम ने गुस्से से कहा- यहां दूर दूर तक कोई नहीं है।
मैंने बाहर देखा तो वाकई में कहीं कोई नहीं था। तब आदिल उतरा और मैं भी।

आदिल ने कहा- चल तू सीट पर सीधी लेट जा और सिर बाहर लटका … मेरी तरफ पैर कर ले और विक्रम की तरफ सिर।
मैंने ओके कहा और लेट गयी।

तभी आदिल मेरे पैरों के बीच में आया और मेरी चूत पर अपना मुंह रख दिया और मेरी चूत चाटने लगा।

तभी विक्रम ने कार का दूसरा डोर खोल कर मुझे खींचा और मेरा सिर बाहर लटका दिया। फिर अपना लण्ड मेरे मुंह में डाला और मेरे चूचे पकड़ लिये।

उधर आदिल मेरी चूत चाट रहा था। आदिल ने मेरे दोनों पैर हवा में उठाये और अपनी जीभ मेरी गांड के छेद पर रख दी और उसे चाटने लगा।
मुझे लगा मैं सातवें आसमान पर हूं। उधर विक्रम मेरा मुंह चोदने लगा। कभी उसका लण्ड मुंह के अंदर हो रहा था और कभी बाहर.

करीब दस मिनट बाद विक्रम ने अपना पानी मेरे मुंह में छोड़ दिया और मेरी नाक पकड़ ली.

मैंने उसका सारा माल पी लिया.
उसका पानी नमकीन था.

उधर मेरी चूत ने भी पानी छोड़ दिया. आदिल मेरी चूत के पानी को पी गया.

फिर आदिल मेरे मुंह की ओर आया और उसने मेरे कंधे दबाते हुए मेरे मुंह में लंड पेल दिया.

झुककर उसने मेरी चूत पकड़ ली और तेजी से मेरे मुंह में लंड पेलता हुआ मेरे मुंह को चोदने लगा. उसका लंड इतना बड़ा था कि मुझे सांस लेने में दिक्कत होने लगी. फिर भी वो रुक नहीं रहा था.

10 मिनट बाद वो अपनी चरम सीमा पर पहुंच गया और उसने मेरी चूत इतनी तेज दबायी कि मेरी आंखों से पानी बाहर आ गया।
उसने अपना सारा पानी मेरे मुंह में छोड़ दिया।
उसके लंड से निकले पानी से मेरा मुंह भर गया.

आदिल ने कहा- अगर एक बूंद भी जमीन पर गिरी तो जमीन से चटवा दूंगा।
मैंने सारा पानी पी लिया वो भी बिना एक बूंद गिराये।
अब दोनों ने मुझे सीट पर बिठा दिया और दोनों मेरे साइड में बैठ गये।

हम तीनों पूरी तरह नंगे थे।
मुझे लगा कि चलो खत्म हो गया.

लेकिन उनका असली खेल तो अभी शुरू होने वाला था. विक्रम मेरी चूची दबाने लगा. फिर आदिल ने मेरी चूत पकड़ ली।

तभी आदिल ने मेरी चूची मुंह में ले ली और चूसने लगा। आदिल कभी निप्पल दांतों के नीचे दबाता और कभी काटने लगता।
मुझे दर्द तो होता रहा लेकिन मैं चुप थी।

तभी विक्रम ने मेरा सिर पकड़ कर अपने लण्ड की तरफ खींचा और कहा- इसे चूस और खड़ा कर!

मैंने विक्रम का लण्ड चूसना शुरू कर दिया और थोड़ी देर में उसका लण्ड खड़ा हो गया।
फिर मैंने आदिल का लण्ड चूसना शुरू किया और उसे भी खड़ा कर दिया।

अब विक्रम ने कहा- चल कुतिया बन जा!
मैं घुटनों और कोहनी पर आ गई।

आदिल ने अपना लौड़ा मेरे मुंह में डाल दिया और विक्रम ने मेरे पीछे आकर मेरी चूत में लौड़ा डाल दिया।
उधर आदिल मेरा मुंह चोद रहा था और विक्रम मेरी चूत!

थोड़ी देर में दोनों ने अपनी जगह बदल ली। अब विक्रम का लौड़ा मेरे मुंह में था और आदिल का मेरी चूत में!
आदिल मुझे चोदते चोदते मेरी गांड में भी उंगली कर रहा था।

तभी उसने बहुत सारा थूक मेरी गांड पर थूका और अपनी उंगली से अन्दर बाहर लगा दिया। तभी उसने अपना लण्ड मेरी चूत से निकाला और मेरी गांड में घुसेड़ दिया।

मैं इसके लिये तैयार नहीं थी। मेरे मुंह में विक्रम का लण्ड था और मैंने इस हमले से गलती से विक्रम के लौड़े पर दांत मार दिये।
वो जोर से चिल्लाया- बहन की लौड़ी … लण्ड काटती है!
उसने लण्ड मेरे मुंह से निकाला और खींचकर मुझे एक थप्पड़ मारा।

इस पर मैंने बोला- गान्डू साले!
इतने में आदिल ने एकदम से अपना लौड़ा मेरी गांड में घुसेड़ दिया।
आदिल हँसने लगा।

विक्रम बोला- देख अब हम तेरा क्या हाल करते हैं।
उसने आदिल को इशारा किया।

आदिल ने अपना लण्ड मेरी गांड से निकाल लिया और कहा- चल खड़ी हो।
मैं उठी और आदिल सीट पर लेट गया। उसका लण्ड सीधा छत की तरफ खड़ा था।

फिर उसने बोला- चल मेरे लण्ड पर बैठ जा।
मैं उसके लण्ड पर बैठ गयी और जैसे ही पूरा लण्ड मेरी चूत में गया उसका लौड़ा मेरे अंडाशय से टकरा गया।
मुझे बड़ा मजा आया। मैं उसके लण्ड पर उछलने लगी।

तभी आदिल ने मेरे चूचे पकड़े और मुझे आगे झुकाया और मेरे निप्पल मुंह में ले लिये। तभी विक्रम मेरे पीछे आ गया। मुझे निप्पलों को चुसवाने में बड़ा मजा आ रहा था. विक्रम ने मेरे चूतड़ों पर हाथ फिराया।

मैं सीधी होने लगी तो आदिल ने मुझे कंधे से पकड़ लिया।
तो मैं झुकी रही।

तभी विक्रम ने अपना लण्ड मेरी गांड में डाल दिया।
मेरे दोनों छेदों में लौड़े थे।

आदिल ने नीचे से और विक्रम ने पीछे से मुझे चोदना शुरू कर दिया. मुझे बड़ा मजा आ रहा था। मेरे मुंह से ऊह्ह … आह्ह … की आवाजें निकल रही थीं.

तभी वो दोनों रुक गये।
आदिल ने कहा- अब तू घूम जा और विक्रम की तरफ मुंह करके मेरा लौड़ा अपनी गांड में डाल।

मैं उसके लण्ड को चूत में लिये लिये ही घूम गयी. फिर लंड को निकाला और गांड के छेद पर रखा. फिर मैं जोर के झटके से बैठ गयी.
इस झटके से आदिल चिल्लाया- बहन की लौड़ी, तेरी मां की चूत … मेरे लंड को तोड़ेगी क्या?

मैं बोली- मां के लौड़े, तू मेरी गांड को फाड़ सकता है तो मैं तेरे लंड को भी तोड़ सकती हूं.
उसने गुस्से में मेरे बाल पकड़ कर नीचे खींचे.
मैंने कहा- छोड़ बहन के लौड़े, मेरे बालों को छोड.

विक्रम हँसने लगा और उसने मेरी चूची पकड़ लीं. मैं आदिल के ऊपर लेटी हुई थी और उसका लंड मेरी गांड में था. मेरी चूत खुली हुई विक्रम की ओर थी.

खुली चूत देखकर विक्रम ने झटके से अपना लौड़ा मेरी चूत में डाल दिया.
उसने झुक कर मेरी चूची को मुंह में लेकर जोर से काट लिया.
विक्रम ने पहली बार काटा था. मैं कुछ नहीं बोली.

फिर दोनों अपनी फुल स्पीड में आ गये. दोनों मुझे कुतिया समझ कर कुत्तों की तरह चोदने लगे. मुझे इतना मजा आया कि दो मिनट में ही मेरी चूत ने पानी फेंक दिया.

इतने में ही विक्रम भी अपने क्लाइमेक्स पर आ गया. उसने अपना लण्ड चूत से निकाला और मेरी छाती पर चढ़ गया।
उसने अपना लण्ड मेरी दोनों चूचियों के बीच में रखा और चेहरा ऊपर करके एक जोर की धार मेरे चेहरे पर फेंक दी.

लगातार 4-5 धार वीर्य की मेरे मुंह पर गिरी और मेरा पूरा चेहरा सन गया.
वो बोला- इसको अपने मुंह पर पूरा रगड़ ले. इससे बढ़िया क्रीम नहीं मिलेगी तुझे.

मैंने आज्ञाकारी बच्ची की तरह अपने चेहरे और चूचियों पर माल को मल लिया.

विक्रम साइड में बैठ गया और मैं सीधी हो गई।

आदिल का लण्ड मेरी गांड में था, मैं उस पर कूदने लगी।
उसका लण्ड मेरी गांड में अन्दर बाहर होने लगा।

थोड़ी देर में वो चिल्लाया- बहन की लौड़ी मैं आने वाला हूं!
इतना सुनते ही मैं और तेजी से उछलने लगी.

तभी उसने तेज तेज सिसकारते हुए अपना सारा माल मेरी गांड में छोड़ दिया। माल इतना ज्यादा था कि गांड में भरने के बाद कुछ उसकी झांटों पर भी निकल आया.

मैं उठी तो विक्रम ने पेपर नेप्किन दिया और कहा- खड़ी खड़ी साफ कर ले … कार खराब नहीं करनी।
मैंने पेपर नेप्किन से अपनी गांड साफ की और दोनों के बीच में बैठ गई।

तब आदिल बोला- चल अब मेरा लण्ड और झांटें साफ कर!
मैं पेपर नेप्किन लेने के लिये झुकी तो उसने मुझे पीछे खींचा और कहा- पेपर से नहीं, अपने मुंह से चाट कर साफ कर।

मैंने ओके कहा और फिर उसका लण्ड मुंह में लेकर साफ करने लगी और अपनी जीभ से उसकी झांटें चाट कर साफ करीं।

फिर दोनों शान्त होकर बैठ गये। उनके लौड़े भी धीरे धीरे नॉर्मल आकार में आ गये और छोटे हो गये.

तब आदिल बोला- चल तुझे भी साफ करते हैं पानी से!
उसने पेपर नेप्किन दिये और कहा- चल कार से निकल!
मैंने कहा- क्यों?
तो उसने कहा- वहीं तो पानी से नहलाने वाले हैं।

मैंने कहा- ठीक है।
मैं उतरी और वो दोनों भी उतरे और आदिल ने कहा- चल नीचे बैठ जा।

मैं बैठ गई और आदिल मेरे सामने आकर खड़ा हो गया और बोला- आंखें बन्द कर और मुंह खोल!

उसकी बात का मतलब मैं समझी नहीं.
मैंने पूछा- वो क्यूं?
वो बोला- तेरे ऊपर पानी की बरसात करूंगा.
मैंने कहा- पानी कहां है?

वो बोला- पानी मेरे पेट में है. मेरे पाइप से नहलाऊंगा तुझे.
मैंने कहा- भोसड़ी के … तू मेरे ऊपर मूतेगा?

आदिल बोला- मां की लौड़ी, जैसा कह रहा हूं वैसा कर, वर्ना तुझे यहीं पर नंगी छोड़कर चले जायेंगे.
मैं डर गई।

मैंने जल्दी से अपना मुंह खोल दिया। उसने अपना लण्ड मेरी तरफ किया और एक लम्बी धार सीधे मेरे मुंह में आकर गिरने लगी। मैंने आंखें बन्द नहीं की थीं। मैं आदिल का मूत पीने लगी. उसका मूत नमकीन था।

यही कहानी लड़की की वासना भरी आवाज में सुनें!

ऑडियो प्लेयर

00:00
00:00
फिर उसने अपनी धार मेरे चेहरे और चूचियों पर मारी. उसने इतना सुसू कर दिया कि मैं पूरी की पूरी नहा गयी. जब उसका हो गया तो विक्रम ने अपना लंड मेरे मुंह में ठूंस दिया. वो भी मेरे मुंह में मूतने लगा.

वो बोला- मेरा तो तुझे पूरा अंदर ही पीना पड़ेगा.
मैंने उसका सारा पेशाब पी लिया.

फिर आदिल ने एक बोतल निकाल कर दी और बोला कि साफ कर ले और कपड़े पहन ले.

मैंने वैसा ही किया. तब विक्रम ने एक स्प्रे निकाला और मुझ पर बहुत सारा स्प्रे कर दिया। फिर हम घर की तरफ चल दिये।

तब विक्रम बोला- अभी तो हम लड़के तुम लड़कियों का क्या हाल करेंगे घर पर, तू देखती जा।
हम करीब शाम 6 बजे हम घर पहुंच गये
 
Top