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Romance Ek Duje ke Vaaste..

Adirshi

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बहोत ही बढिया अपडेट और उतनी ही उम्दा लिखाई ✍️
अक्षिता
का आने वाला समय ओर भी कठिनाई भरा होने वाला है, :D क्युकि लगता तो एसा ही ह कि एकांश उसकी हालत खराब करके ही छोड़ेगा,
क्या हो अगर अक्षिता फिर से एकांश को चाहने लगे, ओर एकांश उसे जलाने के लिए किसी ओर से प्यार का नाटक करे???
फिर से दिल छू रही है आपकी कलम.
👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️
Idea accha diye ho waise :D
Thank you for the review :thanx:
 

Adirshi

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लड़की ने आखिर छोड़ा क्यों समझ नहीं आया,
कैरियर के लिए तो उसकी तो बात भी नहीं की,
गोल्ड डिगर भी नहीं लगती।
कुछ समझ नहीं आया।
:death:
sab pata chalega 😌
 

Adirshi

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Agree.

कैरियर कोई ऐसा बड़ा नही है कि अपने सच्चे प्यार को कोई छोड़ दे। हां कॉलेज में कोई शर्त टाइप कुछ होगा, ऐसा लगता है मुझे।
sab pata chalega kuch logo ka aana baki hai abhi 😌
 

Adirshi

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जाॅब मे और वह भी खासकर प्राइवेट फर्म की जाॅब मे मालिक और कर्मचारी के दरम्यान अधिकांशतः ऐसा ही रिश्ता देखने को मिलता है जैसा अक्षिता और एकांश के बीच हो रहा है ।
अपने कर्मचारी को छोटी छोटी सी बात पर , छोटी छोटी गलती पर फटकारना , सरेआम उसकी बेइज्जती करना , उसपर अधिक काम का बोझ लादना , समय से अधिक उसे व्यस्त रखना - यह सब अक्सर देखा जाता है ।
लेकिन यहां एक और भी मसला है । अक्षिता और एकांश भूतपूर्व प्रेमी हैं और इनका ब्रेक - अप आपसी सहमति से नही हुआ है ।
" एक तो करेला दूजे नीम चढ़ा " - जैसी हालात बन गई है यहां ।
मैने कहा था , इन दोनो को एक जगह पर काम करना दोनो के लिए ही मुश्किल होने वाली है । अक्षिता के लिए यह बेहतर होता कि वह कोई दूसरी नौकरी तलाश करे ।
अभी तो अक्षिता के किसी लड़के के साथ रोमांस की खबर एयर ही नही हुई है । अगर ऐसा हुआ तब एकांश सर की मनोदशा कैसी होगी , इस का अनुमान अच्छी तरह से लगा सकते है ।

बहुत खुबसूरत अपडेट आदि भाई ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट।
Thank you for the amezing review bade bhai :thanx:
 

Adirshi

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Adirshi

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Update 5



अक्षिता ने ऑफिस पार्किंग मे अपनी गाड़ी लगाई और वो ऑफिस बिल्डिंग की ओर बढ़ गई वही एकदम उसी समय पर एकांश भी अपनी कार से वहा पहुचा और ऑफिस बिल्डिंग की ओर जाने लगा, अक्षिता और एकांश दोनों की नजरे अभी एकदूसरे पर नहीं पड़ी थी

और दोनों ने एकदूसरे को तब देखा जब वो ऑफिस के एंटेरेंस पर एकदूसरे से टकराए..

दोनों ने एकदूसरे की छुअन को काफी समय बाद महसूस किया था जिससे दोनों ही कुछ पालो के लिए खो से गए थे दोनों की आपस मे नजरे मिली और कुछ पल वो वैसे ही रहे

“सॉरी मिस्टर रघुवंशी” अक्षिता ने झट से कहा और उससे दूर हो गई

वही एकांश अब भी अपनी और अक्षिता की पुरानी यादों मे खोया हुआ था, उसकी तंद्री तब टूटी जब उसकी आँखों ने अक्षिता को अपने से दूर जाता देखा..

दोनों ने बिल्डिंग मे प्रवेश किया और लिफ्ट की ओर बढ़ गए एकांश तो लिफ्ट तक जाकर रुक गया लेकिन अक्षिता आगे बढ़ गई

“मिस पांडे, एलवैटर इस हियर” एकांश ने जब अक्षिता को सीढ़ियों की ओर बढ़ता देखा तो लिफ्ट की ओर इशारा करते हुए कहा, अब ये वो भी नहीं जानता था के उसने अक्षिता को क्यू रोका था क्युकी उसे इस बात की कोई फिक्र नहीं होनी चाहिए के अक्षिता लिफ्ट से जाए या सीढ़ियों से, अक्षिता ने एक नजर एकांश को देखा और फिर लिफ्ट को देखा

“मैं लिफ्ट यूज नहीं करती सर, आइ ऑल्वीज़ यूज स्टेर्स” अक्षिता ने सपाट चेहरे के साथ कहा और बगैर एकांश का रिप्लाइ सुने वहा से चली गई और एकांश उसे जाते हुए देखता रहा...


--


वो अपने हाथों मे अपने कीसी दोस्त के लिए लाल गुलाब के फूलों का बुके लेकर एक फूलों की दुकान से निकली थी, उसके चेहरे पर एक बड़ी सी स्माइल थी..

वही वो अपनी मा के जन्मदिन के लिए बहुत बढ़िया गिफ्ट लेकर मुसकुराते हुए गिफ्ट शॉप से बाहर आ रहा था...

दोनों ने ही एकदूसरे को नहीं देखा था दोनों ही अपने अपने गिफ्ट्स को देख कर खुश हो रहे थे और सामने बगैर ध्यान दिए चल रहे थे दोनों ही काफी खुश लग रहे थे और इस चक्कर मे दोनों किधर जा रहे है इसपर दोनों ने ही ध्यान नहीं दिया और दोनों आपस मे टकरा गए

उसने अपने इन्स्टिंगक्ट से अपने हाथों से उसकी कमर को पकड़ा ताकि उसे गिरने से बचा सके और गिरने के डर से उसने अपनी आंखे बंद कर रखी थी

गुलाब के फूलों का गुलदस्ता उसके हाथों से ऊपर छूट कर उनपर अपनी पंखुड़िया बिखेरता नीचे गिर गया था..

यह पहली बार था जब उसने उस परी को देखा था और उसकी खूबसूरती मे अपने आप को खोने से रोक नहीं पाया था, उसकी नजरे इस खूबसूरत चेहरे पर थम सी गई थी, उसके उन लंबे गेसूओ मे फसी कुछ गुलाब की पंखुड़िया उसे लुभा रही थी

दूसरी तरफ उसने धीरे धीरे अपनी आंखे खोली और अपनी ओर उन गहरी काली आँखों को देखता पा कर वो थोड़ी शॉक थी, उसका ध्यान भी उसके चेहरे से नहीं हट रहा था

दोनों वैसे की कुछ पल एकदूसरे मे खोए रहे और दोनों की तंद्री तब टूटी जब उन्होंने अपने आसपास आवाजे सुनी, देखने पर पता चला के मॉल मे मौजूद लोग उन्हे ही देख रहे थे, वो दोनों एकदूसरे से अलग हटे और अब उन्हे अपने सामान का ध्यान आया

“मेरे फूल”

“मेरा गिफ्ट”

दोनों के मुह से एकसाथ निकला और वो अपने अपने गिफ्ट्स उठाने लगे

“तुम देख के नहीं चल सकते क्या” उसने चिढ़ कर कहा

“ये बात तो तुम पर भी लागू होती है मैडम” उसने भी उसी भाषा मे जवाब दिया

“तुम्हारी वजह से मेरे सारे फूल बर्बाद हो गए”

“और तुम्हारी वजह से मेरा गिफ्ट टूट गया होगा”

“तुम्हारा गिफ्ट बॉक्स मे पैक है उसे कुछ नहीं हुआ होगा लेकिन मेरे फूल” उसने मॉल मे बिखरे गुलाब के फूलों को देखते हुए मायूसी के साथ कहा

उसने उसके चेहरे को देखा उसकी आँखों मे पानी जमने लगा था और अब उसे बुरा लग रहा था

उसने नीचे से सभी फूल उठाए और उनको एक कवर मे जमाया और खड़ा हुआ वो बस उसकी हर हरकत को देख रही थी

उसने उस बोके को लगभग ठीक करके मुसकुराते हुए उसके हाथ मे थमाया और उसने भी जब देखा के गुलदस्ता ठीक लग रहा है तो मुसकुराते हुए ले लिया और उसे ऐसे स्माइल करता देख उस बंदे का दिल जोरों से धडक रहा था

“थैंक यू, आइ होप मेरी वजह से आपका गिफ्ट खराब ना हुआ हो”

“अरे नहीं ठीक है”

कुछ पल दोनों के बीच शांत छाई रही

“उम्म... आइ एम एकांश” उसने उस लड़की की ओर अपना हाथ बढ़ाते हुए कहा

“अक्षिता..” उसने भी स्माइल के साथ उससे हाथ मिलाया

यही उनकी पहली मुलाकात थी, यही से तो उनकी कहानी शुरू हुई थी...


--


एकांश ने अपनी आंखे खोल आजू बाजू देखा, अपनी और अक्षिता की पहनी मुलाकात को याद करते हुए उसने चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान आ गई थी वो अक्सर सोचता के सच मे क्या वो सब झूठ था..

एकांश अपने खयालों से बाहर आया और अपने केबिन मे बने ग्लास विंडो से अपने स्टाफ को काम करता देखने लगा और फिर उसकी नजरे उसपर पड़ी.. अक्षिता अपनी जगह पर बैठी थी

अक्षिता ना तो आज कीसी से बात कर रही थी ना ही हस रही थी जैसा रोज होता था, पिछले एक हफ्ते से वो बराबर 9.30 बजे ऑफिस मे होती थी अपने हाथ मे एकांश की कॉफी लिए, उसके बताए हर काम कर रही थी और एकांश ने भी अक्षिता को आज जितना उदासीन नहीं देखा था

‘मुझे उसकी इतनी चिंता क्यू हो रही है’ एकांश मे मन मे सवाल उठा और उसने उसे वही दबा दिया

जब एकांश पलट कर अपनी जगह जाने ही वाला था के उसने एक लड़के को अक्षिता के पास जाते देखा और वो कोई और नहीं रोहन था, रोहन ने अपना हाथ अक्षिता के कंधे पर रखा और अक्षिता ने मूड कर उसे देखा, अब उन दोनों मे क्या बात हुई ये एकांश नहीं सुन पाया, वो कॉर्नर मे रखे वाटर फ़िल्टर के पास जाकर बाते करने लगे, एकांश ने जब देखा के अक्षिता ने रोहन को गले लगा लिया है और कुछ पल वैसी ही रही तब एकांश की त्योरीय चढ़ गई अपनी जलन मे वो ये नहीं देखा पाया के अक्षिता अपने दोस्त के कंधे को सहारा बना कर रो रही थी.. एकांश ने एक कड़वी मुस्कान से उन्हे देखा और उसके दिमाग मे एक प्लान आया...

--



“यस सर” एकांश के बुलाने पर अक्षिता उसके केबिन मे आ गई थी

“मिस पांडे जाओ और देखो ऊपर मेरे केबिन मे दीवार पेंट करने के लिए कौनसा कलर यूज हो रहा है और मुझे बताओ” एकांश ने बगैर उसकी ओर देखे कहा

‘क्या बोल था तुमने, तुम लिफ्ट यूज नहीं करती हैना? अब देखते है’ एकांश ने मन ही मन सोचा

अक्षिता एकांश की बात मानते हुए सीढ़ियों से ऊपर वाले फ्लोर पर गई और रूम चेक किया जिसे पूरे ग्रे कलर मे पेंट किया गया था और वो काफी क्लासी लग रहा था और यही बात अक्षिता ने आकार एकांश को बताई और अब एकांश के पास उसके लिए अगला ऑर्डर तयार था

“सर, पूरे रूम मे ग्रे कलर हुआ है” अक्षिता

“ओके, चेक करो वो कौनसा प्लाइवुड यूज कर रहे है, वो क्लासी और वॉटर्प्रूफ है न?” एकांश ने अगला ऑर्डर छोड़ा और अक्षिता ने हा मे गर्दन हिलाई और काम पर लग गई

अक्षिता वापिस सीढ़ियों से ऊपर गई, उसने सभी डिटेल्स चेक की, जो बाते एकांश ने नहीं बोली थी वो भी देखि ताकि वो और कुछ बोले तो जवाब दे सके

“सर, जो प्लाइवुड यूज हो रहा है मटैलिक ब्लैक कलर का है क्लासी है और वॉटर्प्रूफ भी है” अक्षिता ने कहा

“तुम्हें कैसे पता वॉटर्प्रूफ है?” एकांश ने अक्षिता को देखते हुए पूछा जो हल्का सा हाँफ रही थी

“मैंने डिजाइनर से प्लाइवुड का गरेंटि सर्टिफिकेट दिखने कहा था”

“हम्म, ठीक है मेरे लिए कॉफी ले आओ” अगला ऑर्डर

अक्षिता बगैर कुछ बोले कॉफी लाने चली गई..

‘ये सब कुछ एक बारी मे नहीं बोल सकता था’ उसके मन मे खयाल आया

कैफै मे आई तो वहा कूक नहीं था तो अक्षिता को खुद एकांश के लिए कॉफी बनानी पड़ी जिसे लेकर वो वापिस केबिन मे आई

“सर आपकी कॉफी” अक्षिता ने कॉफी टेबल पर रखते हुए कहा

एकांश ने कॉफी का एक घूंट लिया जिसने उसे थोड़ा चौका दिया, कॉफी बहुत शानदार बनी थी जिसका टैस्ट भी अलग था ये बिल्कुल वैसी थी जैसी उसे पसंद थी

“सर, मैं जाऊ?” अक्षिता ने थकी हुई आवाज मे पूछा

“नहीं, यू नीड़ तो सुपरवाइज़ द वर्क इन माइ केबिन एण्ड रिपोर्ट टु मी” एकांश ने अलग ऑर्डर छोड़ दिया

अक्षिता धीरे धीरे सीढ़िया चढ़ रही थी और अब लगातार ऊपर नीचे करने से उसके पैर दर्द करने लग गए थे, वो वहा पहुच कर चलते हुए काम को देखने लगी, अक्षिता को इस कदर थका हुआ देख पूजा ने उसे पानी ऑफर किया और अक्षिता ने ले भी लिया प्यास तो उसे बहुत लगी थी, अक्षिता ने पानी पीकर कुछ वक्त और चल रहे काम पर नजर रखी

“सर, सब काम सही चल रहा है, पेंटिंग वर्क खतम हो गया है, सभी कबीनेट्स बन गए है, विंडो के ग्लास भी आ गए है बस कबीनेट्स और ग्लास की फिटिंग बची है” अक्षिता ने एकांश को प्रोग्रेस बताई

एकांश कुछ पल खामोश रहा वही अक्षिता बस वहा से निकल कर शांति से कही बैठना चाहती थी, उसका पूरा बदन दर्द कर रहा था

“सर, कुछ मिनट मे लंच ब्रेक होने वाला है मैं जाऊ?” अक्षिता ने दोबारा पूछा जिसपर एकांश ने हामी भर दी और अपने काम मे लगा रहा वही अक्षिता जितनी जल्दी हो सके वहा से निकल गई..

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लंच के दौरान रोहन और स्वरा ने उसके मुरझाए चेहरे को देख क्या हुआ है पूछा तो अक्षिता ने बस वो थक गई है कह कर बात को टाल दिया और चुप चाप लंच खाया..

लंच के बाद अक्षिता अपनी डेस्क पर अपना सर पकड़े बैठी ही थी के तभी उसका फोन बजा और वो किसका होगा ये जानते हुए अक्षिता ने एक लंबी सास छोड़ी

“यस सर” अक्षिता ने फोन उठाते हुए कहा

“इन माइ केबिन, नाउ” और फोन कट

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“मुझे यहा धर्माधिकारी की फाइल नहीं मिल रही है शायद मेरी कार मे है... गो एण्ड गेट इट” एकांश का अगला ऑर्डर तयार था

अक्षिता केबिन से बाहर आई और सीढ़ियों से तीन माले नीचे उतरी, एकांश की कार तक पहुची, ड्राइवर से कार खुलवाई, वहा उसे वो फाइल मिल गई जिसे लेकर वो वापिस तीन माले चढ़ कर एकांश के केबिन मे पहुची

“ये रही फाइल सर” अक्षिता ने हाफते हुए अपना पसीना पोंछते हुए कहा

“मुझे फाइल अर्जन्टली चाहिए थी, इतना वक्त क्यू लग गया?” एकांश ने पूछा

अक्षिता कुछ नहीं बोली वो जानती थी ये सब जान बुझ कर हो रहा था, उसने कहा था के वो लिफ्ट यूज नहीं करती और बस इसीलिए वो उसे परेशान करने ये सब कर रहा था

अक्षिता को तकलीफ तो हो रही थी लेकिन वो बताना नहीं चाहती थी, वो उसके सामने कमजोर पड़ना नहीं चाहती थी, और उसे ये समाधान तो बिल्कुल नहीं देना चाहती थी के वो जीत गया है..

एकांश ने अक्षिता को देखा जो बगैर कुछ बोले शून्य ने देख रही थी, उसे लगा था या तो वो गुस्सा करेगी या सॉरी बोलेगी लेकिन वो चुप रही और वैसे भी एकांश को कहा फर्क पड़ना था

“नाउ गो एण्ड चेक मेरे केबिन मे काम पूरा हुआ या नहीं” एकांश ने कहा

अक्षिता चुप चाप बगैर कुछ बोले केबिन से बाहर आई और सीढ़ियों की ओर जाने लगी और वही दीवार का सहारा लेकर खड़ी हुई और उसकी आंखे से आँसू की एक बूंद नीचे गिरी, जल्दी ही अक्षिता ने अपने आप को संभाला और सीढ़िया चढ़ कर ऊपर आई,

अक्षिता को यू थकी हुई हालत मे रोबोट की तरह चलता देख पूजा को उसकी चिंता होने लगी

“अक्षिता, कुछ देर बैठ जाओ यहा” पूजा ने कहा

“नहीं मुझे काम कहा तक पहुचा चेक करना है” अक्षिता ने आगे बढ़ते हुए कहा

“तुम यही बैठो मैं देख आती हु” पूजा ने कहा

“थैंक यू पूजा लेकिन तुम्हें तुम्हारा काम भी तो करना है मैं कर लूँगी ये” अक्षिता ने हल्की सी स्माइल के साथ कहा

“अक्षिता ऐसा है के मुझे समझ नहीं आ रहा बॉस तुम्हारे साथ ऐसा क्यू कर रहा है”

“मतलब?” अक्षिता ने पूछा

“मैं इसी फ्लोर पर हु और काम कहा तक पहुचा है ये देखना मेरी ड्यूटी है और मुझे डायरेक्ट बॉस को इन्फॉर्म करना है और जब मैं मेरा काम कर रही हु तो वो वही काम तुम्हें क्यू दे रहा है मुझे समझ नहीं आ रहा” पूजा ने कहा

अक्षिता की आँखों मे पनि जमने लगा था और वो उसे रोकने की पूरी कोशिश कर रही थी

‘वो नफरत करता है मुझसे, बहूत ज्यादा नफरत, शायद मैं इसी की हकदार हु’ अक्षिता ने मन मे खयाल आया

“अक्षिता सॉरी यार पर रो मत प्लीज, मुझे तुम्हें हर्ट नहीं करना था” पूजा ने अक्षिता को रोता देख पैनिक होते हुए कहा

“नहीं तुम्हारी गलती नहीं है” अक्षिता ने अपने आँसू पोंछे और उठ कर उसे बताया काम करने लगी, उसने बगैर कुछ बोले एकांश के बताए हर ऑर्डर को फॉलो किया और जब काम खतम हो गया अपने दोस्तों से पार्किंग मे मिल कर घर की ओर निकल गई, उसका पूरा बदन दर्द कर रहा था....



क्रमश:
 
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